Lovetooldlady
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दोस्त कि माँ कि मदद :- सँडी
"हेलो सैंडी"
"हां बोल भाई"
"किधर है तू..अरे यार एक काम था तुझसे"
"मैं तो घर पर ही हूं...बोलना क्या काम था.. कुछ अर्जेंट है क्या "
" हा अर्जेंट था.. तू जल्दी अपनी जगह पर आजा आधे घंटे के अंदर.. "
"ठीक है भाई आता हूं"
मैं सैंडी मुंबई में रहता हूं और बीकॉम की दूसरे साल में पढ़ता हूं | .... साथ ही साथ में एक कॉल सेंटर में पार्ट टाइम जब भी करता हूं |
मुझे चुदाई का बहुत शौक है और खास करके मुझे बड़ी उम्र की औरतें ज्यादा पसंद है, फिर वह रंग में काली गोरी, कम हाइट हो य ज्यादा, जड़ी पतली कैसी भी हो मुझे उन्हें चोदणे में बहुत मजा आता है|
मेरे इसी स्वभाव के कारण, मेरे सामने आने वाली हर एक बड़ी उम्र की औरत को, मे चोदणे कि नजर से ही देखता हूं | मैंने कई बार मेरे अपने दोस्तों की मां को भी उसी नजर से देखा है|
मे जब भी उनके घर जाता हू, तो मेरी पहली नजर उनके बड़े-बड़े चुचीओ और बड़ी-बड़ी गांड पर ही अटक जाती है | मैंने कई बार अपने दोस्तों की मां पर ट्राई कियाहै, पर आज तक सफल नहीं हुआ |
उनके अलावा मैंने, बोहत सी बड़ी उम्र की औरतों को चोदा है | ज्यादा तर वो सब मेरे बाजू में रहने वाली तल्या फॉर मेरे एरिया में रहने वाली है|
मुजसे जो फोन पर बात कर रहा था, वह मेरा दोस्त राजू है | हम दोनों दसवीं से साथ में पढ़ रहे है |
राजू के घर पर उसकी मां सुरेखा जो कि एक हाउसवाइफ है और पिताजी रमेश उनका खुद का बिजनेस है, उसी की वजह से वह हफ्ते में दो दिन अपने बिजनेस के तौर पर जाते रहते हैं|
और एक शख्स है राजू के घर पर वह है उनका पालतू कुत्ता जिसका नाम रॉकी है |
राजू की मां के बारे में बताओ तो वह एक 45. 47 साल की उम्र की औरत है| रंग कला है हाइट मुझे थोड़ी सी कम होगी शायद, शरीर से थोड़ी मोठी है|
छाती 40 के बराबर होगी, पेट थोड़ा निकला हुआ है और गांड एकदम मस्त भरी हुई| आंखें एकदम नशीली, होट भी एकदम रसीले है | देखा जाए तो सिर्फ रंग काला है बाकी एकदम पटाखा है राजू की मां| मैं उन्हें भी चोदणे चक्कर मे हू |
" बोल भाई क्या अर्जुन काम था इतने अर्जेंटली मुझे तूने बुलाया|" मेने राजू से कहा
"भाई मैं मां और पिताजी दो-तीन दिनों के लिए कई बाहर जा रहे हैं " राजू ने कहा तब फट से मेने उसे कहा
" यारी ये तो खुशी की बात है.. इसमे प्रॉब्लम क्या है भाई "
"अरे हम तीनों अगर बाहर घूमने चले गए तो रॉकी की देखभाल कौन करेगा?" . राजू ने मुझसे कहा
" अरे हां यार यह तो बड़ी मुसीबत है.. एक काम करो तुम उसे भी तुम्हारे साथ ले जाओ " मेने राजू से कहा
"नहीं ले जा सकते भाई जहां हम जा रहे हैं वहां कोई पेट नाही ले जा सकते " राजू ने मुझसे कहा
" तो तुम तुम्हारे रिश्तेदार के यहां पर उसे छोड़ दो" मेने राजू से कहा.
" हमारे कोई भी रिस्तेदार नाही राख रहे है.. वही प्रॉब्लम है और मम्मी ने मुझे बोला है आज कैसे भी करके रॉकी का बंदोबस्त कर कर ही घर आना है... वरना वह मुझे घर में नहीं लेने वाली " राजू ने मुझसे कहा
" यह तो बड़ी दिक्कत गो गाई यार" मैं राजू से कहा
" यार मुझे बता तो अगले दो-तीन दिन के लिए कहीं जा रहा है.. क्या कुछ काम है तुझे अर्जेंट? " राजू ने मुझसे कहा
" नहीं भाई वैसे तो मुझे कोई अर्जेन्ट काम नहीं है पर क्यों" मेरे राजू से कहा
" तों यार तू ही राख रॉकी को तेरे साथ, प्लीज यार वैसे भी रॉकी तुझे थोड़ा-थोड़ा जानता तो है, तुझे ज्यादा दिक्कत नहीं होगी" राजू ने मुझसे कहा
" अरे यार तुझे तो पता है ना मेरे घर पर " मैं आगे बोलने वाला था कि राजू ने मुझसे कहा
"भाई मैं कुछ नहीं जानता हूं, तू मेरी मदद कर दे.. मैं अभी मन को फोन करके बताता हूं, कि सैंडी रॉकी अपने घर लेने जाने के लिए तैयार है.. और तू अभी मेरे घर पर जा और मां को बोलकर रॉकी को ले जा"
"अरे पर भाई" मैं फिर उसे कुछ बोलने वाला था तभी राजू ने कहा..
"प्लीज यार भाई, एक तू ही मेरा सहारा है नहीं तो मां मुझे घर में नहीं रहने देगी और मुझे और भी थोड़े बहुत अर्जेंट काम है वह भी पूरे करने हैं. प्लीज यार संभाल लेना दो-तीन दिन के लिए रॉकी को"
" ठीक है भाई देखता हूं तेरे घर जाकर " मेने राजू से कहा
" यार तू ही मेरा सच्चा दोस्त है थैंक यू मेरा भाई अब यह खुशखबरी मां को सुनाता हूं.. चल ठीक है भाई मुझे थोड़ा अर्जेंट काम है फिर से एक बार थैंक्स भाई.." ऐसा बोलकर राजू वहां से निकल गया
मे भी राजू की घर की ओर चलने लगा और चलते-चलते सोच रहा था..
" चालो इस बहाणे से राजू कि माँ को अकेले मे देखणे मिलेगा.. राजू कि माँ एकदम पटाखा है देखते ही लैंड खड़ा हो जाता है. क्या मस्त बडी बडी चुचिया है, लगता है राजू के पिताजी ने बहुत दबाए है उन्हे और मुंह में लेकर चूसा भी होगा इसी के लिए वह इतने बड़े हैं... और गांड भी तो एक नंबर है एकदा बड़ी और चौडी है. मन करता है उनको झुककर पीछे से अपना खड़ा लंड उनकी गांड में डालकर उनकी गांड खूब जोर-जोर से मारूं. " मैं यही सोचते सोचते राजू के घर तक पहुंच गया
घर की बेल बजाई.. कुछ देर में ही दरवाजा खुला और मेरे सामने राजू की मां खड़ी थी मुझे देखकर आंटी मुझे बोली
" अरे सैंडी आओ आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी.. अभी राजू का फोन आया था वह बता रहा था कि तुम आने वाले हो"
" तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आता हूं " ऐसा बोलकर आंटी किचन की ओर चली गई मैं वहीं खड़ा रहकर आंटी को जाते हुए देख रहा था
आंटी ने आज सफेद रंग की की साड़ी और लाइट ब्लू रंग का ब्लाउज पहना था.. सफेद साड़ी में उनकी गांड एकदम मस्त दिखाई दे रही थी वह देखकर मेरा लैंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था
" अरे यार क्या गांड इस साली की देखकर लैंड खड़ा हो रहा है मेरा... सच में बहुत मजे है राजू के पिताजी के रोज चोदता होगा इस साली को.. चूत कम और गांड ज्यादा मरता होगा आंटी की.. इसीलिए तो गांड इतनी मस्त भरी हुई है. " मैं आंटी की गांड को देखते हुए मन में बोल रहा था
आंटी किचन से हाथ में पानी लेकर आए और मुझे वहीं खड़ा देखकर मुझे बोली
" अरे सैंडी तुम खड़े क्यों बैठो"
" हां आंटी मे बैठता हू आप भी बठीये." मैं बैठते हुए आंटी को बोला
"रॉकी देखो कौन आया है तुम पहचानते हो ना इसे.." आंटी रॉकी को अपनी गोद में उठाते हुए उससे बोली
"हाय राखी " मैंने रॉकी को कहते हुए उसके सर पर हाथ फेरणे लगा
रॉकी आंटी की गोद से उछल कर मेरी गोड के आ गया .
" अरे वा आज तो रॉकी को सैंडी बहुत पसंद आया है, लगता है रॉकी को भी पता चला है कि सेंड उसे कुछ दिनों के लिए सैंडी के घर जाना है" आंटी ने मुझसे कहा
"सच में रॉकी तुझे पता है तू मेरे साथ रहने वाला है" मैं रॉकी की ओर देखते हुए उसे बोला और उससे थोड़ी मस्ती करने लगा
" अरे नहीं नहीं मस्ती मत करो उससे नहीं तो वह कटेगा तुम्हें.." दो मैं उसके कमरे में छोड़ देती हूं" आंटी ऐसा बोलकर रॉकी को मुझे ले लिया और उसे अंदर उसके कमरे में छोड़ने चली गई
जैसे ही रॉकी मेरे ऊपर से गया तो उसके सारे बाल मेरे पॅन्ट के ऊपर लगे पड़े थे जीने में साफ कर रहा था.. उतने में आंटी आई और मुझे साफ करता हुआ देखकर बोली
" अरे तुम्हारे पूरे शरीर पर रॉकी के बाल हो गौ है.. में साफ कर देती हूं" आंटी मेरे सामने खड़ी होकर बाल साफ करते हुए मुझसे बोली
जब आंटी मेरे सामन थोड़ा सा झुककर अपने हाथों से मेरे जांघों के ऊपर पड़े रॉकी के बाल को साफ कर रही थी तब मेरी नजर उन पर पड़ी..
मेरे सामने आंटी के बडी बडी चुचिया थी, जो साड़ी के पल्लू से ढकी हुए थी, पर फिर भी वह कितनी बडी हैं, ये साफ-साफ नजर आ रहा था.. और वह हाथ से साफ करते समय वह दोनों हात जोर-जोर से हिल रहे थे उसी के कारण चुचिया भी हिल राही थी और मैं वही देखते हुए आंटी से कहा
" नहीं ऑंटी रहने दीजिए में साफ कर देता हूं.. बहुत ही बाल झड़ रहे रॉकी के" मे बालों को साफ करते हुए आंटी की चुचीओ को देखते हुए आंटी से कहा
" क्या करें बेटा यह सीजन ही है उनके बाल झड़ने का " आंटी भी मेरे जंग पर के बाल साफ करते हो मुझसे बोली
सामने आंटी की बडी बडी चुचिया और नीचे उनका हाथ मेरा लंड को जगाने के लिए काफी था तभी ऑंटी की साफ करते हुए मेरे बाजू में बैठ गाई
" सैंडी मुझे एक बात बताओ तुम्हा डॉग्स पसंद है ना" आंटी ने मुझसे कहा
" हां आंटी मुझे डॉग्स बहुत पसंद है. कुछ साल पहले मेरे पास भी एक डॉग था..पर पिताजी ने उसे मेरे कजन को दे दिया" मैंने आंटी से कहा
" अरे ऐसे कैसे दे दिया उन्हें डॉग्स तो अच्छे होते हैं" आंटी ने मुझे पूछा
" दरसल ऑंटी..एक बार वह डॉग ने मेरे पिताजी को काट लिया और उसी स गुस्से में पिताजी ने उसे काजन को दे दिया" मैंने आंटी से कहा
" पर अब तों तुम्हारे घर पर कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.. रॉकी कॉलेज जाने मे " आंटी ने मुझसे पूछा
" ऑंटी मे रॉकी कि मेरे घर नाही ले जाऊंगा.. मे याही उसकी देखभाल करु ये बटाने के लिये आया हू.. " मेने ऑंटी से कहा
" क्या पर मुझे राजू ने कहा कि तुम उसे अपने साथ अपने घर ले जा रहे हो" आंटी ने मुझसे कहा
" नहीं आंटी मैंने उससे ऐसा नाही कहा कि मे उसे लेकरं जाऊंगा.. मे तों बस आप को ये बटाने आया था कि अगर मे हया रेखार रॉकी कि देखभाल कर ळू तों चलेगा क्या.. अगर मे घर पार्टी राहा तों रॉकी के सात सात घर को भी देखभाल हो जायेगी.. और अगर मे रॉकी को मेरे घर ले गया तों मेरे अनेटाजी रॉकी के सात सात मुजे भी घर से निकाल देंगे.. " मेने ऑंटी से कहा
" ये तों तुम सही के रहे हो. अगर तुम घर पर होगे तों चोर भी नाही आयेगा.. और रॉकी कि भी देखभाल हो सक्ती है..पर तुम्हें यहा रुकने केलीये मेरी कुछ शर्ते है जिसे मनना पडेगा " आंटी ने मुझसे कहा
" क्या शर्ते हैं आंटी " मैंने आंटी से पूछा
" तुम जब तक मेरे घर में रहोगे तब तक तुम कोई पार्टी नहीं करोगे.. घर खाली है यह देखकर अपनी गर्लफ्रेंड को यहां नहीं ले आओगे.. समझ गए ना मैं क्या कहना चाहती हूं.. और घर में तुम्हें सिगरेट नहीं पीओगे अगर तुम सिगरेट पीते हो तुम बाहर जाकर पी सकते हो अगर तुम्हें ये शरते मंजूर है तो मैं तुम्हें रहने के लिए दे सकती हूं " आंटी ने मुझे उनकी शर्तें बताई
" अरे आंटी.. मैं शराब नहीं पीता हूं और ना ही सिगरेट पीता हूं आपको झूठ लगे तब अपने बेटे से पूछ सकते हो या मेरे कॉलेज के किसी भी दोस्त से आप पूछ सकते हो कि मैं शराब पीता हूं या नहीं.. और रही बात गर्लफ्रेंड को यहां लाने की तो गर्लफ्रेंड है ही नहीं तो मैं किस यहां पर ले आऊं" मैंने आंटी से कहा
"क्या सच में सो स्वीट.. ऑफ वू सँडी.. पर तुम्हें देखकर लगता नहीं है तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी " आंटी ने मुझसे कहा..
"दरअसल आंटी मुझे ना लड़कियां पसंद नहीं है " मैंने आंटी को कहा
"क्या बात कर रहे हो.. तो क्या लड़के पसंद है तुम्हें.. तू गे हो क्या " आंटी ने मुझसे कहा
" अरे नहीं नहीं आंटी आप तो मुझे गलत समझ रही हो.. मेरा कहने का वह मतलब है कि मुझे कम उम्र वाली लड़कियां पसंद नहीं है मुझे ज्यादा उम्र वाली औरतें पसंद है" मैंने आंटी की और देखते हुए उनसे कहा
" क्या तुमने तुम्हें जवान लड़कियां पसंद नहीं, पर बुढी औरतें पसंद है, कुछ भी क्या बोल रहे हो सैंडी मजाक तो नहीं कर रहे हो तुम" आंटी ने मुझसे कहा
" नहीं आंटी में सच कह रहा हूं, अगर मुझे जवान लड़कियां पसंद होती तो मेरी अभी तक तीन-चार तो गर्लफ्रेंड हुई जाती पर मुझे लड़कियों से ज्यादा ऑंटीया पसंद है" मैंने आंटी की और देखते हुए कहा
"अच्छा तुम कह रहे थे सच हो सकता है, रुको मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती है फिर बातें करते हैं" आंटी खड़ी होते हुए मुझसे बोली
" अरे आंटी नहीं मुझे चाय नहीं चाहिए, आप बैठीये हम बातें करते हैं " मैंने मैंने आंटी को बोला और अपना हाथ सोफे पर पटक रहा था कि तभी आंटी मेरे हाथ पर ही बैठ गई
" ओ..सॉरी बेटा मैं तुम्हारे हाथ पर ही बैठ गई "आंटी ने मुझसे कहा
" कोई बात नहीं पर मुजे बोहत अच्छा लागा... बहुत सॉफ्ट है.. सॉरी आंटी " मैंने आंटी की ओर देखते हुए आंटी से कहा
" क्या हुआ सँडी तुमने सॉरी क्यों कहा.." आंटी ने मुझसे कहा
" एक्चुअली आंटी मुझे डॉग्स जरा भी पसंद नहीं है" मे ऑंटी कि और देखते हुये कहा
" क्या..तो तुम यहां क्यों आए हो अगर तुम्हें डॉग्स पसंद नहीं है तो? " आंटी गुस्से से मेरी और देखते हुए बोली
" सच कह तों...मैं तो बस यहां आपको देखने आया था डॉग्स के बहाने से " मैंने आंटी की ओर देखते आंटी से कहा
" क्या कह रहे हो सैंडी तुम, होश में तो हो " आंटी ने मुझसे कहा पर जब उन्होंने यह कहा तब उनके चेहरे पर मुझे गुस्सा दिखाई नहीं दे रहा था. और मेने सोचा आज जो हो जाए आंटी को तो ट्राई कर कर ही रहूंगा
" दरअसल मे इन्हें देखने के लिए आया था " ऐसा बोलकर मैंने आंटी को मेरी ओर खींचा और उनके साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया
जैसे ही मैंने आंटी को मेरी ओर खींचा तो आंटी संभाल नहीं पाई और मेरे अंग पर आकर गिर गई
' आऊच सैंडी क्या कर रहे हो...और मुझे समझ में आया था.. कि तुम " आंटी आगे कुछ बोलती उससे पहले मेरे एक हाथ आंटी के राइट साइड वाली चुची पर रखकर उसे दबाते हुए आंटी से कहां
" मे आप को देखणे आया था.. जब आसपास आपका बेटा और पति न होने.. जिससे मुझे इनके दर्शन और अच्छे से करने मिलेंगे. और यही सोचकर में आज यहा आया था.." ऐसा बोलकर मैंने अपनी गर्दन नीचे झुका कर उनके दोनों चुचीओ के बीच की गहराई के ऊपर मेरे होंठ रखकर किस करने लगे
" आह. ह. ह. ह. सँडी..... स्स्स्सह्हह्ह.. आह. ह. ह. ह. बेटा..... " आंटी के मुंह से बस यही निकला
मैं ब्लॉउज के उपर के हिस्से पर अपने ओठ राखकर.. हलकी हलकी किस कर राहा था...इथे ही एल चुची को भी हलका हलका मसल राहा था.
" सैंडी... आऊ. च..... आह. ह. ह. स्स्स्स्स.... आह... बेटा....." ऐसा कहते हुए आंटी ने खुद मेरे सर को अपने चुची पर दबाय
मैं समझ गया कि आंटी को पसंद आ रहा है जो मैं कर रहा हूं
मेने आंटी के ब्लाउज का ऊपर का बटन खोल और मेरी जुबान बाहर निकालकर दोनों चुची के बीच कि गेहराई मे वहां चाटने लगा.. और धीरे-धीरे एक-एक करके दोनों चुचीओ को भी दबा रहा था
मैं चुची दबाते दबाते आंटी के ब्लाउज का और एक हुक खोल दिया. जैसे मैंने आंटी के ब्लाउज के दोनों हुक खुले तो आंटी कि चुचिया बाहर जुक गाई.. और मुझे उन दोनों पहाड़ों के गहराई में मेरी जुबान घूमने के लिए और भी जगह मिल गई
मैं चाट रहा था कि कर रहा था और साथ ही साथ उन्हें धीरे-धीरे दाबा भी रहा था
" ऊऊऊ...सैंडी... बेटा.... आह... मा.... स्स्स्स. ह्ह्ह्हह्ह... स्स्स्स्स्स.... " इसे कहते हुए वह मेरे सर को अपने चुचीओ पर दबा रही थी जैसे कि मानो मुझे बोल रही थी कि बेटा खा जा मेरे इन दोनो चुचीओ को...
आंटी की चुचीओ को दबाते दबाते.. बचे हुए ब्लाउज के हक भी खोल दिए.. आंटी ने ब्लाउज के अंदर वाइट कलर की ब्रा पहने थी रो उनके साइज से छोटी लग रही थी
ब्रा में उनकी चुचिया है एकदम कसी हुई थी.. आंटी काली थी और उन्होंने वह सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो उनके ऊपर एकदम उठ कर दिखाई दे रही.
" सैंडी रुको" आंटी ने मेरी और देखते हुए कहा
मे रुका ऑंटी उठकर खड़ी हुई और खुद का ब्लाउज और ब्रा निकलने लागी.. मे ये देखर खूश हुआ
कुछ ही देर में उन्होंने ब्लाउज ब्रा को अपने शरीर से अलग करके नीचे फेंक दिया. वह नीचे झुक कर मेरे सामने अपना मुंह लेकर आई
"ऑंटी कई यह सपना तो नहीं." मे आज कुछ बोलता तभी आंटी ने
" शट अप कहा... " और मेरे होठों के ऊपर ओठ रखकर मुझे किस करने लग गई..
मैं आंटी को किस करते-करते उनके दोनों निप्पल को उंगलियों में पड़कर मसलने लगा था
आंटी ने अपने ओठ अलग किये और वह नीचे बैठ गाई. मेरे पैरो के भिच मे आकार उहोणे मेरे टीशर्ट को पकडा और उपार करते हुये मुजे बोली
" इसे निकालो"
यह सुनकर मैने झट से अपना टीशर्ट.. निकाल कर बाजू में फेंक दिया और मे उपार से नंगा हुआ
आंटी ने ओने सार को नीचे जुकाया और मेरे पेट से होते हुए सीने की ओर किस करते-करते हुए बढ़ने लागी. साथ ही वह अपनी चूचियों को मेरे पेट पर टच कर रही थी
ऐसा करते आंटी फिर से मेरे मुंह के सामन अपना मुंह लेकर आई और मेरे होठों पर ओठ रखकर किस करने लग गई मै भी आंटी को किस करने लग गया
कुछ देर हम दोनों ने किस कर रहे थी.. फिर आंटी ने किस तोड़ी और फिर से वह नीचे की ओर जाने लगी
आंटी मेरी कमर पर पहुंच गई और उन्होंने अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर मेरी बरमूडा को पकड़ कर नीचे खींचने लगी
" आंटी मुझे नहीं लागा था कि आज ये हो जाएगा." मैं खूश होते हुये गांड ऊपर की उठाकर आंटी से बोला
जैसे ही मेरी गांड ऊपर उठी आंटी ने मेरी बरमूडा खींचकर मेरे घुटनों तक ला दी
" हो. सँडी..तुम्हारा तो पहले से ही खड़ा हो चुका है" आंटीने मेरे लंड को पेट के ऊपर से ही पकड़ कर उसे हिलाते हुये मुझसे बोली
" आप जैसी सेक्सी औरत अगर इस रूप में उसके सामने खड़ी हो तो वह खड़ा होगा ही ना" मैंने आंटी कि दोनों चूचियों के ऊपर हाथ रखते हुए उनको धीरे-धीरे दबाते हुए कहा
" सच में सैंडी... तुम मुझे ही देखने के लिए ही आए हो " आंटी मेरे लंड को अंदर पेट के ऊपर सही सेहलाते हुए मुझसे पूछा
" जी आंटी मैं सच कह रहा हूं.. रॉकी को संभालने का तो एक बहाना था.. मुझे आपको अकेले में देखने का चांस मिल रहा था और यह चांस मुझे किसी भी हाल में खोना नहीं था इसके लिए मैं आया" मैं आंटी के चुचीओ को दबाते हुए आंटी से बोला
आंटी ने फिर से अपना हाथ मेरे लंड से निकाला और मेरे कमर के दोनों तरफ रखकर मेरी अंडरस्टैंड की इलास्टिक को पकड़ कर मेरी अंदर पॅन्ट को नीचे खींचने लगी
मैं भी गांड उठाकर आंटी को निकलने में मदद करने लागा. आंटी ने मेरी अंडर पेंट और मेरी बरमूडा दोनों को भी मेरे पैरों में से निकाल कर बाजू में रख दिया. अब मैं आंटी के सामने पूरा नंगा था
आंटी मेरे दोनों पैरों के बीच में आई और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर मेरे लंड को ऊपर नीचे हिलने लगीआंटी मेरे लंड को हिलाते हुए मेरी और देख रही थी
" मे सपने मे भी सोच नाही सकता.. आप मेरा लंड असे पकडकर हिलाओगी. आंटी बहुत मजा आ रहा है आपके हाथों से लैंड हिलवाना " मे आंटी की ओर देखते हुए आंटी से बोल
" सैंडी तुम्हारा लंड भी एकदम मस्त है, तुम्हारा उम्र के हिसाब से .." आंटी मेरे लंड को हिलाते हुए मेरी और देखकर मुझे बोली
" हां आंटी ने मेरे लंड को रोज तेल से मालिश करता किसी के कारण मेरा लैंड बड़ा हुआ है "
आंटीने अपने सार नीचे झुकई और अपना मुंह खोलकर मेरे लंड को मुंह में भर लिया
" आह. ह. हह..आंटी मस्त... आह. ह. ह. ह एकदम गरम है मुंह है आपका मजा आ गया अपने मु मे लाड देकर..."
" सश्श..ह . ह . ह आंटी क्या मस्त लैंड चुस्ती हो आप मजा.... मजा आ गया... आपके मुंह में लंड देने से.... ऐसा ही चूसो पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा आंटी.... " में आंटी के सर को
पकड़ कर अपने लैंड पैर दबाते हुए आंटी से बोल
कभार वह लैंड को पूरा मुंह से बाहर निकाल कर अपनी जुबान बाहर निकाल कर उसे चाट रही थी
" हो. ह. ह. ह .. वाव....आंटी क्या मस्त चाटती हो आप लैंड.. मजा आ गया आंटी....लगता है आपको लंड चूसना बहुत पसंद है.. अंकल आपसे रोज लैंड चुस्वाते हैं क्या.. " मैं आंटी की ओर देखते हुए आंटी से बोल
आंटी बस मेरी और देखकर लंड मुंह में लेकर खुद की गर्दन को ऊपर नीचे करते हुए मेरा लंड चूस रही थी उनकी आंखों से मुझे ऐसा लग रहा था कि सच में आंटी को लंड चूसना बहुत पसंद है
आंटी ने लैंड को मुंह से निकला और हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए मुझे बोली
" सैंडी मुझे तुमसे एक बात पूछनी है.. "
" पूछिए ना" मैंने आंटी से कहा
आंटी मेरे लंड को हिलाते हुए धीमे-धीमे ऊपर आकर मुझसे बोली
" जब भी तुम हमारे घर आए हो.. मैंने तुम्हें बहुत बार बाथरूम में वक्त गुजारते हुए देखा है.. क्या तुम बाथरुम में मेरे नाम से अपना लैंड हिलाते थे " ऐसा बोलकर उन्होंने मेरे होठों पर ओठ रखकर मुझे किस करने लग गई और साथ ही साथ वह मेरा लैंड भी अपने हाथों में लेकर हिला रही थी
आंटी ने की किस को तोडा और मेरी और देखते हुए मुझसे पूछा
" बताओ ना सँडी क्या तुम बाथरूम में मुझे याद करते हुये अपना लैंड हिला कर पाणी निकलते थें."
" हां आंटी आपने सही कहा .. मैंने कई बार आपके बाथरूम में आपको सोचकर मुट्ठ मार कर मेरे लैंड का पानी निकाला है और वह भी आपके पेंटी के ऊपर" ऐसा बोलकर मैंने अपनी गर्दन आगे बढ़कर आंटी के होठों पर और ओठ राखकर उनको किस करने लगा
आंटी ने किस तोंडी और मुझे बोली
" तुम्हें मेरी पैंटी किसे मिलती थी, मैं तो उन्हें कपड़ों के नीचे रखती थी चुपकार "
" एक दिन में जब आपके बाथरूम में गया, उससे पहले आप नहा कर आई थी. मे आपके बाथरूम घुसाऔर जाकर आपकी ब्रा और पैंटी को ढूंढने लगा, मुझे आपकी ब्रा और पेटी आपके कपड़ों के नीचे मिली. पॅंटी को नाक के नजदीक लेजर मे उसे सुगणे लागा.. ताबा मुजे आप कि चूत की खुशबू और पेशाब की खुशबू आने लगी. और सुगते सुगते अपना लंड निकालकर हिला राहा था..आपका नाम से मैं मूठ मरने लगा. मै ऐसा सोच रहा था कि मैं आपकी पेटी नहीं आपकी चूत ही चाट रहा हू. यह सोचते सोचते मैंने पहली बार मेरे लैंड का पानी आपकी पॅंटी के उपर निकला और वह पेटी फिर से वहीं पर रख दी " मैंने आंटी को बताया
" सँडी.. तू तों बोहत हरामी हो.. अपने ही दोस्त की मां के पॅंटी के ऊपर अपना लैंड हिला कर लंड का पानी निकाल दिया... बदमाश कहीं के तभी मैं सोचूं मेरी पैंटी चिप चिपा क्या लग रहा था.. " आंटी मेरी और देखते हुए मुझे बोली..
आंटी ने मेरे होठों के ऊपर अपने ओठ रख दिया और मुझे किस करने लग गई..
आंटी ने किस तोड़ी और खडी हुई.. अपनी साडी को निकलते हुये मुझसे बोली
" सँडी तुमने कभी मुझे नंगा देखा है "
मैं भी आंटी के साथ खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर खिलाते हुए आंटी को बोला
" हा आंटी मैंने आपको एक दो बार आपके कमरे में आपको नंगी ददेखा है "
" क्या...सच में तुमने मुझे नंगा देखा " आंटी ने मुझसे पूछा
" हां आंटी.. और जब मेने आपको नंगा देखा तब मैंl आप अपनी चूत में उंगली कर राही थी. आपको चुत मे उगली करते देख मुजसे राहा नाही गया और मे वही खडा रेहकर आपको देखते देखते लंड हिलाने लागा "मेने ऑंटी से कहा
" क्या बात कर रहे हो... पर तुमने यह बात किसी से बताई तों नाही ना? " आंटी अपनी साड़ी खोलकर बाजू में रखते हुए मुझसे बोली
" नहीं आंटी यह थोड़ी बटाने वाली बात है" मैं अपने लंड को हिलाते हुए आंटी को बोला
" सो स्वीट ऑफ यू सैंडी... " ऐसा बोलकर आंटी ने फिर से मेरे होठों पर अपनी ओठ रख दिए और मुझे किस कर दी
आंटी किस तोड़ दी और अपनी पेटीकोट की गांठ को खोलते हुए मुझे बोली
" सँडी क्या तुम अपने सारे दोस्तों के मां को चोदा है या फिर मैं पहले हूं जिसे तुम चोदणे वाले हो"
" आंटी आप पहली हो.. जिससे मैं चोदने वाला हूं.. मैंने राजेश की मां पर भी ट्राई किया था पर नहीं सफल नाही हुआ " मै लंड हिलाते हुए आंटी को बोलना
" क्या सच में मैं पहले हूं जो तुम्हारे लंड से चोदने वाली हूं इस सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा सँडी " ऐसा बोलकर आंटी ने अपने पढ़कर भी नीचे मेरे सामने पॅंटी में खड़ी थी जिसे मैंने पहली बार अपने लैंड का पानी निकाला था..
" आंटी यह वही पॅंटी है.. जिससे मैंने पहली बार अपना लैंड हिला कर अपने लंड का पानी निकला था " ऐसा बोलकर मैं नीचे बैठ गया और उनके कमर के दोनों तरफ हाथ रखकर उनके पेटी को नीचे खींचने लगा हूं
" सच में यह वही पॅंटी है सँडी.. मुझे नहीं पता था वैसे भी ज्यादातर घर में पैंटी और ब्रा पहनती नहीं आज मुझे बाहर जाना था इसके लिए मैं पहन ली" आंटी मेरी और देखते हुए बोली
" अच्छा हुआ राजू ने मुझे घर पर भेजो उसकी वजह से मुझे आपकी चूत के फिर से दर्शन हो रहे है" मे बोलकर आंटी के पॅंटी को पूरा नीचे खींच दिया और ऑंटी ने अपने पैरों से निकाल कर बाजू में रख दिया
आंटी की नंगी चूत बिल्कुल मेरी आंखों के सामने थी.. एकदम बड़ी चुत थी ऑंटी कि... उसे पर हल्के बाल भी थे... एकदम काली थी उनकी चुत. चूत के दोनों पंखलिया बहुत ही फैली हुए थी और दान भी एकदम बड़ा था..मैंने अपना एक हाथ उठाकर आंटी की चूत के दाने पर रखकर उसे रगड़ते हुए आंटी से कहा
" आह. ह. ह. आंटी कितनी बड़ी चुत है आपकी लगता... है अंकल ने बहुत चोदा है आप को.. देखो ना आपकी चूत की पंखुड़ियां कैसे बाहर निकली हुई है और दान भी बहुत ही बड़ा है आपका मेरे मुंह में तो पानी आ गया "
" आह. ह. स्स्स्स्स...सच में सँडी तुम्हें पसंद आई मेरी खुली हुई चूत... पहले राजू के पिताजी ने मुझे बहुत चोदा है... उसी के कारण मेरी चूत इतनी फैली हुई है.... पर आप राजू के पिता मुझे रोज नहीं चोदते है..इसी कारण मुझे अपनी चूत में उंगली करना पड़ता है जो तुमने खुद देख लिया था" आंटी मेरी ओर देखते हुए मुझे बोली
" ऐसी चुत का तो मैं बहुत दीवाना हूं... आपको पता है आंटी मैं आज तक कुंवारी चूत नहीं देखी पर आप जैसे बड़ी उम्र वाली औरतों की चूत बहुत बार देखी है और उसे चोदा भी है.. " मैं आंटी की चूत के दाने मसलते हुये आंटी को कहा
" क्या बोल रहे हो.. तुमने मुझसे पहले भी मेरे उम्र की औरतों को चिडत है.. तो तुमने मुझे ऐसा क्यों कहा कि मे पहेली हू " आंटी मुझसे बोली
" अरे आंटी आपने मुझे पूछा कि क्या मैं अपने दोस्तों की मां को चोद चुका हूं या नहीं उसका जवाब में मैं आपसे कहा कि आप पेहली औरत हो जिसे मेने चिडणे वाला हू " ऐसा बोलते हुए में आंटी के मै चूत के दाने को रगड़ने लगा
" ऐसा.. क्या....आह. ह. ह...तुम तों बहुत हारामी हो... पर सच कहूं मुझे भी तुम अच्छे लगते हो.. मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा था कि तुम एक दिन मुझे अपने लंड से चोदोगे.... मैं तुम्हारे नीचे से नंगी होकर सोऊंगी.. " ऑंटी मुजसे बोली
" सच में आंटी मैं आपको अच्छा लगता हूं क्या.." मैं आंटी की चूत को रगड़ते हुए आंटी से पूछा
" आह. ह. ह. ह स्स्स्स्स्स... हां बेटा मुझे तुम अच्छे लगते हो.... और आज से तो और भी ज्यादा अच्छे लोगोंगे ... अगर तुम मुझे अच्छे से चोद कर मेरी चूत की प्यास बुझा पाओगे " . आंटी ने मुझसे कहा
" आप फिकर मत करिए आंटी... मैं आपको आज असे चोदुगा. क आप अंकल से चूडवाना भूल जाओगे... और मुझसे ही रोज-रोज चुदवाओगी" मैंने आंटी से कहा
" ठीक है बेटा..तो दिखाओ तुम्हारी कला.. कर दो मुझे खुश" आंटी ने मुझसे कहा
मैं झट से अपना मुंह आंटी की चूत पर लगाया और उनके दाने को मुंह में पड़कर चूसने लगा.. सच में आंटी के चूत का दान बहुत ही बड़ा था मैंने उसे अपने दोनों होठों के बीच में पकड़ कर जैसे स्ट्रो से हम खींच कर जूस पीते हैं वैसे ही मे दाने को चुसने ला
" ओ मां...बेटा ऐसे ही चूस.. मस्त आज बहुत दिनों बाद मेरी चूत को कोई चूस रहा है... स्स्स्स्स. स्स्स्स्स.... आह. ह. ह. H.... बेटा ऐसा ही चूस...ओ माय गॉड.. ऐसे ही.... मेरे दाने... को... आउट काटना मत बेटा.. सिर्फ अपने मुंह में लेकर चूसना बहुत मजा.. आ राहा है तुमसे चूत चुस्वाकर " ऑंटी मेरे सार को अपनी चुत पर दाबते हुये बोली
मे ऑंटी की और देखते हुए एक हात से चुत को फैलाया और मेरी जुबान चुत के अंदर के हिस्से पर चलने लगा हूं
" आह. ह. ह. सँडी... बेटा.. सच मे.. जादू है तुम्हारे जुबान में... बोहत मजा दे रहे हो तुम...मुझे म... ऐसा.. मजा तों राजु के पिताजी ने भी नाही दिया मुझे.. ऊऊ.. आह ह ह ह ह... म्म्म्मम्म.. अअअअअअअ.... अअअअ...ऊऊउ.हह्ह....सँडी.. " आंटी मेरे सर को अपनी चूत पर दबा कर मुझे चूत चुदवाने का मजा ले रही थी
मैं भी मजे से उनकी चूत को चाट रहा था ऑंटी कि चूत ने नमकीन पानी छोड़ना शुरू किया था जो मुझे अपनी जुबान पर साफ-साफ मेहसूस हो राहा था..
" आह.. स्स्स्स्स. बेटा.. मजा आ राहा है.. तुम से चुत चटवाकर... ऐसेही.. बेटा.. चाट.. मेरी चुत.. आह. ह. ह. म्म्मआआआआ..... ऊऊ... स्स्स्सस्स्स... " ऑंटी मेरे सार को चुत पर दाबते हुये मुझे बोली.
मेने अपनी जुबान उनकी चुत के अंदर डाल दी और जुबान से उनकी चुत को चोदणे लागा.. सात सात मेने उनके चुत के दाणे को उनली मे पकडकर उसे मसेलने लागा..
तभी ऑंटी ने मेरे सार को जोर से चुत पर दाबाकर मुझे बोली.
" आह. ह. ह. हह. बेटा.. एकदम मस्त.... ऐसेही.. उसे मसल.. आह. ह. ह. बोहत ही अच्छा.. कर राहा है बेटा.. तू.. आह. ह. ह. ह. ह.. आज पाहली बर मुजे इतना मजा आया है.. आहहे. ह. ह और.. जोर जोर से डाल तेरी जुबान मेरी.. चुत मे और चोद मुझे उससे... सँडी...... "
कुछ देर मे उनकी चूत को जुबान से चोद रहा था और ऑंटी भी मजेसे मुजसे चुदवा राही थी.तभी उन्होने मुझे कहा
" बस सँडी बेटा.. बस हुआ चाटना.. अब मुझे तेरा लंड मेरी चुत मे चाहिये.. अब मुजे बरदस्त नाही हो राहा है.. डाल तेरा लंड मेरी चुत मे और चोद मुजे.."
ऑंटी ऐसा बोलकर सोफे पर लेत गाई अपने दोनो पैरो को फैलाकार अपनी चुत पर हार फैरते हुये मुजे बोली
" सँडी.. डाल दे तेरा लंड मेरी चुत मे... और चोद डाल अपनी दोस्त कि माँ को... "
मे भी तुरंत उनके पैरो के बीच मे चला गया और.. लंड को उनकी चुत पार्टी रागाडणे लागा..
" आह. ह. ह. ह बेटा.. और मत तरसा .. पाहले से ही मेरी चुत देख कितना पाणी छोड राही है.. अब तू उसमे तेरा लंड दालकर चोद डाल..." ऑंटी मुजे बोली
" ठीक है ऑंटी.. अभि करता हू आप कि चुत कि चुदाई चालू...लो मेरे लंड का झटका.." ऐसा बोलकर मेने लंड को चुत पर सेट किया और कमर को एक झटका दिया वैसेही मेरा लंड ऑंटी कि चुत मे पुरा समा गया..
" आह... अअअअअ... एकदम मस्त करारा झटका मारा बेटा.. ऐसे ही जोर जोर से झटके मार.. और डाल दे तेरा लंड मेरी चुतमे और चोद मुजे....जोर जोरसे.. आह. ह. ह . आह... ऐसे ही बेटा.. मस्त लंड के फटके दे राहा है तू मेरी चुत को... आह. ह. ह. हस्सस्स्स्सस..... अअअअह्ह्हह्ह म्म्म्म्मआआआआ..... " ऑंटी मुजे बोली
उनकी चुत पाहले से ही चौडी होणे के कारण. मेरा लंड अराम से उनकी चुत मे पुरा घूस राहा था...
" आह. ह. ह. बेटा.. और जोर लागाकर चोद अपने दोस्त कि माँ को.. आह.. हह. ह और जोर से बेटा.. मस्त... और... अंदर डाल.. तेरा ला ड.. पुरा भर दे मेरी चुत.. तेरे लंड से... आह. ह. ह. ह म्म्म्मम... स्स्स्स्स्स.... ऊऊ... " ऑंटी मुजे देखर बोली.
" मुजे भी बोहत मजा आ राहा है... आप को चोदने मे.. क्या मस्त चुत है आप कि.... मजा आया.. आज पाहली बर मे अपने दोस्त कि माँ चोद राहा हू.. मेरा सपना था.. आप को मेरे नीचे सुलणे का.. एक रंडी कि तरह आप को चोदणे का..आज मेरा ओ सपना पुरा हो राहा है ऑंटी... " मे ऐसा बोलते हुये जोर जोर से उमकी चुत चोद राहा था..
" आह. ह. ग. मुजे भी मजा आ राहा है बेटा.. एक जवान लंड से चूदने मे... सच मे बोहत मजा आता है.. ऐसे ही चोदता रे बेटा.. आई. म्म्म्मम..... ससाश. ह. ह. ह. ये..... ये. ये.... ऊऊऊ अअअअअ...." ऑंटी मुजे जोर जोर से चोदणे के लिये बोल राही थी
" लो.. और जोर.. से डालू.. आह क्या गरम चुत है आओ कि ऑंटी.... मजा आया... " मे ऑंटी से बोला
" हा मेरे चोदु... और जोर से चोद.. मुजे.. एक रांड कि तरह .. आज मेरी चुत का भोसडा बनाकर ही रुकना सँडी... बेटा... आह. हह. ऐसे. ऐसेही.. जोर जोर से शॉट मार... बोहत मजा दे रहा हे तेरा लंड मेरी चुत को... " ऑंटी मुजे बोली
" ऑंटी आपकी चुत पुरा मेरा लंड निगल चुकी है.. लागता है अंकल ने बोहत चोदा चुत को... चोद कर चुत पुरी फैला दी... " मे ऑंटी को बोला
" हा बेटा तेरे अंकल को मेरी चुत.. बोहत पसद थी.. वो मुजे रोज चोदते थें.. इस लिये मेरी चुत इतनी फैली है.. पर अब वो मेरी तरफ ध्यान नाही देते...मुजे उंगकी से खुद को शांत करणा पडता है... आह. ह. ह. ऊऊऊ.... स्स्स्स्स्स...." ऑंटी बोली
" अब से आप को उंगली करणे कि जरुरत नाही ऑंटी.. जब भी आप का मन करेगा मुजे बुलाकार चुदावा सक्ती हो.. " मे उनकी चुत मारते हुये बोला
" सच मे.. बेटा.. आह. ह. ह. अब मे तों तुजसे ही... चुदवाया.. करू. गी.. आह. ह. ह. ह.. ऐसे ही चोदेगा.. ना बेटा.. अपने दोस्त कि माँ को... मुजे पहले पटा होता कि तू इतना अच्छा चोदतां है तों मे कब का तेरे सामने अपनी चुत खोलकर राखती.. आह. ह. ह. ह बेटा..," ऑंटी बोली
" ऑंटी अब आप कुत्ती बन जाओ.. मे आप को पीछे से चिडूनगा जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती कोणचोदतां है ठीक वैसे ही..
" ठीक है बेटा.. पर तू मुजे पिचेसे मेरी चुत मत चोदना ..तुम मेरी गांड मे लंड डालकर मेरी गांड मारना .. तुझे मेरी गांड पसंद है ना...," ऑंटी मुजे बोली और वो डॉगी स्टईल मे हो गाई
"हां आंटी मुझे आपकी गांड बहुत पसंद है मैं भी आपसे यही कहने वाला था आंटी" मैं यह बोलकर आंटी के पीछे खड़ा हुआ और अपने लंड को हाथ में लेकर आंटी के गांड के छेद पर टिका दिया.
"ऑंटी आप कि गांड का छेद बहुत बड़ा है और गांड भी बहुत फैली हुई है.. लगता है अंकल ने आपकी गांड भी ज्यादा मारी है. " मेने आंटी से कहा
" हां बेटा तुम्हारे अंकल मुझे हर रोज चोदते थे.. वह मेरी गांड में भी अपना लंड डालकर मेरी गांड मारते थे... इसीलिए मेरे गांड का छेद बहुत बड़ा है, सच कहूं तो मुझे चु से ज्यादा गांड मरवाना बहुत पसंद है...जो मजा गांड मरवाने में है वह मजा चूत चोदने में नहीं मिलती...इसी के लिए मैंने तुम्हें अपनी गांड मारने के लिए बोला " आंटी पीछे मुड़कर मेरी और देखते हुए मुझे बोली
" आंटी मुझे भी आप जैसी बड़ी उम्र की औरतों की गांड मारना पसंद है. बडी गांड के अंदर लंड जब जाता है मजा आता है... गांड मारते वक्त जब मेरी जाँग आप लोगों बड़ी गांड में टकराती है तो वह थप थप आवाज आता है वह मुझे बहुत पसंद आता है आंटी" में लंड को आंटी की गांड के ऊपर रगड़ते हुए आंटी से कहा
" सच बेटा मुझे लगा कि तुम्हें गांड मारना पसंद नहीं होगा...पर तुम तो मेरे जैसे ही गांड के शौकीन निकले.. अब तो बहुत मजा आएगा तुमसे गांड मरवाने मे.. अब ज्यादा बातें मत करो अपना लंड मेरी गांड में डालकर मेरी गांड मारना चालू कर दो" आंटी पीछे मुड़कर मुझे देखते हुए बोली
मैं अपने लंड को ऑंटी के छेड पर सेट किया और एक जोरदार धक्का लगाकर मेरा लैंड पुरा का पूरा आंटी की गांड में डाल दिया.. . जैसे ही मेरा पूरा लंदन की गांड में घुसा उनकी गांड मेरे जांघों पर टकराई और ठप करके आवाज आया
और इस समय आंटी के मुंह से
" एकदम मस्त बेटा.. क्या करार शॉट मारा है तुमने.. आह. ह. ह. ह स्स्स्स्स... एक ही धक्के में पूरा का पूरा तुम्हारा लंड मेरी गांड में डाल दिया बहुत अच्छा लगा मुझे" आंटी मुझसे बोली
दोनों हाथों से आंटी की कमर पकड़ कर में जोर-जोर से मेरा लैंड आंटी की गांड में डालते हुये आंटी से बोला
" आहा क्या गजब की गांड आंटी आपकी.... मेरा पूरा लंड आपकी गांडने खा लिया.. आपकी गांड में बहुत मजा आ रहा है...आज तक मेने आप जैसी गांड नाही चोदी है बहुत मजा आ रहा है आंटी आपकी गांड मारने में.. "
" आह. ह. ह. सँडी बेटा. ऐसे ही जोर-जोर से अपना लंड मेरी गांड में डालकर मारो मेरी गांड... ... ऐसे ही मारते रहो मेरी गांड बेटा और जोर से और जोर से घुसा दो.. मेरी गांड में तुम्हारा लंड सँडी जोर से बेटा.. ऐसे जोर जोर से.. चोडो अपने दोस्त कि माँ कि गांड... अअअअह्ह्ह ह्ह्ह. ह. ह म्म्म्म.... अअअअअअ... आ... उऊऊउ..... " आंटी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मुझे बोली
" आह ऑंटी... बोहत मजा आ राहा है आप कि गाड मारणे मे.. बहुत बड़ी रंडी हो आंटी आप.. दिखने में तो आप नहीं लगती इतनी बड़ी चुडक्कड़ हो...अभि देखो कैसे एक रंडी की तरह अपने बेटे के दोस्त से अपनी गांड चूडवा रही हो...उचल उचल कर अपनी गांड आगे पीछे दौड़ा को लंड ले रही हूं" मैं आंटी की गांड को चोदते हुए आंटी से बोल
" आह. ह. ह. ह बेटा.. ऐसे हो... चोद.. तुम.. भी कम नाही हो बेटा.. इतने बडे चोदु हो.. कि... अपने ही दोस्त के घर में आकर उसकी मां की पेट में अपना लंड हिलाकर लड़का पानी निकाला आह. ह. ह ऊऊ ह.ह. ह. ऐसे. ही...जोर जोर से डालो आवण लंड.. मेरी गाड मे.. बेटा.... " आंटी मुझसे बोली
" क्या करूं आंटी.. दोस्त की मां है ही ऐसी जिसे देखकर मेरा क्या किसी बुड्ढे का भी लैंड खड़ा हो जाएगा.. इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां है.. जिन्हें देखकर मुंह में पानी आ जाता है... .. जब चलती है तो ऐसे हिलती है कि मानो जैसे खुद बुला रही आओ मेरी गांड में अपना लंड डालकर मुझे मारो" में आंटी की गांड में लंड को जोर-जोर से डालते हुए आंटी को बोला
" हां बेटा ऐसे ही अपने दोस्त की मां की गांड मारो... बेटा सच में तुम जवान लड़कों से गांड चूत मरवाने में जो मजा मीं राहा है.. ... आह. ह. ह. स्स्स्स्स.... म्म्म्म.. आह हा.. बेटा क्या गांड मारते हो तुम.... बेटा ऐसे ही मारा अपने दोस्त की मां की गांड..... चोदो खूब जोर-जोर से चोडो मेरी गांड.... फाड़ दो मेरी गांड को आज तुम्हारे जवान लैंड से सैंडी" आंटी अपनी गांड को खिलाते हुए मुझे बोली
" आंटी सच बताना आपने कितने लंड खाए आपकी गांड में लंड डालने से मुझे पता चलता है कि आपने मुझे से बड़े-बड़े लैंड तो बहुत खाए हुए हैं इसी के लिए तो आपकी गांड का छेद बहुत बड़ा है" मैं आंटी की गांड में लंड जोर-जोर से डालते हुए आंटी से कहा
" अरे बेटा तुम्हारे अंकल ने ही मुझे इतना चोदा है कि मुझे दूसरे लंड की जरूरत नहीं पड़ी.... हाहाहाहा... स्स्स्स... म्म्म्म... तुम्हारे अंकल का भी तुम्हारे जितना ही बड़ा लैंड था... इसी की वजह से मेरी गांड का छेद इतना बड़ा है..... स्स्स्स. ह. ह. ह. ह. आ. ह. ह. ह. ह. ह.... ऊऊऊऊ... मम्मा.... तुम्हारे अंकल जवानी में मुझे दिन में दो-दो तीन-तीन बार चोदते थें... साथ में मेरी गांड भी मारते थे... जैसे तुम मार रहे हो.. आह.. असेही.. जोर जोर से डालो बेटा लंड.. .ऐसे ही चोदो अपने दोस्त की मां को बेटा...और जोर से डालो मेरे गांड में लंड तुम्हारा बेटा.. " आंटी पीछे मुड़कर मुझे देखते हुए बोली
मेने ऑंटी के गाड से लंड निकाला और ऑंटी को बोला
" आंटी अब आप मेरे ऊपर बैठकर मुझे छोड़ो मुझे आपकी चूचियों को चूसना है आपको चोदते समय"
" क्या बात है बेटा तुम्हारा स्टैमिना तो बहुत अच्छा है मुझे बहुत अच्छा लगा बेटा पहली बार मे ही मुझे कई असनो में चोद रहे हो मेरी गांड मार रहे हो.." आंटी बोलते हुए खड़ी हो गई मेरी और अपना मुंह करके वह घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में लेकर चूसने लग गई
" आंटी सच में आप एक नंबर की रंडी हो अपने ही गांड का स्वाद चा करने के लिए आपने मेरा लंड मुंह में ले लिया मैंने आज तक आपके जैसी रंडी को चोदा नहीं.. " ऑंटी के सार को पकड़ कर अपना लंड उनके मुंह में डालते हुए बोला.
ऑंटी ने लंड को बाहर निकाला और मुझे बोला
" आ जाओ बेटा बैठो मैं तुम्हारे ऊपर बैठकर तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेती हूं और तुम्हें चोदती हू.. साथ ही साथ मेरी इन चुचीओ को तुम्हारे मुंह में डालकर तुमसे चुसावती हूं.. वैसे भी तुमने मेरी चूचियों को चूस नहीं "
मैं वहीं पर सोफे के ऊपर बैठ गया और आंटी मेरे ऊपर आकर बैठ गई मेरे दोनों कमर के बाजू में अपने पर डालकर आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करते हुए धीरे-धीरे वह मेरे लड़कियों पर बैठने लग गई
जैसे-जैसे आंटी मेरे लैंड पर बैठ जा रही थी वैसे-वैसे मेरा लंदन की चूत में घुसता जा रहा था
अब मुझे मेरे लैंड आंटी की चूत में घुसते समय थोड़ा दर्द हो रहा था और मजा भी बहुत आ रहा था
" आ. आ. आ..आ.. संडे बेटा ऐसे चूत में लंड लेने से मुझे दर्द हो रहा है.... पर मजा भी बहुत आ रहा है बेटा तुम्हें कैसा लग रहा है मेरे चूत में ऐसा लैंड डालने से.. " ऑंटी नीचे बैठते हुए मुझसे पूछा
" आंटी मुझे तो बहुत मजा आ रहा है आपकी चूत में लंड डालने से... सच में आपकी चुत गहरी खाई है... मेरा लैंड पुरा का पूरा घुस रहा है आपकी चूत में.." मैंने आंटी की दोनों चूचियों के ऊपर हाथ राखकर उनको दबाते हुए आंटी को बोला
" ओह्ह्ह्ह सँडी बेटा... सच में तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है... मेरे बच्चेदानी तक जा रहा है तुम्हारा लैंड.. मेरी चूचू को अपने मुंह लेमर बेटा चूसो... मुझे अपनी चुचीओ को चुसवाना बहुत पसंद है.... आह. ह. ह. ह म्म्म्मम्म असे ही.. सँडी चुस.. .. अब तुम मेरी चूत का कस कर रस पीना दूध तो नहीं मिलेगा.... बेटा पियो ना अपने दोस्त की मां की चूचियों को.. " आंटी ने सब बोल कर मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाया
मैं भी अपना मुंह खोलकर आंटी की एक चूची को हाथ में पकड़ा और उसे निप्पल को मुंह में भरकर उसे चूसने लगा
"आ... सँडी बेटा अपने दोस्त की मां चुचिया.. असे ही चुसो.... आह. ह. ह. मस्त... सँडी.. एकदम मस्त.. मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी चूची को चुसवाना.... आह. ह. ह. अब राजू बड़ा हो गया इसके लिए नहीं चूसता है.. सँडी.. मेरी दूसरी चूची को दबा जोर जोर से दबा बेटा" आंटी मेरे लैंड पर उचलते हुए मेरा लंड अपनी चूत में लेते हुए मुझसे बोली
मे उनकी चूची को जोर-जोर से पीने लगा और साथ में दूसरी चूची को जोर-जोर से दबाने नगर उनके निप्पल को दोनों उंगली के बीच में कर कर मसलने लगा
" आ..ऊच. ह. ह. सँडी.... ऐसेही.. दाबा मेरी चुचीओ. को.. आह. ह. ह. ह और चुस भी..... बहुत अच्छा लग रहा है बेटा तुम्हारे लंड पर उचल ना.. अपनी चूत चूडवाना.... आह. ह. ह. ह उसी के साथ तुम्हारे मुंह में अपनी चूचियों देखकर तुमसे चुसवाना.... आह. ह. ह. ह. ऊऊऊ.. बेटा सच में बहुत मजा दे रहे हो तुम अपने दोस्त की मां को..... काश तुम मुझे पहले मिले होते.... अब तक तुम्हें तुमसे कई बार चुदा चुकी होती और अपनी चूत का रस तुम्हें पीला चुकी हूं बेटा तुम्हें पसंद है ना हमारी औरतों की चुत का रस पीना... " आंटी मुझे अपने चुचिया चुसवाती हुए बोली
" अरे ऑंटी.. आप लोगो की चुत का रस पिणे के लिये मे बोहत बेताब रेहता हू.. वो तों मेरे लिये अमरीत है.." मेने बोलकर ऑंटी कि चुची को मुह मे भरकर चुसने लागा
" आह. ह. ह. बेटा.. ऐसे ही मेरी चुची को चुसते हुये मुजे चोदो.. बिहात मजा आडे राहा तुम्हारा लंड मुजे.. असे चुदाई मेने कभी नाही कि... आह. ह. ह. ह असे ही.. बेटा.. आह. ह. ह. सँडी... मेरी चुत पाणी छोड ने वाली है... " ऑंटी मुजसे बोली
" सँडी बेटा.. मेरी चुत... पाणी छोड राही है.. सच मे तुम बोहत अच्छा चोदते हो.... " ऐसा बोलकर ऑंटी ने मेरे सर को पकडकर अपनी चुचीओ पर दाबाया... और उनका शरीर झटके खाणे लागी.. और चुत से पाणी चोदणे लागी..
कुछ देर बाद.. वो उठ गाई मेरी और सेकर बोली
" सँडी.. वाकई.. तूमा बोहत अच्छा चोदते हो.. तुमने मेरी चुत का पाणी चोडकर निकाल दिया.. आज मे बोहत दिन बाद लंड से चूडकर चुत से पाणी निकालवाई हू... थँक्स बेटा..."
" अरे ऑंटी इस मे थँक्स मत बोलिये.. बस ऐसे ही आप कि चुत और गांड को चोदणे के लिये बुलाया करिये... " मे ऑंटी को बोला
".मेरा तों हुआ तुम्हारा..." ऑंटी बोली
" आप मुह मे लेकरं चुसकर निकालो... मेरे लंड का पाणी और पी जाओ.." मेने ऑंटी से कहा
ऑंटी तुरंत उठी और खडी हुई.. मे भी खडा हुआ ऑंटी मेरे पैरो के भिच मे आई और मेरे लंड को पकडकर लंड को मुह मे लेकरं चुसने लागी..
" आह ह. ह. ह.ऑंटी.. क्या गजब कि रंडो हो आप... ... ऐसे ही चुसो . ऑंटी.. अपने बेटे के दोस्त का लंड.. " मे ऑंटी के सार को लंड पर दाबते हुये बोला
" आह. ह. ह. ह ऑंटी... मेरा पाणी निकालाने वाला है... " मेने उनके सार को पकडकर बोला
ऑंटी ने लंड को मुह से निकाला और हात मे पकडकर हिलाते हुये मुजे बोली
" तू बोहत हरामी हो.. सँडी.. अपने दोस्त कि माँ को चोदकर उसके मुह लंड का पाणी निकाल रहे हो.. बोहत बडे चोदु हो तुम.. "
" आह. ह. ह. ऑंटी.. आप भी तों बडी रंडी हो... . आहहे. ह. ह मेरा पाणी निकाल राहा है... ऑंटी.. मुह खोलॊ.. मे मुह मे निकलता हू..." मे ऑंटी को बोला
" हा.. मेरे मुह मे डालो अपने जवान लंड का पाणी.. मुजे पिना है.. तुम्हारा लंड मुजे पसंद आया.. अब तुम्हारा पाणी भी चख कर देखती हू.. दे दो मेरे मुह मे... " ऑंटी बोली
" आह.. आया आया.. मेरा पाणी ले पी .. रंडी मेरा पाणी..... " ऐसा बोलकर मे मेरे लंड का पाणी ऑंटी के मुह मे छोडा
ऑंटी ने भी मेरा पाणी पी लिया और मेरी और देखर बोली
" बोहत टेस्टी है तुम्हारे लंड का पाणी सँडी... "
" और चाहिये तों.. आप मत जाईये.. मे और आप याही रेहकार. आहे करते है. मे आप के चुत कि देखभाल करता हू आप रॉकी कि करो.." मेने ऑंटी से कहा
ऑंटी उठी और फोन लागाया
" हॅलो राजू सुनो.. मेने सँडी को ओने घर रेझने के लिये बोला है.. और सात मे मे भी राहुंगी.. रॉकी उसके सात नाही ररेह पायेगा.. तुम दो नो ही जाओ.." ऑंटी ऐसा बात करते करते मेरी और देखर मुस्कुरा राही थी
"हां बोल भाई"
"किधर है तू..अरे यार एक काम था तुझसे"
"मैं तो घर पर ही हूं...बोलना क्या काम था.. कुछ अर्जेंट है क्या "
" हा अर्जेंट था.. तू जल्दी अपनी जगह पर आजा आधे घंटे के अंदर.. "
"ठीक है भाई आता हूं"
मैं सैंडी मुंबई में रहता हूं और बीकॉम की दूसरे साल में पढ़ता हूं | .... साथ ही साथ में एक कॉल सेंटर में पार्ट टाइम जब भी करता हूं |
मुझे चुदाई का बहुत शौक है और खास करके मुझे बड़ी उम्र की औरतें ज्यादा पसंद है, फिर वह रंग में काली गोरी, कम हाइट हो य ज्यादा, जड़ी पतली कैसी भी हो मुझे उन्हें चोदणे में बहुत मजा आता है|
मेरे इसी स्वभाव के कारण, मेरे सामने आने वाली हर एक बड़ी उम्र की औरत को, मे चोदणे कि नजर से ही देखता हूं | मैंने कई बार मेरे अपने दोस्तों की मां को भी उसी नजर से देखा है|
मे जब भी उनके घर जाता हू, तो मेरी पहली नजर उनके बड़े-बड़े चुचीओ और बड़ी-बड़ी गांड पर ही अटक जाती है | मैंने कई बार अपने दोस्तों की मां पर ट्राई कियाहै, पर आज तक सफल नहीं हुआ |
उनके अलावा मैंने, बोहत सी बड़ी उम्र की औरतों को चोदा है | ज्यादा तर वो सब मेरे बाजू में रहने वाली तल्या फॉर मेरे एरिया में रहने वाली है|
मुजसे जो फोन पर बात कर रहा था, वह मेरा दोस्त राजू है | हम दोनों दसवीं से साथ में पढ़ रहे है |
राजू के घर पर उसकी मां सुरेखा जो कि एक हाउसवाइफ है और पिताजी रमेश उनका खुद का बिजनेस है, उसी की वजह से वह हफ्ते में दो दिन अपने बिजनेस के तौर पर जाते रहते हैं|
और एक शख्स है राजू के घर पर वह है उनका पालतू कुत्ता जिसका नाम रॉकी है |
राजू की मां के बारे में बताओ तो वह एक 45. 47 साल की उम्र की औरत है| रंग कला है हाइट मुझे थोड़ी सी कम होगी शायद, शरीर से थोड़ी मोठी है|
छाती 40 के बराबर होगी, पेट थोड़ा निकला हुआ है और गांड एकदम मस्त भरी हुई| आंखें एकदम नशीली, होट भी एकदम रसीले है | देखा जाए तो सिर्फ रंग काला है बाकी एकदम पटाखा है राजू की मां| मैं उन्हें भी चोदणे चक्कर मे हू |
" बोल भाई क्या अर्जुन काम था इतने अर्जेंटली मुझे तूने बुलाया|" मेने राजू से कहा
"भाई मैं मां और पिताजी दो-तीन दिनों के लिए कई बाहर जा रहे हैं " राजू ने कहा तब फट से मेने उसे कहा
" यारी ये तो खुशी की बात है.. इसमे प्रॉब्लम क्या है भाई "
"अरे हम तीनों अगर बाहर घूमने चले गए तो रॉकी की देखभाल कौन करेगा?" . राजू ने मुझसे कहा
" अरे हां यार यह तो बड़ी मुसीबत है.. एक काम करो तुम उसे भी तुम्हारे साथ ले जाओ " मेने राजू से कहा
"नहीं ले जा सकते भाई जहां हम जा रहे हैं वहां कोई पेट नाही ले जा सकते " राजू ने मुझसे कहा
" तो तुम तुम्हारे रिश्तेदार के यहां पर उसे छोड़ दो" मेने राजू से कहा.
" हमारे कोई भी रिस्तेदार नाही राख रहे है.. वही प्रॉब्लम है और मम्मी ने मुझे बोला है आज कैसे भी करके रॉकी का बंदोबस्त कर कर ही घर आना है... वरना वह मुझे घर में नहीं लेने वाली " राजू ने मुझसे कहा
" यह तो बड़ी दिक्कत गो गाई यार" मैं राजू से कहा
" यार मुझे बता तो अगले दो-तीन दिन के लिए कहीं जा रहा है.. क्या कुछ काम है तुझे अर्जेंट? " राजू ने मुझसे कहा
" नहीं भाई वैसे तो मुझे कोई अर्जेन्ट काम नहीं है पर क्यों" मेरे राजू से कहा
" तों यार तू ही राख रॉकी को तेरे साथ, प्लीज यार वैसे भी रॉकी तुझे थोड़ा-थोड़ा जानता तो है, तुझे ज्यादा दिक्कत नहीं होगी" राजू ने मुझसे कहा
" अरे यार तुझे तो पता है ना मेरे घर पर " मैं आगे बोलने वाला था कि राजू ने मुझसे कहा
"भाई मैं कुछ नहीं जानता हूं, तू मेरी मदद कर दे.. मैं अभी मन को फोन करके बताता हूं, कि सैंडी रॉकी अपने घर लेने जाने के लिए तैयार है.. और तू अभी मेरे घर पर जा और मां को बोलकर रॉकी को ले जा"
"अरे पर भाई" मैं फिर उसे कुछ बोलने वाला था तभी राजू ने कहा..
"प्लीज यार भाई, एक तू ही मेरा सहारा है नहीं तो मां मुझे घर में नहीं रहने देगी और मुझे और भी थोड़े बहुत अर्जेंट काम है वह भी पूरे करने हैं. प्लीज यार संभाल लेना दो-तीन दिन के लिए रॉकी को"
" ठीक है भाई देखता हूं तेरे घर जाकर " मेने राजू से कहा
" यार तू ही मेरा सच्चा दोस्त है थैंक यू मेरा भाई अब यह खुशखबरी मां को सुनाता हूं.. चल ठीक है भाई मुझे थोड़ा अर्जेंट काम है फिर से एक बार थैंक्स भाई.." ऐसा बोलकर राजू वहां से निकल गया
मे भी राजू की घर की ओर चलने लगा और चलते-चलते सोच रहा था..
" चालो इस बहाणे से राजू कि माँ को अकेले मे देखणे मिलेगा.. राजू कि माँ एकदम पटाखा है देखते ही लैंड खड़ा हो जाता है. क्या मस्त बडी बडी चुचिया है, लगता है राजू के पिताजी ने बहुत दबाए है उन्हे और मुंह में लेकर चूसा भी होगा इसी के लिए वह इतने बड़े हैं... और गांड भी तो एक नंबर है एकदा बड़ी और चौडी है. मन करता है उनको झुककर पीछे से अपना खड़ा लंड उनकी गांड में डालकर उनकी गांड खूब जोर-जोर से मारूं. " मैं यही सोचते सोचते राजू के घर तक पहुंच गया
घर की बेल बजाई.. कुछ देर में ही दरवाजा खुला और मेरे सामने राजू की मां खड़ी थी मुझे देखकर आंटी मुझे बोली
" अरे सैंडी आओ आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी.. अभी राजू का फोन आया था वह बता रहा था कि तुम आने वाले हो"
" तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आता हूं " ऐसा बोलकर आंटी किचन की ओर चली गई मैं वहीं खड़ा रहकर आंटी को जाते हुए देख रहा था
आंटी ने आज सफेद रंग की की साड़ी और लाइट ब्लू रंग का ब्लाउज पहना था.. सफेद साड़ी में उनकी गांड एकदम मस्त दिखाई दे रही थी वह देखकर मेरा लैंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था
" अरे यार क्या गांड इस साली की देखकर लैंड खड़ा हो रहा है मेरा... सच में बहुत मजे है राजू के पिताजी के रोज चोदता होगा इस साली को.. चूत कम और गांड ज्यादा मरता होगा आंटी की.. इसीलिए तो गांड इतनी मस्त भरी हुई है. " मैं आंटी की गांड को देखते हुए मन में बोल रहा था
आंटी किचन से हाथ में पानी लेकर आए और मुझे वहीं खड़ा देखकर मुझे बोली
" अरे सैंडी तुम खड़े क्यों बैठो"
" हां आंटी मे बैठता हू आप भी बठीये." मैं बैठते हुए आंटी को बोला
"रॉकी देखो कौन आया है तुम पहचानते हो ना इसे.." आंटी रॉकी को अपनी गोद में उठाते हुए उससे बोली
"हाय राखी " मैंने रॉकी को कहते हुए उसके सर पर हाथ फेरणे लगा
रॉकी आंटी की गोद से उछल कर मेरी गोड के आ गया .
" अरे वा आज तो रॉकी को सैंडी बहुत पसंद आया है, लगता है रॉकी को भी पता चला है कि सेंड उसे कुछ दिनों के लिए सैंडी के घर जाना है" आंटी ने मुझसे कहा
"सच में रॉकी तुझे पता है तू मेरे साथ रहने वाला है" मैं रॉकी की ओर देखते हुए उसे बोला और उससे थोड़ी मस्ती करने लगा
" अरे नहीं नहीं मस्ती मत करो उससे नहीं तो वह कटेगा तुम्हें.." दो मैं उसके कमरे में छोड़ देती हूं" आंटी ऐसा बोलकर रॉकी को मुझे ले लिया और उसे अंदर उसके कमरे में छोड़ने चली गई
जैसे ही रॉकी मेरे ऊपर से गया तो उसके सारे बाल मेरे पॅन्ट के ऊपर लगे पड़े थे जीने में साफ कर रहा था.. उतने में आंटी आई और मुझे साफ करता हुआ देखकर बोली
" अरे तुम्हारे पूरे शरीर पर रॉकी के बाल हो गौ है.. में साफ कर देती हूं" आंटी मेरे सामने खड़ी होकर बाल साफ करते हुए मुझसे बोली
जब आंटी मेरे सामन थोड़ा सा झुककर अपने हाथों से मेरे जांघों के ऊपर पड़े रॉकी के बाल को साफ कर रही थी तब मेरी नजर उन पर पड़ी..
मेरे सामने आंटी के बडी बडी चुचिया थी, जो साड़ी के पल्लू से ढकी हुए थी, पर फिर भी वह कितनी बडी हैं, ये साफ-साफ नजर आ रहा था.. और वह हाथ से साफ करते समय वह दोनों हात जोर-जोर से हिल रहे थे उसी के कारण चुचिया भी हिल राही थी और मैं वही देखते हुए आंटी से कहा
" नहीं ऑंटी रहने दीजिए में साफ कर देता हूं.. बहुत ही बाल झड़ रहे रॉकी के" मे बालों को साफ करते हुए आंटी की चुचीओ को देखते हुए आंटी से कहा
" क्या करें बेटा यह सीजन ही है उनके बाल झड़ने का " आंटी भी मेरे जंग पर के बाल साफ करते हो मुझसे बोली
सामने आंटी की बडी बडी चुचिया और नीचे उनका हाथ मेरा लंड को जगाने के लिए काफी था तभी ऑंटी की साफ करते हुए मेरे बाजू में बैठ गाई
" सैंडी मुझे एक बात बताओ तुम्हा डॉग्स पसंद है ना" आंटी ने मुझसे कहा
" हां आंटी मुझे डॉग्स बहुत पसंद है. कुछ साल पहले मेरे पास भी एक डॉग था..पर पिताजी ने उसे मेरे कजन को दे दिया" मैंने आंटी से कहा
" अरे ऐसे कैसे दे दिया उन्हें डॉग्स तो अच्छे होते हैं" आंटी ने मुझे पूछा
" दरसल ऑंटी..एक बार वह डॉग ने मेरे पिताजी को काट लिया और उसी स गुस्से में पिताजी ने उसे काजन को दे दिया" मैंने आंटी से कहा
" पर अब तों तुम्हारे घर पर कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.. रॉकी कॉलेज जाने मे " आंटी ने मुझसे पूछा
" ऑंटी मे रॉकी कि मेरे घर नाही ले जाऊंगा.. मे याही उसकी देखभाल करु ये बटाने के लिये आया हू.. " मेने ऑंटी से कहा
" क्या पर मुझे राजू ने कहा कि तुम उसे अपने साथ अपने घर ले जा रहे हो" आंटी ने मुझसे कहा
" नहीं आंटी मैंने उससे ऐसा नाही कहा कि मे उसे लेकरं जाऊंगा.. मे तों बस आप को ये बटाने आया था कि अगर मे हया रेखार रॉकी कि देखभाल कर ळू तों चलेगा क्या.. अगर मे घर पार्टी राहा तों रॉकी के सात सात घर को भी देखभाल हो जायेगी.. और अगर मे रॉकी को मेरे घर ले गया तों मेरे अनेटाजी रॉकी के सात सात मुजे भी घर से निकाल देंगे.. " मेने ऑंटी से कहा
" ये तों तुम सही के रहे हो. अगर तुम घर पर होगे तों चोर भी नाही आयेगा.. और रॉकी कि भी देखभाल हो सक्ती है..पर तुम्हें यहा रुकने केलीये मेरी कुछ शर्ते है जिसे मनना पडेगा " आंटी ने मुझसे कहा
" क्या शर्ते हैं आंटी " मैंने आंटी से पूछा
" तुम जब तक मेरे घर में रहोगे तब तक तुम कोई पार्टी नहीं करोगे.. घर खाली है यह देखकर अपनी गर्लफ्रेंड को यहां नहीं ले आओगे.. समझ गए ना मैं क्या कहना चाहती हूं.. और घर में तुम्हें सिगरेट नहीं पीओगे अगर तुम सिगरेट पीते हो तुम बाहर जाकर पी सकते हो अगर तुम्हें ये शरते मंजूर है तो मैं तुम्हें रहने के लिए दे सकती हूं " आंटी ने मुझे उनकी शर्तें बताई
" अरे आंटी.. मैं शराब नहीं पीता हूं और ना ही सिगरेट पीता हूं आपको झूठ लगे तब अपने बेटे से पूछ सकते हो या मेरे कॉलेज के किसी भी दोस्त से आप पूछ सकते हो कि मैं शराब पीता हूं या नहीं.. और रही बात गर्लफ्रेंड को यहां लाने की तो गर्लफ्रेंड है ही नहीं तो मैं किस यहां पर ले आऊं" मैंने आंटी से कहा
"क्या सच में सो स्वीट.. ऑफ वू सँडी.. पर तुम्हें देखकर लगता नहीं है तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी " आंटी ने मुझसे कहा..
"दरअसल आंटी मुझे ना लड़कियां पसंद नहीं है " मैंने आंटी को कहा
"क्या बात कर रहे हो.. तो क्या लड़के पसंद है तुम्हें.. तू गे हो क्या " आंटी ने मुझसे कहा
" अरे नहीं नहीं आंटी आप तो मुझे गलत समझ रही हो.. मेरा कहने का वह मतलब है कि मुझे कम उम्र वाली लड़कियां पसंद नहीं है मुझे ज्यादा उम्र वाली औरतें पसंद है" मैंने आंटी की और देखते हुए उनसे कहा
" क्या तुमने तुम्हें जवान लड़कियां पसंद नहीं, पर बुढी औरतें पसंद है, कुछ भी क्या बोल रहे हो सैंडी मजाक तो नहीं कर रहे हो तुम" आंटी ने मुझसे कहा
" नहीं आंटी में सच कह रहा हूं, अगर मुझे जवान लड़कियां पसंद होती तो मेरी अभी तक तीन-चार तो गर्लफ्रेंड हुई जाती पर मुझे लड़कियों से ज्यादा ऑंटीया पसंद है" मैंने आंटी की और देखते हुए कहा
"अच्छा तुम कह रहे थे सच हो सकता है, रुको मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती है फिर बातें करते हैं" आंटी खड़ी होते हुए मुझसे बोली
" अरे आंटी नहीं मुझे चाय नहीं चाहिए, आप बैठीये हम बातें करते हैं " मैंने मैंने आंटी को बोला और अपना हाथ सोफे पर पटक रहा था कि तभी आंटी मेरे हाथ पर ही बैठ गई
" ओ..सॉरी बेटा मैं तुम्हारे हाथ पर ही बैठ गई "आंटी ने मुझसे कहा
" कोई बात नहीं पर मुजे बोहत अच्छा लागा... बहुत सॉफ्ट है.. सॉरी आंटी " मैंने आंटी की ओर देखते हुए आंटी से कहा
" क्या हुआ सँडी तुमने सॉरी क्यों कहा.." आंटी ने मुझसे कहा
" एक्चुअली आंटी मुझे डॉग्स जरा भी पसंद नहीं है" मे ऑंटी कि और देखते हुये कहा
" क्या..तो तुम यहां क्यों आए हो अगर तुम्हें डॉग्स पसंद नहीं है तो? " आंटी गुस्से से मेरी और देखते हुए बोली
" सच कह तों...मैं तो बस यहां आपको देखने आया था डॉग्स के बहाने से " मैंने आंटी की ओर देखते आंटी से कहा
" क्या कह रहे हो सैंडी तुम, होश में तो हो " आंटी ने मुझसे कहा पर जब उन्होंने यह कहा तब उनके चेहरे पर मुझे गुस्सा दिखाई नहीं दे रहा था. और मेने सोचा आज जो हो जाए आंटी को तो ट्राई कर कर ही रहूंगा
" दरअसल मे इन्हें देखने के लिए आया था " ऐसा बोलकर मैंने आंटी को मेरी ओर खींचा और उनके साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया
जैसे ही मैंने आंटी को मेरी ओर खींचा तो आंटी संभाल नहीं पाई और मेरे अंग पर आकर गिर गई
' आऊच सैंडी क्या कर रहे हो...और मुझे समझ में आया था.. कि तुम " आंटी आगे कुछ बोलती उससे पहले मेरे एक हाथ आंटी के राइट साइड वाली चुची पर रखकर उसे दबाते हुए आंटी से कहां
" मे आप को देखणे आया था.. जब आसपास आपका बेटा और पति न होने.. जिससे मुझे इनके दर्शन और अच्छे से करने मिलेंगे. और यही सोचकर में आज यहा आया था.." ऐसा बोलकर मैंने अपनी गर्दन नीचे झुका कर उनके दोनों चुचीओ के बीच की गहराई के ऊपर मेरे होंठ रखकर किस करने लगे
" आह. ह. ह. ह. सँडी..... स्स्स्सह्हह्ह.. आह. ह. ह. ह. बेटा..... " आंटी के मुंह से बस यही निकला
मैं ब्लॉउज के उपर के हिस्से पर अपने ओठ राखकर.. हलकी हलकी किस कर राहा था...इथे ही एल चुची को भी हलका हलका मसल राहा था.
" सैंडी... आऊ. च..... आह. ह. ह. स्स्स्स्स.... आह... बेटा....." ऐसा कहते हुए आंटी ने खुद मेरे सर को अपने चुची पर दबाय
मैं समझ गया कि आंटी को पसंद आ रहा है जो मैं कर रहा हूं
मेने आंटी के ब्लाउज का ऊपर का बटन खोल और मेरी जुबान बाहर निकालकर दोनों चुची के बीच कि गेहराई मे वहां चाटने लगा.. और धीरे-धीरे एक-एक करके दोनों चुचीओ को भी दबा रहा था
मैं चुची दबाते दबाते आंटी के ब्लाउज का और एक हुक खोल दिया. जैसे मैंने आंटी के ब्लाउज के दोनों हुक खुले तो आंटी कि चुचिया बाहर जुक गाई.. और मुझे उन दोनों पहाड़ों के गहराई में मेरी जुबान घूमने के लिए और भी जगह मिल गई
मैं चाट रहा था कि कर रहा था और साथ ही साथ उन्हें धीरे-धीरे दाबा भी रहा था
" ऊऊऊ...सैंडी... बेटा.... आह... मा.... स्स्स्स. ह्ह्ह्हह्ह... स्स्स्स्स्स.... " इसे कहते हुए वह मेरे सर को अपने चुचीओ पर दबा रही थी जैसे कि मानो मुझे बोल रही थी कि बेटा खा जा मेरे इन दोनो चुचीओ को...
आंटी की चुचीओ को दबाते दबाते.. बचे हुए ब्लाउज के हक भी खोल दिए.. आंटी ने ब्लाउज के अंदर वाइट कलर की ब्रा पहने थी रो उनके साइज से छोटी लग रही थी
ब्रा में उनकी चुचिया है एकदम कसी हुई थी.. आंटी काली थी और उन्होंने वह सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो उनके ऊपर एकदम उठ कर दिखाई दे रही.
" सैंडी रुको" आंटी ने मेरी और देखते हुए कहा
मे रुका ऑंटी उठकर खड़ी हुई और खुद का ब्लाउज और ब्रा निकलने लागी.. मे ये देखर खूश हुआ
कुछ ही देर में उन्होंने ब्लाउज ब्रा को अपने शरीर से अलग करके नीचे फेंक दिया. वह नीचे झुक कर मेरे सामने अपना मुंह लेकर आई
"ऑंटी कई यह सपना तो नहीं." मे आज कुछ बोलता तभी आंटी ने
" शट अप कहा... " और मेरे होठों के ऊपर ओठ रखकर मुझे किस करने लग गई..
मैं आंटी को किस करते-करते उनके दोनों निप्पल को उंगलियों में पड़कर मसलने लगा था
आंटी ने अपने ओठ अलग किये और वह नीचे बैठ गाई. मेरे पैरो के भिच मे आकार उहोणे मेरे टीशर्ट को पकडा और उपार करते हुये मुजे बोली
" इसे निकालो"
यह सुनकर मैने झट से अपना टीशर्ट.. निकाल कर बाजू में फेंक दिया और मे उपार से नंगा हुआ
आंटी ने ओने सार को नीचे जुकाया और मेरे पेट से होते हुए सीने की ओर किस करते-करते हुए बढ़ने लागी. साथ ही वह अपनी चूचियों को मेरे पेट पर टच कर रही थी
ऐसा करते आंटी फिर से मेरे मुंह के सामन अपना मुंह लेकर आई और मेरे होठों पर ओठ रखकर किस करने लग गई मै भी आंटी को किस करने लग गया
कुछ देर हम दोनों ने किस कर रहे थी.. फिर आंटी ने किस तोड़ी और फिर से वह नीचे की ओर जाने लगी
आंटी मेरी कमर पर पहुंच गई और उन्होंने अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर मेरी बरमूडा को पकड़ कर नीचे खींचने लगी
" आंटी मुझे नहीं लागा था कि आज ये हो जाएगा." मैं खूश होते हुये गांड ऊपर की उठाकर आंटी से बोला
जैसे ही मेरी गांड ऊपर उठी आंटी ने मेरी बरमूडा खींचकर मेरे घुटनों तक ला दी
" हो. सँडी..तुम्हारा तो पहले से ही खड़ा हो चुका है" आंटीने मेरे लंड को पेट के ऊपर से ही पकड़ कर उसे हिलाते हुये मुझसे बोली
" आप जैसी सेक्सी औरत अगर इस रूप में उसके सामने खड़ी हो तो वह खड़ा होगा ही ना" मैंने आंटी कि दोनों चूचियों के ऊपर हाथ रखते हुए उनको धीरे-धीरे दबाते हुए कहा
" सच में सैंडी... तुम मुझे ही देखने के लिए ही आए हो " आंटी मेरे लंड को अंदर पेट के ऊपर सही सेहलाते हुए मुझसे पूछा
" जी आंटी मैं सच कह रहा हूं.. रॉकी को संभालने का तो एक बहाना था.. मुझे आपको अकेले में देखने का चांस मिल रहा था और यह चांस मुझे किसी भी हाल में खोना नहीं था इसके लिए मैं आया" मैं आंटी के चुचीओ को दबाते हुए आंटी से बोला
आंटी ने फिर से अपना हाथ मेरे लंड से निकाला और मेरे कमर के दोनों तरफ रखकर मेरी अंडरस्टैंड की इलास्टिक को पकड़ कर मेरी अंदर पॅन्ट को नीचे खींचने लगी
मैं भी गांड उठाकर आंटी को निकलने में मदद करने लागा. आंटी ने मेरी अंडर पेंट और मेरी बरमूडा दोनों को भी मेरे पैरों में से निकाल कर बाजू में रख दिया. अब मैं आंटी के सामने पूरा नंगा था
आंटी मेरे दोनों पैरों के बीच में आई और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर मेरे लंड को ऊपर नीचे हिलने लगीआंटी मेरे लंड को हिलाते हुए मेरी और देख रही थी
" मे सपने मे भी सोच नाही सकता.. आप मेरा लंड असे पकडकर हिलाओगी. आंटी बहुत मजा आ रहा है आपके हाथों से लैंड हिलवाना " मे आंटी की ओर देखते हुए आंटी से बोल
" सैंडी तुम्हारा लंड भी एकदम मस्त है, तुम्हारा उम्र के हिसाब से .." आंटी मेरे लंड को हिलाते हुए मेरी और देखकर मुझे बोली
" हां आंटी ने मेरे लंड को रोज तेल से मालिश करता किसी के कारण मेरा लैंड बड़ा हुआ है "
आंटीने अपने सार नीचे झुकई और अपना मुंह खोलकर मेरे लंड को मुंह में भर लिया
" आह. ह. हह..आंटी मस्त... आह. ह. ह. ह एकदम गरम है मुंह है आपका मजा आ गया अपने मु मे लाड देकर..."
" सश्श..ह . ह . ह आंटी क्या मस्त लैंड चुस्ती हो आप मजा.... मजा आ गया... आपके मुंह में लंड देने से.... ऐसा ही चूसो पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा आंटी.... " में आंटी के सर को
पकड़ कर अपने लैंड पैर दबाते हुए आंटी से बोल
कभार वह लैंड को पूरा मुंह से बाहर निकाल कर अपनी जुबान बाहर निकाल कर उसे चाट रही थी
" हो. ह. ह. ह .. वाव....आंटी क्या मस्त चाटती हो आप लैंड.. मजा आ गया आंटी....लगता है आपको लंड चूसना बहुत पसंद है.. अंकल आपसे रोज लैंड चुस्वाते हैं क्या.. " मैं आंटी की ओर देखते हुए आंटी से बोल
आंटी बस मेरी और देखकर लंड मुंह में लेकर खुद की गर्दन को ऊपर नीचे करते हुए मेरा लंड चूस रही थी उनकी आंखों से मुझे ऐसा लग रहा था कि सच में आंटी को लंड चूसना बहुत पसंद है
आंटी ने लैंड को मुंह से निकला और हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए मुझे बोली
" सैंडी मुझे तुमसे एक बात पूछनी है.. "
" पूछिए ना" मैंने आंटी से कहा
आंटी मेरे लंड को हिलाते हुए धीमे-धीमे ऊपर आकर मुझसे बोली
" जब भी तुम हमारे घर आए हो.. मैंने तुम्हें बहुत बार बाथरूम में वक्त गुजारते हुए देखा है.. क्या तुम बाथरुम में मेरे नाम से अपना लैंड हिलाते थे " ऐसा बोलकर उन्होंने मेरे होठों पर ओठ रखकर मुझे किस करने लग गई और साथ ही साथ वह मेरा लैंड भी अपने हाथों में लेकर हिला रही थी
आंटी ने की किस को तोडा और मेरी और देखते हुए मुझसे पूछा
" बताओ ना सँडी क्या तुम बाथरूम में मुझे याद करते हुये अपना लैंड हिला कर पाणी निकलते थें."
" हां आंटी आपने सही कहा .. मैंने कई बार आपके बाथरूम में आपको सोचकर मुट्ठ मार कर मेरे लैंड का पानी निकाला है और वह भी आपके पेंटी के ऊपर" ऐसा बोलकर मैंने अपनी गर्दन आगे बढ़कर आंटी के होठों पर और ओठ राखकर उनको किस करने लगा
आंटी ने किस तोंडी और मुझे बोली
" तुम्हें मेरी पैंटी किसे मिलती थी, मैं तो उन्हें कपड़ों के नीचे रखती थी चुपकार "
" एक दिन में जब आपके बाथरूम में गया, उससे पहले आप नहा कर आई थी. मे आपके बाथरूम घुसाऔर जाकर आपकी ब्रा और पैंटी को ढूंढने लगा, मुझे आपकी ब्रा और पेटी आपके कपड़ों के नीचे मिली. पॅंटी को नाक के नजदीक लेजर मे उसे सुगणे लागा.. ताबा मुजे आप कि चूत की खुशबू और पेशाब की खुशबू आने लगी. और सुगते सुगते अपना लंड निकालकर हिला राहा था..आपका नाम से मैं मूठ मरने लगा. मै ऐसा सोच रहा था कि मैं आपकी पेटी नहीं आपकी चूत ही चाट रहा हू. यह सोचते सोचते मैंने पहली बार मेरे लैंड का पानी आपकी पॅंटी के उपर निकला और वह पेटी फिर से वहीं पर रख दी " मैंने आंटी को बताया
" सँडी.. तू तों बोहत हरामी हो.. अपने ही दोस्त की मां के पॅंटी के ऊपर अपना लैंड हिला कर लंड का पानी निकाल दिया... बदमाश कहीं के तभी मैं सोचूं मेरी पैंटी चिप चिपा क्या लग रहा था.. " आंटी मेरी और देखते हुए मुझे बोली..
आंटी ने मेरे होठों के ऊपर अपने ओठ रख दिया और मुझे किस करने लग गई..
आंटी ने किस तोड़ी और खडी हुई.. अपनी साडी को निकलते हुये मुझसे बोली
" सँडी तुमने कभी मुझे नंगा देखा है "
मैं भी आंटी के साथ खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर खिलाते हुए आंटी को बोला
" हा आंटी मैंने आपको एक दो बार आपके कमरे में आपको नंगी ददेखा है "
" क्या...सच में तुमने मुझे नंगा देखा " आंटी ने मुझसे पूछा
" हां आंटी.. और जब मेने आपको नंगा देखा तब मैंl आप अपनी चूत में उंगली कर राही थी. आपको चुत मे उगली करते देख मुजसे राहा नाही गया और मे वही खडा रेहकर आपको देखते देखते लंड हिलाने लागा "मेने ऑंटी से कहा
" क्या बात कर रहे हो... पर तुमने यह बात किसी से बताई तों नाही ना? " आंटी अपनी साड़ी खोलकर बाजू में रखते हुए मुझसे बोली
" नहीं आंटी यह थोड़ी बटाने वाली बात है" मैं अपने लंड को हिलाते हुए आंटी को बोला
" सो स्वीट ऑफ यू सैंडी... " ऐसा बोलकर आंटी ने फिर से मेरे होठों पर अपनी ओठ रख दिए और मुझे किस कर दी
आंटी किस तोड़ दी और अपनी पेटीकोट की गांठ को खोलते हुए मुझे बोली
" सँडी क्या तुम अपने सारे दोस्तों के मां को चोदा है या फिर मैं पहले हूं जिसे तुम चोदणे वाले हो"
" आंटी आप पहली हो.. जिससे मैं चोदने वाला हूं.. मैंने राजेश की मां पर भी ट्राई किया था पर नहीं सफल नाही हुआ " मै लंड हिलाते हुए आंटी को बोलना
" क्या सच में मैं पहले हूं जो तुम्हारे लंड से चोदने वाली हूं इस सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा सँडी " ऐसा बोलकर आंटी ने अपने पढ़कर भी नीचे मेरे सामने पॅंटी में खड़ी थी जिसे मैंने पहली बार अपने लैंड का पानी निकाला था..
" आंटी यह वही पॅंटी है.. जिससे मैंने पहली बार अपना लैंड हिला कर अपने लंड का पानी निकला था " ऐसा बोलकर मैं नीचे बैठ गया और उनके कमर के दोनों तरफ हाथ रखकर उनके पेटी को नीचे खींचने लगा हूं
" सच में यह वही पॅंटी है सँडी.. मुझे नहीं पता था वैसे भी ज्यादातर घर में पैंटी और ब्रा पहनती नहीं आज मुझे बाहर जाना था इसके लिए मैं पहन ली" आंटी मेरी और देखते हुए बोली
" अच्छा हुआ राजू ने मुझे घर पर भेजो उसकी वजह से मुझे आपकी चूत के फिर से दर्शन हो रहे है" मे बोलकर आंटी के पॅंटी को पूरा नीचे खींच दिया और ऑंटी ने अपने पैरों से निकाल कर बाजू में रख दिया
आंटी की नंगी चूत बिल्कुल मेरी आंखों के सामने थी.. एकदम बड़ी चुत थी ऑंटी कि... उसे पर हल्के बाल भी थे... एकदम काली थी उनकी चुत. चूत के दोनों पंखलिया बहुत ही फैली हुए थी और दान भी एकदम बड़ा था..मैंने अपना एक हाथ उठाकर आंटी की चूत के दाने पर रखकर उसे रगड़ते हुए आंटी से कहा
" आह. ह. ह. आंटी कितनी बड़ी चुत है आपकी लगता... है अंकल ने बहुत चोदा है आप को.. देखो ना आपकी चूत की पंखुड़ियां कैसे बाहर निकली हुई है और दान भी बहुत ही बड़ा है आपका मेरे मुंह में तो पानी आ गया "
" आह. ह. स्स्स्स्स...सच में सँडी तुम्हें पसंद आई मेरी खुली हुई चूत... पहले राजू के पिताजी ने मुझे बहुत चोदा है... उसी के कारण मेरी चूत इतनी फैली हुई है.... पर आप राजू के पिता मुझे रोज नहीं चोदते है..इसी कारण मुझे अपनी चूत में उंगली करना पड़ता है जो तुमने खुद देख लिया था" आंटी मेरी ओर देखते हुए मुझे बोली
" ऐसी चुत का तो मैं बहुत दीवाना हूं... आपको पता है आंटी मैं आज तक कुंवारी चूत नहीं देखी पर आप जैसे बड़ी उम्र वाली औरतों की चूत बहुत बार देखी है और उसे चोदा भी है.. " मैं आंटी की चूत के दाने मसलते हुये आंटी को कहा
" क्या बोल रहे हो.. तुमने मुझसे पहले भी मेरे उम्र की औरतों को चिडत है.. तो तुमने मुझे ऐसा क्यों कहा कि मे पहेली हू " आंटी मुझसे बोली
" अरे आंटी आपने मुझे पूछा कि क्या मैं अपने दोस्तों की मां को चोद चुका हूं या नहीं उसका जवाब में मैं आपसे कहा कि आप पेहली औरत हो जिसे मेने चिडणे वाला हू " ऐसा बोलते हुए में आंटी के मै चूत के दाने को रगड़ने लगा
" ऐसा.. क्या....आह. ह. ह...तुम तों बहुत हारामी हो... पर सच कहूं मुझे भी तुम अच्छे लगते हो.. मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा था कि तुम एक दिन मुझे अपने लंड से चोदोगे.... मैं तुम्हारे नीचे से नंगी होकर सोऊंगी.. " ऑंटी मुजसे बोली
" सच में आंटी मैं आपको अच्छा लगता हूं क्या.." मैं आंटी की चूत को रगड़ते हुए आंटी से पूछा
" आह. ह. ह. ह स्स्स्स्स्स... हां बेटा मुझे तुम अच्छे लगते हो.... और आज से तो और भी ज्यादा अच्छे लोगोंगे ... अगर तुम मुझे अच्छे से चोद कर मेरी चूत की प्यास बुझा पाओगे " . आंटी ने मुझसे कहा
" आप फिकर मत करिए आंटी... मैं आपको आज असे चोदुगा. क आप अंकल से चूडवाना भूल जाओगे... और मुझसे ही रोज-रोज चुदवाओगी" मैंने आंटी से कहा
" ठीक है बेटा..तो दिखाओ तुम्हारी कला.. कर दो मुझे खुश" आंटी ने मुझसे कहा
मैं झट से अपना मुंह आंटी की चूत पर लगाया और उनके दाने को मुंह में पड़कर चूसने लगा.. सच में आंटी के चूत का दान बहुत ही बड़ा था मैंने उसे अपने दोनों होठों के बीच में पकड़ कर जैसे स्ट्रो से हम खींच कर जूस पीते हैं वैसे ही मे दाने को चुसने ला
" ओ मां...बेटा ऐसे ही चूस.. मस्त आज बहुत दिनों बाद मेरी चूत को कोई चूस रहा है... स्स्स्स्स. स्स्स्स्स.... आह. ह. ह. H.... बेटा ऐसा ही चूस...ओ माय गॉड.. ऐसे ही.... मेरे दाने... को... आउट काटना मत बेटा.. सिर्फ अपने मुंह में लेकर चूसना बहुत मजा.. आ राहा है तुमसे चूत चुस्वाकर " ऑंटी मेरे सार को अपनी चुत पर दाबते हुये बोली
मे ऑंटी की और देखते हुए एक हात से चुत को फैलाया और मेरी जुबान चुत के अंदर के हिस्से पर चलने लगा हूं
" आह. ह. ह. सँडी... बेटा.. सच मे.. जादू है तुम्हारे जुबान में... बोहत मजा दे रहे हो तुम...मुझे म... ऐसा.. मजा तों राजु के पिताजी ने भी नाही दिया मुझे.. ऊऊ.. आह ह ह ह ह... म्म्म्मम्म.. अअअअअअअ.... अअअअ...ऊऊउ.हह्ह....सँडी.. " आंटी मेरे सर को अपनी चूत पर दबा कर मुझे चूत चुदवाने का मजा ले रही थी
मैं भी मजे से उनकी चूत को चाट रहा था ऑंटी कि चूत ने नमकीन पानी छोड़ना शुरू किया था जो मुझे अपनी जुबान पर साफ-साफ मेहसूस हो राहा था..
" आह.. स्स्स्स्स. बेटा.. मजा आ राहा है.. तुम से चुत चटवाकर... ऐसेही.. बेटा.. चाट.. मेरी चुत.. आह. ह. ह. म्म्मआआआआ..... ऊऊ... स्स्स्सस्स्स... " ऑंटी मेरे सार को चुत पर दाबते हुये मुझे बोली.
मेने अपनी जुबान उनकी चुत के अंदर डाल दी और जुबान से उनकी चुत को चोदणे लागा.. सात सात मेने उनके चुत के दाणे को उनली मे पकडकर उसे मसेलने लागा..
तभी ऑंटी ने मेरे सार को जोर से चुत पर दाबाकर मुझे बोली.
" आह. ह. ह. हह. बेटा.. एकदम मस्त.... ऐसेही.. उसे मसल.. आह. ह. ह. बोहत ही अच्छा.. कर राहा है बेटा.. तू.. आह. ह. ह. ह. ह.. आज पाहली बर मुजे इतना मजा आया है.. आहहे. ह. ह और.. जोर जोर से डाल तेरी जुबान मेरी.. चुत मे और चोद मुझे उससे... सँडी...... "
कुछ देर मे उनकी चूत को जुबान से चोद रहा था और ऑंटी भी मजेसे मुजसे चुदवा राही थी.तभी उन्होने मुझे कहा
" बस सँडी बेटा.. बस हुआ चाटना.. अब मुझे तेरा लंड मेरी चुत मे चाहिये.. अब मुजे बरदस्त नाही हो राहा है.. डाल तेरा लंड मेरी चुत मे और चोद मुजे.."
ऑंटी ऐसा बोलकर सोफे पर लेत गाई अपने दोनो पैरो को फैलाकार अपनी चुत पर हार फैरते हुये मुजे बोली
" सँडी.. डाल दे तेरा लंड मेरी चुत मे... और चोद डाल अपनी दोस्त कि माँ को... "
मे भी तुरंत उनके पैरो के बीच मे चला गया और.. लंड को उनकी चुत पार्टी रागाडणे लागा..
" आह. ह. ह. ह बेटा.. और मत तरसा .. पाहले से ही मेरी चुत देख कितना पाणी छोड राही है.. अब तू उसमे तेरा लंड दालकर चोद डाल..." ऑंटी मुजे बोली
" ठीक है ऑंटी.. अभि करता हू आप कि चुत कि चुदाई चालू...लो मेरे लंड का झटका.." ऐसा बोलकर मेने लंड को चुत पर सेट किया और कमर को एक झटका दिया वैसेही मेरा लंड ऑंटी कि चुत मे पुरा समा गया..
" आह... अअअअअ... एकदम मस्त करारा झटका मारा बेटा.. ऐसे ही जोर जोर से झटके मार.. और डाल दे तेरा लंड मेरी चुतमे और चोद मुजे....जोर जोरसे.. आह. ह. ह . आह... ऐसे ही बेटा.. मस्त लंड के फटके दे राहा है तू मेरी चुत को... आह. ह. ह. हस्सस्स्स्सस..... अअअअह्ह्हह्ह म्म्म्म्मआआआआ..... " ऑंटी मुजे बोली
उनकी चुत पाहले से ही चौडी होणे के कारण. मेरा लंड अराम से उनकी चुत मे पुरा घूस राहा था...
" आह. ह. ह. बेटा.. और जोर लागाकर चोद अपने दोस्त कि माँ को.. आह.. हह. ह और जोर से बेटा.. मस्त... और... अंदर डाल.. तेरा ला ड.. पुरा भर दे मेरी चुत.. तेरे लंड से... आह. ह. ह. ह म्म्म्मम... स्स्स्स्स्स.... ऊऊ... " ऑंटी मुजे देखर बोली.
" मुजे भी बोहत मजा आ राहा है... आप को चोदने मे.. क्या मस्त चुत है आप कि.... मजा आया.. आज पाहली बर मे अपने दोस्त कि माँ चोद राहा हू.. मेरा सपना था.. आप को मेरे नीचे सुलणे का.. एक रंडी कि तरह आप को चोदणे का..आज मेरा ओ सपना पुरा हो राहा है ऑंटी... " मे ऐसा बोलते हुये जोर जोर से उमकी चुत चोद राहा था..
" आह. ह. ग. मुजे भी मजा आ राहा है बेटा.. एक जवान लंड से चूदने मे... सच मे बोहत मजा आता है.. ऐसे ही चोदता रे बेटा.. आई. म्म्म्मम..... ससाश. ह. ह. ह. ये..... ये. ये.... ऊऊऊ अअअअअ...." ऑंटी मुजे जोर जोर से चोदणे के लिये बोल राही थी
" लो.. और जोर.. से डालू.. आह क्या गरम चुत है आओ कि ऑंटी.... मजा आया... " मे ऑंटी से बोला
" हा मेरे चोदु... और जोर से चोद.. मुजे.. एक रांड कि तरह .. आज मेरी चुत का भोसडा बनाकर ही रुकना सँडी... बेटा... आह. हह. ऐसे. ऐसेही.. जोर जोर से शॉट मार... बोहत मजा दे रहा हे तेरा लंड मेरी चुत को... " ऑंटी मुजे बोली
" ऑंटी आपकी चुत पुरा मेरा लंड निगल चुकी है.. लागता है अंकल ने बोहत चोदा चुत को... चोद कर चुत पुरी फैला दी... " मे ऑंटी को बोला
" हा बेटा तेरे अंकल को मेरी चुत.. बोहत पसद थी.. वो मुजे रोज चोदते थें.. इस लिये मेरी चुत इतनी फैली है.. पर अब वो मेरी तरफ ध्यान नाही देते...मुजे उंगकी से खुद को शांत करणा पडता है... आह. ह. ह. ऊऊऊ.... स्स्स्स्स्स...." ऑंटी बोली
" अब से आप को उंगली करणे कि जरुरत नाही ऑंटी.. जब भी आप का मन करेगा मुजे बुलाकार चुदावा सक्ती हो.. " मे उनकी चुत मारते हुये बोला
" सच मे.. बेटा.. आह. ह. ह. अब मे तों तुजसे ही... चुदवाया.. करू. गी.. आह. ह. ह. ह.. ऐसे ही चोदेगा.. ना बेटा.. अपने दोस्त कि माँ को... मुजे पहले पटा होता कि तू इतना अच्छा चोदतां है तों मे कब का तेरे सामने अपनी चुत खोलकर राखती.. आह. ह. ह. ह बेटा..," ऑंटी बोली
" ऑंटी अब आप कुत्ती बन जाओ.. मे आप को पीछे से चिडूनगा जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती कोणचोदतां है ठीक वैसे ही..
" ठीक है बेटा.. पर तू मुजे पिचेसे मेरी चुत मत चोदना ..तुम मेरी गांड मे लंड डालकर मेरी गांड मारना .. तुझे मेरी गांड पसंद है ना...," ऑंटी मुजे बोली और वो डॉगी स्टईल मे हो गाई
"हां आंटी मुझे आपकी गांड बहुत पसंद है मैं भी आपसे यही कहने वाला था आंटी" मैं यह बोलकर आंटी के पीछे खड़ा हुआ और अपने लंड को हाथ में लेकर आंटी के गांड के छेद पर टिका दिया.
"ऑंटी आप कि गांड का छेद बहुत बड़ा है और गांड भी बहुत फैली हुई है.. लगता है अंकल ने आपकी गांड भी ज्यादा मारी है. " मेने आंटी से कहा
" हां बेटा तुम्हारे अंकल मुझे हर रोज चोदते थे.. वह मेरी गांड में भी अपना लंड डालकर मेरी गांड मारते थे... इसीलिए मेरे गांड का छेद बहुत बड़ा है, सच कहूं तो मुझे चु से ज्यादा गांड मरवाना बहुत पसंद है...जो मजा गांड मरवाने में है वह मजा चूत चोदने में नहीं मिलती...इसी के लिए मैंने तुम्हें अपनी गांड मारने के लिए बोला " आंटी पीछे मुड़कर मेरी और देखते हुए मुझे बोली
" आंटी मुझे भी आप जैसी बड़ी उम्र की औरतों की गांड मारना पसंद है. बडी गांड के अंदर लंड जब जाता है मजा आता है... गांड मारते वक्त जब मेरी जाँग आप लोगों बड़ी गांड में टकराती है तो वह थप थप आवाज आता है वह मुझे बहुत पसंद आता है आंटी" में लंड को आंटी की गांड के ऊपर रगड़ते हुए आंटी से कहा
" सच बेटा मुझे लगा कि तुम्हें गांड मारना पसंद नहीं होगा...पर तुम तो मेरे जैसे ही गांड के शौकीन निकले.. अब तो बहुत मजा आएगा तुमसे गांड मरवाने मे.. अब ज्यादा बातें मत करो अपना लंड मेरी गांड में डालकर मेरी गांड मारना चालू कर दो" आंटी पीछे मुड़कर मुझे देखते हुए बोली
मैं अपने लंड को ऑंटी के छेड पर सेट किया और एक जोरदार धक्का लगाकर मेरा लैंड पुरा का पूरा आंटी की गांड में डाल दिया.. . जैसे ही मेरा पूरा लंदन की गांड में घुसा उनकी गांड मेरे जांघों पर टकराई और ठप करके आवाज आया
और इस समय आंटी के मुंह से
" एकदम मस्त बेटा.. क्या करार शॉट मारा है तुमने.. आह. ह. ह. ह स्स्स्स्स... एक ही धक्के में पूरा का पूरा तुम्हारा लंड मेरी गांड में डाल दिया बहुत अच्छा लगा मुझे" आंटी मुझसे बोली
दोनों हाथों से आंटी की कमर पकड़ कर में जोर-जोर से मेरा लैंड आंटी की गांड में डालते हुये आंटी से बोला
" आहा क्या गजब की गांड आंटी आपकी.... मेरा पूरा लंड आपकी गांडने खा लिया.. आपकी गांड में बहुत मजा आ रहा है...आज तक मेने आप जैसी गांड नाही चोदी है बहुत मजा आ रहा है आंटी आपकी गांड मारने में.. "
" आह. ह. ह. सँडी बेटा. ऐसे ही जोर-जोर से अपना लंड मेरी गांड में डालकर मारो मेरी गांड... ... ऐसे ही मारते रहो मेरी गांड बेटा और जोर से और जोर से घुसा दो.. मेरी गांड में तुम्हारा लंड सँडी जोर से बेटा.. ऐसे जोर जोर से.. चोडो अपने दोस्त कि माँ कि गांड... अअअअह्ह्ह ह्ह्ह. ह. ह म्म्म्म.... अअअअअअ... आ... उऊऊउ..... " आंटी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मुझे बोली
" आह ऑंटी... बोहत मजा आ राहा है आप कि गाड मारणे मे.. बहुत बड़ी रंडी हो आंटी आप.. दिखने में तो आप नहीं लगती इतनी बड़ी चुडक्कड़ हो...अभि देखो कैसे एक रंडी की तरह अपने बेटे के दोस्त से अपनी गांड चूडवा रही हो...उचल उचल कर अपनी गांड आगे पीछे दौड़ा को लंड ले रही हूं" मैं आंटी की गांड को चोदते हुए आंटी से बोल
" आह. ह. ह. ह बेटा.. ऐसे हो... चोद.. तुम.. भी कम नाही हो बेटा.. इतने बडे चोदु हो.. कि... अपने ही दोस्त के घर में आकर उसकी मां की पेट में अपना लंड हिलाकर लड़का पानी निकाला आह. ह. ह ऊऊ ह.ह. ह. ऐसे. ही...जोर जोर से डालो आवण लंड.. मेरी गाड मे.. बेटा.... " आंटी मुझसे बोली
" क्या करूं आंटी.. दोस्त की मां है ही ऐसी जिसे देखकर मेरा क्या किसी बुड्ढे का भी लैंड खड़ा हो जाएगा.. इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां है.. जिन्हें देखकर मुंह में पानी आ जाता है... .. जब चलती है तो ऐसे हिलती है कि मानो जैसे खुद बुला रही आओ मेरी गांड में अपना लंड डालकर मुझे मारो" में आंटी की गांड में लंड को जोर-जोर से डालते हुए आंटी को बोला
" हां बेटा ऐसे ही अपने दोस्त की मां की गांड मारो... बेटा सच में तुम जवान लड़कों से गांड चूत मरवाने में जो मजा मीं राहा है.. ... आह. ह. ह. स्स्स्स्स.... म्म्म्म.. आह हा.. बेटा क्या गांड मारते हो तुम.... बेटा ऐसे ही मारा अपने दोस्त की मां की गांड..... चोदो खूब जोर-जोर से चोडो मेरी गांड.... फाड़ दो मेरी गांड को आज तुम्हारे जवान लैंड से सैंडी" आंटी अपनी गांड को खिलाते हुए मुझे बोली
" आंटी सच बताना आपने कितने लंड खाए आपकी गांड में लंड डालने से मुझे पता चलता है कि आपने मुझे से बड़े-बड़े लैंड तो बहुत खाए हुए हैं इसी के लिए तो आपकी गांड का छेद बहुत बड़ा है" मैं आंटी की गांड में लंड जोर-जोर से डालते हुए आंटी से कहा
" अरे बेटा तुम्हारे अंकल ने ही मुझे इतना चोदा है कि मुझे दूसरे लंड की जरूरत नहीं पड़ी.... हाहाहाहा... स्स्स्स... म्म्म्म... तुम्हारे अंकल का भी तुम्हारे जितना ही बड़ा लैंड था... इसी की वजह से मेरी गांड का छेद इतना बड़ा है..... स्स्स्स. ह. ह. ह. ह. आ. ह. ह. ह. ह. ह.... ऊऊऊऊ... मम्मा.... तुम्हारे अंकल जवानी में मुझे दिन में दो-दो तीन-तीन बार चोदते थें... साथ में मेरी गांड भी मारते थे... जैसे तुम मार रहे हो.. आह.. असेही.. जोर जोर से डालो बेटा लंड.. .ऐसे ही चोदो अपने दोस्त की मां को बेटा...और जोर से डालो मेरे गांड में लंड तुम्हारा बेटा.. " आंटी पीछे मुड़कर मुझे देखते हुए बोली
मेने ऑंटी के गाड से लंड निकाला और ऑंटी को बोला
" आंटी अब आप मेरे ऊपर बैठकर मुझे छोड़ो मुझे आपकी चूचियों को चूसना है आपको चोदते समय"
" क्या बात है बेटा तुम्हारा स्टैमिना तो बहुत अच्छा है मुझे बहुत अच्छा लगा बेटा पहली बार मे ही मुझे कई असनो में चोद रहे हो मेरी गांड मार रहे हो.." आंटी बोलते हुए खड़ी हो गई मेरी और अपना मुंह करके वह घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में लेकर चूसने लग गई
" आंटी सच में आप एक नंबर की रंडी हो अपने ही गांड का स्वाद चा करने के लिए आपने मेरा लंड मुंह में ले लिया मैंने आज तक आपके जैसी रंडी को चोदा नहीं.. " ऑंटी के सार को पकड़ कर अपना लंड उनके मुंह में डालते हुए बोला.
ऑंटी ने लंड को बाहर निकाला और मुझे बोला
" आ जाओ बेटा बैठो मैं तुम्हारे ऊपर बैठकर तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेती हूं और तुम्हें चोदती हू.. साथ ही साथ मेरी इन चुचीओ को तुम्हारे मुंह में डालकर तुमसे चुसावती हूं.. वैसे भी तुमने मेरी चूचियों को चूस नहीं "
मैं वहीं पर सोफे के ऊपर बैठ गया और आंटी मेरे ऊपर आकर बैठ गई मेरे दोनों कमर के बाजू में अपने पर डालकर आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करते हुए धीरे-धीरे वह मेरे लड़कियों पर बैठने लग गई
जैसे-जैसे आंटी मेरे लैंड पर बैठ जा रही थी वैसे-वैसे मेरा लंदन की चूत में घुसता जा रहा था
अब मुझे मेरे लैंड आंटी की चूत में घुसते समय थोड़ा दर्द हो रहा था और मजा भी बहुत आ रहा था
" आ. आ. आ..आ.. संडे बेटा ऐसे चूत में लंड लेने से मुझे दर्द हो रहा है.... पर मजा भी बहुत आ रहा है बेटा तुम्हें कैसा लग रहा है मेरे चूत में ऐसा लैंड डालने से.. " ऑंटी नीचे बैठते हुए मुझसे पूछा
" आंटी मुझे तो बहुत मजा आ रहा है आपकी चूत में लंड डालने से... सच में आपकी चुत गहरी खाई है... मेरा लैंड पुरा का पूरा घुस रहा है आपकी चूत में.." मैंने आंटी की दोनों चूचियों के ऊपर हाथ राखकर उनको दबाते हुए आंटी को बोला
" ओह्ह्ह्ह सँडी बेटा... सच में तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है... मेरे बच्चेदानी तक जा रहा है तुम्हारा लैंड.. मेरी चूचू को अपने मुंह लेमर बेटा चूसो... मुझे अपनी चुचीओ को चुसवाना बहुत पसंद है.... आह. ह. ह. ह म्म्म्मम्म असे ही.. सँडी चुस.. .. अब तुम मेरी चूत का कस कर रस पीना दूध तो नहीं मिलेगा.... बेटा पियो ना अपने दोस्त की मां की चूचियों को.. " आंटी ने सब बोल कर मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाया
मैं भी अपना मुंह खोलकर आंटी की एक चूची को हाथ में पकड़ा और उसे निप्पल को मुंह में भरकर उसे चूसने लगा
"आ... सँडी बेटा अपने दोस्त की मां चुचिया.. असे ही चुसो.... आह. ह. ह. मस्त... सँडी.. एकदम मस्त.. मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी चूची को चुसवाना.... आह. ह. ह. अब राजू बड़ा हो गया इसके लिए नहीं चूसता है.. सँडी.. मेरी दूसरी चूची को दबा जोर जोर से दबा बेटा" आंटी मेरे लैंड पर उचलते हुए मेरा लंड अपनी चूत में लेते हुए मुझसे बोली
मे उनकी चूची को जोर-जोर से पीने लगा और साथ में दूसरी चूची को जोर-जोर से दबाने नगर उनके निप्पल को दोनों उंगली के बीच में कर कर मसलने लगा
" आ..ऊच. ह. ह. सँडी.... ऐसेही.. दाबा मेरी चुचीओ. को.. आह. ह. ह. ह और चुस भी..... बहुत अच्छा लग रहा है बेटा तुम्हारे लंड पर उचल ना.. अपनी चूत चूडवाना.... आह. ह. ह. ह उसी के साथ तुम्हारे मुंह में अपनी चूचियों देखकर तुमसे चुसवाना.... आह. ह. ह. ह. ऊऊऊ.. बेटा सच में बहुत मजा दे रहे हो तुम अपने दोस्त की मां को..... काश तुम मुझे पहले मिले होते.... अब तक तुम्हें तुमसे कई बार चुदा चुकी होती और अपनी चूत का रस तुम्हें पीला चुकी हूं बेटा तुम्हें पसंद है ना हमारी औरतों की चुत का रस पीना... " आंटी मुझे अपने चुचिया चुसवाती हुए बोली
" अरे ऑंटी.. आप लोगो की चुत का रस पिणे के लिये मे बोहत बेताब रेहता हू.. वो तों मेरे लिये अमरीत है.." मेने बोलकर ऑंटी कि चुची को मुह मे भरकर चुसने लागा
" आह. ह. ह. बेटा.. ऐसे ही मेरी चुची को चुसते हुये मुजे चोदो.. बिहात मजा आडे राहा तुम्हारा लंड मुजे.. असे चुदाई मेने कभी नाही कि... आह. ह. ह. ह असे ही.. बेटा.. आह. ह. ह. सँडी... मेरी चुत पाणी छोड ने वाली है... " ऑंटी मुजसे बोली
" सँडी बेटा.. मेरी चुत... पाणी छोड राही है.. सच मे तुम बोहत अच्छा चोदते हो.... " ऐसा बोलकर ऑंटी ने मेरे सर को पकडकर अपनी चुचीओ पर दाबाया... और उनका शरीर झटके खाणे लागी.. और चुत से पाणी चोदणे लागी..
कुछ देर बाद.. वो उठ गाई मेरी और सेकर बोली
" सँडी.. वाकई.. तूमा बोहत अच्छा चोदते हो.. तुमने मेरी चुत का पाणी चोडकर निकाल दिया.. आज मे बोहत दिन बाद लंड से चूडकर चुत से पाणी निकालवाई हू... थँक्स बेटा..."
" अरे ऑंटी इस मे थँक्स मत बोलिये.. बस ऐसे ही आप कि चुत और गांड को चोदणे के लिये बुलाया करिये... " मे ऑंटी को बोला
".मेरा तों हुआ तुम्हारा..." ऑंटी बोली
" आप मुह मे लेकरं चुसकर निकालो... मेरे लंड का पाणी और पी जाओ.." मेने ऑंटी से कहा
ऑंटी तुरंत उठी और खडी हुई.. मे भी खडा हुआ ऑंटी मेरे पैरो के भिच मे आई और मेरे लंड को पकडकर लंड को मुह मे लेकरं चुसने लागी..
" आह ह. ह. ह.ऑंटी.. क्या गजब कि रंडो हो आप... ... ऐसे ही चुसो . ऑंटी.. अपने बेटे के दोस्त का लंड.. " मे ऑंटी के सार को लंड पर दाबते हुये बोला
" आह. ह. ह. ह ऑंटी... मेरा पाणी निकालाने वाला है... " मेने उनके सार को पकडकर बोला
ऑंटी ने लंड को मुह से निकाला और हात मे पकडकर हिलाते हुये मुजे बोली
" तू बोहत हरामी हो.. सँडी.. अपने दोस्त कि माँ को चोदकर उसके मुह लंड का पाणी निकाल रहे हो.. बोहत बडे चोदु हो तुम.. "
" आह. ह. ह. ऑंटी.. आप भी तों बडी रंडी हो... . आहहे. ह. ह मेरा पाणी निकाल राहा है... ऑंटी.. मुह खोलॊ.. मे मुह मे निकलता हू..." मे ऑंटी को बोला
" हा.. मेरे मुह मे डालो अपने जवान लंड का पाणी.. मुजे पिना है.. तुम्हारा लंड मुजे पसंद आया.. अब तुम्हारा पाणी भी चख कर देखती हू.. दे दो मेरे मुह मे... " ऑंटी बोली
" आह.. आया आया.. मेरा पाणी ले पी .. रंडी मेरा पाणी..... " ऐसा बोलकर मे मेरे लंड का पाणी ऑंटी के मुह मे छोडा
ऑंटी ने भी मेरा पाणी पी लिया और मेरी और देखर बोली
" बोहत टेस्टी है तुम्हारे लंड का पाणी सँडी... "
" और चाहिये तों.. आप मत जाईये.. मे और आप याही रेहकार. आहे करते है. मे आप के चुत कि देखभाल करता हू आप रॉकी कि करो.." मेने ऑंटी से कहा
ऑंटी उठी और फोन लागाया
" हॅलो राजू सुनो.. मेने सँडी को ओने घर रेझने के लिये बोला है.. और सात मे मे भी राहुंगी.. रॉकी उसके सात नाही ररेह पायेगा.. तुम दो नो ही जाओ.." ऑंटी ऐसा बात करते करते मेरी और देखर मुस्कुरा राही थी
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