मैं अनामिका हूं। मैं टूटे-फूटे पुराने घरों को ऐसे घरों में बदलने के कारोबार में हूं जहां परिवार रह सकें। संक्षेप में , मैं घरों को सुंदर बनाने में मदद करती हूं ताकि वे रियल-इस्टेट एजेंट द्वारा संभावित खरीदारों को बेचें जा सके। में एक पुराने घर के प्रोजेक्ट पर काम करने वाली थी। घर का ऐड्रेस था – २१४, आनंद-भवन, मेन रोड करवे मार्ग , पिनकोड- १११००५.
यह पुराना घर - उस पर एक प्रेतवाधित (haunted) घर होने की अफवाह थी, लेकिन मैं सोची कि यह सिर्फ अफवाहें होंगी। मैं भूतों या ऐसी किसी भी चीज में विश्वास नहीं रखती थी। इसलिए आखिरकार मैंने इस पुराने घर को सुंदर बनाने का प्रोजेक्ट लेने का फैसला करी
।
पूरी गर्मी के महीनों में मैंने इस पुराने घर पर काम करने लगी। । पेंटिंग, पुराने वॉलपेपर को हटाना, नए प्लंबिंग और उपकरण लगाना सब कुछ। थोड़ा-थोड़ा करके, अपनी मेहनत से, मैं घर को फिर से नया बनायी थी। हर कमरे पर काम कर में उस जगह पर इतनी अच्छी तरह से काम करी थी की वहाँ एक परिवार रह सकेगा। वहाँ पर काम करते वक्त मुझे उस घर में कुछ भी प्रेतवाधित (haunted) बात नहीं लग रही थी।
वह एक छोटा सा घर था जिसमें सिर्फ दो बेडरूम थे। मैं डोनो बेडरूम का काम आख़िर में करने लगी थी।
में जब पहली बार उस घर के प्रेतवाधित बेडरूम में प्रवेश करी तो मुझे उम्मीद थी कि कमरा कुछ डरावना सा होगा, जैसे किसी डरावनी फिल्म में होते हैं कमरे वैसे । लेकिन, में पायी की वह सिर्फ एक नोर्मल बेडरूम ही था, गंदा और धूल भरा, कबाड़ के बक्सों से भरा हुआ। में बेडरूम में एक दरवाजा देखी। मैं उसे खोली तो पायी कि उस कमरे का अपना ही एक बाथरूम था, जिसमें एक विशाल टब था। अब तक तो बेडरूम काफ़ी नोर्मल लग रहा था।
मैंने फिर वहाँ के आसपास के कुछ स्थानीय लोगों से घर के बारे में पूछने लगी। उन्होंने मुझे कहा कि उस बेडरूम में एक पति-पत्नी रहते थे।
वहाँ उस घर में कुछ ऐसा हुआ था जिसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था और उस औरत के पति गुजर गए थे। उस घटना के बारे में उस आदमी की विधवा ने भी कभी कुछ कहा नहीं और उसने वह कमरे को हमेशा के लिए बंद कर दिया था। उसके बाद वह बेडरूम कभी नहीं खोला गया था और कुछ सालों बाद वह विदवा भी बीमारी की वजह से मर चुकी थी।
एक बात थी की उस आदमी की मौत एक हल्लोवीन (halloween) की रात हुई थी।
मैं फिर अगले 2 महीने उन बेडरूम को ठीक करने में बिताए, दोनों कमरों को खाली कर, उन्हें रंग देकर, औ फर्श की टाइलिंग कर की । एक बात थी की मैं शाम 6 बजे के बाद उस प्रेतवाधित कमरे या घर में कभी नहीं रही थी ।
अब जैसे ही सितंबर आया, मैं उत्साह के साथ देखी कि आखिरकार, मेरी कड़ी मेहनत के बाद, वह पुराना घर अब नए जैसे लगने लगा था।
आज का दिन था हल्लोवीन का दिन।
अब एजेंट को देने से पहले मुझे घर में एक दिन बिताना होता ही हैं। एक तो वह haunted हाउस के नाम से जाना जाता था । इसीलिए मुझे एजेंट को प्रूव करना था की यह घर haunted नहीं हैं।
इसीलिए मुझे उस प्रेतवाधित बेडरूम में एक रात रहना पड़ा। जो भी प्रेत-आत्मा प्रेत होंगे वह उन नए दीवारों में दबे होंगे, जिस पर मेंने हल्के भूरे रंग का लेटेक्स पेंट लगायी थी । वैसे भी में भूत प्रेत में विश्वास नहीं रखती थी।
मैं फैसला करी कि में गर्म पानी से नाहाने जाऊँगी। मैं बाथटब के नलों को शुरू करी और बाथरूम में टब अब गरम पानी से भरने लगा। जैसे ही टब गरम पानी से भर गया, मैं अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी।
में एक खूबसूरत लड़की हूँ । ५ft ६ in क़द, बदन ना बहुत मोटा या पतला। मेरे 34 ड-कप स्तन है और उनपर नुकीले गुलाबी निप्पलस और छोटे एरोले भी हैं । मेरी नभी का आकार काफ़ी गोल हैं और मेरी नभी एक बेली-रिंग (belly-ring) से सजी हुयी हैं।
में अपने आप को बहुत फ़िट रखती थी। मेरी चूत पर बाल नहीं थे और वहाँ भूरे रंग के मेरे चूत के लिप्स थे।
में टब के गर्म पानी में लेट गयी। मैं मन ही मन मुस्कुरायी। मैं अपने पैरों को टब के पानी से ऊपर उठा लिया और उन्हें टब के किनारों पर रखली। जैसे ही पानी मेरी संवेदनशील त्वचा पर नाचने लगी मैं अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी चूत की लेबिया को फैला दी, ताकि टब का गरम पानी मेरी अब सूजी हुई योनि तक पहुँच सके। में अपनी चूत से खेलने लगी और अचानक, मेरे ऊपर एक बेचैनी छा गई, जैसे कि मुझे देखा जा रहा हो। मैं आँखें खोली और टब में उठकर बैठ गयी और इधर-उधर देखने लगी। लेकिन मुझे कोई ना दिखा।
बहुत सी डरावनी फिल्मों को देखने का यही नतीजा होता हैं में सोची , और खुद पर हँसकर वापस टब के गरम पानी में चली गयी।
मैं अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और टब के पानी में अपनी चूत से खेलना जारी रखी। मैं धीरे-धीरे विलाप करने लगी। मैं चूत से खेलती रही और जल्द ही मेरी चूत से ढेर सारा पानी बहने लगा।
में टब के गर्म पानी में डूब गयी। मैं मन ही मन मुस्कुरायी। मैंने अपने पैरों को पानी से उठा लिया और उन्हें टब के किनारों पर लपेट ली। जैसे ही पानी मेरी संवेदनशील त्वचा पर नाचने लगी मैं अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने चूर के लेबिया को फैला दी, जिससे टब का गरम पानी मेरी अब सूजी हुई योनि तक पहुँच सके। में अपनी चूत से खेलने लगी और अचानक, मेरे ऊपर एक बेचैनी छा गई, जैसे कि मुझे देखा जा रहा हो। मैं आँखें खोली और टब में उठकर बैठ गयी और इधर-उधर देखने लगी। लेकिन मुझे कोई ना दिखा।
बहुत सी डरावनी फिल्मों को देखने का यही नतीजा होता हैं में सोची , और खुद पर हँस वापस टब के साबुन के पानी में चली गयी।
मैंने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और टब के पानी में अपनी चूत से खेलना जारी रखी। मैं धीरे-धीरे विलाप करने लगी। मैं चूत से खेलती रही जब तक कि में कामोन्माद की रिहाई के साथ मेरी चूत से पानी ना बहने लगी।
मैं टब से बाहर निकली और तौलिये से बदन सुखाने लगी। में एक sleevless टोप पहनी और नीचे शॉर्ट्स पहनी। में ने घर के सभी दरवाजे बंद किए और अलार्म सेट करी।फिर मैं बिस्तर पर लेट गयी , लाइट बंद कर दी और कुछ ही मिनटों के बाद में सो गयी।
जैसे ही मुझे नींद लग गयी एक असहज भावना लौट आई जैसे की किसी के आँखें मुझ पर थीं, कमरे के अंधेरे में मुझे वह आँखें देख रही थीं। में सोने के लिए संघर्ष करने लगी,
एक घबराहट के साथ मेरी आँखें खुल गयी, ऐसा लग रहा था मानो किसी का हाथ मेरी टखनों को पकड़कर मुझे बिस्तर के किनारे तक खींच रहा था। मैं चीखने की कोशिश करी, लेकिन कोई आवाज नहीं निकाल पायी। मेरी आँखें तेजी से उस अँधेरे कमरे के चारों ओर घूमने लगीं। में किसी को भी उस कमरे में देख नहीं सकती थी। मैं ज़ोरों से चिल्लाने लगी, "कौन है वहाँ?", "कौन है वहाँ?"
किसी ने जवाब नहीं दिया। लेकिन मैं महसूस कर सकती थी कि जो भी भूत या प्रेत उस कमरे में था वह मेरे डर से खुश था और मेरे साथ खिलवाड़ कर रहा था। मैं अपने पैरों को बेतहाशा फड़फड़ाने लगी, खुद को उस मज़बूत पकड़ से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी । में महसूस करी की किसी के उंगलियाँ मेरी झंघों और मेरे पेट के ऊपर चल रही थी।
वह उँगलियाँ मेरी गोरी और मुलायम त्वचा को खरोंचते हुए मेरी गर्दन तक आ गयी । मैं महसूस करी कि दो उंगलियाँ मेरी टैंक टॉप को पकड़ रही हैं और उसे मेरे बदन से निकालने लगी थी।
मैं इस हरकत के ख़िलाफ़ संघर्ष करना जारी रखी, लेकिन उसकी पकड़ शक्तिहीन थी। मैं महसूस कर सकती थी कि एक हाथ मेरे स्तनों को पकड़ रहा है और उन्हें कमरे के अंधेरे में एक उत्सुक मुंह की ओर उठा रहा है। मैं महसूस करी कि उस प्रेत-आत्मा के होंठ मेरे निप्पल के करीब हैं। में अब अपनी चूचियों को चुस्ती हुयी महसूस कर कराह उठी।
में अब अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी। फिर में महसूस करी की उस प्रेत-आत्मा के हाथ मेरी कमर को जकड़े हुए थे। वह मेरी कमर नोंच रहा था और उसे खींच रहा था। उस प्रेत-आत्मा अजनबी ने जोर से मेरी पैंटी पकड़ी।।
अब, बिना प्रतिरोध के, उस प्रेत-आत्मा के हाथों ने मेरी टोप को मेरी शरीर से उतार दिए, मेरी त्वचा को खुरचते हुए मेरी पैंटी को मेरे पैरों से नीचे खींच कर निकाल लिए। उस अक्टूबर की रात की हवा ठंडी थी और मुझे अपनी चूत में वह ठंडक महसूस हो रही थी।
उस प्रेत-आत्मा के शरीर से मुझे आश्चर्यजनक गर्माहट का अहसास महसूस होने लगी। मैं उस भावना से मदहोश हुयी, और उस प्रेत-आत्मा के खिलाफ शक्तिहीन महसूस करी।
मैं महसूस करी कि वह प्रेत-आत्मा मेरे शरीर के करीब आ रहा है, उसके लंड की नोक मेरी चूत के होठों पर दब रही है। जैसे ही उस प्रेत-आत्मा-प्रेत का लंड मेरी चुत में घुसने लगा, उसकी हाथों ने मेरी टांगों को पकड़ लिया, और उन्हें और चौड़ा कर दिया। मेरी तंग चुत का उस लण्ड के आकार से कोई मुकाबला नहीं था जिसे वह प्रेत-आत्मा थोड़ा-थोड़ा करके मेरी चूत के अंदर धकेल रहा था। मैं उसके लंड के बड़े मोटेआकार को स्वीकार करने के लिए कराह उठी। उस प्रेत-आत्मा ने अपने लंड को मेरी चुत की गहराइ में धकेलना जारी रखा, जब तक कि मैं महसूस कर सकी कि उसके लंड का गोल सिर मेरी गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ जोर से दबा हुआ है, जिससे मेरी चूत अनैच्छिक रूप से पानी छोर्ने लगी।
प्रेत-आत्मा ने मेरी चुदाई शुरू कर दी। पहले तो धीरे धीरे से वह मेरी चुदाई करने लगा ,लेकिन बाद में उसने चुदाई की तेज़ी बाधा दी। जैसे ही कमरे में हवा हमारी सेक्स की गंध से घनी हो गई ।
उस प्रेत-आत्मा का लंड मेरी चूत के अंदर और बाहर मेरी चुदाई करते रहा। मैं बहुत जोर से कराहने लगी जैसे कि किसी अलौकिक शक्ति से संचालित हो, मैं महसूस कर सकती थी कि में उस प्रेत-आत्मा के प्रत्येक जोर को पूरा करने के लिए अपने कूल्हों को उठा रही थी।
प्रेत-आत्मा की चुदाई की रफ्तार तेज हो गई। तेज़ और तेज़। उसकी चुदाई ऐसी थी जिसे मैंने पहले कभी अनुभव कि हो। इस लंड का ज़ोर और आकार अलौकिक थी। वह अपना लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत के अंदर पंप करते रहा। मेरी कराह तेज होती गयी और जोर से बढ़ती गयी, मानो मुझ पर खुद उस प्रेत-आत्मा ने करी हो। प्रत्येक चुदाई के जोर के साथ, मेरी चुत उस भूतिया लंड के विशाल आकार के चारों ओर कस कर फ़िट हो गयी।
मेरे पैर काँपने लगे और मेरा शरीर बिना नियंत्रण के तनाव में आ गया। मेरे कामोन्माद की लहर उठ गई। मैं बार-बार ऐंठन में कांप रही । मैं महसूस कर सकती थी कि मेरी चूत फट रही है, मेरी चूत का गर्म रस एक फव्वारे की तरह बाहर निकल रहा है, जिससे बेडशीट भीग रही है। प्रेत-आत्मा ने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर गहराई तक पंप करना जारी रखा, जब तक कि एक अंतिम जोर के साथ उसके लंड के मलाईदार सह को वह मेरी चुत में पंप करने लगा। फिर, एक पल में, यह सब चला गया था.. प्रेत-आत्मा का बड़ा लंड। लंड का सह , सब कुछ चला गया।
मैं बिस्तर पर बैठ गयी। मैं अब कमरे में बिलकुल अकेली थी। चादरें लगभग पूरी तरह से बिस्तर से खींच ली गई थीं, मेरे अपने चिपचिपे चूत के रस से भीग गई थीं। मेरी त्वचा पसीने से भीग गई थी।
यह कैसा नाइट्मेर (nightmare) था में सोची।
मैं बिस्तर से उठ गयी और वॉश्रूम चली गयी। मैं शॉवर शुरू करी और अपने शरीर को धोने लगी। नहाते हुए में खुद सोचने लगी की यह सिर्फ एक बुरा सपना था.
मैं शॉवर से बाहर निकली और खुद के बदन को सुखाने लगी। अपने हाथ से, मैंने आईने से भाप पोंछी और जो मैं देखि उसे देखकर हांफने लगी। मेरे स्तन इतने सूजे हुए थे कि जब मैं उन्हें छूने लगी तो मैं कराह उठी। मैं अपने निप्पलों को धीरे से सहलाने लगी और अपने स्तनों से सफेद दूध की बूंदों को निकलते देख बहुत हैरान हुई।
इससे पहले कि मैं ऊपर आइने को देख पति, में एक ठंडी हवा मेरे ऊपर से गुजरती हुयी महसूस करी। वह शीशा, जिसे मैंने साफ कर दिया था, एक बार फिर भाप से धुँधला हो गया था। जैसे ही मैं भाप में बिखरे हुए शब्दों को पढ़ने लगी, तब में डर के मारे पीछे हट गयी। आइने में लिखा हुआ था- "हैप्पी हैलोवीन (halloween) डार्लिंग।"
मैं अब बहुत डर गयी थी और अपने कपड़े पहने और घर से बाहर निकलने का फैसला करी।
इससे पहले कि मैं दरवाजे तक पहुँचने के लिए अपना हाथ बढ़ाती, मुझे उस प्रेत-आत्मा ने पकड़ कर दरवाज़े के ख़िलाफ़ दबाया।
मेरी चूचियाँ थरथरा रही थी, मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी।
"मैं घर छोर कर जाऊँगी। ... बस मुझे जाने दो... में वापस यहाँ नहीं आऊँगी... बस मुझे जाने दो," मैं उस खाली कमरे में धीरे से उस प्रेत-आत्मा से विनती करने लगी।
"बस मुझे जाने दो... प्लीज... ," मैं फिर से विनंती करना शुरू करी, लेकिन तब मेरी टांगों के बीच उस प्रेत-आत्मा का लंड दबा हुआ महसूस करी।
"ओह्ह्ह... भगवान," मैं उसके लंड के हमलावर से कराह उठी।
अब में खुद को हवें में पायी और वह प्रेत-आत्मा मुझे फिर से बेडरूम की तरफ़ लेने लगा। मुझे बिस्तर पर सुला कर वह फिर से मेरी चुदाई करने लगा।
"आह्ह्ह्ह ... आह्ह्ह्ह ... आह्ह्ह्ह ... ऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्," मैं जोरॉन से कराहने लगी । उस प्रेत-आत्मा ने मेरी चूत को उसके विशाल लंड से भर दिया।
उस प्रेत-आत्मा-प्रेत ने मेरी ज़ोरों से चुदाई जारी रखी। मैं विलाप करी और आख़िरकार उस प्रेत-आत्मा से बात करने का फैसला करी। मैं अपने होठों को उसके करीब रखी जहां मुझे लगा कि उसके कान होंगे और में धीरे से उसके वहाँ फुसफुसायी।
“उफ़्फ़्फ पता नहीं आप वही हो जो इस घर के मालिक थे, लेकिन आप की चुदाई से मुझे अब ढेर सारा मज्जा आ रहा हैं। आप मेरी चूत की ऐसी जमदार चुदाई कर रहे हो, जो में पहले कभी नहीं करी हूँ। आप की सालों की हवस को आप शांत करिए आह्ह्हह उफ़्फ़्फ म्म्म मेरी चुदाई करते रहिए ।।”
उसका लंड अब मेरी चुत में काफी अंदर दबा हुआ था। हमारी चुदाई से बिस्तर चरमराया।
मैं महसूस करी और देख सकी की उस मर्द कि प्रेत-आत्मा मेरे आमने-सामने थी। अब मैं उसकी भूतिया आँखों को गौर से देख सकती थी और उसमें हवस देख सकती थी। वह भी मुझे कराहते हुए देख सकता था और मेरी चुदाई की स्पीड उसने बढ़ायी। मैं देख सकती ठी की उसके चेहरे पर एक मुस्कान छायी हुयी थी।
उसका लंड मुझे मेरी चुत के अंदर हथौड़े की तरह चोदता रहा। बिस्तर हमारे चुदाई के वजन के नीचे हिलने लगा था । इस चुदाई का संभोग सुख मुझे अभी तक महसूस नहीं हुआ।
वो मुझे और 1 घंटे तक चोदते रहे। आख़िरकार में ऑर्गैज़म की चर्मसीमा पर पहुँच गयी थी ।
यह कामोन्माद मेरे अनुमान से अधिक समय तक चलता रहा। अंत में प्रेत-आत्मा का मोटा लंड मेरी चुत में अपना गधा सफ़ेद माल छोर्ने लगा और उनकी कमिंग चलती रही लगभग ५ मीन तक। उसने अपना वीर्य मेरी चुत के गहराई तक छोर दिया था।
उसने मेरी चुत से आसानी से उसका मोटा लंड बाहर निकाल लिया। में मेरी चूत के भगशेफ को एक अखरोट के आकार जैसे महसूस करी और अपनी उंगलियों को सावधानी से अपनी चुत पर फेरने लगी और मैं फिर उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत, जांघों और चूचियों पर रगड़ना शुरू कर दी।
फिर मैं इस भूतिया चुदाई के बाद थक कर बिस्तर पर लेट गयी। मुझे एहसास हुआ की वह प्रेत-आत्मा भी मेरे बग़ल में लेटा हुआ था। मेरी आँखें खुली तब में देखी की बिस्तर के बग़ल में एक फ़ोटो पड़ी थी। उस फ़ोटो को देखने लगी तब में बिलकुल शॉक हो गयी। वह किसी औरत का फ़ोटो था और वह लगभग मेरे जैसे ही दिखती थी। फिर मुझे एक ठंडी हवा महुस्स हुयी, जो निशित रूप से उस प्रेत-आत्मा की ही थी। वह हल्के से मेरे कान में फुसफुसाया “यहाँ आओ , यहाँ आओ।” में पहली बार उस प्रेत-आत्मा की आवाज़ सुन पा रही थी। अब मानो उस ने मेरी कलाई पकड़ ली थी और वह मुझे उस बेडरूम के एक कबर्ड के तरफ़ ले गया। वह अलमारी जब में खोली तो में पायी और एक फ़ोटो जिसमें वह प्रेत-आत्मा की तस्वीर थी उसके बीवी के साथ। फिर में उस अलमारी में एक डाइअरी पायी , जिसमें यह प्रेत-आत्मा ने कुछ लिखा था। में उसकी private-diary पढ़ने लगी । तब मुझे पता चला की इस प्रेत-आत्मा के साथ क्या हादसा हुआ था। उसके private-diary को पढ़ कर मेरी आँखों में आँसू आने लगे। में उस प्रेत-आत्मा को पास महसूस करी और में उससे लिपट गयी। वह मुझे फिर से बिस्तर पर ले चला , आज रात हमारी तीसरी चुदाई होने जा रही थी। इस बार फिर से एक घंटे तक हमारी चुदाई चली। इस बार अलग भावनाओं से में इस प्रेत-आत्मा के साथ रात बिताई।
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कुछ दिनों बाद मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ काम करने में व्यस्त थी कि मेरे सेल फोन की घंटी बजने से मैं बाधित हो गयी। अपने पर्स से फ़ोन निकालने के लिए झुकी तो मैं आह आवाज़ कर बैठी क्यूँकि, में एक नई व्यायाम रेजिमेंट को शुरू करी थी।
"हैलो," मेरी चुलबुली आवाज ने फोन करने वाले का अभिवादन किया।
"हेलो इस थिस अनामिका," दूसरे छोर पर एक मर्द स्वर से उत्तर आया। "मैं एक एजेंट हूं और मैं आपके एक रेनवेटेड (renovated) घर के बारे में पूछने आपको कॉल किया हूँ, ... इस किताब के पेज 88 पर है उस घर का नाम"
"ठीक है," मैं बोली, में उसी किताब की कॉपी को लेने आगे बधी ताकि मैं उस घर को देख सकूँ जिसके बारे में फोन करने वाला पूछताछ कर रहा था।
में वह किताब पढ़ने ही वाली थी की वह आदमी बोला “ अनामिका जी उस घर का नाम हैं आनंद भवन। पता 214, आनंद भवन, मेन रोड, करवे मार्ग , पिनकोड – १११००५”
"ओह...," मेरी आवाज़ वह नाम सुनकर बदल गयी। में फिर बोली "देखते हैं हम्म... आपके पास जो किताब है वह दो महीने पहले की हैं ... किसी ने उस घर को खरीदने के लिए पहले ही किसी अन्य रियल एस्टेट एजेंट से संपर्क किया है, इसलिए अब वह घर बिक्री के लिए नहीं है।
"हालांकि मैं आपको बताऊँगी की... मेरे पास और 5 घर हैं जिन्हें मैं renovate करी हूँ और मुझे आपको उन घरों की सूची भेजने में खुशी होगी। उन्हें आप बेच सकते हैं," मैं अपनी विनम्र आवाज़ में बोली। फिर में उन्हें दूसरे घरों के ऐड्रेस देकर अपने परसे से एक अजेंट का विसितंग कार्ड देखने लगी। यह उस रियल एस्टेट एजेंट का कार्ड था जिससे मैं दो दिन पहले मिल चुकी थी।
अपनी उँगलियों के बीच उस कार्ड के कागज के आयताकार टुकड़े को रगड़ते हुए, मेरे शरीर में गर्माहट और प्रत्याशा महसूस करी। मेरी कम्प्यूटर पर में नज़र डाली, उस घर पर जिसे मैं उस रियल एस्टेट एजेंट से खरीदने जा रही थी।
में जल्द ही एक घर ख़रीदने वाली थी जिसका ऐड्रेस था .
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214, आनंद भवन, मेन रोड, करवे मार्ग, पिनकोड - १११००५