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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–42





वायु संरक्षण भेदकर हर वेंडिगो हमला कर रहा था। ऐसा लग रहा था हर वेंडिगो काट मंत्र के साथ हमला कर रहा हो। एक–दो सहायक के नाक में काला धुवां घुसा और उसके प्राण लेकर बाहर निकला। वहां पर तांत्रिक उध्यात और ऐडियाना का प्रकोप चारो ओर से घेर–घेर कर हमला शुरू कर चुका था। सिद्ध पुरुष ओमकार नारायण ने भी मोर्चा संभाला। एक साथ 5 संन्यासी और दोनो सिद्ध पुरुष के मुख से मंत्र इस प्रकार निकल रहे थे, जैसे कोई भजन चल रहा हो। हर मंत्र के छंद का अंत होते ही १० सहायक एक साथ अपने झोले से कुछ विभूति निकालते और भूमि पर पटक देते।


भूमि पर विभूति पटकने के साथ ही नाना प्रकार की असंख्य चीजें धुवां का रूप लेकर निकलती। किसी धुएं से असंख्य उजले से साये निकल रहे थे। उनका स्वरूप ऐडियाना के आसमान से ऊंची आकृति को एक साथ ढक रही थी। आस–पास मंडराते काले साये को पूरा गिल जाते। किसी विभूति के विस्फोट से असंख्य उजले धुएं के शेर निकले। अनगिनत शेर एक बार में ही इतनी तेजी से उस बर्फ के मैदान पर फैले, की पूरा मैदान में वेंडिगो उस साये वाले शेर से उलझ गये। देखते ही देखते वेंडिगो की संख्या विलुप्त हो रही थी। रक्त, पुष्प, जल, मेघ, बिजली और अग्नि सब उस विभूति की पटक से निकले और तांत्रिक के अग्नि, बिजली और श्वेत वर्षा को शांत करते उल्टा हमला करने लगे.…


आर्यमणि और निशांत के लिए तो जैसे कोई पौराणिक कथा का कोई युद्ध आंखों के सामने चल रहा हो। दोनो ने अपने हाथ जोड़ लिये। "हमे भी कुछ करना चाहिए आर्य, वरना हमारे यहां होने का क्या अर्थ निकलता है"…. "हां निशांत तुमने सही कहा। उनके पास मंत्र शक्ति है और मेरे पास बाहुबल, हम मिलकर आगे बढ़ते है।"


निशांत:– मेरे पास भ्रमित अंगूठी है, और ट्रैप करने का समान। देखता हूं इनसे क्या कर सकता हूं।


अगले ही पल पर्वत को भी झुका दे ऐसी दहाड़ उन फिजाओं में गूंजने लगी। एक पल तो दोनो पक्ष बिलकुल शांत होकर बस उस दहाड़ को ही सुन रहे थे... दहाड़ते हुए बिजली की तेजी से आर्यमणि बीच रण में खड़ा था और उसके ठीक सामने थी महाजनिका। 1 सिद्ध पुरुष 5 और संन्यासियों को लेकर आर्यमणि के ओर रुख किया।


मंत्र से मंत्र टकरा रहे थे। चारो ओर विस्फोट का माहोल था। वेंडिगो साये के बने शेर के साथ भीड़ रहे थे। हर शेर वेंडिगो को निगलता और विजय दहाड़ के साथ गायब हो जाता। ऐडियाना का भव्य साया, असंख्य उजले साये से बांधते हुये धीरे–धीरे छोटा होने लगा था। तांत्रिक अध्यात और उसके हजार चेले भी डटे हुये थे। मंत्र से मंत्र का काट हो रहा था। इधर सिद्ध पुरुष के १० सहायकों में से एक सहायक की जान जाती तो उधर अध्यात के २०० चेले दुनिया छोड़ चुके होते।


२०० चेलों की आहुति देने के बाद भी तांत्रिक अध्यात अपने पूरे उत्साह में था। क्योंकि उसे पता था कि आगे क्या होने वाला है। उसे पता था कि फिलहाल १० हाथियों की ताकत के साथ जब महाजनिका आगे बढ़ेगी तब यहां सभी की लाश बिछी होगी। और कुछ ऐसा शायद हो भी रहा था। आर्यमणि, महाजनिका के ठीक सामने और महाजनिका मुख से मंत्र पढ़ती अपने सामने आये आर्यमणि को फुटबॉल समझकर लात मार दी। आर्यमणि उसके इस प्रहार से कोसों दूर जाकर गिरा। न केवल आर्यमणि वरन एक सिद्ध पुरुष जो अपने 5 संन्यासियों के साथ महाजनिका के मंत्र काट रहा था। उनका काट मंत्र इतना कमजोर था कि मंत्र काटने के बाद भी उसके असर के वजह वह सिद्ध पुरुष मिलो दूर जाकर गिरा। शायद उस साधु के प्राण चले गये होते, यदि आर्यमणि अपने हाथ की पुर्नस्थापित अंगूठी उसके ऊपर न फेंका होता और वह अंगूठी उस साधु ने पकड़ी नही होती।


सिद्ध पुरुष जैसे ही गिरा मानो वह फट सा गया, लेकिन अगले ही पल वह उठकर खड़ा भी हो गया। एक नजर आर्यमणि और सिद्ध पुरुष के टकराये और नजरों से जैसे उन्होंने आर्यमणि का अभिवादन किया हो। लेकिन युद्ध के मैदान में जैसे महाजनिका काल बन गई थी। एक सिद्ध पुरुष का मंत्र जाप बंद क्या हुआ, अगले ही पल महाजनिका अपने मंत्र से पांचों संन्यासियों को मार चुकी थी। 5 संन्यासियों और 10 सहायकों के साथ ओमकार नारायण दोनो ओर का मोर्चा संभाले थे। लेकिन महाजनिका अपने खोये सिद्धि और कम बाहुबल केl साथ भी इन सब से कई गुणा खतरनाक थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि महाजनिका अकेले ही सभी मंत्रो को काटती हुई आगे बढ़ी और देखते ही देखते पर्वत समान ऊंची हो गई। उसका स्वरूप मानो किसी राक्षसी जैसा था। विशाल विकराल रूप और एक ही बार में ऐसा हाथ चलाई की उसकी चपेट में सभी आ गये। जमीन ऐसा कांपा की उसकी कंपन मिलो दूर तक मेहसूस हुई।


आर्यमणि कुछ देख तो नहीं पाया लेकिन वह सिद्ध पुरुष को अपने पीठ पर उठाकर बिजली समान तेजी से दौड़ लगा चुका था। उसने साधु को ऐडियाना के कब्र के पास छोड़ा और दौड़ लगाते हुए महाजनिका के ठीक पीछे पहुंचा। यूं तो आर्यमणि, महाजनिका के टखने से ऊंचा नही था, लेकिन उसका हौसला महाजनिका के ऊंचाई से भी कई गुणा ज्यादा बड़ा था। शेप शिफ्ट नही हुआ लेकिन झटके से हथेली खोलते ही धारदार क्ला बाहर आ गया। और फिर देखते ही देखते क्षण भर में आर्यमणी क्ला घुसाकर पूरे तेजी से गर्दन के नीचे तक पहुंच गया। आगे से तो महाजनिका बहुत हाथ पाऊं मार रही थी। मंत्र उच्चारण भी जारी था। पास खड़ा तांत्रिक अध्यात भी अब अपने मंत्रों की बौछार आर्यमणि पर कर रहा था। आर्यमणि जब ऊपर के ओर बढ़ रहा था तब बिजली बरसे, अग्नि की लपटे उठी, लेकिन कोई भी आर्यमणि की चढ़ाई को रोक न सका। जब आर्यमणि, महाजनिका के गर्दन के नीचे पहुंचा, फिर दोनो मुठ्ठी में महाजनिका के बाल को दबोचकर, एक जोरदार लात उसके पीठ पर मारा। पीठ पर वह इतना तेज प्रहार था कि महाजनिका आगे के ओर झुक गई, वहीं आर्यमणि बालों को मुट्ठी में दबोचे पीछे से आगे आ गया और इस जोड़ का बल नीचे धरातल को ओर लगाया की महाजनिका के गर्दन की हड्डियों से कर–कर–कर कर्राने की आवाज आने लगी। जोर इतना था की गर्दन नीचे झुकते चला गया। शायद टूट गई होती यदि वह घुटनों पर नही आती। महाजनिका घुटनों पर और उसका सर पूरा बर्फ में घुसा दिया।


क्या बाहुबल का प्रदर्शन था। महाजनिका अगले ही पल अपने वास्तविक रूप में आयि और सीधी खड़ी होकर घूरती नजरों से आर्यमणि को देखती... "इतना दुस्साहस".. गुस्से से बिलबिलाती महाजनिका एक बार फिर अपना पाऊं चला दी। पता नही कहां से और कैसे नयि ऊर्जा आर्यमणि में आ गई। आर्यमणि एक कदम नहीं चला। जहां खड़ा था उसी धरातल पर अपने पाऊं को जमाया और ज्यों ही अपने ऊपरी बदन को उछाला वह हवा में था। १० हाथियों की ताकत वाली महाजनिका, आर्यमणि को फुटबॉल की तरह उड़ाने के लिए लात चलायि। लेकिन ठीक उसी पल आर्यमणि एक लंबी उछाल लेकर कई फिट ऊपर हवा में था। और जब वह नीचे महाजनिका के चेहरे के सामने पहुंचा, फिर तो महाजनिका का बदन कोई रूई था और आर्यमणि का क्ला कोई रूई धुनने की मशीन। पंजे फैलाकर जो ही बिजली की रफ्तार से चमरी उधेरा, पूरा शरीर लह–लुहान हो गया। महाजनिका घायल अवस्था में और भी ज्यादा खूंखार होती अपना 25000 किलो वजनी वाला मुक्का आर्यमणि के चेहरे पर चला दी।


आर्यमणि वह मुक्का अपने पंजे से रोका। उसके मुक्के को अपने चंगुल में दबोचकर कलाई को ही उल्टा मरोड़ दिया। कर–कर की आवाज के साथ हड्डी का चटकना सुना जा सकता था। उसके बाद तो जैसे कोई बॉक्सर अपनी सामान्य रफ्तार से १०० गुणा ज्यादा रफ्तार में जैसे बॉक्सिंग बैग पर पंच मारता हो, ठीक उसी प्रकार का नजारा था। हाथ दिख ना रहे थे। आर्यमणि का मुक्का कहां और कब लगा वह नही दिख रहा था। बस हर सेकंड में सैकड़ों विस्फोट की आवाज महाजनिका के शरीर से निकल रही थी।


वहीं कुछ वक्त पूर्व जब दूसरे सिद्ध पुरुष के हाथ में जैसे ही पुनर्स्थापित अंगूठी आयि, उसने सबसे पहले अपने सभी साथियों को ही सुरक्षित किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि महाजनिका के चपेट में आने के बाद भी वह सभी के सभी उठ खड़े हुये और इसी के साथ यह भेद भी खुल गया की पुर्नस्थापित अंगूठी कब्र में नही है। तांत्रिक अध्यात समझ चुका था कि वह युद्ध हार चुका है। लेकिन इस से पहले की वह भागता, महाजनिका, आर्यमणि के साथ लड़ाई आरंभ कर चुकी थी। मंत्र उच्चारण वह कर रही थी, लेकिन सिद्ध पुरुष उसके मंत्र को काट रहे थे और आर्यमणि अपने बाहुबल से अपना परिचय दे रहा था। कुछ देर ही उसने महाजनिका पर मुक्का चलाया था और जब आर्यमणि रुका महाजनिका अचेत अवस्था में धम्म से गिरी।


तांत्रिक अध्यात और उसके कुछ साथी पहले से ही तैयार थे। जैसे ही महाजनिका धरातल पर गिरी ठीक उसी पल ऐडियाना के मकबरे से बहरूपिया चोगा और बिजली की खंजर हवा में आ गयि। हवा में आते ही उसे हासिल करने के लिए दोनो ओर से लड़ाई एक बार फिर भीषण हो गयि। सबका ध्यान ऐडियाना की इच्छा पर थी और इसी बीच तांत्रिक अध्यात एक नया द्वार (पोर्टल) खोल दिया। वस्तु खींचने का जादू दोनो ओर से चल रहा था। एक दूसरे को घायल करने अथवा मारने की कोशिश लगातार हो रही थी। ठीक उसी वक्त आर्यमणि थोड़ा सा विश्राम की स्थिति में आया था। तांत्रिक अध्यात का इशारा हुआ और महाजनिका लहराती हुई निकली।


इसके पूर्व निशांत जो इस पूरे एक्शन का मजा ले रहा था, उसे दूर से ही तांत्रिक अध्यात की चालबाजी नजर आ गयि। उसने भी थोड़ा सा दौड़ लगाया और हवा में छलांग लगाकर जैसे ही खुद पर सुरक्षा मंत्र पढ़ा, वह हवा में उड़ गया। तेजी के साथ उसने भागने वाले रास्ते पर छोटे–छोटे ट्रैप वायर के मैट बिछा दिये और जैसे ही नीचे पहुंचा सभी किनारे पर कील ठोकने वाली गन से कील को फायर करते हर मैट को चारो ओर से ठोक दिया।


महाजनिका जब द्वार के ओर भाग रही थी तभी उसे रास्तों में बिछी ट्रैप वायर दिख गई। वह तो हवा में लहराती हुई पोर्टल में घुसी और घुसने के साथ खींचने का ताकतवर मंत्र चला दी। नतीजा यह निकला कि पोर्टल में घुसते समय बिजली की खंजर उसके हाथ में थी और बहरूपिया चोगा दो दिशाओं की खींचा तानी में फट गया। महाजनिका तो भाग गयि लेकिन तांत्रिक और उसके गुर्गे भागते हुए ट्रैप वायर में फंस गये। एक तो गिरते वक्त मजबूत मंत्र उच्चारण टूटा और छोटे से मौके को सिद्ध पुरुष ओमकार नारायण भुनाते हुये एक पल में ही तांत्रिक को उसके घुटने पर ले आये। नुकसान दोनो ओर से हुआ था। कहीं कम तो कहीं ज्यादा। महाजनिका जब भाग रही थी, तब उसके पीछे आर्यमणि भी जा रहा था, लेकिन उसे दूसरे सिद्ध पुरुष ने रोक लिया।


माहोल बिलकुल शांत हो गया था। बचे सभी तांत्रिक को बंदी बनाकर ले जाने की तैयारी चल रही थी। एक द्वार (portal) सिद्ध पुरुष ने भी खोला। वहां केवल एक संन्यासी जो आर्यमणि से शुरू से बात कर रहा था, उसे छोड़कर बाकी सब उस द्वार से चले गये। जाते हुये सभी आर्यमणि को शौर्य और वीरता पर बधाई दे रहे थे और उसकी मदद के लिये हृदय से आभार भी प्रकट कर रहे थे। उस जगह पर अब केवल ३ लोग बचे थे। संन्यासी, आर्यमणि और निशांत।


निशांत:– यहां का माहोल कितना शांत हो गया न...


संन्यासी:– हां लेकिन एक काम अब भी बचा है। जादूगरनी (ऐडियाना) को मोक्ष देना...


निशांत:– क्या उसकी आत्मा अब भी यहीं है।



संन्यासी:– हां अब भी यहीं है और ज्यादा देर तक बंधी भी नही रहेगी। मुझे कुछ वक्त दो, फिर साथ चलते हैं...


संन्यासी अपना काम करने चल दिये। सफेद बर्फीले जगह पर केवल २ लोग बचे थे.… "आर्य क्या तुमने यह जगह पहले भी देखी है?"


आर्यमणि:– नही, ये रसिया का कोई बर्फीला मैदान है, जहां बर्फ जमी है। मैने रसिया का बोरियाल जंगल देखा है। वैसे तूने क्या सोचा...


निशांत:– किस बारे में...


आर्यमणि:– खोजी बनने के बारे में...


निशांत:– अगर मुझे ये लोग उस लायक समझेंगे तब तो मेरे लिए खुशकिस्मती होगी...


"किसी काम की तलाश में गये व्यक्ति को जितनी नौकरी की जरूरत होती है। नौकरी देने वाले को उस से कहीं ज्यादा एक कर्मचारी की जरूरत होती है। और अच्छे कर्मचारी की जरूरत कुछ ऐसी है कि रात के १२ बजे नौकरी ले लो.… क्या समझे"....


निशांत:– यही की आप संन्यासी कम और कर्मचारी से पीड़ित मालिक ज्यादा लग रहे।


सन्यासी:– मेरा नाम शिवम है और कैलाश मठ की ओर से हम, तुम्हे अपना खोजी बनाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहते हैं? राह बिलकुल आसन नहीं होगी। कर्म पथ पर चलते हुए हो सकता है कि किसी दिन तुम्हारा दोस्त गलत के साथ खड़ा रहे और तुम्हे उसके विरुद्ध लड़ना पड़े? तो क्या ऐसे मौकों पर भी तुम हमारे साथ खड़े रहोगे?


निशांत:– हां बिलकुल.... आपके प्रस्ताव और आपके व्याख्या की हुई परिस्थिति, दोनो के लिए उत्तर हां है।


संन्यासी:– जितनी आसानी से कह गये, क्या उतनी आसानी से कर पाओगे...


निशांत:– क्यों नही... वास्तविक परिस्थिति में यदि आर्यमणि मेरे नजरों में दोषी होगा, तब मैं ही वो पहला रहूंगा जो इसके खिलाफ खड़ा मिलेगा। यदि आर्य मेरी नजर में दोषी नहीं, फिर मैं सच के साथ खड़ा रहूंगा... क्योंकि गीता में एक बात बहुत प्यारी बात लिखी है...


संन्यासी:– क्या?


निशांत:– जो मेरे लिये सच है वही किसी और के लिये सच हो, जरूरी नहीं… एक लड़का पहाड़ से गिरा... मैं कहूंगा आत्महत्या है, कोई कह सकता है एक्सीडेंट है... यहां पर जो "मरा" वो सच है... लेकिन हर सच का अपना–अपना नजरिया होता है और हर पक्ष अपने हिसाब से सही होता हैं।


संन्यासी शिवम:– और यदि इसी उधारहण में मैं कह दूं की लड़का अपने आत्महत्या के बारे में लिखकर गया था।


निशांत:– मैं कह सकता हूं कि जरूर किसी की साजिश है, और पहाड़ी की चोटी से धक्का देकर उसका कत्ल किया गया है। क्योंकि वह लड़का आत्महत्या करने वालों में से नही था।


संन्यासी:– ठीक है फिर कल से तुम्हारा प्रशिक्षण शुरू हो जायेगा। जब हम अलग हो रहे हो, तब तुम अपनी पुस्तक ले लेना निशांत।


निशांत:– क्यों आप भी हमारे साथ कहीं चल रहे है क्या?


संन्यासी:– नही यहां आने से पहले आर्यमणि के बहुत से सवाल थे शायद। बस उन्ही का जवाब देते–देते जहां तक जा सकूं...


आर्यमणि:– संन्यासी शिवम जी, अब बहुत कुछ जानने या समझने की इच्छा नही रही। इतना तो समझ में आ गया की आपकी और मेरी दुनिया बिलकुल अलग है। और आप सब सच्चे योद्धा हैं, जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हो। अब आप सबके विषय में अभी नहीं जानना। मेरा दोस्त है न, वो बता देगा... बस जिज्ञासा सिर्फ एक बात की है... जिस रोचक तथ्य के किताब में मुझे रीछ स्त्री मिली, वह पूरा इतिहास ही गलत था।


संन्यासी शिवम:– "वहां लिखी हर बात सच थी। किंतु अलग–अलग सच्ची घटना को एक मुख्य घटना से जोड़कर पूरी बात लिखी गयि है। और वह किताब भी हाल के ही वर्षों में लिखी गयि थी। जिस क्षेत्र में रीछ स्त्री महाजनिका बंधी थी, उस क्षेत्र को तो गुरुओं ने वैसे भी बांध रखा होगा। एक भ्रमित क्षेत्र जहां लोग आये–जाये, कोई परेशानी नही हो। यदि कोई प्रतिबंधित क्षेत्र होता तब उसे ढूंढना बिलकुल ही आसान नहीं हो जाता"

"तांत्रिक अध्यात, ऐसे घराने से आता है जिसका पूर्वज रीछ स्त्री का सेवक था। महाजनिका को ढूंढने के लिये इनके पूर्वजों ने जमीन आसमान एक कर दिया। हजारों वर्षों से यह तांत्रिक घराना रीछ स्त्री को ढूंढ रहे थे। पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संस्कृति, अपना ज्ञान और अपनी खोज बच्चों को सिखाते रहे। आखिरकार तांत्रिक अध्यात को रीछ स्त्री महाजनिका का पता चल ही गया।"


आर्यमणि:– बीच में रोकना चाहूंगा... यदि ये लोग खोजी है, तो खोज के दौरान इन्हे अलौकिक वस्तु भी मिली होगी? और जब वो लोग रीछ स्त्री की भ्रमित जगह ढूंढ सकते है, फिर उन्हे पारीयान का तिलिस्म क्यों नही मिला?


संन्यासी शिवम:– मेरे ख्याल से जब पारीयान की मृत्यु हुई होगी तब तक वो लोग हिमालय का पूरा क्षेत्र छान चुके होंगे। रीछ स्त्री लगभग 5000 वर्ष पूर्व कैद हुई थी और पारीयान तो बस 600 वर्ष पुराना होगा। हमारे पास पारीयान का तो पूरा इतिहास ही है। तांत्रिक सबसे पहले वहीं से खोज शुरू करेगा जो हमारा केंद्र था। और जिस जगह तुम्हे पारीयान का तिलिस्म मिला था, हिमालय का क्षेत्र, वह तो सभी सिद्ध पुरुषों के शक्ति का केंद्र रहा है। वहां के पूरे क्षेत्र को तो वो लोग इंच दर इंच कम से कम 100 बार और हर तरह के जाल को तोड़ने वाले 100 तरह के मंत्रों से ढूंढकर पहले सुनिश्चित हुये होंगे। इसलिए पारीयान का खजाना वहां सुरक्षित रहा। वरना यदि पुर्नस्थापित अंगूठी तांत्रिक मिल गयि होती तो तुम सोच भी नही सकते की महाजनिका क्या उत्पात मचा सकती थी।
युद्ध समाप्त हुआ
कुछ रहस्य उजागर हुए फिर नए रहस्य के तानाबाना लिए
गुरु शिवम निशांत को प्रशिक्षण देने के लिए उसे खोजी बनाने के लिए तैयार हो गए
पर क्या ऐसा भी वक़्त आएगा जब दो परम मित्र एक दुसरे के विपक्ष होंगे
सत्य हो निशांत के लिए होगा
आर्यमणि के लिए सत्य कुछ और होगा
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति रहा nain11ster भाई
 

Mahendra Baranwal

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भाग:–42





वायु संरक्षण भेदकर हर वेंडिगो हमला कर रहा था। ऐसा लग रहा था हर वेंडिगो काट मंत्र के साथ हमला कर रहा हो। एक–दो सहायक के नाक में काला धुवां घुसा और उसके प्राण लेकर बाहर निकला। वहां पर तांत्रिक उध्यात और ऐडियाना का प्रकोप चारो ओर से घेर–घेर कर हमला शुरू कर चुका था। सिद्ध पुरुष ओमकार नारायण ने भी मोर्चा संभाला। एक साथ 5 संन्यासी और दोनो सिद्ध पुरुष के मुख से मंत्र इस प्रकार निकल रहे थे, जैसे कोई भजन चल रहा हो। हर मंत्र के छंद का अंत होते ही १० सहायक एक साथ अपने झोले से कुछ विभूति निकालते और भूमि पर पटक देते।


भूमि पर विभूति पटकने के साथ ही नाना प्रकार की असंख्य चीजें धुवां का रूप लेकर निकलती। किसी धुएं से असंख्य उजले से साये निकल रहे थे। उनका स्वरूप ऐडियाना के आसमान से ऊंची आकृति को एक साथ ढक रही थी। आस–पास मंडराते काले साये को पूरा गिल जाते। किसी विभूति के विस्फोट से असंख्य उजले धुएं के शेर निकले। अनगिनत शेर एक बार में ही इतनी तेजी से उस बर्फ के मैदान पर फैले, की पूरा मैदान में वेंडिगो उस साये वाले शेर से उलझ गये। देखते ही देखते वेंडिगो की संख्या विलुप्त हो रही थी। रक्त, पुष्प, जल, मेघ, बिजली और अग्नि सब उस विभूति की पटक से निकले और तांत्रिक के अग्नि, बिजली और श्वेत वर्षा को शांत करते उल्टा हमला करने लगे.…


आर्यमणि और निशांत के लिए तो जैसे कोई पौराणिक कथा का कोई युद्ध आंखों के सामने चल रहा हो। दोनो ने अपने हाथ जोड़ लिये। "हमे भी कुछ करना चाहिए आर्य, वरना हमारे यहां होने का क्या अर्थ निकलता है"…. "हां निशांत तुमने सही कहा। उनके पास मंत्र शक्ति है और मेरे पास बाहुबल, हम मिलकर आगे बढ़ते है।"


निशांत:– मेरे पास भ्रमित अंगूठी है, और ट्रैप करने का समान। देखता हूं इनसे क्या कर सकता हूं।


अगले ही पल पर्वत को भी झुका दे ऐसी दहाड़ उन फिजाओं में गूंजने लगी। एक पल तो दोनो पक्ष बिलकुल शांत होकर बस उस दहाड़ को ही सुन रहे थे... दहाड़ते हुए बिजली की तेजी से आर्यमणि बीच रण में खड़ा था और उसके ठीक सामने थी महाजनिका। 1 सिद्ध पुरुष 5 और संन्यासियों को लेकर आर्यमणि के ओर रुख किया।


मंत्र से मंत्र टकरा रहे थे। चारो ओर विस्फोट का माहोल था। वेंडिगो साये के बने शेर के साथ भीड़ रहे थे। हर शेर वेंडिगो को निगलता और विजय दहाड़ के साथ गायब हो जाता। ऐडियाना का भव्य साया, असंख्य उजले साये से बांधते हुये धीरे–धीरे छोटा होने लगा था। तांत्रिक अध्यात और उसके हजार चेले भी डटे हुये थे। मंत्र से मंत्र का काट हो रहा था। इधर सिद्ध पुरुष के १० सहायकों में से एक सहायक की जान जाती तो उधर अध्यात के २०० चेले दुनिया छोड़ चुके होते।


२०० चेलों की आहुति देने के बाद भी तांत्रिक अध्यात अपने पूरे उत्साह में था। क्योंकि उसे पता था कि आगे क्या होने वाला है। उसे पता था कि फिलहाल १० हाथियों की ताकत के साथ जब महाजनिका आगे बढ़ेगी तब यहां सभी की लाश बिछी होगी। और कुछ ऐसा शायद हो भी रहा था। आर्यमणि, महाजनिका के ठीक सामने और महाजनिका मुख से मंत्र पढ़ती अपने सामने आये आर्यमणि को फुटबॉल समझकर लात मार दी। आर्यमणि उसके इस प्रहार से कोसों दूर जाकर गिरा। न केवल आर्यमणि वरन एक सिद्ध पुरुष जो अपने 5 संन्यासियों के साथ महाजनिका के मंत्र काट रहा था। उनका काट मंत्र इतना कमजोर था कि मंत्र काटने के बाद भी उसके असर के वजह वह सिद्ध पुरुष मिलो दूर जाकर गिरा। शायद उस साधु के प्राण चले गये होते, यदि आर्यमणि अपने हाथ की पुर्नस्थापित अंगूठी उसके ऊपर न फेंका होता और वह अंगूठी उस साधु ने पकड़ी नही होती।


सिद्ध पुरुष जैसे ही गिरा मानो वह फट सा गया, लेकिन अगले ही पल वह उठकर खड़ा भी हो गया। एक नजर आर्यमणि और सिद्ध पुरुष के टकराये और नजरों से जैसे उन्होंने आर्यमणि का अभिवादन किया हो। लेकिन युद्ध के मैदान में जैसे महाजनिका काल बन गई थी। एक सिद्ध पुरुष का मंत्र जाप बंद क्या हुआ, अगले ही पल महाजनिका अपने मंत्र से पांचों संन्यासियों को मार चुकी थी। 5 संन्यासियों और 10 सहायकों के साथ ओमकार नारायण दोनो ओर का मोर्चा संभाले थे। लेकिन महाजनिका अपने खोये सिद्धि और कम बाहुबल केl साथ भी इन सब से कई गुणा खतरनाक थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि महाजनिका अकेले ही सभी मंत्रो को काटती हुई आगे बढ़ी और देखते ही देखते पर्वत समान ऊंची हो गई। उसका स्वरूप मानो किसी राक्षसी जैसा था। विशाल विकराल रूप और एक ही बार में ऐसा हाथ चलाई की उसकी चपेट में सभी आ गये। जमीन ऐसा कांपा की उसकी कंपन मिलो दूर तक मेहसूस हुई।


आर्यमणि कुछ देख तो नहीं पाया लेकिन वह सिद्ध पुरुष को अपने पीठ पर उठाकर बिजली समान तेजी से दौड़ लगा चुका था। उसने साधु को ऐडियाना के कब्र के पास छोड़ा और दौड़ लगाते हुए महाजनिका के ठीक पीछे पहुंचा। यूं तो आर्यमणि, महाजनिका के टखने से ऊंचा नही था, लेकिन उसका हौसला महाजनिका के ऊंचाई से भी कई गुणा ज्यादा बड़ा था। शेप शिफ्ट नही हुआ लेकिन झटके से हथेली खोलते ही धारदार क्ला बाहर आ गया। और फिर देखते ही देखते क्षण भर में आर्यमणी क्ला घुसाकर पूरे तेजी से गर्दन के नीचे तक पहुंच गया। आगे से तो महाजनिका बहुत हाथ पाऊं मार रही थी। मंत्र उच्चारण भी जारी था। पास खड़ा तांत्रिक अध्यात भी अब अपने मंत्रों की बौछार आर्यमणि पर कर रहा था। आर्यमणि जब ऊपर के ओर बढ़ रहा था तब बिजली बरसे, अग्नि की लपटे उठी, लेकिन कोई भी आर्यमणि की चढ़ाई को रोक न सका। जब आर्यमणि, महाजनिका के गर्दन के नीचे पहुंचा, फिर दोनो मुठ्ठी में महाजनिका के बाल को दबोचकर, एक जोरदार लात उसके पीठ पर मारा। पीठ पर वह इतना तेज प्रहार था कि महाजनिका आगे के ओर झुक गई, वहीं आर्यमणि बालों को मुट्ठी में दबोचे पीछे से आगे आ गया और इस जोड़ का बल नीचे धरातल को ओर लगाया की महाजनिका के गर्दन की हड्डियों से कर–कर–कर कर्राने की आवाज आने लगी। जोर इतना था की गर्दन नीचे झुकते चला गया। शायद टूट गई होती यदि वह घुटनों पर नही आती। महाजनिका घुटनों पर और उसका सर पूरा बर्फ में घुसा दिया।


क्या बाहुबल का प्रदर्शन था। महाजनिका अगले ही पल अपने वास्तविक रूप में आयि और सीधी खड़ी होकर घूरती नजरों से आर्यमणि को देखती... "इतना दुस्साहस".. गुस्से से बिलबिलाती महाजनिका एक बार फिर अपना पाऊं चला दी। पता नही कहां से और कैसे नयि ऊर्जा आर्यमणि में आ गई। आर्यमणि एक कदम नहीं चला। जहां खड़ा था उसी धरातल पर अपने पाऊं को जमाया और ज्यों ही अपने ऊपरी बदन को उछाला वह हवा में था। १० हाथियों की ताकत वाली महाजनिका, आर्यमणि को फुटबॉल की तरह उड़ाने के लिए लात चलायि। लेकिन ठीक उसी पल आर्यमणि एक लंबी उछाल लेकर कई फिट ऊपर हवा में था। और जब वह नीचे महाजनिका के चेहरे के सामने पहुंचा, फिर तो महाजनिका का बदन कोई रूई था और आर्यमणि का क्ला कोई रूई धुनने की मशीन। पंजे फैलाकर जो ही बिजली की रफ्तार से चमरी उधेरा, पूरा शरीर लह–लुहान हो गया। महाजनिका घायल अवस्था में और भी ज्यादा खूंखार होती अपना 25000 किलो वजनी वाला मुक्का आर्यमणि के चेहरे पर चला दी।


आर्यमणि वह मुक्का अपने पंजे से रोका। उसके मुक्के को अपने चंगुल में दबोचकर कलाई को ही उल्टा मरोड़ दिया। कर–कर की आवाज के साथ हड्डी का चटकना सुना जा सकता था। उसके बाद तो जैसे कोई बॉक्सर अपनी सामान्य रफ्तार से १०० गुणा ज्यादा रफ्तार में जैसे बॉक्सिंग बैग पर पंच मारता हो, ठीक उसी प्रकार का नजारा था। हाथ दिख ना रहे थे। आर्यमणि का मुक्का कहां और कब लगा वह नही दिख रहा था। बस हर सेकंड में सैकड़ों विस्फोट की आवाज महाजनिका के शरीर से निकल रही थी।


वहीं कुछ वक्त पूर्व जब दूसरे सिद्ध पुरुष के हाथ में जैसे ही पुनर्स्थापित अंगूठी आयि, उसने सबसे पहले अपने सभी साथियों को ही सुरक्षित किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि महाजनिका के चपेट में आने के बाद भी वह सभी के सभी उठ खड़े हुये और इसी के साथ यह भेद भी खुल गया की पुर्नस्थापित अंगूठी कब्र में नही है। तांत्रिक अध्यात समझ चुका था कि वह युद्ध हार चुका है। लेकिन इस से पहले की वह भागता, महाजनिका, आर्यमणि के साथ लड़ाई आरंभ कर चुकी थी। मंत्र उच्चारण वह कर रही थी, लेकिन सिद्ध पुरुष उसके मंत्र को काट रहे थे और आर्यमणि अपने बाहुबल से अपना परिचय दे रहा था। कुछ देर ही उसने महाजनिका पर मुक्का चलाया था और जब आर्यमणि रुका महाजनिका अचेत अवस्था में धम्म से गिरी।


तांत्रिक अध्यात और उसके कुछ साथी पहले से ही तैयार थे। जैसे ही महाजनिका धरातल पर गिरी ठीक उसी पल ऐडियाना के मकबरे से बहरूपिया चोगा और बिजली की खंजर हवा में आ गयि। हवा में आते ही उसे हासिल करने के लिए दोनो ओर से लड़ाई एक बार फिर भीषण हो गयि। सबका ध्यान ऐडियाना की इच्छा पर थी और इसी बीच तांत्रिक अध्यात एक नया द्वार (पोर्टल) खोल दिया। वस्तु खींचने का जादू दोनो ओर से चल रहा था। एक दूसरे को घायल करने अथवा मारने की कोशिश लगातार हो रही थी। ठीक उसी वक्त आर्यमणि थोड़ा सा विश्राम की स्थिति में आया था। तांत्रिक अध्यात का इशारा हुआ और महाजनिका लहराती हुई निकली।


इसके पूर्व निशांत जो इस पूरे एक्शन का मजा ले रहा था, उसे दूर से ही तांत्रिक अध्यात की चालबाजी नजर आ गयि। उसने भी थोड़ा सा दौड़ लगाया और हवा में छलांग लगाकर जैसे ही खुद पर सुरक्षा मंत्र पढ़ा, वह हवा में उड़ गया। तेजी के साथ उसने भागने वाले रास्ते पर छोटे–छोटे ट्रैप वायर के मैट बिछा दिये और जैसे ही नीचे पहुंचा सभी किनारे पर कील ठोकने वाली गन से कील को फायर करते हर मैट को चारो ओर से ठोक दिया।


महाजनिका जब द्वार के ओर भाग रही थी तभी उसे रास्तों में बिछी ट्रैप वायर दिख गई। वह तो हवा में लहराती हुई पोर्टल में घुसी और घुसने के साथ खींचने का ताकतवर मंत्र चला दी। नतीजा यह निकला कि पोर्टल में घुसते समय बिजली की खंजर उसके हाथ में थी और बहरूपिया चोगा दो दिशाओं की खींचा तानी में फट गया। महाजनिका तो भाग गयि लेकिन तांत्रिक और उसके गुर्गे भागते हुए ट्रैप वायर में फंस गये। एक तो गिरते वक्त मजबूत मंत्र उच्चारण टूटा और छोटे से मौके को सिद्ध पुरुष ओमकार नारायण भुनाते हुये एक पल में ही तांत्रिक को उसके घुटने पर ले आये। नुकसान दोनो ओर से हुआ था। कहीं कम तो कहीं ज्यादा। महाजनिका जब भाग रही थी, तब उसके पीछे आर्यमणि भी जा रहा था, लेकिन उसे दूसरे सिद्ध पुरुष ने रोक लिया।


माहोल बिलकुल शांत हो गया था। बचे सभी तांत्रिक को बंदी बनाकर ले जाने की तैयारी चल रही थी। एक द्वार (portal) सिद्ध पुरुष ने भी खोला। वहां केवल एक संन्यासी जो आर्यमणि से शुरू से बात कर रहा था, उसे छोड़कर बाकी सब उस द्वार से चले गये। जाते हुये सभी आर्यमणि को शौर्य और वीरता पर बधाई दे रहे थे और उसकी मदद के लिये हृदय से आभार भी प्रकट कर रहे थे। उस जगह पर अब केवल ३ लोग बचे थे। संन्यासी, आर्यमणि और निशांत।


निशांत:– यहां का माहोल कितना शांत हो गया न...


संन्यासी:– हां लेकिन एक काम अब भी बचा है। जादूगरनी (ऐडियाना) को मोक्ष देना...


निशांत:– क्या उसकी आत्मा अब भी यहीं है।



संन्यासी:– हां अब भी यहीं है और ज्यादा देर तक बंधी भी नही रहेगी। मुझे कुछ वक्त दो, फिर साथ चलते हैं...


संन्यासी अपना काम करने चल दिये। सफेद बर्फीले जगह पर केवल २ लोग बचे थे.… "आर्य क्या तुमने यह जगह पहले भी देखी है?"


आर्यमणि:– नही, ये रसिया का कोई बर्फीला मैदान है, जहां बर्फ जमी है। मैने रसिया का बोरियाल जंगल देखा है। वैसे तूने क्या सोचा...


निशांत:– किस बारे में...


आर्यमणि:– खोजी बनने के बारे में...


निशांत:– अगर मुझे ये लोग उस लायक समझेंगे तब तो मेरे लिए खुशकिस्मती होगी...


"किसी काम की तलाश में गये व्यक्ति को जितनी नौकरी की जरूरत होती है। नौकरी देने वाले को उस से कहीं ज्यादा एक कर्मचारी की जरूरत होती है। और अच्छे कर्मचारी की जरूरत कुछ ऐसी है कि रात के १२ बजे नौकरी ले लो.… क्या समझे"....


निशांत:– यही की आप संन्यासी कम और कर्मचारी से पीड़ित मालिक ज्यादा लग रहे।


सन्यासी:– मेरा नाम शिवम है और कैलाश मठ की ओर से हम, तुम्हे अपना खोजी बनाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहते हैं? राह बिलकुल आसन नहीं होगी। कर्म पथ पर चलते हुए हो सकता है कि किसी दिन तुम्हारा दोस्त गलत के साथ खड़ा रहे और तुम्हे उसके विरुद्ध लड़ना पड़े? तो क्या ऐसे मौकों पर भी तुम हमारे साथ खड़े रहोगे?


निशांत:– हां बिलकुल.... आपके प्रस्ताव और आपके व्याख्या की हुई परिस्थिति, दोनो के लिए उत्तर हां है।


संन्यासी:– जितनी आसानी से कह गये, क्या उतनी आसानी से कर पाओगे...


निशांत:– क्यों नही... वास्तविक परिस्थिति में यदि आर्यमणि मेरे नजरों में दोषी होगा, तब मैं ही वो पहला रहूंगा जो इसके खिलाफ खड़ा मिलेगा। यदि आर्य मेरी नजर में दोषी नहीं, फिर मैं सच के साथ खड़ा रहूंगा... क्योंकि गीता में एक बात बहुत प्यारी बात लिखी है...


संन्यासी:– क्या?


निशांत:– जो मेरे लिये सच है वही किसी और के लिये सच हो, जरूरी नहीं… एक लड़का पहाड़ से गिरा... मैं कहूंगा आत्महत्या है, कोई कह सकता है एक्सीडेंट है... यहां पर जो "मरा" वो सच है... लेकिन हर सच का अपना–अपना नजरिया होता है और हर पक्ष अपने हिसाब से सही होता हैं।


संन्यासी शिवम:– और यदि इसी उधारहण में मैं कह दूं की लड़का अपने आत्महत्या के बारे में लिखकर गया था।


निशांत:– मैं कह सकता हूं कि जरूर किसी की साजिश है, और पहाड़ी की चोटी से धक्का देकर उसका कत्ल किया गया है। क्योंकि वह लड़का आत्महत्या करने वालों में से नही था।


संन्यासी:– ठीक है फिर कल से तुम्हारा प्रशिक्षण शुरू हो जायेगा। जब हम अलग हो रहे हो, तब तुम अपनी पुस्तक ले लेना निशांत।


निशांत:– क्यों आप भी हमारे साथ कहीं चल रहे है क्या?


संन्यासी:– नही यहां आने से पहले आर्यमणि के बहुत से सवाल थे शायद। बस उन्ही का जवाब देते–देते जहां तक जा सकूं...


आर्यमणि:– संन्यासी शिवम जी, अब बहुत कुछ जानने या समझने की इच्छा नही रही। इतना तो समझ में आ गया की आपकी और मेरी दुनिया बिलकुल अलग है। और आप सब सच्चे योद्धा हैं, जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हो। अब आप सबके विषय में अभी नहीं जानना। मेरा दोस्त है न, वो बता देगा... बस जिज्ञासा सिर्फ एक बात की है... जिस रोचक तथ्य के किताब में मुझे रीछ स्त्री मिली, वह पूरा इतिहास ही गलत था।


संन्यासी शिवम:– "वहां लिखी हर बात सच थी। किंतु अलग–अलग सच्ची घटना को एक मुख्य घटना से जोड़कर पूरी बात लिखी गयि है। और वह किताब भी हाल के ही वर्षों में लिखी गयि थी। जिस क्षेत्र में रीछ स्त्री महाजनिका बंधी थी, उस क्षेत्र को तो गुरुओं ने वैसे भी बांध रखा होगा। एक भ्रमित क्षेत्र जहां लोग आये–जाये, कोई परेशानी नही हो। यदि कोई प्रतिबंधित क्षेत्र होता तब उसे ढूंढना बिलकुल ही आसान नहीं हो जाता"

"तांत्रिक अध्यात, ऐसे घराने से आता है जिसका पूर्वज रीछ स्त्री का सेवक था। महाजनिका को ढूंढने के लिये इनके पूर्वजों ने जमीन आसमान एक कर दिया। हजारों वर्षों से यह तांत्रिक घराना रीछ स्त्री को ढूंढ रहे थे। पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संस्कृति, अपना ज्ञान और अपनी खोज बच्चों को सिखाते रहे। आखिरकार तांत्रिक अध्यात को रीछ स्त्री महाजनिका का पता चल ही गया।"


आर्यमणि:– बीच में रोकना चाहूंगा... यदि ये लोग खोजी है, तो खोज के दौरान इन्हे अलौकिक वस्तु भी मिली होगी? और जब वो लोग रीछ स्त्री की भ्रमित जगह ढूंढ सकते है, फिर उन्हे पारीयान का तिलिस्म क्यों नही मिला?


संन्यासी शिवम:– मेरे ख्याल से जब पारीयान की मृत्यु हुई होगी तब तक वो लोग हिमालय का पूरा क्षेत्र छान चुके होंगे। रीछ स्त्री लगभग 5000 वर्ष पूर्व कैद हुई थी और पारीयान तो बस 600 वर्ष पुराना होगा। हमारे पास पारीयान का तो पूरा इतिहास ही है। तांत्रिक सबसे पहले वहीं से खोज शुरू करेगा जो हमारा केंद्र था। और जिस जगह तुम्हे पारीयान का तिलिस्म मिला था, हिमालय का क्षेत्र, वह तो सभी सिद्ध पुरुषों के शक्ति का केंद्र रहा है। वहां के पूरे क्षेत्र को तो वो लोग इंच दर इंच कम से कम 100 बार और हर तरह के जाल को तोड़ने वाले 100 तरह के मंत्रों से ढूंढकर पहले सुनिश्चित हुये होंगे। इसलिए पारीयान का खजाना वहां सुरक्षित रहा। वरना यदि पुर्नस्थापित अंगूठी तांत्रिक मिल गयि होती तो तुम सोच भी नही सकते की महाजनिका क्या उत्पात मचा सकती थी।
Outstanding mind blowing fantastic update
 

nain11ster

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ये तो अलग लेवल का गोलमाल चल रहा है। वैंडिगो वो भी इतने सारे, इसका मतलब रीच स्त्री और उध्यात ने अपना कांड करना शुरू कर दिया है। अगर आर्य प्योर अल्फा नही होता तो अब तक तो ये सब उसको चबा कर खा चुके होते।

अच्छा हुआ जो वो साधु वहां आ गाये वर्ना पता नही कब तक ये सब चलता रहता। मगर साधुओं ने आर्य और निशांत दोनो को ही आगे की राह दिखा दी है, अब आर्य तो इसी मकसद से आया है तो वो तो अब अनुसरण कर लेगा मगर निशांत के लिए ये बहुत बड़ा निर्णय होगा और देखना होगा की वो क्या इस राह पर चलेगा।

अब देखना है कि क्या आर्य अब इस युद्ध में आर्य बन कर हिस्सा लेगा या सीधे प्योर अल्फा बन कर। अभी तक निशांत और आर्य दोनो ने हो अंगूठी का इस्तेमाल नहीं किया है तो शायद अब दोनो इनका भी इस्तमाल करे।

जैसे साधु ने कहा था कि पारीयान की आत्मा यहीं है तो क्या वो आत्मा उन अंगुतियों से जुड़ी है या उस पोटली से या फिर किसी और तरह से। रोमांचक अपडेट
अति सुंदर समीक्षा। मन गद गद हो गया। आर्यमणि अनुसरण करेगा या नही वह तो आने वाला अपडेट ही तय करेगा। हां लेकिन निशांत को सामने से प्रस्ताव मिला है तो देखिए क्या होता है।

बाकी पारीयान से उनका सिर्फ इतना ही अर्थ था कि पारीयान की भ्रमित अंगूठी पहुंच चुकी थी, इस से ज्यादा कुछ नहीं।
 
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nain11ster

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Acha update tha .....Pure Alfa aur uski shaktiyon ka purn varnan bhot se sawal ke answer mil gaye.....lekin pichle update me ek ciz me puch nhi paya tha ye werewolf ki skin ko aap stitch kar rahe the machine se :what3: apko atpata sa nhi lag raha ? khair ignore kr dete hai .........

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Roohi se jyada nainu bhaiya ko padi thi lagta hai intimate scene daalne ki story me abhi just ladai kari upr se roohi khoon me bhidi aur sex karwa diya:huh: ..... nainu bhaiya karna kya cha rahe the ?

roohi kehna kya cha rahi hai wo thoda smjh nhi aya rani chahiye to sex ke waqt badi dhadkano par kabu karna hoga ?
aur abhi kal hi to rishta tay hua tha aaj affair bhi tay ho gaya wah wah :fool: rani rani kar ke lagta hai aarya itihaash me chala gaya jab raja ki kayi raaniya hua karti thi...........

Roohi jiski maa ek True Alpha jiska khud ka pack tha lekin kuch ese prahari jo sirf prahari hone ka fayda utha rahe the unhone wo pack ko khatm kar ke Sardar khan ko soup diya roohi ki maa ko ......aur isme meko sardar khan ka haath lag raha hai kyu ki usko pata hoga ki True Alpha ka khud ka pack uske liye kabhi bhi khatra ban sakta hai ............ roohi ka past dukh aur peeda se bhara raha hai aur uske saath bhot aatyachaar hua lekin bhoomi didi uski life me naa sirf ek masiaah ban kar aayi balki unhone use jeene ke liye ek nayi zindagi di aur ab aarya ke pack me hone se use apne saath huye karmo ka badla lene ka mauka bhi mil gaya hai ...ab bus aarya ke tandav ka wait hai kab Sardar khan se ladai hogi ....... wese yaha kuch baatein gaur karne wali hai jese ki roohi ne jese hi corrupt prahario ka bataya aur aary ne kaha use pata hai to kya ye wohi prahari the jinhone maitrayi ko mara tha aur jinki talash me wo aya hai ? hmm to bhoomi didi ki jasoos yahi thi tabhi wo jungle me jab roohi ko bachaya tha wo wala kissa bhoomi ko nhi pata ......

ek session khatam hua nhi ki aage ke session ki bhi sochh li .......:nocomment:
Maza aa gaya comment padhkar...khair... Jyada fata hua ho aur heal na ho raha ho to kya stich nahi kar sakte... Kya kisi upchar me dauran wolf ko stich nahi kiya jata... Khair...

Sex kab karwaya abhi to uski NIV rakhi hai... NIV rakhne par itna vhaukal macha rahe... Sex jab dub kar hoga tab to lagta hai bilbulaye ghurenge... :hehe:

Haan sahi hi to kaha tha ruhi ne... Sex ke waqt shape shift ho jata hai... Rani chahiye to iss ek demerit par kaam karna hoga...

True Alfa ka pack uske liye bhadi padta hai... Mujhe pata nahi .. lekin khoj karunga iss baare me... Waise sardar ka hath to katai nahi tha... Wah tond nikla aghori kya plan karega .. khair... Jane dijiye....

Maitri ka kya hua tha wah Germany ke chepter me dekh lenge aur corrupt prahari ki pahchan itni aasan nahi... Kyon aisa kah raha wah aap aage samajh jayenge... Mujhe jyada kyun kahna... Aur aakhri me...

Bhumi to bhumi thehri.... Thanks for your detailed lovely analysis
 

nain11ster

Prime
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Bhoomi ko pata tha litreally aur usne aarya ko bataya nhi uske bad bhi ye gussa nhi hai ese kese ...... I isss Hurt :angrysad: vhery vhery hurt.....khair lekin ye arms and ammunition ka business hi kyu ye thoda sochne wali baat hai aarya iska business dal ke ky karega agar wo prahari hota to bhi smjh ata ki latest guns wgerah ki jarurt padti hai supernatural se ladne lekin aarya khair...... .

to aarya ne jesa kaha tha ki wo shopping ka bad sabke saamne dega to usne ye bhi kr diya aur aarya ka rajdeep ko sirf taunt dena ...... ekad mukka deta to bhi chal jata itna to saale pr hak banta hai :beaten::chair:

ye baawda hai ke ? kal hi test liya aur baat bhi kr rahe hai fir bhi ye wolf keh raha hai aarya ko ....ya to rajdeep ne jaan kr kaha aur usko abhi bhi shak hai aarya pr ya fir nainu bhaiya ko smjhh nhi aa raha tha kya likhe to yahi likh diya jaldi jaldi me ?


hmm jesa ki mene kaha tha aarya ke dada ko pehle se hi kuchh pata tha aur wo aarya ko usi tarha se taiyaar kr rahe the ......ab to Vardhraj Kulkarni ki history jab khulegi uska wait hai ...... eagerly waitinnnnggggggggg
aur ujjawal ji ka ye itne bharose ye kehna ki wo to ab bhi ghar me chipa hoga meko kuch jacha nhi inko kese pata wo abhi bhi zinda hai mar bhi to sakta tha ?

ye banda sahi me policegiri kar raha hai har baat me pehle wo aarya ko wolf bolna aur ab palak ka rishte ke liye ha krte time apne bf ke baare me nhi bolna isne pakad liya ye kuch to khela karega ...... khela hobe bhot bada khela hobe ......

haa wo kal raat hi tension release kari hai aarya ne :lol1: isliye aaj fresh fresh chocolate sa lag raha hai

34071aed.jpg


to ek member aur jud gayi Albeli chalo acha hai lekin abhi tak sirf female hi judi hai koi male aaeyag ki nhi ?
Hahahaha.... Aapne to update ka DNA kar dala... :hehe: ... Jo bhi ho ek baat to saaf hai ki ab aap dhire dhire connect hone lage hain kahani se... Koi na ... Achha hai... Achha hai...

Dada ji ka itihas jald aayega... Jab khud uzzawal jinda hai aur uske samkalin jitne bhi prahari the wo bhi jinta hai... Ekadh mar mura gaya hoga to wao jaroori charecter na hoga... Baki yadi sab jinda hai to banda confidence me kahega hi... Koi Shaq hai kya... Aur raat me garmi clear hone se subah ladkiyan choclet samjhkar chipakne lage fir to har launda raat ko apne hath se garmi na utarta... 😄😄😄😄

Baki khela hi khela Howe .... Ehaan khele wala ki kani naaahiii.... Bane rahiye aur aise hi pyare pyare comment dete rahiye...
 

nain11ster

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प्रणाम मित्र

क्या रोमांचक दृश्य बनाया आप ने, आखिर आर्यमणि का प्योर अल्फा का रूप निशांत के सामने आ ही गया

और ये रहस्यमय सन्यासी कौन हैं जो आर्यमणि को और निशांत दोनों को अच्छे से जानते हैं क्या ये आर्यमणि के दादाजी के साथी हैं या इनका भी कोई राज हैं सायद अगले कुछ अनुच्छेद मे आप यह बता दे

रीछ स्त्री का भी पता चल गया और जिसने उसे आजाद किया उस तांत्रिक का भी पता चल गया है और तो और इनका मकसद भी लगभग पता चल गया है, एडियाना की आत्मा भी मैदान में है
यह लड़ाई काफी दिलचस्प होगी, देखना होगा कि क्या होगा इस लड़ाई मैं संशय तो आप ने काफी बना कर रखा है मित्र और जिस तरह आप संशय छोडते अंतिम मे उस से अगले अनुच्छेद की प्रतीक्षा बढ़ जाती हैं 🙏
Agle kuch anuchhed me bahut si baten samne aa jayegi... Aur kuch baton ke liye naya rahashya aayega to ho sakta hai ki kuch baton ka rahashya bana rahe... Sath me aap bhi bane rahe aur apne pyare pyare comment ke jariye suchit karte rahiye kitno ka jawab mila aur kitni ka jawab baki hai....

Aapke pyare comment ke liye shukriya
 

nain11ster

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Ye kab huyi...........maine konsa update miss kara sardar khan se to ladai huyi hi nhi

ye wali wolf sound ka imagination me kutte uunnnn wala sound aya dimaag me ab khauf hi itna kar diya aarya ne sardar ke dimaag me ki usko ese sound nikaal ke apne bita ko vapis insaan roop me lana pada ....


Sasura to gussa huyi gawa....... Aarya ek Pure Alpha hai isiliye wo sirf sabko injured kar deta hai ? aur khatam krne ke liye roohi ko keh deta hai ? ya fir kuch aur baat hai khair jo bhi thoda sukoon mila bhali action wesa nhi tha lekin albeli ke saath jo hua uska badla usne le liya ......

Hmm aarya aur sardar ki baaton se lag raha hai ki sardar khan pehle true alpha tha lekin uske sar par ye khoon ka nasha chada aur wo apni shakti khota chala gaya aur ab usi ko vapis paane ke chakkar me beast wolf ban gaya ......aur ab use ye Lopche ke bhatakte musafir aur adiana ka mukbara aur Anant kirti ki pustak ki jarurt hai jiska hint aarya ne sardar ko de diya hai ki use pata hai aur sayad wo aarya ke pass hai ya use pata hai ki kaha hai ...... hmmm acha khel chal raha hai aage bhot maja aane wala.......

ab ye kab hua us din to secret room me 4 log the fir ye inhone kaha se dekh liya tha chehra lagta hai nainu bhaiya ko badam nhi mil rahe hai .........

Jesa ki mera aaklan tha ek true alpha ki power khone k bad wo wolf aur insaano ke kha kr beast ban gaya lekin power nhhi mili ab apni wo power vapis paana chahata hai aur jiska jhaansa aarya ne de diya hai ab dekhna hai ki sardar khan kab tak jhaanse me rehta hai ...... aur aarya ka aakhiri sawal ek taraf ishaara kar raha hai ki koi to esa parivar hai jiske liye sardar khan kaam karta hai aur wohi jaan na aarya aur bhoomi didi ko

behtreen update

lekin mera abhi bhi Vaidehi pr doubt hai dekho ab ..........
Ye scene college ki tudai ke baad ki ghatna hai jahan hospital ki lobby me Aryamani ne sabko toda tha... Uspar comment to kiye hai aapne ... Jisme likha tha yahi ghost hogi pahle se shak tha baad me yakin ho gaya...

Sardar khan kya tha wah jald hi oata chalega... Aur kyon tha wo bhi... Waise tha to wolf hi aur true Alfa kabhi nahi tha 😄😄😄😄..

Bina dekhe hi koi movie ke flop hone ke bare me kaise pata chalta hai ye scene bhi kuch aisa hi hai... Mouth to mouth messege tranfer... Ye mobile par fecbookiya generation ke pass itni si common sense missing hai... Lagta hai kisi naale me kudkar jaan hi de dun... Kam se kam ye din to dekhne na padenge...

Aree chinta nakoo anubhav... Yahan kisi par bhi shak kar sakte... Main bilkul bura na maane wala :D
 

nain11ster

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:lol1::lol::lotpot:
Amazon Prime Video Smile GIF by primevideoin


:huh::beee::censored::nocomment:


hmm wese to aap mana kare ho zikr karne ki lekin aap ne kar hi diya hai to humara bhi banta hai .......aur ye part ko dekh ke esa lag raha hai ki oshoon ne madad to ki hai aur aaryamani ke dil me oshoon ke liye ek alag hi jagah ban gyi hai aur undono ke bich pehle esa kuch gathith hua hai jiske wajha se aur roohi ki dard bhari aawaaj trigger kr gyi aur wo bhool gaya ki saamne roohi hai ya oshoon .....

bada ajeeb sambvaad tha wese to aaryamani ka apne aapko bornhunter kehna ...... aur uske bad palak ka vinti karna ki palak jab tak ek meeting na le le wo ye baat kisi ko na bataye palak ke dimaag me bhi kuch to chal raha hai ab fir doubt aa gaya palak pr ki kahi ye koi khel to nhi rach rahi....... ye nainu bhaiya bhi naa bade tej hai readers ke dimaag me jab tak khalbali na machaye inka khana to digest hota na hoga ......



haa sahi hai aur kuch to skills bachi hi na hai jo isme parangat haasil karwa rahe ho .......
Maine kuch der pahle hi kaha tha.. jab roohi ke sath poora sex ka kand hoga tab bilbulaye najar aaoge... Dikh bhi raha hai ... Dil ki jalan aur kahin ki bhadas...

Baki reader ke dimag ke main khelun... Kys baat kar rahe Saar ji... Malik logon se khilwad karke jayenge kahan .... Kabhi kisi Utpadan karta ko dekha hai... Product ko customer ke mutabik na banakar ulta usse bechne ki kosis karte hain...

Exceptional case har jagah hota hai... Isliye koi gunda haliya Bollywood ka naam nahi lega...
 

nain11ster

Prime
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Werewolf ke bare mai achi khasi research ki hogi nainu bhai apne
Haan teen wolf web series aur any warewolf based web series se sare terminology mehnat karke apun ne chura liya aur bhartiya darshakon ke liye aasan shabdon me likh diya... Taki ander ki kahani padhne me jyada samaya na ho ..
 
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