वाराणसी शहर के गोदौलिया से बीस कदम की दूरी पे एक गली जिसका नाम है दालमंडी......कहने को तो ये शहर के जाने माने कपड़ों की मंडी है जहा हर तरह के कपड़ों और उससे जुड़ी अन्य छीजे मौजूद थी दिन भर भीड़ ऐसी की मानो सारा शहर यही आ जमा हो पर इस मंडी के दो पहलू है.....दिन मे तन ढकने को एक से एक कपड़े बिकते थे और शाम होते ही उसी तन की नुमाईश लगती थी.......
दालमंडी जो दिन में किसी आम बस्ती सी दिखती थी पर शाम होते ही किसी दुल्हन सी नजर आने लगती.....गली मे घुसते ही बेतरतीब इमारते थी......जो शाम होते ही रंगीन लाईटो से चमक उठती थी……..और उन्मे से कुछ मे तेज आवाज मे गाने बजते सुनाई पड़ते थे……नीचे गली में एक तरफ बिरयानी और पकोड़े वाले के ठेले लगे थे और उसी के बगल मे एक गजरे वाला भी दुकान लगाए बैठा था......बिरयानी की महक ऐसी की हर आने जाने वाला एक प्लेट तो खा ही लेता था क्युकी वही बगल मे देसी और अंग्रेजी दोनों तरह की शराब बिक रही थी.....वो शहर की ऐसी बदनाम गली थी जहा नामी गिरामी लोग बस रात के अँधेरे में आया करते थे…….
इसी गली मे एक मकान था फरजाना बेगम का जिसमे कई लड़किया थी पर उन्मे से एक थी “ कस्तूरी ” अपने नाम की तरह ही बला की खूबसूरत कमसिन लड़की जो अभी कुछ दिन पहले ही यहा लाई गई थी.....उसको प्यार करने की सजा मिली थी जिससे उसने प्यार किया था वही उसको यहा मात्र दो लाख मे बेच गया था.....
कस्तूरी 21 साल की खूबसूरत लड़की थी जो अभी नई नई जवानी का रस खुद मे समेटे एक फूल की तरह अपने माँ बाप के छाव तले पल रही थी......स्कूल से निकल कर कॉलेज मे अभी कदम रखा था और कॉलेज की आबो हवा से वो अनजान जा टकराई रजत से…….रजत एक 24 साल का गबरू नौजवान जो कस्तूरी का सीनियर था और जब से उसने कस्तूरी को देखा था तब से ही उसके पिछे पड़ गया था और सीनियर होने के नाते वो किसी ना किसी बहाने से उसके रास्ते आते राहत.....पर कस्तूरी कभी भी उसके मुह नहीं लगती क्युकी वो अपनी पढ़ाई मे ही व्यस्त रहती और उसका सपना था किरण बेदी जैसी आईपीएस बनना पर रजत था की मानने को तैयार नहीं था....कस्तूरी ने कई बार उसको ये सब हरकते करने के लिए मना किया....थक हार कर उसने कॉलेज आना ही बंद कर दिया बस एक्जाम के समय आती थी....इसी तरह दो साल निकल गए और एक दिन जब कस्तूरी कॉलेज किसी जरूरी काम से आई तो रजत ने बीच कॅम्पस उसका हाथ पकड़ कर उसको सब के सामने प्रपोज कर दिया और कस्तूरी ये सब से इतना घबरा गई की उसने रजत के मुह पे एक तमाचा मार दिया....उस दिन के बाद से रजत कभी उसके रास्ते नहीं आया....इस वाकये के बाद कई दिन कस्तूरी डिस्टर्ब रही क्युकी उसकी अंतर आत्मा उससे बार बार कहती की उसने ये गलत किया है और इसी उधेड़बुन मे कस्तूरी पहुच गई कॉलेज और वह वो रजत से मिल कर उसको सॉरी बोली और फिर उसने रजत के तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया.....उस दिन के बाद से कस्तूरी और रजत अक्सर साथ मे समय बिताने लगे और कॉलेज के आखिरी साल मे रजत ने दोस्ती की आड़ मे प्यार का ऐसा खेल खेला की कस्तूरी ने खुद को तन मन से रजत को सौंप दिया और अंततः कॉलेज खतम होते ही कस्तूरी रजत के साथ भाग गई अपनी प्यार भारी दुनिया बसाने जहा उसका अपना कहने को केवल रजत था पर ये क्या रजत ने उसके जज़्बातों और विश्वाश की ऐसी धज्जिया उड़ाई की आज कस्तूरी एक रंडी बन कर फरजाना बेगम के मकान के ऊपर बने एक कमरे से नीचे सड़क पे झाक रही थी.....
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कस्तूरी ने कई बार कोशिश की इस नरक से भागने की पर हर बार वो पकड़ी जाती और पकड़े जाने के बाद उसको हर बार मिलती एक नई सजा कभी दो तीन तक खाना पीना बंद तो काभी जानवरों से भी बदतर हालत मे कमरे मे बंद रखा जाता और बेरहमी से पिटाई तो हर बार फ्री मे मिलती थी.....कस्तूरी के अलावा भी यहाँ ना जाने कितनी और लड़किया थी जो इस धंधे में थी कुछ मजबूरी के कारण तो कुछ कस्तूरी की तरह यहा इस नरक मे जबरदस्ती धकेल दी गई थी....पहले पहले सब यहाँ से भागने की कोशिश करती लेकिन बाद में सब इसी को अपनी किस्मत समझ लेती क्युकी फरजाना बेगम के गुर्गे हर जगह फैले हुए थे और उसके कोठे की कोई भी लड़की इधर से उधर बगैर उनकी मर्जी के हिल भी नहीं सकती थी भागना तो दूर की बात है.....फरजाना बेगम ही इन सबको खरीदने और बेचने का काम किया करती थी.....शहर के ऊंचे से ऊंचे लोगों तक उनकी पहुँच थी और बड़े लोगों की हर गोपनीय महफ़िल मे फरजाना की ही लड़किया रंग बिखेरती थी और यही वजह थी की पुलिस भी उनसे डरती थी.....क्युकी जिस पुलिस वाले ने उनसे भिड़ने की जहमत उठाई उसके लौड़े लग जाते थे वो भी बड़े वाले....इसलिए उसका धंधा बेधड़क बिना रोक टोक चलते आ रहा था.....
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कस्तूरी के साथ और भी कई लड़किया बाहर सड़क पे देख रही थी तभी....
कस्तूरी बोली भक्क बहनचोद लग रहा आज की रात युही बित जाएगी पैसों की शक्ल देखने को आज भी नहीं मिलेगी....और एक सिगरेट सुलगा कर अपने होंठों से लगा लेती है अभी सिगरेट आधी ही खाक हुई थी की अचनाक एक हाथ पीछे से आकर कस्तूरी के कंधे पर पड़ा....वो पीछे घूमी तो देखी उसके सामने एक 28-30 साल का नौजवान खड़ा था.....उसने पूछा चलेगी...कस्तूरी ने सिगरेट वही फेंक कर अपने सैन्डल से रौंदी और उसके साथ कमरे मे चली गयी...सारी रात वह कस्तूरी के साथ खेलता रहा.....पूरी रात ना जाने कितनी बार वो लड़का कस्तूरी के फूल से बदन के रस को निचोड़ा.....सुबह सूरज की किरण फूटने से पहले ही वो कस्तूरी को छोड़ कर उठा और कस्तूरी को 500 के दस नोट पकड़ाते हुए बोला ले तूने मुझे खुश किया उसका इनाम....कस्तूरी ने पाँच नोट वापस कर दिए
लड़का बोला अरे रख ले....तेरे ही है तो कस्तूरी बोली नहीं साहब हराम का खाने को आदत नहीं हमको...जित्ते का काम उत्ता ही पैसा....ये बाहर स्टेशन के पास किसी गरीब को दे देना अगर तुमहारे काम के ना हो तो......लड़का बोला क्या नाम है तेरा....तो कस्तूरी बोली नाम क्यू जानना है पुलिस मे देगा क्या....हट बहनचोद घंटा कुछ उखाड़ेगी पुलिस मेरा

....लड़का हस कर बोल खुद नरक मे पड़ी है फिर भी तुझको दूसरों की पड़ी है ऊपर से इतनी अकड़....यहा तुझ जैसी लड़की पहली बार मिली है इसलिए पूछा....
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कस्तूरी बोली हूह जो काम हम करते है ना उसमें ये नाम वाम जानने की जरुरत नहीं बस आओ पैसा फेंको अपना काम बजाओ और फूल टू फटाक....
लड़के ने मुसकुराते हुए एक नजर उसे देखा और फिर बाहर निकल गया.....
कुछ दिन गुजरे की एक शाम वो लड़का फिर से फरजाना बेगम के पास पहुँच गया...उसका नाम सतीश था और वो एक बैंक में मैनेजर था....उसने आँगन मे बैठी फरजाना बेगम के गद्दी के पास पहुँच कर चारो तरफ अपनी नजरे घुमाई पर कस्तूरी दिखाई नहीं दी.....वो ऊपर गया तो ऊपर जाते ही बाँकी लड़कियों ने उसे घेर लिया.....हर कोई उसको एक रात का पति बनाने को तैयार थी पर सतीश को तो कस्तूरी चाहिए थी...ऐसा इसलिए क्युकी उस रात के बाद कस्तूरी ने उसके अंतरमन पे एक गहरी छाप छोड़ी थी....जिससे वो उसके पास दुबारा से जाना चाहता था.....कस्तूरी को ना देख कर वो वापिस नीचे गया और बाहर जाने लगा तभी फरजाना बेगम ने उसको रोका और उससे पूछी अरे क्या हुआ भाई बोलो कौन सी लड़की चाहिए....जिसके तरफ इशारा करोगे वो तुम्हारी....सतीश बोला नहीं मौसी मुझे वो लड़की नहीं दिखाई दी जिसके साथ मै कुछ रोज पहले बैठा था......फरजाना बोली अरे...कौन वो लड़की नाम तो बताओ
सतीश बोल वो लड़की इनमे से कोई नहीं है मौसी...और मुझे उसका नाम भी तो नहीं पता पूछा था तो उसने बताया ही नहीं.....इतने में कस्तूरी दो तीन लड़कियों के साथ बाहर से कुल्फी खाते हुए अंदर आई तो सतीश जोर से बोला यही तो थी....फरजाना बेगम बोली ओ कस्तूरी थी.....रे जा.....जा के इसके साथ बैठ जा.....कस्तूरी सतीश के साथ ऊपर आ गयी और कमरे मे बंद हो गई.....तो बाकी लड़किया आपस मे बोली पता नहीं इस भड़वे को इस छिनाल मे ऐसा क्या दिख गया जो इसके लिए ही मरा जा रहा था.....तो एक लड़की मजाक उड़ाते हए बोली लगता है हमारी मशीन मे इसका पिस्टन ठीक से नहीं बैठेगा इसलिए भोसडी वाली के पीछे पड़ा है….
अंदर कमरे मे कस्तूरी ने ब्लाउज का हुक खोलते हुए सतीश को देखा जो उसे घूरे जा रहा था तो वो बोली ऐसे क्या देख रहा है चल अपने कपड़े उतार और जिस काम के लिए आया है वो चालू कर....काम खतम कर और निकल....
सतीश बोला तुम इतनी सुंदर हो फिर भी इस कीचड़ मे कैसे पहुँच गई....कोई मजबूरी रही होगी या कोई और बात है तो मुझसे बताओ.......कस्तूरी हस्ते हुए बोली वो कहावत सुने है की नहीं कमल का फूल कीचड़ मे ही खिलता है वो और बात है की कुछ कमल के फूल कीचड़ मे ही दम तोड़ देते है....और हम तुम्हारे ये सब फालतू के सवालों का जवाब देने नहीं बैठे है यहा....हमारा काम है खुद को बेचना अपने जिस्म की नुमाइश लगाना और तुम जैसे लोगों को कुछ समय के लिए खुश करना बस....
सतीश बोला पर आज हम तुम्हारे साथ सोने नहीं आए है…..हम खुद नहीं जानते की हम यहा क्यू आए है....दिल्ली से बनारस आए तो थे हम कंपनी के काम से पर जब पिछली बार तुमसे मिल कर गया था तो पता नहीं क्यू तुम्हारी कही हुई बातों से मेरे दिल मे एक टिस स उठा था और उसी टिस के कारण मै आज भी यहाँ खींचा चला आया.....तुम्हारे पास कस्तूरी अधखुले ब्लाउस के बटन छोड़ कर उसको घूरने लगी....सतीश बोला क्या हुआ अब तुम मुझे ऐसे क्यू घूर रही हो भगा देगी क्या टेंशन मत ले बिना कुछ कीये भी पैसे दे कर जाऊंगा....
कस्तूरी बोली तेरे जैसे लोगो के लिए हमारी जैसी लड़किया सिर्फ एक रात की पत्नी होती है पर दिन में तो तुम लोग हमे पहचानने से भी कन्नी काटते फिरोगे साला बड़ा आया दिल मे टिस ले कर....कस्तूरी ने ब्लाउस के बटन बंद कीये और साड़ी का पल्लू कंधे पर रखते हुए उससे बेबाकी से बोली....
सतीश बोला तुम्हारी बाते सौ टका सच है और उसने अपने पैकेट से एक सिगरेट निकाली और सुलगा ली......एक कश लेते हुए उसने सिगरेट कस्तूरी की तरफ बढ़ा दी....कस्तूरी ने मुसकुराते हुए कहा मै नहीं पिती वैसे ही जिंदगी ने पहले से बहुत दम घोंट रखा है.....सतीश बोल क्यू ऐसा क्या किया है जिंदगी ने तुम्हारे साथ....
कस्तूरी मुसकुराते हुए बोली हूह साला दो कश मोहब्बत के क्या लिए पूरी जिंदगी ही धुआ धुआ हो गई और अब ये दस रुपये की सिगरेट के कश क्या लगाऊ......सतीश उठा और अपनी जेब से 500 के तीन नोट निकाले और उसकी तरफ बढ़ा दिया.....कस्तूरी बोली जब कुछ किया ही नहीं तो काहे का पेमेंट उस दिन बोली थी ना की हराम का नहीं खाती जा....
अभी कस्तूरी कुछ बोल ही रही थी की सतीश ने अपनी सिगरेट फेंकी और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खींचा और अपने होठ उसके होठो पर रख दिए......और कुछ देर उसके होंठ चूसने के बाद उसने कस्तूरी के ब्लाउस मे हाथ डाल कर पैसे उसकी चूचियों मे घुसा दिया.....और हाथ बाहर निकाल कर उसकी चुची को थपथपाया और बोला इतना काफी है शायद इतने के हिसाब से है ना.......और वो ये कह कर बाहर निकल गया.......कस्तूरी हैरान सी कमरे मे खड़ी ही रह गई क्युकी रजत के बेचने के बाद से....इतने दिनों मे आज ये पहली बार हुआ था की कोई व्यक्ति बिना उसके शरीर से खेले गया हो क्युकी हर रात उसका पाला एक से बढ़कर एक कुत्तों से होता था जो उसको हर तरीके से नोचते थे और पैसों के बदले कस्तूरी हर चीज मजबूरी मे करती थी.......
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कस्तूरी अपने ब्लाउस पैसे निकाल कर अभी बिस्तर पे बैठी ही थी की तभी चाँदनी उसके कमरे मे घुसी और बोली क्या बात है.......आजकल तो तू ही तू छायी हुयी है हर जगह.......वैसे बड़ा जल्दी निपटा दिया तूने उसको.......तो कस्तूरी बोली नहीं रे ऐसा कोई बात नहीं है अब कस्टमर को हम ही चाहिए तो उसमे हम क्या करू.......और वो साला कुछ किया ही नहीं बस मेरे को चूमा और मेरे ये बोबे दबा कर इनमे पैसे ठूस कर चला गया.......



चाँदनी बोली है....वाह रे तेरी किस्मत साली एक हम है जिनको हर बार बिना अपनी मरवाए एक पैसा देखने को नसीब नहीं होता.......वैसे तेरा ये दीवाना था बड़ा मस्त और देखने से ये मालूम पड़ता है की वो यहा का तो है नहीं.....कोठे की सारी लड़किया तैयार थी उसके साथ बैठने को पर उसे तो केवल तू चाहिए थी.......साला भोसडी वाला.......

कस्तूरी हस्ते हुए बोली अरे तू तो उसको ऐसे गाली दे रही मेरी जान.......जैसे वो मेरा कस्टमर नहीं आशिक़ हो.......हा या तू जल रही है मुझसे.......
चाँदनी बोली अरे जा ना मै क्यू जलने लगी पर देखना कही तेरी लेने के चक्कर मे तुझको ही ना ले ले.....कस्तूरी ने उसकी इस बात को युही हसी मे टाल दिया....फिर कस्तूरी लग गई अपना दूसरा ग्राहक ढूँढने क्युकी रात तो अभी जवान ही हुई थी.....
उधर सतीश बनारस से दिल्ली के लिए निकल गया पर पूरे रास्ते वो कस्तूरी के बारे में ही सोचता रहा.....उसका हुस्न उसकी अदाएं उसकी बेबाक बाते सब कुछ......उसके आँखों के सामने नाचती रहती....वो कस्तूरी को जानना चाहता था....उसके करीब जाना चाहता था इसी चक्कर मे उसने अपना ट्रांसफर ही बनारस करवा लिया और नतीजतन अब कस्तूरी के पास वो हर शाम पहुच जाता और कस्तूरी के अलावा वो किसी और लड़की के साथ नहीं बैठता था.....बीच बीच मे वो उसके लिए कभी कुछ अच्छा खाने को तो कभी उसके लिए कपड़े और कभी अलग अलग तरह के तोहफे ले जाने लगा पहले पहते तो कस्तूरी वो सब नहीं लेती थी पर सतीश के काफी जिद करने के बाद कस्तूरी कभी कभी उसके तोहफे रख लिया करती....पर फरजाना बेग़म ये समझ चुकी थी की लौंडा आशिक़ी कर रहा है जो उसके धंधे के लिए अच्छा नहीं था....
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एक शाम सतीश जब कोठे पर आया तो उसे कस्तूरी कही नहीं दिखी उसने फरजाना बेगम से पूछा तो वो बोली की वो दूसरे कस्टमर के साथ है....आज किसी और लड़की के साथ बैठ जा....पर सतीश को तो कस्तूरी ही चाहिए थी वो बेगम से बोला नहीं कस्तूरी के फ्री होने तक वो इंतेजार करेगा पर फरजाना बेगम बोली अबे वो ज्यादा आशिक़ी सूझ रही है क्या उतारू तेरा बहुत चाल भाग यहा से....उनके ऐसे डाटने पे वो मायूस हो कर वहा से चला गया पर वो उसकी बातों से डरा नहीं बल्कि अगले दिन फिर पहुँच गया और फरजाना बेगम ने उसको भगाने की कोशिश की पर वो नहीं माना और एक दिन फरजाना के गुर्गों ने उसे पीट दिया पर सतीश इतने से भी नहीं माना और वो रोज उसके कोठे के पास आ कर घंटों खड़ा रहता ताकि उसकी एक झलक देखने को मिल जाए....इधर कस्तूरी भी हर बात जान रही थी की सतीश के साथ क्या हो रहा था पर उसे इन सब से क्या मतलब पर वो कहते है ना की ताली एक हाथ से नहीं बजती....उधर सतीश के जिद के आगे कुछ हफ्ते गुजरने के बाद फरजाना बेगम ने उसे एक दिन बुलाया और बोली की तू नहीं मानेगा है ना देख साफ साफ कहे देती हु ये प्यार मोहब्बत के चक्कर मे मेरी लड़कियों कोफआसने की कोशिश की ना तो साले गायब करवा दूँगी पता भी नहीं चलेगा की किधर गया तू....सतीश बोला की नहीं मौसी कोई प्यार वीअर का चक्कर नहीं है बस कस्तूरी की बात ही कुछ और है बोलो तो आप पैसे कुछ ज्यादा ले लिया करो ना मुझसे और एक 500 की 20 नोटों की गड्डी उसके हाथों मे रख दी....फरजाना बेगम पैसों की गड्डी उसको वापस करते हुए बोली ये सब मुझे मत दिखला समझा....तो सतीश बोला की नहीं रे मौसी आप समझो मुझे कस्तूरी ही चाहिए बैठने को हर बार बस मेरी इस जरूरत का तू खयाल रख....
फिर फरजाना कस्तूरी को आवाज दी और उसको बोली जा बैठ जा....रे कस्तूरी इसके साथ.......ऊपर से कस्तूरी बोली ठीक है मौसी....सतीश ऊपर गया और जैसे ही कस्तूरी से मिला तो उसका मन किया की उसके गले लग जाए पर वो नहीं लगा पाया क्युकी वहा और भी लड़किया थी.......कमरे में आते ही वो कस्तूरी के गले लग गया तो कस्तूरी उसे बोली बड़े दिनों बाद याद आयी हमारी....सतीश याद तो हमेशा करता था पर तुमसे मिलना नहीं हो पाया शायद मौसी को मेरा तुमसे बार बार मिलना पसंद नहीं आया और उस चक्कर मे मैंने बहुत कुछ झेला पर आज तुमसे मिल लिया अब सब ठीक है.......
कस्तूरी बोली हां वो मौसी ने कुछ बड़े लोगों के पास भेजा था उनकी ही मेहमान नवाजी मे बिजी थी.....सतीश बोला तुम ये सब छोड़ क्यों नहीं देती.......कस्तूरी हस्ते हुए बोली क्या छोड़ दु.......सतीश बोला ये दूसरे लोगों का बिस्तर गरम करना.......तो कस्तूरी बोली अच्छा तो तुम कौन हो.......तुम क्या मेरे अपने हो या मेरे मर्द हो या हम दोनों मे कोई रिश्ता है.......सतीश बोला अच्छा इतने दिनों से मै तुम्हारे पास रोज आ रहा था और जब मेरा आना बंद हो गया तो क्या तुम्हें मेरी जरा भी याद नहीं आई बटन जरा.......कस्तूरी बोली मै एक रंडी हु और रोज कई तरह के लोगों के साथ मै सोती हु तो क्या वो सब मेरे अपने है हा.......सतीश बोल अच्छा मतलब तुम्हारे हिसाब से हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है....कस्तूरी बोली जिस घड़ी दो घड़ी के साथ को तुम रिश्ता कह रहे हो लोग उसे नाजायज रिश्ता बोलते है समझे....
सतीश बोला मै ये अच्छे से जानता हु की हमारे बीच क्या रिश्ता है शायद इसलिए मै इतने दिनों तक रोज तुम्हारा ही इंतेजार करता था शायद इसलिए ही मैंने अपना ट्रांसफर दिल्ली से बनारस करवा लिया शायद इसलिए ही मै मौसी के गुंडों से ही पिटाई खाया था शायद इसलिए ही आज मौसी को मना कर मै तुमसे मिल पाया शायद इसलिए ही मौसी ने मेरी जिद के आगे झुक कर तुमसे मिलने की इजाजत दे दी और अगर अब भी तुमको लगता है की हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं तो ये तुम्हें लगता होगा मुझे नहीं क्युकी मेरे हिसाब से हमारे बीच रिश्ता है और वो नाजायज नहीं है शायद यही वजह है की मुझे अच्छा नहीं लगता जब कोई और छूता है जब कोई और तुम्हें अपने साथ ले जाता है.......
कस्तूरी बोली देख मै अभी ही बता देती हु मेरा पेशा है रंडी बनना और तेरे को खास कर बता देती हु इस जिस्म से जितना मर्जी हो उतना खेल ले पर अगर बीच मे दिल को लाया ना तो फिर अच्छा नहीं होगा.......जो मेरा सच है वो अब कोई नहीं बदल सकता समझा इस जीवन मे तो कोई नहीं बदल सकता.......सतीश बोला मैं तुमसे प्यार करने लगा हु.......बहुत चाहत हु तुम्हे तुम मेरे दिलों दिमाग मे इस तरह घुसी हो की अब मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.......तुम्हारा पेशा भले होगा ये सब पर अगर किस्मत मे लिखा होगा तो ये पेशा भी छूटेगा और किसी अपने का साथ भी मिलेगा.......कस्तूरी जोर जोर से हस्ते हुए बोली अबे क्या बोला तू प्यार.......प्यार करता है हमसे होश मे तो है तू मै कौन हु ये जानते हुए भी तू मुझसे प्यार हाहाहाहाहाहाहा प्यार करता है.......
सतीश बिस्तर से उठा और कस्तूरी के दोनों हाथो अपने हाथो में लेकर कहा मै तुमसे प्यार करता हु और शादी भी करूंगा एप इस रिश्ते को उसको एक नाम दूंगा मै तुम्हें इस नरक से बाहर निकालकर अपने दुनिया स्वर्ग बनाना चाहता हु जिसमे तुम होगी और मै होऊँगा.......कस्तूरी हम जानते है की तुमको ये सब बकचोदी भारी बाते लग रही होंगी पर ये सच है और तुम्हारे दिल में क्या है वो तुम खुद से पूछना मेरे जाने के बाद बस हम यही कहेंगे की आई लव यू❤.......
कस्तूरीकी हसी अब बंद हो गई थी और वो बस सतीश को एकटक निहारे जा रही थी....फिर एकाएक हसने लगती है और अपनी साड़ी का पल्लू जमीन पे गिराते हुए अपनी ब्लाउस के बटन खोलने लगती है और कहती है मस्त डायलॉगबाजी मारा तू किस फिल्म का है बोल ना मै भी देखेगी और फिर से हसने लगती है अब वो अपना ब्लाउस उतार चुकी थी और अपनी पेटीकोट का नाड़ा खोल ही रही थी की सतीश उसके चेहरे को पकड़ कर बोलता है मै ये सब करने नहीं आया हु मुझे अपने प्यार का इजहार करनया था जो मैंने कर दिया है अब आगे तेरी मर्जी उसको अपना या ना अपना पर इतना जान ले जब तक मै अपने प्यार का एहसास तेरे दिल मे नहीं जगा देता तब तक मै चैन से नहीं बैठूँगा.......और जमीन पर पड़े उसके पल्लू को उठा कर उसकी छाती को दहकते हुए वहा से निकल जाता है.......
अगले कुछ दिनों तक फिर से सतीश और कस्तूरी का वही सिलसिला शुरू होता है वो रोज उससे मिलने आता और बिना कुछ कीये आखिर मे उसे चूम कर चला जाता.......अब कस्तूरी उसके इस व्यवहार से परेशान होने लगी थी उसके दिल के किसी कोने मे मर चुके प्यार के पौधे को कोई वापिस से जिंदा कर रहा था....ऐसे ही एक दिन जब सतीश कस्तूरी से मिलने आया तो वो उससे बोली की पागल जैसी हरकते तू कर रहा है कितना पैसा है तेरे पास हा सतीश उसके इस सवाल पे अपने पैकेट से एक सिगरेट निकाल कर सुलगा लेता है और बोलता है मेरी जान जब तक तुझको पा ना लू तबतक तो ये पैसे खतम होने से रहे....अब देखना ये है की तू कब तक मेरी मोहब्बत को अपना मानती है....कस्तूरी उसके हाथों से सिगरेट ले लेती है और पीने लगती है और बोलती है देखो मै इस प्यार के चक्कर मे पहले ही पड़ कर अपनी दुनिया मे आग लगा चुकी हु और दुबारा से इसपे भरोसा नहीं हो सकता मुझे और तेरी वजह से मै किसी और ग्राहक के साथ नहीं बैठ पाती मौसी अलग ही चिल्लाती है इसलिए अब आज से मै तुझसे नहीं मिलूँगी और मेरे साथ प्यार वीअर भूल जा.......
सतीश उठा और कस्तूरी के हाथों से सिगरेट छीनते हुए बोला तूने तो उस दिन बोल था की तू नहीं पीती फिर आज कैसे इस आग को अपने इन होंठों से लगा लिया कही तू भी तो मुझसे प्यार नहीं करने लगी है......कस्तूरी ना चाहते हुए भी उसके तरफ खींची जा रही थी वो हकलाते हुए बोली की नहीं ऐसी कोई बात नहीं है....प्यार के लिए मेरी जिंदगी मे कोई जगह नहीं है...सतीश बोल पर मुझे तो तेरी आँखों मे प्यार साफ साफ दिख रहा है...कस्तूरी के आँख से आँख मिला कर सतीश उससे बोले जा रहा था की तभी कस्तूरी की आंखे भर आई और सतीश बोला हा ये देख मेरी मोहब्बत को ना अपनाने वाले आँसू अभी बह कर निकलने वाले है जिसके बाद सिर्फ मेरे प्यार के लिए ही जगह बचेगी इन आँखों मे वाह अब अगर तू मेरी आँखों मे आंखे डाल कर ये बात बोल पाई की तू मुझसे प्यार नहीं करती तो मै मानूँगा की मेरा प्यार प्यार नही था और फिर दुबारा मै काभी तेरे रास्ते मे नहीं आऊँगा.......
कस्तूरी उसके गले से लग गई और रो पड़ी.....रजत के प्यार मे उसे जो धोखा मिला था आज वो शायद आँसूओ के रास्ते बह कर बाहर निकाल रहा था....सतीश ने उसे अपने गले से लगा लिया और बोल रो ले जितना रोना है अब आज के बाद से ये आँसू बंद समझी....उस रात कस्तूरी सतीश के साथ बैठ कर रात भर बाते की और उसके बारे मे जानी और सुबह मे जाने व्यक्त सतीश बोला की अब मै कुछ दिन बाद आऊँगा और तुमको यहा से निकाल कर ले जाऊंगा तब तक ऐसी ही रहना जैसा छोड़ कर जा रहा हु......कस्तूरी खामोश थी उसके जाने समय तो सतीश बोला की घबरा मत मै धोखा नहीं दूंगा....और वो निकल जाता है
उसके जाने के बाद कस्तूरी अब धंधा ना के बराबर करती थी जिसको फरजाना बेगम डेजख रही थी एक दिन उन्होंने कस्तूरी को बुलाया और बोली क्या बात है कस्तूरी.......आज कल तू धंधे पे ध्यान नहीं दे रही है.......क्या खिचड़ी पका रही है तू....कस्तूरी बोली कुछ नहीं मौसी अब ये काम करने का मन नहीं है......फरजाना बोली हा बेटा मै सब समझती हु की तेरा मन क्यू नहीं है ये काम करने का क्युकी तेरा मन तो तेरे उस आशिक मे लगा हुआ है काही प्यार वीअर तो ना ना करने लागि है तू उस लौंडे से.......साला हारामी मै पहले से ही जानती थी की मेरी बच्ची को बहका रहा है वो.....कस्तूरी बोली मौसी उसको गाली मत दो एक शब्द नहीं सुनूँगी उसके खिलाफ.......फरजाना बेगम बोली तू ना बोलने को कह रही है उस हारामी को आने दे मै उसे समझाती हु की बहकाना किसे कहते है.......
कस्तूरी बोली मै उससे प्यार करने लगी हु मौसी.......पहले पहल मेरा दिल बिल्कुल नहीं माना पर उसके बार बार एक ही बात दोहराने से मई टूट गई मौसी.......और कस्तूरी रो देती है.......फरजाना बेगम कस्तूरी को बोलती है तुझे पहली मोहब्बत का अंजाम याद है ना बेटा और वैसे भी हमारे धंधे में ये मोहब्बत तो रोज होती है पर एक से नहीं हर रात अलग अलग लोगों से.......इस पेशे मे प्यार का कही कोई मतलब नहीं बनता बेटा.......प्यार सिर्फ और सिर्फ बिस्तर तक ही जब तक लंड का पानी ना निकल जाए या फिर जब तक मर्द का मन ना भर जाए.......
कस्तूरी बोली वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है शादी करना चाहता है....जब उसने अपनी खूबसूरत आंखे मेरी आँखों मे डाल कर अपने प्यार का इजहार किया तो मैंने उसकी आँखों मे एक सच्चाई देखी मौसी.......फरजाना बेगम हस्ते हुए कस्तूरी के चेहरे पे हाथ घुमाती हुई बोली बेटा हर खूबसूरत चीज धोखा देती है.....तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यू ना हो मांगती तो आखिर खून ही है ना.......तू अभी उसके प्यार के नशे मे झूम रही है इसलिए ऐसी बाते कर रही है......
कस्तूरी बोली नहीं मौसी जो रजत ने किया उसका खामियाजा बहुत भुगत चुकी पर मै फिर से एक मौका खुद को देना चाहती हु फिर से जीना चाहती हु.......मैंने सतीश को तन मन से अपनाया है वो मुझे धोखा नहीं देगा.......आज तक मैंने आपकी हर बात मानी है मौसी.....बस ये एक मेरी छोटी सी ख्वाहिश आप पूरी कर दीजिए और मुझे उस से शादी करने की इजाजत दे दीजिए.......फरजाना बोली देख बेटा मैं तेरी खुशियों के रास्ते का रोड़ा नहीं बनना चाहती पर तु जिस तरफ जा रही है वहा पे कब कौन किसके पीठ मे छुरा मार दे कोई नहीं जानता......मेरी बात तू समझ रही है ना मै क्या कहना चाहती हु......
कस्तूरी बोली नहीं मौसी वो हमेशा मेरा साथ देगा धोखे का तो सोचना भी पाप होगा उसके लिए.......फरजाना बोली तू नहीं समझेगी चल ठीक है जा जी ले एक बार फिर से अपनी जिंदगी पर इतना याद रखना एक बार यहाँ से जाने के बाद दुबारा इस चौखट की तरफ मुड़ कर भी मत देखना.....ये दहलीज जो एक बार तूने लांघ दी तो फिर ये रास्ता तेरे लिए हमेशा के लिए बंद हो जायेगा.......इतना कहकर बेगम उसे बोलती है जा जब तक यहा है सजा ले अपने सपने जब वो आएगा तो चली जाना उसके साथ मै नहीं रोकूँगी.....कस्तूरी सतीश के प्यार में इतनी डूब गई थी की उसे कुछ और दिखाई ही नहीं दिया वो तो बस दिन रात अपनी नयी जिंदगी के सपने देखने लगी और एक शाम सतीश आ गया उसको लेने....
जाते समय फरजाना ने उसका सर चूमकर कहा जहा भी रहना खुश रहना.....दोनों खुशी खुशी वहा से निकल गए.......कस्तूरी सतीश के साथ बाहर निकल कर बहुत खुश थी आखिर उसको इतने लंबे अंतराल के बाद जिंदगी ने एक ऐसे इंसान से मिलवाया जो उसके जीवन मे नई बहार ले कर आया था.......
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बनारस से वो लोग पहुँचे दिल्ली और सतीश उसको घर ले जाने के बजाय एक आलीशान बंगले पर लेकर जाता है जहा वो कस्तूरी को एक अधेड़ उम्र के इंसान के हवाले कर देता है......सतीश बोलता है कस्तूरी ये मेरे मालिक है और अपने इलाके के होने वाले एमएलए बहुत पावर और पैसा है इनके पास समझी इन्ही की फरमाईश थी की तुझको यहा ले कर आऊ एक नेता के साथ इन्होंने तुझे लखनऊ मे देखा था और तब से कई बार तेरी उस मादरचोद मौसी को इन्होंने खुद कहा यहा तक की मुह मांगी कीमत भी देने को तैयार थे पर वो रंडी साली मानी ही नहीं इसलिए इन्होंने मुझे वहा भेजा तुझे लाने को समझी.......इनको तुम खुश कर दो फिर तुम हमारे ही पास रह जाना कही और जाने की जरूरत नहीं बस जब जब ये कहेंगे तुम जैसे वहा बड़े लोगों की महफ़िल सजाती थी वैसे ही यहा भी करना.......
कस्तूरी ने रोते हुए कहा तुमने भी मुझे धोखा दिया पर क्यू.......हम तो शादी करने वाले थे ना.......सतीश बोला अरे शादी छोड़ बस तू मेरा और इनका कहा मानती जाना तेरी जिंदगी सवार दूंगा समझी.....कस्तूरी रोते रोते बोली पर तुम तो मुझे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे ना....मेरे साथ अपनी दुनिया बसाना चाहते थे नया.....सतीश हस्ते हुए बोला यही है अपनी दुनिया आंखे घूमा कर देख तो और शादी तो नहीं पर सुहागरात जरूर मनाऊँगा मै भी और मेरे मालिक भी और जिनके साथ वो कहे उनके साथ भी समझी.......और इतना कहकर उसे बाह से पकड़ते हुए अपने मालिक के कमरे मे बिस्तर पर फेंक आता है कस्तूरी चिल्लाती रही चीखती रही उसके पैरों को पकड़ कर उसको रोकती रही पर सतीश पर उसका कोई असर नही हुआ.......और फिर कमरे मे उसका मालिक आया और भूखे कुत्ते की तरह उस पर झपट पड़ा.....कस्तूरी के जिस्म के साथ साथ उसकी मोहब्बत के सपने को उसके भरोसे को एक बार फिर से चकनाचूर कर दिया गया था.....प्यार के नाम पे एक बार फिर उसके इज्जत की धज्जिया उड़ा दी गई थी और कस्तूरी बदहवास हो गई थी और एक जिन्दा लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी उस आदमी के नीचे पिसती रही पर उसकी आँखों मे अब एक आग थी जो अब बुझाने से भी ना बुझने वाली थी.....
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उसके जिस्म से पूरी रात खेलने के बाद वो आदमी उधर ही सो गया जबकि कस्तूरी वही बगल मे नंगी पड़ी हुई थी आंखे खोले जिनके कोने मे आँसू सुख कर ठहर चुके थे उसके जिस्म को इस तरह रौंदा था की अभी उसमे जान नहीं बची थी सुबह हुई और वो आदमी उठ कर बाहर गया और सतीश को उठाया जो बाहर हॉल मे ही सोफ़े पे सो रहा था और उसको बोला वाह यार सतीश क्या माल है लगती ही नहीं की एक रंडी है साली सर से ले कर पैर तक कयामत है एकदम मजा ही आ गया इस माल को खा कर चुची से ले कर चुत तक सब टाइट है ऐसी कट्टों पीस तो पूरे दिल्ली मे नहीं मिलेगी.......
सतीश बोला अरे मालिक आप ही की पसंद है पर साली को कोपचे मे लेने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ा इसके लिए साला मार खाया बीच बाजार कुत्तों की तरह तब जाकर मिली है सर.......पर अब मेरा वो पेट्रोल पम्प वाला लाईसेंस का थोड़ा जल्दी करवा देते मालिक तो बड़ी कृपा होती आपकी
आदमी बोला अरे अब तू फिकर मत कर अगले महीने तेरा काम हो जाएगा तब तक के लिए इस कातिल जवानी को यही रहने दे......मै आता हु तैयार हो कर फिर तेरे साथ ही निकलूँगा...और वो चला जाता है वहा से.....जब वो आदमी अंदर आता है तो देखता है की कस्तूरी नंगी है और खड़ी होने की कोशीश कर रही होती है तो वो दौड़ कर उसको अपनी गोद मे उठा लेता है और बोलता है अरे रानी हमे कह दिया होता तो कस्तूरी बोलती है पेशाब करना है छोड़ो मुझे तो वो उसे बाथरूम मे ले आता है और कहता है की कर ले रानी यही पे कस्तूरी जब तक पेशाब करती है तब तक वो बूढ़ा बाथटब मे बैठ जाता है और कस्तूरी को बोलता है इधर आओ मेरी रानी कस्तूरी धीरे धीरे उसके साथ पानी मे घुस जाती है और अब वो उस बूढ़े के ऊपर सवार थी और जैसे ही कस्तूरी ने अपनी पकड़ मजबूत की उसने उस आदमी का सर दे मारा पीछे टाइल्स की दीवार पे और जब तक मारती रही जब तक उसके प्राण पखेडू उड़ नहीं गए.......
कस्तूरी उसकी लाश को वही पानी मे छोड़ बाहर निकलती है और कमरे मे आ कर कपड़े पहनती है.......फिर बाहर निकलती है जहा सतीश इत्मीनान से सोफ़े पे बैठ कर सिगरेट पी रहा होता है......कस्तूरी को जब वो आता देखता है तो पूछता है की मालिक को खुश किया की नहीं मान जा यार तेरे साथ साथ मेरी भी जिंदगी पटरी पे आ जाएगी तो कस्तूरी बोलती है तुमने मुझे धोखा दिया क्यू.......सतीश बोलत है इसमें धोखा कहा है यार देख वहा तुझको रोज पैसे कमाने की टेंशन होती थी वो खिटपीट यहा नहीं है ना फिर क्यू धोखा धोखा का रट लगाए हुए है.......तभी कस्तूरी अपने चेहरे पे मुस्कान लाते हुए बोलती है अरे मादरचोद भोंसड़ी के पहले क्यू नहीं बोला इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी कम से कम मेरा दिल तो दुबारा नहीं टूटता और ये कहते हुए वो सतीश की गोद मे बैठ जाती और सतीश को चूमने लगती है और वो उसके कमर को थामते हुए कहता है अरे रानी तू तो बहुत जल्दी मान गई चल अच्छा है और तभी कस्तूरी मुसकुराते हुए हाथ पीछे ले जाती है और अपने बंधे हुए बालों को खोलने की दिखावा करती है और पीछे मेज पर पड़े फलों के कटोरे मे से चाकू उठाती है और एक ही झटके मे उसकी गर्दन की सारी नसे खोल देती है सतीश उसकी कमर को छोड़ अपनी गर्दन पकड़ लेता है पर कस्तूरी फिर से उसके उंगलियों पे वार करती है और चाकू फिर से उसकी गर्दन मे घिसता हुआ निकल जाता है और वो चीखते हुए कहती है रंडी हु पर रंडी से पहले एक लड़की हु और उसका भी दिल होता है.....सतीश भी खतम हो चुका था और कस्तूरी कितने ही देर तक ऐसे ही बैठी रही और अपने कीये पर आँसू बहाती रही.......फिर वो वहा से निकल कर चाल पड़ी थी ऐसे रास्ते पर जिसका ना उसे पता था ना ही किसी और को.......
समाप्त