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Rani sunanda,aarav ki Charo bivi,gurudev,agnisha aur ratnesh ke saath shayad samara bhi devil lok se inke saath gayab hui thi lekin dharti lok pe iska koi jikr ni hua aisa kyo ?UPDATE 4
DEVIL LOK
PART 4
BD सबके सामने आरव बन के गुस्से में बैठा हुआ था भरी सभा में अपनी राज गद्दी में अपने सामने बैठे तीनों राज्य के राजा से बात करते हुए...
BD – (आरव बन के उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राजा नागेंद्र से बात करते हुए) बहुत ही अफसोस के साथ मुझे कहना पड़ रहा है मेरे भाई ने राज गद्दी की लालच के लिए अपनी मां और हमारी पत्नियों को अगवा कर बंदी बना लिया है वो अपनी पत्नी के साथ भाग गया है उसका कहना है जब तक उसे इस राज्य का राजा नहीं बना दिया जाता वो किसी को आजाद नहीं करेगा...
नागेंद्र – लेकिन रानी मा को कोई कैसे बन्दी बना सकता है...
धर्मपाल – नागेंद्र सही कह रहा है पुत्र रानी सुनंदा की शक्ति के आगे कोई कैसे टिक सकता है भला...
तेजपाल – बात चाहे जो भी हो मुझे अपनी बेटी की फिक्र हो रही है आखिर कहा ले गया होगा वो BD मेरी बच्ची एंजिला को....
नागेंद्र – धैर्य रखिए चाचा जी मेरी बहन लिसा भी उनके साथ में है वो हर तरह से निपुण है अस्त्र शस्त्र की कला में कोई उसके सामने टिक नहीं पाया वो चुप बैठने वालों में से नहीं है चाचा जी....
धर्मपाल – (नागेंद्र से) क्या पता जाने किस हाल में होगी सुनंदा जी और बच्चियां...
BD –(आरव बन के) हम अपनी पूरी ताकत लगा देगे उन्हें आजाद कराने के लिए बस मुझे आप सब का साथ चाहिए ताकि हम मिल के ढूंढ सके सभी को...
राजपाल और धर्मपाल – हम हर तरह से मदद करने को तैयार है आपकी आरव बेटा...
नागेंद्र –(मन में – इतना सब हो गया लेकिन अभी तक राजगुरु के बारे में यहां पर कोई बात नहीं कर रहा है कुछ तो बात हो जो छुपाई जा रही है हमसे)....
नागेंद्र जो अपनी सोच में डूबा था उसे कुछ न बोलते देख...
BD –(आरव बन के) क्या बात है साले साहब किस सोच में डूबे है आप....
नागेंद्र – (मन की बात बदल के) मै ये सोच रहा था अगर वो यहां से भागे है तो डेविल लोक में नहीं होगे क्योंकि यहां पर उन्हें खोजना आसान है लेकिन कही और हुए तो कह नहीं सकते है...
BD –(आरव बन के) आपके कहने का अर्थ है वो इस लोक में नहीं होगे तो कहा जा सकते है वो....
नागेंद्र – यही बात हमें खाए जा रही है जीजा जी...
तीनों की बातों से BD मन ही मन मुस्कुरा रहा था क्योंकि हादसे के अगले दिन ही BD ने आरव बन के पूरे राज्य में ऐलान करा दिया था कि विवाह के बाद रात में ही BD ने अपनी मां और अपनी भाभियों का अपहरण कर लिया जिसमें उसकी बीवी समारा भी उसका साथ दे रही है साथ में ये शर्त रखी है BD ने जब तक पूरे सम्मान के साथ उसे डेविल लोक का राजा नहीं बना दिया जाता है तब तक वो किसी को आजाद नहीं करेगा....
खेर कुछ ही देर में तीनों राज्य के राजा चले गए जिसके बाद BD एक कमरे में गया जहां पर योगिनी बैठी थी अपने पुराने अधेड़ उम्र की औरत वाले शरीर में...
BD – (योगिनी से) डेविल लोक में सबको खबर करवा दी है मैने अब तुम्हे क्या लगता है क्या होगा आगे...
योगिनी – होना क्या है महाराज अब तो आप ही डेविल लोक के राजा है अब आपको जो करना हो वो करिए अब तो किसी की पाबंदी नहीं है आपके ऊपर...
BD – तुम समझ नहीं रही हो योगिनी जब तक वो औरत जिंदा है तब तक खतरा मंडराता रहेगा हम पे....
योगिनी – आपको उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है महाराज अगर आपकी मां को डेविल लोक में छिपना होता तो राजगुरु को कभी न बुलाती राजगुरु के आने का मतलब साफ है महाराज आपकी मां किसी और लोक में छिपी हुई है...
BD – क्या लगता है तुम्हे किस लोक में होगी मां...
योगिनी – महाराज आप जानते हो बिना शक्ति के मै कुछ पता नहीं कर सकती हूँ मुझे इस वक्त एक स्वस्थ शरीर की आवश्यकता है महाराज...
BD – हमने उसकी व्यवस्था कर ली है योगिनी कुछ ही देर में आती होगी वो...
तभी उस कमरे में सैनिक एक पागल लड़की को पकड़ के लाते है जो दिखने और हरकतों से ही पागल लग रही थी जिसे देख....
योगिनी – (गुस्से में) ये किस पागल को उठवा लाए है महाराज....
BD – (मुस्कुरा के) देखो योगिनी अभी मुझे इस राज्य की जनता के सामने अच्छा बनने का नाटक करना पड़ेगा अगर मैने अभी से गलत हरकत की तो लोगों को शक हो जाएगा और क्या पता हर कोई बात बनाने लगे कि ये सब मेरा किया धारा है इसीलिए मैने इस पागल लड़की को पकड़ने के लिए सैनिकों को भेजा था क्योंकि राज्य में इसका होना न होना बराबर है समझी बात....
योगिनी – हम्ममम ठीक है...
जिसके बाद योगिनी ने कुछ ही देर में अपना शरीरी को बदल लिया पागल लड़की के शरीरी के साथ जिसके बाद...
योगिनी – आज रात को ही मै पता लगाती हु अपनी शक्तियों से उन सबका कहा छुपे बैठे है वो सब...
यहां तो ये सब हो रहा था जबकि इस तरफ एक घने जंगल के बीचोबीच जहां गहरा सन्नाटा छाया हुआ था अचानक से वहां तेज हवा चलने लगती है और तभी वहां पर एक तेज रोशनी होती है जो धीरे धीरे कम होने लगती है जैसे ही वो रोशनी कम होती है तभी उस जगह पर राजगुरु ज्ञानेन्द्र , रानी सुनंदा , अग्निशा , लिसा , परी , शीना , एंजिला , आरव का मृत शरीर और रत्नेश होते है तब...
सुनंदा – (राजगुरु ज्ञानेन्द्र से) गुरु देव ये हम कहा आ गए है....
ज्ञानेन्द्र – रानी सुनंदा इस वक्त हम धरती लोक में है...
सुनंदा – धरती लोक में लेकिन क्यों गुरु देव...
ज्ञानेन्द्र – हालात को देखते हुए उस वक्त मुझे जो सही लगा मैने वही किया रानी सुनंदा...
तभी उस शांत माहौल में एक तेज आवाज गुजी....
आवाज – स्वागत है आपका धरती लोक में...
ये आवाज सुन सभी चौक जाते है तभी...
आवाज – कृपया करके आप सभी घबराए नहीं मेरी आवाज की दिशा पर चलते आए....
सुनंदा –(आवाज सुन राज गुरु से) ये किसकी आवाज है गुरुदेव किसे पता है हमारे बारे में की हम धरती लोक में है...
ज्ञानेन्द्र – घबराए नहीं रानी सुनंदा ये आवाज जिसकी भी है उसे हमारे आगमन के बारे में जानकारी शायद पहले से है इसीलिए उसने स्वागत की बात बोली चलिए देखते है कौन है वो...
ज्ञानेन्द्र की बात सुन सुनंदा हा बोल के सभी को आगे चलने के लिए बोल दिया लिसा ने परी का हाथ पकड़ के आगे जाने लगी वहीं शीना और एंजिला आगे चलने लगी थी अग्निशा के साथ आखिर में रत्नेश ने आरव के शरीरी को गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन तभी...
रत्नेश –(ज्ञानेन्द्र को पुकार के) गुरुदेव....
आवाज सुन ज्ञानेन्द्र पलट के देखा रत्नेश के साथ ही बाकी सभी देखने लगे जहां रत्नेश अकेला खड़ा था और आरव का शरीरी गायब हो गया था जिसे देख...
ज्ञानेन्द्र – (रत्नेश से) क्या बात है रत्नेश और आरव का शरीर कहा गया...
रत्नेश – गुरुदेव जैसे ही मै आरव का शरीरी उठाने के लिए आगे बढ़ा ही था तभी आरव का शरीरी गायब हो गया अपने स्थान से...
ये नजारा देख सुनंदा के साथ बाकी सभी हैरान थे तभी...
ज्ञानेन्द्र – (कुछ सोच के) हमे आगे बढ़ना चाहिए आवाज की दिशा में वहां चल के इस बारे में वार्ता लाप करेंगे...
जिसके बाद सभी राजगुरु की बात मान आगे जाने लगे कुछ दूरी में आने के बाद सभी को एक शिव मंदिर दिखा जो कि पूरा खुला हुआ था जहां सीढ़ियां बनी हुई थी उसके ऊपर शिव जी की एक बड़ी सी मूर्ति खड़ी थी जैसे नृत्य कर रहे हो साथ ही मंदिर का कुछ मलबा जमीन में पड़ा हुआ था जैसे ही सब मंदिर के नजदीक आए तभी पंडित का चोला पहने एक आदमी उनके सामने आया दिखने में जिसकी उम्र लगभग 70 से 75 लग रही थी ऐसा लगता था जैसे मंदिर का पुजारी हो वो अपने सामने सभी को देख...
पंडित – (अपने हाथ जोड़ के सभी से) आप सभी को मेरा प्रणाम , स्वागत है आपका धरती लोक में मेरा नाम जगन्नाथ है मै इस मंदिर का पुजारी हूँ....
जगन्नाथ को प्रणाम करता देख सभी ने उन्हें प्रणाम किया जिसके बाद...
जगन्नाथ – (सभी से) कृपया मंदिर के अन्दर पधारे...
जगन्नाथ की बात सुन सभी गौर से उसे देखने लगे तभी...
जगन्नाथ – (उन्हें देख मुस्कुरा के) आप सभी चकित मत होइए हमें पता है आप कौन है और किस कारण धरती लोक में आए है हमारा विश्वास रखिए , आप सब यहां पूर्ण रूप से सुरक्षित है...
जगन्नाथ की बात सुन सभी मंदिर में चले जाते है जहां जगन्नाथ सभी को बैठता है फिर सभी के समीप बैठ के...
जगन्नाथ – (सभी से) हम जानते है आप सभी किन हालातों से निकल के यहां आए है आप निश्चित रहिए यहां आप सभी सुरक्षित है....
तभी...
ज्ञानेन्द्र – (जगन्नाथ से) ऋषिवर आप हमें कैसे जानते है और आपको कैसे पता हम यहां आने वाले है....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) ये सब शिव जी की लीला है गुरुदेव मै तो उनका एक छोटा सा सेवक हूं जो उनकी आज्ञा का पालन कर रहा हूँ...
ज्ञानेन्द्र – शिव जी की आज्ञा मै कुछ समझा नहीं ऋषिवर....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) मुझे एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए ही शिव जी ने चुना है जिस कारण मै वर्षों से आप सभी के यहां आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ...
सुनंदा – कैसा कार्य ऋषिवर...
जगन्नाथ – बुरी शक्तियों के नाश के लिए रानी सुनंदा इस कार्य को करने के लिए आपके बेटे आरव को चुना गया है....
अपने पुत्र आरव की बात सुन के...
सुनंदा – मेरा पुत्र आरव का शरीर यहां आते ही जाने कहा...
जगन्नाथ – (बीच में) हम जानते है रानी सुनंदा आपके पुत्र आरव के बारे में और हमें अफसोस भी है आपके पुत्र आरव को आपके सामने कैसे मारा गया था लेकिन जिस कार्य के लिए आपके पुत्र आरव को चुना गया है उसके लिए उसका अगला जन्म का वक्त आने वाला है जिस कारण आप सभी को यहां आना पड़ा....
ज्ञानेन्द्र – लेकिन ऋषिवर हम तो यहां सभी को बचाने के कारण यहां आए थे लेकिन आरव का अगला जन्म से इसका क्या ताल्लुख है...
जगन्नाथ – ताल्लुख है गुरुदेव कुछ ऐसी बुरी शक्तियां जो भविष्य में आपके लोक के साथ धरती लोक में भी विनाश का कारण बन सकती है उनका नाश करने के लिए ही शिव ने चुना है आरव को जो समय आने पर बुरी शक्तियों का नाश खुद करेंगे....
सुनंदा – (खुशी से आंख में आंसू लिए) मेरे आरव का जनम कब होगा ऋषिवर...
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) निश्चित रहिए देवी आपके पुत्र का जन्म कुछ साल बाद इसी लोक में होगा और आपके पुत्र का शरीर कही गायब नहीं हुआ है बल्कि (जलते हुए एक दिए की तरफ इशारा करके) वो देखिए वो जलता दिया कोई ओर नहीं आपका पुत्र आरव है जो जल्द ही पुनर जनम लेने वाला है लेकिन...
सुनंदा – जगन्नाथ की आखिरी बात सुन) लेकिन क्या ऋषिवर....
जगन्नाथ – लेकिन ये की सभी कार्यों को करने से पहले आपके पुत्र आरव को कठिन परीक्षा से गुजरना होगा साथ ही कई कष्टों से गुजरना होगा और इसमें आप सब उसकी कोई मदद नहीं कर सकते है ये विधि का विधान है रानी सुनंदा....
तभी इतनी देर से आरव की चारों पत्नियों साथ थी सभी एक साथ बोल पड़ी....
आरव की चारों पत्नियों – (हाथ जोड़ के रोते हुए जगन्नाथ से) बाबा हमे हमारे पति के साथ रहने दीजिए बाबा उनके बिना नहीं रह सकते हम उनकी हर परीक्षा हर एक कष्ट में उनका साथ देंगे बस हमें उनके साथ रहने दीजिए बाबा....
जगन्नाथ – पुत्री हम जानते है आपके लिए आपके पति आरव क्या है लेकिन ये जरूरी है पुत्री बिना कष्ट के कुछ भी आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन सिर्फ आरव ही नहीं आप चारों का जनम भी उनके साथ ही होगा आप उनके साथ होगे लेकिन कुछ वक्त के लिए दूरी जरूर रहेगी आपकी और वक्त आने पर आरव आपके साथ होगे एक प्रेमी और आपके पति के रूप में उससे पहले उन्हें कुछ परीक्षा देनी ही होगी....
चारों एक साथ – हम उन्हें पहचानेंगे कैसे ऋषिवर...
जगन्नाथ – आप सभी मानव रूप में जनम लेगे लेकिन एक एक करके परन्तु परी पुत्री आपको छोड़ के और जब आपक मिलन होगा उसके बाद ही आपकी अपनी स्मृति वापस आ जाएगी...
परी – तो क्या मेरा जन्म नहीं होगा ऋषिवर मै कैसे अपने पति के बिना रह पाऊंगी...
जगन्नाथ – पुत्री जन्म तो आपक भी होगा मानव रूप में लेकिन आपके पति आरव की तरह आपके भी जन्म का एक उद्देश्य है जो आपके पति आरव के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है वक्त आने पर आप सभी मिलेंगे एक साथ...
जिसके बाद....
चारों एक साथ – (हाथ जोड़ के) हमे मंजूर है ऋषिवर....
सुनंदा – (जगन्नाथ से) क्या मेरा भी जन्म....
जगन्नाथ – (बीच में) नहीं रानी सुनंदा उसके लिए आपको यही प्रतीक्षा करनी होगी वक्त आने पर आपका पुत्र स्वयंम यहां आएगा (एक तरफ इशारा करके जहां मंदिर के बाहर त्रिशूल जमीन में गढ़ा हुआ था) उस त्रिशूल को निकालने वाला ही आपका पुत्र आरव होगा तब तक आपको यही पर उसकी प्रतिक्षा करनी होगी जिस दिन ऐसा होगा उसके बाद आप अपनी शक्तियों के साथ उसी रूप में वापस आ जाएगी जैसे आप आज है साथ ही आपकी दासी अग्निशा भी....
सुनंदा – मै अपने पुत्र प्रतीक्षा करूगी ऋषिवर लेकिन आपने अभी कहा मेरे पुत्र का पुनर जन्म होगा लेकिन उसे उसकी शक्तियां कैसे मिलेगी...
जगन्नाथ – वक्त के साथ शक्ति मिलेगी उसे जिस दिन अपनी प्रेमिकाओं से मिलन होगा उसके बाद आपके पुत्र की स्मृति भी वापस आ जाएगी...
सुनंदा – ठीक है ऋषिवर....
जगन्नाथ – अति उत्तम (ज्ञानेन्द्र से) गुरुदेव अब आपको वापस जाना होगा अपने लोक में वहां आपको आरव के आने की प्रतीक्षा करनी होगी ताकि अपने लोक में पुनः वापस आके अपना कार्य भार सम्भल सके आरव....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) मै समझ गया ऋषिवर लेकिन जाने से पहले मुझे आपको कुछ जरूरी बात बतानी है...
जगन्नाथ और ज्ञानेन्द्र एक साथ अलग जगह जाके बात करके वापस आते है तब...
ज्ञानेन्द्र – (सुनंदा से) रानी सुनंदा हमे आज्ञा दीजिए अब हमे वापस जाना होगा अपने लोक में जल्द ही आप सभी से वही भेट होगी....
जिसके बाद ज्ञानेंद्र विदा लेके धरती लोक से गायब हो जाता है और चला जाता है डेविल लोक की राज सभा में जहां इस वक्त BD राज गद्दी में बैठा हुआ था योगिनी के साथ अकेले उनके सामने आके....
ज्ञानेन्द्र – (अचानक से BD के सामने आके) कैसे हो BD...
अचानक से अपन नाम सुन के...
BD –(ज्ञानेन्द्र को सामने देख चौक के) तू यहां पर कैसे और कहा है बाकी सब...
ज्ञानेन्द्र – जहां भी है सुरक्षित है वो सब...
BD – (गुस्से में) लेकिन कहा है वो सब....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) वक्त आने पर तुझे पता चल जाएगा BD....
BD – क्या मतलब है इस बात का...
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) रानी सुनंदा ने तेरे लिए एक संदेश भेजा है कि जितनी मर्जी मनमानी करले तू जल्द ही आरव आएगा तेरा नाश करने...
BD – (हस्ते हुए) उम्र के साथ उस औरत का दिमाग भी खराब हो गया है मुर्दे जिंदा नहीं हुआ करते है गुरुदेव अच्छा होगा आप मेरा साथ दे...
ज्ञानेन्द्र – लेकिन आरव जिंदा होगा भी और तेरा नाश भी करेगा BD तब तक के लिए अगर तुझे अपनी गलती का एहसास हो जाय तो अच्छा होगा तेरे लिए तब शायद रानी सुनंदा माफ करदे तुझे लेकिन मैं जनता हूँ तू ऐसा नहीं करेगा छल कपटी है तू जिसने प्यार का नाजायज फायदा उठाया अपने भाई को मार दिया केवल राज सिंहासन के लिए....
BD – गुरुदेव अपने प्रवचन अपने पास रखे आप अगर मेरा साथ देना हो तो बता दो कहा है वो लोग वर्ना....
ज्ञानेन्द्र – मरना मंजूर है मुझे लेकिन तुझे कभी नहीं बताऊंगा कहा है वो सब....
BD योगिनी की तरफ इशारा करता है जिसे देख योगिनी अपनी शक्ति का इस्तमाल कर ज्ञानेन्द्र को बंदी बना लेती है...
योगिनी – (हस्ते हुए ज्ञानेन्द्र से) ये बंधन कोई मामूली बंधन नहीं है गुरुदेव इसके बांधते ही आपकी कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी और बिना शक्ति के आप ना चल सकते हो ना कुछ कर सकते हो...
तभी अचानक ज्ञानेन्द्र जमीन में गिर पड़ता है साथ ही ज्ञानेन्द्र के चेहरे पर झुर्रियां आने लगती है उसके बाल पूरे सफेद होने लगते है उसका शरीर भी कमजोर होने लगता है इसी के साथ बेहोश हो जाता है जिसके बाद....
BD – (सैनिकों को बुला के) ले जाओ इसे और डाल दो कैद खाने में (योगिनी से) योगिनी ध्यान रहे ये मारना नहीं चाहिए हमें जानना है सबके बारे में कहा है वो सब...
योगिनी – (मुस्कुरा के) जी महाराज...
जिसके बाद धीरे धीरे करके वक्त सालों में बीतता चला गया अब धरती लोक के शिव जी के उस मंदिर में जगन्नाथ के साथ रानी सुनंदा और उनकी दासी अग्निशा ही थी एक पुजारिन की वेश भूषा में जो सिर्फ आरव के आने का इंतजार कर रही थी....
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जारी रहेगा![]()
Thank you parkas bhaiBahut hi badhiya update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....
Nice and beautiful update....
Thank you king1969Bahut hi lajawab update
Thank you bruttlekingRani sunanda,aarav ki Charo bivi,gurudev,agnisha aur ratnesh ke saath shayad samara bhi devil lok se inke saath gayab hui thi lekin dharti lok pe iska koi jikr ni hua aisa kyo ?
Thank you Fantasy NotebookKya lajawab likhavaat he adbhut pari ko kitani achhi tarah likha gaya he pad ke us pe dil aa gaya us le submissive lovely wife...