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Adultery myy short stories

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Chutiyadr

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हवस से प्रेम तक

डराने वाली रात थी , पास में बहती हुई नदी भी डरावनी लग रही थी , बारिश तेज होने लगी और दोनों का जिस्म उस बारिश में बुरी तरह से भीग चूका था ,

तूफ़ान की तेज हवाओ ने पूरी झोपड़ी को ही तहस नहस कर दिया था , फिर भी हरिया और सुनीता ने हिम्मत नहीं हारी थी , वो जैसे तैसे एक पेड़ का सहारा लेकर अपने आशियाने को बर्बाद होता देख रहे थे, सुनीता के पास यही तो बस एक साड़ी थी जो उसे पिछले साल सेठानी जी ने दी थी , पुरानी साड़िया भी झोपड़े के साथ हवाओ में उड़ चुकी थी, लेकिन अब भी सुनीता को उन साड़ियों की नहीं बल्कि अपने मंदबुद्धि भाई की चिंता थी जो उसके पास खड़ा हुआ काँप रहा था।

"तू ठीक तो है ना हरिया ?"

हरिया कांपते हुए अपनी बहन के निकट आया और उसके जिस्म से चिपक गया , सुनीता ने भी अपने भाई को अपने जिस्म से चिपका लिया और वही पेड़ के निचे सिमट कर बैठ गई।

"सुनीता ये तूफान कब रुकेगा ,और हम अब कहा रहेंगे "

हरिया के प्रश्न ने सुनीता के दिल को दहला दिया था

ऐसे तो हरिया उससे उम्र में २ साल बड़ा था लेकिन बचपन से ही मंदबुद्धि का था , उनकी मानसिक उम्र किसी बच्चे की तरह थी ,सुनीता का बाप तो बचपन में चल बसा था और माँ ने भी ज्यादा साथ नहीं दिया, सुनीता अभी जवान ही हुई थी की उसकी माँ ने भी उसका साथ छोड़ दिया और साथ छोड़ दिया हरिया की जिम्मेदारी।

जिस उम्र में वो नए सपने बुनती और अपना घर बसती उस उम्र में वो लोगो के घरो में काम कर अपने और अपने भाई का गुजरा करती थी, गांव के बाहर एक छोटा सा झोपड़ा उसकी माँ ने बनाया था बस वही सुनीता का सहारा था ,भाई तो बस पास के ही माता के मंदिर में पड़ा रहता वंहा रहने वाले बाबा की सेवा करता और बदले में वो उसे कुछ खाने को दे देते।

ऐसे गांव के लोग सुनीता के दर्द को जानते थे , उसकी सेठानी जी भी उसे खाने पिने का सामान देती रहती थी लेकिन जंहा अच्छे लोग होते है वंहा बुरे भी तो होते है , और सुनीता की जवानी भी तो ऐसी थी की किसी भी मर्द में हवस की चिंगारी को आग बना दे।

इन्ही में एक सेठ का बेटा आनंद भी था,सेठानी को भी पता था की आनंद दिन भर सुनीता पर डोरे डालता है, उसे छेड़ता है लेकिन सेठानी के रहते आनंद की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो सुनीता से कोई बत्तमीजी कर सके, सुनीता की जवानी को सेठानी जी ने अभी तक बचा कर रखा था वरना गांव के भेड़िये तो उस मादक जिस्म को कब का नोच कर खाने को आतुर खड़े रहते थे।

ऐसा नहीं था की उन्होंने कोशिस नहीं की थी ,लेकिन सुनीता हर बार ही बच जाती , कभी सेठानी के कारण तो कभी मंदिर वाले बाबा के कारण।

मंदिर वाले बाबा भी सुनीता के झोपड़े के पास ही पीपल के पेड़ के पास आकर सोया करते थे और काम से आने के बाद सुनीता उनके लिए खाना बना ले जाती ,अब वही उनके लिए पितातुल्य थे वो दोनों भाई बहनो को अपने पास बिठा कर कहानिया सुनाते की कैसे माँ की भक्ति से लोगो का जीवन सफल हुआ है , सुनीता के भाई हरिया को भी बस इसी का सहारा था की एक दिन माँ उनके जीवन की कठिनाइयों को भी दूर कर देगी ,

आज सुनीता के आँखों में पानी था , तूफ़ान और बारिश ने उनके एक मात्रा सहारे को भी बर्बाद कर दिया था , बाबा आज तूफान के कारण नहीं आये थे हरिया काँप रहा था ,सुनीता को डर था की कहि उसे बुखार ना हो जाये , वो उसे अपने जिस्म से चिपका कर सिमटी हुई बैठी थी,उसके मन में कई सवाल थे की आखिर उसका भविष्य क्या होगा।

जंहा ये बारिश और तूफान किसी के लिए दर्द और बेबसी का सबब बन गई थी तो वही दूसरी और कोई इसमें मौज में था

"आज तो मजा ही आ गया ,बारिश में विस्की अपना ही मजा देती है "

आनंद 4 दोस्तों के साथ अपने खेतो में बने घर में बैठा विस्की और गर्म गर्म मुर्गे का आनंद ले रहा था ,

"हा भाई लेकिन इसके साथ कोई गर्म गर्म माल भी हो जाये तो मजा दुगुना हो जाये,बारिश में किसी गदराई माल को नंगी कर दौड़ा दौड़ा कर करने का मजा ही अलग है "

सभी दोस्त हंस पड़े थे

"मुझे तो बस एक जिस्म चाहिए लेकिन साली कभी हाथ ही नहीं लगती , कितना बहलाया फुसलाया पैसे का लालच दिया लेकिन "

आनंद बस इतना बोल कर रुक गया

लेकिन उसके दोस्त समझ चुके थे की वो किसकी बात कर रहा है

"अरे तो उठा लाते है साली को "

मंगलू बोल उठा , मंगलू ऐसे भी औरतो के नाम से बदनाम था, कई बलात्कार के आरोप उसपर लग चुके थे लेकिन राजनितिक ताकत ने हमेशा ही उसे बचा लिया था ,

"अबे तुम लोग समझते नहीं मेरी माँ मुझे मार डालेगी "

आनंद की बात सुनकर सभी हँस पड़े

"साले अपनी माँ से इतना क्यों डरता है ,उस साली के ऊपर तो मेरी भी नजर है लेकिन साली हाथ ही नहीं लगती आज मौका है और दस्तूर भी है ,ऐसा गायब करेंगे उसे की किसी को पता भी नहीं लगेगा ,बोल देंगे की साली का अपने ही भाई के साथ चक्कर था "

मंगलू की शैतानी हंसी निकल पड़ी

"लेकिन मंदिर वाले बाबा ?"

आनंद अभी भी डरा हुआ था

"इस तूफान और बारिश में वो बुढ्ढा कहा पेड़ ने निचे सोने जायेगा ,रहा उसका भाई तो उससे हम निपट लेंगे , बारिश में सुनीता के भीगे नंगे जिस्म से आज रात भर खेलेंगे और उसे उठा कर मंत्री जी के फॉर्महाउस में फेक आएंगे ताकि जब मन करे तब उसके जिस्म का स्वाद ले सके "

मंगलू की बात से सभी की आंखे चमक गयी थी..

इधर

"बोल ना सुनीता अब हम कहाँ रहेंगे "

हरिया ने अपना प्रश्न फिर से दोहराया

"माँ सब ठीक करेगी भईया "

सुनीता ने अपने भाई के बालो में हाथ फेरा

"हा माँ सब ठीक करेगी , सबका करती है तो हमारा भी करेगी ,क्यों नहीं करेगी ,मैं रोज उनकी पूजा जो करता हु, वो जल्दी ही तेरी शादी अच्छे घर में करवाएगी "

अपने बड़े भाई की इस भोली बातो को सुनकर सुनीता इस दर्द में भी मुस्कुरा उठी थी ,

"मेरी शादी की बड़ी चिंता है तुम्हे "

उसने मजाक किया

"मैं तेरा बड़ा भाई जो हु आखिर तेरी शादी की जिम्मेदारी मुझपर ही है ना "

सुनीता उसकी बात को सुनकर हँसते हुए भी रो पड़ी थी।

शादी जैसी चीजे उस जैसी अभागन के लिए नहीं थी ,लेकिन वो अपने भाई को कुछ बोलकर दुखी भी नहीं करना चाहती थी ,

तभी एक कार की तेज लाइट दोनों पर पड़ी , तूफ़ान तो हम हो चूका था लेकिन बारिश अभी भी हो रही थी ,

"हाय क्या भीगा हुआ जिस्म है साली का "

एक बोल उठा सभी की नजर सामने पेड़ के नीचे बैठी हुई सुनीता पर गयी , सुनीता पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसके यौवन का हर एक कटाव उसके उस पुरानी साड़ी से साफ़ साफ़ झलक रहा था ,

"साला इस मादरचोद हरिया के ही मजे है देख कैसे अपनी बहन से लिपटा हुआ बैठा है "

एक फिर बोला और सभी हंस पड़े ,

"भाई आसपास देख लो कोई है तो नहीं "

आनंद ने डरते हुए कहा

"साले डरपोक कोई होगा भी तो क्या बिगाड़ लेगा "

मंगलू ने हाथो में अपनी पिस्तौल थाम ली थी ,गाड़ी रोक कर सभी उतर गए

गाड़ी की तेज रौशनी ने सुनीता को थोड़ी देर के लिए चौका दिया लेकिन वो जल्द ही समझ गयी की ये आनंद की गाड़ी है , एक अनजाना डर उसके मन में समा गया था

"भईया यंहा से चलो हम मंदिर में जाते है "

सुनीता तुंरत ही खड़ी हो गयी थी ,लेकिन तब तक सभी लोगो ने उन्हें घेर लिया था

"अरे मेरी रानी कहा चली ,आओ तुम्हे गाड़ी में छोड़ देते है "

मंगलू सुनीता के पास आने लगा

"तुम लोग यंहा क्या कर रहे हो "

सुनीता घबराई जरूर थी लेकिन आज तक के जीवन ने उसे थोड़ा हिम्मतवाला भी बना दिया था,ऐसी परिस्थितियो का उसने कई बार सामना किया था जब हवस के प्यासे उसके जिस्म के मोह में उसे पाने के लिए सुनीता पर दबाव बनाये ,लेकिन आज परिस्थिति कुछ लग थी आज उसने खुद को अकेला महसूस किया था , ये दिन नहीं था ये रात थी और उसे बचाने वाले उससे दूर थे ,लेकिन सुनीता जानती थी की अगर उसने हिम्मत खोई तो इसका जुर्माना उसे अपनी आबरू को लुटा कर देना होगा।

"हम तो बस तुम्हारी सलामती देखने आ गए "

किसी ने कहा

"हम ठीक है तुम लोग जाओ यंहा से "

सुनीता ने थोड़े दृढ़ आवाज में कहा ,लेकिन उसकी बात सुनकर मंगलू जोरो से हँस पड़ा था

"इसीलिए तो मैं इसे रोंदना चाहता हु ,साली के तेवर तो देखो , जब इसे रगड़ेंगे और ये चिल्लायेगी तो बड़ा मजा आएगा "

मंगलू की बात सुनकर जंहा सुनीता कांप उठी वही बाकि के दरिंदे जोरो से हँस पड़े

सुनीता की नजर आनंद पर पड़ी जो अभी भी चुप था

"सेठ जी आप कुछ बोलते क्यों नहीं , अगर सेठानी जी को ये पता चला तो "

सुनीता ने आनंद को डराते हुए कहा लेकिन उसने बस अपनी नजरे नीची कर ली

"अरे ये क्या बोलेगा इसी ने हमे यंहा लाया है "

सुनीता ने एक बार गुस्से से आनंद की ओर देखा , वो उसका जिस्म चाहता है ये तो सुनीता जानती थी लेकिन इसके लिए वो इतना गिर जायेगा ये उसने नहीं सोचा था

"मेरी बहन को अकेला छोड़ दो "

हरिया चिल्लाया लेकिन उससे सभी और भी जोरो से हँस पड़े

"साले तू जैसे अपनी बहन से चिपका हुआ था हमें भी बस वैसे ही चिपकना है "

मंगलू बोल कर हँस पड़ा ,और उसने सभी को इशारा किया

"नहीं नहीं "सुनीता चिल्लाती रही और वो लोग उसके ऊपर टूट पड़े।

बारिश और तेज होने लगी थी ,हरिया अपनी बहन को बचाने के लिए उनसे भीड़ गया

लेकन 5 लोगो के सामने उसकी एक ना चली ,उन्होंने हरिया पर डंडे से वार कर दिया ,हरिया के सर से खून बहने लगा था,लेकिन वो फिर भी भिड़ा रहा

"पहले इस मादरचोद को मारो "

मंगलू चिल्लाया और सभी ने हरिया पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए , हरिया जमीन में पड़ा बेसुध हो चूका था,मंगलू ने अपनी पिस्तौल हरिया के ऊपर तान दी

"नहीं इसे छोड़ दो "

सुनीता अपने भाई को बचाने की गुहार लगाने लगी

लेकिन हरिया ने पिस्तौल लोड कर ली

"पहले तो इस मादरचोद को मरूंगा "

मंगलू चिल्लाया

"नहीं नहीं ऐसा मत करो मैं हाथ जोड़ती हु "

सुनीता रोने लगी थी , हरिया का दर्द उससे देखा नहीं जा रहा था ,मंगलू समझ चुका था की सुनीता की कमजोरी क्या है

"अगर अपने भाई को जिन्दा देखना चाहती है तो जो बोल रहे है वो चुप चाप कर "

सुनीता के पास अब इनके बात को मानने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था

"जो बोलोगे वो करुँगी लेकिन इसे छोड़ दो "

सुनीता गिड़गिड़ाने लगी ,वो घुटनो के बल हरिया के पास ही बैठ गयी

उसी बेबसी देख कर सभी के होठो में मुस्कान आ गयी थी

मंगलू ने उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से हटा दिया ,सुनीता के ब्लाउस में कसे यौवन के उभार अब सभी के हवस की आग को हवा देने लगे थे , सुनीता अब जिन्दा लाश सी बस अपने भाई को देख रही थी जो उसे बचाने के कारण अभी बेसुध पड़ा था,

आँखों में बेबसी के आंसू थे,

अब बारिश में भीगा जिस्म ठंडा हो चूका था लेकिन फिर भी माथे पर पसीने की बुँदे आ गयी थी

"वाह सच में क्या माल है , बारिश में भीगा हुआ जिस्म चखने में मजा ही आ जायेगा "

एक बोल उठा और सभी ने अपने होठो पर अपनी जीभ फेर ली

"अभी तो आधा ही देखा है "

मंगलू आगे बढ़ा और खींच कर सुनीता का वो पुराना ब्लाउज फाड़ दिया , सुनीता का रोना और भी तेज हो गया था वो अपने यौवन से भरे वक्षो को छुपाना चाहती थी लेकिन मंगलू के इशारे पर उसके एक दोस्त ने सुनीता के हाथो को पकड़ कर अलग कर दिया और सुनीता के वक्षो को जोरो से मसल दिया

"नहीं भगवान के लिए दया करो "

सुनीता अपनी बेबसी पर चिल्ला उठी लेकिन वंहा उसकी सुनने वाला कोई भी तो नहीं था

सभी उसकी इस बेबसी पर हँस रहे थे और ना सिर्फ हँस रहे थे बल्कि सुनीता की दर्द भरी आवाज ने सभी के हवस को और भी हवा दी थी

बारिश के पानी से भीगा सुनीता का जिस्म कार की लाइट में चमकने लगा था ,बारिश की बूंदो ने उसके जिस्म को और भी कोमल बना दिया था

इधर लाओ इसे

मंगलू चिल्ला उठा अब उससे सहन नहीं हो रहा था वो उस जिस्म से अपनी हवस की प्यास बुझना चाहता था जिसको पाने की ख्वाहिस उसने कई बार की थी वो वो लोग उसे घसीटते हुए कार की लाइट के सामने ले गए , सुनीता छटपटा रही थी ,दर्द में चिल्ला रही थी ,जमीन में बिछे कंकड़ पत्थर से सुनीता का जिस्म छिलता चला गया लेकिन आज उसके दर्द की परवाह किसे थी , आज तो हवस की आग ने सभी को शैतान बना दिया था

"साड़ी खोल इस रंडी की "

एक आदेश और जैसे सभी को बस इसी की तलाश थी , सभी एक साथ उसपर झपट पड़े और उसके जिस्म का हर कपडा उतार फेका।

बारिश को भी ना जाने क्या हो गया था , वो और भी तेज हो गयी थी , हवाएं तेज होने लगी थी सभी का जिस्म ठण्ड से कांपने लगा था लेकिन परवाह किसे थी , शराब का नशा और जिस्म की आग दोनों ने सभी को पागल बना दिया था , सुनीता बस किसी मुर्दे के जैसे पड़ी हुई थी और बारिश की बुँदे उसके शरीर को भिगो रही थी ,

सभी कुत्ते उस मांस से भरे जिस्म को देखकर अपनी लार टपका रहे थे और उस मांस को नोचने के लिए तैयार हो रहे थे , सुनीता के जिस्म पर हर जगह उनके हाथ और मुँह चल रहे थे सुनीता का भी विरोध ख़त्म हो चूका था , वो हालत से हार मान चुकी थी, रोना बंद हो चूका था या ये कहो की आंसू ही सुख चुके थे

तभी बिजली की एक तेज चमक से पूरा माहौल रौशनी से भर उठा और एक जोरो की गड़गड़ाहट हुई जैसे आसमान ही फट जायेगा , थोड़ी देर के लिए सभी की रूह ही काँप उठी और फिर से सन्नाटा पसर गया

“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । “

हरिया को पास ही खड़ा आंखे बंद कर कुछ फुसफुसा रहा था , सभी की निगाहे उसपर जा टिकी

"ये साला फिर से होश में आ गया मारो इसे "

मंगलू चिल्लाया

"भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥"

हरिया जोरो से गाने लगा

"महिषासुर मर्दिनी " आनंद की आवाज कांपने लगी थी

"क्या ??"

मंगलू ने आनंद को देखते हुए कहा

"ये महिषासुर मर्दिनी का स्रोत है "

आनंद फिर से कांपते हुए आवाज में बोल उठा

"तो इससे क्या होता है , मारो इसे "

मंगलू का गुस्सा तेज हो गया था लेकिन आनंद पीछे हटने लगा ,जिसे देखकर मंगलू ने अपनी पिस्तौल हरिया पर तान दी

"सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ "

हरिया और भी जोरो से बोलने लगा , कनकमंजरी छंद पर बने इस स्रोत का एक एक शब्द सभी के दिल में डर का संचार करने लगा था

तभी मंगलू ने ट्रिगर दबा दिया

"धाय " एक जोरो की आवाज गूंज उठी गोली सीधे हरिया के कंधे पर लगी थी , लेकिन वो खड़ा था रहे कोई पर्वत हो

"माँ जागो माँ... जागो माँ "

हरिया रोते हुए चिल्लाया

सुनीता के कानो में ये स्रोत गूंज गया था जो मंदिर में उसका भाई रोज गया करता था , उसका मृत जैसे शरीर में जैसे ऊर्जा का संचार होने लगा ,माथे पर पसीने की बुँदे आने लगी

सभी बस आंखे फाडे हरिया को ही देख रहे थे ,सभी का ध्यान सुनीता से हट चूका था

इधर सुनीता के कानो में मंदिर वाले बाबा की बात गूंज उठी

"बेटी जब महिषासुर नाम के असुर ने खुद को ताकतवर समझ कर अत्याचार किया तब ममतामयी माँ ने अपना रौद्र रूप दिखाया "

"लेकिन बाबा माँ कहा रहती है "सुनीता ने पूछा था

"सबके अंदर माँ है बस उन्हें जानना है अब उन्हें जगाना है "

सुनीता की आंखे झट से खुल गयी थी

"माँ जागो माँ जागो, हे महिषासुर मर्दिनी जागो "हरिया रोते हुए बोला

"बहुत हुआ साले का नाटक "

मंगलू ने निशाना सीधे हरिया के सर में जमाया , वो ट्रिगर दबाने ही वाला था की

फटाक

एक डंडा जोरो से उसके सर में पड़ा और खून की धार बह गयी

बारिश तेज थी और सुनीता का भीगा हुआ जिस्म कार की रोशनी में चमक रहा था , इस ठण्ड में भी वो बारिश के पानी के साथ साथ पसीने से भी भीगी हुई थी

वो काँप रही थी

हरिया उसे देख कर अपने घुटनो में बैठ गया था

"माँ माँ, तू जाग गयी माँ "वो हाथ जोड़े रोने लगा

सुनीता ने फिर से डंडा घुमाया इस बार फिर किसी का सर फूटा ,

तब तक सभी चौकन्ने हो गए थे सभी ने दौड़ कर अपने हथियार उठा लिए , सुनीता का नग्न जिस्म अभी भी बारिश में भीग रहा था लेकिन अब किसी के हवस को नहीं जगा रहा था , वही हरिया जोरो से स्रोत गा रहा था उसने जीवन भर माँ की भक्ति की थी और आज माँ उसके सामने साक्षात् खड़ी थी वो प्रेम में मग्न हो चूका था आल्हादित हो चूका था ,

वही सुनीता का रूप और हरिया का गया हुआ स्रोत से सभी के रूह तक काँप रहे थे , सुनीता के चेहरे में कोई डर नहीं थे वो उन लोगो को गुस्से से देख रही थी और उसकी आँखों में देखने का साहस भी किसी के पास नहीं था

"मारो इसे "

एक हिम्मत करके चिल्लाया वो लोग सुनीता की ओर दौड़े लेकिन सुनीता ने घूमकर सीधे एक के गले में वार कर दिया , उसका गला ऐसे टुटा जैसे ककड़ी हो ,

सुनीता ने पास पड़े पिस्तौल को उठा लिया और 'धाय धाय '

गोली सीधे एक के सर में लगी ,बाकि के लोग ये देख कर वही रुक गए थे , आनंद हाथ जोड़कर अपने घुटनो के बल बैठा था , मंगलू जमीन में पड़ा तड़फ रहा था सुनीता ने पिस्तौल उसकी ओर की और दो गोलिया सीधे उसके खोपड़ी को तोड़ कर अंदर चली गयी।

माहौल में जैसे शमशान सी शांति फ़ैल गयी थी चार जिस्म सामने पड़े थे , एक का गाला टुटा था , दो की खोपड़ी में गोली लगी थी और एक की खोपड़ी डंडे से तोड़ दिया गया था जो अभी अभी तड़फता हुआ अपनी अंतिम साँस ले रहा था

सुनीता ने पिस्तौल की नोक आनंद पर टिका दी ,लेकिन आनंद घुटनो पर बैठा हुआ हाथ जोड़े माफ़ी मांग रहा था

";मुझे माफ़ कर दो माँ मुझसे गलती हो गयी , मैं हवस की आग में अँधा हो गया था मुझे माफ़ कर दो "

वो रो रहा था , सुनीता को सेठानी की याद आ गयी आनंद उनकी एकलौती औलाद थी।

थोड़ी देर तक वंहा बस सन्नाटा पसरा रहा

गोलियों की आवाज सुनकर वंहा मंदिर वाले बाबा भी आ गए थे , बिजली की तेज गड़गड़ाहट ने उनकी नींद खोल दी थी फिर गोली की आवाज सुनकर वो दौड़ पड़े थे,

****************

"मेरे बेटे की गलती के लिए मैं क्षमा मांगती हु बेटी "

सेठानी सुनीता के सामने रो रही थी ,4 मौते हुई थी लेकिन सेठ जी के पैसे और मंदिर वाले बाबा के दिमाग से इसे महज 4 लोगो का झगड़ा बना दिया गया था जिसका चश्मदीद गवाह खुद आनंद था , पुलिस से कहा गया की सुनीता और हरिया तूफ़ान के कारण मंदिर में ही रुके थे क्योकि उनकी झोपडी तूफान में बर्बाद हो गयी , वो लोग नशे में थे और वंहा सुनीता का बलात्कार करने ही आये थे आनंद ने इन सबका विरोध किया था लेकिन वो उसे भी जबरदस्ती वहाँ ले गए और वंहा पहुंचकर सब के बीच झगड़ा हो गया सभी एक दूसरे से लड़कर ही मर गए ,

सभी को पता था की सच क्या था लेकिन किसी ने भी इसपर आपत्ति नहीं जताई , ऐसे भी सभी मंगलू के उत्पात से परेशान थे ,

सेठानी को ये सब सुनकर दर्द तो हुआ वो आनंद को सजा देना चाहती थी लकिन वो उनका एकलौता बेटा था पुत्र मोह में बेचारी के पास बस सुनीता से माफ़ी मांगने के अलावा कोई रास्ता भी बचा था

"छोटे सेठ जी ऐसे नहीं है सेठानी लेकिन उन्हें बहका दिया गया था , शायद शराब का नशा , हवस की आग और जिस्म की चाह आपके दिए संस्कारो से ज्यादा ताकतवर निकल गए "

सुनीता ने अपने दिल की बात उन्हें कह दी , आनंद हमेशा से सुनीता को पाना चाहता था लेकिन सुनीता जानती थी की वो इतना भी गिर नहीं सकता था की सुनीता का बलात्कार कर दे , वो उसे पैसो का लालच दे चूका था हर समय उसे छेड़ता रहता था ,लेकिन फिर भी सेठानी के संस्कारो से बंधा हुआ था

सुनीता की बात सुनकर सेठानी ने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा उनकी आँखों में आंसू थे

*****************

एक साल बाद

सुनीता की शादी एक अच्छे घर में हुई , पूरा खर्च सेठ जी वहन किया था

सुनीता आज लाल जोड़े में दुल्हन बनी बैठी थी तभी हरिया वंहा आया

"देखो भईया आखिर मेरी शादी हो गयी ,और अब तुम्हारी बारी है "

सुनीता ने हरिया को छेड़ते हुए कहा जिसे सुनकर वंहा बैठे सभी हँस पड़े

"मैं मंदिर छोड़ कर कही नहीं जाऊंगा "

"अच्छा और मुझे छोड़कर ?"

सुनीता के आँखों में पानी था

"तुम तो हमेशा मेरे साथ रहती हो ,उसी मंदिर में मेरी माँ के रूप में "

हरिया की बात सुनकर सुनीता ने उसे अपने गले से लगा लिया

वही

मंदिर में आनंद हाथ जोड़े खड़ा था

"माँ , मुझे समझ आ गया है की हर औरत तेरा ही रूप है , तू ही सबमे है ,जिस्म का भोग महज मन का वहम है , अगर मन हवस के अधीन हो तो जिस्म भोग की वस्तु लगती है लेकिन तेरा प्रेम हो तो सबमे बस तू ही तू है "



समाप्त

 

Chutiyadr

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Gand ka showroom

Bokachoda universe ke chitiyapa grah ke gandiyaapa desh me aaj utsaw ka mahol tha ..

Baat Dr. chutiya sanwat 2000 ki hai jab pura gandiyaapa desh mahan philosopher Dr. chunnilal Tiwari yarwada wale urf Dr. chutiya ki 2000 vi Jayanti mana raha tha , unke samman me samay ko ab unke janm ki tarikh se mapa jata tha , aur ise Dr. chutiya sanwat ke naam se jana jata tha :lol1:

Aaj unke 2000vi Jayanti ke uplaksh par pure desh me unke visions ko dhyan se rakhte hue desh ke raja ne deh vyapaar ko kisi bhi dukano me karne ki manyata de di..

Is bat se kai karobari bahut hi khush the , ab deh vyapaar par tax bhi kam lagne wala tha ….

Isi khushi ke mouke par seth karmchandani mulchandani ke dimag me ek fadu wala idea aaya …….

Mulchandani seth gand ke bade soukin the , of course mahilao ke :D

bade bade , taje taje , gore gore , mote mote ,narm narm , mast malaidar gand dekhkar seth ji ke muh me pani aa jata tha ..

lekin dikkat ye bhi thi ki gand mahange bahut the , sath me chut bhi leni padti thi …

seth ji ne naya startup shuru karne ki soch li thi , sarafa market me janha unke sone chandi ki dukaan thi wahi baju me hi ek bada sa show room dalne ke liye unhone lone apply kar diya ..

sarkaar deh vyapar ko samarthan kar rahi thi aur tax kam bhi kar diya tha to ummid thi ki lone bhi kam byaj daro me mil jayega …

lone pass hote hi unhone akhbaro me taje naye gando ke liye vigyapan nikaal diya aur kuchh hi mahino me desh ka pahla official gand ka show room seth karmchandani mulchandani ke naam se khul gaya …

showroom ki tej light raat ko aur bhi Suhani lagti thi , ye showroom 24 ghate khulta tha,lekin sham ko rounak jyda hoti thi tej light me mahilaye aur ladkiya nangi hokar apne mast mast gando ka pradarshan kiya karti thi, log bhi dur dur se aisi nirali gande dekhne pahuch rahe the , kuchh bahut hi famous gando ki to boliya bhi lagai jati thi to kuch ka rate fix kar diya gaya tha , to kuchh bechari gande discount me bhi bik jaati thi ..

ab kuchh unhe raat bhar marne ke liye kharidate to kuchh soukin mahino ke liye to kuchh garib log bas chhukar bhaag jate aur bathroom me hila lete ..

aisa hi ek garib insan raju bhi tha , raju ki maa sarita bhi mulchandani ke showroom ki ek gand thi, raju ka baap apni puri kamai shahar ki famous rand ke pichhe luta chuka tha aur fir karj me ghir gaya jiske karn uski hatya kar di gayi thi , ab bechari sarita ko apne pati ke kukarmo ki saja apni gand bech kar chukani pad rahi thi , aise jis basti me wo log rahte the wanha aisi kai aourate thi jinko jism bechane ka dhandha karna padta tha, raju ab jawan ho chuka tha aur uska ling abhi abhi kuchh jyda hi sanvedanasil hone laga tha , aise to is desh ke log jawan hote hi chudai karna shuru kar dete the lekin raju 21 ka hone ke bad bhi abhi tak chudai ke maje se marhoom tha , uska karn uski garibi hi thi ,bechari sarita bhi uske liye koi chud ya gand nahi kharid payi thi , aur raju tha itana chodu ki koi ladki use bhaw bhi nahi deti thi ..

apne bete ke isi dukh ko thoda kam karne ke liye sarita use apne sath showroom me le jati thi ,taki mahangi gando ko dekhkar hi uska beta kam se kam hila kar thanda ho jaye ..

“are sarita fir tera beta aaj toilet me khada khada hila raha tha , kuchh kar uska , koi bhuddhi gand hi dila de seth ji se kahkar , rate sasta laga denge tere liye “

Safai karne wala ,sarita ko ye bolkar chala gaya , ye sun sarita ka man bhi thoda udaas ho gaya tha ..

“kya hua fir se raju ke liye dukhi ho ..??”

Laila bol uthi , laila is showroom ki sabse mahangi gando me ek thi jiski boli lagayi jati thi , abhi wo mahaj 22 sal ki thi aur raju ke hi basti me rahti thi raju ke sath kheli bhi thi lekin gym jakar aur gym wale bhaiya ka tagad wala ling le lekar usne apne gand ko aise shape me dhal liya tha ki aaj uski kimat asaman chhune lagi thi ..

“ha ri dekh na bechara aaj bhi hila hi raha hai ,main use ek budhhi chut bhi kharid kar nahi de sakti “ sarita ke ankho me ansu aa gaye the , laila sarita ko bahut manti thi wo uske baju me jakar baith gayi ..

“are mousi aap chinta kyo karti ho wo khud jab kamane ke kabil ho jayega to uski shadi hi karwa dena permanent jugad ho jayega “

Laila ki bat sunkar wanha khadi kuchh aur ladkiya hans padi

“tab tak bechara bas hatho se hi hilayega “ladkiya hans padi jisse sarita ka man aur bhi dukhi ho gaya tha ..

“are mousi kyo sunti ho in logo ki , dekhna ek din hamara raju in logo ki hi marega “

Laila ne sarita ko khus karne ke uddeshy se kaha

“are sarita tu hi de dena apne bete ko “ ek budiya sarita ko chidhate hue boli

“chhi chhi kaisi bat karti ho kaki aap … itane kharab din bhi nahi aaye hai ki mujhe hi apne bete ke samne letna pade “

Uski bat sunkar budiya ke chahre me ek muskaan aa gayi

“are laila tu kyo nahi de deti raju ko “ budiya ki bat sunkar laila ka dimag hi chad gaya

“ye budiya kya bak rahi hai , janti hai na meri gand ki boli lagti hai, dollar me kamati hu main , 1 bhosidian dollar ki kimat 100 gandiyan rupee hai janti nahi kya … aur tu hi de de na apni gand aise hi koi leta to hai nahi discount me dena padta hai “

Laila ki bat sunkar budiya bhadak gayi akhir kabhi wo bhi top ki randi hua karti thi lekin ab budhape me bechari ko ynha discount wali gand bankar rahna pad raha tha ..

Dono ke jhagde ko sarita ne shant kiya

“aisa nahi kahte laila kaki bhi kabhi top ki randi hua karti thi , budhape ne bechari ko aisi halat me la diya hai , tu abhi dollar me kamayi karti hai , fix deposit aur mutual fund me invest kar ke rakh le warna budhape me ham jaisiyo ka bura hal ho jata hai “
sarita ke samne apna bhawisy aa gaya , abhi wo ek fix rate wali gand thi uper se raju ki jimmedari , bechari itana bhi nahi kama pati thi ki budhape ke liye kuchh bacha paye do waqt ki roti aur ek waqt ki chicken aur daru me hi sab khatm ho jata tha , yahi soch kar usne ek bar wanha lage bade se taswir ko dekha jisme Dr. chutiya ek sihasan me baithe hue the aur unke ek or unki secretary miss marry aur dusari or unki shishya Kajal khadi thi , badi hi bhaw vidhor hokar wo hath jodkar khadi ho gayi,

“Dr. sahab aaj koi aisa grahak dilwana jo dheere dheere kare aur tip bhi dekar jaaye “ ye bolkar wo apne jagah me chale gayi ..

Subah raju bada khus dikhai de raha tha , apne bete ko khus dekhkar sarita ne puchh hi liya

“aaj bada khush dikhai de raha hai beta “ sarita ki bat sukar raju thoda sharma gaya

“aaj wo , wo laila ne mujhe apni gand chhune di “ raju bade hi sharmate hue bola,

Ye sunkar sarita ko bada hi ashchary hua lekin sath hi sath laila ke liye use bada hi pyar aaya , usne apni itani mahangi gand raju ko bas dosti ke khatir hi chhune de di ..

Aaj sarita bhi khus thi kyoki use aaj kai grahak mile the aur sath hi sath achche tip bhi , use yaad aaya ki agle saptah raju ka birthday bhi hai , wo uske is birthday me koi thik thak wali chut ya gand kam se kam ek rat ke liye raju ko gift de degi ..

Sarita ne thode paise bacha ke rakhe the … usne wo paise fir se gine ..

****************

“are mousi aaj to raju ka birthday hai na “

Laila khush hote hue boli

“ha ri soch rahi hu ki aaj use koi fix rate wali chut dilwa du 1 rat ke liye “

“wow mousi ye to badiya bat hai , aise paise kam ho to dalal street me discount rate wali mil jati hai thik thak hi rahti hai “

Laila ki bat sunkar sarita hans padi ,

“nahi beti thik hai , thode paise jama kar rakhe the maine , aur tera sukriya tu mere bete ko chhune de deti hai , jabki teri gand ki boli to dollar me lagti hai “

Sarita thoda emotional ho gayi

“kya mousi aap bhi raju mera bachpan ka dost hai aur aapne mujhe hamesha apni beti jaisa pyar diya , main to use marne bhi de deti lekin kya karu … aap samjh sakti hai dosti apni jagah aur dhandha apni jagah “

“nahi nahi beti main sab samjhti hu , tune itana kar diya ye kya kam hai “

******************

Aaj sarita bahut khus thi ki aaj wo apne bete ko surprise degi ..

Wo dalal street se ek chut rat bhar ke liye leti hai , koi 30 sal ki ladki thi wo, dikhane me bhi sunder thi , sarita ne use achche paise diye the jo usne kai dino se jod kar rakhe the , wo apne bete ko gift dekar kaam me jana chahti thi ..

“happy birthday raju dekh main tere liye kya layi hu “
“happy birthday raju …” sath aayi ladki bol uthi , lekin raju use dekhkar khus na hua

“ye kya hai maa “

“beta ye tera gift hai ..”

“lekin maa iski kya jarurat thi ?? aur iske paise ”

“are beta maine kai dino se tere liye jode the , akhir tu bhi ab bada ho gaya hai tujhe bhi chudai ka maja milna chahiye na, kab tak tu yu hi hilata rahega “

Sarita ki bat sunkar raju ki ankho me ansu aa gaye , uski maa usse itna pyar karti thi usne kabhi socha bhi nahi tha , uski maa apne daru aur chicken ke paise bacahti rahi sirf use ek chut dilane ke liye , wo rota hua apni maa se lipat gaya

“thank you maa, aap bahut achchi ho, lekin “

“lekin kya bete ??”

“mujhe sirf ek hi chut aur ek hi gand chahiye “

Raju ki bat sunkar sarita ashchary me pad gayi

“ye kya bol raha hai tu “

“ha maa mujhe bas laila ki chut aur gand chahiye , main usse pyar karta hu “

Raju ki bat sunkar jaise sarita ke pairo se jamin hi khisak gayi ..

“beta ye kya bol raha hai , janta hai ki uski gand kitani mahangi hai , aur chut to … he bhagwan .. beta ye pyar wyar to amiro ke karne ki chije hoti hai ham garibo ko to jo mil jaaye usi me khus rahna chaiye “

“nahi maa mujhe laila se pyar hai aur ager main karunga to bas laila ke sath hi warna nahi …”

“beta jid nahi karte , laila ki lene ke liye to hamara ghar baar sab bik jayega lekin ek rat ke liye bhi wo nahi milegi “

Sarita ki bat sunkar raju ke hotho me ek fiki si hansi aa gayi , usne apni maa ke chahre par apna hath rakha

“maa tu fikar mat kar main ek din itana bada adami banunga ki laila ki gand kharid saku , aur tujhe is daldal se nikaal saku “

Sarita ki ankho me anus aa gaye the , wo bas apne bete ko nihar rahi thi uska beta naa jane kab itana bada ho gaya tha , usne kaskar apne bete ko apne gale se laga liya aur rone lagi , maa ke man se apne bete ke liye lakho duwaye nikal rahi thi ..

“Dr. chutiya teri manokamna puri karenge beta bas tu mehnat kar “

Sarita ne bade pyar se raju ke balo ko sahlaya ….

**********************

1 sal bad karmchandani mulchandani ke gand ke showroom me halchal machi hui thi ..

Showroom ki sabse mahangi aur jandaar gand laila kai dino se gayab thi, log bar bar uski farmayis karte the lekin mulchandani bhi kya karta uski jagah dusari ladki ki jugaad me laga hua tha ..

Sarita ko bhi laila ki fikar hone lagi , aur kaam khatm hone ke bad wo laila ke ghar pahuch gayi

“itane dino se kaam par kyo nahi aa rahi ho “

“kya batau mousi mera to jivan hi barbad ho gaya hai “

Laila ka gala bhar gaya tha , sarita ne jaldi se use apne banho me bhar liya

“kya hua meri bachchi “

“mousi mujhe babasir ho gaya hai , wo bhi khooni …”
laila ki bat sunakr sarita ko aisa laga jaise bijali gir gayi ho..

“kya??? “ wo buri tarah se chouki , wo janti thi ki unke dhande me iska kya matlab hota hai , laila rone lagi thi wahi sarita ko bhi bahut hi dukh ho raha tha ..

“he Dr. chutiya ye kaisi leela hai teri, kya tune isi din ke liye dharti me rahne walo ko is grah me basaya tha , tumne to equality ke sapne dikhaye the , kaha tha ki sabhi ko barabar chudai milegi, pyar failega .. lekin dekh tere banaye is samaj ka aaj kya haal ho gaya hai , kisi ke pas chut nahi hai to koi gand marne ko taras raha hai , pyar to mahaj majaak ki chij bankar rah gayi hai , aourato ka jism bas chut aur gand ban kar rah gaya hai , aur barabri ki bate … wo to bas teri kitabo me hi simat gayi hai … jo amir hai wo aur bhi jyda amir ban raha hai aur ham jaise garibo ki jindagi nark ban kar rah gayi hai , ham apna jism bechate hai taki pet ki aag bujha sake , lekin ye sharir .. ye sharir akhir kab tak sath dega , rojgaar nahi hai ,aurat randiya aur mard gigolo ban kar ghum rahe hai , chut aur land ke is samaj me pyar ki paribhasha bas chudai ban kar rah gayi hai , tune isi liye ye duniya basai thi …

Is bechari ne kya jurm kiya tha ki ise aisi saja mili ..”
sarita laila ko pakad kar joro se rone lagi thi …..

**********

Kuchh hi dino me mulchandani ne achche dr se operation karwa kar laila ka babasir thik kar diya lekin ab tak bat fail chuki hi, aur laila ki boli lagane wale na ke baraber ho gaye the wahi kai dusari ladkiyo ka rate badh raha tha ,

“lila ab time aa gaya hai ki tumeh fix rate wali gand bana diya jaye “ mulchandani ne laila se kaha , wanha sarita bhi moujud thi lekin wo bechari kya kahti

“kya bat kar rahe ho seth ji , main ynha ki top ki gand hua karti thi, kuchh to bharosha rakho “

“dekho laila tumne mujhe bahut kama kar diya hai , lekin ab .. ya tum kisi dusare dukan me apni chut bech sakti ho lekin ab gand ka to yahi rate milega “

Seth ki bat sunkar laila rone lagi , sarita ne use chup karwaya

“dekha mousi aap sahi kahti thi ye duniya bahut hi matlabi hai , jo gand kabhi dollar me bika karti thi aaj use fix rate me dala ja raha hai wo bhi mahaj chand rupye ke liye “

Sarita laila ka dukh samjh sakti thi , lekin kya kare bhagya ki yahi maya thi , achank se sarita ko kuchh yad aaya …

“tu seth se bol ki bas kuchh din ke liye tere gand ki boli lagwa le fir fix rate karwa lena “

Laila ne bade hi ashchary se sarita ko dekha lekin fir ha me sar hila diya ..



Boli lagni shuru hui aaj laila ki gand me koi bhi interest nahi dikha raha tha koi 100 rupee kahta to koi 150 fir achank se ek awaj aayi

“100 dollar “ sabhi ki najar get ki taraf thi , tip tap ke kapde pahna ek shakhs ander aaya tha , use dekhkar laila samet wanha moujud kai logo ki ankhe chamk gayi thi , mahol me ajib sa sannata chha gaya tha ..

“are babasir wali gand ke 100 dollor pagla gaye ho kya babu “ ek hamesha aane wala grahak bol utha

“babasir kabhi hua tha ab nahi hai , aur Dr. chutiya ne kaha hai gand kaisi bhi ho gand hoti hai , kasi hui , malai ke jaisi narm aur gaddedar gand sarwottam hoti hai , kya laila ki gand aisi nahi hai … ha wo aisi hi hai , to tum logo ne uska rate itana kaise gira diya .. ye Dr. chutiya ke rule ke khilaf hai , waise bhi main to is chhed ke liye babasir ke rahte hue bhi apni puri doulat luta deta , kabhi uski gand sunghi hai , kabhi pyar se chhuwa hai is gand ko .. to tum kya jano ki iski kimat kya hai “

Us shakh ki ankhe laila ki ankho se mili , laila ki ankho me paani tha , kabhi wo dost ki tarah jise apni gand chhune deti thi aaj wahi shakhs uske samne khada uski gand ki tareef kar raha tha , laila bhaw se bhar gayi thi uski ankho me paani aa gaye the ..

“raju “ usne halke se kaha , tabhi ek thoda mota sa aadami khada hua aur laila ke pas pahucha aur uske gand ko chhune laga ,

“humm malaidar to hai “ usne apne sath aaye ek dusare adami ko dekhkar kaha

“to laga dijiye boli hajur “ pas hi khade mulchandani ne us shakhs se kaha

“thik hai mere 200 dollar “

Sabhi ki najare us mote se adami ki taraf chali gayi jiski shakl sabhi pahchante the aur jiske samne mulchandani hath bandhe khada tha , asal me ye shakhs koi aur nahi balki gand marne ke behad hi soukin ,is desh ke sabse rahis aur duniya ke sabse rahisho me se ek tukesh chandaani ji the …

“500 dollar “ raju joro se bol utha

Tabhi tukesh chandaani ke sath aaya shakhs raju ke pas pahuch gaya

“tu pagal ho gaya hai kya janta nahi ki ye koun hai “

Raju ke chahre me ek smile aa gayi

“jo bhi ho mujhe koi fark nahi padta lekin laila ki gand aaj rat mere bister me hogi “

Raju ka confidence dekh kar ek bar tukesh bhi muskurane laga

“5000 dollar “ tukesh ne sidhe 10 guna rate badha diya tha , aur isi ke sath wanha khade sabhi ke mathe par pasina aa gaya ..

Sath hi sath raju ke bhi , itane me to koi vargin gand ya fir kisi filmy model ki gand bhi mil jati thi ..

Raju ki halat dekhkar tukesh muskuraya

“10 hajar dollar “

Raju ne apne jigar ko majboot karte hue kaha , rate bahut hi badh chuka tha , ye rate to film ke stars ke gand ki hoti thi …

Aaj tak kisi gand bechane wali ko puri duniya me ek raat ke itane paise nahi mile the ..

Sabhi ki najar raju par hi tik gayi thi , mulchandani aur laila ke ankho me chamak aa gayi thi , ab to chandaani bhai bhi soch me pad gaye the , wo ek businessman the aur apne jivan me kabhi unhone koi galat deal nahi ki thi , muft me bhi bantkar paisa kamane wale shakhs the :hinthint2:

Lekin ye deal kuch galat ja rahi thi , itana paisa ek aam gand ke liye wo bhi sirf ek rat ke liye , wo soch me pad gaye , unke sath aaya shakhs bhi chintit tha shayd wo unka secretary tha ..

“aisa kya khas hai is gand me ..” tukesh ne raju se kaha

Raju ne ek bar laila ko dekha aur fir ek najar apne maa par dali wo bade hi garv ke sath use dekh rahi thi ..

“chut to koi bhi marta hai chandaani sahab lekin gand soukin hi marte hai , aur souk ki koi kimat nahi hoti … aoukat hai to kharid lo warna jao ynha se “

Raju ne aise swar me kaha tha ki chandaani ki hi gand jal gayi thi , ek chhota sa aadami itane rahis shakhs se aise bat kar raha tha …

Chandaani gusse me lal ho gaya tha

“50 hajar dollar “ tukesh chillaya

Raju ke to jaise hosh hi ud gaye the , wo pasine se naha chuka tha , wo dhadaam se wahi sofe me gir gaya , chandaani uski dasha ko dekhkar muskuraya tha , raju ke hotho se koi bhi shabd nahi fut rahe the lekin tabhi ……..

“1 lakh dollar “ ek damdar aawaj kamre me gunj gayi ..

Sabhi ki najare us or gayi , ab to chandaani ke mathe par bhi pasina aa gaya tha ..

Ye koi aur nahi balki ek tel se bhare desh ka koi prince tha koi shekh tha , duniya me gand ka sabse soukin aur desh vidhesh me ghum ghum kar gand marne wala shakhs .. mulchandani ne use especially invite kiya tha taki wo use is desh ki sabse badiya virgin gand dila sake , lekin ynha to kamaal ho gaya tha duniya ke do bade gand premi raju ki manpasandida gand ke pichhe lage hue the , wo bhi us gand ke jisme kuch din pahle babasir hua pada tha …

Shekh sahab abhi tak bas chandaani aur raju ki bat sun rahe the lekin ab wo bhi is deal me khud pade the

“shekh sahab aap , ye kimat to bahut hi jyda hai “ chandaani bol pada , ye aaj tak ke itihas ki sabse mahangi gand hone wali thi ..

Laila chandaani ko chidhate hue apni gand hilane lagi

“are chandaani sahab is ladke ne sahi kaha , gand marna soukino ka kaam hai , aur soukin paise nahi dekhte .. aise bhi kuchh to bat hogi is gand me jo ye ladka apni puri doulat lutane par tula hua hai “

Shekh ki bat sunkar chandaani ne ek gahri sans li , wo ab is deal me harna nahi chahta tha kyoki ab bat gand ki nahi balki ego ki aa gayi thi ..

“10 lakh dollar “ chandaani bol to gaya lekin uska gala sukh chuka tha ..

Sabhi log aise baithe ye sab dekh rahe the jaise end game ka climax dekh rahe ho, logo ke rongate bhi khade ho chuke the ..

“20 lakh dollar “ is bat chillane wala raju tha , pata nahi use kaha se aisi shakti mil gayi thi , sabhi raju ko hi dekhne lage ..

Sarita ne naa me sar hilaya lekin raju ne ankho se use ashwashan diya ki sab thik hai..

Ye sab baitha sekh dekh raha tha , wo muskura utha

“50 lakh dollar …” is bar ek gahra sannata kamre me chha gaya tha , koi bhi kuchh bolne ke halat me nahi tha , mulchandani ko to apne kismat par bhi bharosha nahi ho raha tha , wahi raju baitha baitha rone laga , tukesh chandaani uth kar khada ho chuak tha , wo aise bhi ye deal bahut mahange me kar raha tha lekin ab uska business mind usse kah raha tha ki iske uper boli lagana yani khud khushi karne jaisa hi hai , wo apna pasina pochhate hue wanha se nikal gaya ..

Bat saf thi ki laila ki gand aaj rat ke liye shekh ki thi ..

Shekh apni vijayi muskaan liye raju ke pas aaya jo ki bilkul hi tut chuka tha

“kyo bachche isse pyar karte ho “

Raju ne sar hilaya to shekh joro se hans pada

“mujhe laga hi tha , koi bat nahi tumhare pyar ka main achche se khyal rakhunga “

Shekh ne laila ko dekhte hue apna ling masala ,raju ne apna sar uthaya uski ankhe lal thi , wahi laila aur sarita dono ki hi ankho me paani tha ………….

****************

2 din bad

“kamal hi ho gaya bhai ,50 lakh dollar , itana to maine bhi nahi socha tha “

Daru ki botal hath me liye mulchandani khushi se jhum raha tha

“dekha, tum sabhi kahte the ki mera beta raju kisi kaam ka nahi hai aur aaj dekho iske karn tum log karod pati ho 50 lakh bhosadiyan dollar matlab 50 crore gandiyan rupee .. jindagi set ho gayi .. jai ho Dr. chutiya maharaj ki “

Sarita jhum uthi thi …

“hamare khate me kitana aayega ..” raju jo abhi hath me daru liye baitha tha aur laila uske god me baithi thi wo bol pada

“itana aayega mere raja ki tere maa ko kabhi dhandha karne jarurat nahi padegi aur tu jivan bhar mahangi gand aur chut marta rahe to bhi paisa khatm nahi hoga “laila ne apni gand raju ke ling me masal di ,

“aah mujhe to bas teri hi chahiye “

Raju ka pyar dekhkar laila ne uske chahre ko pakd kar apne hoth uske hotho me daal diya ..

Jise dekh kar mulchandani aur sarita dono hi hans pade ..

“chalo seth ab hisab kar le “

“ha deal ke hisab se 20-20% laila aur raju ko milenge aur 60% mujhe to is tarah se raju aur laila ko 10-10 lakh dollar milega aur baki ka mujhe .. aur sarita bahan kamaal hai tumhare dimag ka ki tumne ye plan banaya , sekh bhi hamare desh aaya tha aur tukesh chandaani bhi abhi yahi tha tumne sahi samay me dono ki nabs pakd kar unko ynha bulawa kar unke ego par waar karwaya .. wah maja hi aa gaya “

Mulchandani ki bat sunkar sarita muskurai

“kya karu seth maa ka dil hai mera , mere bete ko sabhi log nakara kahte hai , bechare koi aaj tak kabhi chut aur gand chodane nahi mili , jab maine dilane ki koshis ki to pata chala ki use laila ki hi gand se pyar hai , ab laila ki gand pana to uske aoukat ke bahar thi … wahi bechari laila ke sath bhi hadasha ho gaya babasir ne to is kachche umra me hi uska pura career hi khatm kar diya , wo mere beti ke jaise hai …

Mujhe kai randiyo se is shekh ke bare me pata chala tha ki ise dusaro ko dukh dene me maja aata hai khas kar jo couple pyar me ho unhe juda karne me use bahut maja aata hai , aur tukesh chandaani ko uksana bhi kathin nahi tha , ha lekin wo itana jyda boli laga dega ye maine nahi socha tha, shayd wo raju ke sachhe pyar ke karn hi ho paya ki tukesh ko uski bat chubh gayi aur shekh ko uske pyar par pura bharosha ho gaya … jo bhi ho mere bachcho ki jindagi ban gayi “

Sarita ne apne ankho se ansu ko pochhate hue kaha..

“ha sarita bahan , aur meri bhi jindagi ban gayi , ab to pure duniya ki sabse badi gand ki showroom kholunga aur sirf VIP clients ke liye “
“ lekin seth ji aisa karne par bechari sasti randiyo ka kya hoga, akhir unki pet ki aag bhi to apne jism ko bechkar hi mitati hai “

Sarita ki bat sunkar seth muskuraya

“ab mujhe dhandha ka raaj samjh aa gaya hai sarita bahan .. sasti aur mahangi kuchh nahi hota , bas hota hai packaging aur marketing ka khel , aur logo ke ego ko uchhkane ke tarike …

Log us chijo ke paise nahi dete jinki unko sach me jarurat ho lekin unke paise dete hai jinka unhe souk ho ya jarurat bana di gayi ho .. isliye to aaj kisaan garib hai jabki anaj sabse jaruri chij hai lekin wahi mobile aur software bechane wale itane amir ho gaye hai , jabki logo ki inki koi bhi jarurat nahi hai ..

Aur log rod me rakhi saksti aur saaf chijo ko shopping mal me jakar mahnage me kharidate hai bas marketing aur packaging ke karn, paani jo free me milta hai aur taja milta hai use bottle me bhara hua kai din ka purana pite hai , saf si chij hai ki log chutiye hai to unhe chutiya banakar paise kamna koi galat nahi hai , jis desh me log sanwale rang ke janm se hi paida hote hai wanha par ye log gore karne wali cream bech kar arabo ka karobar khada kar chuke hai , socho aaj tak ek adami isse gora nahi hua lekin fir bhi log ise lete hai ,sochane wali bat hai lekin ise hi kahte hai marketing , ab main buddhih gando ko milf kahkar, aur babasir wali gando ko extra tight kahkar , fati hui gando ko extra flexible kahkar becha karunga, bas tag achcha laga do sala kuch bhi mahange me bik jata hai :lol1:

Seth ji ki ankho me chamak aa gayi thi ..

“ji seth ji paise aap hi kamao main to apne bachcho ke sath kahi dur jakar kheti karungi , jaise Dr. chutiya ne mere bachcho ka bhala kiya waisa sabka kare …”



Is tarh se ye katha samapt hoti hai ?

Moral of tha story-


  • jago grahak jago
  • ego wale log hamesha chutiya hi banaye jate hai
  • pyar me chodu aadami bhi kabhi kabhi bahut hi bade kaam kar jata hai :lol1:
  • aur kitana moral dhundhoge yaar ab jakar review likho
the end
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,534
31,893
244
हवस से प्रेम तक

डराने वाली रात थी , पास में बहती हुई नदी भी डरावनी लग रही थी , बारिश तेज होने लगी और दोनों का जिस्म उस बारिश में बुरी तरह से भीग चूका था ,

तूफ़ान की तेज हवाओ ने पूरी झोपड़ी को ही तहस नहस कर दिया था , फिर भी हरिया और सुनीता ने हिम्मत नहीं हारी थी , वो जैसे तैसे एक पेड़ का सहारा लेकर अपने आशियाने को बर्बाद होता देख रहे थे, सुनीता के पास यही तो बस एक साड़ी थी जो उसे पिछले साल सेठानी जी ने दी थी , पुरानी साड़िया भी झोपड़े के साथ हवाओ में उड़ चुकी थी, लेकिन अब भी सुनीता को उन साड़ियों की नहीं बल्कि अपने मंदबुद्धि भाई की चिंता थी जो उसके पास खड़ा हुआ काँप रहा था।

"तू ठीक तो है ना हरिया ?"

हरिया कांपते हुए अपनी बहन के निकट आया और उसके जिस्म से चिपक गया , सुनीता ने भी अपने भाई को अपने जिस्म से चिपका लिया और वही पेड़ के निचे सिमट कर बैठ गई।

"सुनीता ये तूफान कब रुकेगा ,और हम अब कहा रहेंगे "

हरिया के प्रश्न ने सुनीता के दिल को दहला दिया था

ऐसे तो हरिया उससे उम्र में २ साल बड़ा था लेकिन बचपन से ही मंदबुद्धि का था , उनकी मानसिक उम्र किसी बच्चे की तरह थी ,सुनीता का बाप तो बचपन में चल बसा था और माँ ने भी ज्यादा साथ नहीं दिया, सुनीता अभी जवान ही हुई थी की उसकी माँ ने भी उसका साथ छोड़ दिया और साथ छोड़ दिया हरिया की जिम्मेदारी।

जिस उम्र में वो नए सपने बुनती और अपना घर बसती उस उम्र में वो लोगो के घरो में काम कर अपने और अपने भाई का गुजरा करती थी, गांव के बाहर एक छोटा सा झोपड़ा उसकी माँ ने बनाया था बस वही सुनीता का सहारा था ,भाई तो बस पास के ही माता के मंदिर में पड़ा रहता वंहा रहने वाले बाबा की सेवा करता और बदले में वो उसे कुछ खाने को दे देते।

ऐसे गांव के लोग सुनीता के दर्द को जानते थे , उसकी सेठानी जी भी उसे खाने पिने का सामान देती रहती थी लेकिन जंहा अच्छे लोग होते है वंहा बुरे भी तो होते है , और सुनीता की जवानी भी तो ऐसी थी की किसी भी मर्द में हवस की चिंगारी को आग बना दे।

इन्ही में एक सेठ का बेटा आनंद भी था,सेठानी को भी पता था की आनंद दिन भर सुनीता पर डोरे डालता है, उसे छेड़ता है लेकिन सेठानी के रहते आनंद की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो सुनीता से कोई बत्तमीजी कर सके, सुनीता की जवानी को सेठानी जी ने अभी तक बचा कर रखा था वरना गांव के भेड़िये तो उस मादक जिस्म को कब का नोच कर खाने को आतुर खड़े रहते थे।

ऐसा नहीं था की उन्होंने कोशिस नहीं की थी ,लेकिन सुनीता हर बार ही बच जाती , कभी सेठानी के कारण तो कभी मंदिर वाले बाबा के कारण।

मंदिर वाले बाबा भी सुनीता के झोपड़े के पास ही पीपल के पेड़ के पास आकर सोया करते थे और काम से आने के बाद सुनीता उनके लिए खाना बना ले जाती ,अब वही उनके लिए पितातुल्य थे वो दोनों भाई बहनो को अपने पास बिठा कर कहानिया सुनाते की कैसे माँ की भक्ति से लोगो का जीवन सफल हुआ है , सुनीता के भाई हरिया को भी बस इसी का सहारा था की एक दिन माँ उनके जीवन की कठिनाइयों को भी दूर कर देगी ,

आज सुनीता के आँखों में पानी था , तूफ़ान और बारिश ने उनके एक मात्रा सहारे को भी बर्बाद कर दिया था , बाबा आज तूफान के कारण नहीं आये थे हरिया काँप रहा था ,सुनीता को डर था की कहि उसे बुखार ना हो जाये , वो उसे अपने जिस्म से चिपका कर सिमटी हुई बैठी थी,उसके मन में कई सवाल थे की आखिर उसका भविष्य क्या होगा।

जंहा ये बारिश और तूफान किसी के लिए दर्द और बेबसी का सबब बन गई थी तो वही दूसरी और कोई इसमें मौज में था

"आज तो मजा ही आ गया ,बारिश में विस्की अपना ही मजा देती है "

आनंद 4 दोस्तों के साथ अपने खेतो में बने घर में बैठा विस्की और गर्म गर्म मुर्गे का आनंद ले रहा था ,

"हा भाई लेकिन इसके साथ कोई गर्म गर्म माल भी हो जाये तो मजा दुगुना हो जाये,बारिश में किसी गदराई माल को नंगी कर दौड़ा दौड़ा कर करने का मजा ही अलग है "

सभी दोस्त हंस पड़े थे

"मुझे तो बस एक जिस्म चाहिए लेकिन साली कभी हाथ ही नहीं लगती , कितना बहलाया फुसलाया पैसे का लालच दिया लेकिन "

आनंद बस इतना बोल कर रुक गया

लेकिन उसके दोस्त समझ चुके थे की वो किसकी बात कर रहा है

"अरे तो उठा लाते है साली को "

मंगलू बोल उठा , मंगलू ऐसे भी औरतो के नाम से बदनाम था, कई बलात्कार के आरोप उसपर लग चुके थे लेकिन राजनितिक ताकत ने हमेशा ही उसे बचा लिया था ,

"अबे तुम लोग समझते नहीं मेरी माँ मुझे मार डालेगी "

आनंद की बात सुनकर सभी हँस पड़े

"साले अपनी माँ से इतना क्यों डरता है ,उस साली के ऊपर तो मेरी भी नजर है लेकिन साली हाथ ही नहीं लगती आज मौका है और दस्तूर भी है ,ऐसा गायब करेंगे उसे की किसी को पता भी नहीं लगेगा ,बोल देंगे की साली का अपने ही भाई के साथ चक्कर था "

मंगलू की शैतानी हंसी निकल पड़ी

"लेकिन मंदिर वाले बाबा ?"

आनंद अभी भी डरा हुआ था

"इस तूफान और बारिश में वो बुढ्ढा कहा पेड़ ने निचे सोने जायेगा ,रहा उसका भाई तो उससे हम निपट लेंगे , बारिश में सुनीता के भीगे नंगे जिस्म से आज रात भर खेलेंगे और उसे उठा कर मंत्री जी के फॉर्महाउस में फेक आएंगे ताकि जब मन करे तब उसके जिस्म का स्वाद ले सके "

मंगलू की बात से सभी की आंखे चमक गयी थी..

इधर

"बोल ना सुनीता अब हम कहाँ रहेंगे "

हरिया ने अपना प्रश्न फिर से दोहराया

"माँ सब ठीक करेगी भईया "

सुनीता ने अपने भाई के बालो में हाथ फेरा

"हा माँ सब ठीक करेगी , सबका करती है तो हमारा भी करेगी ,क्यों नहीं करेगी ,मैं रोज उनकी पूजा जो करता हु, वो जल्दी ही तेरी शादी अच्छे घर में करवाएगी "

अपने बड़े भाई की इस भोली बातो को सुनकर सुनीता इस दर्द में भी मुस्कुरा उठी थी ,

"मेरी शादी की बड़ी चिंता है तुम्हे "

उसने मजाक किया

"मैं तेरा बड़ा भाई जो हु आखिर तेरी शादी की जिम्मेदारी मुझपर ही है ना "

सुनीता उसकी बात को सुनकर हँसते हुए भी रो पड़ी थी।

शादी जैसी चीजे उस जैसी अभागन के लिए नहीं थी ,लेकिन वो अपने भाई को कुछ बोलकर दुखी भी नहीं करना चाहती थी ,

तभी एक कार की तेज लाइट दोनों पर पड़ी , तूफ़ान तो हम हो चूका था लेकिन बारिश अभी भी हो रही थी ,

"हाय क्या भीगा हुआ जिस्म है साली का "

एक बोल उठा सभी की नजर सामने पेड़ के नीचे बैठी हुई सुनीता पर गयी , सुनीता पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसके यौवन का हर एक कटाव उसके उस पुरानी साड़ी से साफ़ साफ़ झलक रहा था ,

"साला इस मादरचोद हरिया के ही मजे है देख कैसे अपनी बहन से लिपटा हुआ बैठा है "

एक फिर बोला और सभी हंस पड़े ,

"भाई आसपास देख लो कोई है तो नहीं "

आनंद ने डरते हुए कहा

"साले डरपोक कोई होगा भी तो क्या बिगाड़ लेगा "

मंगलू ने हाथो में अपनी पिस्तौल थाम ली थी ,गाड़ी रोक कर सभी उतर गए

गाड़ी की तेज रौशनी ने सुनीता को थोड़ी देर के लिए चौका दिया लेकिन वो जल्द ही समझ गयी की ये आनंद की गाड़ी है , एक अनजाना डर उसके मन में समा गया था

"भईया यंहा से चलो हम मंदिर में जाते है "

सुनीता तुंरत ही खड़ी हो गयी थी ,लेकिन तब तक सभी लोगो ने उन्हें घेर लिया था

"अरे मेरी रानी कहा चली ,आओ तुम्हे गाड़ी में छोड़ देते है "

मंगलू सुनीता के पास आने लगा

"तुम लोग यंहा क्या कर रहे हो "

सुनीता घबराई जरूर थी लेकिन आज तक के जीवन ने उसे थोड़ा हिम्मतवाला भी बना दिया था,ऐसी परिस्थितियो का उसने कई बार सामना किया था जब हवस के प्यासे उसके जिस्म के मोह में उसे पाने के लिए सुनीता पर दबाव बनाये ,लेकिन आज परिस्थिति कुछ लग थी आज उसने खुद को अकेला महसूस किया था , ये दिन नहीं था ये रात थी और उसे बचाने वाले उससे दूर थे ,लेकिन सुनीता जानती थी की अगर उसने हिम्मत खोई तो इसका जुर्माना उसे अपनी आबरू को लुटा कर देना होगा।

"हम तो बस तुम्हारी सलामती देखने आ गए "

किसी ने कहा

"हम ठीक है तुम लोग जाओ यंहा से "

सुनीता ने थोड़े दृढ़ आवाज में कहा ,लेकिन उसकी बात सुनकर मंगलू जोरो से हँस पड़ा था

"इसीलिए तो मैं इसे रोंदना चाहता हु ,साली के तेवर तो देखो , जब इसे रगड़ेंगे और ये चिल्लायेगी तो बड़ा मजा आएगा "

मंगलू की बात सुनकर जंहा सुनीता कांप उठी वही बाकि के दरिंदे जोरो से हँस पड़े

सुनीता की नजर आनंद पर पड़ी जो अभी भी चुप था

"सेठ जी आप कुछ बोलते क्यों नहीं , अगर सेठानी जी को ये पता चला तो "

सुनीता ने आनंद को डराते हुए कहा लेकिन उसने बस अपनी नजरे नीची कर ली

"अरे ये क्या बोलेगा इसी ने हमे यंहा लाया है "

सुनीता ने एक बार गुस्से से आनंद की ओर देखा , वो उसका जिस्म चाहता है ये तो सुनीता जानती थी लेकिन इसके लिए वो इतना गिर जायेगा ये उसने नहीं सोचा था

"मेरी बहन को अकेला छोड़ दो "

हरिया चिल्लाया लेकिन उससे सभी और भी जोरो से हँस पड़े

"साले तू जैसे अपनी बहन से चिपका हुआ था हमें भी बस वैसे ही चिपकना है "

मंगलू बोल कर हँस पड़ा ,और उसने सभी को इशारा किया

"नहीं नहीं "सुनीता चिल्लाती रही और वो लोग उसके ऊपर टूट पड़े।

बारिश और तेज होने लगी थी ,हरिया अपनी बहन को बचाने के लिए उनसे भीड़ गया

लेकन 5 लोगो के सामने उसकी एक ना चली ,उन्होंने हरिया पर डंडे से वार कर दिया ,हरिया के सर से खून बहने लगा था,लेकिन वो फिर भी भिड़ा रहा

"पहले इस मादरचोद को मारो "

मंगलू चिल्लाया और सभी ने हरिया पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए , हरिया जमीन में पड़ा बेसुध हो चूका था,मंगलू ने अपनी पिस्तौल हरिया के ऊपर तान दी

"नहीं इसे छोड़ दो "

सुनीता अपने भाई को बचाने की गुहार लगाने लगी

लेकिन हरिया ने पिस्तौल लोड कर ली

"पहले तो इस मादरचोद को मरूंगा "

मंगलू चिल्लाया

"नहीं नहीं ऐसा मत करो मैं हाथ जोड़ती हु "

सुनीता रोने लगी थी , हरिया का दर्द उससे देखा नहीं जा रहा था ,मंगलू समझ चुका था की सुनीता की कमजोरी क्या है

"अगर अपने भाई को जिन्दा देखना चाहती है तो जो बोल रहे है वो चुप चाप कर "

सुनीता के पास अब इनके बात को मानने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था

"जो बोलोगे वो करुँगी लेकिन इसे छोड़ दो "

सुनीता गिड़गिड़ाने लगी ,वो घुटनो के बल हरिया के पास ही बैठ गयी

उसी बेबसी देख कर सभी के होठो में मुस्कान आ गयी थी

मंगलू ने उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से हटा दिया ,सुनीता के ब्लाउस में कसे यौवन के उभार अब सभी के हवस की आग को हवा देने लगे थे , सुनीता अब जिन्दा लाश सी बस अपने भाई को देख रही थी जो उसे बचाने के कारण अभी बेसुध पड़ा था,

आँखों में बेबसी के आंसू थे,

अब बारिश में भीगा जिस्म ठंडा हो चूका था लेकिन फिर भी माथे पर पसीने की बुँदे आ गयी थी

"वाह सच में क्या माल है , बारिश में भीगा हुआ जिस्म चखने में मजा ही आ जायेगा "

एक बोल उठा और सभी ने अपने होठो पर अपनी जीभ फेर ली

"अभी तो आधा ही देखा है "

मंगलू आगे बढ़ा और खींच कर सुनीता का वो पुराना ब्लाउज फाड़ दिया , सुनीता का रोना और भी तेज हो गया था वो अपने यौवन से भरे वक्षो को छुपाना चाहती थी लेकिन मंगलू के इशारे पर उसके एक दोस्त ने सुनीता के हाथो को पकड़ कर अलग कर दिया और सुनीता के वक्षो को जोरो से मसल दिया

"नहीं भगवान के लिए दया करो "

सुनीता अपनी बेबसी पर चिल्ला उठी लेकिन वंहा उसकी सुनने वाला कोई भी तो नहीं था

सभी उसकी इस बेबसी पर हँस रहे थे और ना सिर्फ हँस रहे थे बल्कि सुनीता की दर्द भरी आवाज ने सभी के हवस को और भी हवा दी थी

बारिश के पानी से भीगा सुनीता का जिस्म कार की लाइट में चमकने लगा था ,बारिश की बूंदो ने उसके जिस्म को और भी कोमल बना दिया था

इधर लाओ इसे

मंगलू चिल्ला उठा अब उससे सहन नहीं हो रहा था वो उस जिस्म से अपनी हवस की प्यास बुझना चाहता था जिसको पाने की ख्वाहिस उसने कई बार की थी वो वो लोग उसे घसीटते हुए कार की लाइट के सामने ले गए , सुनीता छटपटा रही थी ,दर्द में चिल्ला रही थी ,जमीन में बिछे कंकड़ पत्थर से सुनीता का जिस्म छिलता चला गया लेकिन आज उसके दर्द की परवाह किसे थी , आज तो हवस की आग ने सभी को शैतान बना दिया था

"साड़ी खोल इस रंडी की "

एक आदेश और जैसे सभी को बस इसी की तलाश थी , सभी एक साथ उसपर झपट पड़े और उसके जिस्म का हर कपडा उतार फेका।

बारिश को भी ना जाने क्या हो गया था , वो और भी तेज हो गयी थी , हवाएं तेज होने लगी थी सभी का जिस्म ठण्ड से कांपने लगा था लेकिन परवाह किसे थी , शराब का नशा और जिस्म की आग दोनों ने सभी को पागल बना दिया था , सुनीता बस किसी मुर्दे के जैसे पड़ी हुई थी और बारिश की बुँदे उसके शरीर को भिगो रही थी ,

सभी कुत्ते उस मांस से भरे जिस्म को देखकर अपनी लार टपका रहे थे और उस मांस को नोचने के लिए तैयार हो रहे थे , सुनीता के जिस्म पर हर जगह उनके हाथ और मुँह चल रहे थे सुनीता का भी विरोध ख़त्म हो चूका था , वो हालत से हार मान चुकी थी, रोना बंद हो चूका था या ये कहो की आंसू ही सुख चुके थे

तभी बिजली की एक तेज चमक से पूरा माहौल रौशनी से भर उठा और एक जोरो की गड़गड़ाहट हुई जैसे आसमान ही फट जायेगा , थोड़ी देर के लिए सभी की रूह ही काँप उठी और फिर से सन्नाटा पसर गया

“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । “

हरिया को पास ही खड़ा आंखे बंद कर कुछ फुसफुसा रहा था , सभी की निगाहे उसपर जा टिकी

"ये साला फिर से होश में आ गया मारो इसे "

मंगलू चिल्लाया

"भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥"

हरिया जोरो से गाने लगा

"महिषासुर मर्दिनी " आनंद की आवाज कांपने लगी थी

"क्या ??"

मंगलू ने आनंद को देखते हुए कहा

"ये महिषासुर मर्दिनी का स्रोत है "

आनंद फिर से कांपते हुए आवाज में बोल उठा

"तो इससे क्या होता है , मारो इसे "

मंगलू का गुस्सा तेज हो गया था लेकिन आनंद पीछे हटने लगा ,जिसे देखकर मंगलू ने अपनी पिस्तौल हरिया पर तान दी

"सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ "

हरिया और भी जोरो से बोलने लगा , कनकमंजरी छंद पर बने इस स्रोत का एक एक शब्द सभी के दिल में डर का संचार करने लगा था

तभी मंगलू ने ट्रिगर दबा दिया

"धाय " एक जोरो की आवाज गूंज उठी गोली सीधे हरिया के कंधे पर लगी थी , लेकिन वो खड़ा था रहे कोई पर्वत हो

"माँ जागो माँ... जागो माँ "

हरिया रोते हुए चिल्लाया

सुनीता के कानो में ये स्रोत गूंज गया था जो मंदिर में उसका भाई रोज गया करता था , उसका मृत जैसे शरीर में जैसे ऊर्जा का संचार होने लगा ,माथे पर पसीने की बुँदे आने लगी

सभी बस आंखे फाडे हरिया को ही देख रहे थे ,सभी का ध्यान सुनीता से हट चूका था

इधर सुनीता के कानो में मंदिर वाले बाबा की बात गूंज उठी

"बेटी जब महिषासुर नाम के असुर ने खुद को ताकतवर समझ कर अत्याचार किया तब ममतामयी माँ ने अपना रौद्र रूप दिखाया "

"लेकिन बाबा माँ कहा रहती है "सुनीता ने पूछा था

"सबके अंदर माँ है बस उन्हें जानना है अब उन्हें जगाना है "

सुनीता की आंखे झट से खुल गयी थी

"माँ जागो माँ जागो, हे महिषासुर मर्दिनी जागो "हरिया रोते हुए बोला

"बहुत हुआ साले का नाटक "

मंगलू ने निशाना सीधे हरिया के सर में जमाया , वो ट्रिगर दबाने ही वाला था की

फटाक

एक डंडा जोरो से उसके सर में पड़ा और खून की धार बह गयी

बारिश तेज थी और सुनीता का भीगा हुआ जिस्म कार की रोशनी में चमक रहा था , इस ठण्ड में भी वो बारिश के पानी के साथ साथ पसीने से भी भीगी हुई थी

वो काँप रही थी

हरिया उसे देख कर अपने घुटनो में बैठ गया था

"माँ माँ, तू जाग गयी माँ "वो हाथ जोड़े रोने लगा

सुनीता ने फिर से डंडा घुमाया इस बार फिर किसी का सर फूटा ,

तब तक सभी चौकन्ने हो गए थे सभी ने दौड़ कर अपने हथियार उठा लिए , सुनीता का नग्न जिस्म अभी भी बारिश में भीग रहा था लेकिन अब किसी के हवस को नहीं जगा रहा था , वही हरिया जोरो से स्रोत गा रहा था उसने जीवन भर माँ की भक्ति की थी और आज माँ उसके सामने साक्षात् खड़ी थी वो प्रेम में मग्न हो चूका था आल्हादित हो चूका था ,

वही सुनीता का रूप और हरिया का गया हुआ स्रोत से सभी के रूह तक काँप रहे थे , सुनीता के चेहरे में कोई डर नहीं थे वो उन लोगो को गुस्से से देख रही थी और उसकी आँखों में देखने का साहस भी किसी के पास नहीं था

"मारो इसे "

एक हिम्मत करके चिल्लाया वो लोग सुनीता की ओर दौड़े लेकिन सुनीता ने घूमकर सीधे एक के गले में वार कर दिया , उसका गला ऐसे टुटा जैसे ककड़ी हो ,

सुनीता ने पास पड़े पिस्तौल को उठा लिया और 'धाय धाय '

गोली सीधे एक के सर में लगी ,बाकि के लोग ये देख कर वही रुक गए थे , आनंद हाथ जोड़कर अपने घुटनो के बल बैठा था , मंगलू जमीन में पड़ा तड़फ रहा था सुनीता ने पिस्तौल उसकी ओर की और दो गोलिया सीधे उसके खोपड़ी को तोड़ कर अंदर चली गयी।

माहौल में जैसे शमशान सी शांति फ़ैल गयी थी चार जिस्म सामने पड़े थे , एक का गाला टुटा था , दो की खोपड़ी में गोली लगी थी और एक की खोपड़ी डंडे से तोड़ दिया गया था जो अभी अभी तड़फता हुआ अपनी अंतिम साँस ले रहा था

सुनीता ने पिस्तौल की नोक आनंद पर टिका दी ,लेकिन आनंद घुटनो पर बैठा हुआ हाथ जोड़े माफ़ी मांग रहा था

";मुझे माफ़ कर दो माँ मुझसे गलती हो गयी , मैं हवस की आग में अँधा हो गया था मुझे माफ़ कर दो "

वो रो रहा था , सुनीता को सेठानी की याद आ गयी आनंद उनकी एकलौती औलाद थी।

थोड़ी देर तक वंहा बस सन्नाटा पसरा रहा

गोलियों की आवाज सुनकर वंहा मंदिर वाले बाबा भी आ गए थे , बिजली की तेज गड़गड़ाहट ने उनकी नींद खोल दी थी फिर गोली की आवाज सुनकर वो दौड़ पड़े थे,

****************

"मेरे बेटे की गलती के लिए मैं क्षमा मांगती हु बेटी "

सेठानी सुनीता के सामने रो रही थी ,4 मौते हुई थी लेकिन सेठ जी के पैसे और मंदिर वाले बाबा के दिमाग से इसे महज 4 लोगो का झगड़ा बना दिया गया था जिसका चश्मदीद गवाह खुद आनंद था , पुलिस से कहा गया की सुनीता और हरिया तूफ़ान के कारण मंदिर में ही रुके थे क्योकि उनकी झोपडी तूफान में बर्बाद हो गयी , वो लोग नशे में थे और वंहा सुनीता का बलात्कार करने ही आये थे आनंद ने इन सबका विरोध किया था लेकिन वो उसे भी जबरदस्ती वहाँ ले गए और वंहा पहुंचकर सब के बीच झगड़ा हो गया सभी एक दूसरे से लड़कर ही मर गए ,

सभी को पता था की सच क्या था लेकिन किसी ने भी इसपर आपत्ति नहीं जताई , ऐसे भी सभी मंगलू के उत्पात से परेशान थे ,

सेठानी को ये सब सुनकर दर्द तो हुआ वो आनंद को सजा देना चाहती थी लकिन वो उनका एकलौता बेटा था पुत्र मोह में बेचारी के पास बस सुनीता से माफ़ी मांगने के अलावा कोई रास्ता भी बचा था

"छोटे सेठ जी ऐसे नहीं है सेठानी लेकिन उन्हें बहका दिया गया था , शायद शराब का नशा , हवस की आग और जिस्म की चाह आपके दिए संस्कारो से ज्यादा ताकतवर निकल गए "

सुनीता ने अपने दिल की बात उन्हें कह दी , आनंद हमेशा से सुनीता को पाना चाहता था लेकिन सुनीता जानती थी की वो इतना भी गिर नहीं सकता था की सुनीता का बलात्कार कर दे , वो उसे पैसो का लालच दे चूका था हर समय उसे छेड़ता रहता था ,लेकिन फिर भी सेठानी के संस्कारो से बंधा हुआ था

सुनीता की बात सुनकर सेठानी ने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा उनकी आँखों में आंसू थे

*****************

एक साल बाद

सुनीता की शादी एक अच्छे घर में हुई , पूरा खर्च सेठ जी वहन किया था

सुनीता आज लाल जोड़े में दुल्हन बनी बैठी थी तभी हरिया वंहा आया

"देखो भईया आखिर मेरी शादी हो गयी ,और अब तुम्हारी बारी है "

सुनीता ने हरिया को छेड़ते हुए कहा जिसे सुनकर वंहा बैठे सभी हँस पड़े

"मैं मंदिर छोड़ कर कही नहीं जाऊंगा "

"अच्छा और मुझे छोड़कर ?"

सुनीता के आँखों में पानी था

"तुम तो हमेशा मेरे साथ रहती हो ,उसी मंदिर में मेरी माँ के रूप में "

हरिया की बात सुनकर सुनीता ने उसे अपने गले से लगा लिया

वही

मंदिर में आनंद हाथ जोड़े खड़ा था

"माँ , मुझे समझ आ गया है की हर औरत तेरा ही रूप है , तू ही सबमे है ,जिस्म का भोग महज मन का वहम है , अगर मन हवस के अधीन हो तो जिस्म भोग की वस्तु लगती है लेकिन तेरा प्रेम हो तो सबमे बस तू ही तू है "



समाप्त
nice story ...bhakti ki shakti dikha di dono bhai behen ne ??..
hawas ke pujariyo ko maut ki saja mili sunita ke haatho se

:applause:..
 
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