"सिगरेट से उड़ते धुएं और हाथ में पकड़े वोदका के ग्लास के साथ, मैं रूबी। रूबी मैडम या रूबी डार्लिंग, जिसको बाहों में सामने की हसरत हर मर्द में देखते ही आ जाए, जिसकी बाहों में हर मर्द पिघल कर जिस्मानी सकून में डूब जाता है, फिर जिसे अपनी बीवी की याद भी नहीं आती जब तक वो इन बाहों में पड़ा रहे। हां एक बार दूर जाते ही वो मुझे हिकारत भरी नजर से जरूर देख कर मन में "साली रण्डी" जरूर बोलता होगा।
आज मैं इस शानदार होटल के सबसे महंगे कमरे की बालकनी से अपने उस शहर को निहार रही हूं, जहां बचपन बीता, लड़कपन बीता जवानी की दहलीज आई, जन्म हुआ।
नही, यहां रूबी का जन्म नही हुआ, यहां तो रिया का जन्म हुआ था। वो रिया जिसके आने से उसके मां बाप की अपूर्ण जिंदगी पूर्ण हो गई। वो रिया जो चंचल और मासूम थी, जिसकी हंसी से ही उसके मां बाप का दिन और रात होती थी। दुनिया के सारे रिश्ते उसे इसी शहर में मिले, हां प्यार भी, या वो गलती जिसने रिया को रूबी बना दिया। रूबी, जिसे दुनिया भर की चालाकी आती है और जो एक नंबर की रांड है दुनिया की नजर में, लेकिन आज भी वो रूबी, रिया को मार नही पाई है..."
ग्लास का आखिरी घूंट पी कर रूबी सिगरेट को ऐश ट्रे में मसल कर कमरे में जाती है और फोन उठा कर रिसेप्शन से बात करके अपने रुकने का प्लान और बढ़ा लेती है। और बेड पर लेट कर अपनी पिछली जिंदगी की यादों में खो जाती हैं।
साल 1995 में रोहित माथुर और राधा माथुर को एक बेटी पैदा हुई, दोनो की ये पहली संतान थी जो उनके दांपत्य जीवन के नौवें वर्ष में हुई थी, इतने दिनो तक दोनो पूरे परिवार का हर ताना सह चुके थे, हर दरबार में माथा टेक चुके थे, डॉक्टरों ने भी कहा था कि दोनो में ही कोई दिक्कत नही, फिर भी इतने वर्षों तक भगवान ने उनकी न सुनी। आखिरकार 8 वर्ष पश्चात खुशियों ने उनका द्वार खटखटाया और एक बहुत ही सुंदर और प्यारी बेटी ने उनके जीवन में कदम रखा। दोनो ने उसका नाम रिया रखा। रिया जितनी सुंदर थी, वहीं उसमे बालसुलभ चंचलता कूट कूट कर भरी हुई थी। लेकिन सबसे बड़ा जो बदलाव माथुर दंपति के जीवन में आया था कि रिया के जन्म के साथ ही सौभाग्य ने भी उनके जीवन में लगभग घर ही बसा लिया था। रोहित माथुर का बिजनेस जहां दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा था। रिया के जन्म के दूसरे ही साल उनको एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम उन्होंने राहुल रखा। रिया भी राहुल से बहुत प्यार करती थी।
धीरे धीरे वो दोनो भाई बहन बड़े होने लगे और चारों का स्नेह भी बढ़ता गया। भगवान ने भले ही समृद्ध कर दिया हो उनको, लेकिन माथुर दंपति का दिमाग हमेशा धरातल पर रहा, और उन्होंने भी अपने बच्चो को अच्छे संस्कार ही दिए। ऐसे ही कुछ वर्षों के बाद रिया कॉलेज पहुंच कर जवानी की दहलीज पर आ गई।
और जैसा होता है, इस उम्र में, उसे भी कोई अच्छा लगने लगा। ये उसका सीनियर था, जो उसके ही शहर का रहने वाला था, आदित्य, जो उससे एक साल सीनियर था।जानती तो वो आदित्य को पहले से थी, क्योंकि दोनो एक ही स्कूल से ही कॉलेज में आए थे। कॉलेज के पहले ही दिन रिया को आदित्य ने कॉलेज में होने वाली रैगिंग से बचा लिया था, तो दोनो में बातचीत भी होने लगी, और धीरे धीरे दोनो ने एक दूसरे को अपना दिल दे दिया। जीन मरने की कसमें खाई जाने लगी। लेकिन फिर भी दोनो ने कभी कोई मर्यादा पार नही की, क्योंकि दोनो की ही परवरिश उनके परिवारों ने अच्छे से की थी। दोनो का पहला लक्ष्य पहले पढ़ाई पूरी करके अपने कैरियर को पूरा करने का था, और दोनो ने ही आईएएस अफसर बनने का ख्वाब देखा था।
सब कुछ अच्छा जा रहा था, लेकिन हर वक्त कहां वक्त एक सा रहता है। रिया के मामा के घर में एक कांड हो गया। उनकी इकलौती बेटी निशा की शादी आनन फानन में एक बड़ी उम्र के लड़के से कर दी गई। ये जान कर रिया को एक धक्का सा लगा, क्योंकि वो और निशा बहन ही नही बल्कि सहेलियां थी, बचपन से ही दोनो एक दुसरे से सारी बातें बताती आएं थी। दोनो के बीच कोई बात छिपी नहीं थी, यहां तक कि निशा को आदित्य के बारे में सब पता था, और वहीं रिया को दिवाकर के बारे में, जो निशा का ब्वॉयफ्रेंड था, और दोनो का ही इरादा आगे चल कर शादी करने का था।
निशा की शादी की खबर सुन कर पूरा माथुर परिवार मामा के घर चला गया, क्योंकि ये उनके घर के लिए बड़े ही आश्चर्य का विषय था। उनका पूरा खानदान ही खुले विचारों वाला था, और इस तरह की घटना होना सबके लिए अजीब ही था। वहां पहुंचते ही रोहित और राधा ने पहले तो निशा के मां बाप को लताड़ा उनकी इस अजीब सी हरकत के लिए। लेकिन राजीव (रिया के मामा) ने फौरन ही दोनो को एक कमरे में चलने का इशारा किया और रिया और राहुल को बच्चो के कमरे में जाने को कहा।
इधर रिया सीधे निशा के कमरे में गई, और निशा उसको देखते ही उसे लिपट कर रोने लगी। रिया ने निशा को बाहों में भर कर सांत्वना देने लगी। कुछ देर बाद निशा के शांत होने पर रिया ने पूछा: "ऐसा क्या हुआ निशा, मामा ने अचानक से ऐसा क्यों किया?"
निशा: "रिया उनको दिवाकर के बारे में पता चल गया था, और इसी कारण से मेरी शादी इतनी जल्दी में करवा दी। मेरी तो जिंदगी बरबाद हो गई है।" इतना बोल कर निशा फिर से रो पड़ी।
रिया: " तो तुमने मामा को मानने की कोशिश नही की?"
निशा: "बहुत कोशिश की, लेकिन पापा को तो मेरी ही गलती दिखी इसमें। और ज्ञानेंद्र, जो पापा के ऑफिस में उनका सीनियर है, वो भी पापा को बड़ा भला दिखा। बांध दिया मुझे उसके साथ।"
कुछ देर बाद निशा में मां ने रिया को बाहर बुला लिया, जहां ज्ञानेंद्र आया हुआ था। देखने में वो भला ही था, और रोहित जी भी उससे बड़े प्यार से ही बात कर रहे थे।
राधा: "बेटा इनसे मिलो, ये हैं तुम्हारे जीजाजी।"
रिया को अपनी मां का ये रूप देख भी थोड़ा धक्का लगा, अब उसे अपने प्यार की चिंता घर कर गई थी, कि अगर जो उसके मां बाप का ये हाल है तो वो आदित्य के साथ उसके रिश्ते को कैसे स्वीकार करेंगे।
इसी उधेड़बुन में रिया जब कुछ दिन बाद कॉलेज में आदित्य से मिली, तो सबसे पहले उसने आदित्य से ये बात बताई, और अपने अपने रिश्ते की भविष्य की चिंता करने लगी।
रिया: " आदि, जैसे मां पापा ने मामा के घर में किया उससे तो मुझे लगता है कि वो हमारा रिश्ता कभी स्वीकार नहीं करेंगे।"
आदित्य: "रिया अभी से दिल छोटा मत करो, हमें पहले अपने लक्ष्य पर ध्यान देना होगा। और मुझे नही लगता कि जैसा निशा के साथ हुआ वो हमारे साथ भी हो। हो सकता हो कि कुछ ऐसी बात हो जो तुमको अभी नही पता हो। फिलहाल शांत करो अपने आप को, और पढ़ाई पर ध्यान दो।"
आदित्य ने हर तरह से रिया को समझाने की कोशिश की, लेकिन रिया के मन में डर सा बैठ गया था। और वो रोज आदित्य को भागने के लिए उकसाती रहती थी। आखिर एक दिन आदित्य भी मान गया और दोनो ने उस शहर से भाग कर दिल्ली जाने का प्लान बनाया।
फिर एक दिन दोनो बिना किसी को बताए घर छोड़ कर दिल्ली चले गए। दोनो ने घर से थोड़े थोड़े पैसे चुराए थे। हालांकि भागते समय भी आदित्य ने कई बार फिर से रिया को समझाने की कोशिश की। लेकिन अब तो बात बहुत आगे निकल चुकी थी।
दिल्ली में पहुंच कर दोनो ने सबसे पहले एक सस्ते से होटल को ढूंढा जो कि पहाड़गंज की गलियों के बीच था। वहां उनको एक कमरा मिल गया था। कमरे के किराए को देखते हुए आदित्य को टेंशन हो गई क्योंकि उनके पास बहुत ही कम पैसे थे, और अभी तो उन्होंने बाहर की दुनिया में कदम ही रखा था। खैर नए पंछियों का नया आशियाना था तो कुछ दिन तो हवा की तरह बीत गए। लेकिन एक दिन आदित्य ने देखा की कुल पैसों में अब वो बस 4 5 दिन और गुजर सकते हैं।
ये देख आदित्य ने फिर एक बार रिया को वापस चलने को बोला, लेकिन रिया अब भी नही मानी। अगले दिन आदित्य सुबह जल्दी उठा और रिया के जागने से पहले ही होटल से निकल गया।
सो कर उठने पर रिया ने खुद को अकेला पाया और वो परेशान हो कर होटल के रिसेप्शन पर पहुंच कर आदित्य के बारे में पूछने लगी। होटल का मालिक उस समय वहीं पर था, और उसने अपने स्टाफ से धीरे से रिया की जानकारी ली। स्टॉफ को भी आदित्य के बारे में कुछ मालूम नही था कि वो कहां गया है।
होटल के मालिक को रिया बहुत पसंद आ गई थी, इसीलिए उसने पहले बड़े प्यार से उससे बात की, और कहा कि वो परेशान न हो, आदित्य यहीं कहीं आस पास होगा और जल्दी ही वापस आ जायेगा। अपने स्टाफ से बोल कर उसने रिया के कमरे में कुछ खाने पीने को भी भिजवा दिया।
खाना खाने के कुछ समय के बाद रिया को नींद आ गई, और जब वो सो कर उठी तब वो कहीं और थी। उसे कुछ समझ नही आया। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और उसमे से होटल का मालिक अंदर आया। उसको देखते ही रिया चिल्लाते हुए बोली: "मुझे यहां क्यों लाए हो?"
होटल मालिक, एक कुटिल मुस्कान के साथ: "तेरा आशिक तुझे मुझे बेच कर चला गया है पूरे एक लाख में। अब तू मेरी है और मैं तेरी इस जवानी का रस लूटूंगा।"
इतना बोल कर उसने रिया के साथ जबरदस्ती की, वो चिल्लाती रही चीखती रही, लेकिन कोई नही था सुनने वाला।
अब रोज ही वो किसी न किसी के हवस का शिकार बनती। धीरे धीरे उसे इनकी आदत पड़ने लगी, सेक्स सिगरेट और शराब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गए थे। उसे शहर की बदनाम गलियों में भेज दिया गया।
रिया बुद्धि की तेज थी, और उसे ये भी पता था कि अब यही उसकी जिंदगी है। इसीलिए जल्दी ही उसने अपने दिमाग से उस जगह पर अपनी पहचान बना ली। अब रिया, रूबी मैडम बन चुकी थी, और उसके नीचे कितनी ही लड़कियां इस धंधे में आ गई थी।
आज उसके पास पैसों को कोई कमी नही थी, बड़े बड़े लोगों से उसके कॉन्टैक्ट बन गए थे। लेकिन आज भी एक कसक उसके अंदर थी, अपने परिवार से मिलने की, और आदित्य से ये पूछने कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया?
ये सब सोचते सोचते रिया सो गई। सुबह उठने पर उसने किसी को कॉल लगा कर 25 लाख का इंतजाम करने बोला। आधे घंटे में एक बैग उसके कमरे में पहुंच चुका था। थोड़ी देर बाद वो अपने ड्राइवर के साथ कार में होटल से निकल गई, और अपने घर से कुछ दूर कर रुकवा कर अपने उस घर को देखने लगी जिसमें उसने अपनी जिंदगी के सबसे खुशियों वाले दिन बिताए थे।
उसने अपने ड्राइवर को बैग दिया और कहां कि उस घर की बेल बजा कर बैग रख कर भाग आए। ड्राइवर ने वैसा ही किया।
कुछ देर बाद घर का दरवाजा खुला, और उसमे से उसके पिता रोहित बाहर निकले। देखने से काफी थके और बूढ़े दिखने लगे थे वो, ऐसा लग रहा था कि जैसे जीने की चाह ही नही रह गई हो उनको।
दरवाजा खोल कर कुछ देर इधर उधर देखने के बाद उनकी नजर बैग पर पड़ी, उसे खोल कर देखते ही वो उसको अंदर ले कर चले गए। जैसे ही वो अंदर गए, रिया ने गाड़ी वहां से बढ़वा दी।
कुछ देर बाद रिया एक होटल के एक कोने में बैठी थी। ये वही होटल था जहां वो और आदित्य अक्सर आया करते थे। रिया वहां बैठी अपनी काफी पी रही थी, कि तभी वहां एक फैमिली आई, एक आदमी, औरत और एक बच्ची थी साथ में। तीनों को देख कर दिमाग में बस यही आता कि कितना खुशहाल परिवार है ये।
वो परिवार रिया की टेबल से उल्टी साइड बैठ गया जहां से रिया तो उनको देख पा रही थी, लेकिन वो रिया को नही देख सकते थे।उनको देख रिया की आंखें भर आई, लेकिन काले चश्मे के पीछे क्या है ये कोई जान नही पाया।
वो आदमी आदित्य था। रिया उनको ही देख रही थी, तभी आदित्य के फोन पर किसी का फोन आया। कुछ देर बात करके उसने चारो ओर देखा, और उसकी नजर रिया पर पड़ी, और वो खुशी से उछल कर खड़ा हो गया। उसको ऐसे देख साथ वाली औरत ने भी आदित्य की नजरों का पीछा किया और वो भी रिया को देख कर बहुत खुश हो गई।
ये देख रिया को बड़ा आश्चर्य हुआ, तभी उसी होटल में एक और आदमी आया, जिसे देख वो औरत बड़ी खुशी से उसके गले लगी। तब तक आदित्य रिया के पास आ चुका था, और उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे।
आदित्य: " कहां कहां नही ढूंढा तुमको रिया, कहां थी तुम इतने दिनो से?"
रिया हड़बड़ाते हुए, "कौन हो आप? और कौन रिया?"
आदित्य, "रिया अभी पापा का फोन आया था, वहां तुमने ही पैसे पहुंचाए हैं न?"
ये सुन कर रिया उससे आंख चुराने लगी।
आदित्य, पीछे मुड़ कर, "भाभी, भैया, ये रिया ही है।"
आदित्य की आवाज में खुशी छलक रही थी। और रिया खुद में सिमटी जा रही थी।
तभी वो आदमी और औरत पास आ गए।
आदमी, "रिया ये तुम ही हो न?"
औरत ने उसे अपनी बाहों में भर लिया, "जब से शादी हुई है आदि भैया को बस तुम्हारे नाम पर तड़पते देखा है मैंने। रिया कहां थी तुम अब तक आखिर?"
रिया उस औरत से छूटते हुए, "आदित्य पहले मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए।"
अब रिया की आंखें अंगारे बरसा रही थी।
आदित्य, सर झुकाए हुए: "जनता हूं रिया, तुम्हारा गुनहगार हूं मैं, बिना बताए चला आया था वहां से, लेकिन बीच रास्ते से वापस पहुंचा तो तुम वहां से चली गई थी।"
रिया: " मैं चली गई थी या तुमने मुझे उस होटल मालिक को बेच दिया था?"
"ये क्या कह रही हो रिया?" आदित्य के भैया ने कहा, "आदित्य भला ऐसा सोच भी कैसे सकता है?"
रिया की बात सुन कर आदित्य और उसकी भाभी भी उसे हैरानी से देख रहे थे।
"पहले सब लोग चलो यहां से और कहीं।" आदित्य की भाभी ने कहा।
सब लोग एक मंदिर में पहुंचे जहां शांति और एकांत था।
आदित्य ने कहा, "पता है रिया तुम कितनी बड़ी गलतफहमी का शिकार हुई थी? निशा के ब्वॉयफ्रेंड ने चुपके से उसकी अंतरंग फोटो और वीडियो निकाल लिया था और निशा के पापा से पैसे ऐंठना चाहता था, वो तो भला हो उनके बॉस का जिन्होंने न सिर्फ निशा को बदनाम होने से बचाया, बल्कि उससे शादी करके निशा के परिवार को भी सहारा दिया।"
अब रिया आश्चर्य से आदित्य को देख रही थी।
आदित्य, "ये बात निशा को शादी के कुछ दिन बाद बताई गई थी, जब दिवाकर को सबूत के साथ गिरिफ्तार कर लिया गया था। और ये बात दबी रहे इसीलिए उस समय किसी को नही बताया गया था उसे। तुम एक बार इस बारे में पापा से बात तो करती, शायद फिर भागने का खयाल भी नही आता तुम्हारे दिमाग में।"
भाभी, " आदि भैया ने तुम्हारे जाने के बाद कहां कहां नही ढूंढा तुम्हे, और साथ में तुम्हारे पापा भी दर दर की ठोकरें खाते रहे। सदमे से तुम्हारी मां ने बिस्तर पकड़ लिया था, और 2 साल वो सबको छोड़ कर चली गईं। आज भी तुम्हारे पापा और भाई भाभी तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।"
आदित्य, "रिया तुम थी कहां?"
ये बातें सुन कर रिया फूट फूट कर रोने लगी, और अपनी आप बीती बताती गई।
सारी बातें सुन कर आदित्य ने उसे अपने गले लगा लिया और कहा, "भूल जाओ जो भी हुआ, चलो अब हम अपना अलग संसार बसा लेते हैं।"
इस पर रिया कुछ नही कहती और बात को बदल कर अपने परिवार के बारे में पूछती है। वो सब कुछ और बातें करते हैं।
आदित्य फिर रिया से साथ चलने को कहता है।
रिया उससे कहती है, "कल सुबह तुम आ कर मुझे *** होटल के रूम नंबर 916 से ले जाना। और अभी घर पर कुछ बताना नही। मैं सबसे कल ही मिलूंगी, सरप्राइज़ दूंगी।"
अगले दिन आदित्य सुबह ही उस होटल में पहुंच गया, और सीधे रिया के कमरे के बाहर पहुंच कर बेल बजने लगा, मगर दरवाजा नही खुला। आदित्य ने होटल स्टाफ की भी मदद ली और डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोल कर अंदर गया। कमरे में रिया का बेजान शरीर बेड पर पड़ा था, और उसके हाथ में उसके परिवार की और आदित्य की फोटो थी, जिसे वो घर से भागते समय अपने साथ ले आई थी, और एक तरफ एक चिट्ठी.....