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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2024 ~ Reviews Thread ★☆★

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manu@84

Well-Known Member
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कहानी : कोमार्य
Writer : Shetan





आज के आधुनिक दौर में लड़कियों के "कोमार्य" की समस्या से छुटकारा पा लिया गया है, एक छोटी सी सर्जरी होती है जिसमे जांघ कि स्किन के साथ कृतिम खून भरा हुआ कैप्सूल यौनि के अंदर एक निश्चित गहराई तक प्रवेश कर दिया जाता हैं और संभोग के दुरान् प्रेशर पड़ने पर वो फट जाता है जिससे कृतिम खून बाहर आ जाता है और लड़की को वर्जिन होने का प्रमाण पत्र मिल जाता है।


लेखिका ने अपनी विधा से हट कर एक खूबसूरत प्रेम कहानी लिखी है, एक चुलबुली लड़की और फौजी प्रेमी का ट्रेन का रोमांटिक दृश्य या सुहाग सेज का हाथ काट कर हीरो का अपनी पत्नी के प्रति अटूट विश्वास प्रेम का दृश्य हो....! पूरी कहानी रोमांस, छेड़चाड, प्यार से सजी हुई थी।


कविता का सुहाग रात पर इस तरह अपने पति को झूट bf के बारे में कहना मुझे खलता है, क्योकि ये चूतोयापा कभी भी कोई लड़की नही करेगी, वो सुहाग रात है, कोई exam हाल नही जहा जो भरोसे की जाँच हो, जाँच पड़ताल व्याह के पहले होती हैं, ब्याह के बाद जरा सी चूक तबाही ला देती है।


फौजी का ये सुनकर noramal react कर अपनी हाथ की कलाई काट कर खून टाॅपकना इस बात का प्रामाण है कि फौजियों का दिमाग कहाँ होता है.....।😜🤔


कही कही नाम में कंफ्यूशन हुआ है, जिसका कारण है लेखिका का हिंदी में कहानी लिखने का कम अनुभव हो सकता है।


कहानी शुरु से लेकर अंत तक निरंतर रूप से चलती है, पाठको को बांधे रहती है, शॉर्ट स्टोरी में कम शब्दो में कहानी को मुकाम पर पहुँचना कठिन होता है, राइटर ने इस कार्य को बखूबी कर दिखाया है।


निष्कर्ष :: अंक गणित मेरी शुरु कमजोरी रही है, इसलिए कहानी पर नम्बरों को देने का कार्य जूरी, पूरी ईमानदारी से करेगी...।


धन्यवाद....
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान





मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं
१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है

२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन हैं या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है
३. क्या कहानी बहु आयामी है ?

मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.

मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है, दाई माँ वैसे अतीत के विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करती है।

एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ... वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।

तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।

दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुसकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...

और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।

कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।

कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,

चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।

वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,

कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कह सकते हैं की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
 
Last edited:

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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कामावतार "
Writer:- manu@84
Kahani thodi hat ke hai bhai Maan gaye. Purus-vaisya ek alag pehchaan. Yani jo ki pehle ek Aawara.
, fir bechara , fir kismat ka maara or ant be besahara aurto ka Sahara bana.:sex:
Bhai jo cheej uski kisi bhi kaam ki na thi. Wahi uske liye sabse jyada kaam ki sabit hui. :winknudge:
Majedar lekhan koshal👌👌👌👌👌
No Doubt 👍✔️
Special beech me wo Saayri.:applause::applause:
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान





मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं
१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है

२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन हैं या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है
३. क्या कहानी बहु आयामी है ?

मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.

मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है, दाई माँ वैसे अतीत के विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करती है।

एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ... वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।

तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।

दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुसकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...

और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।

कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।

कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,

चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।

वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,

कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कह सकते हैं की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
इसको कहते हैं समीक्षा :bow:
 

manu@84

Well-Known Member
9,007
12,445
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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)
शैतान





मैं एक समीक्षक नहीं हूँ, लेकिन इस कहानी के बारे में कुछ भी लिखने के पहले मुझे लगता है की यह बता देना उचित होगा की किसी कहानी में मैं क्या देखना चाहती हूँ, विशेष रूप से ऐसी लघु कथा में और उसी तराजू पर तौल कर ही कह सकती हूँ कहानी कैसी लगी, मुझे लगता है कहानी अच्छी लगना , एक सब्जेटिव बात हो सकती है लेकिन अगर कहानी को जज करना है , उसकी समीक्षा करनी है तो कुछ आब्जेक्टिव स्टैंडर्ड होने चाहिए जो शुरू में ही पाठकों को पता होना चाहिए। हो सकता है यह पैमाना भी अलग अलग पढ़ने वालों का अलग अलग हो पर मेरे लिए तीन बातें हैं
१. कहानी में द्वन्द , एक कन्फ्लिक्ट जो कहानी का सेन्ट्रल प्वाइंट होती है

२ कैरेक्टस पोस्टकार्ड थिन हैं या उनका खाका ठीक से खींचा गया है, वो स्टीरियो टाइप नहीं है और उनकी एक अलग पहचान है
३. क्या कहानी बहु आयामी है ?

मेरी एक खास पसंद है जिस कारण मैंने लिखना शुरू किया और वो पढ़ने वाली कहानी में भी देखना चाहतीं हूँ Indian Ethos and social milieu.

मेरी सीमित समझ से इस कहानी का द्वन्द दाई माँ और खिल्लो के बीच है। दाई माँ अतीत के विरुद्ध वर्त्तमान को दिखाती हैं, जो नहीं रहा, लेकिन उसकी छाया वर्तमान पर पड़कर भविष्य को प्रभावित कर रही है, दाई माँ वैसे अतीत के विरुद्ध है, उससे वर्त्तमान को मुक्त करना चाहती हैं। अब अगर हम कहानी के निहितार्थ से अलग हटकर अपने जीवन में झांके, सामाजिक जीवन में देखे तो कितनी बार अतीत का भूत, उसका प्रोजेक्शन , अतीत में हुयी कोई गलती खूब बड़ी बन कर वर्तमान के सामने आकर भविष्य को प्रभावित करती है।

एक लाइन में खिल्लो के दर्द को भी लेखिका ने बहुत अच्छे से बयान किया है,... मुझे कोई बचाने नहीं आया, मार दिया मुझे डुबोकर, ... वह खिल्लो का परसेप्शन है, उसे किसी ने नहीं मारा लेकिन किसी ने बचाया भी नहीं, और वह उसे ही सत्य मानती है , कई बार समाज में भी और व्यक्तिगत जीवन में भी हम जो हम समझते हैं अतीत को जिस तरह हम देखते हैं ( और सोशल मिडिया के जमाने में इको चैंबर के जमाने में ) उसे ही हम सत्य मानते हैं और वर्तमान को भी उसी तरह परिभाषित करते हैं।

तो यह द्वन्द निहितार्थ में भी और प्रतीक के रूप में भी मुझे लगा की लेखिका ने अच्छे ढंग से चित्रित किया है।

दूसरी बात चरित्र भी ढंग से आये है, जैसे दाई मा के बारे कोमल का अनुराग, हमारे मन में उत्सुसकता जगाता है और नेहा जो गाँव में है लेकिन शहर में पढ़ी है , रीत रिवाज मानती तो है लेकिन एकदम ओढ़ने की तरह बिना उसमे विश्वास किये,...

और तीसरी बात कहानी कई स्तरों पर है। लेकिन कई बार हम ऐलिस इन वंडर लैंड पढ़े या लार्ड आफ रिंगस उसमे हम सस्पेंशन आफ डिसबिलिफ करते हैं प्रतीकों के माध्यम से कही जा रही बातों को समझने को कोशिश भी करते हैं और समीक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अर्थ की उन गांठों को खोल कर।

कुछ सुधार हो सकते थे लेकिन मेरी सबजेक्टिव ओपिनियन है, कोमल नैरेटर है पर उसके बारे में इतनी ज्यादा लाइने खर्च करना शायद आवश्यक नहीं था। उन शब्दों का उपयोग, नेहा के मन में चल रहा द्वन्द, ( रीत रिवाज और होने वाले पति से बात करने के लिए चुपके से बाहर जाना ), वर पक्ष का द्वन्द ( लड़की पर बुरी आत्मा है ऐसे में शादी करें न करें ) इत्यादि को चित्रित करने में हो सकता था।

कुछ को यह अंध विश्वास लगे लेकिन मुझे लोक विश्वास कहना ज्यादा सही लगता है। और विश्वास को हम तर्क से नहीं देख सकते ,

चुड़ैल या इस तरह की बातों के बारे में मैं मित्र पाठकों से अनुरोध करुँगी की विकिपीडिया पर इप्सिता राय चक्रवर्ती के बारे में देखे और हो सके तो उनकी आत्मकथा beloved witch और उनकी दूसरी पुस्तक Sacred Evil: Encounters With the Unknown पढ़ें।

वर्तनी की गलतियां है जो क्षम्य हैं क्योंकि लेखिका समान्यतया हिंगलिश में लिखती हैं। प्रयास कर के इसे सुधारा जा सकता है ,

कुछ लोगों ने जॉनर हॉरर की दृष्टि से भी कह सकते हैं की डर नहीं लगता, लेकिन मेरे ख्याल से जॉनर में कहानी को बांटना ही टेढ़ा है, किसी इन्सेस्ट में अडल्ट्री नहीं होगी या अडल्ट्री में एरोटिक दृश्य नहीं होंगे. मेरे हिसाब से यह कहानी लोक विश्वास की कहानी है।
अद्भुत.... आप जैसे रीडर ही लेखक की लेखनी होते है, आप खुद एक अनुभवी मझि हुई लेखिका हैं, गया हु आपकी होली में फाग देखने....! लेकिन कभी इस रंग का गुलाल उड़ते हुए नही देखा.... मजा आ गया... Shetan जी आपकी लेखनी सफलता की बुलंदियों पर पहुचेंगी, बस कोमल जी का कभी साथ मत छोड़ना...!
 

Shetan

Well-Known Member
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cheekku

❟❛❟ Cuz Nobody's Gonna Complain When I Murderiz❟❛❟
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Superb cheekku. Kya fantasy create ki he. Ek jadui kitab ke jariye criminals ki biwiyo se sexual sexual kam karvae. Ye story to full likhne layak he. Me kaheti hu full likho. Badi mazedar he. Ha muje bhi mesusu huaa wards jyada hone ke karan sayad vo ab bhi nahi likh pae jo likhna chahte the. Par maza aaya padhne me. Amezing. Meri mano to contest ke bad is content par full story likho. Bich me romance bhi ho to maza aae.
thank you ... Shetan jee .. jo ka review parh kar dil kush hogaya ... yup mein continue karonga is story ko ...16 march sey ... magar theme yehi hogi ..aur plot change hoga..

once again thank you .. time nikal kar meri story parhney kay liye ..,

ye Raj_sharma has raha hay :wink:iski complain blackwa sey karni parey gi ...
 

Shetan

Well-Known Member
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अद्भुत.... आप जैसे रीडर ही लेखक की लेखनी होते है, आप खुद एक अनुभवी मझि हुई लेखिका हैं, गया हु आपकी होली में फाग देखने....! लेकिन कभी इस रंग का गुलाल उड़ते हुए नही देखा.... मजा आ गया... Shetan जी आपकी लेखनी सफलता की बुलंदियों पर पहुचेंगी, बस कोमल जी का कभी साथ मत छोड़ना...!
Bahot bahot shukriya mannu. Lot of thanks
 

Shetan

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thank you ... Shetan jee .. jo ka review parh kar dil kush hogaya ... yup mein continue karonga is story ko ...16 march sey ... magar theme yehi hogi ..aur plot change hoga..

once again thank you .. time nikal kar meri story parhney kay liye ..,

ye Raj_sharma has raha hay :wink:iski complain blackwa sey karni parey gi ...
Is par aap badi story likhoge to muje jyada maza aaega. Mast content he. Aur likha bhi mast he.
 

cheekku

❟❛❟ Cuz Nobody's Gonna Complain When I Murderiz❟❛❟
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Is par aap badi story likhoge to muje jyada maza aaega. Mast content he. Aur likha bhi mast he.
thank you jee ... bilkul likhunga 👍
 
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