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Romance In Love.. With You... (Completed)

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Adirshi

Royal कारभार 👑
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Update 2


‘जैसे ही उसने उस धीमी रोशनी वाले कमरे मे कदम रखा उसे अपने ऊपर किसी की आखे जमी हुई महसूस हुई जो सीधे उसके दिल को भेद रही थी, वो जानती थी के वो खतरनाक है लेकिन फिर भी उससे दूर नाही जा पा रही थी, उसके खिचाव से अपने आप को बचा नही पा रही थी, उसका चलना उसके बात करने का तरीका मानो पूरी दुनिया उसके कदमों मे हो.. उसे अपनी ओर खीच रहा था

“तुम्हें यहा नाही आना चाहिए था” वो हल्की आवाज मे गुरगुराया

“मैं.. मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी, अब और दूर नाही रहा जाता” उसने उसकी आँखों से आंखे डाल कर कहा

धीरे धीरे वो उसकी ओर बढ़ने लगा’ लेकिन तभी

“दीदी” इस आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और उसने सर उठा कर दरवाजे की तरफ देखा, आज फिर कोई उसके नॉवेल मे खलल डाल गया था

ये है हमारी कहानी की नायिका, नेहा एक खूबसूरत और उतनी ही सुलझी हुई लड़की, नेहा के माता पिता अब इस दुनिया मे नही रहे इसीलिए 10 साल की उम्र से ही अपने चाचा चाची के साथ ही रही है, उसके चाचा चाची ने भी नेहा को अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार किया है, शिवशंकर ने राघव के लिए नेहा को चुना था, नेहा को उन्होंने एक चैरिटी ईवेंट मे देखा था जहा उन्हे वो देखते साथ ही राघव के लिए पसंद आ गई थी।

नेहा एक मिडल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती थी और जब शिवशंकर ने उसके चाचा चाची से नेहा का हाथ मांगा तब वो लोग काफी खुश हुए और आज शाम ही वो लोग उनके घर मिलने आने वाले थे जिसकी खबर देने ही नेहा का भाई अभी अभी उसके नॉवेल मे उसे डिस्टर्ब करने आया था..

नेहा- ऑफफो सचिन संडे के दिन तो आराम से नॉवेल पढ़ने दिया करो

सचिन- नॉवेल छोड़ो दीदी काम की बात सुनो पहले, मा आपको नीचे बुला रही है

नेहा- हा चाची से कहो आ रही हु

कुछ समय बाद नेहा अपने चाचा चाची के सामने हॉल मे बैठी थी

संगीता ( नेहा की चाची ) – नेहा बेटे तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है..

नेहा को कुछ पल तो क्या रिएक्शन दे समझ ही नही आया वो कुछ नाही बोली

संगीता – नेहा बेटा बहुत अच्छे परिवार से खुद चल कर रिश्ता आया है, वो लोग आज शाम मे आ रहे है तुमसे मिलने

नेहा – लेकिन चाची मैं अभी शादी नही करना चाहती, मुझे मेरी डांस एकेडमी खोलनी है उसमे करिअर बनाना है,

सतीश- वो सब तो बेटा शादी के बाद भी हो जाएगा, देशपांडे जी के परिवार से रिश्ता आया है, शिवशंकर देशपांडे जी के बड़े पोते का, एक बार उन लोगों से मिल लो

नेहा – ठीक है चाचू...
__________________
उसी दिन शाम को शिवशंकर देशपांडे और घर के बाकी लोग नेहा और उसके परिवार से मिल आए सबको नेहा और उसके घरवाले सही लगे थे और जब वो मिल कर लौट रहे थे तब गाड़ी मे..

शिवशंकर- क्या हुआ गायत्री क्या सोच रही हो ?

गायत्री – सोच रही हु के क्या एक छोटे से मिडल क्लास परिवार की लड़की हमारे घर को संभाल पाएगी? कही कुछ ज्यादा जल्द बाजी तो नाही न हो रही ?

शिवशंकर- तुम भी तो छोटे परिवार से ही थी लेकिन तुमने तो सब संभाल लिया, मेरा हमेशा साथ दिया तो क्या अब मुझपर भरोसा नही रहा?

गायत्री- ऐसी बात नाही है, आप ने जब इस रिश्ते के बारे मे बताया था तभी मैं समझ गई थी के आपने कुछ तो सोचा होगा इस बारे मे लेकिन क्या राघव मानेगा ?

शिवशंकर- जरूर मानेगा और तुम देखना नेहा से बढ़िया और कोई लड़की नाही हो सकती राघव के लिए.
____________

प्रेजेंट डे

कल रात अपने दादा से बात करके जब राघव अपने रूम मे आया तो वो उनकी बातों के बारे मे ही सोच रहा था और जब उसका दिमाग सोच सोच कर थक गया तो उसने अपने जिगरी दोस्त को लंदन मे फोन लगाया

विशाल- और मेरे भाई क्या हाल है तेरे क्या मुसीबत या गई अब

राघव- मैं जब भी तेरे से बात करने फोन लगता हु तो तुझे को ऐसा क्यू लगता है के कोई मुसीबत आई होगी ?

विशाल- भाई जितना अच्छे से मैं तुझे जानता हु न कोई और नाही जानता अब बता बात क्या है

फिर राघव ने विशाल को दादू से हुई सारी बात बताई

राघव- अब बता मैं क्या करू ?

विशाल- करना क्या है शादी के लिए हा कर और क्या, राघव 3 साल बीत चुके है उस बात को कब तक उसी मे उलझा रहेगा कभी न कभी तो आगे बढ़ना ही होगा न

राघव- मैं कन्फ्यूज़ हु विशाल एक हिसाब से दादू की बात भी सही है लेकिन...

विशाल- भाई दादू ने जिसे भी तेरे लिए चुना होगा वो सही होगी, वो कभी कोई काम बगैर सोचे नाही करते है मेरी मान तो शादी के लिए हा कर दे

राघव- चल ठीक है सोचता हु इस बारे मे

विशाल- और क्या सोचा वो बताना वरना साले अड्वाइज़ लेने के लिए मुझे याद करता है तू

राघव – हा हा चल गुड नाइट

और राघव ने फोन रख दिया

राघव ने रात भी इस बारे मे खूब सोचा और अगली सुबह जल्दी ही दादू के कमरे के सामने पहुच कर उनके रूम का दरवाजा खटखटाया तो उसकी दादी ने दरवाजा खोला

राघव – गुड मॉर्निंग दादी

राघव ने मुस्कुरा कर कहा

गायत्री- गुड मॉर्निंग, अब आज सुबह सुबह तेरा चेहरा देख लिया आज मेरा दिन बहुत अच्छा जाएगा आजा अंदर आ

राघव – गुड मॉर्निंग दादू

राघव ने अंदर घुसते हुए दादू से कहा जो अखबार पढ़ रहे थे

शिवशंकर – गुड मार्निंग और आज तुम सुबह सुबह रास्ता भूल गए क्या ऑफिस की जगह यहा आए हो

राघव – वो आज मैंने छुट्टी ली है इसीलिए घर पर ही हु लेकिन आपसे जरूरी बात करनी है इसीलिए चला आया

गायत्री – अच्छा किया जब देखो तब काम मे लगा रहता है, बेटा छुट्टी भी जरूरी होती है

शिवशंकर – अरे तुम रुको जरा हा राघव तो क्या सोचा फिर तुमने

राघव – मैंने आपकी बातों पर रात भर सोचा दादू और फिर इस डिसिशन पर पहुचा हु के हा मैं तयार हु शादी के लिए

शिवशंकर – शाबास यही उमीद थी मुझे, सही डिसिशन लिया है तुमने लेकिन पहले लड़की तो देख लेते

राघव – आप लोगों ने देख ली है न बस काफी है

गायत्री – मैं नाश्ते मे मीठा बनवाती हु कुछ..

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के टेबल पर जमे हुए थे

विवेक- अरे वाह आज क्या कुछ स्पेशल है क्या ?

विवेक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा

रिद्धि – तुझे घर मे क्या चल रहा है कुछ पता भी होता है

विवेक- हा तो मेरे पीछे और भी काम होते है वैसे बता ना क्या खास है आज तो भाई भी घर पर ही दिख रहे

विवेक ने राघव की तरफ देखते हुए रिद्धि के कान मे पूछा काहे से के ये राघव के सामने मुह नाही खोलता था क्या पता घुसा पड जाए

रिद्धि- भाई ने शादी के लिए हा कर दी है

विवेक- हैं! सच मे

रिद्धि ने हा मे गर्दन हिलाई

ऐसे ही बात चित मे देखते देखते दो महीनों का समय कब बीत गया पता नाही चला लेकिन इन दो महीनो में राघव के अपने आप को काम में और ज्यादा उलझा लिया था उसने हा तो कर दी थी लेकिन कही ना कही अपने डिसीजन पर अब भी कंफ्यूज था लेकिन अब वो पीछे भी नही हट सकता था

राघव और नेहा की शादी तय हो चुकी थी और अब बस उनकी शादी को बस 2 दिन बचे थे लेकिन इन 2 महीनों मे राघव और नेहा ने 2 बार भी ठीक से एक दूसरे से बात नही की थी एक दुसरे से मिलना तो बहुत दूर की बात थी,

जहा एक तरफ नेहा इस शादी को लेकर थोड़ी एक्साइटेड थोड़ी नर्वस थी वही राघव अभी भी अपने डिसिशन पर कन्फ्यूज़ था लेकिन अब इस शादी को ना करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी घर मे शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी, इन दो महीनों मे राघव ने अपने आप को मानो ऑफिस मे बंद कर लिया था शेखर ने भी ऑफिस जॉइन कर लिया था और उसे राघव का बिहेवियर थोड़ा खटक रहा था लेकिन जब उसने इस बारे मे राघव से बात करने की कोशिश की तब राघव ने बात पलट कर उसे काम मे उलझा दिया था

आज राघव और नेहा की शादी का दिन था और सुबह से ही राघव कुछ परेशान सा दिख रहा था, आज सुबह सुबह राघव को एक फोन आया था जिसके बाद उसका मूड खराब हो चुका था लेकिन अभी वो बात घर मे बता कर वो सबकी खुशी कम नही करना चाहता था

राघव ने अपने असिस्टेंट को फोन करके आज रात की उसकी फ्लाइट टिकट बुक करने कहा और बाद मे शादी की रस्मे करने चला गया

धीरे धीरे वो समय भी आया जब राघव और नेहा सात फेरो के बंधन मे बंध गए

नेहा के परिवार वाले उसकी इतने बड़े परिवार मे शादी होने से काफी खुश थे, उसके चाचा को लगा मानो उन्होंने नेहा के स्वर्गीय पिता का सपना पूरा कर दिया हो

रात मे नेहा राघव के कमरे मे उसका इंतजार कर रही थी, आज उसकी जिंदगी की नई शुरुवात होने वाली थी, नेहा अपने आने वाले जीवन के बारे मे सोच रही थी, पिछले दो महीनों मे नेहा ने इस घर के सभी लोगों को अच्छे से जाना था लेकिन वो राघव से, जो उसका जीवन साथी था उससे अभी भी अनजान थी तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया

राघव करमे मे आ चुका था, उसने एक नजर नेहा की तरफ देखा और अपने रूम मे बने वॉर्ड्रोब मे चल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

कुछ समय बाद राघव चेंज करके बाहर आया तो उसके साथ उसका एक बैग भी था,

राघव ने नेहा की तरफ देखा और कहा

राघव- नेहा मैं जानता हु तुम्हारे मन मे इस वक्त कई सवाल चल रहे है और सच कहू तो मेरे भी लेकिन मैं इस वक्त यहा नही रुक पाऊँगा मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड रहा है 2 महीनों के लिए मैं तुमसे कुछ ही घंटों मे इसे समझने की उम्मीद तो नाही कर सकता लेकिन कोशिश करना और हो सके तो मुझे माफ भी..

इतना बोल कर राघव वहा से निकाल गया और जाते जाते नेहा की आँखों मे पानी छोड़ गया


लेकिन राघव ने ऐसा क्यू किया? किसका फोन आया था उसे जो उसे अपनी शादी की पहली रात छोड़ कर जाना पड़ा , अब नेहा कैसे निभाएगी अपना ये नया रिश्ता?


क्रमश:
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
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Ok this escalated way too quickly I know maine hi likha hai jaanta hu bahut fast ho gaya ye jo ki aaplog review me bhi bologe hi lekin iske piche reason bhi hai as dono ke beech is period me baat krne ko jyada tha hi nhi raghav aur nehaa dono ne hi man maar ke ye shadi ki hai still Neha ne ye sab accept kar liya gha dono ke hi sapne alag the khwahishe alag thi but ab jab is rishte me bandh chuke hai to ise kaise nibhayenge aage kahani kya mod legi janne ke liye sath bane rahiye.
 

paarth milf lover

I m a big big milf and shayari lover💕♥️
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Update 2


‘जैसे ही उसने उस धीमी रोशनी वाले कमरे मे कदम रखा उसे अपने ऊपर किसी की आखे जमी हुई महसूस हुई जो सीधे उसके दिल को भेद रही थी, वो जानती थी के वो खतरनाक है लेकिन फिर भी उससे दूर नाही जा पा रही थी, उसके खिचाव से अपने आप को बचा नही पा रही थी, उसका चलना उसके बात करने का तरीका मानो पूरी दुनिया उसके कदमों मे हो.. उसे अपनी ओर खीच रहा था

“तुम्हें यहा नाही आना चाहिए था” वो हल्की आवाज मे गुरगुराया

“मैं.. मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी, अब और दूर नाही रहा जाता” उसने उसकी आँखों से आंखे डाल कर कहा

धीरे धीरे वो उसकी ओर बढ़ने लगा’ लेकिन तभी

“दीदी” इस आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और उसने सर उठा कर दरवाजे की तरफ देखा, आज फिर कोई उसके नॉवेल मे खलल डाल गया था

ये है हमारी कहानी की नायिका, नेहा एक खूबसूरत और उतनी ही सुलझी हुई लड़की, नेहा के माता पिता अब इस दुनिया मे नही रहे इसीलिए 10 साल की उम्र से ही अपने चाचा चाची के साथ ही रही है, उसके चाचा चाची ने भी नेहा को अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार किया है, शिवशंकर ने राघव के लिए नेहा को चुना था, नेहा को उन्होंने एक चैरिटी ईवेंट मे देखा था जहा उन्हे वो देखते साथ ही राघव के लिए पसंद आ गई थी।

नेहा एक मिडल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती थी और जब शिवशंकर ने उसके चाचा चाची से नेहा का हाथ मांगा तब वो लोग काफी खुश हुए और आज शाम ही वो लोग उनके घर मिलने आने वाले थे जिसकी खबर देने ही नेहा का भाई अभी अभी उसके नॉवेल मे उसे डिस्टर्ब करने आया था..

नेहा- ऑफफो सचिन संडे के दिन तो आराम से नॉवेल पढ़ने दिया करो

सचिन- नॉवेल छोड़ो दीदी काम की बात सुनो पहले, मा आपको नीचे बुला रही है

नेहा- हा चाची से कहो आ रही हु

कुछ समय बाद नेहा अपने चाचा चाची के सामने हॉल मे बैठी थी

संगीता ( नेहा की चाची ) – नेहा बेटे तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है..

नेहा को कुछ पल तो क्या रिएक्शन दे समझ ही नही आया वो कुछ नाही बोली

संगीता – नेहा बेटा बहुत अच्छे परिवार से खुद चल कर रिश्ता आया है, वो लोग आज शाम मे आ रहे है तुमसे मिलने

नेहा – लेकिन चाची मैं अभी शादी नही करना चाहती, मुझे मेरी डांस एकेडमी खोलनी है उसमे करिअर बनाना है,

सतीश- वो सब तो बेटा शादी के बाद भी हो जाएगा, देशपांडे जी के परिवार से रिश्ता आया है, शिवशंकर देशपांडे जी के बड़े पोते का, एक बार उन लोगों से मिल लो

नेहा – ठीक है चाचू...
__________________
उसी दिन शाम को शिवशंकर देशपांडे और घर के बाकी लोग नेहा और उसके परिवार से मिल आए सबको नेहा और उसके घरवाले सही लगे थे और जब वो मिल कर लौट रहे थे तब गाड़ी मे..

शिवशंकर- क्या हुआ गायत्री क्या सोच रही हो ?

गायत्री – सोच रही हु के क्या एक छोटे से मिडल क्लास परिवार की लड़की हमारे घर को संभाल पाएगी? कही कुछ ज्यादा जल्द बाजी तो नाही न हो रही ?

शिवशंकर- तुम भी तो छोटे परिवार से ही थी लेकिन तुमने तो सब संभाल लिया, मेरा हमेशा साथ दिया तो क्या अब मुझपर भरोसा नही रहा?

गायत्री- ऐसी बात नाही है, आप ने जब इस रिश्ते के बारे मे बताया था तभी मैं समझ गई थी के आपने कुछ तो सोचा होगा इस बारे मे लेकिन क्या राघव मानेगा ?

शिवशंकर- जरूर मानेगा और तुम देखना नेहा से बढ़िया और कोई लड़की नाही हो सकती राघव के लिए.
____________

प्रेजेंट डे

कल रात अपने दादा से बात करके जब राघव अपने रूम मे आया तो वो उनकी बातों के बारे मे ही सोच रहा था और जब उसका दिमाग सोच सोच कर थक गया तो उसने अपने जिगरी दोस्त को लंदन मे फोन लगाया

विशाल- और मेरे भाई क्या हाल है तेरे क्या मुसीबत या गई अब

राघव- मैं जब भी तेरे से बात करने फोन लगता हु तो तुझे को ऐसा क्यू लगता है के कोई मुसीबत आई होगी ?

विशाल- भाई जितना अच्छे से मैं तुझे जानता हु न कोई और नाही जानता अब बता बात क्या है

फिर राघव ने विशाल को दादू से हुई सारी बात बताई

राघव- अब बता मैं क्या करू ?

विशाल- करना क्या है शादी के लिए हा कर और क्या, राघव 3 साल बीत चुके है उस बात को कब तक उसी मे उलझा रहेगा कभी न कभी तो आगे बढ़ना ही होगा न

राघव- मैं कन्फ्यूज़ हु विशाल एक हिसाब से दादू की बात भी सही है लेकिन...

विशाल- भाई दादू ने जिसे भी तेरे लिए चुना होगा वो सही होगी, वो कभी कोई काम बगैर सोचे नाही करते है मेरी मान तो शादी के लिए हा कर दे

राघव- चल ठीक है सोचता हु इस बारे मे

विशाल- और क्या सोचा वो बताना वरना साले अड्वाइज़ लेने के लिए मुझे याद करता है तू

राघव – हा हा चल गुड नाइट

और राघव ने फोन रख दिया

राघव ने रात भी इस बारे मे खूब सोचा और अगली सुबह जल्दी ही दादू के कमरे के सामने पहुच कर उनके रूम का दरवाजा खटखटाया तो उसकी दादी ने दरवाजा खोला

राघव – गुड मॉर्निंग दादी

राघव ने मुस्कुरा कर कहा

गायत्री- गुड मॉर्निंग, अब आज सुबह सुबह तेरा चेहरा देख लिया आज मेरा दिन बहुत अच्छा जाएगा आजा अंदर आ

राघव – गुड मॉर्निंग दादू

राघव ने अंदर घुसते हुए दादू से कहा जो अखबार पढ़ रहे थे

शिवशंकर – गुड मार्निंग और आज तुम सुबह सुबह रास्ता भूल गए क्या ऑफिस की जगह यहा आए हो

राघव – वो आज मैंने छुट्टी ली है इसीलिए घर पर ही हु लेकिन आपसे जरूरी बात करनी है इसीलिए चला आया

गायत्री – अच्छा किया जब देखो तब काम मे लगा रहता है, बेटा छुट्टी भी जरूरी होती है

शिवशंकर – अरे तुम रुको जरा हा राघव तो क्या सोचा फिर तुमने

राघव – मैंने आपकी बातों पर रात भर सोचा दादू और फिर इस डिसिशन पर पहुचा हु के हा मैं तयार हु शादी के लिए

शिवशंकर – शाबास यही उमीद थी मुझे, सही डिसिशन लिया है तुमने लेकिन पहले लड़की तो देख लेते

राघव – आप लोगों ने देख ली है न बस काफी है

गायत्री – मैं नाश्ते मे मीठा बनवाती हु कुछ..

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के टेबल पर जमे हुए थे

विवेक- अरे वाह आज क्या कुछ स्पेशल है क्या ?

विवेक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा

रिद्धि – तुझे घर मे क्या चल रहा है कुछ पता भी होता है

विवेक- हा तो मेरे पीछे और भी काम होते है वैसे बता ना क्या खास है आज तो भाई भी घर पर ही दिख रहे

विवेक ने राघव की तरफ देखते हुए रिद्धि के कान मे पूछा काहे से के ये राघव के सामने मुह नाही खोलता था क्या पता घुसा पड जाए

रिद्धि- भाई ने शादी के लिए हा कर दी है

विवेक- हैं! सच मे

रिद्धि ने हा मे गर्दन हिलाई

ऐसे ही बात चित मे देखते देखते दो महीनों का समय कब बीत गया पता नाही चला लेकिन इन दो महीनो में राघव के अपने आप को काम में और ज्यादा उलझा लिया था उसने हा तो कर दी थी लेकिन कही ना कही अपने डिसीजन पर अब भी कंफ्यूज था लेकिन अब वो पीछे भी नही हट सकता था

राघव और नेहा की शादी तय हो चुकी थी और अब बस उनकी शादी को बस 2 दिन बचे थे लेकिन इन 2 महीनों मे राघव और नेहा ने 2 बार भी ठीक से एक दूसरे से बात नही की थी एक दुसरे से मिलना तो बहुत दूर की बात थी,

जहा एक तरफ नेहा इस शादी को लेकर थोड़ी एक्साइटेड थोड़ी नर्वस थी वही राघव अभी भी अपने डिसिशन पर कन्फ्यूज़ था लेकिन अब इस शादी को ना करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी घर मे शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी, इन दो महीनों मे राघव ने अपने आप को मानो ऑफिस मे बंद कर लिया था शेखर ने भी ऑफिस जॉइन कर लिया था और उसे राघव का बिहेवियर थोड़ा खटक रहा था लेकिन जब उसने इस बारे मे राघव से बात करने की कोशिश की तब राघव ने बात पलट कर उसे काम मे उलझा दिया था

आज राघव और नेहा की शादी का दिन था और सुबह से ही राघव कुछ परेशान सा दिख रहा था, आज सुबह सुबह राघव को एक फोन आया था जिसके बाद उसका मूड खराब हो चुका था लेकिन अभी वो बात घर मे बता कर वो सबकी खुशी कम नही करना चाहता था

राघव ने अपने असिस्टेंट को फोन करके आज रात की उसकी फ्लाइट टिकट बुक करने कहा और बाद मे शादी की रस्मे करने चला गया

धीरे धीरे वो समय भी आया जब राघव और नेहा सात फेरो के बंधन मे बंध गए

नेहा के परिवार वाले उसकी इतने बड़े परिवार मे शादी होने से काफी खुश थे, उसके चाचा को लगा मानो उन्होंने नेहा के स्वर्गीय पिता का सपना पूरा कर दिया हो

रात मे नेहा राघव के कमरे मे उसका इंतजार कर रही थी, आज उसकी जिंदगी की नई शुरुवात होने वाली थी, नेहा अपने आने वाले जीवन के बारे मे सोच रही थी, पिछले दो महीनों मे नेहा ने इस घर के सभी लोगों को अच्छे से जाना था लेकिन वो राघव से, जो उसका जीवन साथी था उससे अभी भी अनजान थी तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया

राघव करमे मे आ चुका था, उसने एक नजर नेहा की तरफ देखा और अपने रूम मे बने वॉर्ड्रोब मे चल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

कुछ समय बाद राघव चेंज करके बाहर आया तो उसके साथ उसका एक बैग भी था,

राघव ने नेहा की तरफ देखा और कहा

राघव- नेहा मैं जानता हु तुम्हारे मन मे इस वक्त कई सवाल चल रहे है और सच कहू तो मेरे भी लेकिन मैं इस वक्त यहा नही रुक पाऊँगा मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड रहा है 2 महीनों के लिए मैं तुमसे कुछ ही घंटों मे इसे समझने की उम्मीद तो नाही कर सकता लेकिन कोशिश करना और हो सके तो मुझे माफ भी..

इतना बोल कर राघव वहा से निकाल गया और जाते जाते नेहा की आँखों मे पानी छोड़ गया


लेकिन राघव ने ऐसा क्यू किया? किसका फोन आया था उसे जो उसे अपनी शादी की पहली रात छोड़ कर जाना पड़ा , अब नेहा कैसे निभाएगी अपना ये नया रिश्ता?


क्रमश:
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Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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‘जैसे ही उसने उस धीमी रोशनी वाले कमरे मे कदम रखा उसे अपने ऊपर किसी की आखे जमी हुई महसूस हुई जो सीधे उसके दिल को भेद रही थी, वो जानती थी के वो खतरनाक है लेकिन फिर भी उससे दूर नाही जा पा रही थी, उसके खिचाव से अपने आप को बचा नही पा रही थी, उसका चलना उसके बात करने का तरीका मानो पूरी दुनिया उसके कदमों मे हो.. उसे अपनी ओर खीच रहा था

“तुम्हें यहा नाही आना चाहिए था” वो हल्की आवाज मे गुरगुराया

“मैं.. मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी, अब और दूर नाही रहा जाता” उसने उसकी आँखों से आंखे डाल कर कहा

धीरे धीरे वो उसकी ओर बढ़ने लगा’ लेकिन तभी

“दीदी” इस आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और उसने सर उठा कर दरवाजे की तरफ देखा, आज फिर कोई उसके नॉवेल मे खलल डाल गया था

ये है हमारी कहानी की नायिका, नेहा एक खूबसूरत और उतनी ही सुलझी हुई लड़की, नेहा के माता पिता अब इस दुनिया मे नही रहे इसीलिए 10 साल की उम्र से ही अपने चाचा चाची के साथ ही रही है, उसके चाचा चाची ने भी नेहा को अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार किया है, शिवशंकर ने राघव के लिए नेहा को चुना था, नेहा को उन्होंने एक चैरिटी ईवेंट मे देखा था जहा उन्हे वो देखते साथ ही राघव के लिए पसंद आ गई थी।

नेहा एक मिडल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती थी और जब शिवशंकर ने उसके चाचा चाची से नेहा का हाथ मांगा तब वो लोग काफी खुश हुए और आज शाम ही वो लोग उनके घर मिलने आने वाले थे जिसकी खबर देने ही नेहा का भाई अभी अभी उसके नॉवेल मे उसे डिस्टर्ब करने आया था..

नेहा- ऑफफो सचिन संडे के दिन तो आराम से नॉवेल पढ़ने दिया करो

सचिन- नॉवेल छोड़ो दीदी काम की बात सुनो पहले, मा आपको नीचे बुला रही है

नेहा- हा चाची से कहो आ रही हु

कुछ समय बाद नेहा अपने चाचा चाची के सामने हॉल मे बैठी थी

संगीता ( नेहा की चाची ) – नेहा बेटे तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है..

नेहा को कुछ पल तो क्या रिएक्शन दे समझ ही नही आया वो कुछ नाही बोली

संगीता – नेहा बेटा बहुत अच्छे परिवार से खुद चल कर रिश्ता आया है, वो लोग आज शाम मे आ रहे है तुमसे मिलने

नेहा – लेकिन चाची मैं अभी शादी नही करना चाहती, मुझे मेरी डांस एकेडमी खोलनी है उसमे करिअर बनाना है,

सतीश- वो सब तो बेटा शादी के बाद भी हो जाएगा, देशपांडे जी के परिवार से रिश्ता आया है, शिवशंकर देशपांडे जी के बड़े पोते का, एक बार उन लोगों से मिल लो

नेहा – ठीक है चाचू...
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उसी दिन शाम को शिवशंकर देशपांडे और घर के बाकी लोग नेहा और उसके परिवार से मिल आए सबको नेहा और उसके घरवाले सही लगे थे और जब वो मिल कर लौट रहे थे तब गाड़ी मे..

शिवशंकर- क्या हुआ गायत्री क्या सोच रही हो ?

गायत्री – सोच रही हु के क्या एक छोटे से मिडल क्लास परिवार की लड़की हमारे घर को संभाल पाएगी? कही कुछ ज्यादा जल्द बाजी तो नाही न हो रही ?

शिवशंकर- तुम भी तो छोटे परिवार से ही थी लेकिन तुमने तो सब संभाल लिया, मेरा हमेशा साथ दिया तो क्या अब मुझपर भरोसा नही रहा?

गायत्री- ऐसी बात नाही है, आप ने जब इस रिश्ते के बारे मे बताया था तभी मैं समझ गई थी के आपने कुछ तो सोचा होगा इस बारे मे लेकिन क्या राघव मानेगा ?

शिवशंकर- जरूर मानेगा और तुम देखना नेहा से बढ़िया और कोई लड़की नाही हो सकती राघव के लिए.
____________

प्रेजेंट डे

कल रात अपने दादा से बात करके जब राघव अपने रूम मे आया तो वो उनकी बातों के बारे मे ही सोच रहा था और जब उसका दिमाग सोच सोच कर थक गया तो उसने अपने जिगरी दोस्त को लंदन मे फोन लगाया

विशाल- और मेरे भाई क्या हाल है तेरे क्या मुसीबत या गई अब

राघव- मैं जब भी तेरे से बात करने फोन लगता हु तो तुझे को ऐसा क्यू लगता है के कोई मुसीबत आई होगी ?

विशाल- भाई जितना अच्छे से मैं तुझे जानता हु न कोई और नाही जानता अब बता बात क्या है

फिर राघव ने विशाल को दादू से हुई सारी बात बताई

राघव- अब बता मैं क्या करू ?

विशाल- करना क्या है शादी के लिए हा कर और क्या, राघव 3 साल बीत चुके है उस बात को कब तक उसी मे उलझा रहेगा कभी न कभी तो आगे बढ़ना ही होगा न

राघव- मैं कन्फ्यूज़ हु विशाल एक हिसाब से दादू की बात भी सही है लेकिन...

विशाल- भाई दादू ने जिसे भी तेरे लिए चुना होगा वो सही होगी, वो कभी कोई काम बगैर सोचे नाही करते है मेरी मान तो शादी के लिए हा कर दे

राघव- चल ठीक है सोचता हु इस बारे मे

विशाल- और क्या सोचा वो बताना वरना साले अड्वाइज़ लेने के लिए मुझे याद करता है तू

राघव – हा हा चल गुड नाइट

और राघव ने फोन रख दिया

राघव ने रात भी इस बारे मे खूब सोचा और अगली सुबह जल्दी ही दादू के कमरे के सामने पहुच कर उनके रूम का दरवाजा खटखटाया तो उसकी दादी ने दरवाजा खोला

राघव – गुड मॉर्निंग दादी

राघव ने मुस्कुरा कर कहा

गायत्री- गुड मॉर्निंग, अब आज सुबह सुबह तेरा चेहरा देख लिया आज मेरा दिन बहुत अच्छा जाएगा आजा अंदर आ

राघव – गुड मॉर्निंग दादू

राघव ने अंदर घुसते हुए दादू से कहा जो अखबार पढ़ रहे थे

शिवशंकर – गुड मार्निंग और आज तुम सुबह सुबह रास्ता भूल गए क्या ऑफिस की जगह यहा आए हो

राघव – वो आज मैंने छुट्टी ली है इसीलिए घर पर ही हु लेकिन आपसे जरूरी बात करनी है इसीलिए चला आया

गायत्री – अच्छा किया जब देखो तब काम मे लगा रहता है, बेटा छुट्टी भी जरूरी होती है

शिवशंकर – अरे तुम रुको जरा हा राघव तो क्या सोचा फिर तुमने

राघव – मैंने आपकी बातों पर रात भर सोचा दादू और फिर इस डिसिशन पर पहुचा हु के हा मैं तयार हु शादी के लिए

शिवशंकर – शाबास यही उमीद थी मुझे, सही डिसिशन लिया है तुमने लेकिन पहले लड़की तो देख लेते

राघव – आप लोगों ने देख ली है न बस काफी है

गायत्री – मैं नाश्ते मे मीठा बनवाती हु कुछ..

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के टेबल पर जमे हुए थे

विवेक- अरे वाह आज क्या कुछ स्पेशल है क्या ?

विवेक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा

रिद्धि – तुझे घर मे क्या चल रहा है कुछ पता भी होता है

विवेक- हा तो मेरे पीछे और भी काम होते है वैसे बता ना क्या खास है आज तो भाई भी घर पर ही दिख रहे

विवेक ने राघव की तरफ देखते हुए रिद्धि के कान मे पूछा काहे से के ये राघव के सामने मुह नाही खोलता था क्या पता घुसा पड जाए

रिद्धि- भाई ने शादी के लिए हा कर दी है

विवेक- हैं! सच मे

रिद्धि ने हा मे गर्दन हिलाई

ऐसे ही बात चित मे देखते देखते दो महीनों का समय कब बीत गया पता नाही चला लेकिन इन दो महीनो में राघव के अपने आप को काम में और ज्यादा उलझा लिया था उसने हा तो कर दी थी लेकिन कही ना कही अपने डिसीजन पर अब भी कंफ्यूज था लेकिन अब वो पीछे भी नही हट सकता था

राघव और नेहा की शादी तय हो चुकी थी और अब बस उनकी शादी को बस 2 दिन बचे थे लेकिन इन 2 महीनों मे राघव और नेहा ने 2 बार भी ठीक से एक दूसरे से बात नही की थी एक दुसरे से मिलना तो बहुत दूर की बात थी,

जहा एक तरफ नेहा इस शादी को लेकर थोड़ी एक्साइटेड थोड़ी नर्वस थी वही राघव अभी भी अपने डिसिशन पर कन्फ्यूज़ था लेकिन अब इस शादी को ना करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी घर मे शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी, इन दो महीनों मे राघव ने अपने आप को मानो ऑफिस मे बंद कर लिया था शेखर ने भी ऑफिस जॉइन कर लिया था और उसे राघव का बिहेवियर थोड़ा खटक रहा था लेकिन जब उसने इस बारे मे राघव से बात करने की कोशिश की तब राघव ने बात पलट कर उसे काम मे उलझा दिया था

आज राघव और नेहा की शादी का दिन था और सुबह से ही राघव कुछ परेशान सा दिख रहा था, आज सुबह सुबह राघव को एक फोन आया था जिसके बाद उसका मूड खराब हो चुका था लेकिन अभी वो बात घर मे बता कर वो सबकी खुशी कम नही करना चाहता था

राघव ने अपने असिस्टेंट को फोन करके आज रात की उसकी फ्लाइट टिकट बुक करने कहा और बाद मे शादी की रस्मे करने चला गया

धीरे धीरे वो समय भी आया जब राघव और नेहा सात फेरो के बंधन मे बंध गए

नेहा के परिवार वाले उसकी इतने बड़े परिवार मे शादी होने से काफी खुश थे, उसके चाचा को लगा मानो उन्होंने नेहा के स्वर्गीय पिता का सपना पूरा कर दिया हो

रात मे नेहा राघव के कमरे मे उसका इंतजार कर रही थी, आज उसकी जिंदगी की नई शुरुवात होने वाली थी, नेहा अपने आने वाले जीवन के बारे मे सोच रही थी, पिछले दो महीनों मे नेहा ने इस घर के सभी लोगों को अच्छे से जाना था लेकिन वो राघव से, जो उसका जीवन साथी था उससे अभी भी अनजान थी तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया

राघव करमे मे आ चुका था, उसने एक नजर नेहा की तरफ देखा और अपने रूम मे बने वॉर्ड्रोब मे चल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

कुछ समय बाद राघव चेंज करके बाहर आया तो उसके साथ उसका एक बैग भी था,

राघव ने नेहा की तरफ देखा और कहा

राघव- नेहा मैं जानता हु तुम्हारे मन मे इस वक्त कई सवाल चल रहे है और सच कहू तो मेरे भी लेकिन मैं इस वक्त यहा नही रुक पाऊँगा मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड रहा है 2 महीनों के लिए मैं तुमसे कुछ ही घंटों मे इसे समझने की उम्मीद तो नाही कर सकता लेकिन कोशिश करना और हो सके तो मुझे माफ भी..

इतना बोल कर राघव वहा से निकाल गया और जाते जाते नेहा की आँखों मे पानी छोड़ गया


लेकिन राघव ने ऐसा क्यू किया? किसका फोन आया था उसे जो उसे अपनी शादी की पहली रात छोड़ कर जाना पड़ा , अब नेहा कैसे निभाएगी अपना ये नया रिश्ता?


क्रमश:
Rishte pyar se he nibhaye jaaye ye jo kahte he wo shudhh wo he :D
Kai baar rishte jimmedari se , maan maryadaon ke chalte nibhaye jate he, kai baar majburi me to kai dafa dikhave ke rishte nibhaye jaate he. Wo kehte ke average happy married life sirf 5-6 saal ki hoti he, uske baad pyar ki jagah bacchon ki jimmedari, ghar , kaam kaa pressure aur end me retirement ! Iss sab me sahi se count kare to average shadi me happy married life 6-7 saal ki he samaz le. Baki jo he wo partner ke sath bitai jindagi he jisame dono sukh dukh me ek dusre ke sath jhagad ke rote haste ji lete he.
In dono kabutaron ki shadi jo hui he wo bakiyon ko jaldbaji lage par writer ka style he hatke story likhna to aage ki kahani hatke he hogi :D
Raghav ki past life abnormal he maan ke he chaltaa hu taki baad me koi nirasha na ho.
 
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Yo hello XFians how you all doin?
ah its good to be back, its been a long time since I wrote something, almost 2 years I guess? last update maine shayad uff ye mohabbat ka diya tha wo bhi nov 2021 me bc beech me 2022 pura khali nikal gaya :faint:
Finally starting a new story story today jise aaj se kareeb 6 mahine pehle shuru ho jana chahiye tha :runaway:
but yeah der aaye durust aaye anyway jyada time barbad nahi karunga update kal se dunga aaj dekh leta hu kitne log respond karte hai isme 4-5 se upar nhi honge public prefix dekh ke hi bhag leti hai:laughing:
Still apun kahani to puri krta hi hai you guys know it :cool:
enjoy guys :cheers:


p.s. Story devnagiri me hogi to kisi ko koi samasya ho to batane ka apun hinglish me bhi post kar sakta hai.
:congrats: for starting a new story thread Adirshi bhai :celebconf:
 

park

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Update 1

इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से

सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..

वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...

गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे

गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा

शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..

वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,

गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?

शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख

अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,

शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है

ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,

"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "

ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,

शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका

शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है

गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..

शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है

"जल्दी है"

ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की

धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा

इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा

शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है

शेखर- लेकिन दादू…

तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे…

सिवाय एक के, राघव

शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है…

शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे

शिवशंकर – मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए

शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे

शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?

गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी

रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी

रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे

धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है

शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है

शेखर- मैं कुछ बोलू?

शिवशंकर- हम्म बोलो

शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..

रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है

शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..

गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है

“कहा जाने की बात हो रही है?” ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि

शेखर- भाई के लिए लड़की देखने

रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू

गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे

“मैं भी चलूँगा” ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक

धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना

विवेक- डैड..!

शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे

अगले दिन रात 11.30

देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..

उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..

ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..

हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका

राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?

शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा

दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे

राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..

शिवशंकर- खाना खाया?

राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया

शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.

इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..

15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था

शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी

राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो

शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे

राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना

शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?

राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?

राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा

शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..

राघव- क्या दादू आप भी

शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा

राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी

शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना

राघव- क्या?? दादू लेकिन…

शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है

शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.

शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे

राघव ने कुछ नही कहा..

शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना…

जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये…

तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..

क्रमश:
Nice and superb update....
 
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