Wahh gazab ka update hai bhai#45
आँख खुली तो मैंने खुद को काली मंदिर में पड़े हुए पाया. भोर हो चुकी थी पर धुंध पसरी हुई थी . मैं घर आया आते ही मैंने भाभी को सारी बात बता दी की दोपहर में निशा उस से मिलेगी तय स्थान पर . मैं कुछ खाने के लिए चाची के घर में घुसा ही था की चंपा मिल गयी मुझे
चंपा- कहाँ गायब था तू
मैं- तू तो पूछ ही मत,
चंपा- मैं नहीं तो और कौन पूछेगी .
मैं- मैं पूछने का हक़ खो दिया है तूने , तूने मुझसे झूठ बोला .
चंपा- भला मैं क्यों झूठ बोलने लगी तुझसे
मैं- तो फिर बता उस रात तू घर से बाहर क्या कर रही थी .
चंपा- बताया तो सही
मैं- मुझे सच जानना है , हर बात का दोष मंगू पर नहीं डाल सकती तू
मेरी बात सुन कर चंपा खामोश हो गयी .
मैं- दरअसल दोष तेरा नहीं है दोष मेरा है जो मैं इस काबिल नहीं बन पाया की तू अपना मन खोल सके मेरे आगे. कोई नहीं मैं नहीं पूछता
मैंने कहा और रसोई की तरफ चल दिया. चंपा की ख़ामोशी मेरा दिल तोड़ रही थी . इस सवाल का जवाब मुझे ही तलाशना था .
खैर, अब इंतज़ार दोपहर का था मैंने व्यवस्था कर ली थी की छिप कर दोनों में क्या बात हुई सुन सकू. भाभी चूँकि, राय साब के परिवार की बहु थी मंदिर खाली करवाना उसके लिए कोई बड़ी बात थोड़ी न थी . तय समय पर भाभी मंदिर में पहुँच गयी . थोड़ी देर बीती, फिर और देर हुई और देर होती गयी . भाभी को भी अब खीज होने लगी थी . और मैं भी निशा के न आने से परेशां हो गया था .
“मैं जानती थी कोई नहीं आने वाला ” भाभी ने खुद से कहा .
तभी मंदिर के बाहर लगा घंटा जोर से गूँज उठा . अचानक से ही मेरी धडकने बढ़ सी गयी .मैंने देखा निशा सीढिय चढ़ कर उस तरफ आ रही थी जहा भाभी खड़ी थी . सफ़ेद घाघरा-चोली में निशा सर्दियों की खिली धुप सी जगमगा रही थी . माथे से होते हुए गालो को चूमती उसकी लटे अंधेरो में मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था . उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था . ना सुख की शान न दुःख की फ़िक्र.
कोई और लम्हा होता तो मैं थाम लेता उसके हाथ को अपनेहाथ में . निशा किसी बिजली सी भाभी के नजदीक से निकली और माता की प्रतिमा के पास जाकर बैठ गयी .
“ ए लड़की किसी ने तुझे बताया नहीं की मंदिर में प्रवेश को हमने मना किया है थोड़े समय बाद आना तू ” भाभी ने कहा
“मैंने सुना है ये इश्वर का घर है और इश्वर के घर में कोई कभी भी आ जा सकता है ” निशा ने बिना भाभी की तरफ देखे कहा
भाभी- कोई और दिन होता तो मैं सहमत होती तुझसे पर आज मेरा कोई काम है तू बाद में आना
निशा- हमारे ही दीदार को तरफ रही थी आँखे तुम्हारी और हम ही से पर्दा करने को कह रही हो तुम
जैसे ही निशा ने ये कहा भाभी की आँखे हैरत से फ़ैल गयी .
“तो.... तो...... तो तुम हो वो ” भाभी बस इतना बोल पायी
निशा- तुम्हे क्या लगा , और किस्मे इतनी हिम्मत होगी की राय साहब की बहु के फरमान के बाद भी यहाँ पैर रखेगा.
भाभी ने ऊपर से निचे तक निशा का अवलोकन किया
निशा- अच्छी तरह से देख लो. मैं ही हूँ
भाभी- पर तुम ऐसी कैसे हो सकती हो
निशा- तुम ही बताओ फिर मैं कैसी हो सकती हूँ
भाभी के पास कोई जवाब नहीं था निशा की बात का .
निशा- तुमने कभी इसे भी साक्षात् नहीं देखा फिर भी इस पत्थर की मूर्त को तू पूजती है न मानती है न जब तू इसके रूप पर कोई सवाल नहीं करती तो मेरे रूप पर आपति कैसी . खैर मुद्दा ये नहीं है मुद्दा ये है की तुम क्यों मिलना चाहती थी मुझसे. आखिर ऐसी क्या वजह थी जो मुझे इन उजालो में आना पड़ा
भाभी- वजह थी , वजह है. वजह है कबीर. तुम ने न जाने क्या कर दिया है कबीर पर . वो पहले जैसा नहीं रहा .
निशा- वक्त सब को बदल देता है इसमें दोष समय का है मेरा क्या कसूर
भाभी- जब से कबीर तुझ से मिला है, वो पहले जैसा नहीं रहा . उसे तलब लगी है रक्त की , कितनी ही बार उसे पकड़ा गया है उन हालातो में जहाँ उसे बिलकुल भी नहीं होना चाहिए . ये उस पर तेरा सुरूर नहीं तो और क्या है.
निशा के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गयी .
निशा- तो फिर रोक लो न उसे, मुझसे तो वो कुछ समय पहले मिला है तेरे साथ तो वो बचपन से रहा है . क्या तेरा हक़ इतना कमजोर हो गया ठकुराइन .
निशा की बात भाभी को बड़ी जोर से चुभी .
भाभी- दाद देती हूँ इस गुस्ताखी की ये जानते हुए भी की तू कहाँ खड़ी है
निशा- समझना तो तुम्हे चाहिए . जब तुमने यहाँ मिलने की शर्त राखी थी मैं तभी तुम्हारे मन के खोट को जान गयी थी पर देख लो मैं यहाँ खड़ी हु.
भाभी- यही तो एक डाकन का यहाँ होना अनोखा है
निशा- मुझे हमेशा से इंसानों की बुद्धिमता पर शक रहा है . तुम्हे देख कर और पुख्ता हो गया .
निशा ने जैसे भाभी का मजाक ही उड़ाया
निशा- जानती है तेरा देवर क्यों साथ है मेरे. क्योंकि उसका मन पवित्र है उसने मेरी हकीकत जानने के बाद भी मुझसे घृणा नहीं की. उसे मुझसे कोई डर नहीं है जैसा वो तेरे साथ है वैसे ही मेरे साथ . वो उस पहली मुलाकात से जानता था की मैं डाकन हु. न जाने वो मुझमे क्या देखता है पर मैं उसमे एक सच्चा इन्सान देखती हूँ . तुझे तो अभिमान होना चाहिए तेरी परवरिश पर , पर तू न जाने किस भाव से ग्रसित है
भाभी- मैं अपनी परवरिश को संभाल लुंगी . तुझसे मैं इतना चाहती हूँ तू कबीर को अपने चंगुल से आजाद कर . कुछ ऐसा कर की वो भूल जाये की कभी तुझसे मिला भी था वो . बदले में तुझे जो चाहिए वो दूंगी मैं तू चाहे जो मांग ले .
भाभी की बात सुन कर निशा जोर जोर से हंसने लगी. उसकी हंसी मंदिर में गूंजने लगी .
निशा- क्या ही देगी तू मुझे . हैं ही क्या तेरे पास देने को. ठकुराइन , मै अच्छी तरह से जानती हूँ एक डाकन और इन्सान का कोई मेल नहीं . मैं अपनी सीमाए समझती हूँ और तेरा देवर अपनी हदे जानता है . तू उसकी नेकी पर शक मत कर . ये दुनिया इस पत्थर की मूर्त को पुजती है वो तुझे पूजता है . इसके बराबर का दर्जा है उसके मन में तेरा .
भाभी- फिर भी मैं चाहती हूँ की तू उसकी जिन्दगी से निकल जा. दूर हो जा उस से.
निशा- इस पर मेरा कोई जोर नहीं ये नियति के हाथ में है
भाभी- कबीर की नियति मैं लिखूंगी
निशा- कर ले कोशिश कौन रोक रहा है तुझे.
भाभी- तू देखेगी, मैं देखूंगी और ये सारी दुनिया देखेगी .
निशा- फ़िलहाल तो मुझे तेरी झुंझलाहट दिख रही है ठकुराइन
भाभी- मेरे सब्र का इम्तिहान मत ले डाकन
निशा- मुद्दत हुई मेरा सब्र टूटे तेरी अगर यही जिद है तो तू भी कर ले अपने मन की , मुझे चुनोती देने का अंजाम भी समझ लेना . डायन एक घर छोडती है वो घर कबीर का था ........... सुन रही है न तू वो घर कबीर का था .
भाभी- मुझे चाहे को करना पड़े. एक से एक तांत्रिक, ओझा बुला लाऊंगी . पर इस गाँव और मेरे देवर पर आये संकट को जड से उखाड़ फेंकुंगी मैं
निशा- मैं इंतज़ार करुँगी .और तुम दुआ करना की दुबारा मुझे अंधेरो से इन उजालो की राह न देखनी पड़े................
Aur ab Kabir Champa ke upar emotional dabav dala hai ki wo sach bta de ki wo kya karne bahar gyi thi dekhte hai Champa aage kya karegi
Aur udhar bhabhi aur Nisha ki mulakat bhi karwa diye aur baato se pta chal raha ki bhabhi chahti hai ki Kabir sirf wo kare jitna ki bhabhi use karne ko kahe inki baato se yhi pratit hota hai aur to aur wo Kabir ko hi wo un sb hatyao ka khooni manti hai ya bhabhi bs apni zidd dikhana chahti hai Kabir ke upar
Aur Nisha ko bhi damki de chuki hai wo kuch bhi karengi Nisha se Kabir ko dur karne ke liye aur Nisha ne bhabhi ko bhi chetya hai ki use dobara wapas is ujale me na milna pade
Dekhte hai aage kya hoga