Chalo bol bachchan bahut ho gaya ab update de do....
डॉ साहब तब तक अप अपडेट दे दो.... में देवनागरी में टाइप करके उसे एडिट कर रहा हु..... फिर USC के लिए स्टोरी भी टाइप करनी है....
यहाँ 30 मिनट का टाइम दो......
अभी एक झलक पहले अपडेट की..........................
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अध्याय-1
रागिनी अपने बेडरूम में लेटी बहुत देर से छत को घूरे जा रही थी... पता नहीं किस सोच में डूबी थी। आज सुबह से ही वो अपने बिस्तर से नहीं उठी थी। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने से उसका ध्यान भंग होता है और वो अपना मोबाइल उठाकर देखती है... किसी नए या अनजाने नंबर से कॉल था।
कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद वो कॉल उठाती है.... “हॅलो”
“हॅलो! क्या आप रागिनी सिंह बोल रही हैं” दूसरी ओर से एक आदमी की आवाज आई
“जी हाँ! हम रागिनी सिंह ही बोल रहे हैं। आप कौन”
“रागिनी जी में सब इंस्पेक्टर राम नरेश यादव बोल रहा हूँ। थाना xxxxx श्रीगंगानगर से”
“जी दारोगा जी बताएं... किसलिए फोन किया”
“मैडम! हमारे क्षेत्र मे एक लाश मिली है जो पहचाने जाने के काबिल नहीं है, शायद 8-10 दिन पुरानी है... सडी-गली हालत में… लाश के कपड़ों में कुछ कागजात पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि मिले हैं विक्रमादित्य सिंह के नाम के और एक मोबाइल फोन…. जिसे ऑन करने पर लास्ट काल्स आपके नाम से थीं... मिस्सड कॉल...”
“क्या???” रागिनी की आँखों से आंसुओं की धार बह निकली
“आपको इस लाश की शिनाख्त के लिए श्रीगंगानगर आना होगा... वैसे आपका क्या संबंध है विक्रमादित्य सिंह से...?”
“हम उनकी माँ हैं”
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