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Adultery मलाई- एक रखैल

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naag.champa

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मलाई- एक रखैल


Malai-11111.jpg
अनुक्रमणिका

अध्याय 1 // अध्याय 2 // अध्याय 3 // अध्याय 4 // अध्याय 5
अध्याय 6 // अध्याय 7 // अध्याय 8 // अध्याय 9 // अध्याय 10
अध्याय 11 // अध्याय 12 // अध्याय 13

(कहानी संपूर्ण)




 
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naag.champa

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Wa kya bat he har bar kamla mosi last me ek hi bat bol ti he kya maja aagaya
Next update please

मैं अगला अपडेट बस 10 मिनट में पोस्ट करने वाली हूं| उम्मीद है तब तक आप ऑनलाइन रहेंगे और मेरी कहानी का अगला अपडेट पढ़कर आप लोगों को अच्छा लगेगा|
 

naag.champa

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Bahut fabulous story hai ....apki naag champa ....ab tak ke update bdiya the.....mala ek hot and seductive aurat and kamla mausi Jha tak mujhe lgta hai ye chalu or kheli khayi aurat lgti hai......ek nya kirdar aya hai Sachin Mittal Jha tak mujhe lgta hai pehle khuta yhi lgayega mala.... dekhte hai aage kya hota hai

आप जैसे पाठकों की टिप्पणियां मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती हैं| मेरी कहानी आपको अच्छी लगी इस बात की मुझे बहुत खुशी है-
 

naag.champa

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मलाई- एक रखैल-7

अब तो मेरे हाथ पांव फूलने लगे थे... मेरे ऊपर ना जाने कौन सी सनक सवार हो गई थी कि मैंने किसी तरह से हिम्मत जुटा करके सचिन अंकल के कमरे में जाने का फैसला कर लिया था... लेकिन अब जब मुझे कमला मौसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, मुझे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट महसूस हो रही थी... शायद जो होने वाला था उसकी प्रत्याशा में मैं कुछ ज्यादा ही नर्वस होने लगी थी...

कमला मौसी मानो मेरे मन की बात पढ़ रही थी| उन्होंने मुझे धीरे से पकड़ कर सचिन अंकल के कमरे में ले गई...

सच निकल चुकी ही हुए थे, उन्होंने सिर्फ एक हाफ पैंट पहन रखी थी और अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे... उन्होंने हम दोनों को अंदर आते हुए देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा|

किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा

कमला मौसी हल्का सा हंसी और फिर बोली, “लो सचिन भाई, अब तुम दोनों को ज्यादा शर्माने की जरूरत नहीं है... मैं लड़की को नंगी करके इस कमरे से चली जाऊंगी| तुम लोग रात भर एक दूसरे का साथ देना... सचिन भाई, मेरी लड़की मलाई बहुत प्यासी है और मुझे उम्मीद है कि आप इस की प्यास जरूर बुझायेंगे...”

यह कहकर कमला मौसी ने मेरी नाइटी उतार दी और फिर मेरे बालों को खोलकर मेरे पीठ पर फैला दिए| एक पल के लिए मैं काँप उठी क्योंकि जिंदगी में पहली बार मैं किसी पराए मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी... मेरे बाल भी खुले थे... मैंने अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी... सचिन अंकल ने तो कुछ देर तक मेरे को अच्छी तरह से अपनी कामुकता भरी निगाहों से निहारा और उसके बाद वह एकदम मगन होकर बोले, “मलाई, जब एयरपोर्ट में मैंने तुमको पहली बार देखा था तभी से ही तुम मेरे दिलो-दिमाग में समा गई थी... उसके बाद घर में मैंने तुमको खुले बालों में देखा... तब से तो तुमने मेरे मन में एक जगह सी बना ली है... और अब जब मैं तुमको बिल्कुल नंगी देख रहा हूं, मेरा यकीन मानो मुझे ऐसा लगता है कि ऊपर वाले ने तुमको बहुत ही फुर्सत से बनाया होगा...”

यह कहकर कुछ देर तक वह मुझे ऊपर से नीचे तक निहारते रहे, और मैं तब भी अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी|

सचिन अंकल बोले, “मैं जानता हूं मलाई तुम्हें शर्म आ रही है तुम अपना रूप रंग अपनी उफनती जवानी मुझसे छुपाना चाहती हो… अगर तुम्हें छुपना ही है... तुम मेरे सीने मैं छुप सकती हो...” यह कहकर उन्होंने अपनी बाहें फैला दी| उनका नंगा चौड़ा सीना और गठीला बदन मुझे पहले से ही लग जा रहा था और मैंने आव देखा ना ताव मैं सीधे दौड़ कर उनसे लिपट गई|

उनकी नंगे बदन की छुयन का जैसे ही मुझे एहसास हुआ... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ गई और मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए... और बाहर बहुत तेज बिजली चमकी और एक धमाके के साथ बादल गरज उठे...

मैं सचिन अंकल से लिपट कर अब रोने लगी सचिन अंकल भी मेरे नंगे बदन पर अपने हैं हाथ फेर -फेर के मुझे सहलाते हुए मुझे दिलासा देते रहे... और कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे...

उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखा... और इस बात में कोई भी संदेह नहीं कि हम दोनों के दिलों में एक जैसी ही आग भड़क रही थी... कमला मौसी जाने से पहले कमरे की नीले रंग की नाइट लाइट जला कर और कमरे के किवाड़ भिड़ा मुस्कुराती हुई चली गई थी... इसलिए मंद रोशनी में हम एक दूसरे को बिल्कुल साफ देख पा रहे थे... सचिन आकर थोड़ा मुस्कुराए और फिर उन्होंने अपना लिंग मेरे हाथों में दे दिया... उनका लिंग करीब-करीब 8 या 9 इंच लंबा था और मोटा भी... जो मुश्किल से ही मेरी मुट्ठी में समा पा रहा था... शायद सचिन अंकल को मालूम था वह क्या कर रहे हैं... वह धीरे धीरे मेरे यौनांग में अपनी उंगली फेरने लगे...

मुझे भी न जाने क्या हो रहा था. मैं भी उनके पूरे बदन को चूम रही थी और चाट रही थी.. , उनका चेहरा उनका सीना... पेट और उसका निचला का हिस्सा... मैं तो अपना सुध बुध ही खो बैठी थी...

मुझे थोड़ा सा होश तब आया जब मुझे एहसास हुआ मैं उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग अपने मुँह के अंदर ले कर चूस रही थी...

सचिन अंकल के अंदर भी जैसे ज्वार आ रहा था उन्होंने जल्दी ही मुझे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगे फैला दी, और उनके बीच अपना सर डाल के मेरे यौनांग को वह चूसने चाटने लग गए...

इससे पहले जिंदगी में कभी मुझे इस तरह का मजा नहीं आया था, मैं बस लेटी लेटी तकिए को पकड़कर अपना सर इधर उधर करती रही है और सिसकियां भर्ती रही...

शायद मेरा यौनांग अब गीला होने लगा था... सचिन अंकल एक तजुर्बे दार आदमी थे... न जाने उनके बिस्तर में कितनी औरतों ने इस तरह से मस्ती की थी... उन्हें शायद लग गया होगा कि अब देर नहीं करनी चाहिए... इसलिए वह मेरे ऊपर लेट गए... उनके वजन से दबकर मेरे बदन में मानो कामना की आग और भड़क उठी... जैसा कि मैंने कहा सचिन अंकल बहुत समझदार थे... उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया... और अब मैं दर्द से कराह उठी... लेकिन सचिन अंकल ने जल्दी नहीं की... वह मेरे ऊपर एक 2 मिनट तक बिल्कुल चुपचाप लेटे रहे पर उन्होंने अपने वजन से मेरे बदन को नीचे ही दबा कर रखा ऐसे उन्होंने मुझे थोड़ा संभलने का मौका दिया... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा शरीर जैसे मेरे मन को संचालित कर रहा था मैंने पाया कि सचिन अंकलकि बदन के वजन से दबी होने के बावजूद मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश की... सचिन अंकल समझ गए कि वक्त आ गया है... वह अपनी कमर आगे पीछे आगे पीछे हिला कर के मेरे साथ मैथुन लीला में मगन हो गए... आखिर कमला मौसी ने कहा था कि मैं बहुत प्यासी हूं और उन्होंने भी यह जान ली थी क्यों नहीं मेरी प्यास बुझा नहीं है और अब तक मैं मुझे पता चल चुका था कि सचिन अंकल मेरी अंतरात्मा की प्यास बुझाए बिना रुकने वाले नहीं है... उनके धक्कों की गति बढ़ती गई और मैं उनके नीचे लेटी लेटी अपनी पूरी ताकत से उनको अपनी बाहों में जकड़ कर बस सिसकियां भरती गई...

जल्दी ही मेरे अंदर कामवासना का एक जबरदस्त विस्फोट हुआ... मुझे ऐसा लग रहा था, कि दुनिया की सारी हंसी-खुशी, सारी भावनाएं सब कुछ अब कोई मतलब नहीं सब माया है... मैं शायद एक अजीब से शून्य में सिर्फ तैर रही थी... लेकिन सचिन अंकल रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे... उनका लिंग मेरी योनि में अभी भी घुसा हुआ था... और मानो एक स्टीम इंजनके पिस्टन की तरह उनका लिंग मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... यह दूसरी बार था जब मेरे अंदर कामवासना का विस्फोट हुआ... और मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल का गरम गरम वीर्य मेरी योनि के अंदर फव्वारे की तरह फैल गया... जिंदगी में पहले कभी मुझे ऐसा मगर ऐसा नहीं हुआ था...

सचिन अंकल ने गहरी सांस छोड़ी फिर कुछ देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे| मैंने महसूस किया कि उनकर लिंग धीरे-धीरे शिथिल पड़ रहा है और उसके बाद उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और फिर मेरे बगल में लेट गए... मैं उन्हें कहा छोड़ने वाली थी मैंने अपना एक हाथ और एक पैर रखकर उनसे लिपट लिपट गई... सचिन अंकल शायद थोड़ा दम ले रहे थे लेकिन वह मुझे प्यार से सहलाते रहे...

कुछ देर बाद सचिन अंकल ने मेरे को चित लिटा दिया और फिर मेरी चूचियों को बड़े प्यार से चूसने लग गए... मुझे मालूम था कि सचिन अंकल मुझे दुबारा उकसा रहे हैं... आखिर वह फिर से मेरे साथ सहवास करना चाहते थे... और मैं भी कहां मना करने वाली थी?

***

अगले दिन जब मेरी नींद खुली सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पर गई सुबह के 11:15 बज रहे थे... मेरा पूरा बदन एक मीठे से दर्द और एक मस्ती भरे एहसास में डूबा हुआ था... सबसे पहले मैंने अपने यौनांग पर हाथ फेरा... वह अभी भी थोड़ा चिपचिपा सा था... पिछली रात की बातों को दोबारा याद करकेमेरे होठों पर एक मुस्कुराहट से छा गई...

मुझे याद आया कि पिछली रात को सचिन अंकल ने मेरे साथ करीब करीब चार-पांच बार सहवास किया था इसलिए मैं रात भर सो भी नहीं पाई थी... और हां मैं तो सोना ही नहीं चाहती थी..

लेकिन मुझे बड़ा ताज्जुब हो जब मैंने देखा कि मैं कमरे में बिल्कुल अकेली हूं और वह भी बिल्कुल नंगी... कमरे में लगे खूंटे में मेरी नाइटी लटक रही थी, मैंने उसे अपने बदन पर चढ़ाया... और फिर सबसे पहले मैं यह देखने लग गई कि कमला मौसी कहां है? फिर मुझे याद है कमला मौसी तो अब तक दुकान में चली गई होंगी| हाय दैया! आज मुझे इतनी देर हो गई कि उन्हें अकेली ही दुकान पर जाना पड़ा...

लेकिन सचिन अंकल कहां है?

घर के सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद थे| मैंने सचिन अंकल के कमरे की खिड़की खोलकर बाहर झांक कर देखा... तभी भी तेज बारिश हो रही थी लेकिन घर के अंदर का माहौल बहुत ही उमस और घुटन से भरा हुआ लग रहा था|

उसके बाद मैंने महसूस किया कि मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं| मैंने घर के बाहर का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह भी बाहर से ही बंद था... अब मुझे थोड़ा सा अजीब सा लगने लगा, मुझे याद आया कि मेरा मोबाइल फोन मेरे कमरे में ही है| इसलिए मैं जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर अपने कमरे में गई तो पाया कि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी और वह भी बंद पड़ा हुआ था...

मैंने जल्दी से मोबाइल फोन को चार्ज पर लगाया और इंतजार करने लगी जब मोबाइल फोन थोड़ा चार्ज हो जाएगा तब मैं कमला मौसी को फोन लगाऊंगी...

अब मुझे पता नहीं क्यों थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था... मोबाइल फोन को थोड़ा बहुत चार्ज होने में कम से कम 5-10 मिनट तो लग ही जाएंगे... और जब तक ही मोबाइल फोन चार्ज हो रहा था, मैं सिर्फ घड़ी की तरफ देखती रही उस वक्त एक एक सेकंड मेरे लिए बहुत भारी पड़ रहा था...


क्रमशः
 
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मैं अगला अपडेट बस 10 मिनट में पोस्ट करने वाली हूं| उम्मीद है तब तक आप ऑनलाइन रहेंगे और मेरी कहानी का अगला अपडेट पढ़कर आप लोगों को अच्छा लगेगा|
Ha jarur online hlrahege
 

naag.champa

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जी , आपने सही कहा । मैं कोलकाता से ही विलोंग करता हूं ।
आपने एक जगह लिखा आप बंगला भी लिखती है । तो बेझिझक बंगला लिखिए । मुझे जरा भी असुविधा नहीं होगी । हिंदी , इंग्लिश , बांग्ला , भोजपुरी इन्हें समझने में किसी भी तरह की तकलीफ़ नहीं होगी ।

SANJU ( V. R. ) जी,
आपका परिचय पाकर सचमुच बड़ी खुशी हुई| मुझे ऐसे पाठक कम ही मिलते हैं जो कि हिंदी अंग्रेजी और बांग्ला तीनों पढ़ लिख और बोल सकते हैं|
मैंने इस फोरम में दो बंगाली कहानियां पोस्ट की है अगर मौका लगे तो उन्हें पढ़कर जरूर देखिएगा

और मेरी बाकी कहानियों के लिए आप मेरा इंडेक्स पेज रेफर कर सकते हैं

https://xforum.live/threads/hi-i-am-champa-nag.13747/




Bengali Stories
 
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मलाई- एक रखैल-7

अब तो मेरे हाथ पांव फूलने लगे थे... मेरे ऊपर ना जाने कौन सी सनक सवार हो गई थी कि मैंने किसी तरह से हिम्मत जुटा करके सचिन अंकल के कमरे में जाने का फैसला कर लिया था... लेकिन अब जब मुझे कमला मौसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, मुझे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट महसूस हो रही थी... शायद जो होने वाला था उसकी प्रत्याशा में मैं कुछ ज्यादा ही नर्वस होने लगी थी...

कमला मौसी मानो मेरे मन की बात पढ़ रही थी| उन्होंने मुझे धीरे से पकड़ कर सचिन अंकल के कमरे में ले गई...

सच निकल चुकी ही हुए थे, उन्होंने सिर्फ एक हाफ पैंट पहन रखी थी और अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे... उन्होंने हम दोनों को अंदर आते हुए देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा|

किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा

कमला मौसी हल्का सा हंसी और फिर बोली, “लो सचिन भाई, अब तुम दोनों को ज्यादा शर्माने की जरूरत नहीं है... मैं लड़की को नंगी करके इस कमरे से चली जाऊंगी| तुम लोग रात भर एक दूसरे का साथ देना... सचिन भाई, मेरी लड़की मलाई बहुत प्यासी है और मुझे उम्मीद है कि आप इस की प्यास जरूर बुझायेंगे...”

यह कहकर कमला मौसी ने मेरी नाइटी उतार दी और फिर मेरे बालों को खोलकर मेरे पीठ पर फैला दिए| एक पल के लिए मैं काँप उठी क्योंकि जिंदगी में पहली बार मैं किसी पराए मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी... मेरे बाल भी खुले थे... मैंने अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी... सचिन अंकल ने तो कुछ देर तक मेरे को अच्छी तरह से अपनी कामुकता भरी निगाहों से निहारा और उसके बाद वह एकदम मगन होकर बोले, “मलाई, जब एयरपोर्ट में मैंने तुमको पहली बार देखा था तभी से ही तुम मेरे दिलो-दिमाग में समा गई थी... उसके बाद घर में मैंने तुमको खुले बालों में देखा... तब से तो तुमने मेरे मन में एक जगह सी बना ली है... और अब जब मैं तुमको बिल्कुल नंगी देख रहा हूं, मेरा यकीन मानो मुझे ऐसा लगता है कि ऊपर वाले ने तुमको बहुत ही फुर्सत से बनाया होगा...”

यह कहकर कुछ देर तक वह मुझे ऊपर से नीचे तक निहारते रहे, और मैं तब भी अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी|

सचिन अंकल बोले, “मैं जानता हूं मलाई तुम्हें शर्म आ रही है तुम अपना रूप रंग अपनी उफनती जवानी मुझसे छुपाना चाहती हो… अगर तुम्हें छुपना ही है... तुम मेरे सीने मैं छुप सकती हो...” यह कहकर उन्होंने अपनी बाहें फैला दी| उनका नंगा चौड़ा सीना और गठीला बदन मुझे पहले से ही लग जा रहा था और मैंने आव देखा ना ताव मैं सीधे दौड़ कर उनसे लिपट गई|

उनकी नंगे बदन की छुयन का जैसे ही मुझे एहसास हुआ... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ गई और मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए... और बाहर बहुत तेज बिजली चमकी और एक धमाके के साथ बादल गरज उठे...

मैं सचिन अंकल से लिपट कर अब रोने लगी सचिन अंकल भी मेरे नंगे बदन पर अपने हैं हाथ फेर -फेर के मुझे सहलाते हुए मुझे दिलासा देते रहे... और कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे...

उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखा... और इस बात में कोई भी संदेह नहीं कि हम दोनों के दिलों में एक जैसी ही आग भड़क रही थी... कमला मौसी जाने से पहले कमरे की नीले रंग की नाइट लाइट जला कर और कमरे के किवाड़ भिड़ा मुस्कुराती हुई चली गई थी... इसलिए मंद रोशनी में हम एक दूसरे को बिल्कुल साफ देख पा रहे थे... सचिन आकर थोड़ा मुस्कुराए और फिर उन्होंने अपना लिंग मेरे हाथों में दे दिया... उनका लिंग करीब-करीब 8 या 9 इंच लंबा था और मोटा भी... जो मुश्किल से ही मेरी मुट्ठी में समा पा रहा था... शायद सचिन अंकल को मालूम था वह क्या कर रहे हैं... वह धीरे धीरे मेरे यौनांग में अपनी उंगली फेरने लगे...

मुझे भी न जाने क्या हो रहा था. मैं भी उनके पूरे बदन को चूम रही थी और चाट रही थी.. , उनका चेहरा उनका सीना... पेट और उसका निचला का हिस्सा... मैं तो अपना सुध बुध ही खो बैठी थी...

मुझे थोड़ा सा होश तब आया जब मुझे एहसास हुआ मैं उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग अपने मुँह के अंदर ले कर चूस रही थी...

सचिन अंकल के अंदर भी जैसे ज्वार आ रहा था उन्होंने जल्दी ही मुझे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगे फैला दी, और उनके बीच अपना सर डाल के मेरे यौनांग को वह चूसने चाटने लग गए...

इससे पहले जिंदगी में कभी मुझे इस तरह का मजा नहीं आया था, मैं बस लेडी लेडी तकिए को पकड़कर अपना सर इधर उधर करती रही है और सिसकियां भर्ती रही...

शायद मेरा यौनांग अब गीला होने लगा था... सचिन अंकल एक तजुर्बे दार आदमी थे... न जाने उनके बिस्तर में कितनी औरतों ने इस तरह से मस्ती की थी... उन्हें शायद लग गया होगा कि अब देर नहीं करनी चाहिए... इसलिए वह मेरे ऊपर लेट गए... उनके वजन से दबकर मेरे बदन में मानो कामना की आग और भड़क उठी... जैसा कि मैंने कहा सचिन अंकल बहुत समझदार थे... उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया... और अब मैं दर्द से कराह उठी... लेकिन सचिन अंकल ने जल्दी नहीं की... वह मेरे ऊपर एक 2 मिनट तक बिल्कुल चुपचाप लेटे रहे पर उन्होंने अपने वजन से मेरे बदन को नीचे ही दबा कर रखा ऐसे उन्होंने मुझे थोड़ा संभलने का मौका दिया... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा शरीर जैसे मेरे मन को संचालित कर रहा था मैंने पाया कि सचिन अंकलकि बदन के वजन से दबी होने के बावजूद मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश की... सचिन अंकल समझ गए कि वक्त आ गया है... वह अपनी कमर आगे पीछे आगे पीछे हिला कर के मेरे साथ मैथुन लीला में मगन हो गए... आखिर कमला मौसी ने कहा था कि मैं बहुत प्यासी हूं और उन्होंने भी यह जान ली थी क्यों नहीं मेरी प्यास बुझा नहीं है और अब तक मैं मुझे पता चल चुका था कि सचिन अंकल मेरी अंतरात्मा की प्यास बुझाए बिना रुकने वाले नहीं है... उनके धक्कों की गति बढ़ती गई और मैं उनके नीचे लेटी लेटी अपनी पूरी ताकत से उनको अपनी बाहों में जकड़ कर बस सिसकियां भरती गई...

जल्दी ही मेरे अंदर कामवासना का एक जबरदस्त विस्फोट हुआ... मुझे ऐसा लग रहा था, कि दुनिया की सारी हंसी-खुशी, सारी भावनाएं सब कुछ अब कोई मतलब नहीं सब माया है... मैं शायद एक अजीब से शून्य में सिर्फ तैर रही थी... लेकिन सचिन अंकल रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे... उनका लिंग मेरी योनि में अभी भी घुसा हुआ था... और मानो एक स्टीम इंजनके पिस्टन की तरह उनका लिंग मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... यह दूसरी बार था जब मेरे अंदर कामवासना का विस्फोट हुआ... और मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल का गरम गरम वीर्य मेरी योनि के अंदर फव्वारे की तरह फैल गया... जिंदगी में पहले कभी मुझे ऐसा मगर ऐसा नहीं हुआ था...

सचिन अंकल ने गहरी सांस छोड़ी फिर कुछ देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे| मैंने महसूस किया कि उनकर लिंग धीरे-धीरे शिथिल पड़ रहा है और उसके बाद उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और फिर मेरे बगल में लेट गए... मैं उन्हें कहा छोड़ने वाली थी मैंने अपना एक हाथ और एक पैर रखकर उनसे लिपट लिपट गई... सचिन अंकल शायद थोड़ा दम ले रहे थे लेकिन वह मुझे प्यार से सहलाते रहे...

कुछ देर बाद सचिन अंकल ने मेरे को चित लिटा दिया और फिर मेरी चूचियों को बड़े प्यार से चूसने लग गए... मुझे मालूम था कि सचिन अंकल मुझे दुबारा उकसा रहे हैं... आखिर वह फिर से मेरे साथ सहवास करना चाहते थे... और मैं भी कहां मना करने वाली थी?

***

अगले दिन जब मेरी नींद खुली सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पर गई सुबह के 11:15 बज रहे थे... मेरा पूरा बदन एक मीठे से दर्द और एक मस्ती भरे एहसास में डूबा हुआ था... सबसे पहले मैंने अपने यौनांग पर हाथ फेरा... वह अभी भी थोड़ा चिपचिपा सा था... पिछली रात की बातों को दोबारा याद करकेमेरे होठों पर एक मुस्कुराहट से छा गई...

मुझे याद आया कि पिछली रात को सचिन अंकल ने मेरे साथ करीब करीब चार-पांच बार सहवास किया था इसलिए मैं रात भर सो भी नहीं पाई थी... और हां मैं तो सोना ही नहीं चाहती थी..

लेकिन मुझे बड़ा ताज्जुब हो जब मैंने देखा कि मैं कमरे में बिल्कुल अकेली हूं और वह भी बिल्कुल नंगी... कमरे में लगे खूंटे में मेरी नाइटी लटक रही थी, मैंने उसे अपने बदन पर चढ़ाया... और फिर सबसे पहले मैं यह देखने लग गई कि कमला मौसी कहां है? फिर मुझे याद है कमला मौसी तो अब तक दुकान में चली गई होंगी| हाय दैया! आज मुझे इतनी देर हो गई कि उन्हें अकेली ही दुकान पर जाना पड़ा...

लेकिन सचिन अंकल कहां है?

घर के सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद थे| मैंने सचिन अंकल के कमरे की खिड़की खोलकर बाहर झांक कर देखा... तभी भी तेज बारिश हो रही थी लेकिन घर के अंदर का माहौल बहुत ही उमस और घुटन से भरा हुआ लग रहा था|

उसके बाद मैंने महसूस किया कि मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं| मैंने घर के बाहर का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह भी बाहर से ही बंद था... अब मुझे थोड़ा सा अजीब सा लगने लगा, मुझे याद आया कि मेरा मोबाइल फोन मेरे कमरे में ही है| इसलिए मैं जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर अपने कमरे में गई तो पाया कि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी और वह भी बंद पड़ा हुआ था...

मैंने जल्दी से मोबाइल फोन को चार्ज पर लगाया और इंतजार करने लगी जब मोबाइल फोन थोड़ा चार्ज हो जाएगा तब मैं कमला मौसी को फोन लगाऊंगी...

अब मुझे पता नहीं क्यों थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था... मोबाइल फोन को थोड़ा बहुत चार्ज होने में कम से कम 5-10 मिनट तो लग ही जाएंगे... और जब तक ही मोबाइल फोन चार्ज हो रहा था, मैं सिर्फ घड़ी की तरफ देखती रही उस वक्त एक एक सेकंड मेरे लिए बहुत भारी पड़ रहा था...


क्रमशः
Nice update
 
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जी हां, मैं हिंदी फोंट में ही दिख रही हूं| ताकि पाठकों को कहानी पढ़ने का पूरा मजा आए| आशा है मेरी कहानी आपको अच्छी लगी और अगले अपडेट्स भी आपको मजेदार लगेंगे :angel5:

baki hai ......

i will be back after reading 🤩 :rose:
 
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SKYESH

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excellent ...................

outstanding ..........................

marvelous ..............................

:rock: :rock1: :rock: :rock1: :rock: :rock1:

🤩 🤩 🤩 🤩

ye DIL mange more ......................

:toohappy::toohappy::toohappy:
 
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naag.champa

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SKYESH जी,
आपके मंतव्य और प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया|

अपनी कहानियों के द्वारा में आप जैसे पाठकों का मनोरंजन कर पा रही हूं यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है|



:thanks:
 
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