यदि किसी व्यक्ति के नाम के साथ तांत्रिक का ठप्पा लग गया तो लगता है जैसे वो एक नम्बर का कपटी और धुर्त है और यदि कोई लम्बे लम्बे बाल वाला , लम्बे लम्बे जटाधारी वाला , बड़ी बड़ी दाढ़ी वाला मंत्र तंत्र से लैस हो जाए तो वो सिद्ध और ज्ञानी महात्मा जैसे प्रतीत होने लगते है ।
यहां भी तांत्रिक ने जिसका नाम कुछ था... मैंने पहले भी कई बार कहा नैन भाई कि नाम हमेशा ऐसा रखिए जो याद किया जा सके जैसे दिलीप कुमार , मनोज कुमार , राजेन्द्र कुमार , धर्मेन्द्र , जितेंद्र वगैरह लेकिन आप हो कि सुनते ही नहीं हो....भला इतना कठीन कठीन नाम कौन याद रख पायेगा..... मुझे तो लगता है कि अब मैं अपने घर वालों का नाम भी भुलने लगा हूं....
खैर , हां...तांत्रिक की वजह से बेचारी शांति से ... निश्चिंत होकर सोई हुई महाभारत कालीन एक रीछ निद्रा से जग गई ।
और ऐसा जगी कि तांडव मचाकर रख दी । यहां तक कि हमें पैरेलल वर्ल्ड और टेलीपोर्टेशन जैसी अद्भुत चीजों के बारे में भी ज्ञान दिला दी । मुझे लगता ही था कि हमें आगे चलकर अंतरिक्ष का सैर करना ही है ।
फिलहाल वो सही जगह पर है । आधी इस दुनिया में और आधी पैरेलल वर्ल्ड में । हमारे लिए रिलैक्स की बात है कि उसका विशालकाय शरीर यहां न होकर दुसरी दुनिया में है । आत्मा यहां रह कर क्या निहाल कर लेगा ! हमारे मुनि उसी तरह से उसे मुक्त कर देंगे जैसे एडियाना का नारायण जी ने किया था ।
वैसे क्या ही खूंखार लग रही थी... कुम्भकरण की तरह लग रही थी.. अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा ही दिखाई थी वो । इसी में यह हाल हुआ... अगर कहीं पुरी शक्ति के साथ मैदान में वो आ जाए तो पता नहीं क्या होगा ! उसके पांवों के तलवे के नीचे ही लाखों लोगों की समाधि बन जाती ।
यह भी संतुष्टि की बात है कि पुनर्स्थापित अंगूठी उसके कब्जे में न आ सकी । अगर यह उसके हाथ आ गया होता तो वो तो कभी मरती ही नहीं । लाखों टुकड़े करने के बाद भी पुनः उसी रूप में सामने आ खड़ी होती ।
आर्य किस्मत का धनी है जो उसे यह अद्भुत अंगूठी प्राप्त हो गई । वैसे फाइट स्किल बहुत बढ़िया है उसका । जरूर निश्छल का प्रभाव पड़ा है उसपर । देखते है यह अंगूठी और क्या क्या खेल दिखाती है ! जिस अंगूठी को पाने के लिए हजारों साल से तिकड़मबाजी हो रही है वो आसानी से आर्य के पास रहने वाला तो नहीं है !
जबर्दस्त युद्ध था आर्य और महाजनिका के दरम्यान । साथ ही तांत्रिक और वेडिंगो का संत महात्माओं के साथ जो तंत्र मंत्र के द्वारा लड़ा जा रहा था । आर्य की युद्ध शैली सच में ही निश्छल की याद दिला गया ।
लेकिन दुःख हुआ निशांत के लिए । भरी जवानी में ही संन्यास धर्म अपना लिया । अभी खेलने खाने की ही तो उम्र थी उसकी ।
लगता है बेचारे का सफर कहानी में इतना दूर तक का ही रहा । पता नहीं , हरप्रीत के उपर क्या गुजरेगी ! उसके माता पिता और बहन पर क्या सदमा पहुंचेगा !
( Waise Death king , Anubhavp14 , Pankaj Tripathi , Xabhi bhaiya log ke baad meri himmat hi nahi ho raha hai ki abb main lambe choude reviews likh pau...Abb se main one -two sentence me hi review likhunga
दोनों अपडेट्स हमेशा की तरह उत्तम और सुंदरतम ।
रोमांचक और आश्चर्यजनक
और जगमग जगमग ।