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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Kya hi jabardast or intresting updates diye hai ekdum mast
To is update me atlantis ke banne ki kahani batai gayi hai
Or vah dveep Jo baar baar supreme ke raste me aa raha tha vah dveep jrur yah araka hi hai isme iska rahasya bhi bataya gaya
Pratiksha rahegi agle update ki
Bilkul bhai, wo araka dweep hi hai, :shhhh: Ye ek aisa dweep hai jo paani pe tair sakta hai,(but kisi ko batana mat:nope:) is kahani ko aage padhne per peeche chhode gaye sawaalo ke jabaab apne aap hi mil jayenge:declare:Thanks for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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सुप्रीम का सफ़र (और suffer) शुरू हुए अब पंद्रह दिन हो गए।
और उसको डुबा कर अपने राज भाई हमको एक अलग ही तिलिस्मी सफ़र पर ले जा रहे हैं।

योहानेस गुटेनबर्ग - एक जर्मन इन्वेंटर ने प्रिंटिंग प्रेस का निर्माण किया था। कलाट की यह किताब 1508 पे छपी है - उस लिहाज से टाइम लाइन बिलकुल सटीक है।
लेकिन एक बात में थोड़ी गड़बड़ हो गई - अमेरिका में प्रिंटिंग अनेकों वर्षों बाद सत्रहवीं शताब्दी में आई। ख़ैर, अनावश्यक नुक़्ताचीनी नहीं करनी चाहिए। :)

Venus और Vega -- दोनों ही नाम युरोपियन पुराणों से आए हुए हैं। इस कहानी में हैं, मतलब इनकी कड़ी कैसे भी कर के अराका या फिर अटलांटिस से जुड़ेगी।

ये अराका अपना वाला द्वीप है। स्वयं पोसाइडन ने बनाया है।
सुप्रीम के यात्रियों को क्या वहाँ उस तिलिस्म को तोड़ने के लिए लाया गया है? असलम इन लोगों से कैसे कनेक्टेड है?
जिस तिलिस्म को ऐसी अद्भुत वैज्ञानिक क्षमता वाले लोग न तोड़ सके, उसको ये लोग कैसे तोड़ेंगे?
देखते हैं। बहुत बढ़िया Raj_sharma भाई :)
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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सुप्रीम का सफ़र (और suffer) शुरू हुए अब पंद्रह दिन हो गए।
और उसको डुबा कर अपने राज भाई हमको एक अलग ही तिलिस्मी सफ़र पर ले जा रहे हैं।
हम तो अपने जैसे ही कुछ और मित्रों का ज्ञान कोष बढाने में लगे है भाई, सफर वाकई तिलिस्मी है, मगर कुछ ना कुछ सिखाएगा जरूर।
योहानेस गुटेनबर्ग - एक जर्मन इन्वेंटर ने प्रिंटिंग प्रेस का निर्माण किया था। कलाट की यह किताब 1508 पे छपी है - उस लिहाज से टाइम लाइन बिलकुल सटीक है।
लेकिन एक बात में थोड़ी गड़बड़ हो गई - अमेरिका में प्रिंटिंग अनेकों वर्षों बाद सत्रहवीं शताब्दी में आई। ख़ैर, अनावश्यक नुक़्ताचीनी नहीं करनी चाहिए। :)
आपके विशेष ज्ञान पर अनावश्यक टिप्पणी नही कर सकते सरकार :pray: लेकिन पहले हमारा विज्ञान आज से कई गुणा विकसित भी था, बाकी आप खुद समझदार है:approve:
Venus और Vega -- दोनों ही नाम युरोपियन पुराणों से आए हुए हैं। इस कहानी में हैं, मतलब इनकी कड़ी कैसे भी कर के अराका या फिर अटलांटिस से जुड़ेगी।
:approve: बेशक
ये अराका अपना वाला द्वीप है। स्वयं पोसाइडन ने बनाया है।
:shhhh: अभी बिन बोले हि समझ जाएं
सुप्रीम के यात्रियों को क्या वहाँ उस तिलिस्म को तोड़ने के लिए लाया गया है? असलम इन लोगों से कैसे कनेक्टेड है?
समय आने पर पर्दा फाश होगा सर:declare:
जिस तिलिस्म को ऐसी अद्भुत वैज्ञानिक क्षमता वाले लोग न तोड़ सके, उसको ये लोग कैसे तोड़ेंगे?
देखते हैं। बहुत बढ़िया Raj_sharma भाई
रावण ने भी यही कहा था: (नर वानर किस लेखे मांही) बाद मे इन दोनों ने ही उसकी लंका लगा दी थी।:D देखते जाईये, आपके साथ, सपोर्ट, स्नेहपूर्ण शब्दो के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई। :hug:
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Badhiya romanchkari update bhai

Atlantis ka itis to wakayi majedar tha kaise atlantis bana kaise uska nirman hua sab ek dam romanchkari tha bas ek bat ha klito ne aisa to kya kar diya tha ki use aisi bada saja mili or atlantis bhi dub gaya tha

Kher ab to lagta ha jis dwip ke karan itna kand hua ha wo अराका hi ha kyonki sari detail usse match hoti ha or klito ab bhi usi per kaid ha or tilasmi ring bhi usi dwip per ha kya pata koi tilasmi ring dhundker klito ko wapas jinda kar de dekhte han ki kya hota ha
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Badhiya romanchkari update bhai

Atlantis ka itis to wakayi majedar tha kaise atlantis bana kaise uska nirman hua sab ek dam romanchkari tha bas ek bat ha klito ne aisa to kya kar diya tha ki use aisi bada saja mili or atlantis bhi dub gaya tha

Kher ab to lagta ha jis dwip ke karan itna kand hua ha wo अराका hi ha kyonki sari detail usse match hoti ha or klito ab bhi usi per kaid ha or tilasmi ring bhi usi dwip per ha kya pata koi tilasmi ring dhundker klito ko wapas jinda kar de dekhte han ki kya hota ha
Saari kahani ka saar vahi hai mitra, :shhhh: Updates dhyan se padhne per iska jabaab bhi mil jayega ki usne aisa kya kiya? Khair aap sath bane rahiye, aapko ekdum rahasya aur romanch bhare safar per lekar chalenge👍 thank you very much for your wonderful review and support :thanx:
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
Prime
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#55.
लेकीन इससे पहले कि लाइब्रेरियन कुछ और कह पाता। वेगा ने अपने पर्स से निकलकर एक कार्ड लाइब्रेरियन के सामने लहराया।

कार्ड देखकर लाइब्रेरियन खुश होते हुए बोला- “सोरी सर, आप केबिन में किताब पढ़ सकते हैं।"

यह कहकर लाइब्रेरियन ने एक केबिन खोल दिया। वेगा, वीनस को लेकर उस केबिन में आ गया।

केबिन में एक कांच की गोल टेबल रखी थी और उसकी चारो तरफ चार कुरसियां लगी थी. वेगा और वीनस एक-एक कुरसि लेकर आमने-सामने बैठ गये।

“वाह! मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक वी.आई.पी. के साथ चल रही हूं।'' वीनस ने शोखी से अपनी आंखों को गोल-गोल नचते हुए कहा।

वेगा ने मुस्कुराकर वीनस को देखा, पर बोला कुछ नहीं। अब वेगा की निगाहें उस किताब पर थी। वेगा ने उस किताब पर धीरे से हाथ मारा।
किताब से थोड़ी सी धूल निकल इधर-उधर बिखर गयी।

“ये तो ऐसा लग रहा है कि इस किताब को किसी ने सालों से खोला ही ना हो।” वीनस ने किताब को देखते हुए कहा- “अरे! इस पर लिखी भाषा भी अजीब सी है... मैं तो यह पढ़ भी नहीं पा रही हूं।"

"यह 'एरकान' भाषा है।" वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा- "यह अमेरिका की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है।"

“तो फिर तुम भाषा यह कैसे पढ़ सकते हो?” वीनस ने अपनी आँख को सिकोड़ते हुए पूछा।

“मेरे बाबा ने मुझे यह भाषा सिखाई है।” वेगा ने कहा।

"वैसे इस किताब का नाम क्या है?" विनस ने किताब की ओर देखा हुआ पूछा।

“इस किताब का नाम है-'अटलांटिस का इतिहास' और इसके लेखक का नाम है 'कलाट'. इस किताब को सन् 1508 में लिखा गया था।"

“बाप रे! यह तो लगभग 500 वर्ष पुरानी किताब है।'' वीनस ने अश्चर्य से कहा- "फिर तो में भी सुनूंगी, इस किताब की कहानी।"

“हां-हां! क्यो नहीं? इसीलिये तो केबिन लिया है मैने, जिस से हमारी आवाज लाइब्रेरी में ना गूंजे। '' वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा।

वीनस ने हां में सिर हिलाया और उत्सुकता से वेगा की ओर देखने लगी। वीनस को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वेगा ने किताब का पहला पन्ना खोला और जोर-जोर से कहानी पढ़ने लगा-

“अटलांटिस जैसे देवताओं की धरती कही जाती थी।” अटलांटिस एक ऐसा द्वीप जिसे 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा गया था। अटलांटिस द्वीप का आकार छेत्रफल की दृष्टि से, आज के एशिया के कुल छेत्रफल से भी बड़ा था. इतना बड़ा महाद्वीप जहां का विज्ञान, आज विज्ञान से भी बहुत जयादा उन्नत था। अचानक एक दिन वह पूरा का पूरा द्वीप समुद्र में समा गया गया। किस कारण से पूरी सभयता समुद्र में समा गई? यह आज भी रहस्य बना हुआ है। किसी को पूरी तरह से अटलांटिस की जानकारी नहीं है। तो आइए आज हम जानते हैं अटलांटिस के इतिहास के बारे में।“

इतना कहकर वेगा ने एक नजर वीनस पर मारी और किताब का पन्ना पलट कर फिर से पढ़ना शुरू कर दिया-

“लगभग 20,000 वर्ष पहले समुद्र के देवता 'पॉसाइडन' ने धरती पर स्वर्ग बनाने की कल्पना की। इसके लिए एक विशाल द्वीप और कुछ बुद्धिमान इंसानो की आवश्यकता थी। इसके लिए 'पोसाइडन' ने सबसे बड़े द्वीप की खोज शुरू की।

तलाश करते- करते 'पोसाइडन' को एक बहुत बड़ा द्वीप मिला। जो समुद्र के बीच चारो तरफ से पहाड़ियो से घिरा हुआ था। उस द्वीप पर उस समय 12 अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। जहां पर अलग-अलग तरह की 12 जातियाँ भी रहती थी।

सभी राज्य आपस में हमेशा वर्चस्व की लड़ाई करते रहते थे। इस द्वीप पर ‘पोसाइडन’ को एक खूबसूरत लड़की दिखी। जिसका नाम 'क्लिटो' था जो की अपने पिता 'अवनार' और मां ‘लुसिपी’ के साथ रहती थी। 'क्लिटो' का सौंदर्य बिल्कुल देवियों की तरह था। ‘पोसाइडन’, 'क्लिटो' को देखकर उस पर मोहित हो गया।

‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' से शादी कर ली और उसे इन 12 राज्य की देवी घोषत कर दइया. ‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' को उस द्वीप के निर्माण के लिए एक फुटबॉल के आकार का काला मोती दिया। काला मोती में ब्रह्मांड की अपार शक्तियाँ समाई थी। वह ब्रह्मांड के सप्त तत्वों 'अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश' पर भी नियंत्रण कर सकता था।

अतः काला मोती सप्त तत्वों की मदद से ब्रह्मांड के हर एक नक्षत्र और निर्जीव वास्तुओं का निर्माण कर सकने में सक्षम, था। लेकिन उस काले मोती को सिर्फ वही कंट्रोल कर सकता था, जिसके पास 'पोसाइडन' दी गई 'तिलिस्मी अंगूठी' हो। 'पोसाइडन' की यह तिलिस्मी अंगूठी 'ब्रह्मकण' से निर्मित थी और ब्रह्मकण ने ही ब्रह्माण्ड के सभी सजीव जीवों की रचना की थी। इसी ब्रह्म-कण को 'ईश्वरीय कण' के नाम से भी जाना जाता है।

पोसाइडन ने काले मोती को कंट्रोल करने के लिए, अपनी ये तिलिस्मी रिंग भी 'क्लिटो' को दे दी।पोसाइडन की दी हुई यही तिलिस्मी रिंग बाद में रिंग आफ अटलैंटिस के नाम से नाम से फेमस हुई। क्लिटो ने तिलिस्मी अंगूठी की सहायता से काले मोती को नियंतत्रित कर, उस द्वीप पर एक विशालाकाय और भव्य सभ्यता की रचना की।

क्लिटो ने इस सभयता का आकार भी तिलिस्मी अंगूठी के समान ही गोल बनाया। पूरे द्वीप को पांच भाग में विभक्त किया गया। पूर्व, पछिम, उत्तर, दक्षिण और केन्द्र। केंद्र का भाग क्लिटो के महल के रूप में विकसित हुआ। जहाँ पर पोसाइडन के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।

कहते है कि यह मंदिर इतना विशालकाय था कि उसकी दीवार बदलो के भी ऊपर तक चला गया थी, क्लिटो ने अटलान्टिस के पांच भागो में एक-एक विशालकाय पिरामिड की रचना भी की। ये पिरामिड उस समय द्वीप की सभी ऊर्जा की जरुरत को पूरा करते थे। इस द्वीप के हर हिस्से में, लोगो की जरूरत के हिसाब से लाल और काले पत्थरो से विशालकाय भवनो का निर्माण किया गया।

द्वीप पर केंद्र से बाहर की ओर तीन विशालकाय 'आउटर रिग' बनाए गए। एक रिंग से दूसरी रिंग की दूरी 9 किलोमीटर थी। यह 9 किलोमीटर के छेत्र में समुंद्र का पानी भरा गया। पहले और दूसरी रिंग को 10 भाग में विभजीत कर उन्हें 10 राज्य का रूप दिया गया, जिनमे द्वीप की 10 जातियो को जगह दी गई। तीसरी और आखरी रिंग में बाकी की बची दो जातियो ‘सामरा’ और ‘सीनोर’ को योधाओ के रूप में अटलांटिस की सुरक्षा के लिए बसाया गया।

बाद में मुझे क्लिटो के महल को केंद्र मानकर एक सीधी रेखा में 8 चौड़े पुल का निर्माण किया। ये पुल हर एक राज्य से होकर जाते थे। इस पूरी द्वीप के नीचे काँच की ट्यूब में समुंद्र के अंदर रास्तो का जाल बनाया गया।

संपूर्ण राज्य का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि बड़े से बड़ा पानी का जहाज भी सीधे महल तक पहुच सके। अपने उन्नत विज्ञान के कारण अटलान्टिस वासियो की औसत उम्र 800 साल होने लगी और उनहोने पानी में भी सांस लेने का कला सीख ली।

इसिलए उनके राज्य का बहुत सा हिस्सा समुंद्र के अंदर भी बनाया गया। पानी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए काँच के कैप्सूल के समान छोटी-छोटी नाव बनाई गई, जो कि समुन्द्र की लहरो से ऊर्जा प्राप्त कर चलती थी।
क्लिटो ने अलग-अलग जीवो को मिलाकर कुछ नए जीवो की रचना की, जिन्हे ‘जलोथा’ का नाम दिया गया। ये सारे जलोथा आकार और प्रकार में भिन्न-2 प्रकार के थे। ये विचित्र जीव, जल और थल दोनो ही स्थान पर जीवित रह सकते थे।

इस भव्य साम्राज्य की स्थापना कर क्लिटो वहां आराम से रहने लगी। धीरे-धीरे एक-एक कर क्लिटो ने पांच बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। क्लिटो के इन 10 बच्चों में एक भी लड़की नहीं थी। समय आने पर क्लिटो ने अपने सबसे बड़े पुत्र 'एटलस' को इस साम्राज्य का राजा बना दिया। धीरे-धीरे बाकी के 9 पुत्रो ने भी अटलांटिस के 9 अलग-अलग राज्यों को संभाल लिया।

बाकी बचे दो राज्य 'समरा' और 'सीनोर' के योद्धाओं को क्लिटो खुद नियंत्रित करती रही। बाद में एटलस के नाम पर ही उस द्वीप का नाम 'अटलांटिस' रखा गया। काले मोती की वजह से अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों से पर ग्रहवासियो का भी पृथ्वी पर आना-जाना शुरू हो गया।

एक बार पोसाइडन को किसी बात पर क्लिटो के चरित्र पर शक हो गया। उसने गुस्से में आकर क्लिटो से अपनी तिलिस्मी रिंग छीन ली। क्लिटो ने बिना तिलिस्मी अंगूठी के जैसे ही काले मोती को अपने हाथ में उठाया, वह पत्थर की बन गई। इसके बाद पोसाइडन ने एक कृत्रम द्वीप का निर्माण किया और इस द्वीप का नाम 'अराका' रखा गया। यह द्वीप पर पानी भी तैर सकता था।

पोसाइडन ने उस द्वीप पर एक विशालकाय मानव आकृति वाले, पर्वत जैसे तिलिस्म की रचना की और क्लिटो को काला मोती सहित उस तिलिस्म में डाल दिया। इस प्रकार क्लिटो तिलिस्म में युगो-युगों तक के लिए कैद हो गई। बाद में मुझे पोसाइडन ने गुस्से में, अपनी तिलिस्मी रिंग भी उसी पहाड़ पर कहीं फेंक दी। जब क्लिटो के बेटे एटलस को यह बात पता चली तो वह पोसाइडन के इस कृत्य पर बहुत गुस्सा हुआ।

उसने अटलांटिस के 10 महायोद्धाओं को तिलिस्म तोड़कर काला मोती लाने को भेजा। मगर सारे महायोद्धा तिलिस्म तक पहुंचने के पहले ही 'अराका' के 'मायावन' मैं मारे गए।


जारी रहेगा_________✍️
Bahut he ajeeb suspense hai Atlantic ka Raj_sharma bhai
Bahut badiya jaa rhe hoo lage rho bhai
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
5,518
12,492
174
#55.
लेकीन इससे पहले कि लाइब्रेरियन कुछ और कह पाता। वेगा ने अपने पर्स से निकलकर एक कार्ड लाइब्रेरियन के सामने लहराया।

कार्ड देखकर लाइब्रेरियन खुश होते हुए बोला- “सोरी सर, आप केबिन में किताब पढ़ सकते हैं।"

यह कहकर लाइब्रेरियन ने एक केबिन खोल दिया। वेगा, वीनस को लेकर उस केबिन में आ गया।

केबिन में एक कांच की गोल टेबल रखी थी और उसकी चारो तरफ चार कुरसियां लगी थी. वेगा और वीनस एक-एक कुरसि लेकर आमने-सामने बैठ गये।

“वाह! मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक वी.आई.पी. के साथ चल रही हूं।'' वीनस ने शोखी से अपनी आंखों को गोल-गोल नचते हुए कहा।

वेगा ने मुस्कुराकर वीनस को देखा, पर बोला कुछ नहीं। अब वेगा की निगाहें उस किताब पर थी। वेगा ने उस किताब पर धीरे से हाथ मारा।
किताब से थोड़ी सी धूल निकल इधर-उधर बिखर गयी।

“ये तो ऐसा लग रहा है कि इस किताब को किसी ने सालों से खोला ही ना हो।” वीनस ने किताब को देखते हुए कहा- “अरे! इस पर लिखी भाषा भी अजीब सी है... मैं तो यह पढ़ भी नहीं पा रही हूं।"

"यह 'एरकान' भाषा है।" वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा- "यह अमेरिका की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है।"

“तो फिर तुम भाषा यह कैसे पढ़ सकते हो?” वीनस ने अपनी आँख को सिकोड़ते हुए पूछा।

“मेरे बाबा ने मुझे यह भाषा सिखाई है।” वेगा ने कहा।

"वैसे इस किताब का नाम क्या है?" विनस ने किताब की ओर देखा हुआ पूछा।

“इस किताब का नाम है-'अटलांटिस का इतिहास' और इसके लेखक का नाम है 'कलाट'. इस किताब को सन् 1508 में लिखा गया था।"

“बाप रे! यह तो लगभग 500 वर्ष पुरानी किताब है।'' वीनस ने अश्चर्य से कहा- "फिर तो में भी सुनूंगी, इस किताब की कहानी।"

“हां-हां! क्यो नहीं? इसीलिये तो केबिन लिया है मैने, जिस से हमारी आवाज लाइब्रेरी में ना गूंजे। '' वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा।

वीनस ने हां में सिर हिलाया और उत्सुकता से वेगा की ओर देखने लगी। वीनस को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वेगा ने किताब का पहला पन्ना खोला और जोर-जोर से कहानी पढ़ने लगा-

“अटलांटिस जैसे देवताओं की धरती कही जाती थी।” अटलांटिस एक ऐसा द्वीप जिसे 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा गया था। अटलांटिस द्वीप का आकार छेत्रफल की दृष्टि से, आज के एशिया के कुल छेत्रफल से भी बड़ा था. इतना बड़ा महाद्वीप जहां का विज्ञान, आज विज्ञान से भी बहुत जयादा उन्नत था। अचानक एक दिन वह पूरा का पूरा द्वीप समुद्र में समा गया गया। किस कारण से पूरी सभयता समुद्र में समा गई? यह आज भी रहस्य बना हुआ है। किसी को पूरी तरह से अटलांटिस की जानकारी नहीं है। तो आइए आज हम जानते हैं अटलांटिस के इतिहास के बारे में।“

इतना कहकर वेगा ने एक नजर वीनस पर मारी और किताब का पन्ना पलट कर फिर से पढ़ना शुरू कर दिया-

“लगभग 20,000 वर्ष पहले समुद्र के देवता 'पॉसाइडन' ने धरती पर स्वर्ग बनाने की कल्पना की। इसके लिए एक विशाल द्वीप और कुछ बुद्धिमान इंसानो की आवश्यकता थी। इसके लिए 'पोसाइडन' ने सबसे बड़े द्वीप की खोज शुरू की।

तलाश करते- करते 'पोसाइडन' को एक बहुत बड़ा द्वीप मिला। जो समुद्र के बीच चारो तरफ से पहाड़ियो से घिरा हुआ था। उस द्वीप पर उस समय 12 अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। जहां पर अलग-अलग तरह की 12 जातियाँ भी रहती थी।

सभी राज्य आपस में हमेशा वर्चस्व की लड़ाई करते रहते थे। इस द्वीप पर ‘पोसाइडन’ को एक खूबसूरत लड़की दिखी। जिसका नाम 'क्लिटो' था जो की अपने पिता 'अवनार' और मां ‘लुसिपी’ के साथ रहती थी। 'क्लिटो' का सौंदर्य बिल्कुल देवियों की तरह था। ‘पोसाइडन’, 'क्लिटो' को देखकर उस पर मोहित हो गया।

‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' से शादी कर ली और उसे इन 12 राज्य की देवी घोषत कर दइया. ‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' को उस द्वीप के निर्माण के लिए एक फुटबॉल के आकार का काला मोती दिया। काला मोती में ब्रह्मांड की अपार शक्तियाँ समाई थी। वह ब्रह्मांड के सप्त तत्वों 'अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश' पर भी नियंत्रण कर सकता था।

अतः काला मोती सप्त तत्वों की मदद से ब्रह्मांड के हर एक नक्षत्र और निर्जीव वास्तुओं का निर्माण कर सकने में सक्षम, था। लेकिन उस काले मोती को सिर्फ वही कंट्रोल कर सकता था, जिसके पास 'पोसाइडन' दी गई 'तिलिस्मी अंगूठी' हो। 'पोसाइडन' की यह तिलिस्मी अंगूठी 'ब्रह्मकण' से निर्मित थी और ब्रह्मकण ने ही ब्रह्माण्ड के सभी सजीव जीवों की रचना की थी। इसी ब्रह्म-कण को 'ईश्वरीय कण' के नाम से भी जाना जाता है।

पोसाइडन ने काले मोती को कंट्रोल करने के लिए, अपनी ये तिलिस्मी रिंग भी 'क्लिटो' को दे दी।पोसाइडन की दी हुई यही तिलिस्मी रिंग बाद में रिंग आफ अटलैंटिस के नाम से नाम से फेमस हुई। क्लिटो ने तिलिस्मी अंगूठी की सहायता से काले मोती को नियंतत्रित कर, उस द्वीप पर एक विशालाकाय और भव्य सभ्यता की रचना की।

क्लिटो ने इस सभयता का आकार भी तिलिस्मी अंगूठी के समान ही गोल बनाया। पूरे द्वीप को पांच भाग में विभक्त किया गया। पूर्व, पछिम, उत्तर, दक्षिण और केन्द्र। केंद्र का भाग क्लिटो के महल के रूप में विकसित हुआ। जहाँ पर पोसाइडन के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।

कहते है कि यह मंदिर इतना विशालकाय था कि उसकी दीवार बदलो के भी ऊपर तक चला गया थी, क्लिटो ने अटलान्टिस के पांच भागो में एक-एक विशालकाय पिरामिड की रचना भी की। ये पिरामिड उस समय द्वीप की सभी ऊर्जा की जरुरत को पूरा करते थे। इस द्वीप के हर हिस्से में, लोगो की जरूरत के हिसाब से लाल और काले पत्थरो से विशालकाय भवनो का निर्माण किया गया।

द्वीप पर केंद्र से बाहर की ओर तीन विशालकाय 'आउटर रिग' बनाए गए। एक रिंग से दूसरी रिंग की दूरी 9 किलोमीटर थी। यह 9 किलोमीटर के छेत्र में समुंद्र का पानी भरा गया। पहले और दूसरी रिंग को 10 भाग में विभजीत कर उन्हें 10 राज्य का रूप दिया गया, जिनमे द्वीप की 10 जातियो को जगह दी गई। तीसरी और आखरी रिंग में बाकी की बची दो जातियो ‘सामरा’ और ‘सीनोर’ को योधाओ के रूप में अटलांटिस की सुरक्षा के लिए बसाया गया।

बाद में मुझे क्लिटो के महल को केंद्र मानकर एक सीधी रेखा में 8 चौड़े पुल का निर्माण किया। ये पुल हर एक राज्य से होकर जाते थे। इस पूरी द्वीप के नीचे काँच की ट्यूब में समुंद्र के अंदर रास्तो का जाल बनाया गया।

संपूर्ण राज्य का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि बड़े से बड़ा पानी का जहाज भी सीधे महल तक पहुच सके। अपने उन्नत विज्ञान के कारण अटलान्टिस वासियो की औसत उम्र 800 साल होने लगी और उनहोने पानी में भी सांस लेने का कला सीख ली।

इसिलए उनके राज्य का बहुत सा हिस्सा समुंद्र के अंदर भी बनाया गया। पानी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए काँच के कैप्सूल के समान छोटी-छोटी नाव बनाई गई, जो कि समुन्द्र की लहरो से ऊर्जा प्राप्त कर चलती थी।
क्लिटो ने अलग-अलग जीवो को मिलाकर कुछ नए जीवो की रचना की, जिन्हे ‘जलोथा’ का नाम दिया गया। ये सारे जलोथा आकार और प्रकार में भिन्न-2 प्रकार के थे। ये विचित्र जीव, जल और थल दोनो ही स्थान पर जीवित रह सकते थे।

इस भव्य साम्राज्य की स्थापना कर क्लिटो वहां आराम से रहने लगी। धीरे-धीरे एक-एक कर क्लिटो ने पांच बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। क्लिटो के इन 10 बच्चों में एक भी लड़की नहीं थी। समय आने पर क्लिटो ने अपने सबसे बड़े पुत्र 'एटलस' को इस साम्राज्य का राजा बना दिया। धीरे-धीरे बाकी के 9 पुत्रो ने भी अटलांटिस के 9 अलग-अलग राज्यों को संभाल लिया।

बाकी बचे दो राज्य 'समरा' और 'सीनोर' के योद्धाओं को क्लिटो खुद नियंत्रित करती रही। बाद में एटलस के नाम पर ही उस द्वीप का नाम 'अटलांटिस' रखा गया। काले मोती की वजह से अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों से पर ग्रहवासियो का भी पृथ्वी पर आना-जाना शुरू हो गया।

एक बार पोसाइडन को किसी बात पर क्लिटो के चरित्र पर शक हो गया। उसने गुस्से में आकर क्लिटो से अपनी तिलिस्मी रिंग छीन ली। क्लिटो ने बिना तिलिस्मी अंगूठी के जैसे ही काले मोती को अपने हाथ में उठाया, वह पत्थर की बन गई। इसके बाद पोसाइडन ने एक कृत्रम द्वीप का निर्माण किया और इस द्वीप का नाम 'अराका' रखा गया। यह द्वीप पर पानी भी तैर सकता था।

पोसाइडन ने उस द्वीप पर एक विशालकाय मानव आकृति वाले, पर्वत जैसे तिलिस्म की रचना की और क्लिटो को काला मोती सहित उस तिलिस्म में डाल दिया। इस प्रकार क्लिटो तिलिस्म में युगो-युगों तक के लिए कैद हो गई। बाद में मुझे पोसाइडन ने गुस्से में, अपनी तिलिस्मी रिंग भी उसी पहाड़ पर कहीं फेंक दी। जब क्लिटो के बेटे एटलस को यह बात पता चली तो वह पोसाइडन के इस कृत्य पर बहुत गुस्सा हुआ।

उसने अटलांटिस के 10 महायोद्धाओं को तिलिस्म तोड़कर काला मोती लाने को भेजा। मगर सारे महायोद्धा तिलिस्म तक पहुंचने के पहले ही 'अराका' के 'मायावन' मैं मारे गए।


जारी रहेगा_________✍️
Well story is nicely poised. I want to see aap kaise Tilism ke bare mein batate ho, ye sab sach hai ya nahi main believe nahi kar pa raha hoon, kyonki abhi bahut se aise events huye hain jis par believe karna bhi mushkil hai aur thik usi tarah main es story par bhi nahi kar pa raha hoon. Main sirf present mein believe karta hoon. Past mein ye sach mein hua hai ya nahi mujhe nahi pata par abhi main ye janne ke mood mein bhi nahi hoon. Abhi main kisi aur hi chij par focus kar raha hoon.

Well 👍 and lovely 🌹 update brother.
 
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