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Funny Dhamakedar News (fake)

Raj_sharma

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एक्स फोरम न्यूज: हिन्दी स्टोरी सेक्शन में आया भूचाल:
werewolf ने की Badsah the tale of debauchery कहानी को बंद करने की घोषणा!

मुंबई: Werewolf, जो अपनी मजेदार कहानियों के लिए मशहूर हैं, ने हाल ही में घोषणा की है कि वे अपनी चर्चित श्रंखला "बादशाह" को खत्म करने जा रहे हैं। उनका कहना है कि इस निर्णय के पीछे का कारण यह है कि पाठक अब लंबे कमेंट्स नहीं करते हैं। इसने लेखक की प्रेरणा को काफी हद तक घटा दिया है।

जब Werewolf ने यह खबर सुनाई, तो पाठकों के बीच खासी हलचल मच गई। खासकर Samar Singh, Rihanna, Avarn, और 69 अन्य पाठक बेहद नाराज हैं।

इनमें से Avarn का कहना है, "क्या हम सिर्फ इसलिए अपने विचार साझा नहीं करेंगे कि लेखक की प्रेरणा कम हो गई? यह तो हमारी स्वतंत्रता का हनन है!"

क्या है पूरा मामला?

Werewolf का आरोप है कि पाठक अब लम्बे कमेंट्स नहीं लिखते, जिससे उन्हें मोटिवेशन मिलना बंद हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनकी कहानियों को दरकिनार किया जा रहा है।

इस घोषणा के बाद, Avaran ने तो कमेंट्स न करने वाले पाठकों से अपने पी.एम. में आईडी और पासवर्ड मांगने का फैसला कर लिया है।
वह उन सभी की आईडी से समीक्षा करने की सोच रहे हैं, ताकि पता चल सके कि आखिर लोग क्यों चुप हैं।

पाठकों का नजरिया:

इस घोषणा पर पाठकों का रुख काफी नकारात्मक है। इसे लेकर कई पाठक सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रकट कर रहे हैं। एक पाठक ने लिखा, "क्या ये सचमुच एक लेखक का निर्णय है, या ये सिर्फ एक मजाक है?" दूसरा पाठक कहता है, "हमने लंबे कमेंट्स देने की कोशिश की, लेकिन कभी-कभी सोचने का समय नहीं मिलता।"

लेखक का पक्ष:

Werewolf ने अपने निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा, "मैं जानता हूं कि मेरी कहानियाँ मनोरंजन करती हैं, लेकिन जब पाठक खुद को व्यक्त नहीं करते, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं एकतरफा बातचीत कर रहा हूँ।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह अपने पाठकों की प्रतिक्रिया का सम्मान करते हैं, लेकिन वह एक रचनात्मक लेखक के रूप में अपने हितों की रक्षा करना भी जरूरी समझते हैं।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, Werewolf की घोषणा ने सभी को चौंका दिया है। क्या यह सिर्फ एक अल्पकालिक मुद्दा है या वास्तव में पाठकों की कमी के कारण वास्तविकता? यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है: "बादशाह" कहानी के बिना, पाठकों का मनोरंजन अधूरा रहेगा। अब देखना यह होगा कि Avarn का यह कमेंट्स संग्रह करने का निर्णय किस तरह से आगे बढ़ता है, और क्या पाठक अपने नजरिए में कोई बदलाव लाएंगे।

तो हमारे प्यारे Werewolf के पाठकों, क्या आप हमें बताते रहेंगे, या हमें आपके आईडी और पासवर्ड से आपके लिए कमेंट्स करने के लिए कहना पड़ेगा? यह सवाल विचारणीय है!
 
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Shivani guptaa

''We suffer more in imagination than in reality"
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Agasthya

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Raj_sharma

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अब आगे:

जैसे ही जयदीप की आवाज आई, कामिनी चौंक गई, उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा और उसे अपने गुप्तांग में कुछ महसूस हुआ ।

जैसे ही उसने अपने गुप्तांग में अपनी उंगली डाली तो जयदीप ने अपने दोनों हाथों से उसकी उंगली को पकड़ना चाहा पर कामरस से भीगा होने के कारण उसके हाथ फिसल गए।

जयदीप ने कामिनी को वही से आवाज दी के वो उसके गुप्तांग के पास उसके कामरस को चखने के लिए गया था परन्तु वह फिसलन इतनी थीं के फिसल गया और पूरा ही अंदर चला गया। और 3 दिन से वही चटकारे लेकर उसके कामरस को चाटने का आनंद ले रहा था। :lol1:


1759335632798-Screenshot-20251001-215011

‎ फिर कामिनी ने अपने हाथ से जयदीप को पकड़ कर बाहर निकाला तो वह जयदीप को देख कर चौंक गई।


जयदीप पूरा उसके कामरस से भीगा हुआ था। उसका चेहरा, उसके गला, उसका पूरा शरीर गाड़े सफेद पानी से भरा हुआ था और एक मादक सुगंध पूरे वातावरण में फैल गई थी।

कामिनी जयदीप को इसे देख उसे लिपट पड़ी और जयदीप ने भी उसे खुद से जकड लिया । ये मिलन ऐसा था जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल गया हो।

दोनों ही एक दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं थे। दोनों ने कस के एक दूसरे को जकड़ा हुआ था। कामिनी अपने ही गुप्तांग की सुगंध से मदहोश होने लगी और उसके जिस्म में आग भड़कने लगी ।


फिर थोड़ी देर बाद अचानक कामिनी को क्या सुझा के उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे किया जयदीप को देखने लगी और अपनी जीभ निकाल के उसके होंठो को चूसने लगी।

उसने जैसे ही जीभ उसके होंठो पर रखी तो उसने अपने कामरस का स्वाद चखा और बस उसके बाद वह नहीं रुकी, कभी जयदीप के होंठ, कभी उसके गाल, उसका गला, उसका सीना, जहां जहां भी चूमती और चाटती उसके जिस्म में आग भड़कने लगती।

जयदीप भी कहा पीछे रहने वाला था, वो भी कामिनी के चाटे हुए कामरस को उसी के मुंह से फिर से चाटने लगा, जयदीप ने कामिनी के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में ले लिया और उसे सांस लेने का भी मौका नहीं दिया।

बेचारी कामिनी अपनी ढलती उम्र के कारण ज्यादा सांस को रोक नहीं सकती थी, वो जयदीप को खुद से दूर करना चाह रही थी, उसके धकेल रही थी पर बुढ़ापे के कारण उसमें इतनी ताकत नहीं थी के वो उस जवान वहशी दरिंदे जयदीप को धकेल सके।

कामिनी की सांसे उखड़ने लगी, पर हवस के अंधे ठरकी जयदीप को कामिनी की हालत से क्या मतलब था, वो तो वासना में अंधा हो चुका था, वो लगातार उसके लटक चुके ढीले उरोजों को मसलने में लगा था।


अचानक से कामिनी ढीली पड़ने लगती है और उसकी प्रतिक्रिया आना बंद हो जाता है। :dazed:

आप सब की क्या प्रतिक्रिया है? क्या उस वहसी दरिन्दे जयदीप को उस बिचारी बुढिया के साथ ऐसा करना चाहिए था :sigh:
Werewolf 😊
 

Werewolf

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अब आगे:

जैसे ही जयदीप की आवाज आई, कामिनी चौंक गई, उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा और उसे अपने गुप्तांग में कुछ महसूस हुआ ।

जैसे ही उसने अपने गुप्तांग में अपनी उंगली डाली तो जयदीप ने अपने दोनों हाथों से उसकी उंगली को पकड़ना चाहा पर कामरस से भीगा होने के कारण उसके हाथ फिसल गए।

जयदीप ने कामिनी को वही से आवाज दी के वो उसके गुप्तांग के पास उसके कामरस को चखने के लिए गया था परन्तु वह फिसलन इतनी थीं के फिसल गया और पूरा ही अंदर चला गया। और 3 दिन से वही चटकारे लेकर उसके कामरस को चाटने का आनंद ले रहा था। :lol1:


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‎ फिर कामिनी ने अपने हाथ से जयदीप को पकड़ कर बाहर निकाला तो वह जयदीप को देख कर चौंक गई।


जयदीप पूरा उसके कामरस से भीगा हुआ था। उसका चेहरा, उसके गला, उसका पूरा शरीर गाड़े सफेद पानी से भरा हुआ था और एक मादक सुगंध पूरे वातावरण में फैल गई थी।

कामिनी जयदीप को इसे देख उसे लिपट पड़ी और जयदीप ने भी उसे खुद से जकड लिया । ये मिलन ऐसा था जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल गया हो।

दोनों ही एक दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं थे। दोनों ने कस के एक दूसरे को जकड़ा हुआ था। कामिनी अपने ही गुप्तांग की सुगंध से मदहोश होने लगी और उसके जिस्म में आग भड़कने लगी ।


फिर थोड़ी देर बाद अचानक कामिनी को क्या सुझा के उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे किया जयदीप को देखने लगी और अपनी जीभ निकाल के उसके होंठो को चूसने लगी।

उसने जैसे ही जीभ उसके होंठो पर रखी तो उसने अपने कामरस का स्वाद चखा और बस उसके बाद वह नहीं रुकी, कभी जयदीप के होंठ, कभी उसके गाल, उसका गला, उसका सीना, जहां जहां भी चूमती और चाटती उसके जिस्म में आग भड़कने लगती।

जयदीप भी कहा पीछे रहने वाला था, वो भी कामिनी के चाटे हुए कामरस को उसी के मुंह से फिर से चाटने लगा, जयदीप ने कामिनी के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में ले लिया और उसे सांस लेने का भी मौका नहीं दिया।

बेचारी कामिनी अपनी ढलती उम्र के कारण ज्यादा सांस को रोक नहीं सकती थी, वो जयदीप को खुद से दूर करना चाह रही थी, उसके धकेल रही थी पर बुढ़ापे के कारण उसमें इतनी ताकत नहीं थी के वो उस जवान वहशी दरिंदे जयदीप को धकेल सके।

कामिनी की सांसे उखड़ने लगी, पर हवस के अंधे ठरकी जयदीप को कामिनी की हालत से क्या मतलब था, वो तो वासना में अंधा हो चुका था, वो लगातार उसके लटक चुके ढीले उरोजों को मसलने में लगा था।


अचानक से कामिनी ढीली पड़ने लगती है और उसकी प्रतिक्रिया आना बंद हो जाता है। :dazed:

आप सब की क्या प्रतिक्रिया है? क्या उस वहसी दरिन्दे जयदीप को उस बिचारी बुढिया के साथ ऐसा करना चाहिए था :sigh:
Ju ne apne reader ko lapete me le liya? :sigh:
 
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Ju ne apne reader ko lapete me le liya? :sigh:
Reader ki baat nahi bas roj sath me hasi majaak karte the to thoda jyada ho gaya, and usme bhi clear name nahi hai uska, to usko galat nahi samajhna chahiye, lots of people there. Jaideep to du iya me bohot hain :D:
 
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