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Adultery मलाई- एक रखैल

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naag.champa

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मलाई- एक रखैल


Malai-11111.jpg
अनुक्रमणिका

अध्याय 1 // अध्याय 2 // अध्याय 3 // अध्याय 4 // अध्याय 5
अध्याय 6 // अध्याय 7 // अध्याय 8 // अध्याय 9 // अध्याय 10
अध्याय 11 // अध्याय 12 // अध्याय 13

(कहानी संपूर्ण)




 
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naag.champa

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अध्याय - 7, 8

Bahut hi shandar the ye dono update. :superb:
Aakhir mala, malaayi ban kar sachin uncle ke kamre me kamla mausi dwara le jaayi gayi aur jis tareeke se kamla ne use sachin uncle ke samne pesh kiya usse to duniya ka koi bhi mard malaayi jaisi malaayi ko neeche se upar tak chaatne ke liye utaaru ho jata. Kamla ne bhi spast roop se sachin ko kah diya ki wo malaayi ko jis tarah chaahe chaat le, ab se wo usi ki hai. Uske baad aisa hi hua. Sachin uncle ne malaayi ko aise chata ki malaayi ko param santusti mil gayi. Yaha par main ye kahna chahuga ki is saare scene ko aapne behad hi khubsurti se likha hai aur sath hi malaayi ki bhavnaao ko bhi lajawab tareeke se darshaya hai. :claps:

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद TheBlackBlood जी|

गाने लिखते वक्त मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि मैं जो लिख रही हूं वह एक चित्र की तरह मेरे पाठकों के मन में उभर कर आए| आपकी इस समीक्षा को मैं अपनी सफलता मानती हूं :angel1:


Kamla mausi ke bare me shuru se hi andesha tha ki wo pahuchi huyi aurat hai aur uske zahen me malaayi ke prati bahut kuch hai jo ki 8ve adhyaay me zaahir bhi kar diya aapne. Matlab kamla mausi ek zamane me sachin uncle ki rakhail hi thi. Apne pati se chhup kar wo sachin uncle se maze leti thi lekin ab sochne wali baat ye hai ki jab usne sachin uncle ke sath itne maze kiye the to ab aisa kya baaki rah gaya tha jo wo kar nahi paayi thi aur ab wo wahi sab malaayi ke dwara karwana chaahti hai?? :hmm:
जी हां, कमला मौसी को मलाई पर तरस आ गया था| वह जानती थी कि शादी के बाद से ही मलाई का पति अनिमेष उसे खुश नहीं कर पाता| इसलिए अपनी जवानी में कमला मौसी ने जो मुझे लूटे थे वही मजे वह मलाई को भी देना चाहती थी-- :D

Subah der se uthne ke baad malaayi ko jis tarah ka mahaul nazar aaya usme uski aisi haalat ho jana natural tha. Uske baad kamla se phone par jo bhi baate huyi wo bhi dilchasp thi. Kamla ne saaf shabdo me malaayi se kaha ki wo sachin uncle ki rakhail ban jaye aur jitne din tak wo yaha hain wo unke sath tan man se lagi rahe. Usne malaayi ki jigyasa ko shaant karte huye apne aur sachin uncle ke beech ke rishte ko bhi ujagar kar diya. Khair ab dekhna ye hai ki sachin uncle ke waapas america jane ke baad malaayi ke sath kamla kya karti hai. Zaahir hai ki sachin uncle ke sath itna maza karne ke baad malaayi ko is sabki lat lag jayegi aur jab wo yaha se chale jayenge to wo is sabke liye pahle se kahi zyada tadapne lagegi. Yaani kamla ne iske baad bhi iska koi na koi jugaad kar rakha hoga. Ya fir shayad uske zahen me koi aur hi khichdi pak rahi ho. :D

यह तो मलाई की जिंदगी में आने वाला वक्त ही बताएगा| इन सब चीजों का खुलासा में अगले अपडेट्स में करूंगी|
एक और बात गांव की प्रथा- लेचारी; इसके बारे में आपकी क्या राय है?
:dquestion:
 

naag.champa

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मैं अपने प्रिय पाठकों से एक बात जरूर पूछना चाहूंगी-
गांव की प्रथा- लेचारी; इसके बारे में आपकी क्या राय है? :dquestion:
 

Arjun007

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मेरी कहानियां समझदार लगी यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई, अगला अपडेट भी मैं जल्दी ही दूंगी
:writing:
अपडेट का इन्तजार रहेगा।
 

Arjun007

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मैं अपने प्रिय पाठकों से एक बात जरूर पूछना चाहूंगी-
गांव की प्रथा- लेचारी; इसके बारे में आपकी क्या राय है? :dquestion:
क्या है ये प्रथा कुछ बताइये इसके बारे में?
 
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naag.champa

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मलाई- एक रखैल-9

सचिन अंकल हां दरवाजा खोलकर अंदर आए, दरवाजे के खुलते ही बाहर की ठंडी हवाओं के झोंके घर के अंदर आने लगे और मानो घर का पूरा माहौल बिल्कुल बदल सा गया... पहले वाली घुटन और उमस न जाने कहां गायब हो गई... वैसे तो पहले ही कमला मौसी से बात करने के बाद मेरी थोड़ी ढाँढस बंधी थी और अब सचिन अंकल के आ जाने के बाद मेरा मिजाज बिल्कुल बदल गया|

मैंने गौर किया कि उन्होंने सिर्फ एक हाफ पेंट और टीशर्ट पहन रखी थी... आंखों में चश्मा और उनके सर के बाल थोड़े बहुत बिखरे हुए... न जाने क्यों मुझे बहुत आकर्षक लग रहे थे... मैं उन्हें देख कर मुस्कुराई... उनके एक हाथ में एक थैला उसके साथ प्लास्टिक का एक पैकेट जिसमें शायद लंबा सा एक कार्डबोर्ड का बक्सा था और दूसरे में छाता... मैनें उनके हाथों से थैला और छाता ले लिया, लेकिन जब मैं वह प्लास्टिक का पैकेट उनके हाथ से लेने गई, तो उन्होंने मुझसे कहा, " इस रहने दो, इसे मैं ही रख लूंगा"

थैले में से पहले से ही ठन ठन के बजे आ रही थी... मैं जानती थी उस थैले में बीयर की बोतले हैं, लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उनसे पूछा, "अंकल जी क्या है इस थैले में?"

सचिन अंकल ने एक शरारत भरी मुस्कान के बीच मुझसे बोले, " बस आज थोड़ा बीयर पीने का मन कर रहा था, और करेगा क्यों नहीं? मुझे तुम्हारे जैसी जवान और खूबसूरत है लड़की का साथ जो मिल रखा है... लेकिन मलाई मेरी तुमसे एक रिक्वेस्ट है; आज तुम भी मेरे साथ बैठकर बीयर पीयोगी"

कमला मौसी ना तुम मुझे इस बारे में पहले ही बता दिया था लेकिन फिर भी मैं भोली और अनजान बन रही थी, "लेकिन अंकल मैंने तो पहले कभी बियर पी नहीं"

सचिन अंकल का जवाब भी कमला मौसी जैसा ही था, "कोई बात नहीं आज भी लेना, मलाई... और हां जब तक मैं यहां हूं, तुम्हें या फिर तुम्हारी कमला मौसी को किचन में घुस के खाना बनाने की मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है... हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेंगे"

मैंने यूं ही उनको चिढ़ाने के लिए पूछा, "क्यों? आप खाना बाहर से क्या मंगवा रहे हैं? क्या मेरे हाथ का बनाया हुआ खाना आपको पसंद नहीं आया?"

"हा हा हा हा हा", सचिन अंकल हंस पड़े और बोले, "नहीं, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे पसंद है... इसलिए जिस दिन मैं दुबारा यहाँ का चक्कर लगाऊंगा, उस दिन सिर्फ तुम्हारे हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा... लेकिन मुझे मालूम है, मलाई- तुम्हें इस घर के सारे काम खुद ही करती हो... दिन भर खटती रहती हो... यह सारी बातें मुझे तुम्हारी कमला मौसी ने बताई थी... इसलिए मैं चाहता हूं; कि जब तक मैं यहां हूँ... तुम्हें थोड़ा आराम मिल जाए... और इसमें मेरा स्वार्थ भी है... मैं चाहता हूं कि तुम पूरी तरह से बिल्कुल मेरी बन कर रहो; मुझे तुम बहुत पसंद हो मलाई...”

मैं शर्मा कर थोड़ा हंस पड़ी और फिर बोली, "जैसा आप ठीक समझें, सचिन अंकल... मैं बीयर की बोतलें फ्रिज में रख देती हूं- और फ्रिज को क़ुइक फ्रिज में डाल देती हूं… मुझे उम्मीद है कि बोतले जल्दी ही ठंडी हो जाएंगी "

माफ करना आप सचिन अंकल आज मैं काफी देर तक सोती रही| मुझे जैसी सयानी लड़की को इतनी देर तक सोना नहीं चाहिए... मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि आपने सुबह की चाय पी भी कि नहीं? अगर आप कहें तो मैं आपके लिए चाय बना दूँ?"

सचिन करने मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरा और बोले, "तुम देर तक सोती रही इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं| मैंने तुम्हें कल रात को सोने ही नहीं दिया था... खैर फिलहाल मैं सिर्फ बियर पीने के मूड में हूं... मैं चाहता हूं कि तुम बिन मेरे साथ बैठकर बियर पियो... बस एक बोतल खोल लेना... बाकियों को फ्रिज में रख कर आओ... उसके बाद तुम नहा लेना और फिर बाद में, मैं नहा लूंगा और मुझे उम्मीद है तब तक पिज़्ज़ा की डिलीवरी भी हो जाएगी... और हां तुम्हारी कमला मौसी ने मुझे बोला था कि उसे आज दुकान में बहुत काम है इसलिए मैंने उसके हिस्से का पिज़्ज़ा दुकान में ही डिलीवरी करने का इंतजाम कर दिया है|"

मैंने कहा, "जी, अच्छा..." फिर मैंने उत्सुकता वश पूछ ही लिया, "आपको कैसे पता कि मैं अब तक नहाई नहीं हूं?"

सचिन अंकल ने जवाब दिया, " तुम्हारी आंखों को देख कर ऐसा लग रहा है कि बस तुम अभी थोड़ी देर पहले ही नींद से जागी हो... और दूसरी बात तुम्हारी ही खूबसूरत काले- रेशमी- घने और लंबे बाल बिल्कुल भी गीले नहीं है" यह कहकर सचिन अंकल ने मेरे बालों का जुड़ा खोल दिया और बोले, "मलाई... तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं- अगर मेरी मौजूदगी में तुम अपने बालों को खुला रखोगी तो मुझे खुशी होगी"



“जी अच्छा, लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगी... स्कूल के जमाने से ही मेरे बाल लंबे हैं... इसलिए बचपन से ही इन्हें बांध कर रखने की आदत सी पड़ गई है... आजा मैं सो करके उठे तो अनजाने में ही शायद मैंने अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था; क्योंकि इतने लंबे बालों को अगर मैं खुला छोड़ दूं दोनों संभालने में थोड़ी बहुत मुश्किल होती है...”

“हा हा हा हा हा मैं समझ सकता हूं| लेकिन मुझे उम्मीद है यह दो-चार दिन जो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम मेरे खातिर यह छोटी सी मुश्किल को जरूर उठा लोगी...”

मैंने शर्माते हुए मुस्कुरा कर कहा, “जी अच्छा मैं आगे से ध्यान रखूंगी...” और फिर मैंने मन ही मन सोचा अब जब मैं नहा कर निकलूंगी, तो जानबूझकर ही मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी... आखिर कमला मौसी ने मुझे हिदायत दी थी कि यह चंद दिन मुझे सचिन अंकल की औरत- उनकी रखैल- बन कर बितानी है... मुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह मुझे, और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे मुझे...

“ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”

मैं अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी| सचिन अंकल के सवाल ने मानो मुझे चौंका कर असलियत पर लाकर खड़ा कर दिया|

और अब मुझे ध्यान आया कि मैं अब तक एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में बियर का थैला पकड़ कर ही खड़ी थी...

सचिन अंकल ने मुझे एक अजीब सी ललचाई नजरों से मुझे देखा और फिर मेरे पास आकर उन्होंने कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया... मैं भी उनसे लिपटना चाहती थी लेकिन मेरे दोनों हाथों में सामान था इसलिए मैं यूं ही सीधी खड़ी रही| उन्होंने मेरे सर के पीछे से मेरे बालों का एक गुच्छा पकड़ कर के मेरे चेहरे को ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने होठों को मेरे होठों पर जमा दिए... मैंने कोई एतराज नहीं किया... वह मेरे होंठों को चूमते रहे चाटते रहे और फिर उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अंदर डाल दी... मैंने भी अपनी जुबान उनकी जुबान से लड़ाई... और देखते ही देखते न जाने कब मेरी जुबान उनके मुंह में थी... उन्होंने दांतो से मेरी जुबान को दबाया और फिर मेरी जुबान को चूसने लग गया... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ रही थी... चंद मिनटों बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और उन्होंने फिर से पूछा, “अब बताओ, ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”

मैंने झेंप कर कहा, "जी कुछ नहीं बस यूं ही..."

“हा हा हा हा हा”, सचिन अंकल हंस पड़े, “कोई बात नहीं, तुम्हें काम करो तुम एक बोतल यहीं रख कर जाओ और बाकी सारी बोतल को फ्रिज में डाल दो और हां, जैसा कि तुमने कहा फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड में डाल देना... और किचन से दो गिलासे भी लेकर आना मुझसे रहा नहीं जा रहा... मुझे तुम्हारे साथ बैठकर बियर की चुस्कियां लेने का बड़ा मन कर रहा है...”

“जी ठीक है, लेकिन आप पहले क्यों नहीं नहा लेते?”

“हा हा हा, तो मुझे बाथरूम से नहाकर निकलती हो तो पूरे बाथरूम में एक मदहोश कर देने वाली खुशबू भरी हुई रहती है इसलिए...”

“जी बहुत अच्छा, जैसा आप कहें... मैं बस अभी आई”

क्रमशः
 

naag.champa

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मलाई- एक रखैल-10

सचिन अंकल बियर की 6 बोतल ले खरीद कर लाए थे| मैंने फ्रिज में जगह बना कर पांच बोतलों को अंदर रख दिया और फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड पर डाल दिया|

एक ट्रे में बियर की एक अध्- ठंडी बोतल को लिटा कर और साथ में दो गिलास लेकर मैं सचिन अंकल के कमरे में पहुंची|

मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपने कपड़े उतार दिए थे वह सिर्फ एक तौलिया लपेट कर बिस्तर पर बैठे मेरा इंतजार कर रहे थे| उनके बिस्तर के पास रखी हुई टेबल पर मैंने गिलासें सजा कर रखी है... और जैसा कि मैंने मूवी में देखा था... वैसे ही दोनों गिलासों में बीयर डालने लगी... मैंने इस बात का ध्यान रखा की बियर डालते वक्त गिलासों में ज्यादा झाग ना भर जाए|

जब तक मेरे डियर डाल रही थी तब तक मेरी पीठ सचिन अंकल की तरफ थी| जब मैं उनकी तरफ मुड़ी तब मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपना तौलिया भी उतार दिया था... उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग बिल्कुल सख्त और सीधा खड़ा हो रखा था... अब मैंने गौर किया की उनका लिंक अनिमेष की तरह मुड़ा हुआ नहीं है... वह बिल्कुल एक भाले की तरह एकदम सीधा है... और उनके लिंग का टोप बहुत ही सुडौल और विकसित है...

वह मुझसे बोले, “मेरे पास आकर बैठो, मलाई”

यह क्या करवाने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच कर और अपने बाएं हाथ को मेरी कमर से लिपटा करके बैठे-बैठे और दाएं हाथ से उन्होंने मेरी डबल- ब्रेस्टेड नाइटी का कपड़ा मेरे सीने से हटाया और फिर मेरे मेरे स्तनों की चुचियों को एक-एक करके बारी बारी से को वह बड़े प्यार से चूसने लगे...

मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी मैंने शर्मा कर कहा, “हाय दैया! यह क्या कर रहे हैं, सचिन अंकल?”

“कुछ नहीं बस तुम्हारे जैसी खूबसूरत बला को थोड़ा सा प्यार कर रहा हूं... क्यों? तुम्हें कोई एतराज है क्या...?”

मैं शरमा कर हंस दी| मैंने कहा, " जी नहीं, मैं भला एतराज क्यों करूंगी?"

"तो ठीक है, बीयर पीने के बाद तुम बिस्तर पर लेट जाना, मलाई..."

"क्यों? आप मुझे लेटने के लिए क्यों कह रहे हैं?" मैंने जानबूझकर शरारत भरी निगाहों से उन्हें देखते हुए पूछा|

उन्होंने भी मस्ती भरे अंदाज में मेरे स्तनों को दबाते हुए कहा, "अरे भई, अगर तुम बिस्तर पर लेट होगी तभी ना मैं तुम्हारे ऊपर लेट पाऊंगा? है कि नहीं?"

"ही ही ही ही ही ही ही"

" हा हा हा हा हा हा हा"

मेरा भी जी ललचाने लग गया मैंने कहा, “सचिन अंकल, अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं अपनी नाइटी उतार दूं और हां मैं आपके पास नहीं बैठूंगी… मैं आपकी गोद में बैठना चाहती हूं वह भी बिल्कुल नंगी होकर के...” यह कहकर मैंने अपनी नाइटी उतार कर जमीन पर फेंक दी|

सचिन अंकल की बांछें खिल गई और हमें अपना एक हाथ आगे करके मेरे बालों को एक गुच्छा पकड़ा और मुझे खींचकर अपनी तरफ ले आए, मैं बीयर की दोनों गिलासें पकड़ कर उनकी नंगी जांघों पर बैठ गई और फिर मैंने उनको उनकी गिलास पकड़ाई|

उन्होंने मेरे गिलास से अपना गिलास खनकाया और बोले, “चियर्स !”

एक तो मैं देर से उठी थी जिसने मुझे काफी भूख भी लग रही थी और वैसे भी मुझे प्यास भी लग रही थी इसलिए जैसे ही मैंने बीयर को होठों से लगाया मैंने पाया कि मैं गटागट बियर के घर बड़े-बड़े घूंट मार रही हूं लेकिन कुछ ही देर में मुझे उल्टी सी आने को हुई और मैं खांसने लगी...

सचिन अंकल बोले, "जरा धीरे-धीरे लड़की; इतनी जल्दी बीयर नहीं पिया करते"

थोड़ी देर खांसने के बाद जब मैं थोड़ा सा संभली तब सचिन अंकल ने दोबारा मेरे होंठों को चूमा और इस वक्त मैं कहां रुकने वाली थी मैंने अपनी जीभ उनके मुंह के अंदर डाल दी... उन्हें कोई एतराज नहीं था वह मेरी जीभ चूसने लग गए...

जब उन्होंने ने मुझे छोड़ा तब मैंने जी भर के उनको चूमा और फिर मैं बोली, "सचिन अंकल, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं..."

"बोलो, तुमको जो कहना है, तुम बेधड़क बोल सकती हो"

“जी नहीं अभी नहीं मेरे मुझे बीयर खत्म कर लेने दीजिए उसके बाद मैं नहा कर आऊंगी उसके बाद मुझे आपसे जो कहना है वह मैं कहूंगी” मैं जिंदगी में पहली बार बियर पी रही थी, इसलिए सिर्फ एक गिलास बीयर पीने के बाद ही मुझे हल्का हल्का नशा होने लगा था|

उन्होंने कहा, “ठीक है” और फिर वह मुझे सहलाने, सूंघने और चूमने में मगन हो गए...

और मनो तभी हमारी इस कामलीला के बीच एक रुकावट से आ गई|

दरवाजे की घंटी बजी, पिज़्ज़ा वाला डिलीवरी देने के लिए आया हुआ था- सचिन अंकल ने जैसे-तैसे अपनी हाफ पेंट चढ़ाई और उन्होंने ने मुझसे कहा, " तुम अंदर ही रुको, मलाई"

मैंने कहा "जी अच्छा..." मैं बाहर निकलती भी तो कैसे मैं तो बिल्कुल नंगी थी... इतने में मुझे लगा कि मेरा फोन बज रहा... और रिंगटोन से मैं पहचान गई थी कि यह फोन अनिमेष ने ही किया था...

पिज्जा का बक्सा बहुत बड़ा था| इसलिए सचिन अंकल कर उसे दोनों हाथों से पकड़ कर अंदर ले आए और फिर उन्होंने उसे टेबल पर रखा| घर का सदर दरवाजा खुला ही था, जब तक उन्होंने वापस जाकर उसे बंद करके कुंडी नहीं लगा दी; तब तक मुझे कमरे के अंदर ही इंतजार करना पड़ा... इतने में मैंने गौर किया कि अनिमेष करीब करीब दो बार और मुझे फोन लगा चुका था|

अनिमेष थोड़ा बेसब्र किस्म का इंसान है... और इधर मैंने नाइटी भी न जाने मस्ती में आकर कहां उतार कर फेंक दी थी? वह मुझे मिल ही नहीं रही थी? वह तो हमारी आवाजाही में बिस्तर के नीचे सरक गई थी... लेकिन उस वक्त मेरे पास इतना भी वक्त नहीं था कि मैं अपनी नाइटी को ढूँढू, इसलिए जैसे ही दरवाजा बंद हुआ मैं ऊपर कमरे की तरफ उसी हालत में भागी और उसका फोन उठाया|

इतने में मैंने सुना कि सचिन अंकल का फोन भी बज रहा है| शायद कमला मौसी ने फोन किया होगा|

अनिमेष के साथ मेरी करीब-करीब है 20-25 मिनट तक बातें होती रही| अनिमेष इस बात से नाराज था कि सुबह उसने दो-तीन बार और भी फोन किया था लेकिन मैंने फोन उठाया नहीं| उठाती भी कैसे? एक तो मैं सो रही थी और दूसरी सचिन अंकल के घर आते ही मैं उनके कमरे में चली गई थी शायद फोन की आवाज मुझे सुनाई नहीं दी|

मैंने अपने पति अनिमेष को झूठ-मूठ भरोसा दिलाया कि आज मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है| मौसम खराब है इसलिए मुझे थोड़ा सा जुकाम हो गया है हल्का हल्का बुखार भी है- इसलिए मैं सो रही थी|

फोन अभी भी पूरी तरह से चार्ज नहीं हुआ था, इसलिए मैं फोन को चार्ज समेत है उठाकर नीचे सचिन अंकल के कमरे में ले आई|

सचिन अंकल तब भी किसी से बात कर रहे थे- और ऐसा लग रहा था कि वह किसी आदमी से बात कर रहे हैं| उनकी बातचीत 10:15 मिनट तक और चली... लेकिन तब तक हम दोनों के अंदर से ही वासना का वह ज्वार उतर चुका था|

हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और शायद एक साथ ही हम दोनों ने कह रही थी सांस छोड़ी...

मैंने कहा, "सचिन अंकल, मैं सुबह से नहीं नहाई हूं| मैं जाकर नहा लेती हूं उसके बाद आप जाकर नहा लीजिएगा फिर हम लोग खाना खा लेंगे... और उसके बाद..."

"और उसके बाद क्या, मलाई?" सचिन अंकल ने शरारतभरी निगाहों से मुझे देखते हुए पूछा|

मैंने कहा, "हम दोनों बैठकर टीवी देखेंगे..."

"हा हा हा हा"

"ही ही ही ही ही ही"

क्रमशः
 
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