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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Wah Raj_sharma Bhai,

Kya mast update diya he............

Romy ne aakhirkar ye case badi hi aasani se suljha diya.................

Sara khel seth kamalnath ke kangla hone se shuru hua............50 lakh ka lalach...................plan to bahut hi badhiya tha, lekin samne romy jaisa shatir vakil aa gaya.......

Ab asli kahani shuru hogi..............ye to bas trailer tha

Keep rocking Bro
Thank you so much for your wonderful review Ajju Landwalia bhai:hug:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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# 8

रोमेश घर पर ही था , शाम हो गयी थी। वह आज सीमा के साथ किसी अच्छे होटल
में डिनर के मूड में था, उसी समय फोन की घंटी बज उठी, फोन खुद रमेश ने उठाया।

''एडवोकेट रोमेश सक्सेना स्पीकिंग।''

''नमस्ते वकील साहब, हम माया दास बोल रहे हैं।''

''माया दास कौन?''

''आपकी श्रीमती ने कुछ बताया नहीं क्या, हम चीफ मिनिस्टर जे.एन.साहब के पी.ए. हैं।''

''कहिए कैसे कष्ट किया?''

"कष्ट की बात तो फोन पर बताना उचित नहीं होगा, मुलाकात का वक्त तय कर लिया
जाये, आज का डिनर हमारे साथ हो जाये, तो कैसा हो?"

"क्षमा कीजिए, आज तो मैं कहीं और बिजी हूँ।''

''तो फिर कल का वक़्त तय कर लें, शाम को आठ बजे होटल ताज में दो सौ पांच नंबर सीट हमारी ही है, बारह महीने हमारी ही होती है।''

रोमेश को भी जे.एन. में दिलचस्पी थी , उसे कैलाश वर्मा का काम भी निबटाना था , यही सोचकर उसने हाँ कर दी।

''ठीक है, कल आठ बजे।''

"सीट नंबर दो सौ पांच ! होटल ताज!'' माया दास ने इतना कहकर फोन कट कर दिया।

कुछ ही देर में सीमा तैयार होकर आ गई। बहुत दिनों बाद अपनी प्यारी पत्नी के साथ वह बाहर डिनर कर रहा था, वह सीमा को लेकर चल पड़ा। डिनर के बाद दोनों काफी देर तक जुहू पर घूमते रहे। रात के बारह बजे कहीं जा कर वापसी हो पायी।
अगले दिन वह माया दास से मिला।
माया दास खद्दर के कुर्ते पजामे में था, औसत कद का सांवले रंग का नौजवान था,
देखने से यू.पी. का लगता था, दोनों हाथों में चमकदार पत्थरों की 4 अंगूठियां पहने हुए था और गले में छोटे दाने के रुद्राक्ष डाले हुए था।

"हाँ , तो क्या पियेंगे? व्हिस्की, स्कॉच, शैम्पैन?''

"मैं काम के समय पीता नहीं हूँ, काम खत्म होने पर आपके साथ डिनर भी लेंगे, कानून की भाषा के अंतर्गत जो कुछ भी किया जाये, होशो -हवास में किया जाये, वरना कोई एग्रीमेंट वेलिड नहीं होता।"

"देखिये, हम आपसे एक केस पर काम करवाना चाहते हैं।" माया-दास ने केस की बात सीधे ही शुरू कर दी।

''किस किस्म का केस है?"

"कत्ल का।"

रोमेश सम्भलकर बैठ गया।

"वैसे तो सियासत में कत्लो-गारत कोई नई बात नहीं। ऐसे मामलों से हम लोग सीधे खुद ही निबट लेते हैं, मगर यह मामला कुछ दूसरे किस्म का है। इसमें वकील की जरूरत पड़ सकती है। वकील भी ऐसा, जो मुलजिम को हर रूप में बरी करवा दे।"

"और वह फन मेरे पास है।''

''बिल्कुल उचित, जो शख्स इकबाले जुर्म के मुलजिम को इतने नाटकीय ढंग से बरी करा सकता है, वह हमारे लिए काम का है। हमने तभी फैसला कर लिया था कि केस आपसे लड़वाना होगा।''

"मुलजिम कौन है? और वह किसके कत्ल का मामला है?"

''अभी कत्ल नहीं हुआ, नहीं कोई मुलजिम बना है।''

''क्या मतलब?" रोमेश दोबारा चौंका।

मायादास गहरी मुस्कान होंठों पर लाते हुए बोला,

"कुछ बोलने से पहले एक बात और
बतानी है। जो आप सुनेंगे, वह बस आप तक रहे। चाहे आप केस लड़े या न लड़े।"

''हमारे देश में हर केस गोपनीय रखा जाता है, केवल वकील ही जानता है कि उसका मुवक्किल दोषी है या निर्दोष, आप मेरे पेशे के नाते मुझ पर भरोसा कर सकते हैं।''

''तो यूं जान लो कि शहर में एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति का कत्ल जल्द ही होने जा रहा है, और यह भी कि उसे कत्ल करने वाला हमारा आदमी होगा। मरने वाले को भी पूर्वाभास है, कि हम उसे मरवा सकते हैं। इसलिये उसने अपने कत्ल के बाद का भी जुगाड़ जरूर किया होगा। उस वक्त हमें आपकी जरूरत पड़ेगी। अगर पुलिस कोई दबाव में आकर पंगा ले, तो कातिल अग्रिम जमानत पर बाहर होना चाहिये। अगर उस पर मर्डर
केस लगता है, तो वह बरी होना चाहिये। यह कानूनी सेवा हम आपसे लेंगे, और धन की सेवा जो आप कहोगे, हम करेंगे।''

"जे.एन. साहब ऐसा पंगा क्यों ले रहे हैं?"

"यह आपके सोचने की बात नहीं, सियासत में सब जायज होता है। एक लॉबी उसके खिलाफ है, जिससे उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने का प्रपंच चलाया हुआ है।

''एम.पी . सावंत !"

माया-दास एकदम चुप हो गया,उसके चेहरे पर चौंकने के भाव उभरे, ललाट की रेखाए तन गई, परंतु फिर वह जल्दी ही सामान्य होता चला गया।

''पहले डील के लिए हाँ बोलो, केस लेना है? और रकम क्या लगेगी। बस फिर पत्ते खोले जायेंगे, फिर भी हम कत्ल से पहले यह नहीं बतायेंगे कि कौन मरने वाला है।''

माया दास ने कुर्ते की जेब में हाथ डाला और दस हज़ार की गड्डी निकालकर बीच मेज पर रख दी, ''एडवांस !''

"मान लो कि केस लड़ने की नौबत ही नहीं आती।"

"तो यह रकम तुम्हारी।"

"फिलहाल यह रकम आप अपने पास ही रखिये, मैं केस हो जाने के बाद ही केस की स्थिति देखकर फीस तय करता हूँ।"

"ठीक है, हमें कोई एतराज नहीं। अगले हफ्ते अखबारों में पढ़ लेना, न्यूज़ छपने के तुरंत बाद ही हम तुमसे संपर्क करेंगे।''

डिनर के समय माया दास ने इस संबंध में कोई बात नहीं की। वह समाज सेवा की बातें करता रहा, कभी-कभी जे.एन. की नेकी पर चार चांद लगाता रहा।

"कभी मिलाएंगे आपको सी.एम. से।"

"हूँ",
मिल लेंगे। कोई जल्दी भी नहीं है।"

रमेश साढ़े बारह बजे घर पहुँचा। जब वह घर पहुँचा, तो अच्छे मूड में था, उसके कुछ किए बिना ही सारा काम हो गया था। उसने माया दास की आवाज पॉकेट रिकॉर्डर में टेप कर ली थी, और कैलाश वर्मा के लिए इतना ही सबक पर्याप्त था। यह बात साफ हो गई कि सावंत के मर्डर का प्लान जे.एन. के यहाँ रचा जा रहा है। उसकी बाकी की पेमेंट खरी हो गई थी।

वह जब चाहे, यह रकम उठा सकता था। उसे इस बात की बेहद खुशी थी।
जब वह बेडरूम में पहुँचा, तो सीमा को नदारद पा कर उसे एक धक्का सा लगा। उसने नौकर को बुलाया।

''मेमसा हब कहाँ हैं?"

"वह तो साहब अभी तक क्लब से नहीं लौटी।''

"क्लब ! क्लब !! आखिर किसी चीज की हद होती है, कम से कम यह तो देखना चाहिये कि हमारी क्या आमदनी है।''

रोमेश ने सिगरेट सुलगा ली और काफी देर तक बड़बड़ाता रहा।

"कही सीमा , किसी और से?'' यह विचार भी उसके मन में घुमड़ रहा था, वह इस विचार को तुरंत दिमाग से बाहर निकाल फेंकता, परन्तु विचार पुनः घुमड़ आता और उसका सिर पकड़ लेता।

निसंदेह सीमा एक खूबसूरत औरत थी। उनकी मोहब्बत कॉलेज के जमाने से ही परवान चढ़ चुकी थी। सीमा उससे 2 साल जूनियर थी। बाद में सीमा ने एयरहोस्टेस की नौकरी कर ली और रोमेश ने वकालत। वकालत के पेशे में रोमेश ने शीघ्र ही अपना सिक्का जमा लिया। इस बीच सीमा से उसका फासला बना रहा, किन्तु उनका पत्र और टेलीफोन पर संपर्क बना रहता था।

रोमेश ने अंततः सीमा से विवाह कर लिया, और विवाह के साथ ही सीमा की नौकरी भी छूट गई। रमेश ने उसे सब सुख-सुविधा देने का वादा तो किया, परंतु पूरा ना कर सका। घर-गृहस्थी में कोई कमी नहीं थी, लेकिन सीमा के खर्चे दूसरे किस्म के थे। सीमा जब घर लौटी, तो रात का एक बज रहा था। रोमेश को पहली बार जिज्ञासा हुई कि देखे उसे छोड़ने कौन आया है? एक कंटेसा गाड़ी उसे ड्रॉप करके चली गई। उस कार में कौन था, वह नजर नहीं आया।

रोमेश चुपचाप बैड पर लेट गया।
सीमा के बैडरूम में घुसते ही शराब की बू ने भी अंदर प्रवेश किया। सीमा जरूरत से ज्यादा नशे में थी। उसने अपना पर्स एक तरफ फेंका और बिना कपड़े बदले ही बैड पर धराशाई हो गई।

''थोड़ी देर हो गई डियर।'' वह बुदबुदाई,

''सॉरी।''

रोमेश ने कोई उत्तर नहीं दिया।
सीमा करवट लेकर सो गई।

सुबह ही सुबह हाजी बशीर आ गया। हाजी बशीर एक बिल्डर था, लेकिन मुम्बई का बच्चा-बच्चा जानता था, कि हाजी का असली धंधा तस्करी है। वह फिल्मों में भी फाइनेंस करता था, और कभी-कभार जब गैंगवार होती थी, तो बशीर का नाम सुर्खियों में आ जाता था।

''मैं आपका काम नहीं कर सकता हाजी साहब।"

"पैसे बोलो ना भाई ! ऐसा कैसे धंधा चलाता है? अरे तुम्हारा काम लोगों को छुड़ाना है। वकील ऐसा बोलेगा, तो अपन लोगों का तो साला कारोबार ही बंद हो जायेगा।"
वह बात कहते हुए हाजी ने ब्रीफकेस खोल दिया।

''इसमें एक लाख रुपया है। जितना उठाना हो , उठा लो। पण अपुन का काम होने को मांगता है। करी-मुल्ला नशे में गोली चला दिया। अरे इधर मुम्बई में हमारे आदमी ने पहले कोई मर्डर नहीं किया। मगर करी-मुल्लाह हथियार सहित दबोच लिया गया वहीं के वहीं। और वह क्या है, गोरेगांव का थाना इंचार्ज सीधे बात नहीं करता। वरना अपुन इधर काहे को आता।''

''इंस्पेक्टर विजय रिश्वत नहीं लेता।"

''यही तो घपला है यार! देखो, हमको मालूम है कि तुम छुड़ा लेगा। चाहे साला कैसा ही मुकदमा हो।''

''हाजी साहब, मैं किसी मुजरिम को छुड़ाने का ठेका नहीं लेता, उसको अंदर करने का काम करता हूँ।"

"तुम पब्लिक प्रॉसिक्यूटर तो है नहीं।"

"आप मेरा वक्त खराब न करें, किसी और वकील का इंतजाम करें।"

"ये रख।"

उसने ब्री फकेस रोमेश की तरफ घुमाया।
रोमेश ने उसे फटाक से बंद किया,

''गेट आउट! आई से गेट आउट!!''

''कैसा वकील है यार तू।'' बशीर का साथी गुर्रा उठा, “बशीर भाई इतना तो किसी के आगे नहीं झुकते, अबे अगर हमको खुंदक आ गई तो।"

बशीर ने तुरंत उसको थप्पड़ मार दिया।

''किसी पुलिस वाले से और किसी वकील से कभी इस माफिक बात नहीं करने का। अपुन लोगों का धंधा इन्हीं से चलता है। समझा !'' हाजी ने ब्रीफकेस उठा लिया,

''रोमेश भाई, घर में आई दौलत कभी ठुकरानी नहीं चाहिये। पैसा सब कुछ होता है, हमारी नसीहत याद रखना।"

इतना कहकर हाजी बाहर निकल गया। उसके जाते ही सीमा, रोमेश के पास टपक पड़ी।

"एक लाख रुपये को फिर ठोकर मार दी तुमने रोमेश ! वह भी हाजी के।"

''दस लाख भी न लूँ।'' रोमेश ने सीमा की बात बीच में काटते हुए कहा ।

''तुम फिर अपने आदतों की दुहाई दोगे, वही कहोगे कि किसी अपराधी के लिए केस नहीं लड़ना। तलाशते रहो निर्दोषों को और करते रहो फाके।"

"हमारे घर में अकाल नहीं पड़ रहा है कोई। सब कुछ है खाने पहनने को। हाँ अगर कमी है, तो सिर्फ क्लबों में शराब पीने की।''

"तो तुम सीधा मुझ पर हमला कर रहे हो।''

"हमला नहीं नसीहत मैडम ! नसीहत! जो औरतें अपने पति की परवाह किए बिना रात एक-एक बजे तक क्लबों में शराब पीती रहेंगी, उनका फ्यूचर अच्छा नहीं होता । डार्कहोता है।"

"शराब तुम नहीं पीते क्या? क्या तुम होटलों में अपने दोस्तों के साथ गुलछर्रे नहीं उड़ाते? रात तो तुम ताज में थे। अगर तुम ताज में डिनर ले सकते हो, शराब पी सकते हो , तो फिर मुझे पाबंदी क्यों?"

"मैं कारोबार से गया था।"

"क्या कमाया वहाँ? वहाँ भी कोई अपराधी ही होगा। बहुत हो चुका रोमेश ! मैं अभी भी खत्म नहीं हो गई, मुझे फिर से नौकरी भी मिल सकती है।"

"याद रखो सीमा , आज के बाद तुम शराब नहीं पियोगी।''

"तुम भी नहीं पियोगे।"

"नहीं पियूँगा।"

''सिगरेट भी नहीं पियोगे।"

"नहीं , तुम जो कहोगी, वह करूंगा। मगर तुम शराब नहीं पियोगी और अगर किसी क्लब में जाना भी हो, तो मेरे साथ जाओगी। वो इसलिये कि नंबर एक, मैं तुमसे बेइन्तहा प्यार करता हूँ, और नंबर दो, तुम मेरी पत्नी हो।"

अगर उसी समय वैशाली न आ गई होती , तो हंगामा और भी बढ़ सकता था। वैशाली के आते ही दोनों चुप हो गये और हँसकर अपने-अपने कामों में लग गये।

वैशाली कोर्ट से लौटी , तो विजय से जा कर मिली । दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठे थे ।

"शादी के बाद क्या ऐसा ही होता है विजय ?"

"ऐसा क्या ?"
"बीवी क्लबों में जाती हो। बिना हसबैंड के शराब पीती हो। और फिर झगड़ा, छोटी -छोटी बात पर झगड़ा। लाइफ में क्या पैसा इतना जरूरी है कि पति-पत्नी में दरार डाल दे?''

''पता नहीं तुम क्या बहकी-बहकी बातें कर रही हो?''

''दरअसल मैंने आज भैया-भाभी की सब बातें सुनली थीं । फ्लैट का दरवाजा खुला था , मैं अंदर आ गई थी, और मैंने उनकी सब बातें सुन लीं।''

''भैया -भाभी ?"

''रोमेश भैया की।"

''ओह ! क्या हुआ था?" विजय ने पूछा।

''हाजी बशीर एक लाख रुपये लेकर आया था, उसका कोई आदमी बंद हो गया है, रोमेश भैया बता रहे थे, तुम्हारे थाने का केस है।''

''अच्छा ! अच्छा !! करीमुल्ला की बात कर रहा होगा। रात उसने एक आदमी को नशे में गोली मार दी, हमें भी उसकी बहुत दिनों से तलाश थी, मगर यह बशीर वहाँ कैसे पहुंच गया?''

वैशाली ने सारी बातें बता डालीं ।

''ओह ! तो यह बात थी।'' विजय ने गहरी सांस ली।

''क्या हम लोग इसमें कुछ कर सकते हैं? कोई ऐसा काम जो रोमेश भैया और भाभी में झगड़ा ही ना हो।''

''एक काम हो सकता है।'' विजय ने कुछ सोचकर कहा, ''रोमेश की मैरिज एनिवर्सरी आने वाली है, इस मौके पर एक पार्टी की जाये और फिर रोमेश के हाथों एक गिफ्ट भाभी को दिलवाया जाये, गिफ्ट पाते ही सारा लफड़ा ही खत्म हो जायेगा।''

''ऐसा क्या ?''

''अरे जानेमन, कभी-कभी छोटी बात भी बड़ा रूप धारण कर लेती है, एक बार सीमा भाभी ने झावेरी वालों के यहाँ एक अंगूठी पसंद की थी, उस वक्त रोमेश के पास भुगतान के लिए पैसे न थे, और उसने वादा किया कि शादी की आने वाली सालगिरह पर एक अंगूठी ला देगा। यह अंगूठी रोमेश आज तक नहीं खरीद सका। कभी-कभार तो इस अंगूठी का किस्सा ही तकरार का कारण बन जाता है, अंगूठी मिलते ही भाभी खुश हो जायेगी और बस टेंशन खत्म।''

''मगर वह अंगूठी है कितने की ?''
''उस वक्त तो पचास हज़ार की थी, अब ज्यादा से ज्यादा साठ हज़ार की हो गई होगी।''

''इतने पैसे आएंगे कहाँ से ?"

"कोई चक्कर तो चलाना ही होगा।''


जारी रहेगा......✍️✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bhot hi saaandaar or jaandaar update.....kafi aacha suspence or aacha presenetesion....



Or ab rahi baat swal ki jo aapne pucha 🤔 to meko lagata h 🤨phala to aapko us story ko pura karana chahiye...🤔or meko lag raha h aapko ye story likhne me us level ka maaja nahi aa Raha 🤔to isko ek do update me end karlo....🤔(🤔Ek hi khanai me sab kuch dalne se aacha h 2 4 khanai hi bana dalo🤭)than iske baad apun p ek idea h..🤔dekh lena wesa kuch likho to🤔....

Kya baat hai,padhne pr lagta hai koi jasusi film dekh rhi hu me. Adbhut writing✍️ talent, Sherlock Holmes ke novel ki tarah chal rhi hai update, bahut pehle me padha karti thi aise jasusi novel.

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Don't stop, continue plz

AJ se padhna shuru :dost:

Brilliant

कहानी उलझती जा रही है

Such me Raj_sharma bhai ab mera intrest badta Jaa Raha hai is story ko leke
.
Khas ker Romesh urf Romi ka tej dimag kya to mast character dala hai aapne bhai maja aagaya update me

Ok sorry 😔 ab se aaya karungi

पुरी साजिश इंश्योरेंस क्लेम करने की थी । एक करिश्मे ने कमलनाथ को अवसर प्रदान किया और अपने ड्राइवर सोमदत की मदद से यह सारा प्लान रचा ।

कोई भी व्यक्ति ऐसी साजिश तभी रचता है जब उसे कानून का भय सताने लगे । या फिर कोई व्यक्ति कर्ज के दलदल से बाहर निकलने के लिए अपनी मौत कानूनन सिद्ध कर के इंश्योरेंस कंपनी से मोटी रकम हड़पना चाहता है ।
इस मामले मे कमलनाथ के साथ दूसरी बातें थी ।
लेकिन सोमदत का कमलनाथ के मर्डर का इकबाले जुर्म आइने की तरह साफ था कि वह ऐसा क्यों कर रहा है !

और जहां तक बात है जगाधरी साहब के मौत की , दरवाजे के पास कील और जमीन पर रबड़ का पाया जाना स्पष्ट संकेत दे रहा था कि वह व्यक्ति भी सुसाइड किया है और कारण फिर से वही - इंश्योरेंस क्लेम करना लेकिन इस बार लाभान्वित वह स्वयं न होकर उसका परिवार था ।

बहुत खुबसूरत लिखा है आपने शर्मा जी । किरदारों की भिन्न-भिन्न जबान , उनके संवाद , डिफेंस लाॅयर रोमेश साहब का कैरेक्टर और उनका डिटेक्टिव दिमाग और अन्य सभी छोटे छोटे किरदारों की भूमिका - सबकुछ एक प्रोफेशनल राइटर की तरह प्रस्तुत किया हुआ था ।
खासकर सिंधी भाई हीरालाल जेठानी का संवाद तो गजब का लिखा आपने ।

मर्डर मिस्ट्री सुलझ चुकी है । साजिश से पर्दा हट चुका है । अब देखना है यहां से आगे और क्या है इस स्टोरी मे ?

खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट भाई ।

Do bichde premi mile hai phir se kuch Raj hoga
Superb update

Nice start

Nice and superb update....

Ye ek aur naya episode shuru kar diya cid ka par ye episode khas laga romesh ke ghar par lagi baithak ke sanvaad padhkar. Laal fool neela fool Romesh bhaiya beautiful kahani kaha ja rhi h ye abhi bhi clear nahi h aur aachi bhi lag rahi h ab bina paise liye mai aur taarif nahi karne wala.. 😂 good one keep it up 👍🏻

Awesome update
Romesh ko ab high profile case mila hai aur usne paiso ke liye accept bhi kar liya hai aur wo confidant hia ki jaldi hi isko bhi suljha dega,
Romesh ki wife aur uske bich ki bat chit bahut achhe se unki mali halat ko dasrha rahi hai ki romesh bahut se case Bina fees ke ladta hai
Udhar new case me ek sandigdh ne hi romesh ko phone krne ko kaha c.m sahab,
Ab kaise romesh case ko solve krta hai ya khud kisi chakravyuh me fsta hai
Vijay vaishali ko romesh ke sath kam krne ko lekr aaya hai
Vijay aur Seema ki batchit bahut funny aur serious dono hi rhi
Waiting for new update as soon as possible

Shandar jabardast update

Awesome update

Jahan romesh ne adalat me rajdan ke chhakke chhuda diye wahin romesh na jane kahan se asli kamalnath ko pakad laya or sab kuchh saf kar diya case hi khatm kar diya romesh ne to kher dekhte han

N

Nice and bhot hi sanandar update 😇😇😇😇ek dam majeedaar ...guys....🥺yaar tansfar ho gaya h...🤭 packing karni h and shift hona h🤔and or jankalayan🤭and Many more may be me kafi dino tak na pau ya thode din aa jau🤔ya thode din baad jau ....all over me thodi🤔 inactive hone wali hu...😏bas bata rahi hu ....😏😏😏

bhai lekhni ka to aapki kahna hi kya or update ekdum dhasu mast

Bahut hi mazedaar updates. Dono hi case ko jitne details ke sath dikhaya tha, utne hi tarike se solve nhi kiya gaya.

Aap to manje huve writer lag rahe ho, lagta hi nahi aapki 2nd story hai.

Agle update ki pratiksha rahegi

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai...
Nice and beautiful update....

Nice update....

Wah Raj_sharma Bhai,

Kya mast update diya he............

Romy ne aakhirkar ye case badi hi aasani se suljha diya.................

Sara khel seth kamalnath ke kangla hone se shuru hua............50 lakh ka lalach...................plan to bahut hi badhiya tha, lekin samne romy jaisa shatir vakil aa gaya.......

Ab asli kahani shuru hogi..............ye to bas trailer tha

Keep rocking Bro

intezaar rahega Raj_sharma bhai....
 
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