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manu@84

Well-Known Member
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Approx 3 decades se bhi upar ho gagaye. But limited kota.
मुझे नसीब फिल्म का गाना याद आ रहा है, इस situation पर...

चल चल मेरे भाई, तुझे घर छोड़ता हू...
हाथ जोड़ता हू, तेरे पैर पड़ता हू.....! 😆
 

Frieren

𝙏𝙝𝙚 𝙨𝙡𝙖𝙮𝙚𝙧!
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cheekku

Logic in story- every time I hope there's something logic in this story

Le cheeku

images

Plot- interesting!! Isi ke karan puri padh li...

Storyline- saste nashe

images-1

Shuru me laga, serious movie hai... Fir sex note aa gaya :bhoi: aur fir story ki mc bc KBC honi pakki hi thi :feelsbadman:

Execution- starting ke 1-2 paragraph was so good, aisa laga jaise kisi aur ne likhe ho... Lekin fir kahani tharki ke hatte char gayi.. Rip:areypagle:

Starting- good, potential of great story

Middle- fir ju ne khule me shizz kar diya hai :pepehands:

End- moderate, mujhe samajh nhi aaya usne rahul ko kyu nhi maara.. May be saste nashe kiye ho writer ki tarah :shocked: why I wish ki end me neha ko book use karke, rahul ki mc bc KBC karni chahiye thi :monkahmm: I was hoping for ghey sux between rahul and ashok, may be threesomes with rakesh too... I think I'm sick now after reading this masterclass! :dscream:

Conclusion-

images-2
(Note- kahani me kaafi loopholes, words missing, spelling mistake, aur puri ki puri logic hi gayab thi. Story was not something to notice any major plus points apart from the 1st 2 para of story.)
 

Frieren

𝙏𝙝𝙚 𝙨𝙡𝙖𝙮𝙚𝙧!
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Agasthya

Serious story, so to the point revo... (Assuming it's real!)

Plot- sabse alag aur behtreen...

Storyline- no words, it was really great.

Starting- i thought it's going to be monologue only, but u narrate the background too! Great. (Don't know ye kis category me fall karegi, like story hai ya kuch aur)

Middle- i was hooked with ur narration, its like I want to know more about their friendship. It was not lengthy even though u delivered what u aiming for, the emotion.

End- unexpected and tragic, but the sorry part was unnecessary for me.. May be it was necessary to justify the story title, but it feels littl2 bit cringe.. Coz he was blaming himself entire story, he refuse to move on. So he has to bear that pain.

Conclusion- 8.5-9/10 definitely storywise ya jo bhi kaho ise... Spelling mistake was there, but narration fill those gap so don't need to worry about.

I never thought u also have amazing writing story :good:
 
Last edited:

Frieren

𝙏𝙝𝙚 𝙨𝙡𝙖𝙮𝙚𝙧!
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Riky007

Serious story, to the point revo..

Plot- repeated!! Picchli baar bhi aisa hi tha jaha tak mujhe yaad hai.. Bas farq itna hai ki ye uska alternative hai, matlab same kahani lekin result different.

Storyline- amazing, devnagri kuch hi likhte hai yaha aur u r one of the best here. Detailing utni hi di gayi jitni necessary thi 1st half me lekin 2nd half was little bit fast,cheeze aur achhe se batayi ja sakti thi.

Starting & middle- not unique, but interest kabhi khatm nhi hone deti. Rubi ki backstory was narrated beautifully... Ye half bahut behtreen tha. I really enjoyed it.

End- too fast, but good enging. Atleast she dies with pain&relief from her love.

Conclusion- if plot was something different, then surely this story will get 1st prize. But even now... U can highly hope for 2-3 position with this story. (Maybe the pacing of 2nd phase will cost u that too)

If I ignore, 2nd half pacing... 8.5-9/10 if not then 7.5-8/10.

Glad to read such stories from legends!
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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गलती किसकी
Writer:-Riky 007
Pehli nazar or kuch panktiya padhne se lagta hai ki ye kahani ek prostitute
Ki hogi. Per thoda aage badhe to kahani kuch or hi kehti hai. Pyar bhi or vishwas bhi dono hi ruswa hue Hai isme. Riya or Aaditya dono ne pyar kiya. Bina soche samjhe ghar se bhaag gai. Jisko khamyaja use jab tak Jindal thi bhogna pada. Or and me ruswai ke dar se jaan bhi deni padi.
Dusre traf dekhe to agar aaditya use chhod ke Jane ki galti na karta to uski yani riya ki jindgi barbaad na hoti.
To mere najriye se riya ka dosi wahi hai. Kyuki agar itni hi fat rahi hai to. Use sath leke hi kyu gaya. Mujhe lagta hai ki story or or bhi jyada samay diya ja sakta tha ye kewal 7000 sabdo me khatam hone Wali story nahi hai.
Great job. 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯
 

Shetan

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komaalrani

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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान




मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं

१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है
२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है

३. क्या कहानी बहु आयामी हैं। मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.


मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है वैसे अतीत के दायी माँ विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करता है।

एक एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... 'मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ...' वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।

तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।


दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...

और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।

कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।

कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,

चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।

वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,


कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कहा की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
स्टीफेन किंग से बड़ा हॉरर में क्या नाम होगा,

मैं उन्ही की कुछ पंक्तियों को कोट करती हूँ "When asked if fear was his main subject, King said "In every life you get to a point where you have to deal with something that's inexplicable to you, So whether you talk about ghosts or vampires or Nazi war criminals living down the block, we're still talking about the same thing, which is an intrusion of the extraordinary into ordinary life and how we deal with it. What that shows about our character and our interactions with others and the society we live in interests me a lot more than monsters and vampires and ghouls and ghosts,

इस कहानी में भी वो inexplicable हमें दिखता है और उसके अनेकार्थ हैं, वर्तमान सामजिक संदर्भों से जोड़ के भी.

मुझे कहानी बहुत अच्छी लगी।
 
Last edited:

Shetan

Well-Known Member
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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान




मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं

१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है
२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है

३. क्या कहानी बहु आयामी हैं। मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.


मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है वैसे अतीत के दायी माँ विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करता है।

एक एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... 'मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ...' वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।

तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।


दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...

और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।

कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।

कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,

चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।

वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,


कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कहा की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
स्टीफेन किंग से बड़ा हॉरर में क्या नाम होगा,

मैं उन्ही की कुछ पंक्तियों को कोट करती हूँ "When asked if fear was his main subject, King said "In every life you get to a point where you have to deal with something that's inexplicable to you, So whether you talk about ghosts or vampires or Nazi war criminals living down the block, we're still talking about the same thing, which is an intrusion of the extraordinary into ordinary life and how we deal with it. What that shows about our character and our interactions with others and the society we live in interests me a lot more than monsters and vampires and ghouls and ghosts,

इस कहानी में भी वो inexplicable हमें दिखता है और उसके अनेकार्थ हैं, वर्तमान सामजिक संदर्भों से जोड़ के भी.

मुझे कहानी बहुत अच्छी लगी।
Thankyou very very much Komalji.

Ha komalji. Pichhli bar aap ke review par mene reply bhi kiya tha. Thankyou so much. Aap ka review sab se alag tha. Me bahot khush hu. Ki aapne meri story par react Kiya. Pahele vale review sayad update nahi honge. Is lie aap ko dusri bar karna pada. Me real me bahot khush hu. Mene pichhli review me bhi jawab diya tha ki Wikipedia par gourav Tiwari sir ko follow karti hu. Vo ham jese logo ke lie prerna he. Halaki vo ab nahi rahe. Me aap ki har bat par gor karti hu. Bahot khas review dene ke lie lot of thanks
 
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Story - The last apology; A tale of friendship and regrets.
Writer - Aagasthya

शायद आप की दूसरी कहानी पढ़ रहा हूं मै । आप के अंदर काफी पोटेंशियल है एक अच्छे लेखक बनने की । पता नही , आप इस पर अधिक मेहनत क्यों नही करते !

बहुत ही खूबसूरत कहानी और बहुत ही खूबसूरत इस कहानी का सब्जेक्ट । मुझे विश्वास है जिस किसी ने भी इस कहानी को पढ़ा होगा वो अपने अतीत मे , अपने फ्लैशबैक मे चला गया होगा।
मै भी अतीत मे चला गया था । एक ऐसा अतीत जो अब भी याद आते ही आंखे नम कर देता है। एक ऐसा दोस्त - कम- भाई जिसे शराब ने कम उम्र मे ही इस दुनिया से रुखसत कर दिया ।
मुझे याद है जब मै शराब पीता था तो वो मेरे साथ बैठकर एक कोल्ड ड्रिंक पिया करता था। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब शराब उसे खुद पीने लगा।

आप की इस कहानी ने वास्तव मे मेरे दबे हुए जख्म हरे कर दिए।

यह कहानी रेयांश की थी । उसके बचपन के दिनो की थी ,
पिता का उसके प्रति सपने की थी , भाई के नसीहत की थी , मां की ममता और अपने लाडले के प्रति फिक्र की थी , रेयांश के पढ़ाई मे दिल न लगने की थी , उसके हायर एजुकेशन मे आ रही समस्याओं की थी , उसके हाॅस्टल प्रवास की थी , उसके दोस्त बनने की थी , दोस्ती मे दूरियां और फिर नजदीकियां आने की थी और अंततः दोस्त के मृत्य के खबर से थी ।
सबकुछ आउटस्टैंडिंग था और सबकुछ रियलिस्टिक था।
दोस्ती एक कलम के लेन-देन से होना भी रियलिस्टिक तो था।
काश , इस कहानी पर कुछ और भी लिखा होता । ऐसी कहानी कौन नही पढ़ना चाहता ! एक विस्तृत कहानी जहां रीडर्स भावनाओं मे बह जाए ।

इस कहानी ने पंकज उद्धास साहब की एक गजल याद दिला दी -
" गम का दौर हो या खुशी का , शमा बांधती है शराब
एक मशवरा है जनाब के थोड़ी थोड़ी पिया करो "

अति किसी भी चीज की हो , नुकसान ही करती है ।

बहुत बहुत ही बेहतरीन कहानी थी । मिथुन चक्रवर्ती के शब्दों मे कहूं तो - " क्या बात , क्या बात , क्या बात ।"
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Story: A Trip to Dharkot
writer: Niks77kill

Story line: दो दोस्त और एक गर्लफ्रेंड की कहानी, जिसमे एक दूसरे की हत्या कर देता है लड़की को पाने के लिए। और बाद में कुछ अजीब घटनाएं होती हैं और हत्यारा अपना गुनाह कबूल कर लेता है।

Treatment: कहानी कहने का तरीका बढ़िया है आपका, और बढ़िया से कैरी भी किया है आपने इसे।

positive Points: कहानी अनोखे अंदाज में लिखी गई है, और थोड़ा सस्पेंस भी बरकरार रखा गया है बहुत अच्छे से। हॉरर भी कुछ हद तक बुना है

negative points: मुझे ये प्रिडिक्टेबल लगी। और कथानक भी साधारण और कॉमन लगा मुझे।

suggestion: कथानक अच्छा लाइए, लेखनी तो अच्छी है ही।

rating:7/10
 
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