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Amezing updateUpdate 17
घर आने में ज्यादा लेट नहीं हुआ. सब काम ठीक से करके वापस आकर डिनर भी कर लिया. मार्किट से वापस आने के बाद उनसे बात भी करली. आज बाकि दिनों के मुकाबले जल्दी उनसे बात ख़तम कर दि. हम दोनों को नीद की सख्त जरुरत थी. पिछली 4 रातें हमने बहुत बात करके बिताई है. मुझे भी सुबह ऑफिस जाना पड़ता है और माँ को भी घर का काम संभालने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है पर आज हम दोनों की बॉडी थकी हुई थी और कल में अहमदाबाद जा रहा हुँ.
माँ से आज देर रात तक बात नहीं हुई, लेकिन मैं सो भी नहीं पा रहा था. अब मैं P .C. खोल के बैठा हुआ था. कल मैं उनसे बात करते वक़्त बहुत भावूक हो गया था और मैंने उनसे सामने एक कन्फेशन भी किया. मैंने बता दिया की मैं उनसे प्यार करता आ रहा हुँ पिछले 6 साल से. मैंने यह भी बोला था की मैने कभी उस प्यार के बारे में किसी को पता लगने नही दिया. पर अब हमारे नसीब मैं और कुछ लिखा हुआ है. माँ गौर से मेरी बात सुन रही थी और सरप्राइज भी हो गयी थी. मैंने ये भी बताया की हो सकता है मेरे उसी सच्चे प्यार के कारण अनजाने में भगवान ने हमारे नसीब में ये मिलन लिख दिया है. जब मैंने उन्हें यह चीज़ बताने लगा की मैं उन्हे कैसे प्यार करते आ रहा हूं, तो वह थोड़ा शर्मा गई. पिछले 18 साल उन्होंने अकेले गुजार दिये ज़िन्दगी का अहम भाग उन्होंने साथी के बिना गुज़ारा है. उनका भी तन एक परिपूर्ण संतुष्टि, परिपूर्ण तृप्ति चाहता होगा. कुछ ही दिन में हमारी शादी होने जा रही है और हम पति पत्नी बनके पूरी लाइफ गुजारने जा रहे है और मैं उन्हें वह सब कुछ देना चाहता हुँ.
लेकिन मैं अभी तक वर्जिन हुँ और वह मुझसे 16 साल बड़ी है. मैं पोर्न का एडिक्टेड नहीं हुँ पर इस परिस्थिति में मैने इंटरनेट से सेक्स एजुकेशन लेने का फैसला लिया. हस्बैंड वाइफ को क्या क्या करना चाहिए सुखी लाइफ बिताने के लिए. एक दूसरे को मेंटली, और फिजिकली भी खुश रखना चाहिए. तो मैंने सेक्स गाइड पड़ना शुरू किया. स्पेशली में पड़ रहा हु " “How to satisfy Women in Bed”
जब मैं घर आया तो नानीजी ने मेरा स्माइल के साथ स्वागत किया. पर उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखके, थोड़ा चिंतित होकर पुछा
" क्या हुआ बेटा!! तुम्हारी तबियत तो ठीक है?"
मैं पहले चोंक गया पर बाद में रियालाइज किया की शायद मेरे आँखों के नीचे जो हल्के डार्क सर्कल दिख रहे है, उसी के कारण नानीजी चिंतित हो गई होंगी. पिछले 5 रात ठीक से नीद पूरी नहीं हुई थी. माँ और मैं दो प्रेमी के तरह रात भर बातें करते रहे और साथ ही साथ ऑफिस के काम के अलावा घर सजाने की खरीदारी में बहुत व्यस्त हो गया था पर मैं यह सब उनको कैसे बताऊँ की उनकी बेटी से शादी करके घर बसाने और उनकी बेटी के साथ मिलन के लिए मैं क्या क्या कर रहा हुँ. मैंने परिस्थिति सँभालने के लिए कहा
" हाँ नानीजी...मैं बिलकुल ठीक हुं"
नानीजी ने मेरे चेहरे को गौर से देखा और फिर नानाजी के तरफ नज़र घुमाई. तब नानाजी उनको बोले
" अरे भाई इतना दूर से सफर करके आ रहा है. थक गया होंगा."
फिर मेरे तरफ देख के बोले
" आज रात कसके नीद ले लो, सुबह एकदम फ्रेश हो जाओगे?"
मैं थोड़ा हंसकर उनकी बातों को सहमति देने लगा. मैं यह महसूस कर रहा था कि, मैं उन लोगों का दामाद बनने जा रहा हुँ, पर मैं उन लोगों का पोता भी तो हुँ. तो आज तक नानीजी मुझे जिस नज़र से देखते आ रही है, जैसे मेरे बारे में चिंतित होती है आज भी वैसे ही उन्होंने प्यार, स्नेह और ममता के साथ मुझे देखा और अपनी चिंता बताई. यह भी सही है की माँ और मैं जैसे एक परिवर्तन से गुजर रहे है, उन लोगों को भी तो समय लगेगा अपने पोते को पूरी तरह दामाद की नज़र से देखने के लिए. मैं यही सब सोचते सोचते दरवाजा खटखटाया था की क्या मैं माँ को सामने से देख पाऊंगा या नही. लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दी.
मैं जहाँ बैठा हु , मेरे पोजीशन से डोर के बाहर किचन का डोर है. मुझे यहाँ बैठ कर आवाज़ से पता चल गया था की माँ किचन में थी. तो नानाजी से बात करते हुए मेरी नज़र बार बार उस डोर के तरफ जा रहा थी क्यूंकि अब मेरी बीवी का चेहरा देखने के लिए मेरा मन बहुत चंचल हो रहा था तो जब वह चाय लेके आईं, मैं बात करते करते इधर उधर देखने की एक्टिंग करने लगा और उनकी एक झलक देख लि.
वह चाय की ट्रे के साथ नज़र झुकाके चलते हुए आ रही थी. चेहरा बिलकुल नोर्मल था बिना किसी एक्सप्रेशन के. मैं समझ गया की वह सब के सामने सहज रहने की कोशिश कर रही है. लेकिन फिर भी उनको चलकर आते हुए देख के मेरी छाती में एक अजीब सी सिहरन हुई और मेरे जीन्स के अंदर मेरा लोड़े में खुन भर गया.
माँ नज़दीक आईं तो मैं भी नाना नानी के सामने उनको ज्यादा देख नहीं पा रहा था पर बीच बीच में उनपर नज़र डाल रहा था. उन्होंने नानाजी को चाय दि और मेरे सामने वाली टेबल पे मेरा कप रख दिया. उन्होंने मेरी तरफ नज़र नहीं उठाई. तभी नानीजी बोल पड़ी तो माँ ने नज़र उठाके उन्हे देखा. नानीजी बोली
" मंजू...हितेश के लिए नाश्ता बनादे"
फिर नानी मुझे देख कर बोली
" बेटा क्या खाओगे?"
मैने कहा
" कुछ भी चलेगा"
नानी जब मुझसे बात कर रही थीं, तब माँ भी नानी को ही देख रही थी. फिर नानी, माँ को देखके बोली
" बेटा परांठे बनादे "
माँ सर हां में हिलाके चली गई और किचन में दाखिल हो गयी. माँ ऐसे आईं और गयी जैसे की मैं वहां हूं ही नही. मेरी उपस्थिति को पूरा इग्नोर करके चली गयी. मुझे बहुत गुस्सा आया. फ़ोन पे बात करके हम कितना एक दूसरे के नज़दीक आने लगे थे , और अब मां मुझे एकदम दूर कर रही है !! मुझे उनका दि हुई चाय भी पीने का मन नहीं कर रहा था पर क्या करूँ!! अब यहाँ से उठके जा नहीं सकता. नाना नानी के सामने फिर एक नई परिस्थिति क्रिएट हो जायगी. फिर सोचा की ठीक है, अब दूर रह रही है, लेकिन कब तक दूर भागेगी मुझसे. मैं भी जिद्दी हु, उनको जल्द से जल्द मेरी बाँहों में आना होगा. यह सोच कर गुस्सा थोड़ा ठण्डा होने लगा और मैं चाय का कप उठाके नानीजी को देखते हुए सिप मारने लगा.
नानीजी कह रही थी की शादी के दो दिन पहले हमे रिसोर्ट पहुंच जाना चाहिए और फिर शादी के बाद अगले दिन हम सब वहां से निकल जाएंगे. नानाजी कहते है की इतने दिन वहां रहकर क्या करना है. शादी के एक दिन पहले जाना है, शादी का मुहूर्त अगली सुबह है. तो शादी जल्दी ही ख़तम हो जायेगी और उसी दिन दोपहर में हम निकल जाएंगे. जब इस बात पर उन लोगों के बीच बहस चल रही थी तब मैं केवल साइलेंट दर्शक बनकर उन दोनों को देख रहा था तभी माँ किचन से बाहर आई. आके नाना नानी से नज़र छिपाकर दिवार पर टेक लगाके खड़ी होकर मुझे देखने लगी.
मैं उनकी तरफ न देख कर भी यह सब मेरे साइड विज़न से देख पा रहा था. मेरे अंदर का भी थोड़ा गुस्सा कम हो रहा था इसलिए मन में उनको देखने की प्रबल इच्छा हुई. फिर भी मैं बहुत टाइम से खुद को कंट्रोल कर रहा था वह वही खड़ी खड़ी मुझे देख रही थी और उनके साड़ी का आंचल खुद के हाथ की उँगलियों में लेके गोल गोल घुमा रही थी. मैं खुद से जूझ रहा था की मैं उनकी तरफ देखूँ या नही. पर कुछ टाइम बाद जैसे ही में सर मोड़ ने लगा, तो उनकी आंखों से मेरी आंखे मिल गई. मुझसे नज़र मिलते ही एक शर्म से भरी मुस्कराहट उनके होठ पे खील गई. लेकिन वो गई नही. मेरा गुस्सा फिर बढ़ गया की अभी कुछ देर पहले ऐसे इग्नोर करके गईं, और अभी छुप छुपके मुझे देख कर मुस्कुरा भी रही है.
मैंने भी इग्नोर किया और मुंह मोड़कर नज़र नानी की तरफ कर ली. पर मेरे ऑफ विज़न से मुझे पता चल रहा था की वह अभी भी वहां खड़ी होकर मुझे देख रही है. अब मुझे खुद के ऊपर गुस्सा आया. मैंने क्यों देखा अभी उनको. मेरी इस हरकत से उनको पता चल गया की मैं ग़ुस्से में हु और वो जान बुझकर मुझे चिढ़ाने के लिए अभी भी वहां खड़ी है. बचपन से वो मुझे अच्छी तरह से जानती है. नहीं देखता तो ठीक था लेकिन क्या करे, इस नज़र की क्या गलती, मन ही नहीं मानता उनको देखे बिना.
RomanticUpdate 17
घर आने में ज्यादा लेट नहीं हुआ. सब काम ठीक से करके वापस आकर डिनर भी कर लिया. मार्किट से वापस आने के बाद उनसे बात भी करली. आज बाकि दिनों के मुकाबले जल्दी उनसे बात ख़तम कर दि. हम दोनों को नीद की सख्त जरुरत थी. पिछली 4 रातें हमने बहुत बात करके बिताई है. मुझे भी सुबह ऑफिस जाना पड़ता है और माँ को भी घर का काम संभालने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है पर आज हम दोनों की बॉडी थकी हुई थी और कल में अहमदाबाद जा रहा हुँ.
माँ से आज देर रात तक बात नहीं हुई, लेकिन मैं सो भी नहीं पा रहा था. अब मैं P .C. खोल के बैठा हुआ था. कल मैं उनसे बात करते वक़्त बहुत भावूक हो गया था और मैंने उनसे सामने एक कन्फेशन भी किया. मैंने बता दिया की मैं उनसे प्यार करता आ रहा हुँ पिछले 6 साल से. मैंने यह भी बोला था की मैने कभी उस प्यार के बारे में किसी को पता लगने नही दिया. पर अब हमारे नसीब मैं और कुछ लिखा हुआ है. माँ गौर से मेरी बात सुन रही थी और सरप्राइज भी हो गयी थी. मैंने ये भी बताया की हो सकता है मेरे उसी सच्चे प्यार के कारण अनजाने में भगवान ने हमारे नसीब में ये मिलन लिख दिया है. जब मैंने उन्हें यह चीज़ बताने लगा की मैं उन्हे कैसे प्यार करते आ रहा हूं, तो वह थोड़ा शर्मा गई. पिछले 18 साल उन्होंने अकेले गुजार दिये ज़िन्दगी का अहम भाग उन्होंने साथी के बिना गुज़ारा है. उनका भी तन एक परिपूर्ण संतुष्टि, परिपूर्ण तृप्ति चाहता होगा. कुछ ही दिन में हमारी शादी होने जा रही है और हम पति पत्नी बनके पूरी लाइफ गुजारने जा रहे है और मैं उन्हें वह सब कुछ देना चाहता हुँ.
लेकिन मैं अभी तक वर्जिन हुँ और वह मुझसे 16 साल बड़ी है. मैं पोर्न का एडिक्टेड नहीं हुँ पर इस परिस्थिति में मैने इंटरनेट से सेक्स एजुकेशन लेने का फैसला लिया. हस्बैंड वाइफ को क्या क्या करना चाहिए सुखी लाइफ बिताने के लिए. एक दूसरे को मेंटली, और फिजिकली भी खुश रखना चाहिए. तो मैंने सेक्स गाइड पड़ना शुरू किया. स्पेशली में पड़ रहा हु " “How to satisfy Women in Bed”
जब मैं घर आया तो नानीजी ने मेरा स्माइल के साथ स्वागत किया. पर उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखके, थोड़ा चिंतित होकर पुछा
" क्या हुआ बेटा!! तुम्हारी तबियत तो ठीक है?"
मैं पहले चोंक गया पर बाद में रियालाइज किया की शायद मेरे आँखों के नीचे जो हल्के डार्क सर्कल दिख रहे है, उसी के कारण नानीजी चिंतित हो गई होंगी. पिछले 5 रात ठीक से नीद पूरी नहीं हुई थी. माँ और मैं दो प्रेमी के तरह रात भर बातें करते रहे और साथ ही साथ ऑफिस के काम के अलावा घर सजाने की खरीदारी में बहुत व्यस्त हो गया था पर मैं यह सब उनको कैसे बताऊँ की उनकी बेटी से शादी करके घर बसाने और उनकी बेटी के साथ मिलन के लिए मैं क्या क्या कर रहा हुँ. मैंने परिस्थिति सँभालने के लिए कहा
" हाँ नानीजी...मैं बिलकुल ठीक हुं"
नानीजी ने मेरे चेहरे को गौर से देखा और फिर नानाजी के तरफ नज़र घुमाई. तब नानाजी उनको बोले
" अरे भाई इतना दूर से सफर करके आ रहा है. थक गया होंगा."
फिर मेरे तरफ देख के बोले
" आज रात कसके नीद ले लो, सुबह एकदम फ्रेश हो जाओगे?"
मैं थोड़ा हंसकर उनकी बातों को सहमति देने लगा. मैं यह महसूस कर रहा था कि, मैं उन लोगों का दामाद बनने जा रहा हुँ, पर मैं उन लोगों का पोता भी तो हुँ. तो आज तक नानीजी मुझे जिस नज़र से देखते आ रही है, जैसे मेरे बारे में चिंतित होती है आज भी वैसे ही उन्होंने प्यार, स्नेह और ममता के साथ मुझे देखा और अपनी चिंता बताई. यह भी सही है की माँ और मैं जैसे एक परिवर्तन से गुजर रहे है, उन लोगों को भी तो समय लगेगा अपने पोते को पूरी तरह दामाद की नज़र से देखने के लिए. मैं यही सब सोचते सोचते दरवाजा खटखटाया था की क्या मैं माँ को सामने से देख पाऊंगा या नही. लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दी.
मैं जहाँ बैठा हु , मेरे पोजीशन से डोर के बाहर किचन का डोर है. मुझे यहाँ बैठ कर आवाज़ से पता चल गया था की माँ किचन में थी. तो नानाजी से बात करते हुए मेरी नज़र बार बार उस डोर के तरफ जा रहा थी क्यूंकि अब मेरी बीवी का चेहरा देखने के लिए मेरा मन बहुत चंचल हो रहा था तो जब वह चाय लेके आईं, मैं बात करते करते इधर उधर देखने की एक्टिंग करने लगा और उनकी एक झलक देख लि.
वह चाय की ट्रे के साथ नज़र झुकाके चलते हुए आ रही थी. चेहरा बिलकुल नोर्मल था बिना किसी एक्सप्रेशन के. मैं समझ गया की वह सब के सामने सहज रहने की कोशिश कर रही है. लेकिन फिर भी उनको चलकर आते हुए देख के मेरी छाती में एक अजीब सी सिहरन हुई और मेरे जीन्स के अंदर मेरा लोड़े में खुन भर गया.
माँ नज़दीक आईं तो मैं भी नाना नानी के सामने उनको ज्यादा देख नहीं पा रहा था पर बीच बीच में उनपर नज़र डाल रहा था. उन्होंने नानाजी को चाय दि और मेरे सामने वाली टेबल पे मेरा कप रख दिया. उन्होंने मेरी तरफ नज़र नहीं उठाई. तभी नानीजी बोल पड़ी तो माँ ने नज़र उठाके उन्हे देखा. नानीजी बोली
" मंजू...हितेश के लिए नाश्ता बनादे"
फिर नानी मुझे देख कर बोली
" बेटा क्या खाओगे?"
मैने कहा
" कुछ भी चलेगा"
नानी जब मुझसे बात कर रही थीं, तब माँ भी नानी को ही देख रही थी. फिर नानी, माँ को देखके बोली
" बेटा परांठे बनादे "
माँ सर हां में हिलाके चली गई और किचन में दाखिल हो गयी. माँ ऐसे आईं और गयी जैसे की मैं वहां हूं ही नही. मेरी उपस्थिति को पूरा इग्नोर करके चली गयी. मुझे बहुत गुस्सा आया. फ़ोन पे बात करके हम कितना एक दूसरे के नज़दीक आने लगे थे , और अब मां मुझे एकदम दूर कर रही है !! मुझे उनका दि हुई चाय भी पीने का मन नहीं कर रहा था पर क्या करूँ!! अब यहाँ से उठके जा नहीं सकता. नाना नानी के सामने फिर एक नई परिस्थिति क्रिएट हो जायगी. फिर सोचा की ठीक है, अब दूर रह रही है, लेकिन कब तक दूर भागेगी मुझसे. मैं भी जिद्दी हु, उनको जल्द से जल्द मेरी बाँहों में आना होगा. यह सोच कर गुस्सा थोड़ा ठण्डा होने लगा और मैं चाय का कप उठाके नानीजी को देखते हुए सिप मारने लगा.
नानीजी कह रही थी की शादी के दो दिन पहले हमे रिसोर्ट पहुंच जाना चाहिए और फिर शादी के बाद अगले दिन हम सब वहां से निकल जाएंगे. नानाजी कहते है की इतने दिन वहां रहकर क्या करना है. शादी के एक दिन पहले जाना है, शादी का मुहूर्त अगली सुबह है. तो शादी जल्दी ही ख़तम हो जायेगी और उसी दिन दोपहर में हम निकल जाएंगे. जब इस बात पर उन लोगों के बीच बहस चल रही थी तब मैं केवल साइलेंट दर्शक बनकर उन दोनों को देख रहा था तभी माँ किचन से बाहर आई. आके नाना नानी से नज़र छिपाकर दिवार पर टेक लगाके खड़ी होकर मुझे देखने लगी.
मैं उनकी तरफ न देख कर भी यह सब मेरे साइड विज़न से देख पा रहा था. मेरे अंदर का भी थोड़ा गुस्सा कम हो रहा था इसलिए मन में उनको देखने की प्रबल इच्छा हुई. फिर भी मैं बहुत टाइम से खुद को कंट्रोल कर रहा था वह वही खड़ी खड़ी मुझे देख रही थी और उनके साड़ी का आंचल खुद के हाथ की उँगलियों में लेके गोल गोल घुमा रही थी. मैं खुद से जूझ रहा था की मैं उनकी तरफ देखूँ या नही. पर कुछ टाइम बाद जैसे ही में सर मोड़ ने लगा, तो उनकी आंखों से मेरी आंखे मिल गई. मुझसे नज़र मिलते ही एक शर्म से भरी मुस्कराहट उनके होठ पे खील गई. लेकिन वो गई नही. मेरा गुस्सा फिर बढ़ गया की अभी कुछ देर पहले ऐसे इग्नोर करके गईं, और अभी छुप छुपके मुझे देख कर मुस्कुरा भी रही है.
मैंने भी इग्नोर किया और मुंह मोड़कर नज़र नानी की तरफ कर ली. पर मेरे ऑफ विज़न से मुझे पता चल रहा था की वह अभी भी वहां खड़ी होकर मुझे देख रही है. अब मुझे खुद के ऊपर गुस्सा आया. मैंने क्यों देखा अभी उनको. मेरी इस हरकत से उनको पता चल गया की मैं ग़ुस्से में हु और वो जान बुझकर मुझे चिढ़ाने के लिए अभी भी वहां खड़ी है. बचपन से वो मुझे अच्छी तरह से जानती है. नहीं देखता तो ठीक था लेकिन क्या करे, इस नज़र की क्या गलती, मन ही नहीं मानता उनको देखे बिना.
CorrectWriter ji ek guzarish hai..maa aur bete ki baaton mein kuchh kamuk baatein aur harkatein le aao woh bhi bina asli rishta bhuley huye..aur maa-beta har waqt ek dusre ko beta aur maa hi kahte huye ye sab karein toh mazaa aa jaye
Super duper update
![]()
Awesome update![]()
Bahut hi behtarin updates… bhavanaon ko bhaut hi jabardast tarike se vayakt kiya hai in update main …
Thanks friendsShandar lajawab![]()
Hamesha ki tarah lajawab update thaUpdate 18
थोड़े टाइम बाद माँ किचन में चली गई और इतने में नाना नानी दोनों बात कर रहे थे और नानाजी मेरे तरफ मुड के बोले
"तो रिसॉर्ट की बुकिंग ले लेते है?"
मैं जैसे ही हाँ बोलने जा रहा था तभी बीप बीप करके SMS आया.
मैं "हां" बोलकर मोबाइल चेक करने लगा. इनबॉक्स में देखा माँ का SMS था उन्होंने लिखा था
"मम्मी सही कह रही है. आप को देख के लगता है आप बीमार पड़ गए हैं"
किचन से बीच बीच में धीमी आवाज़ आ रही थी परांठे बनाने की. मेरे अंदर का गुस्सा धीरे धीरे पिघलने लगा और मुझे माँ को तंग करने का मन किया तो मैंने रिप्लाई किया
"तो ठीक है मैं नानी को बता देता हूं की क्यों और कैसे यह सब हुआ"
मैं सेंड करके सुनने की कोशिश कर रहा था की माँ को SMS रिसीव हुआ की नही. लेकिन कोई ट्यून सुनाई नही दी पर तुरंत मेरा मोबाइल बीप बीप करने लगा. माँ का ही SMS था उन्होंने लिखा था
"अरे नहीं नही....ऐसा मत कीजिए. आप इतने गुस्से में क्यों हो?"
नाना नानी को पता न चाले इसलिए मैं नाना नानी का बात सुनने की एक्टिंग करने लगा और वैसे ही मोबाइल में SMS टाइप करते हुए माँ से मेसेज के ज़रिए बात करने लगा. मैंने लिखा
"तुम जो मुझसे इतना दूर भाग रही हो"
उनका रिप्लाई तुरंत आया
"दूर कहाँ !! मैं तो इधर ही हुँ. इतनी पास."
मैं थोड़ा सोच के टाइप किया
"नही.... मेरी बीवी को मेरे और पास होना चाहिए."
कुछ टाइम रिप्लाई नहीं आया पर मालूम है यह मेसेज उन्होंने पड़ लिया. मेरी उंगलियां मोबाइल कीपैड पर नाच रही थी इस टेंशन में की वह क्या रिप्लाई देंगी पर रिस्पॉन्स नहीं आया. किचन से अभी भी आवाज़ आ रही थी. अचानक मोबाइल वाइब्रेट हुआ. देखा की उन्होंने रिप्लाई भेजा था.
"टाइम आने दीजिए, आपको आप की बीवी जितनी पास चाहिए उतनी ही पास मिल जाएगी"
माँ ने इस तरह की बात पहली बार छेड़ी थी. आज तक हमेशा इस तरह के प्यार को अवॉइड करती थी. पर आज उन्होंने उनके दिल का दरवाजा पूरा खोलकर कह दिया की अब वो खुद को पूरी तरह से मेरी बीवी मानने लगी हैं.
ये मेसेज पड़ते ही ऐसा लगा की मेरे शरीर का पूरा खून मेरे लोड़े में जमा हो रहा है. वो फटाफट से एक दम खड़ा हो गया.
मैं अपना एक पैर दूसरे पैर के ऊपर रखके नाना नानी के सामने मेरे प्राइवेट एरिया को दबा कर कंट्रोल करने लगा. उन लोगों को बोलने का मन कर रहा था की आज ही शादी का मुहूर्त निकाल लो जिससे आज रात में ही हमारी सुहागरात हो जाए. अचानक नानाजी के सवाल से मेरी ये भावना टूटी. वह मेरी तरफ देख के पुछ रहे थी.
"तुम क्या बोलते हो बेटा?"
मैं एक दम पुतले जैसा बन गया. समझ नहीं पा रहा था की वह क्या पुछ रहे है. क्यों की पिछले कुछ पलों से में उन लोगों की बातचित नहीं सुन रहा था मुझे मालूम नहीं अब किस बारे में बात हो रहा थी जो नानाजी ऐसा सवाल पूछा. मैं फिर भी सिचुएशन संभालने के लिए बोला
"मैं क्या बोलूं नानाजी. आप लोग जो अच्छा समझेंगे"
नाना को ये पता नहीं चला की मैं हवा में तीर छोड़ा है. वह सीरियसली बोले
"नहीं नही..ऐसी बात नही. अगर तुम्हे ज्यादा छुट्टियां मिले तो तुम दोनों मुंबई से वापस यहाँ आ सकते हो और नहीं तो मैं और तुम्हारी नानी यहाँ आएंगे और तुम लोग M.P. निकल सकते हो. तुम तो वहां रहने का सब बंदोबस्त कर ही रहे होंगे और हम भी कुछ दिन बाद एक बार वहां जाके देख आएंगे."
तब में समझा की शादी के बाद मुंबई रिसोर्ट से कौन कहाँ जाएगा इस बारे में पूछा होगा उन्होंने. मैं बोला
"हमारे साथ आप लोग भी तो चल सकते है M.P.?"
तब नानाजी रिप्लाई देने में थोड़ा हिचकिचा रहे थे तो नानीजी बोली
"क्या है की बेटा.. अब से तुम दोनों को ही ज़िन्दगी में एकसाथ चलना है तो तुम दोनों जाके अपना नया घर बसाना शुरू करो."
फिर नाना को देखकर हस्ते हुए मेरी तरफ मूड के बोली
"और हम तो आएंगे ही. हमारी बेटी का जो घर है -- नहीं आयेंगे क्या? तुम्हारे नाना बोल रहे थे की कुछ दिन बाद आराम से टाइम लेके एक बड़े घर में शिफ्ट हो जाना. बीच बीच में हम भी जाके कुछ दिन रहकर आएंगे"
इस बात पे मेने अपने अंदर एक हल्का सा कम्पन अनुभव किया. मैं अब समझ गया की यह लोग मुझे और माँ को M.P. भेज के क्यों खुद अहमदाबाद वापस आना चाहते है. शादी के बाद मुझे और माँ को एकांत में छोड़ना चाहते है. नए मैरिड कपल के बीच कबाब में हड्डी नहीं बनने चाहते है. माँ के साथ मेरी शादीशुदा लाइफ सही से बन जाए, इसलिए हमे अकेला छोड़ रहे है. उनको मालूम है उस घर में एक बेड रूम है. अगर वह लोग वहां जायेंगे तो एक जवान लड़का और उसकी जवान माँ एक नही हो पाएंगे. इस बारे में और ज्यादा कुछ चर्चा नहीं हुई. तय हुआ की शादी के दिन दोपहर को नाना नानी अहमदाबाद आ जायेंगे और माँ मेरे साथ M.P. जाएंगी.
मैं फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चला गया पर मैं न जाने क्यों आज माँ को अपनी बाहों में लाने के लिए बहुत उतावला हो रहा हुँ. मैं अपने रूम में जाते हुए सोचने लगा अब कैसे मेरी बीवी को मेरे पास, एकदम पास लाके, मेरे मन को शांत करु.
अगला दिन पूरा बाजार में बीत गया इसलिए मैं लेट घर आया. माँ और नानी पहले ही डिनर कर लिया था मैं और नानाजी खाने बैठे तो नानी पास में बैठकर उनकी सेवा करने लगी और माँ खाना परोस रही थी. कल रात भी ऐसा हुआ था माँ अब सब के सामने सहज होकर सब कुछ कर रही है.
लेकिन मुझे एक भी बार नज़र उठाके डायरेक्टली नहीं देख रही थी. इस बार मैं और माँ दोनों ही एक अजीब सिचुएशन में थे. हम फ़ोन पे तो बहुत सारी बातें करते थे हमारे आने वाले फ्यूचर को लेके पर लॉन्ग डिस्टेंस में जितना कंफर्टेबल थे, आमने सामने वैसा नहीं था स्पेशली नाना नानी की मोजुदगी मे.
फोन पर हम दोनों प्रेमियों की तरह मिल रहे थे. पर उन लोगों के सामने वैसा होने में एक शर्म आ रही थी. वह मेरे सामने तो आ रही है पर मुझसे नज़र चुरा रखी है पर जब नाना नानी दूसरी तरफ बिजी है तब वह मुझे छुप के देखती थी. और नज़र मिलते ही शर्मा के झुका लेती थी.
उनके नरम गुलाबी होंठों की मुस्कान मुझे पागल कर देती है. उनको मेरे सामने इसे चलते फिरते, बातें करते, हस्ते हुए देखकर
मेरे छाती में हरपल एक हल्की सिहरन होती है. मेरा लन्ड मेरे अंडरवियर के अंदर सख्त हो जाता है.
आज मैं नानाजी के साथ अहमदाबाद जाके शादी की शेरवानी पसंद करके आया था. फिर ज्वेलरी की दुकान में मेरी उंगली का नाप दिया अंगूठी के लिए. फिर कुछ इधर उधर का घर का सामान ख़रीदते हुए लेट हो गए थे इस सब की वजह से जब खाना खाकर मैं थोड़ा आराम करने के लिए लेट गया तो तब पता नहीं कब नीद आ गई.
अगले दिन मैं फटाफट रेडी होकर निकल पडा. निकलते वक्त माँ ड्राइंग रूम में डोर पे खड़ी थी. मैंने नाना नानी से विदा लेके एक बार कुछ पलों के लिए माँ की तरफ देखा. उनकी आँखों में हरबार माँ का प्यार और ममता होती थी लेकिन इस बार वह नहीं था.
इस बार ऐसा लगा की पति जब पत्नी को छोड़कर दूर जात है, तब पत्नी की नम आँखों में जो प्यार और दर्द रहता है, जिसके ज़रिए वह अपनी दिल की सारी बातें बिना कहे बता देती है, वो उस नज़र से मुझे देख रही थी जिससे मेरा मन भारी हो गया.