- 10,046
- 33,275
- 244
Last edited:
Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 20
LOCATION....लाला की हवेली....
जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....
विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...
लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....
विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....
लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....
विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....
लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....
ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....
आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....
राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....
आनंद – क्या बात है मां....
राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....
आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....
राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....
आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....
राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....
आनंद – हा देखा था मैने उनको....
राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...
आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....
राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....
आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....
राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....
बोल के राधिका चुप हो गई....
आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....
राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....
आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....
बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....
आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....
अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....
राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....
आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....
राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...
बोल के राधिका जाने लगी तभी....
सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....
राधिका के जाने के बाद....
सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....
आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....
सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....
आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....
सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....
आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...
कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..
सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....
आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....
सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....
आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...
बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....
आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....
आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....
आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...
अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....
आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....
अमित – हा याद है फिर क्या करना है....
आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....
अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....
आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...
अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....
बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...
आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...
सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....
विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....
जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....
विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...
सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...
जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....
आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....
विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....
विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....
RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....
विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...
RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....
विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....
RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....
विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....
RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....
विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....
RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...
बोल के काल काट दिया तब...
विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....
आदमी – वो क्या है....
विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....
आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....
विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....
आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....
विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...
आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....
विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....
आदमी – ठीक है...
विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....
बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....
आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....
बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....
लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....
आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....
अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....
आनंद – हम्ममम बात क्या बता....
अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....
आनंद – कौन सी अजीब बात....
अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....
आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....
अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....
आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....
अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....
आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....
अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....
आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....
अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....
अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....
अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...
आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....
अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....
अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....
आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....
अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....
आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....
अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....
अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....
अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....
आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....
अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....
आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....
अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....
आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....
बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...
आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...
अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....
आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....
अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....
आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....
अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...
अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...
विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...
आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....
विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....
आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....
विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...
आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...
तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....
राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....
आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....
राधिका – क्या बात है....
तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....
राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...
आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....
राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....
राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....
आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....
राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...
आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....
सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....
राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....
बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....
धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....
राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....
धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....
राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...
फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....
राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....
धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....
राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....
राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....
आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....
धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....
आनंद – हा दादा जी....
फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....
धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....
आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....
धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....
बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....
राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....
आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...
राधिका – किस चीज की तैयारी....
आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....
राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...
रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...
आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....
सोचते हुए सो गया आनंद...
(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....
अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...
सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....
बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...
सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....
इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....
डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....
सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....
डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....
सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....
सुमन – वो गाड़ी में है...
सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....
बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....
सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....
सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....
सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...
सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...
सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....
सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....
सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....
सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....
सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...
सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....
सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....
सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....
सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....
सुमन – क्या आप अकेले हो....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....
सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....
सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....
सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....
बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....
साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....
सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...
साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....
सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....
सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....
कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....
सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....
सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....
साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....
साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....
सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....
साहिल – ओह....
सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....
साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....
सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....
साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....
बोल के साहिल उठने लगा तब....
सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....
डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....
कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...
हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...
लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
.
.
जारी रहेगा![]()
Bhai hamesa ki tarah shandar update hUPDATE 20
LOCATION....लाला की हवेली....
जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....
विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...
लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....
विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....
लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....
विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....
लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....
ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....
आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....
राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....
आनंद – क्या बात है मां....
राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....
आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....
राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....
आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....
राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....
आनंद – हा देखा था मैने उनको....
राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...
आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....
राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....
आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....
राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....
बोल के राधिका चुप हो गई....
आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....
राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....
आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....
बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....
आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....
अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....
राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....
आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....
राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...
बोल के राधिका जाने लगी तभी....
सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....
राधिका के जाने के बाद....
सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....
आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....
सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....
आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....
सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....
आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...
कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..
सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....
आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....
सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....
आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...
बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....
आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....
आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....
आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...
अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....
आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....
अमित – हा याद है फिर क्या करना है....
आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....
अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....
आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...
अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....
बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...
आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...
सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....
विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....
जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....
विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...
सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...
जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....
आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....
विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....
विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....
RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....
विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...
RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....
विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....
RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....
विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....
RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....
विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....
RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...
बोल के काल काट दिया तब...
विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....
आदमी – वो क्या है....
विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....
आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....
विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....
आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....
विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...
आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....
विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....
आदमी – ठीक है...
विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....
बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....
आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....
बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....
लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....
आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....
अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....
आनंद – हम्ममम बात क्या बता....
अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....
आनंद – कौन सी अजीब बात....
अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....
आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....
अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....
आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....
अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....
आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....
अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....
आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....
अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....
अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....
अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...
आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....
अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....
अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....
आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....
अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....
आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....
अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....
अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....
अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....
आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....
अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....
आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....
अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....
आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....
बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...
आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...
अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....
आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....
अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....
आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....
अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...
अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...
विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...
आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....
विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....
आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....
विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...
आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...
तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....
राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....
आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....
राधिका – क्या बात है....
तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....
राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...
आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....
राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....
राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....
आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....
राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...
आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....
सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....
राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....
बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....
धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....
राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....
धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....
राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...
फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....
राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....
धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....
राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....
राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....
आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....
धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....
आनंद – हा दादा जी....
फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....
धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....
आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....
धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....
बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....
राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....
आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...
राधिका – किस चीज की तैयारी....
आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....
राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...
रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...
आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....
सोचते हुए सो गया आनंद...
(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....
अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...
सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....
बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...
सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....
इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....
डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....
सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....
डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....
सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....
सुमन – वो गाड़ी में है...
सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....
बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....
सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....
सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....
सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...
सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...
सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....
सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....
सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....
सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....
सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...
सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....
सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....
सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....
सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....
सुमन – क्या आप अकेले हो....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....
सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....
सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....
सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....
बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....
साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....
सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...
साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....
सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....
सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....
कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....
सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....
सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....
साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....
साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....
सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....
साहिल – ओह....
सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....
साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....
सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....
साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....
बोल के साहिल उठने लगा तब....
सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....
डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....
कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...
हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...
लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
.
.
जारी रहेगा![]()
अद्भुत अद्भुत अप्रतिम और रहस्यों से भरा रोमांचकारी विध्वंसक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 19
एक लड़की गहरी नींद में सो रही थी वो नींद में एक सपना देख रही थी जिसमें देखती है कि वो एक कमरे में एक लड़के से बाते कर रही थी....
समारा – (गुस्से में) आपने बोला क्यों नहीं कुछ भी सब कुछ आपकी आंखों के सामने होता चला गया आखिर क्यों चुप बैठे थे आप..
B D – (गुस्से में) तो तुम्हे क्या लगता है जो हुआ उससे मै बहुत खुश था नहीं बल्कि बदले की आग तो मेरे सीने में लग चुकी है पूरी तरह से जिससे इन दोनों मा बेटे को जला के खाक कर दूंगा...
समारा – तो आप रानी मा का क्या करोगे....
B D – हम्ममम उसी बात की चिंता हो रही है मुझे कैसे उस औरत को कैद करूं....
समारा – अब क्या करोगे आप....
B D – सिर्फ एक रास्ता है अब...
समारा – कौन सा रास्ता....
B D – योगिनी...
समारा – (चौक के) क्या ये कोई चुडैल है....
B D – (हस्ते हुए) वो चुडैल नहीं बल्कि योगिनी है...
समारा – तो आप उससे मिलने जाएंगे...
B D – हा आज ही जाऊंगा मिलने उससे और तुम भी साथ चलोगी मेरे...
समारा – लेकिन मेरा क्या काम है वहां पर....
B D – सब पता चल जाएगा कुछ ही देर में सब सो जाएंगे तब हम चलेंगे योगिनी के पास....
समारा – उसके पास क्यों...
B D – वही हमे हमारी असली मंजिल तक जाने का रास्ता दिखाएगी (समारा से) क्या इस काम में तुम मेरा साथ दोगी...
समारा – आपकी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ...
B D – (मुस्कुरा के) हम्ममम...
जिसके कुछ समय बाद B D और समारा महल से चुपके से निकल गए उस पहाड़ी की ओर जहां पर योगिनी उनका इंतजार कर रही थी गुफा के अंदर आते ही दोनों की नजर एक तरफ पड़ी जहां सामने एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी आंखे बंद करके हवन कुंड के पास बैठी थी तभी उसकी आंख खुली अपने सामने B D और समारा को देख...
योगिनी – (मुस्कुरा के B D से) मै आप ही का इंतजार कर रही थी महाराज (समारा से) कैसी हो आप महारानी...
योगिनी की बात सुन B D मुस्कुराता है जबकि...
समारा – (थोड़ा चौक के) अच्छी हूँ और आप ये क्या...
योगिनी – (बीच में) आपके सारे सवालों का जवाब भी आपको जल्द ही मिल जाएगा महारानी (दोनों को एक तरफ इशारा करके) बैठिए यहां पर...
योगिनी के इशारों को समझ दोनों हवन कुंड के पास बैठ गए तब...
योगिनी – (दोनों से) अब बताइए क्या सेवा कर सकती हूँ मै आप दोनों की...
B D – तुम जानती हो योगिनी आज मैने क्या खोया है बस उसे पाना चाहता हूँ किसी भी हालत में...
योगिनी – हम्ममम और इस कम में क्या आपकी पत्नी आपका साथ देने को तैयार है....
समारा – हा मै अपने पति का साथ अपनी आखिरी सास तक दूंगी....
योगिनी – (मुस्कुरा के समारा से) बहुत अधिक प्रेम करती है आप अपने पति से महारानी....
समारा – हा जान से भी ज्यादा....
योगिनी – (मुस्कुरा के) लेकिन आपको जान देने की जरूरत नहीं है महारानी सिर्फ साथ देना है आपको क्या आप तैयार है...
समारा – हा हम तैयार है....
समारा की बात सुन के योगिनी के साथ B D भी मुस्कुराता है जिसके बाद...
योगिनी – (समारा से) ठीक है महारानी (अपना हाथ आगे कर समारा से) मेरा हाथ पकड़ लीजिए महारानी ताकि इस नेक काम की शुरुवात हम अभी से कर सके...
समारा – (योगिनी का हाथ पकड़ के) लेकिन इससे आप क्या करने वाली है...
योगिनी – (मुस्कुरा के) बहुत जल्द ही आपको पता चल जाएगा महारानी....
जिसके बाद योगिनी ने हवन कुंड के सामने मंत्र पढ़ते हुए दूसरे हाथ से आहुति देने लगी कुछ समय बाद समारा और योगिनी की आंखे बंद हो गई तभी समारा की आंख खुली तो अपने सामने B D को देख के....
समारा – (B D से) क्या हुआ मेरी आंख कैसे लग गई...
बोल के खड़ी होने लगी जिस वजह से समारा को कमर और पैर में दर्द होने लगा जिसके बाद...
समारा – (दर्द में करहाते हुए B D से) सुनिए जाने कैसे मेरे कमर और पैर में काफी दर्द हो रहा है....
तभी एक लड़की की आवाज आई...
लड़की – क्या हुआ महारानी...
आवाज सुन पलट के देखते हुए अचानक से समारा की आंखे बड़ी हो गई डर से...
समारा – (अपने सामने अपनी तरह दिखने वाली लड़की को देखते हुए हैरानी से) कौन हो तुम और तुम मेरी तरह कैसे दिख रही हो....
बोल के जैसे ही समारा ने B D और उस लड़की की तरफ देख जो हस रहे थे...
समारा – (दोनों हंसता हुए देख हैरान होके) हो क्या रहा है यहां आप दोनों हस क्यों रहे हो (लड़की से) क्या किया है तुमने मेरे साथ...
लड़की – (B D से) लगता है ये अभी तक नहीं समझ पाई है मेरे महाराज...
NOTE - जो लड़की ये सपना देख रही है उसे सिर्फ B D दिख रहा है योगिनी नहीं और इस वक्त सपनो के बीच की कई बात उस लड़की को सुनाई नहीं दे रही ऐसा क्यों आगे पता चलेगा इस बारे में....
समारा – (BD से) लेकिन आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मै तो आपकी पत्नी हूँ आपसे प्यार करती हु...
B D – (हस्ते हुए) प्यार जैसा मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है (बीच की बात सपने में उस लड़की को सुनाई नहीं दी)...
बोल के हंसने लगे दोनों जिसे देख समारा आसू बहने लगी तब...
योगिनी – (समारा को देख हस्ते हुए) ओह हो देखो तो कैसे आसू बहा रही है ये अरे बेवकूफ औरत तुझे खुश होना चाहिए तूने अपने पति के लिए क्या किया है नाज होना चाहिए तुझे खुद पे और तू रो रही है...
समारा –(रोते हुए) छल किया है मेरे साथ तुम दोनों ने मै रानी मा को सब कुछ बता दूंगी...
BD – (हस्ते हुए) वो तो तब होगा जब तू यहां से चल के निकल पाए पहले खड़ी होके चल के दिखा...
जिसके बाद समारा खड़ी होके चलने की कोशिश कर रही थी कुछ दूर चलने के बाद गिर गई समारा उसे दर्द होने लग अपने पैरों में जिसे देख BD और योगिनी हंसने लगे तब BD समारा को उठा के गुफा के बाहर एक पत्थर में बैठा के...
BD – (हस्ते हुए) बस आज रात की बात है उसक बाद कल सुबह का सूरज तूने देख लिया तो किस्मत तेरी नहीं तो (बोल के हंसने लगा)...
समारा – क्या मतलब है तुम्हारा...
योगिनी – (हस्ते हुए कुछ बोली जो सपने में उस लड़की को सुनाई नहीं दिया)...
समारा – (गुस्से में) नहीं मै तुझे तेरी चाल में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी मैं सारा सच बताऊंगी रानी मा को तेरा...
समारा – (पुकारते हुए) अग्नि...
अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...
समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...
अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...
समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...
अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...
समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम (सपने में लड़की को सुनाई नहीं दिया)...
अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....
समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...
तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...
अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...
समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...
अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...
समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...
अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप...
इसके बाद ठीक वैसा होता है जैसा आप सबने UPDATE - 2 OR 3 में पढ़ा था लेकिन इस बार समारा को एक नया चेहरा नजर आता है अपने सपने में जब रानी मां और अग्निशा के सब आरव के कमरे में होते है तब वो लड़की अपने सामने शादी के लाल जोड़े में कविता को देखती है लेकिन उसे बाकी की तीन लड़कियों के चेहरे नजर नहीं आते ये सारा नजारा सपने में देख रही लड़की अचानक से नींद से जाग जाती है तब....
लड़की – (अचानक से नींद से जाग के) ये कैसा सपना था...
लड़की की बात सुन बगल में बैठी लड़की बोली....
लड़की – क्या हुआ सोनम कौन सा सपना देख रही थी....
ये दोनों लड़कियां और कोई और नहीं सोनम और पूनम है साहिल के बड़े चाचा की बेटियां...
सोनम – कुछ नहीं अजीब सा सपना देखा मैने....
पूनम – कोई बात नहीं सपने तो अजीब ही होते है सोनम खैर अभी आराम करो अभी कोई उठा भी नहीं है जानती है ना आज वापस जाना है हमें घर पर....
सोनम – हा याद है....
बोल कर वापस बेड में लेट जाती है मन में सोचने लगती है सपने के बारे में....
सोनम –(मन में – ये कैसा सपना था जिसमें मेरा नाम समारा और साहिल मेरा पति था जिससे में प्रेम करती थी ये कैसे हो सकता है और वो लड़की कौन थी जिसके कारण साहिल ने धोखा दिया था मुझे और छोड़ गया मरने के लिए लेकिन उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा क्या और क्यों किया , अग्निशा कौन थी , कौन थी वो रानी मां , सबसे बड़ी बात कविता वहां क्या कर रही थी शादी के लाल जोड़े में और उसके साथ बाकी तीन लड़कियां कौन थी लाल शादी के जोड़ें में क्या साहिल ने सच में कविता के पति को मारा था क्या इसीलिए रो रही थी कविता बाकी लड़कियों के साथ आखिर ये कैसा सपना था कही ये मुझे कोई इशारा तो नहीं या सच में साहिल ऐसा कुछ करने वाला हो और हो भी क्यों ना साहिल बेहिसाब नफरत जो करता है हम सब से , लेकिन सिर्फ दादी के कहने पर साहिल घर आने को मान कैसे गया , नहीं जरूर साहिल का कोई मकसद होगा शायद इसीलिए मुझे ये सपना आया , अब तो वो घर भी आ रहा है चाहे जो भी हो मै साहिल को उसके मकसद में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी मैं कविता को कुछ नहीं होने दूंगी)....
सोचते हुए सोनम सो जाती है अब दूसरी तरफ जहां कल रात को साहिल को अटैक आया था जिसके बाद रात से ही सुमन की गोद सिर रख सो रहा था साहिल सुबह ४ बजे साहिल की नींद अचानक खुल गई अपने आप को सुमन की गोद में सोता देख झट से उठ गया तब उसकी नजर गई कमल पर जो सोफा में सो रहा था और सुमन बेड में बैठे टेक लगाए सो रही थी ये देख साहिल उठ के बालकनी में खड़ा हो गया तभी पीछे से...
सेमेंथा –कैसे हो साहिल...
साहिल – तुम सोती नहीं हो क्या...
सेमेंथा – कल रात तुम्हे उस हालत में देखा तो नींद नहीं आई....
साहिल – (मुस्कुरा के) शुरुवात में मेरे साथ भी ऐसा होता था फिर धीरे धीरे आदत पड़ गई , बस दस मिनट के लिए एक तरह से मर जाता हूँ हर बार और मजे की बात जानती हो अगर उस वक्त सच में किसी ने मार दिया मुझे तो मुझे पता भी नहीं चलेगा कि कब मर गया मैं....
बोल के साहिल हंसने लगा जिसे देख सेमेंथा उसके गले लग गई....
सेमेंथा – मत बोलो ऐसा मै कुछ नहीं होने दूंगी तुम्हे....
साहिल – (सेमेंथा के गले लगे हुए) सेमेंथा मै सच में चाहता हूं कि कोई मार दे मुझे ताकि इस दर्द से छुटकारा मिल जाए , हर बार अपने दादा को अपने सामने मरता देख मै खुद पल पल मर ही रहा हूँ बस सहन नहीं होता अब ये सब मुझसे काश कि मैं मर जाऊं ताकि....
तभी साहिल के पीछे से आके किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा तब साहिल ने पलट के देखा तो सामने सुमन को अपने सामने खड़ी पाया तब....
सुमन – क्यों मरने की बात कर रहे हो और किस्से बात कर रहे हो....
साहिल – अपने आप से बाते कर रहा हूँ , क्या करूं जब कोई नहीं मिलता बात करने को तो ऐसा करता हूँ आदत है मेरी शुरू से....
सुमन – मत बोलो मरने की बात और जो भी बात करनी हो मुझसे करो अकेले में अपने आप से मत करो....
साहिल – छोड़िए ये सब बाते वैसे भी मै जैसा हूँ अकेला ही ठीक हु मैं खैर इस वक्त यहां क्या कर रहे हो आप....
सुमन – यहां अकेला बाते करते देख आ गई मै....
साहिल – जाईए आराम करिए मेरे बारे में सोचने की जरूरत नहीं है संभाल सकता हूँ मैं खुद को अब....
बोल के साहिल बेड में चला गया सोने पीछे से सेमेंथा भी आ गई साहिल के बगल में जबकि साहिल की बात सुन सुमन एक पल साहिल को देखती रही फिर अपने कमरे में चली गई जहां कविता , अवनी और खुशी सो रहे थे उनके बगल में सुमन भी लेट के साहिल के बार में सोचना लगी....
सुमन – (मन में – चाहे जो बोलना चाहो बोल दो लेकिन मैं पीछे नहीं हटने वाली हूँ , कभी अकेला नहीं रहने दूंगी मैं तुम्हे).....
सोचते हुए सो गई सुमन कुछ समय बाद सुबह हुई जहा इस वक्त सब सो रहे थे वहीं रनवीर जल्दी उठ के अपने बॉडी गार्ड के साथ निकल गया शहर की तरफ रस्ते में....
रनवीर – (अपने बॉडी गार्ड से) तुममें से कुछ लोग यही रुक जाओ जब सब निकल आए हवेली से तब तुम सब भी निकल जाना उनके पीछे बस ध्यान रहे कुछ भी गड़बड़ नहीं होनी चाहिए और अगर कुछ भी गलत लगे तो फौरन एक्शन लेना समझे....
बोल के अपने बॉडी गार्ड से निकल गया रनवीर इस बात से अंजान की सब एक साथ नहीं निकलने वाले है घर को तरफ जबकि हवेली से दूर जंगल में एक तरफ जहां शिव जी का मंदिर बना हुआ था जहां सुनंदा और जगन्नाथ बाबा बैठे थी तभी उस मंदिर में ३० से ४० साधु आते है शिव की जय जय कार करते हुए जिसे देख जगन्नाथ बाबा मुस्कुराते है तब...
जगन्नाथ बाबा – (सभी साधुओं से) प्रणाम संतो स्वागत है आपका शिव जी के मंदिर में मै आपका ही इन्तजार कर रहा था...
सभी साधु एक साथ – (चौक के) हम समझे नहीं आपकी बात का मतलब....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) मेरा मतलब था कि शिव के मंदिर में उसके भक्त उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ते है इसीलिए मैने ऐसा कहा संतो....
एक साधु – (मुस्कुर के) जी आज हम भी यहां इच्छा लेके आए है बाबा और आज हमारी इच्छा जरूर पूरी भी होगी...
जगन्नाथ बाबा – (मुस्करा के) अवश्य पूरी होगी आपकी इच्छा संतो हर किसी को उसके पाप से मुक्त करने के लिए ही तो शिव जी विराजमान हुए है इस पूरे संसार में , चलिए आप सब आज पेड़ के नीचे छोटा सा पंडाल बना हुआ है उसमें विश्राम करिए आप सब बहुत ताकत की जरूरत पड़ने वाली है आपको आज...
एक साधु – क्या मतलब बाबा...
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) शिव की भक्ति के लिए शरीर में ताकत की बात कर रहा हूँ मैं....
जगन्नाथ बाबा की बात सुन सब मुस्कुरा के चले गए आराम करने उनके जाते ही....
जगन्नाथ बाबा – (सुनंद के पास जाके) देवी आज आपकी तपस्या पूर्ण हुई....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा की बात सुन आंख खोल के) क्या मतलब है बाबा....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) आज वो आने वाला है देवी जिसकी प्रतीक्षा आप वर्षों से कर रहे हो....
सुनंदा – सच में बाबा तरस गई है मेरी आंखे उसे देखने के लिए बाबा आज सच में वो आने वाला है ना....
जगन्नाथ बाबा – हा देवी वो आने वाला है....
साधुओं की तरफ...
पहला साधु – (बाकियों से) सब लोग खाने की तैयारी कर लो मैने एक आदमी को भेजा है वो उन्हें लेके यहां आएगा उसके बाद जल्दी काम खत्म करके उनको लेके निकल चलेंगे हम...
दूसरा साधु – वो सब तो ठीक है लेकिन वो मंदिर का पुजारी बीच में आ गया तो....
पहला साधु – (हंसते हुए) तो पहुंचा देगे उसे उसके भगवान के पास...
बोल के सभी साधु हंसने लगे जबकि इस तरफ धीरेन्द्र की हवेली में इस वक्त दिन में सभी तैयार हो के हवेली के बाहर खड़े जाने को तैयार थे तब धीरज , सुनैना, खुशी , अवनी , राजेश , रीना , सोनम और पूनम साथ में दादी सभी से विदा लेके निकल गए घर की तरफ फिर इस बात से अंजान उनके पीछे रनवीर के बॉडीगार्ड भी पीछे से चल रहे है इधर हवेली में कुछ समय बाद सबसे मिलते हुए कमल आया साहिल के पास उसके गले लग के....
कमल – (मुस्कुरा साहिल के गले लग के) चल चलता हूँ मैं जल्दी मिलता हूं तुझसे....
साहिल – (अलग होके) मत जा यार....
कमल –(सीरियस होके) टेंशन क्यों लेता है हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूँ यार....
साहिल – हा बस आज पहली बार अलग हो रहा है ना इसीलिए....
कमल – परेशान मत हो जल्दी आऊंगा वैसे भी जब तक तेरा दिमाग ना खाऊं मेरा पेट कहा भरने वाला है बे....
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे तब , बाकी के सभी धीरेन्द्र , राघव , रागिनी , रचना , कविता , साहिल और सुमन से विदा लेके निकल गए घर की तरफ फिर सभी हवेली के अन्दर जाने लगे तभी साहिल आखिरी में अकेले अन्दर आता तभी उसने देखा सेमेंथा को जो एक तरफ खड़ी थी उसके पास जाके...
साहिल – (सेमेंथा से) मेरा एक काम करोगी...
सेमेंथा –(मुस्कुर के) तुम्हे कभी मना करूंगी किसी काम के लिए...
साहिल – (मुस्कुरा के) मै चाहता हूं तुम कमल के साथ चली जाओ वो घर सुरक्षित पहुंच जाए तब आ जाना....
सेमेंथा – (मुस्कुर के) बस इतनी सी बात हो जाएगा....
बोल के सेमेंथा वहां से गायब हो गई और पहुंच गई कमल की गाड़ी की तरफ जहां रास्ते में सभी बात करते हुए जा रहे थे तभी....
सुनीता – (अपनी दोनों बेटी पायल और शबनम से) तुम दोनों बचपन में जिद करती थी न कि भाई चाहिए तुम दोनों को....
पायल – हा लेकिन आपने मानी नहीं बात तब....
सुनीता – (मुस्कुरा के) मै तुम्हारे भाई को तभी ले आती लेकिन तब मैने कुछ और सोच के तुम्हारे भाई को कही और भेज दिया....
शबनम – (चौक के) क्या मतलब आप हमारे भाई को लाई लेकिन हमसे मिलाया भी नहीं और कहा है हमारा भाई और कहा भेजा आपने हमारे भाई को....
सुनीता –(मुस्कुरा के) वो जहा भी था सुरक्षित था और अब से तुम उसके साथ रहोगी....
शबनम और पायल एक साथ – कहा है भाई हमारा....
सुनीत –(कमल को देख उसकी तरफ इशारा करके) ये कमल है तेरा भाई और अब से हमारे साथ रहेगा ये....
शबनम और पायल –(हैरान से कमल को देख के) ये हमारा भाई आप सच बोल रही हो मां....
सुनीता –(मुस्कुरा के) भला मुझे झूठ बोल के क्या मिलेगा तुम दोनों से अब बाकी बात बाद में पहले अपने भाई से मिल लो जी भर के....
अपनी मां की बात सुन दोनों बहनों के आंख में आंसू आ गए तब दोनों ने एक साथ कमल को गले लगा लिया कुछ समय गले लगाने के बाद अलग होके कमल ने अपनी दोनों बहनों के आंख से आसू पोछे तब....
कमल – दीदी आप रोते हुए नहीं सिर्फ हंसते हुए अच्छे लगते हो...
पायल – तू भाई है हमारा और तूने हमे बताया क्यों नहीं....
सुनीता – (बीच में) इसमें इसकी कोई गलती नहीं है पायल इसे उस वक्त खुद इन बातों का पता नहीं था....
शबनम – क्या मतलब है मां....
तब सुनीत अपनी दोनों बेटियों को सारी बाते बताती है जिसे सुन के....
शबनम और पायल एक साथ –(दोनों तरफ से कमल के हाथ को पकड़ के) अब कही नहीं जाने दूंगी मैं अपने भाई को...
कमल –(मुस्कुरा के) मै कहा जाऊंगा दीदी अब तो हमेशा आप सबके साथ रहने वाला हूँ मैं....
सुनीता – (शबनम और पायल से) और एक बात याद रखना ये बात अभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए इसे अपने तक रखना समझी तुम दोनों....
दोनों बहने मुस्कुरा के हा मे सिर हिलती है तब दोनों कमल के कंधे पर सिर रख लेती है....
अमृता – (शबनम और पायल से) आरी ओ महारानियो सारा प्यार अपने भाई को दोगी क्या कुछ मेरे लिए भी जगह है कि नहीं , अरे सबसे पहले मैने ही ढूंढा है तेरे इस भाई को....
शबनम – क्या मतलब है मासी...
तब अमृता अपनी दोनों भांजियों को बाकी की पूरी बात बताती है शुरू से जिसे सुन के....
शबनम और पायल – (अमृता को दोनों गालों को चूम के) I LOVE YOU मासी आप दुनिया की सबसे BEST मासी हो....
ये देख सभी मुस्कुराने लगे जबकि बाहर से ये सारा नजारा सेमेंथा देख के मुस्कुरा रही थी , इधर धीरेन्द्र की हवेली में सभी को निकले तीन घंटे हो चुके थे के तभी हवेली के बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज आई जिसे सुन....
सुमन – (सभी से) गाड़ी आ गई हमें लेने....
साहिल ने बाहर जाके देखा तो एक आदमी बाहर खड़ा था गाड़ी के पास पीछे से सुमन भी आ गई अपने सामने एक अंजान आदमी को देख के....
सुमन – आप कौन हो (अपनी गाड़ी का नंबर देख) आप गाड़ी लेके आए हो रामू काका कहा है....
आदमी – वो मैडम आते वक्त काका की तबियत खराब हो गई थी इसीलिए उन्होंने मुझे भेज दिया अपनी जगह आपको लेने के लिए....
सुमन – ओह ठीक है कोई बात नहीं आप ये सामान रख दीजिए गाड़ी में फिर निकलते है हम भी...
समान को गाड़ी में रख वो आदमी ड्राइव वाली सीट में बैठ कर अपने मोबाइल से किसी को मैसेज करने लगा था जबकि बाहर सुमन , कविता और साहिल हवेली के बाहर खड़े सभी से विदा ले रहे थे धीरेन्द्र , राघव के पैर छू के आशीर्वाद लेके साहिल जैसे ही रागिनी के पैर छूने गया था तभी रागिनी पैर छूने लगी साहिल के जिसे देख साहिल फौरन पीछे हट गया....
साहिल – चाची ये आप क्या कर रहे हो...
रागिनी – उस देवता के चरण छू के आशीर्वाद ले रही हूँ जिसने मेरी की हुई इतनी बड़ी गलती को माफ किया साथ मुझे एक नई जिंदगी दी , मुझे माफ कर दो साहिल मैंने अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर दी....
साहिल – नहीं चाची ऐसा मत बोलिए आप मुझसे बड़े हो मैने आपको माफ किया....
साहिल की बात सुन रागिनी तुरंत गले लग गई साहिल के तब...
साहिल – (अलग होके) अच्छा चाची चलता हूँ फिर मिलूंगा....
रागिनी – आते रहना ये भी तुम्हारा ही घर है साहिल....
तब रचना के पास जाके उसके पैर छूने को हुआ था तभी रचना ने साहिल को गले लगा के बोला....
रचना – कभी मौका निकाल के मेरे से भी मिलने आया करना तुम....
साहिल – जी बुआ...
जिसके बाद रचना के पति उसकी मां से मिल के साहिल , सुमन और कविता गाड़ी में बैठ कर निकल गए शहर के लिए अभी इनको निकले एक घंटा ही हुआ था कि तभी हवेली में एक गांव वाला आया आते ही....
धीरेन्द्र – (गांव वाले से) क्या बात है आज दिन में कैस आना हुआ....
गांव वाला – मालिक मै रस्ते से आ रहा था तभी झाड़ियों में एक आदमी मिला बहुत घायल है काफी चोट आई है उसे और मालिक मैं उसे निधि बिटिया की शादी में देख था आपके मेहमानों के साथ तभी बताने आ गया आपको....
धीरेन्द्र – (चौक के) क्या कौन है वो कुछ नाम बताया उसने अपना...
गांव वाला – नहीं मालिक वो बेहोश मिला था उसे अस्पताल छोड़ आपको संदेश देने आ गया मै...
तभी बीच में राघव आके....
राघव – (गांव वाले से) काका ले चलो उसके पास मै देखता हु क्या बात है (धीरेन्द्र से) मै देखता हु पिता जी....
बोल के राघव निकल गया गांव वाले के साथ कुछ देर बाद अस्पताल में आते ही राघव डॉक्टर से मिला मरीज के बारे में जानकारी लेके निकल गया मरीज को देखने जैसे ही राघव ने मरीज को देखा....
राघव – (चौक के) रामू काका (जो बेहोश थे) ये यहां पर है (गांव वाले से) क्या इन्हें लाए थे आप....
गांव वाला – जी मालिक....
राघव – फिर साहिल , कवित और सुमन भाभी के साथ वो आदमी कौन था...
इन बातों को बोल राघव ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करके सारी बात बताई जिसे सुन के....
धीरेन्द्र – ध्यान से सुनो राघव अगर रस्ते में रामू मिला है इसका मतलब वो अंजान आदमी जरूर कोई दुश्मन होगा तुम फौरन शहर वाले रस्ते पर निकल जाओ गांव वाले के साथ , साथ ही अपने लोगों को बुला लो हो न हो वो लोग गांव के रस्ते में कुछ नहीं कर सकते है वो जरूर मंदिर वाले रस्ते में करेंगे क्योंकि वही एक रास्ता है जहां हमारे परिवार के इलावा कोई नहीं जाता है....
अपने पिता से बात करते करते राघव अस्पताल के बाहर आ जाता है बात खत्म होते ही काल काट के...
राघव –(गांव वाले से) काका अपने लोगों को बुला लो हम जंगल वाले शिव मंदिर जा रहे है....
गांव वाला – (चौक के) लेकिन वहां तो आपके परिवार के इलावा कोई नहीं जा सकता है और अगर कोई गया तो वो जंगल के मायाजाल में फंस जाएगा....
राघव – इसीलिए सबके साथ मैं जाऊंगा काका हो न हो जरूर आज कुछ अनर्थ होने वाला है....
गांव वाला – (तभी आसमान को देख के) आज मौसम बिना वक्त के बहुत ही डरावना हो गया है राघव बाबू लगता है बहुत बड़ा तूफान आने वाला है....
राघव – (चलते हुए) तूफान तो आ चुका है काका ऊपर वाले से दुआ करता हूँ बस ये वहम हो मेरा....
बोल के निकल गए दोनों जबकि इस तरफ कार चलते वक्त रस्ते में अचानक से ड्राइवर ने कार रोक दी तभी....
सुमन – क्या हुआ भैया कार क्यों रोक दी....
आदमी – मैडम आगे रास्ते में काम चल रहा है रास्ता बदलना पड़ेगा हमें....
साहिल – दो दिन पहले तक तो कुछ नहीं था आज अचानक रास्ता बंद....
आदमी – नगर निगम का काम ही ऐसा होता है साहिल कब कहा रोड खोद दे किसे पता....
साहिल – (आदमी को गौर से देख के) हम्ममम बात सही है लेकिन तुम्हे मेरा नाम कैसे पता....
आदमी – (हड़बड़ा के) वो मैने हवेली से सुना था आपका नाम (बात बदल के) मै दूसरे रस्ते से चलता हूँ वहां से हाइवे पर आ जाएंगे हम....
बोल के आदमी कार चलाने लगा , कार को मोड़ के तब रस्ते पर कुछ दूर चलने के बाद आदमी ने गाड़ी रोक दी तब...
साहिल – क्या हुआ गाड़ी क्यों रोक दी....
आदमी – वो शायद टायर पंक्चर हो गया है मै देखता हु तब तक आप लोग वो सामने मंदिर में दर्शन कर लीजिए....
बोल के आदमी कार से बाहर निकल गया तभी...
कविता – (सुमन से) मां वो देखो वहा कितना सुंदर मंदिर है चलते है वहा पर....
बोल के कविता कार से बाहर निकल गई तभी सुमन भी कार से बाहर निकलने लगी थी तभी उसका पैर अटक लगा जोर से झटका देने पर सुमन पैर बाहर निकाल के कार के बाहर आ गई तब....
सुमन – (साहिल से) तुम भी चलो साहिल मंदिर में दर्शन करने....
साहिल – आपको जाना है हो आइए मै नहीं मानता इन सब में...
सुमन – मंदिर के अन्दर न सही बाहर तक चलो....
साहिल – नहीं जाना मुझे....
साहिल की बात सुन सुमन चुप चाप चली गई मंदिर की तरफ तभी पीछे से साहिल कार से बाहर निकला तभी साहिल की नजर जमीन पर पड़ी जहा पायल गिरी पड़ी थी जिसे उठा के साहिल देखन लगा तभी उसे याद आया कि सुमन का पैर अटका था कार में ये पायल उसी की है पायल की झंकार सुन साहिल के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई तब साहिल ने दूसरी तरफ देखा जहां एक तरफ कई साधु बैठे थे जो सुमन और कविता को देख रहे थे तभी साहिल नजर उनके हाथों में पड़ी उनमें कुछ साधु शराब पी रहे थे ये देख साहिल को कुछ अजीब लगा तभी साहिल तुरंत ही सुमन और कविता की तरफ बढ़ गया जहां सुमन और कविता मंदिर में खड़ी शिव की बड़ी सी प्रतिमा को देख रही थी तभी सुमन को याद आया उसने सपने में यही प्रतिमा को देख था सपने की याद आते ही सुमन के चेहरे पर डर की लकीरें आ गई थी कैसे सपने में उसने साहिल को देखा था पीठ पर चाकू लगाते हुए जबकि साहिल मंदिर की तरफ आया तो उसने देखा एक बूढ़ी औरत मंदिर के अन्दर एक कोने में बैठी हुई है उसे देख साहिल को जाने क्या हुआ उसके पैर खुद ब खुद उस औरत (सुनंदा) की तरफ बढ़ गए उसके पास जाते ही साहिल खुद ब खुद नीचे झुक के...
साहिल – (औरत को गौर से देख के) क्या मै आपको जानता हु....
सुनंदा – (अपनी आंख खोल साहिल को अपने सामने देख हल्का मुस्कुर के) तू आ गया , वर्षों से तेरी राह देख रही थी मै....
साहिल – (कुछ ना समझ के) मै कुछ समझा नहीं मै आपसे कब मिला था....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) पहले वो कर जिसके लिए तू आया है बेटा....
साहिल – (औरत की बात सुन उसे याद आया वो क्यों आया तब सुमन और कविता के पास जाके) हमें चलना चाहिए शाम हो रही है साथ मौसम काफी बिगड़ रहा है....
सुमन – (साहिल को बात सुन अपनी सोच से बाहर आके के जल्दी से) हा चलो चलते है जल्दी से यहां से...
बोल के जैसे ही तीनों पीछे मुड़े अपने सामने कार के ड्राइवर को देख जिसके साथ कई साधु खड़े थे तब....
आदमी – (हंसते हुए) इतनी जल्दी क्या है अभी तो मंदिर में आए है आप सब....
साहिल – (बीच में) हो गए दर्शन सबके चलो जल्दी से यहां से...
बोल के साहिल अपने साथ सुमन और कविता का हाथ पकड़ के आगे जाने लगा सभी साधु की बीच से होते हुए जबकि साहिल ने जिस तरह से कविता और सुमन का हाथ पकड़ा था उसे देख सुमन और कविता को इतना अच्छा लगा वो भूल ही गई इस बात को की उनके बगल में कितने लोग खड़े है दोनों इस वक्त सिर्फ साहिल को देख रही थी तभी पीछे से ड्राईवर ने चाकू निकाला और साहिल को पीछे गर्दन से पकड़ कर उसकी पीठ पर चाकू खोपा दो बार जिस वजह से साहिल जोर से चीखा जिसे देख सुमन और कविता होश में आए तब अभी का नजारा देख दोनों की चीख निकल गई दोनों आगे बढ़ते तभी पीछे से कुछ साधु ने दोनों को पकड़ लिया...
सुमन – छोड़ो मुझे क्यों मार रहे हो साहिल को....
आदमी – (हंसते हुए) इस पिल्ले को मार के तुम दोनों को लेके जाने के लिए ही आए है हम सब यहां पर लेकिन बिना वजह इतने लोगों को लेके आना पड़ा तुम तीनों के लिए तो , मै तो अकेला काफी हूँ....
जबकि साहिल दर्द से तड़पता हुआ उसने किसी तरह जोर से ताकत लगा अपने आप को उस आदमी से छुड़ा के जैसे ही पलट था तभी उस आदमी ने साहिल पे चाकू से वार किया लेकिन साहिल का हाथ आगे होंने कि वजह से चाकू उसके हाथ में लग गया इससे पहले साहिल कुछ करता तभी साहिल ने अपने हाथ में बहते खून को देख लिया तभी साहिल को उसी वक्त अटैक आ गया जिसे वजह से साहिल जमीन में गिर पड़ा ये देख के....
सुमन – (किसी तरह अपने आप को छुड़ा के साहिल का सिर अपनी गोद में रख रोते हुए) साहिल तुझे कुछ नहीं होगा मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (आदमी से) क्यों कर रहे हो ऐसा प्लीज छोड़ दो हमें जाने दो...
कविता – (चिल्लाते हुए आदमी से) तुम्हे जो करना है कर लो हमारे साथ प्लीज मेरे भाई को छोड़ दो....
आदमी – (हंसते हुए) करना मुझे नहीं किसी और को है तुम दोनों के साथ रही इस पिल्ले की बात मुझे क्या पता था ये इतना कमजोर होगा सोचा था इसके साथ तोड़ खेलूंगा लेकिन इसने तो पहले ही अपना दम तोड़ दिया....
आदमी की बात सुन जहां कविता बुत सी बन गई वही सुमन जोर से रोते हुए....
सुमन – (साहिल के चेहरे को देखते हुए) नहीं ऐसा नहीं हो सकता तू मुझे छोड़ के नहीं जा सकता अभी तो मिला है तू अभी तो जाना है तुझे मैने , नहीं उठ जा साहिल उठ जा इतनी बड़ी सजा मत दे मुझे उठ जा साहिल....
तभी आदमी बाकी के साधु बने अपने गुंडों को इशार करता है तब एक आदमी कविता को लेके जाने लगता है जबकि इधर कविता बेहोश हो चुकी थी तब उसे उठा के ले जाने लगता है तब...
एक गुंडा –(साहिल को देख आदमी से) इसका क्या करे...
आदमी – फेक दो साले की लाश को कूवे में....
आदमी की बात सुन दो आदमी साहिल को पैर से घसीट के ले जाने लगते है मंदिर के बाहर बने सूखे कुवे में फेकने के लिए जबकि दूसरा आदमी सुमन के पास आके उसका एक हाथ पकड़ के घसीट ते हुए ले जाने लगता है मंदिर के बाहर तब...
सुमन – (साहिल को देख चिल्लाते हुए) साहिल साहिल साहिल...
चिल्लाती है तब सब जाने लगते है तभी वो आदमी जिसने साहिल को चाकू मारा था वो मंदिर में बैठी सुनंद के बगल से गुजारने लगता है तभी....
सुनंदा – ऐसी भी क्या जल्दी है जाने की...
आदमी – (बूढ़ी औरत की बात सुन रुक के) और भी कोई है जो मरने के लिए आने वाला है क्या....
बोल के हंसने लगा वो आदमी....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) किसी की पीठ पर वार करके इतनी खुशी मिलती है तुम्हे इसीलिए इतने लोगों को साथ लेके आए हो तुम....
आदमी – (गुस्से में) हा अपने काम को खत्म करने के लिए ऐसा करता हूँ मैं अब बता तू क्या करेगी रोकेगी हमें या पुलिस में रिपोर्ट करने जाएगी बोल....
सुनंदा – न मै रोकूंगी और ना पुलिस में जाऊंगी, रोकेगा तो मेरा बेटा तुझे , वो बताएगा तुझे अपने दुश्मन का सामना कैसे करते है , पीठ पर वार करके नहीं बल्कि अपने दुश्मन के सामने आके....
आदमी – (हंसते हुए) तेरा बेटा , अरे तुझे देख के लगता है तेरी उम्र ८० से ८५ होगी तेरी उम्र देख के लगता है तेरा बेटे की उम्र भी ६५ से ७० होगी और इस उम्र में तेरे बेटा हमारा सामना करेगा वो भी अकेला आखिर क्या चीज है तेरा बेटा...
बोल के हंसने लगता है आदमी....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) मेरा बेटा क्या है जानना है तुझे तो सुन मेरा बेटा वो है जो दोस्तो के लिए अपनी जान लगा सकता है , मेरा बेटा वो है जो अपने प्यार के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है , मेरा बेटा वो है जो अपनी माँ के खातिर सब कुछ छोड़ सकता है चाहे प्यार हो दोस्ती हो , मेरा बेटा वो है जो अपनी मां के एक बुलावे पर मौत की नींद से जाग के वापस आ सकता है , ऐसा है मेरा बेटा....
आदमी – बड़ी खूबी है तेरे बेटे में बुला उसे आज तेरे बेटे को तेरे सामने मौत दूंगा जैसे उस पिल्ले को दी मैने....
आदमी की बात सुन सुनंदा मुस्कुर के एक तरफ देखती है जहा दो लोग साहिल को घसीटते हुए ले जा रहे थे सूखे कुवे में फेकने के लिए...
अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब आदमी के कहने पर उसके दो साथी साहिल को घसीटते हुए ले जा रहे थे जिसे वो मरा समझ रहे थे जबकि उन्हें क्या पता की साहिल मरा नहीं उसे अटैक आया है और इस वक्त साहिल गहरी नींद में सपने में अपने दादा को नहीं बल्कि आज साहिल खुद को जमीन में लेता देख रहा था जिसके सीने में तलवा धंसी हुईं थी जिसे सुनंदा निकालने में लगी थी जिसे निकालने में सुनंदा को बेहद तकलीफ हो रही थी (ये वही सीन है जब आरव के सीने से उसकी मां सुनंदा तलवार निकाल रही थी जिस वजह से सुनंदा को काफी झटके लग रहे थे , इसमें साहिल को पता नहीं सुनंदा कौन है उसका नाम क्या है) वही साहिल के सपने में इस वक्त सुनंदा तलवार निकालने की कोशिश कर रही थी जबकि साहिल सिर्फ औरत को दर्द में तड़पाता देख रहा था जिस वजह से उसकी आंख में आंसू आ रहे थे वो बस धीरे से मां मा बोल रहा था तभी पीछे से कोई आया उसने सुनंदा को लात मार दी तब सुनंदा दूर जा गिरी जिसे देख साहिल धीरे मां बोल पाया रोते हुए तभी साहिल ने देखा किसी ने उसके शरीर से तलवार निकाल के उसे मारने जा रहा है और तब साहिल ने अपनी आंख बंद कर ली , ठीक उसी वक्त मंदिर में बैठी सुनंदा ने जब उस आदमी की बात सुनी तभी साहिल को देखते हुए बोली....
सुनंदा – उठ जाओ आरव....
साहिल जिसे दो लोग घसीट के ले जा रहे थे मंदिर के बाहर तभी अचानक से साहिल ने हाथ आगे कर त्रिशूल को पकड़ लिया जिस वजह से वो दो लोगो को रुकना पड़ा जैसे ही उन दोनों ने पलट के साहिल की तरफ देखा तभी उन दोनों के सीने पर एक एक लात पड़ी जिससे दोनों चीखते हुए दूर जा गिरे जिस तरफ बाकी के लोग कविता और सुमन को ले जा रहे थे अपने साथ , अपने दोनों साथियों की चीख सुन सभी का ध्यान उनकी तरफ गया यहां तक कि मंदिर में सुनंद के सामने खड़ा उस आदमी ने भी सब देखा कैसे उसके दो लोग दूर गिरे जैसे ही सब ने दूसरी तरफ देखा तो पाया साहिल जो लेता था जमीन में वो बैठा हुआ है ये नजारा देख जहा सब हेरान थे वहीं सुमन ये देख के उसे इस बात की खुशी हुई कि साहिल ठीक है जबकि बाकी के गुंडों में एक बोलता है अपने साथियों को...
गुंडा – जाओ जाके के मारो साले को....
अपने साथी की बात सुन दस गुंडे साहिल की तरफ बदन लगत है उसे मारने के लिए इधर मंदिर की तरफ....
सुनंदा – (मुस्कुरा के उस आदमी से) अपने बेटे के बारे में एक बात बताना तो मै भूल ही गई...
सुनंदा की बात सुन आदमी उसे देखने लगता है तब...
सुनंदा – वो एक अचंभे की तरह हर बार मौत के द्वार पर माथा टेक के वापस आ ही जाता है....
इधर सुनंदा इतना बोलती है और इस तरफ साहिल खड़ा हो जाता है , मंदिर में....
सुनंदा – उसकी सांसे रुक जाती है लेकिन वो नहीं रुकता....
इधर साहिल बाकी के गुंडों को देखते हुए मंदिर के बाहर जमीन में पड़े पिलर की तरफ आ जाता है , मन्दिर में....
सुनंदा – मुट्ठी में काल....
इधर साहिल उस पिलर पर अपना हाथ रखता है , मन्दिर में....
सुनंदा – सांसों में हुंकार....
इधर साहिल उस पिलर को दोनों हाथों से पूरी ताकत लगा के उठा लेता है , मंदिर में....
सुनंदा – और रगो में अंगार लिए जब वो लड़ता है....
इधर साहिल अपनी तरफ आ रहे उन दस गुंडों के सामने आके पिलर से उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है तो उल्टा वो दस गुंडे एक साथ ताकत लगा के साहिल को पीलर के साथ पीछे धक्का देने लगते है तब साहिल एक कदम पीछे होके रुक जाता है तभी अपने एक हाथ को जोर से पिलर में मार के धक्का देंने लगता है जिससे पिलर में हल्की दरार आ जाती है और साहिल पिलर के साथ उन दस गुंडों को उनके पीछे धकेलता है जबकि वो दस गुंडे अपनी पूरी ताकत लगाते है पिलर को पीछे होने से रोकेंने के लिए लेकिन एक आकेले साहिल के समने उनकी ताकत काम नहीं करती तभी साहिल उन दस गुंडों को उसी सूखे कुवे में गिरा देता है , इधर मंदिर में...
सुनंदा – तो ऐसा लगता है कि वो स्वयंम संहार का सौदागर हो....
जबकि इधर उस पिलर के साथ धम धम करके उन दसों गुंडे की चीखने की एक आवाज आती है जो कूवे में गिर के मर जाते है , इधर जैसे ही दसों गुंडे कूवे में गिर जाते है तभी साहिल दूसरी तरफ देखता है जहा बाकी के गुंडों गुस्से में खड़े साहिल को देखते है और सभी अपनी कमर से चाकू तलवार निकाल लेते है इधर साहिल उनको देखते हुए बगल में जमीन में गड़े त्रिशूल को देख उसके पास जाके त्रिशूल को पकड़ उसे जमीन से उखाड़ देता है के तभी अचानक आसमान में जोरदार बिजली कड़कती है...
मंदिर की तरफ आदमी इस बात से अंजान उसके पीछे जमीन में बैठी बूढ़ी औरत (सुनंदा) की तरफ आसमान से एक लाल रंग की बिजली आती है
वो सीधा सुनंदा के शरीर में समा जाती है जिसकी वजह से सुनंदा का रूप बदल जाता है....
जिसके बाद अब सुनंदा बिल्कुल जवान हो जाती है और ताकतवर भी (कितनी ये आगे पता चलेगा) इस तरफ जैसे ही साहिल त्रिशूल जमीन से निकालता है तभी सामने से सभी गुंडे मारने के लिए साहिल तरफ आने लगते है पहला गुंडा जैसे ही सामने आता है साहिल तुरंत उसकी गर्दन में त्रिशूल घुसा देता है और घुमा देता है त्रिशूल को जिससे उस आदमी का सिर शरीर से अलग जमीन में गिर जाता है तभी दूसरा गुंडा आके जैसे ही तलवार से साहिल के सीने पे वार करता उससे पहले साहिल त्रिशूल से उसके ही सीने पर वार कर दिया अब दोनों तरफ से दो गुंडे आते है तलवार से साहिल को मारने तभी साहिल एक के सीने में त्रिशूल घोप देता है दूसरी तरफ वाला जैसे ही अपना वार करता उससे पहले साहिल त्रिशूल के नीचे का सिरा उसके सिने में उतार देता है तब त्रिशूल को बीच से पकड़ के हवा में उठा देता है जिससे दोनों गुंडे भी हवा में उठ जाते है तब साहिल त्रिशूल को गोल घुमा देता है जिससे दोनों गुंडे अलग अलग दिशा में गिर के मर जाते है अपने साथी की ऐसी हालत देख सभी गुस्से में एक साथ दौड़ के साहिल को तरफ आते है तभी साहिल अपने सामने आ रहे गुंडे के सीने में त्रिशूल का नीचे का सिर फेक के मारता है जिससे त्रिशूल उसके सीने के पार होके जमीन में धस जाता है तब साहिल दौड़ के उसके सीने में पैर रख के हवा में उछल के त्रिशूल को उसके सीने से निकाल के सामने आ रहे गुंडे के सीने में मारता है इससे पहले कोई और वार करता साहिल पर तब उनसे पहले साहिल उनपे वार करता जा रहा था त्रिशूल से ये सब इतनी तेजी से करता है साहिल किसी गुंडे को कुछ समझ नहीं आता , ये नजारा देख मंदिर में खड़ा आदमी जैसे ही ये सब देखता है वो आगे बढ़ने को होता है लेकिन वो आगे बढ़ नहीं पाता उसे ऐसा लगता है जैसे उसके पैर जम गए हो जमीन में कैसे उसे समझ नहीं आता जबकि उसके पीछे खड़ी सुनंदा ये सब देख मुस्कुराती है जबकि इस तरफ मन्दिर के बाहर सुमन की हालत ऐसी होती है साहिल को इस तरह से गुंडों को मारता देख उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये साहिल कर रहा है वो सिर्फ देखने के सिवा कुछ कर नहीं पा रही थी जबकि साहिल एक एक करके सभी गुंडों को बेहरमी से त्रिशूल से मारता जा रहा था आखिर में एक गुंडा बचा वो जैसे ही साहिल को मारने आता तभी साहिल ने उसके सीने पर त्रिशूल मार उसे हवा में उठा दिया एक हाथ से और त्रिशूल को छोड़ दिया जिससे त्रिशूल जमीन में सीधा गढ़ गया और गुंडे की लाश जमीन में गिर गई तब त्रिशूल को निकाल कर साहिल मंदिर की तरफ जाने लगा उस आदमी के पास जिसने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था वो आदमी डर से भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन चाह के भी भाग नहीं पा रहा था उसके पैर काम नहीं कर रहे थे और जैसे ही साहिल मंदिर के अन्दर आया आते ही त्रिशूल के आगे का सिरा उस आदमी की गर्दन पर आया ही था को तभी उस आदमी के पीछे खड़ी सुनंदा ने कुछ बोला....
सुनंदा – (धीरे से साहिल को) रुक जा आरव....
इस आवाज को सुन साहिल तुरंत रुक गया सुनंदा को देख हल्का सा मुस्कुरा के....
साहिल – मां...
अभी साहिल ने इतना बोला ही था वो आगे बढ़ने लगा तभी पीछे से सुमन ने आके साहिल को पीछे से गले लगा लिया , ऐसा होते ही साहिल के चेहरे पर हल्की से मुस्कान आ गई पलट के सुमन को देख....
साहिल –(मुस्कुरा के सुमन के माथे में हाथ फेर जेब से पायल निकल के सुमन को देते हुए) तेरी पायल...
बोलते हो साहिल की आंख बंद हो जाती है और सुमन के कंध पर सिर रख के बेहोश हो जाता है ये देख....
सुमन – (चिल्ला के) साहिल क्या हुआ तुझे साहिल उठो ना....
सुनंदा – (सुमन के पास आके) ये ठीक है बस बेहोश हुआ है ये....
सुमन – (आंख में आंसू लिए) मदद कीजिए मेरी साहिल को जल्दी से हॉस्पिटल ले जाने में इसे इलाज की जरूरत है...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल....
बोल के सुनंदा पीछे खड़े आदमी को बोलती है....
सुनंदा – (आदमी की आंखों में देख के) इसे गाड़ी में ले जाने में मदद करो....
वो आदमी तभी सुनंदा के सम्मोहन में आके तुरंत साहिल को उठा के ले जाने लगता है और कार में पीछे लेता देता है जबकि सुमन कुछ बोलने को होती है तभी....
सुनंदा – (मुस्कुरा के सुमन से) घबराओ मत वो उसे कुछ नहीं करेगा चलो कविता को भी साथ ले जाना है...
अचानक से सुमन को कविता की याद आ गई एक तरफ देखा जहां कविता बेहोश पड़ी हुई थी तुरंत उसके पास दौड़ के उसे उठाने लगी जिसमें सुनंद ने मदद की तब कविता को होश आ गया होश में आते ही सुमन ने उसे गाड़ी में बैठा दिया इससे पहले कविता कुछ बोलती उसने कार में पीछे साहिल को लेटा देखा वही सुमन बैठ गई पीछे साहिल का सिर अपनी गोद रख के तब सुनंदा ड्राइविंग वाली जगह पे आते ही जैसे उसने कार का दरवाजा खोला तभी कार के दूसरी तरफ खड़ा आदमी को देखा जिससे उस आदमींको होश आ गया अपने आप को मंदिर के बाहर खड़ा देख...
आदमी – (हैरानी से) मै यहां कैसे आ गया...
सुनंदा – (आदमी को) एक बार अपने बेटे को मरने से नहीं बचा सकी थी मै लेकिन अब जिसने भी मेरे बेटे को एक ख़रोश देने की कोशिश भी की तो उसे दुनिया की कोई ताकत भी नहीं बचा पाएगी मुझसे....
बोल के सुनंदा कार में बैठ के निकल गई कार के जाते ही वो आदमी वही खड़ा का खड़ा रह गया के तभी उसका सिर जमीन में गिर गया साथ उसका शरीर भी....
.
.
जारी रहेगा![]()
Shandaar updateUPDATE 20
LOCATION....लाला की हवेली....
जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....
विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...
लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....
विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....
लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....
विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....
लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....
ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....
आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....
राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....
आनंद – क्या बात है मां....
राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....
आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....
राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....
आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....
राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....
आनंद – हा देखा था मैने उनको....
राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...
आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....
राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....
आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....
राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....
बोल के राधिका चुप हो गई....
आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....
राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....
आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....
बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....
आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....
अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....
राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....
आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....
राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...
बोल के राधिका जाने लगी तभी....
सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....
राधिका के जाने के बाद....
सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....
आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....
सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....
आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....
सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....
आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...
कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..
सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....
आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....
सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....
आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...
बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....
आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....
आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....
आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...
अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....
आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....
अमित – हा याद है फिर क्या करना है....
आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....
अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....
आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...
अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....
बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...
आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...
सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....
विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....
जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....
विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...
सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...
जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....
आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....
विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....
विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....
RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....
विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...
RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....
विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....
RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....
विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....
RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....
विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....
RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...
बोल के काल काट दिया तब...
विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....
आदमी – वो क्या है....
विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....
आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....
विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....
आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....
विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...
आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....
विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....
आदमी – ठीक है...
विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....
बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....
आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....
बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....
लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....
आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....
अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....
आनंद – हम्ममम बात क्या बता....
अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....
आनंद – कौन सी अजीब बात....
अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....
आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....
अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....
आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....
अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....
आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....
अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....
आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....
अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....
अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....
अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...
आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....
अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....
अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....
आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....
अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....
आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....
अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....
अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....
अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....
आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....
अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....
आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....
अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....
आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....
बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...
आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...
अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....
आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....
अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....
आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....
अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...
अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...
विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...
आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....
विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....
आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....
विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...
आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...
तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....
राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....
आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....
राधिका – क्या बात है....
तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....
राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...
आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....
राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....
राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....
आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....
राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...
आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....
सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....
राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....
बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....
धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....
राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....
धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....
राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...
फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....
राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....
धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....
राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....
राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....
आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....
धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....
आनंद – हा दादा जी....
फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....
धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....
आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....
धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....
बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....
राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....
आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...
राधिका – किस चीज की तैयारी....
आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....
राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...
रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...
आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....
सोचते हुए सो गया आनंद...
(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....
अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...
सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....
बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...
सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....
इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....
डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....
सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....
डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....
सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....
सुमन – वो गाड़ी में है...
सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....
बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....
सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....
सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....
सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...
सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...
सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....
सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....
सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....
सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....
सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...
सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....
सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....
सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....
सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....
सुमन – क्या आप अकेले हो....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....
सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....
सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....
सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....
बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....
साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....
सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...
साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....
सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....
सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....
कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....
सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....
सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....
साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....
साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....
सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....
साहिल – ओह....
सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....
साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....
सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....
साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....
बोल के साहिल उठने लगा तब....
सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....
डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....
कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...
हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...
लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
.
.
जारी रहेगा![]()
फिर से एक अप्रतिम रोमांचक लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 20
LOCATION....लाला की हवेली....
जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....
विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...
लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....
विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....
लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....
विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....
लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....
ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....
आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....
राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....
आनंद – क्या बात है मां....
राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....
आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....
राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....
आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....
राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....
आनंद – हा देखा था मैने उनको....
राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...
आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....
राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....
आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....
राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....
बोल के राधिका चुप हो गई....
आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....
राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....
आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....
बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....
आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....
अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....
राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....
आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....
राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...
बोल के राधिका जाने लगी तभी....
सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....
राधिका के जाने के बाद....
सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....
आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....
सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....
आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....
सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....
आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...
कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..
सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....
आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....
सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....
आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...
बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....
आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....
आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....
आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...
अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....
आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....
अमित – हा याद है फिर क्या करना है....
आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....
अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....
आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...
अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....
बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...
आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...
सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....
विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....
जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....
विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...
सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...
जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....
आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....
विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....
विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....
RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....
विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...
RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....
विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....
RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....
विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....
RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....
विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....
RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...
बोल के काल काट दिया तब...
विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....
आदमी – वो क्या है....
विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....
आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....
विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....
आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....
विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...
आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....
विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....
आदमी – ठीक है...
विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....
बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....
आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....
बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....
लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....
आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....
अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....
आनंद – हम्ममम बात क्या बता....
अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....
आनंद – कौन सी अजीब बात....
अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....
आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....
अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....
आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....
अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....
आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....
अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....
आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....
अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....
अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....
अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...
आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....
अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....
अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....
आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....
अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....
आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....
अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....
अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....
अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....
आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....
अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....
आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....
अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....
आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....
बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...
आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...
अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....
आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....
अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....
आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....
अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...
अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...
विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...
आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....
विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....
आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....
विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...
आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...
तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....
राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....
आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....
राधिका – क्या बात है....
तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....
राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...
आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....
राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....
राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....
आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....
राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...
आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....
सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....
राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....
बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....
धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....
राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....
धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....
राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...
फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....
राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....
धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....
राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....
राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....
आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....
धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....
आनंद – हा दादा जी....
फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....
धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....
आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....
धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....
बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....
राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....
आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...
राधिका – किस चीज की तैयारी....
आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....
राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...
रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...
आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....
सोचते हुए सो गया आनंद...
(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....
अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...
सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....
बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...
सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....
इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....
डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....
सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....
डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....
सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....
सुमन – वो गाड़ी में है...
सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....
बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....
सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....
सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....
सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...
सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...
सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....
सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....
सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....
सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....
सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...
सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....
सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....
सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....
सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....
सुमन – क्या आप अकेले हो....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....
सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....
सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....
सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....
बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....
साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....
सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...
साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....
सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....
सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....
कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....
सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....
सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....
साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....
साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....
सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....
साहिल – ओह....
सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....
साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....
सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....
साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....
बोल के साहिल उठने लगा तब....
सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....
डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....
कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...
हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...
लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
.
.
जारी रहेगा![]()