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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।
वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।
हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।
शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।
शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब
रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है
ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और
रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?
शिला - अरे भाभी वो जो....
फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और
शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?
रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?
शिला चौक कर - कौन ?
रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।
शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?
रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।
शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?
रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही
शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?
रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस
शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !
रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा
रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।
वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।
रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी
रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की
वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही
तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म
राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !
रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं
राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए
रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही
राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही
रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं
राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही
इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था
निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये
निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी
राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो
निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना
कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा
निशा तुनक कर - चलो भाभी
फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।
राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?
कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!
राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?
कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है
कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।
इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।
इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।
अमन के घर
सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।
सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।
ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।
संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।
ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।
संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।
ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है
संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।
अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे
इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।
भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।
संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।
रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।
एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है
करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।
तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।
ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना
भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?
ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!
भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो
भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।
ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही
ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत
ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था
भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया
ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी
भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...
ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही
भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह
भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई
ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग
भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा
ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही
ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी
भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।
शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया
फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....
ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."
भोला हिचक कर - हा लिखिए अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे
भोला - खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो
ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।
भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी
ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही
भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है
अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।
भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप
भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया - दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!
ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है
भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला - उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़
ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह
ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...
ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना
भोला - दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी
ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।
भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।
भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने
ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो
ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।
उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है
ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा
ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना
भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले
ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही
भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।
ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका
भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको
ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही
भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा
ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।
ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना
भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही
भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही
भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु
ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।
ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।
अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी
वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।
सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ
ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना
ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी
संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना
ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।
संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे
ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही
फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा
वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।
दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।
वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।
हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।
शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।
शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब
रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है
ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और
रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?
शिला - अरे भाभी वो जो....
फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और
शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?
रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?
शिला चौक कर - कौन ?
रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।
शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?
रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।
शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?
रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही
शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?
रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस
शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !
रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा
रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।
वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।
रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी
रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की
वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही
तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म
राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !
रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं
राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए
रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही
राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही
रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं
राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही
इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था
निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये
निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी
राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो
निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना
कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा
निशा तुनक कर - चलो भाभी
फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।
राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?
कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!
राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?
कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है
कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।
इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।
इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।
अमन के घर
सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।
सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।
ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।
संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।
ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।
संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।
ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है
संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।
अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे
इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।
भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।
संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।
रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।
एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है
करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।
तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।
ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना
भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?
ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!
भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो
भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।
ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही
ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत
ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था
भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया
ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी
भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...
ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही
भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह
भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई
ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग
भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा
ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही
ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी
भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।
शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया
फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....
ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."
भोला हिचक कर - हा लिखिए अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे
भोला - खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो
ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।
भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी
ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही
भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है
अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।
भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप
भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया - दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!
ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है
भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला - उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़
ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह
ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...
ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना
भोला - दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी
ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।
भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।
भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने
ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो
ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।
उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है
ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा
ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना
भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले
ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही
भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।
ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका
भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको
ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही
भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा
ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।
ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना
भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही
भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही
भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु
ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।
ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।
अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी
वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।
सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ
ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना
ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी
संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना
ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।
संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे
ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही
फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा
वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।
दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।
वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।
हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।
शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।
शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब
रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है
ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और
रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?
शिला - अरे भाभी वो जो....
फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और
शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?
रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?
शिला चौक कर - कौन ?
रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।
शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?
रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।
शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?
रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही
शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?
रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस
शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !
रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा
रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।
वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।
रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी
रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की
वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही
तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म
राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !
रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं
राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए
रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही
राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही
रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं
राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही
इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था
निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये
निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी
राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो
निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना
कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा
निशा तुनक कर - चलो भाभी
फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।
राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?
कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!
राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?
कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है
कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।
इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।
इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।
अमन के घर
सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।
सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।
ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।
संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।
ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।
संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।
ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है
संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।
अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे
इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।
भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।
संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।
रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।
एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है
करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।
तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।
ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना
भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?
ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!
भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो
भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।
ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही
ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत
ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था
भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया
ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी
भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...
ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही
भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह
भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई
ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग
भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा
ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही
ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी
भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।
शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया
फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....
ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."
भोला हिचक कर - हा लिखिए अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे
भोला - खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो
ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।
भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी
ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही
भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है
अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।
भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप
भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया - दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!
ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है
भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला - उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़
ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह
ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...
ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना
भोला - दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी
ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।
भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।
भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने
ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो
ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।
उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है
ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा
ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना
भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले
ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही
भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।
ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका
भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको
ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही
भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा
ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।
ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना
भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही
भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही
भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु
ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।
ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।
अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी
वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।
सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ
ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना
ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी
संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना
ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।
संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे
ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही
फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा
वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।
दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।
वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।
हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।
शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।
शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब
रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है
ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और
रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?
शिला - अरे भाभी वो जो....
फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और
शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?
रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?
शिला चौक कर - कौन ?
रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।
शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?
रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।
शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?
रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही
शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?
रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस
शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !
रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा
रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।
वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।
रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी
रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की
वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही
तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म
राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !
रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं
राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए
रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही
राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही
रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं
राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही
इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था
निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये
निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी
राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो
निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना
कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा
निशा तुनक कर - चलो भाभी
फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।
राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?
कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!
राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?
कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है
कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।
इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।
इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।
अमन के घर
सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।
सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।
ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।
संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।
ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।
संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।
ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है
संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।
अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे
इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।
भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।
संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।
रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।
एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है
करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।
तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।
ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना
भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?
ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!
भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो
भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।
ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही
ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत
ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था
भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया
ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी
भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...
ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही
भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह
भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई
ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग
भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा
ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही
ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी
भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।
शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया
फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....
ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."
भोला हिचक कर - हा लिखिए अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे
भोला - खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो
ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।
भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी
ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही
भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है
अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।
भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप
भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया - दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!
ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है
भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला - उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़
ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह
ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...
ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना
भोला - दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी
ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।
भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।
भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने
ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो
ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।
उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है
ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा
ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना
भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले
ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही
भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।
ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका
भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको
ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही
भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा
ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।
ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना
भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही
भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही
भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु
ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।
ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।
अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी
वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।
सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ
ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना
ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी
संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना
ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।
संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे
ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही
फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा
वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।
दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।
वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।
हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।
शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।
शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब
रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है
ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और
रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?
शिला - अरे भाभी वो जो....
फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और
शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?
रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?
शिला चौक कर - कौन ?
रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।
शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?
रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।
शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?
रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही
शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?
रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस
शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !
रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा
रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।
वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।
रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी
रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की
वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही
तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म
राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !
रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं
राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए
रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही
राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही
रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं
राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही
इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था
निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये
निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी
राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो
निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना
कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा
निशा तुनक कर - चलो भाभी
फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।
राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?
कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!
राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?
कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है
कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।
इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।
इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।
अमन के घर
सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।
सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।
ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।
संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।
ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।
संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।
ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है
संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।
अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे
इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।
भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।
संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।
रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।
एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है
करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।
तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।
ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना
भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?
ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!
भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो
भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।
ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही
ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत
ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था
भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया
ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी
भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...
ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही
भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह
भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई
ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग
भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा
ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही
ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी
भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।
शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया
फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला - अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....
ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."
भोला हिचक कर - हा लिखिए अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे
भोला - खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो
ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।
भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी
ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही
भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है
अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।
भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप
भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया - दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!
ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है
भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला - उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़
ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह
ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...
ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना
भोला - दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी
ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।
भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।
भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने
ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो
ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।
उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है
ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा
ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना
भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले
ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही
भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।
ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका
भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको
ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही
भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा
ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।
ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना
भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही
भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही
भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु
ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।
ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।
अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी
वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।
सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ
ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना
ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी
संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना
ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।
संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे
ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही
फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा
वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।