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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2023 ~ Reviews Thread ★☆★

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Trinity

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Last date for posting reviews for the award of best reader is also increased, now you can post your reviews to feature in the best reader award till 15 th March 2023 11:59 Pm.You can also post your reviews After that deadline but they won't be counted for the best readers award. So Cheers.
 

Shetan

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Cuck aur voyeurism ki kahani. Sabse pehle to apne story post ki issi liye dhanyawad. Varna mere jese kai writers itna procrastinate karte hai ki story post karna hi bhul jate hai.

Critical Points :
Starting thoda lengthy laga, puri family ki introduction dene ki jaroorat nahi thi. kyu ki story sirf gine chune logo ke irad girad gum rahi thi. Jab dono sharab pi rahe hote h, vaha se story ne raftar pakdi. Thoda jaldi jaldi me sab ho gaya esa laga. Muje laga story abhi shuru hogi but khatam ho gai. Formatting aur punctuation par dhyan diya ja sakta tha, baar baar full stop ane se read karne me pareshani ho rahi thi.

Good Points :
imagination ki dad deni padegi. bold topic tha. All the best.
Thank you so much anujdarji. Mene 1st time hi short story likhi to thoda anubhav ki kami pad gai. Me aap se sahemat hu
 

avsji

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यार avsji भाई बहुत कड़वी कहानी थी दिल चिर कर रख दिया l बड़ी भयंकर परंतु वास्तविकता के निकट
हां भाई, Riky007 भाई ने बड़ी बढ़िया कहानी लिखी है। सत्य घटना से प्रेरित 👌
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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Story :- AnandBhavan - Ek Erotic-Horror Kahani
Writer :- HusnKiMallika

Positive points :-
HusnKiMallika ji aapki story kafi achi lagi mujhe. Aapne jo kuch bhi dikhaya use ache se aur behtarin dhang se dikahya. Aapki story me kuch bhi idhar udhar nahi laga. Story ek normal raftar se aage badh rahi thi. Kirdar ke name par bas kuch log hi the story me Anamika, bhoot nd uski wife, aur last me agent. Sex scene bhi kafi had tak acha aur erotic tha. Horror scene bhi thik thak the. Aapne apne is short story me romance, horror, pain, suspence kai chijen dikhane ki kosis ki. Jinme se kafi chije aap sahi se dikhane me kamayab bhi rahi hai.

Negative points :-
Lakin aapki story me kuch jagah dilog faltu ke lage. Kai chije missing bhi thi. Jaise ki aapne bhoot nd uske wife ke bare me jyada detailed nahi bataya. Bhoot ki maut kaise hui ye raj bhi nhi khola ? Jo ki is story ka sbse bada sawal ths. Anamika ka punarjanm hai ya nhi ye baat bhi confirm nhi ki aapne. Horror scene ko aap sound effect de kr aur bhi jyada acha kr skti thi.

Best dialogue :-
जैसे ही मैं भाप में बिखरे हुए शब्दों को पढ़ने लगी, तब में डर के मारे पीछे हट गयी। आइने में लिखा हुआ था- "हैप्पी हैलोवीन (halloween) डार्लिंग।"

Conclusion :- Aapki story me bhut choti choti galtiya hai agar wo na rhti to ye story definitely top me rhti. Fir bhi Overall ye takkar dene wali story hai. Ab mujhe aapke 2nd story se aur bhi jayda ummid hai. Ummid karta hu usme aap aisi choti galtiya nhi dohrayengi.
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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Story :- Bete ka balidaan
Writer :- MOMSONRP

Positive points :-
MOMSONRP bhai aapki story mujhe achi lagi. Story ke main kirdar Sameer ne jo balidaan diya such me uski koi tulna nahi kar skta. Aaj ke time me aise bhut hi kam bete honge jo aisa kar skte hai. Lakin Sameer ne apne maa papa ko paresani me dekh kar ek baar bhi nahi socha aur kidney bechane ko ready ho gaya. Uske baad jo Sameer ne demand ki wo to alag hi level ki demand nikali. Aur uski maa Sulochana ka bhi haa kar dena smjha me aata hai us situation ke hisab se. Ending ke erotic dilog mujhe kafi ache lage.

Negative points :-
Lakin aapki story ki kuch chije mujhe logic ke hisab se sahi nahi lagi. Itne major operation ke baad itni jldi hose to nahi aata hai. Na hi 2 din me discharge ho jate hai aise case me. Chlo wo sub bhi ek baar maan liya to aise Major opration ke 1month baad hi sex karne layak kon ban jata hai bhai ? Aapki story achi thi. Lakin thoda logic bhi laga dete to story next level ki ban jati. Sath me ending me jaha mujhe laga kuch hoga waha itne achi suruaat karne ke baad aapne story hi khtam kar di. Jbki erotic scene aapne bahut hi acha start kiya tha.

Best dialogue :-
" Sulochana :: sshh, sameer betaa unhunn mat kar wahaa aadat nai unhunnnn "

Conclusion :-
Aapki story achi thi. Lakin thodi logic ki kami lagi. Sath me jaha se aapki story next level par ja rahi thi wahi aapne story ko rok di. Jabki mujhe pura yakin hai ki aapke abhi kafi word count bache honge. Aap unko use karke story me ending ko aur ache se likh sakte the. Quki sex part aap acha likhte ho jo last ke kuch lines se saaf dikh raha tha.
Ummid karta hu aapki 2nd story me ye choti kamiya na dekhne ko mile.
 

avsji

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अभय प्रसाद
----------------

पूरा शरीर टूट रहा था, पर मुझे किसी तरह से अपने कमरे मे पहुंचना था, इसलिए मैं छत से उतरने लगी l जैसा कि नियम तय था मेरे कमरे में पहुँचने तक कोई आवाजाही नहीं था l मैं कमरे में पहुँच कर दरवाजा बंद कर सीधे बाथरुम की ओर बढ़ने लगी l बाथरुम और मेरे दरमियान दूरी जितनी घट रही थी मेरा शरीर वस्त्र मुक्त होती जा रही थी l अंत में बाथरूम में पहुँच कर टब की नल खोल दिया और टब में लेट गई l पानी धीरे धीरे मेरे अंग अंग को शीतलता प्रदान कर रही थी एक सुकून का एहसास करा रही थी l जो हुआ, उसका मुझे अंदाजा तक नहीं था, पर आने वाले छह दिनों में यही जो होने जा रहा था l इसे स्वीकार कर खुद को तैयार करना था l

मैं ईशीता, उम्र 24 साल l अपनी माता पिता की इकलौती लाडली बेटी थी l कॉलेज की चुनिंदा खूबसूरत ल़डकियों में से एक l इस बात का घमंड तो नहीं कहूँगी पर अपनी खूबसूरती का अभिमान जरूर था l चूंकि पारिवारिक सोच ही थोड़ी रूढ़िवादी थी इसलिए मैंने कभी किसी को अपने पास फटकने नहीं दिया l कितने लड़के, शिक्षक लोग कोशिश किए पर मैं किसी के हाथ नहीं लगी l क्यूंकि मैं चाहती थी मेरे पति को अपना कौमार्य सौगात में भेंट करूँ l कॉलेज की फाइनल ईयर में एक स्टेज फंक्शन में मैं परफॉर्म कर रही थी l उसी फंक्शन में शहर के नामी बिजनस मैन और हमारे कॉलेज ट्रस्टी में से एक सौरभ जी आए थे l प्रोग्राम बहुत अच्छा गया था और मेरी परफार्मेंस की हर ओर तारीफ भी हुई थी l शायद उसीके परिणाम स्वरुप अगले ही दिन सौरभ जी के माता पिता सौरभ जी के लिए मेरे हाथ मांगने आ गए थे l शरह की धनाढ्य और प्रतिष्ठित परिवार, किसी लड़की की माता पिता को और चाहिए ही क्या था l तुरंत राजी हो गए l यह खबर हमारे कॉलेज में आग की तरह फैल गई थी l मैं कॉलेज की लगभग हर एक लड़की को चुभने लगी थी l यह एहसास बहुत ही मजेदार था और खुद पर घमंड करने वाला भी l यह एहसास चार महीने बाद भी कायम रहा क्यूंकि कॉलेज समाप्त होते ही सौरभ जी और मेरी शादी हो गई l अब मेरी सखी सहेलियाँ ही नहीं ब्लकि शहर की ज्यादातर लड़कियाँ जल भुन गई थीं l आखिर सौरभ जी थे ही ऐसे, सौम्य और सुदर्शन ऊपर से धनाढ्य l मुझे उन सभी की जलन से एक आनंद दायक रोमांच की अनुभूति होती थी l जैसा कि मैंने सोच रखा था ठीक वैसे ही सुहाग की सेज पर मैंने सौरभ जी को अपना कौमार्य उपहार में दिया l हमारे प्रेम मय जीवन खूबसूरती क्षण लेते हुए समय के साथ बहने लगे l एक वर्ष के बाद मेरे गर्भ संचार हुआ पर चौथे महीने में ही गर्भपात हो गया l उसके बाद दो वर्ष तक फिर से गर्भ धारण ना हो पाया l समय के साथ साथ मेरे प्रति मेरे सास और ससुर जी के व्यवहार अशिष्ट होने लगा l क्यूँकी लोग अब ताने मरने लगे थे l वह जो कभी मेरी किस्मत पर जल भुन रहे थे अब वह लोग इस एक आत्म संतोष के साथ ताने मारने लगे हुए थे l सौरभ और मेरे बीच धीरे धीरे प्यार कम हो रहा था और लोगों के ताने बसने लगे l इस आग में घी की तरह मान्यता आंटी कर रही थी l यह मान्यता आंटी वह शख्सियत हैं जो कभी प्रयास रत थे अपनी बेटी को सौरभ जी से ब्याहने के लिए l पर भाग्य और नियति के कारण सम्भव नहीं हुआ था l इसलिए मान्यता आंटी मौका मिलने पर मुझे बाँझ होने का ताना मारने से नहीं चूक रही थी l इन्हीं बातों से आहत हो कर एक दिन मेरी सासु माँ ने मेरा मेडिकल चेकअप करवाया l रिपोर्ट में सब कुछ नॉर्मल था l डॉक्टर ने सौरभ जी की टेस्ट करने के लिए कहा l पर सासु माँ तैयार नहीं हुई l कारण सौरभ अपने कॉलेज के समय में बहुत से कारनामें किए थे l वही कारनामें उनकी मर्द होने की सर्टिफिकेट था l तो अब रास्ता क्या था l एक दिन ससुर जी ने सासु माँ से मेरी तलाक करवा कर सौरभ जी की दूसरी शादी की बात छेड़ दी l इस बात पर सासु माँ चुप रही l पर मैं डर और दुख के के मारे अपने दिन गिनने लगी l

एक दिन मुझे सासु माँ तैयार होने के लिए कहा l कारण पूछने की हिम्मत थी नहीं मुझमें l मैं तुरंत तैयार होकर सासु माँ के साथ कार में बैठ गई l गाड़ी शहर से दूर एक मंदिर के पास रुकी l हम गाड़ी से उतरे l

सासु - तु घबरा मत बेटी,... हम हर समस्या के निवारण के लिए आए हैं...

मैं - जी....

सासु - एक चामत्कारी बाबा आए हैं... हम उनके शरण में जाएंगे... देखना सब ठीक हो जाएगा...

सासु माँ और मैं, हम उस मंदिर के अंदर गए l मंदिर के एक सेवायत से स्वामी अभयानंद के बारे में माँ जी ने पूछा तो वह हमें एक साधु महात्मा के पास ले गया l वह साधु किसी को अपना चेहरा नहीं दिखा रहे थे l खुद को कपड़ों के घेरे में रख कर अनुयायियों से वार्तालाप कर रहे थे l कुछ देर बाद हमारी बारी आई l

अभयानंद - कहो माता... क्या कष्ट है...

सासु - महाराज... मैं आपकी चमत्कार की बात सुन कर आपकी शरण में आई हूँ... मेरे घर का वंश... मेरे बेटे पर आ कर ठहर गया है... वारिस की आश है... कृपा करें नाथ... कृपा करें...

साधु - आप गलत जगह आये हैं... मैं कोई चमत्कार नहीं करता... मैं केवल पूजा पाठ और व्रत करवाता हूं... जिस समस्या हेतु आप यहाँ आए हैं... उसके लिए आपको किसी हस्पताल में जाना चाहिए... इस विज्ञान युग में अपने संतानो की परीक्षा करवानी चाहिए...

सासु - ऐसे विमुख ना होईये महाराज... मुझे अपने द्वार से खाली हाथ ना लौटाईये...

इतना कह कर सासु माँ सारी बातेँ सारी दुखड़ा सुनाने लगती हैं l स्वामी अभयानंद धीर स्थित मन से सारी बातेँ सुनी और कुछ क्षण के लिए मौन हो गए l फिर कुछ देर बाद

अभयानंद - ठीक है माता... आपकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे घर पर किसी अदृश्य शक्ति की साया है... आपका घर उसके प्रभाव में है.. ठीक है मैं आपके घर पर आऊंगा... क्या दोष है और उसका निवारण हो सकता है... देखूँगा... परंतु एक शर्त है...

सासु - कैसी शर्त महाराज...

अभयानंद - मैं एक बाल ब्रह्मचारी हूँ माता... मैं जब आपके घर पर आऊँ... आपकी बहु बेटी कोई यौवना स्त्री मेरे समक्ष नहीं आएंगी...

सासु - जैसी आपकी इच्छा...

फिर हम स्वामी अभयानंद जी से विदा लेकर आ गए l जो कुछ हुआ उस पर मुझे कोई विश्वास नहीं था l आखिर विज्ञान की स्टूडेंट रही हूँ l घर पर सासु माँ ने जब यह बात बताई सौरभ कुछ हिचकिचाते हुए तैयार हो गए पर ससुर जी नहीं माने l सासु माँ ने बहुत समझाया, बिनती की के बड़े चमत्कारी महा पुरुष हैं, xxxx आश्रम xxxx के पास से आए हैं l बहुत मान्यता है उनकी इत्यादि इत्यादि l बड़ी मिन्नतें करने पर ससुर जी तैयार हुए l

कुछ दिनों बाद स्वामी अभयानंद जी से संदेशा आया के वह घर पधार रहे हैं l और वह दिन आ गया l घर पर उनकी भव्य स्वागत की तैयारी की गई l मुझे निर्देश था अपने कमरे में बंद रहने के लिए l मेरे पास मानने के सिवाय कोई चारा नहीं था l पर मेरी उत्सुकता थी उस साधु को देखने की और वह कैसे मेरे ससुर को प्रभावित करता है यह जानने की l इसलिए जैसे ही स्वामी अभयानंद के आने की समाचार मिली मेरे सास ससुर उनके स्वागत के लिए बाहर चले गए l मैं बैठक वाली कमरे में अपनी मोबाइल की वीडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर एक जगह पर रख दिया और स्वामी जी के आने से पहले अपने कमरे में चली गई l

कुछ घंटे बाद सासु माँ मेरे कमरे में आए और खुशी के मारे मुझे बधाई देने लगे l मैं हैरान थी अभी कुछ भी नहीं हुआ, बधाई किस लिए और किस बात की l मुझ से रहा ना गया पूछ ही लिया

मैं - माँ.. बधाई...

सासु - अरे बेटी... महाराज राजी हो गए... ना तुममें कोई दोष है... ना सौरभ में... दोष तो इस घर की वास्तु में है... और इस घर पर काल सर्प दोष से ग्रसित है... महाराज ने चमत्कार कर दिखाया... अब अगले माह में तुमसे और सौरभ से सात दिन की... संतान कामेष्टी व्रत रखवायेंगे... मैंने उन्हें हमारे घर में ही रुकने को राजी करवाया... तो वह राजी हो गए...

कह कर माँ जी चली गई l मैं भी पूरा माजरा समझने के लिए अपनी छुपाई हुई मोबाइल लेकर रिकार्ड की हुई वीडियो चला कर देखने लगी l

स्वामी जी को माँ जी बैठक में लाकर आसन पर बिठा दिया l स्वामी जी के सिर पर बाल नहीं थे l उन्हें देख कर लगा वह हमेशा अपना मुंडन करवाते होंगे l एक छह फुट के बलिष्ठ और सुदर्शन व्यक्तित्व के अधिकारी थे l बारी बारी से माँ जी, पिताजी और सौरभ जी ने उनके चरण स्पर्श किए l स्वामी जी कुछ क्षण के लिए ध्यान मग्न हुए और कहा

अभयानंद - हे माता... दोष ना आपके संतान में है... ना आपके पुत्र वधु में... मैंने यहाँ स्पष्ट महसूस कर रहा हूँ... इस घर पर काल सर्प योग का दोष है...

ससुर - यह कैसे हो सकता है स्वामी जी... यह घर वास्तु शास्त्र के अनुसार... बहुत पूजा विधि अनुसरण के बाद ही बनाया गया है...

अभयानंद - ठीक है... इस घर के पीछे की बगीचा के उत्तर दिशा में... एक आम का पेड़ है... उसी पेड़ के पास आपको मेरे कथन का प्रमाण मिल जाएगा... किसी को भेज कर देख लीजिए...

सौरभ जी तुरंत हरकत में आते हैं नौकरों को भेजने के बजाय खुद बाहर चले जाते हैं l कुछ देर बाद अपने हाथ में एक बड़ी सी सांप की केंचुली लेकर आते हैं l हाथ में इतना बड़े सांप की केंचुली को देख कर कमरे में मौजूद सभी लोग हैरान थे l वीडियो में सांप की केंचुली देख कर मैं भी हैरान थी l क्यूंकि केंचुली तकरीबन छह फुट लंबा था l

अभयानंद - इस काल सर्प दोष निवारण... दोनों पति पत्नी ही नहीं ब्लकि पूरे परिवार को करना होगा... यह बहुत कठिन व्रत है... व्रत के दो दिन के उपरांत... पति पत्नी दोनों में सम्बंध बनाने के बाद ही... संतान सुख सम्भव होगा...

ससुर - हे महाराज... आपने तो वह दोष ढूंढ निकाला... जिसकी हमने कल्पना तक नहीं की थी...

सासु - हाँ महाराज... आप जो भी कहेंगे... हम और हमारा बेटा और बहू अक्षर अक्षर पालन करेंगे...

स्वामी - ठीक है माता... आप कल मंदिर आकर इस व्रत का विधि का ज्ञान ले लीजिएगा...

सासु - एक बिनती है महाराज... क्या यह विधि.. हमारे घर में रहकर... आपकी देख रेख में पूरा नहीं किया जा सकता...

अभयानंद - माता... मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ... तपश्वी हूँ... मेरी दिन चर्या आप सांसारिक जीवन से अलग है... मेरे यहाँ रहने से आप सबको... मेरे रहन सहन से कष्ट होगा...

ससुर - कोई कष्ट नहीं होगा महाराज... आप केवल आदेश करें... हम हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवायेंगे...

अभयानंद - (कुछ सोचने के बाद) एक काम कीजिए... पहले आप व्रत की विधि समझ लीजिए... उसके बाद आप को लगे तो मैं अवश्य अपनी तत्वावधान में यह व्रत पूर्ण करवाऊँगा...

सासु - जैसी आपकी इच्छा महाराज...

फिर अभयानंद स्वामी जी विदा ले लिए l उन्हें बाहर तक छोड़ने सौरभ और ससुर जी गए l अगले दिन शाम को मुझे व्रत के बारे में माँ जी ने विस्तार से बताया l माहवारी के दस दिन के सात दिन के लिए अखंड व्रत का पालन करने की विधि थी हम दोनों पति पत्नी और सास ससुर जी के लिए l मेरे लिए माहवारी के बाद व्रत के दिन तक एक विशेष जड़ी-बूटी से दिन में चार बार स्नान व पूजा पाठ था और सौरभ जी और ससुर जी के लिए उतने दिन जड़ी-बूटी ओं स्नान घर से बाहर सत्संग में समय व्यतित करने की विधि था l और सबसे खास बात मेरे व्रत पूर्ण होने तक यानी कि लगभग बीस दिनों तक हमें एक दूसरे से दूर रहना पड़ेगा, यहाँ तक एक दूसरे को देख भी नहीं सकते l मेरे दस दिन के स्नान तक छत पर स्वामी जी के द्वारा बताये गये व्रत मंडप तैयार किया गया था और साथ साथ उसी मंडप पर उनके सात दिनों तक ठहरने की व्यवस्था की गई थी l सबको छत के ऊपर जाने की निषेधाज्ञा थी l

घर पर मेरी व्रत की कामयाबी के लिए सासु माँ जी बहुत ही सजग थीं l मेरी हर विधि कहीं भंग ना हो जाए उसके लिए मेरे पास पास ही रहती थी l अंत में वह दिन भी आया जिस दिन मुझे व्रत अनुशासन के अनुसार पालन करना था l व्रत के लिए तीन प्रहर निश्चित किया गया था l पहला प्रहर था भ्रम मुहूर्त यानी सुबह के तीन बजे से लेकर सुबह के छह बजे तक, दूसरा प्रहर चुना गया था दुपहर को यानी बारह बजे से लेकर तीन बजे तक और उसके बाद गोधूलि प्रहर यानी शाम के छह बजे से लेकर रात के नौ बजे तक l

दस दिन की जड़ी-बूटीयों के स्नान से मैंने अनुभव किया मेरी त्वचा में कोमलता और चमक बढ़ रही थी और पूरा शरीर महक भी रहा था l अब व्रत की प्रथम चरण शुद्धि स्नान था वह चरण पूर्ण हो चुका था l यह दस दिन रात को अपने कमरे में अकेली सोती थी l चूँकि अब व्रत धारण व विधि पालन का मुख्य चरण था मैं रात को मोबाइल पर अलार्म देकर जल्दी सो गई थी l अलार्म बजते ही भारी सिर से उठी और शुद्धि स्नान के बाद एक वस्त्र परिधान का नियम था l यानी पूरे शरीर पर केवल एक साड़ी वह भी पीली रंग की पहन कर हाथ में नारियल लेकर छत में आई l सभी सोये हुए थे l मैंने छत पर पहुँच कर देखा शामियाना से बना एक विशाल घेरा था l जैसे ही अंदर गई एक आवाज सुनाई दी

अभयानंद - रुको साध्वी... (मैं ठहर गई) पहले इस प्रश्न का उत्तर दो... तुम... यहाँ क्यूँ आई हो...

मैं - महाराज... मैं... मैं संतान कामेष्टी व्रत के लिए... उसकी सफलता के लिए आई हूँ...

अभयानंद - ठीक है... तो सुनो... इस मंडप में सात प्रकोष्ठ बनाए गए हैं... तुमको हर प्रकोष्ठ के द्वार से प्रवेश कर... मुख्य मंडप पर आना होगा... अब प्रथम द्वार पर प्रवेश करो...

शामियाना के भीतर एक द्वार सा था l उसके अंदर मैं कदम रखा l तो स्वामी जी की आवाज फिर सुनाई दी l

अभयानंद - हे साध्वी... अब अपने हाथ में... शुभ नारियल को पास रखे घड़े पर सजे आम्र पत्र पर रख दो... और वहीँ पर एक दीपक रखा हुआ है... उसे जलाने के पश्चात दूसरे प्रकोष्ठ द्वार के भीतर आओ....

मैंने देखा एक घड़ा था उस पर आम के पत्ते थे l मैंने उस नारियल को उस घड़े के उपर रख दिया l वहाँ पर रखे दीपक को जला कर मैं दूसरे द्वार पर प्रवेश किया l उस कमरे में दीपक जल रही थी l दूसरे प्रकोष्ठ में एक स्टूल पर एक कांसे थाली और कांसे थाली के ऊपर एक कांसे की ग्लास रखी हुई थी l

अभयानंद - हे साध्वी... उस पात्र में औषधि युक्त घृत व चरणामृत है... पी लो... उसके बाद तीसरे प्रकोष्ठ में प्रवेश करो...

मैंने वही किया l ग्लास में दुध, घई और ग्लूकोज़ जैसा स्वाद युक्त पेय था l बिना देरी के पी लिया l और तीसरे प्रकोष्ठ में प्रवेश किया l वहाँ पर भी एक बड़ी सी दीपक जल रही थी l

अभयानंद - हे साध्वी... अब तुमसे एक प्रश्न है...

मैं - जी स्वामी जी...

अभयानंद - क्या तुम जानती हो... अगर यह व्रत विफल हुआ... तो तुम्हें तुम्हारा पति तलाक दे देगा...

यह सुनते ही मेरी हालत खराब हो गई l बड़ी मुश्किल से आवाज निकली l

मैं - जी... जी महाराज...

अभयानंद - इसके लिए... चित्त समर्पण भाव से इस व्रत का पूर्ण होना आवश्यक है...

मैं - जी... जी... महाराज...

अभयानंद - तो क्या तुम तैयार हो....

मैं - जी.. महाराज...

अभयानंद - तो अब चौथे प्रकोष्ठ में प्रवेश करो...

मैंने ऐसा ही किया l अब जितना अंदर जा रही थी मुझे गर्मी की एहसास हो रही थी l चौथे प्रकोष्ठ में एक आसन था l

अभयानंद - बैठ जाओ साध्वी... (मैं बैठ गई) कैसी संतान की अपेक्षा है...

मैं - जी... मतलब...

अभयानंद - पुत्र या पुत्री...

मैं - कोई भी हो... (इस बार टुट सी गई) मैं यह बाँझ शब्द से... मुक्ति चाहती हूँ...

अभयानंद - तथास्तु... अब तुम पंचम प्रकोष्ठ में आओ...

मैं पाँचवे प्रकोष्ठ में आ गई l मुझे बढ़ती गर्मी का एहसास हो रहा था l साँसे तेज हो रही थी l इस कमरे में भी एक आसन था l

अभयानंद - बैठ जाओ साध्वी... (मैं बैठ गई) तुम जो व्रत पालन करने जा रही हो... उसे नियोग व्रत कहते हैं... प्राक वैदिक काल में... इस व्रत का पालन सत्यवती ने की थी उनके पश्चात अंबिका और अंबालिका के सहित उनकी दासी परिश्रमी ने भी पाला था... तत पश्चात कुंती और माद्री जैसी महान नारीयों ने पालन व धारण किया था... जिससे उन्हें संतान प्राप्ति हुई थी... क्या तुम उस प्रकार व्रत धारण कर सकती हो...

मैं - (मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा था) जी... जी महराज...

अभयानंद - अब षष्ठ प्रकोष्ठ में आओ... (मैं अंदर आ गई, यह कोई प्रकोष्ठ नहीं था, ब्लकि यह एक खुला हुआ जगह था जहां ठंडी हवा चल रही थी, जिससे मेरे शरीर को ठंडक पहुंचा रही थी l मेरे शरीर में एक अद्भुत सिहरन दौड़ रही थी l उस खुली जगह पर भी एक आसन रखा हुआ था जिस पर एक फूल माला रखी हुई थी ) है साध्वी... नियोग की व्रत धारण और पालन के लिए क्या तुम तन मन और आत्मा से तैयार हो....

मैं - जी स्वामी जी...

अभयानंद - जैसे कुंती देवी ने इंद्र देव को प्रसन्न कर... अर्जुन जैसे संतान का प्राप्त किया था...

मैं - जी महाराज...

अभयानंद - तो उस फूल माला को उठाओ और सप्तम प्रकोष्ठ में प्रवेश करो... (मैंने बिना देरी के वही किया देखा स्वामी जी खड़े हुए हैं) माला मुझे पहना कर मुझे नियोग हेतु स्वीकार करो... (मैंने एक यंत्रवत वही किया l उन्हें माला पहना दिया) मेरे चरण छू कर कहो... मैं आपको मेरे इंद्र के रूप में स्वीकर करती हूँ...

मैंने उनके चरणों में झुक कर वही कह दिया l फिर उन्होंने मुझे उठाया l उनके स्पर्श से मेरे पूरे शरीर में चींटियां रेंगने लगी l मेरी आँखें बंद होने लगी l उन्होंने मुझे मेरे एक वस्त्र से मुक्त किया और स्वयं को अपनी वस्त्रों से मुक्त किया l फिर मेरे चेहरे को अपने हाथो से लेकर मेरे होंठों का आश्वादन कर दिया l मेरे मुख का आस्वाद लेने के बाद मुझे अपनी बलिष्ठ भुजाओं में उठा कर पास पड़े उनके विस्तर पर बड़े जतन से सुला दिया और फिर मेरे हर अंग पर अपनी मुख आशीर्वाद से वर्षा करने लगे l मैं अभिभूत होने लगी, पुलकित होने लगी l अपने योनि पर उनके कठोर शिश्न का भेदन को अनुभव करने लगी l एक चरम आनंद से चरम तृप्त होने लगी l मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा तन मन किसी अजगर जकड़न में था l मैं उस अजगर से किसी बेल की तरह लिपटी पड़ी थी l दो बार मेरे योनि में अपने शिश्न के वीर्य रूपी आशीर्वाद को भर दिया l समागम के बाद थके हारे हम लेटे हुए थे l कुछ देर बाद मुझे जगा कर दुपहर को आने के लिए कहा l मैं खुद को एक वस्त्र में ढक कर छत से नीचे आ गई l बाथरूम में पानी की टब में सिर पर पानी मुझे जगा रही थी, बता रही थी जो चरणामृत पिया था उसमें जरूर एफ्रोडिजीआक मिला हुआ था, जिसके प्रभाव में मैं पूरी तरह से तन मन से समर्पित हो गई l पर अब बात आगे बढ़ चुकी थी रोकना या रुकना सम्भव था नहीं l इसलिए मैंने व्रत को पूर्ण करने का निश्चय किया l इन सात दिनों में स्वामी जी ने अपनी प्रेम मय आशीर्वाद से यह एहसास दिला दिया के शायद वात्सायन के ज्ञान में कुछ कमी थी स्वामी जी की निपुणता के आगे l

व्रत पूर्ण के दस माह के बाद

घर में उत्सव सा माहौल था, आखिर बेटे का नाम करण जो था l सभी खुश थे बहुत खुश सिवाय मान्यता आंटी के l अब मेरी रुतबा घमंड गुरूर कई गुना बढ़ चुकी थी l पंडित जी ने कुंडली बना कर जब अ से नाम सुझाया तो मेरी सासु माँ ने कहा

सासु - पंडित जी... कुंडली में भले ही कोई नाम रहे... पर हम सब इसे अभय प्रसाद ही बुलाएंगे... (ससुर जी से) क्यों जी...

ससुर - जी बिलकुल सही कहा... कौन कहता है चमत्कार नहीं होते... आखिर स्वामी अभयानंद का साक्षात चमत्कार है... (मुझ से) बहु तुम उसकी माँ हो... उसे उसके नाम से पहले पुकारो...


मैं अपनी सिर सहमती से हिलाते हुए पुकारा "अभय प्रसाद" l बेटा एक प्यारी सी मुस्कान के साथ हँसने लगा l पता नहीं किस पर हँस रहा था, मुझ पर या हम सभी पर या इस दुनिया पर, पता नहीं पर वह हँस रहा था l अपनी गंजे चेहरे में हँसी लेकर बिल्कुल स्वामी अभयानंद के जेरॉक्स जैसा दिख रहा था मेरा बेटा "अभय प्रसाद" l

आखिरी पंक्ति में समझिए पूरी कहानी का सार है 👌👌
नियोग क्रिया से उत्पन्न धर्म-पुत्र जाहिर है कि अपने बायोलॉजिकल पिता के गुण ले कर उत्पन्न होगा। लेकिन वो कहते हैं न कि हम जो देखना चाहते हैं, वही देखेंगे। मनोरंजक कहानी है। बहुत ही अलग 👌भाई, मेरे अतिरिक्त दो कहानियां देवनागरी में आईं, और दोनों ही बेहतरीन!!
 

avsji

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Kafi shandar story lagi mujhe ....wakai me ye story nishbad Kar gai....kafi bejod likhe ho...aur Kya hi Kar sakte hai ....ye story mujhe 5 out of 5 lagi.... Nishabd

Woww just fab dil chir diya bhai wooow

बहुत बहुत धन्यवाद भाई लोगों 🙏🙏
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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Story :- HOUSEWIFE'S CURIOSITY
TURNED TO ADULTERY.
Writer :- Rakhs_ KINGDOM

Positive points :-
Aapki story quick sex lover ke liye ek achi story hai Rakhs_ KINGDOM bhai. Aapne chand sabdo me hi ek parivar dikhaya aur kaise Amruth ji us ladke ke chakkar me fasi ye bhi dikhaya. Dono ke bich ka sex scene bhi thik thak hi tha. Unko milane ke liye aapne ek reason bhi dene ki kosis ki.

Negative points :-
Lakin aapki story mujhe thodi fast lagi. Ek scene complete nahi hua ki jaise aapko next scene dikhane ki jaldi ho. Story me logic ki kafi kami hai. Aakhir kon lady akele rahte hue aise kisi ko apne ghar rakh legi ? Aur fir shadishuda hote hue bhi uska ye puchna ki wo woman tmhare sath kyu hai ye to ajib baat hi ho gayi. Nd sex to aise start hua jaise dono bas sex karne ke liye hi baithe the. mana karne jaisa kuch hua hi nahi. Agra aap yahi dikhate ki wo unsatisfied woman hai tab story ka concept sahi bhi lagti. Lakin aapne aisa kuch nahi kaha.

Best dialogue :-
" My cum flowed on the floor throw my ass crack below my pussy. "

Conclusion :- Overall story thik thak hai. Aap isme bahut kuch kar skte the. Abhi word count bhi kafi bache honge aapke, jiska aapko acha use Krna cahiye. Lakin abhi bahut time hai USC khtam hone me to aap aaram se soch kar ek aur achi si story le kar aao. Jisme aisi choti choti galtiya na ho. Mujhe pura yakin hai ki aap isase bhut acha kar skte ho.
 

MOMSONRP

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Story :- Bete ka balidaan
Writer :- MOMSONRP

Positive points :- MOMSONRP bhai aapki story mujhe achi lagi. Story ke main kirdar Sameer ne jo balidaan diya such me uski koi tulna nahi kar skta. Aaj ke time me aise bhut hi kam bete honge jo aisa kar skte hai. Lakin Sameer ne apne maa papa ko paresani me dekh kar ek baar bhi nahi socha aur kidney bechane ko ready ho gaya. Uske baad jo Sameer ne demand ki wo to alag hi level ki demand nikali. Aur uski maa Sulochana ka bhi haa kar dena smjha me aata hai us situation ke hisab se. Ending ke erotic dilog mujhe kafi ache lage.

Negative points :- Lakin aapki story ki kuch chije mujhe logic ke hisab se sahi nahi lagi. Itne major operation ke baad itni jldi hose to nahi aata hai. Na hi 2 din me discharge ho jate hai aise case me. Chlo wo sub bhi ek baar maan liya to aise Major opration ke 1month baad hi sex karne layak kon ban jata hai bhai ? Aapki story achi thi. Lakin thoda logic bhi laga dete to story next level ki ban jati. Sath me ending me jaha mujhe laga kuch hoga waha itne achi suruaat karne ke baad aapne story hi khtam kar di. Jbki erotic scene aapne bahut hi acha start kiya tha.

Best dialogue :- " Sulochana :: sshh, sameer betaa unhunn mat kar wahaa aadat nai unhunnnn "

Conclusion :- Aapki story achi thi. Lakin thodi logic ki kami lagi. Sath me jaha se aapki story next level par ja rahi thi wahi aapne story ko rok di. Jabki mujhe pura yakin hai ki aapke abhi kafi word count bache honge. Aap unko use karke story me ending ko aur ache se likh sakte the. Quki sex part aap acha likhte ho jo last ke kuch lines se saaf dikh raha tha.
Ummid karta hu aapki 2nd story me ye choti kamiya na dekhne ko mile.
Itne detailed review ke liye dhanyavaad. Jo ye kahani mai aage likhoonga. Ye samaapt nabi hui hai lekin short story contest me kuch limitations hote hai. Aur ye ek teaser jaisa tha. Picture abhi baaki hai.
 

Rakhs_ KINGDOM

IT'S NOT JUST A NAME, IT'S A BRAND™🎃🎃
Supreme
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Although son-mom/dad-daughter story is big turned down to me, this one is really disaster.

Mom Working in a high school. My son studying in the first year of his BSc. Biology in a college.

Can you imagine a BSc student is unaware of boobs? Forget biology. Atleast use some common sense.

Good part: the pics were used smartly

Rating: 5/10

Story :- HOUSEWIFE'S CURIOSITY
TURNED TO ADULTERY.
Writer :- Rakhs_ KINGDOM

Positive points :- Aapki story quick sex lover ke liye ek achi story hai Rakhs_ KINGDOM bhai. Aapne chand sabdo me hi ek parivar dikhaya aur kaise Amruth ji us ladke ke chakkar me fasi ye bhi dikhaya. Dono ke bich ka sex scene bhi thik thak hi tha. Unko milane ke liye aapne ek reason bhi dene ki kosis ki.

Negative points :- Lakin aapki story mujhe thodi fast lagi. Ek scene complete nahi hua ki jaise aapko next scene dikhane ki jaldi ho. Story me logic ki kafi kami hai. Aakhir kon lady akele rahte hue aise kisi ko apne ghar rakh legi ? Aur fir shadishuda hote hue bhi uska ye puchna ki wo woman tmhare sath kyu hai ye to ajib baat hi ho gayi. Nd sex to aise start hua jaise dono bas sex karne ke liye hi baithe the. mana karne jaisa kuch hua hi nahi. Agra aap yahi dikhate ki wo unsatisfied woman hai tab story ka concept sahi bhi lagti. Lakin aapne aisa kuch nahi kaha.

Best dialogue :- " My cum flowed on the floor throw my ass crack below my pussy. "

Conclusion :- Overall story thik thak hai. Aap isme bahut kuch kar skte the. Abhi word count bhi kafi bache honge aapke, jiska aapko acha use Krna cahiye. Lakin abhi bahut time hai USC khtam hone me to aap aaram se soch kar ek aur achi si story le kar aao. Jisme aisi choti choti galtiya na ho. Mujhe pura yakin hai ki aap isase bhut acha kar skte ho.
It is my first attempt in the concert and I kept this theme with multiple episode for my thread, it's an first try and in the mind setting of short story with limited word count.
 
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