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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
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TharkiPo

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UPDATE 180

लेखक की जुबानी

दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।

वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।

हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।

शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।

शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब

रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है

ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और

रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?

शिला - अरे भाभी वो जो....

फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और

शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?

रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?

शिला चौक कर - कौन ?

रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।

शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?

रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।

शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?

रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही

शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?

रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस

शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !

रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा

रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।

वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।

रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी

रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की

वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही

तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म

राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !

रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं

राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए

रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही

राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही


रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं

राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही

इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था

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निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये

निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी


राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो

निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना

कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा

निशा तुनक कर - चलो भाभी

फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।

राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?

कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!

राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?

कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है

कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।

इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।

इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।


अमन के घर


सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।

सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।

ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।

संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।

ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।

संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।

ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है

संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।

अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे



इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।


भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।

संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।

रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।



एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है

करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।

तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।

ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना

भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?

ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!

भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो

भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।

ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही

ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत

ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था


भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया

ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी

भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...

ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही

भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!

ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह

भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई

ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग

भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा

ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही

ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी

भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।

शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।

ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया

भोला - टोटल 5 लोगों को
ममता - किसको किसको ?

भोला - मै , आप , संगीता और दोनो भाई साहब को

ममता मुस्कुराकर - हम्म्म तो कौन कौन सी गाली मिली हिहिहिही

भोला मुस्कुराते हुए - आप लिखिए मै बोल रहा हु

फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये

भोला -
अमन की बुआ के 6-6 यार
ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला -
अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....


ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."

भोला हिचक कर - हा लिखिए

अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज
ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे

भोला -
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो


ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।

भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी

ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही

भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है


अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।



भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप

भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया -
दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!

ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है

भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला -
उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़


ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह

ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए

दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...


ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना

भोला -
दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी


ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।

भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।

भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने

ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो

ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।

उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है

ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा

ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना

भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले

ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही

भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।

ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका

भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको

ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही

भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा

ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।


ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना

भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही

भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही

भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु

ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।

ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।

अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी

वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।

सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ

ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना

ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी

संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना

ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।

संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे

ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही

फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा

वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।

फिर चुपचाप कमरे से बाहर आ गया ।


जारी रहेगी
Bhai abhi sari update padhi pending ki and kahna padega chha rahe ho, ye shadi bahut suhani chal rahi hai aur aisi rashmein dekh kar man khush ho raha hai.. isi tarah is byah ko aur dhamakedar banate jao,aur agali mazedar update ka intezar hai, bas chhoti si shikayat ye hai ki jab sab maze le rahe hain to apane bitiya ki maa, Ragini ji ko kyun shant kara baitha hai, ghar mein itne mard ho aur kisi ka unpar dhyan na jaye kaise jo sakta hai.
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Bhai abhi sari update padhi pending ki and kahna padega chha rahe ho, ye shadi bahut suhani chal rahi hai aur aisi rashmein dekh kar man khush ho raha hai.. isi tarah is byah ko aur dhamakedar banate jao,aur agali mazedar update ka intezar hai, bas chhoti si shikayat ye hai ki jab sab maze le rahe hain to apane bitiya ki maa, Ragini ji ko kyun shant kara baitha hai, ghar mein itne mard ho aur kisi ka unpar dhyan na jaye kaise jo sakta hai.
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिए :D
वही हाल रागिनी का है
वो कोई कामोत्तेजक महिला नही है कि उठते जागते हर काम मे सेक्स की चाह उठे ।
उसके जीवन मे उसकी लाडली की शादी की खुशियाँ सबसे बढ़कर है और वो उसके लिए बहुत पोजेसिव है। ऐसे मे सिर्फ एक ही शख्स है जिसकी झलक भर रागिनी के जिस्म के रोयें रोयें सिहरा सकती है और उसका अभी तक चमनपुरा मे आगमन नही हुआ है ।

कुछ बहुत ही धमाकेदार होने वाला है शादी के आखिरी दिनो मे .... :D

सिर्फ तुमको बता रहा हु :listen: (GREAT GRAND MASTI )
 

DREAMBOY40

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UPDATE 181 A

लेखक की जुबानी

शाम के 5 बज गये थे , सारे लोग तैयार होकर नये नये ड्रेस मे तस्वीरें निकलवा रहे थे ।
रंगीलाल ने सभी gents के लिए आज मेहन्दी पर पहनने के लिए खास कुर्ता सेट मगवाया था और बारी बारी से सबको बाट रहा था

रंगीलाल उपर के कमरे मे राहुल और उसके पापा को उनका कपड़ा देके जीने की ओर लौट रहा था कि तभी उसकी नजर जीने से उपर आती शालिनी पर गयी ।

20230823-165302
शालिनी का पल्लू उसके सीने से हट चुका था , पिन की वजह से अटका हुआ था और ब्लाऊज मे कैद उसकी चुचिया उछल रही थी
रन्गीलाल शालिनी को ऐसे देखा वही रुक गया और शालिनी उसके पास आकर रुकी तो उसने रन्गीलाल की आंखो मे देखा जो उसको छातियों को निहार रहा था ।
शालिनी ने झट से अपना पल्लू खिंच कर सीने के उपर किया और मुस्कुरा कर रन्गीलाल को देखा । फिर अपनी जुल्फो को कानो मे फसाते हुए साइड से निकल कर शर्माती हुई सोनल के कमरे मे निकल गयी ।

वही रन्गीलाल ने गरदन घुमा कर उसको देखा फिर निचे जाने के बजाय वही हाल मे सोफे पर बैठ गया ।
जहाँ पहले से ही शाकुंतला , विमला रजनी बैठे थे और उनसे बाते करने लगा ।

वही राहुल अनुज और विमला का बेटा मनोज डीजे पर चलाने के लिए भोजपुरी गानो की लिस्ट खोज रहे थे ।

राज और कमलनाथ भी साथ मे तैयार होकर कमरे से बाहर निकल रहे थे कि सामने गेस्ट रूम से शिला एक स्लिवलेस प्लाजो सूट मे तैयार होकर बाहर निकली , उसने एक नेट वाला दुपट्टा साइड से ले रखा था और उसके मोटे मोटे चुचे कसे हुए उभरे थे ।
कुल्हे पर कुरती उठी हुई थि और पलाजो मे जान्घे कसी हुई थी ।

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शिला की नजरे जैसे ही कमलनाथ से टकराई वो थोडा शरमाई और फिर इतराती हुई आगे बढ़ती हुई अपने बालो को पीछे से आगे करते हुए अपनी डीप गले वाली बैकलेस कुरती से अपनी गोरी चिकनी पीठ कर दिदार कराते हुए एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ आगे बढ़ गयी ।

राज उन दोनो की आंखे चार होते देख कर मस्ती मे - अरे वाह बुआ आज तो आप बड़ी प्यारी लग रही हो , क्यू मौसा जी ।

राज की बात सुन कर शिला ने नजरे उठा कर कमलनाथ को देखा तो कमलनाथ अटकते हुए स्वर मे - अह हा हा , बहुत अच्छी लग रही है आप
शिला शर्म से लाल होती हुई मुस्कुराई और फिर कमलनाथ ने सबको उपर चलने के लिए बोला ।

कुछ ही देर मे मेहंदी का कार्यकर्म होने लगा , अब ये सब ले देके था औरतो वाला ही प्रोग्राम तो ऐसे मे मर्दो के लिए बोरियत ही था ।

वही जंगी-रंगी दोनो भाईयो मे अपनी प्लानिंग के लिए आंखो से इशारेबाजी चल रही थी ।
कि अभी यहा मेहंदी का प्रोग्राम हो रहा है घन्टे स्वा घन्टे का टाईम है थोडा मूड बना ही लिया जाये ।

रंगी अंगड़ाई लेते हुए उठा और जंगी से बोला - छोटे जरा आओ थोडा काम है तुम्से और फिर जंगी भी निकल गया उसके साथ निचे ,

हसी ठिठौलि मे वय्स्त महिलाए और उनको घुरते लौंडो के बीच एक अकेला मर्द कमलनाथ ।

निशा की गुपचुप निगाहे कमलनाथ को बिच बिच मे देख रही थी और वो ऐसे जगह बैठी थी कि उसकी गुदाज जांघ और आधा चुतड उसकी लेगी से साफ साफ झलके ।

मगर कमलनाथ और शिला की अपनी इशारेबाजी चल रही थी ,
वही राज और रीना
भी आपस मे मुस्कुराहटे पास किये जा रहे थे ।


रन्गी जंगी दोनो निचे के कमरे मे आये और फिर जो जो जरुरी समान था सब एक झोले मे लेके फटाफट घर बाहर निकल गये इस बात से बेखबर कि रज्जो उनका पीछा करते हुए जीने तक आई थी

जैसे ही उसने दोनो को घर से बाहर जाते देखा तो उसे अटपटा लगा कि इस वक़्त ये लोग कहा जा रहे है ।

फिर वो पीछे पीछे मेन गेट तक और देखा तो वो लोग बगल मे चंदू के घर मे घुसरहे थे ।

रज्जो को लगा कि शायद कुछ काम हो क्योकि उस घर मे भी दहेज एवं रसोई का काफी सारा रखा हुआ था तो वो वापस उपर चली गयी ।

वही रन्गी और जंगी दरवाजा भीड़का कर जीने की सबसे उपर वाली चौड़ी सीढि जो दरवाजे से लग कर थी वही आसान जमा लिये ।

अमन के घर

हाल मे सारे लोग एक साथ थे और कल हल्दी के प्रोग्राम पर चर्चा हो रही थी ।
शाम का समय हो गया था और ममता सबको चाय दे रही थी ।
जैसे ही वो भोला को चाय दी दोनो मुस्कुरा दिये ।

फिर वो किनारे खड़ी हो गयी और तभी भोला ने आंखो से इशारा किया और अपने जांघो पर उंगलियाँ पेन की तरह चलाते हुए ममता से इशारा किया कि डायरी लिख दिया है पढ लेना

ममता इतराते हुए मुस्कुराने लगी और उसकी बेचैनी बढने लगी कि क्या लिखा होगा उसके नंदोई ने ।
उसके पाव कांप रहे थे , रोम रोम सिहर रहा था , उसी सिहरन ने उसके चुचे उठाने शुरु कर दिये थे

आखिरकार ममता से रहा नही गया और वो चाय की ट्रे लेके किचन ने गयी और उसने गटागट एक गिलास पानी गले मे उतारा और अपनी उफनाती सासो को थामने लगी ।

एक घबराहट और उत्सुकता ने घर कर लिया था उसको , बेचैनी और उतावलापन उसके चेहरे से साफ पता चल रहे थे ।
कलेजे की धकधक उसके चेहरे पर मुस्कान ला रही थी और वो एक गहरी आह भरती हुई चुपचाप अपने कमरे मे चली गई

उसने आस पास देखा तो उसको तकिये के निचे वो डायरी मिली और उसने झटपट से दरवाजा भीड़काया फिर सर सर पन्ने उलटने शुरु किये ।

आखिर से दो पन्नो से पहले उसको कुछ लिखा मिला , उसने आंख बन्द कर अपने दिल को थामती हुई एक ठंडी सास ली और फिर डायरी मे देखा ।

कुछ शायरी से शुरुवात की थी भोला ने

कुछ आश रखने की हिम्मत कर रहा हु
बोलो पुरा करोगी क्या ?
कुछ कहने की चाहत रख रहा हु
बोलो सुनोगी क्या ?
आज रात मै इंतजार करूंगा बाल्किनी मे
बोलो आओगी क्या ?
शायरी पढ कर ममता हसने लगी और उसने आगे पढना शुरु किया

गर मंजूर हो दोस्ती का ये इकरार
तो पहन के आना सिर्फ़ सलवार
दोस्ती की कसम है तुम्हे , मत करना मुझे सैंटी
गुजारिश है तुमसे ना ब्रा पहनना और ना पैंटी


ममता इस कल्पना से कि बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ सूट सलवार मे नंदोई के सामने जाऊंगी तो , हाय हाय ये मै क्या सोच रही हु धत्त ये नंदोई जी भी ना

फिर वो आगे पढती है

अब इस बात से इंकार ना करना कि तुम्हे भनक नही मेरे इरादो का
कितनी ठोकरे तो खा चुकी हो आज मेरे जज्बातों का


ये लाईन पढते ही ममता को वो पल याद आया जब भोला उसके उपर चढ कर उसकी चुत पर लण्ड से ठोकर मार रहा था , वो याद करते ही ममता की चुत पनियाने लगी ।

फिर उसने आखिर के दो लाईन पढे

कहने को बहुत कुछ है मगर ये कलम बहुत छोटी है
आपके दरखक्तों पर हम अपनी कलम चलायेंगे


ममता - धत्त ये जीजा भी ना , उफ्फ्फ गर्म कर दिया मुझे । क्या मुझे भी बदले मे कुछ लिखना चाहिये । अभी तो 5 बजे है और 11 बजने मे तो काफी वक़्त है ,क्यू ना इसी डायरी मे जवाब लिख कर उन्हे भी थोडा परेशान करू ।हिहिहिही

राज के घर

इधर मेहंदी के रस्म हो रही थी वही राज रिना को डांस करने के लिए आने को इशारा कर रहा था

बदले मे रीना मुस्कुरा कर हामी भर रही थी तो राज भागते हुए रिना के पास गया और उसको पकड कर खिंचते हुए हाल के बीच मे ले आया

रिना खिलखिलाकर हस रही थी और बाकी सारे लोग भी हस रहे थे फिर शुरु हुआई देवार भौजाई के ठूमके , आंखो से आंखे टकराई और होठ भी कुछ मनशा लिये मुस्करा रहे थे ।
वही बाकी की लौडो की गैंग ( अनुज , राहुल , मनोज , चंदू ) सिटिया बजा कर शोर कर रहे थे ।

रीना शर्मा कर हस्ती हुई वापस औरतो मे चली गयी ।
इधर निशा काफी देर से देख रही थी कि कमलनाथ का ध्यान उस्की ओर कम और शिला की ओर ज्यादा था ।
उसे भी भनक सी लग रही थी कि दोनो मे कुछ आंख मिचौली चल रही है ।

निशा ने रागिनी को पकड कर खींचा और हाल मे लेके आते हुए डांस करने लगी , रागिनी भी हस हस ठुमके लगा रही थी मगर जल्द ही वो हट गयी और

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निशा अकेले ही कमलनाथ की ओर खास करके अपनी गाड़ करके झटके लगाते हुए नाचने लगी , उसकी कुर्ती उठती तो कमलनाथ ने निशा के लेगी से झांकते उसकी पैंटी के भी दिदार हो जाते ।

कमलनाथ का ध्यान अब निशा ने खिच ही लिया और डांस खतम कर निशा बार बार बस कमलनाथ की ओर ही देखे जा रही थी ।
कमलनाथ को थोडा अजीब लगा कि वो उसे क्यू देख रही है , और कमलनाथ उस्से नजरे चुराने लगा । अब तो उसको ये दिक्कत होने लगी कि कही वो शिला को ताडे तो उसकी चोरी पकड़ी ना जाये क्योकि निशा तो लगातार नजर जमाए हुए थी ।
सारे लोग इन्जाय कर रहे थे तो रागिनी ने बातो ही बातो मे पुछा - ये राज के पापा कहा गये अभी आये नही

शालिनी - हा जीजी निशा के पापा भी गये है साथ मे

रज्जो को भी लगा कि अब तो समय काफी हो गया क्या करने गये ये लोग अभी आये नही इसीलिए रज्जो उठ कर निकल गयी दोनो को बुलाने के लिए

चंदू के घर का दरवाजा भिड्का हुआ ही था , हल्का सा जोर और खुल गया
रज्जो गलियारे से होकर कमरे दर कमरे पार करती हुई आगे बढ़ रही थी और उसको दोनो भाईयों की खिलखिलाहट भरी हसी और बातो की गूंज आ रही थी ।
रज्जो जैसे ही सबसे पीछे आंगन मे पहुची तो उपर के जीने से आवाज आई जो जंगी की थी ।

जंगी- भैया सच सच बताओ ना रज्जो भाभी आपको कैसी लगती है

जन्गी का अपने भाई से यू सवाल पुछना रज्जो को थोडा खटका

रंगी - एकदम रसदार है रज्जो भाभी यार , मै तो शादी के समय से ही दीवाना हु

रज्जो ने जीने की ओर झाक कर देखा तो समझ गयी
दोनो भाई सिर्फ बनियान पहने दरवाजे पर बाहर की ओर मुह किये बैठे थे , उनके कुरते जीने की रेलिंग पर रखे हुए थे ।
रज्जो उनकी बाते सुनते हुए धीरे धीरे सीढिया चढने लगी ।

जन्गी - सच भैया , ये कमलनाथ भाई ने क्या किसमत पाई है ना , क्या मस्स्स्त गाड़ है भाभी के उह्ह्ह्ह मन करता है कि झुका के

जन्गी की बाते सुन्कर रज्जो के कान खडे हो गये और वो समझ गयी कि दोनो ड्रिंक किये हुए है

रंगी - हेईई जन्गीईई नहीईई भाभी है ना वो ऐसा नही बोल्ते

जंगी - स्स्स्सोरीईई भैयआआह
रंगी - सोरीई क्यू सॉरी क्यू , अरे रन्डी है एक नं की रंडी देखा नही साली गाड़ कैसे फैली हुई है

"खुब पेलवाति होगी आह्ह" , रंगी ने ग्लास गटकते हुए कहा ।
जन्गी ने भी सिप लेते हुए - हा भैया पता है मैने तो कल रात को ....।

रज्जो को लगा कही उस्का भेद खुल ना जाये और जंगी नशे मे कुछ बोल ना दे
इसीलिए वो पीछे से बोल पड़ी- हम्म्म तो क्या बैठ कर आप लोग मेरे बारे मे ये सब बाते कर रहे है ।

रज्जो की तेज आवाज सुनते ही रंगी जंगी दोनो ने पलट कर देखा तो दोनो की आधी शराब वैसे ही गायब हो गयी और वो फौरान खडे हो गये - भाभीईई जिजीईई

जैसे ही वो खडे हुए उन्के पाजामे मे तना हुआ मुसल भी तम्बू बना कर रज्जो को निहार रहा था और रज्जो की नजर जैसे ही उन्पे गयी दोनो ने अपने पंजे से छिपाने लगे तो रज्जो की हसी छूट गयि ।

रज्जो - छीईई आप लोग मेरे बारे मे ऐसी बाते करते है क्या मै आपको सड़क छाप वो लगती हु , हुउह्ह

रंगी और जंगी दोनो सफाई देते हुए - नही नही जिजीई भाभीईई हमारा वो मतलब नही था , सॉरी ना प्लीज

रज्जो तुन्क कर - हुह , रहने दो सुन लिया मैने सब

ये बोल कर रज्जो निचे जाने लगी तो रंगी - ये भाई रोक रोक जिजीई को

जन्गीलाल सरपट रज्जो के पीछे भागा और आन्गन मे रज्जो की कलाई पकड ली तो रज्जो छुड़ाने की कोसिस करती है इतने मे रंगी भी आ जाता है

रंगी - सॉरी ना जीजी , मान जाओ ना प्लीज

जन्गी - हा भाभी प्लीज , देखीये ये सब शुरु भी इसीलिए हुआ कि आपकी गलती थी

रज्जो ठहर कर - अब मेरी क्या गलती
जंगी - आपको तो पता ही है ना कल रात मे जब मैने आपको खाना के लिए बुलाने आया था तो

इस्से पहले जन्गी अपनी बात पूरी करता उस्से पहले रज्जो ने अपनी आंख दिखाई उसको

जंगी हड़ब्डा कर बात घुमाता हुआ - और आज सुबह मे जब हम नासता कर रहे थे तो हमे आपकी वो दिख गयी और फिर

फिर जंगीलाल ने सारि बाते बताई कि कैसे दोनो भाई बीते लमहे ताज़ा करने के चक्कर मे थे
जंगी - मगर सुबह का वो झलक बार बार मेरे जहन में था और बस मन कर रहा था कि

रज्जो - क्या मन कर रहा था
जन्गी - नही भाभी आप बुरा मान जाओगे

रज्जो तेज अवाज मे - मैने कहा बताओ

रंगी ने इशारे से जंगी को बात रखने को कहा
जन्गी - वो भाभी जबसे सुबह से आपकी चिकनी बुर देखी थी उसको चाटने का इतना मन हो रहा था , ऐसी फूली हुई लम्बी लकीरो वाली चुत मैने आज तक नही देखी थी और देखो ना तबसे मेरा मुसल भी नही बैठ रहा है ।

जन्गीलाल ने अपनी तारिफ सुनकर रज्जो मुस्कुराई जिसे रंगी ने पल भर की नजर मे भाप लिया और वो समझ गया कि रज्जो को इससे कोई फर्क नही पड रहा है क्योकि वो रज्जो के रग रग से वाक़िफ़ था ।

रज्जो - अब छोड़ो मुझे और ये सब क्या बाते कर रहे हो आप लोग । शर्म नही आती एक पराई औरत के साथ ये सब छीई

रन्गी मुस्कुरा कर - जीजी आप पराई कहा हो आप तो अपने हो और जमाई की तो सारी गल्तियां माफ की जाती है ना

रज्जो रंगी की आंख मे झाक चुकी थी और वो मुस्कुरा कर - ऐसे कैसे माफी मिल जायेगी , आप दोनो को सजा मिलेगी ।

जंगी - क्या सजा !!
रज्जो - हम्म्म्म और क्या ,
मुझे भी हिसाब बराबर करना है

जंगी - वो कैसे ?

रज्जो - मै भी आप दोनो को गाली दूँगी और आपके प्राइवेट पार्ट देखूँगी । तब ना होग हिसाब बराबर


रज्जो की बात सुनते ही जन्गी खिल उठा और अपने पजामे का नाड़ा खोलते हुए अपना मुसल बाहर निकाल कर - बस इतनी सी बात , ये लो

जन्गी ने बड़ी बेशर्मी से अपना तनतनाया हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया

रज्जो - साले भडवे रंडीबाज , बहिनचोद

जंगी चौक कर रज्जो को देखा
रज्जो - अरे हिसाब बराबर कर रही हु ना
जन्गी - ओह्ह

फिर रज्जो रंगी की ओर घूमी तो वो भी फटाक से अपना मुसल निकाल कर खड़ा हुआ और रज्जो ने वही गाली दुहराई

रज्जो - चलो हो गया अब चलते है , सार लोग खोज रहे है आपको

रंगी - अरे अभी कहा हुआ
रज्जो - तो अब क्या बाकी है ?

रन्गी - क्या जीजी हमने तो उसकी तारिफ भी की थी ना ...तो

रज्जो रंगी की बात सुनकर हस दी - धत्त , ये भी बोलना पडेगा

जंगी हस्ते हुए - हिसाब तभी ना बराबर होगा भाभी

रज्जो ने बड़े गौर से दोनो के लाल सुपाडे वाले लण्ड को निहार रही थी जो दोनो के हाथो मे कैद थे ।

रज्जो कुछ बोलने को हुई मगर उसकी हसी छूट गयी

रंगी - अरे बोलो ना जीजी

रज्जो नजरे गडाये तेज धडकते दिल के साथ - उफ्फ्फ क्या मसत मस्त लण्ड है जी कर रहा है कि अभी चुस चुस कर लाल कर दू और

रज्जो की बातें सुनते हुए दोनो भाईयो के जिस्म मे सुरसूरी सी हुई और दोनो के लण्ड पुरे फौलादी हो गये ।

दोनो अपना मुसल सहलाते हुए - सीईई और क्या भाभीई/जिजीई

रज्जो अपने बेकाबू होते दिल को मह्सूस करती हुई अपनी उफ्नाती सासो के साथ एक आह भरती हुई - और इनको उसी रसिले चुत मे भर लू जिसको आप दोनो चुसना चाहते थे

रज्जो की बाते सुन्कर दोनो भाई के दिल की धड़कने तेज हो गयी और दोनो सिस्कते हुए तेजी से अपना मुसल मसल रहे थे और रज्जो की निगाहे वही अटकी थी

दोनो भाईयो ने एक दुसरे को खुमारी भरे नजरो से देखा और रज्जो के करिब आ गये

रज्जो की सासे और चढने लगी , वो नजरे घुमा कर दोनो तरफ खडे दोनो भाईयो की आंखो मे मदहोश नजरो से देख रही थी ।
" भाभीईई ",जन्गी की गरम सासों से भरी आवाज रज्जो के गरदन से टकराई और वो आंखे बन्द कर सिहर उठी ।

वही रंगी ने रज्जो का एक हाथ पकड़ा और अपने मुसल पर रख दिया , जिससे रज्जो ने अपनी आंखे भीच कर सीने मे सासो को भर लिया ।

जन्गी ने वही किया और इस बार रज्जो ने अपने होठ भी दबा लिये ।
दोनो भाईयो ने एक साथ उसके गरदन को चूमा और दोनो के एक एक हाथ उसकी उभरी हुई चरबीदार गाड़ पर फिराने लगे ।

रज्जो ने दोनो के लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया दोनो भाई भी सिहर उठे ।

रज्जो ने उनकी लिंग की चमडीया खिस्कानी शुरु की और रज्जो के गर्म हाथो की मुलायम हथेली ने उन्हे मदहोश कर दिया ।

रज्जो अब आंखे खोल के दोनो भाईयो के चेहरे पढते हुए उन्के लण्ड को भीच रही थी और दोनो को भनक भी नही लगी कि कब रज्जो निचे बैठ गयी , सबसे पहले जंगी का कालेज ध्क्क हुआ जब उसको अपने लण्ड की सतह पर नरम ठंडे होठो का स्पर्श मिला

वो एडिया उचका कर सिहरा - उह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

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रज्जो ने कुछ देर बाद रंगी का लण्ड मुह मे लेके चूसने लगी ।तो रंगी ने भी आहे भरनी शुरु कर दी ।
जंगी - ऊहह भाभीईई क्या मस्त चुस्ती हो जब आपके उपर के होठ ऐसे है तो निचे के होठ कितने नरम होंगे

रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - वो आप खुद चुस के देख लो ना भाई साहब

ये बोल के रज्जो उठकर अपना साड़ी पेतिकोट एक साथ उठाते हुए आंगन की एक चौकी पर लेट कर जान्घे खोल दी - आह्ह आओ ना भाई साहब चुस के देखो ना

जन्गी मुस्कुरा कर रंगी की ओर इजाजत भरी नजरो से देखता है तो रंगी भी उसको हामी भर कर अपना मुसल मसलने लगता है ।

जन्गी फौरन घूटने के बल होकर अपना मुह रज्जो की बुर मे दे देता है और रज्जो आहे भरने लगती है - उह्ह्ह माह्ह्ह सीईई ऐसे हीई उह्ह्ह्ह उम्म्ं और चुसो भाईसाहब उह्ह्म्ंं

जंगी अपने होठो से रज्जो के बुर के फाके निचोडते हुए जीभ से लकीर चाट रहा था और रज्जो उसकी थूथ को अपने फुले हुए भोस्ड़े पर रगड़ रही थी - उह्ह्ह और चुसो उह्ह्ह ऊहह सीईई ऐसे ही उम्म्ंम माह्ह्ह

रंगी वही खड़ा खड़ा मुसल मसल रहा था और उससे रहा नही गया वो अपना लण्ड थामे चौकी पर चढ गया ।

रज्जो ने देर ना करते हुए उस्का लण्ड मुह मे भर लिया और रंगीलाल उसके ब्लाउज खोलकर उसकी चुचिया आजाद करके उन्हे मसलने लगा

रंगी- भाई सारा माल तू ही खा जायेगा क्याह्ह उह्ह्ब
जंगी मुह हटा कर देखा कि उसके भैया ने रज्जो के मुह मे लण्ड पेल रखा और चुचिया नंगी खुली हिल रही है ।

जंगी खड़ा होकर अपना मुसल मसलते हुए - आह्ह भैया इस रंडी की बुर बहुत रस है उह्ह्ह सच मे बहुत गर्म माल है

जंगी की बात सुनकर रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - तो चोद ना साले रन्डीबाज पेल दे ना मुझे उह्ह्ह बहिन ंचोद

जन्गी अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ता हुआ - क्या बोली मादरचोद हाह

रज्जो उसकी आंखो मे देखते हुए साफ साफ लहजे मे झल्ला कर बोली - मैने कहा पेल ना बहिनचोद

बहिनचोद शब्द सुनते ही जंगी को सुरुर सा छा गया और वो कस के एक ही झटके आधे ए ज्यादा लण्ड घुसा दिया और और रज्जो के गले मे आवाज घूंट कर रह गयी क्योकि रंगि ने पहले ही उसका मुह भर दिया

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जंगी हच्क ह्च्क कर रज्जो की रस फेकती चुत मे लण्ड पुरा जोर देके जड़ तक घुसाये हुए था - लेझ्ह साली रन्डी अह्ह्ह चुदक्क्ड उह्ह्ह लेह्ह्ह क्या मस्त बुर है तेरी उह्ह्ह
इधर जंगी कस कस के पेल रहा था वही रंगी का मुसल पूरी तरह फौलादी हुआ जा रहा था और वो रज्जो के मुह से लण्ड निकाल कर जंगी की ओर लाचारी भरी नजरो से देख कर हिला रहा था कि एक बार उसका छोटा भाई उसे भी मौका देदे

जंगी की नजर जब अपने भैया पर गयी तो उसने मुस्कराते हुए अपनी पोस्ट खाली कर दी फिर क्या रंगी ने
खडे होकर वही पास रखे सोफे पर अपना आसान टिका लिया और रज्जो भी खडी होकर अपना साड़ी पेतिकोट निकाल कर रन्गीलाल पर सवार हो गयी ।

लण्ड को चुत मे लगाते ही वो सरक कर भीतर घुस गया और बाकी का काम रज्जो ने खुद करने लगी ।

रन्गीलाल उसके नरम चुतडो को सहलाते हुए उसके चुचो को मुह मे भर कर चुसने लगा और रज्जो सिसकिया लेते हुए उसके लण्ड को अपनी बुर मे भरे हुए गाड़ घिसने लगी

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रज्जो की चिकनी फैली हुई गाड़ को बड़ी अदा से लण्ड पर आगे पीछे होते हुए देख जंगीलाल वही चौकी पर बैठा हुआ अपना मुसल मसलने लगा ।

रज्जो जब भी पीछे होती उसकी गाड के पाटे खुल जाते और उसके गाड़ की भरी सुराख ही हल्की झलक उसे मिलती और उसका मुह लार छोडता ।

वही रंगीलाल निचे से झटके लगाता हुआ अब गति और बढा चुका था जिससे रज्जो की चिखे कमरे मे गूंज रही थी ।
रज्जो की कामुक चिख और सिसकियाँ जंगीलाल को अब और बेसबर किये जा रही थी वो उसकी चिखो को और बढ़ाना चाह रहा था और वो अपनी जगह से उठकर रज्जो के पास पहुचा ।

उस्ने रज्जो की चर्बीदार गाड़ की लकीरो मे हाथ लगाया तो रज्जो सिसकी और गरदन घुमा कर मुस्कुराते हुए जन्गीलाल को देखा ,वो समझ रही थी कि बस जंगी को उकसाने की देर है और वो अपना लण्ड उसकी गाड़ मे घुसाने से बाज नही आयेगा ।

रज्जो - क्या हुआ बहिनचोद ऊहह सीईई अह्ह्ह ऐसे क्या देख रहा है कभी गाड़ नही देखी क्या उम्म्ंम सुईई आअहह

जंगी मे चट्ट से उसके गाड़ पर चपत लगाई और उसके नरम नरम पाटो को फैलाते हुए - बहुत देखी है साली लेकिन तेरी जैसी चुद्क्क्ड की गाड़ पहली बार देखी है , उह्ह्ह कितना नरम है उह्ह्ह

रज्जो - कभी अपने दीदी का भी छू लेना , मुझसे भी नरम है अह्ह्ज साले क्या कर रहा है बहिनचौद उह्ह्ज

जंगीलाल सुखा सुखा ही लण्ड उसके गाड़ के मुहाने लगा कर धकेलने लगा

जंगी उसके गाद के सुराख पर थुक कर अपने सुपाड़े से उसको छेद पर फैलाते हुए हल्का सा जोर देके पचकक्क से लण्ड को भीतर घुसेडा - अह्ह्ह क्या कसी हुईई गाड़ है भाभी उह्ह्ह्ह उम्म्ंम कितनी गर्मी है भीतर है उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह

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रज्जो की तो आंखे उलटने लगी , उपर निचे दोनो तरफ दोनो भाइयो ने अप्ने मुस्तैद मसलो को उसके दोनो छेड़ो मे भर दिया था ,

जन्गीलाल हल्का हल्का झटका देता हुआ - आह्ह लेह्ह पुरा लेह्ह्ह ऊहह भैया आअप भी पेलो ऊहह मस्त चुदाई होगी

रंगीलाल - हा भाई घुसा घुसा और कस कस फ़ाड इसकी गाड़ उह्ह्ह क्या मस्त चुदवाती है आज तो दिन ही बन गया उह्ह्ह जिजीईई उम्म्ं

रज्जो - ह्म्म्ं और पेलो और घुसाआअऊओ उह्ह्ह माह्ह दिखाओ ना कितना जोर है तू भोसडीवालो मे उह्ह्ह पेलो ना सालो बहिन चोदो


रंगीलाल ने उसके कमर को थाम कर तड़तड़ कमर उठा कर लण्ड उसकी चुत मे डालने लगा और जंगी भी उसके कन्धे पकड कर गाड़ मे पुरा लण्ड भर भर के पेले जा रहा था ।

रज्जो भर भर दोनो को गालिया बकते हुए उन्हे चढा रही थी और दोनो भाई बस गालीया सुनकर बहुत ऊततेजित होकर रज्जो को पेले जा रहे थे ।

रज्जो की चुत हलाहल तीसरी बार रस छोड चुकी थी मगर दोनो भाई अभी तक लगे हुए थे ,
रज्जो - अरे कम होगा तुम्हारा उह्ह्ज माह्ह फाड़ कर रख दिये हो उह्ह्ह

जन्गिलाल उसके लाल हो चुके गाड़ के पाटो को मसलता हुआ
जंगीलाल - क्यू भाभीई अभी से थक गयी ,देख लिया हमारे खुन का जोर उम्म्ंम

रज्जो ने अपनी आन्खे महिन की और अपने दोनो छेदो के छल्ले सिकोड़कर टाइट कर - अच्छा ऐसी बात है अब पेलो देखू तो

एक बार फिर दोनो छेद पूरी तरह कस चुके थे और दोनो घिसावट मे तंगी होने लगी , दोनो के सुपाड़े पर जोर पड़ने लगा और जंगी की नसे अब ये रगड़ बर्दाश्त ना कर सकी और उसने कुछ ही झटको मे अपना फव्वारे को छोड़ दिया ,

रज्जो ने गाड़ की जड़ मे जन्गी के झड़ते लण्ड के फुलते सुपाड़े की मोटाई महसूस की और एक बार फिर से वो झड़ने लगी और वही नीचे गर्म लावे का स्पर्श पाते ही रंगीलाल भी भलभला कर झटके खाने लगा

रज्जो ने दोनो के लण्ड को भर पुर निचोड़ा और फिर अलग होकर उन्हे साफ भी किया ।

रज्जो - आप लोगो का तो हो गया अब ये साफ कहा करू ,

रंगी अपना जांघिया चढाता हुआ - आयिए जीजी मै साफ करवा देता हू

ये बोल कर वो रज्जो को वही जीने के निचे लगे पानी के मोटर के पास ले जाता है

रंगी - जीजी आप झुक कर खडे हो जाओ , मै पानी डालता हु

रज्जो हस कर झुक कर खडी हो गयी और रंगी ने मोटर चालू कर पानी की पाइप की तेज धार के उसके चुतडो पर मारी की रज्जो गनगना गयी - आह्ह आऊच ऊहह आराम से ना

रंगी - अरे जीजी वो आप अपना फैलाओ ना तब तो धुलेगा

रज्जो - क्या फैलाऊ
जंगी - अपनी गाड़ फैलाओ ना भाभीईई

रज्जो शर्मा कर हस्ते हुए - धत्त

फिर उसने झुक कर वैसे अपने गाड़ के पाटे फैलाये और रंगी को उसके भूरे गाड़ से रिसता हुआ सफेद वीर्य दिखा ।

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कुछ पल को रंगी कोअजीब सा लगा मगर जैसे पानी की मोटी धार उसपर गयी वो एक ही पल मे साफ हो गया और रंगी सीधा रज्जो की गाड के सुराख पर धार मारने लगा , फिर उपर निचे करते हुए उसके चुत के फाको को भी धूलने लगा

ये सब देख कर जंगी का लण्ड एक बार फिर से कसने लगा ।
उससे रहा नही गया और वो आगे बढ़ते हुए अपना सुपाडा खोलकर एक बार फिर से अपना लण्ड रज्जो की गाड़ मे भर दिया

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रज्जो अपने हाथ घुटने पर रख कर झुकी हुई थी , गाड़ मे लण्ड जाते ही उसकी सिकुडी हुई गाड़ के सुराख फैलने लगे और लण्ड पुरे तेजी से भीतर घुसता चला गया ।

रज्जो - उह्ह्ह भाईसाहब अभी तो किया था नाअह्ह उह्ह्ह माअह्ह

जन्गी कस कस के गाड़ मे झटके लगाता हुआ - ओह्ह भाभीईई आपकी गाड़ इत्नी मस्त है किहहह ऊहह मजा आ रहा है कितनी गर्मी है भीतर उह्ह्ह लग रहा है पिघल ही जायेगा

ये सब देख कर रंगी का लण्ड भी फौलादी होने लगा और वो भी अपना मुसल निकाल कर हिलाने लगा

रज्जो उसको देख कर चेहरे भिच्कर आहे भरते हुए - मै नही लेने वाली ,अह्ह्ह माअह्ह्ह जाओ अपनी बहिन के भोसड़े मे घुसाओ ओह्ह्ह मह्ह्ह सीईई उह्ह्ह उह्ह्ह जल्दी करो भाई साहब
रंगी का मुह उतर गया और
जन्गीलाल रज्जो की कसी हुई गाड मे जल्दी जल्दी पेलने लगा और कुछ ही मिनटो मे एक बार फिर से उसकी गाड़ को अपने वीर्य से भर दिया ।

रज्जो पास के दिवाल से सहारा लेते हुए अपनी कमर और पैर सीधा करती है - आह्ह माह्ह्ह तोड कर रख दिया तुम दोनो ने ऊहह सीईईई

रज्जो की बाते सुनकर दोनो भाई हस दिये
रज्जो - अरे अब धुला दो ना , हो गया काम तो सरक रहे हो

जन्गी आगे बढ कर - अरे आओ भाभी धुला देता हु

इस बार जंगी ने खुद पाइप से पानी डाल कर हाथ लगा कर रज्जो की गाड़ साफ की और फिर तैयार होने लगा ।

रंगी - भाभी हम लोग निकल रहे है आप तैयार होकर आईये ऐसे साथ मे निकलना उचित नही है

रज्जो कराह भरी आवाज मे अपने खुले हुए चुतड को चौकी पर टिकाते हुए - आप लोग चलो मै आती हु

फिर दोनो भाई बाहर निकल गये ।


जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Just superb bhai... Kya kamal ka likhabhi... Khaskar bhola aur aman joi maa ke liye

Super Update Bhai Awesome ❤️❤️❤️❤️❤️ Keep it up

NYC update bro...

Shandar update

बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
लगता है रीना राज से और निशा कमलनाथ से जल्दी ही चुदने वाली है

S

Superb update

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

Bhai abhi sari update padhi pending ki and kahna padega chha rahe ho, ye shadi bahut suhani chal rahi hai aur aisi rashmein dekh kar man khush ho raha hai.. isi tarah is byah ko aur dhamakedar banate jao,aur agali mazedar update ka intezar hai, bas chhoti si shikayat ye hai ki jab sab maze le rahe hain to apane bitiya ki maa, Ragini ji ko kyun shant kara baitha hai, ghar mein itne mard ho aur kisi ka unpar dhyan na jaye kaise jo sakta hai.

Bahut hi lajawab update Bhai
NEW UPDATE IS POSTED
 
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