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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 4 तीसरा दिन

नौका विहार

Update 2

अपराध बोध

“आआआआहह……” मैं उत्तेजना से सिसकने लगी. विकास मेरी पूरी बायीं चूची को जीभ लगाकर छत रहा था और दायीं चूची को हाथों से सहला रहा था. मैं हाथ नीचे ले जाकर उसके खड़े लंड को सहलाने लगी. फिर वो मेरी दायीं चूची के निप्पल को ज़ोर से चूसने लगा जैसे उसमें से दूध निकालना चाह रहा हो. और बायीं चूची को ज़ोर से मसल रहा था , इससे मुझे बहुत आनंद मिल रहा था. जब उसने मेरी चूचियों को छोड़ दिया तो मैंने देखा चाँद की रोशनी में मेरी चूचियाँ विकास की लार से पूरी गीली होकर चमक रही थीं. मेरे निपल्स उसने सूज़ा दिए थे. शरम से मैंने आँखें बंद कर ली.

विकास अब मेरे चेहरे और गर्दन को चाट रहा था. पहली बार मेरे पति की बजाय कोई गैर मर्द मेरे बदन पर इस तरह से चढ़ा हुआ था. पर जो आनंद मेरे पति ने दिया था निश्चित ही उससे ज़्यादा मुझे अभी मिल रहा था. विकास के हाथ मेरी चूचियों पर थे और हमारे होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे. हम दोनों एक दूसरे के होंठ चबा रहे थे और एक दूसरे की लार का स्वाद ले रहे थे. फिर विकास खड़ा हो गया और मेरे निचले बदन पर उसका ध्यान गया.

विकास – मैडम , प्लीज़ ज़रा पलट जाओ.

मैं नाव के फर्श पर लेटी हुई थी और अब नीचे को मुँह करके पलट गयी. मेरी पैंटी सिर्फ़ मेरे नितंबों के बीच की दरार को ही ढक रही थी , इसलिए विकास की आँखों के सामने मेरी बड़ी गांड नंगी ही थी. पैंटी उतरने से मेरी चूत के आगे लगा पैड गिर जाता इसलिए विकास ने नितंबों के बीच की दरार से पैंटी के कपड़े को उठाया और दाएं नितंब के ऊपर खिसका दिया. फिर उसने मेरी जांघों को फैलाया और मेरी गांड की दरार में मुँह लगाकर जीभ से चाटने लगा.

“उूउऊहह……”

मैं कामोत्तेजना से काँपने लगी. मेरी नंगी गांड को चाटते हुए विकास भी बहुत कामोत्तेजित हो गया था. पहले उसने मेरे दोनों नितंबों को एक एक करके चाटा फिर दोनों नितंबों को अपनी अंगुलियों से अलग करके मेरी गांड की दरार को चाटने लगा. वो मेरी गांड के मुलायम माँस पर दाँत गड़ाने लगा और मेरी गांड के छेद को चाटने लगा. उसके बाद विकास मेरी गांड के छेद में धीरे से अंगुली करने लगा.

“आआआअहह…… ओह्ह ….”

उसकी अंगुली के अंदर बाहर होने से मेरी सांस रुकने लगी. उसने छेद में अंगुली की और उसे इतना चाटा की मुझे लगा छेद थोड़ा खुल रहा है और अब थोड़ा बड़ा दिख रहा होगा. मैंने भी अपनी गांड को थोड़ा फैलाया ताकि छेद थोड़ा और खुल जाए.

विकास – बाबूलाल , नाव में तेल है क्या ?

मैं विकास के अचानक किए गये सवाल से काँप गयी. कामोत्तेजना में मैं तो भूल ही गयी थी की नाव में कोई और भी है जो हमारी कामक्रीड़ा देख रहा है.

बाबूलाल – हाँ विकास भैय्या. मैं ला के दूँ क्या ?

विकास ने हाँ में सर हिलाया और वो एक छोटी तेल की शीशी ले आया. मैं नीचे को मुँह किए लेटी थी इसलिए मुझे बाबूलाल के सिर्फ़ पैर दिख रहे थे. वो मेरे नंगे बदन से सिर्फ़ एक फीट दूर खड़ा था. तेल देकर बाबूलाल चला गया. विकास ने अपने खड़े लंड पर तेल लगाकर उसे चिकना किया.

विकास – मैडम अब आपको थोड़ा सा दर्द होगा पर उसके बाद बहुत मज़ा आएगा.

अब तेल से भीगे हुए लंड को उसने मेरी गांड के छेद पर लगाया.

“विकास प्लीज़ धीरे से करना….”

मैंने विकास से विनती की. विकास ने धीरे से झटका दिया , उसके तेल से चिकने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद में घुसने लगा. लंड को गांड में अंदर घुस नहीं पाया. मैंने नाव के फर्श को पकड़ लिया . विकास ने मेरे बदन के नीचे हाथ घुसाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा.

“ओह्ह …..बहुत मज़ा आ रहा है……”

मैंने विकास को और ज़्यादा मज़ा देने के लिए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर को धकेला और अपनी कोहनियों के बल लेट गयी . इससे मेरी चूचियाँ हवा में उठ गयी और दो आमों की तरह विकास ने उन्हें पकड़ लिया. सच कहूँ तो मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था पर शुक्र था की विकास ने तेल लगाकर चिकनाई से थोड़ा आसान कर दिया था. और वैसे भी वो किसी हड़बड़ाहट में नही था बल्कि बड़े आराम आराम से मेरी गांड पर टकरा रहा था. हम दोनों ही धीरे धीरे से कामक्रीड़ा कर रहे थे. वो धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था और मैं अपनी गांड पीछे को धकेल रही थी , अब उसने धक्के लगाने शुरू किए और मैं उसके हर धक्के के साथ कामोन्माद में डूबती चली गयी.

मेरे पति ने पहले कई बार मेरी गांड मरी थी पर आज गांड टाइट हो गयी थी या विकास का लंड बड़ा था पर विकास का लंड अंदर नहीं घुस रहा था.

कुछ देर तक वो धक्के लगाते रहा और मैं काम सुख लेती रही. कुछ देर बाद मैं चरम पर पहुँच गयी और मुझे ओर्गास्म आ गया.

“आआआअहह……ओह्ह ….”

पैंटी में लगे पैड को मैंने चूतरस से पूरा भिगो दिया. मेरे साथ ही विकास भी झड़ गया. हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे और ठंडी हवा और नदी की पानी के आवाज़ को सुनते हुए नाव में उस प्यारी रात का आनंद लेते रहे. फिर विकास उठा और अपने अंडरवियर से मेरी गांड में लगा हुआ अपना वीर्य साफ किया. मुझे पता भी नही चला था की कब उसने अपना अंडरवियर उतार दिया था और वो पूरा नंगा कब हुआ. मेरी गांड पोंछने के बाद उसने मेरी पैंटी के सिरों को पकड़कर मेरे दोनों नितंबों के ऊपर फैला दिया. अब मैं कोई शरम नही महसूस कर रही थी , वैसे भी मुझे लगने लगा था की अब मुझमें थोड़ी सी ही शरम बची थी. फिर मैं सीधी हुई और बैठ गयी , मेरा मुँह बाबूलाल की तरफ था. वो मेरी नंगी चूचियों को घूर रहा था. लेकिन मैंने उन्हें छुपाने की कोशिश नही की बल्कि बाबूलाल की तरफ पीठ कर दी. मैंने विकास के लंड को देखा जो अब सारा रस निकलने के बाद केले की तरह नीचे को लटक रहा था.


“विकास , प्लीज़ मेरे कपड़े दो. मैं ऐसी हालत में अब और नही रह सकती.”

विकास – बाबूलाल , मैडम के कपड़े ले आओ. मैडम , अब तुम नदी के किनारे की तरफ जाना चाहोगी या कुछ देर और नदी में ही ?

“यहीं थोड़ा और वक़्त बिताते हैं.”

विकास – ठीक है मैडम, अभी बैलगाड़ी के मंदिर में आने में कुछ और वक़्त बाकी है.

बाबूलाल ने विकास को मेरे कपड़े लाकर दिए और मैं जल्दी से कपड़े पहनने लगी . मैंने ब्रा पहनी और विकास ने पीछे से हुक लगा दिया. मैं इतना कमज़ोर महसूस कर रही थी की मैंने उसके ‘पति की तरह’ व्यवहार को भी मंजूर कर लिया. मेरी ब्रा का हुक लगाने के बाद वो फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगा.

“विकास अब मत करो. दर्द कर रहे हैं.”

विकास – लेकिन ये तो फिर से तन गये हैं मैडम.

मेरे तने हुए निपल्स को छूते हुए विकास बोला. वो ब्रा के ऊपर से ही अपने अंगूठे और अंगुली के बीच निपल्स को दबाने लगा. मैंने भी उसके मुरझाए हुए लंड को पकड़कर उसको माकूल जवाब दिया.

“लेकिन ये तो तैयार होने में वक़्त लेगा, डियर.”

हम दोनों हंस पड़े और एक दूसरे को आलिंगन किया. फिर मैंने ब्लाउज पहन लिया और पेटीकोट अपने ऊपर डाल लिया. विकास ने मुझे साड़ी नही पहनने दी और कुछ देर तक उसी हालत में बिठाए रखा.

विकास – मैडम, ऐसे तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.

बाबूलाल को भी काफ़ी देर तक मेरे आधे ढके हुए बदन को देखने का मौका मिला और इस नाव की सैर के हर पल का उसने भरपूर लुत्फ़ उठाया होगा. समय बहुत धीरे धीरे खिसक रहा था और उस चाँदनी रात में ठंडी हवाओं के साथ नाव नदी में आगे बढ़ रही थी. हम दोनों एक दूसरे के बहुत नज़दीक़ बैठे हुए थे, एक तरह से मैं विकास की गोद में थी और उस रोमांटिक माहौल में मुझे नींद आने लगी थी. नाव चुपचाप आगे बढ़ती रही और मुझे ऐसा लग रहा था की ये सफ़र कभी खत्म ही ना हो.

नाव चुपचाप आगे बढ़ती रही और मुझे ऐसा लग रहा था की ये सफ़र कभी खत्म ही ना हो.

तभी विकास की आवाज़ ने चुप्पी तोड़ी.

विकास – मैडम , जानती हो अब मुझे अपराधबोध हो रहा है.

“तुम ऐसा क्यूँ कह रहे हो?”

विकास – मैडम , आज पहली बार मैंने गुरुजी के निर्देशों की अवहेलना की है. उन्होने मंदिर में आरती के लिए ले जाने को बोला था और हम यहाँ आकर मज़े कर रहे हैं.

वहाँ का वातावरण ही इतना शांत था की आदमी दार्शनिक बनने लग जाए. मुझे लगा विकास का भी यही हाल हो रहा है.

“लेकिन विकास, लक्ष्य तो मुझे……..”

विकास – नही नही मैडम . मैं अपने आचरण से भटक गया. अब मुझे बहुत अपराधबोध हो रहा है.

“कभी कभी जिंदगी में ऐसी बातें हो जाती हैं. विकास मुझे देखो. मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और मैं भी तुम्हारे साथ बहक गयी.”

विकास – मैडम , तुम्हारी ग़लती नही है. तुम यहाँ अपने उपचार के लिए आई हो और गुरुजी के निदेशों के अनुसार तुम्हारा उपचार चल रहा है. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं एक अपराधी हूँ. जो कुछ भी मैंने किया उसे मैं कभी भी गुरुजी को बता नही सकता , मुझे ये बात उनसे छुपानी पड़ेगी.

विकास कुछ देर चुप रहा . फिर बोलने लगा. वो एक दार्शनिक की तरह बोल रहा था.

विकास – मैडम , क्या कोई ऐसी घटना हुई है जिसके बाद तुम्हें गिल्टी फील हुआ हो ? जब तुमने मजबूरी या अंजाने में कुछ किया हो ? अगर नही तो फिर तुम नही समझ पाओगी की इस समय मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ.

मैं सोचने लगी. तभी मुझे याद आया…..

“हाँ विकास, शायद तुम सही हो.”


कहानी जारी रहेगी
 
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औलाद की चाह

027


CHAPTER 4 तीसरा दिन

पुरानी यादें - Flashback

Update 1


विकास – मैडम , तुम्हें याद है उस दिन तुम्हारी मनस्थिति कैसी थी ? तब तुम मेरी मनस्थिति समझ पाओगी.

“हम्म्म …….विकास मेरे जीवन में भी एक ऐसी घटना हुई है, पर तब मैं छोटी थी.”

विकास – उम्र से कोई फरक नही पड़ता मैडम, बात भावनाओं की है. मुझे बताओ क्या हुआ था तुम्हारे साथ ?

मैंने गहरी सांस ली, विकास ने मेरे पुराने दिनों की घटना को याद करने पर मजबूर कर दिया था.

“लेकिन विकास, ये कोई ऐसी घटना नही है जिसे मैं गर्व से सुनाऊँ. वो तो मेरे ह्युमिलिएशन की कहानी है पर उस उम्र में मैं नासमझ थी और इस बात को नही समझ पाई थी.”

विकास – देखो मैडम , कुछ हो जाने के बाद ही समझ आती है. तुम्हारी घटना में , उस दिन हो सकता है तुम्हारी कुछ विवशता रही होगी. वही मेरे साथ भी हुआ. आज सुबह अगर तुमने मुझ पर ज़ोर नही डाला होता तो शायद मैं गुरुजी के निर्देशों की अवहेलना करने की हिम्मत नही कर पाता.

“हम्म्म ……ठीक है अगर तुम इतने ही उत्सुक हो तो मैं तुम्हें सब कुछ बताने की कोशिश करती हूँ की उस दिन क्या हुआ था….”


फ्लॅशबॅक (Flashback) :-


मुझे आज भी अच्छी तरह से वो दिन याद है, तब मैं 18 बरस की थी और स्कूल में पढ़ती थी. वो शनिवार का दिन था. सीतापुर में हमारा संयुक्त परिवार था. मेरे पिताजी और चाचजी का परिवार एक ही साथ रहता था. मेरी दादीजी भी तब जिंदा थी. इतने लोग होने से घर में हर समय कोई ना कोई रहता था. पर उस दिन कुछ अलग था. मेरी मा के एक रिस्त्ेदार की मृत्यु हो गयी थी तो मेरी मा, पिताजी, चाचिजी और मेरी दीदी नेहा सब उस रिस्त्ेदार के घर चले गये. मेरी दादीजी भी उनके साथ चली गयी. मैं घर में अकेली रह गयी. मेरे चाचू नाइट ड्यूटी पर थे , जब वो ड्यूटी से वापस आए तक तक सब लोग जा चुके थे.

चाचू अपनी नाइट ड्यूटी से सुबह 8 बजे वापस आते थे और फिर नाश्ता करके अपने कमरे में सोने चले जाते थे फिर दोपहर में उठते थे. हमारे घर में रोज़ सुबह 6 बजे आया आती थी , वो खाना बनती थी, कपड़े धोती थी और झाड़ू पोछा करके चली जाती थी. उस दिन मेरी छुट्टी थी , चाचू सोने चले गये तो मैं अकेली बोर होने लगी. फिर मैंने सोचा नेहा दीदी की अलमारी में से कहानियाँ या फिल्मी कितबे निकालकर पड़ती हूँ. वो मुझे कभी अपनी किताबों में हाथ नही लगाने देती थी. ‘तेरे मतलब की नही हैं’ कहती थी इसलिए मुझे बड़ी इक्चा होती थी की उन किताबों में क्या है . आज मेरे पास अक्चा मौका था. हमारे घर में रदिवादी माहौल था और मुझे लड़कियों के स्कूल में पदाया गया , मैं उस समय मासूम थी, उत्सुकता होती थी पर जानती कुछ नही थी.

मैंने चाचू के कमरे में झाँका, सो रहे हैं या नही. चाचू लापरवाही से सो रहे थे. उनकी लुंगी कमर तक उठी हुई थी. उनकी बालों से भारी टाँगे नंगी थी. उनका नीले रंग का कच्छा भी दिख रहा था. कच्छे में कुछ उभार सा दिख रहा था. मुझे कुछ समझ नही आया वो क्या था, मैंने धीरे से उनका दरवाज़ा बंद किया और चली आई. फिर दीदी की अलमारी खोलकर उसमें किताबें ढोँढने लगी. नेहा दीदी उन दीनो कॉलेज में पड़ती थी. मैंने देखा वो फिल्मी किताबें नही थी पर हिन्दी कहानियों की किताबें थी. उन कहानियों के नाम बड़े अजीब से थे, जैसे ‘नौकरानी बनी बीवी, रुक्मिणी पहुची मीना बेज़ार, डॉक्टर या शैतान, भाभी मेरी जान’ वगेरेह वगेरेह.

हर कहानी के साथ पिक्चर्स भी थी और उनमें कुछ पिक्चर्स बहुत कम कपड़े पहने हुए लड़कियों और औरतों की भी थी. उन पिक्चर्स को देखकर मेरे कान गरम होने लगे और मेरे बदन में कुछ होने लगा. एक कहानी में बहुत सारी पिक्चर्स थी, एक आदमी एक लड़की को होठों पर चुंबन ले रहा था, दूसरी फोटो में दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ दबा रहा था वो लड़की सिर्फ़ ब्रा पहने थी. अगली फोटो में वो आदमी उसकी नंगी टॅंगो को चूम रहा था और लड़की से सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी. लास्ट फोटो में लड़की ने ब्रा भी नही पहनी हुई थी और वो आदमी उसके निपल्स को चूस रहा था. वो फोटोस देखकर मेरी साँसे भारी हो गयी और मैंने जल्दी से किताब बंद कर दी.

“रश्मि , रश्मि….”

चाचू मुझे आवाज़ दे रहे थे.

“आ रही हूँ चाचू, एक मिनट…”

मैंने जल्दी से वो किताबें दीदी की अलमारी में रखी और चाचू के पास चली गयी. जब मैं चाचू के कमरे में पहुँची तो अभी भी मेरी साँसे भारी थी. मैंने नॉर्मल दिखने की कोशिश की पर…

चाचू – रश्मि , दो कदम चलने में तू हाँफ रही है ? क्या बात है ?

“कुछ नही चाचू, ऐसे ही.”

चाचू मेरी चुचियों की तरफ देख रहे थे. मेरे टॉप और ब्रा के अंदर चुचियाँ मेरी गहरी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी. मैंने बात बदलनी चाही.

“चाचू आप मुझे बुला रहे थे , कोई काम है क्या ?”

खुसकिस्मती से चाचू ने उस बात पर ज़ोर नही दिया की मैं क्यूँ हाँफ रही थी. पर मेरे दोनो संतरों को घूरते हुए उन्होने मुझसे फल काटने वाला चाकू लाने को कहा. मैं उनके कमरे से चली आई और सबसे पहले अपने को शीशे में देखा. मैं तोड़ा हाँफ रही थी और उससे मेरा टॉप तोड़ा उठ रहा था. उस समय मेरी चुचियाँ छोटी पर कसी हुई थी एकद्ूम नुकीली. तब मैं पतली थी पर मेरे नितंब बाकी बदन के मुक़ाबले कुछ भारी थे. उन दीनो मैं घर में टॉप और स्कर्ट पहनती थी.

उन दीनो मेरी लंबाई बाद रही थी और मेरी स्कर्ट जल्दी जल्दी छोटी हो जाती थी. मेरी मम्मी बाहर के लिए लंबी और घर के लिए छोटी स्कर्ट पहेन्ने को देती थी. वो पुरानी स्कर्ट को फेंकती नही थी. घर में छोटी स्कर्ट पहनने पर मम्मी कुछ नही कहती थी पर बाहर के लिए वो ध्यान रखती थी की घुटनो से नीचे तक लंबी स्कर्ट ही पहनु. मैं दीदी के साथ सोती थी और सोते समय मैं पुरानी स्कर्ट पहन लेती थी जो बहुत छोटी हो गयी थी.

पिछले दो साल से मैं घर पे भी हमेशा ब्रा पहने रखती थी. क्यूंकी मेरी मम्मी कहती थी,”तेरी दूध अब बड़ी हो गयी है रश्मि. हमेशा ब्रा पहना कर.”

मैंने चाकू लिया और चाचू के कमरे में चली गयी. जब मैं अंदर घुसी तो वो कपड़े बदल रहे थे. अगर चाची घर में होती तो वो निसचीत ही टॉवेल यूज करते या दीवार की तरफ मुँह करते , लेकिन आज वो खुले में क्पडे बदल रहे थे. मुझे ऐसा लगा जैसे वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे. जैसे ही मैं अंदर आई वो अपनी लुंगी उतरने लगे. बनियान उन्होने पहले ही उतार दी थी. अब वो सिर्फ़ कच्छे में थे. मैंने शरम से नज़रें झुका ली और चाकू टेबल पर रखकर जाने लगी.

चाचू – रश्मि , अलमारी से मेरी एक लुंगी देना.

“जी चाचू…”

ने अलमारी खोली और एक लुंगी निकाली. जब मैं मूडी तो देखा चाचू मुझसे सिर्फ़ दो फीट पीछे खड़े हैं. वो बड़े अजीब लग रहे थे , पुर नंगे सिर्फ़ एक कच्छे में, और उस कच्छे में बड़ा सा उभार सॉफ दिख रहा था. मुझे बहुत अनकंफर्टबल महसूस हो रहा था और बार बार मेरी निगाहें उनके कच्छे पर चली जा रही थी. मैंने चाचू को लूँगी दी और जल्दी से कमरे से बाहर आ गयी. मैं अपने कमरे में आकर सोचने लगी आज चाचू अजीब सा व्यवहार क्यूँ कर रहे हैं. ऐसे मेरे सामने तो उन्होने कभी अपने कपड़े नही उतारे थे.

दीदी की किताबें देखकर मुझे पहले ही कुछ अजीब हो रहा था और अब चाचू के व्यवहार से मैं और कन्फ्यूज़ हो गयी. दिमाग़ को शांत करने के लिए मैंने हेडफोन लगाया और म्यूज़िक सुनने लगी.आधे घंटे बाद मैं नहाने चली गयी. हमारा घर पुराना था इसलिए उसमेंसबके लिए एक ही बाथरूम था. मैंने दूसरे कपड़े लिए, फिर ब्रा पैंटी और टॉवेल लेकर नहाने के लिए बाथरूम चली गयी.

हमारा घर पुराना था इसलिए उसमें सबके लिए एक ही बाथरूम था. मैंने दूसरे कपड़े लिए, फिर ब्रा, पैंटी और टॉवेल लेकर नहाने के लिए बाथरूम चली गयी.

मैंने नहा लिया था तभी चाचू की आवाज़ आई…….

चाचू – रश्मि, एक बार दरवाज़ा खोल जल्दी, मेरी अंगुली कट गयी है.

धप, धप……चाचू बाथरूम के दरवाज़े को खटखटा रहे थे. पर मैं उलझन में थी. क्यूंकी मैंने नहा तो लिया था पर मैं नंगी थी और मेरा बदन पानी से गीला था.

“चाचू मैं तो नहा रही हूँ.”

चाचू – रश्मि , मेरा बहुत खून निकल रहा है, जल्दी से दरवाज़ा खोल.

चाचू दरवाज़ा खोलने पर ज़ोर दे रहे थे इसलिए मैं जल्दी जल्दी अपने गीले बदन को टॉवेल से पोछने लगी.

“चाचू, एक मिनट प्लीज़. कपड़े तो पहनने दो.”

चाचू अब कठोर आवाज़ में हुक्म देने लगे.

चाचू – इतना खून निकल रहा है इधर, तुझे कपड़े की पड़ी है. तू नंगी ही निकल आ.

चाचू की बेहूदी बात सुनकर मुझे झटका लगा पर मैंने सोचा शायद उनका बहुत खून निकल रहा है इसलिए वो चाह रहे हैं की मैं बाथरूम से तुरंत बाहर आ जाऊँ. मैं जल्दी जल्दी टॉवेल से बदन पोछने लगी पर चाचू अधीर हो रहे थे.

चाचू – रश्मि , क्या हुआ ? अरे नंगी आने में शरम आती है तो टॉवेल लपेट ले. लेकिन भगवान के लिए जल्दी निकल.

“जी चाचू.”

मैंने जल्दी से अपने बदन पर टॉवेल लपेट लिया लेकिन मुझे लग रहा था की मेरे जवान बदन को टॉवेल अच्छे से नही ढक पा रहा है. लेकिन इस बारे में सोचने का वक़्त नही था क्यूंकी चाचू दरवाज़े को पीटने लगे थे और मुझे दरवाज़ा खोलना पड़ा. दरवाज़ा खोलते ही चाचू तुरंत अंदर घुस आए और नल के निचे हाथ दे दिए

खून इतना भी नहीं निकला था जितना हल्ला वो मचा रहे थे और ज़बरदस्ती मुझसे दरवाज़ा खुलवा लिया था , उसे देखकर तो मुझे लगा था शायद ज़्यादा कट गया होगा.

चाचू – कितना खून निकल रहा है, देख रश्मि.

“हाँ चाचू.”


कहानी जारी रहेगी
 
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028

CHAPTER 4 तीसरा दिन

पुरानी यादें - Flashback

Update 2


मुझे चाचू के खून से ज़्यादा अपने बिना कपड़ों के बदन की फिक्र हो रही थी. मैंने टॉवेल से अपनी हिलती डुलती चूचियों को ढक रखा था पर मेरी गोरी जाँघें और टाँगें पूरी नंगी थीं. मैंने अपनी चूचियों के ऊपर टॉवेल में गाँठ लगा रखी थी पर मुझे हिलने डुलने में डर लग रहा था , कहीं टॉवेल खुल ना जाए और मैं नंगी हो जाऊँ. चाचू अपनी अंगुली धोते हुए बीच बीच में मुझे देख रहे थे.

चाचू – रश्मि , तू तो अब सचमुच बड़ी हो गयी है.

मैं हँसी और मासूमियत से जवाब दिया.

“चाचू , आज मालूम पड़ा आपको ?”

चाचू – नही रश्मि वो बात नही. टॉवेल में तो तुझे आज पहली बार देख रहा हूँ ना , इसलिए.

मैं शरमा गयी और खी खी कर हँसने लगी. मुझे समझ ही नही आया क्या जवाब दूँ.

चाचू – आज तक टॉवेल में तो मैंने सिर्फ़ तेरी चाची को देखा है.

हम दोनों हंस पड़े.

चाचू – गुड , अब खून बहना लगभग रुक गया है . अब किसी चीज़ को लपेट लेता हूँ.

ऐसा कहते हुए चाचू इधर उधर देखने लगे. मैंने अपने कपड़े उतार कर धोने के लिए बाल्टी में रखे हुए थे और पहनने वाले कपड़े , मेरी नीली स्कर्ट और सफेद टॉप हुक में लटका रखे थे. मेरी ब्रा और पैंटी नल के ऊपर रखी हुई थी क्यूंकी टॉवेल से बदन पोछकर उनको मैं पहनने ही वाली थी पर चाचू ने जल्दबाज़ी मचा कर दरवाज़ा खुलवा दिया. चाचू ने नल के ऊपर से मेरी पैंटी उठा ली, मैं तो हैरान रह गयी.

चाचू – फिलहाल इसी से काम चला लेता हूँ. बाद में पट्टी बांध लूँगा.

“पर चाचू वो तो मेरी ……”

चाचू ने मेरी गुलाबी पैंटी उठा ली थी , मैंने ऐतराज किया.

चाचू – ‘वो तो मेरी’ क्या ? तू भी ना. जा कमरे में जा और दूसरी पैंटी पहन ले.

ऐसा कहते हुए चाचू ने मेरी पैंटी को फैलाया और देखने लगे. मुझे बहुत शरम आई क्यूंकी वो अपने चेहरे के नज़दीक़ लाकर ध्यान से मेरी पैंटी को देख रहे थे. मैंने वहाँ पर खड़े रहना ठीक नही समझा और अपने कमरे में जाने लगी.

“चाचू मैं कमरे में जाकर कपड़े पहन लेती हूँ. फिर आकर आपकी पट्टी बांध दूँगी.”

चाचू – ठीक है जा, पर जल्दी आना.

अपने कमरे में आकर मैंने राहत की सांस ली और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया. इतनी देर तक चाचू के पास नंगे बदन पर सिर्फ टॉवेल लपेट कर खड़े रहने से अब मेरी साँसें भारी हो गयी थीं. मैंने कपड़ों की अलमारी खोली और एक सफेद ब्रा और सफेद पैंटी निकाली. उसके ऊपर नीला टॉप और मैचिंग नीली स्कर्ट पहन ली. लेकिन जब मैंने अपने को शीशे में देखा तो उस नीली स्कर्ट में मेरी टाँगें दिख रही थी. वो स्कर्ट पुरानी थी और छोटी हो गयी थी. मैं हिचकिचायी की पहनूं या उतार दूं, फिर मैंने सोचा घर में ही तो हूँ. वो स्कर्ट मेरे घुटनों से ऊपर आ रही थी और मेरी आधी जाँघें दिख रही थीं.

फिर मैं चाचू की अंगुली में पट्टी बांधने उनके कमरे में चली गयी. चाचू बेड में बैठे हुए थे . जैसे ही मैं अंदर गयी उन्होंने मुझसे बड़ा अजीब सवाल पूछा.

चाचू – रश्मि, तू मुझसे झूठ क्यूँ बोली ?

मैं चाचू के पास आई. मैंने देखा उन्होंने अपनी अंगुली में मेरी गुलाबी पैंटी को लपेट रखा है. ये देखकर मुझे बहुत शरम महसूस हुई.

“झूठ ? कौन सा झूठ चाचू ?”

चाचू – तू बोली की ये तेरी पैंटी है.

“हाँ चाचू , ये मेरी ही तो है.”

चाचू – एक बात बता रश्मि. तू तेरी चाची से बड़ी है या छोटी ?

मुझे समझ नही आ रहा था , चाचू कहना क्या चाहते हैं.

“छोटी हूँ. चाचू ये भी कोई पूछने वाली बात है ?”

चाचू – वही तो. अब बोल की ये कैसे हो सकता है की तेरी चाची तुझसे छोटी पैंटी पहनती है ?

“क्या..??”

मुझे आश्चर्य हुआ और चाचू के ऐसे भद्दे कमेंट पर झुंझुलाहट भी हुई. पर चाचू बात को लंबा खींचते रहे.

चाचू – तू जब चली गयी तो मैंने देखा की ये पैंटी तो तेरी चाची जो पहनती है उससे बड़ी है. ये कैसे हो सकता है ?

मैं मासूमियत से बहस करते रही पर इससे सिचुयेशन मेरे लिए और भी ज़्यादा ह्युमिलियेटिंग हो गयी.

“चाचू, आप को कैसे पता होगा चाची के अंडरगार्मेंट्स के बारे में ? आप तो खरीदते नही हो उनके लिए .”

चाचू – सिर्फ़ खरीदने से ही पता चलता है ? रश्मि तू भी ना.

“चाचू , आप हवा में बात करोगे तो मैं मान लूँगी क्या ?”

चाचू – रश्मि, मैं तेरी चाची को रोज देखता हूँ . सुबह नहाकर मेरे सामने पैंटी पहनती है. और तू बोल रही है मैं हवा में बात फेंक रहा हूँ ?

अपनी चाची के बारे में ऐसा कमेंट सुनकर मैं स्तब्ध रह गयी. मेरी चाची का मेरी मम्मी के मुक़ाबले भारी बदन था. उसकी बड़ी चूचियाँ और बड़े नितंब थे. मैं अपने मन में उस दृश्य की कल्पना करने लगी , जैसा की चाचू ने बताया था , चाची नहाकर बाथरूम से बाहर आ रही है और चाचू के सामने पैंटी पहन रही है.

मैं सोचने लगी , चाची क्या नंगी बाहर आती है बाथरूम से ? या फिर आज जैसे मैं निकली चाचू के सामने वैसे ?

अपने चाचू के सामने ऐसी बातें सोचकर मेरा गला सूखने लगा.

चाचू – ठीक है, तू यकीन नही कर रही है ना. मेरे साथ आ इधर.

चाचू खड़े हो गये और अपनी अलमारी के पास गये. मैं भी उनके पीछे गयी. उन्होंने अलमारी खोली और कुछ पल कपड़े उलटने पुलटने के बाद चाची की दो पैंटीज निकाली. चाचू ने चाची की पैंटी मुझे दिखाई , मेरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी. वो पैंटी इतनी छोटी थी की शरम से मेरा सर झुक गया.

चाचू – अब बोल रश्मि , क्या मैं ग़लत बोल रहा था ?

चाचू ने अपनी अंगुली से मेरी पैंटी खोल दी और चाची की पैंटी से नापने लगे.

चाचू – तू 18 साल की है और तेरी चाची 35 साल की है. दोनों की पैंटी देखकर मुझे तो उल्टा लग रहा है.

चाचू अपनी बात पर खुद ही हंस पड़े. मुझे कुछ जवाब देना था, पर जो मैंने कहा उससे मैं और भी फँस गयी.

“जी चाचू मुझे तो इसकी साइज देखकर शरम आ रही है.”

चाचू – तू शरम की बात कर रही है, लेकिन तेरी चाची तो बोलती है आजकल ये सब फैशन है. ये देख . ये सब मैगजीन्स देखके तो वो ये सब ख़रीदती है.

चाचू ने दो तीन इंग्लिश मैगजीन्स मेरे आगे रख दी. मैंने एक मैगजीन उठाकर देखी, उसका नाम ‘कॉस्मोपॉलिटन’था. मैंने उसके पन्ने पलटे तो उसमें सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहनी हुई लड़कियों की बहुत सारी फोटोज थीं. कुछ लड़कियाँ टॉपलेस भी थीं, इतनी सारी अधनंगी फोटोज देखकर मेरा सर चकराने लगा. मुझे बहुत हैरानी हुई की चाची ऐसी मैगजीन्स देखती है. मेरी मम्मी तो हमें फिल्मी मैगजीन्स भी नही देखने देती थी क्यूंकी उनमें हीरोइन्स की बदन दिखाऊ फोटोज होती थीं.

मैं चाचू के सामने ऐसी अधनंगी फोटोज देखकर बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी. मुझे समझ नही आ रहा था की क्या करूँ , कैसे इस सिचुयेशन से बाहर निकलूं ? लेकिन चाचू ने मुझे और भी ज़्यादा ह्युमिलियेटिंग बातों और सिचुयेशन में घसीट लिया.

मुझे समझ नही आ रहा था की क्या करूँ , कैसे इस सिचुयेशन से बाहर निकलूं ? लेकिन चाचू ने मुझे और भी ज़्यादा ह्युमिलियेटिंग बातों और सिचुयेशन में घसीट लिया.

चाचू – तो रश्मि मैंने साबित कर दिया ना की ये पैंटी तेरी नहीं हो सकती. मुझे लगता है की ये जरूर तेरी मम्मी की होगी.

मेरी पैंटी की तरफ इशारा करते हुए चाचू बोले. मैं अभी भी मासूमियत से अपनी बात रख रही थी.

“नहीं नहीं ये मम्मी की नहीं है. मम्मी तो …..”

मेरी ज़ुबान से मेरी मम्मी का राज चाचू के सामने खुल ही गया था की मैं चुप हो गयी. मेरी मम्मी तो अक्सर पैंटी पहनती ही नहीं थी सिर्फ पीरियड्स के दिनों को छोड़कर. लेकिन ये बात मैं चाचू से कैसे बोल सकती थी ? मैंने जल्दी से बात बदलनी चाही.

“चाचू एक काम करते हैं. चलिए मैं आपको अपनी अलमारी दिखाती हूँ , अगर उसमें इसी साइज की और भी पैंटी मिल जाएँ तब तो आपको यकीन हो जाएगा ना ?”

चाचू – ये ठीक रहेगा चल.

मैंने मन ही मन भगवान का शुक्रिया अदा किया की ठीक समय पर मैंने अपनी जबान को लगाम लगाई और मम्मी का राज खुलने से बच गया पर मुझे क्या पता था की कुछ ही देर में मुझे बहुत से राज खोलने पड़ेंगे. चाचू और मैं मम्मी के कमरे में आ गये. चाचू मेरे मम्मी पापा के बेडरूम में शायद ही कभी आते थे.

मैंने चाचू के सामने कपड़ों की अलमारी खोली. इसमें सिर्फ औरतों के कपड़े थे. मेरी मम्मी , नेहा दीदी और मेरे. उसमें तीन खाने थे. सबसे ऊपर के खाने में मम्मी के कपड़े थे, बीच वाले खाने में मेरे और सबसे नीचे वाले खाने में नेहा दीदी के कपड़े थे. मैंने अपने वाले खाने में कपड़े उल्टे पुल्टे और एक पैंटी निकालकर चाचू को दिखाई.

“ये देखिए चाचू, सेम साइज की है की नहीं ?”

चाचू ने पैंटी को पकड़ा और दोनों हाथों से फैलाकर देखने लगे. ऐसा लग रहा था की पैंटी फैलाकर वो देखना चाह रहे हैं की वो पैंटी मेरे नितंबों को कितना ढकती है. उनके खुलेआम ऐसा करने से मुझे बड़ी शरम आई. तभी उनकी नजर एक पैंटी पर पड़ी जो सबसे नीचे वाले खाने में थोड़ी बाहर को निकली थी.

चाचू – ये किसकी है ? भाभी की ?

“नहीं चाचू. ये तो नेहा दीदी की है.”

मैंने मासूमियत से जवाब दिया. चाचू ने उस पैंटी को भी निकाल लिया और दोनों पैंटी को कंपेयर करने लगे. नेहा दीदी की पैंटी भी मेरी पैंटी से थोड़ी छोटी थी. इसकी वजह ये थी की मेरी पैंटी मम्मी ख़रीदती थी और वो बड़ी पैंटी लाती थी जिससे स्कर्ट के अंदर मेरे नितंबों का अधिकतर हिस्सा ढका रहे. लेकिन नेहा दीदी अपनी पैंटी खुद ही ख़रीदती थी.

कई बार मैंने देखा था की नेहा दीदी की पैंटी उसके बड़े नितंबों को ढकती कम है और दिखाती ज़्यादा है. जब मैंने उससे पूछा,”दीदी इस पैंटी में तो तुम्हारा आधा पिछवाड़ा भी नहीं ढक रहा”. तो नेहा दीदी ने जवाब दिया, “जब तू बड़ी हो जाएगी ना तब समझेगी ऐसी पैंटी पहनने का मज़ा.”

चाचू – रश्मि ये देख. ये पैंटी भी तेरी वाली से छोटी है.

“चाचू इसमें मैं क्या कर सकती हूँ. मम्मी मेरे लिए इसी टाइप की ख़रीदती है.”

चाचू – अरे तो ऐसा बोल ना. इसीलिए मुझे समझ में नहीं आ रहा था.

भगवान का शुक्र है. चाचू को समझ में तो आया.

चाचू अभी भी नेहा दीदी की पैंटी को गौर से देख रहे थे.

चाचू – रश्मि एक बात बता. तू बोली की भाभी तेरे लिए ख़रीदती है. तो नेहा के लिए भी ख़रीदती है क्या ?

“नहीं चाचू. दीदी अपनी इनर खुद ख़रीदती है. एक दिन तो मम्मी और दीदी की इस बारे में लड़ाई भी हुई थी. मम्मी को तो इस टाइप की अंडरगार्मेंट्स बिल्कुल नापसंद है.”

चाचू – देख रश्मि, मैं तो भाभी को इतने सालों से देख रहा हूँ. वो बड़ी कन्सर्वेटिव किस्म की औरत है.

अब मैं अपने को रोक ना सकी और मासूमियत से मम्मी के निजी राज खोल दिए. उस उमर में मैं नासमझ थी और नहीं समझ पाई की चाचू बातों में फँसाकर मुझसे अंदरूनी राज उगलवा रहे हैं और उनका मज़ा ले रहे हैं.

“चाचू आप नहीं जानते , मम्मी सिर्फ मेरे और दीदी के बारे में ही कन्सर्वेटिव है.”

चाचू – नहीं नहीं , ये मैं नहीं मान सकता. भाभी जिस स्टाइल से साड़ी पहनकर बाहर जाती है. घर में जिस किस्म की नाइटी पहनती है…..


मैंने अलमारी के सबसे ऊपरी खाने से कपड़ों के नीचे दबी हुई एक नाइटी निकाली और चाचू की बात काट दी.

“ये देखिए चाचू. ये क्या कन्सर्वेटिव ड्रेस है ?”

वो गुलाबी रंग की नाइटी थी और साधारण कद की औरत के लिए बहुत ही छोटी थी.

चाचू – वाउ.

“मम्मी ये कभी कभार सोने के वक़्त पहनती है.”

चाचू – ये तो कोई फिल्मी ड्रेस से कम नहीं.

“हाँ चाचू.”

चाचू अब मम्मी की नाइटी को बड़े गौर से देख रहे थे, ख़ासकर कमर से नीचे के हिस्से को. और फैलाकर उसकी चौड़ाई देख रहे थे.

चाचू – इसकी जो लंबाई है और भाभी की जो हाइट है, ये पहनने के बाद भाभी तो आधी नंगी रहेगी. तूने तो देखा होगा तेरी मम्मी को ये पहने हुए, मैं क्या ग़लत बोल रहा हूँ रश्मि ?

चाचू की बात सुनकर मैं शरमा गयी और सिर्फ सर हिलाकर हामी भर दी. मैंने ज़्यादा बार मम्मी को इस नाइटी में नहीं देखा था.

चाचू – लेकिन इस नाइटी के साथ तो भाभी की कन्सर्वेटिव पैंटी नहीं जमेगी. इसके साथ तो तेरी चाची जैसी पहनती है, वो वाली पैंटी चाहिए.

वो कुछ पल के लिए चुप रहे फिर मुस्कुराते हुए गोला दाग दिया.

चाचू – क्या रे रश्मि, भाभी इस नाइटी के नीचे पैंटी पहनती भी है या नहीं ?

“आप बड़े बेशरम हो. क्या सब पूछ रहे हो चाचू.लेकिन मुझे याद था की एक बार मम्मी को जब मैंने ये वाली नाइटी पहने हुए देखा था तो उन्होंने इसके अंदर कुछ भी नहीं पहना था. रात को मम्मी बेड में लेटी हुई थी और पापा उस समय नहा रहे थे. मुझे मम्मी की चूत भी साफ दिख गयी थी. मुझे देखकर मम्मी ने जल्दी से अपने पैरों में चादर डाल ली थी.

चाचू नाइटी को ऐसे देख रहे थे जैसे मम्मी को उसे पहने हुए कल्पना कर रहे हों. मुझे उनकी लुंगी में उभार दिखने लगा था. वो ऐसा लग रहा था जैसे उनकी लुंगी में कोई छोटा सा पोल खड़ा हो. उसको देखते ही मैं असहज महसूस करने लगी. पर जल्दी ही चाचू की रिक्वेस्ट ने मेरी असहजता की सभी सीमाओं को लाँघ दिया.

चाचू – रश्मि तू थोड़ी हेल्प करेगी ? मैं एक चीज देखना चाहता हूँ.

“क्या चीज चाचू ?”

मैंने मासूमियत से पूछा. चाचू मेरी आँखों में बड़े अजीब तरीके से देख रहे थे. उन्होंने मम्मी की सेक्सी नाइटी अपने हाथों में पकड़ी हुई थी.

चाचू – रश्मि मैं तेरी चाची के लिए एक ऐसी नाइटड्रेस खरीदना चाहता हूँ.

“तो खरीद लीजिए ना, किसने रोका है ? लेकिन आप क्या चीज देखने की बात कर रहे हो ?”

चाचू – देख रश्मि, भाभी को तो मैं देख नहीं सकता इस ड्रेस में. लेकिन खरीदने से पहले किसी को तो देख लूँ इस ड्रेस में. तू क्यू ना एक बार पहन इसको ? कम से कम मुझे आइडिया तो हो जाएगा.

“क्या……???”

चाचू – रश्मि इसमें सोचने वाली तो कोई बात है नहीं. तेरी मम्मी जब पहन सकती है, तो तू क्यू नहीं ? और आज तो घर में कोई नहीं है.

मैं ऐसा तो नहीं कहूँगी की मेरी कभी इच्छा नहीं हुई उस ड्रेस को पहनने की. पर मुझे कभी उसको पहनने का मौका ही नहीं मिला. पर ये तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी की उसको किसी मर्द के सामने पहनूं. लेकिन अब मैं चाचू को सीधे सीधे मना भी तो नहीं कर सकती थी.

“पर चाचू….”

अब चाचू की टोन भी रिक्वेस्ट से हुकुम देने की हो गयी.

चाचू – रश्मि अभी तो तू मेरे सामने सिर्फ टॉवेल में खड़ी थी. तो इसे पहनने में शरम कैसी ?

“लेकिन चाचू….”

चाचू – बकवास बंद. ये स्कर्ट और टॉप उतार और ये ड्रेस पहन ले.


कहानी जारी रहेगी
 
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CHAPTER 4 तीसरा दिन

पुरानी यादें - Flashback

Update 3




अब मुझे चाचू का हुकुम मानना ही पड़ा. मैंने चाचू से नाइटी ली और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया. उन दिनों मेरी लंबाई तेज़ी से बढ़ रही थी और मैं मम्मी से भी थोड़ी लंबी हो गयी थी. आज मैंने और दिनों की अपेक्षा कुछ छोटी स्कर्ट पहनी हुई थी पर ये नाइटी तो और भी छोटी थी. मुझे लगा इस ड्रेस में तो मैं बहुत एक्सपोज हो जाऊँगी.

मैंने अपने सर के ऊपर से टॉप उतार दिया और फिर स्कर्ट को फर्श पे गिरा दिया. मैंने दोनों को हुक पर टाँग दिया. अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. मेरी कसी हुई चूचियाँ सफेद ब्रा में गर्व से तनी हुई थीं. मेरी पैंटी मेरे नितंबों का ज़्यादातर हिस्सा ढके हुए थी. मैंने वो नाइटी अपने बदन के आगे लगा कर देखी तो मुझे लगा की ये तो मेरे नितंबों तक ही पहुँचेगी. मैंने कभी भी इतनी छोटी ड्रेस नहीं पहनी थी. मेरी छोटी से छोटी स्कर्ट भी मेरी आधी जांघों तक आती थी. स्वाभाविक शरम से मेरा हाथ अपनेआप मेरे नितंबों पर पहुँच गया और मैंने पैंटी के कपड़े को खींचकर अपने नितंबों पर फैलाने की कोशिश की ताकि मेरे मांसल नितंब ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए, पर पैंटी जितनी हो सकती थी उतनी फैली हुई थी और अब उससे ज़्यादा बिल्कुल नहीं खिंच रही थी.

चाचू – रश्मि सो गयी क्या ? एक सिंपल सी ड्रेस पहनने में तू कितना टाइम लेगी ?

“चाचू जरा सब्र तो कीजिए.”

मैंने मम्मी की नाइटी अपने सर से नीचे को डाल ली. खुशकिस्मती से ड्रेस मेरी चूचियों को ठीक से ढक रही थी लेकिन कंधों पर बड़ा कट था. इससे मेरी सफेद ब्रा के स्ट्रैप दोनों कंधों पर खुले में दिख रहे थे. ये बहुत भद्दा लग रहा था पर उस नाइटी के कंधे ऐसी ही थे. नाइटी की लंबाई कम होने से वो सिर्फ मेरे गोल नितंबों को ही ढक पा रही थी.

उस नाइटी का बीच वाला हिस्सा बहुत झीना था. इस बात पर पहले मेरा ध्यान नहीं गया था. पर पहनने के बाद मैंने देखा , इस पतली नाइटी में तो मेरी नाभि और पेट का कुछ हिस्सा दिख रहा है. मैं सोचने लगी,” मम्मी ऐसी ड्रेस कैसे पहन लेती है ? इस उमर में भी वो इतनी बेशरम कैसे बन जाती है ?”

मैंने अपने को शीशे में देखा और मुझे बहुत लज्जा आई , मेरा मुँह शरम से लाल हो गया. मैं ऐसी बनके चाचू के पास जाऊँ या नहीं ? मैं दुविधा में पड़ गयी.

खट …खट …..चाचू दरवाज़ा खटखटाने लगे.

चाचू – रश्मि जल्दी आ.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय इसके की मैं दरवाज़ा खोलूं और उस बदन दिखाऊ नाइटी में चाचू के सामने आऊं.

खट …खट …..चाचू दरवाज़ा खटखटाने लगे.

चाचू – रश्मि जल्दी आ.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय इसके की मैं दरवाज़ा खोलूं और उस बदन दिखाऊ नाइटी में चाचू के सामने आऊं. हिचकिचाते हुए मैंने दरवाज़ा खोल दिया पर शरम की वजह से मैं कमरे से बाहर नहीं आ पाई. दरवाज़ा खुलते ही चाचू अंदर आ गये और मुझे देखने लगे. मैं सर झुकाए और अपनी टाँगों को चिपकाए हुए खड़ी थी. चाचू की आँखों के सामने मेरी गोरी जाँघें और टाँगें पूरी नंगी थीं.

चाचू – वाउ . रश्मि तू तो बड़ी सेक्सी लग रही है इस ड्रेस में. किसी हीरोइन से कम नहीं.

चाचू के मुँह से ‘सेक्सी’शब्द सुनकर मुझे एक पल को झटका लगा . वो मुझसे काफी बड़ी उम्र के थे और मैंने पहले कभी चाचू से इस तरह के कमेंट्स नहीं सुने थे. लेकिन सच कहूँ तो उस समय अपनी तारीफ सुनकर मुझे खुशी हुई थी. वो मेरे नजदीक़ आए और मेरे पेट को ऐसे छुआ जैसे उन्हें उस ड्रेस में मैं अच्छी लगी हूँ. मैंने देखा उनकी नजरें मेरे पूरे बदन में घूम रही थीं. मैं उस कमरे में चाचू के सामने अधनंगी हालत में खड़ी थी. मैंने ख्याल किया की अब चाचू बाएं हाथ से अपनी लुंगी के आगे वाले हिस्से को रगड़ रहे हैं, बल्कि लुंगी के अंदर वो अपने लंड को सहला रहे थे, ये देखकर मैं बहुत असहज महसूस करने लगी.

चाचू – रश्मि एक काम करते हैं , मेरे कमरे में चलते हैं.

ऐसा कहते हुए चाचू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे से बाहर खींच लिया. फिर वो अपने कमरे की तरफ जाने लगे. मेरे पास भी उनके पीछे जाने के सिवा कोई चारा नहीं था. चलते समय ड्रेस का पतला कपड़ा मेरे हर कदम के साथ ऊपर उठ जा रहा था. मुझे चिंता होने लगी की कहीं पीछे से मेरी पैंटी तो नहीं दिख जा रही है. मैं खुद अपने पीछे नहीं देख सकती थी इसलिए मुझे और भी ज़्यादा घबराहट होने लगी. पर जल्दी ही ये बात मुझे खुद चाचू से पता चल गयी.

जब हम चाचू के कमरे में पहुचे तो उन्होंने लाइट्स ऑन कर दी. कमरे में पहले से ही उजाला था इसलिए मुझे समझ नहीं आया की चाचू ट्यूबलाइट और एक तेज बल्ब को क्यूँ जला रहे हैं. कमरे में तेज रोशनी होने से मुझे ऐसा लगा जैसे मैं और भी ज़्यादा एक्सपोज हो गयी हूँ.

“चाचू, लाइट्स क्यूँ जला रहे हो ? उजाला तो वैसे ही हो रहा है.”

चाचू – क्यूँ ? तुझे क्या परेशानी है लाइट्स से ?

“नहीं चाचू परेशानी नहीं है. पर ये ड्रेस इतनी छोटी है की…….”

चाचू – की तुझे शरम आ रही है. है ना ?

मैंने हामी में सर हिला दिया.

चाचू – चल तू आधी नंगी है तो मैं भी वही हो जाता हूँ. तब चीज बराबर हो जाएगी और तुझे शरम नहीं आएगी.

“नहीं चाचू मेरा वो मतलब नहीं……..”

मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की चाचू ने अपनी लुंगी फर्श पर गिरा दी. मुझे कुछ कहने का मौका दिए बिना उन्होंने अपनी बनियान भी उतार दी. अब वो मेरे सामने सिर्फ कच्छे में खड़े थे और उसमें उभार मुझे साफ दिखाई दे रहा था. कच्छे के अंदर उनका लंड कपड़े को बाहर को ताने हुए बहुत अश्लील लग रहा था. उस समय तक मैंने कभी किसी मर्द को अपने सामने ऐसे नंग धड़ंग नहीं देखा था. मुझे अपने जवान बदन में गर्मी बढ़ती हुई महसूस हुई.

चाचू ने मुझे तेज रोशनी वाले बल्ब के नीचे खड़े होने को कहा. मैंने वैसा ही किया , मेरी आँखें चाचू के कच्छे में खड़े लंड पर टिकी हुई थीं. चाचू की नजरें मेरी गोरी टाँगों पर थी. अब वो मेरे बहुत नजदीक़ आ गये और गौर से मेरे पूरे बदन को देखने लगे.

चाचू – रश्मि , तेरी ब्रा तो दिख रही है.

“जी चाचू. कंधों पर कोई कवर नहीं है ना इसलिए ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे हैं.”

चाचू – ये एक एडवांटेज है तेरी चाची को अगर वो ये ड्रेस पहनती है. क्यूंकी उसके बाल लंबे हैं तो कंधा उससे ढक जाएगा.

“जी चाचू.”

अब चाचू ने मेरे कंधे में ब्रा के स्ट्रैप को छुआ. मेरे कंधे नंगे थे, वहाँ पर सिर्फ ड्रेस के फीते और ब्रा के स्ट्रैप थे. चाचू के मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूने से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी.

चाचू – ये क्या फ्रंट ओपन ब्रा है रश्मि ?

वो मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूते हुए पूछ रहे थे. मेरे बहुत नजदीक़ खड़े होने से उनको मेरी थोड़ी सी क्लीवेज भी दिख रही थी. मैं उनको ऐसे अपना बदन दिखाते हुए और उनके अटपटे सवालों का जवाब देते हुए बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी.

“नहीं चाचू. ये बैक ओपन है. फ्रंट ओपन इतनी रिस्की होती है , एक बार हुक खुल गया था तो……..”

चाचू – हम्म्म ……लेकिन तेरी उमर की बहुत सारी लड़कियाँ फ्रंट ओपन ब्रा पहनती हैं क्यूंकी बैक ओपन ब्रा की हुक खोलना और लगाना आसान नहीं है.

“हाँ वो तो है. मैं भी तो कितनी बार नेहा दीदी को बोलती हूँ हुक लगाने के लिए.”

शुक्र कर आज किसी को बुलाना नहीं पड़ा, नहीं तो मुझे तेरी ब्रा का हुक लगाना पड़ता.

मैं शरमा गयी और खी खी कर हंसने लगी. वो मेरी मासूमियत से खेल रहे थे पर उस समय मुझे इतनी समझ नहीं थी.

चाचू – रश्मि , मैं यहाँ कुर्सी में बैठता हूँ. तू एकबार मेरे सामने से दरवाज़े तक जा और फिर वापस आ.

“पर क्यूँ चाचू ?”

चाचू – तू जब यहाँ आ रही थी मुझे लगा की ड्रेस के नीचे से तेरी पैंटी दिख रही है, तेरे चलने पर दिख रही है. ऐसा तो होना नहीं चाहिए.

ये सुनकर मैं अवाक रह गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शर्मिंदगी से मैं सर भी नहीं उठा पा रही थी.

मैंने वैसा ही किया जैसा चाचू ने हुकुम दिया था. चलने से पहले मैंने ड्रेस को नीचे खींचने की कोशिश की पर बदक़िस्मती से वो छोटी ड्रेस बिल्कुल भी नीचे नहीं खिंच रही थी.

चाचू – रश्मि तेरी पैंटी तो साफ दिख रही है ड्रेस के नीचे से. तूने सफेद रंग की पैंटी पहनी है ना ?

चाचू के कमेंट से मैंने बहुत अपमानित और शर्मिंदगी महसूस की. मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ , इसलिए चुपचाप सहन कर लिया. मैंने सर हिलाकर हामी भर दी की सफेद पैंटी पहनी है.

चाचू – अच्छा अब एक बार मेरे पास आ. मैं जरा देखूं इसे कुछ किया जा सकता है की नहीं.

मेरे पास कहने को कुछ नहीं था , मैं चाचू की कुर्सी के पास आ गयी. वो मेरे सामने झुक गये और अब उनकी आँखें मेरी गोरी गोरी जांघों के सामने थीं. अब दोनों हाथों से उन्होंने मेरी ड्रेस के सिरों को पकड़ा और नीचे खींचने की कोशिश की पर वो नीचे नहीं आई.

चाचू – रश्मि , ये ड्रेस तो और नीचे नहीं आएगी. लेकिन एक काम हो सकता है शायद.

मैंने चाचू को उलझन भरी निगाहों से देखा. वो खड़े हो गये.

चाचू – ये जो ड्रेस के फीते तूने कंधे पर बाँधे हैं ना , उनको थोड़ा ढीला करना पड़ेगा, तब ये ड्रेस थोड़ा नीचे आएगी.

उनके सुझाव से मेरे दिल की धड़कन एक पल के लिए बंद हो गयी.

“पर चाचू उनको ढीला करने से तो नेकलाइन डीप हो जाएगी.”

चाचू – देख रश्मि, ये ड्रेस तो तेरी मम्मी की चॉइस है. दाद देनी पड़ेगी भाभी को. या तो पैंटी एक्सपोज करो या फिर ब्रा.

अब ये तो मेरे लिए उलझन वाली स्थिति हो गयी थी. मैंने चाचू पर ही बात छोड़ दी.

“चाचू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. मम्मी ने ये कैसी ड्रेस खरीदी है.”

चाचू – तू सिर्फ चुपचाप खड़ी रह. मैं देखता हूँ.

अब चाचू ने मेरे कंधों पर ड्रेस के फीतों को ढीला कर दिया. फीते ढीले करते हुए चाचू ने ड्रेस के अंदर झाँककर मेरी ब्रा से ढकी हुई चूचियों को देखा जो मेरे सांस लेने से ऊपर नीचे हो रही थीं. चाचू ने शालीनता की सभी सीमाओं को लाँघते हुए मेरी ड्रेस को इतना नीचे कर दिया की मेरी आधी ब्रा दिखने लगी और ब्रा के दोनों कप्स के बीच पूरी क्लीवेज दिख रही थी. ड्रेस को इतना नीचे करके अब वो मेरे कंधों पर फीते बाँधने लगे. मैंने विनती करते हुए विरोध करने की कोशिश की .

“चाचू, प्लीज ऐसे नहीं. मेरी आधी दूध दिख रही हैं.”

चाचू – कहाँ दिख रही हैं. मैं तो सिर्फ ब्रा देख पा रहा हूँ.

“आप आज बड़े बेशरम हो गये हो चाचू.”

चाचू ने मेरे कंधों पर फीते ढीले करके बाँध दिए और अब ड्रेस मेरे नितंबों से थोड़ी नीचे तक आ गयी.

चाचू – अब जाके तेरी पैंटी सेफ हुई. एकबार घूम जा.

मैं चाचू की तरफ पीठ करके घूम गयी.

चाचू – अब जाके तेरी पैंटी सेफ हुई. एकबार घूम जा.

मैं चाचू की तरफ पीठ करके घूम गयी. वो फिर से कुर्सी में झुक गये थे , इससे मेरे बड़े नितंब उनके चेहरे के सामने हो गये. तभी चाचू ने मेरी पैंटी देखने के लिए मेरी नाइटी ऊपर उठा दी. उनकी इस हरकत से मैं स्तब्ध रह गयी और शर्मिंदगी से पीछे भी नहीं मुड़ पायी.

“आउच. चाचू क्या कर रहे हो ?”

मैंने पैंटी से ढके हुए अपने नितंबों पर चाचू की अँगुलियाँ घूमती हुई महसूस की. वो धीमे से मेरे नितंबों को दबा रहे थे. एक हाथ से उन्होंने मेरी ड्रेस को ऊपर उठाया हुआ था और दूसरा हाथ मेरे नितंबों पर घूम रहा था. उनकी इस हरकत से मैं बहुत अटपटा महसूस कर रही थी और शरम से मेरा मुँह लाल हो गया था पर सच कहूँ तो मेरी चूत से रस बहने लगा था. फिर चाचू ने अपना हाथ आगे ले जाकर पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को छुआ और उसे सहलाया. मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पायी और शरम से चाचू से थोड़ी दूर छिटक गयी.

चाचू – क्या हुआ रश्मि ?

मेरे मुँह से आवाज ही नहीं निकल रही थी. मैं अपने चाचू की तरफ पीठ करके अधनंगी खड़ी थी और वो भी सिर्फ कच्छा पहने हुए थे. मेरी दोनों चूचियाँ ड्रेस नीचे करने के कारण ब्रा के ऊपर से दिख रही थीं.

अब चाचू कुर्सी से उठ गये और मेरे पास आए.

“चाचू , ये आप ठीक नहीं कर रहे हो.”

हिम्मत जुटाते हुए मैंने अपने पीछे खड़े चाचू से कहा.

चाचू – क्या ठीक नहीं किया मैंने ? मतलब क्या है तेरा ?

अचानक चाचू के बोलने का लहज़ा बदल गया और उनकी आवाज कठोर हो गयी.

चाचू – क्या बोलना चाहती है तू ?

चाचू में अचानक आए इस बदलाव से मैं थोड़ी डर गयी.

“चाचू मेरा वो मतलब नहीं था.”

चाचू ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझसे जवाब माँगने लगे. उनके डर से मेरे मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहे थे.

चाचू – रश्मि मैं जानना चाहता हूँ की क्या ठीक नहीं किया मैंने ?

चाचू गुर्राते हुए बोले. मैं बहुत डर गयी थी.

चाचू – तू मेरी गोद में खेल कूद के बड़ी हुई है. तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की ?

चाचू का गुस्सा देखकर मैं इतना डर गयी की मैंने उनके आगे समर्पण कर दिया. घबराहट से मेरी आँखों में आँसू आ गये. मैं चाचू के गले लग गयी और माफी माँगने लगी.

“चाचू मुझे माफ कर दीजिए . मेरा वो मतलब नहीं था.”

मैंने नहीं समझा था की चाचू इस स्थिति का ऐसा फायदा उठाएँगे.

चाचू – क्या माफ. अभी तूने बोला की मैं ये ठीक नहीं कर रहा हूँ. तू बता मुझे क्या ग़लत किया है मैंने ? नहीं तो भाभी को आने दे , मैं उनसे बात करता हूँ.

वो थोड़ा रुके फिर…….

चाचू – भाभी को अगर पता लगा की उनकी ये प्राइवेट ड्रेस मैं देख चुका हूँ तेरे जरिए . तू सोच ले क्या हालत होगी तेरी.

मम्मी से शिकायत की बात सुनते ही मैं बहुत घबरा गयी. चाचू उल्टा मुझे फँसाने की धमकी दे रहे थे. उस समय मैं नासमझ थी और मम्मी का जिक्र आते ही डर गयी. और उस बेवक़ूफी भरे डर की वजह से कुछ ही देर बाद चाचू के हाथों मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा अपमान मुझे सहना पड़ा.

चाचू ने मुझे अपने से अलग किया और मेरे नंगे कंधों को पकड़कर कठोरता से मेरी आँखों में देखा. मम्मी का जिक्र आने से मेरी आवाज काँपने लगी.

“चाचू प्लीज , मम्मी को कुछ मत बोलना.”

चाचू – क्यूँ ? मुझे तो बोलना है भाभी को की उनकी छोटी लड़की अब इतनी बड़ी हो गयी है की अपने चाचा पर अंगुली उठा रही है.

“चाचू प्लीज. मैं बोल तो रही हूँ, आप जो बोलोगे मैं वही करूँगी. सिर्फ मम्मी को मत बोलिएगा.”

चाचू – देख रश्मि , एक बार तेरी चाची भी ग़लत इल्ज़ाम लगा रही थी मुझ पर . लेकिन अंत में उसको मेरे आगे समर्पण करना पड़ा. वो भी यही बोली थी , ‘आप जो बोलोगे मैं वही करूँगी’.

चाचू कुछ पल रुके फिर ….

चाचू – वो मेरी बीवी है जरूर लेकिन मुझ पर ग़लत इल्ज़ाम लगाने का सबक सीख गयी थी उस दिन. पूछ क्या करना पड़ा था तेरी चाची को ?

“क्या करना पड़ा था चाची को ?”

चाचू – बंद कमरे में एक गाने की धुन पर नाचना पड़ा था उसको , नंगी होकर.

“नंगी …………???”

मैंने चाची को नंगी होकर नाचते हुए कल्पना करने की कोशिश की, उसका इतना मोटा बदन था , देखने में बहुत भद्दी लग रही होगी. फिर मुझे डर लगने लगा ना जाने चाचू मुझसे क्या करने को कहेंगे. मैंने चाचू से विनती करने की कोशिश की.

“चाचू मुझ पर रहम करो प्लीज.”

चाचू – चल किया.

मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ. मैंने चाचू को विस्मित नजरों से देखा.

“सच चाचू ?”

चाचू – हाँ सच. तुझे मैं नहीं बोलूँगा की तू मेरे सामने नंगी होकर नाच.

मुझ पर जैसे बिजली गिरी. मैं चुप रही और सांस रोककर इंतज़ार करने लगी की वो मुझसे क्या चाहते हैं.

चाचू – तुझे कुछ खास नहीं करना रश्मि. सिर्फ मेरे सामने ये ड्रेस उतार दे और अब तो मेरे लंच का टाइम हो गया है, मुझे खाना परोस दे. फिर तेरी छुट्टी.

अगले कुछ पलों तक मुझे ये विश्वास ही नहीं हो रहा था की चाचू मुझसे अपने सामने मेरी ड्रेस उतारने को कह रहे हैं. फिर मैं चाचू से विनती करने लगी पर उनपर कुछ असर नहीं हुआ. अब मैं अपनी ड्रेस उतारने के बाद होने वाली शर्मिंदगी की कल्पना करके सुबकने लगी थी. जब मुझे एहसास हुआ की मैं चाचू को अपना मन बदलने के लिए राज़ी नहीं कर सकती तब मैं कमरे के बीच में चली गयी और ड्रेस उतारने के लिए अपने मन को तैयार करने लगी.

मैंने अपने कंधों से ड्रेस के फीते खोले और मुझे कुछ और करने की जरूरत नहीं पड़ी. फीते खोलते ही ड्रेस मेरे पैरों में गिर गयी. अब मैं चाचू के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी. मेरे जवान गोरे बदन के उतार चढ़ाव तेज लाइट में चमक रहे थे. चाचू मुझे कामुक नजरों से देख रहे थे. शर्मिंदगी से मुझे अपना मुँह कहाँ छुपाऊँ हो गयी.

चाचू – चल अब खाना परोस दे.

“चाचू आप एक मिनट रूको, मैं जल्दी से अपने कमरे से एक मैक्सी पहन लेती हूँ . फिर आपका खाना परोस देती हूँ.”

चाचू – रश्मि मैंने क्या बोला था ? मैंने बोला था ‘मेरे सामने ये ड्रेस उतार दे और मुझे खाना परोस दे’. मतलब ये ब्रा और पैंटी पहने हुए तू किचन में जाएगी और मेरे लिए खाना परोसेगी.

मैं गूंगी गुड़िया की तरह चाचू का मुँह देख रही थी.

चाचू – रश्मि , फालतू में मेरा टाइम बर्बाद मत कर. आगे आगे चल. मुझे देखना है की तेरी गांड सिर्फ पैंटी में कैसी लगती है.

चाचू का हुकुम मानने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था. मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में चाचू के कमरे से बाहर आई और चाचू मेरे पीछे चल रहे थे . वो अश्लील कमेंट्स कर रहे थे और मैं शर्मिंदगी से सुबक रही थी. उसी हालत में मैं किचन में गयी और चाचू के लिए खाना गरम करने लगी. चाचू किचन के दरवाज़े में खड़े होकर मुझे देख रहे थे. किचन में जब भी मैं किसी काम से झुकती तो मेरी दोनों चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को मचल उठती, उन्हें उछलते देखकर चाचू अश्लील कमेंट्स कर रहे थे.

फिर मैंने डाइनिंग टेबल में चाचू के लिए खाना लगा दिया. वो खाना खा रहे थे और मैं उनके सामने सर झुकाए हुए अधनंगी खड़ी थी. मुझे ऐसा लग रहा था की एक मर्द के सामने ऐसे अंडरगार्मेंट्स में खड़े रहने से तो नंगी होना ज़्यादा अच्छा है. आख़िरकार चाचू के खाना खा लेने के बाद मेरा ह्युमिलिएशन खत्म हुआ.

चाचू – जा रश्मि , अब अपने कमरे में जाकर स्कर्ट ब्लाउज पहन ले. दिल खट्टा मत कर. और एक बात याद रख, आज जो भी हुआ इसका जिक्र अगर तूने किसी से किया तो तेरी खैर नहीं.

मैं अपने कमरे में चली गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया. बहुत अपमानित महसूस करके मेरी रुलाई फूट पड़ी और मैं बेड में लेटकर रोने लगी. कुछ देर बाद मैं नॉर्मल हुई और फिर मैंने स्कर्ट टॉप पहनकर अपने बदन को ढक लिया.

………………. फ्लैशबैक समाप्त ………………


कहानी जारी रहेगी
 
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औलाद की चाह

030


CHAPTER 4 चौथा दिन

सुबह सुबह

Update1



“विकास ये थी मेरी कहानी. उस दिन को याद करके मुझे बाद के दिनों में भी शर्मिंदगी महसूस होती थी. मैंने उस दिन इतना अपमानित महसूस किया की दिन भर रोती रही. “

विकास – सही बात है मैडम. कैसे हमारे अपने रिश्तेदार हमारा शोषण करते हैं और हम कुछ नहीं कर पाते. मेरी भावनाएँ तुम्हारी भावनाओं जैसी ही हैं.

हमने इस बारे में कुछ और बातें की . कुछ देर बाद हमारी नाव नदी किनारे आ गयी और वहाँ से हम वापस मंदिर आ गये. बैलगाड़ी पहले से मंदिर के पास खड़ी थी. मैं आधी संतुष्ट (विकास के साथ ओर्गास्म से) और आधी डिप्रेस्ड ( बचपन की उस घटना को याद करने से) अवस्था में आश्रम लौट आई

आश्रम पहुँचते पहुँचते काफ़ी देर हो चुकी थी. मैं अपने कमरे में आकर सीधे बाथरूम गयी और नहाने लगी. अपने सभी ओर्गास्म के बाद मेरा यही रुटीन था, दो दिनों में ये चौथी बार मुझे ओर्गास्म आया था. मेरा मन बहुत प्रफुल्लित था क्यूंकी पिछले 48 घंटो में मैं बहुत बार कामोत्तेजना के चरम पर पहुंची थी.

मुझे इतना अच्छा महसूस हो रहा था की मेरी बेशर्मी से की गयी हरकतों पर भी मुझे कोई अपराधबोध नहीं हो रहा था. मेरी शादीशुदा जिंदगी में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था की इतने कम समय में इतनी ज़्यादा बार चरम उत्तेजना से कामसुख मिला हो. मन ही मन मैंने इसके लिए गुरुजी को धन्यवाद दिया और मुझे आशा थी की उनके उपचार से मेरी गर्भवती होने की चाह ज़रूर पूरी होगी.

जब मैं नहाते समय नीचे झुकी तो मुझे गांड के छेद में दर्द हुआ . विकास ने तेल लगाकर मुझे बहुत ज़ोर से चोदा था पर शायद कामोत्तेजना की वजह से उस समय मुझे ज़्यादा दर्द नहीं महसूस हुआ था. पर अब मुझे गांड में थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था. मैंने सोचा रात में अच्छी नींद आ जाएगी तो सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा. इसलिए मैंने जल्दी से डिनर किया और फिर सो गयी.

डिनर से पहले मंजू मेरा पैड लेने आई थी. उसने याद दिलाया की सुबह 6: 30 बजे गुरुजी के पास जाना होगा और फिर वो मुझे देखकर मुस्कुराते हुए चली गयी. मैं शरमा गयी , ऐसा लग रहा था जैसे मंजू मेरी आँखों में झाँककर सब जान चुकी है. डिनर करने के बाद मैंने गुरु माता द्वारा दी गई क्रीम का उपयोग अपने पूरे शरीर जिसमें मेरी योनि, स्तन, कमर, कूल्हों और गुदा शामिल थे पर किया मैंने नाइटी पहन ली और लाइट ऑफ करके सो गयी.

“खट……..खट…….खट ….”

सुबह किसी के दरवाज़ा खटखटाने से मेरी नींद खुली. मैं थोड़ी देर और सोना चाह रही थी. मैंने चिड़चिड़ाते हुए जवाब दिया.

“ठीक है. मैं उठ गयी हूँ. आधे घंटे बाद गुरुजी के पास आती हूँ.”

वो लोग मुझे आधा घंटा पहले उठा देते थे, ताकि गुरुजी के पास जाने से पहले तब तक मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाऊँ. इसलिए मैंने वही समझा और बिना पूछे की दरवाज़े पर कौन है, जवाब दे दिया.

“खट……..खट…….खट ….”

“अरे बोल तो दिया अभी आ रही हूँ.”

“खट……..खट…….खट ….”

अब मैं हैरान हुई. ये कौन है जो मेरी बात नहीं सुन रहा है ? अब मुझे बेड से उठना ही पड़ा. मैंने नाइटी के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था. मैंने सोचा मंजू या परिमल मुझे उठाने आया होगा . मैंने ब्रा और पैंटी पहनने की ज़रूरत नहीं समझी और नाइटी को नीचे को खींचकर सीधा कर लिया.

“कौन है ?”

बिना लाइट्स ऑन किए हुए दरवाज़ा खोलते हुए मैं बुदबुदाई. मेरे कुछ समझने से पहले ही मैं किसी के आलिंगन में थी और उसने मेरे होठों का चुंबन ले लिया. अब मेरी नींद पूरी तरह से खुल गयी, बाहर अभी भी हल्का अंधेरा था इसलिए मैं देख नहीं पाई की कौन था. मैं अभी अभी गहरी नींद से उठी थी इसलिए कमज़ोरी महसूस कर रही थी. इससे पहले की मैं कुछ विरोध कर पाती उस आदमी ने अपने दाएं हाथ से मेरी कमर पकड़ ली और बाएं हाथ से मेरी दायीं चूची को पकड़ लिया. नाइटी के अंदर मैंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए मेरी चूचियाँ हिल रही थीं. उसने मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया. वो जो भी था मजबूत बदन वाला था.

“आहह…….. ..कौन हो तुम. रूको……..”

विकास – मैडम , मैं हूँ. विकास. तुमने मुझे नहीं पहचाना ?

विकास के वहां होने की तो मैं सोच भी नहीं सकती थी क्यूंकी वो तो आश्रम से बाहर ले जाने ही आता था. मुझे हैरानी भी हुई पर साथ ही साथ मैं रोमांचित भी हुई. दरवाज़ा खोलते ही जैसे उसने मुझे आलिंगन कर लिया था और मेरा चुंबन ले लिया , उससे मुझे ये देखने का भी मौका नहीं मिला था की कौन है. विकास है जानकर मैंने राहत की सांस ली.

“अभी तो बाहर अंधेरा है. वो लोग तो मुझे 6 बजे उठाने आते हैं.”

विकास – हाँ मैडम. अभी सिर्फ़ 5 बजा है. मुझे बेचैनी हो रही थी इसलिए मैं तुम्हारे पास आ गया.

“अच्छा. तो ये तरीका है तुम्हारा किसी औरत से मिलने का ?”

अब हम दोनों मेरे कमरे में एक दूसरे के आलिंगन में थे और कमरे की लाइट्स अभी भी ऑफ ही थी. विकास के होंठ मेरे चेहरे के करीब थे और उसके हाथ मेरी कमर और पीठ पर थे. कभी कभी वो मेरे नितंबों को नाइटी के ऊपर से सहला रहा था.

“नहीं. सिर्फ़ तुमसे मिलने का. तुम मेरे लिए ख़ास हो.”

“हम्म्म ……..तुम भी मेरे लिए खास हो डियर…..”

हम दोनों ने एक दूसरे का देर तक चुंबन लिया. हमारी जीभों ने एक दूसरे के मुँह का स्वाद लिया. मैंने उसको कसकर अपने आलिंगन में लिया हुआ था और उसके हाथ मेरे बड़े नितंबों को दबा रहे थे.

विकास – मैडम, नाव में एक चीज़ अधूरी रह गयी . मैं उसे पूरा करना चाहता हूँ.

“क्या चीज़ ..?”

मैं विकास के कान में फुसफुसाई. मुझे समझ नहीं आया वो क्या चाहता है.

विकास – मैडम, नाव में बाबूलाल भी था इसलिए मैं तुम्हें पूरी नंगी नहीं देख पाया.

विकास के मेरे बदन से छेड़छाड़ करने से मैं उत्तेजना महसूस कर रही थी. मैं उसके साथ और वक़्त बिताना चाहती थी. उसकी इच्छा सुनकर मैं खुश हुई पर ये बात मैंने उस पर जाहिर नहीं होने दी.

“लेकिन विकास तुमने नाव में मेरा पूरा बदन देख तो लिया था.”

विकास – नहीं मैडम, बाबूलाल की वजह से मैंने तुम्हारी पैंटी नहीं उतारी थी. लेकिन अभी यहाँ कोई नहीं है, मैं तुम्हें पूरी नंगी देखना चाहता हूँ. तुमने अभी पैंटी पहनी है, मैडम ?

उसने मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया और दोनों हाथों से मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे नितंबों पर हाथ फेरा, उन्हें सहलाया और दबाया , जैसे अंदाज़ कर रहा हो की पैंटी पहनी है या नहीं.

विकास – मैडम, पैंटी के बिना तुम्हारी गांड मसलने में बहुत अच्छा लग रहा है.

वो मेरे कान में फुसफुसाया. मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसकी हरकतों का मज़ा लेती रही. मेरे नितंबों को मलते हुए उसने मेरी नाइटी को मेरे नितंबों तक ऊपर उठा दिया. नाइटी छोटी थी और उसके ऐसे ऊपर उठाने से मेरी टाँगें और जाँघें पूरी नंगी हो गयीं , मैं उस पोज़ में बहुत नटखट लग रही थी.

विकास थोड़ा झुका और मुझे अपनी गोद में उठा लिया , मेरी दोनों टाँगें उसकी कमर के दोनों तरफ थीं. मुझे ऐसे गोद में उठाकर उसने गोल गोल घुमाया जैसे फिल्मों में हीरो हीरोइन को घुमाता है. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था . मेरे पति ने कभी मुझे ऐसे गोद में लेकर प्यार नहीं किया, ना हनीमून में और ना ही घर में. विकास अच्छी तरह से जानता था की एक औरत को कैसे खुश करना है.

“विकास, प्लीज़ मुझे नीचे उतारो.”

विकास – मैडम , नीचे कहाँ ? बेड में ?

हम दोनों हँसे. उसने मुझे थोड़ी देर अपनी गोद में बिठाये रखा. अपने हाथों और चेहरे से मेरे अंगों को महसूस करता रहा. फिर मुझे नीचे उतार दिया. अब वो मेरे होठों को चूमने लगा और उसके हाथ मेरी नाइटी को ऊपर उठाने लगे. मुझे महसूस हुआ की नाइटी मेरे नितंबों तक उठ गयी है और मेरे नितंब खुली हवा में नंगे हो गये हैं. उन पर विकास के हाथों का स्पर्श मैंने महसूस किया . मैंने विकास के होठों से अपने होंठ अलग किए और उसे रोकने की कोशिश की.

“विकास, प्लीज़……”

विकास – हाँ मैडम , मैं तुम्हें खुश ही तो कर रहा हूँ.

उसने मेरी नाइटी को पेट तक उठा दिया और मेरी चूत देखने के लिए झुक गया. फिर उसने मेरी नंगी चूत के पास मुँह लगाया और उसे चूमने लगा. मैं शरमाने के बावज़ूद उत्तेजना से कांप रही थी. वो मेरे प्यूबिक हेयर्स में अपनी नाक रगड़ रहा था और वहाँ की तीखी गंध को गहरी साँसें लेकर अपने नथुनों में भर रहा था. अब उसकी जीभ मेरी चूत के होठों को छेड़ने लगी , मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी.

दोनों हाथों से उसने मेरे सुडौल नितंबों को पकड़ा हुआ था. मेरे पति ने भी मेरी चूत को चूमा था पर हमेशा बेड पर. मैं बिना पैंटी के नाइटी में थी और नाइटी मेरी कमर तक उठी हुई थी और एक मर्द जो की मेरा पति नहीं था , मेरी चूत को चूम रहा था , ऐसा तो मेरी जिंदगी में पहली बार हुआ था.

कुछ ही देर में मुझे ओर्गास्म आ गया और मेरे रस से विकास का चेहरा भीग गया. मेरी चूत को चूसने के बाद वो उठ खड़ा हुआ . फिर उसने अपने दाएं हाथ की बड़ी अंगुली को मेरी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा. मैंने भी मौका देखकर उसकी धोती में मोटा कड़ा लंड पकड़ लिया और अपने हाथों से उसे सहलाने और उसके कड़ेपन का एहसास करने लगी .

विकास मुझे बहुत काम सुख दे रहा था , अब मैं उसके साथ चुदाई का आनंद लेना चाहती थी. कल मैं जड़ी बूटियों के प्रभाव में थी लेकिन आज तो मैं अपने होशोहवास में थी और मेरा मन हो रहा था की विकास मुझे रगड़कर चोदे. मेरे मन के किसी कोने में ये बात जरूर थी की मैं शादीशुदा औरत हूँ और मुझे विकास के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए. लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मैंने अपनी सारी शरम एक तरफ रख दी और एक रंडी की तरह विकास से चुदाई के लिए विनती की.

“ विकास, प्लीज़ अब करो ना. मैं तुम्हें अपने अंदर लेने को मरी जा रही हूँ.”

तब तक विकास ने मेरी नाइटी को चूचियों के ऊपर उठा दिया था और अब नाइटी सिर्फ़ मेरे कंधों को ढक रही थी. मेरा बाकी सारा बदन विकास के सामने नंगा था. मेरी चूचियाँ दो बड़े गोलों की तरह थीं जो मेरे हिलने डुलने से ऊपर नीचे उछल रही थीं और विकास का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं. मेरे गुलाबी निपल्स उत्तेजना से कड़े हो चुके थे और अंगूर की तरह बड़े दिख रहे थे. विकास ने उन्हें चूमा, चाटा और चूसा और अपनी लार से उन्हें गीला कर दिया. अब मैं इतनी गरम हो चुकी थी की मैंने खुद अपनी नाइटी सर से निकालकर फेंक दी और विकास के सामने पूरी नंगी हो गयी.

मैं पहली बार किसी गैर मर्द के सामने पूरी नंगी खड़ी थी. मुझे बिल्कुल भी शरम नहीं महसूस हो रही थी बल्कि मुझे चुदाई की बहुत इच्छा हो रही थी.

विकास – मैडम , चलो बेड में .

वो मेरे कान में फुसफुसाया और तभी जैसे वो प्यारा सपना टूट गया.

“खट……..खट…….”

विकास एक झटके से मुझसे अलग होकर दूर खड़ा हो गया और अपने होठों पर अंगुली रखकर मुझसे चुप रहने का इशारा करने लगा.

विकास – मैडम , दरवाज़ा मत खोलना. मैं परेशानी में पड़ जाऊँगा. ऐसे ही बात कर लो.

“हाँ , कौन है ?”

मैंने उनीदी आवाज़ में जवाब देकर ऐसा दिखाने की कोशिश की जैसे मैं गहरी नींद में हूँ और दरवाज़ा खटखटाने से अभी अभी मेरी नींद खुली है. मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. मैं अभी भी पूरी नंगी खड़ी थी.

परिमल – मैडम , मैं हूँ परिमल. 6 बज गये हैं.

“ठीक है. मैं उठ रही हूँ. आधे घंटे में तैयार होकर गुरुजी के पास चली जाऊँगी. उठाने के लिए धन्यवाद.”

परिमल – ठीक है मैडम.

फिर परिमल के जाने की आवाज़ आई और हम दोनों ने राहत की सांस ली.

विकास – उफ …..बाल बाल बच गये. मैडम अब मुझे जाना चाहिए.

“लेकिन विकास मुझे इस हालत में छोड़कर ….”

मैं बहुत उत्तेजित हो रखी थी और मेरे पूरे बदन में गर्मी चढ़ी हुई थी. मैं गहरी साँसें ले रही थी और मेरी चूत से रस टपक रहा था. और विकास मुझे ऐसी हालत में छोड़कर जाने की बात कर रहा था.

विकास – मैडम समझने की कोशिश करो. अब मुझे जाना ही होगा. किसी ने यहाँ पकड़ लिया तो मैं परेशानी में पड़ जाऊँगा. क्यूंकी मैंने आश्रम का नियम तोड़ा है.

विकास ने मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया और दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर इधर उधर देखने लगा. और फिर दरवाज़ा बंद करके चला गया. मुझे उस उत्तेजित हालत में अकेला छोड़ गया. मेरी ऐसी हालत हो रखी थी की उसके चले जाने के बाद मैं बेड में बैठकर अपनी चूचियों को दबाने लगी और अपनी चूत में अंगुली करने लगी.

कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ की ऐसे कब तक बैठी रहूंगी. फिर मैं बाथरूम चली गयी. अभी भी मेरी चूत से रस निकल रहा था. जैसे तैसे मैंने नहाया पर मेरे बदन की गर्मी नहीं निकल पाई. नहाने के बाद मैंने नयी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिए, अपनी दवा ली और फिर गुरुजी के कमरे में चली गयी.

कहानी जारी रहेगी
 
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CHAPTER 5- चौथा दिन

Medical चेकअप


Update 1


नहाने के बाद मैंने नयी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिए, अपनी दवा ली और फिर गुरुजी के कमरे में चली गयी.

गुरुजी – आओ रश्मि. दो दिन पूरे हो गये. अब कैसा महसूस कर रही हो ?

“अच्छा महसूस कर रही हूँ गुरुजी. ऐसा लग रहा है की आपके उपचार से मुझे फायदा हो रहा है. मैं शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा और ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हूँ.”

गुरुजी – बहुत अच्छा.

“गुरुजी , वो …वो मेरे …..मेरा मतलब……. मेरे पैड्स का क्या नतीजा आया ?”

गुरुजी – रश्मि, नतीजे खराब नहीं हैं पर बहुत अच्छे भी नहीं हैं. बाद के दो पैड्स में तुम्हें पहले से बेहतर स्खलन हुआ है पर अभी भी ये पर्याप्त नहीं है.

गुरुजी की बात सुनकर मुझे निराशा हुई. मुझे पूरी उम्मीद थी की पैड्स के नतीजे अच्छे आएँगे क्यूंकी पिछले दो दिनों में मुझे कई बार चरम कामोत्तेजना हुई थी और मेरे चूतरस से पैड्स पूरे भीग गये थे. पर यहाँ गुरुजी कह रहे थे की ये पर्याप्त नहीं है. शायद गुरुजी ने मेरी निराशा को भाँप लिया.

गुरुजी – रश्मि तुम्हें इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. मैं किसलिए हूँ यहाँ ? तुम बस पूरे मन से वो किए जाओ जो मैं तुम्हें करने को कहूँ. ठीक है ?

मैं निराश तो थी पर मैंने गुरुजी की बात पर हाँ में सर हिला दिया. मैं सोचने लगी पैड तो दो दिन के लिए थे , पता नहीं गुरुजी अब क्या उपचार करेंगे.

गुरुजी – अब मैं लिंगा महाराज की पूजा करूँगा . तुम भी मेरे साथ पूजा करना. उसके बाद मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा. क्यूंकी मैं जानना चाहता हूँ की चरम उत्तेजना के बाद भी तुम्हें पर्याप्त स्खलन क्यूँ नहीं हो रहा है ?

गुरुजी थोड़ा रुके. वो सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे.

गुरुजी – रश्मि, ये बताओ तुम्हारे ये दोनों मंदिर वाले ओर्गास्म कैसे रहे ?

मुझे झूठ बोलना पड़ा क्यूंकी शाम को तो मैं मंदिर की बजाय विकास के साथ नाव में थी.

“ठीक ही रहे गुरुजी. लेकिन वो पांडेजी का व्यवहार थोड़ा ग़लत था.”

गुरुजी – वो मैं समझ सकता हूँ. पांडेजी को भी कसूरवार नहीं ठहरा सकते क्यूंकी तुम्हारा बदन है ही इतना आकर्षक.

गुरुजी के मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे झटका लगा पर गुरुजी ने जल्दी से बात सँभाल ली.

गुरुजी – मेरे कहने का मतलब है की पांडेज़ी और बाकी सभी लोग तुम्हारे उपचार का ही एक हिस्सा हैं. इसलिए अगर कोई बहक भी गये तो तुम्हें बुरा नहीं मानना चाहिए और उन्हें माफ़ कर दो. तुम अपना सारा ध्यान मेरे उपचार द्वारा अपने गर्भवती होने के लक्ष्य पर केंद्रित करो. ठीक है रश्मि ?

“हाँ गुरुजी, इसीलिए तो मैंने अपने को काबू में रखा और सब कुछ सहन किया.”

गुरुजी – हाँ , यही तो तुम्हें करना है. अपने दिमाग को अपने वश में करना है. माइंड कंट्रोल इसी को कहते हैं.

मेरे मन में गुरुजी की यही बात घूम रही थी की मुझे पर्याप्त स्खलन नहीं हुआ है. जबकि मुझे लगा था की अपने पति के साथ संभोग के दौरान भी मुझे इतना ज़्यादा स्खलन नहीं होता था जितना यहाँ हुआ था.

“लेकिन गुरुजी , सच में मुझे चरम उत्तेजना हुई थी और इतना ….”

गुरुजी ने मेरी बात बीच में ही काट दी.

गुरुजी – रश्मि , सिर्फ़ उत्तेजना की ही बात नहीं है, इसमें कुछ और चीज़ें भी शामिल रहती हैं. मुझे तुम्हारे पल्स रेट, प्रेशर , हार्ट रेट और ऐसी ही खास बातों को जानना पड़ेगा इसीलिए मैं तुम्हारा डॉक्टर के जैसे चेकअप करूँगा. समझ लो मैं भी एक डॉक्टर ही हूँ , बस मेरे उपचार का तरीका थोड़ा अलग है.

मैं बिना पलक झपकाए गुरुजी की बातें सुन रही थी.

गुरुजी – कभी कभी ऐसा होता है की किसी अंग में कोई खराबी आने से योनि में स्खलन की मात्रा पर्याप्त नहीं हो पाती. उदाहरण के लिए अगर योनि मार्ग में कोई बाधा है या किसी और अंग में कुछ समस्या है. इसलिए तुम्हारे आगे के उपचार से पहले तुम्हारा चेकअप करना ज़रूरी है. जब मुझे पता होगा की क्या कमी है उसी हिसाब से तो मैं तुम्हें दवा दूँगा.

“हाँ गुरुजी ये तो है.”

गुरुजी – लिंगा महाराज में भरोसा रखो. वो तुम्हारी नैय्या पार लगा देंगे. रश्मि तुम्हें फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं. आज से तुम्हारी दवाइयाँ शुरू होंगी और तुम्हारे शरीर से सारी नकारात्मक चीज़ों को हटाने के लिए कल ‘महायज्ञ’होगा , जिसके बाद तुम गर्भवती होने के अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकोगी.

गुरुजी थोड़ा रुके. मैं आगे सुनने को उत्सुक थी.

गुरुजी – महायज्ञ दो दिन में पूर्ण होगा. रश्मि ये बहुत कठिन और थका देने वाला यज्ञ है परंतु इसका फल अमृत के समान मीठा होगा. लेकिन सिर्फ़ यज्ञ से ही सब कुछ नहीं होगा, दवाइयाँ भी खानी होंगी तब असर होगा. और अगर तुम लिंगा महाराज को महायज्ञ के ज़रिए संतुष्ट कर दोगी तो वो तुम्हारी माँ बनने की इच्छा को अवश्य पूर्ण करेंगे , जिसके लिए तुम कबसे तरस रही हो. जय लिंगा महाराज.

“मैं अपना पूरा प्रयास करूँगी गुरुजी. जय लिंगा महाराज.”

गुरुजी – चलो अब पूजा करते हैं फिर मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा.

“ठीक है गुरुजी.”

मैंने चेकअप के लिए हामी भर दी पर मुझे क्या पता था की चेकअप के नाम पर गुरुजी बड़ी चालाकी से और बड़ी सूक्ष्मता से मेरी जवानी का उलट पुलटकर हर तरह से भरपूर मज़ा लेंगे.

अब गुरुजी ने आँखें बंद कर ली और मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए. मैंने भी हाथ जोड़ लिए और लिंगा महाराज की पूजा करने लगी. 15 मिनट तक पूजा चली. उसके बाद गुरुजी उठ खड़े हुए और हाथ धोने के लिए बाथरूम चले गये. वो भगवा वस्त्रा पहने हुए थे. जब वो उठ के बाथरूम जाने लगे तो लाइट उनके शरीर के पिछले हिस्से में पड़ी. मैं ये देखकर शॉक्ड रह गयी की गुरुजी अपनी धोती के अंदर चड्डी नहीं पहने हैं. जब वो थोड़ा साइड में मुड़े तो लाइट उनकी धोती में ऐसे पड़ी की मुझे उनका केले जैसे लटका हुआ लंड दिख गया. मैंने तुरंत अपनी नज़रें मोड़ ली पर उस एक पल में जो कुछ मैंने देखा उससे मेरे निप्पल तन गये.

पूजा के बाद गुरुजी कमरे से बाहर चले गये और मुझे भी आने को कहा. हम बगल वाले कमरे में आ गये, यहाँ मैं पहले कभी नहीं आई थी. आज वहाँ गुरुजी का कोई शिष्य भी नहीं दिख रहा था शायद सब आश्रम के कार्यों में व्यस्त थे. उस कमरे में एक बड़ी टेबल थी जो शायद एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.

गुरुजी – रश्मि टेबल में लेट जाओ. मैं चेकअप के लिए उपकरणों को लाता हूँ.

मैं टेबल के पास गयी पर वो थोड़ी ऊँची थी. चेकअप करने वेल की सुविधा के लिए वो टेबल ऊँची बनाई गयी होगी , क्यूंकी गुरुजी काफ़ी लंबे थे पर मेरे लिए उसमें चढ़ना मुश्किल था. मैंने एक दो बार चढ़ने की कोशिश की. मैंने अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खोसा और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा , फिर अपना दायां पैर टेबल पर चढ़ने के लिए ऊपर उठाया. लेकिन मैंने देखा ऐसा करने से मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जा रही है और मेरी गोरी टाँगें नंगी हो जा रही हैं. तो मैंने टेबल में चढ़ने की कोशिश बंद कर दी. फिर मैं कमरे में इधर उधर देखने लगी शायद कोई स्टूल मिल जाए पर कुछ नहीं था.

“गुरुजी , ये टेबल तो बहुत ऊँची है और यहाँ पर कोई स्टूल भी नहीं है.”

गुरुजी – ओह…..तुम ऊपर चढ़ नहीं पा रही हो. असल में ये एग्जामिनेशन टेबल है इसलिए इसकी ऊँचाई थोड़ी ज़्यादा है. ….रश्मि , एक मिनट रूको.

मैं टेबल के पास खड़ी रही और कुछ पल बाद गुरुजी मेरे पास आ गये.

गुरुजी – रश्मि तुम चढ़ने की कोशिश करो, मैं तुम्हें टेबल तक पहुँचने में मदद करूँगा.

“ठीक है गुरुजी.”

मैंने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने पंजो के बल ऊपर उठने की कोशिश की. मैंने अपनी जांघों के पिछले हिस्से पर गुरुजी के हाथों को महसूस किया. उन्होंने वहाँ पर पकड़ा और मुझे ऊपर को उठाया . मुझे उस पोज़िशन में बहुत अटपटा लग रहा था क्यूंकी मेरी बड़ी गांड ठीक उनके चेहरे के सामने थी. इसलिए मैंने जल्दी से टेबल पर चढ़ने की कोशिश की पर आश्चर्यजनक रूप से गुरुजी ने मुझे और ऊपर उठाना बंद कर दिया और मैं उसी पोज़िशन में रह गयी. अगर मैं अपना पैर टेबल पर रखती तो मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जाती इसलिए मुझे गुरुजी से ही मदद के लिए कहना पड़ा.

“गुरुजी थोड़ा और ऊपर उठाइए, मैं ऊपर नहीं चढ़ पा रही हूँ.”

गुरुजी – ओह….मुझे लगा अब तुम चढ़ जाओगी.

मेरी बड़ी गांड गुरुजी के चेहरे के सामने थी और अब उन्होंने मेरे दोनों नितंबों को पकड़कर मुझे टेबल पर चढ़ाने की कोशिश की. मुझे उनकी इस हरकत पर हैरानी हुई क्यूंकी वो ऊपर को धक्का नहीं दे रहे थे बल्कि उन्होंने मेरे मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ज़ोर से दबा दिया.

“आउच….”

मेरे मुँह से अपनेआप ही निकल गया क्यूंकी मुझे गुरुजी से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी.

गुरुजी – ओह…..सॉरी रश्मि , वो क्या है की मैं थोड़ा फिसल गया था.

“ओह…..कोई बात नहीं गुरुजी….”

मुझे ऐसा कहना पड़ा पर मैं श्योर थी की गुरुजी ने जानबूझकर मेरे नितंबों को दबाया था. फिर उन्होंने मुझे पीछे से धक्का दिया और मैं टेबल तक पहुँच गयी. मुझे ऐसा लगा की जब तक मैं पूरी तरह से टेबल पर नहीं चढ़ गयी तब तक गुरुजी ने मेरे नितंबों से अपने हाथ नहीं हटाए और वो साड़ी से ढके हुए मेरे निचले बदन को महसूस करते रहे.

विकास ने सुबह सवेरे मुझे उत्तेजित कर दिया था पर नहाने के बाद मैं थोड़ी शांत हो गयी थी. अब फिर से गुरुजी ने मेरे नितंबों को दबाकर मुझे गरम कर दिया था. मुझे एहसास हुआ की मेरी पैंटी गीली होने लगी थी. इस तरह से टेबल पर चढ़ने में मुझे बहुत अटपटा लगा था की मेरी गांड एक मर्द के चेहरे के सामने थी और फिर वो मेरे नितंबों को धक्का देकर मुझे ऊपर चढ़ा रहा था.

शरम से मेरे कान लाल हो गये और मेरी साँसें भारी हो गयी थीं. गुरुजी के ऐसे व्यवहार से मैं थोड़ा अनकंफर्टेबल फील कर रही थी पर मुझे अभी भी पूरा भरोसा नहीं था की उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया होगा. मैं सोच रही थी की कहीं गुरुजी सचमुच तो नहीं फिसल गये थे. या फिर जानबूझकर उन्होंने मेरी गांड दबाई थी ? वो मुझे टाँगों को पकड़कर भी तो उठा सकते थे जैसा की उन्होंने शुरू में किया था . मैं कन्फ्यूज़ सी थी .

अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये.

अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये. मैंने अपनी कमर से साड़ी का पल्लू निकाला और साड़ी ठीक ठाक करके पीठ के बल लेट गयी. लेटने से पल्लू मेरी छाती के ऊपर खिंच गया , मैंने देखा मेरी चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह , मेरी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं. मैंने पल्लू को ब्लाउज के ऊपर फैलाकर उन्हें ढकने की कोशिश की.

अब गुरुजी मेरी टेबल के पास आ गये थे. दूसरी टेबल से वो बीपी नापने वाला मीटर, स्टेथेस्कोप और कुछ अन्य उपकरण ले आए थे.

गुरुजी – रश्मि तुम तैयार हो ?

“हाँ गुरुजी.”

गुरुजी – सबसे पहले मैं तुम्हारा बीपी चेक करूँगा. तुम्हें अपने बीपी की रेंज मालूम है ?

“नहीं गुरुजी.”

गुरुजी – ठीक है. अपनी बाई बाँह को थोड़ा ऊपर उठाओ.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी ऊपर उठाई. गुरुजी ने मेरी बाँह में बीपी नापने के लिए मीटर का काला कपड़ा कस के बाँध दिया और पंप करने लगे. मेरा बीपी 130/80 आया , गुरुजी ने कहा नॉर्मल ही है . वैसे ऊपर की रीडिंग थोड़ी ज्यादा है . फिर वो मेरी बाँह से मीटर का कपड़ा खोलने लगे. मैंने देखा बीच बीच में उनकी नज़रें मेरी ऊपर नीचे हिलती हुई चूचियों पर पड़ रही थी.

गुरुजी – अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ.

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरी बायीं कलाई पकड़ ली. उनके गरम हाथों का स्पर्श मेरी कलाई पर हुआ , पता नहीं क्यूँ पर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शायद कुछ ही देर पहले विकास ने जो मुझे अधूरा गरम करके छोड़ दिया था उस वजह से ऐसा हुआ हो.

गुरुजी – अरे …..

“क्या हुआ गुरुजी ..?”

गुरुजी – रश्मि , तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है , जैसे की तुम बहुत एक्साइटेड हो . लेकिन तुम तो अभी अभी पूजा करके आई हो , ऐसा होना तो नहीं चाहिए था……फिर से देखता हूँ.

गुरुजी ने मेरी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया. मुझे मालूम था की मेरी नाड़ी तेज क्यूँ चल रही है. मैं उनके नाड़ी नापने का इंतज़ार करने लगी, पर मुझे फिकर होने लगी की कहीं कुछ और ना पूछ दें की इतनी तेज क्यूँ चल रही है .

गुरुजी – क्या बात है रश्मि ? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है.

“मुझे नहीं मालूम गुरुजी.”

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर गुरुजी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे .

गुरुजी – तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ.

कहते हुए उन्होंने मेरी कलाई छोड़ दी. फिर स्टेथेस्कोप को अपने कानों में लगाकर उसका नॉब मेरी छाती में लगा दिया. उनका हाथ पल्लू के ऊपर से मेरी चूचियों को छू गया. मुझे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था. . गुरुजी मेरी छाती के ऊपर झुके हुए थे पर मेरी आँखों में देख रहे थे. मेरा गला सूखने लगा और मेरा दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा. अब गुरुजी ने नॉब को थोड़ा सा नीचे खिसकाया , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी. वो पल्लू के ऊपर से मेरी बायीं चूची के ऊपर नॉब को दबा रहे थे. मेरी साँसें भारी हो गयीं.

गुरुजी – रश्मि तुम्हारी हृदयगति भी तेज है. कुछ तो बात है.

मैंने मासूम बनने की कोशिश की.

“गुरुजी , पता नहीं ऐसा क्यूँ हो रहा है ?”

कहानी जारी रहेगी
 
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CHAPTER 5- चौथा दिन

Medical चेकअप


Update 2


गुरुजी ने अभी भी नॉब को मेरी बायीं चूची के ऊपर दबाया हुआ था. उनके ऐसे दबाने से अब ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियाँ टाइट होने लगीं. फिर उन्होंने मेरी छाती से स्टेथेस्कोप हटा लिया लेकिन उनकी नज़रें मेरी चूचियों पर ही थीं. औरत की स्वाभाविक शरम से मैंने चूचियों के ऊपर पल्लू ठीक करने की कोशिश की पर ठीक करने को कुछ था ही नहीं क्यूंकी गुरुजी ने पल्लू नहीं हटाया था.

गुरुजी –रश्मि तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो की तुम्हें मालूम ही ना हो की तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति तेज क्यूँ हैं. तुम एक परिपक़्व औरत हो और तुम्हें मुझसे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए.

अब मैं दुविधा में थी की क्या कहूँ और कैसे कहूँ ? गुरुजी से कुछ तो कहना ही था . मैंने बात को घुमा दिया.

“गुरुजी वो …मेरा मतलब……मुझे रात में थोड़ा वैसा सपना आया था शायद उसका ही प्रभाव हो …”

गुरुजी – लेकिन तुम कम से कम एक घंटा पहले उठ गयी होगी. अब तक उस सपने का प्रभाव इतना ज़्यादा तो नहीं हो सकता .

मैं ठीक से जवाब नहीं दे पा रही थी. इस सब के दौरान मैं टेबल पर लेटी हुई थी और गुरुजी मेरी छाती के पास खड़े थे.

गुरुजी – रश्मि जिस तरह से तुम्हारी चूचियाँ ऊपर नीचे उठ रही हैं , मुझे लगता है कुछ और बात है.

अपनी चूचियों के ऊपर गुरुजी के डाइरेक्ट कमेंट करने से मैं शरमा गयी . मैंने उनका ध्यान मोड़ने की भरसक कोशिश की.

“नहीं नहीं गुरुजी. ये तो आपके …”

मैंने जानबूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अपने दाएं हाथ से इशारा करके बताया की उनके मेरी चूची पर स्टेथेस्कोप लगाने से ये हुआ है. मेरे इशारों को देखकर गुरुजी का मनोरंजन हुआ और वो ज़ोर से हंस पड़े.

गुरुजी – अगर इस बेजान स्टेथेस्कोप के छूने से तुम्हारी हृदयगति इतनी बढ़ गयी तो किसी मर्द के छूने से तो तुम बेहोश ही हो जाओगी.

वो हंसते रहे. मैं भी मुस्कुरा दी.

गुरुजी – ठीक है रश्मि . मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ की तुम्हें रात में उत्तेजक सपना आया था. और अब मेरे चेकअप करने से तुम थोड़ी एक्साइटेड हो गयी.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली.

गुरुजी –लेकिन मैं तुम्हें बता दूं की ये अच्छे लक्षण नहीं हैं. तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति इतनी तेज चल रही हैं की अगर तुम संभोग कर रही होती तब भी इतनी नहीं होनी चाहिए थी.

मैंने गुरुजी को प्रश्नवाचक नज़रों से देखा क्यूंकी मेरी समझ में नहीं आया की इसके दुष्परिणाम क्या हैं ?

गुरुजी – अब मैं तुम्हारे शरीर का तापमान लूँगा. इसको अपनी बायीं कांख में लगाओ.

कहते हुए गुरुजी ने थर्मामीटर दिया. अब मेरे लिए मुश्किल हो गयी. घर में तो मैं मुँह में थर्मामीटर लगाती थी पर यहाँ गुरुजी कांख में लगाने को बोल रहे थे. लेकिन मैं तो साड़ी ब्लाउज पहने हुए थी और कांख में लगाने के लिए तो मुझे ब्लाउज उतारना पड़ता.

“गुरुजी , इसको मुँह में रख लूँ ?”

गुरुजी – नहीं नहीं रश्मि. ये साफ नहीं है और अभी यहाँ डेटोल भी नहीं है. मुँह में डालने से तुम्हें इन्फेक्शन हो सकता है.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था और मुझे कांख में ही थर्मामीटर लगाना था.

गुरुजी – अपने ब्लाउज के दो तीन हुक खोल दो और ….

गुरुजी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी . पूरी करने की ज़रूरत भी नहीं थी. मैं उठ कर बैठ गयी और पल्लू की ओट में अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी. गुरुजी सिर्फ़ एक फुट दूर खड़े थे और मुझे ब्लाउज खोलते हुए देख रहे थे. मैंने ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोले और थर्मामीटर को कांख में लगाने को पकड़ा.

गुरुजी – रश्मि एक हुक और खोलो नहीं तो थर्मामीटर ठीक से नहीं लगेगा. और फिर ग़लत रीडिंग आएगी.

मेरे ब्लाउज के हुक्स के ऊपर उनके डाइरेक्ट कमेंट से मैं चौंक गयी . मेरे पति को मेरे ब्लाउज को खोलने का बड़ा शौक़ था. अक्सर वो मेरे ब्लाउज के हुक खुद खोलने की ज़िद करते थे. मुझे हैरानी होती थी की मेरी चूचियों से भी ज़्यादा मेरा ब्लाउज क्यूँ उनको आकर्षित करता है .

मैं गुरुजी को मना नहीं कर सकती थी. मैंने थर्मामीटर टेबल में रख दिया और पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज का तीसरा हुक खोलने लगी. मैंने देखा पल्लू के बाहर से मेरी गोरी गोरी चूचियों का ऊपरी भाग साफ दिख रहा था. मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा गुरुजी की नज़रें वहीं पर थी. मुझे मालूम था की अगर मैं ब्लाउज का तीसरा हुक भी खोल दूं तो मेरे अधखुले ब्लाउज से ब्रा भी दिखने लगेगी. लेकिन मेरे पास कोई और चारा नही था और मुझे तीसरा हुक भी खोलना पड़ा.

गुरुजी – हाँ अब ठीक है. अब थर्मामीटर लगा लो.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी उठाई और आधे खुले ब्लाउज के अंदर से थर्मामीटर कांख में लगा लिया. फिर मैंने पल्लू को एडजस्ट करके गुरुजी की नज़रों से अपनी चूचियों को छुपाने की कोशिश की.

गुरुजी – दो मिनट तक लगाए रखो.

ये मेरे लिए बड़ा अटपटा था की मैं आधे खुले ब्लाउज में एक मर्द के सामने ऐसे बैठी हूँ. इसीलिए मैं चेकअप वगैरह के लिए लेडी डॉक्टर को दिखाना ही पसंद करती थी. वैसे मैं गुरुजी के सामने ज़्यादा शरम नहीं महसूस कर रही थी ख़ासकर की पिछले दो दिनों में मैंने जितनी बेशर्मी दिखाई थी उसकी वजह से. वरना पहले तो मैं बहुत ही शरमाती थी.

गुरुजी – टाइम हो गया. रश्मि अब निकाल लो.

मैंने थर्मामीटर निकाल लिया और गुरुजी को दे दिया. फिर फटाफट अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी , मुझे क्या पता था कुछ ही देर में फिर से खोलना पड़ेगा.

गुरुजी –तापमान तो ठीक है. लेकिन इतनी सुबह तुम्हें पसीना बहुत आया है.

ऐसा कहते हुए उन्होंने थर्मामीटर के बल्ब में अंगुली लगाकर मेरे पसीने को फील किया. मुझे शरम आई और मेरे पास जवाब देने लायक कुछ नहीं था.

फिर मैंने जो देखा उससे मैं शॉक्ड रह गयी. गुरुजी ने थर्मामीटर के बल्ब को अपनी नाक के पास लगाया और मेरी कांख के पसीने की गंध को अपने नथुनों में भरने लगे. उनकी इस हरकत से मेरी भौंहे तन गयीं पर उनके पास हर बात का जवाब था.

गुरुजी – रश्मि, तुम्हें ज़रूर हैरानी हो रही होगी की मैं ऐसे क्यूँ सूंघ रहा हूँ. लेकिन गंध से इस बात का पता चलता है की हमारे शरीर का उपापचन (मेटाबॉलिज़म) कैसा है. अगर दुर्गंध आ रही है तो समझ लो उपापचन ठीक से नहीं हो रहा है. इसीलिए मुझे ये भी चेक करना पड़ता है.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली. अब गुरुजी ने थर्मामीटर , बीपी मीटर एक तरफ रख दिए. मैं टेबल में बैठी हुई थी. गुरुजी अब मेरे अंगों का चेकअप करने लगे. पहले उन्होंने मेरी आँख, कान और गले को देखा. उनकी गरम अंगुलियों से मुझे बहुत असहज महसूस हो रहा था. उनके ऐसे छूने से मुझे कुछ देर पहले विकास के अपने बदन को छूने की याद आ जा रही थी. गुरुजी का चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास था और किसी किसी समय उनकी गरम साँसें मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी , जिससे मेरे बदन में कंपकपी दौड़ जा रही थी. उसके बाद उन्होंने मेरी गर्दन और कंधों की जाँच की. कंधों को जाँचने के लिए उन्होंने वहाँ पर से साड़ी हटा दी. मुझे ऐसा लग रहा था विकास के अधूरे काम को ही गुरुजी आगे बढ़ा रहे हैं. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था पर मैंने बाहर से नॉर्मल दिखने की भरसक कोशिश की.

गुरुजी – रश्मि अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.

गुरुजी – रश्मि अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.

मैं फिर से टेबल में लेट गयी. गुरुजी बिना मुझसे पूछे मेरे पेट के ऊपर से साड़ी हटाने लगे. स्वाभाविक शरम से मेरे हाथों ने अपनेआप ही साड़ी को फिर से पेट के ऊपर फैलाने की कोशिश की पर गुरुजी ने ज़ोर लगाकर साड़ी को मेरे पेट के ऊपर से हटा दिया. मेरे पल्लू के एक तरफ हो जाने से ब्लाउज के ऊपर से साड़ी हट गयी और चूचियों का निचला भाग एक्सपोज़ हो गया.

गुरुजी ने मेरे पेट को अपनी अंगुलियों से महसूस किया और हथेली से पेट को दबाकर देखा. मैंने अपने पेट की मुलायम त्वचा पर उनके गरम हाथ महसूस किए. उनके ऐसे छूने से मेरे बदन में कंपकपी सी हो रही थी. मेरे पेट को दबाकर उन्होंने लिवर आदि अंदरूनी अंगों को टटोला. फिर अचानक गुरुजी मेरी नाभि में उंगली घुमाने लगे, उससे मुझे गुदगुदी होने लगी . गुदगुदी होने से मैं खी खी कर हंसने लगी और लेटे लेटे ही मेरे पैर एक दूसरे के ऊपर आ गये.

गुरुजी – हँसो मत रश्मि. मैं जाँच कर रहा हूँ. और अपने पैर अलग अलग करो.

“गुरुजी , मैं वहाँ पर बहुत सेन्सिटिव हूँ.”

मैंने साड़ी के अंदर अपने पैर फिर से अलग कर लिए. पर उनके ऐसे मेरी नाभि में उंगली करने से गुदगुदी की वजह से मैं अपने नितंबों को हिलाने लगी और मुझे हँसी आती रही.

गुरुजी – ठीक है. हो गया.

मैंने राहत की साँस ली पर उनकी ऐसी जाँच से मेरी पैंटी गीली हो गयी थी.

गुरुजी – रश्मि अब पलटकर नीचे को मुँह कर लो.

ये एक औरत ही जानती है की किसी मर्द के सामने ऐसे उल्टा लेटना कितना अटपटा लगता है. मैं टेबल में अपने पेट के बल लेट गयी. अब मेरे बड़े नितंब गुरुजी की आँखों के सामने ऊपर को थे और मेरी चूचियाँ मेरे बदन से दबकर साइड को फैल गयी थीं. अब गुरुजी ने स्टेथेस्कोप लगाकर मेरी पीठ में जाँच की. उन्होंने एक हाथ से स्टेथो के नॉब को मेरे ब्लाउज के ऊपर दबाया हुआ था और दूसरा हाथ मेरी पीठ के ऊपर रखा हुआ था. मैंने महसूस किया की उनका हाथ ब्लाउज के ऊपर से मेरी ब्रा को टटोल रहा था.

गुरुजी – रश्मि एक गहरी साँस लो.

मैंने उनके निर्देशानुसार लंबी साँस ली. लेकिन तभी उनकी अँगुलियाँ मुझे ब्रा के हुक के ऊपर महसूस हुई . उनकी इस हरकत से मैं साँस रोक नहीं पाई और मेरी साँस टूट गयी.

गुरुजी – क्या हुआ ?

“क…..क…..कुछ नहीं गुरुजी. मैं फिर से कोशिश करती हूँ.”

मेरा दिल इतनी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था की शायद उन्हें भी सुनाई दे रहा होगा. मैंने अपने को संयत करने की कोशिश की. गुरुजी ने भी मेरी ब्रा के ऊपर से अपनी अँगुलियाँ हटा ली . मैंने फिर से लंबी साँस ली.

स्टेथो से जाँच पूरी होने के बाद , मैंने गुरुजी के हाथ ब्लाउज और साड़ी के बीच अपनी नंगी कमर पर महसूस किए. मुझे नहीं मालूम वहाँ पर गुरुजी क्या चेक कर रहे थे पर ऐसा लगा जैसे वो कमर में मसाज कर रहे हैं. गुरुजी की अँगुलियाँ मुझे अपने ब्लाउज के नीचे से अंदर घुसती महसूस हुई. मैं कांप सी गयी. मेरी कमर की नंगी त्वचा पर और ब्लाउज के अंदर उनके हाथ के स्पर्श से मेरे बदन की गर्मी बढ़ने लगी.

मैं सोचने लगी अब गुरुजी कहीं नीचे को भी ऐसे ही अँगुलियाँ ना घुसा दें और ठीक वैसा ही हुआ. गुरुजी ने मेरे ब्लाउज के अंदर से अँगुलियाँ निकालकर अब नीचे को ले जानी शुरू की. और फिर साड़ी और पेटीकोट के अंदर डाल दी. उनकी अँगुलियाँ पेटीकोट के अंदर मेरी पैंटी तक पहुँच गयी.

“आईईईईई…….”

मेरे मुँह से एक अजीब सी आवाज़ निकल गयी. उस आवाज़ का कोई मतलब नहीं था वो बस गुरुजी के हाथों में मेरी असहाय स्थिति को दर्शा रही थी.

गुरुजी – सॉरी रश्मि. आगे की जाँच के लिए मुझे तुमसे साड़ी उतारने को कहना चाहिए था.

उन्होंने मेरी कमर से हाथ हटा लिए. और मुझसे साड़ी उतारने को कहने लगे.

गुरुजी – रश्मि , साड़ी उतार दो. मैं तुम्हारे श्रोणि प्रदेश (पेल्विक रीजन) की जाँच के लिए ल्यूब, टॉर्च और स्पैचुला (मलहम फैलाने का चपटा औजार) लाता हूँ.

ऐसा कहकर गुरुजी दूसरी टेबल के पास चले गये. अब मैं दुविधा में पड़ गयी, साड़ी कैसे उतारूँ ? टेबल बहुत ऊँची थी. अगर टेबल से नीचे उतरकर साड़ी उतारूँ तो फिर से गुरुजी की मदद लेकर ऊपर चढ़ना पड़ेगा. मैं फिर से उनके हाथों अपने नितंबों को मसलवाना नहीं चाहती थी जैसा की पहली बार टेबल में चढ़ते वक़्त हुआ था. दूसरा रास्ता ये था की मैं टेबल में खड़ी होकर साड़ी उतारूँ. मैंने यही करने का फ़ैसला किया.

गुरुजी – रश्मि देर मत करो. फिर मुझे अपने एक भक्त के घर ‘यज्ञ’ करवाने भी जाना है.

मैं टेबल में खड़ी हो गयी . उतनी ऊँची टेबल में खड़े होना बड़ा अजीब लग रहा था. मैंने साड़ी उतारनी शुरू की और देखा की गुरुजी की नज़रें भी मुझ पर हैं , इससे मुझे बहुत शरम आई. अब ऐसे टेबल में खड़े होकर कौन औरत अपने कपड़े उतारती है, बड़ा अटपटा लग रहा था. साड़ी उतारने के बाद मैं सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में टेबल में खड़ी थी और मुझे लग रहा था की जरूर मैं बहुत अश्लील लग रही हूँगी.

गुरुजी – ठीक है रश्मि. अगर तुमने पैंटी पहनी है तो उसे भी उतार दो क्यूंकी मुझे तुम्हारी योनि की जाँच करनी है.

गुरुजी ने योनि शब्द ज़ोर देते हुए बोला, शरम से मेरी आँखें बंद हो गयी. उन्होंने ये भी कहा की अगर चाहो तो पेटीकोट रहने दो और इसके अंदर से सिर्फ़ पैंटी उतार दो. मैंने पैंटी उतारने के लिए अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया, शरम से मेरा मुँह लाल हो गया था. फिर मैंने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर अपनी पैंटी को नितंबों से नीचे खींचने की कोशिश की. टेबल में खड़ी होकर पेटीकोट उठाकर पैंटी नीचे करती हुई मैं बहुत भद्दी दिख रही हूँगी और एक हाउसवाइफ की बजाय रंडी लग रही हूँगी. तब तक गुरुजी भी अपने उपकरण लेकर मेरी टेबल के पास आ गये थे. और वो नीचे से मेरी पेटीकोट के अंदर पैंटी उतारने का नज़ारा देखने लगे. लेकिन मैं असहाय थी और मुझे उनके सामने ही पैंटी उतारनी पड़ी.

गुरुजी – रश्मि , अपनी साड़ी और पैंटी मुझे दो. मैं यहाँ रख देता हूँ.

ऐसा कहकर उन्होंने मेरे कुछ कहने का इंतज़ार किए बिना टेबल से मेरी साड़ी उठाई और मेरे हाथों से पैंटी छीनकर दूसरी टेबल के पास रख दी. मैं फिर से टेबल में लेट गयी. अब गुरुजी का व्यवहार कुछ बदला हुआ था . उन्होंने मुझसे कहने की बजाय सीधे खुद ही मेरे पेटीकोट को मेरी कमर तक ऊपर खींच दिया और मेरी टाँगों को फैला दिया. उसके बाद उन्होंने मेरी टाँगों को उठाकर टेबल में बने हुए खाँचो में रख दिया. अब मैं लेटी हुई थी और मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठी हुई थी. मेरी गोरी जाँघें और चूत गुरुजी की आँखों के सामने बिल्कुल नंगी थी. शरम और घबराहट से मेरे दाँत भींच गये.

मैं लेटे लेटे गुरुजी को देख रही थी. अब गुरुजी ने मेरी चूत के होठों को अपनी अंगुलियों से अलग किया. गुरुजी ने मेरी चूत के होठों पर अपनी अंगुली फिराई और फिर उन्हें फैलाकर खोल दिया. उसके बाद उन्होंने अपनी तर्जनी अंगुली (दूसरी वाली) में ल्यूब लगाकर धीरे से मेरी चूत के अंदर घुसायी. मेरी चूत पहले से ही गीली हो रखी थी, पहले विकास की छेड़छाड़ से और अब चेकअप के नाम पर गुरुजी के मेरे बदन को छूने से . मेरी चूत के होंठ गीले हो रखे थे और गुरुजी की अंगुली आराम से मेरी चूत में गहराई तक घुसती चली गयी.

“ओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..”

मेरी सिसकारी निकल गयी.

गुरुजी – रश्मि रिलैक्स ,ये सिर्फ़ जाँच हो रही है. मुझे गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की जाँच करनी है.

गुरुजी ने अपनी अंगुली मेरी चूत से बाहर निकाल ली , मैंने देखा वो मेरे चूतरस से सनी हुई थी. उन्होंने फिर से अंगुली चूत में डाली और गर्भाशय ग्रीवा को धीरे से दबाया. गुरुजी के मेरी चूत में अंगुली घुमाने से मैं उत्तेजना से टेबल में लेटे हुए कसमसाने लगी. गुरुजी अपनी जाँच करते रहे. फिर मैंने महसूस किया की अब उन्होंने मेरी चूत में दो अँगुलियाँ डाल दी थी.

गुरुजी – मुझे तुम्हारे गर्भाशय (यूटरस) और अंडाशय (ओवारीस) की भी जाँच करनी है की उनमे कोई गड़बड़ी तो नहीं है.

गुरुजी के हाथ बड़े बड़े थे और उनकी अँगुलियाँ भी मोटी और लंबी थीं. उनके अँगुलियाँ घुमाने से ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया हो. मुझे साफ समझ आ रहा था की गुरुजी जाँच के नाम पर मेरी चूत में अँगुलियाँ ऐसे अंदर बाहर कर रहे थे जैसे मुझे अंगुलियों से चोद रहे हों. मेरा पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था और मेरा निचला बदन बिल्कुल नंगा था. मेरी चूत उस उम्रदराज बाबा की आँखों के सामने नंगी थी. ऐसी हालत में लेटी हुई मैं उनकी हरकतों से उत्तेजना से कसमसा रही थी.

“ओओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……गुरुजी….”

मुझे अपनी चूत के अंदर गुरुजी की अँगुलियाँ हर तरफ घूमती महसूस हो रही थीं. गुरुजी ने एक हाथ की अँगुलियाँ चूत में डाली हुई थीं और दूसरे हाथ से मेरी चूत के ऊपर के काले बालों को सहला रहे थे. फिर उन्होंने एक हाथ में स्पैचुला को पकड़ा और दूसरे हाथ से चूत के होठों को फैलाकर स्पैचुला को मेरी चूत में डाल दिया.

“आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह……….गुरुजी प्लीज़ रुकिये . मैं इसे नहीं ले पाऊँगी.”

मैं बेशर्मी से चिल्लाई. मेरे निप्पल तन गये और ब्रा के अंदर चूचियाँ टाइट हो गयीं. ठंडे स्पैचुला के मेरी चूत में घुसने से मैं कसमसाने लगी. उत्तेजना से मैं तड़पने लगी. स्पैचुला ने मेरी चूत के छेद को फैला रखा था . इससे गुरुजी को चूत के अंदर गहराई तक दिख रहा होगा. कुछ देर तक जाँच करने के बाद गुरुजी ने स्पैचुला को बाहर निकाल लिया.

गुरुजी – ठीक है रश्मि. इसकी जाँच हो गयी. अब तुम अपनी टाँगें मिला सकती हो.

लेकिन मैं ऐसा करने की हालत में नहीं थी. मैं एक मर्द के सामने अपनी टाँगें, जांघों और चूत को बिल्कुल नंगी किए हुए थोड़ी देर तक उसी पोजीशन में पड़ी रही. फिर कुछ पलों बाद मैंने अपने को संयत किया और अपने पेटीकोट को नीचे करके चूत को ढकने की कोशिश की.

गुरुजी – रश्मि पेटीकोट नीचे मत करो. अब मुझे तुम्हारी गुदा (रेक्टम) की जाँच करनी है.

मैं इसकी अपेक्षा नहीं कर रही थी पर क्या कर सकती थी.

गुरुजी – रश्मि पेट के बल लेट जाओ. जल्दी करो मेरे पास समय कम है.

मुझे उस कामुक अवस्था में टेबल में पलटते हुए देखकर गुरुजी की आँखों में चमक आ गयी . उन्होंने पेटीकोट को जल्दी से ऊपर उठाकर मेरी बड़ी गांड को पूरी नंगी कर दिया. मुझे मालूम था की मेरी सुडौल गांड मर्दों को आकर्षित करती है , उसको ऐसे ऊपर को उठी हुई नंगी देखना गुरुजी के लिए क्या नज़ारा रहा होगा. अब गुरुजी ने मेरी जांघों को फैलाया , इससे मेरी चूत भी पीछे से साफ दिख रही होगी. मुझे उस शर्मनाक पोजीशन में छोड़कर गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये.

फिर वो हाथों में लेटेक्स के दस्ताने पहन कर आए. अपनी तर्जनी अंगुली के ऊपर उन्होंने थोड़ा ल्यूब लगाया. फिर गुरुजी ने अपने बाएं हाथ से मेरे नितंबों को फैलाया और दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली मेरी गांड के छेद में धीरे से घुसा दी.

“ओओओओऊऊह्ह्ह्ह्ह…..”

मैं हाँफने लगी और मैंने टेबल के सिरों को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया.

गुरुजी – रिलैक्स रश्मि. तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी.

गुरुजी मुझसे रिलैक्स होने को कह रहे थे पर मुझे कल रात विकास के साथ नाव में गांड चुदाई की याद आ गयी थी. सुबह पहले विकास के साथ और अब गुरुजी के मेरे बदन को हर जगह छूने से मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. मेरी चूत से रस बहने लगा. उनके मेरी गांड में ऐसे अंगुली घुमाने से मुझे मज़ा आने लगा था , पर ये वाली जाँच जल्दी ही खत्म हो गयी. अंगुली अंदर घुमाते वक़्त गुरुजी दूसरे हाथ से मेरे नंगे मांसल नितंबों को दबाना नहीं भूले.

जाँच पूरी होने के बाद मैं टेबल में सीधी हो गयी और पेटीकोट को नीचे करके अपने गुप्तांगो को ढक लिया. फिर गुरुजी ने मुझे टेबल से नीचे उतरने में मदद की. मैं इतनी उत्तेजित हो रखी थी की जब मैं टेबल से नीचे उतरी तो मैंने सहारे के बहाने गुरुजी को आलिंगन कर लिया. और जानबूझकर अपनी तनी हुई चूचियाँ उनकी छाती और बाँह से दबा दी. मुझे हैरानी हुई की बाकी मर्दों की तरह गुरुजी ने फायदा उठाकर मुझे आलिंगन करने या मेरी चूचियों को दबाने की कोशिश नहीं की और सीधे सीधे मुझे टेबल से नीचे उतार दिया. मुझे एहसास हुआ की गुरुजी जल्दी में हैं, पर उनका चेहरा बता रहा था की मेरे गुप्तांगों को देखकर वो संतुष्ट हैं.

गुरुजी – रश्मि साड़ी पहनकर अपने कमरे में चली जाओ. चेकअप के नतीजे मैं तुम्हें शाम को बताऊँगा.

मैंने सर हिलाकर हामी भर दी और गुरुजी कमरे से बाहर चले गये. मैं एक बार फिर से अधूरी उत्तेजित होकर रह गयी. मुझे बहुत फ्रस्ट्रेशन फील हो रही थी . विकास और गुरुजी दोनों ने ही मुझे उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँचाया और बिना चोदे ही छोड़ दिया. सच्ची बताऊँ तो अब मैं चुदाई के लिए तड़प रही थी. मैं विकास को कोसने लगी की सुबह मेरे कमरे में आया ही क्यूँ और मुझे गरम करके तड़पता छोड़ गया.

मैं अपने कमरे में चली आई और दरवाज़ा बंद करके बेड में लेट गयी. मेरा दिल अभी भी जोरो से धड़क रहा था और अधूरे ओर्गास्म से मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी. मैंने तकिये को कसकर अपनी छाती से लगा लिया और ये सोचकर उसे दबाने लगी की मैं विकास को आलिंगन कर रही हूँ. वो तकिया लंबा नहीं था इसलिए मैं तकिये में अपनी टाँगें नहीं लपेट पा रही थी और मुझे काल्पनिक एहसास भी सही से नहीं हो पा रहा था. मेरी फ्रस्ट्रेशन और भी बढ़ गयी. मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही थी जैसा की औरतों को चुदाई की जबरदस्त इच्छा के समय होती है. मैंने अपनी साड़ी उतार कर बदन से अलग कर दी.

मेरे निप्पल सुबह से तने हुए थे और अब दर्द करने लगे थे. मैंने अपना ब्लाउज भी खोल दिया और ब्रा को खोलकर चूचियों को आज़ाद कर दिया. अब मैं ऊपर से नंगी होकर बेड में लेटी हुई थी और एक हाथ से अपनी चूचियों को सहला रही थी और दूसरे हाथ से पेटीकोट के ऊपर से अपनी चूत को खुज़ला रही थी. मैं बहुत चुदासी हो रखी थी.

मेरी बेचैनी बढ़ती गयी और अपने बदन की आग को मैं सहन नहीं कर पा रही थी. मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और गीली पैंटी को फर्श में फेंक दिया. अब मैं बिल्कुल नंगी थी. मैं बाथरूम में गयी और अपने बदन को उस बड़े शीशे में देखा. मैं शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बदन से खेलने लगी और कल्पना करने लगी की विकास मेरे बदन से खेल रहा है.

लेकिन मुझे हैरानी हुई की मेरे मन में वो दृश्य घूमने लगा की जब कुछ देर पहले गुरुजी मेरी चूत में अपनी अँगुलियाँ घुमा रहे थे. मेरी चूत से फिर से रस बहने लगा. मैंने अपने तने हुए निपल्स को मरोड़ा और दोनों हाथों से अपनी चूचियों को मसला. लेकिन इससे मेरी बेचैनी शांत नहीं हुई.

अब मैं शीशे के बिल्कुल नज़दीक़ खड़ी हो गयी और अपनी बाँहों को ऊपर उठाकर शीशे को पकड़ लिया और अपनी नंगी चूचियों को शीशे में रगड़ने लगी. मैं अपने चेहरे और गालों को भी शीशे से रगड़ने लगी. मैं पूरी तरह से बेकाबू हो चुकी थी. ऐसे अपने नंगे बदन को शीशे से रगड़ते हुए मैं बेशर्मी से अपनी बड़ी गांड को मटका रही थी. फिर मैंने नल की टोंटी से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया.


मैं इतनी बेकरार थी की ऐसे रगड़कर ही मैंने आनंद लेने की कोशिश की. मैंने अपनी जांघों के संवेदनशील अंदरूनी हिस्से को अपने हाथों से मसला . फिर अपनी तर्जनी अंगुली को गीली चूत में घुसाकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी और अपनी क्लिट को बुरी तरह मसलकर ओर्गास्म लाने की कोशिश की. कुछ देर बाद मुझे ओर्गास्म आ गया और मैं थकान से पस्त हो गयी.

मैंने जैसे तैसे अपने बदन को बाथरूम से बाहर धकेला और बिस्तर में गिर गयी. मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था. ऐसे ही मुझे गहरी नींद आ गयी , सुबह विकास ने मुझे जल्दी उठा दिया था इसलिए मेरी नींद भी पूरी नहीं हो पाई थी. पता नहीं कितनी देर बाद मेरी नींद खुली . ऐसे नंगी बिस्तर में पड़ी देखकर मुझे अपनेआप पर बहुत शरम आई. मैं बिस्तर से उठी और बाथरूम जाकर अपने को अच्छी तरह से धोया और फिर कपड़े पहन लिए.

मैं सोचने लगी सिर्फ़ दो तीन दिनों में ही मैं कितनी बोल्ड और बेशरम हो गयी हूँ. मैं अपने कमरे में आराम से नंगी घूम रही थी , मेरी बड़ी चूचियाँ उछल रही थीं और मेरे हिलते हुए नंगे नितंब मेरी बेशर्मी को बयान कर रहे थे. सिर्फ़ कुछ दिन पहले मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती थी. जब मैं अपने पति के साथ बेडरूम में होती थी और मुझे बेड से उतरना होता था तो मैं पैंटी ज़रूर पहन लेती थी और अक्सर ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लेती थी. कभी अपने बेडरूम में ऐसे नंगी नहीं घूमती थी. कितना परिवर्तन आ गया था मुझमें. मुझे खुद ही अपने आप से हैरानी हो रही थी.

कहानी जारी रहेगी
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 5- चौथा दिन

मालिश


Update 1

अब 11:30 बज गये थे और मैं नहाने की सोच रही थी . तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया.

“कौन है ?”

जवाब देने वाले को मैं पहचान नहीं पाई. मैं सोचने लगी ये किसकी आवाज़ है , सुनी हुई तो लग रही है. मैंने दरवाजा खोला तो बाहर राजकमल खड़ा था.

राजकमल – मैडम , मैं मालिश के लिए आया हूँ. गुरुजी ने आपको इसके बारे में जरूर बताया होगा.

मैंने कुछ पल के लिए सोचा फिर मुझे याद आया की उस दिन गुरुजी ने तेल देते समय कहा था की राजकमल मालिश का तरीका बताएगा.

“अरे हाँ हाँ. अंदर आ जाओ.”

राजकमल – थैंक्स , मैडम.

राजकमल गुरुजी के शिष्यों में सबसे छोटा था , करीब 21 – 22 बरस का होगा. वो दुबला पतला था और इस वजह से और भी कम उम्र का दिखता था. वो आश्रम के भगवा वस्त्र पहने हुआ था. उसके हाथ में एक बैग था जिसमें से चटाई का एक कोना बाहर निकला हुआ था.

राजकमल – मैडम , आप अभी मालिश के लिए तैयार हो ?

मुझे थोड़ी उलझन हुई. क्या ये मेरी मालिश करेगा ? गुरुजी की बातों से तो मुझे लगा था की ये मुझे बताएगा की कैसे करनी है और मालिश मुझे खुद करनी होगी.

“तुम मुझे बताओगे नहीं की मालिश कैसे करनी है ?”

राजकमल – मैडम , ये तो जड़ी बूटी वाले तेलों से पूरे बदन की खास किस्म की मालिश है. आप अपनेआप नहीं कर पाओगी. मैं आपको तरीका सीखा दूँगा लेकिन फिर भी आपको मेरी मदद की ज़रूरत तो पड़ेगी ही.

लेकिन उस जवान लड़के से मालिश के लिए मेरा मन राज़ी नहीं हो पा रहा था.

“अच्छा ये बताओ की तुम्हारी उम्र क्या है ? और तुम कब से इस आश्रम में हो ?”

राजकमल – मैं 21 साल का हूँ मैडम. जब मैं बहुत छोटा था तबसे गुरुजी के आश्रम में हूँ.

हे भगवान ! मैंने बिल्कुल सही अनुमान लगाया था. वो सिर्फ़ 21 बरस का था और मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत. मैं सोचने लगी इस लड़के से मैं कैसे मालिश करवा सकती हूँ ?

राजकमल – मैडम , मुझे गुरुजी ने प्रशिक्षित किया है. आप चिंता मत करो. मेरी मालिश से आपको पूर्ण संतुष्टि मिलेगी.

ये लड़का मेरे जवान बदन की मालिश करेगा, सोचकर मेरी नज़रें औरत की स्वाभाविक शरम से झुक गयीं. मैंने कोई और तरीका सोचने की कोशिश की.

“अगर तुम मंजू को मालिश का तरीका बता दो तो मंजू मेरी मालिश कर देगी. ऐसा हो सकता है ?”

राजकमल – मैडम, मंजू दीदी भी कर सकती है और आप खुद भी कर सकती हो. लेकिन मैडम ये तो महज खानापूर्ति वाली बात होगी. मालिश का असली फायदा तो तभी होगा जब वो मेरे प्रशिक्षित हाथों से होगी.

“हाँ ये तो है.”

राजकमल – जड़ी बूटी वाले तेलों का भी मालिश में अहम रोल है और मेरे प्रशिक्षित हाथों का भी.

“हम्म्म …..मैं समझ रही हूँ.”

राजकमल की बातों से मैं मालिश के लिए राज़ी हो गयी.

“इसमें कितना समय लगेगा ?”

राजकमल – मैडम, आधा घंटा लगेगा, अगर आप सहयोग करोगी तो.

मेरी भौंहे तन गयीं.

“सहयोग ? क्या मतलब है तुम्हारा ?”

राजकमल – मैडम, मैं पिछले एक साल से ये मालिश कर रहा हूँ. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों की मालिश की है लेकिन उनमें से कुछ औरतों ने मालिश के तरीके पर ऐतराज किया और बेवजह मालिश में देर कर दी.

“मैं समझी नहीं ….”

राजकमल – मैडम , अगर आप उन क़िस्सों को सुनोगी तो हंस पड़ोगी. एक औरत आई थी आश्रम में, मुझसे कहने लगी पीठ की मालिश ब्लाउज के ऊपर से करो. ज़रा कल्पना करो , सोच के भी हँसी आती है.

वो थोड़ा रुका और मेरे रिएक्शन को भाँपने की कोशिश की.

राजकमल – पिछले महीने की बात है ये. ऐसा कैसे संभव है ? एक औरत आई थी , उसने मालिश के लिए मुझे अपनी टाँगें छूने से मना कर दिया. एक औरत ने अपने बालों में जड़ी बूटी वाला तेल लगाने से इनकार कर दिया. मैडम , ऐसी औरतों को समझाने में बहुत वक़्त बर्बाद हो जाता है और मालिश में बेवजह देर हो जाती है. इसलिए मैंने सहयोग के लिए कहा.

मैं थोड़ा हँसी, जैसे की ये बता रही हूँ की मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ. राजकमल ने मुझे देखा और वो भी मुस्कुराया , जैसे की वो समझ गया हो की मैं उससे इस तरह के ऐतराज नहीं करूँगी.

उसने फर्श में चटाई बिछा दी. फिर वो मुड़ा और दरवाज़े को बंद करके अंदर से कुण्डी लगा दी. उसके अंदर से दरवाज़ा बंद करने से मैं थोड़ा घबरा गयी और बेवक़ूफी भरा सवाल कर बैठी.

“तुमने दरवाज़े में कुण्डी क्यूँ लगा दी ?”

शायद राजकमल को मेरे सवाल से और भी ज़्यादा आश्चर्य हुआ और कुछ पलों के लिए उसे जवाब नहीं सूझा.

राजकमल – वो….वो….मेरा मतलब आपके लिए बंद किया मैडम. आपको कपड़े उतारने होंगे ना …..इसलिए.

“ओह्ह ……ठीक है. असल में मैंने कभी ऐसे मालिश नहीं करवाई है ना इसलिए मुझे अंदाज़ा नहीं है.”

राजकमल – आश्रम में आने वाली सभी औरतें ऐसा ही कहती हैं मैडम. लेकिन मालिश के बाद वो कहती हैं की ऐसी संतुष्टि उन्हें कभी नहीं मिली.

वो अर्थपूर्ण तरीके से मुस्कुराया.

“हम्म्म …..”

मैंने सोचा इसकी मालिश से मुझे कुछ आराम मिल जाएगा . विकास और गुरुजी ने जो संभोग की इच्छा जगा दी थी , मालिश से मुझे थोड़ी मानसिक शांति मिल जाएगी. वैसे गहरी नींद आ जाने से बेचैनी अब काफ़ी हद तक कम हो गयी थी.

राजकमल – मैडम , गुरुजी के जड़ी बूटी वाले तेल जादुई असर करते हैं. आप देख लेना.

मैंने सर हिला कर हामी भर दी और उम्मीद की ऐसा ही हो.

राजकमल – आप इस चटाई में बैठो , मैं तेलों को तैयार करता हूँ.

एक अच्छी बात ये थी की राजकमल बाकी मर्दों की तरह मेरे बदन को लालच भरी निगाहों से नहीं घूर रहा था और इससे मुझे सहज महसूस हो रहा था. लेकिन ये लड़का मेरे बदन की मालिश करेगा , इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तन गये थे. राजकमल अब और वक़्त बर्बाद करने के मूड में नहीं था और उसने एक सुगंधित तेल की बोतल खोलकर थोड़ा तेल अपनी हथेली में डाल लिया.

राजकमल – मैडम , मैं आपके बालों से शुरू करूँगा. आप अपना जूड़ा खोलकर बाल पीठ में फैला दो.

मैं भगवा रंग की सूती साड़ी और ब्लाउज में चटाई में बैठी हुई थी. राजकमल मेरे पीछे बैठा था. मैंने अपने लंबे बाल खोल दिए. उसने बालों वाला तेल मेरे बालों में लगाना शुरू किया और वास्तव में उस तेल की सुगंध मदहोश करने वाली थी. मैंने गहरी साँस ली और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था.

राजकमल – मैडम , आपके बाल बहुत अच्छे हैं.

मुझे उसकी तारीफ का जवाब देने का मन नहीं हुआ. पूरे कमरे में तेल की सुगंध फैल गयी थी. उसने सावधानी से मेरे सर में तेल लगाया और फिर अपनी अंगुलियों से मेरे लंबे बालों में लगाया.

मैं अभी भी थोड़ी नर्वस हो रखी थी क्यूंकी एक मर्द के हाथों से अपने बदन की मालिश करवाने में मैं कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी , वो भी अपने से छोटे लड़के से. . जब वो मेरे सर में तेल लगा रहा था तो मैं कल्पना कर रही थी की वो मेरी पीठ की मालिश कैसे करेगा ? मुझे अपना ब्लाउज खोलना पड़ेगा और बदन ढकने के लिए कमरे में कुछ नहीं था. टॉवेल भी बाथरूम में छोड़ आई थी. मुझे ध्यान रखना चाहिए था. तभी राजकमल के घुटने मेरे गोल नितंबों से छू गये , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.

पिछले कुछ दिनों में दिखाई बेशर्मी के बावजूद , इस मालिश को लेकर मेरे मन में शरम, घबराहट और असहजता के मिले जुले भाव आ रहे थे. अब मेरे सर की मालिश खत्म होने को आई थी, मेरे दिल ने ज़ोर से धड़कना शुरू कर दिया.

राजकमल – मैडम , आपने ख्याल किया होगा की मैं कैसे आपके बालों को फैला रहा था और आपके सर की मालिश कर रहा था. आपको भी ऐसे ही करना होगा , जब आप खुद करोगी या किसी और से करवाओगी.

ठीक है.

राजकमल ने अब मालिश का तेल अपनी दोनों हथेलियों में लगाया और मेरे माथे पर मलने लगा.

राजकमल – मैडम , एक अच्छी मालिश हमेशा बदन के ऊपरी हिस्से से शुरू होनी चाहिए और धीरे धीरे नीचे को जानी चाहिए. और हर हिस्से के लिए अलग अलग तेल होते हैं. ये तेल चेहरे के लिए है.

मैंने सहमति में सर हिलाया और मालिश का आनंद लेने लगी. वास्तव में अच्छा महसूस कर रही थी. राजकमल की अंगुलियों ने मेरे माथे की मालिश की और फिर मेरे नरम गालों की. जब वो अपनी अंगुलियों से मेरे गालों को किसी छोटी लड़की के जैसे दबा रहा था तो मुझे बहुत शरम आ रही थी. उसने मेरे गालों में देर तक गोल गोल करके मालिश की , इससे मेरे गाल लाल हो गये थे. पर मुझे नहीं मालूम वो कितना मेरे शरमाने से लाल हुए थे और कितना उसके मलने से.

चेहरे की मालिश के बाद उसके हाथ मेरे कानो के पास आए. उसने अपने बैग में से रुई लगी हुई कान साफ करने वाली तिल्ली निकाली और मेरे कानों को सावधानी से साफ किया. उसके बाद मेरे कानों में तेल लगाया.

“आआअहह….”

मैंने संतुष्टि से आह भरी. मुझे बहुत रिलैक्स फील हो रहा था और बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने मन ही मन गुरुजी को मालिश के लिए धन्यवाद दिया. मैं चाह रही थी की कुछ देर और मेरे चेहरे की मालिश होती रहे पर राजकमल को और जगह भी मालिश करनी थी. उसने एक दूसरी बोतल निकाली और अपने हाथों में तेल लगा लिया. अब वो मेरी गर्दन में और गले में तेल लगाने लगा. उसने ध्यान रखा की तेल से मेरा ब्लाउज खराब ना हो.

राजकमल – मैडम, ये तेल गर्दन और पीठ के लिए है. वैसे बोतल में ये लिखा हुआ है.

फिर उसने मेरी दायीं हथेली को पकड़ा और उसमें मालिश करने लगा. एक मर्द के ऐसे मेरी हथेली को मलने से मुझे फिर से शरम आने लगी. राजकमल ने मेरी हर एक नाज़ुक अंगुली में एक एक करके मालिश की और फिर ऐसा ही बायीं हथेली में भी किया. वो बीच बीच में बातें भी कर रहा था जिससे माहौल थोड़ा सहज हो जा रहा था. मेरे नाखूनों में गुलाबी नेलपॉलिश लगी हुई थी . तेल लगने से मेरे नाख़ून चमकने लगे .

उसके बाद राजकमल ने मेरे गोरे हाथों की मालिश शुरू की. वो ज़ोर से मालिश कर रहा था और कभी कभी हाथों को दबा भी रहा था. मेरे खून का दौरा बढ़ने लगा और मुझे गर्मी महसूस होने लगी. मेरा ब्लाउज कोहनी से थोड़ा ऊपर तक था , वहाँ तक राजकमल मेरी मालिश कर रहा था. फिर उसकी अंगुलियां मेरे ब्लाउज तक पहुँच गयी. उसने धीरे से मेरे कान में कहा ….

राजकमल – मैडम , आपका ब्लाउज ….

मैंने अंदाज़ा लगाया की शिष्टतावश उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया पर मैं समझ गयी थी की अब मुझे अपने बदन से ब्लाउज अलग करना पड़ेगा.

मेरा ब्लाउज कोहनी से थोड़ा ऊपर तक था , वहाँ तक राजकमल मेरी मालिश कर रहा था. फिर उसकी अंगुलियां मेरे ब्लाउज तक पहुँच गयी. उसने धीरे से मेरे कान में कहा ….

राजकमल – मैडम , आपका ब्लाउज ….

मैंने अंदाज़ा लगाया की शिष्टतावश उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया पर मैं समझ गयी थी की अब मुझे अपने बदन से ब्लाउज अलग करना पड़ेगा. मालिश शुरू होने से पहले मुझे इसी बात की फिकर थी , लेकिन मैं उस लड़के की मालिश में इतनी तल्लीन थी की ब्लाउज उतारने में मुझे ज़्यादा झिझक नहीं हुई. मैंने आगे से ब्लाउज के हुक खोले और राजकमल ने मेरी बाँहों से ब्लाउज उतारने में मदद की. पहली बार कोई लड़का ऐसे मेरा ब्लाउज उतार रहा था. मैं रोज़ ही बेशर्मी की नयी ऊँचाइयों को छू रही थी.

कहानी जारी रहेगी
 
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