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UpdatedUpdate kbtk aayega
Awesome kamuk & madak updateरेणुका: "मुझसे तो अब रहा ही नहीं जाता शीला.. आधी रात न हो चुकी होती तो में तब के तब यहाँ तेरे पास आ जाती.. कितना सहती रहूँ? हफ्ते बाद लौटूँगा कहकर वो तो निकल पड़े.. पर पूरा हफ्ता मैं कैसे निकालूँ?? कितनी तकलीफ होती है हम बीवियों को.. मर्दों को इसका अंदाजा तक नहीं है"
रेणुका के शब्दों में अपने दर्द की झलक नजर आई अनुमौसी को.. शीला अब सही मौके के इंतज़ार में थी.. पर वो हर कदम फूँक फूँक कर रखना चाहती थी.. ताकि कोई गड़बड़ न हो.. अपने मन में वो सेक्स की शतरंज बिछा रही थी..
अनुमौसी: "अरे शीला.. आज रसिक नहीं आया दूध देने.. तेरे घर आया था क्या?"
तभी शीला को ये एहसास हुआ की आज रसिक नजर ही नहीं आया..
तभी दरवाजे की घंटी बजी..
"कौन होगा?? मैं देखती हूँ.. " कहते हुए शीला ने उठकर दरवाजा खोला.. इस आशा में की रसिक होगा.. पर रसिक के बदले उसकी पत्नी रूखी थी..
शीला: "रूखी तू यहाँ? तेरा मरद कहाँ मर गया है आज?? आठ बज गए पर दूध का कोई ठिकाना ही नहीं.. " रूखी के मदमस्त चुचे देखते हुए शीला ने कहा
रूखी बिंदास दूध लेकर बरामदे में बैठ गई.. उसे ये पता नहीं था की अंदर दो औरतें बैठी हुई थी..
रूखी: "सुनिए तो सही भाभी.. मैं सब जगह दूध देकर आखिर में आपके घर आई हूँ.. ताकि दो घंटे बैठ सकूँ.. और हाँ भाभी.. जीवा अभी आता ही होगा थोड़ी देर में.. "
शीला: "क्यों रसिक.. मतलब की तेरा पति.. घर पर नहीं है क्या??"
रूखी: "वो मेरे सास ससुर को लेकर दूसरे शहर गया है दो दिन के लिए.. इसलिए कल रात को मैंने जीवा को अपने घर बुला लिया था.. पूरी रात सोने नहीं दिया कमीने ने मुझे.. "
रेणुका और अनुमौसी ये सारी बातें सुन रही थी.. पर शीला को इसकी कोई परवाह न थी.. उसने अपनी बातें जारी रखी..
शीला: "रात को तूने निपट लिया है ना.. फिर उसे यहाँ क्यों बुलाया??" रूखी के स्तनों पर हाथ फेरते हुए उसने कहा
रूखी: "भाभी.. मैं मिल बांटकर खाने में मानती हूँ.. मुझे सबसे पहले आपकी याद आई.. आपका दुख मुझसे देखा नहीं जाता.. मैंने जीवा को यहाँ आने के लिए कहा.. तो उसने मुझे ही यहाँ भेज दिया और कहा की वो नौ बजे आएगा"
जीवा का नाम सुनते ही शीला के भोसड़े में.. ऐसी सुरसुरी होने लगा.. जैसे मिर्ची-बम जलाने पर उसकी मुछ जलकर आवाज करती है.. रूखी ने शीला को अपनी बाहों में लेकर दबा दिया.. दोनों के माउंट एवरेस्ट जैसे उत्तुंग स्तनों आपस में भीड़ गए.. शीला ने रूखी की विशाल मांसल पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके होंठों को चूम लिया.. और रूखी के मुंह में अपनी जीभ डालकर जीवहा-चोदन करने लगी.. रूखी शीला के उत्तेजक स्पर्श से मदमस्त होने लगी..
दो मिनट के इस सॉफ्ट रोमांस के बाद शीला ने रूखी को मुक्त कर दिया.. और फिर घर में हाजिर दोनों औरतों के बारे में रूखी को सबकुछ बता दिया.. पहले तो रूखी थोड़ी सी हिचकिचा रही थी.. पर शीला ने उसे मना ही लिया
शीला रूखी को अंदर ड्रॉइंगरूम में ले आई.. अनुमौसी को देखकर रूखी थोड़ी डर गई पर शीला ने रूखी की पहचान रेणुका से करवाते हुए.. रूखी के पल्लू को खींचकर हटा दिया.. और उसके बड़े बड़े दूध भरे स्तनों को उजागर कर दिया..
"मौसी, इसका ढाई महीने का बच्चा है.. डिलीवरी के बाद देखो इसका रूप कैसे खिल गया है!!" शीला ने कहा
ब्लाउस के अंदर मुश्किल से दबाए हुए उन दूध भरे स्तनों को अनुमौसी और रेणुका स्तब्ध होकर देखते ही रहे.. और ब्लाउस की दोनों नोक पर सूखे हुए दूध के निशान देखकर.. दोनों की सिसकियाँ निकल गई..
सबसे पहले अनुमौसी खड़ी हुई.. रूखी के एक स्तन को अपने हाथ में पकड़कर बोली "रूखी, कैसा है बच्चा तेरा? ठीक तो है ना?? तू दूध तो ठीक से पिलाती है ना उसे? कितना दूध आता है तेरा? ज्यादा ही आता होगा.. इसलिए इतने भारी भारी है तेरे.. मेरी कविता को तकलीफ होगी जब उसे बच्चा होगा तब.. इतने छोटे छोटे है उसके"
रूखी के दूध भरे स्तन को पकड़कर अनुमौसी ने अपनी इच्छा जाहीर कर दी थी.. पर अभी भी वो खुलकर कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए शीला और रेणुका द्विधा में थे.. शीला से अब और रहा न गया..
शीला: "मौसी, रूखी के बबले आपके जीतने ही बड़े है.. है ना!!" शीला ने बेझिझक अनुमौसी के अनुभवी स्तनों को पकड़ लिया..
अनुमौसी: "अरे मरी बेशरम.. क्या कर रही है तू??"
शीला: "सीधी बात है मौसी.. या तो आप हम सब के साथ जुड़ जाइए.. या फिर यहाँ से चले जाइए.. हम सब यहाँ एक ही मंजिल के लिए इकठठे हुए है.. मैं और रेणुका तो बिना पति के तड़प रहे है इसलिए ये सब करना पड़ रहा है.. अभी ये रूखी का दोस्त जीवा यहाँ आएगा.. और हम सब बारी बारी से उसके साथ करेंगे.. आपको भी करवाना हो तो हमें कोई दिक्कत नहीं है.. पर अगर ये सब आपको नहीं पसंद तो प्लीज आप जा सकते हैं.. हमें हमारी ज़िंदगी जीने के लिए छोड़ दीजिए.." बड़े ही सख्त शब्दों में शीला ने अनुमौसी की क्लास ले ली.. इस दौरान शीला का हाथ अनुमौसी के ब्लाउस के अंदर उनकी गेंदों को मसल रहा था..
अनुमौसी स्तब्ध होकर शीला को सुनती रही.. शीला का इशारा मिलते ही रेणुका ने आकर अनुमौसी के दूसरे स्तन को पकड़ लिया और मौसी का हाथ पकड़कर बड़े ही कामुक अंदाज में बोली "मौसी, मेरे भी दबाइए ना!!"
इस दोहरे आक्रमण ने अनुमौसी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.. उन्होंने भी रेणुका के स्तन दबाने शुरू कर दिए.. और साथ ही साथ एक हाथ शीला के मस्त खरबूजों पर रख दिया.. इसी के साथ अनुमौसी भी हवस बुझाओ अभियान में आधिकारिक तौर पर जुड़ गई..
शीला ने खुश होकर अनुमौसी को अपनी बाहों में भर लिया.. रेणुका मौसी की साड़ी खींचकर उतारने लगी.. मौसी की आँखें शर्म से बंद हो गई.. रूखी अब हौले से मौसी के करीब आई और अपना ब्लाउस उतार कर फेंक दिया.. इन चारों औरतों में केवल रूखी ही कमर के ऊपर से नंगी खड़ी थी.. उसके दो मटकियों जैसे बड़े स्तन देखकर तीनों की आँखें फटी की फटी रह गई..
रूखी ने मौसी के घाघरे के नाड़ा खींच निकाला.. और मौसी को नीचे से नंगा कर दिया.. शर्म से पानी पानी हो रही अनुमौसी अब कुछ विरोध नहीं कर सकी क्योंकी उन्होंने खुद ही सहमति दी थी। शीला और रेणुका ने रूखी का एक एक स्तन आपस में बाँट लिया और निप्पल चूसने लगी.. चूसते हुए उन्होंने रूखी का घाघरा उतारकर उसे पूरा नंगा कर दिया.. पूरा कमरा सिसकियों से गूंज रहा था..
तभी डोरबेल बजने की आवाज आई.. शीला ने तीनों को चुपके से बेडरूम में घुस जाने को कहा.. अपने कपड़े ठीक किए और दरवाजे के की-होल में से बाहर देखने लगी.. एक हाथ से ब्लाउस के हुक बंद करते हुए उसने देखा तो बाहर जीवा और रघु खड़े थे.. शीला ने तुरंत दरवाजा खोल दिया और दोनों को अंदर खींचकर तुरंत बंद कर दिया। जीवा और रघु दोनों को बारी बारी बाहों में लेकर शीला ने उन्हे चूमते हुए उनके लंड दबा लिए..
"कहाँ मर गए थे तुम दोनों?? कितना याद करती थी मैं तुम्हें?" जीवा और रघु शीला के स्तनों को ऊपर से मसल रहे थे
जीवा: "अरे भाभी.. आपको तो रोज याद करते हुए मैं लंड हिलाता हूँ.. हम इंतज़ार में थी की आप कब बुलाती हो.. पर आपने तो कभी कॉल ही नहीं किया.. इसलिए फिर मैंने रूखी से बोलकर यहाँ आपके घर मिलने का तय किया"
"चलो कोई बात नही.. आज पूरा दिन आराम से यहीं रहना है तुम दोनों को.. और मेरी सहेलियों को भी चोदना है.. बहुत गरम हो रही है सब की सब.. मेरी तरह.. तुम दोनों आज बेझिझक मजे करो यहाँ.. और हाँ.. उन सहेलियों में.. एक अनुमौसी नाम की बूढ़ी रांड भी है.. उसे बहुत खुजली है लोडा लेने की.. आज उसके बूढ़े भोसड़े की धज्जियां उड़ा देनी है.. समझे.. !!!"
रघु: "अरे भाभी.. बुढ़िया को क्यों बुलाया.. कोई कडक जवान माल हो तो बताओ.. बुढ़िया के ढीले भोसड़े में भला क्या मज़ा आएगा??"
शीला: "अबे भोसडी के.. जितना कहा गया है उतना कर.. ज्यादा ज्ञान मत चोद.. समझा.. वरना गांड पर लात मारकर घर के बाहर फेंक दूँगी.. और सुन.. आज के दिन अगर तेरा लंड मुरझाया.. तो समझ लेना.. तेरी मर्दानगी की नीलामी करवा दूँगी.. " कहते हुए शीला ने दोनों की चैन खोलकर उनके लंड बाहर निकाले.. बाम्बू की तरह सख्त डंडे शीला को सलामी देने लगे..
दो दो तगड़े लंड देखते ही शीला के तो मजे हो गई.. वह घुटनों के बाल बैठी गई और एक के बाद एक दोनों लंड को प्यार से चूसने लगी.. अपनी लार से लसलसित कर दोनों लंड को ऐसे लाचार कर दिया जैसे महीने के आखिरी दिनों में तनख्वाह की प्रतीक्षा करता कर्मचारी लाचार होता है। उन दोनों ने शीला को मादरजात नंगा कर दिया और उसके बबले दबाने लगे.. कामातुर शीला खड़ी हो गई.. जीवा और रघु के लंड को हाथों से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम तक ले गई.. दो अनजान नंगे मर्दों को देखकर.. अनुमौसी को फिरसे शर्म का अटैक आ गया..
रेणुका जीवा के मजबूत और विशाल लंड को ललचाई नज़रों से देख रही थी.. वाह.. क्या लंड है यार!! मेरे पति के लंड से तीन गुना लंबा और मोटा है.. इतना बड़ा मेरी चुत के अंदर कैसे जाएगा भला.. !!
रूखी के स्तनों को सहलाते हुए मौसी ने अपनी चुत पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया था.. शीला जब बाहर के कमरे में जीवा और रघु के लंड की चुसाई करते हुए तैयार कर रही थी.. उस दौरान बेडरूम में रेणुका और रूखी ने अनुमौसी को चूम चाटकर बेहद गरम कर दिया था। रेणुका ने मौसी की झांटों भरी भोस पर जीभ फेरते हुए मौसी की वासना को तीव्रता से भड़का दिया था..
जीवा अनुमौसी के पास गया और उनको कंधों से पकड़कर नीचे बिठाया.. अपना मुसलदार लंड मौसी के मुंह के आगे झुलाने लगा.. इतना विकराल लंड देखकर अनुमौसी को एक पल के लिए चक्कर सा आ गया.. रूखी ने रघु का लंड मुठ्ठी में भर लिया.. और उसका लाल सुपाड़ा रेणुका ने मुंह में ले लिया.. रूखी के स्तनों से दूध टपकने लगा था.. जीवा ने जबरदस्ती अनुमौसी का मुंह खुलवाया और अपना लंड अंदर घुसाने लगा.. मौसी भी पूर्ण तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी.. और समझ भी गई थी की अगर वो शरमाती रही तो उनका ही भोसड़ा भूखा रह जाएगा.. भाड़ में जाएँ सारी शर्म.. इधर भोस में आग लगी हो तब काहे की शर्म!!
अनुमौसी ने जीवा के लंड का अपने मुंह में स्वागत किया और लगातार २० मिनट तक चूसती ही रही.. इतना रसीला लंड उन्होंने पूरी ज़िंदगी में नहीं देखा था.. बहोत भूखी थी बेचारी.. जीवा को तो मज़ा ही आ गया.. तभी रघु भी वहाँ आ गया और अनुमौसी के गाल पर अपना लंड थपथपाने लगा.. उफ्फ़.. एक साथ दो दो लंड सामने आ जाने से मौसी ने अपनी गांड उचक कर जांघों को भींच दिया.. जीवा का लंड मुंह से बाहर निकाला.. और बोली "उफ्फ़ शीला.. अब कुछ कर मेरा.. नीचे आग लग गई है.. रहा नहीं जाता.. उईई माँ.. ऐसे लंड मैंने जीवन में पहली बार देखे है.. हाय... आह्ह!! ऊपर वाला भला करे तेरा शीला.. के तूने मुझे आज.. " आगे के शब्द निकले ही नहीं मौसी के मुंह से
शीला ने पास पड़ा प्लास्टिक का झाड़ू उठाया और उसका हेंडल पीछे से अनुमौसी की भोस में घुसेड़ दिया..
"ऊहह माँ.. क्या डाल दिया तूने अंदर.. घोड़े के लंड जितना मोटा है ये तो.. पर अच्छा लग रहा है.. कुछ तो गया अंदर.. उस कमीने चिमनलाल के तीली जैसे लंड के मुकाबले लाख गुना अच्छा है.. आहह.. डाल जोर से शीला.. और जोर से आहह.. आह्ह.. आहह.. " रेणुका की चुत में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए, अनुमौसी अपने भोसड़े में घुसे झाड़ू का पूरा आनंद लेने लगी.. रेणुका भी इस अंगुली-चोदन से मस्त हो गई.. और जीवा के आँड मुठ्ठी में पकड़कर दबाते हुए झुकी.. और अनुमौसी के दाने को चूम लिया.. "आह्ह रेणुका.. मज़ा आ गया.. ऐसा मज़ा तो ५० वर्ष के जीवन में पहली बार आया.. ओहहह!!"
जीवा ने अनुमौसी को बिस्तर पर सुला दिया.. उनके भोसड़े से झाड़ू निकाला.. उनके दोनों पैर अपने कंधों पर ले लिए.. और उनके ढीले भोसड़े के सुराख पर अपना तगड़ा लंड का सुपाड़ा रखकर एक जबरदस्त धक्का दिया.. मौसी का पूरा भोसड़ा एक ही पल में जीवा के लंड से भर गया.. जैसे बोतल के छेद में ढक्कन घुसेड़कर बंद कर दिया हो.. मौसी की बूढ़ी चुत ने पहली बार इतना बड़ा आकार अपने अंदर महसूस किया था..
"ओ माँ.. शीला.. इसे बोल की बाहर निकाल दे.. बाप रे.. मुझे नहीं करवाना है.. छोड़ दो मुझे.. हाय मर गई मैं तो.. मेरा दिमाग खराब हो गया था जो मैं इधर आई.. छोड़ दे मुझे हरामी.. " पर जीवा कहाँ सुनने वाला था.. !! अनुमौसी की उसने एक ना सुनी.. और तेज गति से लंड के धक्के लगाने लगा..
दूसरी तरफ रघु रेणुका को घोड़ी बनाकर पीछे से शॉट लगा रहा था.. रेणुका ऐसे ही मजबूत लंड को तरस रही थी.. रघु के लंड से चौड़ी हो चुकी उसकी चुत के खुशी का कोई ठिकाना न था.. उसके मस्त बोबले, लंड के धक्कों के साथ, लयबद्ध तरीके से हवा में झूल रहे थे.. इस दौरान शीला और रूखी 69 पोज़िशन में एक दूसरे की चुत चाट रहे थे.. दूसरी तरफ जीवा अनुमौसी की घमासान चुदाई करते हुए उनके लटके हुए स्तनों को आटे की तरह गूँद रहा था.. अद्भुत काम महोत्सव चल रहा था शीला के बेडरूम में.. रूखी के विशाल स्तनों से दूध की धराएं शीला के पेट पर टपक रही थी.. वही दूध शीला की चुत की फांक से गुजरकर बिस्तर पर पड रही थी
अपने यार जीवा द्वारा की जा रही जबरदस्त चुदाई को देखकर रूखी खुश हो गई.. जीवा के देसी विकराल लंड की ताकत पर ये शहरी औरतें आफ़रीन हो गई थी.. कुतिया बनकर रघु से चुदवा रही रेणुका को देखकर.. जीवा से चुद रही मौसी और गरम हो रही थी.. रेणुका की गीली पुच्ची में रघु का लंड ऐसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे ऑइल लगे इंजन में पिस्टन आसानी से अंदर बाहर होता है.. इतना अवर्णनीय आनंद रेणुका ने पहली बार महसूस किया था.. उसका भोसड़ा तृप्त होता जा रहा था.. जीवा मौसी के भोसड़े में इतनी तेजी से अंदर बाहर कर रहा था की लगता था कभी चिंगारियाँ निकालने लगेगी..
शीला के मुंह से अपनी चुत झड़वाकर रूखी खड़ी हो गई.. और रघु से घोड़ी बनकर चुद रही रेणुका के मुंह में बारी बारी से दोनों निप्पल देकर.. अपना दूध मुफ़्त में पिलाने लगी.. और अपने स्तनों का भार हल्का करने लगी.. शीला अपनी क्लीनशेव चुत को रूखी के पुरातत्व खाते के किसी अपेक्षित अवशेष जैसी.. काले झांटों से भरपूर भोसड़े पर रगड़ने लगी.. दोनों की क्लिटोरिस एक दूसरे से रगड़ खाते हुए जबरदस्त आनंद दे रही थी.. साथ ही साथ शीला अपने अंगूठे से रूखी की क्लिटोरिस को घिस रही थी..
शीला की गुलाबी निप्पल को मुंह में लेकर काटते हुए रूखी ने अपनी असह्य उत्तेजना की घोषणा कर दी.. पूर्ण उत्तेजित स्त्री को देखना.. अपने आप में एक बड़ा अवसर है.. अनुमौसी ने पहली बार दो स्त्रियों को इस तरह संभोगरत देखा था.. अब तक वो यही सोचती थी की चुत की आग या तो लंड से बुझती है या फिर मूठ लगाने से.. !! दो स्त्री आपस में भी अपनी आग बुझा सकती है इसका उन्हे पता ही नहीं था.. सालों से एक ही भजन आलाप रही अनुमौसी को आज एक नया राग मिल गया..
मौसी दो बार झड़ चुकी थी.. उनकी विनती पर जीवा ने अपना लंड बाहर निकाला.. वो अबतक झड़ा नहीं था.. चुदकर तृप्त हो चुकी मौसी ने शर्म त्याग कर रूखी के नंगे स्तन को पकड़कर दबाया.. रूखी ने मौसी के हाथ को और जोर से अपने स्तन के साथ रगड़कर उनका दूसरा हाथ अपनी चुत पर रखवा दिया.. रूखी का "अत्यंत ज्वलनशील" भोसड़ा.. चुत की गंध वाला प्रवाही छोड़ने लगा था.. अनुमौसी की चुत ठंडी हो चुकी थी.. वो गरम सांसें छोड़ते हुए अपना भूतकाल याद कर रही थी.. इतने लंबे वैवाहिक जीवन में, चिमनलाल ने कभी उन्हे ऐसे तृप्त नहीं किया था.. चिमनलाल से वो इस कदर परेशान थी की मन ही मन नफरत करने लगी थी.. तंग आ गई थी..
जीवा और रघु ने अब रेणुका को रिमांड पर ले रखा था.. नए बॉलर को जिस तरह निशाने पे रखकर बल्लेबाज छक्के लगाता है.. उसी तरह जीवा और रघु ने रेणुका को इतनी बेरहमी से चोदा की रेणुका पस्त हो गई.. मदमस्त हो गई.. जीवा के प्रत्येक धक्के से रेणुका सातवे आसमान पर उड़ने लगती थी.. उसके गोरे गोरे बोब्बे को अपने खुरदरे मर्दाना हाथों से रघु मसल रहा था.. उस दौरान जीवा अपने गन्ने जैसे लंड से रेणुका की चुत का भोसड़ा बना रहा था.. शीला और रूखी, जीव और रघु के दमदार लंड को बड़े ही अहोभाव से देख रही थी.. वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में लिपटकर अपनी चुत खुजा रही थी..
जीवा के दमदार धक्कों से रेणुका अनगिनत बार स्खलित हो गई थी.. जितनी बार वो स्खलित होती तब वह अपनी कमर को बिस्तर से एक फुट ऊपर उठा लेती.. और तभी जीवा रेणुका की कमर को मजबूती से पकड़कर बिस्तर पर फिर से पटक देता और चोदना जारी रखता.. अपनी मर्दानगी का पूर्ण प्रदर्शन करते हुए.. जीवा अपने अजगर जैसे लंड को रेणुका की चुत में अंदर बाहर करते ही जा रहा था.. रेणुका की चुत और जीवा का लंड ऐसे उलझ गए थे जैसे प्रकृति ने उनका निर्माण एक दूसरे के लिए ही किया हो.. रेणुका की कराहें और सिसकियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थी.. मदमस्त होकर रेणुका जीवन के सबसे बेहतरीन आनंद को महसूस कर रही थी.. उसकी हरेक सिसक कामुकता से भरपूर थी..
रेणुका: "ओह्ह जीवा.. मर गई मैं तो.. मज़ा आ गया.. लगा धक्के.. आह्ह उहहह.. ऊई माँ.. ओह्ह शीला.. आज तो मैं धन्य हो गई.. यार.. कितने सालों से मैं ऐसा ही कुछ ढूंढ रही थी.. जबरदस्त है तेरा लंड जीवा.. अंदर तक ठोकर मार रहा है.. उहह उहह.. "
रघु के लंड को लोलिपोप की तरह चूस रही थी मौसी.. शीला और रूखी अपने बलबूते पर ही दो-तीन बार झड़ चुकी थी.. चुद रही रेणुका खुद ही अपने स्तनों को ऐसे मरोड़ रही थी जैसे उन्हे जिस्म से अलग कर देना चाहती हो.. जीवा "पच्च पच्च" की आवाज के साथ कातिल धक्के लगाता जा रहा था.. रेणुका फिर से किनारे पर पहुँचने वाली थी.. अब तो उससे स्खलन भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. अपने हाथ फैलाकर उसने जीवा के कंधों को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और उसे चूमने लगी.. रेणुका के होंठ चूसते हुए जीवा ने अपनी मजबूत बाहों में भरकर रेणुका को बिस्तर से उठा लिया.. चुत को लंड में घुसाये रखा
जीवा का ये बाहुबली प्रदर्शन देखकर.. रूखी, अनुमौसी और शीला की आह्ह निकल गई..
अनुमौसी: "बाप रे.. देख तो शीला.. इसने तो रेणुका को उठा लिया.. और खड़े खड़े नीचे से पेल रहा है.. इसका लंड तो जिसे मिल जाए उसका जीवन सार्थक बन जाएँ.. सांड जैसी ताकत है इसमें.. देखकर मुझे फिरसे नीचे खुली होने लगी है"
रेणुका ने अपने दोनों पैरों को जीवा की कमर के इर्दगिर्द लपेट लिया.. चौड़ी चुत में जीवा का लंड अंदर बाहर हो रहा था.. जीवा का आधा लंड अंदर और आधा बाहर था.. जीवा ने रेणुका के कूल्हों को मजबूती से पकड़कर संतुलन बनाए रखा था.. रेणुका की चुत इतनी फैल चुकी थी की हाथ की मुठ्ठी भी आसानी से अंदर चली जाएँ.. जीवा के हर धक्के के साथ रेणुका की चुत का रस जमीन पर टपक रहा था... रेणुका ने अपने दोनों हाथ जीवा की गर्दन पर लपेट लिए थे.. और जीवा के होंठ कामुक अंदाज में चूसते हुए नीचे लग रहे धक्कों का आनंद ले रही थी.. जीवा की छाती से दबकर उसके दोनों स्तनों बगल से झाँकने लगे थे.. जीवा के इस रौद्र स्वरूप को देखकर उत्तेजित हो चुकी शीला और रूखी ने अनुमौसी के भोसड़े पर हमला कर दिया..
रेणुका को उठाकर चोदते हुए जीवा पूरे कमरे में यहाँ वहाँ घूम रहा था.. इतना ही नहीं.. वो चलते चलते किचन में आया.. और मटके से लोटा भरकर पानी निकालकर पीने लगा.. ये सबकुछ वो रेणुका को चोदते हुए ही कर रहा था.. किचन के प्लेटफ़ॉर्म पर पड़ी सब्जियों की टोकरी से जीवा ने एक खीरा उठाया.. और उसे रेणुका की गांड के छेद पर रगड़ने लगा.. रेणुका के दोनों चूतड़ पूरे फैल चुके थे.. खीरा गांड के छेद पर रगड़ते हुए जीवा रेणुका को लेकर वापस बेडरूम में आ गया.. शीला, रूखी और मौसी.. इस रोमांचक फाइनल मेच को देख रहे थे.. जीवा जिस तरह से रेणुका को उठाकर चोद रहा था.. ये अनुमौसी को बेहद पसंद आ गया.. एक बार जीवा से इसी तरह चुदवाने का मन बना बैठी वो..
अनुमौसी खड़े खड़े एकटक जीवा-रेणुका की चुदाई देख रही थी.. तभी रघु चुपके से उनके पीछे गया..उनके चूतड़ फैलाये और अपनी जीभ उनके छेद पर फेर दी..
"उईई माँ.. " मौसी और कुछ नहीं बोली.. रघु ने उनकी गांड से लेकर चुत तक चाटना शुरू कर दिया.. अनुमौसी का शरीर इस चटाई से कांपने लगा था.. रघु आसानी से चाट सके इसलिए वो थोड़ा सा झुक गई.. इसी के साथ रघु की जीभ ने मौसी की गांड में एंट्री मार दी.. जीभ के कुरेदने से मौसी को खुजली होने लगी.. और उन्होंने अपनी तीन उँगलियाँ अपनी चुत में रगड़ना शुरू कर दिया..
"आह्ह.. ओह्ह.. हाँ रघु.. वही पर.. जरा दाईं तरफ.. हाँ वही.. उईई.. चाट मेरी.. आह्ह रघु.. " रघु उनके चूतड़ों को और फैलाकर जितना हो सकता था उतने अंदर अपनी जीभ घुसाता गया.. उत्तेजीत मौसी ने अपने शरीर को थोड़ा सा और झुकाया.. आज का दिन मौसी के लिए सबसे यादगार दिन बन रहा था..
रेणुका को अपने अलग अंदाज में उछाल उछालकर चोद रहे जीवा ने लंड की साइज़ का खीरा रेणुका की गांड के अंदर घुसाने की कोशिश की.. और बेरहमी से आधा खीरा अंदर घुसा दिया.. रेणुका को इतना दर्द हुआ की वो चिल्लाने लगी.. उसकी चीख को रोकने के लिए जीवा ने उसके होंठों पर अपने होंठ दबाकर उसे चुप करा दिया.. और इशारे से अपनी प्रेमीका रूखी को करीब बुलाया.. अपने स्तन और कूल्हें मटकाती हुई बड़ी ही मादक चाल से चलती रूखी जीवा के करीब आई और रेणुका तथा जीवा दोनों के कूल्हों को सहलाने लगी..
जीवा: "यार रूखी..तू इसकी गांड में उंगली करते हुए मेरे आँड चूस दे.. तेरी मदद के बगैर मेरा लंड झड़ने नहीं वाला.. " वो फिरसे रेणुका के होंठ चूसने लगा
अचानक अनुमौसी चीखने लगी "नहीं नहीं.. मर गई दर्द से मैं तो.. आहह शीला.. तू बोल ना इसे की मेरी गांड से निकाल ले.. मुझे पीछे नहीं करवाना.. बहोत दर्द होता है मुझे.. " सबकी नजर अनुमौसी की ओर गई.. रघु ने झुककर खड़ी मौसी की गांड में एक ही धक्के में अपना लंड घुसा दिया था.. मौसी को दिन में तारे नजर आने लगे.. रघु ने मौसी का जुड़ा खोल दिया और उनके लंबे बालों को खींचकर उन्हे पकड़ रखा था.. मौसी हिल भी नहीं पा रही थी.. रघु ने जोर से बालों के ऐसे खींचा की अनुमौसी की गर्दन ऊपर हो गई और उनकी चीख गले में ही अटक गई.. मौसी अब पूरी तरह से रघु की गिरफ्त में थी.. घोड़ी कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो.. लगाम खींचते ही काबू में आ ही जाती है.. अनुमौसी को पता चल गया था की रघु अपनी मनमानी करके ही रहेगा..
मौसी गिड़गिड़ाने लगी.. "रघु.. प्लीज.. निकाल दे बाहर.. दर्द से मरी जा रही हूँ.. हाथ जोड़ती हूँ तुझे.. आगे के छेद में जितना मर्जी डाल ले तू.. पर पीछे मत कर.. जलन हो रही है.. दया कर मुझ पर.. "
मौसी का ये हाल देखकर शीला उनके करीब आकार नीचे बैठ गई.. पहले उसने मौसी के होंठ चूम लिए.. और उनके लटक रहे नारियल जैसे स्तनों को दबाने लगी.. ग्लाइकोड़ींन पीने से जैसे खांसी बंद हो जाती है.. वैसे ही शीला की हरकतों से मौसी शांत हो गई.. शीला ने मौसी की ऐसी खास जगहों पर स्पर्श किया की मौसी सिहरने लगी.. रघु मौसी की गांड में लंड घुसेड़कर ठुमक रहा था.. धक्कों से मौसी की गांड चौड़ी हो गई थी.. अब उनका दर्द काम होने लगा..
मौसी: "शीला.. मेरी चूचियाँ भी चूस दे थोड़ी सी" शीला को मौसी के पिचके हुए स्तन चूसने का बिल्कुल मन नहीं था.. बिना रस के आम कौन चूसेगा भला!! फिर भी शीला ने उनकी निप्पलों को मुंह में लेकर "बच बच" की आवाज के साथ चूसना शुरू कर दिया..
रूखी अपने प्रेमी के खूंखार लंड से चुद रही रेणुका की भोस को बड़े ही गर्व से देख रही थी.. जीवा के आँड को चूसते हुए.. रसिक के लंड से मोटे खीरे को रेणुका की गांड में डालती जा रही थी.. रूखी को रेणुका की गांड मारने में बड़ा ही मज़ा आ रहा था.. उसने खीरे को एक बार अपनी चुत पर भी रगड़कर देख लिया.. बहोत मज़ा आया.. आज घर जाकर ये प्रयोग जरूर करूंगी.. रूखी ने शीला को अपने पास बुलाया.. और रेणुका की गांड से निकली हुई ककड़ी उसकी चुत में दे मारी..
अनुमौसी की गांड फाड़ कर थक चुका रघु.. अपना लंड खींचकर.. रूखी की चुत पर टूट पड़ा.. मौसी बेचारी अपनी गांड बचाकर दूर भाग गई.. बड़ी मुश्किल से लँगड़ाते हुए चल आ रही थी मौसी... वो कपड़े पहनकर दूर बैठी ये चुदाई का भव्य खेल देखने लगी.. उनकी चुत और गांड दोनों ठंडे हो चुके थे.. और इस उत्सव से उन्होंने इस्तीफा देते हुए वी.आर.एस ले लिया था..
दर्शक बनकर बैठी मौसी.. बाकी बचे बल्लेबाजों के फटके देख रही थी.. उनकी सांस अब भी फुली हुई थी.. बेचारी मौसी!!! लेकिन शीला की मदद से उनके चुदाई जीवन को चार चाँद लग गए थे इसमें कोई दो राई नहीं थी..
रेणुका की हालत देखकर मौसी सोच रही थी.. "कितनी गर्मी है साली की चुत में!! इस जालिम जीवा के खूंखार लंड से चुद रही है फिर भी थकने का नाम नहीं ले रही.. वैसे रघु का लंड भी कुछ कम नहीं है" सभी प्रतिभागियों की क्षमता का पृथक्करण कर रही थी मौसी.. जीवा और रघु के लंड पर तो वो अब निबंध लिख सकती थी.. एक पल के लिए उन्हे ऐसा विचार आया की अगर जीवा और रघु को वियाग्रा की गोली खिला दी जाए और उनके लंड पर जापानी तेल की मालिश की जाएँ.. तो क्या होगा? बिना किसी मदद के भी उन्होंने मेरी गांड फाड़ दी.. अगर इन्हे गोली खिलाकर तेल लगाकर चुदवाएं तो ये दोनों माँ चोद देंगे मेरे भोसड़े की.. सीधा एम्बुलेंस से अस्पताल जाने की नोबत आ जाएँ.. गांड और चुत को टाँकें लगाकर सिलवाना पड़ जाएँ.."
रेणुका का काम तमाम हो गया.. आखिरी कुछ धक्कों ने तो उसे लगभग रुला दिया था.. रेणुका की चुत पर ऐसे भयानक प्रहार पहली बार हुए थे.. जीवा को ऐसी टाइट कडक चुत मिलने पर वो भी दोहरे जोर से धक्के लगा रहा था.. जब तक रेणुका उत्तेजित थी तब तक उसे मज़ा आ रहा था.. पर अब ५-६ बार स्खलित हो जाने के बाद उसे दर्द होने लगा था.. चुत भी जल रही थी.. पेट भर जाने के कोई जबरदस्ती खिलाएं और जो हाल होता है वही हाल रेणुका का हो रहा था.. जीवा के लंड के प्राहर अब उसे आनंद के बजाए पीड़ा दे रहे थे
"ओहह ओहह आह्ह मर गई.. बस बहोत हुआ जीवा.. मेरा हो गया.. अब निकाल ले बाहर.. बस अब ओर नहीं.. मेरे पेट में दर्द होने लगा है.. मैं झड़ चुकी हूँ.. धीरे धीरे.. ओ माँ.. स्टॉप ईट जीवा.. शीला.. इससे कहों के बाहर निकाले.. " रेणुका की हालत बद से बदतर होती जा रही थी.. जीवा किसी खूंखार जंगली जानवर की तरह रेणुका की सारी बातें अनसुनी कर बेरहमी से चोदता ही गया.. रेणुका का नंगा बदन चुदते चुदते पसीने से तरबतर हो गया था..
अनगिनत बार झड़ जाने के बाद भी रेणुका को जीवा ने नहीं छोड़ा.. अंत में उसे बिस्तर पर पटक दिया और अपना मूसल लंड बाहर खींच लिया.. खतरनाक धक्के खा खा कर रेणुका की हालत खराब हो गई.. थोड़ी देर आराम करने के बाद उसकी सांसें ठीक हुई.. वासना का तूफान शांत हो गया.. रेणुका अब चुपचाप मौसी के पास आकर बैठ गई.. अब रूखी-शीला और जीवा-रघु के बीच घमासान चल रहा था
शीला और रूखी की हवस तो मौसी और रेणुका के मुकाबले कई ज्यादा थी.. रघु शीला को उलटी लिटाकर उनकी चुत को धमाधम चोदते हुए पावन कर रहा था.. इस दौरान अनुमौसी चुपके से अपने घर चली गई..
शीला और रूखी की हवस को देखकर रेणुका स्तब्ध हो गई.. रूखी का देसी कसरती शरीर का सौन्दर्य उसे प्रभावित कर गया.. तो दूसरी तरफ शीला की गोरे खंबे जैसी जांघें.. पुष्ट पयोधर मदमस्त स्तन.. सपाट गोरी और दागरहित पीठ.. लचकदार कमर.. और मटके जैसे कूल्हें..
रेणुका ने नीचे हाथ फेरकर अपनी चुत के हालचाल चेक किए.. कहीं ज्यादा नुकसान तो नहीं हुआ ना!! जीवा ने तो आज हद ही कर दी.. ऐसे भी भला कोई चोदता है.. !! रूखी अब जीवा का काले सांप जैसा लंड चूस रही थी.. देखकर ही रेणुका के पसीने छूट गए.. बाप रे.. इतना बड़ा लिया था क्या मैंने !!!
शीला रघु के लंड से फूल स्पीड में चुद रही थी.. "आह्ह रघु.. बहोत मज़ा आ रहा है.. और जोर से.. शाबबास.. वाह मेरे राजा.. क्या ताकत है तेरी.. मस्त धक्के लगा रहा है.. ओह.. फाड़ दे मेरी चुत.. आहह आहह.. ओर जोर से ठोक.. उहह उहह.. और तेज.. जल्दी जल्दी.. हाँ हाँ.. वैसे ही.. आहह आह्ह.. मैं झड़नेवाली हूँ.. रुकना मत.. आह्हहह आह्ह आईईईईईई.. !!!!" शीला झड गई
शीला: "मेरा पानी निकल गया और तू अब तक नहीं झड़ा रघु??"
रघु: "भाभी.. आज गांड नहीं मारने दोगी क्या??" कहते हुए रघु ने शीला की गांड में उंगली डालकर हिलाया
शीला: "नहीं रघु.. आज नहीं.. आज तो भोस को ही तृप्त करना है.. गांड मरवाने का मूड नहीं है मेरा"
"रघु.. तुम मेरी गांड मार लो" जीवा का लंड चूसते हुए रूखी ने कहा
रघु शीला के शरीर से उतरकर रूखी के पास गया.. घोड़ी बनकर जीवा का लंड चूस रही रूखी के चूतड़ों को हाथ से चौड़ा किया.. रूखी के सुंदर अंजीर जैसे गांड के छेद पर अपना गरम सुपाड़ा रख दिया.. रूखी ने एक पल के लिए जीवा का लंड मुंह से निकालकर कहा "आहह.. कितना गरम है तेरा लंड रघु.. अंगारे जितना गरम लग रहा है पीछे.. थोड़ा सा थूक लगाकर डालना.. सुख मत पेल देना.. मैं जानती हूँ तेरी आदत.. गांड को देखकर ही गुर्राए सांड की तरह टूट पड़ता है तू.. मरवाने वाली के बारे में सोचता तक नहीं.." रूखी ने फिरसे जीवा का लंड मुंह में ले लिया..
एक ही दिन में शीला और रेणुका एकदम खास सहेलियाँ बन गई.. रात को दोनों ने ब्लू फिल्म की डीवीडी देखते हुए लेसबियन सेक्स का मज़ा लिया.. फिर एक ही बिस्तर पर नंगी होकर दोनों पड़ी रही.. एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए देर तक बातें करती रही.. समाज की.. घर की.. पति की.. पड़ोसियों की.. बातें करते करते एक दूसरे की बाहों में कब सो गई दोनों को पता ही नहीं चला..
Thanks bhaiBahut hi behtarin updates.. mitr ek request hai pics thode kam rakho story mein…![]()