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Romance In Love.. With You... (Completed)

Adirshi

Royal कारभार 👑
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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

----x-----x------

श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
 

Naik

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Update 2


‘जैसे ही उसने उस धीमी रोशनी वाले कमरे मे कदम रखा उसे अपने ऊपर किसी की आखे जमी हुई महसूस हुई जो सीधे उसके दिल को भेद रही थी, वो जानती थी के वो खतरनाक है लेकिन फिर भी उससे दूर नाही जा पा रही थी, उसके खिचाव से अपने आप को बचा नही पा रही थी, उसका चलना उसके बात करने का तरीका मानो पूरी दुनिया उसके कदमों मे हो.. उसे अपनी ओर खीच रहा था

“तुम्हें यहा नाही आना चाहिए था” वो हल्की आवाज मे गुरगुराया

“मैं.. मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी, अब और दूर नाही रहा जाता” उसने उसकी आँखों से आंखे डाल कर कहा

धीरे धीरे वो उसकी ओर बढ़ने लगा’ लेकिन तभी

“दीदी” इस आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और उसने सर उठा कर दरवाजे की तरफ देखा, आज फिर कोई उसके नॉवेल मे खलल डाल गया था

ये है हमारी कहानी की नायिका, नेहा एक खूबसूरत और उतनी ही सुलझी हुई लड़की, नेहा के माता पिता अब इस दुनिया मे नही रहे इसीलिए 10 साल की उम्र से ही अपने चाचा चाची के साथ ही रही है, उसके चाचा चाची ने भी नेहा को अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार किया है, शिवशंकर ने राघव के लिए नेहा को चुना था, नेहा को उन्होंने एक चैरिटी ईवेंट मे देखा था जहा उन्हे वो देखते साथ ही राघव के लिए पसंद आ गई थी।

नेहा एक मिडल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती थी और जब शिवशंकर ने उसके चाचा चाची से नेहा का हाथ मांगा तब वो लोग काफी खुश हुए और आज शाम ही वो लोग उनके घर मिलने आने वाले थे जिसकी खबर देने ही नेहा का भाई अभी अभी उसके नॉवेल मे उसे डिस्टर्ब करने आया था..

नेहा- ऑफफो सचिन संडे के दिन तो आराम से नॉवेल पढ़ने दिया करो

सचिन- नॉवेल छोड़ो दीदी काम की बात सुनो पहले, मा आपको नीचे बुला रही है

नेहा- हा चाची से कहो आ रही हु

कुछ समय बाद नेहा अपने चाचा चाची के सामने हॉल मे बैठी थी

संगीता ( नेहा की चाची ) – नेहा बेटे तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है..

नेहा को कुछ पल तो क्या रिएक्शन दे समझ ही नही आया वो कुछ नाही बोली

संगीता – नेहा बेटा बहुत अच्छे परिवार से खुद चल कर रिश्ता आया है, वो लोग आज शाम मे आ रहे है तुमसे मिलने

नेहा – लेकिन चाची मैं अभी शादी नही करना चाहती, मुझे मेरी डांस एकेडमी खोलनी है उसमे करिअर बनाना है,

सतीश- वो सब तो बेटा शादी के बाद भी हो जाएगा, देशपांडे जी के परिवार से रिश्ता आया है, शिवशंकर देशपांडे जी के बड़े पोते का, एक बार उन लोगों से मिल लो

नेहा – ठीक है चाचू...
__________________
उसी दिन शाम को शिवशंकर देशपांडे और घर के बाकी लोग नेहा और उसके परिवार से मिल आए सबको नेहा और उसके घरवाले सही लगे थे और जब वो मिल कर लौट रहे थे तब गाड़ी मे..

शिवशंकर- क्या हुआ गायत्री क्या सोच रही हो ?

गायत्री – सोच रही हु के क्या एक छोटे से मिडल क्लास परिवार की लड़की हमारे घर को संभाल पाएगी? कही कुछ ज्यादा जल्द बाजी तो नाही न हो रही ?

शिवशंकर- तुम भी तो छोटे परिवार से ही थी लेकिन तुमने तो सब संभाल लिया, मेरा हमेशा साथ दिया तो क्या अब मुझपर भरोसा नही रहा?

गायत्री- ऐसी बात नाही है, आप ने जब इस रिश्ते के बारे मे बताया था तभी मैं समझ गई थी के आपने कुछ तो सोचा होगा इस बारे मे लेकिन क्या राघव मानेगा ?

शिवशंकर- जरूर मानेगा और तुम देखना नेहा से बढ़िया और कोई लड़की नाही हो सकती राघव के लिए.
____________

प्रेजेंट डे

कल रात अपने दादा से बात करके जब राघव अपने रूम मे आया तो वो उनकी बातों के बारे मे ही सोच रहा था और जब उसका दिमाग सोच सोच कर थक गया तो उसने अपने जिगरी दोस्त को लंदन मे फोन लगाया

विशाल- और मेरे भाई क्या हाल है तेरे क्या मुसीबत या गई अब

राघव- मैं जब भी तेरे से बात करने फोन लगता हु तो तुझे को ऐसा क्यू लगता है के कोई मुसीबत आई होगी ?

विशाल- भाई जितना अच्छे से मैं तुझे जानता हु न कोई और नाही जानता अब बता बात क्या है

फिर राघव ने विशाल को दादू से हुई सारी बात बताई

राघव- अब बता मैं क्या करू ?

विशाल- करना क्या है शादी के लिए हा कर और क्या, राघव 3 साल बीत चुके है उस बात को कब तक उसी मे उलझा रहेगा कभी न कभी तो आगे बढ़ना ही होगा न

राघव- मैं कन्फ्यूज़ हु विशाल एक हिसाब से दादू की बात भी सही है लेकिन...

विशाल- भाई दादू ने जिसे भी तेरे लिए चुना होगा वो सही होगी, वो कभी कोई काम बगैर सोचे नाही करते है मेरी मान तो शादी के लिए हा कर दे

राघव- चल ठीक है सोचता हु इस बारे मे

विशाल- और क्या सोचा वो बताना वरना साले अड्वाइज़ लेने के लिए मुझे याद करता है तू

राघव – हा हा चल गुड नाइट

और राघव ने फोन रख दिया

राघव ने रात भी इस बारे मे खूब सोचा और अगली सुबह जल्दी ही दादू के कमरे के सामने पहुच कर उनके रूम का दरवाजा खटखटाया तो उसकी दादी ने दरवाजा खोला

राघव – गुड मॉर्निंग दादी

राघव ने मुस्कुरा कर कहा

गायत्री- गुड मॉर्निंग, अब आज सुबह सुबह तेरा चेहरा देख लिया आज मेरा दिन बहुत अच्छा जाएगा आजा अंदर आ

राघव – गुड मॉर्निंग दादू

राघव ने अंदर घुसते हुए दादू से कहा जो अखबार पढ़ रहे थे

शिवशंकर – गुड मार्निंग और आज तुम सुबह सुबह रास्ता भूल गए क्या ऑफिस की जगह यहा आए हो

राघव – वो आज मैंने छुट्टी ली है इसीलिए घर पर ही हु लेकिन आपसे जरूरी बात करनी है इसीलिए चला आया

गायत्री – अच्छा किया जब देखो तब काम मे लगा रहता है, बेटा छुट्टी भी जरूरी होती है

शिवशंकर – अरे तुम रुको जरा हा राघव तो क्या सोचा फिर तुमने

राघव – मैंने आपकी बातों पर रात भर सोचा दादू और फिर इस डिसिशन पर पहुचा हु के हा मैं तयार हु शादी के लिए

शिवशंकर – शाबास यही उमीद थी मुझे, सही डिसिशन लिया है तुमने लेकिन पहले लड़की तो देख लेते

राघव – आप लोगों ने देख ली है न बस काफी है

गायत्री – मैं नाश्ते मे मीठा बनवाती हु कुछ..

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के टेबल पर जमे हुए थे

विवेक- अरे वाह आज क्या कुछ स्पेशल है क्या ?

विवेक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा

रिद्धि – तुझे घर मे क्या चल रहा है कुछ पता भी होता है

विवेक- हा तो मेरे पीछे और भी काम होते है वैसे बता ना क्या खास है आज तो भाई भी घर पर ही दिख रहे

विवेक ने राघव की तरफ देखते हुए रिद्धि के कान मे पूछा काहे से के ये राघव के सामने मुह नाही खोलता था क्या पता घुसा पड जाए

रिद्धि- भाई ने शादी के लिए हा कर दी है

विवेक- हैं! सच मे

रिद्धि ने हा मे गर्दन हिलाई

ऐसे ही बात चित मे देखते देखते दो महीनों का समय कब बीत गया पता नाही चला लेकिन इन दो महीनो में राघव के अपने आप को काम में और ज्यादा उलझा लिया था उसने हा तो कर दी थी लेकिन कही ना कही अपने डिसीजन पर अब भी कंफ्यूज था लेकिन अब वो पीछे भी नही हट सकता था

राघव और नेहा की शादी तय हो चुकी थी और अब बस उनकी शादी को बस 2 दिन बचे थे लेकिन इन 2 महीनों मे राघव और नेहा ने 2 बार भी ठीक से एक दूसरे से बात नही की थी एक दुसरे से मिलना तो बहुत दूर की बात थी,

जहा एक तरफ नेहा इस शादी को लेकर थोड़ी एक्साइटेड थोड़ी नर्वस थी वही राघव अभी भी अपने डिसिशन पर कन्फ्यूज़ था लेकिन अब इस शादी को ना करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी घर मे शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी, इन दो महीनों मे राघव ने अपने आप को मानो ऑफिस मे बंद कर लिया था शेखर ने भी ऑफिस जॉइन कर लिया था और उसे राघव का बिहेवियर थोड़ा खटक रहा था लेकिन जब उसने इस बारे मे राघव से बात करने की कोशिश की तब राघव ने बात पलट कर उसे काम मे उलझा दिया था

आज राघव और नेहा की शादी का दिन था और सुबह से ही राघव कुछ परेशान सा दिख रहा था, आज सुबह सुबह राघव को एक फोन आया था जिसके बाद उसका मूड खराब हो चुका था लेकिन अभी वो बात घर मे बता कर वो सबकी खुशी कम नही करना चाहता था

राघव ने अपने असिस्टेंट को फोन करके आज रात की उसकी फ्लाइट टिकट बुक करने कहा और बाद मे शादी की रस्मे करने चला गया

धीरे धीरे वो समय भी आया जब राघव और नेहा सात फेरो के बंधन मे बंध गए

नेहा के परिवार वाले उसकी इतने बड़े परिवार मे शादी होने से काफी खुश थे, उसके चाचा को लगा मानो उन्होंने नेहा के स्वर्गीय पिता का सपना पूरा कर दिया हो

रात मे नेहा राघव के कमरे मे उसका इंतजार कर रही थी, आज उसकी जिंदगी की नई शुरुवात होने वाली थी, नेहा अपने आने वाले जीवन के बारे मे सोच रही थी, पिछले दो महीनों मे नेहा ने इस घर के सभी लोगों को अच्छे से जाना था लेकिन वो राघव से, जो उसका जीवन साथी था उससे अभी भी अनजान थी तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया

राघव करमे मे आ चुका था, उसने एक नजर नेहा की तरफ देखा और अपने रूम मे बने वॉर्ड्रोब मे चल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

कुछ समय बाद राघव चेंज करके बाहर आया तो उसके साथ उसका एक बैग भी था,

राघव ने नेहा की तरफ देखा और कहा

राघव- नेहा मैं जानता हु तुम्हारे मन मे इस वक्त कई सवाल चल रहे है और सच कहू तो मेरे भी लेकिन मैं इस वक्त यहा नही रुक पाऊँगा मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड रहा है 2 महीनों के लिए मैं तुमसे कुछ ही घंटों मे इसे समझने की उम्मीद तो नाही कर सकता लेकिन कोशिश करना और हो सके तो मुझे माफ भी..

इतना बोल कर राघव वहा से निकाल गया और जाते जाते नेहा की आँखों मे पानी छोड़ गया


लेकिन राघव ने ऐसा क्यू किया? किसका फोन आया था उसे जो उसे अपनी शादी की पहली रात छोड़ कर जाना पड़ा , अब नेहा कैसे निभाएगी अपना ये नया रिश्ता?


क्रमश:
Yeh Sara sar na insafi h Neha k saath yaar
Sala koyi aisa kaise ker Sakta h woh bhi Shaadi ki pehle Raat ko
Jo phone aaya woh zaroori tha ya fir yeh jo yaha h woh ziada zaroori h
Baherhal Shaadi ho gayi lekin dono ki man manji se nahi Neha ladki thi woh ziada kuch bol nahi payi Ragahv tow apne gher walo se bol hi Sakta tha
Mijhe lagta h koyi ladki ka chakker h jo chhod ker Chali gayi thi jo ab fir se Kahi se aa gayi h or usi ka phone raha hoga
Baherhal dekhte h ab aage kaise Inka rishta sudharta h jo bannbe se pehle hii Bigad gaya
Badhiya shaandar update bhai
 

Naik

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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

----x-----x------

श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
Tow shekher ki bhi Shasdi ho gayi woh bhi uski Pasand ki jisi gaytiri ji abhi ziada Pasand nahi ker rahi
Baherhal sab log khush h
Apna Hero kaha h sab log tow uska kuch pata hii nahi
Badhiya shaandar update
 

park

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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

----x-----x------

श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
Nice and superb update....
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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24,523
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शायद पहली बार आदि भाई ने कोई कहानी देवनागरी लिपि मे लिखा है । इसके पहले मैने उन्हे हमेशा हिंग्लिश मे ही लिखते हुए देखा है।
शायद इसका कारण उनका महाराष्ट्र से होना हो सकता है। लेकिन उन्होने फिर भी बहुत बढ़िया लिखा है। छोटी - मोटी चीजों को नजरअंदाज कर देना ही बेहतर होता है।
वैसे बहुत ही बढ़िया लगेगा जब आप जैसा बेहतरीन काबिल राइटर एक अन्य बेहतरीन राइटर के स्टोरी पर अपनी राय रखेगा।

इसीलिए मैंने कहा कि नुक़्ताचीनी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
इतना बढ़िया लिख रहे हैं, इसीलिए मैंने कहा! चादर सफ़ेद होती है, तो छोटी सी कालिख़ आँख को चुभ जाती है। :)
जिनसे उम्मीद होती है, उन्ही को और अच्छा करने सलाह दी जाती है।

एक और लेखक को भी सलाह दी थी - वो अलग बात है कि उन्होंने एक नहीं सुनी।
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

----x-----x------

श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:

ई का करे डारत हौ भाई! 😂 😂 कहानी लम्बी कूद की प्रतियोगिता हो गई लगती है। हा हा!

शादी के पाँच और महीने बीत गए। न तो हम पाठकों को उन पहले दो महीनों का कोई ब्यौरा दिया गया, और न ही ऐसा लगा कि देशपाण्डे परिवार को अपने रोशन-चिराग की उस चूतिया हरकत से थोड़ी सी भी नाराज़गी है।
अब शेखर की भी पत्नी आ गई है... तो दोनों के छुप-छुप के अंतरंग होने के दृश्य देख कर नेहा का निराश/नाराज़ होना लाज़मी है।
सोचता हूँ, कि अगर दादा जी का इतना ही दबदबा है अपने परिवार और अपने समाज में, तो उनके मुँह से इस बारे में चूँ तक क्यों नहीं निकल रही है? और तो और, दादी जी की भी आँखों में मोतियाबिंद हो गया लगता है। बहू के नाम पर नौकरानी आ गई हैं दो दो, लगता है सब उसी बात से संतुष्ट हैं।

अच्छा लेखन है भाई - मैं अब नुक़्ताचीनी (मतलब - मीन मेख निकालना) नहीं करूँगा। आपके लिए मेरा आदर और बढ़ गया।
हिंदी बेल्ट के लोगों को न तो देवनागरी में लिखना ही आता है, और न ही पढ़ना! लेकिन आप महाराष्ट्र के हो कर ऐसा उम्दा प्रयास कर रहे हैं, उसके लिए आपको साधुवाद! 👍
 
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गायत्री जी का किरदार बिल्कुल रियलिस्टिक से मेल खाता है । पुराने जमाने मे , ज्वाइंट फैमिली मे दादी जी के हुक्म की नाफरमानी करना किसी भी सदस्य के लिए बहुत कठीन काम होता था। पुरे परिवार की मुखिया होती थी वो।
और अगर उनके इच्छानुसार कोई काम नही हुआ तो परिवार मे बवंडर खड़ा हो जाता था। कभी-कभार ' ललिता पवार ' बन जाती थी वो।
लेकिन इनके अंदर ये भी खासियत थी कि ज्वाइंट परिवार चलाया कैसे जाता है।
छोटी बहू श्वेता से उनकी बेरूखी कुछ दिनो के लिए ही है। अगर वो भी नेहा की तरह विहेव करेगी तो जल्द ही वह भी उनकी प्रिय बन जाएगी।
लेकिन आश्चर्य की बात है कि श्वेता मिडिल क्लास फेमिली से होकर भी भोजन बनाना नही जानती।

नेहा के लिए अब तक कुछ नही बदला। शायद अब भी वह कुवांरी कली होगी। और इसका कारण उसका वो हसबैंड है जो अपनी हरकतों से मिस्ट्रीयस बना हुआ है।
नेहा नए जमाने की पढ़ी लिखी शिक्षित लड़की है । अगर उसका पति उसे पसंद नही करता है तो उसे छोड़ क्यों नही देती ? ऐसी क्या बेवसी है उसकी जो वो राघव को बर्दाश्त कर रही है ?

रिद्धि और विवेक , ये दोनो किसके संतान है ? रमाकांत के है या धनंजय के ?
बहुत खुबसूरत अपडेट Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
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parkas

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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

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श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
Bahut hi badhiya update diya hai Adirshi bhai....
Nice and beautiful update....
 
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