एक गांव था... जहा दो भाई रहते थे... बड़ा भाई (दिनेश) एक दम शरीफ था और घर का सारा खर्चा चला रहा था... दूसरी और था छोटा भाई (शिवम) एक नंबर का आवारा, मलायक पर बड़े भाई का लाडला था... मां बाप ने तो दोनो भाई को बचपन में अकेला छोड़ दिया था...
जब शिवम बस 15 साल का था तब बड़े भाई की सादी हो गई तब दिनेश 25 साल का लड़का था और उसकी सादी गांव वालो ने मिल के करवा दी थी क्यो की इन दोनो का और कोई रिश्तेदार नही था जो दिनेश का बिया करवा दे... हालाकि दिनेश पास के शहर में ही एक सरकारी नौकरी कर के अच्छा काम लेता था...और इसी लिए दिनेश की सादी एक साधारण घर की लेकिन चांद से खूबसूरत लड़की से सादी हो गई... उसका नाम था दामिनी.....
दामिनी के पैर घर में पड़ते ही जैसे घर में एक नई रोनक आ गई... दामिनी की खूबसूरती सिर्फ उसके बदन तक सीमित नहीं थी वो एक सर्वगुण सम्पन्न पत्नी थी जो बड़े बड़े जमीनदार को तक नसीब नही होती... दिल की एक दम दूध के जैसी साफ... देवर को खुद के बेटे जैसे प्यार करती हे....
शिवम जो की पहले कभी घर पर समय पर नहीं आता था... अब उसकी जान से प्यारी भाभी की एक आवाज पर दौड़ के घर पर पहोंच जाता था...सब हसीं खुशी एक दूसरे के साथ रह रहे थे.....
घर का माहोल कुछ ऐसा था की... कोई भी यही बोलेगा की दामिनी शिवम की भाभी नही पर मां हो....इस एक लिए भी था कि दामिनी सादी के 5 साल बाद भी मां बनने की खुशी से दूर थी....
दामिनी खुद के इस दुख को छिपा कर ही रखती थी और खुद की ममता उसके देवर पर बिखेर देती थी.... धीरे धीरे दोनो भाभी देवर के बीच नजदगिया बाद रही थी...पर कोई एक दूसरे के बारे में मां बेटे के रिश्ते से आगे नहीं देख रहा था...
दामिनी और दिनेश ने कई हस्पताल के चक्कर काटे पर कोई फायदा नही हुए होता भी केसे दिनेश के स्पर्म काउंट ही इतने कम थे की वो कभी बाप नही बन सकता था... ये बात डॉक्टर दामिनी को पहले पता चली क्यू की ज्यादातर दामिनी ही जाति थी अस्पताल रिपोर्ट लेले क्यू की दिनेश को नौकरी भी जाना होता था.....
दामिनी नही चाहती थी की ये बात उसके पति को पता भी चल इस लिए वो डाॅक्टर से बोलती ही की उसके पति को ये बोलना की कमी उसकी पत्नी में हे.....
समय बिताता चला जाता है और अब शिवम की उमर सादी करने कि हो गई थी... लेकिन कोई लड़की इस नालायक बेरोजगार भाई के पेसो पर जीने वाले लड़के से कोन ही सादी करती.... एक दम गुंडे जैसे ही हो गया था शिवम समय के साथ....बड़े बड़े बाल... 175 cm का ऊंचाई.... बॉडी भी जैसे कोई बॉडी बिल्डर हो पर दारू की लत होने से कभी गुफा में प्रवेश ही नही कर पाया हे... उनकी कद काढ़ी देख के गांव की कई भाभियां शिवम के साथ सरसों के खेत में उसके लिए पेटीकोट उपर कर के लेती थी पर जैसे ही शिवम नंगी औरत को देखता उसका पानी एक दम से निकल जाता और भाभी उसके बाद उसे गली दे कर चली जाती....
जब शिवम का रिश्ता कही नही हुआ तो दामिनी ने उसकी सबसे छोटी बहन यानि कुशुम (18 साल) का बिया शिवम (35 साल) के साथ करवा दिया....
इस समय दामिनी कुछ 43 साल की और दिनेश कुछ 45 साल का था....इस से पहले कि आप पूछो दामिनी के माता पिता 4 लड़किया थी और आखिर में एक लडका हुआ था... इसी लिए कुसुम अभी छोटी है....
सादी से पहले शिवम रात रात भर कुसुम से बाते किया करता था... दोनो कुछ ही दिन में एक दूसरे की जान बन गईं...एक अच्छी सुसिल लड़की के साथ ने शिवम को अंदर से बदल के दिया..... लेकिन अब उसका दिन ये सोच के ही घबरा रहा था कि कही वो कुसुम को खुस भी कर पाएगा की नही.....
सादी के एक हफ्ते पहले... करीबन रात के 1 बजे.....
दामिनी – अह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह थोड़ा और अंदर.... ओह ओह ओह.... जी..... छाप चप चप..... आउच....
दिनेश – (दामिनी के निप्पल चूसने हुए) ऊऊऊ..... आआउह.... दामिनी जरा धीरे से आहे भरो...
दामिनी – अःह्ह्ह ( हाफते हुए) आह आह... तो धीरे से डालिए न जी क्यू मेरी जान लेने में तुले हुए हो आप... काटो मत ना... आउच.....
कुच देर के बाद.....
दामिनी दिनेश के खुद के उपर से बड़ी मुस्किल से हटा कर... खड़ी होती हे ओर आईने के सामने खुद के नंगे बदन को निहारे जा रही थी.... दामिनी खुद को देख के थोड़ा मुस्करा देती है....
आयने में दामिनी के दो पहाड़ जेसे वक्ष स्थल... पर पति के प्यार की निशानी समान दातों के निशान साफ़ साफ देख थे... दामिनी की योनी से मोती के दाने जैसे एक एक कर के काम रस फर्श पर गिर रहा था.... खुले हुए बाल उसमे बिखरा हुआ सिंगार... गुलाबी होंठ... जैसे बोल रहे हो... हमे कैद कर लिजिए आप के दो कठौर होठों के बीच...
कुछ ही पल में उन मुलायम हाथों पर एका एक हरे रंग का एक ब्लाउस चढ़ जाता है और ये दो बड़े बड़े दूध से भरे घड़े रेशमी वस्त्र के अंदर छुप जाते है... दामिनी धीसे से नीचे जुलती है और एक एक पर के खुद को एक हरे रंग के वस्त्र में कैद कर लेती है... दामिनी थोड़ा आगे पीछे देख के... सरमाते हुए उसके पति के पास जाती है जो दामिनी की काले रंग की पारदर्शी सारी को गोद में लिए इसे सौ गया हो जैसे दामिनी को ही बाहों में न भर के सोया हो....
दामिनी बड़े थ्यान से धीरे धीरे उसकी सारी उनके पति देव की कपड़ से छीन लेती है और सारी को उसके अर्ध नंगे बदन पर लपेट कर... खुली वहा लेने बालकनी की और चल देती है....
दामिनी की नजर उसके देवर की और जाति है जो घर कि छत पर चक्कर रहा था... और थोड़ा परेशान लग रहा था.....
कुछ देर बाद छत पर.....
शिवम – भाभी आप यहां इतनी रात को....
दामिनी – तो क्या सिर्फ़ आप को ही हक ही इतनी रात में इस यहां अनेका.... ( खुले हुए बाल... और पारदर्शक सारी में..बाल धीमे धीमी हवा में हकला हलका लहारा रहे थे)
शिवम भाभी के इस रूप को देख के और उनके इसे सवाल से थोड़ा हड़बड़ा जाता है....
शिवम – वो वो.....भाभी कुछ नही मुझे नीद नही आ रही आज....
दामिनी – चलिए आप को सुला देती हू... (दामिनी एक मेक शिवम की आखों में पूरे प्रेम भाव से देख के बोली... कहीं न कही दामिनी के अंदर की मां ये बोल रही थी...)
शिवम – भाभी में अब बच्चा नहीं रहा...आप सो जाइए में कूच देर बाद सौ जाउंगा.....
दामिनी का कद ऐसा था कि शिवम नीचे देख के भाभी की आखों में देख के बोला और भाभी उसके सामने सर खड़ा कर के देख रही थी.....
दामिनी – में कुछ नही सुन रही चुप चाप चलो... चलो अभी के अभी.... थोड़ा गुस्सा देखते हुए....
शिवम के कमरे में नीचे की मंजिल पर....
दामिनी की गोद में शिवम का सर होता है और दामिनी बड़े प्यार से शिवम के बालो को सहलाते हुए... उसे सुला देती है... शिवम को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो स्वर्ग लोक में किसी मुलायम रूई पर सोया हो...उसे उसकी भाभी की मीठी मीठी बातों से नींद आ रहि थी और साथ में भाभी के बदन की खुशबू उसे किसी चैन की नींद सुला देती है.....
कुसुम के घर पर वो उसकी सादी सुदा सहेली और उसकी पड़ोस की भाभी के साथ रात में बाते कर रहे थे और अब मिल के कुसुम के मजे ले रहे थे....
शिवम और कुसुम की सुहागरात की रात को...
कुसुम की भाभी – कुसुम... क्या जीजा जी से भी इस ही सरमाइगी....चल ये भी निकाल तूजे सुहागरात के लिऐ तैयार भी करना है...
कुसुम – नही नही... मुझे नहीं करवाना ये सब बहोत दर्द होगा... हाथ पैर का कर लिया बहोत है....
दो सहली कुसुम के साथ पैर पकड़ के उसे पूरा नंगा कर देती है... कुसुम की गोरी गोरी योनि देख के सब की आंखे फटी की फटी रह जाति है.. गोरी गुलाबी रंग कि योनि पर सुनहरे हल्के हल्के बाल...गोल मटोल स्तन पर दो अनार के दाने समान गुलाबी निप्पल... गहरी नाभी.... पतली कमर... नाजुक हाथ... हिरनी सी गरदन...सही मायनो में एक कुसुम एक कच्ची कली थी.... नादान बच्ची थी जिसे सिर्फ इतना पता था कि सादी के बाद पति उसे नंगा कर के प्यार करेगा... पर क्या करेगा उस से वो नादान लड़की अंजान थी.....
कुछ ही देर में.. बालों से भरी एकदम चिकनी हो जाती है...और उसके बाद उसे सब मिल कर उसे अपना अपना सुहागरात का अनुभव देते है...और सुहागरात में क्या क्या होगा सब ज्ञान दिया जाता है....
सुहागरात की रात को.....
कुसुम ने भाभी की बातें सुन के सुन के कही अरमान बना लिए थे... पहले तो शिवम और कुसुम प्यार भरी बातें करते हुए रात के 12 बजा देते हे पर जैसे ही शिवम थोड़ा आगे बड़ के कुसुम के की सारी साइड कर के... कुसुम के गोरे गोरे बदन को चूम चूम के गिला कर दिया है... कुसुम ये हमला बर्दास्त नही कर पाती ओर कामुक हो कर अपनी आंखे बंद कर लेती है और खुद को उसके पति के सामने समर्पित कर देती है... बिचारी का दिल जोरो से धड़क रहा था...उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी... कुसुम की शास तेज हो रही थी... क्यू ना होता पहली बार कोई मर्द उसके जिस्म से खेलने जो वाला था....
शिवम खुद के मोटे काले लिंग को बारह निकल लेता है और.... कुसुम का ब्लाउज खोल देता है... कुसुम के मुलायम चूची देख के शिवम का लन्ड जोर से झटके मार रहा था.... शिवम का मन हुआ कि कुसुम को पूरा नंगा कर दे पर...जैसे ही उसकी नजर उसकी नई नवेली दुल्हन पर गई...क्या मासूम सी कच्ची कली ही देख कर ही अंदर डाले बिना कोई मर्द रह नही पाई...
लेकिन कुसुम ने धीरे से बोला....
कुसुम – सब मत खोलिए ना... डरते और सरमाते हुए बोली...
एक मधुर आवाज सुन के ही शिवम का दिल पिघल गया और... शिवम ने कुसुम को बाहों में लेकर उसके चूको को चूसना चालू कर दिया.....
मर्द के गर्म मुंह में कुसुम के छोटे छोटे मम्मे जाते ही कुसुम की योनि में पानी निकाल दिया.... कुसुम की आहे आहे जैसे भईया और भाभी भी सुन रहे थे...और वो दोनो भी प्यार के समंदर में डूब जाते हे...
लेकिन जैसे ही शिवम में कुसुम को लेता कर उसका पेटीकोट ऊपर किया शिवम का लिंग जैसे काबू के बाहर हो गया... और शिवम ने जैसे ही कुसुम की गुलाबी योनि पर रखा उसका पूरा
विर्य कुसुम की छोटी सी योनी को भीगा देता है... कुसुम एक मीठे दर्द के डर से और आने वाली खुशी से...बेसबरी से उस पल कि राह मे पलके चुका कर लेती हुए थी इस उम्मीद में की उसका पति आज उसे कुंवारी लड़की से एक औरत बना देगा...पर काफी देर बाद भी कुछ न होने पर कुसुम अपनी आखें खोल के दिखी तो...उसका पति तो करवट ले कर सो चुका था...
कुसुम को थोड़ा दुखी हुए पर वो खुश भी थी आज के प्यार भरे रात को यादों में..और उसे बहोत डर भी लग रहा था कि वो कैसे करेगी ये सब इस लिए उसे जादा समय मिल गया इस लिए खुस भी थी....
पर ये सिलसिला पूरे 6 महीनो तक चला... लेकिन उसके संस्कार सामने से पति से इस बारे में बात करने से रोक रहे थे... कुसुम को उसकी मां कि दी सीख याद आती ही की पति पत्नी का भगवान होता... तुम उनकी खुशी के लिए वो सब करोगी जो करने को बोले बिना सवाल जवाब...और कुसुम थी भी एक दम उसकी मां के जैसी आज्ञाकारी... समर्पित लड़की...
लेकिन समय के साथ साथ उसे उसकी ही बड़ी बहन से ही दिल के किसी कोने में जलन होने लगी थी...और ये जलन तब बढ़ गई जब एक हसीन रात को उसने उसकी बड़ी बहन और जीजा...या जेठ जेठानी को नंगा यौन संबंध बनाते हुए देख लेती है...ये आज पहली बार कुसुम ने एक मर्द को सही मायनो में औरत की गरमी निकालते हुए देखा था... उसकी भी आग आज भड़क गईं थी.....
लेकिन वो उकसे जेठ के साथ ये सब करने का सोच भी नही सकती थी...वो तो उसकी सुखी हुई योनि उसे गलत सोचने पर मजबूर कर रही थी....
Rakshabandhan ke din.....
दिनेश एक गुस्से वाला और कठोर आदमी दिखता था पर दिल का बड़ा साफ था...कोई लड़की उसके सामने नंगी क्यों न खड़ी वो उसकी पत्नी को सपने में भी धोका नहीं दे सकता था.... घर की छोटी बहू कुसुम से भी काम से ज्यादा कभी बात नही किया था....
कुसुम उसके जेठ से थोड़ा डरती भी थी क्योंकि की एक दो बार दिनेश ने उसे उसके कपड़ों को लेकर डाट दिया था....
कुसुम और दामिनी का छोटा भाई आया था... पहले उसे राखी बांध कर दोनो बहने एक दूसरे के पति को राखी बांध देती है...
दामिनी – कुसुम मांग ले आज हमारा दिन ही... अपने जेठ जी से जो चाइए माग ले....
कुसुम – ( डरते हुए... बच्चे जैसे पूछती है) जेठ जी आप मुझ पर गुस्सा मत होना अगर मेरे से कोई गलती हो....( नीचे मुंह कर के)
आगे दामिनी और शिवम... दिनेश का जवाब सुन के थोड़ा चोक जाते हे....
दिनेश आगे बड़ के कुसुम को उसकी बाहों में भर लेता है और बोलता हे... कुसुम एक दम से हुए आलिंगन से थोड़ा सहम जाती है... लेकिन कुछ ही पल में दोनो एक दुसरे में इसे खो जाते हे जैसे दोनो बाप बेटी हो....
दिनेश – बेटा क्या में इतना बुरा हू...आप मेरी बहू नहीं बेटी हो समझी आप इसी लिए आप को डाटा था...
और कुसुम के माथे को चूम कर उस से अलग हो जाता है.....
सब खुश हो जाते है... इस के बाद दोनो के बिच की दुरिया कम हो जाती हे...6 महीने और बीत जाते ही बिना कुसूम को सील भंग हुए.....
समय के साथ दिनेश और दामिनी की बच्चे की ईच्छा और कुसुम की योन सूख की तमन्ना... उसकी परम सीमा पर थी....इसी दौरान शिवम दूसरे शहर में काम के खोजने चला गया था... अब वो पहले वाला शिवम नही रहा था... उसके साथ अब उसका लोड़ा भी ठीक होने लगा था... लेकीन शिवम 2 महीनो से घर नहीं आया था... वरना हमारी प्यारी कुसुम भाभी को चरम सुख की प्राप्ति शिवम बड़े आराम से करवा देता....
कहते हे ना की लोग मंजिल के बहोत करीब आ कर हार मान लेते हे क्यू को वो आने वाली सफलता से अंजान होते हे... वैसा ही कुसुम की जिन्दनी में होने वाला था...आज तक उसके पति से कुछ न होने पर भी जो कुसुम उसका पत्नी धर्म बखूबी निभा रही थी... आने वाले वाली रात में कोई उम्मीद न दिखने पर खुद की यौन उत्तेजना ओ के आगे घुटने टेक देने वाली थी...
आज मोसम काफ़ी खराब था... मूसलधार बारिश से जगा जागा पानी भर गया था....घर के चारों सदस्य एक दूसरे से अलग अलग थे.... दामिनी उसकी सहेली की सादी से आ रही थी और बस स्टैंड पर फस गई थी... चारो तरफ बस पानी होने से बस वाला बारिश रुकने तक आगे जाने से मना कर रहा था.... शिवम घर से अभी थोड़े घंटो की दूरी पर था...जो ट्रेन से आ रहा था.... दिनेश ऑफिस से घर की और पैदल ही चल देता ये क्यू कि उसे दामिनी की चिंता हो रही थी....और दामिनी का कॉल लग नही रहा था....वही दूसरी और कुसुम उसकी सहेली की सादी में जाने वाली थी पर तेज बारिश से जा नही पाती जिस से सब लोग अंजान थे....
घर पर सिर्फ़ कुसुम थी और उसे बहोत डर लग रहा था अकेले में...हर बिजली की चमक और बादल के गरजने से वो काप जाति थी....अब तो लाइट भी जा चुकी थी....
कुसुम की पतली सी कमर एक हाथ पड़ता है और जब तक कुसुम कुछ प्रतिक्रिया दे पाती...वो आदमी हमारी कुसुम भाभी को अपनी और कर के एक पल में कुसुम को खुद के बाहु पोश में भर लेता है और...वो आदमी कुसुम को पागलों जैसे कुसुम के चंद्र समान मुख को चूम चूम कर गीला कर देता है साथ में वो आदमी हर चूमे के साथ कुसुम को और कस के आलिंगन देता था.... कुसुम का दिमाग इस प्यार भरे आलिंगन और चूमो की बरसात में बर्फ के जैसे जमा कर रख दिया था.... बिचारी कुसुम....
कुसुम –जोर से डर के चिलाते हुए.... कोन है.... कोन है....
दिनेश की गांड़ फट जाती हे ये सुन कर की ये आवाज उसकी बहू की हे (छोटे भाई की धर्मपत्नी)..... बर्फ की तरह जमने की बारी इस बार हमारे दिनेश भाई की थी.....
तभी एक जोरो से बिजली कड़की और कुसुम इसके जेठ को उसके सामने देख के.... एक दम से शरमा जाती है... सारा गुस्सा जैसे जेठ को देख के कुसुम एक पल में पी गई... और उसके गोरे गोरे चंदन की लकड़ी जैसे पैर उसके जेठ को देख के कापने लगे... हा गलती किसी भी क्यों ना हो...
अब दिनेश भाई की हालत तो और खराब थी...केसे सब नॉर्मल किया जाय इस सोच में ही वो डूब गया.....फिर पाता नही क्या हुआ..... जेठ जी ने उसकी बहूरानी को फिर से कस के गले से लगा लिया और उसके माथे को चूम कर.....
दिनेश – बहु डरो मत... मेरी गलती थी... मेने सोचा दामिनी है... और आप इतना क्या सोच रहे हो...आप मेरी बेटी ही हो... हु न में आप का डैडी.....
कुसुम – ( गांव में कोई बाप उसकी बेटी को जवानी के बाद इसे। नही आलिंगन देता पर कुसुम का दिल दूध के जैसा साफ़ था) हा जेठ जी.... हा पापाजी....


Tabhi ek joro ki bijali kadaki aur... Aue kusum kisi choti bacchi ke jese kud ke uske Jeth ke barsat me gile badam me ese sama gai jese do premi barso baat mile ho.... Dinesh par ab dheere dheere is hasin bekabu mosam ho Raha tha... Uske hath Bina kuch sochte hue... Uske chhote bhai ki kuvari dulahan ki kamar ko sahlane laga...
दिनेश की इस हरकत से कुसुम एक दम से सहम जाती है...क्या ये वही उसका जेठ था जो उसे बेटी जैसे मानता था... लेकिन कुसुम भी अब हार मान लेना चाहती थी... और खुद को किसी मर्द के हवाले कर के उसकी काम वासना को शांत करना चाह रही थी.... उसके कोई होश रहा नही था....दोनो बिलकुल मदहोश होने लगे थे.....
दिनेश को ये भी नही पता चला कि कब उसने उसके भाई की वाइफ को अपनी बाहों मे उठा कर अपने रूम में लिया...और कब कुसुम बहू उसके बिस्तर में योन सुख की चरम सीमा पर पहुंच कर.... उसकी पीठ को नोच डाला था... दोनो नंगे ही बिना किसी होश में एक दूसरे की बाहों में सो चुके थे.....कुसुम अब कुंवारी नहीं रही थी... दिनेश ने कच्ची कली कुसुम को इस भोगा की बिस्तर की चंदर भी कुसुम के कोमार्ग्य भंग से पूरी खून से सन गई थी... कुसुम के लंबे बालों में अभी तक उसके जेठ का हाथ हिल रहा था.... दुसरा हाथ था कुसुम के कोमल और कठोर स्तनों के बिल्कुल नीचे.... कुसुम पूरी तरह से नंगी जेठ की घने बालों वाली छाती पर सुकून से सोए हुए थी... जैसे उसे आने वाले कल की कोई चिंता न हो....
दिनेश के कदावर बदन के आगे कुसुम जेसी नंही जान को देख के ऐसा लग रहा था... जैसे किसी शेर ने हिरनी के साथ संभोग किया हो....
कभी कभी ऐसा होता है जिस की हम ने कभी कल्पना भी न की हो... ऐसा ही कुछ एक बहू और जेठ के बिच हो चुका था... पता नही ईशान खुद की वासना से हार कर हर रिश्ते को केसे भूल जाता है.... खेर अब होनी को कोन ही टाल सकता था....
जब बारिश रुकी.... शिवम घर आता है... घर का दरवाजा खुला ही था... वो किसी को सुबह के 5 बजे उठा कर किसी की निंद नही बिगाड़ना चाहता था...इस लिए हो सीथा उसकी जान कुसुम के पास जाता है पर वो रूम में नहीं होती....तो वो थोड़ा परेशान होता है....और न चाह कर भी...वो भाई भाभी के कमरे में जाने का सोचता है....
दरवाजे तक पहुंच ने से पहले ही उसे कुसुम और उसका भाई बिकुल नग्न अवस्था में एक दूसरे की बाहों में दिख जाते हे.... शिवम जैसे जिंदा लास बन गया था... उसकी आखों से आसू पानी के जैसे निकले...वो बिचारा हिल तक नहीं पाया वहा से....क्या कर सकता था वो लाचार पति जिसकी पत्नी उसके ही बड़े भाई की बाहों में नंगी पड़ी हुए थी...एक तरफ भाई जिस ने उसे बचपन से पाला और एक तरफ उसकी पत्नी....
देखो नियति ने केसा खेल खेला उसी समय उसकी भाभी दामिनी भी वहा आ गई...और शिवम को इसे खिड़की अंदर देखते हुए देख लिया....
दामिनी ने धीरे से शिवम के पास गई ताकि देख सके वो क्या देख रहा है.... दामिनी की आखें भी भर आई...वो रोना चाहती थी...उसके पति को गाली देना चाहती थी...पर वो चुप रही..केसे देख सकती थी एक पतिव्रता स्त्री उसके पति को किसी और स्त्री के साथ....फिर भी दामनी एक सुलझी हुई औरत थी...वो नही चाहती थी कि दो भाई के बिच में इस लिए लड़ाई हो...
वो शिवम को जैसे तैसे उसके रूम में लेजाती हैं...और उसे बाहों में ले कर उसे सहारा देती है.... दूसरी और भाभी का रोज का आलिंगन आज से कूच अलग ही आनंद दे रहा था... शिवम को... दोनो ने थोड़ी देर बाद ने निर्णय लिया की दोनो थोड़ी देर बार घर की डोर बैल बजा कर घर में वापस आयेंगे...
ताकि सब कुछ वैसा चले जैसा था...दोनो देवर भाभी नही चाहते थे की उन दोनो को पता चले की वो दोनो सब जानते हैं....
जैसे ही डोरबेल बजी कुसुम जाग जाती है और खुद को जेठ के साथ इस नंगा देख के उसे खुद पर घिन आती है और वो तुरंत अपने कपड़े पहन कर... ठीक हो कर... दरवाजा खोलती है....
आज इस बात को 5 साल हो गई है... लेकीन सब पहले जैसे नोरमल ही अपनी अपनी ज़िंदगी जी रहे है....
दिनेश ने उस दिन के बाद कभी उसकी बहू के साथ दूसरी बार ऐसा कुछ करने के बारे में सोचा तक नहीं और साथ में अब वो दामिनी के साथ भी ज्यादा नहीं रहता क्यों की उसके उसकी ही बेटी जैसी बहु के साथ जो किया वो हर समय याद आता है और वो इस लिए थोड़ा डिप्रेस रहता था....जब तक की उसे वो खुश खबरी नही मिली....
कुसुम के तो अब तक दो बच्चे हो चुके थे...पर आज दामिनी ने जो खुस खबरी सब को दी वो सुन के सब की आखें भर आई....
दामिनी आज सादी के लगभग 20 साल बाद पेट से भी...उसकी कोख भी भर गई थी....
9 महीनो बाद दामिनी ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया... दामिनी को वो मिल गया जिस की आस उसने कब की जोड़ दी थी....सब बेहत खुश थे...और दामिनी से भी ज़्यादा खुद दिनेश था आखिर वो बाप जो बन गया था.....
जब नर्स ने पूछा की बच्चे के पापा कोन है दिनेश आगे आया...आई बच्चे को गोद में लिया पर वो रोना चालू हो गया...अब बारी बारी सब बच्चे को चुप कराने के लिए कुछ न कुछ कर रहे थे....
कुसुम – आप क्या देख रहे हो आप की भी भांजी है लिजिए देखो कितना प्यारी है... देखो ना पुरी जेठानी पर गई है....
जैसे ही शिवम ने बच्ची को गोद में लिया बच्ची चुप हो गई और शिवम को देख के मुस्कारे लगी....
ये सब देख कर दामिनी थोड़ा शरमा जाती है...और शिवम को एक प्यारी सी खूबसूरत सी स्माइल देती है.....
समाप्त......