- 40,023
- 75,739
- 304
★ INDEX ★
☟
☟
♡ Family Introduction ♡ |
|---|
Last edited:
♡ Family Introduction ♡ |
|---|
Thanks brotherभाई गज़ब बोल कर कांड करना तो कोई रोमेश से पूछे

Superb update
Akhir jn Reddy ka qatal kar hi Diya romesh ne ,
Intersting rhega ab itne sabut apne khilaf hone ke bad bhi romesh khud ko kaise bacha payega jisme sabse bada kata uska dost Vijay hi rahega
WOW aakhir kar maar he dia Romesh ne JN ko lekin bhag ke apne flat per Q aaya jabki Romesh janta tha her kisi ko pata hai katil ke bare me fir bhi itni badi bevkoof Q bhala
.
Ek bat or samj nahi aaye agar Romesh yaha Mumbai me hai to Delhi me uski wife bhi intjaar me hai Romesh ke
Sala ab to eeasa lagta hai ho na ho jaroor Romesh ki Wife ka chkkar hai kuch to tabhi Romesh apni shadi ki salgirah me Apni bivi ke pas na hoke Mumbai me hai ya fir Bivi he kisi or ke sath hai
.
Raj_sharma bhai khatarnak update dia baai aapne agar is paheli ko sochne baitha to apni story ka update bhool jaoga waise bhi ab log kehne lge hai mai nahi koi or story likh rha hai![]()
Nice update....
Akhir kar JN mara gaya. Par muje lgta hai Romesh ne kuch alag hi khel racha hai. Wo khud Delhi me betha hai. Kyoki pichle 2 update se clearly romesh ko bataya nahi gaya hai, sirf uske jese koy banke aaya hai. I think issi tarah Vijay Romesh se mast khayega.
Pr writer saab kya twist laate he dekhna padega
Awesome ,thrilling, interesting, suspenseful update
![]()
रोमेश ने तो छका दिया है पुलिस को पर अब आगे कुछ तो सोचा ही होगा उसने ऐसे विजय की गिरफ़्त ससे दूर है कोई तो मक़सद होगा पक्का उसका ।
वो दिल्ली गया था या नहीं अभी संदेह मे है ।
सीमा का भी अभी कुछ पता नहीं चला ना शंकर से रोमेश की मुलाक़ात का देखते है आगे क्या रंग भरे है इस कहानी मैं![]()
पुलिस से भागना कुछ समझ नही आया?
खैर उसे गिरिफतार भी होना है और वापस से बा इज्जत बरी भी होना है।
फिलहाल उसने विजय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
Shandar jabardast update![]()
Idhar romesh ne JN ko kya tapka diya mayadas itna chav me rahta tha uski bhi fati padi ha romesh se isliye underground ho gaya or batala bhi farar ho gaya ha Romesh to ek murder karte hi hero ban gaya or JN ka sara kala chitha bhi samne aa gaya kher lekin abhi to Romesh vijay ko pagal kiye hue ha lekin romesh ko akhri jung to court me jitni ha use riha bhi hona ha dekhte han kya hota ha court ke andar
kya baat bhai ji ati sunder lekhni kamaal dhamaal jabardast romanchak update akhir romesh ne JN ka kaand kar hi diya dekhte hain usko vijay kaise pakdata hai![]()
Nice and superb update....
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Bahut hi badiya update Raj_sharma bhai
Kisi film ki story ki tarah LG rha h sabhi characters ko bahut hi acha likha h
Nice update....
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
रोमेश ने जे एन का कत्ल कर पुरे शहर में सनसनाटी फैला दी लोगों के सामने मरहुम जे एन का असली चरित्र ला कर रख दिया बहुत से लोग अब रोमेश को हिरो भी समझने लगे वही विजय के साथ भी ऑखमिचौली का खेल खेल रहा है
विजय ने रोमेश को ना पकड पाने पर इस्तिफा देने का कहकर उसको पकडने का पुरा जाल फैला दिया है तो देखते हैं आगे क्या विजय रोमेश को गिरफ्तार कर पाता हैं या नहीं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Behad shandar update he Raj_sharma Bhai,
Romy ye chuhe billi wala khle kyo khel raha he vijay ke sath ye kuch samajh me nahi aa raha..........
Ho sakta he, ye bhi romy ke plan ka koi hissa ho...........jiske tahat vo is khun ke ilzam se bachna chahta ho........
Keep rocking Bro
अपने पिछ्ले रिव्यू मे मैने शक जाहिर किया था कि शायद यहां भी वही पुरानी फिल्मी या कहानी की घिसी पीटी स्टोरी होगी कि नायक ट्रेन पर चढ़ा , बीच रास्ते मे कहीं उतरा और विलेन का मर्डर कर वापिस ट्रेन पर सवार हो गया । और गंतव्य स्थल पर एक क्या कई विटनेस की मौजूदगी उसके हित को ध्यान मे रखकर रख दी गई होगी।
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही ।
वैसे रोमेश साहब ने जे एन का कत्ल कर के अपने दोनो मकसद साध लिए । पत्नी के साथ हुए दुष्कर्म और अपने अपमान का बदला लेना और शंकर साहब को दिए गए अपने कमिटमेंट पर खरा उतर कर दिखाना ।
पत्नी उसे कितना पसंद करती है या वह कितना भाव देती है यह इम्पोरटेंट नही है , इम्पोरटेंट यह था कि रोमेश साहब अपने पत्नी के इज्ज़त का कितना सम्मान करते है और वह उन्होने जे एन का कत्ल कर साबित कर दिया ।
यह प्रायः सभी रीडर्स के मन मे होगा कि जे एन साहब का कत्ल उनके दिलरूबा के आशियाने पर ही होगा और यह सच भी था ।
उनके प्रिय मित्र विजय साहब एक इमानदार पुलिस आफिसर की तरह हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गए । लेकिन हमे यह पता ही नही कि फोरेंसिक रिपोर्ट क्या कहती है ? दिलरूबा के घर मे रोमेश साहब के फूट प्रिंट और फिंगर प्रिंट पाए गए है या नही ? चाकू पर रोमेश साहब के उँगलियों के निशान पाए गए है या नही ?
जिन वस्त्र पर खून के धब्बे पाए गए है वह रोमेश साहब के खून है या किसी अन्य व्यक्ति के ?
कत्ल का मोटिव रोमेश सर के पास था । मौका भी उन्हे हासिल था और आला- ए -कत्ल भी मकतुल के सीने मे पैबंद पाया गया । लेकिन साक्ष्य और फोरेंसिक रिपोर्ट कहां है ?
अदालत सबूत के आधार पर कार्रवाई करती है । भले ही मुल्जिम चीख चीखकर इकबाले जुर्म कर रहा हो ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
बहुत खुबसूरत सस्पेंस क्रिएट किया है आपने ।
सिर्फ तेइस अपडेट मे सौ पृष्ठ हो गए , यह कोई कम उपलब्धि नही है और वह भी तब जब एडल्ट फोरम पर एक थ्रिलर कहानी हो ।
इस कहानी की जो सबसे ख़ास बात है, और मुझको बहुत पसंद भी है, वो यह है कि घटनाक्रम इसमें बहुत तेजी से आगे बढ़ता है। इससे थ्रिल ज्यों का त्यों बना रहता है।
जे एन की सारी सुरक्षा धरी की धरी रह गई, और उसमें रोमेश की सेंधमारी हो ही गई।
कुछ बातें जो शायद बाद में खुलें -- शंकर रेड्डी को जे एन की मौत से क्या हासिल होना था? सीमा का इन लोगों से क्या वास्ता है?
शायद ये सारे कनेक्शन रोमेश की बेक़सूरी(?) से जुड़े रहेंगे। एक और बात है -- अभी तक रोमेश बेक़सूर लोगों का मुक़दमा लड़ता था।
लेकिन यहाँ उसने खून किया है -- हाँ, मजबूरी में ही सही, लेकिन किया तो है। पूरा नहीं, तो जुर्म का कुछ हिस्सेदार तो है वो!
जो बात समझ में नहीं आई वो यह है कि अगर रोमेश को इतना यकीन है कि वो अपने आप को बचा लेगा, तो पुलिस से यूँ आँख-मिचौली क्यों खेल रहा है? उससे क्या हासिल होना है?
सवाल बड़े सारे हैं। देखते हैं क्या पता चलता है।
बहुत ही बढ़िया अपडेट्स रहे हैं ये सभी!
गजब का समां बांध दिया राज भाई
बिना कुछ छिपाये भी जबरदस्त सस्पेंस
बेसब्री से इंतजार है अगले अपडेट का
update posted friendsभाई गज़ब बोल कर कांड करना तो कोई रोमेश से पूछे
Supreme le ke party nahi diya
Sorry aapko tag karna bhool gaya tha.Romesh me apne aap ko giraftaar karva dia bade aaram se or Court me bhi jurm ka Iqbal ker dia Bina kisi rok tok ke fir bhi Raajdan ne apna pasa feka judge ke samne taki Romesh koi dikkat na de case me# 24.
एक सप्ताह बीत चुका था। विजय बैचैनी से चहलकदमी कर रहा था। एक सप्ताह की मोहलत मांगी थी उसने और आज मोहलत का अन्तिम दिन था। वह सोच रहा था कि यह सब क्या-से-क्या हो गया? अब उसे त्यागपत्र देना होगा, उसकी पुलिसिया जिन्दगी का आज आखिरी दिन था। उसने गहरी सांस ली और त्यागपत्र लिखने बैठ गया। अभी उसने लिखना शुरू ही किया था।
"ठहरो।"
अचानक उसे किसी की आवाज सुनाई दी।आवाज जानी -पहचानी थी। विजय ने सिर उठा कर देखा, तो देखते ही चौंक पड़ा। जो शख्स उसके सामने खड़ा था, हालांकि उसके चेहरे पर दाढ़ी मूंछ थी, परन्तु विजय उसे देखते ही पहचान गया था, वह रोमेश था।
"तुम !"
उसका हाथ रिवॉल्वर की तरफ सरक गया।
"इसकी जरूरत नहीं।"
रोमेश ने दाढ़ी मूंछ नोचते हुए कहा :
"जब मैं यहाँ तक आ ही गया हूँ, तो भागने के लिए तो नहीं आया होऊंगा। अपने आपको कानून के हवाले ही करने आया हूँ। तुम तो यार मेरे मामले में इतने सीरियस हो गये कि नौकरी ही दांव पर लगाने को तैयार हो गये। मुझे तुम्हारे लिये ही आना पड़ा यहाँ। चलो अब अपना कर्तव्य पूरा करो। लॉकअप मेरा इन्तजार कर रहा है।"
"रोमेश तुम, क्या यह सचमच तुम ही हो ?"
"मेरे दोस्त ज्यादा सोचो मत, बस अपना फर्ज अदा करो।" रोमेश ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये,
"दोनों कलाइयां सामने हैं, जिस पर चाहे हथकड़ी डाल सकते हो। या दोनों पर भी डालना चाहते हो, तब भी हाजिर हूँ। अच्छा लगेगा।" विजय उठा और फिर उसने रोमेश को हथकड़ी पहना दी।
''मुझे तुम पर नाज है पुलिस ऑफिसर और हमेशा नाज रहेगा। तुम चाहते तो यह केस छोड़ सकते थे, लेकिन कानून की रक्षा करना कोई तुमसे सीखे।"
उधर थाने में जब पता चला कि रोमेश गिरफ्तार हो गया है, तो वहाँ भी हड़कम्प मच गया। वायरलेस टेलीफोन खटकने लगे। मीडिया में एक नई हलचल मच गई। रोमेश को पहले तो लॉकरूम में बन्द किया गया, फिर जब रोमेश को देखने के लिए भीड़ जमा होने लगी, तो उसे पुलिस को सेन्ट्रल कस्टडी में ट्रांसफर करना पड़ा। सेन्ट्रल कस्टडी में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रोमेश से पूछताछ शुरू हो गई।
"तुमने जे.एन. का कत्ल किया ?"
"हाँ , किया।"
"क्यों किया ?"
"मेरी उससे जाति दुश्मनी थी, उसकी वजह से मेरा घर तबाह हो गया। मेरी बीवी मुझे छोड़ कर चली गई। मेरे हरे-भरे संसार में आग लगाई थी उसने। उसके इशारे पर काम करने वाले गुर्गों को भी मैं नहीं छोड़ने वाला। मेरा बस चलता, तो उन्हें भी ठिकाने लगा देता। लेकिन मैं समझता हूँ कि मोहरों की इतनी औकात नहीं होती। मोहरे चलाने वाला असली होता है, मैंने मोहरों को छोड़कर इसीलिये जे. एन. को कत्ल किया।"
"तुम्हारे इस प्लान में और कौन-कौन शामिल था ?"
"कोई भी नहीं। मैं अकेला था। मैंने उससे फोन पर ही डेट तय कर ली थी, मुझे दस जनवरी को हर हाल में उसका कत्ल करना था।"
"तुम राजधानी से 9 तारीख को दिल्ली गये थे।"
"जी हाँ और दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर मुम्बई आ गया था। मैं शाम को 9 बजे मुम्बई पहुंच गया था, फिर मैंने बाकी काम भी कर डाला। मैं जानता था कि जे.एन. हर शनिवार को माया के फ्लैट पर रात बिताता है, इसलिये मैंने उसी जगह जाल फैलाया था। मैंने माया को फर्जी फोन करके वहाँ से हटाया और फ्लैट में दाखिल हो गया, उसके बाद माया को भी बंधक बनाया और जे.एन. को मार डाला।" रोमेश बेधड़क हो कर यह सब बता रहा था।
"क्या तुम अदालत में भी यही बयान दोगे ?"
"ऑफकोर्स।"
"मिस्टर रोमेश सक्सेना, तुम एक वकील हो। तुमने अपने बचाव के लिए अवश्य ही कोई तैयारी की होगी।"
"इससे क्या फर्क पड़ता है, आप देखिये। चाकू की मूठ पर मेरी उंगलियों के ही निशान होंगे। बियर की एक बोतल और गिलास पर भी मिलेंगे निशान। आपके पास इतने ठोस गवाह हैं, फिर आप मेरी तरफ से क्यों परेशान हैं ?"
पुलिस ने अपनी तरफ से मुकदमे में कोई कोताही नहीं बरती, मुकदमे के चार मुख्य गवाह थे चंदू, राजा, कासिम, माया देवी। इसके अलावा और भी गवाह थे। अखबारों ने अगले दिन समाचार छाप दिया।
रोमेश को जब अदालत में पेश किया गया, तो भारी भीड़ उसे देखने आई थी। अदालत ने रोमेश को रिमाण्ड पर जेल भेज दिया। रोमेश ने अपनी जमानत के लिए कोई दरख्वास्त नहीं दी। पत्रकार उससे अनेक तरह के सवाल करते रहे, वह हर किसी का उत्तर हँसकर संतुलित ढंग से देता रहा। हर एक को उसने यही बताया कि कत्ल उसी ने किया है।
"क्या आपको सजा होगी ?" एक ने पूछा।
''क्यों ?"
"एक गूढ़ प्रश्न है, जाहिर है कि इस मुकदमे में आप पैरवी खुद करेंगे और आपका रिकार्ड है कि आप कोई मुकदमा हारे ही नहीं।"
"वक्त बतायेगा।"
इतना कहकर रोमेश ने प्रश्न टाल दिया। वैशाली दूर खड़ी इस तमाशे को देख रही थी। बहुत से वकील रोमेश का केस लड़ना चाहते थे, उसकी जमानत करवाना चाहते थे। परन्तु रोमेश ने इन्कार कर दिया।
रोमेश को जेल भेज दिया गया। रोमेश की तरफ से जेल में एक ही कौशिश की गई कि मुकदमे का प्रस्ताव जल्द से जल्द रखा जाये। उसकी यह कौशिश सफल हो गई, केवल दो माह के थोड़े से समय में केस ट्रायल पर आ गया और अदालत की तारीख लग गई।
पुलिस ने केस की पूरी तैयारी कर ली थी। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मुकदमा था, एक संगीन अपराध का सनसनीखेज मुकदमा। चुनौती और कत्ल का मुकदमा, जिस पर न सिर्फ कानून के दिग्गजों की निगाह ठहरी हुई थी बल्कि शहर की हर गली में यही चर्चा थी।
"क्राइम नम्बर 343, मुलजिम रोमेश सक्सेना को तुरंत अदालत में हाजिर किया जाये।"
जज ने आदेश दिया और कुछ ही देर बाद पुलिस कस्टडी में रोमेश को अदालत में पेश किया गया। उसे कटघरे में खड़ा कर दिया गया। अदालत खचाखच भरी थी।
"क्राइम नम्बर 343 मुलजिम रोमेश सक्सेना, भारतीय दण्ड विधान की धारा जेरे दफा 302 के तहत मुकदमे की कार्यवा ही प्रारम्भ करने की इजाजत दी जाती है।"
न्यायाधीश की इस घोषणा के बाद मुकदमे की कार्यवाही प्रारम्भ हो गई। राजदान के चेहरे पर आज विशेष चमक थी, वह सबूत पक्ष की तरफ से अपनी सीट छोड़कर उठ खड़ा हआ। लोगों की दृष्टि राजदान की तरफ मुड़ गई।
"योर ऑनर, यह एक ऐसा मुकदमा है, जो शायद कानून के इतिहास में पहले कभी नहीं लड़ा गया होगा। एक ऐसा संगीन मुकदमा, कोल्ड ब्लडेड मर्डर, इस अदालत में पेश है जिसका मुलजिम एक जाना माना वकील है।
ऐसा वकील जिसकी ईमानदारी, आदर्शो, न्यायप्रियता का डंका पिछले एक दशक से बजता रहा है।
“जिसके बारे में कहा जाता था कि वह अपराधियों के केस ही नहीं लड़ता था, वकालत का पेशा करने वाले ऐसे शख्स ने देश के एक गणमान्य, समाज के प्रतिष्ठित शख्स का बेरहमी से कत्ल कर डाला। कत्ल भी ऐसा योर ऑनर कि मरने वाले को फोन पर टॉर्चर किया जाता रहा, खुलेआम, सरेआम कत्ल, जिसके एक नहीं हजारों लोग गवाह हैं। मेरी अदालत से दरख्वास्त है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना को जेरे दफा 302 के तहत जितनी भी बड़ी सजा हो सके, दी जाये और वह सजा केवल मृत्यु होनी चाहिये। कानून की रक्षा करने वाला अगर कत्ल करता है, तो इससे बड़ा अपराध कोई हो ही नहीं सकता ।"
कुछ रुककर राजदान, रोमेश की तरफ पलटा !
"दस जनवरी की रात साढ़े दस बजे इस शख्स ने जनार्दन नागा रेड्डी की बेरहमी से हत्या कर दी । दैट्स ऑल योर ऑनर।"
"मुलजिम रोमेश सक्सेना, क्या आप अपने जुर्म का इकबाल करते हैं ?" अदालत ने पूछा।
रोमेश के सामने गीता रखी गई। "आप जो कहिये, इस पर हाथ रखकर कहिये।"
"जी, मुझे मालूम है।" रोमेश ने गीता पर हाथ रखकर कसम खाई। कसम खाने के बाद रोमेश ने खचाखच भरी अदालत को देखा, एक-एक चेहरे से उसकी दृष्टि गुजरती चली गई।
इंस्पेक्टर विजय, वैशाली, सीनियर-जूनियर वकील, पत्रकार, कुछ सियासी लोग, अदालत में उस समय सन्नाटा छा गया था।
"योर ऑनर!"
रोमेश जज की तरफ मुखातिब हुआ,
"मैं रोमेश सक्सेना अपने जुर्म का इकबाल करता हूँ, क्यों कि यही हकीकत भी है कि जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल मैंने ही किया है। सारा शहर इस बात को जानता है, मैं अपना अपराध कबूल करता हूँ और इस पक्ष को कतई स्पष्ट नहीं करना चाहता कि यह कत्ल मैंने क्यों किया है। दैट्स आल योर ऑनर।"
अदालत में फुसफुसा हट शरू हो गई, किसी को यकीन नहीं था कि रोमेश अपना जुर्म स्वीकार कर लेगा। लोगों का अनुमान था कि रोमेश यह मुकदमा स्वयं लड़ेगा और अपने दौर का यह मुकदमा जबरदस्त होगा।
"फिर भी योर ऑनर।" राजदान उठ खड़ा हुआ,
"अदालत के बहुत से मुकदमों में मेरी मुलजिम से बहस होती रही है। एक बार इन्होंने एक इकबाली मुलजिम का केस लड़ा था और कानून की धाराओं का उल्लेख करते हुए अदालत को बताया कि जब तक पुलिस किसी इकबाली मुलजिम पर जुर्म साबित नहीं कर देती, तब तक उसे सजा नहीं दी जा सकती।
हो सकता है कि मेरे काबिल दोस्त बाद में उसी धारा का सहारा लेकर अदालत की कार्यवाही में कोई अड़चन डाल दें।"
जारी रहेगा.....……![]()
Thank you very very much my dear DEVIL MAXIMUM aka sunny boyRomesh me apne aap ko giraftaar karva dia bade aaram se or Court me bhi jurm ka Iqbal ker dia Bina kisi rok tok ke fir bhi Raajdan ne apna pasa feka judge ke samne taki Romesh koi dikkat na de case me
Lekin Romesh to khud kabbil Vakil hai aaram se bach sakta tha is case se fir usne eeasa Q kia khee such me uski Bivi ke sath eeasa kuch hua to nahi ya kahe dhokha dia ho bivi ne Romesh ko
Bahut tagda suspense aaya hai story me is bar bhi
Wah Raj_sharma bhai behtreen update dia aapne
Very well
