• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2023 ~ Reviews Thread ★☆★

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Status
Not open for further replies.

Trinity

Staff member
Super-Moderator
5,596
4,059
219
Last date for posting reviews for the award of best reader is also increased, now you can post your reviews to feature in the best reader award till 15 th March 2023 11:59 Pm.You can also post your reviews After that deadline but they won't be counted for the best readers award. So Cheers.
 

Ritz

Member
182
521
93
वक्त की लुका छिपी

रात के समय अमय अपनी ऑफिस से घर वापस लौट रहा होता है, अमय अपने शहर का एक बहुत ही कामयाब बिजनेसमैन है, पर साथ ही साथ लोग इसे खडूस भी बोलते थे, कारण वो किसी से भी सीधे मुंह बात नही करता था। हालांकि वो शुरू से ऐसा नही था। अपने कॉलेज में उसे जिंदादिल शायद ही कोई होगा, पढ़ाई में भी अच्छा था वो, और हो भी क्यों न, क्योंकि वही एक जरिया था जिससे वो अपने घर के हालतों को सुधार सकता था। अकेली मां का इकलौता लड़का, जिसके पिता की मृत्यु उसके पांचवे जन्मदिन से पहले ही हो गई थी, उसे उसकी मां ने कितने कष्ट से पाला ये उससे बेहतर कोई नही जान सकता था, जीवन में पैसे की अहमियत उसे उसके रिश्तेदारों ने भी अच्छे से समझा दी थी।

यही सब सोचते हुए उसे आगे रोड से कुछ दूर कुछ हलचल सी महसूस होती है, गाड़ी के थोड़ा राइट टर्न लेते ही उसे एक गाड़ी दिखती है जिससे 4 लोग कुछ बोरी जैसा उतर कर जंगल की तरफ ले जा रहे होते है। अमय को कुछ गडबड लगती है और वो ड्राइवर को गाड़ी रोकने बोलता है, और अपनी गन निकल लेता है। गाड़ी रुकते ही वो जोर से आवाज देता है, "क्या हो रहा है वहां?"

चारो लोग उसे ही देखते हैं, और घबरा कर उस बोरी को छोड़ कर वापस गाड़ी में बैठ कर वापस भागने लगते हैं। अमय के आगे बढ़ने से पहले ही गाड़ी वहां से निकल चुकी होती है, अमय ड्राइवर को टार्च लाने बोलता है, और बोरी की तरफ बढ़ जाता है। तभी ड्राइवर भी टार्च ले कर पास आ जाता है। दोनो मिल कर बोरी खोलते हैं, और उसमे एक लड़की थी, अमय तुरंत उसकी नब्ज़ देखता है और उसमे स्पंदन मिलने पर ड्राइवर से कहता है, "जिंदा है, गाड़ी में डालो जल्दी।" दोनो मिल कर उसको गाड़ी की पिछली सीट पर लेटा देते है, और आगे चल देते हैं।

ड्राइवर अमय को पुलिस को इनफॉर्म करने कहता है, जिसपर अमय माना कर देता है। अमय को पुलिस पर रत्ती भर भी भरोसा नही था। तभी उसका फोन बजता है।

अमय: हां मां, बस कुछ देर में पहुंच रहा हू। बस जरा एक काम है।

मां: चुपचाप घर आओ, रात के 11 बज रहे हैं, अब कितनी देर जगूंगी मैं?

अमय: पर मां कोई है मेरे साथ।

मां: जो भी है उसे घर ले कर आ।
और फोन कट जाता है, तभी अमय कुछ सोच कर एक फोन लगता है।

अमय: राहुल, भाई एक काम है, मेरे घर आ जा अपना सामान ले कर।

राहुल: क्या हुआ, आंटी तो ठीक हैं ना?

अमय: हां वो सही है, तू आ बस।

थोड़ी देर में उसकी कर एक बड़े बंगले में प्रवेश करती है, और पीछे से राहुल की कार भी आ जाती है।

राहुल: क्या हुआ है?

अमय उसे कार की ओर ले जाता है। राहुल कार में लड़की को देख कर अमय को घूरता है, तभी ड्राइवर उसे सारी बात बताता है।

राहुल: तो इसे हॉस्पिटल क्यों नही ले गए?

अमय: वहां उसे पुलिस के पास ले जाते, और पुलिस का क्या हाल है तुमको तो पता ही है। मैं नही चाहता की ये किसी मुसीबत में फस जाए, और दूसरा फिर मेरा चक्कर लगने लगेगा पुलिस स्टेशन में बिना मतलब का, होश में आने के बाद इसको जो करना है खुद ही करे।

राहुल: ठीक है, अंदर ले चलो इसको।

अंदर मां (सुमन जी) सबको ऐसे देखते हुए: क्या हुआ बेटे और ये कौन है?

अमय सारी बात बताते हुए एक कमरे में सबको ले जाता है। सुमन जी भी घबरा जाती हैं और मन ही मन उसके होश में आने की प्रार्थना करने लगती हैं।

राहुल उस लड़की का ट्रीटमेंट चालू कर देता है और आधे घंटे बाद वो कहता है कि इसको होश सुबह से पहले नही आ पाएगा, शरीर कमजोर है इसका और किसी ने बहुत जोर से मारा है सर पर। सब बाहर आ जाते है और राहुल अपने हॉस्पिटल से एक नर्स को बुलवा कर रात भर के लिए इस लड़की पास छोड़ देता है।

सुबह अमय ऑफिस के लिए जल्दी निकल जाता है, तब तक उस लड़की को होश नही आया होता है, राहुल जब उसे देखने आता है, तभी उसे होश आता है।

सुमन जी उसके बेड पर बैठ कर उसका सर सहलाते हुए उसका नाम पूछती है, तो वो लड़की आश्चर्य से उनको देखने लगती है। ये देख सुमन जी राहुल की ओर देखती हैं, तो राहुल उस लड़की से फिर से नाम पूछता है।
लड़की: उम्म्म.... मुझे कुछ याद नही आ रहा है!!

ये देख कर राहुल: आंटी इसको हॉस्पिटल लेकर चलना होगा अभी, आप भी आइए, कुछ टेस्ट करने पड़ेंगे।

सुमन जी तैयार होने चली जाती है, तब तक राहुल उस लड़की को नर्स की मदद से अपनी गाड़ी के बैठा देता है, और सुमन जी के आते ही सब हॉस्पिटल चले जाते हैं।

रात को अमय घर लौटता है तो सुमन जी उसे बताती हैं कि वो लड़की अपनी यादाश्त को चुकी है, ये सुन कर अमय सोच में पड़ जाता है। सुबह अमय की नींद एक मीठी आवाज से खुलती है, और वो लड़की उसे उठाने आई हुई होती है, अभी अभी नहा धो कर निकली हुई वो किसी ताजे फूल की तरह खिली हुई होती है।

लड़की: उठिए आपको मां बुला रही हैं।

अमय चौंकते हुए: मां?

लड़की: जी अब मुझे कुछ याद नही और सबसे पहले उनको देखा तो मां जैसी लगी तो मां ही बोल रही हूं।

अमय: चलो मैं आता हूं।

थोड़ी देर बाद अमय तैयार होकर बाहर आता है और सुमन जी के कमरे में जा कर: मां, वो लड़की आपको मां बुला रही थी?

सुमन जी: वो लड़की क्या लगा रखा है, हमने उसका नाम मिली रखा है फिलहाल, और मां बुलाने में की परेशानी है तुझे?

अमय कुछ बोलता नही लेकिन सुमन जी उसकी आंखो को देख कर: बेटा जो हुआ उसे ले कर हर लड़की को वैसा मानना छोड़ दे अब। और बता क्या करना का सोचा है मिली लिए?

(अमय को चांदनी की याद आ जाती है। चांदनी, अमय के साथ पढ़ने वाली कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की, एक ओर जहां पूरा कॉलेज उसके पीछे पागल था, अमय जिसे अपने करियर पर ही ध्यान था, उसे कोई खास भाव नही देता था। जहां अमय को अपनी हैसियत और सपनों को कैसे पूरा करना है वो पता था, चांदनी को अपने हुस्न का इस्तेमाल बखूबी आता था। लेकिन ऐसा नही था की वो चांदनी से नफरत करता था, बस उसे पता था कि चांदनी जैसी लड़की उसके लिए बस ख्याली पुलाव से ज्यादा कुछ नहीं है। खैर दिन ऐसे ही गुजरने लगे और B.Tech के तीसरे साल आते आते उसकी और चांदनी की कुछ बात होने लगी थी, वो भी सिर्फ पढ़ाई के लिए, फिर कभी कभी वो अकेले ही बैठे होते थे पढ़ते हुए। ऐसे ही एक दिन चांदनी ने अमय को प्रपोज कर दिया। अमय के तो पांव ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उस दिन के बाद बस चांदनी और अमय ही दिखते थे, इसी चक्कर में अमय की पढ़ाई का भी थोड़ा नुकसान होने लगा था, और थर्ड ईयर के रिजल्ट में वो पहले से सीधे तीसरे पर आ गया, और चांदनी का पुराना ब्वॉयफ्रेंड रोहन पहले स्थान पर आ गया था।
उसी समय कैंपस सिलेक्शन हुआ और सबसे अच्छा रिजल्ट होने के कारण रोहन ने सबसे बड़ा पैकेज उठा लिया, अमय को इसका बुरा लगा लेकिन चांदनी के साथ के आगे उसने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसने चांदनी को ढूंढा मगर वो नही मिली, कॉल करने पर उसका फोन बार बार एक रिंग पर काट रहा था। वो।पागलों की तरह उसे ढूंढता हुआ कॉलेज के पीछे पहुंचा जहां चांदनी और रोहन उसे किस करते नजर आए, अमय भागते हुए वहां पहुंचा और चांदनी को एक झटके में अपनी तरफ खींचते हुए, "चांदनी, ये क्या कर रही हो तुम?"

चांदनी: अपने प्यार को प्यार ही तो कर रही हूं और क्या?

अमय: मतलब?

तभी रोहन आगे आते हुए: मतलब ये की वो तुमसे कोई प्यार व्यार नही करती, अपनी औकात देखी है जो चांदनी जैसी लड़की तुमसे प्यार करेगी?

अमय कतार नजरों से चांदनी की ओर देखते हुए: क्या ये सच है?

चांदनी: तुम्हे क्या लगा की मैं तुम जैसे किसी से प्यार करूंगी? अरे मेरे एक हफ्ते का खर्चा भी नही उठा सकता तू पूरी जिंदगी का तो भूल ही जा।

अमय: फिर मेरे साथ ऐसा नाटक क्यों?

रोहन: क्योंकि मेरे बाप ने बोला था की सबसे बड़ा पैकेज ले कर 2 साल नौकरी करनी है तभी वो अपने बिजनेस और जायदाद में मुझे लेंगे, वरना पूरी जिंदगी तुम्हारी तरह ही नौकरी करते बितानी होगी, और तुम्हारे रहते वो तो किसी और को मिलने से रही, बस इसी में मेरी जान ने मेरी मदद की उसे पाने में। और अब चल निकल यहां से।

ये बोलते हुए दोनो फिर लिपलॉक करने लगते हैं।

उस दिन के बाद से अमय ने मुस्कुराना ही बंद कर दिया था, आखिरी साल में उसने मेहनत करके कई सॉफ्टवेयर बनाए और पास होते होते उसके पास इतने पैसे आ गए थे कि उसने अपना ख़ुद का बिजनेस शुरू किया और 5 साल बाद आज वो इस मुकाम पर था की देश के 50 सबसे अमीर लोगों में शुमार हो चुका था।)

सोच से बाहर आते हुए, अमय: मां अभी मिली को के कर एसपी से मिलने जाता हूं, रात को ही सब बात बता दी थी उनको। राहुल भी साथ जायेगा

एसपी ऑफिस में..

अमय: सर, ये है मिली, जिसके बारे में मैंने रात को बताया था आपको।

एसपी: तो नाम याद आ गया इनको?

अमय: नही, मां ने रखा है, कुछ पुकारने के लिए तो चाहिए ना।

एसपी: ओह हां।

राहुल: सर ये हैं इनकी रिपोर्ट्स।

एसपी: थैंक्यू आप दोनो का, मैं जल्दी से जल्दी पता लगवाने की कोशिश करता हूं, तब तक आप इनकी नारी निकेतन में पहुंचवा दीजिए।

अमय: नही, ये तब तक हमारे घर में ही रहेगी।

एसपी: पर अमय जी...

अमय: सर मुझे भरोसा नहीं वहां किसी पर, ये मेरे घर सही से रहेगी।

एसपी: ठीक है जैसी आपकी मर्जी, पर आप एक एफआईआर लिखवा दीजिए, कम से कम उन लड़कों को तो पकड़ सके।

अमय: जी लिख लीजिए, और उनकी गाड़ी का नंबर भी मैने नोट किया था।

सब घर वापस आ जाते हैं। मिली के आने से सुमन जी का मन लगा हुआ था, और अमय की हर सुबह उसके जागने से ही होती थी। मिली का व्यवहार एक चुलबुली लड़की का था, और अमय धीरे धीरे उससे खुलने लगा था। पर उसका मुस्कुराना अभी भी गायब था, चाहे मिली कोई भी शरारत क्यों न करे। पर दिल ही दिल में वो उसकी ओर जुड़ाव महसूस करने लगा था। पर ऊपर से वो।कई बार अपनी ही मां को टोक देता की वो मिली से ज्यादा मन न लगाए, क्योंकि उसे पता था की एक दिन वो उसकी जिंदगी से चली ही जायेगी। ऐसे ही 1 महीना बीत गया, और वो चारों लड़के पकड़े गए। वो सब एक साधारण लुटेरे थे, जिनको मिली एक ढाबे में मिली थी, शायद उसकी टैक्सी खराब थी और वो थोड़ा टहलते हुए थोड़ा आगे निकल आई थी, जहां से उसका किडनैप करके वो लोग उसको लूट चुके थे, और जंगल में बस उसको बेहोश करके फेकने आए थे। और चूंकि लूटा हुआ सामान सब नष्ट हो चुका था तो मिली का कोई सुराग नहीं मिला।

इधर अमय को अब मिली का साथ भाने लगा था, कभी कभी दाने छुपे रूप से वो मुस्कुराने भी लगा था। मिली भी अमय का बहुत खयाल रखने लगी थी, सुबह उसके ऑफिस जाने से ले कर रात में वापस आने पर खाना परोसने तक सारा काम वो ही करती थी। दोनो में कुछ कुछ बातें भी होने लगी थी। ऐसे ही एक रात उसके वापस के बाद अमय को नींद नही आ रही थी तो वो उठ कर छत पर जाता है, जहां मिली पहले से ही मजूद थी। उसे देख कर अमय चौंक जाता है और पूछता है, "यहां क्या कर रही हो, वो भी इस समय?"

मिली: बस अपने बारे में याद करने की कोशिश कर रही थी।

अमय: तुम्हारा दर्द मैं बांट तो नही सकता, पर काम करने की कोशिश में ही लगा हूं, और वादा करता हूं की जल्द से जल्द तुम अपनों के बीच होगी।
और आगे बढ़ कर वो उसका हाथ थाम लेता है। मिली भी मुस्कुरा कर उसके गले लग जाती है, अमय उसके सर पर हाथ फेरने लगता है। कुछ समय दोनो ऐसे ही कुछ समय दोनो खड़े रहते है, तभी किसी उल्लू की आवाज से दोनो की तंद्रा टूट जाती है, और दोनो एक दूसरे से नजरें चुराते हुए नीचे आ जाते हैं।

सुबह अमय के फोन पर एसपी का कॉल आता है जिनको मिली के बार में कुछ जानकारी मिलने की बात बताते है। **** शहर में एक औरत ने अपनी बेटी के गुम होने की रिपोर्ट लिखवाई थी, और फोटो मिली से मिलती जुलती थी। अमय उनसे सारी डिटेल ले कर सुमन जी और मिली को बताता है। सुमन जी और मिली बहुत खुश होती हैं। अमय कहता है की 2 दिन बाद उसे उसी शहर में किसी डील के लिए जाना है तो वो मिली को साथ लेता जायेगा।

2 दिन बाद दोनो वहां पहुंच कर एक होटल के चेक इन करते हैं, और अमय कहता है की पहले अपना काम करके वो दोनो पुलिस स्टेशन चलेंगे। अमय ने इस कंपनी में कॉल लगाया मिलने के लिए तो उधर से जवाब आया की कंपनी के मालिक खुद ही उसी मिलने होटल पहुंच रहे हैं।

थोड़ी देर में उसके रूम का दरवाजे की बेल बजती है जिसे वो खोलता है तो सामने रोहन और चांदनी खड़े होते हैं। अमय चौंकते हुए: तुम लोग?
रोहन: हां अमय, तुम हमारी ही कंपनी से डील करने आए हो, कंपनी अभी पापा के ही नाम है, पर देख हम दोनो रहें है अभी।

अमय दोनो को अंदर बुलाता है और बिना कोई खास बात किए हुए कम के लग जाता है, चांदनी को खास कुछ करने को नही था तो वो मिली से बात करने लगती है, उसे लगता है की मिली अमय की पत्नी है। पर बातों ही बातों में मिली चांदनी को सारी बात बता देती है, जिसे सुन चांदनी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है। थोड़ी देर में काम खत्म हो जात है, तो रोहन अमय से कहता है की डील तो कल साइन होगी, तो आज हम एक पार्टी रख रहे हैं, और इसी होटल में है, तो आना जरूर। अमय मना करता है तो चांदनी आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर कहती है," प्लीज अमय मुझे माफ कर दो, जो भी उस समय किया वो बचपना था, अब तो हम सब जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं, जो हुआ उसे भूल जाओ।
अमय: मैं तो उसी समय तुम दोनो को भूल गया था। अच्छा चलो कोशिश करूंगा कि पार्टी में पहुंच सकूं।

चांदनी उसको थैंक्यू बोल कर चलने लगती है, और मिली को भी पार्टी में आने की कहती है।

अमय मिली को लेकर पुलिस स्टेशन जाता है, पुलिस वाले उनको लेकर एक घर ने जाते हैं जो मिली का ही निकलता है, और अपनी मां से मिलते ही मिली को थोड़ा थोड़ा याद आने लगता है। मिली का असली नाम अंजली होता है, और वो किसी और शहर में पढ़ाई कर रही थी, और वहीं से उसकी नौकरी लग गई थी, अपनी मां को सरप्राइज़ देने के इरादे से वो टैक्सी से आ रही थी, जो खराब हो गई थी और उसी ढाबे पर अंजली दूसरी टैक्सी के लिए ही देख रही थी जब उसके साथ वो दुर्घटना हुई।

शाम को अमय अपने होटल लौट गया....

3 साल बाद..

आज अमय *** शहर में एक डील के लिए आया हुआ था। कांफ्रेंस हॉल में पहुंचते ही उसकी नजर एक चहरे पर जाती है और वो तुरंत उसके पास पहुंचता है।

अमय: अंजली, कजन थी तुम, मैंने तुमको कहां कहां नही ढूंढा। ऐसे मुझे बिना बताए कहां चली गई थी तुम दोनो??

अंजली: सर आप यहां जिस काम आ आते हैं उसे करिए, में मयंक सर की सेक्रेटरी हूं और बस प्रोफेशनली ही हम एक दूसरे से बात करे तो बेहतर होगा।

अमय परेशान हो कर वापस अपनी चेयर पर बैठ जाता है, और काम करने लगता है, मयंक से उसकी पुरानी जान पहचान थी, और दोनो हमउम्र होने के कारण दोनो एक दोस्त जैसे ही थे।

लंच में अमय मयंक के साथ अकेला था तो वो उससे बात करने लगता है और अंजली के बारे में पूछता है।

मयंक: भाई उसकी जॉब कोई 3 साल पहले लगी थी, पर ज्वॉइन करने के पहले ही उसका एक्सीडेंट हो गया, बाद में उसने सारी बात बताई तो पापा ने ज्वाइन करवा दिया, बहुत मेहनती लड़की है, लेकिन बहुत रिजर्व है। ऑफिस में बस अपने काम से ही मतलब है उसको और कुछ नही।

अमय: और उसका परिवार?

मयंक: बस एक मां हैं।

अमय उसको सारी बात बता देता है और ये भी की उसे अंजली से प्यार है, वो मयंक से मदद करने कहता है तो मयंक कहता है की वो ज्यादा कुछ तो नही पर उसके घर का पता दे सकता है। अमय उसे थैंक्यू देता है। और अंजली के घर का पता ले कर चला जाता है, अगले दिन अमय दोपहर के समय सुमन जी के साथ अंजली के घर पहुंचता है।

माया (अंजली को मां) अमय को पहचान लेती हैं और दोनो को घर के अंदर ले जाती हैं।

माया: अमय बेटा क्या हुआ था उस दिन? अंजली तुमसे मिलने गई थी होटल अगली सुबह, मगर थोड़ी देर में ही वापस आ कर मुझे ले कर जल्दी से यहां के लिए निकल गई, आज तक नहीं बताया की क्या हुआ, बस इतना ही बोला कि सब खत्म हो चुका है।

अमय: पर वो तो आई ही नहीं, या आई तो मुझे नही मिली।

माया: बेटा वो तुमसे प्यार करती है यही बताने गई थी तुमको, पता नही वहां उसने ऐसा क्या देख लिया की उल्टे पांव वापस आ गई। और बेटे जहां तक मुझे लगता है, तुम भी उसे पसंद करते हो।

सुमन जी: माया जी बहुत पसंद करता है ये, जब से मिली बिना बताए गायब हो गई दिन रात एक कर दिया इसने उसको ढूंढने में, पर कुछ पता नही चला।

माया उनके चाय नाश्ते का इंतजाम करती है, और बात करते करते शाम हो जाती है, अंजली के घर आने का समय हो चुका होता है और दरवाजे के घंटी बजती है। माया दरवाजा खोलती है तो सामने अंजली होती है।

अंजली जैसे ही अंदर आती है, सुमन जी: मिली बेटा, हमसे क्या गलती हो गई जो आपने हमसे मिलना भी मुनासिब न समझा?

अंजली, उसे देख कर भारी आंखों से मुस्कुराते हुए सुमन जी के गले लग जाती है: मां आप यहां कैसे?

अमय पीछे से: मेरे साथ है ये, अब शायद हम प्रोफेशन से हट कर अपनी जिंदगी के बारे में बात कर सकते हैं?

अंजली, गर्दन झुकाते हुए: किस हक से, आप तो अभी भी चांदनी से ही प्यार करते हैं, और उसके साथ...

अमय: क्या उसके साथ? ऐसा क्या देख लिया तुमने?

अंजली: प्लीज ऊपर चल कर बात करें, यहां मां के सामने मैं बात नही कर पाऊंगी।

दोनो छत पर जाते हैं।

अमय: अंजली अब बताओ क्या देख लिया था तुमने?

अंजली: आपको चाहने लगी थी मैं, मां से मिल कर इनको सब बताया, अगली सुबह मैं इसीलिए आपसे मिलने आई थी होटल की आपको बता दूंगी, लेकिन जैसे ही मैं आपके कमरे में गई, दरवाजा लॉक नही था, मैने खोला तो अंदर बेड पर आपके साथ चांदनी कंबल में थी, और कमरे की हालत देख कर लगा की आप दोनो... फिर नीचे मुझे कुणाल मिला, उसने कहा की आपने ही कहा है की डील तभी फाइनल होगी जब आप चांदनी के साथ एक रात बिताएंगे।

अमय: कभी कभी जो दिखता है वो सही नही होता, चांदनी मेरी जिंदगी में जब भी आई उसने मेरा इस्तेमाल करने का ही सोचा। और इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती थी। कुणाल से उसके पापा का बिजनेस सम्हाल नही रहा था, और फिर इसमें चांदनी की एंट्री होती है, जिसके बदौलत कुणाल ने कुछ डील करवा ली थी, या कहूं चांदनी के जिस्म की बदौलत।

चांदनी: तो क्या आपने भी उससे इसीलिए??

अमय: तुम मुझे ऐसा समझती हो क्या? उस शाम मेरा मन नहीं था पार्टी में जाने का, वैसे भी मैं जाता ही कब, पर...

होटल का डोर नॉक होता है, अमय दरवाजा खोलता है और सामने चांदनी को पाता है।

चांदनी: अमय तुम पार्टी में क्यों नहीं आए?

अमय: चांदनी, मैं शोर शराबे को पसंद नही करता, सॉरी।

चांदनी: अमय, ये पार्टी बस तुम्हारे लिए ही रखी हैं हमने, can't you want to join old friends?

अमय: पर चांदनी...

चांदनी: ओह समझी, you still hate me?

अमय: नही चांदनी, अब इन बातों को याद रख कर कोई फायदा है क्या? मैं सब भूल चुका हूं।

चांदनी: फिर चलो न।

अमय: ओके तुम चलो, मैं आ रहा हूं।

नीचे पार्टी में अमय पहुंचता है तो देखता है की बस 5 - 6 लोग ही थे उस पार्टी में, जिसमें से ज्यादातर वापस जाने की तैयारी में ही दिख रहे थे, अमय के पहुंचते ही रोहन उसे सबसे मिलवाता है और अमय को ड्रिंक ऑफर करता है, जिसे अमय मना कर देता है।

चांदनी: ओह कम ऑन अमय, बी ए स्पोर्ट, दोस्तों के साथ पियोगे भी नही?

अमय: चांदनी, I don't drink. But for you I will take soft drink only.

ये सुन कर रोहन उसके लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेने चला जाता है। अमय और चांदनी बातें करने लगते हैं।

रोहन पास आते हुए: अमय और सुनाओ, शादी कब कर रहे हो?

अमय: बस जल्दी ही।

चांदनी, उसका हाथ पकड़ते हुए: कब और किससे?

अमय: सब बताऊंगा जल्दी ही।

रोहन, चांदनी की तरफ देखते हुए: अमय तुम दोनो बैठो मैं आता हूं अभी।

चांदनी और अमय बातें करने लगते हैं, तभी अमय को अपना सर भारी लगने लगता है, और उसको आगे बस इतना ही याद रहता है कि रोहन और चांदनी उसे उठा कर रूम में ले जाते हैं। सुबह जब अमय की नींद खुलती है तो वो देखता है कि चांदनी उसके बगल में निर्वस्त्र सो रही है और वो खुद भी बिना कपड़ों के है। कमरे की स्तिथि देख लग रहा था कि रात को वहां दोनो का समागम हुआ था, मगर अमय को कुछ भी याद नही होता है। वो अपने कपड़े पहन कर चांदनी को उठता है, और बिना उसकी ओर देखे कमरे से बाहर निकल जाता है। बाहर उसे रोहन दिखता है, जो उसे देख मुस्कुरा रहा होता है। अमय उसे घूरने लगता है तो रोहन उसे ले कर वापस से कमरे में आता है।

वहां चांदनी ने बस अपने अधोवस्त्र डाले होते हैं, जिसे देख अमय फिर बाहर जाने लगता है, रोहन उसका हाथ पकड़ लेता है, और एक कुर्सी पर बैठा देता है। अमय अपनी नजरें दूसरी ओर करके जोर से चिल्लाता है: क्यों? अब तुम दोनो को क्या चाहिए मुझसे?

रोहन: डील।

अमय: वो तो ऐसे ही मिल जाती, इतनी घटिया हरकत करने की क्या जरूरत थी?

चांदनी: डील के अलावा भी एक बात है। अमय, रोहन बाप नही बन सकता, और हमको तुमसे अच्छा राजदार कौन मिलता, बस इसीलिए। सॉरी लेकिन...

अमय: तो इसके लिए तुम किसी के भी साथ.. एक मिनट, रोहन को डील चाहिए, इसका मतलब तुम पहले भी। कितने गिरे हुए इंसान हो तुम दोनो, निकलो मेरे रूम से अभी और इस डील को क्या, मुझे भी भूल जाओ।

ये बोलते ही रोहन अपना बैग में अपना सामान भरते हुए बाहर निकल जाता है, और रिसेप्शन पर पेमेंट करके अंजली के घर की ओर निकल पड़ता है....

अमय: उस दिन से आज तक मैं चांदनी से नही मिला, बस हर जगह तुमको तलाश रहा हूं। अंजली चांदनी मेरे जीवन का वो अध्याय है जिसे मैं काट कर अलग फेक देना चाहता हूं, लेकिन उसे पहले मुझे तुम्हारी जरूरत है।

अंजली दौड़ कर उसके गले लग जाती है: बस अमय जी, आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

छत के दरवाजे के पीछे खड़ी सुमन और माया जी मुस्कुराते हुए एक दूसरे की बधाई देने लगती है.....
Hide and seek...!!
Bhai ji just a wow.. Love ❤can't be shadowed. It will come out like burning sun .
 
317
559
63
Lar Tapkata Rahe Gaya.
by shetan

nice story.....but muze ye nhi samza shadi k baad sasur ke sath sex kar rahi hai to baap ko cuckold q banaya? pati ko dikha sakte the...

baki story mast thi....aapke horror genre ko chod ke apne isme try kiya...bhut mast...is story ko aage badhane ka try ro...

aur aapki style me ekhadi horror story bhi post kro

vo padhne me jada maja ayega
 

Shetan

Well-Known Member
16,506
48,622
259
Lar Tapkata Rahe Gaya.
by shetan

nice story.....but muze ye nhi samza shadi k baad sasur ke sath sex kar rahi hai to baap ko cuckold q banaya? pati ko dikha sakte the...

baki story mast thi....aapke horror genre ko chod ke apne isme try kiya...bhut mast...is story ko aage badhane ka try ro...

aur aapki style me ekhadi horror story bhi post kro

vo padhne me jada maja ayega
Thank you very much. Ye sirf ek pal ki ghatna darsana tha. Ek sock ek kirdar ko bhi or redars ko bhi. Ye ek alag formet he. Achanak uske bap ko pata lagna uske bet I apne shasur or apne samdhi ke sath sex sambandh banae hue he. Sath blackmail bhi hona. Apna slave banana or apne bap ko co cold banskar sex dikhana.

Sort story likhne ka anubhav thoda kam he. Kuchh achha karne ki kosis thi. Sayad ho nahi paya. But thank you so much.


Logo ke manoranjan ke lie soch rahi hu. Ek shusumi ki horror short story likh kar post karu
 
Last edited:

SultanTipu40

🐬🐬🐬🐬🐬🐬🐬
Prime
14,872
19,761
229
Story- " Milne ki tadap kiski - Genny ya Geeta "
Writer- Md Sultantipu40.


यह कहानी जेनी और उसकी बेटी गीता की है। जेनी किसी अन्य लोक से , किसी दूसरे ग्रह से धरती पर अकस्मात आ पहुंचती है और शंकरा नामक एक फरेबी और दुष्ट इंसान के जाल मे फंस जाती है। शंकरा से उसे मां बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उसकी लड़की गीता भी उसी की तरह चमत्कारिक शक्तियों से लैस थी। शंकरा का उद्देश्य अपनी बेटी गीता के मदद से दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान बनने का था।
लेकिन जैसा कि हम जानते है कि बुरे का मुंह काला और सच्चे का बोलबाला , वैसा ही शंकरा और उसके साथियों का होता है और गीता अपने होम ग्रह , अपने लोक मे चली जाती है।
कहानी बेहतर था और काफी लम्बा भी था। ये फैंटेसी स्टाइल मे लिखा गया। चमत्कारिक घटनाओं का प्रयोग किया गया।
लेकिन कहानी के प्रस्तुतीकरण मे अनेक त्रुटियां भी नजर आई। शुरुआत मे कहानी को समझने मे भी काफी परेशानी हुई। अंतिम के कुछ पैराग्राफ से कहानी समझने लायक बना था।
कहानी के शब्दों मे स्पेलिंग बहुत जगहों पर गलत था।
कहानी का उद्देश्य भी क्लियर नही था।
वैसे कुल मिलाकर कहानी ठीक ठाक था।

Rating- 10/6.
Thanks bro itni lambi story padh samjh kar rew diya :dost: mistek ke bare main kuch nahi kahunga bc apne aap chenj ho jata hai bro :approve:
 

Jaguaar

Well-Known Member
17,679
61,277
244
प्रेम ही पुजा है (चाहत)

बहन मै अब और ईंतेजार नाही कर सकता हू मुझे जलद से जलद पैसे चाहिये ___ पैसे नाहि तो आप रूम खाली कर दिजीऐ

संगीता :: भाई साहब भगवान के लीऐ मुझपे दाया कीजिऐ। आप सीरफ ईस महीने तक रूक जाईऐ। मै ईस बार पुरि क पुरी दे दुंगी। मुझपे नाही तो मेरे बचंचो पर दाया किजीऐ भाई साहब। मै अकेली इनको लेकर‌ काहा जाउंगी। भाई साहब मै ईस बार पैसे ना दे पाउंगी तो मै खुद अपने बचचो को लेकर चली जाउंगी

संगीता बोल कर कीरायेदार के सामने रोने लगती है। और आपने दो छोटे छोटे बचचो को कीराऐदार क सामने कर देती है

कीरायेदार ::: संगीता बहन आप 3 महीने से येही कर रही है। मै जब पैसे मांगने आता हू आप इन बचचो को बीच मे ला देती है। लेकीन संगीता बहन ये आखरी बार है जो मै ईस बार भी आप कि बात मान राहा हु। आप अपनी बात का सममान रखना

कीरायेदार ईतना बोल कर चला जाता है वही संगीता के आंखो मे आंसु तो चेहरे पर फिंकी मुसकान आ जाती है

संगीता आभी कोई 29 से 30 साल की होती है। मगर संगीता कि फुटि किसमत के ऐक साल पहले ही संगीता के पती ऐक कार दुरघटना मे मर गया था। जब तक संगीता का पती जीनदा था वह नोकरि करके घर चला राहा था मगर उसके मरते ही संगीता का हर सपना भी मर गई। संगीता कुछ दिन तक घर म बचे हूवे पैसे से घर चलाती रही और जब पैसे कम होने लगे तो संगीता नोकरी करने की सोची। मगर संगीता को हर जगह से मयोसी ही मिली कीयुकि संगीता जाहा भी नोकरी मांगने जाती तो कोई नोकरी देने के बदले पैसे मांगता तो कोई उसकि ईजजात जो संगीता हर जगह से मायुस दुखी होकर घर आ जाती ईसी तरह संगीता क पास जो पैसे बचे हुवे थे वह भी खतम हो गये थे

संगीता कि हालत देख कर पास क ऐक चाची ने अपने घर पर काम करने को बोल दीया था संगीता चाचि क घर काम करके अपने बचचो का पेट तो पाल रहि थी। मगर उसमे पैसै नहि बचा पा रही थी और कभी पैसै बचते भी थे तो संगीता के पास रूकते नाही थे कियुकि कभी संगीता खुद बिमार हो जाती तो कभी उसके बचचे बिमार हो जाते जो बचे हुवे पैसै इलाज मै चले जाते

संगीता आज 4 दिन‌ से बिमार थी और काम पर भी नही जा पा रही थी उपर से उसके बचचे सुबह से भुखे थे संगीता रोती हुई अपने दरवाजा बनद कर लेती है

संगीता दरवाजा बनद करके अपने रुम मे गुमसूम सी बैठ जाती है वही संगीता के दोनो बचचे भी संगीता क पस बैठ कर अपनी मां को देखने लगते है

मां आप मत रोईये नं। मां मुझे भुख नही लगी है । मां मां मां

संगीता का छोटा लड़का संगीता के आंखो स आंसु अपने छोटे ऊंगुलीयो स पोछते हुवे बोल कर संगीता से लीपट जाता है

संगीता जो दुखी होकर रो रही होती है अपने छोटे बेटे कि बांत सुन कर अपने आंसु पोछ लेती है

संगीता ।। देखो मै नही रो रही । तुम भैया के साथ खेलो मै अभी आती हु

संगीता अपने बेटे को घर पर छोड़ कर घर से नीकल जाती है और ऐक घर के बाहर खड़ी हो जाती है मगर संगीता के पैर घर के अंदर नही जा रहे होते है

अरे संगीता तु बाहर कियू खड़ी है ।। अंदर आ तेरी तबीयत कैसी है ।। दावा लीया है नं ।।। पैसै चाहीये कया

संगीता को अपने घर के बाहर ऐक औरत देखती है तो बोलती है

चाचि थोड़ा सा भी खाना बचा है तो मुझे दे दीजिऐ मेरे बचचे सुबह से भुखे है

संगीता रोती सीसकती हुई बोल पड़ती है और बैठ कर ऐक बेसहारा लाचार मां कि तरह रोने लगती

कया वह दोनो भुखे है ।। मगर मैने पुछा तो दोनो ने कहा के खाना खा लीया ।। जैसी तु मां वैसा तेरे बेटे ।।। जा देख किचेन मे खाना है तो ले ले ।।। और ये पैसै खुद कि इलाज करवा ताकि तु जलदि थीक हो जाये ।।‌ वह चाची बोलती

संगीता किचेन से बचा हुवा खाना लेकर जलदि से घर कि तरफ भागती है

भगवान आप कि अपरम पार लीला है पाता नहि कया लिखा है ईस आभागन के भागय मे ।। संगीता को जाते हुवे देख कर वह चाची बोलती है और अपने आंखो मे आंई हुई आंसु पोछ लेती है जोगन

संगीता बहन मै अब और ईंतेजार नाही कर सकता हू मुझे जलद से जलद पैसे चाहिये ___ पैसे नाहि तो आप रूम खाली कर दिजीऐ

संगीता :: भाई साहब भगवान के लीऐ मुझपे दाया कीजिऐ। आप सीरफ ईस महीने तक रूक जाईऐ। मै ईस बार पुरि क पुरी दे दुंगी। मुझपे नाही तो मेरे बचंचो पर दाया किजीऐ भाई साहब। मै अकेली इनको लेकर‌ काहा जाउंगी। भाई साहब मै ईस बार पैसे ना दे पाउंगी तो मै खुद अपने बचचो को लेकर चली जाउंगी

संगीता बोल कर कीरायेदार के सामने रोने लगती है। और आपने दो छोटे छोटे बचचो को कीराऐदार क सामने कर देती है

कीरायेदार ::: संगीता बहन आप 3 महीने से येही कर रही है। मै जब पैसे मांगने आता हू आप इन बचचो को बीच मे ला देती है। लेकीन संगीता बहन ये आखरी बार है जो मै ईस बार भी आप कि बात मान राहा हु। आप अपनी बात का सममान रखना

कीरायेदार ईतना बोल कर चला जाता है वही संगीता के आंखो मे आंसु तो चेहरे पर फिंकी मुसकान आ जाती है

संगीता आभी कोई 29 से 30 साल की होती है। मगर संगीता कि फुटि किसमत के ऐक साल पहले ही संगीता के पती ऐक कार दुरघटना मे मर गया था। जब तक संगीता का पती जीनदा था वह नोकरि करके घर चला राहा था मगर उसके मरते ही संगीता का हर सपना भी मर गई। संगीता कुछ दिन तक घर म बचे हूवे पैसे से घर चलाती रही और जब पैसे कम होने लगे तो संगीता नोकरी करने की सोची। मगर संगीता को हर जगह से मयोसी ही मिली कीयुकि संगीता जाहा भी नोकरी मांगने जाती तो कोई नोकरी देने के बदले पैसे मांगता तो कोई उसकि ईजजात जो संगीता हर जगह से मायुस दुखी होकर घर आ जाती ईसी तरह संगीता क पास जो पैसे बचे हुवे थे वह भी खतम हो गये थे

संगीता कि हालत देख कर पास क ऐक चाची ने अपने घर पर काम करने को बोल दीया था संगीता चाचि क घर काम करके अपने बचचो का पेट तो पाल रहि थी। मगर उसमे पैसै नहि बचा पा रही थी और कभी पैसै बचते भी थे तो संगीता के पास रूकते नाही थे कियुकि कभी संगीता खुद बिमार हो जाती तो कभी उसके बचचे बिमार हो जाते जो बचे हुवे पैसै इलाज मै चले जाते

संगीता आज 4 दिन‌ से बिमार थी और काम पर भी नही जा पा रही थी उपर से उसके बचचे सुबह से भुखे थे संगीता रोती हुई अपने दरवाजा बनद कर लेती है

संगीता दरवाजा बनद करके अपने रुम मे गुमसूम सी बैठ जाती है वही संगीता के दोनो बचचे भी संगीता क पस बैठ कर अपनी मां को देखने लगते है

मां आप मत रोईये नं। मां मुझे भुख नही लगी है । मां मां मां

संगीता का छोटा लड़का संगीता के आंखो स आंसु अपने छोटे ऊंगुलीयो स पोछते हुवे बोल कर संगीता से लीपट जाता है

संगीता जो दुखी होकर रो रही होती है अपने छोटे बेटे कि बांत सुन कर अपने आंसु पोछ लेती है

संगीता ।। देखो मै नही रो रही । तुम भैया के साथ खेलो मै अभी आती हु

संगीता अपने बेटे को घर पर छोड़ कर घर से नीकल जाती है और ऐक घर के बाहर खड़ी हो जाती है मगर संगीता के पैर घर के अंदर नही जा रहे होते है

अरे संगीता तु बाहर कियू खड़ी है ।। अंदर आ तेरी तबीयत कैसी है ।। दावा लीया है नं ।।। पैसै चाहीये कया

संगीता को अपने घर के बाहर ऐक औरत देखती है तो बोलती है

चाचि थोड़ा सा भी खाना बचा है तो मुझे दे दीजिऐ मेरे बचचे सुबह से भुखे है

संगीता रोती सीसकती हुई बोल पड़ती है और बैठ कर ऐक बेसहारा लाचार मां कि तरह रोने लगती

कया वह दोनो भुखे है ।। मगर मैने पुछा तो दोनो ने कहा के खाना खा लीया ।। जैसी तु मां वैसा तेरे बेटे ।।। जा देख किचेन मे खाना है तो ले ले ।।। और ये पैसै खुद कि इलाज करवा ताकि तु जलदि थीक हो जाये ।।‌ वह चाची बोलती

संगीता किचेन से बचा हुवा खाना लेकर जलदि से घर कि तरफ भागती है

भगवान आप कि अपरम पार लीला है पाता नहि कया लिखा है ईस आभागन के भागय मे ।। संगीता को जाते हुवे देख कर वह चाची बोलती है और अपने आंखो मे आंई हुई आंसु पोछ लेती है जोगन

संगीता बहन मै अब और ईंतेजार नाही कर सकता हू मुझे जलद से जलद पैसे चाहिये ___ पैसे नाहि तो आप रूम खाली कर दिजीऐ

संगीता :: भाई साहब भगवान के लीऐ मुझपे दाया कीजिऐ। आप सीरफ ईस महीने तक रूक जाईऐ। मै ईस बार पुरि क पुरी दे दुंगी। मुझपे नाही तो मेरे बचंचो पर दाया किजीऐ भाई साहब। मै अकेली इनको लेकर‌ काहा जाउंगी। भाई साहब मै ईस बार पैसे ना दे पाउंगी तो मै खुद अपने बचचो को लेकर चली जाउंगी

संगीता बोल कर कीरायेदार के सामने रोने लगती है। और आपने दो छोटे छोटे बचचो को कीराऐदार क सामने कर देती है

कीरायेदार ::: संगीता बहन आप 3 महीने से येही कर रही है। मै जब पैसे मांगने आता हू आप इन बचचो को बीच मे ला देती है। लेकीन संगीता बहन ये आखरी बार है जो मै ईस बार भी आप कि बात मान राहा हु। आप अपनी बात का सममान रखना

कीरायेदार ईतना बोल कर चला जाता है वही संगीता के आंखो मे आंसु तो चेहरे पर फिंकी मुसकान आ जाती है

संगीता आभी कोई 29 से 30 साल की होती है। मगर संगीता कि फुटि किसमत के ऐक साल पहले ही संगीता के पती ऐक कार दुरघटना मे मर गया था। जब तक संगीता का पती जीनदा था वह नोकरि करके घर चला राहा था मगर उसके मरते ही संगीता का हर सपना भी मर गई। संगीता कुछ दिन तक घर म बचे हूवे पैसे से घर चलाती रही और जब पैसे कम होने लगे तो संगीता नोकरी करने की सोची। मगर संगीता को हर जगह से मयोसी ही मिली कीयुकि संगीता जाहा भी नोकरी मांगने जाती तो कोई नोकरी देने के बदले पैसे मांगता तो कोई उसकि इज्जत जो संगीता हर जगह से मायुस दुखी होकर घर आ जाती ईसी तरह संगीता क पास जो पैसे बचे हुवे थे वह भी खतम हो गये थे

संगीता कि हालत देख कर पास क ऐक चाची ने अपने घर पर काम करने को बोल दीया था संगीता चाचि क घर काम करके अपने बचचो का पेट तो पाल रहि थी। मगर उसमे पैसै नहि बचा पा रही थी और कभी पैसै बचते भी थे तो संगीता के पास रूकते नाही थे कियुकि कभी संगीता खुद बिमार हो जाती तो कभी उसके बचचे बिमार हो जाते जो बचे हुवे पैसै इलाज मै चले जाते

संगीता आज 4 दिन‌ से बिमार थी और काम पर भी नही जा पा रही थी उपर से उसके बचचे सुबह से भुखे थे संगीता रोती हुई अपने दरवाजा बनद कर लेती है

संगीता दरवाजा बनद करके अपने रुम मे गुमसूम सी बैठ जाती है वही संगीता के दोनो बचचे भी संगीता क पस बैठ कर अपनी मां को देखने लगते है

मां आप मत रोईये नं। मां मुझे भुख नही लगी है । मां मां मां

संगीता का छोटा लड़का संगीता के आंखो स आंसु अपने छोटे ऊंगुलीयो स पोछते हुवे बोल कर संगीता से लीपट जाता है

संगीता जो दुखी होकर रो रही होती है अपने छोटे बेटे कि बांत सुन कर अपने आंसु पोछ लेती है

संगीता ।। देखो मै नही रो रही । तुम भैया के साथ खेलो मै अभी आती हु

संगीता अपने बेटे को घर पर छोड़ कर घर से नीकल जाती है और ऐक घर के बाहर खड़ी हो जाती है मगर संगीता के पैर घर के अंदर नही जा रहे होते है

अरे संगीता तु बाहर कियू खड़ी है ।। अंदर आ तेरी तबीयत कैसी है ।। दावा लीया है नं ।।। पैसै चाहीये कया

संगीता को अपने घर के बाहर ऐक औरत देखती है तो बोलती है

चाचि थोड़ा सा भी खाना बचा है तो मुझे दे दीजिऐ मेरे बचचे सुबह से भुखे है

संगीता रोती सीसकती हुई बोल पड़ती है और बैठ कर ऐक बेसहारा लाचार मां कि तरह रोने लगती

कया वह दोनो भुखे है ।। मगर मैने पुछा तो दोनो ने कहा के खाना खा लीया ।। जैसी तु मां वैसा तेरे बेटे ।।। जा देख किचेन मे खाना है तो ले ले ।।। और ये पैसै खुद कि इलाज करवा ताकि तु जलदि थीक हो जाये ।।‌ वह चाची बोलती

संगीता किचेन से बचा हुवा खाना लेकर जलदि से घर कि तरफ भागती है

भगवान आप कि अपरम पार लीला है ।पाता नहि कया लिखा है ईस आभागन के भागय मे ।। संगीता को जाते हुवे देख कर वह चाची बोलती है और अपने आंखो मे आंई हुई आंसु पोछ लेती है

संगीता जाकर अपने दोनो बेटो को खाना खीला देती है और खूद भी थोड़ा बचा हुवा खाना खा लेती

रात के 9 बजे

संगीता के दोनो बचचे सो चुके होते है और संगीता अभी भी जाग रही होती है संगीता को जब येकिन हो जाता है की उसके दोनो बचचे सो चुके है तो संगीता धीरे धीरे बेड से उतर कर रूम से नीकल जाती है

संगीता रूम से नीकल कर जैसे ही बाहर आती है संगीता के आंखो मे आंसु अपने आप आ जाते है संगीता जलदी से अपने मुंह पर हाथ रख लेती है

संगीता रूम से नीकल कर जैसे ही बाहर आती है संगीता के आंखो मे आंसु अपने आप आ जाते है जो संगीता जलदी से अपने मुंह पर हाथ रख लेती है और रूम क पास से भाग पड़ती है ताकी ऊसकी रोने कि आवाज उसके बचचे ना सून ले

संगीता घर क हौल मे जाकर जारो जार बीलक बीलक कर रोने लगती है । संगीता कि आंखो से आंसु रूक नही रही होती है

आप मुझे ईस जालीम दुनीया मे तनहा छोड़ कर कियु चले गये ।। आप के बगैर मै युहि तड़प तड़प के मर जाउंगी ।। मुझे आपकी बहुत याद सताती है ।।। आप मेरे साथ थे तो कीतना आचछा लगता था ।। वह दीन कितने अचछेछेछेछेछेछेछ।।। संगीता की यादो

आप भी ना मेरी कोई भी बात पर येकीन नही करते है ।। लेकिन मै सच बोल रही हू ।।। मेरी आप से सादी नही हुई होती तो मै प्रेम कहानी लीख देती

प्रेम काहानी जो पूरी नही होती ।।।।। अजये बोल पड़ता है

कया हुवा अजये तुम ईतने ऊदास कीयु हो गये ।।। आप को मेरी बात बुरी लगी ।। अपने पती की चेहरे पर ऊदासी देख कर संगीता भी ऊदास होकर पुछती है ।।

अजये ।। नही संगीता मुझे तुमहारी बात बुरी नही लगी

संगीता ।।। फिर आप ऊदास कीयु हो गये ।।। आप को मेरी कसम बाताईये नं

अजये ।।। संगीता तुमने कसम देकर मुझे बाताने पर मजबुर कर दिया ।।। संगीता मेरे सीने मे ये राज कांटे की तरह चुभता है जो मेरे ही वजह से दो प्यार करने वाले जुदा हो गए

संगीता मैंने सब बर्बाद कर दिया

संगीता प्रेम और पुजा की काहानी मेरे कौलेज जाने के बाद सूरू हुई थी

प्रेम काशमीर से देहली हमहारे ही कौलेज मे पड़ने के लीये आया था ।।। वही पुजा कोइ गांव से आई थी

प्रेम बीलकुल सांनत किसीम का लड़का था वह किसी से बात भी बहुत कम करता था ।। लड़को से तो थोड़ी बहुत बात कर भी लेता था मगर लडकियौं से दो कदम पीछे ही रहता था

वही हाल पूजा कि भी थी वह जब सुरू मे कौलेज मे आई तो वह भी लड़को से दुर ही रहती थी मगर कुछ दिन मे पुजा बीलकूल ही बदल गई ।। तब सुरु हूई परेम और पुजा कि प्रेम काहानी

ऐक दीन मै और प्रेम कौलेज क गराऊंड मे पढ रहे थे तभी वहा पुजा आगई और परेम क पास ही बैड गई

Hii ... I Am puja

प्रेम तो बस पुजा को देखते ही रह गया ।। और उसमे प्रेम की कोई गलती भी नही थी पुजा थी ही इतनी खूबसूरत के पुजा की खुबसूरत चेहरे पर जीसकि भी नजर जाती थी जल्दी हटती नही थी और प्रेम की तो पुजा पर उस दिन पहली बार गई थी

Hello ।। काहा खो गये ।। मुझे पहली बार देख रहे हो क्या या में अलग दीख रही हूं

हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

पुजा चुटकी बजाते हुए बोली जो प्रेम थोड़ा हड़बड़ा सा गया और उसके मुंह से हां नीकल गया जो पुजा खीलखीला कर हंसने लगी

सीवम मोहन मोहित मोहानी

हा हा हा हा हा हा

ये पढ़ाकू साहब बोल रहा है मुझे कौलेज में पहली बार देख रहा है हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

अबे पढ़ाकू साहब कौलेज का आधा साल निकल गया और आप मुझे आज देख रहे है

हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

पुजा बोल कर जोर जोर से हंसने लगती है और साथ में उसके सारे दोस्त भी आकर हंसने लगते है

अबे कौलेज में तुझे अऐ हुए इतने दिन हो‌ गये और तू आज पुजा को देख रहा है तु तो पक्का चीलगोजर निकला बे

आआआ

पुजा तेरी खुबसूरती देख कर इस पप्पु की सायद पैंट गीली हो गई होगी

सीवम हंसते हुए बोलता है और प्रेम के सर पर मार देता है जो प्रेम का सर नीचे झुक जाता है और उसके साथ ही सब फिर से हंसने लगते है ।

उस वक़्त मेरी नजर प्रेम की आंखों पर गई जो प्रेम की आंखों में नमी सी आ गई होती है ।

प्रेम वाहा से उठ कर चला जाता है प्रेम को जाते हुवे देख कर सभी और भी हंसने लगते है ।। लेकिन प्रेम जाते हुवे बस पुजा को ही देख रहा होता है

तुमने एक अच्छे लड़के को बिना कोई वजह से दुखी कर दिया ।। उसके जगह अभी कोई दूसरा लड़का होता तो तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान नहीं आंखों में आंसू होती

सुकर करो प्रेम ने तुम्हें थप्पड़ नहीं मारा ।।। अच्छा है वह तुम जैसी लड़कियों से दूर रहता है

मैं इतना बोल कर वाहा से चला गया ।। मगर जाते जाते मेरी नजर पुजा पर एक बार फिर से गई जो पुजा की चेहरे से हंसी चली गई होती है ।

तु ये सब कैसे सह लेता है । तुझे जारा भी गुस्सा नहीं आता है ।। तुझे कोई भी कुछ बोलकर नीकल जाता है और तू उन्हें कुछ कहना तो दूर तु उनसे नज़रें भी नही मिला पाता है।।।‌ जब मैं और प्रेम रूम में खाना खा रहे होते है तो मैं थोड़ा गुस्से में बोला

मेरी गुस्से से बात सूनने के बाद भी प्रेम बस मुझे देख चेहरे पर फिकि मुस्कान लीये बस हसं रहा होता है । प्रेम को उस वक़्त हंसते हुए देख कर तो मुझे और भी गुस्सा आ गया होता है ।।। मगर मैं प्रेम को और कुछ नहीं बोला ये सोच कर के गुस्से में मेरी मुंह से कुछ बुरा ना नीकल जाये

अजये तु येही सोच राहा है नं मैं कैसा बुजदिल डरपोक इन्सान हूं जो हर किसी की बातें सुनकर भी उन्हें कुछ बोलने के बजाये मुंह छीपा कर भाग जाता हूं । अजये तु लेकिन सही सोचता है । अजये मेरी मां ने बहुत दुख दर्द सहकर मुझे येहा तक भेजी है ।। अजय मैं अपनी मां की सपना अयेसे लड़ झगड़ कर नहीं तोड़ सकता हूं ।।

उस वक़्त मैं प्रेम की बात सुनकर और कुछ बोल नं सका कियुकि प्रेम की बातों में एक अजीब सी दर्द महसूस हुआ मुझे । मुझसे कहते हुवे प्रेम के चेहरे से‌ मुस्कान फिर से चाली गई थी । लेकिन मैं इतना तो समझ गया था प्रेम अपनी मां के खातीर जान बुझ कर सब कुछ सहता है

प्रेम वैसे तु पुजा को बड़े गौर से देख रहा था ।। क्या पुजा तुझे पसंद है ।। तु बोल तो मैं

अजये मुझे नाही पुजा और नाही कोई लड़की पसंद है अभी । पुजा को मैं देख जरुर रहा था ।। मगर उस नजर से नहीं ।। जैसे खुबसूरत जगह समान चीज को लोग देखते हैं वैसे ही मै भी देख रहा था

मैं आगे और कुछ बोलता उसके पहले प्रेम बोल पड़ता है ।। लेकिन इस बार मुझे प्रेम की बातों पर बीलकूल भी येकीन नही हूवा ।। कीयुकी प्रेम ईस बार बोलते हुए नजरें चुरा रहा होता है

एक दिन जब मैं और प्रेम रुम में पड़ रहे होते है तभी वाहा सीमा आती है ।।। सीमा हमारे ही क्लास में पढ़ती थी वह कभी कभी प्रेम से पढ़ाई के बारे में बातें करती थी जो प्रेम सीमा को जानता था

प्रेम ये तुम्हारे लिए ।। सीमा एक लेटर प्रेम को देती हुई बोली ।। मगर प्रेम सीमा से लेटर ना लेकर सीमा को देखने लगता है

प्रेम ।। सीमा मैं पहले भी

अरे मुझे पाता है तुम मुझे पसंद नही करते ।। प्रेम ये Love लेटर नही है ।। ये मेरी दीदी की सादी का कार्ड है ।। छापा हुवा सारे कार्ड खत्म हो गये थे इस लिए मैं खुद से लीख कर दे रही हूं । सीमा फींकि सी सकल बाना कर बोली

मुझे तो लगा था सीमा सच में प्रेम को Love लेटर दे रही है मगर वह उसकी बड़ी बहन की शादी का कार्ड था

सीमा कार्ड देकर चली गई

प्रेम सयद सीमा तूझे पसंद करती है ।। मैं हंसते हुए कहा

अजये बस भी कर यार ।। चल मार्केट चलते है

प्रेम मेरी बात का जवाब नं देकर मार्केट चलने को कहा

प्रेम और मैं मार्केट में घुम रहे थे तभी मेरी नजर थोड़ी दूर पुजा पर पड़ी जो अपने दोस्तों के साथ पानी पुरी खा रही होती है

मैं तो पुजा को देखकर कभी कभी उसके तरफ देख रहा था और कभी कभी प्रेम की तरफ भी देख रहा था मगर दोनों में कोई एक दुसरे कि तरफ नही दख रहे होते है ।।सायद दोनों की नजर एक दुसरे पर नहीं पड़ी होती हैप

प्रेम चल नं पानी पुरी खाते हैं ।। मैं बोल कर प्रेम के गर्दन पर हाथ रख कर पानी पुरी के ठेले की तरफ चल पड़ा

पुजा देख पप्पु फिर आ गया । हा हा हा हा हा हा

में और प्रेम जैसे ही ठेले के पास जाते है ।।। पुजा की एक दोस्त बोल कर हंस दती है जो साथ में उसके और भी दोस्त हंसने लगते है ।

दोस्त दो प्लेट देना । मैं ठेले वाले से बोला ।। वहीं प्रेम ठेले के दुसरे तरफ़ जाकर खड़ा हो जाता है

मोहीनी ।

मैं ठेले वाले से बोल कर प्रेम के तरफ जाने लगा तो मुझे पुजा की आवाज सुनाई जो अपनी दोस्त मोहीनि को चुप होने के लिए आंखें दिखा रही होती है ।

पानी पुरी खाते समय प्रेम एक बार भी पुजा की तरफ नही देखता है । लेकिन मेरी नजर कभी कभी पुजा की तरफ जा रही होती है जो पुजा प्रेम की तरफ बार बार देख रही होती है ।

प्रेम पानी पुरी खा कर ठेले से थोड़ा आगे चला‌ गया ।

मैं भी पैसे देकर प्रेम के साथ वाहा से चल दिया

प्रेम उस दिन से लड़कियों से और भी दुर रहने लगा खास कर पुजा और उसके दोस्तों । कौलेज में प्रेम की नजर जब भी पुजा और उसके दोस्तों पर जाती प्रेम उनके तरफ नं जाकर दुसरे तरफ़ चला जाता । मगर मेरी नजर हर बार पुजा की तरफ जाती थी जो अब पुजा की नजर बदल चुकी थी प्रेम को देखने की ।

अजये एक काम है करेगा क्या भाइ ।। कौलेज से आने के बाद प्रेम कपड़े चेंज करते हुए बोला ।।

यार पुझ क्या रहा है बोल क्या करना है । मैं भी कपड़े चेंज करते हुए कहा

अजये थोड़े पैसे देगा क्या अभी । इस बार मां ने पैसे थोड़े कम भेजी है और कल सीमा कि बहन की शादी है इस लिए कुछ लेना उनके लिए

प्रेम पैसे मांगते हुए बहुत हीचका भी रहा था । जैसे प्रेम को मुझसे पैसे मांगने में सरम महसूस हो रहा है ।

अबे पैसे मांगने में इतना कीयु हीचक रहा है । चल मुझे भी तो गीफट लेना है नं तो साथ में लेते है ।

मैं और प्रेम साथ में गीफट लेने गये ।

प्रेम भाई तुझे जैसी गीफट चाहिए देख कर लें । भईया ये कीतने का है

प्रेम एक मां बेटी की तस्वीर को देखकर दोकानदार से पुछा

छोटे भाई कोई दूसरा देख लो ये गीफट पहले ही बीक चुका है इस गीफट को एक मेडम ने औडर दे कर बनवाया है । दोकानदार ने कहा

भईया इसमें का कोई दूसरा नहीं है क्या

अरे मे मेडम आप आप गई ।

पीछे खड़ी लड़की को देखकर दोकानदार बोलता है

sorry भईया मुझे ये गीफट नहीं चाहीए । वह पीछे खड़ी लड़की बोल पड़ती है ।

लेकिन मेडम

दोकानदार कुछ बोलता उसके पहले ही लड़की कुछ इसारा कर के चली जाती है

वहीं प्रेम थोड़ा खुस‌ हो जाता है ।। लेकिन प्रेम पीछे घूम कर लड़की की तरफ देखता नहीं है

पुजा तुने गीफट कीयू नही लीया ।। और मुझे भी लेने नही दे रही है

मैं गीफट लेकर आ रहा होता हुं तो मुझे मोहिनी की ये बात सुनाई देती है जो गुस्से में पुजा से बोल रही होती है ।

हां हां थीक है मेडम ।। ये दो गीफट है भईया कीतने पैसे हूवे

175+250 = 425 रुपये । दोकानदार बोलता है

मुझे थोड़ा अजीब लगा के दोकानदार ने प्रेम के गीफट का पैसे इतने कम कियु मांग रहा है जब के मेरे गिफट के मोकाबले प्रेम का गीफट बहुत अच्छा था

मैंने पैसे दिया और प्रेम के साथ दोकान से बाहर निकल गया

मेरा पर्स काउंटर पर रह गया । प्रेम तु येहि रुक मैं अभी आया

मैं प्रेम से बोल कर अन्दर गया और काउंटर से पहले एक दीवार के पास खाडां हो गया

मेडम खुद ही बाताकर वह गिफ्ट बनवाया आप ने और इतने अच्छे गीफट को फिर उस लड़के को कियु दे दिया । उपर से पैसे भी नहीं लेने दिया ।

भईया ये रहे आप के पैसे । भईया मैंने अयेसा कीयू कीया आप जान कर क्या करोगे ।

पुजा इतना बोल कर वाहा से दुसरी तरफ चली गई

मेरा तो उसी वक़्त मन कीया पुजा से जाकर पुछलु तुमने अयेसा कीयू कीया मगर फ़िर कुछ सोच कर बाहर आ गया और प्रेम के साथ रूम पर आ गया ।

जल्दी कर भाई सीमा कब से फोन कर रही है । रुम से नीकलते हूवे भी सर्ट पहन सकता है

प्रेम जब कपड़े पहन राहा होता है तो मैं बोला । प्रेम भी सर्ट पहनते हुवे रुम से नीकल भी गया। गजब का गौ लड़का है जो रुम से नीकल भी गया । मैं मन में सोच और रुम लौक‌ कर के हम सीमा के घर चल दिए

मैं भी साथ चल सकती हुं क्या

मैं और प्रेम सीमा के घर से थोड़ी दूर ओटो से उतर कर चल रहे होते है तभी पीछे से पुजा की आवाज सुनाई देती है

मैं तो रुक जाता हूं मगर प्रेम थोड़ा आगे बढ़ जाता है

वह मुझसे अभी भी नाराज हैं क्या । पुजा प्रेम को जाते हूवे देख कर मुझसे पुछती है

वह तुमसे नाराज़ हैं तो तुम्हें क्या । तुम बस उसे नाराज और बेईजत कर के खुश होती रहो । मैं रुक कर बोला तब तक प्रेम थोड़ा दूर जा चुका होता है।

मैं इतना बोलकर प्रेम के पास चला गया। मैं और प्रेम सीमा के घर के बाहर ही थे तभी सीमा हम दोनों को देखकर पास आ गई

सीमा हम दोनों को अपने घर पर देखकर बहुत खुश लग रही थी । सीमा हम दोनों को एक रूम में ले गई और बैठा कर रुम से बाहर चली गई ।

पुजा क्या बोल रही थी । प्रेम मुझे देखते हुए पुछा ।

प्रेम सच बोल क्या तु पुजा को पसन्द करता है । मैं प्रेम से पुछा

अजये मुझे खुद पाता नही । लेकिन पुजा को जब पहली बार देखा था तभी मेरे दिल में हलचल सी होने लगी थी। और मैं जब भी पुजा को देखता हूं । मेरा दिल करता है बस उसे ही देखता रहुं

इसका मतलब प्रेम तु पुजा से प्यार करता है । मैं बोल कर प्रेम की आंखों में देखने लगा जो प्रेम मुझसे नज़रें चुराने लगा ।

I Love you प्रेम

में अभी प्रेम की आंखों में देख कर उसके बोलने का इंतेज़ार कर ही‌ रहा होता हुं तभी मुझे पीछे से पुजा की आवाज सुनाई देती है । मैं तो हैरानी से पीछे मुड़कर पुजा को देखने लगता हुं

वहीं प्रेम तो मुझसे भी ज्यादा हैरानी से पुजा को देखने लगता है

पुजा तुम चली जाओ यहां से । मैं जानता हूं तुम प्रेम से कोई प्यार । वार नही करती हो । तुम बस प्रेम को जलील करना चाहती हो ।

मैं पुजा को देखते हुए गुस्से में बोला ।

प्रेम ये सच नहीं है । मैं कियू तुम्हें जलील करने लगी। मैं सच में तुमसे प्यार करती हूं ।। प्रेम I Love you

पुजा प्रेम को देखती हूई बोली । पुजा की आंखें भींगी हूई होती है । पुजा प्रेम को ईस तरह देख रही होती है जैसे प्रेम उसकी बातों पर यकीन करके उससे प्यार करले

मगर मुझे पुजा की बातों पर जारा भी येकीन नही हो रही होती है ।

प्रेम मेरे भाई इस लड़की पर तु जारा भी येकीन मत कर । चल येहा से । और ये गीफट तुम ही रखो

मैं प्रेम को लेकर वाहा से जाते हुवे । प्रेम वाला गीफट पुजा के हांथ में दे दिया

अजये मुझे येकीन नहीं हो रहा पुजा मुझे जलील करने के लिए प्यार की नाटक भी करेंगी ।। आखीर मैंने उसका क्या बीगाडां है ।। अजये कहीं पूजा मुझसे सच में प्यार करती होगी तो । प्रेम थोड़ा दुखी होते हुवे कहा ।

प्रेम मेरे भाई अगर पूजा तुझसे सच में प्यार करती है तो इससे अच्छा और क्या होगा । लेकिन प्रेम मुझे पुजा की बातों पर यकीन नही है ।

प्रेम जो गिफ्ट तुने लीया था । वह गिफ्ट पुजा ने औडर करके बनवायी थी । तो तुझे कियू दिया उपर से पैसे भी नहीं लेने दिया दोकनदार को

प्रेम मुझे लग रहा था पुजा तेरा मजाक बनाने वाली थी सीमा के घर ईस लिए मैं तुझे लेकर आ गया । लेकिन प्रेम मैं सायद गलत भी हो सकता हूं । सायद पुजा सच बोल रही होगी

प्रेम चाहे तो कल ही कौलेज में तु पुजा से बातें कर सकता है

मुझे उस वक़्त जो साही लागा वह मैं ने किया और प्रेम को सब कुछ बता दिया ।

उस वक़्त मैंने प्रेम के चेहरे पर एक उदासी देखा था।

अगले दिन मैं और प्रेम कौलेज गये । कौलेज में प्रेम की आंखें बस पुजा को हर तरफ देख रही होती है मगर प्रेम को पुजा कहीं नजर नहीं आती है ।।

अजये देख मोहीनी केंटिन में खडीं है चल मोहिनी से पुछते है

3 दिन के बाद पुजा की दोस्त मोहिनी मूझे दीखी तो मैंने कहा

मोहीनी पुजा कोलेज कीयू नही आ रही है । तुम्हें पता है क्या। मैंने‌ मोहिनी से पुछा ।

चटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटट

मैंने मोहिनी से जैसे ही पुछा मोहिनी ने मुझे एक जोर की थप्पड़ मार दिया ।। मेरा तो दिमाग ही हील गया

वह तो चीलर है ही और तु उसे और चीलर बाना रहा है । हट जाव मेरे सामने से वरना । मोहिनी गुस्से में प्रेम की तरफ देखती हूंई बोली

मोहिनी please पुजा काहा है बाता दो। please मोहिनी
प्रेम दुखी स्वर में बोला । प्रेम की आंखें भी नम हो चुकी होती है

प्रेम मैं तुमसे मिलने वाली थी । पुजा की दो दिन बाद सादी होने वाली है । तुमने उसे ठोकरा कर अच्छा नहीं किया।

प्रेम पुजा तुमसे सच में प्यार करती है । बेचारी वह पहले से दुखी रहती थी और तुमने उसे और भी दुखी कर दिया । उसके कीसमत में बह रोना ही लीखा है सायद। उसके मां बाप जीनदा होते तो वह इतना दुखी नहीं होती ।

मोहिनी बोलती हूई खुद दुखी हो जाती है ।

मोहिनी उसका फोन नंबर है तो दो । मैं बोल पड़ा

मोहिनी ।। पुजा का नंबर बंद आ रहा है ।। पुजा काहा है मुझे नहीं पता ।। उस रात पुजा रुम पर जाकर रात भर रोती रही और सुबह उसके चाचा आकर ले गये । प्रेम भगवान के लिए पुजा को अपना लो ।।

मोहिनी की बात सुनकर मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था । मैं खुद से सरमींदा महसूस कर रहा था वहां प्रेम की आंखों में आंसू आ गए होते है। तभी मेरा फोन बजने लगता है ।

हेलो प्रेम तूमहारी मां की हालत बहुत सीरियस है। वह तूमेह बहुत याद कर रही है । तुम जीतनी जल्दी हो सके घर आ जाव । मैं जैसे ही फोन उठाया दुसरी तरफ से ये आवाज़ आई

मेरा तो सर ही चकरा गया मैं एक नजर प्रेम की तरफ देखा। जो प्रेम पूजा के लिए बहुत दुखी होता है । प्रेम तेरी मां

मैं प्रेम को देखते हुए बोला । क्या हुआ मेरी मां को कीसका फोन था बाता नं अजय । प्रेम बहुत ही बेचैन होकर पुछा और फोन लेकर उसी नंबर पर फोन लगा कर बात करने लगा

प्रेम फोन रखते ही मां पुकार कर कौलेज से भाग पड़ता है

मोहीनी please पुजा की कोई भी जानकारी मीले तो मुझे बाताना मैं ये गम लेकर नही जीना चाहता के मैंने दो प्यार करने वालों को अलग कर दिया । मैं दुखी मन से कहा

अजये मुझे पुजा के बारे में ज्यादा तो कूछ नही जानती मगर मुझे इतना पता है पुजा सीलमपुर की रहने वाली है और उसके मां बाप अब इस दुनिया में नहीं है वह अपने चाचा चाची के साथ रहती है जो उनके साथ पूजा कभी खुस नही रहती है । अजये मैं इतना तो जानती हूं पुजा कीसी के साथ खुश रह सकती है तो वह प्रेम है

मोहिनी इतना बोल कर चली गई और मैं भी रूम की तरफ भागा और एक दोस्त के पास फोन कर के फ्लाईट की टीकट बनवाया कीयुकि मुझे पता था प्रेम के पास अभी पैसे नहीं है

प्रेम चीनता मत कर आंटी अच्छी होनगी ।। प्रेम ये फ्लाईट की टीकट है जल्दी जा मैं प्रेम को टिकट देते हुए कहा

वही प्रेम बस मुझसे गले लग गया । मां के थीक होते ही जल्दी आना भाई । पुजा कहा है मैं पाता करता हूं

प्रेम बस मुझे भींगी आंखों से देख कर चला गया

प्रेम के जाने के बाद मैंने पूजा के गांव जाकर पाता किया तो पता चला पुजा काहा है उन्हें नही पता जब मैंने पूजा के चाचा और चाची के बारे में पता कीया तो पता चला उनकी एक कार दुर्घटना में मौत हो चुकी है

मै नीरास होकर घर आ गया इसी तरह दीन नीकलते गये मगर मुझे पुजा के बारे में कुछ पता नही चला प्रेम भी घर जाने के बाद आया नही मगर प्रेम हर रात फोन कर के पुजा के बारे में पूछता था और मैं बस चुप हो जाता था ।

संगीता प्रेम आज भी फोन करके पुजा के बारे में मुझसे पूछता है ।और मैं नही मीली येही बोलता हूं ।

संगीता मैंने दो प्यार करने वाले को अपनी बेवकुफि की वजह से अलग कर दिया । संगीता मैं जब भी संगीता और प्रेम के बारे में सोचता हूं। मैं खुद से सरमींदा हो जाता हूं

काश मुझे मेरी गलती सुधारने का एक मोकका मिल जाता और मूझे पुजा मील जाती ‌।। संगीता देखो कितनी खूबसूरत है पुजा ।। मेरा दोस्त भी काभी हेंडसम है

अजये फोन में प्रेम और पुजा की फोटो संगीता को देखाने लगता है

मैं आप की गलती को सुधारोंगी अजये । मैं आप की गलती सुधारोंगी

संगीता अपने यादों से बाहर आकर बोलती है

संगीता अपने आंखों से आंसू पोंछ कर अपने बच्चों के पास चली जाती है और अपनी आंखें बंद कर लेती है
::::::::::::::
अगली सुबह 6 :pm सहर से थोड़ी दूर

ॐ। ॐ। ॐ । ॐ नमः शिवाय

वये मरना है क्या तुझे । आज कल के बच्चे भी नं ।। एक 50 से 55 साल के एक औरत बोलती है

मांफ करना दादी अम्मा ।। वहीं एक लड़का बोलता है

दरअसल ॐ नमः शिवाय की आवाज जैसे ही उस लड़के के कानों में जाती है वह लड़का चलती हुई ओटो से उतर जाता है ईस लिए वह औरत बोलती है

वह लड़का ओटो से उतर कर आवाज सूनते हुए एक पहाड़ पर चढ़ने लगता है

आहहहह कीतनी ऊंची थी ये परबत । वह लड़का पहाड़ पर चढ़ने के बाद कहता है ।

ॐ ॐ ॐ ॐ नमः शिवाय ।।।

वाह वाह वाह वाह आपा आप ने मेरा दीन बना दिया

आपा आप की आवाज बीलकुल मेरी काकी मां की तरह है वह भी आप की तरह ही सुबह सुबह ॐ नमः शिवाय का जप करती थी ।। और मैं बस उनके बगल में बैठ कर सुनता रहता था ।।। कास वह ऊपरवाले की पेयारी ना होती

आपा आप मुझे इस तरह कीयु देख रही है

वोहहहह । आप मुझे नहीं जानती है ईस लिए

Hiii I AM Rahim । आप का क्या नाम है

वह लड़की कुछ बोले बीना ही चली जाती है

आपा आपा आपा

रहीम लड़की को पुकारता रहता है मगर लड़की बिना कुछ बोले चली जाती है

लगता है आपा को मेरी सकल अच्छी नहीं लगी । रहीम मन में सोचता है और पहाड़ी से नीचे उतर जाता है

रहीम फिर से सड़क पर आकर ओटो में बैठ जाता है ।

रहीम ओटो से उतर कर एक घर के आगे बैठ जाता है ।

मां मां एक अंकल बाहर बैठे है । संगीता से उसके छोटा लड़का कहता है ।

अजये भाई घर पर हों कया

संगीता कुछ अपने बेटे से बोलती उसके पहले ही रहीम बोल पड़ता है जो संगीता बाहर आ जाती है ।

संगीता :: कवन हो आप

रहीम :: भाभी जी । मेरा नाम रहीम है । अजये भाई घर पर नही है क्या

अंकल पापा तो भगवान जी के पास चले गये । मुझे भाइया और मां को छोड़कर ।

संगीता रहीम के बातों का जवाब देती उसके पहले ही संगीता का छोटा लड़का बोल पड़ता है जो संगीता अपने बेटे को गोद में उठा कर सीने से लगा लेती है ।

वहहहहह । मांफ करना भाभी जी मुझे मालूम नहीं था

रहीम हाथ जोड़ते हुए दुखी स्वर में बोलता है

संगीता :: कोई बात नही । आप अजये को कैसे जानते है

रहीम :: कौलेज से । भाभी जी थोड़ा पानी मीलेगा क्या

जी अभी लाई । संगीता बोल कर घर में चली जाती है

वही संगीता के घर के अंदर जाते ही रहीम कीसि को फोन से massage करने लगता है जो उधर से भी massage आने लगते है मगर संगीता की आने की आवाज सुनकर रहीम फोन बंद कर देता है

संगीता रहीम को पानी देकर वही खड़ी हो जाती है

रहीम :: सुकरीया भाभी जी । भाभी जी मैं ये नही कहूंगा के अजये भाई मेरा कौलेज के दोस्त थे । लेकिन वह मुझसे। जब भी मीलते थे अच्छे से बात करते था जो मुझे बहुत अच्छा लगता था उनका बेहवार। अच्छा भाभी जी मैं चलता हूं। भाभी जी आप को कोई भी मदद की जरूरत हो तो मुझे बाता सकती है । मैं कुछ दीन येही बगल वाले रुम में रहने वाला हूं ।

मां आज भी खाना नही है ना । मां मुझे भुख लगी है । संगीता का छोटा लड़का संगीता की गालों को छुता हुवा मासुमियत से बोलता है

अपने बेटे की बात सुनकर कर संगीता की चेहरे पर एक बेबसी सी छा जाती है । संगीता अपने बेटे को सीने में दबा लेती है ।

मैं तुम दोनों को भुखा नही रहने दुंगी । मेरे बच्चों । भुखा नही रहने दुंगी

संगीता अपने बेटे को सीने में दबा कर मन में रोती हुई सोचती है । अमर जाकर भाई के साथ जाकर खेलो में अभी। खाना लेकर आती हूं ।

संगीता अपने बेटे अमर को गोद से नीचे उतार कर बोलती है ।

मां जल्दी आना please । घर के अंदर जाने से पहले मुड़कर अमर बोल पड़ता है ।

संगीता बस अपने बेटे को देखकर फींकी मुस्कान से हंस कर थीक है बोल देती है

संगीता उस चाची के घर के पास जैसे ही जाती है संगीता की चेहरे पर उदासी आ जाती है

चाची तो घर पर नही है वह कहा चली गई । चाची रहती तो उनका खाना बना कर चाची से थोड़ा खाना मांग भी लेती । हे भगवान अब मैं क्या करूं । मेरे दोनों बच्चे भुखे है ।

संगीता भींगी आंखों के साथ घर आ जाती है ।

मां बहुत जोर की भुख लगी है । मां जल्दी दो ना खाना

संगीता के घर आते ही अमर उसके पास भागकर आता है और बोल पड़ता है । वहीं संगीता बस साड़ी की पललु को मुंह पर रखकर घुम जाती है । संगीता की आंखों से आंसू गीरने लगती है। संगीता एक रोती हुई बैठ जाती है

मां आप मत रोईये । हमें भुख नही लगी है । छोटे भुख नही लगी है ना तुमको ।

संगीता का बड़ा बेटा संगीता के पास बैठकर बोलता है और संगीता की आंखों से बहती हुई आंसू पोंछ लेता है।

संगीता तड़प कर अपने दोनों बच्चों को सीने से लगा लेती है

अजये मुझे माफ करना । ममम मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं । मैं अपनी सारी जीवन बस तुम्हें ही याद कर के बीताना चाहती थी। मगर ये जालीम दुनिया के लोग

मम्म मैं अपने बच्चों को और भुख से तड़पने नही दुंगी । चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े

संगीता मन में सोचकर दोनों बच्चों से अलग हो जाती है ।

अमीत बेटा मैं अभी खाना लेकर आती हूं । तुम अपने छोटे भाई का ख्याल रखना । संगीता बस इतना बोलकर घर से निकले जाती है

दीन के 11: 30pm हो रहे होते है संगीता कड़ी धूप में एक सुनसान सड़क पर खड़ी होती है संगीता की आंखों से अनमोल आंसू खूबसूरत चेहरे से रूक नहीं रहे होते है

अरे संगीता जी येहा क्या कर रही है । संगीता को सड़क पर देखकर एक आदमी थीक सामने गाड़ी रोक कर बोलता है ।

वही संगीता उस आदमी को देखकर घबराने लगती है ।

संगीता जी ।

मुझे मंजूर है । बस मुझे वह नोकरी दीलवा दिजीये । उस आदमी से पहले ही संगीता अपनी नजरें चुराती हुई बोल पड़ती है

अहहहह । चलो आखीर साली मान ही गई । इसकी भरी जवानी की रस तो मैं चूस चूस कर पीयुंगा । वह आदमी मन में सोचता है

थीक है फिर चलो गाडिं में बैठो । वह आदमी गाडीं का गेट खोलते हुए कहता है ।

आज नही । अभी मेरे बच्चे भुखे है । Please कूछ पैसे मुझे दे दो । संगीता रोती हुई बोलती है ।

वहहहहह । ये क्या बोल रही है संगीता जी । जीन बच्चों की इतनी खूबसूरत मां है वह भुखे कैसे हो सकते है । संगीता जी जल्दी गाडिं में बैठीये में आपको मार्केट से कुछ खाना अभी दीलवा देता हूं

वह आदमी बोलता है।

संगीता हीचकीचाते हुए गाडीं में बैठ जाती है । वह आदमी रासते भर संगीता की जीसम को छुता रहता है और संगीता बस आंसू बहा रही होती है। लेकिन गाडिं जल्द ही मार्केट में चली जाती है ।

मेरे बच्चे

वह आदमी संगीता को कुछ पैसे देता है । संगीता की हांथो में पैसे जैसे ही आते है संगीता पैसे देखकर और भी रोने लगती है मगर संगीता अपने बेटे को याद करते हुए जल्दी से गाड़ी से उतर कर एक दोकान की तरफ भागती हैं और एक दोकान से खाने का सामान लेकर घर कि तरफ तेजी से चल पड़ती है ।

संगीता खाना लेकर खूसी से घर जा रही होती है उसके साथ थोडीं देर पहले क्या हुआ था संगीता वह भी भुल चुकी होती है । संगीता को बस ये बात से खुशी हो रही होती है के वह आज कई दिनों के बाद अपने बेटों को भर पेट खाना खीलायेगी मगर संगीता की ये खूशी बस घर जाने तक ही मीलती है। कीयूकी संगीता जैसे ही घर जाती है उसके दोनों बच्चे घर पर नही होते है संगीता अपने बेटों को जब घर में नही देखती है तो संगीता का दील मचल जाता है संगीता अपने छोटे बेटे को पुकारती हुई घर के बाहर भागती है

संगीता रोती हुई अपनी गली में अमर और अमीत पुकारने लगती है मगर वह दोनों उसके पास नहीं आते हैं संगीता की सांसें फुलने लगती है संगीता हांफती हुई एक जगह बैठ जाती है

आंटी अमर भाई को अमीत भईया मार्केट कि तरफ लेकर गये है आंटी अमर भाई बहुत रो रहा था । आंटी अमर भाई को बहुत भुख भी लगी थी आप ने उन्हें खाना कियू नही दिया । एक अमर की ही उम्र की लड़की संगीता से बोलती है

उस लड़की की बात सुनकर संगीता की दील जल उठती है संगीता उस लड़की से कुछ बोले ही मार्केट की तरफ तड़पती हुई भागती है

आंटी आंटी अमर एक गाड़ी से टकरा गया है आप जल्दी चलीये ।

संगीता रोती बिलखती हूई अपने बेटों को पुकार रही होती है तभी मार्केट के तरफ से भागता हुआ एक लड़का आकर बोलता है

अमर मेरे लाल । संगीता चीखती हुई सड़क पर गीर पड़ती है संगीता के गीरने से संगीता की पैर छील जाती है मगर संगीता अपने दर्द का प्रवाह नही करती और फिर से उठ कर अपने बेटे के पास उस लड़के के साथ भाग पड़ती है

संगीता अपने बेटे के पास जाती जैसे ही जाती है वाहा एक Ambulance भी आ जाती है संगीता जल्दी से अमर को लेकर Ambulance में बैठ जाती है

आंखें खोलो मेरे लाल । मैं तुझे कुछ नही होने दूंगी आआआआआ हहहं मेरे लाल । संगीता अमर को घायल अवस्था में अपने गोद में लिए हुए बोल रही होती है। Ambulance कुछ ही समय में Hospital पहूंच जाती है

Hospital जाते ही अमर को भर्ती कर लेते है । वही संगीता और अमीत गेट के बाहर बैठे कर रोते जा रहे होते है

संगीता बैठि हूई कांप रही होती हैं संगीता अमर को अपनी गोद में लेकर अपना सर दीवार में सटा कर उपर की तरफ देखने लगती है संगीता की आंखों से अचानक आंसू भी बहना बंद हो जाती है । जैसे संगीता की आंखों में अब कोई आंसू ही नही बचा हो संगीता एक बेबस बेजान लास की तरफ दीवार में सटी रह जाती है

मेम मेम ।। अमर मेरा अमर कहा है बहन मेरा अमर थीक है ना

संगीता की चेहरे पर जैसे ही पानी की बुंदे जाती है संगीता बोलने लगती है

मेम अभी तो आप का बेटा खतरे से बाहर है मगर

मेम जल्द से जल्द उसका आपरेशन नही हूवा तो उसे बचाना भी मुश्किल हो जायेगा । आप अभी पचास हजार रुपए जामा कीजिए ताकि हम आपरेशन कर सके ।

वह नर्स बोलती उसके पहले ही Dr बोल पड़ता है ।

मममममम में अभी जामा कर दुंगी भगवान के लिए मेरे लाल को बचा लीजिए Dr साहब । मैं आप की पैर पड़ती हूं । बचा लीजिए मेरे लाल को

पचास हजार रुपए का नाम सूनकर ही संगीता की होस उड़ जाते हैं संगीता लड़खड़ाती हुई बोलती है और उस Dr के पैर पकड़ लेती है ।

पहले पैसे जमा किजीये । अभी पैसे नही है तो जीतना जल्दी हो सके पैसो का इंतेजाम किजिए । नर्स जब तक ये पैसे जमा ही करती है तब तक के लीये ईनके बेटे को दुसरे रूम ले जाव । Dr बोलता है

Dr साहब भगवान के लिए अयेसा मत किजिए मम मैं पैसो का इंतेजाम कर लूंगी आप मेरे बेटे का इलाज कीजिए वरना

वरना आप का बेटा मर जायेगा । आप नही चाहती आप का बेटा मरे तो पैसों का इंतेजाम किजिए । मूझे कोई फर्क नही पड़ता आप का बेटा मरे या जीये‌ तो जल्दी से पैसों का इंतजाम किजिए।

तु Dr ही है या दल्ला । बार बार सीरफ पैसों कि बातें कर रहा है ।

अगर उस बच्चे को कुछ भी हुआ तो तूझे इसी Hospital से नीचे फेंक दुंगा।

वह Dr बोल कर जाने ही वाला होता है तभी एक लड़के कि कड़क आवाज गूंज पड़ता है

इसको मैं जानती हूं । कुछ दिन पहले ही news देखी थी ये कीसी कम्पनी के CEO बने हैं । क्या नाम बताया था। एक पीछे खड़ी लड़की बोल पड़ती है ।

मांस करना सर मुझे नहीं मालूम था ये आप की पहचान की है

ये मेरी पहचान की नही ये मेरी भाभी मां जैसी है । वह लड़का Dr के बीलकूल सामने खड़ा होकर Dr को घुरता हूआ बोल पड़ता है ।

Sorry मेम

नर्स जलदी आपरेशन की तैयारी करो

Dr संगीता को Sorry बोलकर आपरेशन करने की तैयारी करने को नर्स से बोलकर चला जाता है

वही संगीता बस सामने खडे़ लड़के को देखती रहती है संगीता उस लड़के को ईस तरह देख रही होती है जैसे वह एक इन्सान नहीं कोई भगवान हो

बहुत सूकरीया भईया मैं जीवन भर आप की इस एहसान को नही भुलूंगी । नही भुलुंगी भईया । संगीता लड़के के सामने हांथ जोड़े रोती हुई लड़के के कदमों में बैठ जाती है

ये क्या कर रही है संगीता भाभी । अयेसा करके आप मुझे अपने से पराया कर रही है भाभी उठ जाईये ।

सायद अजये ने आप को मेरे बारे में कुछ नही बाताया हो। मगर आप के बारे में मुझे सब कुछ बताया है। भाभी मेरा नाम प्रेम है ।

तूम प्रेम हो । संगीता की चेहरे पर थोड़ी खुशी आ जाती है और संगीता प्रेम को हैरानी से देखने लगती है ।

हा भाभी मैं ही प्रेम हूं जो बुरे समये के चलते अपने भाई जैसे दोस्त से अलग हो गया था । प्रेम कूछ सोचते हुए बोलता है

भाई मीटिंग के लिए कब से फोन आ रहा है । क्या बोलूं । पीछे से एक लड़के की आवाज आती जो संगीता उस लड़के को देखने लगती है ।

भाभी वह रहीम है उसे मैंने ही आप के पास भेजा था । रहीम ने मुझे सब बता दिया है अजये के बारे में । प्रेम बोलता है
:::::::::
वही सहर से काफी दूर एक पहाड़ी की तरफ एक बुढ़े साधु आदमी जा रहा होता है तभी एक लड़की भागती हुई उस बूढ़े साधु को दीखाइ देती है ।

ये लड़की मेरी नही सुनने वाली है । वह बूढ़े साधु मन में बोलते हुए मुस्कुरा देता है

बाबा इतनी देर कियू कर दिये । सामान मुझे दीजिए । वह लड़की बोलती है और बूढ़े साधु से सामान ले लेती है और उस बूढ़े साधु के साथ चलने लगती है

बेटी तुमने कहा था मेरे मरने से पहले तुम मेरी आखरी खवाईस पुरी करोगी । बूढ़े साधु बोलता है

वही वह लड़की एक वक़्त के लिए चुप हो जाती है ।

बाबा आप को कुछ नहीं होगा आप भगवान के लिए अयेसा मत बोलीये । बाबा आप येही चाहते है मैं येहा से चली ‌जाऊ तो थीक है । मैं चली जाऊंगी वह लड़की आंखों से आंसू पोछते हूऐ झोपड़ी में भाग जाती है

पगली अभी तो रही है मगर जब उस लड़के से तेरी सादी हो जायेगी तो मुझे येकिन है जो तेरे दिल में लड़का है उसे भूल जायेगी । बूढ़े साधु मन में सोचता है

वह लड़की झरने के पास बैठी हुई होती है और पहाड़ से गीर रहे पानी को देखने लगती है और यादों में खो जाती है

तुम्हारे पीता बहुत अच्छे इंसान थे । बेटी दील लगा कर पढ़ाई करना चलो अब तूम अपने क्लास मे जाव सामने बैठा पिरींसपल बोलते है मगर वह लड़की पिरींसपल की बात ना सूनकर सीसे से बाहर एक लड़के को देख रही होती है ।

पुजा जाओ । पिरींसपल फिर बोलते है तो पुजा ओफीस रुम से नीकल जाती है

पुजा ओफीस रुम से नीकल कर फीर से उस लड़के को देखती हुई क्लास रूम में चली जाती है । पुजा क्लास में जाकर बैठि हुई होती है तभी वह लड़का क्लास में आता है और आगे सीट पर ही बैठ जाता है जो पुजा की नजर बार बार उस लड़के पर पड़ती रहती है । क्लास में ही पुजा को पाता चलता है उस लड़के का नाम प्रेम है। क्लास खत्म होने के बाद भी पुजा की आंखें प्रेम को ढूंढ रही होती है मगर प्रेम नजर नही आता है। उस दिन के बाद पुजा हर दिन कौलेज आकर प्रेम को दुर से देखती मगर उसके पास नहीं जाती है और जीस समये पुजा प्रेम के पास जाकर बात करने की सोचती प्रेम कौलेज से पहले ही चला जाता । मगर एक दिन पुजा प्रेम को कौलेज के ग्राउंड में पढ़ते हुए देखती है और उसके पास चली जाती है । पुजा प्रेम के पास जैसे ही जाती है उस प्रेम को अपने आप को एक टक देखती हुई पाकर पुजा थोड़ी मस्ती करने की सोचती है ।
और पुजा अपने दोस्तों को बुला लेती है जो पुजा के दोस्त सब प्रेम से कुछ ज्यादा ही मस्ती करने लगते है जो पुजा प्रेम से ज्यादा खुद सरमींदगी महसूस करने लगती है उस वक़्त प्रेम तो चला जाता है मगर पुजा कुछ समय तक वहीं खडी़ होकर प्रेम को देखती रहती है ।

पुजा ज्यादा मत सोच वह अच्छा लड़का है उसे जब पाता चलेगा तुमने बस मस्ती कि है तो तुझे मांफ कर देगा । पुजा की दोस्त मोहिनी कहती है जो पुजा के साथ रूम में बैठी हुई होती है और पुजा उसे बता चुकी होती है । मैं प्रेम से प्यार करती हूं । मैं कीतनी बदकिस्मती हूं मोहिनी जीस समये मुझे मां और पापा का प्यार चाहिए था वह दोनों मुझे अकेला छोड़कर चले गए । चाचा चाची बस दौलत के लिए मुझे प्यार कर रहे है। मुझे बचपन से प्यार नही मिला मोहिनी । जब मैंनै प्रेम को पहली बार देखी तो मेरे चेहरे पर अपने आप मुस्कान आ गई और मेरे दिल में एक मीठा सा एहसास हुआ जो पहली बार मेरे साथ हुआ था मुझे प्रेम बहुत अच्छा लगता है मोहीनी मगर मैनै खुद ही । पुजा बस इतना बोलकर रोती हुई मोहिनी के गले लग जाती है ।

पुजा उस दिन के बाद प्रेम से नजर भी नहीं मीला पा रही होती है लेकिन एक दिन पुजा हीमम्त कर के प्रेम के रुम पर चली जाती है और पुजा रुम में जाती उसके पहले ही पुजा को प्रेम और अजये की बातें सुनाई देती है जो पुजा रूम में ना जाकर छीप जाती है और प्रेम और अजये का पीछा करते हुए दोकान तक पहुंच जाती है और प्रेम को दुर से देखती रहती है तभी पुजा की नजर प्रेम के हाथ में खुद की पसंद की हुई गिफ्ट पर जाती है । पुजा प्रेम के हांथ में खुद की पसंद की हुई गिफ्ट देख कर पुजा को इतनी खुशी होती है के पुजा वह प्रेम के करीब पहुंच जाती है मगर तभी पुजा के कानों में दोकनदार की आवाज आती है और पुजा घबरा जाती है और वाहा से चली जाती है

पूजा एक जगह खड़ी होकर फुल रही सांसें को काबू करने लगती है । तूमेह वह पसंद है ना वह तूमहारे लीये ही लेने वाली थी । तुम अपनी मां से बहुत प्यार करते हो ना । पुजा मन में सोचती है और उस दोकानदार के पास फोन लगा देती है

हेलो भाई वह गिफ्ट उस लड़के को दे दीजिए और उसके पैसे बहुत कम लेना बाकी पैसे मैं दे दूंगी । और हां भाइयों गिफ्ट तभी देना जब उस लड़के का दुसरा साथी आ जाये । पुजा इतना बोल कर फोन रख देती है ।

पुजा अभी नदी के किनारे खड़ी होती है पूजा की सांसें जोर जोर से चल रही होती है पुजा की जीसम पसीने से भींगी हूई होती है । अयेसा लग रहा होता है जैसे पुजा बहुत समय से भागती हुई आई हो पुजा की आंखें आंसुओं से भरी हुई होती हैं पुजा मां मां पुकार कर बहुत ही दर्द में रो रही होती है । पुजा को आज अपनी मां की कमी बहुत सता रही होती है ।
प्रेम मुझे नही पता तूम मुझसे प्यार करते हो या नही मगर मैं तूमसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूं । प्रेम मैं तूमहारे सीवा किसी को अपने दिल में जगह नही दे सकती हूं । प्रेम सायद मैं तुम्हारे साथ जी नही सकती हूं । आआआआआआआआआआआ
पुजा की आहहहहह रात की अंधेरे में गुंज पड़ती है
कू कू कू कू

कोयल की आवाज सुनकर पुजा यादों से बाहर आ जाती है पूजा की आंखों से आंसू तो नही निकल रही होती है मगर पुजा कि चेहरे भाता रहे होते है पुजा कीतनी दर्द में है

पुजा मुझे पाता तू सादी नही करना चाहती तो बाबा को माना कर दे । पुजा बाबा कवन होते है तेरी जींदगी के फैसला करने वाले। पुजा बाबा को माना कर दे । नही पुजा बाबा बस तूझे खुश देखना चाहते है । पुजा अयेसा मत कर । पुजा मत भूल‌ तूझे बाबा ने ही बचाया है । पुजा की दीमाग में ये सभी बातें चल रही होती है । पुजा झरने के पास से उठ कर गुम सुम सी चल देती है
:::::
प्रेम संगीता और उसके बेटे को एक पल के लिए भी अकेला नही छोड़ता है जैसे संगीत की सच में प्रेम देवर ही है प्रेम का प्यार अपनापन देखकर संगीता बहुत खुश होती । दीन बीतता है और एक दिन संगीता अपने बेटे को Hospital से लेकर घर आ जाती है जो सारा पैसा प्रेम देता है

प्रेम आखीर तूमने अपनी मां की आखरी इच्छा पूरी कर ही दिया बाड़ा आदमी बनकर । प्रेम तुम्हें इस हालत में देखकर आंटी की आत्मा को शांति मील रही होगी ।

भाभी मां साथ होती तो । प्रेम अपनी मां को याद करते हुए बोलता है ।

प्रेम भगवान की सायद येही मर्जी था । हर इन्सान को हर खुशी नही मीलती और जीसी मीलती है ज्यादा दिन तक नहीं रहती । संगीता दुखी होते हुवे बोलती है ।।

भाभी सच कहा आपने । सायद हमहारे पास आज मां और अजये होते । प्रेम अपनी मां और दोस्त अजये को याद करते हुए बोलता है ।

मां पानी दो ना प्यास लगी है। अमर बोलता है संगीता अपने बेटे के लिए पानी लेने चली जाती है ।

रहीम क्या हुआ इस तरह मुझे कियू देख रहा है । खुद को घुरते हुवे देखकर प्रेम बोलता है ।

भाई सोच राहा हुं । तूमने इतनी खूबसूरत खूबसूरत लड़कियों की सादि से इंकार करते रहे और तूमने येहा तक कहा था के तूमेह सादी ही नहीं करनी है फिर बीना देखी हुई लड़की से शादी करने के लिए राजी कैसे हो गये । भाई सदी करनी थी तो मुझेसे बोलते मैं भी एक लड़की को देखा है

वह लड़की तो उन सभी लड़कियों से भी ज्यादा खूबसूरत थी । रहीम नाराजगी से बोलता है । जो प्रेम बस मुस्कुरा कर रहिम को गले लगा लेता है
::::::
पुजा आखीर बाबा के खातीर सादी के लिए मान ही जाती है पुजा लाल जोड़े में बैठी बस सीसक रही होती है । पुजा की दील की धड़कन रूक रूक कर चल रही होती है । पुजा सादी के लिए मान तो गई होती है मगर पुजा को बस प्रेम ही याद आ रहा होता है ।

प्रेम तुम्हारे दिल में मेरे लिए जारा भी प्यार नही ।प्रेम तूम कहा हो भगवान के लिए मेरे पास आ जाव । मेरा दिल ❤️ बहुत जल रही है । प्रेम मुझे मांफ कर देना जो मैं तूमहारे पास नहीं आई । प्रेम मैं कैसे तूमहारे पास आती तूमने तो मेरे प्यार पर यकीन ही नही किया । प्रेम Please मेरे पास आ जाव ।

प्रेम प्रेम प्रेम प्रेम

झोपड़ी मैं सादी के जोड़ में बैठी पुजा तड़प तड़प कर रोती हुई प्रेम को बस याद कर रही होती और फिर प्रेम का नाम ही बस लेने लगती है ।

पूजा बेटी । बाबा कि आवाज सुनकर पुजा चुप हो जाती है

पुजा देखो कवन‌ आया है तूमेह लेने के लिए । बाबा झोपड़ी के अंदर आते हुए कहते है और बाबा के पीछे एक औरत भी आती है ।

बेटी तूम पुजा बेटी को लेकर आव । बाबा उस औरत से बोल कर चले जाते है ।

बहन तूम बहुत तकदीर वाली हो जो तूमेह मेरे देवर जैसा पती मील रहा है। बहन तुम्हारा हर दिन रात खुशी से बीतेगा । बहन मेरा देवर तूमेह बहुत प्यार करेगा

वह औरत खूश होकर बोलती है और पुजा की हाथ पकड़ कर उठा देती है ।

पुजा सून तेरा हर दिन रात खुशी से कतेगी । पुजा हर रात कोई तेरी कपड़े उतारेगा । पुजा कल से तु कीसी के बाहों में रात गुजारेगी । पुजा हर रात कोई तेरी जीसम को मसलेगा । पुजा तू खुश रहेगी । पुजा तेरा पति तुझे इतना प्यार करेगा के तू अपने प्रेम को भुल जायेगी ।

आआआआआआआआआआआ नननननहहहहहहहहहहहहहहही

पुजा की दीमाग में ये सारी बातें चल रही होती है तभी पुजा चीखती हुई अचानक गीर जाती है

पुजा की अभी आंखें बंद होती है और पुजा की आंखों से आंसू बह रही होती है ।

प्रेम तुममम आ गये

पुजा आंखें खोलती ही बोल पड़ती है । पुजा की चेहरे पर एक अलग ही खूशी आ जाती है जो पुजा की आंखों से आंसू मगर चेहरे पर मुस्कान छा जाती है । पुजा बस मासुमियत से प्रेम को देखती रहती है

I Love you I Love you

प्रेम जैसे ही पुजा की आंखों से गीरती हूई आंसू पोंछने के लिए पुजा की और करीब जाता है पुजा झट से प्रेम से लीपट जाती है और प्रेम को पूरी तरह अपनी बाहों में भर कर I Love you I Love you बोलने लगती है ।

Please मुझे छोड़कर मत जाओ Please । प्रेम पुजा से अलग होने को होता है तभी पुजा प्रेम को और मजबूती से पकड़ कर बोलती है ।

अब नही जाउंगा । प्रेम इतना बोलकर पुजा को बाहों में भर लेता है
:::::

रहीम क्या सोच रहा है तु खुशी नही है प्रेम की सादी से । संगीत रहीम को थोड़ा उदास देखती है तो बोलती है ।

भाभी जी आप क्या बोल रही है । मैं बहुत खुश हूं । मगर भाभी मुझे एक बात समझ नहीं आ रहा प्रेम सादी के लिए मान कैसे गया ।

वहहह ये बात तुझे परेशान कर रही है । तो सून दरासल प्रेम और पुजा एक दूसरे से प्यार करते हैं । उस दिन Hospital में वह बाबा मूझे मीले थे और बाबा प्रेम को बहुत ही ध्यान से देख रहे थे और बार बार अपना फोन देख रहे थे तभी मेरी नज़र फोन पर दिख रही लड़की पर नजर चली जाती है ।

बाबा ये पुजा है ना । मैं बाबा से बोल पड़ी जो बाबा मुझे हैरानी से देखने लगे ।

हा बेटी । मगर तुम

बाबा मैं पुजा से कभी मीली तो नही हुं । मगर मुझे इतना पता है ये पुजा है और प्रेम से प्यार करती है

मेरी बात सुनकर बाबा प्रेम की तरफ देखने लगे । मैं कुछ समझा नहीं बेटी । बाबा हैरानी से बोले । मैंने प्रेम और पुजा की बातें बाबा को बता दिया । मेरी बात सुनकर बाबा बहुत खुश हो गयेक्

बेटी क्या प्रेम ने सादि कर लिया । बाबा प्रेम की तरफ देखते हुए बोले । नही बाबा प्रेम ने अभी सादी नही कीया । क्या पुजा ने

नही बेटी मैं उसके लिए लड़का देख राहा हुं । बाबा मैं प्रेम से बात कर लुंगी । आप पुजा को भी मत बताना ।

और मेरी बात बाबा मान गये और मैंने प्रेम को पुजा के बारे में बताया तो प्रेम भी बहुत खुश हो गया चल अब फेरे होने वाले । संगीता रहीम को साथ आने को बोलती है ।

आआपपपपपा । मेरा नाम पुजा है

रहीम जैसे ही पूजा को देखता है बोल पड़ता है । वहीं पूजा भी बोलकर हंस दती है जो साथ में और सब भी हंस दते है
The
Kahani mujhe bahot ajeeb lagi. Agar kahani prem aur puja ke pyaar ki kahani thi toh Sangeeta ko leke itna kyo likhaa. Uski jarurat hi kyaaa thi. Aadhi kahani toh Sangeeta aur uske dukh ko lekar hi chali gayi.

Dusri baat Puja ke saath aisa kya hua jo woh uss pahad mein aagayi. Puja uss pahadi mein kaise aayi. Usse woh baba kaise mile. Uss baba ne puja ko kaise aur kisse bachaya. Puja ki toh 2 din mein shaadi thi ohir wih shaadi kaise tooti issbaare mein kuch nhi bataya gaya.

Woh baba kaun thaa. Woh hospital kaise aaya aur kyaa karne aaya tha. Iske baare mein bhi kuch nhi pata.

Kahani ke starting mein hi garbar start hogyi. Ek hi chiz 3-4 baar copy paste hogyi. Kahani mein mein bahot saare spelling mistake the jis wajah se padhne mein bhi dikkate aarahi thi.
 

SultanTipu40

🐬🐬🐬🐬🐬🐬🐬
Prime
14,872
19,761
229
Kahani mujhe bahot ajeeb lagi. Agar kahani prem aur puja ke pyaar ki kahani thi toh Sangeeta ko leke itna kyo likhaa. Uski jarurat hi kyaaa thi. Aadhi kahani toh Sangeeta aur uske dukh ko lekar hi chali gayi.
Kahani prem our puja ki sirf hoti to sangeeta aati hi nahi our aadhi kahani hi nahi likhata
Dusri baat Puja ke saath aisa kya hua jo woh uss pahad mein aagayi. Puja uss pahadi mein kaise aayi. Usse woh baba kaise mile. Uss baba ne puja ko kaise aur kisse bachaya. Puja ki toh 2 din mein shaadi thi ohir wih shaadi kaise tooti issbaare mein kuch nhi bataya gaya.
Dusri baat Ye kahi bhi nahi likha hai puja pahadi par rahti hai ::: baba ne sirf bachaya hai puja ko Ab itna padha hai to maloom hi hoga puja nadi main kudi thi .... Our kya likha hai samjh main nahi aa raha ... Sayad ju ne spelling mistake kar diya hai
Woh baba kaun thaa. Woh hospital kaise aaya aur kyaa karne aaya tha. Iske baare mein bhi kuch nhi pata. Baba milega to puchh ke batata hun wah hospital kya karne gaya tha .. our wah tha kaun
Kahani ke starting mein hi garbar start hogyi. Ek hi chiz 3-4 baar copy paste hogyi. Kahani mein mein bahot saare spelling mistake the jis wajah se padhne mein bhi dikkate aarahi thi.
:approve: starting main hi gadbad ho gayi
 
Last edited:

deeppreeti

Active Member
1,724
2,399
159
Story- " जब मिले राजकुमारी और कुमार "
Writer- deeppreeti.


कहानी की शुरुआत अच्छी थी। नायक एक नेकदिल इंसान की तरह संत की सेवा किया , उन्हे मीठा फल खिलाया , घायल पंछी के पीछे भागता फिरा , एक राक्षस से राजकुमारी को बचाया। लेकिन बाद मे कहानी शादी-ब्याह के रस्मों- रिवाज के नाम पर सिर्फ फाॅरप्ले सेक्स बनकर रह गया। और वो भी पुरे जनता दरबार के सामने। कुछ रियलिस्टिक जैसा एहसास नही हुआ।

शब्दावली मे त्रुटियां थी। ओरल सेक्स मे कामुकता की कमी थी। और कोई मजबूत कथा भी नही थी।
एवरेज कहानी लगा मुझे।
कहानी पढ़ने और प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,377
24,467
159
वक्त की लुका छिपी

रात के समय अमय अपनी ऑफिस से घर वापस लौट रहा होता है, अमय अपने शहर का एक बहुत ही कामयाब बिजनेसमैन है, पर साथ ही साथ लोग इसे खडूस भी बोलते थे, कारण वो किसी से भी सीधे मुंह बात नही करता था। हालांकि वो शुरू से ऐसा नही था। अपने कॉलेज में उसे जिंदादिल शायद ही कोई होगा, पढ़ाई में भी अच्छा था वो, और हो भी क्यों न, क्योंकि वही एक जरिया था जिससे वो अपने घर के हालतों को सुधार सकता था। अकेली मां का इकलौता लड़का, जिसके पिता की मृत्यु उसके पांचवे जन्मदिन से पहले ही हो गई थी, उसे उसकी मां ने कितने कष्ट से पाला ये उससे बेहतर कोई नही जान सकता था, जीवन में पैसे की अहमियत उसे उसके रिश्तेदारों ने भी अच्छे से समझा दी थी।

यही सब सोचते हुए उसे आगे रोड से कुछ दूर कुछ हलचल सी महसूस होती है, गाड़ी के थोड़ा राइट टर्न लेते ही उसे एक और गाड़ी दिखती है जिससे 4 लोग कुछ बोरी जैसा उतर कर जंगल की तरफ ले जा रहे होते है। अमय को कुछ गडबड लगती है और वो ड्राइवर को गाड़ी रोकने बोलता है, और अपनी गन निकल लेता है। गाड़ी रुकते ही वो जोर से आवाज देता है, "क्या हो रहा है वहां?"

चारो लोग उसे ही देखते हैं, और घबरा कर उस बोरी को छोड़ कर वापस गाड़ी में बैठ कर वापस भागने लगते हैं। अमय के आगे बढ़ने से पहले ही गाड़ी वहां से निकल चुकी होती है, अमय ड्राइवर को टार्च लाने बोलता है, और बोरी की तरफ बढ़ जाता है। तभी ड्राइवर भी टार्च ले कर पास आ जाता है। दोनो मिल कर बोरी खोलते हैं, और उसमे एक लड़की थी, अमय तुरंत उसकी नब्ज़ देखता है और उसमे स्पंदन मिलने पर ड्राइवर से कहता है, "जिंदा है, गाड़ी में डालो जल्दी।" दोनो मिल कर उसको गाड़ी की पिछली सीट पर लेटा देते है, और आगे चल देते हैं।

ड्राइवर अमय को पुलिस को इनफॉर्म करने कहता है, जिसपर अमय मना कर देता है। तभी अमय फोन बजता है।

अमय: हां मां, बस कुछ देर में पहुंच रहा हू। बस जरा एक काम है।

मां: चुपचाप घर आओ, रात के 11 बज रहे हैं, अब कितनी देर जगूंगी मैं?

अमय: पर मां कोई है मेरे साथ।

मां: जो भी है उसे घर ले कर आ।
और फोन कट जाता है, तभी अमय कुछ सोच कर एक फोन लगता है।

अमय: राहुल, भाई एक काम है, मेरे घर आ जा अपना सामान ले कर।

राहुल: क्या हुआ, आंटी तो ठीक हैं ना?

अमय: हां वो सही है, तू आ बस।

राहुल अमय का दोस्त और एक डॉक्टर होता है, जिस पर अमय बहुत भरोसा करता है।

थोड़ी देर में उसकी कर एक बड़े बंगले में प्रवेश करती है, और पीछे से राहुल की कार भी आ जाती है।

राहुल: क्या हुआ है?

अमय उसे कार की ओर ले जाता है। राहुल कार में लड़की को देख कर अमय को घूरता है, तभी ड्राइवर उसे सारी बात बताता है।

राहुल: तो इसे हॉस्पिटल क्यों नही ले गए?

अमय: वहां उसे पुलिस के पास ले जाते, और पुलिस का क्या हाल है तुमको तो पता ही है। मैं नही चाहता की ये किसी मुसीबत में फस जाए, और दूसरा फिर मेरा चक्कर लगने लगेगा पुलिस स्टेशन में बिना मतलब का, होश में आने के बाद इसको जो करना है खुद ही करे।

राहुल: ठीक है, अंदर ले चलो इसको।

अंदर मां (सुमन जी) सबको ऐसे देखते हुए: क्या हुआ बेटे और ये कौन है?

अमय सारी बात बताते हुए एक कमरे में सबको ले जाता है। सुमन जी भी घबरा जाती हैं और मन ही मन उसके होश में आने की प्रार्थना करने लगती हैं।

राहुल उस लड़की का ट्रीटमेंट चालू कर देता है और आधे घंटे बाद वो कहता है कि इसको होश सुबह से पहले नही आ पाएगा, शरीर कमजोर है इसका और किसी ने बहुत जोर से मारा है सर पर। सब बाहर आ जाते है और राहुल अपने हॉस्पिटल से एक नर्स को बुलवा कर रात भर के लिए इस लड़की पास छोड़ देता है।

सुबह अमय ऑफिस के लिए जल्दी निकल जाता है, तब तक उस लड़की को होश नही आया होता है, राहुल जब उसे देखने आता है, तभी उसे होश आता है।

सुमन जी उसके बेड पर बैठ कर उसका सर सहलाते हुए उसका नाम पूछती है, तो वो लड़की आश्चर्य से उनको देखने लगती है। ये देख सुमन जी राहुल की ओर देखती हैं, तो राहुल उस लड़की से फिर से नाम पूछता है।
लड़की: उम्म्म.... मुझे कुछ याद नही आ रहा है!!

ये देख कर राहुल: आंटी इसको हॉस्पिटल लेकर चलना होगा अभी, आप भी आइए, कुछ टेस्ट करने पड़ेंगे।

सुमन जी तैयार होने चली जाती है, तब तक राहुल उस लड़की को नर्स की मदद से अपनी गाड़ी के बैठा देता है, और सुमन जी के आते ही सब हॉस्पिटल चले जाते हैं।

रात को अमय घर लौटता है तो सुमन जी उसे बताती हैं कि वो लड़की अपनी यादाश्त को चुकी है, ये सुन कर अमय सोच में पड़ जाता है। सुबह अमय की नींद एक मीठी आवाज से खुलती है, और वो लड़की उसे उठाने आई हुई होती है, अभी अभी नहा धो कर निकली हुई वो किसी ताजे फूल की तरह खिली हुई होती है।

लड़की: उठिए आपको मां बुला रही हैं।

अमय चौंकते हुए: मां?

लड़की: जी अब मुझे कुछ याद नही और सबसे पहले उनको देखा तो मां जैसी लगी तो मां ही बोल रही हूं।

अमय: चलो मैं आता हूं।

थोड़ी देर बाद अमय तैयार होकर बाहर आता है और सुमन जी के कमरे में जा कर: मां, वो लड़की आपको मां बुला रही थी?

सुमन जी: वो लड़की क्या लगा रखा है, हमने उसका नाम मिली रखा है फिलहाल, और मां बुलाने में की परेशानी है तुझे?

अमय कुछ बोलता नही लेकिन सुमन जी उसकी आंखो को देख कर: बेटा जो हुआ उसे ले कर हर लड़की को वैसा मानना छोड़ दे अब। और बता क्या करना का सोचा है मिली लिए?

(अमय को चांदनी की याद आ जाती है। चांदनी, अमय के साथ पढ़ने वाली कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की, एक ओर जहां पूरा कॉलेज उसके पीछे पागल था, अमय जिसे अपने करियर पर ही ध्यान था, उसे कोई खास भाव नही देता था। जहां अमय को अपनी हैसियत और सपनों को कैसे पूरा करना है वो पता था, चांदनी को अपने हुस्न का इस्तेमाल बखूबी आता था। लेकिन ऐसा नही था की वो चांदनी से नफरत करता था, बस उसे पता था कि चांदनी जैसी लड़की उसके लिए बस ख्याली पुलाव से ज्यादा कुछ नहीं है। खैर दिन ऐसे ही गुजरने लगे और Btech के तीसरे साल आते आते उसकी और चांदनी की कुछ बात होने लगी थी, वो भी सिर्फ पढ़ाई के लिए, फिर कभी कभी वो अकेले ही बैठे होते थे पढ़ते हुए। ऐसे ही एक दिन चांदनी ने अमय को प्रपोज कर दिया। अमय के तो पांव ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उस दिन के बाद बस चांदनी और अमय ही दिखते थे, इसी चक्कर में अमय की पढ़ाई का भी थोड़ा नुकसान होने लगा था, और थर्ड ईयर के रिजल्ट में वो पहले से सीधे तीसरे पर आ गया, और चांदनी का पुराना ब्वॉयफ्रेंड रोहन पहले स्थान पर आ गया था।
उसी समय कैंपस सिलेक्शन हुआ और सबसे अच्छा रिजल्ट होने के कारण रोहन ने सबसे बड़ा पैकेज उठा लिया, अमय को इसका बुरा लगा लेकिन चांदनी के साथ के आगे उसने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसने चांदनी को ढूंढा मगर वो नही मिली, कॉल करने पर उसका फोन बार बार एक रिंग पर काट रहा था। वो पागलों की तरह उसे ढूंढता हुआ कॉलेज के पीछे पहुंचा जहां चांदनी और रोहन उसे किस करते नजर आए, अमय भागते हुए वहां पहुंचा और चांदनी को एक झटके में अपनी तरफ खींचते हुए, "चांदनी, ये क्या कर रही हो तुम?"

चांदनी: अपने प्यार को प्यार ही तो कर रही हूं और क्या?

अमय: मतलब?

तभी रोहन आगे आते हुए: मतलब ये की वो तुमसे कोई प्यार व्यार नही करती, अपनी औकात देखी है जो चांदनी जैसी लड़की तुमसे प्यार करेगी?

अमय कतार नजरों से चांदनी की ओर देखते हुए: क्या ये सच है?

चांदनी: तुम्हे क्या लगा की मैं तुम जैसे किसी से प्यार करूंगी? अरे मेरे एक हफ्ते का खर्चा भी नही उठा सकता तू पूरी जिंदगी का तो भूल ही जा।

अमय: फिर मेरे साथ ऐसा नाटक क्यों?

रोहन: क्योंकि मेरे बाप ने बोला था की सबसे बड़ा पैकेज ले कर 2 साल नौकरी करनी है तभी वो अपने बिजनेस और जायदाद में मुझे लेंगे, वरना पूरी जिंदगी तुम्हारी तरह ही नौकरी करते बितानी होगी, और तुम्हारे रहते वो तो किसी और को मिलने से रही, बस इसी में मेरी जान ने मेरी मदद की उसे पाने में। और अब चल निकल यहां से।

ये बोलते हुए दोनो फिर लिपलॉक करने लगते हैं।

उस दिन के बाद से अमय ने मुस्कुराना ही बंद कर दिया था, आखिरी साल में उसने मेहनत करके कई सॉफ्टवेयर बनाए और पास होते होते उसके पास इतने पैसे आ गए थे कि उसने अपना ख़ुद का बिजनेस शुरू किया और 5 साल बाद आज वो इस मुकाम पर था की देश के 50 सबसे अमीर लोगों में शुमार हो चुका था।)

सोच से बाहर आते हुए, अमय: मां अभी मिली को ले कर एसपी से मिलने जाता हूं, रात को ही सब बात बता दी थी उनको। राहुल भी साथ जायेगा

एसपी ऑफिस में..

अमय: सर, ये है मिली, जिसके बारे में मैंने रात को बताया था आपको।

एसपी: तो नाम याद आ गया इनको?

अमय: नही, मां ने रखा है, कुछ पुकारने के लिए तो चाहिए ना।

एसपी: ओह हां।

राहुल: सर ये हैं इनकी रिपोर्ट्स।

एसपी: थैंक्यू आप दोनो का, मैं जल्दी से जल्दी पता लगवाने की कोशिश करता हूं, तब तक आप इनकी नारी निकेतन में पहुंचवा दीजिए।

अमय: नही, ये तब तक हमारे घर में ही रहेगी।

एसपी: पर अमय जी...

अमय: सर मुझे भरोसा नहीं वहां किसी पर, ये मेरे घर सही से रहेगी।

एसपी: ठीक है जैसी आपकी मर्जी, पर आप एक एफआईआर लिखवा दीजिए, कम से कम उन लड़कों को तो पकड़ सके।

अमय: जी लिख लीजिए, और उनकी गाड़ी का नंबर भी मैने नोट किया था।

सब घर वापस आ जाते हैं। मिली के आने से सुमन जी का मन लगा हुआ था, और अमय की हर सुबह उसके जागने से ही होती थी। मिली का व्यवहार एक चुलबुली लड़की का था, और अमय धीरे धीरे उससे खुलने लगा था। पर उसका मुस्कुराना अभी भी गायब था, चाहे मिली कोई भी शरारत क्यों न करे। पर दिल ही दिल में वो उसकी ओर जुड़ाव महसूस करने लगा था। पर ऊपर से वो कई बार अपनी ही मां को टोक देता की वो मिली से ज्यादा मन न लगाए, क्योंकि उसे पता था की एक दिन वो उसकी जिंदगी से चली ही जायेगी। ऐसे ही 1 महीना बीत गया, और वो चारों लड़के पकड़े गए। वो सब एक साधारण लुटेरे थे, जिनको मिली एक ढाबे में मिली थी, शायद उसकी टैक्सी खराब थी और वो थोड़ा टहलते हुए थोड़ा आगे निकल आई थी, जहां से उसका किडनैप करके वो लोग उसको लूट चुके थे, और जंगल में बस उसको बेहोश करके फेकने आए थे। और चूंकि लूटा हुआ सामान सब नष्ट हो चुका था तो मिली का कोई सुराग नहीं मिला।

इधर अमय को अब मिली का साथ भाने लगा था, कभी कभी दोनो छुपे रूप से वो मुस्कुराने भी लगा था। मिली भी अमय का बहुत खयाल रखने लगी थी, सुबह उसके ऑफिस जाने से ले कर रात में वापस आने पर खाना परोसने तक सारा काम वो ही करती थी। दोनो में कुछ कुछ बातें भी होने लगी थी। ऐसे ही एक रात उसके वापस के बाद अमय को नींद नही आ रही थी तो वो उठ कर छत पर जाता है, जहां मिली पहले से ही मजूद थी। उसे देख कर अमय चौंक जाता है और पूछता है, "यहां क्या कर रही हो, वो भी इस समय?"

मिली: बस अपने बारे में याद करने की कोशिश कर रही थी।

अमय: तुम्हारा दर्द मैं बांट तो नही सकता, पर कम करने की कोशिश में ही लगा हूं, और वादा करता हूं की जल्द से जल्द तुम अपनों के बीच होगी।
और आगे बढ़ कर वो उसका हाथ थाम लेता है। मिली भी मुस्कुरा कर उसके गले लग जाती है, अमय उसके सर पर हाथ फेरने लगता है। कुछ समय दोनो ऐसे ही कुछ समय दोनो खड़े रहते है, तभी किसी उल्लू की आवाज से दोनो की तंद्रा टूट जाती है, और दोनो एक दूसरे से नजरें चुराते हुए नीचे आ जाते हैं।

सुबह अमय के फोन पर एसपी का कॉल आता है जिनको मिली के बार में कुछ जानकारी मिलने की बात बताते है। **** शहर में एक औरत ने अपनी बेटी के गुम होने की रिपोर्ट लिखवाई थी, और फोटो मिली से मिलती जुलती थी। अमय उनसे सारी डिटेल ले कर सुमन जी और मिली को बताता है। सुमन जी और मिली बहुत खुश होती हैं। अमय कहता है की 2 दिन बाद उसे उसी शहर में किसी डील के लिए जाना है तो वो मिली को साथ लेता जायेगा।

2 दिन बाद दोनो वहां पहुंच कर एक होटल के चेक इन करते हैं, और अमय कहता है की पहले अपना काम करके वो दोनो पुलिस स्टेशन चलेंगे। अमय ने इस कंपनी में कॉल लगाया मिलने के लिए तो उधर से जवाब आया की कंपनी के मालिक खुद ही उसी मिलने होटल पहुंच रहे हैं।

थोड़ी देर में उसके रूम का दरवाजे की बेल बजती है जिसे वो खोलता है तो सामने रोहन और चांदनी खड़े होते हैं। अमय चौंकते हुए: तुम लोग?
रोहन: हां अमय, तुम हमारी ही कंपनी से डील करने आए हो, कंपनी अभी पापा के ही नाम है, पर देख हम दोनो रहें है अभी।

अमय दोनो को अंदर बुलाता है और बिना कोई खास बात किए हुए काम में लग जाता है, चांदनी को खास कुछ करने को नही था तो वो मिली से बात करने लगती है, उसे लगता है की मिली अमय की पत्नी है। पर बातों ही बातों में मिली चांदनी को सारी बात बता देती है, जिसे सुन चांदनी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है। थोड़ी देर में काम खत्म हो जात है, तो रोहन अमय से कहता है की डील तो कल साइन होगी, तो आज हम एक पार्टी रख रहे हैं, और इसी होटल में है, तो आना जरूर। अमय मना करता है तो चांदनी आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर कहती है," प्लीज अमय मुझे माफ कर दो, जो भी उस समय किया वो बचपना था, अब तो हम सब जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं, जो हुआ उसे भूल जाओ।
अमय: मैं तो उसी समय तुम दोनो को भूल गया था। अच्छा चलो कोशिश करूंगा कि पार्टी में पहुंच सकूं।

चांदनी उसको थैंक्यू बोल कर चलने लगती है, और मिली को भी पार्टी में आने की कहती है।

अमय मिली को लेकर पुलिस स्टेशन जाता है, पुलिस वाले उनको लेकर एक घर ने जाते हैं जो मिली का ही निकलता है, और अपनी मां से मिलते ही मिली को थोड़ा थोड़ा याद आने लगता है। मिली का असली नाम अंजली होता है, और वो किसी और शहर में पढ़ाई कर रही थी, और वहीं से उसकी नौकरी लग गई थी, अपनी मां को सरप्राइज़ देने के इरादे से वो टैक्सी से आ रही थी, जो खराब हो गई थी और उसी ढाबे पर अंजली दूसरी टैक्सी के लिए ही देख रही थी जब उसके साथ वो दुर्घटना हुई।

शाम को अमय अपने होटल लौट गया....

3 साल बाद..

आज अमय *** शहर में एक डील के लिए आया हुआ था। कांफ्रेंस हॉल में पहुंचते ही उसकी नजर एक चहरे पर जाती है और वो तुरंत उसके पास पहुंचता है।

अमय: अंजली, कजन थी तुम, मैंने तुमको कहां कहां नही ढूंढा। ऐसे मुझे बिना बताए कहां चली गई थी तुम दोनो??

अंजली: सर आप यहां जिस काम आ आते हैं उसे करिए, में मयंक सर की सेक्रेटरी हूं और बस प्रोफेशनली ही हम एक दूसरे से बात करे तो बेहतर होगा।

अमय परेशान हो कर वापस अपनी चेयर पर बैठ जाता है, और काम करने लगता है, मयंक से उसकी पुरानी जान पहचान थी, और दोनो हमउम्र होने के कारण एक दोस्त जैसे ही थे।

लंच में अमय मयंक के साथ अकेला था तो वो उससे बात करने लगता है और अंजली के बारे में पूछता है।

मयंक: भाई उसकी जॉब कोई 3 साल पहले लगी थी, पर ज्वॉइन करने के पहले ही उसका एक्सीडेंट हो गया, बाद में उसने सारी बात बताई तो पापा ने ज्वाइन करवा दिया, बहुत मेहनती लड़की है, लेकिन बहुत रिजर्व है। ऑफिस में बस अपने काम से ही मतलब है उसको और कुछ नही।

अमय: और उसका परिवार?

मयंक: बस एक मां हैं।

अमय उसको सारी बात बता देता है और ये भी की उसे अंजली से प्यार है, वो मयंक से मदद करने कहता है तो मयंक कहता है की वो ज्यादा कुछ तो नही पर उसके घर का पता दे सकता है। अमय उसे थैंक्यू देता है। और अंजली के घर का पता ले कर चला जाता है, अगले दिन अमय दोपहर के समय सुमन जी के साथ अंजली के घर पहुंचता है।

माया (अंजली को मां) अमय को पहचान लेती हैं और दोनो को घर के अंदर ले जाती हैं।

माया: अमय बेटा क्या हुआ था उस दिन? अंजली तुमसे मिलने गई थी होटल अगली सुबह, मगर थोड़ी देर में ही वापस आ कर मुझे ले कर जल्दी से यहां के लिए निकल गई, आज तक नहीं बताया की क्या हुआ, बस इतना ही बोला कि सब खत्म हो चुका है।

अमय: पर वो तो आई ही नहीं, या आई तो मुझे नही मिली।

माया: बेटा वो तुमसे प्यार करती है यही बताने गई थी तुमको, पता नही वहां उसने ऐसा क्या देख लिया की उल्टे पांव वापस आ गई। और बेटे जहां तक मुझे लगता है, तुम भी उसे पसंद करते हो।

सुमन जी: माया जी बहुत पसंद करता है ये, जब से मिली बिना बताए गायब हो गई दिन रात एक कर दिया इसने उसको ढूंढने में, पर कुछ पता नही चला।

माया उनके चाय नाश्ते का इंतजाम करती है, और बात करते करते शाम हो जाती है, अंजली के घर आने का समय हो चुका होता है और दरवाजे के घंटी बजती है। माया दरवाजा खोलती है तो सामने अंजली होती है।

अंजली जैसे ही अंदर आती है, सुमन जी: मिली बेटा, हमसे क्या गलती हो गई जो आपने हमसे मिलना भी मुनासिब न समझा?

अंजली, उसे देख कर भारी आंखों से मुस्कुराते हुए सुमन जी के गले लग जाती है: मां आप यहां कैसे?

अमय पीछे से: मेरे साथ है ये, अब शायद हम प्रोफेशन से हट कर अपनी जिंदगी के बारे में बात कर सकते हैं?

अंजली, गर्दन झुकाते हुए: किस हक से, आप तो अभी भी चांदनी से ही प्यार करते हैं, और उसके साथ...

अमय: क्या उसके साथ? ऐसा क्या देख लिया तुमने?

अंजली: प्लीज ऊपर चल कर बात करें, यहां मां के सामने मैं बात नही कर पाऊंगी।

दोनो छत पर जाते हैं।

अमय: अंजली अब बताओ क्या देख लिया था तुमने?

अंजली: आपको चाहने लगी थी मैं, मां से मिल कर इनको सब बताया, अगली सुबह मैं इसीलिए आपसे मिलने आई थी होटल की आपको बता दूंगी, लेकिन जैसे ही मैं आपके कमरे में गई, दरवाजा लॉक नही था, मैने खोला तो अंदर बेड पर आपके साथ चांदनी कंबल में थी, और कमरे की हालत देख कर लगा की आप दोनो... फिर नीचे मुझे रोहन मिला, उसने कहा की आपने ही कहा है की डील तभी फाइनल होगी जब आप चांदनी के साथ एक रात बिताएंगे।

अमय: कभी कभी जो दिखता है वो सही नही होता, चांदनी मेरी जिंदगी में जब भी आई उसने मेरा इस्तेमाल करने का ही सोचा। और इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती थी। कुणाल से उसके पापा का बिजनेस सम्हाल नही रहा था, और फिर इसमें चांदनी की एंट्री होती है, जिसके बदौलत कुणाल ने कुछ डील करवा ली थी, या कहूं चांदनी के जिस्म की बदौलत।

चांदनी: तो क्या आपने भी उससे इसीलिए??

अमय: तुम मुझे ऐसा समझती हो क्या? उस शाम मेरा मन नहीं था पार्टी में जाने का, वैसे भी मैं जाता ही कब था पार्टियों में, पर...

होटल का डोर नॉक होता है, अमय दरवाजा खोलता है और सामने चांदनी को पाता है।

चांदनी: अमय तुम पार्टी में क्यों नहीं आए?

अमय: चांदनी, मैं शोर शराबे को पसंद नही करता, सॉरी।

चांदनी: अमय, ये पार्टी बस तुम्हारे लिए ही रखी हैं हमने, can't you want to join old friends?

अमय: पर चांदनी...

चांदनी: ओह समझी, you still hate me?

अमय: नही चांदनी, अब इन बातों को याद रख कर कोई फायदा है क्या? मैं सब भूल चुका हूं।

चांदनी: फिर चलो न।

अमय: ओके तुम चलो, मैं आ रहा हूं।

नीचे पार्टी में अमय पहुंचता है तो देखता है की बस 5 - 6 लोग ही थे उस पार्टी में, जिसमें से ज्यादातर वापस जाने की तैयारी में ही दिख रहे थे, अमय के पहुंचते ही रोहन उसे सबसे मिलवाता है और अमय को ड्रिंक ऑफर करता है, जिसे अमय मना कर देता है।

चांदनी: ओह कम ऑन अमय, बी ए स्पोर्ट, दोस्तों के साथ पियोगे भी नही?

अमय: चांदनी, I don't drink. But for you I will take soft drink only.

ये सुन कर रोहन उसके लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेने चला जाता है। अमय और चांदनी बातें करने लगते हैं।

रोहन पास आते हुए: अमय और सुनाओ, शादी कब कर रहे हो?

अमय: बस जल्दी ही।

चांदनी, उसका हाथ पकड़ते हुए: कब और किससे?

अमय: सब बताऊंगा जल्दी ही।

रोहन, चांदनी की तरफ देखते हुए: अमय तुम दोनो बैठो मैं आता हूं अभी।

चांदनी और अमय बातें करने लगते हैं, तभी अमय को अपना सर भारी लगने लगता है, और उसको आगे बस इतना ही याद रहता है कि रोहन और चांदनी उसे उठा कर रूम में ले जाते हैं। सुबह जब अमय की नींद खुलती है तो वो देखता है कि चांदनी उसके बगल में निर्वस्त्र सो रही है और वो खुद भी बिना कपड़ों के है। कमरे की स्तिथि देख लग रहा था कि रात को वहां दोनो का समागम हुआ था, मगर अमय को कुछ भी याद नही होता है। वो अपने कपड़े पहन कर चांदनी को उठता है, और बिना उसकी ओर देखे कमरे से बाहर निकल जाता है। बाहर उसे रोहन दिखता है, जो उसे देख मुस्कुरा रहा होता है। अमय उसे घूरने लगता है तो रोहन उसे ले कर वापस से कमरे में आता है।

वहां चांदनी ने बस अपने अधोवस्त्र डाले होते हैं, जिसे देख अमय फिर बाहर जाने लगता है, रोहन उसका हाथ पकड़ लेता है, और एक कुर्सी पर बैठा देता है। अमय अपनी नजरें दूसरी ओर करके जोर से चिल्लाता है: क्यों? अब तुम दोनो को क्या चाहिए मुझसे?

रोहन: डील।

अमय: वो तो ऐसे ही मिल जाती, इतनी घटिया हरकत करने की क्या जरूरत थी?

चांदनी: डील के अलावा भी एक बात है। अमय, रोहन बाप नही बन सकता, और हमको तुमसे अच्छा राजदार कौन मिलता, बस इसीलिए। सॉरी लेकिन...

अमय: तो इसके लिए तुम किसी के भी साथ.. एक मिनट, रोहन को डील चाहिए, इसका मतलब तुम पहले भी। कितने गिरे हुए इंसान हो तुम दोनो, निकलो मेरे रूम से अभी और इस डील को क्या, मुझे भी भूल जाओ।

ये बोलते ही रोहन अपना बैग में अपना सामान भरते हुए बाहर निकल जाता है, और रिसेप्शन पर पेमेंट करके अंजली के घर की ओर निकल पड़ता है....

अमय: उस दिन से आज तक मैं चांदनी से नही मिला, बस हर जगह तुमको तलाश रहा हूं। अंजली चांदनी मेरे जीवन का वो अध्याय है जिसे मैं काट कर अलग फेक देना चाहता हूं, लेकिन उसे पहले मुझे तुम्हारी जरूरत है।

अंजली दौड़ कर उसके गले लग जाती है: बस अमय जी, आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है।


छत के दरवाजे के पीछे खड़ी सुमन और माया जी मुस्कुराते हुए एक दूसरे की बधाई देने लगती है.....

लिखा अच्छा है। इसमें कोई शक नहीं। पढ़ने में अच्छी कहानी है।
बड़ी कहानी बन सकती है इसकी! बढ़िया थ्रिल वाली!!

लेकिन भाई - एक बात पूरी ईमानदारी से कहूँ? "बाप" के मुकाबले ये मुझे कहीं ठहरती नहीं दिखी।
इसमें आपने बहुत कुछ करने की कोशिश करी, और उसमें कामयाब भी हुए हैं, लेकिन... उसी कारण से थोड़ा rushed भी लगे।

इस कांटेस्ट के लिए -- "बाप" बाप है... और ये कहानी भतीजा 😂
 

Clipmaster99

Winner of Award - "No.1 Contributor to XForum"
Staff member
Supreme
Moderator
113,426
187,765
339
Title of the Story : Desh Premi
Written by:
asadjee


Mera Review:

Story 2310 words ka hai, jo Story Competition Limits me aati hai.
Story Original hai.

Story kaafi aachi hai. Starting me jo focus hai, “Naam se kya matlab” yeh end tak dikhayi deti hai.

“Suresh” naam ke saat jo jhoda jata hai, jaise “Sabash Suresh, Aantakvad Suresh, Gaddar Suresh, Suresh mahan, Suresh deshbakht” ka description aur reason acchi hai.

Suresh jo ek anarth ladka hai, uski life stages ka acchi tarah se varnan kiya hai.

Story me kuch acchi nahi lagi, toh woh tha Army ka portrayal. Jaise ke Army me bharti, promotion, court martial, dismissal, etc.

As a Reader of this story, mujhe laga ki Army ko kuch jagah pe badnaam kiya gai. Yeh story padkar, bahut logon ko aisa lagega ki Army me aisa hota hai. Jo sahi nahi hai.

A story should reflect plausible circumstances.

End me yeh patrakar (News Reporter) ka varnan tha. Yeh idea bhi accha tha.

Overall acchi story hai.

Rating : 7/10
 
317
559
63
Thank you very much. Ye sirf ek pal ki ghatna darsana tha. Ek sock ek kirdar ko bhi or redars ko bhi. Ye ek alag formet he. Achanak uske bap ko pata lagna uske bet I apne shasur or apne samdhi ke sath sex sambandh banae hue he. Sath blackmail bhi hona. Apna slave banana or apne bap ko co cold banskar sex dikhana.

Sort story likhne ka anubhav thoda kam he. Kuchh achha karne ki kosis thi. Sayad ho nahi paya. But thank you so much.


Logo ke manoranjan ke lie soch rahi hu. Ek shusumi ki horror short story likh kar post karu
plz ho sake to zarur shusumi ki story post krna....
 
  • Like
Reactions: Riky007 and Shetan
Status
Not open for further replies.
Top