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Incest मामी की ट्रेनिंग

prkin

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ये कहानी मैंने दो वर्ष पहले USC के लिए लिखी थी. अब इसे यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ जिससे नए पाठक भी पढ़ पाएं.

मामी की ट्रेनिंग

दीप अपने मामा के घर बिस्तर पर लेटा हुआ सोच रहा था कि ये कहाँ फँस गया. पिछले सप्ताह उसके माता पिता ने ये ठान लिया था कि इस छुट्टी में उसे अपने मामा के घर जाना है. उसकी रोने गिड़गिड़ाने का भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था. अब तीन दिन से वो यहाँ आया हुआ था. उसके मामा मामी और उनका बेटा विकी उसे पूर्ण रूप से अपना दुलार दे रहे थे पर उसके मन में एक उत्सुकता थी. पिछले तीन दिनों में वो अपने अन्य सभी संबंधियों से मिल चुका था और सबने उसका भरपूर स्वागत किया था. एक महीने में वो इन सबको अच्छे से जान जायेगा,जो सम्भवतः कभी और नहीं हो पाता।

उसके कमरे में विकी आया, दोनों एक ही कमरे में रह रहे थे. विकी बड़ा था.

“क्या सोच रहा है दीप? विकी ने पूछा.

“कुछ नहीं भैया.”

“अच्छा सुन, कभी चुदाई की है?”

“नहीं.”

“देखी है?

“नहीं.”

“देखनी है?”

“हाँ, पर कैसे?”

“वो मुझ पर छोड़ दे. कल चलेंगे.”

“ठीक है.” दीप ने सोचा कि विकी भैया तो इस छुट्टी में कुछ रंग भर ही देंगे.

इसके बाद विकी भी लेट गया और फिर दीप की आँख लग गई. कुछ देर बाद उसकी नींद खुली बाथरूम जाने के लिए तो देखा कि विकी नहीं था. उसने इस बात पर अधिक ध्यान नहीं दिया. और फिर से सो गया. सुबह दीप की नींद खुली तो विकी उसके बगल में सोया था. दीप ने सोचा कि चलो कुछ नहीं तो आज चुदाई तो देखने मिल ही जाएगी. वो बाथरूम में गया और फिर वहाँ से नीचे रसोई में गया पानी पीने के लिए. मधु मामी वहाँ पहले ही से थीं और उन्होंने एक हल्की सी नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनका शरीर झलक रहा था. पहली बार दीप के मन में उनके प्रति वासना के भाव आये.

“उठ गए दीप? चाय पियोगे क्या? तुम्हारे मामा के लिए बना ही रही हूँ.”

“जी मामी पर विकी भैया भी आ जाएँ तो…”

“वो देर रात तक नहीं सोया था, उसे समय लगेगा. तुम पी ही लो. फिर तुम्हें विकी के साथ बाहर जो जाना है.”

दीप का सिर चकरा गया. मामी को कैसे पता कि विकी देर से सोया था? उसे याद आया कि बीच में जब वो उठा था तो विकी बिस्तर पर नहीं था. और उसने मामी को क्यों बताया कि वो मेरे साथ जा रहा है? पर उसने चुप रहकर अपनी चाय ली और पीने बैठ गया. मामा नौ बजे निकल गए और कुछ ही देर बाद विकी अलसाया हुआ आया. मामी ने उसे चाय बनाकर दी.

“मम्मी, आज क्या करना है?” विकी ने पूछा.

“कुछ नहीं, घर के कुछ काम निपटाने हैं. अब तुझे बाहर जाना है तो मैंने रोहित को बुला लिया है.” मामी ने मुस्कुरा कर कहा.

रोहित मामी के भाई पियूष मामा का लड़का था, जिससे दीप दो दिन पहले ही मिला था जब उसका परिवार आया था. मामी के भाई विराट और उनकी पत्नी स्नेहा से मिलकर उसे भी अच्छा लगा था. रोहित विकी की ही आयु का था और उसे अपने इन दोनों बड़े भाइयों से मिलकर बहुत अच्छा लगा था.

“मामी, हम लोग आपकी सहायता कर देंगे. रोहित भैया को बुलाने की क्या….”

“अरे नहीं रे. तुझे विकी ले जा रहा है. उसके साथ जा. आने तक अगर कुछ काम बचा तो हाथ बँटा देना.”

“ठीक है मामी।” दीप ने मन ही मन प्रसन्न होते हुए कहा.

एक घंटे में विकी भी आ गया और दोनों भाई निकल पड़े.

“भैया, कहाँ ले जा रहे हो?”

“अरे चल तो सही. तुझे सीन दिखता हूँ. पर एक बाद समझ ले, चाहे जो भी हो, कुछ बोलना नहीं मुंह से. जो पूछना है बाद में पूछना. ठीक है?”

विकी दीप को कुछ देर तक यहाँ वहाँ घुमाता रहा फिर जाकर पियूष मामा के घर के सामने खड़ा हो गया. फिर उसने अपनी पैंट से एक चाबी निकाली और घर को खोला. उसके पहले ही विकी ने उसे चुप रहने का संकेत दे दिया। दीप ने सिर हिलाया और विकी ने दरवाजा खोला और अंदर चला गया. दीप को अंदर खींचकर उसने घर फिर से लॉक कर दिया.

विकी फुसफुसाया, “चल अब तुझे सीन दिखाता हूँ.”

दीप ने सोचा कि मामा मामी की चुदाई देखने मिलेगी. वो दबे पाँव विकी के पीछे चल दिया.

घर गाँव के ढंग से बना हुआ दो तल का था. अंदर आने के बाद कुछ ध्वनि सुनाई दी जो नीचे के कमरे से ही आ रही थी. दीप को अचरज हुआ कि दरवाजा खुला हुआ था. विकी उसे हल्के पैरों से उस कमरे तक ले गया और अंदर झाँका. सच में स्नेहा मामी की ही चुदाई चल रही थी. दीप चुदाई को देखने में व्यस्त हो गया. पियूष मामा की पीठ उनकी ओर थी और वो पूरी शक्ति से चुदाई में जुटे हुए थे. दीप ने ऐसा दृश्य जीवन में पहली बार देखा था. ब्लू फिल्मों की बात और थी, ये तो जीवंत चुदाई का दृश्य था. उसके लंड ने अंगड़ाई ली.

उनके आने के पहले से चुदाई चल रही थी और समापन की ओर थी. अचानक पियूष मामा ने अपने लंड को बाहर निकाला और स्नेहा मामी ने उठकर उसे मुंह में भर लिया. कुछ देर चाटने चूसने का क्रम चला और फिर पियूष मामा का शरीर अकड़ा और शिथिल सा पड़ गया. स्नेहा मामी ने पूरी श्रद्धा से उस रस को गटक लिया.

“जीजाजी, सच में आपका रस बहुत स्वादिष्ट है.” ये सुनकर दीप का माथा ठनका. तो क्या ये उसके अपने मामा विराट थे? अगर इसमें कोई शंका थी भी तो वो भी दूर हो गई.

“हाँ वो तो आपकी नन्द भी कहती है. वैसे आज अपने रोहित को उसके पास जो भेजा है उसकी सेवा के लिए. तो मुझे आपके लिए आना ही पड़ा. पियूष कहाँ गए हैं?”

“काम से बाहर हैं, आज रात लौटेंगे. वैसे आपके भांजे का क्या हुआ? कुछ बात आगे बढ़ी?”

“अब तक नहीं, बस आज कल में उसे भी लाइन पर ले आएंगे. मधु बहुत उत्सुक है उसकी पहली चुदाई के लिए.”

दीप अब एक तंद्रा में था, उसने अपने कंधे पर विकी है हाथ अनुभव किया और उसकी ओर देखा. विकी ने चुपचाप वहाँ से चलने का संकेत दिया. दीप उसके पीछे चल पड़ा. उसे अब कुछ कुछ समझ आ रहा था. पिछली बार जब विकी उनके घर आया था तो उसकी माँ ने ही उसे चुदाई का ज्ञान दिया था और अब उसकी मामी उस कर्ज को चुका रही थीं. इसका अर्थ ये था कि उसकी मामी उसे भी ये ज्ञान देंगी.

घर से बाहर आने के बाद विकी ने उसकी ओर देखा. दीप के चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया की लड़का सदमे में है.

“तुम जो सोच रहे हो वो सही है.” विकी ने कहा.

“क्या?”

“मम्मी तुम्हें चुदाई की शिक्षा देने के लिए ही बुलाई हैं. मैं भी तीन वर्ष पहले तुम्हारे घर इसी शिक्षा के लिए आया था. अब तुम्हारा समय है.”

“तो क्या?”

“हाँ, चलो अब घर चलते हैं. रोहित को हो सकता है कुछ सहायता की आवश्यकता पड़ जाये. पर इस बार भी अपना मुंह बंद रखना. ठीक है?” ये कहते हुए विकी हंस पड़ा.

दोनों अपने घर की ओर चल पड़े और अंदर चले गए. अब दीप स्वयं को संयत कर चुका था और जान चुका था कि उसकी मधु मामी रोहित से चुदवा रही होंगी. अंदर विकी सीधा अपने माँ बाप के कमरे की ओर चल पड़ा. यहाँ भी दरवाजा केवल अटका था और विकी ने उसे खोला और दीप को वहीँ खड़े रहने के लिए कहा.

दीप चुपचाप सामने चल रहे दृश्य को देख रहा था. उसकी मामी की पीठ उसकी ओर थी और वो इस समय नंगी किसी के लंड पर उछल रही थीं. ये लंड रोहित का था, ये समझने के लिए अधिक बुद्धि नहीं चाहिए थी. वो अपनी मामी के शरीर को देखकर उत्तेजित हो रहा था. पर इस बार विकी ने उसे छोड़ दिया और कमरे में चला गया. मामी के पीछे पहुंचकर उसने दीप को मुड़कर देखा और होंठों पर ऊँगली से चुप रहने का संकेत दिया.

दीप ने देखा कि विकी अपने कपड़े उतार रहा था. नंगा होने के बाद वो अपनी माँ के आगे जा खड़ा हुआ.

“अरे बेटा, तू आ गया. बड़ी जल्दी लौट आया.” मधु मामी ने पूछा.

“काम हो गया तो लौट आया. वैसे भी अपनी माँ की याद आने लगी थी मामी को देखकर.” विकी ने बोला और अपने लंड को मामी के मुंह के पास ले गया.

“हम्म्म, आ जा फिर.” ये कहकर मामी ने उसके लंड को मुंह में ले लिया. दीप खड़ा हुआ सोचने लगा कि क्या उसकी माँ भी ऐसे ही करती हैं?

मधु मामी लंड चूसते हुए रोहित के लंड पर उछल रही थीं. रोहित भी उन्हें नीचे से धक्के लगा रहा था. बड़ा अद्भुत दृश्य था और दीप का लंड अकड़ कर अब उसे असहज कर रहा था. उसने अपने पैंट की ज़िप खोल ली जिससे कुछ दबाव कम हो गया.

कुछ देर की लंड चुसाई के बाद रोहित ने कहा, “अब भाई तू भी सवारी गांठ ले, बुआ की गांड में घुस जा.”

“ही ही ही, रात में भी ये वहीं घुसा रहा था, पर कोई बात नहीं रोहित बेटे, तुझे भी आज गांड मारने दूंगी, पर अभी विकी की बारी है.”

दीप अब आगे क्या होगा समझ ही चुका था. उसने देखा कि विकी मामी के पीछे गया तो उसे दिखना बंद हो गया. वो साहस जुटा कर कमरे में चला गया और ऐसे स्थान पर खड़ा हो गया जहां से उसे पूरा दृश्य दिख सके. विकी ने अपनी माँ की गांड को सहलाया और उसकी गांड के छेद को प्यार से कुरेदा. इसके बाद वो बिस्तर पर चढ़ गया और मामी की गांड के ऊपर लंड लगाया। रोहित और मामी रुक गए और इसका लाभ उठाकर उसने अपने लंड को मामी की गांड में जड़ दिया.

“आह, क्या बात है. मेरे दोनों बेटे अब मेरी चूत और गांड में हैं. बस अब दीप को जोड़ना शेष है फिर तो आनंद ही आनंद होगा.” मधु मामी ने आनंद से किलकारी भरी.

“अरे बुआ, वो भी हो ही जायेगा. आज की रात उसे भी अपनी जवानी का रस पिला ही दो. बेचारा न जाने कब से तरस रहा है चुदाई के लिए.”

“बिलकुल. आज उसका कौमार्य भंग कर ही लूँगी। पर अब मुझे चोदो।”

इतना ही बस उनके मुंह से निकला था कि रोहित ने नीचे और विकी ने पीछे से तेज धक्के लगाए। मामी की आर्तनाद से एक बार तो दीप का ह्रदय काँप ही गया पर वो विस्मित आँखों से अपनी मामी की भीषण चुदाई का आरम्भ देखने लगा. इस बार उसने अपने पैंट के बटन भी खोल लिया और अपने लंड को बाहर निकालकर मुठ मारने लगा. बिस्तर पर उसके दोनों भाई उसकी मामी की भयंकर चुदाई में लगे हुए थे और मामी भी उनकी इस चुदाई से भरपूर आनंद उठा रही थीं.

उनकी कामोत्तेजक चीखों के बीच में वो उन दोनों को उत्साहित भी करती जा रही थीं.

“अरे मेरे बच्चों, चोदो मुझे. और अच्छे से, और तेज. मर गई रे. क्या लौड़े हैं तुम्हारे। क्या मस्त चोदते हो. फाड़ कर रख दो मेरी चूत और गांड. फाड़ दो. चोदो और दम लगाकर.” मामी की इस विनती को रोहित और विकी पूरी शक्ति के साथ पूरा कर रहे थे. दोनों के लंड उनकी चूत और गांड में पिस्टन के समान चल रहे थे. दीप के हाथ में भी उसका लंड अब और कड़क हो गया था और वो भी अपने हाथ तेजी से चला रहा था.

कोई दस मिनट तक मामी की इसी प्रकार से चुदाई चलती रही, फिर गति कम हो गई. मामी, चीख चीख कर थक चुकी थीं और कई बार झड़ भी चुकी थीं. गति धीमी होते ही विकी ने दीप की ओर देखा और उसे लंड को सहलाते हुए देखा. दीप के लंड को देखकर उसे आश्चर्य हुआ, और कुछ जलन भी. दीप का लंड दीप के पिता की देन था, मोटा, लम्बा और बलशाली. उसे अपनी माँ पर कुछ दया आयी, पर उसकी माँ दीप के पिता से चुद चुकी थीं तो हो सकता है कि वो भी उसका आनंद लेंगी.

रोहित भी अब तक दीप के लंड को देख चुका था और उसकी प्रतिक्रिया भी विकी से मिलती थी. दोनों ने अपने लंड फिर से तेजी से चलाने आरम्भ किये मानो वो दीप को कुछ दिखाना चाहते थे. मामी आनंद से फिर किलकारियां लेने लगीं. पर अब अंत निकट था. उधर दोनों भाइयों ने अपने रस की वृष्टि मधु मामी की चूत और गांड में की तो इधर भी दीप का पानी छूट गया. उसने कार्यक्रम की समाप्ति देखी तो फिर से दरवाजे के पास चला गया और अपनी पैंट बंद कर ली.

मामी अब रोहित के ऊपर लुढ़की हुई थीं. विकी ने अपने लंड को बाहर निकाला और मामी के मुंह के पास ले गया.

“लो मम्मी, चाट लो इसे. आपकी सबसे प्रिय वस्तु जो है ये.” विकी ने कहा तो मामी ले लपक कर उसके लंड को मुंह में निगल लिया. दीप को आश्चर्य हुआ कि मामी अपनी ही गांड से निकले लंड को इतने प्रेम से चाट रही थीं. विकी फिर हटा और मामी ने रोहित के लंड से स्वयं को उठाया और उसके लंड को मुंह में ले लिया. दीप अब सामने नहीं दिखना चाहता था तो वो दरवाजे के पीछे चला गया, जिससे उन्हें लगे कि वो चला गया है. वो उनकी बातें सुनना चाहता था. ये तो उसे पता चल ही गया था कि उसे यहाँ भेजने का प्रयोजन क्या था, पर वो इससे भी अधिक जानने के लिए उत्सुक था.

उसे अधिक देर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. मामी का स्वर उसके कान में पड़ा.

“चला गया क्या दीप?”

“हाँ माँ. मुठ मार रहा था तो लगता है कमरे में चला गया. वैसे मम्मी, लंड उसका फूफाजी के लंड के जितना या उस से भी बड़ा ही है, आपकी गांड की आज रात खुदाई हो जाएगी.”

“आज गांड नहीं मरवाऊँगी वैसे भी, वो कल के लिए है. आज केवल उसे चूत चाटना और चोदने की ट्रेनिंग देनी है. भाभी ने कहा है कि अधिक तेजी न दिखाऊँ, नहीं तो गड़बड़ न हो जाये.”

“क्या गड़बड़ होगी. दो दो चुदाई देख चुका है. वहाँ स्नेहा मामी की भी तो चुदाई देखी है पापा के साथ. और अब आपकी.” विकी ने कहा.

“जो भी हो, मैं भाभी की बात नहीं ताल सकती, नहीं तो न जाने वो क्या करेंगी.”

“अरे कुछ नहीं करेंगी. आपने ही तो कहा था कि वो तो स्वयं उतावली हैं उससे चुदने के लिए.”

“चलो अब हटो. तुम दोनों जाकर दीप को देखो. उसे नहीं पता कि मुझे पता था कि वो मेरी चुदाई देख रहा था. फिर शाम को उसे समझा कर आज की रात रंगीन करूंगी. तुम लोगों का क्या कार्यक्रम है. तुम और तुम्हारे पापा यहां रहोगे या मामा के घर जाओगे?”

“रोहित के ही घर जायेंगे. क्यों रोहित?”

“हाँ बुआ, और लोग भी आने वाले हैं, पापा ने बताया था कल रात.” रोहित ने बताया.

“तो तुम लोग पार्टी करोगे और मैं यहाँ ट्रेनिंग दूँगी। चलो. अब चलो.”

“मम्मी, आप चाहो तो उसे सुलाकर आ जाना. एक नींद की गोली खिला देना दूध में मिलाकर और फिर मामा के घर आ जाना. फिर आपकी भी पार्टी हो जाएगी.”

“हाँ, ये भी ठीक ही है. ऐसा ही करुँगी। उसे आज पहले ही ले जाऊँगी फिर तुम लोगों के पास आ जाउंगी.”

दीप ने जो सुनना था वो उसे मिल गया था. वो दबे पाँव वहाँ से अपने कमरे में चला गया. पर उसके मन में एक विचार कौंधा और वो मुस्कुरा दिया. आज से उसकी संसार और संबंधों के बारे में धारणा बदल गई थी. अगर सब उसके साथ खेल कर सकते हैं तो वो भी कम तो नहीं ही था. अन्य सभी के लंड देखकर उसे ये भी समझ आ गई थी कि वो उन सब पर भरी है. उसे अपनी माँ का ध्यान आया. अब उसे ये षड्यंत्र उतना बुरा नहीं लग रहा था. पर अब उसकी दृष्टि में माँ भी एक भोग्या स्त्री बन गई थी.

उसे एक बात पर अवश्य कुछ अचरज हुआ. ये सारे संबंध परिवार में महिलाओं के परिवार के ही साथ थे. मम्मी के भाई, फिर मामी के भाई. ये भी एक संयोग ही था कि तीनों परिवारों में केवल पुत्र ही थे, वो भी इकलौते. उसे कुछ और भी याद आया और उसके मन में एक नई प्रेरणा का संचार हो उठा. कमरे में कुछ देर बाद विकी आ गया.

“भाई मजा आया चुदाई देखकर? मैंने देखा कि तुम मुठ मार रहे थे. अब ये समझो वो मुठ मारने की अंतिम घड़ी थी. आज रात मम्मी तुम्हें प्रशिक्षण देना आरम्भ करेंगी. फिर जीवन भर तुम्हें अपने लंड को हाथ भी नहीं लगाना पड़ेगा. वैसे बुआ भी तुम्हारे लिए बहुत उत्सुक हैं.” विकी ने बताया.

“पर आप सब के होते मुझे शर्म आएगी.” दीप ने चाल चली.

“इसीलिए, पापा और मैं स्नेहा मामी के घर चले जायेंगे, भोजन के बाद. फिर तुम और मम्मी पूरा इन्जॉय करना.”

“भैया, एक बात बताओ. ये सारे संबंध मामा के परिवारों के ही बीच में क्यों हैं? मेरे मामा फिर आपके मामा।” दीप ने जानने का प्रयास किया.

“पता नहीं, पर ये शृंखला कुछ अधिक लम्बी है. तुम्हें अगले सप्ताह तक उसका भी ज्ञान हो जायेगा.” विकी ने एक रहस्यपूर्ण ढंग से कहा.

“ठीक है.”

इसके बाद दिन यूँ ही बीत गया. जब भी मधु मामी और वो एक दूसरे को देखते तो मुस्कुरा देते. शाम हुई तो मामा ने कहा कि आज वो स्नेहा मामी के घर जाने वाले हैं विकी के साथ. उन्होंने दीप से कहा कि उसकी मामी को उससे कुछ बात करनी है तो वो घर पर ही रहे. वे रात तक आ जायेंगे. दीप जानता था कि उनका रात में आने की कोई योजना नहीं है. वो उसे सुला कर पार्टी करने वाले हैं.

दीप दोपहर में विकी की बाइक लेकर बाजार से कुछ लेकर आया था. कुछ अन्य कार्य भी जो उसकी योजना का अहम भाग थे उसने पूरे कर लिए थे. अब सब भोजन के लिए बैठे हुए थे और फिर समाप्ति के बाद मामा और विकी चले गए. विकी ने जाते हुए उसे आँख मारी और चला गया. अब दीप और मामी अकेले थे.

“दीप, तुम अपने कमरे में चलो. मैं वहाँ दूध लेकर आती हूँ तुम्हारे लिए.”

“ओके, मामी.”

दीप अपने कमरे में चला गया. मधु मामी उसके लिए दूध ले आई.

“अभी मत पी लेना. बातें हो जाएँ तब.” मामी ने कहा.

“अरे मामी, प्लीज़ पानी भी ले आओ न. कमरे में पीने के लिए पानी नहीं है, भूल गया मैं.”

मधु मामी रसोई में चली गईं तो दीप ने झट से उस दूध को बाथरूम में फेंका और बैग से एक पैकेट दूध जो वो लाया था उसमें डाला और सिरहाने रख लिया. बाथरूम से एक मग भी लेकर बिस्तर के नीचे रख लिया. मामी पानी ले आयीं और उसे भी दीप ने एक ओर रख दिया.

मधु मामी ने गला साफ किया, “दीप, अब तक तुम्हें तुम्हारे यहाँ आने का वास्तविक कारण समझ आ गया होगा.” मामी ने एक गहरी श्वास भरी, “हमारे परिवार में ये प्रथा सी बन गई है. मेरे शब्दों की गंदगी पर मत जाना, पर जब भी हमारे परिवार का कोई लड़का २० वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है, तो उसका परिवार में मिलन किया जाता है. मिलन अर्थात चुदाई, और इसका पहला अवसर उसकी मामी या बुआ को दिया जाता है. उसे सेक्स का ज्ञान देने का दायित्व उनका होता है. आजकल के युग में सम्भव है कि लड़के को बाहर से भी इसका अनुभव हो चुका हो, पर परिवार के ये रीत चल रही है.”

“विकी को तीन वर्ष पहले ये ज्ञान तुम्हारी माँ ने प्रदान किया था. रोहित को मैंने और आज मैं तुम्हें इस ज्ञान को देना प्रारंभ करूंगी. इसी प्रकार लड़कियों को उनके मामा या फूफा इसका ज्ञान देते हैं, पर अभी तक तुम्हारी पीढ़ी में कोई लड़की नहीं आई है. पर इस प्रथा को तुम आगे ले जाओगे ये मेरा विश्वास है. अपनी पत्नियों को तुम अपने परिवार समर्पित करोगे ये भी एक आशा है.”

“मामी, मुझे प्रसन्नता है कि आज मैं आपके साथ इस पथ पर आगे बढूँगा, पर मम्मी के साथ ये कैसे करूँगा? पापा क्या सोचेंगे?”

“सब अपने समय से होगा. दीप्ति स्वयं तुम्हें इसके लिए आमंत्रित करेंगी. और तुम्हारे पापा को पता है, अन्यथा वो तुम्हें यहां कभी न आने देते.”

“मामी, मुझे ये तो पता चल ही चुका है कि मम्मी, आप और स्नेहा मामी के परिवार इस प्रकार से जुड़े हैं, पर क्या कोई और भी?”

“अगर है तो तुम्हें पता चल ही जायेगा, पर अब हमें देर नहीं करनी चाहिए. अपने कपड़े उतार कर मेरे सामने आओ.” मामी ने कहा.

दीप ने देखा कि उन्होंने एक बार दूध के ग्लास को आँखें चुराकर देखा था. दीप मन ही मन मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उतारने लगा. “ये दूध वो नहीं है मामी, जो आप समझ रही हो.” उसने मन में बोला। नंगा होने के बाद वो मामी के सामने जा खड़ा हुआ.

“हम्म, अच्छा लंड है तेरा. लम्बा और मोटा. अपने बाप पर गया है, बीस ही है उनसे. तेरी माँ की तो चाँदी हो जाएगी.” लंड को हाथ में लेकर उसे सहलाते हुए मामी ने कहा. “जब कोई स्त्री अपने प्रेमी से मिलन करती है, तो वो उसके लंड को हर प्रकार से प्रेम करती है. पर सबसे अधिक आत्मीयता मुख मैथुन से मिलती है. लंड को चूसकर स्त्री अपनी इच्छा और समर्पण को दर्शाती है.”

ये कहकर मामी ने उसके लंड को जीभ से चाटा और कुछ देर तक बाहर से चाटने के बाद अपने मुंह में ले लिया.

कुछ देर लंड चूसने के बाद मामी ने लंड मुंह से निकाला.

“इसका पूरा आनंद मैं तुझे बाद में दूंगी, आज तुझे सीखने का समय है.” ये कहते हुए मामी ने अपने कपड़े उतारे और नंगी हो गईं।

“जिस प्रकार स्त्री लंड चूसकर अपने प्रेम और समर्पण को दर्शाती है, तो पुरुष भी उसकी चूत से प्रेम करके अपने प्रेम को दर्शाता है. मैंने अपनी चूत को भली भांति साफ किया है, तो अब तुम्हें मेरी चूत को चाटना और चूसना है. कब क्या करना है मैं तुझे बताती रहूँगी। अगर तुम इस कला में पारंगत हो गए तो हर स्त्री तुमसे चुदने के लिए लालायित रहेगी. ये वो कला है जिसे सीखने के जितने भी लाभ गिनाये जाएँ, कम हैं.”

ये कहकर मामी बिस्तर पर लेट गयीं और अपने पैरों को फैला लिया. अपनी उँगलियों से चूत को खोला और दीप की ओर देखा. दीप ने समय व्यर्थ नहीं किया और नीचे बैठकर मामी की चूत के चारों ओर चाटा।

दीप चाहे अब तक चुदाई का अनुभव न ले पाया हो, पर उसने पोर्न बहुत देखी थी तो उसे इस बात का ज्ञान था कि मौखिक चुदाई कैसे करते हैं. आज उस अनुभव का अभ्यास करने का समय मिल गया था. चूत के चारों ओर चूसने के बाद उसने मामी की चूत की पंनखुड़ियों को चाटना आरम्भ किया तो मधु ने उसके सिर को पकड़ लिया.

“तू तो जानता है रे. कहाँ से सीखा?”

“फिल्मों से.” दीप ने अपनी जीभ को चलाते हुए उत्तर दिया और अपनी ऊँगली से चूत को खोलकर उसमे अपनी जीभ डाल दी.”

“अच्छा कर रहा है. अब जीभ को अंदर चला और चारों ओर घुमा. तुझे मेरा भग्नाशा दिख रहा है क्या? उसे भी चाट और मसल हल्के हल्के.”

दीप ने यही किया और मधु आनंद से दूभर हो गई. वो समझ गई कि इसे सीखने में अधिक कठिनाई नहीं होगी. और उसके लंड की दीवानी परिवार की सारी स्त्रियां हो जाएँगी. दीप पूरी तत्परता से मामी की चूत को चाटता रहा और हर कोण से उसपर अपनी जीभ और उँगलियों से वार करता रहा. अंत में मधु ने एक हल्की सी सिसकारी ली और उसके मुंह में कसैले रस की धार छोड़ दी. दीप ने निसंकोच उसे पी लिया, मानो वो इसके लिए ही सारा परिश्रम कर रहा हो. झड़ने के कुछ देर बाद मामी ने उसे उठाया और अपने साथ लिटा लिया.

“और क्या क्या सीखा है तूने फिल्मों से?”

अब दीप खुल चुका था, व्यर्थ बातों का कोई अर्थ न था.

“देखा सब है, चुदाई, गांड मारना। गांड चाटना, मूत्र पीना. सब कुछ.”

“हम्म्म्म. तो अपनी मामी की चुदाई आज सीखे हुए ढंग से कर, फिर कल मैं तुझसे अपने ढंग से चुदवा लूँगी। ठीक है?”

“हाँ मामी, मुझे बहुत कुछ नहीं आता, पर मैं प्रयास अवश्य करूँगा. पर एक बार मेरा लंड चूस दो पहले.”

मधु सहर्ष उसके लंड को मुंह में लिया और कुछ देर चूसा. जब मधु दीप के लंड को चूस रही थी तब दीप अपनी देखी पोर्न के ध्यान में मग्न था कि मामी को किस आसन में चोदे. उन सबसे लोकप्रिय आसन को ही पहली बार के लिए उपयुक्त माना. उस आसन में वो मामी के भाव भी देख सकता था और समझ सकता था कि वो अच्छा कर रहा है या नहीं. जब मधु को लगा कि दीप का लंड अब उसे चोदने के लिए तैयार है तो उसने अपने मुंह से निकाला. वैसे भी वो आज शीघ्र चुदाई समाप्त करके दीप को सुलाकर पार्टी में जाने के लिए उत्सुक थी. लम्बी चुदाई कल से की जा सकती थी.

“ अब मुझे चोदो पर पानी चूत में मत छोड़ना, मेरे मुंह में डालना.” मामी ने कहा और बिस्तर पर लेट कर पैरों को खोल दिया. दीप समझ गया कि मामी पार्टी में उसके रस से भरी चूत लेकर नहीं जाना चाहती थी. दीप ने मामी चूत पर लंड रखा.

“तेरा लंड मोटा भी है और बड़ा भी, धीरे करना पहले नहीं तो….” मधु अपनी बात अभी पूरी भी नहीं कर पाई थी कि दीप ने एक तगड़ा धक्का मारा और उसके लंड ने आधी दूरी तय कर ली. मधु की आँखें फ़ैल गयीं और मुंह से गुं गुं की ध्वनि ही निकल पाई कि दीप ने अगले धक्के में ही अपने पूरा लंड अंदर पेल दिया. मधु का शरीर हिल गया और उसके चेहरे पर आश्चर्य और पीड़ा के भाव उत्पन्न हो गए. जब वो कुछ सम्भली तो उसने क्रोध से दीप को देखा.

“ऐसे चोदता है कोई? मेरी चूत फट जाती तो?”

“मामी अपने ही तो कहा था कि जैसा पोर्न से सीखा है वैसे चोदने के लिए. उसमे तो ऐसा ही होता है और औरतों को आनंद भी आता है.”

“मैं पोर्न वाली रंडी नहीं हूँ मादरचोद, मामी हूँ तेरी. पर लंड तेरा अद्भुत है. अब चोद और दिखा अपनी मामी को क्या सीखा है तूने.”

“मामी, अभी तो मैं मामीचोद ही बना हूँ, मादरचोद तो घर जाने के बाद बनूँगा।” दीप ने कहा तो मधु हंस पड़ी.

“ तेरी माँ का नंबर सबसे अंत में आता है. तब तक तुझे बहुत कुछ सीखने और करने मिलेगा. अब ठोक अपनी मामी को अच्छे से.”

दीप अब तक अपने लंड को मामी की चूत में हल्के हल्के ही चला रहा था. मामी पाते ही उसने अपनी गति बढ़ा दी और मधु की सिसकारियों ने सिद्ध कर दिया कि वो सही दिशा में चल रहा है. अब उसे रोकने वाला कोई न था. तीव्र गति से चोदते हुए उसने मामी को तीन चार बार झाड़ दिया था. मधु तो मानो पागल ही हो चुकी थी. पंद्रह मिनट की इस विकट चुदाई के बाद जब दीप का लंड फूलने लगा मधु समझ गई की लौंडा झड़ने वाला है.

“बाहर निकाल अपना लंड और मेरे मुंह से दे दे. चूत में न झड़ जाये कहीं.” मामी ने आदेश दिया.

दीप ने आज्ञा मानी और मधु ने उसके लंड को मुंह में लेकर वैक्यूम के समान चूसना आरम्भ किया. दीप भी अब झड़ने के लिए उत्सुक था और उसके लंड ने मामी के गले तो तर कर दिया. पानी इतना था कि मधु पूरा न पी पाई और उसके मुंह से झलक गया. झड़ने के बाद दीप खड़ा हुआ और योजना के अनुसार बाथरूम में चला गया. लौटा तो मामी बैठी दूध के ग्लास को देख रही थी.

“मामी, आज यहीं रुकें? मैं दूध पीकर सोना चाहता हूँ.”

मधु की आँखों की चमक ने उसे चेता दिया कि तीर लक्ष्य पर लगा है. वो बिस्तर पर बैठा और ग्लास को हाथ में लिया.

“आप भी सफाई कर लो न मामी” ये कहकर उसने एक घूंट लिया तो मधु आश्वस्त होकर बाथरूम में चली गई. दीप ने तुरंत अपने मुंह का दूध ग्लास में निकाला और नीचे मग उठाकर उसमे उढेल दिया और मग को नीचे अंदर तक छुपा दिया और ग्लास को फिर से मुंह से लगा लिया. जब मधु बाहर आई तो दीप ने दूध समाप्त करने का ढोंग किया और ग्लास को एक ओर रख दिया. मधु ने ग्लास उठाया और निश्चित किया कि दूध पूरा पी लिया गया है.

“अब तू सो जा, कल से तुझे बहुत परिश्रम जो करना है. मैं भी अपने कमरे में सोती हूँ.” मधु ने उसे चूमा और निकल गई. दीप ने अपनी योजना की सफलता पर गर्व किया. पर अगला चरण कठिन था उसे स्नेहा मामी के घर के बारे में कुछ पता न था. दीप ने चादर ओढ़ी और सोने का स्वांग करने लगा. आधे घंटे के बाद उसे कमरे का दरवाजा खुलने की आहट सुनाई दी. आप उसके अभिनय का समय था.

“दीप, दीपू बेटा। सो गया क्या?” मामी ने पूछा. उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो मामी ने उसे हल्के से हिलाया और फिर पूछा इस बार उसने कुनमुनाकर करवट बदली और मामी से दो तीन मिनट देखा और आश्वस्त हो गयीं.

“अगर पार्टी न होती तो इससे रात भर चुदवाती.” मामी ने हल्के स्वर में कहा और चली गयीं. कुछ देर बाद घर का दरवाजा खुलने और बंद होने की ध्वनि आई. दीप बैठ गया और उसने अपने बैग से दो चाबियाँ निकालीं। बाजार में उसने मामी के घर की चाभी और विकी की जेब से स्नेहा मामी के घर की चाबी की प्रति बना ली थी. अब केवल उसे कुछ समय रुकना था.

मामी के निकलने के बीस मिनट बाद दीप भी घर से निकल गया और सीधे रोहित के घर पहुंचा. उसने सोचा कि हो न हो ये पार्टी बैठक में नहीं ही हो रही होगी. तलघर या ऊपर किसी कमरे में ही होगी, क्योंकि नीचे जिस कमरे में स्नेहा मामी की चुदाई देखी थी वो बड़ा नहीं था. घर के बाहर खड़ा होकर वो साहस जुटाने लगा. अगर पकड़ा गया तो? फिर सोचा कि ऐसा हुआ तो अच्छा ही होगा. घर में भर से अँधेरा लग रहा था. उसने अपना मोबाइल साइलेंट में किया और चाबी से दरवाजा खोला और घर में घुसकर बंद कर दिया. घर में शांति थी पर कुछ हल्की हल्की ध्वनि आ रही थी. वो आगे बढ़ा और ध्यान से सुना तो ये ऊपर के तल से आ रही थीं. उसने चप्पल उतारी और ऊपर चढ़ गया.

ऊपर उसे एक कमरे की खिड़की से हल्की प्रकाश की झलक दिखी. अब ये अंतिम पड़ाव था इसके बाद लौटना सम्भव न था. वो खिड़की के पास पहुंचा और अंदर देखा. उसकी आँखों के आगे जो दृश्य था वो उसकी आशा के ही अनुरूप था, कुछ अधिक ही. उसने ये कभी न सोचा था कि उसे ऐसा भी देखने का कभी अवसर मिलेगा.

अंदर विराट मामा, मधु मामी, विकी के साथ पियूष मामा, स्नेहा मामी और रोहित थे. पर केवल यही नहीं थे. स्नेहा मामी की बहन मुग्धा मामी, उनके पति संतोष और उनकी बेटी सोनल भी थी. पर उसे जो सबसे विचलित करने वाली बात लगी वो थी स्नेहा और मुग्धा मामी की माँ सुशीला और उनके पिता अशोक की उपस्थिति. एक लड़का और एक स्त्री और भी थे जिन्हें दीप ने अब तक नहीं देखा था. सभी नंगे थे और चुदाई के अलग अलग मिलाव में थे. उसे लगा कि वो कुछ भूल रहा है. क्या कोई और भी होना चाहिए था?

सोनल इस समय मधु मामी की चूत चाट रही थी और पीछे से विराट मामा उसे चोद रहे थे. पियूष मामा उस नयी स्त्री के ऊपर चढ़े हुए उसे चोद रहे थे. स्नेहा मामी की चुदाई उनके पिता अशोक के द्वारा चल रही थी. मुग्धा मामी की चुदाई का दायित्व उस लड़के को मिला था जिसे वो सकुशल निभा रहा था. पर सबसे अधिक आनंद उनकी नानी उठा रही थीं. संतोष मामा उनकी गांड में थे तो रोहित का लंड उनके मुंह में था. नीचे विकी उनकी चूत पेले हुए था और तीनों उन्हें पूरी शक्ति से चोद रहे थे.

दीप को अचानक ध्यान आया कि मुग्धा मामी का बेटा सुमित नहीं दिख रहा. उसने सोचा कि उसे भी नींद की गोली देकर सुला दिया गया होगा. पर उसकी साँस रुक गई और शरीर सुन्न पड़ गया. उसके कंधे पर किसी का हाथ आया और उसे थपथपाया.

“मस्त सीन है न?” दीप ने सुना. पर कुछ बोल नहीं पाया. फिर कंधे पर हाथ रखने वाला उसके साथ आकर खड़ा हो गया. वो सुमित ही था और वो भी नंगा था. उसके हाथ में पानी की बोतल थी.

“जी भैया. सच में मस्त सीन है.” दीप अब छुप नहीं सकता था. “पर वो है?”

“ओह, वो संजीव है और उसके साथ उसकी माँ मंजरी है. सोनल और उसका विवाह तय हो गया है. उसकी एक बहन भी है, बिलकुल पटाखा, पर अभी तक अछूती है.” सुमित ने बताया. फिर धीरे से कहा, “बस कुछ ही दिन के लिए.”

कुछ देर तक दोनों अंदर की चुदाई देखते रहे. फिर सुमित ने कहा, “मैं अंदर जा रहा हूँ. संकेत करूं तो नंगे हो जाना, फिर मैं तुझे भी पार्टी में ले चलूँगा.”

दीप ने हामी भरी और सुमित अंदर चला गया. सुमित जाकर मंजरी के पास खड़ा हो गया और पियूष मामा से कुछ बोला। मामा लेट गए और मंजरी उनके लंड पर चढ़ गई. सुमित ने एक बार खिड़की की ओर देखा और फिर मंजरी की गांड में लंड डाल दिया और मामा और सुमित उसकी चुदाई में जुट गए.

उधर नानी की गांड में अब रोहित का लंड था और संतोष मामा के लंड को चूस रही थीं. फिर मामा लेट गए और नानी उनके ऊपर चढ़ गयीं और विकी के लंड को चूसने लगीं. रोहित उनकी गांड मारने लगा. दूसरी ओर सोनल अब लेटी हुई मधु मामी से चूत चटवा रही थी और पियूष मामा मधु मामी की चुदाई कर रहे थे. विराट मामा अब सुमित के साथ मंजरी की चुदाई करने लगे थे. अशोक नाना ने स्नेहा मामी को छोड़ दिया था और अब अपनी दूसरी बेटी मुग्धा की चुदाई करने लगे थे. और संजीव ने अब स्नेहा मामी की चुदाई का बीड़ा उठा लिया था.

कुछ ही देर में सब झड़ने लगे और फिर शांति हो गई. दीप ने देखा कि सुमित ने उसे संकेत दे दिया है. उसने काँपते हुए अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया. चुदाई देखकर उसका लंड अब अपने पूरे उफान पर था. तीन चार मिनट में ही सुमित बाहर आया.

“चलेगा न अंदर? डरना नहीं भाई, सब अपने ही परिवार वाले हैं. वैसे तो तुझे अगले सप्ताह की पार्टी में आना ही था, पर अब यहाँ तक आ ही गया है तो शुभश्य शीघ्रम.” सुमित ने साहस देने के लिए दीप को समझाया और उसका हाथ पकड़ा और कमरे के बाहर उसे रोक दिया.

“सुनो, सुनो, सुनो!” उसने घोषणा की. सब उसकी ओर देखने लगे.

“देखिये, मैं किसे लाया हूँ? या देखिये कौन आया है.” ये कहते हुए सुमित ने दीप का हाथ पकड़ा और उसे कमरे में खींच लिया.”

सबके मुंह आश्चर्य से खुले रह गए. और हर स्त्री पुरुष का ध्यान उसके तने लंड पर गया. जहाँ स्त्रियों के मन में लड्डू फूटे, वहीँ पुरुष कुछ क्षणों के लिए ईर्ष्यालु हो गए. नानी ने सबसे पहले उठकर उसका स्वागत किया. पास आकर उसे अपनी बाँहों में भर लिया. चूमा नहीं पर उसके लंड को हाथ में लेकर अवश्य सहलाया।

“आ जा बेटा, बस तेरी ही कमी थी. आज अपनी नानी की चुदाई करके उसे भी प्रसन्न कर दे.” सुशीला ने कहा और फिर जोर से बोली, “पहले मुझे चोदेगा। समझे सब?”

सब ने हंसकर इसे माना और फिर दीप के पास आकर सबने उसे गले लगाया और स्वागत किया.

सोनल ने उसके कान में कहा, “भैया, अगर आज न हो पाए तो मुझे कल अवश्य चोदने आना घर पर.” दीप ने सहर्ष इसे स्वीकार किया.

कुछ ही देर में वातावरण जैसे सामान्य हो गया. नानी उसे बड़े प्रेम से परिवार के इस आचरण के बारे में समझा रही थीं. नाना भी उनके साथ बैठे हुए थे.

“तेरे माँ बाप भी होते तो कितना आनंद होता.” नानी ने उससे कहा. “अब आप चलो कहीं सवारी गांठो, मैं दीपू के लंड का अनुभव लेना चाहती हूँ. दामादजी पर गया है.”

नाना ने भी हामी भरी और उठकर चले गए, इस बार उन्होंने मंजरी की ओर देखा तो वो मुस्कुराकर उनकी बाँहों में आ गई. नानी ने उसके लंड को हाथ में लिया और फिर झुककर चूसने लगी.

“मैं तुझसे चूत भी चटवाती और गांड भी पर अभी पूरे साफ नहीं हैं, तो आगे कभी.” कहते हुए वो पूरी तन्मयता से लंड चूसने लगीं.

उनकी कला मामी से अच्छी थी और दीप को असीम आनंद आया. वहीँ कमरे में अब विकी ने स्नेहा मामी को पकड़ा हुआ था और सुमित भी उन्हें जकड़े हुए थे. स्नेहा मामी की दुहरी चुदाई की पूरी संभावना था. रोहित मधु मामी की बाँहों में था और सोनल को विराट और संतोष मामा ने घेरा हुआ था. दीप को आश्चर्य हुआ कि सोनल भावी पति और सास के सामने दुहरी चुदाई करने वाली थी. संजीव ने देखा फिर वो भी मधु मामी के पास चला गया. अब पियूष मामा अकेले खड़े थे. उन्होंने एक बार नानी को देखा फिर वो भी मधु मामी के ही पास चले गए.

इसके बाद चुदाई का वो भीषण खेल चला कि सुबह तक सभी थके हुए लुढ़क गए. दीप जो २४ घंटे पहले चुदाई के बारे में केवल सोचता ही था, उसे नानी की चूत और गांड दोनों मारने का अनुभव प्राप्त है. उसके बाद उसे दुहरी चुदाई का भी अनुभव हुआ और इसमें उसे मंजरी और मुग्धा मामी की गांड और सोनल और स्नेहा मामी की चूत का आनंद मिला, जबकि उनके दूसरे छेदों में अन्य लौड़े घुसे हुए थे. सब वहीँ सो गए और ग्यारह बजे के बाद उठकर अपने अपने घरों को चल दिए. घर पर खाना खाकर फिर से सोये और फिर चुदाई के कार्यक्रम फिर चल पड़े.

उस सप्ताह दीप सबके घर में गया और अपनी सभी मामियों से चुदाई का ज्ञान प्राप्त किया. सोनल और मंजरी ने भी उसके मोटे लम्बे लंड की शक्ति का पूरा लाभ उठाया. नानी तो जैसे उसकी दीवानी सी हो गयीं. हर दूसरे दिन वो आकर उसके बिस्तर की शोभा बढ़ाने लगीं. उनके लंड चूसने की कला का कोई पर्याय नहीं था. सबकी विकृतियां भी उसे पता चल गयीं थीं. अगले दो सप्ताह तक उसने सबको मन भरकर चोदा था. और आज शाम फिर से स्नेहा मामी के घर पर पार्टी थी. इसके बाद उसे अपनी माँ के आँचल में लौटना था. दीप का मन कुछ दुखी था, पर उसने निर्णय लिया था कि वो हर दो तीन महीने में यहाँ आता रहेगा. उसके सभी संबंधी भी उसके इस निर्णय के पक्ष में थे. कैसे हो पायेगा, ये बाद में देखा जायेगा.

आज भी पार्टी हर सप्ताह के समान आरम्भ हुई. पर आज दीप को एक बात भिन्न लगी. इस बार नानी ने उसे पहले नहीं बुलाया था. और सबने उसे केवल गांड मारने के लिए ही निमंत्रण दिया था. अब दीप को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी, पर चूत का आनंद भी एक अनुभव होता है. दो घंटे ही चुदाई के बाद इस बार नानी ने उसे बुलाया.

“बेटा, अब तू जाने वाला है तो नानी की गांड का एक बार और उद्धार कर दे.” सुशीला ने भरे गले से कहा.

“नानी, आप चिंता न करो मैं आता रहूँगा। नहीं तो आप और नाना आ जाना हमारे घर.”

“ये तूने सही कहा. इनसे पूछूँगी.”

“वो आपको कौन सा मना करने वाले हैं?” दीप ने नानी की गांड में अपने लंड को डालते हुए कहा.

इसके बाद उसने पूरी श्रद्धा से नानी की गांड मारी और अपना रस उसमें छोड़कर उनके सीने पर सिर रखकर लेट गया. नानी उसके बालों को सहलाती रही. दीप ने आँखें बंद कर लीं और वो इस आत्मीयता में खो गया. कमरे में अब शांति थी. सब इस पड़ाव को पार कर चुके थे. दीप को लगा कि जैसे शांति कुछ भंग हुई हो. पर वो अपनी नानी से लिपटा रहा.

तभी उसने नानी को कहते हुए सुना, “ले, अब संभाल अपने बेटे को.”

उसने आँखें बंद ही रखीं पर अपने लंड पर किसी के होंठों का आभास हुआ. उसका लंड फिर से तन गया और उस मुंह ने उसे पूरा निगल लिया.

“कैसा लगा मेरी गांड का स्वाद अपने बेटे के लंड पर?” नानी ने बोला तो दीप ने अपनी आँखें खोल दी.

नीचे की ओर देखा तो उसकी आँखें फट गयीं. उसकी माँ ही थी जो सके लंड को चाट और चूस रही थी. वो नंगी थीं और उसके पापा खड़े देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे.

“मम्मी?”

“हाँ मैं ही हूँ. अब तो तो मुझसे गुस्सा नहीं है न तुझे यहां भेजने के लिए?”

“नहीं.” उसने अपने पिता को देखा जिन्होंने उसे आँख मारी और फिर मंजरी की ओर बढ़ गए.

दीप ने आँखें फिर से बंद कर लीं. उसका सपना जो साकार हो गया था. आज उसे अपनी माँ को चोदने का सुअवसर मिल रहा था.

जीवन के अद्भुत आनंद अब उसकी राह देख रहे थे. चारों ओर चुदाई का संगीत बज रहा था. वो अपनी नियति को पा कर प्रसन्न था.




समाप्त
 

gkapil

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Jabarjast nice story aapke hr story ki tarah SUPER hot 🔥🔥🔥
 

Rudra chawla

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भाई कहानी में gif और xxx फोटो लगाओ कहानी के हिसाब से कहानी अच्छी लगेगी
 
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