manu@84
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मुझे नसीब फिल्म का गाना याद आ रहा है, इस situation पर...Approx 3 decades se bhi upar ho gagaye. But limited kota.
चल चल मेरे भाई, तुझे घर छोड़ता हू...
हाथ जोड़ता हू, तेरे पैर पड़ता हू.....!

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मुझे नसीब फिल्म का गाना याद आ रहा है, इस situation पर...Approx 3 decades se bhi upar ho gagaye. But limited kota.
Thankyou very very much Tri2019Lovely and beautiful story
Thankyou very very much Komalji.किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान
मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं
१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है
२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है
३. क्या कहानी बहु आयामी हैं। मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.
मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है वैसे अतीत के दायी माँ विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करता है।
एक एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... 'मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ...' वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।
तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।
दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...
और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।
कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।
कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,
चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।
वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,
कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कहा की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
स्टीफेन किंग से बड़ा हॉरर में क्या नाम होगा,
मैं उन्ही की कुछ पंक्तियों को कोट करती हूँ "When asked if fear was his main subject, King said "In every life you get to a point where you have to deal with something that's inexplicable to you, So whether you talk about ghosts or vampires or Nazi war criminals living down the block, we're still talking about the same thing, which is an intrusion of the extraordinary into ordinary life and how we deal with it. What that shows about our character and our interactions with others and the society we live in interests me a lot more than monsters and vampires and ghouls and ghosts,
इस कहानी में भी वो inexplicable हमें दिखता है और उसके अनेकार्थ हैं, वर्तमान सामजिक संदर्भों से जोड़ के भी.
मुझे कहानी बहुत अच्छी लगी।