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Incest मेरे अंतरंग हमसफ़र

deeppreeti

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मेरे अंतरंग हमसफ़र




परिचय

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी है और इसके पहल्रे 3 भाग आप पढ़ सकते हैं "अंतरंग हमसफर" के नाम से जो मेरे कॉलेज के दोस्त आमिर ने पोस्ट किये हैं .

आगे के सभी भाग आपको इस फोरम पर मिलेंगे और मेरी कोशिश है आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा

मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

आपका

दीपक कुमार




मेरे अंतरंग हमसफ़र

INDEX

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग
भाग 1 से
भाग 3
भाग 4
भाग 5 - रूबी के साथ सेक्स, उसके बाद समूह सेक्स-
भाग 6 - टीना के साथ सेक्स-
भाग 7 - साथियो की अदला बदली.

द्वितीय अध्याय
परिवार से मेलजोल

भाग 1/ भाग 2/भाग 3/भाग 4/भाग 5/भाग 6
भाग 7/भाग 8/भाग 9/भाग 10/भाग 11/भाग 12

भाग 13


तृतीय अध्याय
खूबसूरत युवा सहेलिया

भाग 1/
भाग 2/भाग 3/भाग 4/भाग 5/भाग 6
भाग 7/भाग 8/भाग 9/भाग 10/भाग 11/भाग 12
भाग 13/ भाग 14/भाग 15 भाग 16/भाग 17/भाग 18/ भाग 19
भाग 20

चतुर्थ अध्याय
लंदन जाने की तयारी


भाग 1 -
भाग 16/
भाग 17- भाग 21/भाग 22/भाग 23/भाग 24/
भाग 25-भाग 31/भाग 32/ भाग 33-भाग 41
/भाग 42/भाग 43/भाग 44/
भाग 45

पांचवा अध्याय
लंदन की हवाई यात्रा

भाग 1-
भाग 12/

छठा अध्याय

लंदन में पढ़ाई और मस्तिया


भाग 1- भाग 15
भाग 16-नियंत्रण
भाग 17-सुंदर और अध्भुत सम्भोग का आनंद
भाग 18- अध्भुत सम्भोग का आनंद और शक्ति का संचार
भाग 19-अरबपति की ट्रॉफी पत्नी
भाग 20-टिटियन प्रकार की लड़की !
भाग 21-लड़की या कोई हूर परी !
भाग 22-चार प्रेमिकाओ के साथ सामूहिक सम्भोग
भाग 23-कामुक पागलपन
भाग 24-कामुक आजाद ख्याल
भाग 25-कामुक दृश्यम

भाग 26-रात का आखिरी पहर
भाग 27 -सुबह-सुबह टहलना - कुछ- बहुत कुछ
भाग 28-सुबह-सुबह - बहुत कुछ
भाग 29-समारोह की प्रक्रिया
भाग 30-सेक्स और सुंदरता की उपासक पुजारिने
भाग 31- मैं ही क्योे


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर





astra1


भाग 1 -काफिला
भाग 2/भाग 3/भाग 4/भाग 5/भाग 6/भाग 7/भाग 8
भाग 9/
भाग 10/भाग 11/
भाग 12/
भाग 13/
भाग 14 विशेष समारोह आरंभ-प्रारम्भकर्ता या माध्यम, पहलकर्ता
भाग 15 विशेष समारोह की मालिशकर्ता
भाग 16 महायाजक
भाग 17 महायाजक द्वारा सशक्तिकरण
भाग 18 पुजारिणो द्वारा सशक्तिकरण

भाग 19 सशक्तिकरण
भाग 20 दावत कक्ष
भाग 21 मार्टिनी ग्लास में लड़की
भाग 22 दावत का समय
भाग 23- भाग 55
भाग 56 - सुगंध
भाग 57 - सुंदर सम्भोग का आनंद
भाग 58 - सुंदर आनंद
भाग 59 - नयी राजकुमारी का प्रेम परिचय

भाग 60 - भाग 62
भाग 63- हवेली
भाग 64 - जनून
भाग 65 - स्टड
भाग 66 - आज्ञा
भाग 67 - पारिश्रमिक
भाग 68 - असर
भाग 69 - अनुष्ठान का अंत





आठवा अध्याय
हवेली नवनिर्माण


भाग 1 -
नवनिर्माण
भाग 2-भाग 45


नौवा अध्याय
डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 1 -भाग 45


दशम अध्याय
भाग 1-भाग 55

अंतरंग हमसफ़र भाग: INDEX
अंतरंग हमसफ़र भाग 001अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 002पहली हमसफ़र - शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 003अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 004अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 005रूबी के साथ संसर्ग, उसके बाद समूह सेक्स.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 006टीना एक नयी कुंवारी युवती के साथ तालाब में पहला संसर्ग.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 007साथियो की अदला बदली.Group Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 008सुन्दर युवती से मुलाकात.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 009फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 010रूबी और रोजी.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 011रूबी और रोजी.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 012रोजी, रूबी के साथ सेक्स.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 013जेन के साथ सेक्स.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 014जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 015जेन के साथ सेक्सIncest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 016अलका की पहली चुदाईFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 017अलका की पहली चुदाईIncest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 018दूसरी फूफेरी बहन के साथ सम्भोग.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 019फूफेरी बहन के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 020कुंवारी फूफेरी बहन की धुआंधार चुदाई.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 021कमसिन फूफेरी बहनो की धुआंधार चुदाई.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 022नयी लड़किया और तालाब पर छुप कर मस्तियो के नज़ारे.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 023लड़कियों की तालाब पर मस्ती के मादक कामुक नज़ारे.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 024तुम ने पुकारा और हम चले आये- लड़कियों के साथ तालाब पर मस्ती.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 025नग्न सामूहिक कामुक खेल और मुख मैथुन.Group Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 026सौतेली बहने.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 027सौत बनी साथी.Loving Wives
अंतरंग हमसफ़र भाग 028बॉब की रुखसाना के लिए बेकरारी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 029सेक्स का आरंभिक ज्ञान.How To
अंतरंग हमसफ़र भाग 030चुदाई के नज़ारे.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 031प्यार का असली सबकErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 032कजिन के सहेली के साथ मेरे फूफेरे भाई की आशिक़ी.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 033रुखसाना की पहली चुदाईFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 034रुखसाना की चुदाई की कहानी जारी हैErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 035हुमा की पहली चुदाईFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 036दुल्हन की लाल रंग की पोशाक में खूबसूरत हुमा.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 037चुदाई से पहले की चूमा चाटी.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 038चिकनी संकरी और छोटी से चूत वाली हुमा की पहली चुदाई.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 039हुमा की पहली चुदाई.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 040हुमा की आनंदभरी चुदाई.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 041हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 042हुमा बहुत नाराज हो गयी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 043सेक्सी मेजबान की टांग में क्रैम्प.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 044सेक्सी मेजबान के साथ पहली बार संसर्ग.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 045मेजबान के साथ संसर्ग.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 046लिली की योनि में मेरे लंड का प्रथम प्रवेश.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 047लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.How To
अंतरंग हमसफ़र भाग 048सरप्राइज़.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 049सोई हुई परम् सुंदरीErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 050परम् सुंदरी का प्रभाव.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 051वूमेन ऑन टॉप.How To
अंतरंग हमसफ़र भाग 052नकली गुस्सा असली प्यार.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 053भाग्यशाली.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 054लिली की बहन मिली से पहली मुलाकात और आलिंगन.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 055चलती कार में चुदाई.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 056सामने चुदाई करते हुए देखना.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 057तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 058तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 059मिली का सौंदर्य अवलोकन.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 060मिली की सहायिका सपना की ख़ूबसूरती.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 061सपना के नग्न सौंदर्य का निरीक्षण कर उसे सराहा.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 062हुमा का निरिक्षण.BDSM
अंतरंग हमसफ़र भाग 063हुमा को सजा.BDSM
अंतरंग हमसफ़र भाग 064मिली निकली उस्ताद.How To
अंतरंग हमसफ़र भाग 065मिली ने दिया पहला सेक्स ज्ञान.How To
अंतरंग हमसफ़र भाग 066लिली के साथ मजे.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 067लिली ने की लंड चुसाई.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 068घट कंचुकी.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 069एमी और तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 070हुमा ने की लंड चटाईErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 071अगले सत्र की तयारी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 072मैं तरोताजा महसूस कर रहा था.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 073ज्यादातर पशु किस आसन में सेक्स करते हैं.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 074चॉकलेट खाने का सही तरीका.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 075मिली खुद चुदी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 076चकाचक माल की दावत.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 077सपना का कौमार्य भंगFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 078पहली चुदाई के बाद का दुलार.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 079सपना चुपके से मेरे कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से लिपट गयी.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 080वीसा साक्षात्कारRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 081पहली डेटRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 082सूर्यास्तRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 083चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हमFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 084मुखमैथुन के नए पाठFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 085कुंवारी योनि का दुर्लभ अवलोकन.First Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 086कौमार्य भंगFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 087दोबारा करेंगे तो बेहतर लगेगाErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 088मैं पूरी कोशिश करूँगाGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 089लंदन की हवाई यात्रा-1Romance
अंतरंग हमसफ़र भाग 090जहाज के सफर में मनोरंजनRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 091हवाई यात्रा में छोटा ब्रेकErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 092एयरलाइंस की वो परिचारिकाErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 093एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार मेंFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 094एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार मेंFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 095एयरलाइंस परिचारिका का पहला अनुभवFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 096नायाब एयरलाइंस परिचारिकाFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 097आगे का सफर नए साथी के साथRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 098नए साथी के साथ खेलErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 099हवाई यात्रा मे हस्तमैथुनToys & Masturbation
अंतरंग हमसफ़र भाग 100इन-फ्लाइट मनोरंजनExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 101लंदन में पढ़ाई और मस्तियो की शुरुआतExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 102लंदन का ख़ास पैराडाइस मनोरजन क्लबGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 103साथी का चयनFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 104भोजन, संगीत और प्रेम का इजहारRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 105प्रेम और मस्तियाFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 106प्रेम आलिंगन और नृत्यGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 107सार्वजानिक और खुले तौर पर सम्भोगExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 108चुदाई के दौरान बिस्तर ने हवा उछाल दियाExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 109बिस्तर में लगे ताकतवार स्प्रिंगों का स्प्रिंगिंग एक्शनExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 110लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुकता और ऐयाशीExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 111लंदन में पढ़ाई और मस्तिया सामूहिक ऐयाशीExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 112लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, नफीसा का स्वागतGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 113सुंदरता, सेक्स की देवी की पुजारिन.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 114सेक्स की देवी की पुजारिन.Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 115लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, पुजारिन के ख़ुशी के आंसू!Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 116लंदन में पढ़ाई और मस्तिया नियंत्रणMind Control
अंतरंग हमसफ़र भाग 117सुंदर और अध्भुत सम्भोग का आनंदCelebrities & Fan Fiction
अंतरंग हमसफ़र भाग 118अध्भुत सम्भोग का आनंद और शक्ति का संचार.Group Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 119लंदन में पढ़ाई और मस्तिया अरबपति की ट्रॉफी पत्नीGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 120लंदन में मस्तिया टिटियन प्रकार की लड़कीExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 121लड़की या कोई हूर परी!Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 122चार प्रेमिकाओ के साथ सामूहिक सम्भोगExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 123लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुक पागलपन .Exhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 124कामुक ख्यालGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 125लंदन में मस्तिया कामुक दृश्यमExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 126लंदन में मस्तिया और उस रात का आखिरी पहरGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 127सुबह-सुबह टहलना-कुछ-बहुत कुछExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 128सुबह-सुबह-बहुत कुछGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 129समारोह की प्रक्रियाHow To
अंतरंग हमसफ़र भाग 130सेक्स और सुंदरता की उपासक पुजारिनेExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 131मैं ही क्योे?Romance
अंतरंग हमसफ़र भाग 132काफिलाExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 133पुजारिन के उद्धारकर्ता की जयNon-English
अंतरंग हमसफ़र भाग 134प्यार का मंदिर प्रेम भरी प्राथनाRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 135स्नानागारErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 136शुद्धिकरण स्नानGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 137ऐयाशी - जब रात हैं ऐसी मतवाली तो फिर सुबह का आलम क्या होगा!Group Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 138जनाना स्नान्नगारLesbian Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 139प्यार की देवीNon-English
अंतरंग हमसफ़र भाग 140स्नान और सम्भोगGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 141सफाई और स्नानGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 142विशेष समारोह आरंभGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 143विशेष समारोह शुद्धिकरण दुग्ध स्नानGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 144विशेष समारोह - दुग्ध स्नानGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 145विशेष समारोह-प्रारम्भकर्ता या माध्यम, पहलकर्ताGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 146विशेष समारोह की मालिशकर्ताGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 147विशेष समारोह महायाजकGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 148महायाजक द्वारा सशक्तिकरणGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 149पुजारिणो द्वारा सशक्तिकरणGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 150सशक्तिकरणGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 151दावत कक्षGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 152मार्टिनी ग्लास में नर्तकीExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 153दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 1. जूस, 2 फल. 3 स्नैक्स 4. सूपGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 154दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 5. ऐपेटाइज़र, 6. सलादGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 155दावत - 13. मुख्य व्यंजन 6- सलादGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 156दावत - 13. 7 - तालू की सफाई के लिए वाइन. स्तन निरीक्षणErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 157दावत - 13. 8 मुख्य व्यंजनExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 158दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 8- मुख्य व्यंजनGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 159दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 9 शैंपेन से मुख शुद्धि -Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 160दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10 अगली मुख्य डिशGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 161दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10- एक बार फिरGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 162दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 -मजेदार आनद का अनुभवGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 163दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - सामूहिक आनद का अनुभवGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 164दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - मजेदार अनुभवGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 165दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मजेदार मीठाFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 166असुविधा को दूर करने का प्रयासFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 167दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा त्यार हैFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 168दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा परोस दिया हैGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 169मालिशGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 170सैंडविच मालिशGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 171जुड़वाँ बहनो के साथ मालिश और सम्भोगGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 172बेकरार महायाजकFetish
अंतरंग हमसफ़र भाग 173समारोह की तयारीNonConsent/Reluctance
अंतरंग हमसफ़र भाग 174उद्घाटन समारोह शुरू करेंErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 175दाता को प्रेम, सेक्स और सम्भोग से सशक्त करनाErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 176मुख्य पुजारिन की दीक्षाCelebrities & Fan Fiction
अंतरंग हमसफ़र भाग 177सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की दीक्षाFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 178सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की कामुकताFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 179सेक्सी अपना कौमार्य अर्पित कर दोErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 180मुख्य पुजारिन का कौमार्य भंगErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 181कौमार्य भंग करने के साथ प्रथम सम्भोगFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 182नयी मुख्य पुजारिन का प्रथम सम्भोगNon-English
अंतरंग हमसफ़र भाग 183शक्ति का स्थापनErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 184नई प्रधान महायाजकErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 185मंदिर में दीक्षा के दौरान माहौल का प्रभावExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 186सर्वदा तैयार, पुनःErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 187प्रथम गुदा प्रवेशAnal
अंतरंग हमसफ़र भाग 188लंदन का प्यार का मंदिर और कुंवारी की सुगंधErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 189प्रशिक्षु महायाजक पुजारिन के साथ सुंदर सम्भोग का आनंद.Erotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 190सुंदर आनंदFirst Time
अंतरंग हमसफ़र भाग 191नयी राजकुमारी का प्रेम परिचयNonConsent/Reluctance
अंतरंग हमसफ़र भाग 192राजकुमारी का प्रेमErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 193रसGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 194उपहारGroup Sex
अंतरंग हमसफ़र भाग 195हवेलीRomance
अंतरंग हमसफ़र भाग 196लंदन का मंदिर, महायाजक का प्यार का जनूनErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 197स्टडErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 198प्रेम की देवी की आज्ञा और हम सब पुजारिणो की ओर से उपहारErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 199पारिश्रमिक- रेशमी लबादे में लिपटी सुन्दरियाErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 200सुंदर स्वागत योग्य रमणीय स्त्रीत्वErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 201अनुष्ठान का अंतExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 202आठवा अध्याय हवेली नवनिर्माणErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 203हवेली नवनिर्माण इंस्तांबुल टर्की हरम की यात्राExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 204टोपकापी पैलेस के हरम की योजना का विस्तारExhibitionist & Voyeur
अंतरंग हमसफ़र भाग 205उत्कृष्ट वासना का सत्रErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 206हाहाकारी चुदाई का एक उत्कृष्ट नमूनाErotic Couplings
अंतरंग हमसफ़र भाग 207विशेष सेविका कैपरीInterracial Love
अंतरंग हमसफ़र भाग 208चालाक संदेहInterracial Love
अंतरंग हमसफ़र भाग 209मेरे लिए इनामNovels and Novellas
अंतरंग हमसफ़र भाग 210फूफा या मामू का परिवारIncest/Taboo
 
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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 60


पूलसाइड पार्टी

युवतियाँ, अपने गीले शरीर, पूल के किनारे की रोशनी में चमकते हुए, पानी से बाहर आ गई थीं और बैठे हुए मेहमानों के सामने खुद को पेश कर रही थीं। लगभग बीस साल की एक लड़की, बड़े स्तन और योनि के बालो की ताज़ी सफाई करवाने के साथ, मेरे सामने आई। उसने अपनी योनि में ले लिया। हरा बटन डब्यातो कार्ड पर "49" नंबर आया। मैंने अपना सिर हिलाया और जैसे ही उसने अपने पैर थोड़े फैलाए, मैंने प्लास्टिक कार्ड वापस उसकी चूत में डाल दिया। वह मुड़ी और धीरे-धीरे दूर चली गई।

जल्द ही एक और नग्न महिला मेरे सामने आई, उसके निपल्स से अभी भी पानी टपक रहा था, जो मुझे उसकी योनि का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित कर रही थी। वह सुंदर थी। वह लगभग 5'7 या 5' 8 की लग रही थी, थोड़ी मांसल की तरफ थी लेकिन फिर भी उसका पेट स्पॉट था और कमर पतली थी। उसके कूल्हे भरे हुए लग रहे थे और सबसे महत्त्वपूर्ण बात, उसके स्तन काफी बड़े थे। वे 36DD की तरह लग रहे थे, उसके बाल घने और थोड़े घुंघराले थे और उन्हें ब्लीच कर सुनहरे रंग का किया गया था और उसके बाल कंधे की लंबाई के थे। मैंने उसके निचले होंठों को फैलाकर सावधानी से उनकी योनि में से कमरे की चाबी निकाली। कमरे की चाबी निकालते समय मैंने फिर से उसकी मुलायम गीली चूत के होठों से खेला उसमे हरा बटन दबाने पर सेविका की तस्वीर निकली तो उसने मुझे चूमा, वह मुस्कुराई और तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरे लबादे को फैलाकर मेरे सूजे हुए लिंग को उजागर कर दिया। जब वह उत्साहपूर्वक मेरा लंड चूसने लगी तो मैं उसके स्तनों और पके हुए छोटे निपल्स के साथ खेलने लगा और जब दूसरी लड़की मेरे पास आयी तो पहली मेरे पीछे खड़ी हो गयी।

दूसरी थी ब्राज़ीलियाई लिया जो एक बेहद खूबसूरत युवा, जिसने अभी पिछले महीने ही हाई स्कूल पास किया था। लिया सुंदरता से परिपूर्ण युवती है जो एक शरारती परियोजना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से बहुत प्यारी और 34बी-22-30 की सेक्सी फिगर लंबे-लंबे सुनहरे बाल, लिआ हर उस चीज का जीता जागता अवतार थी जो एक चीयरलीडर को होनी चाहिए। वह रिओ (ब्राज़ील) में हाई स्कूल में अपने स्कूल के चीयरलीडर दस्ते की कप्तान थीं। उसकी योनि से निकली चाबी के हरे बटन को दबाने पर नर्स का चित्र उभरा और चाबी निकालते समय मैंने फिर से पहली वाली लड़की के साथ दूसरी की मुलायम गीली चूत के होठों के साथ भी खेला उसमे हरा बटन दबाने पर सेविका की तस्वीर निकली तो उसने मुझे चूमा, वह मुस्कुराई और तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गई और पहले वाली की तरह मेरे लबादे को फैलाकर मेरे सूजे हुए लिंग को उजागर कर वह उत्साहपूर्वक मेरा लंड चूसने लगी और मैं उन दोनों लड़कियों के स्तनों और निप्पलों के साथ खेलने लगा।

स्विमिंग पूल से निकल कर मेहमानो के सामने जा रही इन लड़कियों को देखहे हुए और शिकार खोजो' खेलते हुए और जो आगे होने वाला था उसके बारे में सोचकर ही मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया था।

फिर तीसरी लड़की आयी जिसका नाम ऐलिस था खूबसूरत महिलाओं के समुद्र में सबसे अलग थी। उसकी जिज्ञासु नीली आँखों और एक प्यारी-सी मुस्कान वाली 20 वर्षीय न केवल स्वाभाविक रूप से आकर्षक थी, बल्कि किसी भी तरह के कपड़ों उस पर बिलकुल फिट बैठते थे। वह ऐसी युवती है जिसके स्तन 38डी-के थे और फिर भी उसका वज़न मात्र 50 किलोग्राम के आस पास था। सुनहरे बालों और मोहक मुस्कान वाली जो कीव यूक्रेन की रहने वाली थी और एक ब्यूटीशियन के रूप में काम करती थी, मेरी नज़र में वह एक राजकुमारी थी। ऐलिस के बारे में कुछ ऐसा था, जो पुरुषो को हमेशा उसकी ओर आकर्षित करता था और वह एक प्रशिक्षित सौंदर्य उपचार विशेषज्ञा थी।

उसके बड़े-बड़े गोल स्तन शानदार थे। उसकी योनि से निकली चाबी के हरे बटन को दबाने पर "के" का शब्द उभरा जिसका अर्थ था किंग-राजा और जब मैंने कहा राजा तो सब वहीँ रुक गए और लड़किया तालिया बाजते हुए नीचे झुक कर उसे और मुझे सलाम करने लगी। पहले वाली दोनों लड़किया तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गई और उसे चूमा, वह मुस्कुराई और-और मेरे साथ बिठा दिया। वह मुझे चूमने लगी।

तुरंत उद्घोषिका ने घोषणा की अब राजा-किंग की चाबी वाली लड़की चुनी जा चुकी है इसलिए अब खेल यहीं समाप्त होता है। सब लड़किया अपनी चाबियाँ निकाल ले। फिर सब लड़कियों ने चाबियाँ निकाल ली और जिस लड़की के पास मेरे कमरे 101 की चाबी थी उसे पहचान कर मेरे पास और अन्य में से नम्बरी चाबी बाली लड़किया आपने अपने मेहमान के पास चली गयी और मेरे हिस्से में आयी बेली डांसिंग क्वीन "नूर", जो की 19 वर्षीय सुनहरे बालो वाली नर्तकी जो अरबी मूल की थी।

शेष सभी लड़किया एक तरफ खड़ी हो गयी तो उद्घोषिका बोली अब राजा के पास रानी आ जाए।

सारा नाम की कोलमबियन मूल की गोरी लड़की के पास "क्यू-रानी" की चाबी थी वह मेरे पास आयी और फिर उद्घोषिका बोली अब आप इन सभी में से अपनी पसंद की दो सेविकाएँ चुन सकते हैं। । मैंने दो लड़कियों को चुना। अब मेरे पास कुल 6 लड़किया था और अब आप जो लड़किया नहीं चुनी गयी-गयी हैं उनके बारे में फैसला करेंगे। कुल 25 लड़किया चुनी जा चुकी थी मैंने फैसला किया की बाकी बची 15 लड़कियो सबके लिए उपलभ्ध होंगी। कोई भी मेहमान इनके साथ जा सकता है। इसके साथ ही पार्टी शुरू हो गयी।

फ्रेंच शॅंपेन की बोतलें खुली और खाना परोसा गया और कितने जाम किसके गले के नीचे उतरे इसका कोई पैमाना नहीं था। हल्की-हल्की मदहोश करने वाली डॅन्स की धूनों पर डॅन्स फ्लोर पर जोड़े एक दूसरे से चिपके, कमर हिलाते, अपने, हाथों से एक दूसरे की पीठ सहलाते, होंठों को चूमते, सीने से सीना दबाए थिरक रहे थे।

कपड़े नीचे फर्श पर गिरते जा रहे थे किसी को कोई होश नहीं था। लड़कियों के हाथ महमानो के कपड़े उतार रहे थे। महमानो की हथेलिया लड़कियों के बदन और कपड़ों पर जुटे थे, एक दूसरे को नंगा करने की होड़ मची हुई थी।

सारा डॅन्स फ्लोर से अलग बहोत ही पतली और झीनी-सी ड्रेस पहने, हाथ में जाम लिए अपने दोनों बगल में महमानो के साथ बैठी थी... उसके एक हाथ में शॅंपेन का जाम था, । दूसरा हाथ अपने बगल बैठे मेहमान की पॅंट के उभार पर था और मेहमान के हाथ सारा के बदन से खेल रहे थे, दोनों एक दूसरे में खोए थे, सारा दुनिया से बेख़बर, शराब और शबाब की मस्ती में डूबी, अपने आप को मेहमानो के हाथ छोड़ दिया था।

शराब की मस्ती, हवस की प्यास में अब तक वहाँ मौज़ूद सब के कपड़े उत्तर गए थे।

डॅन्स फ्लोर पर सभी नंगे थे। एक दूसरे को सहलाते, चिपकते, नोचते, चूमते और कमर हिलाते एक दूसरे में समान जाने को बेताब थे। सिसकारियाँ ... थपथपाहट, चूमने की चटखारों, अया ...उईईईई.। हाई। हाय उफ़ अह्ह्ह्ह। की धीमी पर मदहोश आवाज़ें निकाल रहे थे। उनके हाथों की उंगलियाँ चूचियों की गोलाई, चूत की गहराई, बदन के भरपूर गोश्त का जायज़ा ले रही थी। होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपके एक दूसरे को पूरी तरेह खा जाने को बेताब थे। । कुछ जोड़ों से अब और रहा नहीं गया। , उनके सब्र का बाँध फूट पड़ा था। लड़कियों ने अपनी टाँगें फैला दीऔर अपने हाथों से अपने गीली, रसीली चूत की फाँकें अलग कर दी, डॅन्स फ्लोर पर झूमती हुई लेट गयीं। उनके साथियों ने अपने तन्नाए, फन्फनाते लौड़ों को सहलाते हुए अपने पार्ट्नर्स के इन्विटेशन को क़बूल किया, उनके टाँगों के बीच आ गये और फिर फ्लोर पर चुदाई का दौर शूरू हो गया।

अब तक फ्लोर पर जोड़े खड़े थे, अब जोड़े फ्लोर पर पड़े थे, कमरे और नितम्ब खड़े-खड़े भी हिल रहे थे और कमर और नितम्ब अब पड़े-पड़े भी हिल रही थी पर अब साथ में लौड़ों और चूत का भी खेल बराबर चल रहा था। पूरा हॉल आआआः आह्हः। उूुउऊहह1 हाईईईईईईई... हाँ ... उईईईई की धीमी सिसकारियों और चीखों से गूँज रहा था। पार्टी अपनी बुलंदियों पर थी।

इधर सारा के कपड़े भी उत्तर चूके थे वह अब मेरी गोद में बिल्कुल नंगी पड़ी थी। उसकी आँखें बंद थीं। मेरे हाथ सारा के बदन का भरपूर मज़ा ले रहे थे।

एक लड़की आयी और सारा की योनि चाटने लगी। वह सारा की मुलायम, गीली, रसीली चूत को मज़ा चाट-चाट कर ले रही थी। मैं सारा के होंठों की मस्ती, उसकी जीभ की मीठी और गीली स्वाद का मज़ा उन्हें चूस-चूस कर ले रहा था। मेरी उसकी हथेलिया सारा की 36ब साइज़ वाली चूचियों से खेल रही थीं, उन्हें दबा रही थी, उनकी घुंडीयों को सहला रही थी जितना ज़्यादा सारा की चूचियाँ और होंठ चूसे जाते, उतना ही मस्ती से उसकी चूत फदक उठती और उसकी चूत भी उतनी ही गीली होती जाती और चूत चाटने वाले लड़की का मुँह भर उठता सारा की चूत रस से।


जारी रहेगी
 
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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 61

पूलसाइड मस्ती की पार्टी

हम तीनों मस्ती की सीढ़ियों पर आगे और आगे बढ़ते जा रहे थे। सारा कराह रही थी, सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी आँखें बंद थी।

हम दोनों ने उसे उठाया और सामने पड़े बड़े से सोफे पर लीटा दिया और अपनी-अपनी पोज़िशन बदल ली। अब चूत चाटनेवाली लड़की अब सारा की चूचियों से खेल रही थी और सारा की चूचियों से खेलने के बाद अब मैं अब उसकी चूत पर टूट पड़ा।

सारा अपनी टाँगे फैलाए। घूटने उपर किए लेटी-लेटी मज़े ले रही थी । उसकी चूत से रस की बारिश हो रही थी। चूचियों के निप्पल कड़े और तने हुए और ऐसे उपर उथे हुए थे मानो किसी बच्चे की लुल्ली। उन्हें छूते ही सारा के बदन में करेंट-सा दौड़ जाता।

सारा बड़बड़ा रही थी। "उफफफफ्फ़। मेरी चूत बहोत खुज़ला रही है। अब चोद भी दो ना। कम ऑन।"

उसकी चूत से मैंने सर हटाया, उसकी ओर देखा तो वह बोली-"हाँ बस आ जाऔ। भर दो मेरी चूत अपने लंड से। अया देर मत करो। बस आ जाऔ।" और सारा ने अपनी टाँगें और भी फैला दीं।

सारा की बातों से मैं जोश में आ गया और उसकी टाँगें उठाता हुआ टांगो को अपने कंधों पर ले लिया और अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा।

जैसे ही मैंने सारा की चूत पर लंड रखा तो सारा की चूत गीली हो गयी और पानी छोड़ने लगी। इससे मेरा कॉन्फिडेन्स बढ़ गया और मैं लंड को चूत में धकेलने लगा।

पर चूत में लंड नहीं जा रहा था क्योंकि मेरा लंड ज्यादा लंबा और मोटा था।

उधर सारा भी उत्तेजना के मारे कांप रही थीं और उसके बदन से पसीना निकलने लगा था।

इतने में मैंने फिर से लंड चूत में धकेला तो सारा हल्के से बोलीं-इतना बड़ा लंड कैसे जाएगा अन्दर सर जी?

मैं बोला-फिर क्या करूं?

तो सारा बोलीं-कोई क्रीम चिकनाई लगा कर आप मेरी चुदाई करो।

यह कह कर सारा ने मुझे कोल्ड क्रीम पकड़ा दी।

मैंने क्रीम अपने लंड पर लगाई और सारा की चूत में तो काफी सारी लगा दी।

अब मैंने लंड चूत पर लगा कर झटका मारा तो लंड का टॉप अन्दर चला गया।

सारा चिल्ला पड़ीं-उई माँ। मर गई!

मैंने लंड बाहर निकाल लिया और लंड निकाल कर मैं रुक गया।

सारा बोलने लगीं-बहुत बड़ा है, मैं नहीं ले पाऊंगी इतना बड़ा लंड। बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने सारा के मुँह पर हाथ लगा दिया और उसके पैरों में अपने पैर फंसा कर मैंने लंड का झटका दिया तो लंड का सुपारा वापस चूत के अन्दर चला गया। अब सारा रोने लगीं और मुझसे दूर होने के छटपटाने लगीं।

लेकिन मैंने सारा की कमर पकड़ कर लंड पेले रखा और धीरे-धीरे लंड चूत में घुसने लगा।

सारा हर धक्के के साथ-साथ कराहने लगीं। मैंने फिर से तेज झटका मारा।

इस बार मेरा आधा लंड सारा की चूत में चला गया और-और वह दर्द भरी धीमी-धीमी आवाजें निकाल रही थी 'आह आह उन्ह! हाय! मर गई।' मैं नहीं रुका और पेलने में लगा रहा।

मैंने एक और झटका मार कर अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया।

फच से पुर का पूरा लौड़ा सारा की चूत के अंदर था।

सारा का पूरा बदन सीहर उठा, कांप उठा " हान हान्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

अब मैंने सारा को कस कर पकड़ लिया और उसे चूमते हुए सहलाने लगा। मैं कुछ देर रुका रहा।

कुछ देर में सारा को भी मज़ा आने लगा और उसने अपने चूतड़ नीचे से ऊपर को उछाले ये मेरे लिए सिग्नल था कि अब शुरू हो जाओ।

मैंने लंड पूरा अंदर धकेला और फिर पूरा निकाला केवल टोपा ही अंदर रहने दिया और ताज ढाका मार अंदर कर दिया और ऐसे दो तीन बार किया। अब सारा कराहने लगी और साथ में मेरे धक्को की ताल में अपने नितम्ब ऊपर नीचे करने लगी और साथ-साथ बोल रही थी। । "बस ऐसे ही लगाओ धक्के, रूकना मत। आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर। और ज़ोर। लगाऔ। तेज करो मारो-मारो। जोर से। अयाया अयाया। और ज़ोर।"

उसकी बातें सून मैं पूरे जोश में धक्के लगाता रहा उसकी चूत गर्म थी। आग बूझने का नाम नहीं था।

सारा अपनी चूत फैलाए। सिसकारियाँ लेते चुदवा रही थी दूसरी लड़की जिसका नाम मुझे अभी तक मालूम नहीं था वह सारा के ओंठ और उसके बूब्स चूस रही थी। कुछ देर में सारा झड़ गयी और निढाल हो लेट गयी।

मुझे उन सभी लड़कियों में से केवल तीन के नाम पता थे, ब्रज़ीलियन लिया, यूक्रेनियन ऐलिस और कोलमबियन क्यू-सारा बाकी तीन लड़किया साफ और सुंदर थीं, सारा पूरी तरह से नग्न थी और उसके के अतिरिक्त सभी ने अलग-अलग रंगों की छोटी-छोटी चमकदार ब्रा और पेंटी पहन ली थी जो मुश्किल से उनके नितंबों और स्तनों को ढकती थीं। दो अपेक्षाकृत गहरे रंग की थी, हालाँकि उन दो में से एक का रंग निश्चित रूप से दूसरों की तुलना में अधिक गोरा था।

"आप दीपक हैं?" एक काले बालों वाली सुंदरी ने पूछा जो आगे बढ़ी, शायद इसलिए कि उसे अंग्रेजी भाषा पर सबसे अच्छी पकड़ थी। वह बोली मेरा नाम मैगी है फिर उसने एक-एक करके दूसरों की ओर इशारा किया और उनका परिचय करवाया बाकी बची लड़कियों में एक का नाम अलीमा और दूसरी का कार्ला।

फिर थोड़ी-सी हड़बड़ाहट के साथ, लड़कियों ने अपने कपड़े उतार दिए और फिर मेरे चारों ओर जमा हो गईं। जैसा कि मुझे संदेह था, उन्होंने नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था। अब मेरी शॉर्ट्स नीचे खींच दी गई और उनमें से एक लड़की ने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, जो पहले से ही अच्छी तरह से खड़ा था। लड़कियों के बीच कुछ शब्दों का आदान-प्रदान हुआ जब उन्होंने मुझे वही लगे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे चारों ओर फ़ैल गईं। जैसे ही प्रत्येक लड़की बारी-बारी से मुझे चूस रही थी, बाकी लोग मेरे शरीर के हर हिस्से की विलासितापूर्वक मालिश कर रहे थे।

मैगी ने मेरे कान में फुसफुसाया, "क्या तुम मेरी योनी का स्वाद लेना चाहोगे?"

मैंने मुड़कर उसके मुस्कुराते चेहरे की ओर देखा। "हाँ," मैं टेढ़ा हो गया।

जैसा कि ज्यादातर मूक बैले में होता है, बाकी लड़कियाँ बिस्तर पर मुझसे दूर चली गईं, जैसे ही मैंने मैगी को उठाया और विपरीत दिशा की ओर मुंह करके अपने ऊपर लिटा लिया। मैंने अब तक देखी सबसे सुंदर छोटी गंजी योनि वाली मैगी को लगभग अविश्वास से देखा। उसका हल्का कॉफ़ी रंग उसकी लड़कपन की छोटी-छोटी गुदगुदी परतों तक फैला हुआ था। जैसे ही उनमें से एक जिसका नाम अलीमा था उसने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू किया, मैंने अपनी जीभ मैगी की योनि में डाल दी। एक युवा लड़की के फूल के मीठे स्वाद के बारे में कुछ अमूर्त है। जैसे ही मैंने उसे चाटा, मैगी की पतली टाँगें मेरे सिर के चारों ओर कस गईं। मैंने वास्तव में उसके चरमोत्कर्ष की उम्मीद नहीं की थी, इसलिए जब वह चिल्लाई और मेरी जीभ पर उसकी चूत के रस की हल्की-सी फुहार पड़ी तो मुझे बहुत सुखद आश्चर्य हुआ।

लड़कियाँ बारी-बारी से मेरा लंड चूसती रहीं और मेरी अंडकोषों को सहलाती रहीं। यह इतना स्वर्गीय था कि मेरा मन वास्तविकता से अलग हो गया। शायद इसीलिए मैं अभी तक झड़ा नहीं था। मैंने बिस्तर के किनारे पर नज़र डाली तो देखा कि एक लड़की एक अन्य मेहमान की गांड में डिल्डो डाल रही है जबकि वह अपने हाथों और घुटनों पर था। मैंने पीछे मुड़कर अपने आस-पास की इन लड़कियों की ओर देखा, जो बिस्तर पर मेरे साथ खेल रही थीं और देखा कि उनकी गंजी चूतें ऐसे चमक रही थीं जैसे वे गीली हों।

जारी रहेगी ...!
 

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 62

मस्ती की पार्टी-समूह सेक्स

लड़कियाँ बारी-बारी से मेरा लंड चूसती रहीं और मेरी अंडकोषों को सहलाती रहीं। यह इतना स्वर्गीय था कि मेरा मन वास्तविकता से अलग हो गया। शायद इसीलिए मैं अभी तक झड़ा नहीं था। मैंने बिस्तर के किनारे पर नज़र डाली तो देखा कि एक लड़की एक अन्य मेहमान की गांड में डिल्डो डाल रही है जबकि वह अपने हाथों और घुटनों पर था। मैंने पीछे मुड़कर अपने आस-पास की इन लड़कियों की ओर देखा, जो बिस्तर पर मेरे साथ खेल रही थीं और देखा कि उनकी गंजी चूतें ऐसे चमक रही थीं जैसे वे गीली हों।


मेरी साथी लड़कियों में से मैगी, अलीमा, और सारा मेरे साथ अपने मम्मे चिपका कर मजबूती से घेरा बना कर खड़ी हो गयी । ये सभी लड़कियाँ काफी सुंदर और गोलगुदाज जिस्म वाली थी और काफी आकर्षक लग रही थी। लेकिन फिर भी अन्य तीनो लड़कियों ने उन का घेरा तोड़ लिया और मेरे साथ काफी छीना झपटी शुरू कर दी।

ज़्यादातर लड़कियाँ मुझको छूने की कोशिश कर रही थी और इस कोशिश में अक्सर वह मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर देती थी या फिर उन का हाथ मेरे लण्ड से भी छू जाता था।

मैंने भी इस धक्कामुक्की में कार्ला, ब्रज़ीलियन लिया, यूक्रेनियन ऐलिस और कोलमबियन-सारा के चूतड़ों पर और उनके गोल सुडौल मम्मों पर हाथ फेर दिया और उन लड़कियों के मुंह पर आये भाव देख कर तो मैं दंग ही रह गया था क्योंकि उनका बुरा मानने की जगह वह खुल कर मेरे से नज़रें मिला कर मुस्करा रही थी जैसे कि खुले आम मुझको आगे बढ़ने का न्यौता दे रही हों।

ये लड़कियाँ अब मेरे से एकदम सट कर खड़ी थी और उनमें से जो काफी बोल्ड लग रही थी, लिया ने हाथ मेरे लंड के ऊपर रख हुआ था और उसको हल्के-हल्के दबा रही थी।

मेरे पीछे खड़ी ऐलिस ने मेरे चूतड़ों पर हाथ रखे हुए थे और वह उन पर धीरे-धीरे हाथ फेर रही थी।

अब मैं भी अपनी सहन शक्ति खो चुका था, मैंने मग्गी की चूत पर हाथ रख दिया और उसको दबाने लगा। हाथ फेरते हुए उसकी चूत पर से कटे हुए बाल हाथों में चुभ रहे थे लेकिन वह बड़ा आनन्द भी दे रहे थे।

मैंने अलीमा को चूमना और दूसरा हाथ सारा की चूत पर रख उसके भगांकुर को छेड़ना शुरू कर दिया । लेकिन फिर नूर नाराज़ होकर उससे हाथापाई करने लगी लेकिन अलीमा ने उसको कस के अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों पर ताबड़तोड़ चुम्मियों की बारिश लगा दी।

फिर एक के बाद एक लड़की ने और मेरे साथ छीना झपटी शुरू कर दी।

तो ने बोला की अब एक साथ सारे खड़े होंगे और अपने हाथ ऊपर करेंगे कोई भी हाथ से छुपायेगा नहीं!

सब राजी हो गयी और एक दो तीन और सबने हाथ ऊपर करलिए और खड़े हो गए सब! वाह्ह क्या सीन था सभी छह लड़किया बिलकुल नंगी थी मेरे सामने गोरे चिट्टे बूब्स, सिर्फ मैगी की चूत पर हलके बाल थे और बाकी पांच की योनि एकदम साफ़ चिकनी!

मैं उनके नंगे पार्ट्स देखता और वह मेरे देख रही थी! फिर कमरे में शांति हो गयी सब एक दूसरे को नंगा देखकर एक दूसरे पर हाथ फेरने लगे! मैगी मुझे चूमने लग गयी और नूर मैगी के बूब्स चूसने लगी!

बहुत गर्म माहौल हो गया एकदम से बहुत मजा आ रहा था हम एक साथ थे कोई किसी के भी शरीर को छू रहा था! मैंने तो उस सबके बूब्स दबा दिए थे और मैं अब नूर के बूब्स चूसने लगा!

इतने में ऐलिस ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी!

तीसरी लिया, चौथी कार्ला को और पांचवी सारा छथि अलीमा को किस करने में व्यस्त थे! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हैं पर जो भी था बहुत मजेदार था!

मैंने नूर का पेट चूमते-चूमते चूत चाटने लगा और ऐलिस मेरे टट्टे भी चूसने लगी! लिया ने आकर मेरी गांड के छेद पर जीभ फेरना शुरू करदिया!

मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए और कुछ देर बाद ऐलिस मेरा लंड चूसने लगी और बाकि दो लिया और कार्ला मेरे अंडकोष चूसे लगी सारा और मैगी मुझे चूमने चाटने लगी!

बहुत मजा आ रहा था माहौल पूरा गर्म हो चूका था और हमारा शरीर भी! मुझसे अब रहा नहीं गया मैंने पहले नूर को लिटा दिया और उसकी चुत में लंड घुसा दिया! कमरे में चुद रही लड़की की कराहे गंजे लगी ।

मैंने उसकी चुदाई शुरू करदी और बाकि दोनों दोस्त ऐसे देख रही थी मानो कभी चुदाई नहीं देखि!

उनमे से एक नूर के बूब्स चूस रही थी और दूसरी लिया नूर के चेहरे पर चुत रखकर मेरे और मुँह करके किस कर रही थी!

कुछ देर बाद कार्ला ने मैगी की चुत से मेरा लंड निकाला और अपनी चूत में डाल दिया!

अब मैं कार्ला की दोस्त की मस्त चुदाई करने लगा और लिया और उसकी दूसरी दोस्त अलीमा मुझे बारी-बारी से चुम रही थी!

मैगी, अलीमा, और सारा, कार्ला, ब्रज़ीलियन लिया, यूक्रेनियन ऐलिस और नूर

उनकी सिसकारियाँ आह उठ सससस की पूरी कमरे में गूंज रही थी! कुछ देर बाद तीसरी अलीमा ने मुझे उसकी चुदाई करने को कहा तो मैंने उसकी चुत मारना शुरू करदिया! फिर मैंने बारी-बारी से लिया, ऐलिस और नूर को चौदा।

ये चुदाई का सिलसिला करीब आधे घंटे चला और फिर मेरा लंड लिया के अंदर था तब झड़ गया! उसके बाद भी हम सब एक दूसरे को चूमते सहलाते जा रहे थे!

फिर उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया लड़किया बारी-बारी मुझे होंठ पर चूमने लगी!

उसके बाद मेरा हो गया फिरसे खड़ा तो मैंने उन उनको घोड़ी बना दिया और बारी-बारी 5 मिनट सबको चोदने लगा!

बहुत देर हो चुकी थी और मैंने सबकी अच्छे से चुदाई कर चूका था पर नूर से मन नहीं भरा था!

नूर की चूत बहुत टाइट थी इसीलिए मुझे वंहा ज्यादा मजा आ रहा था और मैंने वंहा जोर-जोर से चुदाई शुरू करदी और आखिर में मेरा झड़ गया!

जारी रहेगी
 

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 63

सुबह सुबह समुद्र तट पर मदद की गुहार

नूर की चूत बहुत टाइट थी इसीलिए मुझे वंहा ज्यादा मजा आ रहा था और मैंने वंहा जोर-जोर से चुदाई शुरू करदी और आखिर में मेरा झड़ गया!

मैंने आखिरी जोर से धक्का मार कर नूर की योनि में वीर्य गिरा दिया । नूर कामोत्तेजना से सिसक रही थी। थकान से धीरे-धीरे दोनों के पसीने से भीगे हुए बदन शिथिल पड़ गये। मैं नूर के नंगे बदन के ऊपर लेट गया हम दोनों की आँखें बंद थीं और रुक-रुक कर साँसें चल रही थीं।

मैंने कहा–और उसी के साथ भोर का समय हो-हो गया और सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ी और सुनहरी उजाला होना शुरू हो गया । यूरोप में वैसे भी गर्मियों में दीनबहुत लम्बे और राते बहुत छोटी होती हैं । गर्मियों में सूर्योदय लगभग 4 बजे हो जाता है और भोर सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले हो जाती है ।

और चारो तरफ देखा सब लड़किया थक कर सो रही थी। कोई फर्श पर सो रही थी तो कोई सोफे के ऊपर, , कोई बिस्तर पर कोई अकेली तो कोई अपनी प्रेमिका से चिपक कर।

मैं हमेशा जल्दी उठने वाला रहा हूँ और मुझे सुबह-सुबह नींद नहीं आती है। चाहे मैं रात में कभी भी बिस्तर पर जाऊँ पर सुबह जल्दी ही उठना पसंद करता हूँ क्योंकि मैं सुबह से प्यार करता हूँ और साथ ही सुबह-सुबह टहलना और अपनी नियमित कसरत करना। मैंने वहाँ पड़ा एक गाउन पहना, एक पानी की बोतल उठायी और फिर वहाँ से बाहर बगीचे में गया थोड़ी-सी कसरत की और बगीचे में टहलते हुए महसूस किया कि ठंडी वसंत के बावजूद मौसम सुहाना था। बगीचे से थोड़ा आगे समुद्र का तट था । मैं समुद्र के किनारे पर टहलने लगा ।

वहाँ मेरी मुलाकात वहाँ टहलते हुए बिल से हुई। उसके पास एक कैमरा था। हमने एक-दूसरे को सुबह के शुभकामनाये दी । उसने मुझसे अपनी कुछ तस्वीरें लेने के लिए कहा और फिर ढेर सारी तस्वीरें लेने के बाद हम एक साथ टहलने निकले। जब हम समुद्र तट पर चल रहे थे, तो बिल ने मुझे बताया कि वह फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ हैं और वह यहाँ थोड़ी देर पहले ही एक शूट के लिए आया है। ये जगह बहुत खूबसूरत है और उसकी एक फिल्म के लिए उसे बहुत उचित लगी है ...

मैंने कहा, "बिल, लेकिन आप वास्तव में फिल्म उद्योग में क्या करते हैं?"

उन्होंने हंसते हुए कहा, "मैं एक निर्देशक हूँ, लेकिन मैं कुछ भी कर लेता हूँ, जिससे मैं पैसे कमा सकूं। अगर कोई फिल्म उद्योग में टिकना चाहता है, तो उसे हमेश हत्या करने के अलावा कुछ भी करने के लिए तैयार रहना पड़ता है।"

"आप एक निर्देशक हैं; शायद मैंने आपकी कुछ फिल्में देखी हैं। मुझे उनके शीर्षक बताओ," मैंने पूछा।

"नहीं, शायद आपने उन्हें नहीं देखा होगा," वह हँसते हुए बोला, "मैंने केवल कुछ कम बजट की फिल्मों में कुछ काम किया है।"

फिर उसने उनमें से फिल्मे में से कुछ के नाम मुझे बताए।

"क्षमा करें, मैंने उनके बारे में कभी नहीं सुना," मैंने सच्चाई से उत्तर दिया।

"मैंने तुमसे कहा था," बिल ने कहा, "कुमार, मुझे पता है कि मैं अच्छा हूँ। मुझे बस एक ब्रेक की जरूरत है। हाँ, स्वतंत्र रूप से फिल्म निर्देशित करने का सिर्फ एक मौका मिलना चाहिए। तब बिल फिल्म क्षितिज पर नया सितारा होगा।"

"मुझे तुम पर विश्वास है। मुझे यकीन है कि एक दिन तुम सफल हो जाओगे, दोस्त!" मैंने कहा।

"कुमार, स्कूल में मैंने पढ़ा था कि लेडी लक हर किसी के दरवाजे पर दस्तक देती है। मैं अब भी उसके मेरे दरवाजे पर दस्तक देने का इंतजार कर रहा हूँ," वह हंसने लगा।

"हाँ, मेरे दोस्त, जीवन वास्तव में कठिन है," मैंने कहा।

"माफ करना दोस्त, मुझे कुछ काम निपटाने हैं और मुझे उम्मीद है कि मैं आज यहाँ एक निर्माता से मिलूंगा। मैं दोपहर तक वापस आ जाऊंगा। नाश्ते के लिए मेरा इंतजार मत करना। मजे करो! जल्द ही मिलते हैं।"

फिर बिल मुझे छोड़कर जल्दी से चला गया। "

मैं वहा से आगे घूमने गया और फिर पलट कर अपने कमरे की तरफ लौटने लगा। जब मैं अपने कमरे के पास के बगीचे की तरफ जा रहा था तभी समुद्र की और से एक आवाज ने मेरा ध्यान खींचा; यह एक प्रकार की हलकी-सी बिल्ली की कराह की आवाज थी ।

पहले तो मैंने इसे नजरअंदाज किया लेकिन यह पुकार थोड़ी तेज हुई तो मुझे लगा ये किसी-किसी मानव की आवाज है जो शायद मदद के लिए पुकार रही थी। मैंने ध्यान से सुना तो लगा ये किसी लड़की की ही आवाज है। ' "शायद यह बिल की लेडी लक है," मैंने खुद से कहा और मदद के लिए आ रही पुकार की दिशा में देखा।

मैंने एक युवा लड़की को लडखडात्ते हुए पुकारते हुए समुद्र से मेरी ओर दौड़ते हुए पाया।

"कृपया सर, कृपया मेरी और मेरी बहन की मदद करें, ," उसने विनती की और वह गिर पड़ी और बेहोश हो गई।

मैं उसकी ओर दौड़ा और पास पहुँच कर उसे और ध्यान से देखा। वह स्पष्टतः एक भिखारिन थी। उसका चेहरा मैला था और उसने फटे हुए कपड़े पहने हुए थे। मैंने उसके चेहरे पर थोड़ा पानी छिड़का और उसे पानी पीने के लिए पानी की बोतल दी। जब वह होश में आ कर बोली प्लीज हमारी मदद करो । मेरी बहन को बचा लो!

मैंने कहा पहले आप शांत हो जाओ और मुझे बताओ क्या हुआ है?

वो बोली; सर! मुझे बहुत भूख लगी है। मैंने कल से खाना नहीं खाया है।

जब वह शांत हुई तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारी बहन कहाँ है क्या तुम भूखी हो तो मैं उसे कुछ खाने को दे सकता हूँ।

वो बोली सर! मेरी बहन समुद्र में नाव में है । मैं तैर के यहाँ तक आयी हूँ। मेरी बहन को तैरना और नाव चलाना नहीं आता । वह भी भूखी है प्लीज उसे बचा लो!

मैं उसे रिसोर्ट में अपने कमरे ले गया और रिसोर्ट के मालिक को बताया की समुद्र में एक नाव में एक लड़की फसी हुई है! उसे मदद की जरूरत है! आप उसकी मदद के लिए कुछ लोग भेजिए । रिसोर्ट के मालिक ने कुछ लोग एक मोटर बोट में उस लड़की द्वारा बताई हुई दिशा में भेज दिए ।

जारी रहेगी
 

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 64

भूखे की मदद
वह फिर गिड़गिड़ाने लगी- सर प्लीज मेरी बहन को बचा लीजिए!

मैंने उससे कहा कि एक बचाव दल उसे बचाने के लिए गया है।

"मैं नाश्ते का ऑर्डर देने वाला हूं," मैंने कहा, "अगर आप चाहें तो मेरे साथ नाश्ता कर सकती हैं।"

" जल्द ही पता चल जाएगा कि क्या वह सचमुच उतनी भूखी है, जितना वह कह रही है," मैंने सोचा।

उसने मुझे स्नान का गाउन पहने हुए देखा और झिझकी। "अगर आप कुछ खाना चाहती हैं तो मैं आपको कुछ भोजन दे सकता हूं लेकिन पैसे नहीं दूंगा , क्योंकि मैं भीख मांगने वालों को पैसे देने के खिलाफ हूं, मेरा अनुभव यह है कि वे इसका इस्तेमाल हमेशा गलत उद्देश्यों के लिए करते हैं। अगर वह भूखी है तो मैं उसे खाने के लिए कुछ दे सकता हूँ ।

" मैंने अपना निमंत्रण दोहराते हुए कहा, "यदि तुम्हें भोजन चाहिए तो शीघ्र निर्णय करो। मैं यहाँ सारा दिन इस तरह रह सकता।"

"ठीक है," उसने कहा।

"जब तक मैं नाश्ते का ऑर्डर देता हूं, तुम यहीं बैठो" मैंने उसे डाइनिंग टेबल की ओर ले जाते हुए कहा।

"क्या आप कुछ अंडे और टोस्ट लेंगे ?" मैंने पूछ लिया।

"कुछ भी चलेगा। भिखारी चयनकर्ता नहीं हो सकते," उसने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया।

"उसकी मुस्कान बहुत सुंदर है और अगर वह अपना चेहरा धो ले तो काफी सुंदर लगेगी । अच्छा होगा अगर मैं उसे चोद सकूं," मैंने सोचा।

मैंने ८ अंडे उठा लिए . (कमरे में खाना पकाने की सुविधा के साथ एक छोटी सी रसोई थी, मैंने रिसॉर्ट प्रबंधन से नाश्ते के रूप में अंडे देने का अनुरोध किया था, जिन्हे मैं स्वयं पकाना चाहता था ।)

"अगर आप चाहें तो मैं मदद कर सकती हूं," उसने पेशकश की, "मैं एक अच्छा खाना बनाती हूं।"

"ठीक है, ," मैंने उसे आठ अंडे देते हुए कहा, "जब तक मैं कुछ चाय बनाता हूँ।"

जब वह अंडे बना रही थी तो मैंने मेज दजा दी और जब नाश्ता तैयार हो गया तो मैंने अंडों का एक छोटा सा हिस्सा लिया और शेष उसे दे दीया । मैंने उसके सामने पूरी ब्रेड रख दी लेकिन वह नहीं खा रही थी।

आपने कहा था कि आप भूखी हैं तो फिर अब खा क्यों नहीं रही हैं?

तभी होटल प्रबंधन ने मुझे फोन किया और बताया कि उन्हें नाव और लड़की मिल गई है और पाया कि वह नाव पर बचाव दाल को बेहोश मिली है और उन्होंने उसे बचा लिया है । वे उसे अस्पताल ले गए हैं।

मैंने उससे कहा कि उसकी बहन सुरक्षित है और उसे बचा लिया गया है, वह जल्द ही यहां आएगी। अब वह बेफिक्र हो खा सकती है।

फिर भी वो खाना नहीं खा रही थी, मैंने उससे पूछा अब क्या?

मैं अपनी बहन के लिए कुछ खाना रखना चाहता हूं, वह भी भूखी है।

चिंता मत करो मैं उसके लिए और ऑर्डर करूंगा। आप इसे खा सकती है।
मैंने उसके सामने थोड़ा मक्खन रखा और फिर उसे खाते हुए देखा।

जिस तरह से वह मेज पर बैठी और उसने कटलरी का इस्तेमाल किया, मैंने सोचा कि यह लड़की भिखारी के रूप में पैदा नहीं हुई थी और मैंने उसकी पृष्ठभूमि के बारे में और अधिक जानने का फैसला किया।

"आपका क्या नाम है?" मैंने पूछ लिया।

"पाउ-ला," उसने अंडे और ब्रेड से भरे मुंह के साथ उत्तर दिया।

"पाउला?" मैं हँसा।

"नहीं, पोला," उसने कहा।

"पोला, तुम कहाँ रहती हो?" मैंने पूछ लिया।

"भिखारी सड़कों पर और कहां रहते हैं, (सर)? हमारे पास कोई स्थायी जगह नहीं है। वर्तमान में मैं दूसरी तरफ समुद्र तट से लगभग दो मील दूर झुग्गियों में एक मिट्टी की झोपड़ी में सोती हूं," उसने जवाब दिया।

उसको चोदने की इच्छा प्रबल हो गयी. खून मेरी कमर में दौड़ गया जिससे मेरा लंड आधा अकड़ गया। उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए मैंने सेक्स के बारे में बात करने का फैसला किया।

"क्या तुम्हें डर नहीं लगता कि एक रात कोई तुम्हे चो ... देगा...?" मैंने वाक्य अधूरा छोड़ते हुए कहा।

"सर साफ़ कहो कि कोई मुझे चोद देगा )" उसने बिना शरमाये जवाब दिया।

"इतनी कम उम्र में भी वह काफी अनुभवी है," मैंने सोचा, "लेकिन वास्तव में इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । एक चूत (योनि) एक चूत होती है और मेरा लंड और कड़ा हो गया ।"

“तुम्हें किसी ने चोदा है क्या…?” मैंने पूछ लिया।
अभी तक तो मुझे किसी ने नहीं चोदा है, मैं कुंवारी हूँ लेकिन पूरी सम्भावना है कि आज रात मैं अपना कौमार्य खो दूँगी,'' उसने नज़रें झुकाये हुए कहा।

"आप यह कैसे जानती हैं?" मैंने आश्चर्य से पूछा।

"मुझे यह पता है," उसने उत्तर दिया।

"तुम भाग क्यों नहीं जाती और अपना कौमार्य बचा लो ," मैंने सुझाव दिया।

"मैं कब तक भागती रहूंगी? एक दिन कोई न कोई मेरी योनी को चोदने वाला है। इस बेवकूफी भरे कौमार्य को बचाने के लिए ही मैं भिखारी बन गयी हूं," उसने जवाब दिया।

"सचमुच, क्या तुम मुझे बताना चाहोगी ?" मैंने अनुरोध किया।

"सर, यह एक लंबी कहानी है," उसने उदासी से कहा।

"मेरे पास समय है और तुम्हें भी शांति से खाना पचाने के लिए समय चाहिए," मैं मुस्कुराया।

"ठीक है, सर, तो सुनिए," उसने कहा, "मेरा जन्म पोलैंड में यहाँ से दूर वारसॉ के पास एक छोटे से गाँव में संपन्न माता-पिता के यहाँ हुआ था। और मैं ईमानदारी से विश्वास करती हूँ, बेहद ईमानदार हूँ।

हमारे पास एक घर, एक कार और जीवन की अन्य सभी अच्छी चीज़ें थीं। ऐसा लगता है कि वह हमारे छोटे से खुशहाल परिवार को किसी की नजर लग गयी । दो साल पहले जब मैं किशोर थी , दुर्भाग्य ने हमारे जीवन में कदम रखा।

मेरे पिता, जिनके अंगों पर एक चोट लग गई थी, जिसके कारण वे देश-कठिन परिश्रम की अधिक मेहनत वाली शाखाओं का पालन करने से अक्षम हो गए थे, मेरी माँ अपने पड़ोस में लड़कियों के लिए एक छोटा-सा डे-स्कूल चलाने लगी । उनके कई बच्चे हुए थे, लेकिन मेरी छोटी बहन और मुझे छोड़कर कोई भी अधिक उम्र तक जीवित नहीं रहा।

मेरी और मेरी बहन की शिक्षा, अठारवे वर्ष की आयु तक, आधुनिक अंग्रेजी स्कूल में हुई, और हमने अंग्रेजी का अध्ययन किया; मेरी प्यारी माँ ने अपना समय पूरी तरह से अपनी छोटी-छोटी घरेलू चिंताओं के बीच बाँट दिया था, और उन्होंने इसमें से बहुत कम हिस्सा मेरे निर्देश के लिए बचाया था, उन्होंने अपनी मासूमियत में हमे सभी बुराइयों से बचाने के लिए कभी कोई संकेत नहीं दिया था, या हमे किसी से बचाने के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था।

दो साल पहले जब मैं अपने अठारहवें वर्ष की हो गयी , तब सबसे बुरी विपत्ति हम पर आई और हमने अपने प्यारे माता-पिता को खो दिया, वो दोनों एक-दूसरे से कुछ ही दिनों के भीतर एक कार दुर्घटना में चले गए थे; कुछ ही दिनों में मैं और मेरी बहन अनाथ हो गए।”

एक सेकंड, मुझे ये जान कर गहरा दुःख हुआ की आप इस तरह से अनाथ हो गयी ! आपने कहा कि दो साल पहले आप अठारह वर्ष की थी । अब आपकी उम्र कितनी है?" मैंने पूछा।

"मैं लगभग बीस वर्ष की हूं," उसने उत्तर दिया।

"हे भगवान, तुम बीस साल की हो! तुम एक किशोरी से एक दिन भी बड़ी नहीं लगती हो ," मैंने आश्चर्य से कहा।

"हमारे परिवार में लड़किया बचकानी शक्लो वाली है । मेरी माँ, दो बड़ी बेटियों की माँ होने के बावजूद, पच्चीस से अधिक की नहीं दिखती थीं। सर, मेरी बहन ओलिविआ अठारह साल की है, लेकिन केवल सोलह की दिखती है। शायद यह हमारी बचकानी शक्ल ही है जिसने हमें इतने लंबे समय तक कुंवारी रहने दिया है ,'' वह मुस्कुराई।

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 65

चाचा की चाहिए चुदाई के लिए कसी हुई कुंवारी लड़की


"हे भगवान, तुम बीस साल की हो! तुम एक किशोरी जैसे दिखती हो," मैंने आश्चर्य से कहा।

"हमारे परिवार में लड़किया बच्चो के जैसी शक्लो वाली है। मेरी माँ, दो बड़ी बेटियों की माँ होने के बावजूद, पच्चीस से अधिक की नहीं दिखती थीं। सर, मेरी छोटी बहन ओलिविआ अठारह साल की है, लेकिन केवल सोलह की दिखती है। शायद यह हमारी बचकानी शक्ल ही है जिसने हमें इतने लंबे समय तक कुंवारी रहने दिया है," वह मुस्कुराई।

मुझे लगता है जिस दिन मेरे माता पिता की मृत्यु हुई उस दिन से क्रूर भाग्य ने वास्तव में हमे पकड़ लिया था, लेकिन इतने हल्के और अनुकूल लक्षणों के साथ, क्योंकि मैं वर्तमान में खतरे से बाहर थी और मेरी सरलता का मूल्य मुझे तब नहीं पता था,। मैं यहाँ उस स्वाभाविक दुःख और पीड़ा का विवरण छोड़ रही हूँ, जो मैंने इस उदासी भरे अवसर पर महसूस किया।

पोला ने अपनी कहानी जारी रखी, "केवल मेरे पिता के दूर के चचेरे भाई (चाचा) ही परिवार में बचे थे," वह वॉरसॉ में रहते थे और मेरे माता-पिता के अंतिम संस्कार में आए थे। बाद में वह हमें अपने साथ अपने घर ले गए। उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी और हमसे बहुत प्यार करते थे लेकिन हमारी चाची-(चाचा की पत्नी) एक चुड़ैल थी। वह हमसे नफरत करती थी और हमसे खाना बनवाती थी और घर का सारा काम करवाती थी। वह हमसे गाली-गलौज करती थी और जरा-जरा-सी बात पर हमें पीटती थी। "

"चाचा ने हमारा दाखिला स्थानीय स्कूल में करा दिया था। जब भी आंटी हमें अनुमति देती थीं, हम वहाँ जाते थे। वह हमेशा हमारे अंकल से कहती थीं," उन्हें पढ़ाना पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। कुछ सालों में वे चुदाई करवाएंगी और ढेर सारे बच्चे पैदा करेंगी। "

"उन्हें तब तक पढ़ने दो," चाचा हमेशा जवाब देते।

" एक महीने के बाद एक रात जब मैं चाचा के शयनकक्ष की खुली खिड़की से गुज़र रही थी तो मैंने चुदाई शब्द सुना। ये मेरे लिए जिज्ञासा का विषय था इसलिए उत्सुकतावश मैं रुक गयी और खिड़की से उनकी बातें सुनीं। मैं चौंक गयी। सर, यकीन मानिए खिड़की से दिख रही छाया से मुझे पता चल गया कि मेरे दोनों चाचा-चाची नग्न थे। चाचा बिस्तर पर आधे लेटे हुए थे और चाची उनके आधे खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर उनके बगल में बैठी थीं। मैं उनकी हिलती परछाइयों को देखती रही। हालाँकि मैं उस समय बिलकुल नादान थी और मुझे समझ नहीं आया कि वे क्या बात कर रहे थे क्योंकि हमारी माँ ने हमें कभी भी सेक्स के बारे में शिक्षा नहीं दी थी और इन चीजों के बारे में कुछ नहीं बताया था।

इधर देखो, इतनी देर तक तुम्हारा लंड चूसने के बाद भी यह सख्त नहीं हुआ है।" आंटी ने अंकल से शिकायत की।

डार्लिंग थोड़ा और चूसो। बहुत अच्छा लग रहा है, " अंकल ने शांति से उत्तर दिया।

"नहीं, अब मैं इसे नहीं चूसूंगी। याद है जब तुमने धोबी की बेटी को नंगा कर उसकी छूट फाड़ी थी? तुम्हारा लंड इतना सख्त हो गया था कि उसके साथ मुझे भी बहुत मजा आया था," आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हाँ, वे पुराने दिन कितने अच्छे थे।" अंकल ने कहा।

मैंने देखा कि धोबी की बेटी का नाम सुनते ही चाचा के लंड की परछाई थोड़ी बड़ी हो गयी थी ।

"हाँ, वे दिन अच्छे थे," चाचा ने अपने आधे खड़े लंड को मुठियाते हुए कहा, "लेकिन उस कृतघ्न लड़की को शादी करनी पड़ी।"

"अब तुम्हें जिस चीज की आवश्यकता है वह है चुदाई के लिए एक और कसी हुई कुंवारी लड़की," आंटी ने कहा।

चाचा ने आह भरते हुए कहा, "यह अच्छा होगा लेकिन हमें अब कुंवारी लड़की कहाँ मिलेगी।"

आंटी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मेरे पास तुम्हारे लिए एक कुंवारी लड़की है। असल में एक नहीं बल्कि दो कुंवारी लड़कियाँ हैं।"

"सचमुच, वे कौन हैं?" अंकल ने चहकते हुए पूछा।

"पोला और ओलिविया," चाची हँसी। हमारा नाम सुनकर मेरा दिल बैठ गया।

"क्या तुम पागल हो," चाचा ने चिढ़ते हुए कहा, "क्या तुम भूल गई कि वे मेरे भाई की बेटियाँ हैं। वे मेरा अपना खून हैं।"

"क्या हुआ अगर वह दोनों आपका ही खून हैं? उनकी कसी हुई कुंवारी योनियाँ हैं, है ना? मैंने फैसला कर लिया है। आपको उन्हें चोदना ही होगा," आंटी ने मेरे चाचा से कहा।

नहीं, मैं अपनी बेटियों को कैसे चोद सकता हूँ, " चाचा ने कहा।

"क्या यह आपका अंतिम निर्णय है?" आंटी ने पूछा।

"हाँ," चाचा ने उत्तर दिया।

"ठीक है, फिर मुझे अपने भाई से यह करने के लिए कहना होगा," आंटी ने घोषणा की।

"तुम्हारे भाई का मेरी भतीजियों से क्या लेना-देना है?" चाचा ने पूछा।

"सबकुछ, पिछले हफ्ते ही वह उनकी तंग कुंवारी योनी का कीमा बनाना चाहता था," चाची ने कहा।

"मुझे आशा है कि तुमने उसे लड़कियों को छूने नहीं दिया होगा," चाचा ने गुस्से से लाल चेहरा दिखाते हुए कहा।

"बिल्कुल नहीं, क्योंकि मैं आपके लंड के लिए उनका कौमार्य बरकरार रखना चाहती थी। यदि आप उनका कौमार्य भंग नहीं करना चाहते हैं तो मेरे भाई को ऐसा करने में बहुत खुशी होगी," आंटी ने हँसते हुए कहा।

"तुम ऐसी कोई हिम्मत नहीं करोगी," चाचा ने गुस्से से कहा।

चाची ने हंसते हुए कहा, "मैं बिल्कुल ऐसा हीं करूंगी," और जब वह और उसके दोस्त उनकी चुदाई से थक जाएंगे तो वह उन्हें वेश्यालय में बेच देगा। इस तरह वह उनसे कुछ पैसे भी कमा सकता है। "

"मुझे बताओ तुम उनसे इतनी नफरत क्यों करती हो? इन बेचारी लड़कियों ने तुम्हारे साथ क्या किया है?" चाचा ने अचानक शांत होते हुए पूछा।

"उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन तुम्हारी माँ ने किया। जब मेरी शादी हुई तब वह अपनी मोटी गांड पर बैठकर मुझे ताने मारती थी और मुझसे सारा काम करवाती थी। उसे मेरे काल्पनिक दोष बताने में आनंद आता था। यहाँ तक कि रात में भी उन्हें मेरा तुम्हारे पास आना पसंद नहीं था।"

"तुम्हारी माँ मुझसे हमेशा कहती थी, कि (बहू) तुम्हें अपने कमरे में जाने की इतनी जल्दी क्या है?"

"खूनी कुतिया। जब तक वह मुझे जाने देती थी तब तक आप गहरी नींद में सो चुके होते थे या मुझे चोदने के लिए बहुत थक चुके होते थे। अच्छा हुआ अब वह मर चुकी है और मुझे आशा है कि उनकी आत्माएँ नरक में सड़ रही होंगी लेकिन वह इन दो पोतियों को अब मेरे पीछे छोड़ गई है। मैं इनसे बदला लूंगी। तो तुम उन्हें नहीं चोदोगे। क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?" आंटी ने पूछा।

"बेचारी लड़कियों, मुझे उन पर दया आती है। डार्लिंग, मैं सोच रहा हूँ कि अगर उन्हें अपना कौमार्य खोना ही है तो मैं क्यों न ये काम कर दूं और तुम भी मजे ले लो," अंकल ने आंटी को चूमते हुए कहा।

पोला ने मुझसे कहा, "सर, जब मैंने चाचा को यह कहते हुए सुना कि वह हमें चोदेंगे तो मेरे गालों से आँसू बहने लगे।"

आंटी उठीं और बोलीं, "अच्छा, मैं तुम्हारे पास पोला को अभी लाती हूँ। वह बड़ी है और पहले उसका कौमार्य भंग करो।"

"नहीं, मेरी जान, आज रात नहीं," चाचा ने कहा, "देखो मेरा लंड अब चट्टान की तरह सख्त हो गया है। तुम आज रात इस उत्तेजना का आनंद लो और मैं पोला के कौमार्य कल भंग करूँगा।"

वादा करो, " चाची ने पूछा।

"वादा," चाचा ने चाची को अपने बिस्तर में खींचते हुए कहा।

"देखो मैंने तुमसे क्या कहा था? उनकी कुँवारी योनि को चोदने के विचार ने ही तुम्हारा लंड कितना कठोर हो गया है। मुझे आश्चर्य है कि जब तुम वास्तव में उन्हें चोदोगे तो यह कितना कठोर हो जाएगा। मैं मुश्किल से कल तक इंतजार कर सकती हूँ," चाची हँसते हुए लेट गईं और अपने पैर फैला दिये। चलो अब मुझे चौदो!

"इतनी जल्दी नहीं। पहले मेरा लंड चूसो," चाचा ने कहा।

"नहीं, मुझे चोदो," चाची ने कहा।

"प्लीज़, डार्लिंग, पहले चूसो फिर मैं तुम्हें चोदूंगा," चाचा ने कहा।

"ठीक है, लेकिन थोड़ा सा," चाची ने कहा और उठकर मेरे चाचा का लंड चूसने लगीं। दस मिनट तक चूसने के बाद वह लेटते हुए बोली-अब तुम मुझे चोदो।

"ठीक है, ये गया," चाचा ने अपना लंड चाची की योनि में घुसाते हुए कहा।

"आआआहहहह, यह अच्छा लग रहा है," जब चाचा ने अपना लंड चाची की योनि में अंदर-बाहर किया तो चाची ने आह भरी।

"मुझे चाचा के लंड की परछाई बहुत बड़ी लग रही थी जीसे उनका लंड भी बड़ा लग रहा था पर अभी तक मैंने सच में लंड नहीं देखा था। मैंने सोचा कि जब चाचा इस बड़ी छड़ी को चाची की योनि में डाल देंगे तो उन्हें चोट लग जाएगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि चाची ने दर्द से चिल्लाने के बजाय खुशी से जोर से आह भरी।"

"सर, मैं जाना चाहती थी लेकिन मैं हिल नहीं सकी। मंत्रमुग्ध होकर, मैंने उनकी परछाईयो को चुदाई करते देखा और उनकी कराहे और आवाजे सुनती रही। मैंने पहले कभी चुदाई नहीं देखी थी। मैं अपनी आँखें चौड़ी करके देखती रही जब मेरे चाचा अपने लंड को चाची की योनि में अंदर-बाहर कर रहे थे।"

"चाची खुशी से कराह रही थी। फिर मैंने देखा कि उसके नितंब चाचा के स्ट्रोक की लय में हिलने लगे। प्रत्येक अंदर और बाहर स्ट्रोक के साथ उसकी कराहें और तेज़ हो गईं। चुदाई देखते हुए मेरे चाचा द्वारा मुझे अपवित्र किए जाने के आसन्न खतरे के बावजूद मेरी चूत गीली हो गई और टपकने लगी।"

"हाँ, मेरी जान, अपना लंड और ज़ोर से मेरे अंदर घुसाओ। आह्ह या...तेज़ है," वह खुशी से चिल्लाई।

चाचा के धक्के छोटे और तेज होते गये। आंटी चिल्लाई, "ओह यह कितना प्यारा लग रहा है। हाँ...हाँ हाँ...मुझे और जोर से चोदो। हे भगवान, तेजी से करो! आगे बढ़ो...यही तो है। अरेर्रलिंग, मैं झड़ने वाली हूँ। हाँ...हाँ, मैं वहाँ हूँ। ओह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह मैं अम्म्म्म कुउउउम्म्म्म्म्म्IIIन्नन्न्न्ग्ग्ग," चाची चिल्लाईं और हांफती हुई लेटी रहीं।

मेरे चाचा ने अपना लंड अन्दर-बाहर करना जारी रखा। फिर उसने अचानक अपने लंड को चाची की योनि में गहराई तक धकेल दिया और जोर से गुर्राने के साथ चाची के ऊपर हांफते हुए लेट गया। वे काफी देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे, फिर अचानक लाइट बंद हो गई। मुझे समझ नहीं ये क्या हुआ?

सर, भारी मन से मैं अपने कमरे में चला गयी। मेरी बहन गहरी नींद में सो रही थी। लेकिन मुझे उस रात यह सोचकर बड़ी मुश्किल से नींद आई कि मुझे क्या करना चाहिए। इससे पहले कि मुझे कुछ पता चलता सुबह हो गई। मुझे अभी भी नहीं पता था कि अपना कौमार्य बचाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए और अंततः मैंने अपने भाग्य के साथ समझौता कर लिया।

हर सुबह नौ बजे मेरी चाची चर्च जाती थीं और ग्यारह बजे के आसपास लौटती थीं। यही उसकी दिनचर्या थी। "पोला, अगर चाचा तुम्हें बुलाएँ तो घबराना मत। जल्दी से उनके पास जाना और जो वह कहे वह करना! समझी," उसने चर्च के लिए निकलने से पहले मुझे कहा।

आधे घंटे बाद चाचा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया।

"ओह्ह ! ," मैंने सोचा, "वह अब मेरा कौमार्य भंग करने वाले है ।"

जारी रहेगी

 

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 66


रास्ते में मिली मित्र के साथ नए शहर की यात्रा

मैं भारी कदमों से उनके कमरे में गयी । रास्ते में मैंने एक रसोई का चाकू उठाया, जिसे मैंने अपने कपड़ों की तहों में छिपा लिया। मैंने सोचा कि अगर उन्होंने मुझे चोदने की कोशिश की तो मैं उन्हें मार दूंगी और फिर खुद को भी मार डालूंगी। इस तरह, कम से कम, ओलिविया अपने ही चाचा द्वारा चोदे जाने के अपमान से बच जाएगी।

"यहाँ आओ, मेरी जान," चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।"

"धन्यवाद," मैंने चाकू पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा और उनकी अगली चाल चलने का इंतजार करने लगी ।

फिर चाचा ने अपनी जेब से नोटों का एक बड़ा बंडल निकाला और एक नोट निकालते हुए कहा, "पोला ! यह लो। ओलिविया और अपने लिए खाने के लिए कुछ चॉकलेट खरीदो और अपनी चच्ची को इस बारे में मत बताना।"

फिर अपनी अलमारी खोलकर पैसे अंदर रख दिए।

"पोला, मुझे अब जाना चाहिए, मुझे आज दुकान जल्दी खोलनी है। याद रखना तुम्हारी चाची ग्यारह बजे तक वापस आ जाएगी," उन्होंने कहा और मुझे जोर से गले लगाते हुए जल्दी से अपनी दुकान खोलने चले गए।

यह वैसा नहीं था जिसकी मुझे आशा थी। मेरे चाचा मूलतः कंजूस थे। उसने मुझे पहले कभी इतने पैसे नहीं दिए थे और वह भी चॉकलेट खरीदने के लिए. यह उनका बहुत ही असामान्य व्यवहार था। हाँ, चाचा अजीब व्यवहार कर रहे थे। मैंने उन्हें कभी अपने पैसों का प्रदर्शन करते नहीं देखा था और उन्होंने कभी किसी के सामने अपनी अलमारी नहीं खोली थी, यहाँ तक कि चाची के सामने भी नहीं और अपनी चाबी वह हमेशा अपने पास रखते थे ।

तभी मेरी नजर अलमारी पर लटकी हुई चाबियों पर पड़ी। "क्या वह मुझे कुछ बताना चाह रहे है?" मैंने सोचा।

फिर उसने अचानक मुझे समझ आया। वह हमें चोदना नहीं चाहते थे। उन्होंने चाची को खुश करने के लिए ही हाँ कहा था। वह चाहते थे कि मैं अलमारी में रखे पैसे ले जाऊँ और ओलिविआ को लेकर भाग जाऊँ। मैंने अलमारी से पैसे निकाले। फिर ओलिविया और मैंने कुछ कपड़े पैक किए और पंद्रह मिनट के भीतर हम दोनों घर से बाहर थे।

"दीदी हम कहाँ जा रहे हैं?" ओलिविया ने पूछा।

"बस आओ। समझाने का समय नहीं है," मैंने उससे कहा, "मैं तुम्हारे सभी सवालों का जवाब बाद में दूँगी।"

हम सीधे रेलवे स्टेशन गए और शहर से बाहर जाने वाली पहली ट्रेन पकड़ी। ट्रेन हमें लगभग 300 सौ मील दूर गडंसक शहर जा रही थी।

चूँकि अब गाँव में कोई भी जीवित नहीं बचा था, जिसे इस बात की इतनी चिंता थी किहम दो बहनो का क्या होगा, इसलिए नए शहर में जाने की मेरी इस योजना पर कोई आपत्ति करने वाला नहीं था, , मैंने जल्द ही नया जीवन शुरू करने के संकल्प ले लिया। मैंने अपनी किस्मत तलाशने के लिए ग्डन्स्क से विस्तृत दुनिया में जाने का फैसला किया, एक मुहावरा, जिसने, कई देशो से दोनों लिंगों के अधिक साहसी लोगों को हमेशा उत्साहित किया है और अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया है अधिकतर बर्बाद हुए है लेकिन बहुत कम लोगों को उन्नत भी किया था।

यात्रा के समय मुझे लगा अब हम दोनों बहनें खतरे से बाहर थीं और हमारा कौमार्य अब सुरक्षित है । पर तब मुझे परिवार की कीमत के बारे में बिलकुल नहीं पता था,। मैं यहाँ उस स्वाभाविक दुःख और पीड़ा का विवरण छोड़ रही हूँ, जो मैंने इस उदासी भरे अवसर पर महसूस किया। थोड़े से समय, मेरी छूती बहन के साथ और उस उम्र की घबराहट ने उस अपूरणीय क्षति पर मेरे विचारों को बहुत जल्द ही ख़त्म कर दिया; लेकिन किसी भी चीज़ ने मुझे इसके साथ सामंजस्य बिठाने में उन विचारों से अधिक-अधिक योगदान नहीं दिया, जो यात्रा के दौरान मेरे दिमाग में डाले गए थे, एक नए शहर ग्ड्न्स्क में जाने के उत्साह ने मेरी घबराहट को कम कर दिया, इसमें मेरे सहायता जीना नामक महिला ने की जिसने मुझे सहायता का वादा किया और कुछ सलाहें दी। जीना एक युवा महिला थी, जिससे मेरी मुलाकात ट्रेन में हुई थी जो वारसा अपने दोस्तों से मिलने गई थी और कुछ दिनों के प्रवास के बाद अपने स्थान पर वापस लौट रही थी और इस महिला ने मेरी कहानी जान कर मुझे इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

जीना ने उस सफर के दौरान गैडन्स्क और फिर पेरिस और लंदन में देखे जाने वाले बेहतरीन दृश्यों के वर्णन के साथ मेरी बचकानी जिज्ञासा को जगाकर मुझे थोड़ा आराम दिया और उसके साथ उद्यम करने के लिए प्रेरित किया; उसने समुद्र, मकबरे, महलो, राजा, शाही परिवार, बेहतरीन नाटक और फिल्मो और संक्षेप में वे सभी मोड़ जो जीवन के क्षेत्र में आने वाले थे; सभी का विवरण किया जिसने मेरे छोटे से दिमाग को पूरी तरह से बदल दिया।

जीना का पहनावा आधुनिक था ।, फर्राटे दार इंग्लिश बोलती हुई जीना जिसके सामने हम गरीब लड़कियाँ, जिनके चर्च जाने वाले कपड़े डोलस शिफ्ट और स्टफ गाउन से ऊपर नहीं उठते थे, जीना की स्कॉवर सैटिन-गाउन को देखती रह गयी, सुंदर टोपी; ताउड्री रिबन और चाँदी से सजे जूते! जो कुछ भी हमने कभी कल्पना की थी फैशन के आधुनिक वस्त्र जो पेरिस और लंदन में आम प्रचलित थे । इन सब ने मुझे दृढ़ संकल्प प्रदान किया।

हालाँकि, शहरी महिला के साथ रहने का विचार, तुच्छ था और वह सारा उद्देश्य जिसने जीना को शहर की मेरी यात्रा के दौरान मेरी जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया, जहाँ उसने अपने तरीके और शैली के अनुसार मुझसे कहा: "कितने सारे देशो और गांवो से आयी नौकरानियों ने खुद को और अपने सभी रिश्तेदारों से स्वयं को हमेशा के लिए आत्मनिर्भर बना लिया है, कुछ ने अपने मालिकों के विश्वास को जीत अच्छी नौकरिया पायी हैं यहाँ तक की कि उन्होंने उनसे शादी की थी और उसके मालिकों ने उनके लिए नौकर और नौकरानियाँ रखी और वे सब बेहद भव्य और खुश रहती हैं और उनमे से कुछ, हो सकता है कि रानी या डचेसेस बनें: भाग्य ही सब कुछ है," इस उद्देश्य के लिए उसने मुझे इस आशाजनक यात्रा को शुरू करने के लिए, प्रेरित किया।

हालांकि अब मेरा मेरे मूल निवास से कोई सम्बंध नहीं था और मैंने उस समय जो भी किया था उस पर मुझे कोई पछतावा नहीं था और मेरे लिए अपनी आंटी की प्रताड़ना और सहना असहनीय हो गया था, मेरे गाँव में, यहाँ तक कि मेरी एकमात्र मित्र के घर पर भी, मुझे देखभाल और सुरक्षा की बहुत कम उम्मीदें थीं: वह मेरे लिए इतनी न्यायपूर्ण थी कि मेरी जो छोटी-छोटी चीजें उसके पास रह जाती थीं, उन्हें भी बेच देती थी ।

मैं अपने पास के उन नोटों के बंडल और वास्तव में मैं खुद को इतनी बड़ी रकम की मालकिन देखने की खुशी में पूरी तरह से डूब गई थी कि मैंने अच्छी सलाह पर बहुत कम ध्यान दिया जो मुझे कभी मेरी माँ द्वारा दी गई थी।

सफर के दौरान कुछ यात्रियों द्वारा हमारे लिए बनाई गई योजनाएँ, जो हमारे अभिभावक जिना की सतर्कता से विफल हो गईं, जिन्होंने सफर में, मेरी और मेरी बहन की मातृ देखभाल की, साथ ही उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए, मुझसे उनकी यात्रा के सभी यात्रा शुल्क वहन करने के लिए कहा गया, जिसे मैंने अत्यंत सहृदयता के साथ चुकाया और इस सौदे के लिए खुद को उसके प्रति बहुत आभारी समझा। उन्होंने वास्तव यथासंभव इस तरह मितव्ययी तरीके से यात्रा का प्रबंधन किया; की हमे लगा की इस यात्रा का महँगापन उसका दोष नहीं था।

गर्मियों की उस शाम में जब हम एक टैक्सी से शहर पहुँचे तो काफ़ी देर हो चुकी थी। जैसे ही हम अपनी सराय की ओर जाने वाली सबसे बड़ी सड़कों से गुज़रे, गाड़ियों का शोर, जल्दी, पैदल यात्रियों की भीड़, दुकानों और घरों के दृश्यों ने मुझे तुरंत प्रसन्न और आश्चर्यचकित कर दिया।

लेकिन मेरी निराशा और आश्चर्य का अंदाज़ा लगाइए जब हम उसके निवास के पास पहुँचे आए और हमारी चीजें उतारी गईं और हमें सौंप दी गईं, तब हमारी साथी यात्री और संरक्षक, जीना जिसने यात्रा के दौरान अत्यंत कोमलता के साथ मेरा उपयोग किया था और तैयार किया था, उनके व्यवहार में आये बदलाव से मुझे जो आश्चर्यजनक झटका लगा जिसका कोई पूर्व संकेत नहीं था; उस शहर में, मेरी एकमात्र निर्भरता और दोस्त, अचानक मेरे प्रति ठंडा व्यवहार करने लगी, जैसे कि उसे डर था कि अब कहीं हम दो बहने उसके लिए बोझ ना बन जाये।

इसके व्यवहार से ऐसा लगा की, मेरी यात्रा के अंत तक मुझे सुरक्षित इस शहर में लाकर, उसने मेरे प्रति अपनी व्यस्तताओं से खुद को पूरी तरह से बरी कर दिया है। उसने फिर मेरे से बिदा लेने के लिए मुझे गले लगाना शुरू कर दिया, मैं भ्रमित हो गयी, मैं इतना स्तब्ध थी कि मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

मैं बिलकुल मूक हो गयी थी, उससे अलग होने की चिंता और विचार ने मुझे निम्नलिखित तर्क में शायद थोड़ी राहत दी: " कि अब हम सुरक्षित रूप से गडसंक शहर में पहुँच गए हैं और वह अब अपने निवास स्थान पर जाने के लिए बाध्य थी, उसने मुझे हर तरह की सलाह दी-
—कि मुझे वहाँ जाने से डरने की जरूरत नहीं है,
—चर्चों के अलावा और भी जगहें थीं जहाँ मैं जा सकती थी,
रोजगार की तलाश में मुझे रोज़गार कार्यालय जाना चाहिए।

और आश्वासन दिया कि अगर उसने किसी भी हलचल के बारे में सुना, तो वह मुझे ढूँढ लेगी और मुझे बता देगी।

इस बीच उसने मुझे सलाह दी, मुझे एक निजी आवास लेना चाहिए, उसने मुझे शुभकामनाएँ दीं और इसके साथ, उसने मुझसे विदा ली और उस अनजान शहर में मुझे बीच सड़क पर अपनी बहन के साथ बिल्कुल बेसहारा और मित्रहीन छोड़ दिया।


जारी रहेगी
 
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 67


दयालु मालकिन के पास इतनी जल्दी नौकरी मिल गयी

मैं बिलकुल मूक हो गयी थी, जीना से अलग होने की चिंता और विचार ने मुझे निम्नलिखित तर्क में शायद थोड़ी राहत दी: " कि अब हम सुरक्षित रूप से गडसंक शहर में पहुँच गए हैं और वह अब अपने निवास स्थान पर जाने के लिए बाध्य थी, उसने मुझे हर तरह की सलाह दी—कि मुझे वहाँ जाने से डरने की जरूरत नहीं है—चर्चों के अलावा और भी जगहें थीं—जहाँ मैं जा सकती थी और आश्वासन दिया कि अगर उसने किसी भी हलचल के बारे में सुना, तो वह मुझे ढूँढ लेगी औरउसने मुझे सलाह दी, मुझे एक निजी आवास लेना चाहिए, उसने मुझे शुभकामनाएँ दीं और इसके साथ, उसने मुझसे विदा ली और उस अनजान शहर में मुझे बीच सड़क पर अपनी बहन के साथ बिल्कुल बेसहारा और मित्रहीन छोड़ दिया।

मैंने एक बोर्डिंग स्कूल देखा और मेरे पास जितने भी पैसे बचे थे उनसे अपनी बहन का दाखिला उस स्कूल में करवा दिया जिससे अब मैं अपनी बहन की सुरक्षा के बारे में सुनिश्चित थी।

और जैसे ही ओलिविआ ने मेरी तरफ पीठ की, मुझे मेरी असहाय अजीब परिस्थितियों पर मुझे जो पीड़ा महसूस हुई, फिर मुझे अपनी बहन और चाचा से दूर होने की गंभीरता का सबसे कड़वा अनुभव होने लगा, पीड़ा आंसुओं की बाढ़ में बदल गई, जिसने मेरे दिल के उत्पीड़न को असीम रूप से राहत दी; हालाँकि मैं अभी भी स्तब्ध थी और पूरी तरह से उलझन में थी कि मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ?

अब मेरे हाथ में मेरी बची हुई सारी संपत्ति रह गई थी, जिसमें एक बहुत ही पतली अटैची थी, जो एक बहुत ही पोर्टेबल बॉक्स में पैक की गई थी और मेरी थैली में राखी हुई थी कुल मिला कर दस गिनी, लगभग 50 शिलिंग चांदी में, लगभग 50 यूरो, मेरे लिए ये मेरी कल्पना से भी बड़ा खजाना था और जिसकी खत्म होने की मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी और वास्तव में मैं खुद को इतनी बड़ी राशि की मालकिन होने की खुशी से पूरी तरह से अभिभूत थी।

उस बोर्डिंग स्कूल के एक चपरासी ने मुझसे संक्षेप में यह पूछकर मेरी अनिश्चितता को और भी बढ़ा दिया कि क्या मुझे कुछ चाहिए? जिस पर मैंने मासूमियत से जवाब दिया: नहीं; लेकिन मैं चाहती थी कि वह मुझे बताए कि मुझे उस रात में रहने के लिए कहाँ जगह मिल सकती है: उसने कहा कि वह अपनी मालकिन से बात करेगा, जो फिर मेरे पास आई और मुझे बिना किसी परेशानी के बताया, की जिस परेशानी में उसने मुझे देखा था कि मुझे एक शिलिंग में एक बिस्तर मिल जाएगा और जैसा कि उसे लगा कि शहर में मेरे कुछ दोस्त हैं मैं सुबह अपने लिए अन्य व्यवस्ता कर सकती हूँ।

' यह अविश्वसनीय है कि मानव मन अपने सबसे बड़े कष्टों में कितनी तुच्छ सांत्वनाएँ प्राप्त कर राहत महसूस करता है। उस रात लेटने के लिए एक बिस्तर मिलने के आश्वासन ने मेरी पीड़ा को शांत कर दिया; और मुझे उस सराय की मालकिन से परिचित होने में शर्म आ रही थी, मुझे महिला को ये कहने में शर्म आ रही थी की इस शहर में मेरा कोई दोस्त नहीं था, मैंने खुद से अगली सुबह, एक-कार्यालय में जाने का प्रस्ताव रखा, जहाँ जाने के लिए जीना ने मुझे लिखित पत्र दिया था। वहाँ मुझे किसी ऐसी जगह के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद थी जहाँ मेरे जैसी देहाती लड़की फिट हो सकती है और मुझे कोई काम मिल सकता था, इससे पहले कि मेरी बची हुई पूँजी खत्म हो जाए मुझे मेरे रहने और जीविका उपार्जन के लिए कोई वयवस्था करनी थी।

तदनुसार, अगली सुबह मैंने उतने साफ-सुथरे कपड़े पहने और अपना बक्सा, मकान मालकिन के पास छोड़ कर, मैं अकेले बाहर निकली और बिना किसी कठिनाई के, मैं वांछित रोज़गार कार्यालय में पहुँच गयी।

इसे एक बुजुर्ग महिला स्वागत कक्ष में बैठी हुई थी, उसके सामने बड़े आकार की एक किताब थी और स्थानों के लिए दिशा-निर्देशों के कई स्क्रॉल तैयार थे।

तब मैं इस महिला के करीब गयी, अपनी आँखें ऊपर उठाए बिना, या अपने आस-पास के किसी भी व्यक्ति को देखे बिना, मैडम ने पूरी गंभीरता के साथ मेरी बात सुनी और एक नजर में मेरे फिगर को देखा। उसने मुझे, एक शिलिंग फीस जमा करने के लिए कहा, जिसके प्राप्त होने पर उसने मुझसे कहा, महिलाओं के लिए जगहें बेहद दुर्लभ थीं, खासतौर पर तब जब मैं कड़ी मेहनत के लिए बहुत कमज़ोर लग रही थी; लेकिन वह अपनी किताब देखेगी और देखेगी कि मेरे लिए क्या किया जा सकता है, वह चाहती थी कि जब तक वह कुछ अन्य ग्राहकों की सेवा कर रही है, मैं तब तक थोड़ी देर रुकूँ।

इस पर, मैं थोड़ा पीछे हट गयी, उस महिला के कथन से अत्यंत आहत होकर, जो अपने साथ एक घातक अनिश्चितता लेकर आया था और मेरी परिस्थितियाँ ऐसे थी की मैं ये अनिश्चितता अब और सहन नहीं कर सकती थीं।

अब और अधिक साहस जुटाते हुए और अपने असहज विचारों से कुछ ध्यान हटाने के लिए, मैंने अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाने का साहस किया और अपनी आँखों को कमरे के चारों ओर घुमाया, जहाँ मेरी आँखे कमरे के एक कोने में बैठी, मखमली कपडे पहनी एक महिला की आँखों से पूरी तरह से मिली जो कम से कम पचास वर्ष की थी।

वह ऐसी लग रही थी मानो वह मुझे अपनी आँखों से खा जायेगी, वह किसी की ज़रा भी परवाह किये बिना मुझे सिर से पाँव तक घूर रही थी और मैं उसे ऐसे घूरते हुए देख शरमा रही थी और वह मुझे लगातार घूर रही थी, थोड़े समय के बाद, जब उसने मेरी हवा, व्यक्तित्व और संपूर्ण आकृति की सख्त जांच कर ली, जिसे मैंने अपनी ओर से, प्राइमिंग, मेरी गर्दन को आकार देकर और मेरा सर्वश्रेष्ठ लुक सेट करके मेरे अनुकूल बनाने की कोशिश की, वह आगे बढ़ी ।

और मुझसे अत्यंत संकोच के साथ बोली- प्यारी मोहतरमा, क्या तुम्हें काम चाहिए?

उत्तर। हाँ, (मैंने झुककर जवाब दिया) ।

इस पर, उसने मुझे बताया कि वह वास्तव में एक नौकरानी की तलाश करने के लिए इस रोज़गार कार्यालय में आई थी

-उसे विश्वास था कि मैं उसके थोड़े से निर्देशों के साथ ऐसा कर सकती हूँ,

-कि वह पर्याप्त मुझे देख कर मेरे चरित्र के बारे में आश्वस्त है,

-ये शहर एक बहुत ही दुष्ट, नीच जगह है-वह आशा करती थी कि मैं उसकी बात मानूंगी और बुरी संगति से दूर रहूँगी,

संक्षेप में, उसने मुझसे यह सब कहा कि वह शहर में एक पुरानी निवासी है और जो एक कलाहीन अनुभवहीन देहाती-नौकरानी को सेवा में रखने के लिए आवश्यक से कहीं अधिक था

मैं सड़कों पर घुमक्कड़ बनने और भीख मांगने से भी डरती थी और इसलिए काम और आश्रय की पहली पेशकश पर खुशी से उछल पड़ी थी, खासकर से इतनी गंभीर और मैट्रन जैसी महिला, मेरी चापलूसी भरी कल्पना ने मुझे आश्वस्त किया कि यह महिला जी अब मेरी मालकिन थी: मुझे वास्तव में उस अच्छी महिला की नाक के नीचे काम पर रखा जा रहा था जो कार्यालय संभालती थी, जिसकी चतुर मुस्कुराहट और कंधे उचकाने से समझ नहीं पायी की उसने मेरा अवलोकन किया और मैंने मासूमियत से इतनी जल्दी नौकरी पाने पर अपनी प्रसन्नता मुस्कुरा कर व्यक्त की: लेकिन, जैसा कि मुझे बाद में पता चला, ये लोग एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझते थे और यह एक बाज़ार था जहाँ श्रीमती वाइट, मेरी मालकिन, अपने ग्राहकों के उपयोग और अपने स्वयं के लाभ के लिए वहाँ पेश होने वाली किसी भी नई लड़की पर नज़र रखते हुए, अक्सर उपस्थित रहती थी।

मैडम अपने सौदे से इतनी खुश थीं कि मुझे लगता है कि इस डर से कि कहीं मुझे कोई बेहतर सलाह न मिल जाए, या किसी दुर्घटना के कारण मैं उनकी उंगलियों के बीच से फिसल न जाउ, वह मुझे आधिकारिक तौर पर अपनी कार में मेरी सराय में ले गयी, जहाँ उन्होंने मेरा बक्सा मंगवाया, मेरे स्वयं वहाँ उपस्थित होने के कारण, बिना किसी संशय या स्पष्टीकरण के कि मैं कहाँ जा रही थी, सराय के अधिकारियों ने उसे मुझे सौंप दिया।

इस में बाद मैडम वाइट ने ड्राइवर को सेंट पॉल स्ट्रीट की एक दुकान में जाने के लिए कहा, जहाँ उसने एक ड्रेस खरीदी, जो उसने मुझे दी और फिर कार के ड्राइवर को अपने घर तक ड्राइव करने के लिए कहा

मेरे उत्साहवर्धन के बाद, कार ने हमें उनके घर के दरवाजे पर उतारा, मैं खुश थी की मुझे अपने सबसे बड़े सौभाग्य से सबसे दयालु मालकिन के पास इतनी जल्दी एक नौकरी मिल गयी थी। तदनुसार, मैंने पूरे आत्मविश्वास और उल्लास के साथ उस घर के दरवाजे में प्रवेश किया, खुद से वादा किया कि जैसे ही मैं थोड़ा व्यवस्थित हो जाऊंगा, मैं जीना को धन्यवाद दूँगी और अपने दुर्लभ सौभाग्य से परिचित कराऊंगी।

वह घर में एक बहुत ही सुंदर हाल बड़ा था जिसके पार मुझे ले जाया गया था और जो मुझे शानदार ढंग से सुसज्जित लग रहा था, मैंने इस घर के-के सामान्य कमरों की तुलना में बेहतर कमरे कभी नहीं देखे थे। हाल में दो गिल्ट पियर-ग्लास थे और एक बुफ़े, जिस पर प्लेट सजी हुई थी, हाल में चकाचौंध थी और इसने मुझे पूरी तरह से मुझे आश्वस्त किया कि मुझे एक बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार में शामिल किया जा रहा है।

यहाँ मेरी मालकिन ने सबसे पहले अपना काम शुरू किया, मुझसे यह कहकर कि मुझमें अच्छी आत्माएँ होनी चाहिए और उसके साथ आज़ाद रहना सीखना चाहिए; कि उसने मुझे एक सामान्य नौकर बनने के लिए, घरेलू परिश्रम करने के लिए नहीं, बल्कि उन्होंने अपने लिए एक प्रकार का साथी बनने के लिए मेरा चयन किया था।

तभी मेरी मालकिन ने घंटी बजाई और एक हाथ बाँधे हुए नौकरानी अंदर आई, जिसने हमें अंदर जाने दिया


यहाँ, श्रीमती वाइट ने कहा, मार्था, इससे मिलो ये "पोला" है, इस युवा महिला को मैंने अपने कपड़ो की देखभाल के लिए काम पर रखा है; इसलिये आगे बढ़ो और उसे उसका कक्ष दिखाओ; और आपसे आग्रह है कि आप उसका उतना ही सम्मान करें जितना आप मेरा करती हैं, क्योंकि मुझे वह बहुत पसंद है और मुझे नहीं पता कि मैं उसके लिए क्या करूंगी।


जारी रहेगी
 
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 68

शुद्ध दयालुता का प्रदर्शन

तभी मेरी मालकिन श्रीमती वाइट ने घंटी बजाई और एक हाथ बाँधे हुए नौकरानी अंदर आई, जिसने हमें अंदर जाने दिया।

यहाँ, श्रीमती वाइट ने कहा, मार्था, इससे मिलो ये "पोला" है, इस युवा महिला को मैंने अपने कपड़ो की देखभाल के लिए काम पर रखा है; इसलिये आगे बढ़ो और उसे उसका कक्ष दिखाओ; और आपसे आग्रह है कि आप उसका उतना ही सम्मान करें जितना आप मेरा करती हैं, क्योंकि मुझे वह बहुत पसंद है और मुझे नहीं पता कि मैं उसके लिए क्या करूंगी।

मार्था, जो एक पुरानी घाघ परिचारिका थी और इस प्रकार की बातो की आदी थी, ने अपना सर हिला कर बिल्कुल सही संकेत दिया, इसने मुझे उत्सुक कर दिया और उसने मुझे उसके साथ चलने के लिए कहा और तदनुसार मारथा ने मुझे एक साफ कमरा दिखाया जिसमें-जिसमें एक सुंदर बिस्तर था, जहाँ मार्था ने मुझसे कहा था कि मुझे एक युवा महिला के साथ सोना होगा, जो मालकिन की चचेरी बहन है, जिसके बारे में मालकिन को यकीन था कि वह मेरे लिए बहुत अच्छी होगी: फिर वह मेरे ऊपर प्रभाव डालने के लिए मालकिन का गुणगान करने लगी। मालकिन बहुत अच्छी है! उसकी प्यारी मालकिन! बहुत दयालु है और बातो-बातो में मेरे बारे में और जानने की कोशिशः करने लगी और मैं अपने बारे में प्रकाश डालते हुए कितनी खुश थी।

मालकिन की प्रशंसा सुन मैं गदगद थी कि मैं इससे बेहतर कुछ नहीं पा सकती थी, -सामान्यता अन्य समान घृणित चीजों के साथ, ऐसी बाते से जैसे किसी भी व्यक्ति पर संदेह शुरू हो जाता, लेकिन मेरे जैसी सीधी भोली अव्यवहारिक सरल व्यक्ति के लिए, ये जीवन बिल्कुल नया था और मैंने उसके कहे हर शब्द को उसी अर्थ में लिया, जिस अर्थ में उसने मेरे लिए उसे ग्रहण करने के लिए कहा था; अर्थात मैंने उसके द्वारा मालकिन के बारे में कही गयी बातो को सच मान लिया । लेकिन उसने आसानी से देखा कि उसे कितनी पैठ से मेरे से निपटना है और मुझे सीटी बजाने के अपने तरीके से बहुत सही तरीके से मापा, ताकि मैं अपने पिंजरे से खुश हो जाऊँ और तारों से बंध अंधी हो जाऊँ।

मेरी भविष्य की सेवा की प्रकृति की इन झूठी व्याख्याओं के बीच, हमें फिर से नीचे बुलाया गया और मुझे उसी हाल में फिर से ले जाया गया, जहाँ तीन लोगों के भोजन की प्लेट एक मेज पर रखी हुई थी; और मुझे मार्था ने फिर से बताया की मेरी मालकिन अब उसकी पसंदीदा लड़कियों में से एक के साथ आयी जो की उसके घर की एक प्रतिष्ठित प्रबंधक थी और जिसका काम मेरे जैसे युवा भोली भाली लड़कियों को तैयार करना था: और वह तदनुसार, उस दृष्टिकोण में मुझे एक बिस्तर-साथी के तौर पर आवंटित की गयी थी और उसे अधिक अधिकार देने के लिए, उसे इस कॉलेज के आदरणीय अध्यक्ष द्वारा चचेरी बहन की उपाधि प्रदान की गई।

यहाँ मेरा दूसरा सर्वेक्षण हुआ, जो श्रीमती फाबिया की पूर्ण स्वीकृति के साथ समाप्त हुआ, जो कि मेरी निर्वाचित शिक्षिका का नाम था, जिनकी देखभाल और निर्देशों की मालकिन ने मेरे लिए स्नेहपूर्वक अनुशंसा की थी।

रात्रिभोज अब मेज पर रखा गया था और मेरे साथ एक साथी के रूप में व्यवहार करते हुए, श्रीमती ब्राउन ने, सभी विवादों को दूर करने के स्वर के साथ, जल्द ही उनकी लेडीशिप के साथ बैठने के खिलाफ मेरे सबसे विनम्र और सबसे भ्रमित विरोध को खारिज कर दिया, जो मेरी बहुत छोटी-सी ट्रेनिंग के दौरान ने अभी मुझे सुझाया गया था कि वह सही नहीं हो सकता है, या चीजों के क्रम में ऐसा नहीं होन चाहिए।

मेज पर, बातचीत मुख्य रूप से दो मैडमों द्वारा जारी रखी गई थी और दोहरे अर्थ वाले भावों में जारी रखी गई थी, समय-समय पर मुझे दयालु आश्वासन देकर बाधित किया गया था, सभी मेरी वर्तमान स्थिति के साथ मेरी संतुष्टि की पुष्टि करने और उसे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे:। मैं इस पर भी कोई सहक नहीं कर सकीय, क्योंकि तब भी मैं बहुत नौसिखिया थी।

यहाँ इस बात पर सहमति हुई कि मुझे खुद को कुछ दिनों के लिए सबकी आंखों से दूर रखना चाहिए, जब तक कि मेरे लिए ऐसे कपड़े न मिल जाएँ, जो उस किरदार के लिए उपयुक्त हों, जिनमे मैं अपनी मालकिन की साथी के रूप में दिखाई देने वाली थी था, उसी पर नजर रखते हुए। मेरे फिगर की पहली छाप, पर बहुत कुछ निर्भर था; और जैसा कि उन्होंने अच्छी तरह से निर्णय लिया था, लंदन और पेरिस से मेरे देशी-कपड़ों के बदले नए कपडे मंगवाए जाएंगे । मैंने इस संभावना के साथ की मुझे सबके सामने मालकिन की साथिन दिखना है कारावास में रहने के प्रावधान को अच्छी तरह से पचा लिया। लेकिन सच्चाई यह थी कि श्रीमती वाइट को इस बात की चिंता थी कि मुझे उनके ग्राहकों में से कोई भी देखे या मुझसे बात करे, जब तक कि उन्हें मेरे कौमार्य की अच्छी कीमत देने वाला एक अच्छा खरीददार नहीं मिल जाता।

रात के खाने के बाद, जब मुझे बिस्तर पर ले जाया गया, तो मिस फ़बिया, ने मुझमें अपने कपड़े उतारने और नग्न हो अपने सामने बिस्तर पर जाने को लेकर एक तरह की अनिच्छा देखी, अब नौकरानी को हटा दिया गया था, मेरे पास आईं और मेरे रूमाल और गाउन की पिन खोलकर मेरे कैसे उतारने की शुरुआत की, जल्द ही मुझे अपने कपड़े उतारने के लिए प्रोत्साहित किया और अब भी खुद को नग्न देखकर शरमाते हुए, मैंने नज़रों से दूर, बेडक्लॉथ के नीचे आने की जल्दी की। फ़बिया हँसी और देर नहीं लगी जब वह नग्न हुई और खुद मेरे बिस्तर में मेरी बगल आ गयी। उसके सबसे संदेहास्पद विवरण के अनुसार, वह लगभग 25 वर्ष की थी, जिसमें, सभी दिखावे के अनुसार, वह इससे कम से कम दस वर्ष बड़ी होगी ।

फाबिया कभी भी अश्लीलता का कोई भी अवसर आने पर अपने रास्ते से हटती नहीं थी, मेरी ओर मुड़ी, मुझे गले लगाया और बड़ी उत्सुकता से मुझे चूमा। यह मेरे लिए नया अनुभव, यह अजीब था; लेकिन मैंने इसे शुद्ध दयालुता के अलावा और कुछ नहीं समझा, क्योंकि, मुझे पता होना चाहिए था कि यह शुद्ध दयालुता को व्यक्त करने का इस घर का तरीका हो सकता है, मैंने उसके साथ पीछे नहीं रहने का दृढ़ संकल्प किया था और पूरे उत्साह के साथ उसे चुंबन और आलिंगन का जवाब दिया, जो मेरी परिपूर्ण मासूमियत जानती थी।

इससे प्रोत्साहित होकर, उसके हाथ बेहद मुक्त हो चलने लगे और वह मेरे पूरे शरीर पर स्पर्श, दबाव, दबाव के साथ घूमने लगे, जिसने मुझे आश्चर्यचकित करने या चिंतित करने की बजाय अपनी नवीनता से मुझे गर्म और आश्चर्यचकित कर दिया।

फबीया के इन आक्रमणों के साथ उसकी चापलूसी भरी प्रशंसाओं ने भी मेरी निष्क्रियता को कम करने में कोई योगदान नहीं दिया और इसमें कोई बुरायी न जानते हुए भी, उसने, अपने हाथों को मेरे स्तनों की जोड़ी पर ले जाकर स्तनों को मापा, जो आकार और मात्रा में, उससे पूरी तरह से अलग थे, फिर मैंने अपने स्तनों की कभी किसी अन्य लड़की या महिला के साथ कोई तुलना भी तो नहीं की थी ।

जैसा कि वह चाहती थी मैं तब तक पूरी तरह संयमित और निष्क्रिय पड़ा रही थी, जबकि उसकी स्वतंत्रता ने मेरे अंदर एक अजीब और तब तक अनूठे आनंद के अलावा कोई अन्य भावना नहीं जगाई. मेरा हर हिस्सा नग्न और खुला हुआ था और उसके हाथों की कामुक चालों के संपर्क में था, जो मुझे पसंद आ रहा था । फिर एक तेज़ आग मेरे पूरे शरीर पर दौड़ गई और जैसे-जैसे उसके हाथ नीचे की और आगे बढ़े, सारी ठंडक पिघल गई।

18 साल की उम्र में मेरे स्तन, यदि इसे बहुत बोल्ड आकृति नहीं कहा जाता है, तो दो कठोर, दृढ़, उभरती हुई पहाड़ियाँ, जो अभी-अभी खुद को दिखाना शुरू कर रही थी, या स्पर्श करने पर किसी भी चीज़ का संकेत देती हैं, थोड़ी देर के लिए फाबिया ने अपने हाथों को काम में ले मेरे स्तनों से खेली फिर एक चिकने रास्ते पर नीचे फिसलने तक, वह बस नीचे नरम रेशमी झांटो का जंगल महसूस कर सकती थी जो कुछ महीने पहले ही सामने आया था और उन हिस्सों के मेरी योनि क्षेत्र माउंट-सुखद को सजाया था और प्यार के स्थान पर एक आभारी आश्रय फैलाने का वादा किया था । इस सबसे उत्कृष्ट अनुभूति का और जो उस क्षण से पहले तक, सबसे असंवेदनशील मासूमियत का स्थान था। उसकी उंगलियाँ मेरे कोमल अंगो से खेल रही थीं और मेरे उन युवा संवेदनाओं को जोड़ने का प्रयास कर रही थीं, जिसे प्रकृति ने तुरंत उपयोग और सजावट के लिए तैयार किया था।

लेकिन इन बाहरी-स्तंभों से संतुष्ट नहीं होने पर, फाबिया अब मुख्य-स्थान को और बढ़ गयी और चिकोटी काटना, संकेत करना और योनि की लंबाई में तेजी से एक उंगली डालने के लिए प्रयास करना शुरू कर देती है, इस तरह से, भी वह आगे नहीं बढ़ पायी थी क्योंकि वह दरार बिलकुल कसी हुई थी। टाइट थी, जिसने मुझे उनकी ऊँगली की प्रगति का विरोध करने के लिए विनम्रता की शक्ति से परे उत्तेजित कर दिया, मुझे तुरंत बिस्तर से कूद जाना चाहिए था और ऐसे अजीब हमलों के खिलाफ मदद के लिए चिल्लाना चाहिए था।

इसके बजाय, उसके कामुक स्पर्शों ने मेरे अंदर एक नई आग जला दी थी जो तेजी से मेरी सारी नसों में फैल गई थी, लेकिन प्रकृति द्वारा नियुक्त उस केंद्र में छेड़छाड़ और हिंसा तय हो गई थी, जहाँ पहले उसके हाथ की ऊँगली अजीब हरकतों के साथ ने अब महसूस करने, निचोड़ने, दबाने और सहलाने में व्यस्त थी । योनि के होठों को बीच में उंगली दाल उसे फिर से खोलना, ओह! उसने मुझे आहत करते हुए कराह भरी और अखंड मार्ग की संकीर्णता ने उसकी ऊँगली को किसी भी गहराई तक प्रवेश से वंचित कर दिया।

इस बीच, मेरे अंगों का विस्तार, सुस्त खिंचाव, आहें, छोटी आहें, सभी ने उस अनुभवी प्रचंड को आश्वस्त करने की साजिश रची कि मैं उसकी कार्यवाही पर नाराज होने की तुलना में प्रसन्न अधिक थी, जिसे उसने बार-बार चुंबन और विस्मयादिबोधक के साथ दोहराया, जैसे -
" ओह! तुम कितनी आकर्षक हो!

वह कितना खुश नसीब आदमी होगा जो सबसे पहले तुम्हें एक औरत बनायेगा!

ओह! काश मैं एक पुरुष होता! "

टूटे-फूटे भावों के साथ, भयंकर और चुंबनों से बाधित मैंने फाबिया से काम सुख प्राप्त किया।

ये स्पर्श सुख प्राप्त करने का मेरा पहला अनुभव था ।

जहाँ तक मेरी बात है, मैं विचलित हो गयी, भ्रमित हो गयी और अपने आप से बाहर हो गयी: इतनी नई भावनाएँ मेरे लिए बहुत ज़्यादा थीं; मेरी गर्म और चिंतित इंद्रियों में उथल-पुथल मच गई, जिसने मुझसे सोचने की मेरी सारी स्वतंत्रता र शक्ति छीन ली; मेरी आँखों से ख़ुशी के आँसू बह निकले और मेरे ऊपर लगी आग को कुछ हद तक शांत कर दिया।

फाबिया जिसके लिए आनंद के सभी तरीके और उपकरण ज्ञात और परिचित थे, ऐसा लगता है, युवा लड़कियों को पिघलाने की अपनी कला के इस अभ्यास में, उन मनमाने स्वादों में उसे एक संतुष्टि मिलती थी, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है: ऐसा नहीं कि वह पुरुषों से नफरत करती थी, या उन्हें अपने लिंग से भी अधिक पसंद नहीं करती थी; लेकिन जब उसे इस तरह के अवसर मिले, तो आम रास्ते में आनंद की तृप्ति, ने उसे लिंग के भेद के बिना, जहाँ कहीं भी आनंद मिल सकता था, अधिकतम आनंद लेने के लिए प्रेरित किया था। इस दृष्टि से, अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो चुकी थी कि उसने अपने स्पर्श से मुझे अपने उद्देश्य के लिए पर्याप्त रूप से उत्तेजित कर दिया था, उसने बिस्तर के कपड़े को धीरे से नीचे सरकाया और मैंने खुद को नग्न अवस्था में फैला हुआ देखा, । मेरे पास इसका विरोध करने की कोई शक्ति या भावना नहीं थी; यहाँ तक कि मेरी चमकती लालिमा ने भी विनम्रता से अधिक इच्छा व्यक्त की, जबकि मोमबत्ती ने निश्चित रूप से अनजाने में नहीं, जलते हुए, मेरे पूरे शरीर पर पूरी रोशनी डाल दी।

जारी रहेगी
 

deeppreeti

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मेरे अंतरंग हमसफ़र

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दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 69

सुंदरता में निखार

फाबिया ने उनके बदन को ढक रहे कपड़े को धीरे से नीचे सरकाया और मैंने खुद को नग्न अवस्था में फैला हुआ देखा,। मेरे पास इसका विरोध करने की कोई शक्ति या भावना नहीं थी; यहाँ तक कि मेरी चमकती लालिमा ने भी विनम्रता से अधिक इच्छा व्यक्त की, जबकि मोमबत्ती ने निश्चित रूप से अनजाने में नहीं, जलते हुए, मेरे पूरे शरीर पर पूरी रोशनी डाल दी।

वास्तव में मैं उस समय एक अधखिली कमसिन कली थी, उसके 28-24-30 के बदन पर धीरे-धीरे बहारें आ रही थीं। उसके मुलायम, मखमली उरोजों पर निप्पलें अभी पूरी तरह उभरी नहीं थी।

निप्पलों का रंग भी अभी भूरा न होकर लाल गुलाबी ही था। मेरे जिस्म की रंगत निखर रही थी और तन बदन से एक मीठी-सी खुशबू उठना शुरू हो गई थी।

फाबिया कई बार मेरे बदन को सहला के, बूब्स को दबा के, मसल के और चूत पर हाथ फेर के वासना को भड़का रही थी जिससे मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत में अब मीठी-मीठी खुजली-सी होने लगी थी।

मुझे शर्म लग रही थी और मैं अपना शरीर ढकना चाहती थी ।

ओह मेरी प्यारी तुम मुझे मालकिन की तरह फब्बी कह कर पुकार सकती हो । वह भी मुझे प्यार से फब्बी ही कहती है ।

नहीं! (फब्बी बोली) मेरी प्यारी लड़की, नहीं! तुम्हें, इन सभी खजानों को मुझसे छिपाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, मुझे दृष्टि के साथ-साथ स्पर्श का भी आनंद लेना है-मुझे अपनी आँखों से इन स उभरते हुए वक्षो को निगलने दो, -मुझे इसे चूमने दो। मैंने इन्हे पर्याप्त रूप से नहीं देखा है, मुझे इन्हे एक बार फिर से चूमने दो ओह्ह! यहाँ कितना सख्त, चिकना, सफेद मांस है! वाह! कितना नाजुक आकार है! अहह! फिर यह स्वादिष्ट नीचे! ओह! मुझे छोटी, प्यारी, कोमल फाँको को देखने दो! हाय ये बहुत ज्यादा सुंदर है, मैं इसे सहन नहीं कर सकता, मुझे करना ही होगा, मुझे करना ही होगा! " यहाँ उसने मेरा हाथ पकड़ा और एक झटके में, उसे वहाँ ले गई!

झाड़ीदार घुंघराले बालों का फैला हुआ झुरमुट एक पूर्ण विकसित महिला को चिह्नित करता है। फिर उसने अपनी संकरी गुफा की ओर उसने मेरा हाथ निर्देशित किया और उसने आसानी से मेरी योनि पर कब्जा कर लिया और जैसे ही उसने इसे महसूस किया, और इधर-उधर, इतनी तेजी से घर्षण के साथ कि मैंने तुरंत अपना हाथ वापस ले लिया, मेरा हाथ गीला और चिपचिपा हो गया था, जब तुरंत फब्बी शांत हो गई, फिर दो या तीन आहों के बाद और दिल को लुभाने वाली ओह! के साथ उसने और मुझे एक चुंबन दिया, ओह्ह्ह कहती हुई वह ऐसी लग रही थी मानो उसकी आत्मा बाहर निकलने वाली हो । अपने होठों के माध्यम से, उसने हमारे ऊपर बिस्तर का कपड़ा ओढ़ लिया।

उसे क्या आनन्द मिला, मैं नहीं बता सकती; लेकिन मैं यह जानती हूँ कि प्रकृति को जलाने की पहली चिंगारी, प्रदूषण के पहले विचार, कामुकता के पहले एहसास उस रात मेरे द्वारा पकड़े गए थे और यह कि हमारे अपने लिंग की कामुकता के साथ परिचय और उसका एहसास, अक्सर सभी प्रलोभनों की तरह मासूमियत के लिए घातक होता है। जब फब्बी शांत हो गई, जबकि मैं अभी तक खुद के आनंद से दूर थी, तो उसने कलात्मक रूप से मुझ पर मेरी नेक मालकिन की साजिशों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक सभी बिंदुओं पर मुझे समझाया और मेरे जवाबों से, शुद्ध अविभाज्य प्रकृति थी, उसके पास खुद को सभी कल्पनीय सफलता का वादा करने के अलावा कुछ नहीं था, फिर उसने मुझे कहा मेरा आनंद मेरी अज्ञानता, सहजता और मेरी गर्मी पर निर्भर था।

फिर पर्याप्त बातचीत के बाद, मेरे बिस्तर के साथी ने मुझे आराम करने के लिए अकेली छोड़ दिया और मैं, पूरी तरह से थकावट के कारण और उन कामुक भावनाओं के कारण सो गयी, (जिनहे उसने बहुत गर्मजोशी से हिलाया और पल्ल्वित किया गया था) और फिर किसी भी तरह से शांत किए बिना शांत हो जाओ के उसके वचनो ने मुझे उन सुस्वादु सपनों में राहत दी।

सुबह मैं लगभग दस बजे, बिल्कुल खुश और तरोताजा उठी, फब्बी मेरे सामने खड़ी थी और उसने मुझसे दयालु तरीके से पूछा कि मुझे कैसा लगा, मैंने कैसे आराम किया, क्या मुझे ठीक से नींद आयी?

मैंने उससे कहा, यदि वह प्रसन्न हो, तो मैं कोई भी काम करूंगी, जिसमें वह प्रसन्न होकर मुझे काम करने के लिए नियुक्त करेगी। वह मुस्कुराई; तभी नौकरानी चाय का सामान ले आई और मैंने अभी अपने कपड़े पहने ही थे कि मेरी मालकिन अंदर आ गई। मुझे उम्मीद थी कि मेरे देर से उठने के बारे में मुझे डांटा जाएगा, मैं अपनी शुद्ध और ताजा लुक पर उनकी तारीफों से काफी निराश हुई: "मैं मेरी मालकिन के शब्दों में" सुंदरता की कली थी"और बोली कैसे" वस्तुतः सभी अच्छे लोग मेरी प्रशंसा करेंगे! " उन सभी के लिए मेरे पास कोई उत्तर नहीं था।

हमने नाश्ता किया; और जब चाय का सामान हटाया गया था और फिर लिनन के दो बंडल और पहनने के लिए परिधान लाए गए।

आप स्वयं कल्पना करें कि कैसे मेरा छोटा-सा सहृदय-हृदय और इस अवसर के लिए तुरंत खरीदी गई एक सफेद पोशाक को देखकर खुशी से नाच उठा था, जो कि चांदी से सजी हुई थी,। लेस वाली टोपी, गूंथे हुए जूते और बाकी सब के साथ अनुपात में, सभी सुंदर साज-सज्जा, का सामान, श्रीमती वाइट ने मेरे लिए मनवाये थे । श्रीमती वाइट के घर में पहले से ही मेरे लिए एक सहायीका थी जिसने मुझे मेरे आकर्षण समीक्षा में उत्तीर्ण करना था। बहुत बुद्धिमानी से मैंने यह निष्कर्ष निकाला कि ऐसी जगह जहाँ मैं थी, अपनी कौमार्य को सुरक्षित रखने के लिए एक युवती के रूप में ऐसी नाशवान वस्तु को रखने के लिए मैं सबसे गर्म थी।

कपड़े पहनने, देखभाल और मुझे बाज़ार ले जाने की ज़िम्मेदारी फब्बी पर छोड़ दी गई थी, जिसने, कम से कम पूरी तरह से हर चीज़ की संतुष्टि के लिए, खुद को ये कपड़े पहने हुए देखने की मेरी अधीरता देख मुझे खुली छूट दे दी। जब सब पहनने के बाद मैंने खुद को शीशे में देखा, तो निस्संदेह, मेरी सुंदरता में ाधवहुत निखार आया था । मैं इतनी स्वाभाविक, इतना कलाहीन थी कि अपने में आये बदलाव देख अपनी बचकानी ख़ुशी को छुपा नहीं सकी, क्योंकि मुझे अपनी देहाती पोशाक की साफ-सुथरी, आसान सादगी से कहीं बेहतर होना चाहिए था, लेकिन इसकी बजाय उस अजीब, अप्रिय, भड़कीले साज-सज्जा में मैं अपनी विचित्रता को छिपा नहीं पायी।

मैं लंबी लग रही थी, फिर भी अपनी उम्र के हिसाब से बहुत लंबा नहीं लग रही थी, जैसा कि मैंने पहले कहा था, मुश्किल से अठारह साल का हुई थी मेरा आकार बिल्कुल सीधा, पतली कमर, हल्का और ढीला, था। मेरे चमकदार भूरे रंग के बाल रेशम की तरह मुलायम थे, प्राकृतिक बकल में मेरी गर्दन तक लहरा रहे थे और मेरी चिकनी त्वचा की सफेदी को थोड़ा भी कम नहीं कर रहे थे। मेरा चेहरा काफ़ी सुर्ख था, हालाँकि मेरे नैन-नक्श नाजुक थे और चेहरे का आकार गोल-अंडाकार था, मेरी ठुड्डी पर एक गड्ढा था, उसका कोई अप्रिय प्रभाव नहीं था: मेरी आँखें इतनी काली थीं जितनी कल्पना की जा सकती थीं और काफ़ी सुस्त थीं, कुछ खास मौकों पर मुझे बताया गया कि वे काफी तेजी से आग लगाते हैं: मेरे दांत, जिन्हें मैं हमेशा ध्यान से देखती थी, छोटे, सम और सफेद थे; मेरी छाती अच्छी तरह उभरी हुई थी और कोई भी मेरे गोल, दृढ़ स्तनों के वास्तविक विकास को समझ सकता था, जो जिसने थोड़े समय में उस पोषक में काफी बड़े लग रहे थे । संक्षेप में, सुंदरता के सभी बिंदु मेरे पास थे, दूसरों ने अधिक निःसंदेह रूप से मेरे रूप की प्रशंसा की, मेरी आकृति के उन बिंदुओं पर मैंने स्पष्ट रूप से उत्कृष्टता प्राप्त की हुई थी। मैं अपने स्वरूप के लिए सुख और सौभाग्य के ऐसे विलक्षण आशीर्वाद के लिए अपनी माता पिता की आभारी हूँ।

तो वास्तविकता ये थी की मैं सुंदर कपड़े पहने हुयी थी और तब मेरे दिमाग में यह बात नहीं आई कि यह सभी शानदार पोशाक मुझे मेरे कौमार्य को बलिदान के लिए तैयार करने से ज्यादा कुछ नहीं था, जबकि मैंने मासूमियत से इन सभी का श्रेय प्यारी अच्छी श्रीमती वाइट की दयालुता को दिया। मैं बताना भूल गयी की श्रीमती व्हाइट, ने बड़ी काहुराई से मेरे पैसे को सुरक्षित रखने के बहाने, बिना किसी हिचकिचाहट के मुझसे मेरा वह पर्स ले लिया था, जिसमे मेरी यात्रा के खर्चों के बाद भी मेरे पास कुछ पूँजी बची हुई थी।

कुछ समय के बाद, मेरी नई पोशाक में मुझे उस बड़े हाल में भेजा गया, जहाँ एक बूढ़ी औरत ने मुझे सलाम किया और मुझे शुभकामनाएँ दीं । मैं मेरे नए कपड़ों में बहुत खुश थी और मुझे ये कहने में उसे कोई शर्म नहीं है की नई पोषक मुझे ऐसे फिट बैठी थी मानो मैंने अपने पूरे जीवन काल में ऐसे ही सबसे अच्छे कपड़ों के अलावा और कुछ नहीं पहना हो। उसी समय उस वृद्धा ने मुझे मालकिन श्रीमती वाइट के एक अन्य चचेरे भाई, जी की एक बुजुर्ग सज्जन थे, से मिलवाया, जो मेरे कमरे में प्रवेश करते ही उठ गए और मेरे द्वारा उन्हें प्रणाम करने पर उन्होंने मुझे सलाम किया और इस बात से थोड़े नाराज लग रहे थे कि मैंने अपना गाल उनके सामने पेश कर दिया; एक गलती, जिसे, उन्होंने तुरंत सुधारा, और अपने होठों को उत्साह के साथ मेरे पास लाकर, मुझे चूमा जिसके लिए मैं उसे धन्यवाद देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी ।

उसका फिगर, सबसे अधिक चौंकाने और डराने वाली थी और इससे घृणित कुछ भी नहीं हो सकता था; क्योंकि कुरूप और अप्रिय शब्द इस मांमले में इतने कोमल हैं कि मैं इसको उचित शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती।

जारी रहेगी
 
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