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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय-1

रागिनी अपने बेडरूम में लेटी बहुत देर से छत को घूरे जा रही थी... पता नहीं किस सोच में डूबी थी। आज सुबह से ही वो अपने बिस्तर से नहीं उठी थी। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने से उसका ध्यान भंग होता है और वो अपना मोबाइल उठाकर देखती है... किसी नए या अनजाने नंबर से कॉल था।

कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद वो कॉल उठाती है.... “हॅलो”

“हॅलो! क्या आप रागिनी सिंह बोल रही हैं” दूसरी ओर से एक आदमी की आवाज आई

“जी हाँ! हम रागिनी सिंह ही बोल रहे हैं। आप कौन”

“रागिनी जी में सब इंस्पेक्टर राम नरेश यादव बोल रहा हूँ। थाना xxxxx श्रीगंगानगर से”

“जी दारोगा जी बताएं... किसलिए फोन किया”

“मैडम! हमारे क्षेत्र मे एक लाश मिली है जो पहचाने जाने के काबिल नहीं है, शायद 8-10 दिन पुरानी है... सडी-गली हालत में… लाश के कपड़ों में कुछ कागजात पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि मिले हैं विक्रमादित्य सिंह के नाम के और एक मोबाइल फोन…. जिसे ऑन करने पर लास्ट काल्स आपके नाम से थीं... मिस्सड कॉल...”

“क्या???” रागिनी की आँखों से आंसुओं की धार बह निकली

“आपको इस लाश की शिनाख्त के लिए श्रीगंगानगर आना होगा... वैसे आपका क्या संबंध है विक्रमादित्य सिंह से...?”

“हम उनकी माँ हैं” रागिनी ने अपने आँसू पोंछते हुये कहा “ हम अभी कोटा से निकाल रहे हैं 4-5 घंटे मे वहाँ पहुँच जाएंगे.... अप उन्हें सूरक्षित रखें”

रागिनी ने फोन काटा और बेजान सी बिस्तर पर गिर पड़ी

फिर उसने अपनेफोने मे व्हाट्सएप्प खोला और उसमें आए हुये विक्रमादित्य के मैसेज को पढ़ने लगी ....

“रागिनी! आज वक़्त ने फिर करवट ली है...... कभी में तुम्हें पाना चाहता था लेकिन तुम्हें मुझसे नफरत थी..... फिर हम पास आए... साथ हुये तो नदी के दो किनारों की तरह.... जो आमने सामने होते हुये भी मिल नहीं सकते..... मेरी हवस और तुम्हारी नफरत... दोनों ही प्यार मे बादल गए लेकिन बीच में जो रिश्ते की नदी थी उसे पार नहीं कर सके..... मिल नहीं सके..... अब शायद हमारा साथ यहीं तक था.... वक़्त ने हालात कुछ ऐसे बना दिये हैं की हुमें जुड़ा होना ही होगा....... शायद इस जन्म के लिए........ जन्म भर के लिए.........

एक आखिरी विनती है........ बच्चों का ख्याल रखना...... और दिल्ली मे अभय से मिलकर वसीयत इनके हवाले कर देना......... में कोई अमानत किसी की भी अपने साथ नहीं ले जाऊंगा....... तुम्हें भी तुम्हारा घर और बच्चे सौंप रहा हूँ.....

तुम्हारा.......................

विक्रमादित्य”

रागिनी फोन छोडकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी....विक्रमादित्य का नाम लेकर

तभी एक 21-22 साल की लड़की भागती हुई कमरे मे घुसी

“क्या हुआ माँ”

लेकिन रागिनी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो उसने बेड पर से रागिनी का मोबाइल उठाकर देखा और उस मैसेज को पढ़ने लगी....

“दीदी! माँ को क्या हुआ.... ये ऐसे क्यों रो रही हैं... किसका फोन आया” 18-19 साल के एक लड़के ने कमरे मे घुसते हुये पूंछा

उधर मैसेज पढ़ते ही लड़की का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने उस लड़के को मोबाइल देते हुये कहा

“प्रबल! इस मैसेज को पढ़ और इनसे पूंछ की क्या रिश्ता है इनके और विक्रमादित्य के बीच........... माँ बेटे के अलावा” कहते हुये उसने रागिनी की ओर नफरत से देखा

चट्टाक………….

“अनु तेरी हिम्मत कैसे हुयी अपने बड़े भाई का नाम लेने की........” अनु यानि अनुराधा के गाल पर रागिनी की पांचों उँगलियाँ छपता हुआ थप्पड़ पड़ा और वो गरजकर बोली “इस इलाके मे बच्चे से बूढ़े तक उनका नाम नहीं लेते... हुकुम या बन्ना सा बुलाते हैं.... और तू मेरे ही सामने उनका नाम इतनी बद्तमीजी से ले रही है”

अनुराधा और प्रबल को जैसे साँप सूंघ गया... रागिनी ने अनुराधा के हाथ से अपना मोबाइल छीना और कमरे से बाहर जाती हुई बोली

“में अभी और इसी वक़्त ... इस घर को छोडकर जा रही हूँ.... जब मुझे इस घर मे लाने वाला ही चला गया तो मेरा यहाँ क्या है..... अब तुम दोनों ही इस हवेली, जमीन-जायदाद के मालिक हो.... कोई तुम्हें रोकटोक करनेवाला नहीं होगा........ तुम्हें एक वकील का एड्रैस मैसेज कर रही हूँ.... दिल्ली जाकर उससे मिल लेना”

बाहर से कार स्टार्ट होने की आवाज सुनकर सकते से मे खड़े प्रबल और अनुराधा चौंक कर बाहर की ओर भागे, लेकिन तब तक रागिनी की कार हवेली के फाटक से बाहर निकाल चुकी थी।

अनुराधा ने फाटक पर पहुँच कर दरबान से पूंछा “माँ कहाँ गईं हैं”

“जी मालकिन ने कुछ नहीं बताया”

“बेवकूफ़! वो किधर गईं हैं” अनुराधा ने गुस्से से कहा

“जी! कोटा की तरफ” दरबान ने इशारा करते हुये कहा

“ठीक है” कहकर अनुराधा ने प्रबल को अंदर चलने का इशारा किया

अनुराधा और प्रबल हवेली के अंदर आकर रागिनी के कमरे मे गए और बेड पर बैठकर एक दूसरे की ओर देखने लगे।

“दीदी! आपको माँ से भैया के बारे में ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी” प्रबल ने खामोशी तोड़ते हुये कहा

“में उस आदमी का नाम भी नहीं सुनना चाहती जिसने हमारी ज़िंदगी का चैन, सुकून, खुशियाँ सब छीन लिया और यहाँ तक की हमारी माँ भी हमारी नहीं रही, सिर्फ उसकी वजह से.... देखा कैसे बिना कोई जवाब दिये माँ हमें छोडकर उसकी तलाश में कहाँ गईं हैं... पता नहीं उसे कब मौत आएगी?” अनुराधा गुस्से से बोली

प्रबल चुपचाप उठकर कमरे से बाहर चला गया, अपने कमरे मे पहुँचकर अपना फोन उठाकर व्हाट्सएप्प पर विक्रम का कई दिन पुराना मैसेज खोला... जिसे उसने आजतक पढ़कर भी नहीं देखा था.....

“प्रबल बेटा! मे तुम्हें और अनुराधा को अपने भाई बहन नहीं अपने बच्चों की तरह मानता हूँ शायद इसीलिए तुम लोगों के साथ कुछ ज्यादा ही सख्ती से पेश आया। लेकिन अब तुम दोनों ही बच्चे नहीं रहें समझदार हो गए हो... अपना भला बुरा खुद सोच-समझ सकते हो, इसलिए आज से ये सब हवेली जमीन जायदाद जो तुम्हारी ही थी तुम्हें सौंपकर... अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जा रहा हूँ... अपनी माँ का ख्याल रखना.... और मुझे हो सके तो माफ कर देना... मेरी ज़्यादतियों के लिए—तुम्हारा भाई विक्रमादित्य सिंह”

मैसेज पढ़ते ही प्रबल अपना फोन पकड़े भागता हुआ रागिनी के कमरे में पहुंचा “ दीदी! ये पढ़ो”

लेकिन जब उसने सामने देखा तो अनुराधा रागिनी के कमरे के सब समान को फैलाये ... एक डायरी हाथ में पकड़े खड़ी थी

प्रबल को देखकर अनुराधा पहले तो डर सी गयी... फिर बोली “क्या है...किसका मैसेज है”

“विक्रम भैया का मैसेज है... कई दिन पहले आया था... अभी पढ़ा है मेंने” प्रबल ने कमरे में चारों ओर देखते हुये कहा “ये क्या कर रही हो आप... माँ को पता चला तो...”

अनुराधा ने उसे कोई जवाब दिये बिना आगे बढ़कर उसके हाथ से मोबाइल लिया और उस मैसेज को पढ़ने लगी। तभी अनुराधा को कुछ ध्यान आया और वो डायरी और प्रबल का मोबाइल हाथ में लिए हुये ही अपने कमरे की ओर तेज कदमो से जाने लगी

“दीदी! दीदी!” कहता हुया प्रबल भी उसके पीछे भागा। कमरे में पहुँचकर अनुराधा ने अपना मोबाइल उठाया और मैसेज चेक करने लगी... उसके मोबाइल में भी वही मैसेज उसी दिन आया हुआ था, साथ ही एक मैसेज अभी अभी का रागिनी के नंबर से भी था जिसमे एडवोकेट अभय प्रताप सिंह का नाम और नंबर दिया हुआ था।

अनुराधा ने तुरंत अभय प्रताप सिंह को कॉल मिलाया

............................................
क्रमश: आगामी अध्याय में
 
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kamdev99008

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मित्रो! एक छोटा सा अपडेट पोस्ट कर दिया है....... इसे पढ़कर यदि आपके मन में कोई विचार आए तो कमेंट में लिखें.......
 
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Chutiyadr

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डॉ साहब तब तक अप अपडेट दे दो.... में देवनागरी में टाइप करके उसे एडिट कर रहा हु..... फिर USC के लिए स्टोरी भी टाइप करनी है....

यहाँ 30 मिनट का टाइम दो......

अभी एक झलक पहले अपडेट की..........................
.....................................................................
अध्याय-1

रागिनी अपने बेडरूम में लेटी बहुत देर से छत को घूरे जा रही थी... पता नहीं किस सोच में डूबी थी। आज सुबह से ही वो अपने बिस्तर से नहीं उठी थी। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने से उसका ध्यान भंग होता है और वो अपना मोबाइल उठाकर देखती है... किसी नए या अनजाने नंबर से कॉल था।

कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद वो कॉल उठाती है.... “हॅलो”

“हॅलो! क्या आप रागिनी सिंह बोल रही हैं” दूसरी ओर से एक आदमी की आवाज आई

“जी हाँ! हम रागिनी सिंह ही बोल रहे हैं। आप कौन”

“रागिनी जी में सब इंस्पेक्टर राम नरेश यादव बोल रहा हूँ। थाना xxxxx श्रीगंगानगर से”

“जी दारोगा जी बताएं... किसलिए फोन किया”

“मैडम! हमारे क्षेत्र मे एक लाश मिली है जो पहचाने जाने के काबिल नहीं है, शायद 8-10 दिन पुरानी है... सडी-गली हालत में… लाश के कपड़ों में कुछ कागजात पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि मिले हैं विक्रमादित्य सिंह के नाम के और एक मोबाइल फोन…. जिसे ऑन करने पर लास्ट काल्स आपके नाम से थीं... मिस्सड कॉल...”

“क्या???” रागिनी की आँखों से आंसुओं की धार बह निकली

“आपको इस लाश की शिनाख्त के लिए श्रीगंगानगर आना होगा... वैसे आपका क्या संबंध है विक्रमादित्य सिंह से...?”

“हम उनकी माँ हैं”

.................................................
फॉन्ट साइज़ और कोई त्रुटि हो तो बताएं.......

are kaamdev ji ye kya jhalk dikhaja khel rhe ho ,pura update hi post kar dena ek sath ...
font size jo chaho rakho hame to padhne se matlab hai ,aise aap suspance thriller likh rhe ho wo bhi romance prefix ke sath ,ab maja aayega padhne me .......
aur apki USC story ka bhi intjaar rehega .....
bahut maari hai hamari ab hai hamari baari :armyman::armyman::toohappy:
 

kamdev99008

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are kaamdev ji ye kya jhalk dikhaja khel rhe ho ,pura update hi post kar dena ek sath ...
font size jo chaho rakho hame to padhne se matlab hai ,aise aap suspance thriller likh rhe ho wo bhi romance prefix ke sath ,ab maja aayega padhne me .......
aur apki USC story ka bhi intjaar rehega .....
bahut maari hai hamari ab hai hamari baari :armyman::armyman::toohappy:
कर दिया डॉ साहब ..... पूरा अपडेट पढ़कर अपने विचार प्रस्तुत करो
ये प्रेम कहानी है......... लेकिन ज़िंदगी में सिर्फ प्यार नहीं होता........ जहां प्यार होता है वहाँ काम, क्रोध, मद (नशा), लोभ और मोह भी होता है........ और इन सबका परिणाम ........ भय ............... तो सबकुछ मिलेगा.... प्यार के साथ
 

Chutiyadr

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अध्याय-1

रागिनी अपने बेडरूम में लेटी बहुत देर से छत को घूरे जा रही थी... पता नहीं किस सोच में डूबी थी। आज सुबह से ही वो अपने बिस्तर से नहीं उठी थी। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने से उसका ध्यान भंग होता है और वो अपना मोबाइल उठाकर देखती है... किसी नए या अनजाने नंबर से कॉल था।

कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद वो कॉल उठाती है.... “हॅलो”

“हॅलो! क्या आप रागिनी सिंह बोल रही हैं” दूसरी ओर से एक आदमी की आवाज आई

“जी हाँ! हम रागिनी सिंह ही बोल रहे हैं। आप कौन”

“रागिनी जी में सब इंस्पेक्टर राम नरेश यादव बोल रहा हूँ। थाना xxxxx श्रीगंगानगर से”

“जी दारोगा जी बताएं... किसलिए फोन किया”

“मैडम! हमारे क्षेत्र मे एक लाश मिली है जो पहचाने जाने के काबिल नहीं है, शायद 8-10 दिन पुरानी है... सडी-गली हालत में… लाश के कपड़ों में कुछ कागजात पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि मिले हैं विक्रमादित्य सिंह के नाम के और एक मोबाइल फोन…. जिसे ऑन करने पर लास्ट काल्स आपके नाम से थीं... मिस्सड कॉल...”

“क्या???” रागिनी की आँखों से आंसुओं की धार बह निकली

“आपको इस लाश की शिनाख्त के लिए श्रीगंगानगर आना होगा... वैसे आपका क्या संबंध है विक्रमादित्य सिंह से...?”

“हम उनकी माँ हैं” रागिनी ने अपने आँसू पोंछते हुये कहा “ हम अभी कोटा से निकाल रहे हैं 4-5 घंटे मे वहाँ पहुँच जाएंगे.... अप उन्हें सूरक्षित रखें”

रागिनी ने फोन काटा और बेजान सी बिस्तर पर गिर पड़ी

फिर उसने अपनेफोने मे व्हाट्सएप्प खोला और उसमें आए हुये विक्रमादित्य के मैसेज को पढ़ने लगी ....

“रागिनी! आज वक़्त ने फिर करवट ली है...... कभी में तुम्हें पाना चाहता था लेकिन तुम्हें मुझसे नफरत थी..... फिर हम पास आए... साथ हुये तो नदी के दो किनारों की तरह.... जो आमने सामने होते हुये भी मिल नहीं सकते..... मेरी हवस और तुम्हारी नफरत... दोनों ही प्यार मे बादल गए लेकिन बीच में जो रिश्ते की नदी थी उसे पार नहीं कर सके..... मिल नहीं सके..... अब शायद हमारा साथ यहीं तक था.... वक़्त ने हालात कुछ ऐसे बना दिये हैं की हुमें जुड़ा होना ही होगा....... शायद इस जन्म के लिए........ जन्म भर के लिए.........

एक आखिरी विनती है........ बच्चों का ख्याल रखना...... और दिल्ली मे पवन से मिलकर वसीयत इनके हवाले कर देना......... में कोई अमानत किसी की भी अपने साथ नहीं ले जाऊंगा....... तुम्हें भी तुम्हारा घर और बच्चे सौंप रहा हूँ.....

तुम्हारा.......................

विक्रमादित्य”

रागिनी फोन छोडकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी....विक्रमादित्य का नाम लेकर

तभी एक 21-22 साल की लड़की भागती हुई कमरे मे घुसी

“क्या हुआ माँ”

लेकिन रागिनी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो उसने बेड पर से रागिनी का मोबाइल उठाकर देखा और उस मैसेज को पढ़ने लगी....

“दीदी! माँ को क्या हुआ.... ये ऐसे क्यों रो रही हैं... किसका फोन आया” 18-19 साल के एक लड़के ने कमरे मे घुसते हुये पूंछा

उधर मैसेज पढ़ते ही लड़की का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने उस लड़के को मोबाइल देते हुये कहा

“प्रबल! इस मैसेज को पढ़ और इनसे पूंछ की क्या रिश्ता है इनके और विक्रमादित्य के बीच........... माँ बेटे के अलावा” कहते हुये उसने रागिनी की ओर नफरत से देखा

चट्टाक………….

“अनु तेरी हिम्मत कैसे हुयी अपने बड़े भाई का नाम लेने की........” अनु यानि अनुराधा के गाल पर रागिनी की पांचों उँगलियाँ छपता हुआ थप्पड़ पड़ा और वो गरजकर बोली “इस इलाके मे बच्चे से बूढ़े तक उनका नाम नहीं लेते... हुकुम या बन्ना सा बुलाते हैं.... और तू मेरे ही सामने उनका नाम इतनी बद्तमीजी से ले रही है”

अनुराधा और प्रबल को जैसे साँप सूंघ गया... रागिनी ने अनुराधा के हाथ से अपना मोबाइल छीना और कमरे से बाहर जाती हुई बोली

“में अभी और इसी वक़्त ... इस घर को छोडकर जा रही हूँ.... जब मुझे इस घर मे लाने वाला ही चला गया तो मेरा यहाँ क्या है..... अब तुम दोनों ही इस हवेली, जमीन-जायदाद के मालिक हो.... कोई तुम्हें रोकटोक करनेवाला नहीं होगा........ तुम्हें एक वकील का एड्रैस मैसेज कर रही हूँ.... दिल्ली जाकर उससे मिल लेना”

क्रमश: आगामी अध्याय में
bhai kaamdev ji ye to badi hi khatrnaak story lag rhi hai apki ,abhi to kuch bhi samjh nhi aa rha hai ,vikramaditya ragani ka beta hai jo hawas ka sikar hokar apni hi maa ko dore dalne lga,pahle ragani ne usse nafrat kiya fir maa bete me pyar paida ho gaya ,ab wo chhodkar chla gya ,ho sakta hai ki chhoda na ho balki kisi ne murder ho kyoki lag rha hai ki wo ek rusukhdar insan bhi tha .......
update chhota tha ,kya hai na land aur update thoda bada ho to jiske liye wo ho use achcha lagtta hai ...:bsanta:
 

kamdev99008

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Starting me he aisa sadma :(
Aur Ragini kis ke call ka wait kar rahi thi ? Apne bete Vikram ka ?
अप भी पूरा अपडेट पढ़कर देखें......... तब तक में इंडेक्स की तिकड़म लगता हूँ
 

kamdev99008

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Raaz1886

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Super start bro... WhatsApp msg padh ke yeh anadaja lagta h h ki vikarmaditya apni maa se pyar krta tha lekin uski maa ne uske pyar ko nhi apnaya aur uske chalte usne sayad sucide kr liya....dekhte h aage kya hota h
 
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firefox420

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jaisa naam waisa kaam...... Kamdev bhai Shuruaat hai.... kaam - krodh - moh - lobh - aisantosh - trishna - dwesh - ahem - aatmglani ... sab kuch ek hi update mein pel diya ... bhai sahab ab to ye hi umeed rahegi ke aage bhi aise hi jhatke milte rahe...

acchi shuraat hai lekhak ji .... aage padhne ka intezaar rahega..
 
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Assassin

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अध्याय-1

रागिनी अपने बेडरूम में लेटी बहुत देर से छत को घूरे जा रही थी... पता नहीं किस सोच में डूबी थी। आज सुबह से ही वो अपने बिस्तर से नहीं उठी थी। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने से उसका ध्यान भंग होता है और वो अपना मोबाइल उठाकर देखती है... किसी नए या अनजाने नंबर से कॉल था।

कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद वो कॉल उठाती है.... “हॅलो”

“हॅलो! क्या आप रागिनी सिंह बोल रही हैं” दूसरी ओर से एक आदमी की आवाज आई

“जी हाँ! हम रागिनी सिंह ही बोल रहे हैं। आप कौन”

“रागिनी जी में सब इंस्पेक्टर राम नरेश यादव बोल रहा हूँ। थाना xxxxx श्रीगंगानगर से”

“जी दारोगा जी बताएं... किसलिए फोन किया”

“मैडम! हमारे क्षेत्र मे एक लाश मिली है जो पहचाने जाने के काबिल नहीं है, शायद 8-10 दिन पुरानी है... सडी-गली हालत में… लाश के कपड़ों में कुछ कागजात पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि मिले हैं विक्रमादित्य सिंह के नाम के और एक मोबाइल फोन…. जिसे ऑन करने पर लास्ट काल्स आपके नाम से थीं... मिस्सड कॉल...”

“क्या???” रागिनी की आँखों से आंसुओं की धार बह निकली

“आपको इस लाश की शिनाख्त के लिए श्रीगंगानगर आना होगा... वैसे आपका क्या संबंध है विक्रमादित्य सिंह से...?”

“हम उनकी माँ हैं” रागिनी ने अपने आँसू पोंछते हुये कहा “ हम अभी कोटा से निकाल रहे हैं 4-5 घंटे मे वहाँ पहुँच जाएंगे.... अप उन्हें सूरक्षित रखें”

रागिनी ने फोन काटा और बेजान सी बिस्तर पर गिर पड़ी

फिर उसने अपनेफोने मे व्हाट्सएप्प खोला और उसमें आए हुये विक्रमादित्य के मैसेज को पढ़ने लगी ....

“रागिनी! आज वक़्त ने फिर करवट ली है...... कभी में तुम्हें पाना चाहता था लेकिन तुम्हें मुझसे नफरत थी..... फिर हम पास आए... साथ हुये तो नदी के दो किनारों की तरह.... जो आमने सामने होते हुये भी मिल नहीं सकते..... मेरी हवस और तुम्हारी नफरत... दोनों ही प्यार मे बादल गए लेकिन बीच में जो रिश्ते की नदी थी उसे पार नहीं कर सके..... मिल नहीं सके..... अब शायद हमारा साथ यहीं तक था.... वक़्त ने हालात कुछ ऐसे बना दिये हैं की हुमें जुड़ा होना ही होगा....... शायद इस जन्म के लिए........ जन्म भर के लिए.........

एक आखिरी विनती है........ बच्चों का ख्याल रखना...... और दिल्ली मे पवन से मिलकर वसीयत इनके हवाले कर देना......... में कोई अमानत किसी की भी अपने साथ नहीं ले जाऊंगा....... तुम्हें भी तुम्हारा घर और बच्चे सौंप रहा हूँ.....

तुम्हारा.......................

विक्रमादित्य”

रागिनी फोन छोडकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी....विक्रमादित्य का नाम लेकर

तभी एक 21-22 साल की लड़की भागती हुई कमरे मे घुसी

“क्या हुआ माँ”

लेकिन रागिनी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो उसने बेड पर से रागिनी का मोबाइल उठाकर देखा और उस मैसेज को पढ़ने लगी....

“दीदी! माँ को क्या हुआ.... ये ऐसे क्यों रो रही हैं... किसका फोन आया” 18-19 साल के एक लड़के ने कमरे मे घुसते हुये पूंछा

उधर मैसेज पढ़ते ही लड़की का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने उस लड़के को मोबाइल देते हुये कहा

“प्रबल! इस मैसेज को पढ़ और इनसे पूंछ की क्या रिश्ता है इनके और विक्रमादित्य के बीच........... माँ बेटे के अलावा” कहते हुये उसने रागिनी की ओर नफरत से देखा

चट्टाक………….

“अनु तेरी हिम्मत कैसे हुयी अपने बड़े भाई का नाम लेने की........” अनु यानि अनुराधा के गाल पर रागिनी की पांचों उँगलियाँ छपता हुआ थप्पड़ पड़ा और वो गरजकर बोली “इस इलाके मे बच्चे से बूढ़े तक उनका नाम नहीं लेते... हुकुम या बन्ना सा बुलाते हैं.... और तू मेरे ही सामने उनका नाम इतनी बद्तमीजी से ले रही है”

अनुराधा और प्रबल को जैसे साँप सूंघ गया... रागिनी ने अनुराधा के हाथ से अपना मोबाइल छीना और कमरे से बाहर जाती हुई बोली

“में अभी और इसी वक़्त ... इस घर को छोडकर जा रही हूँ.... जब मुझे इस घर मे लाने वाला ही चला गया तो मेरा यहाँ क्या है..... अब तुम दोनों ही इस हवेली, जमीन-जायदाद के मालिक हो.... कोई तुम्हें रोकटोक करनेवाला नहीं होगा........ तुम्हें एक वकील का एड्रैस मैसेज कर रही हूँ.... दिल्ली जाकर उससे मिल लेना”

क्रमश: आगामी अध्याय में
Superb update :claps: aur ab muze yaad aaya ke yahi story 2 saal pehle mene xp pe padhi thi, aapne isko shuru kiya tha tab :D
Abhi intjaar hoga agle update ka, jisme aage kya hoga pata chalega :popcorn:
 
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