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Adultery भाभियों का रहस्य

Chutiyadr

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Congratulations chutiya bhai
Waise itne din tak phd kar li aapne
Waise shraap badhiya hai
Upar se amma bhi kadak untouch hai kyaa
Q ki robdaar hai
Waise anu ki to moj j hai pahle aap wala scene

Waiting for next update dr bhai
dhanywad ali bhai :)
 

Chutiyadr

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अध्याय 3
आँखे खुली तो मैंने खुद को अपने ही बिस्तर में सोया हुआ पाया , पुरे शरीर में दर्द भरा हुआ था , भोर के सूर्य की किरने खिड़की से छानकर सीधे मेरे चहरे पर पड़ रही थी , मैं हडबडा कर उठा कल मेरे साथ जो हुआ था वो मुझे एक स्वप्न की तरह लग रहा था …
मैंने अपने सर को छुवा जहा कल जोरदार वार किया गया था लेकिन वंहा कोई भी दर्द नहीं था ..
मैंने उठ कर बैठ गया और और अपने ही ख्यालो में खोया हुआ कमरे से बाहर आया , निचे सब कुछ सामान्य चल रहा था , बड़े से सोफे में जो की सिहासन नुमा था ,अम्मा आराम से बैठे हुए नौकरों को हिदायत दे रही थी एक बार उनकी नजर मुझपर पड़ी ..
“आज बड़ी जल्दी उठ गए कुवर जी , कल से सो ही रहे हो ,खाने के लिए भी नहीं उठे , शहर में भी ऐसा ही करते हो क्या ??”
उनकी बातो से मेरा सर घुमा ,मैं जो सीढियों से निचे की ओर उतर रहा था तुरंत फिर से उपर चला गया और सीधे अन्नू के कमरे में पंहुचा जो की मेरे कमरे के बाजु में ही था ..
थोड़े देर दरवाजा खटखटाने पर उसने दरवाजा खोला और खोलकर सीधे बिस्तर में जा गिरी ..
“अन्नू अन्नू उठ न यार ..”
मैंने उसे झकझोरते हुए कहा
“सोने दे ना यार तू तो पूरी नींद ले लिया और मुझे इतने जल्दी उठा रहा है … जब से आया तब से तो सो ही रहा था , अब मुझे सोने दे , अम्मा के साथ बात करते रात हो गयी थी ..”
वो इतने बेफिक्री से ये बात कह गई की मुझे खुद पर अचरज होने लगा …
“कल जो हुआ उसके बाद भी तुम इतनी बेफिक्र कैसे हो सकती हो ??”
उसने एक बार मुझे मुड़कर देखा
“कल क्या हुआ ??? ओह अम्मा ने तुम्हे डाटा था की तुम इतने पैसे के साथ आ रहे हो और मुझे भी ले आये .. अब अम्मा डांटती ही रहती है इतना टेंशन क्यों लेना “
मैं सोच में पढ़ गया था , क्या जो भी कल मैंने देखा वो सिर्फ एक सपना था ???
मैं वही बिस्तर में बैठ गया , और अन्नू भी बाजु मुह करके सो गई
“मतलब कल हम नदी के किनारे घुमने नहीं गए थे “ मैंने कुछ सोचते हुए उससे कहा
वो आँखे खोलकर मुझे गुस्से से देखने लगी
“तू जा ना यार क्यों सुबह सुबह दिमाग ख़राब कर रहा है “
मैंने उससे और कुछ भी पूछना सही नहीं समझा और अपने कमरे में चले आया ,अब दो ही चीजे हो सकती थी , पहली की मैं सपना देख रहा था , लेकिन इतना स्पष्ट सपना जो की बिलकुल हकीकत ही लगे ..
ये थोडा अटपटा था , दूसरी चीज हो सकती थी की ये सब सच ही हो और मेरे बेहोश हो जाने के बाद सभी मुझसे झूठ बोल रहे हो , लेकिन अगर सभी आज झूठ बोल रहे हो तो भी ये अजीब था क्योकि अगर कल की बाते सच है तो फिर मुझे सभी भाभियों के गर्भ को भरना था , और इसलिए ही तो उन्होंने मुझे पकड़ा था , फिर यु छोड़ क्यों दिया …
जब कुछ समझ नहीं आता तो सब छोड़ कर अपना काम करना चाहिए , मैंने भी यही करने की सोची और अपने कमरे में जाकर शावर लेने लगा …
नाश्ता करके मैं अपनी बुलेट में घर से निकल गया थोड़ी दूर चलकर मैं एक घर के सामने रुका
“अंकित …” घर के बाहर से ही मैंने उसे आवज दी
अंकित मेरे ही उम्र का लड़का था मेरे साथ बचपन से खेला था , वो भी अपने नाना जी के घर रहता था , तभी मुझे उसकी भाभी निकलते हुए दिखाई दी ..
“अरे कुवर जी आप “
“नमस्ते गुंजन भाभी “
“आइये न अन्दर “
“नहीं भाभी मैं बस अंकित को लेने आया हु “
“रुकिए बाबु को बुला कर लाती हु “
गुंजन भाभी अंदर चली गई और मैं उन्हें देखता ही रह गया , आज से पहले वो मुझे कभी इतनी सुन्दर नहीं लगी थी , अंकित के मामा के दो लड़के थे दोनों की ही शादी हो चुकी थी लेकिन कोई संतान अभी तक नहीं थी , गुंजन भाभी बड़े भाई की बीवी थी … अचानक से मेरे दिमाग में कल की बात पर चली गई , ये बात तो सच है की यंहा के कई लोगो के बच्चे नहीं है और खासकर लड़के तो नहीं है …..
गुंजन भाभी के चहरे में मुझे देख कर एक अलग ही मुस्कान आई थी , साड़ी के पल्लू से उन्होंने अपना सर ढक रखा था लेकिन उनके लाल रसीले होठ और उसमे आई वो मुस्कान मुझे साफ साफ दिखाई पड़ी थी , आँखों के काजल से जैसे उनकी आंखे कुछ बड़ी हो गई हो , और चंचलता से भरे मासूम आँखों ने अनजाने में ही मेरे अंदर कुछ कर दिया था , एक अजीब सी कसक मेरे मन में हुई थी जैसी की मैंने कभी महसूस नहीं की थी ..
मैं उस अजीब सी संवेदना को समझने की कोशिस ही कर रहा था की अंकित घर से बाहर आ गया
“अरे भाई इतने दिनों के बाद आया तू “
वो सीधे आकार मेरे गले से लग गया
“कल मैं हवेली गया था तो मुझे पता चला की तू आया है लेकिन तू सोया था इसलिए तुझे डिस्टर्ब नहीं किया “
“तू कल हवेली आया था ??”
“हा … क्यों ?”
“कितने समय “
“शाम के समय शायद 6-7 बजे “
उसने अपने सर को खुजलाते हुए कहा
चलो एक और आदमी ने मुझे कह दिया की मैं सोया हुआ था …
“चल बैठ घूम कर आते है, माल रख ले “
वो अंदर गया और कुछ सामान लेकर वापस बाहर आया ..
साथ ही गुंजन भाभी भी आई
“अरे कुवर जी कहा जा रहे हो , यही बैठो आपके लिए मुर्गा बना देती हु “
“नहीं भाभी ठीक है .. ऐसे भी जानते हो ना अम्मा को मेरा ये सब करना पसंद नहीं “
वो हँस पड़ी
“आप अम्मा से बहुत डरते हो , अरे खाओगे नहीं तो बल कैसे आयेगा बहुत काम करने है आपको ,पुरे गांव की जिम्मेदारी आपके ही कंधे पर है “
उनकी बात सुनकर मैं एक बार उनको देखता ही रह गया , अब ये जिम्मेदारी वाली बात तो मैं हमेशा से ही सुनता रहा हु लेकिन भाभी आज कौन सी जिम्मेदारी का कह रही थी इस बात का मुझे संदेह था ..
“फिर कभी भाभी “मैंने अहिस्ता से कहा , भाभी जी बस मुस्कुरा गई
अंकित मेरे पीछे बैठा और मैंने बुलेट बढ़ा दी , हमारा एक अड्डा हुआ करता था पहाड़ी के पास का एक छोटा सा झरना जो की कोई 5 किलोमीटर दूर था , अंकित ने सारी चीजे रख ली थी जो की हम अकसर रखा करते थे ..
हमारे गांव में घर घर ही शराब बनाई जाती थी और यंहा शराब पीना एक आम सी बात थी लेकिन अम्मा के सामने मैंने कभी शराब नहीं पि थी ना ही कभी ज्यादा पि कर उनके सामने ही गया था , अंकित के घर में भी शराब बनती थी , और गांव की शुद्ध शराब की तो महक ही कुछ और होती है , एक बोतल में शराब और कुछ खाने का सामान पकड़ कर हम निकल गए थे ,
शराब की बोतल खुली और मैंने एक बार अच्छे से उसे सुंघा
“वाह क्या सुगंध है “ मैंने बोतल को अपने नाक के पास लाते हुए कहा
“अरे तुम शहरी लोग क्या जानो इसका महत्व , तू तो वो बड़ी बड़ी दारू पीते हो “
अंकित पैक बनाने लगा , ये इस गांव में मेरा इकलौता दोस्त था और जब भी मैं यंहा आता तो हम इस जगह पर जरुर आते ..
“क्या हुआ कुवर जी आज थोडा बेचैन लग रहे हो “
दो पैक अंदर जाते ही अंकित की बकचोदी शुरू हो गई थी ,मैं हलके से हँस पड़ा
“बस यार एक अजीब सा सपना आया था कल , थोडा बेचैन हु , तू बता कैसे चल रहा है सब गांव में “
“बढ़िया है सब , ऐसे अपनी एक सेटिंग के बारे में तुझे बताया था न … अरे वही जिसे इसी झरने में लाकर पेला करता था “
मैं समझ गया था की ये किसके बारे में बात कर रहा है ..
“छि बे तू कभी नहीं सुधरेगा ..”
“अरे कुवर जी इसमें छि वाली क्या बात है , लड़के और लडकियों को तो प्रकृति ने ही ऐसा बनाया है की वो सम्भोग कर सके , समझ नही आता आप क्यों इतना दूर भागते है ,या फिर कही ऐसा तो नही की हमारे सामने ही ये शराफत दिखाते हो और शहर में घपघप करने में डिग्री ले रखी हो “
मैंने पास रखा कंकड़ उसे दे मारा वो हँसने लगा
“इतनी अच्छी पर्सनाल्टी है भाई तेरी , इतना पैसा है तेरे पास , और अम्मा का रुतबा .. इस गांव के लोग तुझे कुवर कहते है , किसी भी लड़की के उपर हाथ रख दे न तू तो कोई ना नहीं बोलेगी और तू है की साधू बना बैठा है “
अंकित मुझपर ऐसे तंज अक्सर कसा करता था , मैं भी उसे कभी सीरियस नहीं लिया लेकिन आज ना जाने उससे दिल की बात कहने का मन कर रहा था ..
आँखों के सामने गुंजन भाभी का चहरा घूम रहा था और मैं अंकित को कहना चाहता था की मैं किसी और को नहीं तेरी प्यारी भाभी के साथ सम्भोग करना चाहता हु ..
क्या सच में मैं ऐसा चाहता था ..??? मुझे सच में ये नहीं पता था की मैं क्या चाहता था लेकिन घूँघट की आड़ से झलकता गुंजन का चहरा मेरे अंदर कुछ हिला रहा था , मैं अब वैसा नहीं था जैसा मैं पहले हुआ करता था , और उपर से देसी शराब का वो हल्का हल्का सुरूर ..
अंकित मेरे चहरे को जैसे पढ़ रहा हो ..
“भाई कुछ तो हुआ है तुझे तू ऐसा तो नहीं था ,”
“कुछ नही हुआ मुझे “ मैंने उसकी बात को टालते हुए कहा
“नहीं कुछ तो बात है , अरे भाई समझ कर बोल दे , आखिर हम बचपन के दोस्त है , भले ही ये बात अलग है की तू कुवर है और मैं एक गरीब लड़का “
उसने मुह बनाया
“चुप बे .. जब देखो नाटक करता रहता है कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे , चल एक पैक और दे “
वो हलके से हँसा
“कुवर जी चहरे से दर्द छिपा लोगे , दिल में दर्द दबा लोगो लेकिन नीचे का क्या करोगे …तुम्हारा दर्द खड़ा हो गया है , ना जाने किसके बारे में सोच रहे हो हा हा हा “
वो जोरो से हँस पड़ा , मैं सकपका कर नीचे देखा तो मैंने महसूस किया की मेरा लिंग तना हुआ मेरे पेंट में तम्बू बनाये हुए है ..
गुंजन भाभी के बारे में सोचने मात्र से मेरा ये हाल हो गया था , मैं बचपन से ही शराफत की मूरत की तरह जिया था , इस उमंग को स्वीकार करना भी मेरे लिए बहुत भारी था ..
मुझे संकोच में सकुचाते हुए देखकर अंकित थोडा गंभीर हो गया .
“भाई तू मेरा दोस्त है , मेरे भाई जैसा है तुझे ऐसा देखकर दुःख लगता है , माना तू शराफत की मूरत है लेकिन अब तो तू जवान हो गया है , यार अपने अंदर की आग को स्वीकार कर वरना ये तुझे जला जाएगी …”
अंकित को इतना गंभीर होकर बात करते मैंने कभी नहीं देखा था , मैं उससे थोडा खुलना चाहता था ताकि मेरा भी बोझ थोडा हल्का हो जाए ..
“पता नहीं यार मुझे ये क्या हो गया ..”
मेरा सर शर्म से झुक गया था , वो हँस पड़ा
“अबे तू लड़की है क्या जो इतना शर्मा रहा है , इतना तो मेरी वाली भी नहीं शर्माती , और लौड़ो का खड़ा नहीं होगा तो क्या होगा , लेकिन मुझे एक बात सच सच बता की आखिर किसके बारे में सोच रहा था जो ऐसा बम्बू बन गया “
“अबे छोड़ ना “
“अच्छा हमारे गांव की है क्या ??” उसने बड़े ही उत्सुकता से पूछा
मैंने हां में सर हिला दिया ..
“साले तू तो बड़ा हरामी निकला , ऐसी कौन सी लड़की है जिसे देख कर कुवर का खड़ा हो रहा है ?? शादी शुदा की कुवारी ???”
वो मुझे जांचने की निगाहों से ही देख रहा था
“अबे छोड़ ना पैक बना ..”
“ओ साला यानि की शादीशुदा है , सच में कुवर जी आप तो पहुचे हुए निकले …कौन हो सकती है ,समझ गया जरुर कामिनी भाभी होगी , उसे देखकर तो मेरा भी खड़ा हो जाता है , वही है ना “
अंकित की उत्सुकता बहुत बढ़ गई थी
“अबे छोड़ न “
“भाई बता ना … जो भी तू बोल एक बार उसे यही झरने में लाना मेरा काम है तुझे दिलवा कर रहूँगा “
मैं सोच में पड़ गया था की आखिर इस गांडू को कैसे बताऊ की वो कोई और नहीं उसके ही घर की ओरत है जिसे ये माँ की तरह मानता है , अंकित जैसा भी हो लेकिन वो अपने भाइयो का बेहद आदर करता था आखिर जन्म से ही वो उनके घर में रहता था , वही वो अपनी भाभियों को अपनी माँ की तरह इज्जत करता था , ये बात उसने कई बार मेरे सामने कही भी थी … एक तरफ वो मुझे बार बार जोर दे रहा था , दूसरी तरफ मैं एक दुविधा में फंस चूका था ..
उसने मेरे सामने एक पैक बढ़ा दिया
“ये गटक जा तुझे हिम्मत आ जाएगी , चल मैं कसम खाता हु की तू जिस भी ओरत के कारन खड़ा करके बैठा है उसकी मैं तुझे दिलाऊंगा “
मैंने एक ही साँस में वो पैक पि गया , मेरे आँखों में खुमार चढ़ चूका था और साथ ही सामने गुंजन भाभी का चहरा भी घूम रहा था , नशा और हवास दोनों का काकटेल बहुत ही खतरनाक होता है , वही हालत मेरी भी थी , दिल जोरो से धडकने लगा था , दूसरा अंकित की बाते ..
“यही उसे चोदना , इसी पत्थर में झरने की आवाज और उस लड़की की चीख वाह भाई मजा ही आ जायेगा और वो भी कोई गदराई हुई भाभी हो गई तब तो मजा दुगुना ही हो जायेगा , अब बता भी दे की वो खुशनसीब कौन है जिसे कुवर जी का मिलने वाला है “
मैंने एक बार आंखे बंद की और मेरे मुह से निकल गया
“गुंजन भाभी …”
माहोल में एक शांति छा गई थी , अंकित का मुह खुला का खुला रह गया था , मैंने अपने लिंग पर अपना हाथ रखा और उसे जोरो से मसल दिया ..
“आह ..सुनना चाहता था ना , तो सुन अब , हा जब से उसे देखा हु तब से बेहाल हो रहा हु , अब बता दिलवाएगा ,लायेगा उसे यंहा “
मैं हवस और शराब के नशे में डूबा जा रहा था
वही अंकित सकते में था, वो कुछ भी बोलने को असमर्थ था, उसका चहरा पीला पड़ चूका था , गुस्से से ज्यादा आश्चर्य उसके चहरे पर झलक रहा था , वो झटके से खड़ा हो गया और बिना कुछ कहे ही पीछे मुड़कर जाने लगा , मुझे एक बार को होश आया की मैंने क्या कह दिया है लेकिन अब देर हो चुकी थी …
शायद मैंने अपने बचपन का दोस्त खो दिया था ,...
 

avsji

..........
Supreme
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dhanywad bhai :)
aapki kuchh stories dekh maine , aap jaisa achcha shabdo me pakad to mere paas nahi hai, jitna bhi hai aur jo kar sakunga karne ki koshis karunga :)

डॉक्टर साहब - आपकी कहानियाँ पसंद आती हैं मुझे! इसीलिए बड़ी उम्मीद है।
केवल ट्रीटमेंट बढ़िया हो - और क्या! उसी में आनंद है! अगले अध्याय की प्रतीक्षा है :)
(ओह! ये कमेंट मैंने बिना ऊपर का अपडेट देखे लिखा था - माफ़ करें!)
 
Last edited:

avsji

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अध्याय 3
आँखे खुली तो मैंने खुद को अपने ही बिस्तर में सोया हुआ पाया , पुरे शरीर में दर्द भरा हुआ था , भोर के सूर्य की किरने खिड़की से छानकर सीधे मेरे चहरे पर पड़ रही थी , मैं हडबडा कर उठा कल मेरे साथ जो हुआ था वो मुझे एक स्वप्न की तरह लग रहा था …
मैंने अपने सर को छुवा जहा कल जोरदार वार किया गया था लेकिन वंहा कोई भी दर्द नहीं था ..
मैंने उठ कर बैठ गया और और अपने ही ख्यालो में खोया हुआ कमरे से बाहर आया , निचे सब कुछ सामान्य चल रहा था , बड़े से सोफे में जो की सिहासन नुमा था ,अम्मा आराम से बैठे हुए नौकरों को हिदायत दे रही थी एक बार उनकी नजर मुझपर पड़ी ..
“आज बड़ी जल्दी उठ गए कुवर जी , कल से सो ही रहे हो ,खाने के लिए भी नहीं उठे , शहर में भी ऐसा ही करते हो क्या ??”
उनकी बातो से मेरा सर घुमा ,मैं जो सीढियों से निचे की ओर उतर रहा था तुरंत फिर से उपर चला गया और सीधे अन्नू के कमरे में पंहुचा जो की मेरे कमरे के बाजु में ही था ..
थोड़े देर दरवाजा खटखटाने पर उसने दरवाजा खोला और खोलकर सीधे बिस्तर में जा गिरी ..
“अन्नू अन्नू उठ न यार ..”
मैंने उसे झकझोरते हुए कहा
“सोने दे ना यार तू तो पूरी नींद ले लिया और मुझे इतने जल्दी उठा रहा है … जब से आया तब से तो सो ही रहा था , अब मुझे सोने दे , अम्मा के साथ बात करते रात हो गयी थी ..”
वो इतने बेफिक्री से ये बात कह गई की मुझे खुद पर अचरज होने लगा …
“कल जो हुआ उसके बाद भी तुम इतनी बेफिक्र कैसे हो सकती हो ??”
उसने एक बार मुझे मुड़कर देखा
“कल क्या हुआ ??? ओह अम्मा ने तुम्हे डाटा था की तुम इतने पैसे के साथ आ रहे हो और मुझे भी ले आये .. अब अम्मा डांटती ही रहती है इतना टेंशन क्यों लेना “
मैं सोच में पढ़ गया था , क्या जो भी कल मैंने देखा वो सिर्फ एक सपना था ???
मैं वही बिस्तर में बैठ गया , और अन्नू भी बाजु मुह करके सो गई
“मतलब कल हम नदी के किनारे घुमने नहीं गए थे “ मैंने कुछ सोचते हुए उससे कहा
वो आँखे खोलकर मुझे गुस्से से देखने लगी
“तू जा ना यार क्यों सुबह सुबह दिमाग ख़राब कर रहा है “
मैंने उससे और कुछ भी पूछना सही नहीं समझा और अपने कमरे में चले आया ,अब दो ही चीजे हो सकती थी , पहली की मैं सपना देख रहा था , लेकिन इतना स्पष्ट सपना जो की बिलकुल हकीकत ही लगे ..
ये थोडा अटपटा था , दूसरी चीज हो सकती थी की ये सब सच ही हो और मेरे बेहोश हो जाने के बाद सभी मुझसे झूठ बोल रहे हो , लेकिन अगर सभी आज झूठ बोल रहे हो तो भी ये अजीब था क्योकि अगर कल की बाते सच है तो फिर मुझे सभी भाभियों के गर्भ को भरना था , और इसलिए ही तो उन्होंने मुझे पकड़ा था , फिर यु छोड़ क्यों दिया …
जब कुछ समझ नहीं आता तो सब छोड़ कर अपना काम करना चाहिए , मैंने भी यही करने की सोची और अपने कमरे में जाकर शावर लेने लगा …
नाश्ता करके मैं अपनी बुलेट में घर से निकल गया थोड़ी दूर चलकर मैं एक घर के सामने रुका
“अंकित …” घर के बाहर से ही मैंने उसे आवज दी
अंकित मेरे ही उम्र का लड़का था मेरे साथ बचपन से खेला था , वो भी अपने नाना जी के घर रहता था , तभी मुझे उसकी भाभी निकलते हुए दिखाई दी ..
“अरे कुवर जी आप “
“नमस्ते गुंजन भाभी “
“आइये न अन्दर “
“नहीं भाभी मैं बस अंकित को लेने आया हु “
“रुकिए बाबु को बुला कर लाती हु “
गुंजन भाभी अंदर चली गई और मैं उन्हें देखता ही रह गया , आज से पहले वो मुझे कभी इतनी सुन्दर नहीं लगी थी , अंकित के मामा के दो लड़के थे दोनों की ही शादी हो चुकी थी लेकिन कोई संतान अभी तक नहीं थी , गुंजन भाभी बड़े भाई की बीवी थी … अचानक से मेरे दिमाग में कल की बात पर चली गई , ये बात तो सच है की यंहा के कई लोगो के बच्चे नहीं है और खासकर लड़के तो नहीं है …..
गुंजन भाभी के चहरे में मुझे देख कर एक अलग ही मुस्कान आई थी , साड़ी के पल्लू से उन्होंने अपना सर ढक रखा था लेकिन उनके लाल रसीले होठ और उसमे आई वो मुस्कान मुझे साफ साफ दिखाई पड़ी थी , आँखों के काजल से जैसे उनकी आंखे कुछ बड़ी हो गई हो , और चंचलता से भरे मासूम आँखों ने अनजाने में ही मेरे अंदर कुछ कर दिया था , एक अजीब सी कसक मेरे मन में हुई थी जैसी की मैंने कभी महसूस नहीं की थी ..
मैं उस अजीब सी संवेदना को समझने की कोशिस ही कर रहा था की अंकित घर से बाहर आ गया
“अरे भाई इतने दिनों के बाद आया तू “
वो सीधे आकार मेरे गले से लग गया
“कल मैं हवेली गया था तो मुझे पता चला की तू आया है लेकिन तू सोया था इसलिए तुझे डिस्टर्ब नहीं किया “
“तू कल हवेली आया था ??”
“हा … क्यों ?”
“कितने समय “
“शाम के समय शायद 6-7 बजे “
उसने अपने सर को खुजलाते हुए कहा
चलो एक और आदमी ने मुझे कह दिया की मैं सोया हुआ था …
“चल बैठ घूम कर आते है, माल रख ले “
वो अंदर गया और कुछ सामान लेकर वापस बाहर आया ..
साथ ही गुंजन भाभी भी आई
“अरे कुवर जी कहा जा रहे हो , यही बैठो आपके लिए मुर्गा बना देती हु “
“नहीं भाभी ठीक है .. ऐसे भी जानते हो ना अम्मा को मेरा ये सब करना पसंद नहीं “
वो हँस पड़ी
“आप अम्मा से बहुत डरते हो , अरे खाओगे नहीं तो बल कैसे आयेगा बहुत काम करने है आपको ,पुरे गांव की जिम्मेदारी आपके ही कंधे पर है “
उनकी बात सुनकर मैं एक बार उनको देखता ही रह गया , अब ये जिम्मेदारी वाली बात तो मैं हमेशा से ही सुनता रहा हु लेकिन भाभी आज कौन सी जिम्मेदारी का कह रही थी इस बात का मुझे संदेह था ..
“फिर कभी भाभी “मैंने अहिस्ता से कहा , भाभी जी बस मुस्कुरा गई
अंकित मेरे पीछे बैठा और मैंने बुलेट बढ़ा दी , हमारा एक अड्डा हुआ करता था पहाड़ी के पास का एक छोटा सा झरना जो की कोई 5 किलोमीटर दूर था , अंकित ने सारी चीजे रख ली थी जो की हम अकसर रखा करते थे ..
हमारे गांव में घर घर ही शराब बनाई जाती थी और यंहा शराब पीना एक आम सी बात थी लेकिन अम्मा के सामने मैंने कभी शराब नहीं पि थी ना ही कभी ज्यादा पि कर उनके सामने ही गया था , अंकित के घर में भी शराब बनती थी , और गांव की शुद्ध शराब की तो महक ही कुछ और होती है , एक बोतल में शराब और कुछ खाने का सामान पकड़ कर हम निकल गए थे ,
शराब की बोतल खुली और मैंने एक बार अच्छे से उसे सुंघा
“वाह क्या सुगंध है “ मैंने बोतल को अपने नाक के पास लाते हुए कहा
“अरे तुम शहरी लोग क्या जानो इसका महत्व , तू तो वो बड़ी बड़ी दारू पीते हो “
अंकित पैक बनाने लगा , ये इस गांव में मेरा इकलौता दोस्त था और जब भी मैं यंहा आता तो हम इस जगह पर जरुर आते ..
“क्या हुआ कुवर जी आज थोडा बेचैन लग रहे हो “
दो पैक अंदर जाते ही अंकित की बकचोदी शुरू हो गई थी ,मैं हलके से हँस पड़ा
“बस यार एक अजीब सा सपना आया था कल , थोडा बेचैन हु , तू बता कैसे चल रहा है सब गांव में “
“बढ़िया है सब , ऐसे अपनी एक सेटिंग के बारे में तुझे बताया था न … अरे वही जिसे इसी झरने में लाकर पेला करता था “
मैं समझ गया था की ये किसके बारे में बात कर रहा है ..
“छि बे तू कभी नहीं सुधरेगा ..”
“अरे कुवर जी इसमें छि वाली क्या बात है , लड़के और लडकियों को तो प्रकृति ने ही ऐसा बनाया है की वो सम्भोग कर सके , समझ नही आता आप क्यों इतना दूर भागते है ,या फिर कही ऐसा तो नही की हमारे सामने ही ये शराफत दिखाते हो और शहर में घपघप करने में डिग्री ले रखी हो “
मैंने पास रखा कंकड़ उसे दे मारा वो हँसने लगा
“इतनी अच्छी पर्सनाल्टी है भाई तेरी , इतना पैसा है तेरे पास , और अम्मा का रुतबा .. इस गांव के लोग तुझे कुवर कहते है , किसी भी लड़की के उपर हाथ रख दे न तू तो कोई ना नहीं बोलेगी और तू है की साधू बना बैठा है “
अंकित मुझपर ऐसे तंज अक्सर कसा करता था , मैं भी उसे कभी सीरियस नहीं लिया लेकिन आज ना जाने उससे दिल की बात कहने का मन कर रहा था ..
आँखों के सामने गुंजन भाभी का चहरा घूम रहा था और मैं अंकित को कहना चाहता था की मैं किसी और को नहीं तेरी प्यारी भाभी के साथ सम्भोग करना चाहता हु ..
क्या सच में मैं ऐसा चाहता था ..??? मुझे सच में ये नहीं पता था की मैं क्या चाहता था लेकिन घूँघट की आड़ से झलकता गुंजन का चहरा मेरे अंदर कुछ हिला रहा था , मैं अब वैसा नहीं था जैसा मैं पहले हुआ करता था , और उपर से देसी शराब का वो हल्का हल्का सुरूर ..
अंकित मेरे चहरे को जैसे पढ़ रहा हो ..
“भाई कुछ तो हुआ है तुझे तू ऐसा तो नहीं था ,”
“कुछ नही हुआ मुझे “ मैंने उसकी बात को टालते हुए कहा
“नहीं कुछ तो बात है , अरे भाई समझ कर बोल दे , आखिर हम बचपन के दोस्त है , भले ही ये बात अलग है की तू कुवर है और मैं एक गरीब लड़का “
उसने मुह बनाया
“चुप बे .. जब देखो नाटक करता रहता है कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे , चल एक पैक और दे “
वो हलके से हँसा
“कुवर जी चहरे से दर्द छिपा लोगे , दिल में दर्द दबा लोगो लेकिन नीचे का क्या करोगे …तुम्हारा दर्द खड़ा हो गया है , ना जाने किसके बारे में सोच रहे हो हा हा हा “
वो जोरो से हँस पड़ा , मैं सकपका कर नीचे देखा तो मैंने महसूस किया की मेरा लिंग तना हुआ मेरे पेंट में तम्बू बनाये हुए है ..
गुंजन भाभी के बारे में सोचने मात्र से मेरा ये हाल हो गया था , मैं बचपन से ही शराफत की मूरत की तरह जिया था , इस उमंग को स्वीकार करना भी मेरे लिए बहुत भारी था ..
मुझे संकोच में सकुचाते हुए देखकर अंकित थोडा गंभीर हो गया .
“भाई तू मेरा दोस्त है , मेरे भाई जैसा है तुझे ऐसा देखकर दुःख लगता है , माना तू शराफत की मूरत है लेकिन अब तो तू जवान हो गया है , यार अपने अंदर की आग को स्वीकार कर वरना ये तुझे जला जाएगी …”
अंकित को इतना गंभीर होकर बात करते मैंने कभी नहीं देखा था , मैं उससे थोडा खुलना चाहता था ताकि मेरा भी बोझ थोडा हल्का हो जाए ..
“पता नहीं यार मुझे ये क्या हो गया ..”
मेरा सर शर्म से झुक गया था , वो हँस पड़ा
“अबे तू लड़की है क्या जो इतना शर्मा रहा है , इतना तो मेरी वाली भी नहीं शर्माती , और लौड़ो का खड़ा नहीं होगा तो क्या होगा , लेकिन मुझे एक बात सच सच बता की आखिर किसके बारे में सोच रहा था जो ऐसा बम्बू बन गया “
“अबे छोड़ ना “
“अच्छा हमारे गांव की है क्या ??” उसने बड़े ही उत्सुकता से पूछा
मैंने हां में सर हिला दिया ..
“साले तू तो बड़ा हरामी निकला , ऐसी कौन सी लड़की है जिसे देख कर कुवर का खड़ा हो रहा है ?? शादी शुदा की कुवारी ???”
वो मुझे जांचने की निगाहों से ही देख रहा था
“अबे छोड़ ना पैक बना ..”
“ओ साला यानि की शादीशुदा है , सच में कुवर जी आप तो पहुचे हुए निकले …कौन हो सकती है ,समझ गया जरुर कामिनी भाभी होगी , उसे देखकर तो मेरा भी खड़ा हो जाता है , वही है ना “
अंकित की उत्सुकता बहुत बढ़ गई थी
“अबे छोड़ न “
“भाई बता ना … जो भी तू बोल एक बार उसे यही झरने में लाना मेरा काम है तुझे दिलवा कर रहूँगा “
मैं सोच में पड़ गया था की आखिर इस गांडू को कैसे बताऊ की वो कोई और नहीं उसके ही घर की ओरत है जिसे ये माँ की तरह मानता है , अंकित जैसा भी हो लेकिन वो अपने भाइयो का बेहद आदर करता था आखिर जन्म से ही वो उनके घर में रहता था , वही वो अपनी भाभियों को अपनी माँ की तरह इज्जत करता था , ये बात उसने कई बार मेरे सामने कही भी थी … एक तरफ वो मुझे बार बार जोर दे रहा था , दूसरी तरफ मैं एक दुविधा में फंस चूका था ..
उसने मेरे सामने एक पैक बढ़ा दिया
“ये गटक जा तुझे हिम्मत आ जाएगी , चल मैं कसम खाता हु की तू जिस भी ओरत के कारन खड़ा करके बैठा है उसकी मैं तुझे दिलाऊंगा “
मैंने एक ही साँस में वो पैक पि गया , मेरे आँखों में खुमार चढ़ चूका था और साथ ही सामने गुंजन भाभी का चहरा भी घूम रहा था , नशा और हवास दोनों का काकटेल बहुत ही खतरनाक होता है , वही हालत मेरी भी थी , दिल जोरो से धडकने लगा था , दूसरा अंकित की बाते ..
“यही उसे चोदना , इसी पत्थर में झरने की आवाज और उस लड़की की चीख वाह भाई मजा ही आ जायेगा और वो भी कोई गदराई हुई भाभी हो गई तब तो मजा दुगुना ही हो जायेगा , अब बता भी दे की वो खुशनसीब कौन है जिसे कुवर जी का मिलने वाला है “
मैंने एक बार आंखे बंद की और मेरे मुह से निकल गया
“गुंजन भाभी …”
माहोल में एक शांति छा गई थी , अंकित का मुह खुला का खुला रह गया था , मैंने अपने लिंग पर अपना हाथ रखा और उसे जोरो से मसल दिया ..
“आह ..सुनना चाहता था ना , तो सुन अब , हा जब से उसे देखा हु तब से बेहाल हो रहा हु , अब बता दिलवाएगा ,लायेगा उसे यंहा “
मैं हवस और शराब के नशे में डूबा जा रहा था
वही अंकित सकते में था, वो कुछ भी बोलने को असमर्थ था, उसका चहरा पीला पड़ चूका था , गुस्से से ज्यादा आश्चर्य उसके चहरे पर झलक रहा था , वो झटके से खड़ा हो गया और बिना कुछ कहे ही पीछे मुड़कर जाने लगा , मुझे एक बार को होश आया की मैंने क्या कह दिया है लेकिन अब देर हो चुकी थी …
शायद मैंने अपने बचपन का दोस्त खो दिया था ,...

Brilliant! Brilliant! बस! ऐसी ही उम्मीद थी डाक्टर साहब आपसे!
बहुत ही बढ़िया 👍👍
 
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