• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Esac

Maa ka diwana
238
1,205
124
Update 11

नानाजी ये सब बोल कर मेरी आँखों में आंखे मिला कर देखने लगे. मुझे इस बात को समझने में कुछ पल लग गए. जैसे ही इसका मतलब मुझे समझ में आया, तभी मेरा शरीर में एक अनजानी अनुभुति फ़ैलने लगी. मैने फिर भी कन्फर्म होने के लिए पूछा
" मतलब आप क्या कहना चाहते है नानाजी ?"
नानाजी स्ट्रैट बोलने लगे
" बेटा अब में तुम्हारा नाना बनके नही, एक बेटी का बाप बनके तुमसे यह पुछ रहा हु की क्या तुम मेरी बेटी का हाथ थामोगे?"
अब मेरे अंदर एक अजीब सी, एक अद्भुत सी फीलिंग होने लगी. जो मैं बयां नहीं कर सकता. मैने केवल ये बोला
" एह्...यः....आप क्य...क्या कह रहे है नानाजी......"
"हमने बहुत..बहुत सोच समझने के बाद ये बात तुम्हे बोलने का साहस किया है"
मैने अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा
"पर...पर....यह कैसे होगा.....कैसे मुमकीन है......"
" अगर हम चाहे तो सब हो सकता है बेटा"
मेरी माँ का चेहरा मेरे नज़र के सामने आया.

IMG-20240414-004438-820

मैं सोचने लगा की ये सब बातें सुनने के बाद मैं माँ को कैसे फेस करूँगा और नाना नानी मुझसे खुलके ऐसे बात कर रहे है की मुझे शरम आने लगी. मैं बोला
" नानाजी हम ऐसा कैसे कर सकते है....ना ही कहीं...कभी ऐसा हुआ!!"
नानाजी ने शांत आवाज़ में कहा
"बेटा...मैं और तुम्हारी नानी ने इस बारे में सोचा..हम सब की ख़ुशी के लिए हम कुछ भी सहने के लिए तैयार है. हम बस चाहते है की हमारी बेटी और हमारा पोता ज़िन्दगी में हमेशा खुश रहे..."
फिर थोड़ा रुक के बोले
" और...और तुम्हारी माँ भी इस रिश्ते के लिए राजी है."
मैं चोंक गया. क्या माँ भी जानती है यह सब!! क्या इसलिए वो मेरे सामने नहीं आ रही है!! इसलिए फ़ोन पे ठीक से बात नहीं कर पायी!! और तो और उन्होंने इस रिश्ते को अपनाने के लिए भी मंजूरी दे दि.. मेरी स्पाइन में के एक ठण्डी शीतलता पर दिल में कम्पन देने वाली अनुभुति धीरे धीरे नीचे जाकर पूरे शरीर में फैल गई. फिर भी मैने थोड़े आश्चर्य और डाउट के साथ धिरे से पुछा
" क्या आप लोगो ने माँ से भी इस बारे में बात......और.....और उन्होंने ...."
बोल कर मैं चुप हो गया. नानाजी बोले
" पहले तो उसने हम दोनो पर बहुत गुस्सा किया. एक दम ख़फ़ा हो गयी थी. तीन दिन ठीक से बात भी नहीं कि, खाना भी नहीं खाया. दिन भर रूम लॉक करके अंदर रहने लगी फिर और दो दिन बाद सिचुएशन थोड़ा सहज हुआ. मंजु भी धिरे धिरे थोड़ा नरम होने लगी और कल जब तुम्हारी नानी से मंजु की बात हुई तो तभी हम जान पाये."
मेरे दिमाग में बहुत सारी चिंता भर गई. मैं कुछ न बोल कर बैठा रहा. नानाजी बोले
" हम तुम पर जबरदस्ती हमारी इच्छा नही थोपेंगे. जल्दी जवाब देने की जरुरत नही. तुम टाइम लेके सोचो. फिर बताओ. जो भी राय होगी तुम्हारी, उसे हम प्यार से एक्सेप्ट करेंगे"

उस दिन में बहुत सारी चिंता और नई अनुभुति के साथ नाना जी के रूम से निकल के मेरे रूम में आया. मेरी अनुपस्थिति में मां मेरा बिस्तर एक दम ठीक से बनाके गयी है . मैं ज्यादा सोच भी नहीं पा रहा था. बस जाके सो गाया लेकिन नीद नहीं आ रही थी. बीच बीच में एक नई उत्तेजना से कांपने लगा. जो भावना मेरे मन के अंदर थी, आज वह सच में घटने जा रही है. मैं आंख बंध करके पड़ा रहा. देर रात को कुछ डिसिशन लेने का फैसला किया. पर हालत ऐसा था की उस से पहले खुदको हल्का करने के लिए पाजामे के अंदर से अपना लोड़ा निकल कर हिलाने लगा. लौड़ा आज ज्यादा गरम महसुस हुआ. मन शांत होने लगा क्यों की तब तक शायद मेरे मन में एक डिसिशन हो चुका था और धिरे धिरे एक चैन की नीद आने लगी.

आगला दिन रविवार था मैं सुबह जल्दी उठ गया मैं हमेशा जल्दी उठता हूं माँ ने ये आदत लगाई है माँ ने मुझे ऐसी बहुत सारी अच्छी आदते सिखाई है। इसलिए में ज़िन्दगी के रास्ते में चलते टाइम हर पल उनकी उपस्थिति महसुस करता हु. वही एक मात्र नारी है जो मेरे पूरे दिल में छाई हुई है. शायद इसलिए कभी और कोई लड़की मेरे मन में जगह नहीं बना पाई कल रात नानाजी नानीजी ने जो बात कही है, हो सकता है इस दुनिया में ऐसा होता नहीं है. समाज उस चीज़ को मान्यता देता नहीं है. पर हमारे घर में सब..यानी की नाना, नानी और माँ...सब इससे सहमत है. सब हमारी भलाई के लिए ही यह चाहते है और उसके लिए जो भी बाधा का सामना करना पड़ेगा, जो संकट सामने आकर खड़ा होगा, जो भी सैक्रिफाइस करने पड़ेंगे, वह लोग सब कुछ सहने के लिये तैयार है. तो बाहर की दुनिया के बारे में क्या सोचना !! और माँ भी एक नारी है. उनके अंदर जो औरत है, उस सुन्दर औरत को में पिछले 6 साल से प्यार करते आ रहा हु. बॉल अब मेरे कोर्ट में है. अगर मैं चाहू तो वह कोमल दिल की नाज़ुक औरत ज़िन्दगी भरके लिए मेरी हो सकती है इसी वास्तव दुनिया मे, मेरी जीवनसाथी बन सकती है, मेरी बीवी बन सकती है, मेरे बच्चों की माँ बन सकती है. एक ख़ुशी के आवेश मे मैं आँख मूंद के बिस्तर पर पड़ा रहा. तभी दरवाज़ा खट खटा के नानाजी ने नाश्ते लिए बुलाया.
माँ सब की नज़रों से छुपके रह रही है, स्पेशली मुझसे. नाश्ते की टेबल पे भी कल रात जैसी स्थिति थी. माँ किचन से नानी के हाथ खाना भेज रही है. आज सब लोग थोड़ा कम बोल रहे है. पुरा दिन ऐसे ही कटता रहा. मैं नाना नानी से कम्फर्टेबल होने की कोशिश कर रहा था. फिर भी दिमाग का एक हिस्सा सब कुछ नार्मल बनाने से रोक रहा है. वह लोग भी आपस में बात कर रहे है लेकिन धीरे धीरे, कभी कभी मुझसे दूर रहके या मेरी नज़र से बाहर. पर सब कुछ मैं महसूस कर पा रहा था माँ केवल अपने रूम और किचन में ही आना जाना कर रही है पीछे के रास्ते से. सो वह मेरे सामने आने में हिचकिचा रही है. शायद शर्म ने उनको रोक रखा है.

मैं हमेशा की तरह संडे रात को निकल पड़ा स्टेशन जाने के लिए . मैं रात को ट्रेवल करता था एमपी जाने के लिये. लेकिन इस बार सब कुछ पहले जैसे नहीं हुआ. इस बार मैं चुप चाप निकलने की तैयारी करने लगा. नाना नानी भी स्माइल लेके चुप चाप खड़े है. नानी के पैर छूते ही उन्होंने मुझे गले लगा लिया और कुछ पल ऐसे ही वह पकड़ के रखी. जब उन्होंने मुझे छोड़ा तब वह एक माँ की स्नेह भरी आवाज़ से बोली " अपना ख़याल रखना". मैंने खामोशी से सर हिलाया. नानाजी मेरे करीब आकर मेरी पीठ थप थपा दिए . मैं खामोशी से स्माइल देके अपना बैग उठाने लगा. मेरा मन बहुत कह रहा था की एक बार माँ से मिलके जाऊ. लेकिन कल रात से में खुद उनके सामने जा नहीं पा रहा हु, एक संकोच ने घेर रखा है मुझे. एक शर्म ने मुझे दूर कर रखा है उनसे. चाह कर भी मेरे कदम उठाके उनके सामने जा नहीं पा रहा हु. शायद यह इसलिए की मैं खुद से ज्यादा उनको शर्मिंदा नहीं करना चाहता था. ऐसी सिचुएशन में उनको नहीं ड़ालना चाहता था जहाँ वह शर्म और ग्लानी में खुद को दुःख पहुँचाए. तभी भी मैं जाने से पहले उनकी एक झलक देखने के लिए छट पटा रहा था. दरवाजे से निकल के नाना नानी को “बाय” बोलते टाइम , उनकी नज़र चुराके अंदर की तरफ देखा. मन सोच रहा था , शायद वह वहां कहीं खड़ी होगी पर में निराश होके निकल गया.

ऑफिस में भी मन में वह बात आ जाती थी. जब भी उस बारे मे में थोड़ा गौर से सोचता था, तब ख़ुशी का एक आवेश मुझे पकड़ लेता था. पूरा हफ्ता ऐसे ही ख़ुशी और एक टेंशन में गुजरता रहा.
मैं वापस आने के बाद माँ को भी फ़ोन नहीं करता था. जब भी मैं फ़ोन करने के लिए सोचता था, मुझे एक शर्म और एक अंजान अनुभुति घेर लेती थी.
ऐसे ही सब कुछ सोच के, सब ठीक विचार कर के, मेरे मन में एक रोशनी पैदा हुई. मेरा दिल भी अब एक पक्के डिसिशन पर पहुंच गया और जैसे ही मेरे ने दिमाग उस डिसिशन को एक्सेप्ट किया, तभी से मेरे अंदर एक आनंद और सुख की अनुभुति फैल गई. मैने संकोच से बाहर आ कर मेरा डिसिशन नानाजी को बताना चाहा..


आखिर उस शुक्रवार डिनर के बाद मेने नानाजी को फोन लगाया. नानाजी फोन उठा के बोले.
“हैल्लो.''
मैं तुरंत कुछ बोल नहीं पाया. कुछ पल बाद बोला
''हैल्लो नानाजी..आप लोग सो तो नहीं गए?''
''नही नहीं बेटा.... सोया नही..बस सोने की तैयारी कर रहा हु”.
मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा है. कैसे क्या कहुँ वह ठीक से जबान पर नही आ रहा है. मैं जबाब में केवल "ओह अच्छा..'' ही बोल पाया. फिर मेरी चुप्पी देख के नानाजी भी बात ढूंढ ने लगे और बोले.
"तुम कैसे हो बेटा?''
"मैं ठीक हूं''
"डिनर हो गया तुम्हारा?"
"हा जी...."
मेरी इस तरह ख़ामोशी देख के नानाजी ने पूछा
''हितेश...बेटा तुम्.... कुछ कहना चाहोगे?''
मैने ने जैसे ही जवाब में '' ह्म्म्म'' कहा, मेरे बदन में एक करंट सा दौड़ गया, पूरा शरीर कांपने लगा, खुद को कंट्रोल करते हुए मैंने कहा
'' नानाजी,.....आप लोग मुझसे बहुत बड़े है. और हमेशा से मेरी भलाई बुराई सोचते आ रहे है......''
फिर में रुक गया.
नानाजी बहुत ध्यान से बिलकुल साइलेंट होक सुनने लगे. शायद वह मेरी ख़ामोशी की भाषा भी पड़ने की कोशिश कर रहे थे. मैं फिर बोलने लगा
''अगर....अगर....आप लोगों को लगता है की .....इस में ही सब का अच्छा है......इससे सब खुश रहेंगे ....... और ....... और ..... माँ भी इस से सहमत है ......... तो .... .....''
मैं रुक गया. यह बताने के बाद एक खुशी और एक अद्धभुत फीलिंग मेरे पूरे खून में दौड़ने लगी. नानाजी हसीं के साथ अचानक बोले
'' मैं समझ गया बेटा. तुम बिलकुल चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा.
तूम बस कल घर आओ . बाकि बाते घर पे बैठ के करेंगे''
उस रात मुझे न कोई तस्वीर, न कोई मन घड़ंत दुनिया की जरुरत पड़ी. मैं अपने ही बेड पे लेटे लेटे आनेवाले कल में जो होनेवाला है, वह सोच के रोमांचित हो गया. इतने दिन जो चीज़ केवल मेरे मन के अंदर थी. आज अचानक वह चीज़ इस दुनिया में सच होने जा रही है. मैने यह सब सोच कर मेरे पाजामे का नाडा खोला आलरेडी मेरा लौड़ा उसके आनेवाले समय को महसुस करके खुद ही ख़ुशी से फूल रहा था. मैं पूरी मुठ्ठी से उसे पकड़के धीरे धीरे सहलाने लगा. आँख बंध करते ही मेरी माँ मेरी नज़र के सामने खड़ी है.
Picsart-24-04-07-23-45-27-900
मैं और उत्तेजित हो गया यह सोच के की यह खूबसूरत औरत कुछ दिनों में बस मेरी ही होने वाली है. मेरी बीवी बनने वाली है. मेरे लोड़े का कैप इस सोच में और भी फूल गया. मैं तेज़ी से हिलने लगा और माँ के गले में मेरा दिया हुआ मंगलसूत्र और मांग में मेरे नाम के सिन्दूर की कल्पना करके में ओर्गास्म की तरफ पहुच गया.

eda19a90fa852208cf93dcf990808eef



मैं तेज़ी से सांसे लेके बोलने लगा ' माँ..आई लव यू आई लव यु माँ...आई.. लव यु'. माँ की कोमल चूत, जिसको बस कुछ दिन बाद से केवल मुझे ही एक्सेस करने का अधिकार मिलेगा,


5445F3B


उसकी कल्पना करके उसके अंदर मेरा वीर्य छोड़ने का सुख महसुस करके, मेरा एकदम फुला हुआ मोटा पेनिस जोर जोर से झटके खाने लगा. आज पहली बार इतना सीमेन निकला की मैं खुद हैरान हो गया. जब मेरा ओर्गास्म पूरा हो गया, मैं शान्ति से आँख बंध करके बेड पर पड़ा रहा.

×××××××××××××××××××××××××××××××××××××××××

My another story ~ Maa meri ho gayi (running)
 
Last edited:

Esac

Maa ka diwana
238
1,205
124
Jabardast update
Lund hard ho gya bhai full mummy ko chodna aahhhh
Interesting story..
Romanchak kahani. Pratiksha agle rasprad update ki
Great hand job thinking of Mom.
Great update.
Pratiksha agle rasprad update ki
Thank you dosto esi hi sath Bane rahiye 🙏 Naya update aa gaya hai
 

123@abc

Just chilling
905
1,401
139
677632-sari-on-off.jpg


Ye to her ek laal ka sapna hota hai


21615965_175926102976649_7005028371342804530_n.jpg
 
Top