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Congratulations for new story devilINTRODUCTION
Pratap Singh – (dada) 76 saal
Sarla – (dadi) 69 saal inke 3 Bete or 2 Betiya hai
1. Rajesh Singh – (bade papa) 49 saal
Reena – (badi maa) 45 saal inki 2 Twins beti or 1 Beta hai
Sonam – 23 saal
Poonam – 23 saal
Riky – 20 saal
2. Ranveer Singh – (papa) 45 saal
Suman – (Maa) 38 saal inka 1 Beta or 1 Beti hai
Sahil Singh – 20 saal (HERO)
Kavita – 18 saal (choti behen)
Kamal – 20 saal HERO ka khass dost
3. Dheeraj Singh – (chote papa) 42 saal
Sunaina – 38 saal inke Judva bacche hai
Khushi – 19 saal
Avni – 19 saal
4. Amrita – (badi bua) 47 saal
Sumant Singh – (bade fufa) 50 saal inke 1 beta or 2 Betiya hai
Mayank – 26 saal
Shivani – 23 saal
Surbhi – 21 saal
5. Sunita Singh – (choti bua) 39 saal
Hemant Singh – (chote fufa) 45 saal inki 2 Betiya hai
Shabanam – 23 saal
Payal – 21 saal
Jagannath Baba – Mandir ke Pujari
Samantha – ek khoobsurat Pari
DEVIl LOK
SUNANDA – Devil Princess sath he Aarav or BD ki Maa
Aarav – Devil Prince
Pari – Devil Prince ki pehli Bivi
Lisa – Devil Prince ki Dosri Bivi
Sheena – Devil Prince ki Tisri bivi
Anjila – Devil Prince ki Chauthi Bivi
BD Devil – Devil Prince ka Judva Bhai (Bad Devil)
Samara – BD ki Bivi
Yogini – BD ki Rakhel
Gyanendra – Devil Lok ke Kulguru
Apun haiBhai hero kon hai
Devil lok hi bana dalaUPDATE 1
DEVIL LOK
PART 1
आज डेविल लोक में काफी चहल पहल मची हुई थी जिसका कारण था आज डेविल लोक की रानी मा सुनंदा अपने दोनों बेटे आरव और BD में से किसी एक को डेविल लोक का प्रिंस बनाने जा रही थी जिस वजह से आज महल में काफी हलचल दिख रही थी डेविल लोक राज्य के जितने भी निवासी थे सभी महल के एक बड़े से हॉल में इकठ्ठा हुए थे और सभी के मुख में सिर्फ एक नाम था आरव का के तभी बिगुल बजने लगा जिसका मतलब था कि डेविल लोक की रानी महल में पधार रही है जिसके बाद सभी लोगों में शांति छा गई तभी महल के दरवाजे से रानी सुनंदा आने लगी अपने साथ अपने दोनों बेटे आरव और BD साथ ही आरव की बीवी परी साथ में BD की बीवी समारा भी इन सभी को एक साथ देख डेविल राज्य के रहने वाले सभी लोगों झुक गए चलते चलते रानी मा अपने सिंहासन के पास आ गई जहां डेविल लोक के कुलगुरु दयानंद ने रानी को प्रणाम किया जिसके बाद सुनंदा सिंहासन में बैठने के बजाय पलट के राज्य के लोगों से बोली....
सुनंदा – (सभी से) आप सभी का हम तहे दिल से स्वागत करते है आपके इस सम्मान का तहे दिल से आभारी हूँ जैसा कि आप जानते है आज हमारे दोनों सुपुत्रों का जन्म दिन है जिसके उपलक्ष्य में आज हमने ये फैसला किया है कि आज हम (अपने दोनों बेटो को देख) अपने दोनों सुपुत्रों में से किसी एक को डेविल राज्य का राजा चुनेंगे...
जिसके बाद रानी सुनंदा ने अपनी दासी को पास बुलाया जिसके हाथ में एक प्लेट पकड़े थी जिसमें ताज रखा था उस ताज को उठा के सुनंदा अपने दोनों सुपुत्रों के पास आ गई जहां आरव और BD सिर झुकाए खड़े थे तभी...
सुनंदा – (खुश होके आरव के सिर पे ताज पहना के) आज से हम अपने प्रिय सुपुत्र आरव को डेविल राज्य का राजा घोषित करते है....
जिसके बाद महल में आए राज्य के लोग खुशी से ताली बजाने लगे जिसके बाद रानी सुनंदा ने आरव का हाथ पकड़ के उसे राजा की गड्डी में बिठा उसका तिलक किया जिसे देख आरव खुशी से मुस्कुरा रहा था तब रानी सुनंदा ने प्यार से आरव की सिर पे हाथ फेर बोला...
सुनंदा – (खुशी से) मै शुरू से जानती थी कि तू ही इस राज्य को सम्भाल सकता है आज मै बहुत खुश हूँ तेरे लिए आरव बस अपने पिता की तरह आज से तुझे भी इस राज्य के लोगों की भलाई के लिए जो करना पड़े करना ताकि तेरे पिता को तुझपे फक्र हो...
अपनी मां की बाते सुन खड़ा होके अपनी मां सुनंदा को गले लगा लिया...
आरव – (आंख में आसू लिए) हम वादा करते है मां आपसे पिता जी की तरह हम अपने राज्य के लोगों की खुशी और भलाई के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे (अपने भाई BD को देख के) लेकिन मां हमारे भाई के लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) अब तो तुम राजकुमार हो इस राज्य के इसीलिए अपने भाई के लिए भी तुझे करना होगा...
आरव – (मुस्कुरा के) समझ गया मां (हॉल में सभी को देख के) इस खुशी के मौके पर हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते है कृपया सभी ध्यान दे...
जिसके बाद पूरे हॉल में शांति छा जाती है अब सभी की निगाह डेविल प्रिंस आरव के देखते है सब तभी...
आरव – (अपने भाई BD के पास जाके) आज से हम अपने भाई BD को अपने रक्षक के साथ मुख्य सलाहार नियुक्त करते है...
जिसके बाद BD खुशी से आरव को गले लगा लेता है तब...
आरव – (धीरे से BD के कान में) हम जानते है भाई के आप राजा बनना चाहते थे और सच तो ये भी है कि आपके राजा बनने से सबसे ज्यादा खुशी हमें होती लेकिन आप जानते हो रानी मां के फैसले को टालना किसी के बस का नहीं है...
BD – (खुश होके धीरे से आरव के कान में) कोई बात नहीं भाई मुझे रानी मा के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है हमें भी बहुत खुशी हुई आपके राजा बनने से साथ ही आपने हमे इतनी इज्जत दी उसके लिए हमें बहुत खुशी हुई कि हम आपके हर फैसले पे आपके साथ रहेंगे...
बोल के दोनों भाई हस्ते हुए अलग होते है जिसके बाद BD खुशी से आरव के सामने अपना सिर झुकता है जिसे देख आरव BD के कंधे को पकड़ उठा के गले लगता है जिसे देख रानी सुनंदा की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगते है जिसे देख आरव की बीवी...
परी – (सुनंदा से) मा आपके आंखों में आंसू किस लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दोनों भाइयों का एक दूसरे के प्रति प्यार देख के आंसू आ गए बेटी मुझे लगा कही BD को हमारे फैसले से दुख न हो...
समारा – (दोनों की बाते सुन के) कैसी बाते कर रहे हो आप मां भला उन्हें दुख क्यों होगा भले ही आरव भैया राजा बन गए लेकिन आपके साथ उन्हें भी अपने भाई के लिए इतना कुछ सोचा जिसे उन्होंने पूरे राज्य के सामने अपना मुख्य सलाकार के साथ रक्षक नियुक्त किया मां भैया के इस फैसले से बहुत खुशी हुई कम से कम दोनों भाई एक साथ इस राज्य की भलाई के लिए फैसले ले सकेंगे...
सुनंदा – (समारा की बात सुन उसे गले लगा के) हा मेरी बच्ची तेरी इन बातों से तूने आज सच में मेरा दिल जीत लिया मेरी बच्ची...
बोल के समारा के माथे को चूम लेती है साथ पारी के माथे को भी...
जिसके बाद राज्य के सभी लोग एक एक करके रानी सुनंदा , राजा आरव और BD को मुबारक बाद देते है साथ ही रानी सुनंदा सभी को एक एक करके उपहार देती है जिसे ले सभी लोग खुशी खुशी आरव की जय जय कार करके महल के बाहर जाने लगते है जहां सभी के भोजन का इंतजाम किया गया था सभी के जाने के बाद डेविल लोक से आए उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राज्यों के राजाओं से भेट करते है जिनमें से दक्षिण और उत्तर के राजा की उम्र आरव के पिता की बराबर थी जबकि पूरब के पूर्व राजा के गुजरने के बाद उनके बेटे को राजा बनाया गया था जिसका नाम नागेन्द्र था तीनों मिल के आरव के पास आके उसे प्रणाम करते है साथ ही राजा बनने की बधाई देते है जिसके बाद तीनों रानी सुनंदा के पास जाते है उत्तर , दक्षिण और पूरब के राजा...
तीनों एक साथ – (रानी सुनंदा से) सुनंदा जी बहुत बहुत मुबारक हो आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) आपको भी...
तीनों एक साथ – सुनंदा जी इस शुभ अवसर पर क्या हम आपसे कुछ मांग सकते है...
सुनंदा – जी बिल्कुल कहिए...
तीनों एक साथ – जैसा कि आप जानती है आपके पति राजा हर्षवर्धन जी ने हम तीनों से वादा किया था कि अपने दोनों बेटो में किसी एक को राजा नियुक्त करने के बाद वो हम तीनों के की पुत्रियों से अपने बेटे का विवाह कराएंगे...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) जी हमे अच्छे से याद है उनका किया वादा और हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है राजन अगले दो दिन में ही हम अपने बेटे आरव की शादी आप तीनों राज्यों के राजा की पुत्री से करवाएंगे....
तीनों एक साथ – (मुस्कुरा के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया रानी सुनंदा जी....
सुनंदा – नहीं नहीं राजन इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हमारे पति भी यही चाहते थे ताकि चारों राज्य एक साथ एक परिवार की तरह मिल के रहे वो तो खुद अपने पुत्र को राजा बनते उसका घर बसता देखना चाहते थे लेकिन तकदीर को शायद मंजूर नहीं था...
नागेन्द्र – कोई बात नहीं रानी मां हम मानते है चाचा जी अगर होते सबसे ज्यादा खुशी उनको होती आज सभा में , अफसोस मुझे भी होता है चाचा जी के ना होने का मेरे पिता के जाने के बाद हर्ष चाचा ने ही मुझे संभाला था मुझे हौसला दिया राज्य के प्रति मेरी जिम्मेदारियों से मुझे अवगत कराया आज मै अगर आपके समक्ष खड़ा हूँ तो सिर्फ हर्ष चाचा की वजह से ही वरना पिता की मृत्यु के बाद मै टूट सा गया था अगर चाचा वक्त पर न संभालते तो शायद आज मै भी राज्य के बाकी लोगों की तरह भीड़ का हिस्सा होता...
सुनंदा – (नागेन्द्र के सिर पे हाथ फेर के) तुम्हारे चाचा ने जो किया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे पिता जी और तुम्हारे चाचा बचपन के दोस्त थे उन दोनों ने हमेशा से सुख और दुख में एक दूसरे का साथ निभाया तो भला वो तुम्हे कैसे अकेले छोड़ देते बेटा....
सुनंदा की बाते सुन नागेंद्र ने तुरंत ही सुनंदा के पैर छू लिए...
सुनंदा – बस बेटा अपने पिता के दिखाई राह पे चलते रहना हमेशा ताकि उनको गर्व हो तुम्हे देख के...
नागेंद्र – जी रानी मां...
सुनंदा – (तीनों से) चलिए चल के भोजन करते है उसके बाद आप तीनों को भी तैयारी करनी है अगले दो दिन में आरव के ब्याह की...
सभी हसी खुशी एक साथ भोजन करते है जिसके बाद तीनों राज्य के राजा एक दूसरे से विदा लेके अपने अपने राज्य की ओर निकल जाते है रात के वक्त सभी अपने अपने कमरे में विश्राम कर रहे होते है तभी एक कमरे में रानी सुनंदा जाती है दरवाजा खटखटा ती है जिसे परी खोलती है सामने देख...
परी – (सुनंदा को देख के) मा आप आइए ना...
कमरे में आते ही...
सुनंदा – (परी से) आरव कहा है बेटी...
परी – मा वे अभी बाहर गए हुए है आते होगे....
सुनंदा – हम्ममम बेटी तुझसे एक बात करनी है अगर तुझे कोई एतराज न हो तो...
परी – मा भला आपकी बात से मुझे क्यों एतराज होगा आप निश्चित होके कहिए...
सुनंदा – परी आज तुमने सभा में सारी बात सुनी उसे लेके मै बात करने आई हूँ तुमसे...
परी – जी कहिए मा...
सुनंदा – परी आज सभा में जब हमने आरव की शादी की बात कही क्या तुम्हे मेरे फैसले पर कोई एतराज तो नहीं (इसे पहले परी कुछ बोलती सुनंदा ने आगे बात बोलदी) देखो परी हम जानते है आरव की शादी आपसे हुई है इसीलिए आपक पूरा हक बनता है आरव पर इसीलिए हमने आपसे पूछना बेहतर समझा अगर आपको एतराज हो तो हम तीनों राज्यों के राजाओं में माफी मांग लेगे...
परी – (अपनी आंख में आंसू लिए) मा हम जब से इस महल में बहू बन के आए थे तब से आपने कभी हमें बहू नहीं बेटी समझा कभी हमें एहसास नहीं होने दिया कि हम आपकी बेटी नहीं बहू है फिर भला अपनी मां की बात कैसे टाल सकते है मा हमें अपनी मां पर पूरा यकीन है अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं सोचेगी...
परी की बात सुन उसे गले लगा के....
सुनंदा – तूने आज मेरे मन के बोझ को हल्का कर दिया बेटी आज मुझे पता चला कि आरव तुमसे इतना अधिक प्रेम क्यों करता है (परी के सिर पे हाथ रख के) आज मै तुझे अपनी बराबर की शक्ति देती हु बेटी जिसे मैने अपनी बहू के लिए सम्भाल के रखा है (परी के सिर पे हाथ रख) मेरा आशीर्वाद है कि तेरा और आरव का प्रेम हमेशा के लिए बना रहेगा (सिर से हाथ हटा के) आरव की शादी के बाद हमारी आने वाली तीनों बहुवों का तेरे साथ खास रिश्ता बना रहेगा...
जिसके बाद एक रोशनी निकलती है सुनंदा के शरीर से जो परी के अंदर समा जाती है जिसके बाद...
सुनंदा – सही वक्त आने पर ये शक्ति खुद जागृत हो जाएगी बेटी....
परी – (सुनंदा के पैर छू के) मुझे आशीर्वाद दीजिए माजी मै चाहती हूँ आपका प्रेम हम सब के साथ सदैव ऐसे ही बना रहे...
सुनंदा –(मुस्कुरा के) मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा बेटी...
जिसके बाद सुनंदा कमरे से चली जाती है जिसके कुछ देर बाद आरव आता है कमरे में परी को देख जो बहुत खुश दिख रही थी...
आरव – क्या बात है परी आज तुम बहुत खुश लग रही हो...
परी – (आरव के पास आके) मै तो हमेशा से खुश रहती हु लेकिन आज आपको ऐसा क्यों लगा....
आरव – (परी को गले लगा के) कुछ नहीं मुझे लगा सो कह दिया...
परी – (आरव के गले से अलग होने की कोशिश करते हुए) हटिए अब मै बहुत थक गई हु सोने दीजिए मुझे...
आरव – (परी के गले लगे हुए) बस कुछ देर रहने दो ऐसे ही परी तुम्हारे गले लगते ही मुझे बहुत सुकून मिलता है जैसे शरीर को अजीब सी शांति मिलती है मेरे दिल को ऐसे लगता है बस तुम्हारी गोद में सिर रख के सोता रहूं...
परी – (मुस्कुरा के अलग होते हुए) आपको मना किसने किया है (आरव का हाथ पकड़ बेड में बैठ के आरव के सिर को अपनी गोद में रख उसके सिर पे हाथ फेरते हुए) मुझे भी अच्छा लगता है जब आप मेरी गोद में सिर रख के लेटे रहते है मन शांत हो जाता है मेरा भी...
आरव – (आंख बंद कर परी के गोद में सिर रखे हुए बोलता है) परी एक बात कहूं...
परी – हम्ममम कहिए....
आरव – सभा में मा के लिए मेरी शादी के फैसले से आपको एतराज तो नहीं...
परी – बिल्कुल नहीं मा ने जो किया सोच समझ के किया है फैसला मा कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी...
आरव – क्या तुम्हे लगता है तीन शादी होने के बाद उनका तुम्हारे प्रति व्यवहार कही गलत हुआ तो...
परी – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं होगा...
आरव – और ऐसा क्यों...
नपरी – क्योंकि मुझे विश्वास है खुद पे और आप पर भी देखना हम चारों बहने बन के एक साथ रहेगी हम चारों का प्रेम आपके लिए कभी कम नहीं होगा...
आरव – (परी की बाते सुन के) परी मै वादा करता हु तुमसे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूंगा भले ही परिस्थिति कैसी भी हो....
परी – (मुस्कुरा के) अच्छा सोच लीजिए कही मुझे भूल गए तो...
आरव – (मुस्कुरा के) सोच लिया मेरी जान तुम्हे मै कभी नहीं भूल सकता हूँ और अगर कभी ऐसा हुआ तो तुम मुझे हमारा प्यार याद दिला देना कि मैं क्या हूँ तुम्हारा...
परी – अच्छा भला आपसे जबरदस्ती कैसे कर सकती हूँ मै आप तो बहुत ज्यादा ताकतवर हो...
आरव – लेकिन तुम्हारे प्यार से ज्यादा ताकत कहा मेरी जान...
दोनों मुस्कुरा के गले लग के सो जाते है....
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जारी रहेगा![]()
Nice updateUPDATE 1
DEVIL LOK
PART 1
आज डेविल लोक में काफी चहल पहल मची हुई थी जिसका कारण था आज डेविल लोक की रानी मा सुनंदा अपने दोनों बेटे आरव और BD में से किसी एक को डेविल लोक का प्रिंस बनाने जा रही थी जिस वजह से आज महल में काफी हलचल दिख रही थी डेविल लोक राज्य के जितने भी निवासी थे सभी महल के एक बड़े से हॉल में इकठ्ठा हुए थे और सभी के मुख में सिर्फ एक नाम था आरव का के तभी बिगुल बजने लगा जिसका मतलब था कि डेविल लोक की रानी महल में पधार रही है जिसके बाद सभी लोगों में शांति छा गई तभी महल के दरवाजे से रानी सुनंदा आने लगी अपने साथ अपने दोनों बेटे आरव और BD साथ ही आरव की बीवी परी साथ में BD की बीवी समारा भी इन सभी को एक साथ देख डेविल राज्य के रहने वाले सभी लोगों झुक गए चलते चलते रानी मा अपने सिंहासन के पास आ गई जहां डेविल लोक के कुलगुरु दयानंद ने रानी को प्रणाम किया जिसके बाद सुनंदा सिंहासन में बैठने के बजाय पलट के राज्य के लोगों से बोली....
सुनंदा – (सभी से) आप सभी का हम तहे दिल से स्वागत करते है आपके इस सम्मान का तहे दिल से आभारी हूँ जैसा कि आप जानते है आज हमारे दोनों सुपुत्रों का जन्म दिन है जिसके उपलक्ष्य में आज हमने ये फैसला किया है कि आज हम (अपने दोनों बेटो को देख) अपने दोनों सुपुत्रों में से किसी एक को डेविल राज्य का राजा चुनेंगे...
जिसके बाद रानी सुनंदा ने अपनी दासी को पास बुलाया जिसके हाथ में एक प्लेट पकड़े थी जिसमें ताज रखा था उस ताज को उठा के सुनंदा अपने दोनों सुपुत्रों के पास आ गई जहां आरव और BD सिर झुकाए खड़े थे तभी...
सुनंदा – (खुश होके आरव के सिर पे ताज पहना के) आज से हम अपने प्रिय सुपुत्र आरव को डेविल राज्य का राजा घोषित करते है....
जिसके बाद महल में आए राज्य के लोग खुशी से ताली बजाने लगे जिसके बाद रानी सुनंदा ने आरव का हाथ पकड़ के उसे राजा की गड्डी में बिठा उसका तिलक किया जिसे देख आरव खुशी से मुस्कुरा रहा था तब रानी सुनंदा ने प्यार से आरव की सिर पे हाथ फेर बोला...
सुनंदा – (खुशी से) मै शुरू से जानती थी कि तू ही इस राज्य को सम्भाल सकता है आज मै बहुत खुश हूँ तेरे लिए आरव बस अपने पिता की तरह आज से तुझे भी इस राज्य के लोगों की भलाई के लिए जो करना पड़े करना ताकि तेरे पिता को तुझपे फक्र हो...
अपनी मां की बाते सुन खड़ा होके अपनी मां सुनंदा को गले लगा लिया...
आरव – (आंख में आसू लिए) हम वादा करते है मां आपसे पिता जी की तरह हम अपने राज्य के लोगों की खुशी और भलाई के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे (अपने भाई BD को देख के) लेकिन मां हमारे भाई के लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) अब तो तुम राजकुमार हो इस राज्य के इसीलिए अपने भाई के लिए भी तुझे करना होगा...
आरव – (मुस्कुरा के) समझ गया मां (हॉल में सभी को देख के) इस खुशी के मौके पर हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते है कृपया सभी ध्यान दे...
जिसके बाद पूरे हॉल में शांति छा जाती है अब सभी की निगाह डेविल प्रिंस आरव के देखते है सब तभी...
आरव – (अपने भाई BD के पास जाके) आज से हम अपने भाई BD को अपने रक्षक के साथ मुख्य सलाहार नियुक्त करते है...
जिसके बाद BD खुशी से आरव को गले लगा लेता है तब...
आरव – (धीरे से BD के कान में) हम जानते है भाई के आप राजा बनना चाहते थे और सच तो ये भी है कि आपके राजा बनने से सबसे ज्यादा खुशी हमें होती लेकिन आप जानते हो रानी मां के फैसले को टालना किसी के बस का नहीं है...
BD – (खुश होके धीरे से आरव के कान में) कोई बात नहीं भाई मुझे रानी मा के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है हमें भी बहुत खुशी हुई आपके राजा बनने से साथ ही आपने हमे इतनी इज्जत दी उसके लिए हमें बहुत खुशी हुई कि हम आपके हर फैसले पे आपके साथ रहेंगे...
बोल के दोनों भाई हस्ते हुए अलग होते है जिसके बाद BD खुशी से आरव के सामने अपना सिर झुकता है जिसे देख आरव BD के कंधे को पकड़ उठा के गले लगता है जिसे देख रानी सुनंदा की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगते है जिसे देख आरव की बीवी...
परी – (सुनंदा से) मा आपके आंखों में आंसू किस लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दोनों भाइयों का एक दूसरे के प्रति प्यार देख के आंसू आ गए बेटी मुझे लगा कही BD को हमारे फैसले से दुख न हो...
समारा – (दोनों की बाते सुन के) कैसी बाते कर रहे हो आप मां भला उन्हें दुख क्यों होगा भले ही आरव भैया राजा बन गए लेकिन आपके साथ उन्हें भी अपने भाई के लिए इतना कुछ सोचा जिसे उन्होंने पूरे राज्य के सामने अपना मुख्य सलाकार के साथ रक्षक नियुक्त किया मां भैया के इस फैसले से बहुत खुशी हुई कम से कम दोनों भाई एक साथ इस राज्य की भलाई के लिए फैसले ले सकेंगे...
सुनंदा – (समारा की बात सुन उसे गले लगा के) हा मेरी बच्ची तेरी इन बातों से तूने आज सच में मेरा दिल जीत लिया मेरी बच्ची...
बोल के समारा के माथे को चूम लेती है साथ पारी के माथे को भी...
जिसके बाद राज्य के सभी लोग एक एक करके रानी सुनंदा , राजा आरव और BD को मुबारक बाद देते है साथ ही रानी सुनंदा सभी को एक एक करके उपहार देती है जिसे ले सभी लोग खुशी खुशी आरव की जय जय कार करके महल के बाहर जाने लगते है जहां सभी के भोजन का इंतजाम किया गया था सभी के जाने के बाद डेविल लोक से आए उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राज्यों के राजाओं से भेट करते है जिनमें से दक्षिण और उत्तर के राजा की उम्र आरव के पिता की बराबर थी जबकि पूरब के पूर्व राजा के गुजरने के बाद उनके बेटे को राजा बनाया गया था जिसका नाम नागेन्द्र था तीनों मिल के आरव के पास आके उसे प्रणाम करते है साथ ही राजा बनने की बधाई देते है जिसके बाद तीनों रानी सुनंदा के पास जाते है उत्तर , दक्षिण और पूरब के राजा...
तीनों एक साथ – (रानी सुनंदा से) सुनंदा जी बहुत बहुत मुबारक हो आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) आपको भी...
तीनों एक साथ – सुनंदा जी इस शुभ अवसर पर क्या हम आपसे कुछ मांग सकते है...
सुनंदा – जी बिल्कुल कहिए...
तीनों एक साथ – जैसा कि आप जानती है आपके पति राजा हर्षवर्धन जी ने हम तीनों से वादा किया था कि अपने दोनों बेटो में किसी एक को राजा नियुक्त करने के बाद वो हम तीनों के की पुत्रियों से अपने बेटे का विवाह कराएंगे...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) जी हमे अच्छे से याद है उनका किया वादा और हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है राजन अगले दो दिन में ही हम अपने बेटे आरव की शादी आप तीनों राज्यों के राजा की पुत्री से करवाएंगे....
तीनों एक साथ – (मुस्कुरा के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया रानी सुनंदा जी....
सुनंदा – नहीं नहीं राजन इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हमारे पति भी यही चाहते थे ताकि चारों राज्य एक साथ एक परिवार की तरह मिल के रहे वो तो खुद अपने पुत्र को राजा बनते उसका घर बसता देखना चाहते थे लेकिन तकदीर को शायद मंजूर नहीं था...
नागेन्द्र – कोई बात नहीं रानी मां हम मानते है चाचा जी अगर होते सबसे ज्यादा खुशी उनको होती आज सभा में , अफसोस मुझे भी होता है चाचा जी के ना होने का मेरे पिता के जाने के बाद हर्ष चाचा ने ही मुझे संभाला था मुझे हौसला दिया राज्य के प्रति मेरी जिम्मेदारियों से मुझे अवगत कराया आज मै अगर आपके समक्ष खड़ा हूँ तो सिर्फ हर्ष चाचा की वजह से ही वरना पिता की मृत्यु के बाद मै टूट सा गया था अगर चाचा वक्त पर न संभालते तो शायद आज मै भी राज्य के बाकी लोगों की तरह भीड़ का हिस्सा होता...
सुनंदा – (नागेन्द्र के सिर पे हाथ फेर के) तुम्हारे चाचा ने जो किया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे पिता जी और तुम्हारे चाचा बचपन के दोस्त थे उन दोनों ने हमेशा से सुख और दुख में एक दूसरे का साथ निभाया तो भला वो तुम्हे कैसे अकेले छोड़ देते बेटा....
सुनंदा की बाते सुन नागेंद्र ने तुरंत ही सुनंदा के पैर छू लिए...
सुनंदा – बस बेटा अपने पिता के दिखाई राह पे चलते रहना हमेशा ताकि उनको गर्व हो तुम्हे देख के...
नागेंद्र – जी रानी मां...
सुनंदा – (तीनों से) चलिए चल के भोजन करते है उसके बाद आप तीनों को भी तैयारी करनी है अगले दो दिन में आरव के ब्याह की...
सभी हसी खुशी एक साथ भोजन करते है जिसके बाद तीनों राज्य के राजा एक दूसरे से विदा लेके अपने अपने राज्य की ओर निकल जाते है रात के वक्त सभी अपने अपने कमरे में विश्राम कर रहे होते है तभी एक कमरे में रानी सुनंदा जाती है दरवाजा खटखटा ती है जिसे परी खोलती है सामने देख...
परी – (सुनंदा को देख के) मा आप आइए ना...
कमरे में आते ही...
सुनंदा – (परी से) आरव कहा है बेटी...
परी – मा वे अभी बाहर गए हुए है आते होगे....
सुनंदा – हम्ममम बेटी तुझसे एक बात करनी है अगर तुझे कोई एतराज न हो तो...
परी – मा भला आपकी बात से मुझे क्यों एतराज होगा आप निश्चित होके कहिए...
सुनंदा – परी आज तुमने सभा में सारी बात सुनी उसे लेके मै बात करने आई हूँ तुमसे...
परी – जी कहिए मा...
सुनंदा – परी आज सभा में जब हमने आरव की शादी की बात कही क्या तुम्हे मेरे फैसले पर कोई एतराज तो नहीं (इसे पहले परी कुछ बोलती सुनंदा ने आगे बात बोलदी) देखो परी हम जानते है आरव की शादी आपसे हुई है इसीलिए आपक पूरा हक बनता है आरव पर इसीलिए हमने आपसे पूछना बेहतर समझा अगर आपको एतराज हो तो हम तीनों राज्यों के राजाओं में माफी मांग लेगे...
परी – (अपनी आंख में आंसू लिए) मा हम जब से इस महल में बहू बन के आए थे तब से आपने कभी हमें बहू नहीं बेटी समझा कभी हमें एहसास नहीं होने दिया कि हम आपकी बेटी नहीं बहू है फिर भला अपनी मां की बात कैसे टाल सकते है मा हमें अपनी मां पर पूरा यकीन है अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं सोचेगी...
परी की बात सुन उसे गले लगा के....
सुनंदा – तूने आज मेरे मन के बोझ को हल्का कर दिया बेटी आज मुझे पता चला कि आरव तुमसे इतना अधिक प्रेम क्यों करता है (परी के सिर पे हाथ रख के) आज मै तुझे अपनी बराबर की शक्ति देती हु बेटी जिसे मैने अपनी बहू के लिए सम्भाल के रखा है (परी के सिर पे हाथ रख) मेरा आशीर्वाद है कि तेरा और आरव का प्रेम हमेशा के लिए बना रहेगा (सिर से हाथ हटा के) आरव की शादी के बाद हमारी आने वाली तीनों बहुवों का तेरे साथ खास रिश्ता बना रहेगा...
जिसके बाद एक रोशनी निकलती है सुनंदा के शरीर से जो परी के अंदर समा जाती है जिसके बाद...
सुनंदा – सही वक्त आने पर ये शक्ति खुद जागृत हो जाएगी बेटी....
परी – (सुनंदा के पैर छू के) मुझे आशीर्वाद दीजिए माजी मै चाहती हूँ आपका प्रेम हम सब के साथ सदैव ऐसे ही बना रहे...
सुनंदा –(मुस्कुरा के) मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा बेटी...
जिसके बाद सुनंदा कमरे से चली जाती है जिसके कुछ देर बाद आरव आता है कमरे में परी को देख जो बहुत खुश दिख रही थी...
आरव – क्या बात है परी आज तुम बहुत खुश लग रही हो...
परी – (आरव के पास आके) मै तो हमेशा से खुश रहती हु लेकिन आज आपको ऐसा क्यों लगा....
आरव – (परी को गले लगा के) कुछ नहीं मुझे लगा सो कह दिया...
परी – (आरव के गले से अलग होने की कोशिश करते हुए) हटिए अब मै बहुत थक गई हु सोने दीजिए मुझे...
आरव – (परी के गले लगे हुए) बस कुछ देर रहने दो ऐसे ही परी तुम्हारे गले लगते ही मुझे बहुत सुकून मिलता है जैसे शरीर को अजीब सी शांति मिलती है मेरे दिल को ऐसे लगता है बस तुम्हारी गोद में सिर रख के सोता रहूं...
परी – (मुस्कुरा के अलग होते हुए) आपको मना किसने किया है (आरव का हाथ पकड़ बेड में बैठ के आरव के सिर को अपनी गोद में रख उसके सिर पे हाथ फेरते हुए) मुझे भी अच्छा लगता है जब आप मेरी गोद में सिर रख के लेटे रहते है मन शांत हो जाता है मेरा भी...
आरव – (आंख बंद कर परी के गोद में सिर रखे हुए बोलता है) परी एक बात कहूं...
परी – हम्ममम कहिए....
आरव – सभा में मा के लिए मेरी शादी के फैसले से आपको एतराज तो नहीं...
परी – बिल्कुल नहीं मा ने जो किया सोच समझ के किया है फैसला मा कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी...
आरव – क्या तुम्हे लगता है तीन शादी होने के बाद उनका तुम्हारे प्रति व्यवहार कही गलत हुआ तो...
परी – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं होगा...
आरव – और ऐसा क्यों...
नपरी – क्योंकि मुझे विश्वास है खुद पे और आप पर भी देखना हम चारों बहने बन के एक साथ रहेगी हम चारों का प्रेम आपके लिए कभी कम नहीं होगा...
आरव – (परी की बाते सुन के) परी मै वादा करता हु तुमसे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूंगा भले ही परिस्थिति कैसी भी हो....
परी – (मुस्कुरा के) अच्छा सोच लीजिए कही मुझे भूल गए तो...
आरव – (मुस्कुरा के) सोच लिया मेरी जान तुम्हे मै कभी नहीं भूल सकता हूँ और अगर कभी ऐसा हुआ तो तुम मुझे हमारा प्यार याद दिला देना कि मैं क्या हूँ तुम्हारा...
परी – अच्छा भला आपसे जबरदस्ती कैसे कर सकती हूँ मै आप तो बहुत ज्यादा ताकतवर हो...
आरव – लेकिन तुम्हारे प्यार से ज्यादा ताकत कहा मेरी जान...
दोनों मुस्कुरा के गले लग के सो जाते है....
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जारी रहेगा![]()