रास्ते भर सेठी का ड्राइवर आँचल को ललचाई आँखो से देखता रहा. रोड पर जब भी कार को झटका लगता था तो आँचल की बिना ब्रा के चूचियां ब्लाउज में उछल जाती थी. उस पतले कपड़े के ब्लाउज में उसके सूज़े हुए निप्पल भी साफ दिख रहे थे. आँचल ने ड्राइवर को बार बार अपने को घूरते पाया , वो चुपचाप बैठी रही और जल्दी से सफ़र खत्म हो तो घर पहुँचू , ऐसा सोचने लगी. घर पहुचने के बाद वो फटाफट अपने बेडरूम में चली गयी , इस डर से की किसी से सामना ना हो जाए . सास ससुर शायद अपने कमरे में थे. बाथरूम में नहाकर उसने नाइटगाउन पहन लिया और सुनील के लौटने का इंतज़ार करने लगी.
रात में डिनर करते समय ससुर नाराज़ लग रहा था.
ससुर आँचल से बोला,” तुम दिन भर कहाँ थी ? तुमने बैंक के काम को इतनी लापरवाही से लिया . बहुत ज़रूरी काम था बैंक में और जब मैं तुम्हें लेने आश्रम पहुँचा तो तुम वहाँ से चली गयी थी. तुम्हे मेरा इंतज़ार करना चाहिए था . मैं तुम्हें बैंक ले जाता.”
ससुर के डाँटने पर आँचल ने माफी माँगी और बोली,” आज पूजा थोड़ी जल्दी खत्म हो गयी थी इसलिए मैंने आपका इंतज़ार नही किया और खुद ही बैंक जाकर पेपर्स पर साइन कर दिए.”
“तो फिर तुमने घर लौटने में इतनी देर क्यूँ की ?”
“ बैंक में मैनेजर ने बताया की कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स भी चाहिए. फोटो स्टूडियो में गयी तो उन्होने बताया की 2 घंटे लगेंगे. बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी अच्छे आदमी थे , उन्होने कहा इतना वेट यहाँ बैठकर करने से अच्छा है , मैं तुम्हें लंच पर लिए चलता हूँ. तो मैं उनके साथ लंच के लिए चली गयी. इन सब में थोड़ी देर हो गयी.”
आँचल के मुँह से सेठी के साथ लंच की बात सुनकर ससुर मन ही मन गुस्से से पागल हो गया. सेठी के क़िस्सों से वो भली भाँति वाक़िफ़ था. उस रेस्टोरेंट के ऊपर बने सेठी के पसंदीदा कमरे में खुद ससुर ने सेठी के साथ औरतें चोदीं थी. आँचल के मुँह से उसी रेस्टोरेंट का नाम सुनकर ससुर समझ गया , कमीने सेठी ने आज मेरी बहू को जरूर चोद डाला होगा वहाँ. साला मैंने इतनी प्लानिंग की थी अपनी इस मादक बहू को फँसाने की और मज़े लूट ले गया कमीना सेठी. फिर अपना गुस्सा पीकर बात बदलते हुए ससुर सुनील से बोला, “ तुम्हें कल सुबह मुंबई जाना है. वहाँ हमारा जो मेन डिसट्रिब्युटर है उसका बहुत सारा पेमेंट रुका पड़ा है. उससे पैसे लेके आओ. ठीक है ?”
आगे बोला, “ तुम चिंता मत करो, बहू को मैं पूजा के लिए आश्रम छोड़ दूँगा और लेने भी चला जाऊंगा .”
सुनील बोला,” ठीक है पापा, मैं कल सुबह मुंबई चला जाऊंगा .”
ससुर मन ही मन खुश होने लगा , अब कैसे बचेगी मेरी जान आँचल रानी , अब तो मैं तुझे चोदूँगा ही चोदूँगा . इस खुशी से उसकी भूख बढ़ गयी और उसने भरपेट डिनर किया.
आँचल ससुर की चाल सब समझ रही थी , बुड्ढा खुद कही नही जाता है और सुनील को कभी सोनीपत , कभी मुंबई भेज देता है. मैं ये चाल कामयाब होने ही नही दूँगी.
डिनर के बाद बेडरूम में आँचल ने सुनील से कहा,” प्लीज़ सुनील , मैं भी तुम्हारे साथ मुंबई आना चाहती हूँ. मुझे भी ले चलो ना अपने साथ.”
“लेकिन कल की पूजा का क्या होगा ?”
“स्वामी भोगानंद जी कह रहे थे की पूजा हो चुकी है जितनी होनी थी , अब मेरे आश्रम जाने की कोई ज़रूरत नही है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. देखो सुनील , हम हनीमून के बाद से कहीं घूमने नही गये. अगर मैं तुम्हारे साथ मुंबई गयी
तो मैं भी घूम आऊँगी , थोड़ा मेरा मन भी बदल जाएगा.”
मादक आँचल की बात कौन मर्द टाल सकता था . सुनील भी जल्दी ही राज़ी हो गया. दोनो सुबह जल्दी उठकर पहली फ्लाइट से मुंबई चले गये.
ससुर को बाद में जब ये बात पता चली की बहू फिर गच्चा दे गयी तो उसने अपना माथा पीट लिया.
मुंबई पहुँचकर सुनील ने एयरपोर्ट के पास एक 3 स्टार होटेल में रूम लिया.
थोड़ी देर बाद उसने आँचल से कहा ,”तुम खुद ही थोड़ी साइटसीयिंग कर लेना. मुझे मीटिंग से आने में शाम हो जाएगी फिर हम जुहू बीच घूमने जाएँगे. ठीक है ?”
“हाँ , ठीक है.”
सुनील के जाने के बाद आँचल ने कोलाबा एरिया में जाकर थोड़ी शॉपिंग करने का मन बनाया. रिसेप्शनिस्ट से पूछने पर उसने बताया की लोकल ट्रेन से चली जाओ.
आँचल ने ऑटो लिया और स्टेशन पहुँच गयी. वहाँ जाकर उसने पता किया की कौन सी ट्रेन पकड़नी है. स्टेशन में लोगों की भीड़ की वजह से उसे ट्रेन में चढ़ने में परेशानी हुई. लोगों के धक्के खाती हुई वो एक कम्पार्टमेंट में चढ़ गयी.ट्रेन में चढ़ते ही उसे पछतावा होने लगा. उसे अपनी गांड में फिरते हाथ महसूस हुए. कोई उसकी गांड में चिकोटी भी काट गया था. लोगों के बीच उसकी हालत सैंडविच की तरह हो गयी थी. आँचल की शिफॉन साड़ी में अजनबी लोग उसके बदन पर हाथ फिरा रहे थे. जब ट्रेन चलने लगी तो ट्रेन के धक्कों के साथ ही लोग भी धक्के लगाने लगे. आँचल कुछ नही कर सकती थी. उसने ध्यान भटकाने के लिए ट्रेन के बाहर की सीनरी देखने की कोशिश की. लेकिन बाहर झोपड़ पट्टी, स्लम की गंदगी के सिवाए कुछ नही दिखाई दे रहा था. आँचल ने एक हाथ से सपोर्ट के लिए रेलिंग को पकड़ रखा था. इससे उसकी चूचियों को हाथ का प्रोटेक्शन नही मिल पा रहा था और साइड से या आगे से लोग उसकी चूचियों को टच कर दे रहे थे. तभी ट्रेन सिग्नल के लिए रुक गयी . आँचल ने देखा पटरियों के पास ही कोई आदमी लेट्रीन कर रहा है. तभी आँचल को अपने नितंबों पर कुछ महसूस हुआ. उसके ठीक पीछे खड़ा आदमी उसके नितंबों पर अपना खड़ा लंग रगड़ रहा था. भीड़ भाड़ होने की वजह से आँचल ज़्यादा हिल डुल नही पा रही थी. कुछ देर बाद उस आदमी की हिम्मत और बढ़ गयी. उसने दोनो नितंबों के बीच की दरार में साड़ी के बाहर से ही लंड रगड़ना शुरू कर दिया.
अपने नितंबों पर मोटे सख़्त लंड की रगड़ से आँचल उत्तेजित होने लगी. तभी एक झटके से ट्रेन चल पड़ी. पीछे खड़े आदमी ने आँचल की कमर पकड़ ली. आँचल की मुलायम गोरी त्वचा पर उस आदमी के रूखे हाथों के स्पर्श से आँचल की धड़कने बढ़ गयी. वो आदमी पीछे से अपना लंड चुभाता रहा और आँचल की कमर पर हाथ भी फिराता रहा. उसकी बोल्डनेस देखकर आँचल को घबराहट हुई पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगी.
आँचल ने अपने अगल बगल नज़रें घुमाकर देखा की कोई उनकी ओर तो नही देख रहा ? लेकिन सभी धक्का मुक्की से अपने को बचाने की जुगत में लगे थे. मुंबई की भीड़ भरी लोकल ट्रेन्स में उनका ये रोज़ रोज़ का सफ़र था पर देल्ही की आँचल के लिए ये नया अनुभव था. शायद उस आदमी को भी अंदाज़ा हो गया था की ये खूबसूरत औरत कहीं बाहर से आई है और उसका विरोध नही कर रही है इसलिए वो थोड़ा और बोल्ड हो गया. उसने आँचल का हाथ पकड़ लिया और पीछे ले जाकर अपने खड़े लंड पर दबा दिया. फिर उसने आँचल के खड़े हाथ (जिससे उसने रेलिंग पकड़ रखी थी) की कांख को पकड़ लिया और आँचल को थोड़ा साइड्वेज घुमा दिया. अब वो उस आदमी का चेहरा देख सकती थी. आँचल ने एक नज़र उस आदमी पर डाली , वो मुस्कुरा रहा था , आँचल ने शरम से अपनी नज़रें झुका ली.
वो आदमी करीब 40 साल की उमर का , ठिगने कद का और काले रंग का था. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर , अब वो आदमी आगे हाथ बढ़ाकर पतले ब्लाउज के बाहर से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. आँचल के तने हुए निपल और ऐरोला पर वो अपना अंगूठा और उंगलियाँ घुमाने लगा. आँचल की साँसे रुक रुक कर आने लगी. उसे अपनी चूत से रस बहता महसूस हुआ. उसने बड़ी मुश्किल से अपने होंठ दांतों में दबाकर अपने को सिसकारियाँ लेने से रोका.
फिर वो आदमी आँचल के हाथ से अपने पैंट के बाहर से ही लंड को रगड़ने लगा. मादक आँचल के बदन की खुशबू से वो कामवासना से पागल हो गया था. कुछ ही देर ऐसे हाथ रगड़ने से वो हरामी अपने पैंट के अंदर ही झड़ गया. और झड़ते हुए आँचल की चूचियों को ज़ोर से मसलते रहा. आँचल दर्द से अपने होंठ काटती रही. फिर उसने आँचल को छोड़ दिया और वहीं अपने स्टॉप पर ट्रेन से उतर गया.
आँचल उत्तेजना से गीली हो गयी थी पर शरम से ह्युमिलिटेड भी महसूस कर रही थी. मैंने कैसे उस आदमी को इतना सब कुछ करने दिया ? लेकिन इन सब बातों को सोचने का वो सही समय नही था. ट्रेन में और भी लोग चढ़ गये और कम्पार्टमेंट खचाखच भर गया. आँचल लोगों के बीच दब गयी. लोग उसके बदन पर हाथ फिराते रहे , चिकोटी काटते रहे. आख़िर चर्चगेट स्टेशन आ ही गया और लोगों की भीड़ के धक्के खाती हुई आँचल ट्रेन से उतर गयी.
स्टेशन के प्लेटफार्म पर आँचल ने अपने कपड़े देखे. उसकी शिफॉन साड़ी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. अपने बदन से उसे , और लोगों की गंध आ रही थी. स्टेशन से बाहर आकर आँचल ने घृणा से अपना टिकट फाड़ कर फेंक दिया और प्रण कर लिया की मुंबई की लोकल ट्रेन में वो अब नही बैठेगी, छी !
वहाँ से आँचल ने कोलाबा के लिए टैक्सी पकड़ी और कुछ घंटे कपड़ों और सैंडल्स की शॉपिंग करते हुए बिताए. वहाँ शॉपिंग करते हुए भी उसने देखा की लोग उसके बदन को छूने और पिंच करने का कोई मौका नही छोड़ रहे. इन सब बातों से वो इरिटेट हो गयी और एक टैक्सी में अपना खरीदा हुआ सामान लेकर वापस होटेल आ गयी. होटेल के कमरे में पहुँचकर आँचल ने रूम सर्विस से खाना मँगवाया और नहाने चली गयी. नहाने के बाद वो टीवी देखने लगी. आँचल नहाकर अपने बेड पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लेटकर टीवी चैनल बदलने लगी. तभी उसने देखा एक चैनल में ब्लू फिल्म आ रही है. उसने टीवी का वॉल्यूम हल्का कर दिया और ब्लू फिल्म देखने लगी. ब्लू फिल्म में एक गोरी लड़की को एक काला आदमी चोद रहा था . वो लड़की बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी. बड़ी बड़ी चूचियों वाली गोरी लड़की को हबशी काले बड़े लंबे लंड से पीछे से चोद रहा था. हबशी के तेज तेज धक्कों से लड़की की चूचियां हवा में उछल रही थी. ये सीन देखकर आँचल उत्तेजित हो गयी और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डालकर चूत में उंगली करने लगी.
कुछ देर बाद उसने पैंटी उतार फेंकी और अपनी नंगी हो चुकी चूत पर उंगलियाँ चलाने लगी और ज़ोर ज़ोर से क्लिट को रगड़ने लगी. उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी. टीवी स्क्रीन पर वो हबशी उस गोरी लड़की को पीछे से बेरहमी से चोद रहा था और वो लड़की ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. सुबह ट्रेन में हुई घटना और अब ब्लू फिल्म ने आँचल को बहुत उत्तेजित कर दिया , वो तेज़ी से अपनी क्लिट को मसलने लगी . कुछ ही पलों में उसका बदन अकड़ गया और एक जबरदस्त ओर्गास्म से उसका बदन काँपने लगा ……..आअहह………… उसकी कमर ऊपर को उठ कर टेढ़ी हो गयी फिर वापस बेड पर गिर पड़ी. आँचल झड़ चुकी थी. झड़ने के बाद उसने देखा टीवी पर वो हबशी अभी भी चोदे ही जा रहा है. क्या नाटक है साला . आँचल ने टीवी बंद कर दिया और बेड पर सो गयी. आअहह…… शांति मिल गयी …….अब बढ़िया नींद आएगी. देर शाम को सुनील ने रूम का दरवाज़ा खटखटाया , आँचल अभी भी सोयी हुई थी. उसने जल्दी से पैंटी पहनी और ऊपर से गाउन पहन लिया. दरवाज़ा खोलने पर सुनील अंदर आया और आँचल से बोला, “ तुम जल्दी से तैयार हो जाओ .नीचे डिसट्रिब्युटर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं. वो हमें डिनर में ले जाने के लिए आए हैं."
आँचल ने पूछा, “ जाना कहाँ है ? उसी हिसाब से मैं कपड़े पहनूंगी .”
सुनील बोला,” वो हमें 5 star होटेल Sun-n-Sand में ले जा रहे हैं. इसलिए तुम थोड़ी सेक्सी ड्रेस पहन लो.” सुनील अपनी खूबसूरत बीवी को शो ऑफ करके डिसट्रिब्युटर को इंप्रेस करना चाह रहा था. आँचल ने एक टाइट फिटिंग वाली वन पीस सेक्सी रेड ड्रेस पहन ली. जो उसके घुटनो से बहुत ऊपर थी. आँचल खुश थी की सुनील खुद उससे सेक्सी ड्रेस पहनने को कह रहा है इसलिए उसने भी रिवीलिंग ड्रेस पहन ली. ड्रेस बहुत टाइट थी इसलिए आँचल ने अंदर से ब्रा पैंटी नही पहनी. पैरो में ऊँची हील वाली सैंडल पहनने से वो चलते समय और भी सेक्सी लग रही थी. आँचल के साथ चलते हुए सुनील बहुत गर्व महसूस कर रहा था क्यूंकी होटेल में सब उसी की ओर देख रहे थे. होटेल की लॉबी में पहुँचकर सुनील ने डिसट्रिब्युटर से आँचल को मिलवाया.
आँचल ने देखा डिसट्रिब्युटर दो भाई थे, बड़ा वाला गुल्मोहर शाह 45 साल का और छोटा भाई अंकुर शाह 35 साल का था. दोनो भाई खूबसूरत आँचल को देखकर सोच रहे थे सुनील की बीवी तो इतनी मादक निकली. उन्हे अपने को घूरते पाकर
आँचल के निपल एक्साइट्मेंट से तन गये. दूसरे आदमियों पर अपनी खूबसूरती का जादू चलने से आँचल को बहुत अच्छा लगता था. आँचल को पता था की बिना ब्रा के उस पतली ड्रेस में उसके निपल कड़े होकर दिख रहे हैं. सुनील भी खूबसूरत आँचल का पति होने से गर्व महसूस कर रहा था. वहाँ खड़े लोगो को जलाने के लिए वो जानबूझकर आँचल की पीठ पर हाथ फिरा रहा था. फिर वो चारों लोग होटेल से बाहर आकर कार में बैठ गये. डिनर के लिए सुनील और आँचल टेबल के एक तरफ थे और दोनो भाई उनके सामने बैठे थे. आँचल ने देखा की दोनो भाई उससे बहुत इंप्रेस्ड हैं. बड़ा भाई गुल्मोहर थोड़ा मोटा और सावला था लेकिन छोटा भाई अंकुर लंबा , गोरा और हैंडसम था.
डिनर करते समय आँचल के बारे में ही बातें हो रही थी.
अंकुर ने पूछा कि आँचल का मुंबई में दिन कैसा बीता और उसे मुंबई कैसा लगा , पसंद आया या नही. आँचल ने बताया की लोकल ट्रेन में उसका सफ़र बहुत खराब रहा. रास्ते भर लोग धक्कामुक्की करते रहे. और कोलाबा में शॉपिंग करते समय भी यही हाल रहा. कुल मिलाकर उसे मुंबई पसंद नही आया.
आँचल की बात सुनकर अंकुर बोला,” भाभी, अगर सुनील भाई साहब ने पहले बताया होता की आपको घूमने जाना है तो मैं अपनी कार और ड्राइवर को आपके पास भेज देता.”
आँचल मुस्कुरायी और बोली, “ थैंक्स, कार से तो मुझे बहुत सहूलियत हो जाती. लेकिन हम लोग कल वापस देल्ही जा रहे हैं इसलिए आपका ऑफर मैं नेक्स्ट टाइम एक्सेप्ट कर लूँगी.”
तभी सुनील बोल पड़ा,”आँचल मैं तुम्हें बताना भूल गया की हम यहाँ एक दिन और रुकने वाले हैं. कल मुझे गुल्मोहर के साथ पुणे जाना है . इसलिए अब हम कल नही बल्कि परसो देल्ही वापस जाएँगे.”
ये बात सुनकर अंकुर खुश हो गया और बोला,” भाभी , कल के दिन भी आप यहीं हो, इसलिए मेरी कार और ड्राइवर कल दिन भर के लिए आपके पास रहेंगे. अब आप मना मत करना.”
फिर बोला,” आपको शॉपिंग के लिए कोलाबा जाने की ज़रूरत नही , मेरा ड्राइवर आपको ब्रीच कैंडी ले जाएगा शॉपिंग के लिए वो बेस्ट जगह है. भाभी , आप मुंबई में और क्या देखना चाहेंगी ? “आँचल अंकुर के ऑफर से मन ही मन खुश हुई की चलो अब टैक्सी और ट्रेन के सफ़र का झंझट नही रहेगा. वो अंकुर से बोली,” मैं हमेशा से मुंबई में फिल्म शूटिंग देखना चाहती थी.”
उसके ऐसा कहते ही गुल्मोहर बोल पड़ा,” भाभी वो मुझ पर छोड़ दो. जब आप शॉपिंग कर लोगी तो उसके बाद आपको फिल्म शूटिंग भी दिखा देंगे.”
फिर आँचल की चूचियों पर नज़रें गड़ाकर बोला,” भाभी, आप फिल्म हेरोयिन्स से ज़्यादा खूबसूरत हो. आपको तो मॉडलिंग या एक्टिंग करने के बारे में सोचना चाहिए. फिर तो रोज़ शूटिंग ही शूटिंग, है ना.” और अपने जोक पर खुद ही हंस पड़ा.
आँचल को , खुलेआम अपनी चूचियों को घूरते हुए और आँचल पर जोक मारकर हंसते हुए गुल्मोहर को देखकर गुस्सा आया. वो चुप रही और गुल्मोहर की बात का कोई जवाब नही दिया. उसने मन ही मन सोचा की छोटा भाई कितना हैंडसम है और ये मोटा घूरता ही रहता है और बेहूदी बात करके हंसता है. उसने गुल्मोहर को इग्नोर करके अंकुर की तरफ ध्यान दिया.
रात में जब वो दोनो होटेल के कमरे में वापस आए तो आँचल लोगों के सामने सेक्सी ड्रेस में घूमने फिरने से थोड़ी उत्तेजना महसूस कर रही थी. सुनील ने उसकी उत्तेजना को और भड़का दिया,” आँचल तुमने देखा वो दोनो भाई तुमको कैसे देख रहे थे. तुमसे उनकी नज़रें हट ही नही रही थी.” आँचल बोली,” उग्घ…वो गुज्जु भाई गुल्मोहर तो मुझे बहुत बेशर्मी से घूर रहा था. सुनील अगर तुम वहाँ पर नही होते ना तो वो मेरी ड्रेस फाड़ डालता और मेरा रेप कर देता.” उत्तेजना से आँचल की चूत गीली होने लगी. आँचल की बातों से सुनील भी उत्तेजित हो गया . उसने फटाफट आँचल के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया. बिना किसी फोरप्ले के उसने आँचल की टाँगे फैलाई और उसकी गीली चूत में लंड डाल दिया. फिर चूत में तेज तेज धक्के लगाने लगा. जैसे ही आँचल को मज़ा आने लगा वो अपनी गांड ऊपर उछालकर सुनील के धक्कों का जवाब देने लगी, तभी सुनील झड़ गया. आँचल सोचने लगी मज़ा शुरू होते ही खत्म हो गया. सुनील अपनी खूबसूरत बीवी के सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन की परवाह किए बिना ही बगल में आराम से करवट लेकर सो गया.
आँचल 10 – 15 मिनिट तक अपनी किस्मत को कोसते हुए चुपचाप लेटी रही लेकिन फ्रस्ट्रेशन से उसको नींद नही आ रही थी. फिर उसने टीवी ऑन करके वही ब्लू मूवीज वाला चैनल लगा दिया. कुछ देर बाद उसने सुनील को भी उठा दिया. सुनील अपनी आँखे मलता हुआ उठ बैठा. सुनील ने देखा आँचल ब्लू फिल्म देख रही है जिसमे एक आदमी लड़की को डॉगी स्टाइल में पीछे से चोद रहा है और वो लड़की उत्तेजना में चिल्ला रही थी. सुनील भी ये सीन देखकर उत्तेजित हो गया और जल्दी ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. सुनील ने आँचल को मूवी के जैसे कुतिया बना दिया और उसकी गांड ऊँची करके पीछे से चूत में अपना लंड डाल दिया. आँचल को मूवी में लड़की के जैसे चुदवाने में मज़ा आने लगा लेकिन कुछ ही धक्कों के बाद सुनील फिर झड़ गया और आँचल के बदन के ऊपर बेड में ढेर हो गया.
आँचल ने सुनील को अपने बदन से धक्का देकर बगल में हटा दिया और फ्रस्ट्रेशन से उसके आंसू निकल आए. सुनील जल्दी ही खर्राटे लेकर सो गया. आँचल थोड़ी देर चुपचाप रोती रही. फिर कुछ देर बाद उसने टीवी का वॉल्यूम कम कर दिया और ब्लू फिल्म देखकर मूठ मारते हुए अपनी उत्तेजना शांत करने लगी.
अगली सुबह 5 बजे सुनील ने आँचल से कहा,” डार्लिंग, मैं पुणे जा रहा हूँ. गुल्मोहर की बजाए अब कोई दूसरा आदमी मेरे साथ पुणे जा रहा है. रात 9 बजे तक लौट आऊंगा.” फिर आँचल को किस करके सुनील चला गया. आँचल देर तक सोती रही . फोन की घंटी बजी तो उसकी नींद खुली. फोन में अंकुर बोला,” भाभी मैंने ड्राइवर को कार लेकर आपके पास भेज दिया है. वो आपको ब्रीच कैंडी शॉपिंग के लिए ले जाएगा. “
फिर बोला,” अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मेरे साथ आज लंच करिएगा.”
अंकुर के साथ टाइम बिताने की बात सुनकर आँचल का मूड ठीक हो गया. वो बोली,” आपके साथ लंच करके मुझे खुशी होगी.”
अंकुर बोला,” ओबेरॉय होटेल के पास कॉफी शॉप में आ जाना लंच के लिए ठीक 1:30 pm पर.”
आँचल बोली,” ठीक है, मैं आ जाऊँगी.”
आँचल खुश होकर नहाने चली गयी. नहाने के बाद उसने बाथिंग गाउन पहन लिया और रिसेप्शनिस्ट को फोन किया की उसको साड़ी और ब्लाउज में फटाफट प्रेस चाहिए.
कुछ देर बाद डोरबेल बजी और एक वेटर उसके कपड़े ले जाने के लिए आया. जैसे ही आँचल कपड़े देने के लिए मुड़ी उसका पैर लंबे बाथिंग गाउन में पड़ गया और एक झटके में गाउन उसके कन्धों से उतर कर फर्श पर गिर गया. वेटर अपने सामने नंगी आँचल को देखकर हैरान रह गया.
आँचल ने शरमाकर झट से अपनी चूचियों और चूत को हाथों से ढकने का प्रयास किया . फिर झुककर अपना गाउन उठाया और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से वेटर को आँचल की मस्त बड़ी गांड के भी दर्शन हो गए . आँचल बहुत एंबॅरस्ड फील कर रही थी. बाथरूम में गाउन पहनकर वो हिचकिचाते हुए बाहर आई और वेटर को कपड़े दिए. वेटर उसको देखकर मुस्कुराया और कपड़े ले लिए. आँचल की गोरी बड़ी बड़ी चूचियां , चिकनी चूत और बड़ी गांड देखने के बाद अपनी किस्मत पर खुश होता हुआ रूम से बाहर जाने लगा.
आँचल हकलाते हुए बोली ,” मुझे कपड़े जल्दी चाहिए.” और दरवाजा बंद कर दिया . वेटर अभी भी मुस्कुरा रहा था.
वेटर के जाने के बाद आँचल ने जल्दी से गाउन के अंदर ब्रा और पेटीकोट पहन लिया. और वेटर के अपने कपड़े लाने का इंतज़ार करने लगी. वेटर के डोरबेल बजाने पर इस बार उसने थोड़ा सा ही दरवाजा खोला और वहीं पर कपड़े लेकर दरवाजा बंद कर दिया. वेटर को अंदर आने देने की ग़लती वो दोहराना नही चाहती थी.
साड़ी पहनकर जब वो शॉपिंग करने के लिए नीचे होटेल की लॉबी में आई तो उसे लगा की रिसेप्शन में होटेल के स्टाफ वाले उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं.
क्या ये आँचल का वहम था या वेटर ने सबको बता दिया था ?