• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Esac

Maa ka diwana
238
1,205
124
Update 12


अगला दिन शनिवार था मुझे अब एक नई अनुभुति होने लगी. मेरा डिसीजन अब माँ भी जान चुकी होगी और घर पर सब को मालूम है की इस रिश्ते के लिए हम दोनों ने ही मंजूरी दे दि है. तो अब मैं सोचने लगा की अब कैसे इन सब को फेस करूंगा.
पहले की तरह इस बार भी मुझे घर पे वार्म वेलकम मिला. नाना नानी ने इस तरह मेरा स्वागत किया जैसे में कोई बाहर का रेस्पेक्टेड आदमी हूं. मैं यह सोच के थोड़ा शर्मा गया की वह लोग ऐसा शायद इसलिए कर रहे है क्युकी मैं कुछ दिन में उन लोगों का दमाद बनने जा रहा हु.. मैने माँ के रूम की तरफ देखा. यह सोच के रोमाँचित हो गया की मेरी होने वाली बीवी मेरे आस पास ही घूम रही है. मुझे माँ से मिलने की एक चाहत होने लगी पर अभी शायद वह नानी के साथ ही होगी. सो मैं सोचने लगा की उनसे कैसे, कहाँ थोड़ा अकेले में मिल पाऊंगा.
मै ड्राइंग रूम में आके नाना जी के पास बैठ के न्यूज़ देखने लगा. तभी नानी जी एक प्लेट में कुछ मिठाई मेरे सामने वाली सेंटर टेबल पे रखदी. अचानक आज इस तरह से मिठाई की प्लेट देख के मैने ऐसे ही कह दिया
" यह क्या.... अभी यह मिठाई-फिटाई कौन खायेगा नानी जी ?"
नानीजी पानी का गिलास आराम से रखते हुए बोली
" क्यूं....तुम खाओगे"

मैं केसुअली बोला
"अरे नानीजी मुझे यह मिठाई नही...अब एक गरम चाय चाहिए"
नानी मेरे तरफ देखके मुस्कुराके बोली
"चाय भी पिलायेंगे लेकिन उससे पहले यह खालो. अब यह घर तुम्हारा अपने घर के साथ साथ तुम्हारा ससुराल भी बनने जा रहा है तो शुरुवात मीठा खाके करोगे तो रिश्ते में मिठास बनी रहेंगी" बोलके चेहरे पे एक मुस्कराहट फैल गई. मैं एक दम ऐसे खुल्लम खुल्ला बाते सुनक, थोड़ा शरमाने लगा. नानाजी मेरे तरफ देखके स्माइल करके बोले
"खा लो"
मैं इस बात को यही समेटने ने के लिए चुप चाप प्लेट उठाके खाने लगा और टीवी की तरफ नज़र टीकाके सिचुएशन सहज करने की कोशिश करने लगा. .

कुछ देर बाद नानी फिर से आई और आके नाना के पास बैठ गयी फिर नानाजी टीवी ऑफ करके मुझसे बात करने लगे. वह लोग धीरे धीरे सीरियस होने लगे और मुझसे बहुत सारी चीज़ों में मेरी राय पुछने लगे. जैसे की शादी का प्रोग्राम कहाँ , कैसे किया जाए. हमारे ज्यादा रिश्तेदार नहीं थे और जो भी थे पिछले कुछ सालों मे न मिलने के कारण, सब बिछड गए सो उसमे कोई प्रॉब्लम नहीं है. प्रॉब्लम है हमारा मुहल्ला, पड़ोसी और कुछ दोस्तो को लेके. इन लोगों से हमें बचके सब कुछ करना पड़ेगा. इसलिए तय हुआ की यहाँ नही और कहीं जाके शादी का प्रोग्राम बनाना पड़ेगा. यानि की कोई दूर जगह जाके, जहाँ हमारे रिलेटिव्स वगेरा को कुछ भी मालूम न चले. तब नानी को याद आया की कुछ साल पहले नाना जी के बिज़नेस के कोई दोस्त की बेटी की शादी हम लोगो ने मिलके अटेंड कि थी मुंबई मे (एक्चुअली वो जगह मुंबई सिटी के अंदर नहीं था).


images

मुंबई से कुछ किलोमीटर्स दूरी पे, मुंबई-गुजरात हाईवे के साइड में एक रिसोर्ट में शादी हुआ था. वहाँ की खास बात यह थी की वो जगह एकदम अकेले में है और शादी अटेंड करने वाले सब को रहने का आवास भी प्रदान करता है. साथ में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है यानि की शादी की रसम का अरेंजमेंट--पंडित से लेके रजिस्टर्ड साहब तक, सब वह लोग देते है.

इन सब बातों के बीच मेरे दिमाग में यह चल रहा था की कैसे भी करके माँ से एक बार मुलाकात करनी है. मुझे यह भी मालूम था की माँ से ऐसे आसानी से मुलाकात नहीं हो पायेगा वह जानबूझ के मुझसे दूर रह रही है. बिलकुल कोई मौका नहीं दे रही है आमने सामने आने का इसलिए मैं उनका चेहरा ठीक से देख भी नहीं पा रहा हु. शादी की प्लानिंग तक शुरु हो गई और अभी तक दूल्हा और दुल्हन की एक बार बात भी नहीं हो पाई मुझे एक बार उनसे बात करनी है.

डिनर टेबल पे शादी को लेके कोई बात नहीं हुई बस मैं जो खाना पसंद करता हु वही चीजे नानी जी मुझे ज्यादा से ज्यादा दे रही है. मैं जानता था यह सब माँ ने मेरे लिए ही बनाया. आज वह सामने आने में शर्मा रही है, इसलिए नानी के हाथों से सब बार बार भेज रही है. मैं मना कर रहा हूं , पर नानी जी केवल बोल रही है "तुम्हारे लिए ही बनाई गयी है. क्यूँ नहीं खाओगे?" और फिर मेरे तरफ देखकर मुस्कुरा रही है.
"बस और कुछ दिन..... नानी के हाथ का खाना खा लो... फिर तो तुम्हे साँस के हाथ का खाना खाना पड़ेगा." बोल के थोड़ा हंस के किचन के तरफ चली गई. नाना जी भी इस बात से हसने लगे. मैं शर्म के मारे अंदर घुसे जा रहा था.

मैं डिनर के बाद नाना जी के रूम में बैठ के बात कर रहा था. नानाजी ने पूछा की अब मुझे नए घर पर शिफ़्ट करना है की उसी घर में रहना है, मैंने बताया की यह घर ही फिलहाल ठीक है. नानी जी बोलने लगी की अब तक तो मैं अकेला था, सब चल जाता था. लेकिन अब फेमिली रहेगी. तो उसके लिए सारे सामान का भी बंदोबस्त करना पडेगा. मैंने बोला की उस बात की कोई चिंता न करें वो सब मैं खुद ही संभल सकता हूं. मैं फ़टाफ़ट डिस्कशन को एन्ड करके नाना जी के रूम से बाहर आ गया और जैसे ही मैं ड्राइंग रूम की तरफ जाने लगा तब मुझे मेरे रूम की लाइट चालू दिखाई दि. मेरी छाती में झट से एक ऐसी फीलिंग हुई की जैसे मेरी छाती से कुछ निकल ने लगा हो और अचानक मेरी बॉडी हल्की हो गई.

मैंने डोर के पास जाते हि वो प्रजेंस फील कर ली. वह मेरे तरफ पीठ करके, थोड़ा झुक के, मच्छर दानी सही से चारो तरफ बिस्तर के साइड में घुसा रहे थी. मेरे आते ही वह अचानक वह सब बंद करके खड़ी हो गई उनका फुल बैक साइड मेरी तरफ है, मैं अपने रूम की तरफ चलने लगा. मुझे मालूम था जब मैं नहीं होता हूं तब माँ आके मेरा बिस्तर ठीक करके जाती है और इसलिए मैं डिनर करके नानाजी के रूम में उस मौके का इंतज़ार कर रहा था. मैं उनके जितना नजदीक जा रहा था, उतना ही नर्वस भी हो रहा था. एक अजीब अनुभुति भी हो रही थी और एक नशा भी. उनको देखके मैं कैसे रियेक्ट करूँगा या वह कैसे रियेक्ट करेंगी फिर भी मैं उनको एकबार सामने से देखना चाहता हु उनसे बात करना चाहता हु.




Picsart-24-04-20-14-58-00-206
एक हलके येलो कलर की प्रिंटेड साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहनी हुई थी. ब्लाउज के ऊपर गोरी गोरी, मुलायम और सुडौल गर्दन तथा पीठ का ऊपरी भाग नज़र आ रहा था साथ में बाल खुले थे. उनके बॉडी कर्व्स ढ़लान लेके दोनों साइड से आके उनकी पतली कमर में मिल रहे है. उनकी गान्ड उभरी हुई नजर आ रही है. आज तक जो चीज़ मेरी फेंटेसी की दुनिया में होती थी, आज पहली बार हकीकत में हो रही है. उनको देख कर उनके सामने ही, पजामे के अंदर मेरा लौड़ा सख्त होने लगा.
images-1-2


मां उनके राईट हैंड से पलंग का स्टैंड पकड़ के स्थिर हो गयी. उनको सर झुका के खड़ी होते देख अचानक मेरे अंदर की सब घबराहट ग़ायब होने लगी और एक अजीब मदहोशी मुझमें छाने लगी. जो प्यार मैं उनके लिए पिछले कई सालों से छुपाके रखा था, आज वह प्यार, वह अनुभुति पहली बार मेरे दिल में इस वास्तव दुनिया में आने लगी. दिनभर बहुत कुछ सोचा था माँ के लिए, लेकिन अब जब वह सामने खड़ी है तो मैं सब कुछ भूल गया. केवल मेरे छाती में तरंग जैसे कुछ बहने लगी. मैं रूम के अंदर गया वह अपने राईट हैंड की थंब नेल से पलंग के स्टैंड के उप्पर रब करने लगी. मैंने उनको देखते हुए कहा


"मां...... एक्चुअली....... मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करता हूं"
ये सुनते ही माँ शायद थोड़ा काँप उठी. फिर खुद को कंट्रोल करके वहां खड़ी रही. मैं धीरे धीरे चलके मेरे स्टडी टेबल के पास गया. वहाँ से उनका साइड प्रोफाइल नज़र आ रहा था उनके चेहरा पे शर्म छाई हुई है. नज़र झुकि हुई है. यहाँ से मुझे उनके पेट् का नज़र आ रहा है


Picsart-24-04-20-15-39-59-798
जो एक दम फ्लैट है. मैं उनके पेट को देख के सोचने लगा की इस पेट के अंदर से ही एक दिन मेरा बच्चा आएगा. मैं यह सोच के और भी रोमाँचित हो गया और पाजामे के अंदर मेरा लौड़ा सख्त हो गया. जैसे ही मैं डोर छोड़के अंदर आया मां फट से मुड़के तेज़ी से रूम से निकल गई. मैं उनका जाना देखने लगा. ऐसी एक सुन्दर औरत, जिसको में प्यार भी करता हु, रेस्पेक्ट भी करता हु, चाहता भी हु, उनके साथ ही में पूरी ज़िन्दगी बिताने वाला हु यह सोच के मेरे मन में खुशी छा गईं.

उस रात मैं आँखे बंध करके माँ के किये हुए बिस्तर में सोके उनका स्पर्श महसुस कर रहा था. लग रहा था जैसे वह मेरे एकदम पास, एक दम करीब है. बस कुछ दिन का फासला है. फिर वह सुन्दर, नरम, प्यारी औरत, हर रात मेरी बाँहों में रहेगी और में उनको बहुत प्यार करूंगा. मैं उनको कभी कुछ भी दुःख महसुस करने नहीं दूंगा. हमेशा उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखने चाहता हु. मैं एक अच्छे पति का धर्म निभाते हुए दुनिया की हर ख़ुशी उनके सामने लाकर दुंगा. उनके तन मन को हमेशा आनंद में रखुंगा. मैं इन सब बातों से गरम हो गया था. फिर भी मन ही मन कसम खाइ की आज से मेरे तन मन की हर ख़ुशी भी उनके साथ ही शेयर करूंगा. तो उस रात में मूठ मारके अकेले वह सुख लेना नहीं चाह रहा था अब मैं सब कुछ बस उनके साथ ही करना चाहता हु और मैं हमारी सुहागरात में उनको परिपूर्ण संतुष्टि देना चाहता हु. येे सब सोच के मेरी आंखो में नीद कब आकर मुझे एक ख़ुशी के सागर में बहाके ले गई, मुझे पता नहीं चला.



×××××××××××××××××××××××××××××××××××××××××


my other story :- Maa meri ho gayi
 
Last edited:

sunoanuj

Well-Known Member
3,710
9,732
159
Bahut hi behtarin kahani… sab kuch ek dum sidha or sadagi se bhara hua… bahut hi umda likhte hain aap…. 👏🏻👏🏻👏🏻
 
156
109
44
vhai kya app iss story ko hindi format me likhenge plz...kyn ki Bangladesh se hu or muje hindi akhsar parna nehi ata... plz app iss story ko hindi format me likhe... plz vai
 

Esac

Maa ka diwana
238
1,205
124
Bhai kahani bohot hi acchi likhi hai, ekdum romantic wali padh kar accha laga agle update ka intezar rahega 🙏🙏
Thanks bhai agla update jld hi milega
vhai kya app iss story ko hindi format me likhenge plz...kyn ki Bangladesh se hu or muje hindi akhsar parna nehi ata... plz app iss story ko hindi format me likhe... plz vai
Bhai Puri story ko fir se likhna padega bohot time lagega usme esa toh hai nahi ki aap next update se padhna start karoge. Aap meri dusri story padh lo wo Aap padh paoge. Ya fir aap translation app ka use kar lo.. sorry Bhai If it wasn't difficult I would do it
 

red_devil_98

Member
453
578
93
Thanks bhai agla update jld hi milega

Bhai Puri story ko fir se likhna padega bohot time lagega usme esa toh hai nahi ki aap next update se padhna start karoge. Aap meri dusri story padh lo wo Aap padh paoge. Ya fir aap translation app ka use kar lo.. sorry Bhai If it wasn't difficult I would do it
Intezar rahega 👍🙏
 
  • Like
Reactions: Esac and sunoanuj
Top