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Adultery मलाई- एक रखैल

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naag.champa

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मलाई- एक रखैल


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अनुक्रमणिका

अध्याय 1 // अध्याय 2 // अध्याय 3 // अध्याय 4 // अध्याय 5
अध्याय 6 // अध्याय 7 // अध्याय 8 // अध्याय 9 // अध्याय 10
अध्याय 11 // अध्याय 12 // अध्याय 13

(कहानी संपूर्ण)




 
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naag.champa

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मलाई- एक रखैल-1

वक्त कितनी जल्दी बीतता है इसका पता ही नहीं चलता| आज करीब 2 साल हो गए कि हम कमला मौसी के यहां किराए पर रह रहे हैं| कोलकाता शहर से थोड़ी ही दूर खरदाह टाउन है वहां पर मैं और मेरे पति अनिमेष ने इनके मकान का ऊपरी मंजिल किराए पर लिया था|

शुरू में तो अनिमेष दलाल के साथ आकर कमला मौसी से बात करके गए थे कि उन्हें मकान किराए पर लेना है और जिस दिन वह मेरे साथ इस मकान पर शिफ्ट हुए उसी दिन न जाने क्यों कमला मौसी ने हम दोनों को एक साथ देखा और उसके बाद उनकी भौंए सिकुड़ गईं|

इसका कारण मुझे 2 महीनों के अंदर ही पता चल गया, और गौर करने वाली बात यह है कि यह बात मुझे खुद कमला मौसी ने ही बताई थी| क्योंकि इन 2 महीनों के अंदर ही मुझे उनसे खुल्ले मिलने और उनके काफी करीब आने का एक बहुत बढ़िया मौका मिल गया था|

अब यह संयोग की बात है, कि हमारे कमला मौसी के मकान में शिफ्ट होने के कुछ ही हफ्तों बाद कमला मौसी बाथरूम में फिसल कर गिर गई; उनके हाथ में काफी चोट आई थी| मकान के किराए के अलावा उनकी आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था उनके स्वर्गीय पति की दुकान| यह यह दुकान वैसे तो सामग्री की दुकान थी जहां पर धूप अगरबत्ती मोमबत्ती बताशा आदि इत्यादि मिला ही करते थे और इसके साथ आमदनी बढ़ाने के लिए कमला मौसी आजकल थोड़ा बहुत स्टेशनरी का सामान जैसे कि बच्चों की कॉपी किताबें पेंसिल पेन वगैरह यह सब भी रखने लगती थी| उस दुकान को अकेला संभाला करती थी| लेकिन हाथ में चोट की वजह से अब उन्हें एक सहारे की जरूरत पड़ने लगी|

तो मैं ही उनके घर का सारा काम भी किया कर दिया करती थी जैसे कि घर का झाड़ू पोछा खाना बनाना वगैरा-वगैरा यहां तक कि उनके बालों को कंघी करके संवार देना- कंघा-चोटी-जुड़ा करना और उनका हाथ बँटाने के लिए मैं उनकी दुकान पर भी जाकर बैठने लगी|

शायद इसीलिए प्यार से उन्होंने मेरा नाम ‘माला’ से बदलकर मलाई रख दिया| क्योंकि उनका कहना था वह तो मैं हूं करीब 25 साल की लेकिन दिखती 20 की ही हूं.... और मैं बिल्कुल मलाई मक्खन जैसी हूं; इसलिए मेरा नाम ‘माला’ की जगह ‘मलाई’ होना चाहिए था|

और उन्हीं दिनों मुझे पता चला कि उनकी भौंए सिकुड़ने का करण बिल्कुल साफ था| अनिमेष हाइपरथाइरॉयडिज़्म का रोगी था| इसलिए वह बहुत ही दुबला-पतला और कमजोर किस्म का इंसान था और उसके मुकाबले कमला मौसी तो क्या, दुनिया की नजरों में मैं एक पूरी तरह से खिली हुई भरपूर जवानी में भरी हुई एक फूल जैसी थी| मेरे बाल काली रेशमी थाने और करीब-करीब कूल्हों के नीचे तक लंबे थे| मेरे स्तन तने – तने, कसे कसे से और बड़े हैं और उनका साइज करीब-करीब 34dd है कमर 32 और कूल्हे 36 के है|

शायद इसीलिए कमला मौसी के मन में यह ख्याल है होगा शायद मेरी शादी अनिमेष से गलती से हो गई है| मेरी शादी तो किसी तंदुरुस्त और मर्दानगी से भरे आदमी के साथ होना चाहिए था|

अब क्या किया जा सकता है हमारी शादी अरेंज मैरिज थी और अनिमेष को हाइपोथाइरॉएडिज्म की बीमारी शादी से कुछ महीनों बाद ही शुरू हुई है| तब तक हमारी शादी के 8 महीने बीत चुके थे....

कमला मौसी की उम्र करीब करीब 45 से 50 साल की रही होगी लेकिन उम्र के हिसाब से वह काफी जवान और खूबसूरत भी दिखते थी| उनके भी कमर तक। लंबे बाल थे उनका फिगर भी बहुत अच्छा था और और उनका स्तन युगल भगवान की दया से बिल्कुल भरा पूरा ही था...

शुरू शुरू में मेरे पति अनिमेष को मेरा कमला मौसी की दुकान पर बैठना बिल्कुल पसंद नहीं था|

लेकिन किसी तरह से मैंने उन्हें राजी करवाया| मैंने कहा कि तुम तो शाम को घर से काम के लिए निकल जाते हो उसके बाद सारी रात तुम्हारी नाइट शिफ्ट रहती है| सुबह जब तुम घर आते हो तो बिल्कुल थके मांदे से आते हो और फिर सो जाते हो तुम अगर घर ही रहोगे तो मैं अकेली घर में क्या करूंगी इससे अच्छा मैं उनकी दुकान पर जाकर बैठूं; उनका थोड़ा हाथ बंटा दूँ.... दोपहर को घर आकर मैं तुमको खाना परोस दूंगी और उसके बाद थोड़ा सा सोने के बाद जब तुम शाम को ऑफिस चले जाओगे; तब मैं भी कमला मौसी की दुकान पर चली जाऊंगी.... वहां ज्यादा देर तो नहीं रहना, सिर्फ रात के 8:00 या 8:30 तक या फिर कभी कबार अगर देर वह भी गई तो ज्यादा से ज्यादा 9:00 बजे रात को…

अनिमेष पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर है और वह कोलकाता की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है लेकिन उसको काम का ज्यादा तजुर्बा नहीं था| अभी नई-नई नौकरी लगी थी| इसकी उनकी आमदनी भी उतनी ज्यादा नहीं थी... और काम के सिलसिले में पहले तो वह शुरू शुरू में सिर्फ 8 या 10 दिन के लिए हैदराबाद जाया करता था लेकिन अब ऑफिस के काम खत्म हो जैसे ज्यादा था इसलिए उसको आजकल करीब करीब 20 से 25 दिनों के लिए घर से बाहर रहना पड़ता है उनका कहना था की हैदराबाद जाने से उनको थोड़ी एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है|

***

करीब करीब 2 साल होने को है जो मैं कमला मौसी की दुकान पर रोजाना बैठती हूं| लेकिन यहां कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसके बारे में मैंने अनिमेष आज तक नहीं बताया….

क्रमशः
 

naag.champa

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मलाई- एक रखैल-2

हमारे यहां दुकानों में सबसे ज्यादा बिक्री दशहरा के मौके पर ही होती है| कमला मौसी का कहना था कि मेरे आने से शायद दुकान में लक्ष्मी आ गई है और इसीलिए शायद पिछले साल दुकान की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है|

दशहरा के दिनों हो कमला मौसी न जाने क्यों मुझसे कहा करती थी कि मैं सिर्फ साड़ी और ब्लाउज पहना करूँ और अपने बालों को खुला रखा करूँ|

साड़ी और ब्लाउज का पहनना तो मुझे समझ में आ गया कि यह पारंपरिक कपड़े हैं और दशहरा के दिन हो पारंपरिक कपड़े पहनने का रिवाज है इसमें कोई हर्ज नहीं है| लेकिन यह बात मुझे समझ में नहीं आई कि वह मेरे बालों को खुला क्यों रखवाला चाहती थी|

मैंने उनसे इसके बारे में पूछा भी था, लेकिन उन्होंने मुस्कुरा कर मेरे गालों को प्यार से सहला कर बोली, “एक टोने-टोटके की तरह है बस तू देखती जा... अब हमारी दुकान की बिक्री कितनी बढ़ जाएगी...”

और बड़े ही आश्चर्य की बात है उस दिन दुकान पर इतनी भीड़ हुई कितनी दूर है कितना अच्छा बिक्री बट्टा हुआ कि मैं पूरे दिन बहुत ही व्यस्त थी और दिन खत्म होते होते मैं थक कर चूर हो गई थी और पूरा बदन मानो ऐंठ रहा था|

कमला मौसी मेरे पास आए और और बोली, "देखा ना आज हमारी दुकान पर कितने ग्राहक आए हुए थे... सब ने कितना कुछ खरीद लिया..."

मैंने ताज्जुब भरी निगाहों से उनकी तरफ देखा और पूछी, "पर मौसी ऐसा कैसे हुआ?"

“मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी तो यकीन मान तेरा भला ही होगा तू ऐश करेगी… मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा|

और फिर फ्रिज में से एक बियर का कहना और एक टेबलेट निकाल कर उन्होंने मुझे दी|

“मैंने पूछा यह क्या है, मौसी?”

तो उन्होंने जवाब दिया, “बीयर… बीयर, तेरी थकान दूर कर देगा नींद अच्छी आएगी और यह टेबलेट बदन में जो ऐठन पैदा हो रही है; उसको दूर करेगा| आज तू ने काफी मेहनत की है अगले कई दिनों तक दुकान पर इसी तरह की भीड़ लगी रहेगी इसलिए तुझे और मुझे दोनों को काफी काम करना पड़ेगा यह देखना मैं भी यह टेबलेट ले रही हूं और बीयर भी पी रही हूं....”

“लेकिन अगर अनिमेष को पता चला तो?”

“उसे हर बातों बताने की क्या जरूरत है? वह तो वैसे भी हैदराबाद क्या हुआ है| दशहरे का त्यौहार खत्म होने के हफ्ते भर बाद ही लौटेगा... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी मौसी, इधर? तेरा ख्याल तो मुझे ही रखना है ना?”

दशहरा खत्म होने के बाद यह रिवाज है कि बड़े छोटों को तोहफे दिया करते हैं| न जाने क्यों मेरे मन में भी इस बार उत्सुकता थी कि मैंने तो कमला मौसी की इतनी मदद की है; क्या वह मुझे कोई तोहफा नहीं देंगी? और इसी तोहफे ने मुझे और ज्यादा अचरज में डाल दिया...

विजयदशमी के एक दिन बाद कमला मौसी मेरे कमरे में आई| उनके हाथ में एक बड़ा सतवेला था और चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान खिली हुई थी|

रीति रिवाज के अनुसार मैंने उनके पैर छुए, उन्होंने भी मुझे गले से लगाया| लेकिन इस बार एक अजीब सी बात हुई, वैसे तो वह मुझ सिर्फ गानों को चूमा करती थी, लेकिन इस बार उन्होंने मेरे माथे और होठों को भी चूमा|

फिर वह अपने बड़े से पहले से ही एक-एक करके मेरे लिए कई सारे पैकेट निकलती गई|

उनमें से एक पैकेट को देख कर के मेरी आंखें फटी की फटी रह गई| क्योंकि उस पैकेट पर लिखा हुआ था टोपनदास एंड कंपनी... यानी कि शहर के सबसे बड़े गहनों के व्यापारी की कंपनी का नाम|



मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था.... और जल्दी ही धड़कने का कारण भी साफ हो गया, क्योंकि उस थैले में से एक गहनों का बक्सा निकला, जिसमें गहनों का सेट था|

एक सुंदर सा नेकलेस, एक जोड़ी मोटे-मोटे कंगन और दो बड़े-बड़े झुमके|

फिर उन्होंने दूसरा पैकेट निकाला| उस पैकेट पर लिखा हुआ था निर्मला गिफ्ट शॉप| उसमें से भी उन्होंने गहने ही निकाले... लेकिन वह इमिटेशन वाले गाने के नकली गहने थे... छोटे-छोटे ढेर सारे कानों के टॉप्स, 5-6 कई तरह के नेकलेस और तीन-चार फैंसी चूड़ियों का सेट|

उसके बाद उन्होंने एक और पैकेट निकाला, और वह पैकेट था सिमरन टेलर्स का उनका अगला पैकेट एक साड़ियों की दुकान का था और फिर उन्होंने एक और पैकेट निकाला जिस पर लिखा हुआ था अनादि दास...

अनादि दास वाले पैकेट में न जाने क्यों कमला मौसी ने मेरे लिए दो बहुत ही महंगी टी शर्ट और जींस लाई थी|

सिमरन टेलर्स के पैकेट में मेरे लिए कई तरह के ब्लाउज थे, और साड़ियों की कंपनी वाले पैकेट में मेरे लिए रंग बिरंगी साड़ियां रखी हुई थी|

मैं इतने सारे तो फिर देख कर फूली न समाई लेकिन मेरे को पसीना छूट रहा था| क्योंकि टोपनदास की दुकान से ली हुए गहने काफी महंगे थे और वजनी थे| यह कम से कम दो लाख से के कम नहीं होंगे...

इतने सारे तोहफे देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए... खुशी के आंसू और मैं रो पड़ी है और फिर मैंने सिसकते हुए कमला मौसी से पूछा, "मौसी जी इतने महंगे तोहफों की क्या जरूरत थी?"

कमला मौसी ने, मुझे सांत्वना देने के लिए अपनी बाहों में भर लिया और मैं उनसे लिपट कर सिसकने ने लगी और फिर उन्होंने अपना तकिया कलाम दोहराया, " जरूरत थी मेरी बच्ची जरूरत थी, तूने साल भर मेरी दुकान में काम किया पर मैंने तुझको कोई तनख्वाह नहीं दी...."

“लेकिन मौसी? मैंने आपका हाथ पैसों के लिए थोड़ी ना बंटाया?”

“मैं जानती हूं, तू मेरी दुकान में इसलिए बैठा करती है क्योंकि तुझे बहुत अकेलापन महसूस होता है... मुझे इस बात का इल्म है... तू सिर्फ अपना ध्यान बांटना चाहती है और बुरा ना मानना तू जैसी फूल सी बच्ची को एक अच्छे पति की जरूरत है जो कि तेरी कामवासना को भी पूरी कर सके और मैं यह अच्छी तरह जानती हूं कि तेरा पति चाहते हुए भी ऐसा नहीं कर सकता...”

अब मुझसे रहा नहीं गया| उन्होंने अब तक जो भी कहा था बिल्कुल सच था| मैं कमला मौसी से लिपटकर फूट-फूट कर रोने लगी|

कमला मौसी ने मुझे प्यार तो चलाते हुए कहा, " तू मेरी बच्ची है, तू मेरी जिम्मेदारी है, ऐसा मैं मानती हूं इसलिए तू चिंता मत कर... आजकल तो तेरा पति 15-15 या फिर 20-20 दिनों के लिए घर के बाहर ही रहता है... यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी.... यह मुझे मंजूर नहीं तू चिंता मत कर मैं हूं ना तेरी मौसी बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी"

क्रमशः
 

naag.champa

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मलाई- एक रखैल-2


दुनिया के हिसाब से अगर साल के 12 महीने हैं तो हमारे देश में साल के 12 महीनों में 30 त्यौहार है|

कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|

लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंने मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखती है| और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|

पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|

कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|

लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंन मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखी और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|

पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|

खैर जो भी हो, जब अनिमेष घर पर होता था तब मैंने इस बात का बहुत ध्यान रखा कि अनिमेष कि सो जाने के बाद ही मैं बहुत सावधानी से अपना सूटकेस निकालूं और उसके बाद तीज त्यौहार कि कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक मैं वही कपड़े पहनूं जो कि मुझे कमला मौसी ने दिए थे|

और मान लो, कि जैसे किसी परी ने जादू की छड़ी घुमा दी….

हमारी दुकान की बिक्री दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ने लगी…

क्योंकि अब तो दुकान में ग्राहकों का तांता लगा ही रहेगा, खासकर तब जब कमला मौसी की दुकान में एक जवान लड़की कटे खुले ब्लाउज और एक महंगी साड़ी पहनकर खुले बालों में मौसी का हाथ बंटाया करती है और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मर्दों को छोड़कर कुछ औरतों को भी इस बात का गौर किया था कि मैं उन दिनों ब्रा नहीं पहना करती थी…

लेकिन मुझे आज तक कभी भी वह टीशर्ट और जींस पहनने का मौका नहीं मिला था... खैर ऐसा लगता है कि शायद कोई ऐसा है जो मेरी इच्छाओं को सुन रहा है और यह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया

***

जुलाई का महीना खत्म होने वाला था और अगस्त का महीना शुरू, बरसात हफ्ते भर पहले ही दस्तक दे चुकी थी काफी बारिश हुआ कर रही थी कि इतने में कमला मौसी के फोन पर एक मैसेज आया|

कमला मौसी के स्वर्गवासी पति के दोस्त सचिन अंकल भारत आने वाले थे... और कमला मौसी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह कोई होटल में ना रुक कर हमारे घर पर ही रुके|

आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल हमारे घर आने वाले थे... और हमेशा की तरह मेरे पतिदेव काम के सिलसिले में हैदराबाद के हुए थे|

सुबह-सुबह मैंने जल्दी-जल्दी घर के सारे काम निपटा लिए और उसके बाद नहाने को जाने लगी तब कमला मौसी ने मुझे एप्पल एलोवेरा शैंपू की बोतल पकड़ाई और बोली, "आज अपने बालों को अच्छी तरह से इस शैंपू से धो ले, मैंने तेरे लिए एक खास तरह का परफ्यूम भी मंगा रखा है... चल अब जल्दी से नहा ले, मैं तेरे लिए कपड़े निकाल कर दे रही हूं... तूने अपने कपड़े अपने उस बड़े वाले सूटकेस में ही रखे हैं ना?"

मैंने कहा, “हां..”

जब तक मैं नहा धोकर सिर्फ एक तौलिया लपेटकर अपने बालों को पूछती ही बाथरूम से बाहर आए तब तक मैंने देखा कि कमला मौसी ने मेरे लिए कपड़े निकाल कर रखे थे|

मुझे थोड़ा आश्चर्य से लगा क्योंकि उन्होंने मेरे लिए सिर्फ एक लाल रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और जींस निकाली थी बगल में सिर्फ पैंटी रखी हुई थी...

मैंने कहा, “कमला मौसी क्या मैं यह पहन कर ही एयरपोर्ट जाऊंगी?”

उन्होंने कहा, “हां, आखिर सचिन अंकल अमेरिका में रहते हैं, तू अगर ऐसे कपड़े पहन कर जाएगी तो तुझे देखकर उन्हें अच्छा लगेगा...”

“लेकिन आपने तो ब्रा निकाली नहीं मैं कौन सा ब्रा पहनूं?”

“ब्रा पहनने की कोई जरूरत नहीं है”

“लेकिन मौसी अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तुम मेरे मम्मे हिलेंगे दुलेंगे और चूचियाँ भी उभर कर आ आएंगी…”

“तो क्या हुआ तेरे (मम्मे).. इतने बड़े-बड़े जो है... क्या साइज बताया था तूने अपना? हां, 34dd... वैसे भी तू 25 साल की है लेकिन लगती 20 की है इस उम्र में फैशन नहीं करेगी तो कब करेगी?” कमला मौसी थोड़ा मुस्कुराई,और फिर बोली, “ठीक है अगर तुझे इतनी शर्म आती है तो ऊपर से एक दुपट्टा ले लेना लेकिन सिर्फ सीना ढकने के लिए.... पर बाहें खुली रखना और हां बालों में चोटी करने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक अच्छा सा जुड़ा बांध ले... अब जल्दी कर तैयार हो जा मैं तेरे लिए Uber बुला कर देती हूँ... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा”

क्रमशः
 
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DARK WOLFKING

Supreme
15,545
31,865
244
majedar kahani hai ..
mala ko malai bana diya kamla mausi ne ..
mala ka pati koi khas mard nahi hai aur khush bhi nahi kar pata isliye kamla mausi fikr karti hai mala ki .
dukan ki kamai badhne ka karan malai ka dukan par maujud rehna hi hai ..
ab sachin uncle ka laane ke liye bina bra ke kapde pehenkar jaane ki salaah di hai malai ko .
 

Arjun007

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454
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वाह बहुत ही बढिया कहानी।
मलाई को ऐसा स्वादिष्ट बना दीजिये कि सब लोग चखने को बेताब हो जाये और दुकान में कुछ नँगापन शुरु किजिये
 
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