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majedar update ..sachin uncle to khule baalo me dekhna bhi pasand karte hai malai ko aur kamla mausi ne unki ye khwahish bhi puri kar daali .मलाई- एक रखैल-6
छतरी तो एक ही थी और बारिश बहुत तेज हो रही थी| इसलिए हम लोग थोड़ा बहुत भी गए थे| जब हम घर पहुंचे तब तक कमला मौसी ने हम लोगों के लिए चाय बना कर रखी थी और उन्होंने अपने कमरे में मेरे लिए कपड़े भी निकाल कर रखे थे|
हम लोगों के आते ही उन्होंने कहा, "अरि मलाई, तू और सचिन भाई तो एकदम भी गए हैं एक काम कर तू अंदर वाले बाथरूम में नहा ले वहां गर्म पानी क गीजर लगा हुआ है"
मैंने थोड़ा हिचकते हुए कहा, “लेकिन अंदर वाले कमरे में तो सचिन अंकल ठहरे हुए हैं...”
“तो क्या हुआ उस बाथरूम में गीजर तो लगा हुआ है ना? गरम पानी आता है| जा; जा कर नहा ले और यह देख मैंने तेरे लिए कपड़े भी निकाल कर रखे हैं...”
मैंने दोबारा गौर किया इस बार भी कमला मौसी ने मेरे लिए जो कपड़े निकाले थे वह सिर्फ एक नाइटी थी और एक पैंटी… न जाने क्यों वह यह चाहती थी कि सचिन अंकल की मौजूदगी में मैं ब्रा ना पहनू… अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तो मेरे स्तनों का जोड़ा मेरी हर हरकत पर हिलेगा डूलेगा... और मुझे मालूम है सचिन अंकल की मरदानी नजर मेरे स्तनों पर जरूर पडेंगी... क्या कमला मौसी को इस बात का एहसास नहीं? हां, उन्हें पता तो जरूर है- लेकिन वह जानबूझकर मेरे को ब्रा नहीं पहनने देना चाहती... शायद वह चाहती हैं कि मैं ऐसे ही उनके सचिन भाई को लुभायुं|
मैं उनसे इशारों इशारों में पूछने ही वाली थी कि मेरी ब्रा कहां है? लेकिन न्यू मार्केट का वाकया मुझे याद आया, कि कितने कामुक तरीके से सचिन अंकल ने मेरे होठों को चुमा था... हम लोग तन और मन से कितने करीब आ गए थे उस करीबी की गर्मी अभी भी मेरे अंदर बाकी थी... इसलिए मैं चुपचाप सर झुका कर अंदर वाले कमरे में (जहां सचिन आकर ठहरे हुए थे) लगे हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी है इतने में सचिन अंकल ने कहा, "एक बात कहूं कमला, तुम्हारी यह लड़की मलाई बहुत खूबसूरत है... लेकिन मैं जब से यहां आया हुआ हूं, मैं देख रहा हूं कि इसने अपने बालों को बड़े सुंदर तरीके से जुड़े में बांध रखा है... और उसका जुड़ा भी इतना भरा पूरा सा- इतना बड़ा है, अगर बुरा ना मानो तो क्या तुम इससे कहोगी, अपने बाल खोलकर मुझे दिखाएं?"
“हां हां, क्यों नहीं?” कमला मौसी बिल्कुल गदरा कर मुस्कुराई और उन्होंने मेरे अध गीले बालों का जुड़ा खोलकर, मेरे बालों को मेरे पीठ पर फैला दिया... सचिन अंकल सोफे पर बैठे हुए थे वह उठकर कर मेरे करीब आए और मेरे बालों को दो-चार बार सहलाया, और फिर वह बोले, “अरे वाह तुम्हारी यह लड़की मलाई तो खुले बालों में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है| मैं एक बात कहूं इससे कहो कि अपने बाल खुले ही रखा करें बहुत खूबसूरत दिखती है खुले बालों में...”
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर कमला मौसी वहां नहीं होती तो शायद वह मुझे दोबारा अपनी बाहों में भर कर चूम लेते…
मैं चंद सेकंड वहां खड़ी रही और उसके बाद तेज़ कदमों से चलती हुई बाथरूम में घुस गई और दरवाजा बंद कर दिया|
वहां मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और दीवार पर लगे आईने पर अपनी नंगी छवि देखी... कमला मौसी का कहना बिल्कुल ठीक था... उनकी बातें मेरे कानों में गूंजने लगी, 'यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी?'
मैंने शावर चला दिया और दीवार से टिक कर गीज़र के गुनगुने पानी में अपना सारा बदन भगोने लगी…
बारिश होने बंद होने का नाम ही नहीं रही थी... शुक्र है कि केबल टीवी चल रहा था... रात का खाना हम लोगों ने चुपचाप ही खाया... लेकिन मेरे मन के समंदर में मानो कोई चक्रवाती तूफान आया हुआ था... इसलिए मैं चुपचाप ही थी... लेकिन कमला मौसी ने खामोशी को जाहिर नहीं होने दिया... वह सचिन अंकल से बातें करती रही है वह दोनों हंसते रहे और जब भी मैं उन दोनों को एक दूसरे की तरफ देखते हुए हंसता हुआ देखती है न जाने क्यों मेरे अंदर एक अजीब सी जलन से पैदा हो रही थी|
खैर, खाना खाने के बाद मैं ऊपर के कमरे में सोने चली गई... लेकिन नींद मानो मेरी आंखों से कोसों दूर थी... लेटे लेटे मैंने अपने मोबाइल फोन पर मैंने 10- 10 15- 15 मिनट की 2-3 ब्लू फिल्में देख डाली...
फिल्मों को देखते देखते मेरे अंदर काफी गर्मी छा गई थी... खुली खिड़की से आते हुए ठंडी हवाओं के भीगे भीगे के झोंके जैसे मेरे बदन में आग लगा रहे थे... कल सुबह जल्दी उठकर कमला मौसी के साथ मिलकर घर के सारे काम निपटाने हैं उसके बाद दुकान में भी जाना है| अगर मैं और कमला मौसी दोनों के दोनों दुकान में चले गए तो घर में अकेले सचिन अंकल क्या करेंगे? अगर सुबह जल्दी उठना है तो मुझे अब तक सो जाना चाहिए था...
मैं सिर्फ एक पतली सी फ्रंट ओपन स्लीवलैस नाइटी और चड्डी पहन कर ही बिस्तर पर लेटी हुई थी... कमर के निचले हिस्से से मैंने कपड़े हटाए और अपनी चड्डी नीचे सरका कर अपने यौनांग में उंगली करने लगी.... मुझे बार-बार न्यू मार्केट के बस स्टैंड मैं बिताए हुए वह लम्हे याद आ रहे थे जब जाने अनजाने में ही सचिन अंकल ने मुझे इतना कामुक तरीके से चूमा था... हम लोग एक दूसरे के इतना करीब आ गए थे कि हमारे शरीर के निचले हिस्से भी एक दूसरे के साथ छू रहे थे... मेरा मन एक अनजाने से भंवर में फस चुका था और ना जाने मैं कहां समा जा रही थी... सचिन अंकल तो नीचे वाले कमरे नहीं सो रहे हैं... या फिर वह जगे हुए हैं? क्या वह भी यही सब सोच रहे हैं जो मैं सोच रही हूं? जब हम लोग इतना करीब आ गए थे. तो मैंने उनकी आंखों में झांक कर देखा था... उनके नीले नीले आंखों की गहराई होंगे न जाने क्यों मुझे लगा उनके अंदर भी एक आग सी भड़क है... और वह आग है मुझे पाने की इच्छा... लेकिन मैंने सोचा क्या यह ठीक है? अगर इस वक्त मैं सिर्फ उनको देखने के लिए ही सही, अगर उनके कमरे में गई? और उन्हें पता चल गया, तो वह क्या सोचेंगे? या फिर अगर उन्होंने मुझे अपने पास बुला लिया तो? मैं तो एक शादीशुदा औरत हूं... आज अगर मेरी और सचिन अंकल के बीच कुछ होता है, तो शायद किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी... अभी कमला मौसी तब तक सो चुकी होंगी, और घर में भी फिलहाल कोई नहीं है... लेकिन क्या यह ठीक है?
फिर अचानक बिजली कड़की... और कुछ देर के लिए चारों तरफ एकदम सन्नाटा सा छा गया, मार दो सारा माहौल भी मेरे फैसले का इंतजार कर रहा हो... और मुझसे रहा नहीं जा रहा था...
मैंने अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाई और झटके के साथ अपने बिस्तर पर उठ कर बैठ गई... और मन ही मन यह तय कर लिया आर होगा या पार यह कहकर मैंने उठ कर जब अपनी बेडरूम का दरवाजा खोला तो सामने खड़ी शख्स को देखकर मैं बिल्कुल भौं-चक्की रह गई|
मैंने देखा कि कमला मौसी सिर्फ एक नाइटी पहने हुए दरवाजे के बाहर दीवार से अपना कंधा टेक कर खड़ी है और मेरी तरफ एक शरारत भरी मुस्कान लिए देख रही है...
मैंने हकलाते हुए उनसे पूछा "क-क-क- कमला मौसी आप कब से यहां खड़ी हैं?"
कमला मौसी ने अपनी बाँछों को खिला कर कहा, “पिछले 5 मिनट से… न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि मैं एक बार तुझे देख कर आऊं कि तुझे ठीक से नींद आ रही है कि नहीं, यूं तो जब अनिमेष घर पर नहीं होता तो नीचे मेरे साथ आकर सोती है... लेकिन आज तो तू सीधे अपने बेडरूम में चली गई... इसलिए मैंने सोचा कि एक बार देख कर आऊं… बस मैं कमरे के बाहर ही खड़ी थी तो मुझे तेरी आहों की आवाज सुनाई दी… क्या सोच रही है? जा कहां रही थी?”
मुझे काटो तो खून नहीं, मैंने इधर उधर देखते हुए कहा, “जी कहीं नहीं… बस यूं ही...”
लेकिन कमला मौसी पूरा माजरा समझ गई थी उन्होंने मुस्कुरा कर प्यार से मेरे गालों पर हाथ फेर कर मेरा माथा चूमा और फिर बोली, “जा, चली जा… तेरे सचिन अंकल सोते वक्त अपना दरवाजा लॉक नहीं करते… किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी… जा मेरी बच्ची चली जा… मैं सब जानती हूं मैं सब समझ सकती हूं यह मत भूल कि मैं भी कभी तेरी की उम्र की थी... पेट की आग और बदन की आग में ज्यादा फर्क नहीं होता... जा मेरी बच्ची चली जा सचिन भाई के पास”
मैं फटी फटी आंखों से कमला मौसी की ओर देख रही… मैं तो सचमुच सचिन अंकल के कमरे में ही जाने की ठान कर बिस्तर से उठ कर बैठी थी और कमरे से बाहर निकल कर उन्हीं के पास जा रही थी क्योंकि मुझसे और रहा नहीं जा रहा था… और ऐन वक्त पर कमला मौसी ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया था... अब किसी भी तरह की कोई भी दलील देने का कोई फायदा नहीं|
इसलिए मैं सर झुका कर सचिन अंकल के कमरे की तरफ जाने के लिए सीढ़ियों से उतरने ही वाली थी की कमला मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर मेरे कुल्हों पर हाथ फेरा, और फिर वह बोली, “अरि यह क्या? तूने पैंटी क्यों पहन रखी है? उतार दे इसको… अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी तेरे को… चल पैंटी उतर के जा… उनके कमरे में जाकर अपनी अपनी नाइटी उतार देना और अपने बालों को खोल देना... याद है ना? उन्होंने कहा था कि तू खुले बालों में खूबसूरत लगती है... और ऐसी हालत है वह तुझे नंगी देखेंगे तो जरूर उनका दिल आ जाएगा... और मेरा यकीन मान तेरे सचिन अंकल तेरे को पूरी तरह से रिलैक्स और खुश कर देंगे... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी… मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”
क्रमशः
kamuk update ..aakhir me chud hi gayi sachin se malaiमलाई- एक रखैल-7
अब तो मेरे हाथ पांव फूलने लगे थे... मेरे ऊपर ना जाने कौन सी सनक सवार हो गई थी कि मैंने किसी तरह से हिम्मत जुटा करके सचिन अंकल के कमरे में जाने का फैसला कर लिया था... लेकिन अब जब मुझे कमला मौसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, मुझे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट महसूस हो रही थी... शायद जो होने वाला था उसकी प्रत्याशा में मैं कुछ ज्यादा ही नर्वस होने लगी थी...
कमला मौसी मानो मेरे मन की बात पढ़ रही थी| उन्होंने मुझे धीरे से पकड़ कर सचिन अंकल के कमरे में ले गई...
सच निकल चुकी ही हुए थे, उन्होंने सिर्फ एक हाफ पैंट पहन रखी थी और अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे... उन्होंने हम दोनों को अंदर आते हुए देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा|
किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा
कमला मौसी हल्का सा हंसी और फिर बोली, “लो सचिन भाई, अब तुम दोनों को ज्यादा शर्माने की जरूरत नहीं है... मैं लड़की को नंगी करके इस कमरे से चली जाऊंगी| तुम लोग रात भर एक दूसरे का साथ देना... सचिन भाई, मेरी लड़की मलाई बहुत प्यासी है और मुझे उम्मीद है कि आप इस की प्यास जरूर बुझायेंगे...”
यह कहकर कमला मौसी ने मेरी नाइटी उतार दी और फिर मेरे बालों को खोलकर मेरे पीठ पर फैला दिए| एक पल के लिए मैं काँप उठी क्योंकि जिंदगी में पहली बार मैं किसी पराए मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी... मेरे बाल भी खुले थे... मैंने अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी... सचिन अंकल ने तो कुछ देर तक मेरे को अच्छी तरह से अपनी कामुकता भरी निगाहों से निहारा और उसके बाद वह एकदम मगन होकर बोले, “मलाई, जब एयरपोर्ट में मैंने तुमको पहली बार देखा था तभी से ही तुम मेरे दिलो-दिमाग में समा गई थी... उसके बाद घर में मैंने तुमको खुले बालों में देखा... तब से तो तुमने मेरे मन में एक जगह सी बना ली है... और अब जब मैं तुमको बिल्कुल नंगी देख रहा हूं, मेरा यकीन मानो मुझे ऐसा लगता है कि ऊपर वाले ने तुमको बहुत ही फुर्सत से बनाया होगा...”
यह कहकर कुछ देर तक वह मुझे ऊपर से नीचे तक निहारते रहे, और मैं तब भी अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी|
सचिन अंकल बोले, “मैं जानता हूं मलाई तुम्हें शर्म आ रही है तुम अपना रूप रंग अपनी उफनती जवानी मुझसे छुपाना चाहती हो… अगर तुम्हें छुपना ही है... तुम मेरे सीने मैं छुप सकती हो...” यह कहकर उन्होंने अपनी बाहें फैला दी| उनका नंगा चौड़ा सीना और गठीला बदन मुझे पहले से ही लग जा रहा था और मैंने आव देखा ना ताव मैं सीधे दौड़ कर उनसे लिपट गई|
उनकी नंगे बदन की छुयन का जैसे ही मुझे एहसास हुआ... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ गई और मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए... और बाहर बहुत तेज बिजली चमकी और एक धमाके के साथ बादल गरज उठे...
मैं सचिन अंकल से लिपट कर अब रोने लगी सचिन अंकल भी मेरे नंगे बदन पर अपने हैं हाथ फेर -फेर के मुझे सहलाते हुए मुझे दिलासा देते रहे... और कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे...
उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखा... और इस बात में कोई भी संदेह नहीं कि हम दोनों के दिलों में एक जैसी ही आग भड़क रही थी... कमला मौसी जाने से पहले कमरे की नीले रंग की नाइट लाइट जला कर और कमरे के किवाड़ भिड़ा मुस्कुराती हुई चली गई थी... इसलिए मंद रोशनी में हम एक दूसरे को बिल्कुल साफ देख पा रहे थे... सचिन आकर थोड़ा मुस्कुराए और फिर उन्होंने अपना लिंग मेरे हाथों में दे दिया... उनका लिंग करीब-करीब 8 या 9 इंच लंबा था और मोटा भी... जो मुश्किल से ही मेरी मुट्ठी में समा पा रहा था... शायद सचिन अंकल को मालूम था वह क्या कर रहे हैं... वह धीरे धीरे मेरे यौनांग में अपनी उंगली फेरने लगे...
मुझे भी न जाने क्या हो रहा था. मैं भी उनके पूरे बदन को चूम रही थी और चाट रही थी.. , उनका चेहरा उनका सीना... पेट और उसका निचला का हिस्सा... मैं तो अपना सुध बुध ही खो बैठी थी...
मुझे थोड़ा सा होश तब आया जब मुझे एहसास हुआ मैं उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग अपने मुँह के अंदर ले कर चूस रही थी...
सचिन अंकल के अंदर भी जैसे ज्वार आ रहा था उन्होंने जल्दी ही मुझे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगे फैला दी, और उनके बीच अपना सर डाल के मेरे यौनांग को वह चूसने चाटने लग गए...
इससे पहले जिंदगी में कभी मुझे इस तरह का मजा नहीं आया था, मैं बस लेटी लेटी तकिए को पकड़कर अपना सर इधर उधर करती रही है और सिसकियां भर्ती रही...
शायद मेरा यौनांग अब गीला होने लगा था... सचिन अंकल एक तजुर्बे दार आदमी थे... न जाने उनके बिस्तर में कितनी औरतों ने इस तरह से मस्ती की थी... उन्हें शायद लग गया होगा कि अब देर नहीं करनी चाहिए... इसलिए वह मेरे ऊपर लेट गए... उनके वजन से दबकर मेरे बदन में मानो कामना की आग और भड़क उठी... जैसा कि मैंने कहा सचिन अंकल बहुत समझदार थे... उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया... और अब मैं दर्द से कराह उठी... लेकिन सचिन अंकल ने जल्दी नहीं की... वह मेरे ऊपर एक 2 मिनट तक बिल्कुल चुपचाप लेटे रहे पर उन्होंने अपने वजन से मेरे बदन को नीचे ही दबा कर रखा ऐसे उन्होंने मुझे थोड़ा संभलने का मौका दिया... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा शरीर जैसे मेरे मन को संचालित कर रहा था मैंने पाया कि सचिन अंकलकि बदन के वजन से दबी होने के बावजूद मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश की... सचिन अंकल समझ गए कि वक्त आ गया है... वह अपनी कमर आगे पीछे आगे पीछे हिला कर के मेरे साथ मैथुन लीला में मगन हो गए... आखिर कमला मौसी ने कहा था कि मैं बहुत प्यासी हूं और उन्होंने भी यह जान ली थी क्यों नहीं मेरी प्यास बुझा नहीं है और अब तक मैं मुझे पता चल चुका था कि सचिन अंकल मेरी अंतरात्मा की प्यास बुझाए बिना रुकने वाले नहीं है... उनके धक्कों की गति बढ़ती गई और मैं उनके नीचे लेटी लेटी अपनी पूरी ताकत से उनको अपनी बाहों में जकड़ कर बस सिसकियां भरती गई...
जल्दी ही मेरे अंदर कामवासना का एक जबरदस्त विस्फोट हुआ... मुझे ऐसा लग रहा था, कि दुनिया की सारी हंसी-खुशी, सारी भावनाएं सब कुछ अब कोई मतलब नहीं सब माया है... मैं शायद एक अजीब से शून्य में सिर्फ तैर रही थी... लेकिन सचिन अंकल रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे... उनका लिंग मेरी योनि में अभी भी घुसा हुआ था... और मानो एक स्टीम इंजनके पिस्टन की तरह उनका लिंग मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... यह दूसरी बार था जब मेरे अंदर कामवासना का विस्फोट हुआ... और मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल का गरम गरम वीर्य मेरी योनि के अंदर फव्वारे की तरह फैल गया... जिंदगी में पहले कभी मुझे ऐसा मगर ऐसा नहीं हुआ था...
सचिन अंकल ने गहरी सांस छोड़ी फिर कुछ देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे| मैंने महसूस किया कि उनकर लिंग धीरे-धीरे शिथिल पड़ रहा है और उसके बाद उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और फिर मेरे बगल में लेट गए... मैं उन्हें कहा छोड़ने वाली थी मैंने अपना एक हाथ और एक पैर रखकर उनसे लिपट लिपट गई... सचिन अंकल शायद थोड़ा दम ले रहे थे लेकिन वह मुझे प्यार से सहलाते रहे...
कुछ देर बाद सचिन अंकल ने मेरे को चित लिटा दिया और फिर मेरी चूचियों को बड़े प्यार से चूसने लग गए... मुझे मालूम था कि सचिन अंकल मुझे दुबारा उकसा रहे हैं... आखिर वह फिर से मेरे साथ सहवास करना चाहते थे... और मैं भी कहां मना करने वाली थी?
***
अगले दिन जब मेरी नींद खुली सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पर गई सुबह के 11:15 बज रहे थे... मेरा पूरा बदन एक मीठे से दर्द और एक मस्ती भरे एहसास में डूबा हुआ था... सबसे पहले मैंने अपने यौनांग पर हाथ फेरा... वह अभी भी थोड़ा चिपचिपा सा था... पिछली रात की बातों को दोबारा याद करकेमेरे होठों पर एक मुस्कुराहट से छा गई...
मुझे याद आया कि पिछली रात को सचिन अंकल ने मेरे साथ करीब करीब चार-पांच बार सहवास किया था इसलिए मैं रात भर सो भी नहीं पाई थी... और हां मैं तो सोना ही नहीं चाहती थी..
लेकिन मुझे बड़ा ताज्जुब हो जब मैंने देखा कि मैं कमरे में बिल्कुल अकेली हूं और वह भी बिल्कुल नंगी... कमरे में लगे खूंटे में मेरी नाइटी लटक रही थी, मैंने उसे अपने बदन पर चढ़ाया... और फिर सबसे पहले मैं यह देखने लग गई कि कमला मौसी कहां है? फिर मुझे याद है कमला मौसी तो अब तक दुकान में चली गई होंगी| हाय दैया! आज मुझे इतनी देर हो गई कि उन्हें अकेली ही दुकान पर जाना पड़ा...
लेकिन सचिन अंकल कहां है?
घर के सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद थे| मैंने सचिन अंकल के कमरे की खिड़की खोलकर बाहर झांक कर देखा... तभी भी तेज बारिश हो रही थी लेकिन घर के अंदर का माहौल बहुत ही उमस और घुटन से भरा हुआ लग रहा था|
उसके बाद मैंने महसूस किया कि मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं| मैंने घर के बाहर का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह भी बाहर से ही बंद था... अब मुझे थोड़ा सा अजीब सा लगने लगा, मुझे याद आया कि मेरा मोबाइल फोन मेरे कमरे में ही है| इसलिए मैं जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर अपने कमरे में गई तो पाया कि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी और वह भी बंद पड़ा हुआ था...
मैंने जल्दी से मोबाइल फोन को चार्ज पर लगाया और इंतजार करने लगी जब मोबाइल फोन थोड़ा चार्ज हो जाएगा तब मैं कमला मौसी को फोन लगाऊंगी...
अब मुझे पता नहीं क्यों थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था... मोबाइल फोन को थोड़ा बहुत चार्ज होने में कम से कम 5-10 मिनट तो लग ही जाएंगे... और जब तक ही मोबाइल फोन चार्ज हो रहा था, मैं सिर्फ घड़ी की तरफ देखती रही उस वक्त एक एक सेकंड मेरे लिए बहुत भारी पड़ रहा था...
क्रमशः
पंकज उद्धास -जी हां, कमला मौसी ने बहुत पहले ही यह मत बना कर रखा था कि वह मलाई को अपने सचिन भाई के हाथों सौंप देगी| ताकि मलाई जिंदगी के वह मजे ले सके जिनसे कि वह अभी भी अनजान है... एक तरह से कहे तो, मलाई को अपनी कमला मौसी का एहसानमंद होना चाहिए|
मैंने पंकज उधास का यह गाना पहले कभी नहीं सुना| अच्छा है कि आपने इस गाने का जिक्र किया मौका मिले तो मैं YouTube में इस गाने को सुन लूंगी
फिलहाल इस कहानी के तीन ही किरदार है| मलाई, सचिन अंकल और कमला मौसी| इस कहानी में मलाई के पति अनिमेष और उसकी बुआ की लड़की का सिर्फ जिक्र ही किया गया है|
और आपने किस बात का बिल्कुल सही अंदाजा लगाया,
"और यदि शबाब खुद ही शराब की शौकीन हो तो फिर क्या ही कहने !"
मुझे आशा है कि अगले कुछ अपडेट्स आपको जरूर पसंद आएंगे|
majedar update ...laga hi tha ki kamla mausi ka bhi game baja diya hoga sachin uncle ne aur ab kamla mausi ne bhi ye baat maan li .मलाई- एक रखैल-8
मोबाइल फोन का चार्ज अब 5% हो चुका था... चार्ज पर लगाकर ही मैंने कमला मौसी को फोन मिलाया|
पता नहीं क्यों मैं उस वक्त बहुत डरी हुई थी| इसका कारण लाजमी था, क्योंकि एक तो मैं काफी देर तक सोती रही और उसके बाद देखा कि घर में कोई भी नहीं है सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद है... आखिर बात क्या है?
कमला मौसी ने दो बार फोन नहीं उठाया| तीसरी बार समझा मैंने उनका नंबर फिर से लगाया था तब जाकर मुझे उनकी आवाज सुनाई दी|
कमला मौसी की आवाज में न जाने क्यों एक अजीब सी खुशी की झलक मुझे मिली, "उठ गई मेरी बच्ची मलाई?"
" ज- ज- जी हां", मैं घबराहट में हकला रही थी, "आज मुझे उठने में बड़ी देर हो गई मैं बस 10-15 मिनट पहले ही उठी हूं... सचिन अंकल कहां गए?"
" हा हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "उठते के साथ ही तुझे सचिन अंकल की याद आ गई... उनके प्यार के जादू से तू तो अपनी कमला मौसी को शायद भूल ही गई होगी..."
"नहीं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं मेरा मतलब आप कहां हो और सचिन अंकल कहां है? जब मैं उठी तो मैंने देखा कि घर में कोई भी नहीं है सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद है और मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं... मुझे तो बहुत डर लग रहा था"
"ठीक है, री लड़की... सुन, डरने वाली कोई बात नहीं है... मैं तो अपनी दुकान पर हूं और तेरे सचिन अंकल थोड़ा सा बाजार गए हैं... आज मैं बीयर पीने का बड़ा मन हो रहा था और वह मुझसे कह रहे थे कि वह तुझे भी पिलाएंगे..."
"लेकिन मैंने तो कभी पहले कभी बियर पी नहीं..."
"तो क्या हुआ? आज पी लेना..."
"लेकिन..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं... जरा याद कर कल रात में तुमने कितनी मस्ती की है? तुझे तो मजा आ गया होगा ना? मैं जानती हूं और यही मजा मैं तुझे देना चाहती थी… मेरी बात को याद रखना लड़की, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी; मैं हूं ना तेरी कमला मौसी… ”
कमला मौसी से बातें करते करते मेरी थोड़ी हिम्मत बंधी|
मैंने गौर किया कि घर में झाड़ू लग चुका था...
"पर दोपहर के खाने का क्या होगा? मैं इतनी देर तक सोती रही..."
"कोई बात नहीं... सचिन अंकल के कमरे से मुझे तेरी आवाज़ें सुनाई दे रही थी| तुम लोग करीब करीब 5:00 बजे तक जगे हुए थे... अच्छा एक बात बता, तुझे मजा आया कि नहीं?.. जहां तक मुझे मालूम है सचिन अंकल का माल (वीर्य) बहुत गिरता है... जहां तक मेरा अंदाजा है तेरा पेट तो भर गया होगा है ना?"
अनजाने में ही मैंने तब तक अपनी नाइटी ऊपर चढ़ा कर अपने यौनांग पर पर हाथ फेरा... वह जगह अभी भी चिपचिपी और गीली- गीली थी... और मेरे मुंह से कमला मौसी इस सवाल का जवाब हां ही निकला|
कमला मौसी बोली, “मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तुझे कैसा महसूस हुआ होगा... कल रात को शायद तुझे उस हर चीज का स्वाद चखने को मिला होगा जो आज तक तेरा पति तुझे नहीं दे सका… याद रख छोरी, मैं भी कभी तेरी उम्र की थी और मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तेरे सचिन अंकल सेक्स के मामले में बहुत ही काबिल इंसान हैं… इसलिए जब से मैंने तुझे देखा था मेरी यही इच्छा थी कि एक दिन मैं तुझे अपने सचिन भाई के बिस्तर में जरूर सुलाउंगी... और कल रात को मेरी वह इच्छा पूरी हो गई अच्छा हुआ तू भी राजी हो गई... और इससे पहले कि मैं भूल जाऊं... देख लेना, तेरे टेबल पर मैंने एक गिलास पानी ढक कर रखा है और उसके साथ x-pill की एक गोली... वह जरूर खा लेना"
"x-pill?"
"हां हां, x-pill... अब जब तक सचिन अंकल के साथ तू है हर रोज सुबह तुझे इस गर्भनिरोधक की एक एक गोली खानी है- तू इतनी जल्दी प्रेग्नेंट हो जाना चाहती है क्या? हर चीज के लिए एक वक्त होता है... जब वक्त आएगा तो तू अपने सचिन अंकल का ही बच्चा अपने पेट में ले लेना क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तेरा पति कभी तेरे को मां बना पाएगा… पर एक बात का ध्यान रखना तेरे सचिन अंकल को यह पता नहीं चलना चाहिए कि तू हर रोज गर्भनिरोधक किए की गोलियां खा रही है... जब तुझे गोली लेनी हो तो चोरी-छिपे ही गोली ले लेना...”
“लेकिन चोरी-छिपे क्यों?”
“अरी पगली, अब तक नहीं समझी, मर्दों को औरत भोगने के बाद और खासकर योनि में अपना धात (वीर्य) बहाने के बाद एक अनजाना ही फक्र महसूस होता है... और हम औरतें x-pill जैसी गोलियां लेकर उनके बहाये हुए उस बीज को खराब कर देती हैं ताकि हमारे पेट में बच्चा ना ठहर जाए... समझ गई ना? मैं नहीं चाहती उन्हें किसी भी बात का बुरा लगे, समझ गई ना?"
एक या डेढ़ दिन के अंदर ही... मेरी जिंदगी में इतना सब कुछ हो गया था कि मेरे लिए सब चीजों को अपने दिमाग में ठीक तरह से उतर कर समझने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी... पर कमला मौसी की कही हुई एक बात से मेरा माथा टनका, मैंने कमला मौसी से पूछा, "आपको कैसे मालूम कि सचिन अंकल सेक्स के मामले में बहुत ही काबिल इंसान हैं?" यह बोलते बोलते मेरे बोलने की गति थोड़ी धीमी हो गई थी- अवचेतना में मैं यही सोच रही थी कि मेरे इस सवाल से कहीं कमला मौसी को बुरा ना लगे|
लेकिन कमला मौसी ने मेरी बात का बुरा नहीं माना वह हंस पड़ी, "हा हा हा हा हा... यह मत भूल पगली! किसी जमाने में मैं भी तेरी उम्र की हुआ करती थी... तब से तेरे स्वर्गीय मौसा जी के दोस्त सचिन भाई का हमारे घर आना जाना है| वह जब भी भारत आते हैं हमारे ही घर रुकते... तेरे मौसा जी तो दुकान में व्यस्त रहते थे और घर में मैं और तेरे सचिन अंकल बिल्कुल अकेले... मुझे तो शुरू शुरू से ही शक था कि तेरे सचिन अंकल मेरे भी करीब आने की कोशिश कर रहे थे, फिर कुछ दिनों बाद तो मेरा शक यकीन में बदल गया| फिर क्या था एक दिन मौका लगा और बस फिर क्या था जो होना था वह हुआ, हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध कायम हो गए... सच मान मुझे तो बहुत मजा आया था... मैंने तेरे मौसा जी को कभी नहीं बताया कि मैं उनके साथ सोती थी... हम औरतों को ऐसी बातें अपने पति से साझा नहीं करनी चाहिए... पर यकीन मान, हम लोग जब भी संबंध बनाते थे और उसके बाद तेरे सचिन अंकल मेरे अंदर अपना माल का सैलाब बहा देते थे मुझे तो बड़ी संतुष्टि महसूस होती थी... मुझे अपने नारीत्व बड़ा घमंड होता था| मुझे और मैं अच्छी तरह जानती हूं कल रात तुझे भी बहुत मजा आया होगा... और तेरे सचिन अंकल अभी दो-चार दिन यहां और रुकने वाले हैं और मैं यह चाहती हूं कि तू यह दो-चार दिन अपने सचिन अंकल के कमरे में ही बिता..."
"लेकिन मौसी..." न जाने क्यों मुझे थोड़ी हिचकिचाहट महसूस हो रही थी|
लेकिन कमला मौसी ने मेरी एक नहीं सुनी, "लेकिन वेकिन कुछ नहीं... मुझे मस्ती करने का एक अच्छा सा मौका मिला है, है ना ? इसे ऐसे ही गवाँ... मेरी बात मान जब तक सचिन अंकल हमारे घर में रुके हुए हैं तू उनके कमरे में ही रहेगी और तू उनके बिस्तर में ही सोएगी यानी कि तू बिल्कुल उनकी औरत बन कर रहेगी... यहां का दुकान पाठ और घर के सारे काम मैं संभाल लूंगी... बस तुझे अपनी जवानी - अपनी खूबसूरती है और अपनी उफनती हुई जवानी अपने सचिन अंकल के हाथों सौंप देनी है..."
"लेकिन मौसी..."
“अरी मेरी बात को तो पूरी होने दे?...”
मैं चुप हो गई और फिर कमला मौसी ने बोलना जारी रखा, “जैसा कि मैं कह रही थी तुझे अपने आप को अपने सचिन अंकल को सौंप देना है... यह दो-चार दिन तेरे सचिन अंकल की तेरे तन मन और धन के मालिक हैं और तू उनकी रखी हुई औरत- यानी की रखैल- लेकिन इस बात का बुरा ना मानना... तेरे सचिन अंकल तुझे जो खुशियां दे सकते हैं वह दुनिया का शायद ही कोई दूसरा मर्द दे पाएगा... इस बात का चस्का तो तुझे कल रात को ही लग गया होगा... इसलिए मेरी एक और हिदायत है... जब तक सचिन अंकल के साथ तू अकेली है... तू नंगी रहा कर अपने बालों को खुले रखा कर... तुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह तुझे... और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे तुझे...”
"लेकिन मौसी..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं...”, कमला मौसी के स्वर मेंजैसे एक अजीब सी दृढ़ता जैसी आ गई थी, "तेरे सचिन अंकल के साथ मैंने सेक्स की नदियां में वह डुबकियां लगाई जो शायद मुझे कभी नसीब नहीं होती, अगर मैंने जरा सी भी हिचकिचाहट की होती, और हां एक बात मैं तेरे से आज कहना चाहती हूं, जब से मैंने तुझे पहली बार देखा था तब सही न जाने क्यों मुझे तेरे अंदर अपनी छवि दिखाई देने लगी| मेरे दिल में कुछ अरमान थे जो अधूरे ही रह गए अगर वह तेरे जरिए पूरे हो सके तो मैं समझूंगी कि मेरी तामन्नाएँ पूरी हो गई... ... इसलिए बहुत पहले ही मैंने ठान लिया था कि तू जैसी खूबसूरत फूल सी खिली हुई जवानी से भरपूर लड़की को मैं 1 दिन सचिन भाई के बिस्तर में जरूर सुलाउंगी... जो मजे मैंने लुटे थे, उनका स्वाद में तुझे भी चखाउंगी..." फिर उनका स्वर थोड़ा नरम पड़ गया और वह प्यार से मुझसे बोली, “मलाई, मेरी अच्छी बेटी, मेरी बात मान कर चलेगी जो मैं कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी तो यकीन मान तेरा भला ही होगा और तू जो है बिल्कुल राजरानी की तरह ऐश और मस्ती करेगी... और साथ ही में कामुकता का मज़ा तुझे फ्री में मिलेगा”
“लेकिन मौसी- रखैल?”
“फिर से लेकिन? मैंने कहा ना लेकिन लेकिन कुछ नहीं... अरि तू तो पाँक-पाड़ा जिले की लड़की है- तो लेचारी का मतलब नहीं जानती? अब इतनी भी भोली मत बन... जब मैंने तेरी और तेरी बड़ी बहन- यानी कि तेरी बुआ की लड़की- की तस्वीरें देखि हैं तभी मैंने गौर किया था कि तुम दोनों की शक्लें बिल्कुल नहीं मिलती... तेरे फूफाजी भी तो काम के सिलसिले में ज्यादातर घर के बाहर ही रहा करते थे अब यह मत कहना कि तेरी बुआ किसी और के साथ नहीं सोई...”
हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
मैंने थोड़ी देर सोचने के बाद पूछा, " खैर आपने तो मेरी सेटिंग कर दी, लेकिन आपका क्या होगा?"
"हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "मेरा क्या है? मेरे तो काफी उम्र हो चुकी है... और अभी जवानी तो तेरी मस्त मस्त है... और हां, तुझे मालूम है ना, कि मर्द और घोड़ा कभी बुरा नहीं होता?… "
मैंने एक राहत की सांस ली| मुझे इसी बात की चिंता थी कि सचिन अंकल का ध्यान कहीं बंट ना जाए|
हम दोनों थोड़ी देर चुप रहे फिर मैंने बाद बदलने के लिए बोली, "फिलहाल तो करीब-करीब 11:45 बज रहे हैं आज मैं इतनी देर तक सोती रही कि अभी तक तो खाना भी नहीं बना..."
"तू उसकी चिंता मत कर... खाने का इंतजाम सचिन भाई ही करने वाले हैं... आज उन्होंने Damiyano से पिज़्ज़ा का ऑर्डर देने वाले हैं"
"हां ठीक है, आज बहुत दिन हो गए हैं- हमने पिज़्ज़ा नहीं चखा... खैर पिज़्ज़ा की डिलीवरी हो जाने दीजिए मैं आप दोनों के लिए पिज़्ज़ा के स्लाइस काटकर परोस दूंगी"
"हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "तू मेरी चिंता मत कर मेरे हिस्से की पिज़्ज़ा की डिलीवरी दुकान पर ही हो जाएगी... फिलहाल मैंने तुम दोनों लव बर्ड्स को घर में अकेले छोड़ने का फैसला किया है... क्योंकि मैं जानती हूं तुझे पिज़्ज़ा का स्वाद चखने के अलावा और भी बहुत कुछ चखना है"
यह सुनकर मैं शर्म से बिल्कुल लाल हो गई...
फोन काटने के बाद मैंने आईने में अपनी छवि देख रही थी... मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आईने में खुद को नहीं किसी और लड़की को देख रही हूं... एक ऐसी लड़की जिसके चेहरे पर खुशी की एक अजीब सी रौनक सी थी... कमला मौसी की दिए हुए सुझाव के अनुसार मैंने x-pill की वह गोली खा ली और फिर मेरी नजर अपने कमरे में टेबल पर रखे मेरे और अनिमेष की तस्वीर गई... मेरा दिल एक सेकेंड के लिए जोर से धड़क उठा... लेकिन मैं जानती थी मन ही मन मैं फैसला कर चुकी थी... इसलिए, मैंने उस तस्वीर को टेबल पर पलट कर रख दिया... और धीमे कदमों से सीढ़ियों से नीचे उतर कर उस कमरे में जाने लगी जिस कमरे में सचिन अंकल ठहरे हुए थे… जैसा कि कमला मौसी ने कहा था अगले दो-चार दिनों तक मुझे सचिन आकर के कमरे में ही रहना है और वह भी अपने बालों को खुला रखकर और बिल्कुल नंगी हो कर... हां, जैसा कमला मौसी ने कहा है मैं बिल्कुल वैसा ही करूंगी... आखिर मैं भी एक औरत हूं मेरे भी कुछ अरमान है... मेरे अंदर न जाने कितने दिनों से एक आग दबी हुई थी... पिछली रात की घटनाओं ने उस आग को भड़का दिया है... वह आग अब आग नहीं... बल्कि ज्वालामुखी बन चुका है... अगर ज्वालामुखी को शांत नहीं किया गया तो शायद प्रलय आ जाएगी... और मैं पागल हो जाऊंगी...
इतने में घर के सदर दरवाजे से कुंडी खोलने की आवाज आई... सचिन अंकल वापस आ गए थे...
क्रमशः
majedar update ..sachin uncle to beer ka stock hi lekar aa gaye aur malai ko bhi mana liya beer peene ke liye .मलाई- एक रखैल-10
सचिन अंकल बियर की 6 बोतल ले खरीद कर लाए थे| मैंने फ्रिज में जगह बना कर पांच बोतलों को अंदर रख दिया और फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड पर डाल दिया|
एक ट्रे में बियर की एक अध्- ठंडी बोतल को लिटा कर और साथ में दो गिलास लेकर मैं सचिन अंकल के कमरे में पहुंची|
मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपने कपड़े उतार दिए थे वह सिर्फ एक तौलिया लपेट कर बिस्तर पर बैठे मेरा इंतजार कर रहे थे| उनके बिस्तर के पास रखी हुई टेबल पर मैंने गिलासें सजा कर रखी है... और जैसा कि मैंने मूवी में देखा था... वैसे ही दोनों गिलासों में बीयर डालने लगी... मैंने इस बात का ध्यान रखा की बियर डालते वक्त गिलासों में ज्यादा झाग ना भर जाए|
जब तक मेरे डियर डाल रही थी तब तक मेरी पीठ सचिन अंकल की तरफ थी| जब मैं उनकी तरफ मुड़ी तब मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपना तौलिया भी उतार दिया था... उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग बिल्कुल सख्त और सीधा खड़ा हो रखा था... अब मैंने गौर किया की उनका लिंक अनिमेष की तरह मुड़ा हुआ नहीं है... वह बिल्कुल एक भाले की तरह एकदम सीधा है... और उनके लिंग का टोप बहुत ही सुडौल और विकसित है...
वह मुझसे बोले, “मेरे पास आकर बैठो, मलाई”
यह क्या करवाने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच कर और अपने बाएं हाथ को मेरी कमर से लिपटा करके बैठे-बैठे और दाएं हाथ से उन्होंने मेरी डबल- ब्रेस्टेड नाइटी का कपड़ा मेरे सीने से हटाया और फिर मेरे मेरे स्तनों की चुचियों को एक-एक करके बारी बारी से को वह बड़े प्यार से चूसने लगे...
मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी मैंने शर्मा कर कहा, “हाय दैया! यह क्या कर रहे हैं, सचिन अंकल?”
“कुछ नहीं बस तुम्हारे जैसी खूबसूरत बला को थोड़ा सा प्यार कर रहा हूं... क्यों? तुम्हें कोई एतराज है क्या...?”
मैं शरमा कर हंस दी| मैंने कहा, " जी नहीं, मैं भला एतराज क्यों करूंगी?"
"तो ठीक है, बीयर पीने के बाद तुम बिस्तर पर लेट जाना, मलाई..."
"क्यों? आप मुझे लेटने के लिए क्यों कह रहे हैं?" मैंने जानबूझकर शरारत भरी निगाहों से उन्हें देखते हुए पूछा|
उन्होंने भी मस्ती भरे अंदाज में मेरे स्तनों को दबाते हुए कहा, "अरे भई, अगर तुम बिस्तर पर लेट होगी तभी ना मैं तुम्हारे ऊपर लेट पाऊंगा? है कि नहीं?"
"ही ही ही ही ही ही ही"
" हा हा हा हा हा हा हा"
मेरा भी जी ललचाने लग गया मैंने कहा, “सचिन अंकल, अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं अपनी नाइटी उतार दूं और हां मैं आपके पास नहीं बैठूंगी… मैं आपकी गोद में बैठना चाहती हूं वह भी बिल्कुल नंगी होकर के...” यह कहकर मैंने अपनी नाइटी उतार कर जमीन पर फेंक दी|
सचिन अंकल की बांछें खिल गई और हमें अपना एक हाथ आगे करके मेरे बालों को एक गुच्छा पकड़ा और मुझे खींचकर अपनी तरफ ले आए, मैं बीयर की दोनों गिलासें पकड़ कर उनकी नंगी जांघों पर बैठ गई और फिर मैंने उनको उनकी गिलास पकड़ाई|
उन्होंने मेरे गिलास से अपना गिलास खनकाया और बोले, “चियर्स !”
एक तो मैं देर से उठी थी जिसने मुझे काफी भूख भी लग रही थी और वैसे भी मुझे प्यास भी लग रही थी इसलिए जैसे ही मैंने बीयर को होठों से लगाया मैंने पाया कि मैं गटागट बियर के घर बड़े-बड़े घूंट मार रही हूं लेकिन कुछ ही देर में मुझे उल्टी सी आने को हुई और मैं खांसने लगी...
सचिन अंकल बोले, "जरा धीरे-धीरे लड़की; इतनी जल्दी बीयर नहीं पिया करते"
थोड़ी देर खांसने के बाद जब मैं थोड़ा सा संभली तब सचिन अंकल ने दोबारा मेरे होंठों को चूमा और इस वक्त मैं कहां रुकने वाली थी मैंने अपनी जीभ उनके मुंह के अंदर डाल दी... उन्हें कोई एतराज नहीं था वह मेरी जीभ चूसने लग गए...
जब उन्होंने ने मुझे छोड़ा तब मैंने जी भर के उनको चूमा और फिर मैं बोली, "सचिन अंकल, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं..."
"बोलो, तुमको जो कहना है, तुम बेधड़क बोल सकती हो"
“जी नहीं अभी नहीं मेरे मुझे बीयर खत्म कर लेने दीजिए उसके बाद मैं नहा कर आऊंगी उसके बाद मुझे आपसे जो कहना है वह मैं कहूंगी” मैं जिंदगी में पहली बार बियर पी रही थी, इसलिए सिर्फ एक गिलास बीयर पीने के बाद ही मुझे हल्का हल्का नशा होने लगा था|
उन्होंने कहा, “ठीक है” और फिर वह मुझे सहलाने, सूंघने और चूमने में मगन हो गए...
और मनो तभी हमारी इस कामलीला के बीच एक रुकावट से आ गई|
दरवाजे की घंटी बजी, पिज़्ज़ा वाला डिलीवरी देने के लिए आया हुआ था- सचिन अंकल ने जैसे-तैसे अपनी हाफ पेंट चढ़ाई और उन्होंने ने मुझसे कहा, " तुम अंदर ही रुको, मलाई"
मैंने कहा "जी अच्छा..." मैं बाहर निकलती भी तो कैसे मैं तो बिल्कुल नंगी थी... इतने में मुझे लगा कि मेरा फोन बज रहा... और रिंगटोन से मैं पहचान गई थी कि यह फोन अनिमेष ने ही किया था...
पिज्जा का बक्सा बहुत बड़ा था| इसलिए सचिन अंकल कर उसे दोनों हाथों से पकड़ कर अंदर ले आए और फिर उन्होंने उसे टेबल पर रखा| घर का सदर दरवाजा खुला ही था, जब तक उन्होंने वापस जाकर उसे बंद करके कुंडी नहीं लगा दी; तब तक मुझे कमरे के अंदर ही इंतजार करना पड़ा... इतने में मैंने गौर किया कि अनिमेष करीब करीब दो बार और मुझे फोन लगा चुका था|
अनिमेष थोड़ा बेसब्र किस्म का इंसान है... और इधर मैंने नाइटी भी न जाने मस्ती में आकर कहां उतार कर फेंक दी थी? वह मुझे मिल ही नहीं रही थी? वह तो हमारी आवाजाही में बिस्तर के नीचे सरक गई थी... लेकिन उस वक्त मेरे पास इतना भी वक्त नहीं था कि मैं अपनी नाइटी को ढूँढू, इसलिए जैसे ही दरवाजा बंद हुआ मैं ऊपर कमरे की तरफ उसी हालत में भागी और उसका फोन उठाया|
इतने में मैंने सुना कि सचिन अंकल का फोन भी बज रहा है| शायद कमला मौसी ने फोन किया होगा|
अनिमेष के साथ मेरी करीब-करीब है 20-25 मिनट तक बातें होती रही| अनिमेष इस बात से नाराज था कि सुबह उसने दो-तीन बार और भी फोन किया था लेकिन मैंने फोन उठाया नहीं| उठाती भी कैसे? एक तो मैं सो रही थी और दूसरी सचिन अंकल के घर आते ही मैं उनके कमरे में चली गई थी शायद फोन की आवाज मुझे सुनाई नहीं दी|
मैंने अपने पति अनिमेष को झूठ-मूठ भरोसा दिलाया कि आज मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है| मौसम खराब है इसलिए मुझे थोड़ा सा जुकाम हो गया है हल्का हल्का बुखार भी है- इसलिए मैं सो रही थी|
फोन अभी भी पूरी तरह से चार्ज नहीं हुआ था, इसलिए मैं फोन को चार्ज समेत है उठाकर नीचे सचिन अंकल के कमरे में ले आई|
सचिन अंकल तब भी किसी से बात कर रहे थे- और ऐसा लग रहा था कि वह किसी आदमी से बात कर रहे हैं| उनकी बातचीत 10:15 मिनट तक और चली... लेकिन तब तक हम दोनों के अंदर से ही वासना का वह ज्वार उतर चुका था|
हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और शायद एक साथ ही हम दोनों ने कह रही थी सांस छोड़ी...
मैंने कहा, "सचिन अंकल, मैं सुबह से नहीं नहाई हूं| मैं जाकर नहा लेती हूं उसके बाद आप जाकर नहा लीजिएगा फिर हम लोग खाना खा लेंगे... और उसके बाद..."
"और उसके बाद क्या, मलाई?" सचिन अंकल ने शरारतभरी निगाहों से मुझे देखते हुए पूछा|
मैंने कहा, "हम दोनों बैठकर टीवी देखेंगे..."
"हा हा हा हा"
"ही ही ही ही ही ही"
क्रमशः
Is pratha ke bare me mujhe koi idea nahi hai madam. Main to is naam ki pratha ke bare me pahli baar hi yaha par padha hai. Halaaki abhi aap e detail se iske bare me bataya bhi nahi hai shayad.मैं अपने प्रिय पाठकों से एक बात जरूर पूछना चाहूंगी-
गांव की प्रथा- लेचारी; इसके बारे में आपकी क्या राय है?![]()