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Nice update bro aag laga diUPDATE 10
दोपहर 3 बजे सरला देवी निकल चुकी थी शहर की हवेली से ड्राइवर रामू के साथ करीबन 2 घंटे बाद सरला देवी पहुंच गई अपने भाई धीरेन्द्र के गांव लेकिन अपने भाई के पास जाने के बजाय सरला देवी उसी गांव के घने जंगल की तरफ वही एक गुप्त रस्ते से होते हुए सरला देवी आती है रामू के साथ शिव मंदिर की तरफ (ये वही मंदिर है जहां रानी सुनंदा शुरुवात में आई थी सभी के साथ जहां बाबा जगन्नाथ मिले थे) गाड़ी रोक के सरला देवी गाड़ी से उतर के मंदिर में जाती है जहां इस वक्त जगन्नाथ बाबा शिव जी की मूर्ति के नीचे बैठे जाप कर रहे थे उन्हें देखते ही सरला देवी खुद ब खुद घुटनों के बल हो गई और रोने लगी सरला देवी के रोने की आवाज सुन जगन्नाथ बाबा की आंखे खुल गई उन्होंने पलट के देखा सरल देवी को अपने स्थान से खड़े हो गए तभी सरला देवी का ड्राइवर ने सरला देवी को रोता देख उसके पास जाने लगे तभी...
जगन्नाथ बाबा – (रामू को रोक के) रुक जाओ पुत्र रो लेने दो इन्हें कई सालों से दर्द को अपने दिल में दबाए हुए है रो लेने दो जी भर के आज इन्हें...
कुछ देर बाद जगन्नाथ बाबा ने सरला देवी को उठाया जिसके बाद...
सरला देवी – (सुबकते हुए) क्यों बाबा आखिर क्यों हुआ मेरे साथ ऐसा क्या कसूर था मेरा क्या कसूर था मेरे जिगर के टुकड़े का जो इतने सालों से झेल रहा है सजा को आखिर क्यों बाबा...
जगन्नाथ – कोशिश तो मैने बहुत की थी पुत्री ऐसा कुछ ना हो लेकिन विधि के विधान को कौन बदल सका जो मै कर सकता...
सरला देवी – बाबा उस मनहूस रात के बाद जैसे मेरा सब कुछ तबाह हो गया मेरी मांग का सिंदूर मुझसे छीन गया साथ ही मेरे पोते के माथे पे कलंक लग गया उसके दादा के नाम का बाबा और मै कुछ ना कर सकी बाबा...
जगन्नाथ – नहीं पुत्री तुमने बहुत कुछ किया अपने पोते के लिए जो मा बाप को करना चाहिए था लेकिन ये सौभाग्य तुम्हारे नसीब में था पुत्री इसीलिए ऐसा हुआ लेकिन अब वक्त आ गया है पुत्री तुमने जो किया है अपने पोते के खातिर उसका फल मिलेगा तुझे बस कुछ दिनों की बात और है पुत्री...
सरला देवी – मै बस यही चाहती हूँ मेरी आंख बंद हो उससे पहले मेरे पोते वापस आ जाए अपने परिवार में शांति से ताकि उसे वो सब मिल सके जिसके लिए वो आज तक तरसता रहा है बाबा...
जगन्नाथ – ऐसा ही होगा पुत्री बस कुछ दिन में तेरे पोते का 21 वा जन्मदिन है उसके बाद शुरुवात होगी उसकी खुशी की जिसके लिए तूने इतनी तपस्या की है और साथ ही उस कार्य की जिसके लिए उसका जन्म हुआ है पुत्री बस तुझे उसका साथ देते रहना है जैसे अब तक देती रही हो ताकि जल्द से जल्द वो अपनी सभी शक्ति को प्राप्त कर सके जानती हो उसकी शक्ति कौन है...
सरला देवी – नहीं बाबा...
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) मै बताता हूं...
उसके बाद जगन्नाथ बाबा आगे की बात बताते है सरला देवी को जिसे सुन के वो चौक जाती है उसके बाद आगे की बात सुन के...
सरला देवी – मेरी आखिरी सास तक मै अपने पोते के साथ रहूंगी बाबा उसे उसकी शक्ति तक मै लेके जाऊंगी...
जगन्नाथ – अति उत्तम पुत्री जिस तरह से तूने कुछ समय से जहर से जहर को काटा है उसी तरह से तुझे इन कुछ दिनों में ऐसा ही कुछ करना होगा तभी तेरी सालों की तपस्या सफल होगी पुत्री...
सरला देवी – हा मै करूगी बाबा...
जगन्नाथ – ठीक है पुत्री अब आप प्रस्थान करे आपका पोता आपकी राह देख रहा है....
सरला देवी – जी बाबा अब मुझे कब आना होगा बाबा...
जब तेरी इच्छा हो पुत्री ये मंदिर शिव के सभी भक्तों के लिए है पुत्री बस अब मै वक्त आने पर आऊंगा खुद तेरे पास इंतजार करना...
सरला देवी – जी बाबा...
बोल के सरला देवी अपने ड्राइवर के साथ निकल गई अपने भाई धीरेन्द्र की हवेली पर लेकिन उसके कुछ समय पहले सुबह को क्या हुआ ये देख लीजिए आप सब...
सुबह साहिल और कमल तैयार होके नीचे हाल में आ गए जहां धीरेन्द्र अपनी पोती और निधि साथ उसकी सहेली सविता के साथ नाश्ते के लिए बैठे थे तभी साहिल और कमल आ गए आते ही...
धीरेन्द्र – (साहिल से) आ गए बेटा अब कैसे हो तुम...
साहिल – मै अच्छा हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – नींद तो आई ना तुम्हे अच्छे से बेटा...
साहिल – जी दादा जी अच्छी नींद आई और मै बिल्कुल ठीक हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – हम्ममम कल रात तुम्हे देख के एक पल मै डर गया था बेटा लेकिन अच्छा लगा तुम बिल्कुल ठीक हो खेर चलो नाश्ता कर लो जल्दी से मुझे जाना है अपनी बेटी रचना को लेने स्टेशन पर...
जिसके बाद सबने नाश्ता किया लेकिन इस वक्त साहिल बार बार किचेन की तरफ देख रहा था रागिनी चाची को जो उसे दिख नहीं रही थी जिसके बाद धीरेन्द्र नाश्ते के बाद चले गए तब...
निधि – (साहिल से) तो आज कहा जाने की सोच रहे हो तुम...
साहिल – मै सोच रहा आज भी गांव घूम लूं कल सिर्फ खेत देखा था...
निधि – अच्छी बात है एक काम करो दीदी के आने के बाद तुम दोनों चले जाना साथ में सविता को भी लें जाना वो भी घूम लेगी इस बहाने गांव...
काफी देर इंतजार के बाद हवेली के बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज आई तभी निधि , सविता , साहिल और कमल गेट पर चले गए जहां धीरेन्द्र अपने हाथ में एक छोटे से बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे साथ में उनकी बेटी रचना उसका पति और रचना की सास आ रहे थे हवेली के अन्दर आते ही...
रचना अपनी बहन निधि से गले लग के मिली साथ ही निधि अपने जीजा जी और उनकी सास से मिली तब...
धीरेन्द्र – (साहिल को देख अपनी बेटी रचना से) बेटी इसको पहचाना तुमने...
रचना – (साहिल को देख मुस्कुरा के) कौन है ये पिता जी...
धीरेन्द्र – बेटी ये मेरी बहन उनके पति का पोता साहिल है ये जब ये छोटा था तब तुम ही इसे गोद में लेके पूरे हवेली में घुमाया करती थी...
धीरेन्द्र की बात सुन रचना की हसी रुक गई फिर एक नजर साहिल को देखा...
रचना – हाय...
बोल के अपनी बहन के साथ चली गई सीढ़ियों से अपने कमरे में अपनी बेटी का ऐसा व्यवहार देख धीरेन्द्र उसके दामाद और उसकी सास को अच्छा नहीं लगा तभी...
साहिल – (धीरेन्द्र का चेहरा देख के) कोई बात नहीं दादा जी शायद बुआ थक गई होगी सफर से अच्छा दादा जी आज कोई काम मेरे लायक है...
धीरेन्द्र – नहीं बेटा अभी तो नहीं है कल से जरूरत पड़ेगी काम के लिए...
साहिल – ठीक है दादा जी क्या हम लोग आज गांव घूम आए....
धीरेन्द्र – हा बेटा घूम आओ गांव...
बात करके साहिल , कमल और सविता निकल गए गांव घूमने रस्ते में जाते समय...
कमल – (साहिल से) ये बुआ है तेरी और ये तरीका है अपने भतीजे से मिलने का उनका बड़ा अच्छा तरीका है उनका तो मन तो किया दे मारू एक तमाचा उसके गाल पर...
साहिल – जाने दे बे इस बारे में सोच के दिमाग की दही नहीं करनी है अपने को...
कमल – वो सब तो ठीक है लेकिन आज तू कार्ड क्यों लेके आया है शादी वाला अपने साथ किसको देना है...
साहिल – (मुस्कुरा के) है कोई उसके लिए लाया हूँ...
कमल – अच्छा कौन है वो और यहां कब मिला तू उससे...
साहिल – कल मिला था यार अच्छी लड़की है वो...
कमल – ओह हो पहली मुलाक़ात में अच्छी लड़की मिल गई तुझे क्या नाम है उसका...
साहिल – सेमेंथा नाम है उसका अच्छा सुन एक काम कर यार मेरा...
कमल – हा बोल ना...
साहिल – तू मैडम के साथ यही घूम मै उससे मिल के आता हु थोड़ी देर में...
कमल – क्यों बे मै चलूंगा तो क्या बुराई हो जाएगी बे...
साहिल – अबे समझा कर ना यार प्लीज जाने दे ना जल्दी आ जाऊंगा मैं...
कमल – चल ठीक है लेकिन जल्दी आना ज्यादा देर की तो मै आ जाऊंगा समझा...
साहिल – ठीक है मै जल्दी आता हु...
बोल के साहिल दौड़ के जंगल की तरफ चला गया अन्दर आते ही साहिल को सेमेंथा वही मिल गई जहा कल मिली थी साहिल को देख के...
सेमेंथा – आ गए आप मै आपका इंतजार कर रही थी...
साहिल – कैसे नहीं आता मैने कहा था ना आपको शादी का न्योता देने आऊंगा (कार्ड देते हुए) ये लीजिए शादी का कार्ड...
सेमेंथा – (कार्ड लेते हुए) शुक्रिया साहिल...
साहिल – एक बात पूछूं तुम इस जंगल में ही क्यों रहती हु गांव में सबके साथ क्यों नहीं...
सेमेंथा – गांव में कोई मुझे नहीं जानता है साहिल...
साहिल – (चौक के) ऐसा क्यों आप भी तो इस गांव में रहती हो ना फिर अलग क्यों...
सेमेंथा – क्यों की मुझे कोई नहीं देख सकता है साहिल...
साहिल – (हस्ते हुए) अच्छा मजाक करते हूँ आप...
साहिल को हंसता देख...
सेमेंथा – ये सच है साहिल शायद आपने मुझे अभी तक पहचाना नहीं है...
साहिल – भला मै आपको कैसे पहचानूं गा मै तो पहली बार मिला हु आपसे...
सेमेंथा – नहीं साहिल हम पहली बार नहीं मिले है इससे पहले भी मिल चुके है हम...
साहिल – लेकिन कब और मुझे याद क्यों नहीं है ये बात....
सेमेंथा – क्योंकि तब तुम छोटे थे...
साहिल – (हस्ते हुए) आप मजाक अच्छा कर लेते हो सेमेंथा मुझे सच में याद नहीं है इस बारे में की मै आपसे मिला था और गांव वाले आपको देख क्यों ही सकते अगर ऐसा है तो मै कैसे देख रहा हूँ आपको...
सेमेंथा – (सीरियस होते हुए) मै बताती हु आपको पूरी बात साहिल आज से कई साल पहले मै इस जंगल में आई थी अपने भाई के साथ यहां तभी घूमते घूमते उनसे अलग हो गई थी और तभी मेरा पैर में एक काटा लगा मुझे बहुत दर्द हो रहा था बहुत रो रही थी और तभी तुम आ गए मेरा रोना सुन के तुमने आते ही मेरे पैर से काटा निकाला बिल्कुल उसी तरह जैसे कल किया था और उसी तरह तुमने मेरे पैर पर अपना रुमाल बांध दिया जिसके बाद तुम तो चले गए कुछ समय बाद मेरा भाई आया मुझे लेके चला गया उसके बाद जब मैं अपने परिवार के पास पहुंची तब मेरे पिता जी ने मुझे गौर से देखा और उन्हें पता चल गया कि मै एक इंसान से मिली हूँ और उसने मुझे छू लिया है जिसके बाद मेरे पिता जी ने गुस्से में आके मुझे निकाल दिया घर से तब से मैं इस जंगल में रहने लगी...
साहिल – (सेमेंथा की सारी बात सुन के) मुझे समझ नहीं आई बात मेरे छूने की वजह से तुम्हारे पिता जी ने तुम्हे निकल दिया घर से इसका क्या मतलब हुआ समेंथा...
सेमेंथा – मै धरती से नहीं हूँ साहिल मै परी लोक की परी हूँ...
साहिल – (बात सुन जोर से हस्ते हुए)तुम परी
....
साहिल को इस तरह हंसता देख एक पल सेमेंथा को भी हसी आ गई और तभी सेमेंथा अपने परी रूप में आ गई जिसे देख साहिल की हसी रुक गई तब....
साहिल – (अपनी हसी रोक के हैरानी से) तुम तो सच में परी हो समेंथा...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) हा साहिल में सच में परी ही हूँ परी लोक पे रहने वाली लेकिन अब धरती पर रहती हु....
साहिल – लेकिन ऐसा क्यों सेमेंथा....
सेमेंथा – साहिल हमारे यहां नियम है कि हम इंसानों के सामने ना आने का पर ना ही उन्हें खुद को छूने देने का और जिसने भी ये नियम का उल्लंघन किया उसे परी लोक से निकाल दिया जाता है बस वही मेरे साथ हुआ अनजाने में मै तुमसे मिली बस यही मेरी गलती थी जिसकी सजा मुझे मिली हमेशा के लिए धरती लोक में रहने की....
साहिल – लेकिन जब तुम धरती में रह रही हो तो बाकी लोगों से मिल सकती थी ना फिर तुम...
सेमेंथा – (बीच में) क्योंकि मैं परी लोक की राजा की बेटी हूँ इसीलिए मुझे मेरी शक्ति के साथ निकाल दिया गया था परी लोक से आजीवन अकेला रहने के लिए जाने कितने साल तक मै अकेले रहती आई हूँ यहां पर (अपनी आंख में आसू लिए) अपने घर की याद में हर रात मै रोती थी अकेले लेकिन एक दिन मेरी मां मेरे सपने में आई सपने में कहा कि एक दिन वो लड़क फिर आएगा तेरे पास उसके आने से तेरा अकेला पन दूर हो जाएगा हमेशा के लिए सिर्फ उसके चाहने से ही तू नजर में आएगी सबके , तब से मैं सिर्फ तुम्हारी राह देख रही हूँ साहिल...
बोल के रोने लगती है सेमेंथा उसे रोता देख...(लेकिन इस बीच सेमेंथा ने साहिल को जगन्नाथ बाबा की बात नहीं बताई जैसे वो भी सेमेंथा को देख सकते है ऐसा क्यों है आगे पता चलेगा जल्द ही)
साहिल – (सेमेंथा के आसू अपने हाथ से पोछ के) मुझे माफ कर दो सेमेंथा अनजाने में मेरी एक गलती की तुम्हे इतनी बड़ी सजा मिलेगी मुझे नहीं पता था मुझे माफ कर दो सेमेंथा....
सेमेंथा – नहीं साहिल उस वक्त मुझे भी नहीं पता था इस सब नियमों के बारे में अपने बचपने में मै बहुत शरारती जो थी शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती साबित हुई....
साहिल – अच्छा अब ये बताओ मै तुम्हारे लिए ऐसा क्या कर सकता हूँ सेमेंथा जिससे तुम फिर से अपने घर जा सको...
सेमेंथा – साहिल मै कभी नहीं जा सकती अपने घर पर मेरा प्रवेश निषेद कर दिया गया है परी लोक में सदा के लिए मै चाह के भी वहा नहीं जा सकती...
साहिल –(कुछ सोच के) क्या तुम मेरे साथ रहोगी अगर तुम चाहो तो....
सेमेंथा – क्या तुम्हे कोई एतराज तो नहीं होगा इस बात से...
साहिल – अरे मुझे क्यों एतराज होगा इस बात से भला , चलो ठीक है तुम मेरे साथ चलो...
सेमेंथा – लेकिन साहिल....
साहिल – अब क्या हुआ तुम्हे....
सेमेंथा – तुम्हारे इलावा मुझे ना कोई देख सकता है और ना ही सुन सकता है...
साहिल – ओह ये बात तो मै भूल गया था यार अब....
सेमेंथा – लेकिन तुम चाहो तो मुझे सब देख , सुन सकते है अगर तुम चाहोगे तो ऐसा होगा...
साहिल – (कुछ देर सोचता है जिसके बाद) अगर ऐसा है तो ठीक है तुम मेरे साथ चलो मै जब बोलूं तब तुम सामने आना सबके ठीक है...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) ठीक है....
साहिल – तो चलो आज मै तुम्हे अपने दोस्त अपने भाई से मिलवाता हूँ...
सेमेंथा – वही जो कल तुम्हारे साथ था...
साहिल – हा वही लेकिन जब मैं कहूं तब आना सामने उसके...
बोल के साहिल अपने साथ सेमेंथा को लेके निकल गया जंगल से कमल की तरफ कुछ देर में दोनों कमल के पास आ गए जो सविता के साथ झील के किनारे टहल रहे थे उनको देख...
साहिल – क्या हो रहा है बे...
कमल – आ गया तू मुझे लगा ढूंढने जाना पड़ेगा तुझे जंगल में...
सविता – बड़ी जल्दी आ गए तुम...
साहिल – (मुस्कुराते हुए) क्यों सुबह का काम अधूरा रह गया था क्या दोनों का...
साहिल की बात सुन सविता शर्मा गई वही...
कमल – अबे जरा देख के बात बोला कर बे अकेले नहीं है हम लोग यहां पर...
साहिल – अच्छा तो कौन है यहां हम तीनों के इलावा बता तो वैसे भी सुबह तो बहुत तेजी से जा रहा था तू सविता मैडम के साथ कमरे में...
कमल – चल बे अब ज्यादा मत बोल तू भी कुछ कम नहीं है समझा सब जनता हूँ मै...
सेमेंथा तीनों की बाते सुन मुस्कुरा रही थी वही ये दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने में लगे हुए थे तभी कमल और साहिल की नजर गई झील किनारे रोड पे जहां तीन गाड़िया तेजी से जारही थी उनमें बैठे शख्स को देख साहिल की हसी जैसे गायब सी हो गई साहिल को देख कमल ने साहिल के कंधे पे हाथ रखा...
कमल – लगता है हमें चलना चाहिए साहिल तेरे परिवार के बाकी लोग भी आ गए है...
साहिल – (बिना कमल की तरफ देखे) दादी और तेरे सिवा मेरा कोई परिवार नहीं है...
बोल के साहिल जाने लगा साथ ही कमल , सेमेंथा और सविता भी जाने लगे लेकिन सविता को साहिल की परिवार वाली बात कुछ अजीब लगी तब...
सविता – (कमल से) क्या बात है कमल ये साहिल इतना सीरियस क्यों हो गया और ऐसा क्यों कहा कि दादी और तेरे सिवा परिवार नहीं है इसका आखिर क्या बात है कमल...
कमल – (सविता को साहिल के परिवार की बात बताता है जिसके बाद) इसीलिए साहिल इतने सालों से अलग रहता आया है मेरे साथ बस दादी ही है जो साहिल से मिलने आती रहती है बाकी कोई नहीं...
सविता – ओह ये तो गलत हुआ साहिल के साथ...
कमल – जाने अब क्या होने वाला है हवेली में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है...
साहिल – जाने दे वो सब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी अब मुझे किसी का डर नहीं है...
बोल के जाने लगे हवेली जबकि इनकी सारी बातों को सेमेंथा गौर से सुन रही थी जाते हुए रस्ते भर में सेमेंथा सिर्फ साहिल को देखे जा रही थी जाने क्या चल रहा था उसके मन में....
जबकि ये लोग इस बात से अंजान की हवेली में एक नया धमाका इंतजार कर रहा है इनका....
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जारी रहेगा![]()
जबरदस्त अपडेट भाई मजा आ गयाBahut hi lajawab update
जबरदस्त अपडेट भाई मजा आ गयाUPDATE 10
दोपहर 3 बजे सरला देवी निकल चुकी थी शहर की हवेली से ड्राइवर रामू के साथ करीबन 2 घंटे बाद सरला देवी पहुंच गई अपने भाई धीरेन्द्र के गांव लेकिन अपने भाई के पास जाने के बजाय सरला देवी उसी गांव के घने जंगल की तरफ वही एक गुप्त रस्ते से होते हुए सरला देवी आती है रामू के साथ शिव मंदिर की तरफ (ये वही मंदिर है जहां रानी सुनंदा शुरुवात में आई थी सभी के साथ जहां बाबा जगन्नाथ मिले थे) गाड़ी रोक के सरला देवी गाड़ी से उतर के मंदिर में जाती है जहां इस वक्त जगन्नाथ बाबा शिव जी की मूर्ति के नीचे बैठे जाप कर रहे थे उन्हें देखते ही सरला देवी खुद ब खुद घुटनों के बल हो गई और रोने लगी सरला देवी के रोने की आवाज सुन जगन्नाथ बाबा की आंखे खुल गई उन्होंने पलट के देखा सरल देवी को अपने स्थान से खड़े हो गए तभी सरला देवी का ड्राइवर ने सरला देवी को रोता देख उसके पास जाने लगे तभी...
जगन्नाथ बाबा – (रामू को रोक के) रुक जाओ पुत्र रो लेने दो इन्हें कई सालों से दर्द को अपने दिल में दबाए हुए है रो लेने दो जी भर के आज इन्हें...
कुछ देर बाद जगन्नाथ बाबा ने सरला देवी को उठाया जिसके बाद...
सरला देवी – (सुबकते हुए) क्यों बाबा आखिर क्यों हुआ मेरे साथ ऐसा क्या कसूर था मेरा क्या कसूर था मेरे जिगर के टुकड़े का जो इतने सालों से झेल रहा है सजा को आखिर क्यों बाबा...
जगन्नाथ – कोशिश तो मैने बहुत की थी पुत्री ऐसा कुछ ना हो लेकिन विधि के विधान को कौन बदल सका जो मै कर सकता...
सरला देवी – बाबा उस मनहूस रात के बाद जैसे मेरा सब कुछ तबाह हो गया मेरी मांग का सिंदूर मुझसे छीन गया साथ ही मेरे पोते के माथे पे कलंक लग गया उसके दादा के नाम का बाबा और मै कुछ ना कर सकी बाबा...
जगन्नाथ – नहीं पुत्री तुमने बहुत कुछ किया अपने पोते के लिए जो मा बाप को करना चाहिए था लेकिन ये सौभाग्य तुम्हारे नसीब में था पुत्री इसीलिए ऐसा हुआ लेकिन अब वक्त आ गया है पुत्री तुमने जो किया है अपने पोते के खातिर उसका फल मिलेगा तुझे बस कुछ दिनों की बात और है पुत्री...
सरला देवी – मै बस यही चाहती हूँ मेरी आंख बंद हो उससे पहले मेरे पोते वापस आ जाए अपने परिवार में शांति से ताकि उसे वो सब मिल सके जिसके लिए वो आज तक तरसता रहा है बाबा...
जगन्नाथ – ऐसा ही होगा पुत्री बस कुछ दिन में तेरे पोते का 21 वा जन्मदिन है उसके बाद शुरुवात होगी उसकी खुशी की जिसके लिए तूने इतनी तपस्या की है और साथ ही उस कार्य की जिसके लिए उसका जन्म हुआ है पुत्री बस तुझे उसका साथ देते रहना है जैसे अब तक देती रही हो ताकि जल्द से जल्द वो अपनी सभी शक्ति को प्राप्त कर सके जानती हो उसकी शक्ति कौन है...
सरला देवी – नहीं बाबा...
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) मै बताता हूं...
उसके बाद जगन्नाथ बाबा आगे की बात बताते है सरला देवी को जिसे सुन के वो चौक जाती है उसके बाद आगे की बात सुन के...
सरला देवी – मेरी आखिरी सास तक मै अपने पोते के साथ रहूंगी बाबा उसे उसकी शक्ति तक मै लेके जाऊंगी...
जगन्नाथ – अति उत्तम पुत्री जिस तरह से तूने कुछ समय से जहर से जहर को काटा है उसी तरह से तुझे इन कुछ दिनों में ऐसा ही कुछ करना होगा तभी तेरी सालों की तपस्या सफल होगी पुत्री...
सरला देवी – हा मै करूगी बाबा...
जगन्नाथ – ठीक है पुत्री अब आप प्रस्थान करे आपका पोता आपकी राह देख रहा है....
सरला देवी – जी बाबा अब मुझे कब आना होगा बाबा...
जब तेरी इच्छा हो पुत्री ये मंदिर शिव के सभी भक्तों के लिए है पुत्री बस अब मै वक्त आने पर आऊंगा खुद तेरे पास इंतजार करना...
सरला देवी – जी बाबा...
बोल के सरला देवी अपने ड्राइवर के साथ निकल गई अपने भाई धीरेन्द्र की हवेली पर लेकिन उसके कुछ समय पहले सुबह को क्या हुआ ये देख लीजिए आप सब...
सुबह साहिल और कमल तैयार होके नीचे हाल में आ गए जहां धीरेन्द्र अपनी पोती और निधि साथ उसकी सहेली सविता के साथ नाश्ते के लिए बैठे थे तभी साहिल और कमल आ गए आते ही...
धीरेन्द्र – (साहिल से) आ गए बेटा अब कैसे हो तुम...
साहिल – मै अच्छा हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – नींद तो आई ना तुम्हे अच्छे से बेटा...
साहिल – जी दादा जी अच्छी नींद आई और मै बिल्कुल ठीक हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – हम्ममम कल रात तुम्हे देख के एक पल मै डर गया था बेटा लेकिन अच्छा लगा तुम बिल्कुल ठीक हो खेर चलो नाश्ता कर लो जल्दी से मुझे जाना है अपनी बेटी रचना को लेने स्टेशन पर...
जिसके बाद सबने नाश्ता किया लेकिन इस वक्त साहिल बार बार किचेन की तरफ देख रहा था रागिनी चाची को जो उसे दिख नहीं रही थी जिसके बाद धीरेन्द्र नाश्ते के बाद चले गए तब...
निधि – (साहिल से) तो आज कहा जाने की सोच रहे हो तुम...
साहिल – मै सोच रहा आज भी गांव घूम लूं कल सिर्फ खेत देखा था...
निधि – अच्छी बात है एक काम करो दीदी के आने के बाद तुम दोनों चले जाना साथ में सविता को भी लें जाना वो भी घूम लेगी इस बहाने गांव...
काफी देर इंतजार के बाद हवेली के बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज आई तभी निधि , सविता , साहिल और कमल गेट पर चले गए जहां धीरेन्द्र अपने हाथ में एक छोटे से बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे साथ में उनकी बेटी रचना उसका पति और रचना की सास आ रहे थे हवेली के अन्दर आते ही...
रचना अपनी बहन निधि से गले लग के मिली साथ ही निधि अपने जीजा जी और उनकी सास से मिली तब...
धीरेन्द्र – (साहिल को देख अपनी बेटी रचना से) बेटी इसको पहचाना तुमने...
रचना – (साहिल को देख मुस्कुरा के) कौन है ये पिता जी...
धीरेन्द्र – बेटी ये मेरी बहन उनके पति का पोता साहिल है ये जब ये छोटा था तब तुम ही इसे गोद में लेके पूरे हवेली में घुमाया करती थी...
धीरेन्द्र की बात सुन रचना की हसी रुक गई फिर एक नजर साहिल को देखा...
रचना – हाय...
बोल के अपनी बहन के साथ चली गई सीढ़ियों से अपने कमरे में अपनी बेटी का ऐसा व्यवहार देख धीरेन्द्र उसके दामाद और उसकी सास को अच्छा नहीं लगा तभी...
साहिल – (धीरेन्द्र का चेहरा देख के) कोई बात नहीं दादा जी शायद बुआ थक गई होगी सफर से अच्छा दादा जी आज कोई काम मेरे लायक है...
धीरेन्द्र – नहीं बेटा अभी तो नहीं है कल से जरूरत पड़ेगी काम के लिए...
साहिल – ठीक है दादा जी क्या हम लोग आज गांव घूम आए....
धीरेन्द्र – हा बेटा घूम आओ गांव...
बात करके साहिल , कमल और सविता निकल गए गांव घूमने रस्ते में जाते समय...
कमल – (साहिल से) ये बुआ है तेरी और ये तरीका है अपने भतीजे से मिलने का उनका बड़ा अच्छा तरीका है उनका तो मन तो किया दे मारू एक तमाचा उसके गाल पर...
साहिल – जाने दे बे इस बारे में सोच के दिमाग की दही नहीं करनी है अपने को...
कमल – वो सब तो ठीक है लेकिन आज तू कार्ड क्यों लेके आया है शादी वाला अपने साथ किसको देना है...
साहिल – (मुस्कुरा के) है कोई उसके लिए लाया हूँ...
कमल – अच्छा कौन है वो और यहां कब मिला तू उससे...
साहिल – कल मिला था यार अच्छी लड़की है वो...
कमल – ओह हो पहली मुलाक़ात में अच्छी लड़की मिल गई तुझे क्या नाम है उसका...
साहिल – सेमेंथा नाम है उसका अच्छा सुन एक काम कर यार मेरा...
कमल – हा बोल ना...
साहिल – तू मैडम के साथ यही घूम मै उससे मिल के आता हु थोड़ी देर में...
कमल – क्यों बे मै चलूंगा तो क्या बुराई हो जाएगी बे...
साहिल – अबे समझा कर ना यार प्लीज जाने दे ना जल्दी आ जाऊंगा मैं...
कमल – चल ठीक है लेकिन जल्दी आना ज्यादा देर की तो मै आ जाऊंगा समझा...
साहिल – ठीक है मै जल्दी आता हु...
बोल के साहिल दौड़ के जंगल की तरफ चला गया अन्दर आते ही साहिल को सेमेंथा वही मिल गई जहा कल मिली थी साहिल को देख के...
सेमेंथा – आ गए आप मै आपका इंतजार कर रही थी...
साहिल – कैसे नहीं आता मैने कहा था ना आपको शादी का न्योता देने आऊंगा (कार्ड देते हुए) ये लीजिए शादी का कार्ड...
सेमेंथा – (कार्ड लेते हुए) शुक्रिया साहिल...
साहिल – एक बात पूछूं तुम इस जंगल में ही क्यों रहती हु गांव में सबके साथ क्यों नहीं...
सेमेंथा – गांव में कोई मुझे नहीं जानता है साहिल...
साहिल – (चौक के) ऐसा क्यों आप भी तो इस गांव में रहती हो ना फिर अलग क्यों...
सेमेंथा – क्यों की मुझे कोई नहीं देख सकता है साहिल...
साहिल – (हस्ते हुए) अच्छा मजाक करते हूँ आप...
साहिल को हंसता देख...
सेमेंथा – ये सच है साहिल शायद आपने मुझे अभी तक पहचाना नहीं है...
साहिल – भला मै आपको कैसे पहचानूं गा मै तो पहली बार मिला हु आपसे...
सेमेंथा – नहीं साहिल हम पहली बार नहीं मिले है इससे पहले भी मिल चुके है हम...
साहिल – लेकिन कब और मुझे याद क्यों नहीं है ये बात....
सेमेंथा – क्योंकि तब तुम छोटे थे...
साहिल – (हस्ते हुए) आप मजाक अच्छा कर लेते हो सेमेंथा मुझे सच में याद नहीं है इस बारे में की मै आपसे मिला था और गांव वाले आपको देख क्यों ही सकते अगर ऐसा है तो मै कैसे देख रहा हूँ आपको...
सेमेंथा – (सीरियस होते हुए) मै बताती हु आपको पूरी बात साहिल आज से कई साल पहले मै इस जंगल में आई थी अपने भाई के साथ यहां तभी घूमते घूमते उनसे अलग हो गई थी और तभी मेरा पैर में एक काटा लगा मुझे बहुत दर्द हो रहा था बहुत रो रही थी और तभी तुम आ गए मेरा रोना सुन के तुमने आते ही मेरे पैर से काटा निकाला बिल्कुल उसी तरह जैसे कल किया था और उसी तरह तुमने मेरे पैर पर अपना रुमाल बांध दिया जिसके बाद तुम तो चले गए कुछ समय बाद मेरा भाई आया मुझे लेके चला गया उसके बाद जब मैं अपने परिवार के पास पहुंची तब मेरे पिता जी ने मुझे गौर से देखा और उन्हें पता चल गया कि मै एक इंसान से मिली हूँ और उसने मुझे छू लिया है जिसके बाद मेरे पिता जी ने गुस्से में आके मुझे निकाल दिया घर से तब से मैं इस जंगल में रहने लगी...
साहिल – (सेमेंथा की सारी बात सुन के) मुझे समझ नहीं आई बात मेरे छूने की वजह से तुम्हारे पिता जी ने तुम्हे निकल दिया घर से इसका क्या मतलब हुआ समेंथा...
सेमेंथा – मै धरती से नहीं हूँ साहिल मै परी लोक की परी हूँ...
साहिल – (बात सुन जोर से हस्ते हुए)तुम परी
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साहिल को इस तरह हंसता देख एक पल सेमेंथा को भी हसी आ गई और तभी सेमेंथा अपने परी रूप में आ गई जिसे देख साहिल की हसी रुक गई तब....
साहिल – (अपनी हसी रोक के हैरानी से) तुम तो सच में परी हो समेंथा...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) हा साहिल में सच में परी ही हूँ परी लोक पे रहने वाली लेकिन अब धरती पर रहती हु....
साहिल – लेकिन ऐसा क्यों सेमेंथा....
सेमेंथा – साहिल हमारे यहां नियम है कि हम इंसानों के सामने ना आने का पर ना ही उन्हें खुद को छूने देने का और जिसने भी ये नियम का उल्लंघन किया उसे परी लोक से निकाल दिया जाता है बस वही मेरे साथ हुआ अनजाने में मै तुमसे मिली बस यही मेरी गलती थी जिसकी सजा मुझे मिली हमेशा के लिए धरती लोक में रहने की....
साहिल – लेकिन जब तुम धरती में रह रही हो तो बाकी लोगों से मिल सकती थी ना फिर तुम...
सेमेंथा – (बीच में) क्योंकि मैं परी लोक की राजा की बेटी हूँ इसीलिए मुझे मेरी शक्ति के साथ निकाल दिया गया था परी लोक से आजीवन अकेला रहने के लिए जाने कितने साल तक मै अकेले रहती आई हूँ यहां पर (अपनी आंख में आसू लिए) अपने घर की याद में हर रात मै रोती थी अकेले लेकिन एक दिन मेरी मां मेरे सपने में आई सपने में कहा कि एक दिन वो लड़क फिर आएगा तेरे पास उसके आने से तेरा अकेला पन दूर हो जाएगा हमेशा के लिए सिर्फ उसके चाहने से ही तू नजर में आएगी सबके , तब से मैं सिर्फ तुम्हारी राह देख रही हूँ साहिल...
बोल के रोने लगती है सेमेंथा उसे रोता देख...(लेकिन इस बीच सेमेंथा ने साहिल को जगन्नाथ बाबा की बात नहीं बताई जैसे वो भी सेमेंथा को देख सकते है ऐसा क्यों है आगे पता चलेगा जल्द ही)
साहिल – (सेमेंथा के आसू अपने हाथ से पोछ के) मुझे माफ कर दो सेमेंथा अनजाने में मेरी एक गलती की तुम्हे इतनी बड़ी सजा मिलेगी मुझे नहीं पता था मुझे माफ कर दो सेमेंथा....
सेमेंथा – नहीं साहिल उस वक्त मुझे भी नहीं पता था इस सब नियमों के बारे में अपने बचपने में मै बहुत शरारती जो थी शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती साबित हुई....
साहिल – अच्छा अब ये बताओ मै तुम्हारे लिए ऐसा क्या कर सकता हूँ सेमेंथा जिससे तुम फिर से अपने घर जा सको...
सेमेंथा – साहिल मै कभी नहीं जा सकती अपने घर पर मेरा प्रवेश निषेद कर दिया गया है परी लोक में सदा के लिए मै चाह के भी वहा नहीं जा सकती...
साहिल –(कुछ सोच के) क्या तुम मेरे साथ रहोगी अगर तुम चाहो तो....
सेमेंथा – क्या तुम्हे कोई एतराज तो नहीं होगा इस बात से...
साहिल – अरे मुझे क्यों एतराज होगा इस बात से भला , चलो ठीक है तुम मेरे साथ चलो...
सेमेंथा – लेकिन साहिल....
साहिल – अब क्या हुआ तुम्हे....
सेमेंथा – तुम्हारे इलावा मुझे ना कोई देख सकता है और ना ही सुन सकता है...
साहिल – ओह ये बात तो मै भूल गया था यार अब....
सेमेंथा – लेकिन तुम चाहो तो मुझे सब देख , सुन सकते है अगर तुम चाहोगे तो ऐसा होगा...
साहिल – (कुछ देर सोचता है जिसके बाद) अगर ऐसा है तो ठीक है तुम मेरे साथ चलो मै जब बोलूं तब तुम सामने आना सबके ठीक है...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) ठीक है....
साहिल – तो चलो आज मै तुम्हे अपने दोस्त अपने भाई से मिलवाता हूँ...
सेमेंथा – वही जो कल तुम्हारे साथ था...
साहिल – हा वही लेकिन जब मैं कहूं तब आना सामने उसके...
बोल के साहिल अपने साथ सेमेंथा को लेके निकल गया जंगल से कमल की तरफ कुछ देर में दोनों कमल के पास आ गए जो सविता के साथ झील के किनारे टहल रहे थे उनको देख...
साहिल – क्या हो रहा है बे...
कमल – आ गया तू मुझे लगा ढूंढने जाना पड़ेगा तुझे जंगल में...
सविता – बड़ी जल्दी आ गए तुम...
साहिल – (मुस्कुराते हुए) क्यों सुबह का काम अधूरा रह गया था क्या दोनों का...
साहिल की बात सुन सविता शर्मा गई वही...
कमल – अबे जरा देख के बात बोला कर बे अकेले नहीं है हम लोग यहां पर...
साहिल – अच्छा तो कौन है यहां हम तीनों के इलावा बता तो वैसे भी सुबह तो बहुत तेजी से जा रहा था तू सविता मैडम के साथ कमरे में...
कमल – चल बे अब ज्यादा मत बोल तू भी कुछ कम नहीं है समझा सब जनता हूँ मै...
सेमेंथा तीनों की बाते सुन मुस्कुरा रही थी वही ये दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने में लगे हुए थे तभी कमल और साहिल की नजर गई झील किनारे रोड पे जहां तीन गाड़िया तेजी से जारही थी उनमें बैठे शख्स को देख साहिल की हसी जैसे गायब सी हो गई साहिल को देख कमल ने साहिल के कंधे पे हाथ रखा...
कमल – लगता है हमें चलना चाहिए साहिल तेरे परिवार के बाकी लोग भी आ गए है...
साहिल – (बिना कमल की तरफ देखे) दादी और तेरे सिवा मेरा कोई परिवार नहीं है...
बोल के साहिल जाने लगा साथ ही कमल , सेमेंथा और सविता भी जाने लगे लेकिन सविता को साहिल की परिवार वाली बात कुछ अजीब लगी तब...
सविता – (कमल से) क्या बात है कमल ये साहिल इतना सीरियस क्यों हो गया और ऐसा क्यों कहा कि दादी और तेरे सिवा परिवार नहीं है इसका आखिर क्या बात है कमल...
कमल – (सविता को साहिल के परिवार की बात बताता है जिसके बाद) इसीलिए साहिल इतने सालों से अलग रहता आया है मेरे साथ बस दादी ही है जो साहिल से मिलने आती रहती है बाकी कोई नहीं...
सविता – ओह ये तो गलत हुआ साहिल के साथ...
कमल – जाने अब क्या होने वाला है हवेली में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है...
साहिल – जाने दे वो सब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी अब मुझे किसी का डर नहीं है...
बोल के जाने लगे हवेली जबकि इनकी सारी बातों को सेमेंथा गौर से सुन रही थी जाते हुए रस्ते भर में सेमेंथा सिर्फ साहिल को देखे जा रही थी जाने क्या चल रहा था उसके मन में....
जबकि ये लोग इस बात से अंजान की हवेली में एक नया धमाका इंतजार कर रहा है इनका....
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जारी रहेगा![]()
Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 10
दोपहर 3 बजे सरला देवी निकल चुकी थी शहर की हवेली से ड्राइवर रामू के साथ करीबन 2 घंटे बाद सरला देवी पहुंच गई अपने भाई धीरेन्द्र के गांव लेकिन अपने भाई के पास जाने के बजाय सरला देवी उसी गांव के घने जंगल की तरफ वही एक गुप्त रस्ते से होते हुए सरला देवी आती है रामू के साथ शिव मंदिर की तरफ (ये वही मंदिर है जहां रानी सुनंदा शुरुवात में आई थी सभी के साथ जहां बाबा जगन्नाथ मिले थे) गाड़ी रोक के सरला देवी गाड़ी से उतर के मंदिर में जाती है जहां इस वक्त जगन्नाथ बाबा शिव जी की मूर्ति के नीचे बैठे जाप कर रहे थे उन्हें देखते ही सरला देवी खुद ब खुद घुटनों के बल हो गई और रोने लगी सरला देवी के रोने की आवाज सुन जगन्नाथ बाबा की आंखे खुल गई उन्होंने पलट के देखा सरल देवी को अपने स्थान से खड़े हो गए तभी सरला देवी का ड्राइवर ने सरला देवी को रोता देख उसके पास जाने लगे तभी...
जगन्नाथ बाबा – (रामू को रोक के) रुक जाओ पुत्र रो लेने दो इन्हें कई सालों से दर्द को अपने दिल में दबाए हुए है रो लेने दो जी भर के आज इन्हें...
कुछ देर बाद जगन्नाथ बाबा ने सरला देवी को उठाया जिसके बाद...
सरला देवी – (सुबकते हुए) क्यों बाबा आखिर क्यों हुआ मेरे साथ ऐसा क्या कसूर था मेरा क्या कसूर था मेरे जिगर के टुकड़े का जो इतने सालों से झेल रहा है सजा को आखिर क्यों बाबा...
जगन्नाथ – कोशिश तो मैने बहुत की थी पुत्री ऐसा कुछ ना हो लेकिन विधि के विधान को कौन बदल सका जो मै कर सकता...
सरला देवी – बाबा उस मनहूस रात के बाद जैसे मेरा सब कुछ तबाह हो गया मेरी मांग का सिंदूर मुझसे छीन गया साथ ही मेरे पोते के माथे पे कलंक लग गया उसके दादा के नाम का बाबा और मै कुछ ना कर सकी बाबा...
जगन्नाथ – नहीं पुत्री तुमने बहुत कुछ किया अपने पोते के लिए जो मा बाप को करना चाहिए था लेकिन ये सौभाग्य तुम्हारे नसीब में था पुत्री इसीलिए ऐसा हुआ लेकिन अब वक्त आ गया है पुत्री तुमने जो किया है अपने पोते के खातिर उसका फल मिलेगा तुझे बस कुछ दिनों की बात और है पुत्री...
सरला देवी – मै बस यही चाहती हूँ मेरी आंख बंद हो उससे पहले मेरे पोते वापस आ जाए अपने परिवार में शांति से ताकि उसे वो सब मिल सके जिसके लिए वो आज तक तरसता रहा है बाबा...
जगन्नाथ – ऐसा ही होगा पुत्री बस कुछ दिन में तेरे पोते का 21 वा जन्मदिन है उसके बाद शुरुवात होगी उसकी खुशी की जिसके लिए तूने इतनी तपस्या की है और साथ ही उस कार्य की जिसके लिए उसका जन्म हुआ है पुत्री बस तुझे उसका साथ देते रहना है जैसे अब तक देती रही हो ताकि जल्द से जल्द वो अपनी सभी शक्ति को प्राप्त कर सके जानती हो उसकी शक्ति कौन है...
सरला देवी – नहीं बाबा...
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) मै बताता हूं...
उसके बाद जगन्नाथ बाबा आगे की बात बताते है सरला देवी को जिसे सुन के वो चौक जाती है उसके बाद आगे की बात सुन के...
सरला देवी – मेरी आखिरी सास तक मै अपने पोते के साथ रहूंगी बाबा उसे उसकी शक्ति तक मै लेके जाऊंगी...
जगन्नाथ – अति उत्तम पुत्री जिस तरह से तूने कुछ समय से जहर से जहर को काटा है उसी तरह से तुझे इन कुछ दिनों में ऐसा ही कुछ करना होगा तभी तेरी सालों की तपस्या सफल होगी पुत्री...
सरला देवी – हा मै करूगी बाबा...
जगन्नाथ – ठीक है पुत्री अब आप प्रस्थान करे आपका पोता आपकी राह देख रहा है....
सरला देवी – जी बाबा अब मुझे कब आना होगा बाबा...
जब तेरी इच्छा हो पुत्री ये मंदिर शिव के सभी भक्तों के लिए है पुत्री बस अब मै वक्त आने पर आऊंगा खुद तेरे पास इंतजार करना...
सरला देवी – जी बाबा...
बोल के सरला देवी अपने ड्राइवर के साथ निकल गई अपने भाई धीरेन्द्र की हवेली पर लेकिन उसके कुछ समय पहले सुबह को क्या हुआ ये देख लीजिए आप सब...
सुबह साहिल और कमल तैयार होके नीचे हाल में आ गए जहां धीरेन्द्र अपनी पोती और निधि साथ उसकी सहेली सविता के साथ नाश्ते के लिए बैठे थे तभी साहिल और कमल आ गए आते ही...
धीरेन्द्र – (साहिल से) आ गए बेटा अब कैसे हो तुम...
साहिल – मै अच्छा हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – नींद तो आई ना तुम्हे अच्छे से बेटा...
साहिल – जी दादा जी अच्छी नींद आई और मै बिल्कुल ठीक हूँ दादा जी...
धीरेन्द्र – हम्ममम कल रात तुम्हे देख के एक पल मै डर गया था बेटा लेकिन अच्छा लगा तुम बिल्कुल ठीक हो खेर चलो नाश्ता कर लो जल्दी से मुझे जाना है अपनी बेटी रचना को लेने स्टेशन पर...
जिसके बाद सबने नाश्ता किया लेकिन इस वक्त साहिल बार बार किचेन की तरफ देख रहा था रागिनी चाची को जो उसे दिख नहीं रही थी जिसके बाद धीरेन्द्र नाश्ते के बाद चले गए तब...
निधि – (साहिल से) तो आज कहा जाने की सोच रहे हो तुम...
साहिल – मै सोच रहा आज भी गांव घूम लूं कल सिर्फ खेत देखा था...
निधि – अच्छी बात है एक काम करो दीदी के आने के बाद तुम दोनों चले जाना साथ में सविता को भी लें जाना वो भी घूम लेगी इस बहाने गांव...
काफी देर इंतजार के बाद हवेली के बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज आई तभी निधि , सविता , साहिल और कमल गेट पर चले गए जहां धीरेन्द्र अपने हाथ में एक छोटे से बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे साथ में उनकी बेटी रचना उसका पति और रचना की सास आ रहे थे हवेली के अन्दर आते ही...
रचना अपनी बहन निधि से गले लग के मिली साथ ही निधि अपने जीजा जी और उनकी सास से मिली तब...
धीरेन्द्र – (साहिल को देख अपनी बेटी रचना से) बेटी इसको पहचाना तुमने...
रचना – (साहिल को देख मुस्कुरा के) कौन है ये पिता जी...
धीरेन्द्र – बेटी ये मेरी बहन उनके पति का पोता साहिल है ये जब ये छोटा था तब तुम ही इसे गोद में लेके पूरे हवेली में घुमाया करती थी...
धीरेन्द्र की बात सुन रचना की हसी रुक गई फिर एक नजर साहिल को देखा...
रचना – हाय...
बोल के अपनी बहन के साथ चली गई सीढ़ियों से अपने कमरे में अपनी बेटी का ऐसा व्यवहार देख धीरेन्द्र उसके दामाद और उसकी सास को अच्छा नहीं लगा तभी...
साहिल – (धीरेन्द्र का चेहरा देख के) कोई बात नहीं दादा जी शायद बुआ थक गई होगी सफर से अच्छा दादा जी आज कोई काम मेरे लायक है...
धीरेन्द्र – नहीं बेटा अभी तो नहीं है कल से जरूरत पड़ेगी काम के लिए...
साहिल – ठीक है दादा जी क्या हम लोग आज गांव घूम आए....
धीरेन्द्र – हा बेटा घूम आओ गांव...
बात करके साहिल , कमल और सविता निकल गए गांव घूमने रस्ते में जाते समय...
कमल – (साहिल से) ये बुआ है तेरी और ये तरीका है अपने भतीजे से मिलने का उनका बड़ा अच्छा तरीका है उनका तो मन तो किया दे मारू एक तमाचा उसके गाल पर...
साहिल – जाने दे बे इस बारे में सोच के दिमाग की दही नहीं करनी है अपने को...
कमल – वो सब तो ठीक है लेकिन आज तू कार्ड क्यों लेके आया है शादी वाला अपने साथ किसको देना है...
साहिल – (मुस्कुरा के) है कोई उसके लिए लाया हूँ...
कमल – अच्छा कौन है वो और यहां कब मिला तू उससे...
साहिल – कल मिला था यार अच्छी लड़की है वो...
कमल – ओह हो पहली मुलाक़ात में अच्छी लड़की मिल गई तुझे क्या नाम है उसका...
साहिल – सेमेंथा नाम है उसका अच्छा सुन एक काम कर यार मेरा...
कमल – हा बोल ना...
साहिल – तू मैडम के साथ यही घूम मै उससे मिल के आता हु थोड़ी देर में...
कमल – क्यों बे मै चलूंगा तो क्या बुराई हो जाएगी बे...
साहिल – अबे समझा कर ना यार प्लीज जाने दे ना जल्दी आ जाऊंगा मैं...
कमल – चल ठीक है लेकिन जल्दी आना ज्यादा देर की तो मै आ जाऊंगा समझा...
साहिल – ठीक है मै जल्दी आता हु...
बोल के साहिल दौड़ के जंगल की तरफ चला गया अन्दर आते ही साहिल को सेमेंथा वही मिल गई जहा कल मिली थी साहिल को देख के...
सेमेंथा – आ गए आप मै आपका इंतजार कर रही थी...
साहिल – कैसे नहीं आता मैने कहा था ना आपको शादी का न्योता देने आऊंगा (कार्ड देते हुए) ये लीजिए शादी का कार्ड...
सेमेंथा – (कार्ड लेते हुए) शुक्रिया साहिल...
साहिल – एक बात पूछूं तुम इस जंगल में ही क्यों रहती हु गांव में सबके साथ क्यों नहीं...
सेमेंथा – गांव में कोई मुझे नहीं जानता है साहिल...
साहिल – (चौक के) ऐसा क्यों आप भी तो इस गांव में रहती हो ना फिर अलग क्यों...
सेमेंथा – क्यों की मुझे कोई नहीं देख सकता है साहिल...
साहिल – (हस्ते हुए) अच्छा मजाक करते हूँ आप...
साहिल को हंसता देख...
सेमेंथा – ये सच है साहिल शायद आपने मुझे अभी तक पहचाना नहीं है...
साहिल – भला मै आपको कैसे पहचानूं गा मै तो पहली बार मिला हु आपसे...
सेमेंथा – नहीं साहिल हम पहली बार नहीं मिले है इससे पहले भी मिल चुके है हम...
साहिल – लेकिन कब और मुझे याद क्यों नहीं है ये बात....
सेमेंथा – क्योंकि तब तुम छोटे थे...
साहिल – (हस्ते हुए) आप मजाक अच्छा कर लेते हो सेमेंथा मुझे सच में याद नहीं है इस बारे में की मै आपसे मिला था और गांव वाले आपको देख क्यों ही सकते अगर ऐसा है तो मै कैसे देख रहा हूँ आपको...
सेमेंथा – (सीरियस होते हुए) मै बताती हु आपको पूरी बात साहिल आज से कई साल पहले मै इस जंगल में आई थी अपने भाई के साथ यहां तभी घूमते घूमते उनसे अलग हो गई थी और तभी मेरा पैर में एक काटा लगा मुझे बहुत दर्द हो रहा था बहुत रो रही थी और तभी तुम आ गए मेरा रोना सुन के तुमने आते ही मेरे पैर से काटा निकाला बिल्कुल उसी तरह जैसे कल किया था और उसी तरह तुमने मेरे पैर पर अपना रुमाल बांध दिया जिसके बाद तुम तो चले गए कुछ समय बाद मेरा भाई आया मुझे लेके चला गया उसके बाद जब मैं अपने परिवार के पास पहुंची तब मेरे पिता जी ने मुझे गौर से देखा और उन्हें पता चल गया कि मै एक इंसान से मिली हूँ और उसने मुझे छू लिया है जिसके बाद मेरे पिता जी ने गुस्से में आके मुझे निकाल दिया घर से तब से मैं इस जंगल में रहने लगी...
साहिल – (सेमेंथा की सारी बात सुन के) मुझे समझ नहीं आई बात मेरे छूने की वजह से तुम्हारे पिता जी ने तुम्हे निकल दिया घर से इसका क्या मतलब हुआ समेंथा...
सेमेंथा – मै धरती से नहीं हूँ साहिल मै परी लोक की परी हूँ...
साहिल – (बात सुन जोर से हस्ते हुए)तुम परी
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साहिल को इस तरह हंसता देख एक पल सेमेंथा को भी हसी आ गई और तभी सेमेंथा अपने परी रूप में आ गई जिसे देख साहिल की हसी रुक गई तब....
साहिल – (अपनी हसी रोक के हैरानी से) तुम तो सच में परी हो समेंथा...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) हा साहिल में सच में परी ही हूँ परी लोक पे रहने वाली लेकिन अब धरती पर रहती हु....
साहिल – लेकिन ऐसा क्यों सेमेंथा....
सेमेंथा – साहिल हमारे यहां नियम है कि हम इंसानों के सामने ना आने का पर ना ही उन्हें खुद को छूने देने का और जिसने भी ये नियम का उल्लंघन किया उसे परी लोक से निकाल दिया जाता है बस वही मेरे साथ हुआ अनजाने में मै तुमसे मिली बस यही मेरी गलती थी जिसकी सजा मुझे मिली हमेशा के लिए धरती लोक में रहने की....
साहिल – लेकिन जब तुम धरती में रह रही हो तो बाकी लोगों से मिल सकती थी ना फिर तुम...
सेमेंथा – (बीच में) क्योंकि मैं परी लोक की राजा की बेटी हूँ इसीलिए मुझे मेरी शक्ति के साथ निकाल दिया गया था परी लोक से आजीवन अकेला रहने के लिए जाने कितने साल तक मै अकेले रहती आई हूँ यहां पर (अपनी आंख में आसू लिए) अपने घर की याद में हर रात मै रोती थी अकेले लेकिन एक दिन मेरी मां मेरे सपने में आई सपने में कहा कि एक दिन वो लड़क फिर आएगा तेरे पास उसके आने से तेरा अकेला पन दूर हो जाएगा हमेशा के लिए सिर्फ उसके चाहने से ही तू नजर में आएगी सबके , तब से मैं सिर्फ तुम्हारी राह देख रही हूँ साहिल...
बोल के रोने लगती है सेमेंथा उसे रोता देख...(लेकिन इस बीच सेमेंथा ने साहिल को जगन्नाथ बाबा की बात नहीं बताई जैसे वो भी सेमेंथा को देख सकते है ऐसा क्यों है आगे पता चलेगा जल्द ही)
साहिल – (सेमेंथा के आसू अपने हाथ से पोछ के) मुझे माफ कर दो सेमेंथा अनजाने में मेरी एक गलती की तुम्हे इतनी बड़ी सजा मिलेगी मुझे नहीं पता था मुझे माफ कर दो सेमेंथा....
सेमेंथा – नहीं साहिल उस वक्त मुझे भी नहीं पता था इस सब नियमों के बारे में अपने बचपने में मै बहुत शरारती जो थी शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती साबित हुई....
साहिल – अच्छा अब ये बताओ मै तुम्हारे लिए ऐसा क्या कर सकता हूँ सेमेंथा जिससे तुम फिर से अपने घर जा सको...
सेमेंथा – साहिल मै कभी नहीं जा सकती अपने घर पर मेरा प्रवेश निषेद कर दिया गया है परी लोक में सदा के लिए मै चाह के भी वहा नहीं जा सकती...
साहिल –(कुछ सोच के) क्या तुम मेरे साथ रहोगी अगर तुम चाहो तो....
सेमेंथा – क्या तुम्हे कोई एतराज तो नहीं होगा इस बात से...
साहिल – अरे मुझे क्यों एतराज होगा इस बात से भला , चलो ठीक है तुम मेरे साथ चलो...
सेमेंथा – लेकिन साहिल....
साहिल – अब क्या हुआ तुम्हे....
सेमेंथा – तुम्हारे इलावा मुझे ना कोई देख सकता है और ना ही सुन सकता है...
साहिल – ओह ये बात तो मै भूल गया था यार अब....
सेमेंथा – लेकिन तुम चाहो तो मुझे सब देख , सुन सकते है अगर तुम चाहोगे तो ऐसा होगा...
साहिल – (कुछ देर सोचता है जिसके बाद) अगर ऐसा है तो ठीक है तुम मेरे साथ चलो मै जब बोलूं तब तुम सामने आना सबके ठीक है...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) ठीक है....
साहिल – तो चलो आज मै तुम्हे अपने दोस्त अपने भाई से मिलवाता हूँ...
सेमेंथा – वही जो कल तुम्हारे साथ था...
साहिल – हा वही लेकिन जब मैं कहूं तब आना सामने उसके...
बोल के साहिल अपने साथ सेमेंथा को लेके निकल गया जंगल से कमल की तरफ कुछ देर में दोनों कमल के पास आ गए जो सविता के साथ झील के किनारे टहल रहे थे उनको देख...
साहिल – क्या हो रहा है बे...
कमल – आ गया तू मुझे लगा ढूंढने जाना पड़ेगा तुझे जंगल में...
सविता – बड़ी जल्दी आ गए तुम...
साहिल – (मुस्कुराते हुए) क्यों सुबह का काम अधूरा रह गया था क्या दोनों का...
साहिल की बात सुन सविता शर्मा गई वही...
कमल – अबे जरा देख के बात बोला कर बे अकेले नहीं है हम लोग यहां पर...
साहिल – अच्छा तो कौन है यहां हम तीनों के इलावा बता तो वैसे भी सुबह तो बहुत तेजी से जा रहा था तू सविता मैडम के साथ कमरे में...
कमल – चल बे अब ज्यादा मत बोल तू भी कुछ कम नहीं है समझा सब जनता हूँ मै...
सेमेंथा तीनों की बाते सुन मुस्कुरा रही थी वही ये दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने में लगे हुए थे तभी कमल और साहिल की नजर गई झील किनारे रोड पे जहां तीन गाड़िया तेजी से जारही थी उनमें बैठे शख्स को देख साहिल की हसी जैसे गायब सी हो गई साहिल को देख कमल ने साहिल के कंधे पे हाथ रखा...
कमल – लगता है हमें चलना चाहिए साहिल तेरे परिवार के बाकी लोग भी आ गए है...
साहिल – (बिना कमल की तरफ देखे) दादी और तेरे सिवा मेरा कोई परिवार नहीं है...
बोल के साहिल जाने लगा साथ ही कमल , सेमेंथा और सविता भी जाने लगे लेकिन सविता को साहिल की परिवार वाली बात कुछ अजीब लगी तब...
सविता – (कमल से) क्या बात है कमल ये साहिल इतना सीरियस क्यों हो गया और ऐसा क्यों कहा कि दादी और तेरे सिवा परिवार नहीं है इसका आखिर क्या बात है कमल...
कमल – (सविता को साहिल के परिवार की बात बताता है जिसके बाद) इसीलिए साहिल इतने सालों से अलग रहता आया है मेरे साथ बस दादी ही है जो साहिल से मिलने आती रहती है बाकी कोई नहीं...
सविता – ओह ये तो गलत हुआ साहिल के साथ...
कमल – जाने अब क्या होने वाला है हवेली में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है...
साहिल – जाने दे वो सब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी अब मुझे किसी का डर नहीं है...
बोल के जाने लगे हवेली जबकि इनकी सारी बातों को सेमेंथा गौर से सुन रही थी जाते हुए रस्ते भर में सेमेंथा सिर्फ साहिल को देखे जा रही थी जाने क्या चल रहा था उसके मन में....
जबकि ये लोग इस बात से अंजान की हवेली में एक नया धमाका इंतजार कर रहा है इनका....
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Hum to aa hi chuke hain dostWelcome to my new thread friends
Raj_sharma SEANIOUR Black GURU Ashwathama JI Rekha rani JI dev61901 ellysperry Riky007 dil_he_dil_main dhalchandarun Rahul Chauhan Mahesh007 mahesh000 krish1152 krishnamdev1111 krishnam111673 kamdev99008 SIR venom 111 only_me Raja thakur Silent lover Mrxr Acha Ankiit Sunli Shanu park parkas Iron Man Shekhu69 Tiger 786 Napster momlover22 king1969 Sweetkaran Gaurav1969 Ek anjaan humsafar