- 40,191
- 75,870
- 304
★ INDEX ★
☟
☟
♡ Family Introduction ♡ |
|---|
Last edited:
♡ Family Introduction ♡ |
|---|
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....Update 2.
नेहरू नगर, मुम्बई गोरेगाँव ।
⁸उसी नगर की एक चाल में वैशाली का निवास था । उदास मन से वैशाली घर पहुंची । घर में अपाहिज बाप और माँ थी । उस समय घर में एक और अजनबी शख्स मौजूद था ।
वैशाली ने इस व्यक्ति को देखा , वह अधेड़ और दुबला -पतला आदमी था । सिर के आधे बाल उड़े हुये थे ।
"बेटी ये हैं करुण पटेल, सोमू के दोस्त ।"
"मेरे कू करुण पटेल बोलता ।
" वह व्यक्ति बोला, "तुम सोमू का बैन वैशाली होता ना ।"
"हाँ , मैं ही वैशाली हूँ । मगर आपको पहले कभी सोमू के साथ देखा नहीं ।"
"कभी अपुन तुम्हारे घर आया ही नहीं , देखेगा किधर से और अगर हम पहले आ गया होता , तो भी गड़बड़ होता ।"
"क्या मतलब ?"
"अभी कुछ दिन पहले तुम्हारे भाई ने हमको एक लाख रुपया दिया था । हम उसका पूरा सेफ्टी किया , इधर पुलिस वाला लोग आया होगा , उनको एक लाख रुपया का रिकवरी करना था । अब मामला फिनिश है, सोमू ने इकबाले जुर्म कर लिया ।
अब पुलिस को सबूत जुटाने का जरूरत नहीं पड़ेगा ।
देखो बैन तुम्हारा डैडी भी सेठ के यहाँ काम करता था , फैक्ट्री में टांग कट गया , तो उसको पूरा हर्जाना देना होता था कि नहीं ?"
"तो क्या सोमू ने सचमुच… ?"
"अरे अब आलतू-फालतू नहीं सोचने का । सेठ का मर्डर करके सोमू ने ठीक किया , साला ऐसा लोग को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं ।
अरे उसकू फांसी नहीं होगा और दस बारह साल अन्दर भी रहेगा , तो कोई फर्क नहीं पड़ता । तुम अपना शादी धूमधाम से मनाओ और किसी पचड़े में नहीं पड़ने का ।"
"लेकिन मेरा दिल कहता है, मेरा भाई काति ल नहीं हो सकता ।"
"दिल क्या कहता है बैन, उसको छोड़ो । अपुन की बात पर भरोसा करो , वो ही कत्ल किया है, माल हमको दे गया था । हम उसकी अमानत लेके आया है । हम तुम्हारा मम्मी डैडी को भी बरोबर समझा दिया , किसी लफड़े में पड़ेगा , तो पुलिस तुमको भी तंग करेगा ।
इसलिये चुप लगा के काम करने का , तुम्हारा डैडी -मम्मी ने जो रिश्ता देखा है, उन छोकरा लोग को बोलो कि शादी का तारीख पक्की करें ।
पीछे मुड़के नहीं देखने का है । काहे को देखना भई, इस दुनिया में मेहनत मजदूरी से कमाने वाला सारी जिन्दगी इतना नहीं कमा सकता कि अपनी बेटी का शादी धूमधाम से कर दे । नोट इसी माफिक आता है ।"
"बेटी ! अब हमारी फिक्र दूर हो गई, सिर का बोझ उतर गया । तेरे हाथ पीले हो जायेंगे, तो हमारा बोझ उतर जायेगा । सोमू के जेल से आने तक हम किसी तरह गुजारा कर ही लेंगे ।
"अच्छा हम चलता , कभी जरूरत पड़े तो बता ना । हमने माई को अपना एड्रेस दे दिया है । ओ.के. वैशाली बैन, हम तुम्हारी शादी पर भी आयेगा ।
"करुण पटेल चलता बना । उसके जाने के बाद वैशाली ने पूछा ।
"रुपया कहाँ है माँ ?"
"सम्भाल के रख दिया है ।"
"रुपया मेरे हवाले करदो माँ ।"
"क्यों , तू क्या करेगी ?"
"शादी तो मेरी होगी न, किसी बैंक में जमा कर दूंगी । "
वैशाली की माँ पार्वती देवी अपनी बेटी की मंशा नहीं भांप पायी । उसकी सुन्दर सुशील बेटी यूँ भी पढ़ी लिखी थी , बी .ए. करने के बाद एल.एल.बी . कर रही थी । लेकिन माँ इस बात को भी अच्छी तरह जानती थी , बेटी चाहे जितनी पढ़ लिख जाये पराया धन ही होती है और निष्ठुर समाज में बिना दान दहेज के पढ़ी- लिखी लड़की का भी विवाह नहीं होता बल्कि पढ़ -लिखने के बाद तो उसके लिये वर और भी महँगा पड़ता है ।"
"बेटी , तू इस पैसे को जमा कर आ, हमें कोई ऐतराज नहीं । वैसे भी घर में इतना पैसा रखना ठीक नहीं , जमाना बड़ा खराब है ।" पार्वती देवी ने रुपयों से भरा ब्रीफकेस वैशाली के सामने रख दिया ।
वैशाली ने ब्रीफकेस खोला । ब्रीफकेस में नये नोटों की गड्डियां रखी थी , वैशाली ने उन्हें गिना , वह एक लाख थे । उसने ब्री फकेस बन्द किया ।
"माँ , मैं थोड़ी देर में लौट आऊंगी ।"
"रुपया सम्भालकर ले जाना बेटी ।" अपाहिज पिता जानकी दास ने कहा।
"आप चिन्ता न करें डैडी ।"
वैशाली चाल से बाहर निकली । उसने बस से जाने की बजाय ऑटो किया और ऑटो में बैठ गई ।
"कि धर जाने का मैडम ।" ऑटो वाले ने पूछा ।
"थाने चलो ।"
"ठाणे, ठाणे तो इधर से बहुत दूर पड़ेला ।" ड्राइवर ने आश्चर्य से वैशाली को घूरा ।
"ठा _णे नहीं पुलिस स्टेशन ।" ऑटो वाले ने वैशाली को जरा चौंककर देखा , फिर गर्दन हिलाई और ऑटो स्टार्ट कर दिया ।
…………………………..जहां दो दिन पहले ही इंस्पेक्टर विजय ने गोरेगाव पुलिस स्टेशन का चार्ज सम्भाला था।
गोरेगांव में फिलहाल क्रिमिनल्स का ऐसा कोई गैंग नहीं था , जो उसे अपनी विशेष प्रतिभा का परिचय देना पड़ता । विजय अपने जूनियर ऑफिसर सब-इंस्पेक्टर बलदेव से इलाके के छंटे -छटाये बदमाशों का ब्यौरा प्राप्त कर रहा था ।
"दारू के अड्डे वालों का तो हफ्ता बंधा ही रहता है सर ।"
"हूँ ।"
"वैसे तो इलाके में हड़कम्प मच ही गया है, बदमाश लोग इलाका छोड़ रहे हैं, सबको पता है कि आपके इलाके में ये लोग धंधा नहीं कर सकते । हमने नकली दारू वालों को बता दिया है कि धंधा समेट लें, जुए के अड्डे भी बन्द हो गये हैं ।"
"ये लोग क्या अपनी सोर्स इस्तेमाल नहीं करते ।"
"आपके नाम के सामने कोई सोर्स नहीं चलती सबको पता है ।"
इंस्पेक्टर विजय अभी यह सब रिकार्ड्स देख ही रहा था कि एक सिपाही ने आकर सूचना दी कि कोई लड़की मिलना चाहती है ।
"अन्दर भेज दो ।" विजय ने कहा ।
कुछ ही सेकंड बाद हरे सूट में सजी-संवरी वैशाली ने जैसे स्टेशन इंचार्ज के कक्ष में हरियाली फैला दी । विजय ने वैशाली को देखा तो देखता रह गया ।
वैशाली ने भी विजय को देखा तो ठगी -सी रह गई ।
"बलदेव !"
विजय को सहसा कुछ आभास हुआ,"जरा तुम बाहर जाओ ।
" बलदेव ने वैशाली को सिर से पाँव तक देखा । उसकी कुछ समझ में नहीं आया , फिर भी वह उठकर बाहर चला गया ।
"बैठिये ।" विजय ने सन्नाटा भंग किया । वैशाली ने विजय के चेहरे से दृष्टि हटाई, "अ… आप मेरा मतलब।"
"हाँ , मैं विजय ही हूँ ।" विजय के होंठों पर मुस्कान आ गई, "बैठिये !"
वैशाली कुर्सी पर बैठ गई । "हाँ , मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा है ।"
"बहुत कम सर्विस है मेरी और इस कम सर्विस में ही मैंने अच्छा काम किया है वैशाली।"
"आपको इस रूप में देखकर मुझे बेहद खुशी हुई ।"
"तुम यहीं रहती हो वैशा ली ?"
"नेहरू नगर की चाल नम्बर 18 में ।"
"इन्टर तक तो हम साथ-साथ पढ़े, मेरा इसके बाद ही पुलिस में सलेक्शन हो गया था और मैं पुलिस ऑफिसर बन गया ,
" कैसा लगता हूँ पुलिस ऑफिसर के रूप में ?"
"बहुत अच्छे लग रहे हो विजय ।"
"क्या तुम्हा री शादी हो गई ?" विजय ने पूछा ।
"नहीं । " वैशाली ने उत्तर दिया ।
"मेरी भी नहीं हुई ।"
वैशाली की आँखें शर्म से झुक गई ।
''अरे हाँ , यह पूछना तो मैं भूल ही गया , तुम यहाँ किस काम से आई हो।"
"दरअसल मैं आपको … ।"
''यह आप-वाप छोड़ो , पहले की तरह मुझे सिर्फ विजय कहो । अच्छा लगेगा ।"
वैशा ली मुस्करा दी । "पहले तो बहुत कुछ था , मगर… ।"
"अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, खैर यह घरेलू बातें तो किसी दूसरी जगह होंगी , फिलहाल तुम यह बताओ कि पुलिस स्टेशन में क्यों आना हुआ ?"
वैशाली ने ब्रीफकेस विजय के सामने रख दिया और फिर सारी बात बता दी।
विजय ध्यानपूर्वक सुनता रहा । सारी बात सुनने के बाद विजय बोला ,
"एक तरफ तो तुम्हारा दिल गवाही दे रहा है कि सोमू ने कत्ल नहीं किया । दूसरी तरफ यह रुपया चीख-चीख कर कह रहा है कि सोमू ने ही कत्ल किया है, और कानून कभी जज्बात नहीं देखता , सबूत देखता है ।
नो चांस, इकबाले जुर्म के बाद क्या बच जाता है ।"
"असल में मैं यहाँ पुलिस से मदद लेने नहीं यह लूट का माल जमा करने आई थी , ताकि अगर मेरे भाई ने सचमुच खून किया है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिल सके, और मैं इस दौलत से अपनी मांग भी नहीं सजा सकती ।"
"मैं जानता हूँ वैशाली तुम शुरू से ही कानून का सम्मान करती हो , फिर भी मैं तुम्हें एक निजी मशवरा दूँगा , बेशक यह रुपया तुम पुलिस स्टेशन में जमा कर दो , मगर एक बार किसी अच्छे वकील से मिलकर उसकी पैरवी तो की जा सकती है ।"
"इकबाले जुर्म और इस सबूत के बाद भी क्या कोई वकील उसे बचा सकता है ?"
"हाँ , बचा सकता है । इस शहर में एक वकील है रोमेश सक्सेना । वह अगर इस केस को हाथ में ले लेगा , तो समझो सोमू बरी हो गया । रोमेश की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह आज तक कोई मुकदमा हारा नहीं है, रोमेश की दूसरी विशेषता यह है कि वह मुकदमा ही तब हाथ में लेता है, जब उसे विश्वास हो जाता है कि मुलजिम निर्दोष है ।"
"क्या बात कह रहे हो , किसी भी वकील को भला इस बात से क्या मतलब कि वह किसी निर्दोष का मुकदमा लड़ रहा है या दोषी का ?,
मुकदमा लड़ना तो उसका पेशा है ।"
"यही तो अद्भुत बात इस वकील में है, वह जरायम पेशा लोगों की कतई पैरवी नहीं करता । वैसे तो वह मेरा मित्र भी है, लेकिन तुम खुद ही उससे सम्पर्क करो , मैं उसका एड्रेस दे देता हूँ, वह बांद्रा विंग जैग रोड पर रहता है।"
"यह रुपया ।"
"रुपया तुम यहाँ जमा कर सकती हो, अगर यह लूट का माल न हुआ, तो तुम्हें वापि स मिल जायेगा , लेकिन तुम रोमेश से तुरन्त सम्पर्क कर लो , उसके बाद मुझे बताना , कल मैं ड्यूटी के बाद तुमसे मिलने घर पर आऊँगा ।
" वैशाली जब पुलिस स्टेशन से बाहर निकली , तो उसका मन काफी कुछ हल्का हो गया था । किस्मत ने उसे एक बार विजय से मिला दिया था ।
इंटर तक दोनों साथ-साथ पढ़े थे । वह बड़ौदा में थी उस वक्त, फिर परिवार मुम्बई आ गया और वैशाली का बीच में एक वर्ष बेकार चला गया। उसने पुनः अपनी शिक्षा जारी रखी । वह विजय से प्यार करती थी , विजय भी उसे उतना ही चाहता था , परन्तु उस वक्त यह प्यार मुखरित नहीं हो पाया ।
इस अधूरे प्यार के बाद दोनों कभी नहीं मिले और आज संयोग ने उन्हें मिला दिया था ।
"क्या विजय आज भी मुझे उतना ही चाहता है ?" यह सोचती हुई वह अपने आप में खोई बढ़ी चली जा रही थी ।
जारी रहेगा..✍![]()
Thank you so much parkas bhai for your valuable reviewBahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
Pyaar hua..izhaar hua.. pyaar se fir kyu darta hai dil..
Sunny aur Kanchan ka bhi pehla kiss.. Aisa maahol toh kaise koi khud ko roke.. yeh toh hona hi tha...
Chalo ab toh jodiya ban hi gayi. Ab kahani mei twist ka intezaar hai..
Awesome update Raj bhai![]()
बहुत ही प्यारभरा और लाज़वाब अपडेट है
मनाली की वादियों में झरने के पानी में काफी दिनो से दिल में दबा प्यार आखिर कर जुबान पर आ ही गया और वीर और प्रिया ने अपने दिल की बात कह कर अपनी दोस्ती को प्यार में बदल दिया
संजू ने भी कंचन से अपने प्यार का इजहार एक kiss से कर दिया
Bahut hi behtarin likh rahe ho aap![]()
Shandar Lajawab Jabardast superb mast update
Update posted friendsintezaar rahega....
Thank you very muchAwesome update but new update ka notification nhi milta
