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Incest Rakshak

Kya Sugandha (Badi Maa) ke sath bhi Samar ka relationship hona chahiye

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JAIY

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Dosto ye meri pehli story hai, isliye galtiyo ko ignore kijiyega. Aap sabka sath chahiye.


INDEX

Character Introduction

Vinita devi singh - Age 70 years, Gaon ki badi haveli ki Malkin. Inke 2 bete hai yaa the. Bada beta Suresh aur Chota beta Ranjit.

Pratap Singh - Vinita devi ke Pati aur Gaon ke Malik. (Dead)

Suresh - Vinita devi ka bada beta, apne parivar ke sath mumbai me rehta hai.

Ranjit - Vinita devi ka chota beta ( Dead)
Sweta - Ranjit ki patni (dead)

Samar(Hero) - Age 19 years Ranjit aur Sweta ka beta, Vinita devi ka eklauta pota aur haveli ka waris. Padhne me bahut hoshiyar hai, gaon ke akhade me jakar apne guruji se kai tarah ki yudhkalaein sikhi hai. Jinse pyar krta hai unke liye Jaan de bhi skta hai or le bhi skta hai.

Kavita - Age 39 years, kehne ko to haveli ki naukar hai, lekin parivar ke sadasya ki tarah hai, Samar ke liye maa jaisi hai.

Chanda - age 19 years, gaon ki ek ladki, samar ki sabse achi dost. Dil hi dil me samar se pyar karti hai. Lekin bta nhi pati.



Update - 1
'New Journey, New Life'



समर पसीने में लथपथ, तेज़ और गहरी सांसे लेता हुआ, हवेली के अंदर आता है।

समर - दादी, दादी मां कहां है आप, जल्दी आइए।

दादी - आ गया मेरा बेटा, कर आया कसरत।

समर - हां दादी ( अपनी दादी के पैर छूते हुए)

दादी - सदा खुश रह मेरे लाल।
समर - दादी अब जल्दी से खाना दीजिए बहुत भूख लगी है। आज मुझे अपना रिजल्ट लेने भी जाना है।

दादी - हां हां बैठ तो सही पहले, आज मैने तेरे लिए तेरे पसंदीदा आलू के परांठे बनाए है।

समर - अरे वाह आलू के परांठे फिर तो जल्दी लगाइए दादी। मेरी तो भूख और बढ़ गई।

दादी - रुक तू जरा में कविता को खाना लगाने को कहती हूं।


समर फिर नाश्ता करके अपने स्कूल के लिए निकलने लगता है।

दादी - अरे रुक ये दही खाकर जा सब शुभ होगा।

समर - ओ हो दादी आप मुझसे लेट करवाएंगी लाइए जल्दी।

दादी - थोड़ी देर से जाएगा तो क्या हो जाएगा, कौन है इस गांव में जो तुझे कुछ कहे।
दही खाते हुए अच्छा दादी अब में चलता हूं।

स्कूल पहुंचकर समर अपनी क्लास की तरफ चलता है।
उसके कई दोस्त भी उससे क्लास से आते हुए दिखाई देते है, अपनी मार्कशीट लेकर।

समर जैसे ही अपनी क्लास में पहुंचता है तो क्लास टीचर - उससे बोलते है, आओ समर बेटा।
टीचर - उम्मीदों के मुताबिक तुमने इस बार भी बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए हो। और स्कूल में फर्स्ट आए हो। इसी तरह पढ़ते रहो।

समर - धन्यवाद सर, आपने इतना अच्छा पढ़ाया तभी तो में पढ़ा।

टीचर - हा हा बेटा पढ़ाया तो मैने और बच्चो को भी था, लेकिन सब तुम्हारी तरह लगन से नही पढ़े और फेल हो गए। एक शिक्षक के लिए तो उसके सभी स्टूडेंट एक जैसे होते है। अब वो तो स्टूडेंट के ऊपर निर्भर है की वो शिक्षक से क्या सीखता है और क्या नहीं।

समर - जी सर आपने सही कहा, लेकिन फ़िर भी मेरी पढाई का श्रेय मैं आपको ही दूंगा।

टीचर - हंसते हुए तुमसे बातों में जीतना बहुत मुश्किल है। अच्छा सुनो बेटा आज में तुम्हारे घर आऊंगा, तुम्हारी दादी से कुछ बात करनी है, तुम्हारे बारे में।

समर - मेरे बारे में ?

टीचर - हां बेटा

समर - ठीक है सर, अब मैं चलता हूं। वो सर के पैर छूता है और फिर बाहर आ जाता है।

घर पहुंचकर वो अपना रिजल्ट दादी को दिखाता है।
समर - दादी मैं स्कूल में फर्स्ट आया, देखो।

दादी - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी।

समर - दादी आज गजराज सर आपसे मिलने आने वाले है, कह रहे थे मेरे बारे में कुछ बात करनी है।

दादी - तुमने कुछ किया है क्या।

समर - नहीं दादी।

दादी - तो फिर

समर - अब मैं कैसे बता सकता हूं, दादी।

दादी - ठीक है, अब जाकर आराम करो।

समर - नहीं दादी मैं गांव में घूमने जा रहा हूं।

दादी - तो बोलना की चंदा को अपना रिजल्ट दिखाने जा रहा है।

समर - हंसते हुए हां दादी उसी के पास जा रहा हूं।उसका भी तो रिजल्ट आया है आज।

समर - अच्छा दादी अब में चलता हूं।

ये कहकर समर गांव में घूमने निकल जाता है कुछ देर इधर उधर घूमकर वो चंदा के पास पहुंच जाता है।
जो की तालाब के पास बैठी उसमे पत्थर फेक रही थी।
समर पीछे जाकर उसके आंखों को ढक लेता है।
चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।

चंदा - आ गया तू बंदर।

समर - और तू यहां क्या कर रही है बंदरिया।
चंदा - तेरा इंतजार, कहां रह गया था। जरूर इधर उधर घूम रहा होगा आवारा।

समर - अरे अभी घर से सीधा तेरे पास आ रहा हूं।

चंदा - चल चल रहने दे, सब पता है मुझे बस खेलने और लड़ने के सीवा तुझे आता क्या है। पता नही हर बार इतने अच्छे नंबरों से पास कैसे हो जाता है।

समर - जैसे तू हो जाती है बिना पढ़े।

चंदा - ओए मैं पढ़कर ही पास होती हूं, समझा।
समर - चल वो सब छोड़ और बता पास हो गई ना।

चंदा - हा हो गई और तू अब आगे क्या करेगा।

समर - मैं तो अब इंजीनियर ही करने की सोची है।
और तू क्या करेगी।

चंदा - (मन में उदास होते हुए)अभी सोचा नहीं है। कर लूंगी कुछ ना कुछ।

समर उसके जवाब से हैरान हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसी तरह फिर काफी देर तक मस्ती करते रहे और फिर समर अपने घर आगया और चंदा अपने घर चली गई।

शाम के वक्त गजराज सर समर की दादी से मिलने आए, जब समर अपने कमरे में आराम कर रहा था।

टीचर - नमस्ते विनीता जी

दादी - अरे नमस्ते गजराज, आओ बैठो।
दादी - और बताओ आज कैसे आना हुआ, स्कूल का काम तो सब ठीक चल रहा है।
टीचर - सब ठीक है विनीता जी, आज तो मैं समर के बारे में बात करने आया था।
दादी - समर के बारे में! क्या बात है?

टीचर - अब आप तो जानती है समर कितना होनहार है, पढाई में तो अव्वल आता ही है, खेल कूद में भी आगे है। अब स्कूल की पढ़ाई तो किसी तरह यहां गांव में हो गई। लेकिन आगे की पढ़ाई किसी बड़े शहर में जाकर समर करे तो बहुत आगे जाएगा। यहां कस्बे के कॉलेजों में पढ़ाई होती ही कहां है।

दादी - कुछ सोचते हुए। आप सही कह रहे है गजराज। मैने अपने स्वार्थ के कारण ही अब तक समर को गांव में रखा। इस खानदान का इकलौता वारिस है समर। कैसे उसे अपनी आंखों से दूर करती। वरना इसकी बड़ी मां तो इसे बहुत पहले ही अपने साथ शहर ले जाना चाहती थी। लेकिन मैंने ही इसे जाने नहीं दिया। अब जमींदारी और राज पाठ तो पहले जैसे रहे नहीं। हां इज्जत अभी भी है गांव में, और वो इज्जत बनी रहे इसके लिए जरूरी है की समर अपना नाम कमाए खुद से। मेरा बड़ा बेटा मुंबई में ही अपना कारोबार करता है वही इसे भेज दूंगी पढ़ने के लिए।

टीचर - ये तो बहुत अच्छी बात है विनीता जी। अच्छा अब में चलता हूं, में तो बस यही बात करने आया था।
दादी - अरे इतनी जल्दी क्यों, आए है तो खाना खाकर जाइए, नहीं विनीता जी कुछ जरूरी काम है तो जाना पड़ेगा। समर होनहार स्टूडेंट है इसलिए उसके कैरियर के लिए सोचा तो बात करने चला आया। अब चलता हूं।

दादी कुछ सोचते हुए लैंडलाइन से एक फोन करती है।
रात को खाने के वक्त जहां समर, दादी और कविता ही थे।
दादी समर से कहती है।

दादी - बेटा अब तो आप बारहवीं पास कर चुके हो तो आगे क्या सोचा है करने का।
समर - हां दादी पास के ही कॉलेज में इंजीनियरिंग मे एडमिशन ले लूंगा।
दादी - बेटा हमने आपके के लिए कुछ सोचा है, लेकिन आपको हमारी बात माननी होगी, वादा करो।
समर - दादी ऐसी क्या बात है की आपको मुझे वादा लेना पड़े। में आपकी कोई बात कभी नही टाल सकता।
दादी - बेटा में चाहती हूं की तुम मुंबई जाकर पढ़ाई करो।
समर - दादी ये आप क्या कह रही है मुंबई जाकर पढ़ाई, तो आप क्या अकेली रहेंगी। नही दादी में आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
दादी - बेटा अभी तुमने ही कहा था कि तुम मेरी कोई बात नहीं मना करते। यहां के कॉलेज इतने अच्छे नहीं है, इसलिए में चाहती हूं तुम मुंबई जाकर अपनी पढ़ाई करो। और में यहां अकेली नहीं हूं। कविता है यहां मेरा ख्याल रखने के लिए। क्या तुम मेरी बात भी नहीं मानोगे।
समर - उदास सा चेहरा बनाते हुए ठीक है दादी। अगर आप यहीं चाहती है तो में जाऊंगा मुंबई।
दादी - मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा, दो दिन बाद आपको मुंबई जाना है। तुम्हारी बड़ी मां तुम्हे लेने आने वाली थी, लेकिन मैने मना कर दिया। सूरज तुम्हे मुंबई तक छोड़ आएगा, वहां से सुगंधा तुम्हे लेने आ जाएगी।
तुम्हे देखकर वो बहुत खुश होगी।

दो दिन बाद समर के जाने का दिन आ गया।
सुबह अपना सामान लेकर समर हॉल में खड़ा था।
दादी - अरे कविता कहां रह गई, जल्दी आ देर हो रही है, और ये सूरज अब आया क्यों नहीं। एक काम समय पर नहीं होता इससे।
तभी दरवाजे से अंदर आते हुए।
सूरज - आ गया मालकिन।
दादी - कहां रह गया था, चल छोड़ वो सब और गाड़ी निकाल। देर हो रही है। इतने में कविता भी आ गई।
कविता - लो समर बेटा, ये लड्डू मैनें बनाए है तुम्हारे लिए। आराम से सफर में खा लेना।

वक्त हो चला था, मैने दादी की पांव छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
दादी - गले लग जा मेरे लाल ( आंखों में आसूं भरे हुए)
अच्छे से रहना वहां, खूब पढ़ाई करना और अपनी बड़ी मां की हर बात मानना।
समर - ठीक है दादी, लेकिन अगर आप यूं रोयेंगी तो में नहीं जाऊंगा।
दादी - अपने आंसू पोंछते हुए में कहां रो रही हूं।
उसके बाद में कविता काकी से मिला, उनकी भी आंखे नम थी।
कविता - हमे भूल मत जाना समर, और अपना ख्याल रखना।
समर - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं, काकी आप तो मेरी मां जैसी है। और लौटकर तो मुझे इसी गांव में आना है। बस दादी का ख्याल रखिएगा।

उसके बाद सूरज ने मेरा सामान उठा कर गाड़ी में रखा और में कार में बैठकर निकल पड़ा। एक नए शहर के लिए। कार में मैने सूरज से कहा गांव से बाहर जाने से पहले एक बार तालाब की तरफ चलिएगा और उसके बाद अखाड़े की तरफ।

मैं तालाब पर पहुंचा तो चंदा मुझे वही मिली, उसे मैने पहले ही बता दिया था की मैं मुंबई जा रहा हूं।

चंदा - आ गए तुम।
समर - हां, तुमसे मिलकर अखाड़े में गुरुजी के पास जाऊंगा फिर मुंबई। ( आज चंदा ने मुझे कुछ भी गलत नहीं बोला, वरना वो हमेशा मुझे परेशान करती थी।)

चंदा - फिर कब आओगे।

समर - पता नहीं अभी तो कॉलेज में अड्ˈमिश्‌न्‌ भी नहीं हुआ। 6 महीने या 1 साल।

चंदा - अपना ख्याल रखना।

आज चंदा कुछ खास बात नहीं कर रही थी। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी। चाहती थी की अपने दिल का पूरा हाल बयां कर दे , लेकिन बेचारी में इतनी हिम्मत नहीं थी। कैसे कहती की कितना प्यार करती हूं तुमसे, वो लड़ाइयां, झगड़े सब झूठे थे । प्यार का तरीका मात्र थे। सोच रही थी अगर कह दिया, और प्यार ठुकरा दिया तो कहीं हमेशा के लिए समर को खो न दे। सही भी तो था कहां वो एक गांव के आम किसान की बेटी और कहां समर गांव की सबसे बड़ी हवेली का वारिस।
वो तो बेचारी समर को ये भी नहीं बता पाई थी की अब वो अपनी पढ़ाई छोड़ रही है।

समर - नाराज हो क्या।

चंदा - नहीं तो, में क्यों तुमसे नाराज होऊंगी।

समर - तो फिर कुछ बोलती क्यों नहीं। तुम तो खुश होगी अब कोई तुम्हे परेशान भी नहीं करेगा।

चंदा_(अपने मन में, मैं तो चाहती हूं तुम मुझे पूरी जिंदगी परेशान करो, लेकिन...)

समर - अच्छा तो मैं चलता हुं वरना काफी देर हो जाएगी। तुम भी अपना ख्याल रखना। इतनी जल्दी मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा समझी, जल्दी ही आऊंगा बंदरिया।

ये सुनके चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट की झलकी आ गई। समर चंदा से मिलके वापस जाने लगा तो पीछे चंदा उसे भीगी आंखों के साथ जाते हुए देखती रही। उसके जाने के बाद भी काफी देर तक वो वही खड़ी रही और फिर उदास मन से अपने घर चली गई।

समर सूरज से गाड़ी अखाड़े की तरफ ले जाने को कहता है। वहां पहुंचकर वो अपने गुरुजी के पैरो को छूकर आशीर्वाद लेता है।

गुरुजी - आशीर्वाद देते हुए तो जाने की तैयारी हो गई।
समर_ जी गुरुजी, आपसे ही आखरी बार मिलने आया था।

गुरुजी - अच्छा है, तुम जीवन में आगे बढ़ो। समर एक गुरु होने के नाते मैने अपना सम्पूर्ण ज्ञान तुम्हे दिया है, हर तरह की युद्ध कला तुम्हे सिखाई है। यहां तक कि वो ज्ञान भी मैने तुम्हे दिया है, जो मैंने अपने बेटे को भी नहीं दिया। तुम हर प्रकार से ताकतवर बन चुके हो। आखरी बार बस इतना ही कहूंगा की अपनी ताकत का घमंड मत करना और कभी उसका गलत उपयोग मत करना। वरना हर शेर के लिए इस दुनिया में सवा शेर बैठा है। अगर तुम सच्चे रहोगे तो ऊपरवाला भी तुम्हारी मदद करेगा।

समर - जी गुरुजी, मैं कभी आपको निराश होने का मौका नहीं दूंगा। आपकी सिखाई हुई हर बात का मैं पालन करूंगा। और अपनी ताकत का उपयोग अपनी या किसी जरूरतमंद की रक्षा के लिए ही करूंगा।

गुरुजी - खुश रहो मेरे बेटे, शहर में तुम्हारे लिए जीवन के नए द्वार खुलेंगे। वहां पर भटकने से बचना। अब जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।


गुरुजी से मिलकर समर कार में निकल गया मुंबई की ओर, लेकिन वो नहीं जानता था की उसकी किस्मत ही उसे वहां पर ले जा रही थी।
 
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rocket league

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Dosto ye meri pehli story hai, isliye galtiyo ko ignore kijiyega. Aap sabka sath chahiye.

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Vinita devi singh - Age 70 years, Gaon ki badi haveli ki Malkin. Inke 2 bete hai yaa the. Bada beta Suresh aur Chota beta Ranjit.

Pratap Singh - Vinita devi ke Pati aur Gaon ke Malik. (Dead)

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Samar(Hero) - Age 19 years Ranjit aur Sweta ka beta, Vinita devi ka eklauta pota aur haveli ka waris. Padhne me bahut hoshiyar hai, gaon ke akhade me jakar apne guruji se kai tarah ki yudhkalaein sikhi hai. Jinse pyar krta hai unke liye Jaan de bhi skta hai or le bhi skta hai.

Kavita - Age 39 years, kehne ko to haveli ki naukar hai, lekin parivar ke sadasya ki tarah hai, Samar ke liye maa jaisi hai.

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समर पसीने में लथपथ, तेज़ और गहरी सांसे लेता हुआ, हवेली के अंदर आता है।

समर - दादी, दादी मां कहां है आप, जल्दी आइए।

दादी - आ गया मेरा बेटा, कर आया कसरत।

समर - हां दादी ( उस औरत के पैर छूते हुए)

दादी - सदा खुश रह मेरे लाल।
समर - दादी अब जल्दी से खाना दीजिए बहुत भूख लगी है। आज मुझे अपना रिजल्ट लेने भी जाना है।

दादी - हां हां बैठ तो सही पहले, आज मैने तेरे लिए तेरे पसंदीदा आलू के परांठे बनाए है।

समर - अरे वाह आलू के परांठे फिर तो जल्दी लगाइए दादी। मेरी तो भूख और बढ़ गई।

दादी - रुक तू जरा में कविता को खाना लगाने को कहती हूं।

समर फिर नाश्ता करके अपने स्कूल के लिए निकलने लगता है।

दादी - अरे रुक ये दही खाकर जा सब शुभ होगा।

समर - ओ हो दादी आप मुझसे लेट करवाएंगी लाइए जल्दी।

दादी - थोड़ी देर से जाएगा तो क्या हो जाएगा, कौन है इस गांव में जो तुझे कुछ कहे।
दही खाते हुए अच्छा दादी अब में चलता हूं।

स्कूल पहुंचकर समर अपनी क्लास की तरफ चलता है।
उसके कई दोस्त भी उससे क्लास से आते हुए दिखाई देते है, अपनी मार्कशीट लेकर।

समर जैसे ही अपनी क्लास में पहुंचता है तो क्लास टीचर - उससे बोलते है, आओ समर बेटा।
टीचर - उम्मीदों के मुताबिक तुमने इस बार भी बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए हो। और स्कूल में फर्स्ट आए हो। इसी तरह पढ़ते रहो।

समर - धन्यवाद सर, आपने इतना अच्छा पढ़ाया तभी तो में पढ़ा।

टीचर - हा हा बेटा पढ़ाया तो मैने और बच्चो को भी था, लेकिन सब तुम्हारी तरह लगन से नही पढ़े और फेल हो गए। एक शिक्षक के लिए तो उसके सभी स्टूडेंट एक जैसे होते है। अब वो तो स्टूडेंट के ऊपर निर्भर है की वो शिक्षक से क्या सीखता है और क्या नहीं।

समर - जी सर आपने सही कहा, लेकिन फ़िर भी मेरी पढाई का श्रेय मैं आपको ही दूंगा।

टीचर - हंसते हुए तुमसे बातों में जीतना बहुत मुश्किल है। अच्छा सुनो बेटा आज में तुम्हारे घर आऊंगा, तुम्हारी दादी से कुछ बात करनी है, तुम्हारे बारे में।

समर - मेरे बारे में ?

टीचर - हां बेटा

समर - ठीक है सर, अब मैं चलता हूं। वो सर के पैर छूता है और फिर बाहर आ जाता है।

घर पहुंचकर वो अपना रिजल्ट दादी को दिखाता है।
समर - दादी मैं स्कूल में फर्स्ट आया, देखो।

दादी - मुझे तुझे यही उम्मीद थी।

समर - दादी आज गजराज सर आपसे मिलने आने वाले है, कह रहे थे मेरे बारे में कुछ बात करनी है।

दादी - तुमने कुछ किया है क्या।

समर - नहीं दादी।

दादी - तो फिर

समर - अब मैं कैसे बता सकता हूं, दादी।

दादी - ठीक है, अब जाकर आराम करो।

समर - नहीं दादी मैं गांव में घूमने जा रहा हूं।

दादी - तो बोलना की चंदा को अपना रिजल्ट दिखाने जा रहा है।

समर - हंसते हुए हां दादी उसी के पास जा रहा हूं।उसका भी तो रिजल्ट आया है आज।

समर - अच्छा दादी अब में चलता हूं।

ये कहकर समर गांव में घूमने निकल जाता है कुछ देर इधर उधर घूमकर वो चंदा के पास पहुंच जाता है।
जो की तालाब के पास बैठी उसमे पत्थर फेक रही थी।
समर पीछे जाकर उसके आंखों को ढक लेता है।
चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।

चंदा - आ गया तू बंदर।

समर - और तू यहां क्या कर रही है बंदरिया।
चंदा - तेरा इंतजार, कहां रह गया था। जरूर इधर उधर घूम रहा होगा आवारा।

समर - अरे अभी घर से सीधा तेरे पास आ रहा हूं।

चंदा - चल चल रहने दे, सब पता है मुझे बस खेलने और लड़ने के सीवा तुझे आता क्या है। पता नही हर बार इतने अच्छे नंबरों से पास कैसे हो जाता है।

समर - जैसे तू हो जाती है बिना पढ़े।

चंदा - ओए मैं पढ़कर ही पास होती हूं, समझा।
समर - चल वो सब छोड़ और बता पास हो गई ना।

चंदा - हा हो गई और तू अब आगे क्या करेगा।

समर - मैं तो अब इंजीनियर ही करने की सोची है।
और तू क्या करेगी।

चंदा - (मन में उदास होते हुए)अभी सोचा नहीं है। कर लूंगी कुछ ना कुछ।

समर उसके जवाब से हैरान हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसी तरह फिर काफी देर तक मस्ती करते रहे और फिर समर अपने घर आगया और चंदा अपने चली गई।

शाम के वक्त गजराज सर समर की दादी से मिलने आए, जब समर अपने कमरे में आराम कर रहा था।

टीचर - नमस्ते विनीता जी

दादी - अरे नमस्ते गजराज, आओ बैठो।
दादी - और बताओ आज कैसे आना हुआ, स्कूल का काम तो सब ठीक चल रहा है।
टीचर - सब ठीक है विनीता जी, आज तो मैं समर के बारे में बात करने आया था।
दादी - समर के बारे में! क्या बात है?

टीचर - अब आप तो जानती है समर कितना होनहार है, पढाई में तो अव्वल आता ही है, खेल कूद में भी आगे है। अब स्कूल की पढ़ाई तो किसी तरह यहां गांव में हो गई। लेकिन आगे की पढ़ाई किसी बड़े शहर में जाकर समर करे तो बहुत आगे जाएगा। यहां कस्बे के कॉलेजों में पढ़ाई होती ही कहां है।

दादी - कुछ सोचते हुए। आप सही कह रहे है गजराज। मैने अपने स्वार्थ के कारण ही अब तक समर को गांव में रखा। इस खानदान का इकलौता वारिस है समर। कैसे उसे अपनी आंखों से दूर करती। वरना इसकी बड़ी मां तो इसे बहुत पहले ही अपने साथ शहर ले जाना चाहती थी। लेकिन मैंने ही इसे जाने नहीं दिया। अब जमींदारी और राज पाठ तो पहले जैसे रहे नहीं। हां इज्जत अभी भी है गांव में, और वो इज्जत बनी रहे इसके लिए जरूरी है की समर अपना नाम कमाए खुद से। मेरा बड़ा बेटा मुंबई में ही अपना कारोबार करता है वही इसे भेज दूंगी पढ़ने के लिए।

टीचर - ये तो बहुत अच्छी बात है विनीता जी। अच्छा अब में चलता हूं, में तो बस यही बात करने आया था।
दादी अरे इतनी जल्दी क्यों, आए है तो खाना खाकर जाइए, नहीं कौशल्या जी कुछ जरूरी काम है तो जाना पड़ेगा। समर होनहार स्टूडेंट है इसलिए उसके कैरियर के लिए सोचा तो बात करने चला आया। अब चलता हूं।

दादी कुछ सोचते हुए लैंडलाइन से एक फोन करती है।
रात को खाने के वक्त जहां समर, दादी और कविता ही थे।
दादी समर से कहती है।
दादी - बेटा अब तो आप बारहवीं पास कर चुके हो तो आगे क्या सोचा है करने का।
समर - हां दादी पास के ही कॉलेज में इंजीनियरिंग मे एडमिशन ले लूंगा।
दादी - बेटा हमने आपके के लिए कुछ सोचा है, लेकिन आपको हमारी बात माननी होगी, वादा करो।
समर - दादी ऐसी क्या बात है की आपको मुझे वादा लेना पड़े। में आपकी कोई बात कभी नही टाल सकता।
दादी - बेटा में चाहती हूं की तुम मुंबई जाकर पढ़ाई करो।
समर - दादी ये आप क्या कह रही है मुंबई जाकर पढ़ाई, तो आप क्या अकेली रहेंगी। नही दादी में आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
दादी - बेटा अभी तुमने ही कहा था कि तुम मेरी कोई बात नहीं मना करते। यहां के कॉलेज इतने अच्छे नहीं है, इसलिए में चाहती हूं तुम मुंबई जाकर अपनी पढ़ाई करो। और में यहां अकेली नहीं हूं। कविता है यहां मेरा ख्याल रखने के लिए। क्या तुम मेरी बात भी नहीं मानोगे।
समर - उदास सा चेहरा बनाते हुए ठीक है दादी। अगर आप यहीं चाहती है तो में जाऊंगा मुंबई।
दादी - मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा, दो दिन बाद आपको मुंबई जाना है। तुम्हारी बड़ी मां तुम्हे लेने आने वाली थी, लेकिन मैने मना कर दिया। सूरज तुम्हे मुंबई तक छोड़ आएगा, वहां से सुगंधा तुम्हे लेने आ जाएगी।
तुम्हे देखकर वो बहुत खुश होगी।

दो दिन बाद समर के जाने का दिन आ गया।
सुबह अपना सामान लेकर समर हॉल में खड़ा था।
दादी - अरे कविता कहां रह गई, जल्दी आ देर हो रही है, और ये सूरज अब आया क्यों नहीं। एक काम समय पर नहीं होता इससे।
तभी दरवाजे से अंदर आते हुए।
सूरज - आ गया मालकिन।
दादी - कहां रह गया था, चल छोड़ वो सब और गाड़ी निकाल। देर हो रही है। इतने में कविता भी आ गई।
कविता - लो समर बेटा, ये लड्डू मैनें बनाए है तुम्हारे लिए। आराम से सफर में खा लेना।

वक्त हो चला था, मैने दादी की पांव छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
दादी - गले लग जा मेरे लाल ( आंखों में आसूं भरे हुए)
अच्छे से रहना वहां, खूब पढ़ाई करना और अपनी बड़ी मां की हर बात मानना।
समर - ठीक है दादी, लेकिन अगर आप यूं रोयेंगी तो में नहीं जाऊंगा।
दादी - अपने आंसू पोंछते हुए में कहां रो रही हूं।
उसके बाद में कविता काकी से मिला, उनकी भी आंखे नम थी।
कविता - हमे भूल मत जाना समर, और अपना ख्याल रखना।
समर - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं, काकी आप तो मेरी मां जैसी है। और लौटकर तो मुझे इसी गांव में आना है। बस दादी का ख्याल रखिएगा।

उसके बाद सूरज ने मेरा सामान उठा कर गाड़ी में रखा और में कार में बैठकर निकल पड़ा। एक नए शहर के लिए। कार में मैने सूरज से कहा गांव से बाहर जाने से पहले एक बार तालाब की तरफ चलिएगा और उसके बाद अखाड़े की तरफ।

मैं तालाब पर पहुंचा तो चंदा मुझे वही मिली, उसे मैने पहले ही बता दिया था की मैं मुंबई जा रहा हूं।
चंदा आ गए तुम।

समर - हां तुमसे मिलकर अखाड़े में गुरुजी के पास जाऊंगा फिर मुंबई। ( आज चंदा ने मुझे कुछ भी गलत नहीं बोला, वरना वो हमेशा मुझे परेशान करती थी।)

चंदा - फिर कब आओगे।

समर - पता नहीं अभी तो कॉलेज में अड्ˈमिश्‌न्‌ भी नहीं हुआ। 6 महीने या 1 साल।

चंदा_ अपना ख्याल रखना।

आज चंदा कुछ खास बात नहीं कर रही थी। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी। चाहती थी की अपने दिल का पूरा हाल बयां कर दे , लेकिन बेचारी में इतनी हिम्मत नहीं थी। कैसे कहती की कितना प्यार करती हूं तुमसे, वो लड़ाइयां, झगड़े सब झूठे थे । प्यार का तरीका मात्र थे। सोच रही थी अगर कह दिया, और प्यार ठुकरा दिया तो कहीं हमेशा के लिए समर को खो न दे। सही भी तो था कहां वो एक गांव के आम किसान की बेटी और कहां समर गांव की सबसे बड़ी हवेली का वारिस।
वो तो बेचारी समर को ये भी नहीं बता पाई थी की अब वो अपनी पढ़ाई छोड़ रही है।

समर - नाराज हो क्या।

चंदा - नहीं तो, में क्यों तुमसे नाराज होऊंगी।

समर - तो फिर कुछ बोलती क्यों नहीं। तुम तो खुश होगी अब कोई तुम्हे परेशान भी नहीं करेगा।

चंदा_(अपने मन में, मैं तो चाहती हूं तुम मुझे पूरी जिंदगी परेशान करो, लेकिन...)

समर - अच्छा तो मैं चलता हुं वरना काफी देर हो जाएगी। तुम भी अपना ख्याल रखना। इतनी जल्दी मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा समझी, जल्दी ही आऊंगा बंदरिया।

ये सुनके चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट की झलकी आ गई। समर चंदा से मिलके वापस जाने लगा तो पीछे चंदा उसे भीगी आंखों के साथ जाते हुए देखती रही। उसके जाने के बाद भी काफी देर तक वो वही खड़ी रही और फिर उदास मन से अपने घर चली गई।

समर सूरज से गाड़ी अखाड़े की तरफ ले जाने को कहता है। वहां पहुंचकर वो अपने गुरुजी के पैरो को छूकर आशीर्वाद लेता है।

गुरुजी - आशीर्वाद देते हुए तो जाने की तैयारी हो गई।
समर_ जी गुरुजी, आपसे ही आखरी बार मिलने आया था।

गुरुजी - अच्छा है, तुम जीवन में आगे बढ़ो। समर एक गुरु होने के नाते मैने अपना सम्पूर्ण ज्ञान तुम्हे दिया है, हर तरह की युद्ध कला तुम्हे सिखाई है। यहां तक कि वो ज्ञान भी मैने तुम्हे दिया है, जो मैंने अपने बेटे को भी नहीं दिया। तुम हर प्रकार से ताकतवर बन चुके हो। आखरी बार बस इतना ही कहूंगा की अपनी ताकत का घमंड मत करना और कभी उसका गलत उपयोग मत करना। वरना हर शेर के लिए इस दुनिया में सवा शेर बैठा है। अगर तुम सच्चे रहोगे तो ऊपरवाला भी तुम्हारी मदद करेगा।

समर - जी गुरुजी, मैं कभी आपको निराश होने का मौका नहीं दूंगा। आपकी सिखाई हुई हर बात का मैं पालन करूंगा। और अपनी ताकत का उपयोग अपनी या किसी जरूरतमंद की रक्षा के लिए ही करूंगा।

गुरुजी - खुश रहो मेरे बेटे, शहर में तुम्हारे लिए जीवन के नए द्वार खुलेंगे। वहां पर भटकने से बचना। अब जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।

गुरुजी से मिलकर समर कार में निकल गया मुंबई की ओर, लेकिन वो नहीं जानता था की उसकी किस्मत ही उसे वहां पर ले जा रही थी।
Pura maza kharab kr diya hindi font mai kr ke ek request hai aage ke update Hinglish mai dena baki story mast hai
 
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JAIY

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Pura maza kharab kr diya hindi font mai kr ke ek request hai aage ke update Hinglish mai dena baki story mast hai
Next update hinglish me hi likhunga, hindi font me bahut time lgta hai. First story hai so pls ignore it.
Thanks for reading, keep supporting 🙏
 

Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
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Congratulations for new Thread bro apne signature mai apni story ka link add kardo taki jis story par ap comments karoge sabko apki story ka pata lagta rahega.....update regular do 2 baar re check Karo aur post karo ....satpartisat apko responce milega sex janha jarurat ho wanhi dikhana
 
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JAIY

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Congratulations for new Thread bro apne signature mai apni story ka link add kardo taki jis story par ap comments karoge sabko apki story ka pata lagta rahega.....update regular do 2 baar re check Karo aur post karo ....satpartisat apko responce milega sex janha jarurat ho wanhi dikhana
Thanks bro for supporting and suggestions.
 
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prkin

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Good Start.
 
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