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Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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Satisfaction of lust
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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वासना की तृप्ति



मैं अपने माता, पिता, छोटे भाई और चाची के साथ यूपी के एक शहर में रहता हूँ और कॉलेज में पढ़ता हूँ।

हमारा घर दो मंजिला है, जिसकी नीचे की मंजिल में एक बड़ा हॉल, दो बैडरूम जिसमें से एक में मम्मी-पापा और दूसरे में मेरा छोटा भाई सोते हैं तथा एक रसोई और दो बाथरूम है जो कि बैडरूम के साथ संलग्न है।

ऊपर की मंजिल में दो बैडरूम, जिसमें से एक बैडरूम में मैं और दूसरे बैडरूम में मेरी चाची सोती हैं तथा एक छोटा स्टोर और एक बाथरूम है। वह बाथरूम दोनों बैडरूम के बीच में है और उसमें दो दरवाज़े हैं जिस में से एक मेरे बेडरूम में और दूसरा चाची के बैडरूम में खुलता है।

मेरे पापा एक निजी कंपनी में उच्च महा-प्रबंधक हैं और रोज़ सुबह नौ बजे तक तैयार ऑफिस चले जाते तथा रात को देर से ही घर लौटते हैं।

पापा की कम्पनी की दूसरे 12 शहरों में भी शाखाएँ हैं जिनकी देखरेख के सिलसिले में अधिकतर उन्हें हर सप्ताह दो से तीन दिन के लिए बाहर जाना ही पड़ता है।

मेरी मम्मी एक कुशल गृहिणी हैं और घर के काम के साथ साथ अपने खाली समय में वह एक समाज सेवा संस्था के लिए भी काम करती हैं।

सोमवार से शुक्रवार तक मम्मी रोज़ घर का काम-काज निबटा कर सुबह दस बजे से शाम पाँच बजे तक समाज-सेवा के कार्य के लिए घर से बाहर ही व्यस्त रहती हैं।

मेरा छोटा भाई दिन में स्कूल और शाम को एयर-फोर्स में भरती की परीक्षा की तैयारी में कोचिंग और ट्रेनिंग के लिए घर से बाहर ही रहता है तथा रात आठ बजे तक ही घर लौटता था।

मैं कॉलेज में बी.कॉम के अन्तिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा हूँ और सुबह आठ बजे कॉलेज के लिए निकल जाता था और अपराह्न 4 बजे तक ही घर पहुँचता था।

मेरी चाची भी एक गृहिणी हैं और पूरा दिन घर पर ही रहती हैं तथा घर के काम और देखभाल में माँ की सहायता करती हैं।

मेरे चाचा चाची पहले तो एक अलग घर में रहते थे लेकिन एक वर्ष पहले जब चाचा को नौकरी के सिलसिले में दुबई चले गए, तब से चाची हमारे साथ रहने आ गई।

जिस घटना का विवरण मैं आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ वह लगभग छह माह पहले घटी थी और उससे मिलने वाले आनन्द और संतुष्टि को मैं आज भी प्राप्त कर रहा हूँ।

घटना वाले दिन की सुबह जब कॉलेज में पहले दो पीरियड की पढ़ाई हो चुकी थी और अगले दो पीरियड खाली थे, तब मुझे याद आया कि मैं लायब्ररी की एक किताब को लाना भूल गया था और वह मुझे उसी दिन वापिस जमा करानी थी।

तभी मुझे विचार आया कि मैं इन दो खाली पीरियड में घर जाकर उस किताब को लाकर लायब्ररी में जमा करा सकता हूँ तथा बाकी के सभी पीरियड में भी उपस्थित रह सकता हूँ।

तब मैंने तुरंत बाइक उठायी और घर की ओर चल पड़ा।

जब मैंने घर पहुँच कर घंटी बजाई तो पाया कि लाइट न होने के कारण वह बज नहीं रही थी।

तब मैंने दरवाज़ा खटखटाया लेकिन किसी ने नहीं भी खोला।

यह सोच कर की शायद माँ समाज सेवा में चली गई होगी और चाची स्नान आदि कर रही होगी, इसलिए मैंने मेरे पास जो घर की डुप्लिकेट चाबी थी उससे दरवाज़ा खोला और अन्दर गया।

घर के अंदर जाकर नीचे की मंजिल में जब मैंने माँ और चाची को नहीं पाया तब यह सोच कर की शायद चाची बाज़ार से सामान खरीदने गई होगी, मैं ऊपर की मंजिल अपने कमरे की ओर चल पड़ा।

मैं जैसे ही चाची के कमरे के पास पहुँचा तो मुझे कुछ खुसफ़ुसाने की आवाजें सुनाई दी।

मैं ठिठक कर रुक गया और दरवाज़े पर कान लगा कर ध्यान से सुनने लगा।

चाची किसी से कह रही थी– अभी तुम परसों ही तो आये थे, फिर इतनी जल्दी कैसे आना हुआ?

किसी आदमी की आवाज सुनाई दी- मेरी जान, आज तो तुम्हारे पिताजी यानि मेरे ताऊजी ने भेजा है यह सामान देकर। और सच कहूँ तो मेरा मन भी तुमसे मिलने के लिए का बहुत आतुर था।

फिर वह बोला- तृप्ति डार्लिंग, कल जब से ताऊजी ने बोला यह सामान तुम्हें दे आने को तब से बस यही मन कर रहा था कि कब सवेरा हो और मैं उड़ कर तुम्हारे पास पहुँचूं, तुम्हारी गुद्देदार चूचियों को मुंह में लेकर चूसूँ और अपने लंड तथा तुम्हारी चूत दोनों की प्यास बुझाऊँ।

चाची बोली- तुम अभी परसों ही तो चोद कर गए हो फिर इतनी जल्दी क्या ज़रूरत पड़ गई।

नितिन बोला- अरे जालिम, तेरी चूत है ही इतनी प्यारी। अगर मेरे बस में होता तो मैं हर वक्त अपना लंड उसी में डाल कर पड़ा रहता। तेरी इन संतरे जैसी चूचियों का शहद तो सारा दिन चूसने का मन करता रहता है।

दोनों की बातें सुन कर मैं समझ गया कि वह चाची का चचेरा भाई नितिन था और घर में कोई न होने का सबसे ज्यादा फायदा यह दोनों ही उठा रहे थे।

मैं कुछ और सोचता, इससे पहले चाची की आवाज सुनाई दी- सुनो नितिन, आज जरा चूसा-चुसाई को छोड़ो और जो भी करना है जल्दी से करो। आज जीजी कह रही थी कि वे घर जल्दी वापिस आएँगी क्योंकि भाई जी टूर से आज ही वापिस आने वाले हैं।

नितिन बोला- ‘मेरी रानी, तुम जो हुक्म करोगी और जैसा भी चाहोगी वैसी ही चुदाई का कार्यक्रम बना दिया जायेगा।

उनकी बातें सुन कर मैंने अपने मन में ठान ली कि आज तो मैं उनकी ब्लू फिल्म का सीधा प्रसारण देख कर ही वापिस कालेज जाऊँगा।

इसलिए बिना कोई आहट किये मैं अपने कमरे से बाथरूम में जा कर चाची के ओर वाला दरवाज़े को थोडा सा खोल दिया जिससे मुझे उस कमरे के अन्दर का दृश्य साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था।

शायद उन लोगों को इस बात का एहसास भी नहीं था कि कोई उस समय भी घर पर आ सकता है इसलिए वह दोनों चुम्बन के आदान प्रदान और अपनी रास लीला में मग्न थे।

उस समय चाची नीले रंग के ब्लाउज तथा पेटीकोट पहने थी और सिर पर तौलिया लपेटा हुआ था।

शायद वह उसी समय नहा कर आई थी जब नितिन आ गया होगा।

नितिन खड़े-खड़े ही दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से ही चाची की चूचियों से खेल रहा था।

फिर उसने धीरे-धीरे चाची के ब्लाउज के हुक खोल कर उसे शरीर से अलग कर दिया और चाची ने अन्दर जो नीले रंग ब्रा पहन रखी थी उसे भी उतार दिया।

इस बीच नितिन ने चाची के शरीर को चूमते हुए उसके पेटीकोट के नाड़े को खींच दिया और उसे नीचे उसके पैरों के पास गिरने दिया।

अब चाची सिर्फ नीले रंग की पैंटी में नितिन के सामने खड़ी थी और वह उसके 34-26-36 पैमाने वाले गोरे तथा मांसल शरीर को ऊपर से नीचे तक मसल एवं चूम रहा था।

नितिन को उसके शरीर को चूमने और मसलने में व्यस्त देख कर चाची बोली- अब तुम चूमा चुसाई करके क्यों देर कर रहे हो? जो करने आये हो वह जल्दी से करो और यहाँ से निकल जाओ। मैंने तुम्हें बताया है न कि जीजी आज जल्दी आने को कह गई हैं। अगर वह आ गईँ तो हमें लेने के देने पड़ जायेंगे।

यह बात सुन कर नितिन जल्दी से नीचे बैठ गया और दोनों हाथों से चाची की पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच कर उसे उतार कर कोने में फेंक दिया तथा चाची को बिलकुल निर्वस्त्र कर दिया।

इसके बाद नितिन ने चाची को बैड पर लिटाया और खुद भी अपने सारे कपड़े उतार कर नग्न हो कर बैड पर चढ़ गया।

फिर उसने चाची की दोनों टांगों को पकड़ कर चौड़ा करते ही बोला- क्या बात है जानेमन, आज तो तुमने बड़ी सफाई कर रखी है? परसों तो यहाँ पर झांटों का जंगल उगा हुआ था।

चाची बोली- आज कल गर्मी बहुत होने की वजह मुझे नीचे चूत के पास बहुत पसीना आता था और सारा दिन तथा रात मैं वहाँ खुजली करती रहती थी। इसीलिए मैं अभी-अभी नहाते हुए इन्हें साफ़ करके ही आई हूँ।

नितिन बोला- कोई बात नहीं मेरी जान। इस काम के लिए तो मैं हमेशा तुम्हारी सेवा में हाज़िर हूँ। अभी तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारी चूत की गर्मी ठंडा करता हूँ और सारी खुजली मिटा देता हूँ।

यह कहते हुए नितिन अपना मुंह चाची की चूत पर ले गया और जीभ से उसको चाटने लगा और उसकी फांकों में से रिसने वाले रस को चूसने लगा।

चाची नितिन द्वारा करी जाने वाली इस चुसाई से मस्त होने लगी और सिसकारियाँ लेते हुए अपनी कमर को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी।

पांच मिनट चुदाई करने के बाद नितिन उठा और अपने अध-खड़े लंड को चाची की चूत पर घिसने लगा जिससे उसका लंड एकदम से सख्त हो कर खड़ा हो गया।

तब नितिन जल्दी से चाची की टांगों के बीच में घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर लगा कर उसे एक ही झटके में पूरा का पूरा चाची की चूत के अंदर डाल दिया।

चाची ने एक हलकी सी सिसकारी भरी और नितिन के अगले कुछ धक्कों के बाद ही उन्होंने हर धक्के का जवाब अपने कूल्हे उठा कर धक्कों से ही देने लगी।
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लगभग
20-22 तेज़ धक्के मारने के बाद नितिन ने अपनी गति बढ़ा दी और बहुत तेज़ धक्के लगते हुए बोला- मेरी रानी, आज तो तुम्हारी चूत बहुत टाइट हो रखी है और मेरे लंड को बहुत रगड़ मार रही है। अच्छा अब मैं झड़ने वाला हूँ इसलिए अपने को संभालो और जल्दी से मेरे साथ ही झड़ जाओ।

चाची बोली- मेरे राजा, मैं भी आने वाली हूँ। तुम जल्दी से आ जाओ मेरे राजा। मैं एक बूँद भी बाहर नहीं निकलने दूँगी।

इसके बाद नितिन ने
6-7 अत्यधिक तीव्र गति से धक्के मारे और चाची के साथ खुद भी झड़ गया तथा पस्त होकर उसके ऊपर ही लेट गया।

इस सीधे प्रसारण की समाप्ति के होने तक मेरा हथियार भी पैन्ट में तन कर खड़ा हो गया था।

उस समय मेरा मन तो कर रहा था कि मैं अन्दर जाकर नितिन को वहाँ से हटा दूँ और खुद मोर्चा सम्भाल कर चाची की चूत का बाजा ही बजा दूँ।

लेकिन समय की नजाकत को समझते हुए मैंने वहाँ से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी और तुरंत बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया तथा लाइब्रेरी की किताब उठा कर घर से बाहर निकल गया।

अगले पीरियड के शुरू होने से पहले मैं कॉलेज तो पहुँच गया था, लेकिन वहां मेरा मन बिल्कुल नहीं लगा और चाची तथा नितिन की चुदाई का दृश्य मेरी आँखों के सामने घूमता रहा।

पीरियड के अंत होने पर जब मैं कॉलेज से घर वापिस पहुँचा तब देखा कि नितिन जा चुका था तथा चाची भी कपड़े बदल कर हरे रंग की चमकली साड़ी पहने बैठक में टीवी देख रही थी।

नितिन ने
6-7 अत्यधिक तीव्र गति से धक्के मारे और चाची के साथ खुद भी झड़ गया तथा पस्त होकर उसके ऊपर ही लेट गया।

इस सीधे प्रसारण की समाप्ति के होने तक मेरा हथियार भी पैन्ट में तन कर खड़ा हो गया था।

उस समय मेरा मन तो कर रहा था कि मैं अन्दर जाकर नितिन को वहाँ से हटा दूँ और खुद मोर्चा सम्भाल कर चाची की चूत का बाजा ही बजा दूँ।

लेकिन समय की नजाकत को समझते हुए मैंने वहाँ से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी और तुरंत बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया तथा लाइब्रेरी की किताब उठा कर घर से बाहर निकल गया।

अगले पीरियड के शुरू होने से पहले मैं कॉलेज तो पहुँच गया था, लेकिन वहां मेरा मन बिल्कुल नहीं लगा और चाची तथा नितिन की चुदाई का दृश्य मेरी आँखों के सामने घूमता रहा।

पीरियड के अंत होने पर जब मैं कॉलेज से घर वापिस पहुँचा तब देखा कि नितिन जा चुका था तथा चाची भी कपड़े बदल कर हरे रंग की चमकली साड़ी पहने बैठक में टीवी देख रही थी।

मैं चुपचाप ऊपर अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा, तभी रसोई में काम कर रही मम्मी एकदम से पलटी और मुझे देख कर बोली- अरे संजू क्या हुआ? तू जल्दी कैसे आ गया? अभी तो सिर्फ दो ही बजे हैं?

मैंने उत्तर दिया- कुछ नहीं मम्मी, एक प्रोफ़ेसर नहीं आये थे इसलिए अंतिम पीरियड खाली थे और मेरे सिर में थोड़ा दर्द हो रहा है तथा मुझे कुछ कमजोरी भी महसूस हो रही है।

मम्मी बोली- शायद रात को देर तक पढ़ने से नींद पूरी नहीं हुई होगी इसी कारण से ऐसा लग रहा होगा। मैं तेरे लिए चाय बनाकर लाती हूँ, पीकर तुम आराम कर लेना, जल्दी ही आराम महसूस होगा।

चाय पीकर मैं लेट गया लेकिन आँखे बंद करते ही फिर वही दृश्य एक चल-चित्र की तरह मेरी आँखों के सामने तैरने लगे।

मेरी आँख लगने ही वाली थी कि मम्मी की आवाज सुनाई दी- तृप्ति, मैं जरा बाहर जा रही हूँ, छः बजे तक आ जाऊँगी। संजू की तबियत ठीक नहीं है तुम कुछ देर उसके पास ही बैठ जाना।

चाची बोली- अच्छा जीजी, आप निश्चिन्त हो कर जाइए, मैं संजू को देखती रहूंगी।

मम्मी और चाची की बात सुनते ही मेरे मन का शैतान जाग उठा और मैंने सोचा कि चाची को सेट करने के लिए यही सब से बढ़िया मौका था।

मैंने फ़ौरन अपने सारे कपड़े बदल कर सिर्फ लुंगी तथा बनियान पहन कर चाची की इंतज़ार में बैड पर लेट गया।

थोड़ी देर के बाद चाची आई और मुझसे पूछा- संजू तुम्हें क्या हुआ? सुबह तो तुम बिल्कुल ठीक थे?

मैं बोला- ‘चाची ऐसा कुछ चिंता करने की बात नहीं है, थोड़ा सिर में दर्द कर रहा है और शरीर भी टूट रहा है।

चाची मेरे सिरहाने बैठती हुई बोली- संजू, आ मैं तेरा सिर दबा देती हूँ इससे तुम्हे कुछ आराम मिलेगा और नींद भी आ जाएगी। जब सो कर उठोगे तब अपने आप को ठीक एवं तरो-ताज़ा महसूस करोगे।

इतना कह कर उन्होंने मेरा सिर अपनी गोदी में रख लिया और सहलाने एवं दबाने लगी।

कुछ देर लेटे रहने के बाद मैंने चाची से कहा की मेरे कन्धों के जोड़ों में बहुत दर्द हो रहा है इसलिए कृपया आप थोड़ा वहाँ पर भी दबा दें।

चाची ने जब मेरे कंधे दबाने शुरू किये तब मैंने धीरे से अपना दायाँ बाजू उठा अपने माथे पर रख दिया और जब वह कन्धा दबाने के लिए आगे झुकती तब मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकरा जाता।

जब चाची ने मेरी इस हरकत पर कुछ नहीं कहा तब मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने उस हाथ को धीरे-धीरे सरका कर उनकी बायीं चूची पर टिका दिया और अंदाजे से उनके चुचुक को मसल दिया।

मेरी इस हरकत से वह शायद सोते से जागी हो और मेरा हाथ अपनी चूची से हटाते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो नितिन? बहुत बदतमीज हो गए हो। आने दो तुम्हारी मम्मी को मैं उन्हें इस हरकत के बारे में ज़रूर बताऊँगी।

चाची की बात सुन कर और उनके तेवर देख कर एक बार तो मैं डर गया लेकिन हिम्मत करके बोला- चाची, तुम मेरे बारे में क्या बताओगी? आज तो मैं ही तुम्हारे और नितिन के बीच में पकने वाली खिचड़ी का पर्दाफाश कर दूंगा। आज सुबह
11 बजे से 12 बजे के बीच में आपके कमरे में जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ मैंने भी देखा और सुना था।

मेरी कही बात सुन कर चाची के होश उड़ गए तथा उसके चेहरे का रंग सफ़ेद पड़ गया और वह अपना सिर पकड़ कर धम से मेरे बैड पर ही बैठ गई।

मैंने अपना तीर निशाने पर लगता देख उसके पास जा कर कहा- यदि तुम मुझे भी खुश कर दोगी तो मैं मम्मी को क्या किसी और को भी कुछ नहीं बताऊँगा।

मुझे नहीं पता था कि चाची ने मेरी बात सुनी या नहीं क्योंकि वह निर्जीव सी हो कर बैड पर बैठी हुई थी।

मेरे दिमाग में तो शैतान का वास हो चुका था इसलिए मैंने उन की चुप्पी को मौन स्वीकृति मान कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा और उनकी चूचियों से खेलना शुरू कर दिया।

जब कोई विरोध नहीं मिला तब मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल कर उसे उनके बदन से अलग कर दिया और उनकी ब्रा को ऊपर उठा कर उनकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया।

फिर धीरे से मैंने एक एक कर के उनके शरीर से सारे कपड़े उतार कर उन्हें पूर्ण नग्न कर दिया और मेरे इस कार्य के लिए चाची ने एक चाबी वाली गुड़िया की तरह निर्विरोध मेरा पूरा साथ दिया।

इसके बाद मैंने उन्हें अपने दोनों हाथों में उठा कर बैड पर सीधा लिटा दिया और उनकी चौड़ी करी हुई टाँगों के बीच बैठ कर उनकी चूत चाटने लगा।

शुरू में तो चूत का नमकीन स्वाद थोड़ा अजीब लगा था लेकिन कुछ देर के बाद जब मैं उस स्वाद से अभ्यस्त हो गया तब मैंने मैंने उनकी चूत के होंटों को चाटने लगा।

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उसके बाद मैंने अपनी जीभ से उनके भगनासा को मसला और अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर बाहर करके उनके जी-स्पॉट को रगड़ा तब मुझे सब कुछ बहुत अच्छा लगा।

चाची की चूत पर मेरे मुँह के आक्रमण से वह उत्तेजित हो उठीं और यह सब उनके शरीर की कंपकंपी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि उन्हें बहुत आनन्द मिल रहा था।

चाची की चूत को चाटने से मैं इतना उत्तेजित हो गया की मेरा लंड खड़ा हो कर इतना तन गया की मुझे लगने लगा कि अगर देर करी तो उसकी नसें फट जायेंगी।

तब मैं उठ कर अपने को चाची की टांगों के बीच में घुटनों के बज बैठ कर अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर टिकाया और एक हल्का सा धक्का मार दिया।

क्योंकि मेरा लंड नितिन की अपेक्षा कुछ अधिक मोटा था इसलिए मेरे पहले धक्के से वह चूत के अंदर सिर्फ आधा ही जा सका।

चाची के मुँह से एक सीत्कार निकली लेकिन उन्होंने अपने पर काबू कर के चुपचाप लेटी रही और तब मैंने अपनी धुन में ही एक जोर का धक्का मार कर अपना पूरा लंड उनकी चूत में प्रवेश करा दिया।

उनकी चूत में फंस के घुसते हुए मेरे मोटे लंड से हुए दर्द के कारण चाची के मुँह से न चाहते हुए भी एक चीख निकल गई और उन्होंने मुझे कस का पकड़ लिया तथा उनकी आँखें गीली हो गई।

चाची को दर्द में देख कर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उनकी होंठों, गालो, गीली आँखों और चुचियों को चूमा और फिर उनकी चुचुक को चूसने लगा।

लगभग पांच मिनट रुकने के बाद जब मुझे लगा कि चाची सामान्य हो गयी तब मैं धक्के मारने लगा और किसी स्त्री के साथ पहली बार सेक्स का मजा भी लूटने लगा था लेकिन वह सब था एक-तरफा ही।

लगभग 15-16 धक्के मारने के बाद मैंने चाची की चूत में सिकुड़न की लहरें महसूस करीं और मेरा लंड उसमे फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था।



मैंने धक्के मारने जारी रखे और अभी दो या तीन धक्के ही मारे थे कि चाची के मुख से दबे स्वर में आह्ह्ह… आह्ह्ह… की सिसकारी सुनाई दी।

मैंने धक्के मारना रोका नहीं और महसूस किया कि मेरे अगले धक्कों में मेरा लंड आराम से फिसलता हुआ चूत के अंदर बाहर होने लगा क्योंकि चाची की चूत द्वारा छोड़े गए रस से काफी फिसलन हो गई थी।

उसके बाद तो मेरे धक्कों की गति भी तेज़ हो गई और अगले
20-22 धक्कों के बाद मुझे मेरे अंडकोष में कुछ गुदगुदी महसूस हुई और उधर चाची ने एक बार फिर से सिसकारी भरी।

देखते ही देखते चाची और मैं दोनों ही एक साथ झड़ गए तथा मेरे वीर्य और चाची के रस का मिलन उनकी चूत के अंदर ही होने लगा।

मैं दस मिनट के लिए पस्त हो कर चाची के ऊपर लेटा रहा और फिर उठ कर बाथरूम गया और अपने को साफ़ किया।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

जब मैं वापिस कमरे में आया तो देखा कि मेरी गुमसुम चाची अपने कपड़े पहन रही थी।

तब मैं उनके होंठों और गालों को चूम कर बैड पर लेट गया।

चाची कपड़े पहन कर पता नहीं क्या सोचती हुए मेरे पास ही बैड पर बैठ गयी और मुझे थकावट के कारण शीघ्र ही मेरी आँख लग गई।

शाम छः बजे जब मेरी आँख खुली और मैं नीचे की मंजिल पर गया तो देखा कि मम्मी आ चुकी थी।

उन्होंने मुझे देखते ही पूछा- अब तबियत कैसी है?

मैंने उत्तर दिया- पहले से अब तो बेहतर है।

तब माँ ने कहा- बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें आराम मिल गया। बैठो, मैं तृप्ति को कहती हूँ, वह तुम्हें यहीं चाय दे देगी।

फिर माँ ने ऊँची आवाज़ में बोली- तृप्ति, मैं नहाने जा रही हूँ। संजू उठ गया है तुम उसको चाय बना कर दे दो।

रसोई में से चाची की आवाज़ आई- अच्छा जीजी…

कुछ देर के बाद चाची चाय का कप ले कर आई और मेरे सामने रख कर जाने लगी तभी मैंने हाथ बढ़ा कर धीरे से उनकी चूचियों को मसल दिया।

वह कुछ भी नहीं बोली और चुपचाप मुड़ कर रसोई में चली गयी तथा अपने काम में व्यस्त हो गई।

चाय पीकर जब मैं रसोई में कप रखने गया तो देखा की चाची बर्तन धो रही थी और उसकी पीठ मेरे ओर थी।

तब मैंने कप देने के बहाने उनकी पीठ से चिपक कर अपने बाजूओं को उनके चारों ओर से आगे करते हुए उन्हें कप पकड़ाया।

उन्होंने जैसे ही मेरे हाथ से कप पकड़ा मैंने उनको अपने बाहुपाश में ले लिया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर से मसल दिया।

चाची दर्द के मारे आह्ह… आह्ह… कर उठी और बोली- संजू, क्या कर रहे हो, मुझे भी दर्द होती है। इतनी जोर से मसलने के बदले अगर थोड़ा आराम से सहलाते तो दोनों को ही आनन्द मिलता।

चाची की बात सुन कर मैंने बहुत ही आराम से कुछ देर उनकी चूचियों को सहलाया और फिर उनके होंठों को चूम कर अपने कमरे में चला गया।

अगले दो दिन शनिवार और रविवार थे और पापा मम्मी घर पर ही रहते थे इसलिए मुझे चाची के साथ कुछ करने के लिए कोई मौका ही नहीं मिला।

क्योंकि सोमवार सुबह तो मुझे कोई मौका नहीं मिलने वाला था इसलिए मैं कॉलेज चला गया और आशा थी कि शाम को थोड़ा जल्दी घर आऊँगा तो अवश्य ही मौका मिल जायेगा।

लेकिन शाम को जब मैं कॉलेज से घर आया तो बहुत मायूस होना पड़ा क्योंकि छोटे भाई की कोचिंग समाप्त हो चुकी थी और वह घर पर ही तथा पूरी शाम मुझे अपने कमरे में ही रहना पड़ा।

इसी तरह बृहस्पतिवार तक यानि चार दिन छोटे भाई के घर पर ही होने के कारण मैं चाची के साथ कुछ अधिक नहीं कर सका लेकिन जब भी मौका मिलता था मैं उनकी चूचियों और गालों को ज़रूर मसल देता था।

शुक्रवार सुबह जब मैं नाश्ता कर रहा था, तब मम्मी ने बताया कि उसी दोपहर को वह, पापा और छोटा भाई उसके एयर फ़ोर्स में प्रवेश के सिलसिले में बाहर जा रहे थे और रविवार रात तक ही वापिस आयेंगे।

नाश्ता करके जब मैं बर्तन रखने के लिए रसोई में गया तब चाची को बहुत खुश देखा तब मैंने उनके पास जाकर धीरे से उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी ख़ुशी का कारण पूछा लेकिन वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपने काम में लगी रही।

उस दिन मैं कॉलेज से दोपहर दो बजे ही लौट आया तो देखा कि चाची ने फिरोजी रंग की साड़ी पहन रखी थी, हल्का सा मेक-अप भी कर रखा था।

मुझे देखते ही चाची बोली- आ गए संजू। चलो जल्दी से हाथ मुंह धो लो, साथ बैठ कर खाना खायेंगे।

उनके बदले हुए रूप को देख कर मैं चकित रह गया क्योंकि जब से मैंने उनकी चुदाई की थी तबसे वह मुझसे बात ही नहीं करती थी।

मैं फ्रेश होकर जब टेबल पर आया और हम दोनों खाना खाने बैठे तब मैंने देखा की सारा खाना मेरी पसंद का ही था।

खाना खाते हुए मैंने चाची से पूछा- मम्मी पापा किस समय गए?

चाची बोली- वे दोपहर का खाना खाकर एक बजे गए हैं।

मैं बोला- क्या तुम्हें पता था कि वे सब इतने दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं?

चाची बोली- हाँ, जीजी ने रात को ही मुझे अपना सारा कार्यक्रम बता दिया था।

मैं बोला- क्या इसीलिए तुम सुबह खुश थी?

चाची बोली- हाँ, मुझे ख़ुशी थी कियोंकि मुझे तुम्हारे साथ अकेले रहने के लिए ढाई दिन और दो रातें मिल रहे थे।

मैंने कहा- इन ढाई दिनों के लिए तुम अपने मायके जा कर नितिन के साथ भी बिता सकती थी?

मेरी व्यंग्य को सुन कर वह बोली- देखो संजू, मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ कि मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है लेकिन तुम्हारे चाचा के जाने के बाद मैं उससे वंचित रह गई थी।

इसलिए उनके विदेश जाने के बाद जब तीन महीने के लिए मैं अपने मायके रही थी तब मुझे सेक्स के बिना छह माह से अधिक हो चुके थे।
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वहाँ मैं अपनी वासना की आग को बर्दाश्त नहीं कर पाई और इसलिए मैंने नितिन को सेक्स के लिए लुभा लिया और उससे चुदाई करवाती रहती थी। मेरे आग्रह पर वह मेरी वासना को शांत करने के लिए सप्ताह में एक दिन यहाँ आ कर मुझे चोद जाता था।

फिर कुछ क्षण रुक कर उसने अपनी बात को जारी रखते हुए वह बोली- लेकिन उस दिन जब तुमने मुझे जबरदस्ती चोदा था तब मुझे तुम्हारा मोटा और सख्त लंड बहुत पसंद आया।

जो आनन्द और संतुष्टि तुमने मुझे उस दिन दी थी वह आज तक ना तो तुम्हारे चाचा और ना ही नितिन मुझे दे सका था।

पिछले छह दिनों में जब तुम्हें मौका मिलता था, तुम मुझे चूम और मसल कर तड़पता छोड़ जाते थे और मैं अपनी अतृप्त वासना की आग में जल कर रह जाती थी।

तुम्हारे साथ इस घर में इन आने वाले दिनों में अपनी अतृप्त वासना की तृप्ति होने की आशा के कारण मैं खुश थी।

अब मेरा तुम से अनुरोध है कि अगले ढाई दिन और दो रातों में अपनी इच्छा अनुसार मुझे चोद कर मेरी वासना की आग को शांत कर के मुझे तृप्ति प्रदान कर दो।

खाना पूरा होते ही मैंने उठते हुए कहा- तो फिर देर किस बात की है? चलो, पहली शिफ्ट अभी लगा लेते हैं।

चाची खुश होते हुए बोली- ठीक है, तुम बाहर के दरवाजे की कुण्डी लगा दो, तब तक मैं टेबल साफ़ कर देती हूँ।

मैं फ़टाफ़ट कुंडी लगा कर कमरे में पहुंचा तब तक चाची भी आ गई और मुझसे लिपट कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
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मैंने उनके होंटों पर अपने होंट रखे दिए और हम दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के होंटों तथा जीभ की चूमने एवं चूसने लगे।

दस मिनट के बाद मैंने उनके और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कुछ ही मिनटों के बाद हम दोनों बिलकुल निर्वस्त्र एक दूसरे से चिपटे हुए थे।

फिर हम दोनों बैड पर 69 की अवस्था में लेट गए और मैं उनकी चूत को खीर की कटोरी समझ कर चाटने लगा तथा वह मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।

चाची मेरे लंड को चूसती जा रही थी और कहती जा रही थी- मेरे राजा, चूसो जोर से चूसो मेरी चूत को, खा जाओ इसे।

काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैंने चाट लिया तथा मेरे लंड ने भी वीर्य की धार छोड़ दी जिसे चाची बहुत चाव से शहद समझ कर पी गई।

उसके बाद आधे घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए तथा एक दूसरे के गुप्तांगों को मसलते हुए लेटे रहे।

जब हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे तब हमने
69 की अवस्था में चूत और लंड को चाट एवं चूस कर कुछ ही मिनटों में चुदाई के लिए तैयार हो गए।

तब चाची ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर लगाया और उस पर बैठ कर उसे पूरा का पूरा अपनी चूत में समां लिया।

इसके बाद वह उछल उछल कर चुदाई करने लगी और जब उसके चूत में हलचल एवं खिंचावट होती तब जोर जोर से सिसकारी भरती और पानी छोड़ देती।

बीस मिनट तक चुदाई करके जब वह थक गई तब नीचे लेट गई और मैं उनके ऊपर चढ़ गया और बहुत ही तेजी से उसकी चुदाई करने लगा।

उस तेज़ चुदाई को दस मिनट ही हुए थे की चाची जोर से चिल्लाई- आईईई ईई… संजू मैं आने वाली हूँ तुम भी जल्दी से आ जाओ! साथ साथ झड़ने में बहुत ही आनन्द आता है और दोनों को पूर्ण संतुष्टि भी मिलेगी।

चाची की बात सुन कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और तेज़ धक्के लगाने लगा तभी मेरा लंड उनकी चूत के अंदर ही फूल गया और उनके साथ मैं भी उनके अन्दर ही झड़ गया।

हम दोनों थक गए थे इसलिए उसी तरह एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए और शाम के छह बजे ही उठे!

उन ढाई दिन और दो रातों में हम दोनों ने दसियों बार चुदाई करी!

उसके बाद आज तक हमें जब भी कभी मौका मिलता था हम दोनों अपनी वासना की आग को शांत कर लेते थे।
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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पारूल दीदी का भीगा बदन

पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : उम्र 28 साल है, कद 5 फ़ीट 9 इंच और मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।

दोस्तो, बात तब की है जब मैं 21 साल का था, अपनी छुट्टियों में अपनी मामा के घर गया था। उसी दिन मेरी मामा की लड़की यानि पारूल का फ़ोन अपनी मम्मी के पास आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, आप और पापा मेरे घर आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।

मामा शहर से बाहर गए हुए थे तो मैं ही मामी को लेकर पारूल के घर गया और हम तीनों जाकर वापस आ गए और पारूल दीदी ने मुझे रोक लिया अपने घर पर यह कह कर कि दो चार दिन यहीं रुक जाएगा समीर तो मामी अपने घर चली गईं।

मेरे दीदी का नाम पारूल है, तब वो 25-26 साल की थी, उसके पति आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी दीदी को कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन जीजा जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए दीदी के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।

अगले ही दिन दीदी अपनी किसी सहेली के घर किट्टी में गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर दीदी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज बहुत जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया।

दीदी ने सामान रखा और मुझसे बोली- समीर, मैं पूरी भीग चुकी हूँ, मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो दीदी मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?

मैंने पूछा- क्या काम है?

दीदी बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
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मैंने कहा- क्यूँ नहीं?

दीदी ज़मीन पे बैठ गईं और मैं सोफे पे बैठ गया । मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके बूब्स की धारीओं से लेके नाभि तक बह रहा था। मैं दीदी के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। दीदी का गोरा और भीगा बदन मेरे लंड में खुजली पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। दीदी ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।

तभी अचानक दीदी कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।

वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद दीदी को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर दीदी ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में दीदी ने दरवाजा बंद नहीं किया। मेरी निगाह उनके कमरे पे रुक गई। वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी। मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने पारूल दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।

दूधिया बदन, सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया।

उनके चूतड़ों गांड का साइज़ 36″ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…

मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अचानक दीदी मुड़ी और उन्होंने मुझे देख कर मुस्कुराकर दरवाज़ा बंद कर लिया। मुझे उनकी आँखों में अपने लिए प्यार और वासना साफ़ नजर आ गई थी।

वर्षा ॠतु चल रही थी, जुलाई का महीना था, सुबह धूप थी पर दोपहर होते होते मौसम बहुत ख़राब होने लगा था, बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। किसी भी वक्त तेज़ बारिश हो सकती थी, दीदी बोली- समीर मैं कपड़े लेने जा रही हूँ छत से।

मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ। हम छत से कपड़े उतार ही रहे थे कि अचानक बारिश तेज़ हो गई और मैं और दीदी पूरे भीग गए। मैं दीवार की ओट में छुप गया पर दीदी बारिश में नहाने लगीं। दीदी बारिश के मज़े ले रही थी !!
उन्होंने मुझे भी आने को कहा तो मैं भी बारिश में नहाने लगा। उसी वक़्त न जाने क्यूँ फिर मेरी नज़र उनके पेट पर गई, जोकि कपड़े गीले होने बाद साफ़ नज़र आ रहा था !!
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मुझे देखते ही दीदी ने अपने आपको थोड़ा संभाला और कहा- काफी दिनों बाद इतनी अच्छी बारिश हुई है !!

मैंने पूछा- आपको शायद बहुत अच्छा लगता है बारिश में नहाना !!

तो उन्होंने कहा- हाँ नहाना भी, बारिश में नाचना भी..

इस बात पर मैंने हंसते हुए बारिश का कुछ पानी उनके मुँह पर फैंका तो उन्होंने भी बदला लेने के लिए ऐसा ही किया.. देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे के साथ बारिश में ही खेलने लगे। फिर ना जाने कैसे अचानक दीदी का पाँव फिसला और वो सीधी मेरे ऊपर आकर गिरी !! उन्हें गिरने से बचाने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ना चाहा तो मेरे हाथ उनकी कमर पर रुके लेकिन हम दोनों ही नीचे गिर पड़े !!

दीदी मेरे नीचे थी और मेरे हाथ उनकी कमर पर, वो लम्हा मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल लम्हा था !! पता नहीं क्यूँ मेरे हाथों ने कमर पर से हटने की बजाय अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली !! हम दोनों की आँखें एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे और मुझे उन आँखों में आज कोई रुकावट नज़र नहीं आ रही थी !! उनकी नजरो में वो वासना साफ़ दिख रही थी। शायद इसीलिए मैंने उनकी नंगी गर्दन पर चूम लिया !!

मेरे अचानक चूमने से वो थोड़ा घबराई और उठने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी। यह सब कुछ खुली छत पर तेज़ बारिश में हो रहा था !!

बारिश का पानी हम दोनों के बदन को गीला कर चुका था.. लेकिन तब भी मैं उनके बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था !! मेरी आँखें उनकी आँखों में ही देख रही थी, मेरे हाथ उनके दोनों हाथों को संभाले हुए थे, मेरे पैर उनके पैरों में लिपटे हुए थे !! हम दोनों के बदन एक दूसरे से सटे हुए थे !!

तभी दीदी बोली- छोड़ मुझे, यह सही नहीं है।

मैंने कहा- सब सही है दीदी, मुझे पता है कि आप भी वही चाहती हो जो मैं चाहता हूँ।

दीदी बोली- नहीं यह गलत है।

मैंने कहा- दीदी आप चाहें कुछ भी करो, आज मैं आपको तड़पता नहीं रहने दूँगा। मुझे पता चल गया है कि आप जीजा जी के बिना कैसे अकेली तड़पती हैं।
फिर मैंने उनके रसीले गुलाबी होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और उनके होंठो को चूसने लगा !!

वो छटपटाने लगी और मुझे अपने से अलग करने की कोशिश करने लगीं। थोड़ी देर बाद उनका ऐतराज़ करना भी बंद हो चुका था, लेकिन वो खामोश ही थी ! मेरे हाथों ने उनके बदन पर चलना शुरू किया, मेरा एक हाथ उनके पेट पर था और दूसरा उनकी गर्दन पर !! तभी मैंने अपने हाथ से उनकी साड़ी को ढीला कर दिया और उनकी साड़ी को बदन से अलग कर दिया, अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। तभी मैंने अपना एक हाथ उनके पेटीकोट में डाला और उनकी चिकनी जांघ को सहलाने लगा, मैं पागल सा होने लगा था, फिर मैंने उनके पेटीकोट को भी उनके बदन से आज़ाद कर दिया।

मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया और तभी मैंने दीदी की पहली कराह सुनी- आ आआ आअह्ह्ह !!

वो अपने हाथ से मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी, क्यूँकि मैं अभी भी उनके रसीले होंठों को चूस रहा था। मैंने दोनों जाँघों को हाथ में पकड़ कर कमर पर चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उनके ब्लाउज को भी उतार दिया !

अब एक ऐसा नज़ारा मेरे सामने था जिसके लिए मैंने हजारों मन्नतें की थी.. दीदी का गोरा चिकना गठीला बदन मेरी आँखों के सामने था और वो भी उस हालत में जिसमें मैं सिर्फ सोच सकता था.. उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया क्यूंकि वो मेरे सामने अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थीं। उन्होंने काली ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.. जोकि उनके गोरे बदन के ऊपर और भी खूबसूरत लग रही थी।

मैंने उनकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया और उनकी कड़क चूचियों को दबाने लगा.. अब शायद उन्हें आजाद करने का समय आ गया था। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर उन्हें भी आजाद कर दिया।

उनकी चूचियों को देखकर मैं मदहोश सा हो रहा था, मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो दीदी सिसक उठी.. उनकी सिसकियाँ अब तेज़ होती जा रही थी, उनकी आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह् सुनकर मुझे एक अलग सी ताक़त मिल रही थी !



मेरे हाथ उनके पूरे बदन पर चल रहे थे.. और तभी मैंने हाथ उनकी पैंटी के अन्दर घुसा दिया और वो जैसे पागल सी हो गई..

मेरी एक उंगली ने उनकी पैंटी के अन्दर हरकत शुरू कर दी थी.. उनके दोनों हाथ मेरी कमर को खरोंच रहे थे..

अब तक उन्होंने भी मुझे कपड़ों से अलग कर दिया था और मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर ही बचा था !!

तभी उन्होंने अपने नाज़ुक हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी.. मैं पागल हो रहा था..

यह सभी कुछ हम बारिश में गीली छत पर ही कर रहे थे कि अचानक दीदी बोली- बाकी का काम बिस्तर पर करना।

और मुझे भी लगा कि काम को आखिरी अंजाम देने के लिए हमें बेड पर जाना ही पड़ेगा..

मैंने दीदी को उसी हालत में उठाया और अंदर उनके कमरे के बेड पर ले जाकर लिटा दिया.. वो बुरी तरह सिसक रही थी.. वो वासना की आग में जल रही थीं। वो इतनी गर्म हो गईं कि कमरे में पहुँचते ही उन्होंने मुझे बुरी तरह चाटना शुरू किया और एक झटके में मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से आज़ाद कर दिया।

मैंने भी उन्हें जोर से जकड़ लिया.. और उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी बुर को उनकी पेंटी से आज़ाद कर दिया।

मैंने दीदी की पैंटी उतारी, वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी चूत ! कामरस से भीगी हुई ! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी फ़ुद्दी के ! एक भी बाल नहीं था !एकदम सफाचट थी ! और चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा, उसको मज़ा आने लगा था।
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मैंने उनकी चूत को खोला दोनों हाथों की उंगलियों से, तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब दीदी की बुर के दाने को चुभला रहा था और दीदी आहह उहह सीईई ऊफ आहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो !
मैं अब दीदी की बुर में जोर जोर से उंगली करने लगा लेकिन मेरी उंगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बड़ी ही कसी हुई बुर थी दीदी की। जीजा जी आर्मी में थे और साल में एक बार आते थे। इसीलिए दीदी की बुर ज्यादा खुली नहीं थी। बिल्कुल जवान चूत थी। उफ़्फ़ ! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है। थोड़ी ही देर बाद दीदी झड़ गईं और मैं उनका सारा रस पी गया।

फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड जो 8 इंच लंबा और गोलाई लिए हुए 3 इंच मोटा था को देखकर दीदी खुश हो गईं। दीदी अपना मुँह मेरे लंड के पास लाईं और कहा- तुमने मेरी बुर चूसी है, अब मैं भी तुम्हारा लंड चूसूंगी !
images4दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने और आइसक्रीम की तरह चाटने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था, लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ। पाँच मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद दीदी ने मुझे सोफे पर बिठा दिया और मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरा लंड चूसने लगीं और मेरी गोलियों को मुँह में भर लिया। images19
मैंने दीदी से कहा- अब छोड़ दो, नहीं तो मेरा रस बाहर निकल आयेगा।

लेकिन दीदी मानी नहीं और मेरा लंड चूसती रहीं। कुछ समय के बाद मेरा रस निकलने लगा तो मैंने दीदी का चेहरा पकड़कर ऊपर उठाया लेकिन वो हट ही नहीं रही थी तो फिर मेरा लंड रस उनके मुँह में ही भर गया।

फिर मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखती हुई अपने होठों को चाटने लगी। मैंने आगे बढ़कर दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। मैं कहने लगा- आपने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा दी !

दीदी हंसने लगी और मेरे सीने को सहलाने लगी। इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अचानक वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे घुटनों पर बैठकर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर के दाने पर घिसने लगी और जोर जोर से सीत्कारें भरने लगी।
वे मेरे ऊपर बैठी हुईं थी जिससे कि उनकी बुर का पानी मेरे लंड को पूरा भिगो गया था और अब किसी चिकनाई की जरूरत नहीं थी। फिर दीदी ने मेरे लंड का अपनी बुर के छेद पर निशाना बनाया और धीरे धीरे बैठने लगी।

उफ़्फ़ ! बड़ा मजा आने लगा मुझे !
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मेरा लंड बडा ही कसा हुआ उनकी बुर में घुस रहा था। मैंने देखा कि दीदी ने अपने जबड़े भींच रखे थे और धीरे धीरे करके मेरे लंड पर जड़ तक बैठ चुकी थीं और उसके बाद मेरे होंठों को अपने होठों में भर लिया और चूसने लगी। मैं अपने हाथ उनकी कमर से चूचियों पर लाया और दोनों हाथों में भर कर दबाने लगा।

अब दीदी सीईई सीसी आह अअहाहह की जोरदार आवाजें निकाल रही थी और ऊपर से झटका भी मार रही थी। पूरे कमरे में फच फच सीईसीइइई और तेज ! और तेज तेज करो ! की जोरदार आवाजें हो रही थीं। करीब 15 मिनट तक दीदी मेरे लंड पर कूदती रहीं। दीदी ऊपर से और मैं नीचे से एक दूसरे की चुदाई करते रहे और 20 मिनट बाद दीदी का पानी निकल गया तो दीदी रूक गईं और मुझसे कहने लगीं- बस अब और न करो !

लेकिन मेरा तो अभी रस निकला ही नहीं था इसलिए मैंने दीदी से कहा- मेरा तो निकल जाने दो !

तो दीदी मान गईं, मैंने दीदी से कहा- घोड़ी बन जाओ !

और पीछे से मैं उनकी बुर में अपना मोटा लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा। दीदी के उरोज उछल उछल कर मेरी कामाग्नि को और बढ़ा रहे थे। कुछ समय के बाद दीदी को फिर से मजा आने लगा तो दीदी भी अपनी कमर को चलाने लगीं। दीदी को चोदते हुए मैं उनकी गांड के छेद को फूलते पिचकते हुए देख रहा था और मुस्कुरा भी रहा था।

मैंने दीदी की बुर में एक अंगुली डाल कर उसको गीला किया और दीदी की गांड में डाल दिया दीदी उछल पड़ी और उनकी सीत्कारें और भी तेज हो उठीं। फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और चढ़ गया उनकी फ़ुद्दी पर ! पूरे कमरे में पारूल के चीखने की आवाजें आ रही थीं।

करीब 20 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा, और जब मुझे लगा कि अब मेरा भी निकल जायेगा तो मैंने दीदी से कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है, कहाँ डालूँ?

तो उन्होंने कहा- मेरी बुर में ही डाल दो ! मेरा भी निकलने वाला है !

मैंने दीदी से कहा कि ऐसे तो आपको बच्चा हो जायेगा तो दीदी ने कहा- हो जाने दो ! मैं तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी ! तुम्हारे जीजा जी से तो बच्चे की उम्मीद करना बेकार है, मैं तो तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी तो वो तुम्हारे जैसे ही खूबसूरत और गोरा होगा।

फिर मैंने दीदी को उठा कर सोफे पर पीठ के बल लिटा दिया और उनकी बुर में अपना मोटा लंड ठूस कर चुदाई करने लगा। 15-20 धक्के लगाने के बाद दीदी चिल्लाने लगीं- मैं तो गई गई सीर्इसीसीसी ईई….ईसीई आह उह आह आह जोर से और जोर से !

तो मैं समझ गया कि दीदी का निकलने वाला है।

मैंने दीदी के दूधों को दोनों हाथों में भर लिया और जोर जोर से दबाते हुए ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, 8-10 धक्कों के बाद मेरे मोटे लंड से वीर्य की बरसात होने लगी। किन्तु मैं रूका नहीं और उनकी बुर को अन्दर तक पेलने लगा। मेरे लंड के वीर्य ने उनकी बुर को पूरा भर दिया। मैं दीदी की बुर में ही लंड डालकर दीदी के ऊपर लेट गया।

करीब दस मिनट बाद हमें होश आया तो हम दोनों शरमाने लगे।

दीदी ने मेरे होठों को चूमकर कहा- सच जितना मजा तुम्हारे साथ आया, उतना तुम्हारे जीजा के साथ कभी नहीं आया। आज मैं सही मायने में औरत बन पाई हूँ।

मैंने दीदी से कहा- मैं आया तो थोड़े दिन के लिए ही था लेकिन मैं अभी कुछ दिन और रूककर आपको प्यार करना चाहता हूँ।

तो दीदी ने कहा- यही तो मैं भी कहने वाली थी, जितने दिन चाहो उतने दिन रूको। बहुत प्यासी हूँ मैं, सींच दो मेरी इस फ़ुद्दी को अपने वीर्य से।

हम बाथरूम में गए, सब कुछ साफ़ किया और साथ साथ ही नहाने लगे।
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हम दोनों शावर के नीचे एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। वो मेरे लंड को पागलो की तरह चूसने लगीं, मेरा लंड एक बार फिर सलामी देने लगा।
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इसलिए मैं बाथटब में लेट गया और वो मेरे ऊपर लेट गई। मैंने धीरे से लंड उसकी बुर पर लगाया और धीरे धीरे अन्दर सरकाने लगा तो मेरा लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

और मैं चार दिनों तक दीदी के यहाँ रूककर उनकी चुदाई करता रहा।

आज दीदी जब चाहती हैं, मुझे बुला लेती हैं, मैं उन्हें चोदता हूँ। वो मेरे बच्चे की माँ भी बन चुकी हैं।
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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पड़ोसी बबिता और मेरी पत्नी प्रीति की चुदाई


मैं राज और मेरी पत्नी प्रीती मुम्बई शहर के सब-अर्ब मलाड में रहते हैं। ये कहानी करीब आज से छः महीने पहले शुरू हुई जब हमारे बगल के फ्लैट में नये पड़ोसी रहने के लिये आये।

हमारे नये पड़ोसी मिस्टर प्रशाँत एक कंसल्टेंट हैं, और उनकी पत्नी बबीता एक घरेलू महिला थी। वैसे तो मुम्बई इतना व्यस्त शहर है कि यहाँ किसी को किसी के लिये फुर्सत ही नहीं है। नये पड़ोसी होने के नाते हमारी जान पहचान बढ़ी और हम दो परिवार काफी घुल मिल गये थे।

मैं और मेरी पत्नी प्रीती के विचार एक समान थे। हम दोनों खुले सैक्स में विश्वास रखते थे। शादी के पहले ही हम दोनों सैक्स का मज़ा ले चुके थे। हम दोनों अपनी पूरानी सैक्स घटनाओं के बारे में अक्सर एक दूसरे को बताते रहते थे। चुदाई के किस्से सुनाते या सुनते वक्त प्रीती इतनी उत्तेजित हो जाती की उसकी चूत की प्यास मिटाना कभी मुश्किल हो जाता था।

मैंने और प्रीती ने इस शनिवार को प्रशाँत और बबीता को अपने यहाँ खाने की दावत दी। दोनों राज़ी हो गये। प्रशाँत एक शानदार व्यक्तित्व का मालिक था, ६’२ ऊँचाई और कसरती बदन। बबीता भी काफी सुंदर थी, गोल चेहरा, लंबी टाँगें और खास तौर पर उसकी नीली आँखें। पता नहीं उसकी आँखों में क्या आकर्षण था कि जी करता हर वक्त उसकी आँखों में इंसान झाँकता रहे।

शनिवार की शाम ठीक सात बजे प्रशाँत और बबीता हमारे घर पहुँचे। प्रशाँत ने शॉट्‌र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिससे उसका कसरती बदन साफ़ झलक रहा था। बबीता ने कॉटन का टॉप और जींस पहन रखी थी। उसके कॉटन के टॉप से झलकते उसके निप्पल साफ़ बता रहे थे की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है। उसकी काली जींस भी इतनी टाईट थी की उसके चूत्तड़ों की गोलाइयाँ किसी को भी दीवाना कर सकती थी। उसके काले रंग के ऊँची हील के सैंडल उसकी लंबी टाँगों को और भी सैक्सी बना रहे थे। उसे इस सैक्सी पोज़ में देख मेरे लंड में सरसराहट होने लग गयी थी।

मैंने देखा की प्रीती प्रशाँत की और आकर्षित हो रही है। वो अपने अधखुले ब्लाऊज़ से प्रशाँत को अपनी चूचियों के दर्शन करा रही थी। आज प्रीती अपनी टाईट जींस और लो-कुट टॉप में कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही थी। वहीं बबीता भी मेरे साथ ऐसे बरताव कर रही थी जैसे हम कई बरसों पुराने दोस्त हों।

हम चारों आपस में ऐसे बात कर रहे थे कि कोई देख के कह नहीं सकता था कि हमारी जान पहचान चंद दिनों पूरानी है। पहले शराब का दौर चला और फिर खाना खाने के बाद हम सब ड्राईंग रूम में बैठे थे।

मैंने स्टीरियो पर एक री-मिक्स की कैसेट लगा दी। बबीता ने खड़ी हो कर प्रशाँत को डाँस करने के लिये कहा, किंतु उसने उसे मना कर दिया। शायद उसे नशा हो गया था, मगर उसने बबीता को मेरे साथ डाँस करने को कहा। बबीता ने मुझे खींच कर खड़ा कर दिया।

हम दोनों गाने की धुन पर एक दूसरे के साथ नाच रहे थे। बबीता ने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर रख हुए थे और मुझसे सटते हुए नाच रही थी। उसके बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पे रख उसे अपने और करीब खींच लिया।

उसके बदन की गर्माहट और बदन से उठती खुशबू ने मुझे मजबूर कर दिया और मैंने कसके उसे अपनी छाती से चिपका लिया। मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था। तभी मुझे खयाल आया कि मेरी बीवी और उसका पति भी इसी कमरे में हैं। मैंने गर्दन घुमा के देखा तो पाया की प्रीती प्रशाँत को खींच कर डाँस के लिये खड़ा कर चुकी है।

शायद मेरी बीवी की सुंदरता और खुलेपन ने प्रशाँत को डाँस करने पे मजबूर कर दिया था, इसलिए वो प्रीती को मना नहीं कर पाया। दोनों एक दूसरे को बांहों में ले हमारे पास ही डाँस कर रहे थे। नाचते-नाचते प्रीती ने लाईट धीमी कर दी। कमरे में बहुत ही हल्की रोशनी थी। हम चारों कामुक्ता की आग में जल रहे थे।

बबीता मुझसे और चिपकती हुई मेरे कान में बोली, “अच्छा है थोड़ा अंधेरा हो गया।”

मैंने उसे और कस के अपनी बांहों में ले अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए। उसने भी सहयोग देते हुए अपना मुँह खोल दिया और जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ चुभलाने लगे।

मेरे दोनों हाथ अब उसके चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो कामुक हो मेरी पीठ को कस के भींच लेती थी। मेरा लंड पूरा तन कर उसकी चूत को जींस के ऊपर से ही रगड़ रहा था। अच्छा था कि वो हाई हील की सैंडल पहनी हुई थी जिससे की उसकी चूत बिल्कुल मेरे लंड के स्तर तक आ रही थी। बबीता ने अपने आप को मुझे सोंप दिया था। मैंने पीछे से अपने दोनों हाथ उसकी जींस में डाल दिए और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी हुई है। मेरे हाथ अब उसके मुलायम चूत्तड़ों को जोर से भींच रहे थे, वो भी उत्तेजित हो अपनी चूत मेरे लंड पे रगड़ रही थी।

मेरी बीवी प्रीती का खयाल आते ही मैंने गर्दन घुमा के देखा तो चौंक पड़ा। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए गाने की धुन पर डाँस कर रहे थे। प्रशाँत के हाथ प्रीती के शरीर पर रेंग रहे थे। प्रीती भी उसे अपने बांहों में भर उसके होंठों को चूस रही थी।

मैं बबीता को बांहों में ले इस पोज़िशन में डाँस करने लगा कि मुझे प्रीती और प्रशाँत साफ़ दिखायी पड़ें। चार साढ़े-चार इंच की हाई हील की सैंडल पहने होने के बावजूद प्रीती प्रशाँत के कंधे तक मुश्किल से ही पहुँच पा रही थी। प्रशाँत का एक हाथ प्रीती की चूचियों को सहला रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चूँची को सहलाते हुए नीचे की और बढ़ रहा था, और नीचे जाते हुए अब वो उसकी चूत को उसकी टाईट जींस के ऊपर से सहला रहा था।

मुझे हैरानी इस बात की थी कि उसे रोकने कि बजाय प्रीती प्रशाँत को सहयोग दे रही थी। उसने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे प्रशाँत के हाथों को और आसानी हो। पर मैं कौन होता हूँ शिकायत करने वाला। मैं खुद उसकी बीवी को बांहों में भरे हुए उसे चोदने के मूड में था।

मेरे भी हाथ बबीता के चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता उत्तेजना में मुझे चूमे जा रही थी। तभी मैंने देखा कि प्रशाँत ने अपना एक हाथ प्रीती के टॉप में डाल कर उसके मम्मों पे रख दिया था। जब उसने प्रीती की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने हाथ पीठ की और ले जाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। मुझे उस पारदर्शी टॉप से साफ दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत के हाथ अब प्रीती के मम्मों को सहला रहे थे।

माहोल में जब चुदाई का आलम फ़ैलता है तो सब पीछे रह जाता है। मैंने भी आगे बढ़ कर बबीता के चूत्तड़ से हाथ निकाल उसकी जींस के बटन खोल जींस उतार दी। पैंटी तो उसने पहनी ही नहीं थी।

“मैं सोच रही थी कि तुम्हें इतनी देर क्यों लग रही है।” बबीता अपने सैंडल युक्त पैरों से अपनी जींस को अलग करती हुए बोली। “प्लीज़ मुझे प्यार करो ना!”

मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पे रख दिया। हाथ रखते ही मैंने पाया कि उसकी चूत एक दम सफ़ाचट थी। उसने अपनी चूत के बाल एक दम शेव किए हुए थे। बिना झाँटों की एक दम नयी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया और उसकी चूत को जोर से रगड़ने लगा। मैंने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर घुमायी तो पाया कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी।

“तुम अपनी अँगुली मेरी चूत में क्यों नहीं डालते, जिस तरह मेरे पति ने अपनी अँगुली तुम्हारी बीवी की चूत में डाली हुई है।” उसने कहा तो मैंने घूम कर देखा और पाया कि प्रशाँत का एक हाथ मेरी बीवी की चूचियों को मसल रहा है और दूसरा हाथ उसकी खुली जींस से उसकी चूत पे था। उसके हाथ वहाँ क्या कर रहे थे मुझे समझते देर नहीं लगी।

अचानक मेरी बीवी प्रीती ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ़ देखा। वो एक अनजान आदमी के हाथों को अपनी चूत पे महसूस कर रही थी और मैं एक परायी औरत की चूत में अँगुली कर रहा था। वो मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुरायी और मैं समझ गया कि आज की रात हम दोनों के ख्वाब पूरे होने वाले हैं। प्रीती मुस्कुराते हुए अपनी जींस और पैंटी पूरी उतार कर नंगी हो गयी।

जैसे ही उसने अपनी जींस और पैंटी उतारी, उसने प्रशाँत के कान में कुछ कहा। प्रशाँत ने उसकी ब्रा और टॉप भी उतार दिए। अब वो एक दम नंगी उसकी बांहों में थी। प्रशाँत के हाथ अब उसके नंगे बदन पर रेंग रहे थे।

“लगता है हम उनसे पीछे रह गये।” कहकर बबीता ने मुझसे अलग होते हुए अपना टॉप उतार दिया। जैसे हम किसी प्रतिस्पर्धा में हों। बबीता अब बिल्कुल नंगी हो गयी, उसने सिर्फ पैरों में हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे।

“लगता है कि हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए,” कहकर बबीता ने मेरी जींस के बटन खोल मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और मेरा लंड उसके हाथों की गर्माहट से तनता जा रहा था। बबीता एक अनुभवी चुदक्कड़ औरत की तरह मेरे लंड से खेल रही थी।

मैं भी अपनी जींस और अंडरवियर से बाहर निकल नंगा बबीता के सामने खड़ा था। बबीता ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, जो तन कर सढ़े आठ इंच का हो गया था। “बहुत मोटा और लंबा है” कहकर बबीता लंड को दबाने लगी।


मैंने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी। प्रीती प्रशाँत के सामने घुटनों के बल बैठी उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी। प्रशाँत का लंड लंबाई में मेरे ही साईज़ का था पर कुछ मुझसे ज्यादा मोटा था। प्रीती उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सुपाड़े को चाट रही थी।

मुझे पता था कि प्रीती की इस हर्कत का असर प्रशाँत पर बुरा पड़ने वाला है। प्रीती लंड चूसने में इतनी माहिर थी कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था। उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था। वो पहले लंड के सुपाड़े को अपने होठों में ले कर चूसती और फिर धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता। फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड ऊपर की और उठाती। यही हर्कत जब वो तेजी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी।

इसी तरह से वो प्रशाँत के लंड को चूसे जा रही थी। जब वो उसके सुपाड़े को चूसती तो अपने थूक से सने हाथों से जोर-जोर से लंड को रगड़ती। मैं जानता था कि प्रशाँत अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पायेगा।
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करीब दस मिनट तक प्रीती प्रशाँत के लंड की चूसाई करती रही। मैं और बबीता भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे। प्रशाँत ने अपने लंड को प्रीती के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और बबीता के पास आ खड़ा हो गया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और प्रशाँत अपने होंठ बबीता के होंठों पे रख उन्हें चूमने लगा। बबीता उससे अलग होते हुए बोली, “प्रशाँत! राज को बताओ न कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है।”
फिर कामुक्ता का एक नया दौर शुरू हुआ। प्रशाँत अपनी बीवी बबीता के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया। फिर बबीता के माथे पे आये बालों को हटाते हुए मुझसे बोला, “राज इसके होंठों को चूसो।”
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ कर अपने होंठ बबीता के होठों पर रख दिए। बबीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। “अब इसकी चूचियों को चूसो,” प्रशाँत ने कहा।
मैं नीचे झुक कर बबीता की चूँची को हाथों में पकड़ कर उसका निप्पल अपने मुँह में ले चूसने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी और कसी हुई थी। गोल चूंची और काले सख्त निप्पल काफी मज़ा दे रहे थे।
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“दूसरी को नज़र अंदाज़ मत करो” कहकर उसने बबीता की दूसरी चूँची पकड़ मेरे मुँह के आगे कर दी। मैं अपने होंठ बढ़ा कर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा।

करीब पाँच मिनट तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा, और मैंने पाया कि प्रशाँत के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था। मुझे इशारा मिल गया। कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था। मैंने नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभी को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होंठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए।

जब मैं उसकी चूत पे पहुँचा तो मैं दंग रह गया। प्रशाँत ने बबीता के पीछे से अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की पंखुड़ियाँ पकड़ के इस कदर फैला दी थीं, जिससे मुझे उसकी चूत को चाटने में आसानी हो। जैसे ही मैंने अपने जीभ उसकी चूत पे फ़िरायी, मैंने पाया कि मेरी बीवी प्रीती ठीक मेरे बगल में बैठी थी और उसकी निगाहें बबीता की चूत पे टिकी हुई थी।

प्रशाँत को अच्छी तरह पता थी कि मर्द की कौन सी हर्कत उसकी बीवी की चूत में आग लगा सकती थी, “अब अपनी जीभ से इसकी चूत के चारों और चाटो”, उसने कहा।

आज मैं कई सालों के बाद किसी दूसरी औरत की चूत को चाट रहा था, वो भी जब कि मेरी बीवी छः इंच की दूरी पे बैठी मुझे निहार रही थी। मैंने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रीती की चूत पे रखा तो पाया कि उत्तेजना में उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी। मैं अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा। मैं बबीता की चूत को चाटे जा रहा था और प्रीती मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।

“अब इसकी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटो और करते जाओ?” प्रशाँत ने बबीता की चूत और फ़ैलाते हुए कहा। मैंने वैसे ही किया जैसा उसने करने को कहा। बबीता की चूत से उठी मादक खुशबू मुझे और पागल किये जा रही थी।

“अब अपनी पूरी जीभ बबीता की चूत में डाल दो?” प्रशाँत ने कहा। बबीता ने भी अपनी टाँगें और फैला दी जिससे मुझे और आसानी हो सके। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे जोर से चोद रहा था। बबीता की सिस्करियाँ शुरू हो चुकी थी, “हाँ राज... चूसो मेरी चूत को... निचोड़ लो मेरी चूत का सारा पानी, ओहहहहह हँआआआआआआँ!” प्रशाँत बबीता के चूत को फ़ैलाये उसके पीछे खड़ा था। मैं और तेजी से उसकी चूत को चूसने लगा। इतने में बबीता का शरीर अकड़ा और जैसे कोई नदी का बाँध खोल दिया गया हो, उस तरह से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरा पूरा मुँह उसके रस से भर गया। बबीता जमीन पे बैठ कर अपनी उखड़ी साँसों को संभालने लगी।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद उसने मेरे चेहरे को अपने नज़दीक कर मुझे चूम लिया, “राज अब मैं चुदवाने के लिये तैयार हूँ!” इतना कहकर बबीता मेरा हाथ पकड़ मुझे सोफ़े के पास ले गयी।

बबीता सोफ़े पे झुक कर घोड़ी बन गयी, और थोड़ा नीचे झुकते हुए उसने अपने गोरे चूत्तड़ ऊपर उठा दिए। उसकी गुलाबी और गीली चूत और उठ गयी थी। मैं अपने हाथ से उसके चूत्तड़ सहलाने लगा। फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर घिसने लगा। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो प्रशाँत और प्रीती मेरे बगल में खड़े एक दूसरे के नंगे बदन को सहला रहे थे, मगर उनकी आँखें मेरे लंड पे टिकी हुई थी। मैंने अपने लंड को धीरे से बबीता की चूत में घुसा दिया।

बबीता की चूत काफी गीली थी और एक बार वो झड़ भी चुकी थी, फिर भी मुझे उसकी चूत में लंड घुसाने में बहुत जोर लगाना पड़ रहा था। इतनी कसी चूत थी उसकी। मैंने एक जोर का धक्का मार अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक डाल दिया और उसे चोदने लगा।

मैंने देखा कि प्रशाँत और प्रीती हमारे पास आ गये हैं। प्रीती ने ठीक बबीता के बगल में सोफ़े पर लेट कर अपनी टाँगें फैला दी। उसकी चूत का मुँह और खुल गया था। उसकी गुलाबी चूत इतनी प्यारी थी और जैसे कह रही हो कि आओ मुझे चोदो। प्रशाँत उसकी टाँगों के बीच आकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत पे घिसने लगा।

मैं बबीता की चूत को पीछे से चोद रहा था इसलिए मुझे साफ और अच्छी तरह दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत किस तरह अपना लंड प्रीती की चूत पे रगड़ रहा था। बबीता ने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रशाँत के लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसे प्रीती की चूत के मुँह पे रख दबाने लगी।

क्या नज़ारा था, एक औरत दूसरे मर्द से चुदवा रही थी और अपने पति का लंड उस मर्द की बीवी की चूत पे रगड़ उसे चोदने को कह रही थी। मैं उत्तेजना के मारे बबीता के चूत्तड़ पकड़ कर कस-कस के धक्के लगा रहा था। बबीता ने प्रीती की चूत अपने हाथों से और फैला दी और प्रशाँत के लंड को ठीक वहीं पे रख दिया। प्रशाँत ने इशारा समझ कर एक ही धक्के में अपना लंड पूरा पेल दिया।

प्रशाँत मेरी बीवी प्रीती को जोर के धक्कों के साथ चोद रहा था और मैं उसकी बीवी बबीता की चूत मे अपना लंड पेल रहा था। मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ायी तो बबीता पीछे की और घूम कर बोली, “राज थोड़ा धीरे-धीरे चोदो और अपनी बीवी को देखो।”

मैंने देखा कि प्रीती की टाँग मुड़ कर उसकी चूचियों पे थी और प्रशाँत धीमे धक्कों के साथ उसे चोद रहा था। उसका मोटा लंड वीर्य रस से लसा हुआ लाईट में चमक रहा था। इतने में बबीता अपनी एक अँगुली प्रीती की चूत में डाल अंदर बाहर करने लगी। बबीता की अँगुली और प्रशाँत का लंड एक साथ प्रीती की चूत में आ जा रहे थे। प्रीती भी पूरी उत्तेजना में अपने चूत्तड़ उछाल कर प्रशाँत के धक्कों का साथ दे रही थी।

इतनी जोरदार चुदाई देख मैंने भी अपने धक्कों में तेजी ला दी। बबीता भी अपने चूत्तड़ पीछे की और धकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। मैंने अपनी एक अँगुली बबीता की चूत में डाल कर गीली की और फिर उसकी गाँड के छेद पे घुमा कर धीरे से अंदर डाल दी। बबीता सिसक पड़ी, “ओहहहहह राज क्याआआआआ कर रहे हो?” मैंने उसकी बात पे ध्यान नहीं दिया और उसे जोर से चोदते हुए अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। वहीं पर प्रशाँत भी जम कर प्रीती की चुदाई कर रहा था। मैंने बबीता के शरीर को अकड़ता पाया, और उसने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त में ले लिया।

मैं जोर-जोर के धक्के लगा रहा था, मेरा भी पानी छूटने वाला था। मैंने दो चार धक्के मारे और मेरे लंड ने बबीता की चूत में बौंछार कर दी, साथ ही बबीता की चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया।

मैं फिर भी धक्के मारे जा रहा था और अपनी बीवी प्रीती को देख रहा था। उसकी साँसें तेज थी और वो सिसक रही थी, “ओहहहहहह आआहहहहह प्रशाँत... चोदो मुझे... और जोर से.... हाँआआआ ऐसे ही चोदो.... और जोर से....!”

मैं समझ गया कि प्रीती का समय नज़दीक आ गया है। उसने जोर से अपने चूत्तड़ ऊपर उठा कर प्रशाँत के लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत का भी काम होने वाला था। वोह अपना लंड प्रीती की चूत से बाहर निकाल कर हिलाने लगा और फिर उसके पेट और छाती पर अपने वीर्य की बरसात कर दी।
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प्रशाँत अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो प्रीती की चूत के पानी और खुद के सफ़ेद वीर्य से लिसड़ा हुआ था। प्रशाँत ने थोड़ा साईड में हो कर अपना लंड प्रीती के मुँह में दे दिया। और बबीता अपने आप को एडजस्ट कर अपना मुँह प्रीती की चूत पर रख के उसे चाटने लगी।

मेरा लंड फिर तनाव में आ गया था और मैं जोर के धक्कों के साथ बबीता को चोद रहा था। बबीता मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और प्रीती प्रशाँत के लंड को। माहौल में काम की आग दहक रही थी और हम चारों उत्तेजना से भरे पड़े थे।

दो चार कस के धक्के मार कर मैंने एक बार फिर अपना पानी बबीता की चूत में छोड़ दिया। प्रीती की चूत ने भी बबीता के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वहीं प्रीती भी प्रशाँत के लंड से छूटे पानी को पी रही थी।

हम चारों पसीने में लथ-पथ थे और साँसें तेज हो गयी थी। ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी। हम सब लेट कर सुस्ताने लगे। बबीता ने मुझे बांहों में भर कर चूमते हुए कहा, “राज ऐसी चुदाई मैंने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज़ सही में निराला है।”

“बबीता... ये तो मुझे प्रशाँत ने सिखाया कि तुम्हें किस तरह की चुदाई पसंद है,” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया।

रात के बारह बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था। प्रशाँत और बबीता खड़े हो कर अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहन कर दोनों ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये। मैं और प्रीती भी एक दूसरे को बांहों में ले सो गये।

अगले कुछ दिनों तक हमारी मुलाकात प्रशाँत और बबीता से नहीं हो पायी। उस रात की चुदाई ने हमारी सैक्स लाईफ को एक नया मोड़ दिया था। अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते। हम दोनों की इच्छा थी कि प्रशाँत और बबीता के साथ एक रात और गुज़ारी जाये।

***********

एक दिन शाम के छः बजे प्रशाँत हमारे घर आया। उसने बताया कि वो ऑफिस के काम में काफी मशगूल था, इसलिए हम लोगों से नहीं मिल पाया। बातचीत के दौरान मैंने प्रशाँत को बताया कि अगले वीक-एंड पर मैं और प्रीती गोआ घूमने जा रहे हैं। मैंने प्रशाँत से कहा, “प्रशाँत तुम और बबीता क्यों नहीं साथ चलते हो?”

प्रशाँत कुछ देर सोचते हुए बोला, “मैं तैयार हूँ... पर हम लोग आपस में एक शर्त लगाते हैं। जो शर्त हार जायेगा उसे घूमने का सारा खर्च उठाना पड़ेगा... बोलो मंजूर है?”

“पर शर्त क्या होगी?” मैंने प्रशाँत से पूछा।

“शर्त ये होगी कि अगले दस दिन तक हम सफ़र की तैयारी करेंगे। इन दस दिनों में हम चारों चुदाई के गुलाम होंगे। हम एक दूसरे से कुछ भी करने को कह सकते हैं, जो पहले काम के लिए मना करेगा वो शर्त हार जायेगा,” उसने कहा।

प्रीती ये बात सुनते ही उछल पड़ी “मुझे मंजूर है।” जब प्रीती हाँ बोल चुकी थी तो मैं कौन होता था ना करने वाला, बल्कि मैं तो तुरंत बबीता के ख्यालों में खो गया कि मैं उसके साथ क्या-क्या कर सकता हूँ, और अगर उसने इनकार किया तो छुट्टियाँ फ़्री में हो जायेंगी, पर मुझे क्या मालुम था कि आगे क्या होने वाला है।

“ठीक है प्रशाँत हमें मंजूर है,” मैंने कहा।

“तो ठीक है हमारी शर्त कल सुबह से शुरू होगी,” कहकर प्रशाँत चला गया।

मुझमें और प्रशाँत में शर्त लग चुकी थी। अब हम अपनी ख्वाहिशें आजमाने का इंतज़ार करने लगे। दूसरे दिन प्रशाँत शाम को हमारे घर आया और शर्त को शुरू कर दिया। उसने प्रीती को अपने पास बुलाया, “प्रीती तुम अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ।”

प्रीती ने अपने पूरे कपड़े उतारे और नंगी हो गयी। प्रशाँत ने उसकी चूत पे हाथ फिराते हुए कहा, “प्रीती पहले तुम अपनी झाँटें साफ़ करो, मुझे चूत पे बाल बिल्कुल भी पसंद नहीं है और उस दिन जैसे ही कोई सैक्सी से हाई हील के सैंडल अपने पैरों में पहन लो।”

प्रीती वहाँ से उठ कर बाथरूम में चली गयी। थोड़ी देर बाद प्रीती बाथरूम से बाहर निकल कर आयी। मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम चिकनी और साफ लग रही थी। बालों का नामो निशान नहीं था। प्रीती ने लाल रंग के हाई हील के सैंडल भी पहन लिये थे। प्रशाँत ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसे चूमते हुए उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी।

“वाह क्या चूत है तुम्हारी,” कहकर प्रशाँत अपनी दूसरी अँगुली उसकी चूत में डाल अंदर बाहर करने लगा।

प्रशाँत ने प्रीती को खड़ा किया और खुद खड़ा हो अपने कपड़े उतारने लगा। उसका खड़ा लंड शॉट्‌र्स के बाहर निकल कर फुँकार रहा था। प्रीती आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथों में ले सहलाने लगी।

दोनों एक दूसरे के अँगों को सहला रहे थे, भींच रहे थे। कमरे में मेरी मौजूदगी का जैसे किसी को एहसास नहीं था। “आज मैं तुम्हें ऐसे चोदूँगी कि तुम ज़िंदगी भर याद करोगे?” इतना कहकर प्रीती प्रशाँत को खींच कर बिस्तर पे ले गयी।

प्रीती ने प्रशाँत को बिस्तर पर लिटा दिया। उसका लंड पूरा तन कर एक दम तंबू के डंडे की तरह खड़ा था। प्रीती उसकी टाँगों को फैला कर बीच में आ गयी और उसके लंड को चूमने लगी। मैं पीछे खड़ा ये नज़ारा देख रहा था। प्रीती के झुकते ही उसकी गोरे चूत्तड़ ऊपर उठ गये थे और उसकी गुलाबी चूत साफ दिखायी दे रही थी।

मैं देख रहा था की प्रीती प्रशाँत के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को चाट रही थी। फिर उसने अपना पूरा मुँह खोल कर उसके लंड को अपने गले तक ले लिया।

इतना कामुक और उत्तेजित नज़ारा देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लंड मेरी पैंट में पूरा तन गया था। मैं भी अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को सहलाने लगा। प्रीती एक कामुक औरत की तरह प्रशाँत के लंड की चूसाई कर रही थी। प्रशाँत ने जब मुझे अपने लंड से खेलते देखा तो कहा, “राज ऐसा करो, तुम अपनी बीवी को थोड़ी देर चोद कर उसकी चूत को मेरे लंड के लिये तैयार करो।”

मुझे एक बार तो बहुत बुरा लगा कि एक दूसरा मर्द मुझे ही मेरी बीवी को चोदने के लिये आज्ञा दे रहा है पर लंड की अपनी भूख होती है और ऊपर से हमारी शर्त। मैं झट से प्रीती के पास पहुँचा और उसके चूत्तड़ पकड़ कर एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी बिना बालों की चूत में पेल दिया।

मेरे लंड के अंदर घुसते ही प्रीती ने अपने चूत्तड़ और पीछे की और करते हुए मेरे लंड को और अंदर तक ले लिया। मैं जोर के धक्के लगा कर प्रीती को चोद रहा था और वो हर धक्के के साथ उतनी ही तेजी से प्रशाँत के लंड को चूस रही थी।

“राज लगता है अब प्रीती तैयार हो गयी है।” प्रशाँत ने प्रीती की चूचियों को मसलते हुए मुझे हटने का इशारा किया। प्रीती ने अभी आखिरी बार उसके लंड को चूमा और उठ कर घूम कर बैठ गयी। प्रीती अपने दोनों पाँव प्रशाँत के शरीर के अगल बगल रख कर बैठ गयी। उसकी पीठ प्रशाँत की और थी और उसका चेहरा मेरे सामने था। प्रीती मुझे आँख मार कर थोड़ा सा उठी और प्रशाँत का लंड अपने हाथों में ले कर उसे अपनी चूत पे रगड़ने लगी। थोड़ी देर लंड को अपनी चूत पे रगड़ने के बाद वो एक हाथ से अपनी चूत का मुँह फ़ैलाते हुए नीचे की और बैठने लगी। प्रशाँत का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था।

अब प्रीती अपनी दोनों चूचियों को पकड़ कर एक ब्लू फ़िल्म की अदाकारा की तरह उछल-उछल कर प्रशाँत को चोद रही थी। जैसे ही वो ऊपर की और उठती तो उसकी चूत थोड़ा सुकड़ जाती और जब वो जोर से उसके लंड पे बैठती तो चूत खुल कर लंड को अपने में समेट लेती। दोनों उत्तेजना में भर चुके थे, प्रशाँत के हाथ उसकी कमर पर थे और धक्के लगाने में सहायता कर रहे थे।

उनके शरीर की अकड़न देख कर मैं समझ गया कि दोनों का पानी छूटने वाला है। इतने में प्रशाँत ने प्रीती को रुकने के लिये कहा। प्रीती रुक गयी। प्रशाँत ने उसे खींच कर अपनी छाती पे लिटा लिया। प्रीती अब प्रशाँत की छाती पर पीठ के बल लेती थी। प्रशाँत ने प्रीती की टाँगों को सीधा कर के फैला दिया जिससे उसका लंड चूत में घुसा हुआ साफ दिखायी दे रहा था।

“राज आकर अपनी बीवी की चूत को चूसकर उसका पानी क्यों नहीं छुड़ा देते?” कहकर प्रशाँत ने प्रीती की चूत को अपने हाथों से और फैला दिया। मैं अपने आपको रोक ना सका और उछल कर उन दोनों की टाँगों के बीच आ अपना मुँह प्रीती की चूत पे रख दिया। मैं जोर-जोर से उसकी चूत को चूस रहा था और चाट रहा था। मेरी जीभ की घर्षण ने दोनों के बदन में आग लगा दी।

थोड़ी देर में प्रशाँत ने अपने चूत्तड़ ऊपर की और उठाये जैसे कि अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक समाना चाहता हो। मैं समझ गया कि उसका पानी छूटने वाला है। प्रीती ने भी अपनी चूत का दबाव प्रशाँत के लंड पर बढ़ा कर अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत ने भी प्रीती की कमर को जोर से पकड़ अपने वीर्य को उसकी चूत में उड़ेल दिया।

मैं प्रीती की चूत जोर से चूसे जा रहा था और साथ ही साथ अपने लंड को रगड़ रहा था। जब प्रशाँत के लंड ने अपना सारा पानी प्रीती की चूत में छोड़ दिया तो प्रशाँत ने प्रीती को अपने से नीचे उतार दिया और मेरी तरफ़ देखते हुए कहा, “राज अब तुम प्रीती को चोदो।”

प्रीती मेरे सामने अपनी टाँगें फ़ैलाये लेटी थी। उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी और साथ ही मुझे उसकी चूत से टपकता प्रशाँत का वीर्य साफ दिखायी दे रहा था। दूसरे के वीर्य से भीगी अपनी बीवी की चूत में लंड डालने का मेरा कोई इरादा नहीं था। जब प्रशाँत ने मुझे हिचकिचाते हुए देखा तो इशारे से मुझे शर्त याद दिलायी।

मेरे पास कोई चारा नहीं था, इसलिए मैं प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और एक ही धक्के में अपने खड़े लंड को उसकी चूत में जड़ तक समा दिया। मैंने देखा कि मेरा लंड प्रशाँत के वीर्य से लिथड़ा हुआ प्रीती की चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

प्रीती ने अपनी उखड़ी साँसों को संभाल कर अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर मुस्कुरा दी। फिर उसने पलट कर प्रशाँत की और देखा। प्रशाँत उसकी और बढ़ कर उसके होंठों को चूसने लगा। मैं अपनी बीवी को कस के चोदे जा रहा था और वो दूसरे मर्द के होंठों का रसपान कर रही थी। प्रशाँत अब नीचे की और बढ़ कर उसकी एक चूँची को मुँह मे ले चूस रहा था।

इतने में प्रशाँत झटके से उठा, “तुम दोनों मज़ा करो,” कहकर वो अपने कपड़े पहन वहाँ से चला गया। मैंने प्रीती की और देखा तो उसने अपनी टाँगें मोड़ कर अपनी छाती पर रख लीं और अपनी अँगुली मुँह में गीली कर के अपनी चूत में घुसा दी।

मैं और तेजी से उसे चोदने लगा और वो अपनी अँगुली से खुद को चोद रही थी। मुझे पता था कि थोड़ी ही देर में उसकी चूत फिर पानी छोड़ देगी और मेरा लंड उसकी चूत में पानी छोड़ देगा। थोड़ी ही देर में हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा और प्रीती ने अपनी नसों के खींचाव से मेरे लंड को पूरा भींच लिया। उसकी चूत ने इतनी जोरों का पानी छोड़ा कि मुझे ऐसा लगा कि मेरे लंड पर कोई बाँध खुल गया है। मैंने भी उसे जोरों से भींचते हुए अपना वीर्य उगल दिया।

हम दोनों आपस में शर्त तो लगा चुके थे, पर इस शर्त की हद कहाँ तक हमें ले जायेगी, ये मुझे कुछ दिनों के बाद पता चला। मैंने और प्रीती ने प्रशाँत और बबीता का अपने दोस्तों से परिचय कराने के लिए एक छोटी सी पार्टी रखी थी।

मैंने सोच लिया था कि मैं बबीता को वो सब करने को कहुँगा जो वो नहीं करना चाहती। अगर उसने ना कहा तो मैं शर्त जीत जाऊँगा। पार्टी के दिन मैं ऑफिस में यही सोचता रहा और शाम तक मैंने सब कुछ सोच लिया था कि मुझे क्या करना है।

बबीता के खयालों में खोया हुआ जब मैं शाम को घर पहुँचा तो मेरा लंड पूरा खंबे के जैसे तना हुआ था। प्रीती ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला और मुझे बांहों मे भर कर चूम लिया। मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था। प्रीती ने दरवाज़ा बंद किया और घुटनों के बल बैठते हुए मेरी पैंट के बटन खोलने लगी।

मैं दीवार का सहारा ले कर खड़ा हो गया और प्रीती मेरे लंड को बाहर निकल चूसने लगी। वो मुझे जोर-जोर से चूस रही थी और मैं उसके बालों को पकड़ अपने लंड पर उसके मुँह को दबा रहा था। थोड़ी देर में मेरे लंड ने उसके मुँह में वीर्य छोड़ दिया जिसे वो सारा गटक गयी।

अपने होंठों पे लगे मेरे वीर्य को अपनी जीभ से साफ करते हुए वो बोली, “राज जानते हो आज मैं बाज़ार से क्या लेकर आयी हूँ?” इतना कह वो मुझे घसीट कर बेडरूम मे ले गयी। बेडरूम मे पहुँच कर मैंने देखा कि बिस्तर पर एक बहुत ही काले रंग का नौ इंच लंबा और तीन इंच मोटा डिल्डो पड़ा था।

प्रीती ने बताया कि वो ये डिल्डो बबीता के साथ बाज़ार से लायी है। ये बेटरी से चलता है। प्रीती इसे आजमाना चाहती थी। मैंने दराज से बेटरी निकाल कर उसमें लगा दी। प्रीती बिस्तर पर लेट गयी और अपने गाऊन को कमर तक उठा दिया और अपनी चूत को फैला दिया।

मैंने देखा की कई दिनों से प्रीती ने पैंटी पहनना छोड़ दिया था। “मैं चाहती हूँ कि तुम इसे मेरी चूत में डालकर मुझे इससे चोदो,” कहकर प्रीती ने डिल्डो मेरे हाथों में पकड़ा दिया। मैंने पहले उसकी सफ़ाचट चूत को चूमा और फिर डिल्डो को उसकी चूत के मुहाने पे रख दिया। डिल्डो मेरे लंड से भी मोटा था और मैं सोच रहा था कि वो प्रीती की चूत में कहाँ तक जायेगा।

मैंने डिल्डो उसकी चूत पे रखा और अंदर घुसाने लगा। प्रीती अपनी टाँगें हवा में उठाय हुए थी। थोड़ी देर में ही पूरा डिल्डो उसकी चूत में घुस गया और मैंने उसका का स्विच ऑन कर दिया। अब वो प्रीती को मज़े दे रहा था और उसके मुँह से सिस्करी निकल रही थी, “ओहहहहहहह आआआआआहहहहहह।”

इतने में ही फोन की घंटी बजी। प्रीती झट से बिस्तर पर से उठ कर फोन सुनने लगी। फोन पर उसकी फ्रेंड थी जो थोड़ी देर में हमारे घर आ रही थी। प्रीती ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और डिल्डो को बेड के साईड ड्रावर (दराज) में रख दिया। दरवाज़े की घंटी बजी और प्रीती अपनी फ्रेंड को रिसीव करने चली गयी।

मैंने भी रात के कार्यक्रम को अंजाम देने की लिए बबीता का फोन मिलाया। उसने पहली घंटी पर ही फोन उठाया और हँसते हुए पूछा, “प्रीती को अपना नया खिलोना कैसा लगा?” मैंने उसकी बातों को नज़र-अंदाज़ कर दिया। मैंने उसे बताया कि उसे रात की पार्टी में टाईट काले रंग की ड्रेस पहन कर आनी थी और उसे नीचे कुछ भी नहीं पहनना था। ना ही किसी तरह की ब्रा और न ही पैंटी। और साथ ही सैंडल भी एक दम हाई हील की होनी चाहिए। उसने बताया कि ऐसी ही एक ड्रेस उसके पास है। बबीता ने पूछा कि उनके कुछ दोस्त उनके साथ रहने के लिये आ रहे हैं तो क्या वो उन्हें साथ में पार्टी में ल सकती है। मैंने उसे हाँ कर दी।

सबसे पहले पहुँचने वालों में प्रशाँत और बबीता ही थे। वे करीब सात बजे पहुँच गये थे। उनके साथ उनके दोस्त अविनाश और मिनी थे। दोनों की जोड़ी खूब जंच रही थी। अविनाश जिसे सब प्यार से अवी कहते थे, थ्री पीस सूट में काफी हेंडसम लग रहा था। और मिनी का तो कहना ही क्या; उसने काले रंग की डीप-कट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनों तक आ रही थी। गोरा रंग, पतली कमर, सुडौल टाँगें और पैरों में चमचमाते हुए काले रंग के स्ट्रैपी हाई हील के सैंडल। मिनी काफी सुंदर दिखायी दे रहे।

पर बबीता को देख कर तो मेरी साँसें ऊपर की ऊपर रह गयी। जैसे मैंने कहा था उसने लो-कट की काले कलर की टाईट ड्रेस पहन रखी थी। और वो मिनी की ड्रेस से भी छोटी थी। उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर की और तक। ड्रेस इतनी छोटी थी कि बिना ड्रेस को ऊपर किये उसकी साफ और चिकनी चूत दिखायी दे सकती थी। पता नहीं बबीता ने कैसे हिम्मत की होगी बिना ब्रा और पैंटी के ये ड्रेस पहनने की।

प्रीती भी अपनी लाल ड्रेस ओर मैचिंग लाल सैंडलों में थी जो उसने इसी पार्टी के लिये नयी खरीदी थी। सबका परिचय कराने के बद मैं अपने काम में जुट गया। मैं बबीता को इशारा कर के बार काऊँटर की और बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा। जब मैं ड्रिंक्स बना रहा था तब बबीता ने मेरे पीछे आ कर मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मैंने उसे करने को कहा था।

वो मेरे सामने आकर अपनी टाँगें थोड़ी फैला कर खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है। मैंने जान बूझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे जमीन पर गिरा दिया। जैसे ही मैं वो ओपनर उठाने को नीचे झुका तो बबीता ने अपनी ड्रेस उठा कर अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया। उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तन्ना दिया। मैंने थोड़ा सा आगे बढ़ कर हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया। अच्छा हुआ मेरी इस हर्कत को कमरे में बैठे लोगों ने नहीं देखा।

धीरे-धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे। बबीता मेरे साथ मेरे पीछे खड़ी मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी। बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता मैं उसके चूत्तड़ और उसकी गाँड पे हाथ फिरा देता। एक बार जब हमारी तरफ़ कोई नहीं देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, “राज मेरी चूत को अपनी अँगुली से चोदो ना।”

मेरा लंड मेरी पैंट में एक दम तन चुका था। अब मैं उसकी गर्मी शाँत करना चाहता था। पहले प्रीती को उसके नये डिल्डो के साथ और अब पिछले तीस मिनट बबीता के साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था।

मैंने प्रीती के तरफ़ देखा। वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी। प्रशाँत भी प्रीती के खयालों में खोया हुआ था। ये उप्युक्त समय था बबीता को गेस्ट रूम में ले जाकर चोदने का। मैंने बबीता से कहा, “तुम गेस्ट रूम मे चलो... मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ।”

बबीता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की और बढ़ गयी। मगर मेरा इरादा केवल बबीता को चोदने का नहीं था बल्कि मैं चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशाँत अपनी आँखों से देखे। मैं उसके पास गया और उसे साईड मे ले जाकर उससे कहा, “प्रशाँत आज मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा और मैं चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो। ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देखो, मैंने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए हैं।” इतना कहकर मैं गेस्ट रूम की तरफ़ बढ़ गया।

मैं कमरे मे पहुँचा तो बबीता मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसे बांहों मे भर कर उसके होंठों को चूमने लगा। मैंने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, “बबीता अपनी ड्रेस उतार दो।”

बबीता ने अपनी ड्रेस उतार दी। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। अब वो सिर्फ काले रंग के हाई हील के सैंडल पहने नंगी खड़ी मेरी और देख रही थी। बबीता उन सैंडलों में नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, “बबीता आज मैं तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ।”

मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और बोली, “राज मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ। तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो।”

बबीता अब घुटनों के बल बैठ कर मेरी पैंट के बटन खोलने लगी। बटन खुलते ही मेरा लंड फुँकार मार कर बाहर निकल आया। बबीता बड़े प्यार से उसे अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो इतने प्यार से चूस रही थी जैसे वो मेरे लंड को अपनी गाँड के लिये तैयार कर रही हो।

मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी किसी औरत की गाँड नहीं मारी थी। मैंने कई बार प्रीती को इसके लिए कहा पर हर बार उसने साफ़ मना कर दिया। एक बार मेरी काफी जिद करने पर वो तैयार हो गयी। पर मेरी किस्मत, जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया, वो दर्द के मारे इतनी जोर की चींखी, कि घबरा कर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। उसके बाद मैंने दोबारा कभी इस बात की हिम्मत नहीं की।

मगर आज लग रहा था कि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाली है। मैंने बिना समय बिताय अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और बबीता से कहा, “बबिता अब तुम मेरे लंड को अपनी गाँड के लिए तैयार करो?”

वो खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बाथरूम की तरफ़ घसीटने लगी, “राज तुम्हारे पास कोई क्रीम है?”

बाथरूम में पहुँच कर मैंने स्टैंड पर से वेसलीन की शीशी उठा कर उसे दे दी। मैंने सब तैयारी कल शाम को ही कर ली थी। बबीता मुस्कुराते हुए शीशी में से थोड़ी क्रीम ले कर मेरे लंड पर मसलने लगी। मेरे लंड को मसलते हुए वो मेरे सामने खड़ी बड़ी कामुक मुस्कान के साथ मुझे देखे जा रही थी।

बबीता शायद समझ चुकी थी कि मैंने अपनी ज़िंदगी मे कभी किसी की गाँड नहीं मारी है। उसने हँसते हुए मुझे बताया कि गाँड मरवाने में उसे बहुत मज़ा आता है। उसने बताया कि प्रशाँत भी अक्सर उसकी गाँड मारता रहता है।

जब मेरा लंड क्रीम से पूरा चिकना हो चुका था तो वो क्रीम की शीशी मुझे पकड़ा कर घूम कर खड़ी हो गयी। शीशे के नीचे लगे शेल्फ को पकड़ वो नीचे झुक गयी और अपनी गाँड मेरे सामने कर दी।

बबीता ने शीशे में से मेरी और देखते हुए अपने टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी गाँड और खुल गयी। बबीता मेरी और देखते हुए बोली, “राज अब इस क्रीम को मेरी गाँड पर अच्छी तरह चुपड़ कर मेरी गाँड को भी चिकना कर दो?”

मैंने थोड़ी सी क्रीम अपनी अँगुलियों पे ली और उसकी गाँड पे मलने लगा। जैसे ही मेरी अँगुलियों ने उसकी गाँड को छुआ, उसने एक मादक सिस्करी लेते हुए अपने सर को अपने हाथों पे रख दिया, “राज अब तुम अपनी एक अँगुली मेरी गाँड मे डाल दो और उसे गोल-गोल घुमाओ।”

मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड मे डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगा। थोड़ी देर बाद उसने कहा, “अब तुम थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली पे ले कर अपनी दो अँगुलियाँ मेरी गाँड में डाल कर अंदर बाहर करने लगो।”

उसने जैसा कहा, मैंने वैस ही किया। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, एक तो किसी की बीवी की गाँड मारने का मौका और ऊपर से वो ही मुझे सिखा रही थी कि गाँड कैसे मारी जाती है। काश प्रशाँत ये सब देख पता कि कैसे मेरी दो अँगुलियाँ उसकी बीवी की गाँड में अंदर बाहर हो रही थी।

थोड़ी देर बाद जब उसकी गाँड पूरी तरह से चिकनी हो गयी तो वो बोली, “राज अब तुम मेरी गाँड मार सकते हो, ये तुम्हारे लौड़े के लिए पूरी तरह से तैयार है।”

मैंने उसे सीधा किया और अपनी गोद मे उठा कर उसे बिस्तर पे ले आया। मैंने कनखियों से खिड़की की तरफ़ देखा तो मुझे प्रशाँत की परछाईं दिखायी दी। मैंने बबीता को इस अंदाज़ में घुटनों के बल बिस्तर पर लिटाया कि उसकी गाँड खिड़की की तरफ़ हो और प्रशाँत को सब कुछ साफ नज़र आये।

बबीता बिस्तर पर पूरी तरह अपनी छातियों के बल लेट गयी जिससे उसकी गाँड और ऊपर को उठ गयी थी। मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपना खड़ा लंड उसकी गाँड के गुलाबी छेद पे रख थोड़ा सा अंदर घुसा दिया।

जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद में घुसा, उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ी, “ऊऊऊऊऊईईईईईईई मर गयीईईईईई”

बबीता ने अपने दोनों हाथ पीछे कर के अपने चूत्तड़ पकड़ कर अपनी गाँड को और फैला लिया। उसकी गाँड और मेरा लंड पूरी तरह से क्रीम से लथे हुए थे। मैंने उसके चूत्तड़ को पकड़ कर अपने लंड को और अंदर घुसाया, पर उसकी गाँड इतनी कसी हुई थी कि मुझे अंदर घुसाने में तकलीफ़ हो रही थी।

बबीता ने अपने चूत्तड़ और फैला दिए, “राज थोड़ा धीरे और प्यार से घुसाओ।”

मैंने अपने लंड को बड़े धीरे से उसकी गाँड में घुसाया तो मुझे लगा कि उसकी गाँड के दीवारें और खुल रही हैं और मेरे लंड के लिए जगह बन रही है। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उसकी गाँड मे लंड नहीं डाल रहा हूँ बल्कि उसकी गाँड मेरे लंड को निगल रही है। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गाँड मे समाया हुआ था।
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अब मैं अपने लंड को उसकी गाँड में धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रहा था। मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपाड़ा अंदर रहता तो एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड मे पेल देता।

बबीता भी अपने चूत्तड़ों को पीछे की और धकेल कर मज़ा ले रही थी, “हाँआआआ राज डाल दो अपने लंड को मेरी गाँड में.... फाड़ दो इसे... लगाओ जोर के धक्के...।”

मुझे भी जोश आता जा रहा था। मैंने बबीता के कंधों को पकड़ कर उसे अपने से और चिपटा लिया। अब मेरा लंड और भी गहराइयों तक उसकी गाँड में जा रहा था। मैं जैसे ही अपना लंड और घुसाता, वो अपने को और मेरी बदन से चिपका लेती। मैं इसी अवस्था में अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था कि मैंने उसके हाथों को अपने आँडकोश पे महसूस किया। वो धीरे-धीरे मेरे गोलों को सहला रही थी। उसके हाथों की गर्मी मुझमें और उत्तेजना भर रही थी।

मेरा लंड अब तेजी से उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहा था। मुझे मालूम था कि मेरा छूटने का समय नज़दीक आता जा रहा है। पर शायद उसका पानी नहीं छूटने वाला था, वो अपना हाथ मेरे अँडों पे से हटा कर अपनी चूत को रगड़ने लगी। मैं और जोर से धक्के मार रहा था।

जब उसका छूटने का समय नज़दीक आया तो वो अपनी दो अँगुलियाँ अपनी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने लगी और चींखने लगी, “हाँ मारो मेरी गाँड को... और जोर से... राज छोड़ दो अपना पूरा पानी मेरी गाँड में...।”

मैं जोर से उसकी गाँड मे अपना लंड पेले जा रहा था। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। जब मेरा लंड उसकी गाँड से निकलता तो उसका छेद सिकुड़ जाता और जब मैं अंदर पेलता तो और खुल जाता। मैं जोर के धक्के लगा रहा था। लेखक राज अग्रवाल है!

मैंने महसूस किया कि उसका शरीर अकड़ रहा था और उसकी गाँड ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया था। मैं समझ गया कि उसका पानी छूट रहा है। मैंने जोर का धक्का लगाया और मेरे लंड ने भी अपने वीर्य की पिचकारी उसकी गाँड मे छोड़ दी। जैसे ही मेरा लंड वीर्य उगलता, मैं अपने लंड को और जड़ तक उसकी गाँड में समा देता।

मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि गाँड मारने में कितना मज़ा आता है। मैं बबीता की गाँड में अभी भी अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था। उसकी गाँड क्रीम और मेरे वीर्य से इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे अपना लंड जड़ तक घुसाने में कोई तकलीफ़ नहीं हो रही थी।

पर हमें नीचे पार्टी में भी शामिल होना था, इसलिए मैंने अपना लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड से निकालना शुरू किया। जब मेरा लंड उसकी गाँड से बाहर निकल आया तो बबीता ने घूम कर मुझे चूम लिया, “मैं जानती हूँ तुमने आज पहली बार किसी की गाँड मारी है और तुम्हें खूब मज़ा आया है। मुझे भी मज़ा आया है, आज के बद तुम जब चाहो मेरी गाँड मार सकते हो।”

बबीता के इन शब्दों ने जैसे मेरे मुर्झाये लंड में जान फूँक दी। मेरा लंड फ़िर से तन कर खड़ा हो गया। मैं समझ गया कि मुझे बबीता की गाँड मारने का और मौका भविष्य में मिलेगा।

मैंने और बबीता ने अपने आप को टॉवल से साफ़ किया और अपने कपड़े पहन लिए। मैं बबीता से पहले पार्टी में पहुँचा तो मेरा सामना प्रशाँत से हो गया, “लगता है तुम्हारे और बबीता में अच्छी खासी जमने लगी है। अब मेरा समय है कि मैं प्रीती के सैक्स ज्ञान को और आगे बढ़ाऊँ।”

प्रशाँत अब प्रीती को खोज रहा था। प्रीती कमरे के एक कोने में खड़ी अविनाश और मिनी से बातें कर रही थी। हकीकत में अविनाश बार स्टूल पे बैठा था और प्रीती उसके पास एक दम सट कर खड़ी थी। अविनाश के दोनों हाथ उसकी कमर पर थे।

मैंने देखा कि प्रशाँत प्रीती के पास गया और उसके कान में कुछ कहा। प्रीती उसकी बात सुनकर अविनाश से बोली, “सॉरी, मैं अभी आती हूँ।” यह कहकर वो गेस्ट रूम की और बढ़ गयी।

प्रशाँत मेरी तरफ़ आया और बोला, “अब तुम्हारी बारी है देखने की।” यह कहकर वो भी गेस्ट रूम की और बढ़ गया। एक बार तो मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ, फिर मैं भी उसके पीछे बढ़ गया। मैं भी देखना चाहता था कि वो मेरी बीवी के साथ क्या करता है।

प्रशाँत के जाते ही मैं भी उसके पीछे जा खिड़की के पीछे वहीं छिप गया जहाँ थोड़ी देर पहले प्रशाँत खड़ा था। प्रशाँत और प्रीती कमरे में पहुँच चुके थे, और प्रीती उसे अविनाश और मिनी के बारे में बता रही थी। प्रीती बता रही थी अविनाश कितना हँसमुख इन्सान था और वो उसे किस तरह के जोक्स सुना कर हँसा रहा था।

प्रशाँत ने प्रीती से पूछा, “क्या तुम्हें अविनाश अच्छा लगता है?”

“हाँ अविनाश एक अच्छा इंसान है और मिनी भी। दोनों काफी अच्छे हैं।” प्रीती ने जवाब दिया।

“नहीं सच बताओ क्या तुम अविनाश से चुदवाना चाहती हो, मुझे और बबीता को मालूम होना चाहिए। हम लोग पिछले साल भर से दोस्त हैं और तुम्हें नहीं मालूम कि अविनाश कितनी अच्छी चुदाई करता है,” प्रशाँत ने कहा।

प्रीती ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया पर वो इतना जरूर समझ गयी कि प्रशाँत और बबीता आपस में अविनाश और मिनी के साथ चुदाई करते हैं।

प्रीती ने प्रशाँत को बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। प्रशाँत ने भी उसे बांहों भर कर अपना एक हाथ उसकी ड्रेस के अंदर डाल दिया। “तो आज तुमने भी पैंटी नहीं पहन रखी है,” कहकर वो उसके चूत्तड़ सहलाने लगा।

हे भगवान! मैं बबीता में इतना खोया हुआ था कि मुझे इस बात का पता ही नहीं चला कि मेरी बीवी बिना पैंटी के इतनी देर से पार्टी में घूम रही है।

“तो तुम्हें तुम्हारा नया खिलोना कैसा लगा। बबीता के पास भी वैसा ही खिलोना है, और उसे बहुत पसंद है। क्या तुम उसे ट्राई कर चुकी हो?” प्रशाँत ने उसके कुल्हों को भींचते हुए कहा।

“कुछ खास अच्छी तरह से नहीं।” प्रीती ने जवाब दिया। प्रशाँत ने उसे अपना नया डिल्डो लाने को कहा। प्रीती ने अपने बेडरूम से डिल्डो लाकर प्रशाँत को पकड़ा दिया।

प्रशाँत ने प्रीती को कमरे में रखी एक अराम कुर्सी पर बिठा दिया। प्रशाँत अब जोरों से उसे चूमने लगा। मैंने देखा कि उसका एक हाथ बबीता की टाँगों को सहलाते हुए अब उसकी जाँघों पर रेंग रहा था। फिर उसने उसकी दोनों टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल कर नज़र आने लगी।

मेरी बीवी कुर्सी पर और पसर गयी और अपने टाँगें और फैला दीं जिससे प्रशाँत को आसानी हो सके। प्रशाँत ने उसकी टाँगों को ऊपर उठा कर कुर्सी के हथे पे रख दिया। जैसे ही प्रशाँत ने अपना मुँह उसकी चूत का स्वाद लेने के लिए बढ़ाया, प्रीती उसकी और कामुक नज़रों से देखने लगी।

कुर्सी ठीक खिड़की के बगल में थी। इसलिए मुझे अंदर का नज़ारा साफ दिखायी पड़ रहा था कि, किस तरह प्रशाँत मेरी बीवी की चूत को चाट रहा था। प्रशाँत चूत चाटने में माहिर था और थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिस्करी गूँजने लगी।

प्रशाँत ने अब अपनी दो अँगुलियाँ अपनी जीभ के साथ प्रीती की चूत मे डाल दी, और अंदर बाहर करने लगा। करीब पंद्रह मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद प्रशाँत उठा और डिल्डो को ले आया और उसका बटन ऑन करके उसे चालू कर दिया।

मेरी बीवी कुर्सी पर पसरी हुई कामुक नज़रों से प्रशाँत को देख रही थी। वो जानती थी कि एक दूसरा मर्द अब उसकी चूत में एक खिलौने को डालने वाला है। प्रशाँत घुटनों के बल बैठ कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और उसकी गीली हो चुकी चूत में डिल्डो को डालने लगा। उसने धीरे-धीरे डिल्डो अंदर घुसाया और अब वो प्लास्टिक का खिलौना प्रीती की चूत में पूरा घुस चुका था।

डिल्डो की हर्कत का असर मेरी बीवी के चेहरे पे साफ दिखायी दे रहा था, वो अपनी टाँगों को पूरा भींच कर डिल्डो का मज़ा लेने लगी। मेरा लंड भी ये सब देख एक बार फ़िर तन चुका था, जबकि बीस मिनट पहले ही मैं बबीता की गाँड में झड़ कर अलग हुआ था।

प्रशाँत अब खड़ा होकर अपनी पैंट के बटन खोलने लगा। उसने प्रीती के चेहरे के पास आकर अपना एक घुटना कुर्सी के हथे पे रख दिया। उसका लंड प्रीती के चेहरे पे झटके मार रहा था। प्रीती ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ़ देखा और अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर ले लिया।

“प्रीती मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड ठीक उसी तरह चूसो जैसे तुमने पहली बार चूसा था। एक हाथ से मेरे लंड को चूसो और दूसरे हाथ से मेरी गोलाइयों को सहलाओ। सच में बहुत मज़ा आया था जब तुमने ऐसा किया था!” प्रीती वैसे ही उसके लंड को जोरों से चूस रही थी। दोनों की गहरी होती साँसें और बदन की हर्कत बता रही थी कि दोनों ही छूटने के करीब हैं। लेखक राज अग्रवाल है!

एक तो प्रीती की चूत में डिल्डो की हर्कत, ऊपर से प्रशाँत का लंड। प्रीती उत्तेजित हो कर प्रशाँत के लंड को अपने गले में ले कर चूस रही थी। प्रशाँत भी उसके मुँह में लंड पूरा अंदर डाल कर चोद रहा था। अचानक बिना बताये प्रशाँत ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अपना पानी प्रीती की चूचियों पर और चेहरे पे छोड़ दिया।

मैं तीन फ़ुट की दूरी पर खड़ा देख रहा था कि आपत्ति जताने की बजाये प्रीती उसके पानी को अपने पूरे चेहरे पे रगड़ने लगी। फिर उसके रस से भरी अपनी अँगुलियों को चाटने लगी। उसकी हर्कत ने मेरे लंड में जोश भर दिया और मैं अपने लंड को पैंट के ऊपर से रगड़ने लगा।

जब प्रशाँत का पूरा वीर्य झड़ गया तो वो उठ कर खड़ा हो गया। प्रीती अब भी कुर्सी पर लेटी हुई डिल्डो का मज़ा ले रही थी। प्रशाँत ने प्रीती का हाथ पकड़ कर उसे उठाया और बाथरूम मे ले गया। मैंने देखा कि वो एक दूसरे को साफ कर रहे थे। बाथरूम से बाहर आकर प्रशाँत ने अपने कपड़े ठीक किए पर जब प्रीती अपनी ड्रेस देखने लगी तो पाया कि प्रशाँत के वीर्य के धब्बे उसकी ड्रेस पर भी गिर पड़े थे।

प्रीती को उदास देख प्रशाँत ने कहा, “डीयर उदास नहीं होते, ऐसा करो जो उस रात तुमने ड्रेस पहनी थी वही पहन लो, तुम पर वो ड्रेस खूब जँच रही थी।”

प्रीती बेडरूम में गयी और अपनी टाईट जींस और टॉप लेकर आ गयी। प्रशाँत ने उसे बांहों में भर लिया और फिर प्रीती को ले जाकर उसी कुर्सी के पास खड़ा कर दिया।

प्रशाँत कुर्सी पर बैठ गया और मेरी बीवी उसके सामने नंगी खड़ी थी। उसकी चूत एक दम फुली हुई लग रही थी क्योंकि वो डिल्डो अभी भी उसकी चूत में घुसा हुआ था। जैसे ही प्रीती ने वो डिल्डो बाहर निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो प्रशाँत बोला, “तुम्हें इसे बाहर निकालने की इजाजत किसने दी?” अब ये साफ हो गया था प्रशाँत चाहता था कि वो डिल्डो उसकी चूत मे ही घुसा रहे।

प्रशाँत ने अब उसकी जींस अपने हाथों मे ले ली। उसके बदन को सहलाते हुए वो उसे जींस पहनाने लगा। प्रीती ने भी अदा से पहले अपनी एक टाँग उसमें डाली और फिर दूसरी। इसी दौरान एक बार डिल्डो उसकी चूत से फिसलने लगा तो प्रशाँत ने वापस उसे पूरा अंदर घुसा दिया।

प्रीती ने अपनी टाईट जींस का ज़िपर खींचा और उसके बाद बटन बंद करने लगी। पर उसको काफी तकलीफ हुई क्योंकि डिल्डो जो उसकी चूत मे घुसा हुआ था। उसने अपना लाल टॉप भी पहन लिया। इतनी टाईट जींस में वो बहुत सैक्सी लग रही थी। फिर प्रीती ने अपने लाल सैंडल उतार कर दूसरे काले रंग के हाई हील के सैंडल पहन लिए। प्रशाँत और प्रीती पार्टी में जाने को तैयार हो गये।

मैं भी खिड़की से हटा और हाल में आ गया। शराब और शबाब जोरों से चल रही थी। किसी ने ध्यान नहीं दिया कि तीन लोग इतनी देर पार्टी से गायब थे। मैं बबीता के पास आ गया जो अविनाश और मिनी के साथ बातें कर रही थी। जैसे ही प्रशाँत और प्रीती हाल में आये, मैं अपने आपको प्रीती की चूत की तरफ़ देखने से नहीं रोक पाया। सिर्फ़ मैं जानता था कि उसकी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ है। उसकी जींस उस जगह से थोड़ी उठी हुई थी, ये मुझे साफ दिखायी पड़ रहा था। पता नहीं आगे और किस किस का ध्यान इस बात की और जाता है।

प्रीती मेरे पास आयी और गले में बांहें डाल कर मेरे होंठों को चूम लिया। ऐसा वो सबके सामने करती नहीं थी पर शायद एक तो चूत में डिल्डो और दूसरा उसकी चूत ने अभी तक पानी नहीं छोड़ा था इसलिए उसके शरीर में उत्तेजना भरी हुई थी। फिर उसने प्रशाँत के साथ गेस्ट रूम में जाने से पहले शराब भी पी थी जिसके सुरूर उसकी मदहोश आँखों में साफ-साफ दिख रहा था। मैंने अंजान बनते हुए प्रीती से पूछा, “तुमने कपड़े क्यों बदल लिए?”

“बस कपड़ों पर कुछ गिर गया था।” प्रीती ने जवाब दिया। कम से कम वो झूठ तो नहीं बोल रही थी। इतने में प्रशाँत ने मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देखा। उसकी आँखों मे एक शैतानी चमक थी। मैं समझ गया कि आज रात बहुत कुछ होने वाला है।

करीब एक घंटे तक प्रीती इस तरह पार्टी में चारों तरफ़ घूमती रही जैसे कुछ हुआ ही ना हो। चूत मे डिल्डो लिए एक अच्छे मेहमान नवाज़ की तरह सब से मिल रही थी। सबको ड्रिंक, स्नैक्स सर्व कर रही थी। मुझे पता थी कि उसकी चूत में आग लगी हुई है और वो कभी भी पानी छोड़ सकती है।

इतने में बबीता मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ डाँस करने के लिए ले आयी। हम हाल के एक कोने में डाँस कर रहे थे जहाँ ज्यादा लोग हमारे पास नहीं थे। मैंने मौके का फ़ायदा उठा कर अपना हाथ उसकी ड्रेस में डाल दिया और उसकी चूत से खेलने लगा। बबीता ने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा, “राज मैं जानती हूँ कि प्रशाँत ने प्रीती के साथ क्या किया है। ये उसका पुराना खेल है। वो प्रीती की ऐसी हालत कर देगा कि वो अपनी चूत का पानी छुड़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जायेगी। पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में क्या शरारत भरी हुई है। लेखक राज अग्रवाल है!

इतने में अविनाश ने मेरी बीवी से डाँस करने के लिए कहा। प्रीती ने प्रशाँत की और देखा और प्रशाँत ने आँख से इशारा करते हुए उसे जाने को कहा। मैंने देखा कि प्रीती का बदन मारे उत्तेजना के काँप रहा था। वो बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोक रही थी।

इतने में मिनी ने भी मुझे डाँस करने के लिए कहा। मैं समझ गया कि ये इशारा प्रशाँत ने उसे किया है। अब हम चारों अविनाश के पास आकर डाँस करने लगे। मैं समझ गया कि प्रशाँत के मन में सामुहिक चुदाई का प्रोग्राम है। मिनी इतनी सैक्सी और गरम थी कि मैंने उसे चोदने का पक्का मन बना लिया था, पर मुझे प्रीती का नहीं पता था कि वो अविनाश से चुदवायेगी कि नहीं।

पर मुझे इसकी चिंता नहीं थी। मुझे पता था कि प्रीती की चूत में इतनी देर से डिल्डो होने की वजह से उसकी चूत की हालत खराब हो चुकी होगी। प्रीती अपनी चूत का पानी छोड़ने के लिए अब किसी घोड़े से भी चुदवा सकती है।

मिनी ने मेरी तरफ़ कामुक निगाह से देखा और कहा, “राज आज तक मैं प्रशाँत जैसे मर्द से नहीं मिली। वो चुदाई की कलाओं में इतना माहिर है कि वो किसी औरत को किसी भी मर्द से चुदवाने को उक्सा सकता है।” मैं समझ गया कि वो प्रीती की बात कर रही है।

हम चार जने ही फ़्लोर पर डाँस कर रहे थे। मिनी ने धीरे से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत को छुआ, मैं चौंक कर उछाल पड़ा। उसकी भी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ था।

“ये ठीक वैसा ही है जैसा तुम्हारी बीवी की चूत में घुसा हुआ है।” उसने मेरे हाथों का दबाव अपनी चूत पे बढ़ाते हुए कहा। मैं समझ गया कि ये सब प्रशाँत का काम है। उसने दो औरतों को इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो चुदाने के लिए कुछ भी कर सकती थीं।

नाचते हुए मैंने प्रीती और अविनाश की और देखा। अविनाश का एक हाथ मेरी बीवी की चूत पर था और वो उस डिल्डो को और अंदर तक उसकी चूत में घुसा रहा था। फिर मैंने देखा कि प्रीती उसका हाथ पकड़ कर उसे हाल के बाहर ले जा रही है। मैं सोच रहा था कि पता नहीं अब आगे क्या होने वाला है? मैं भी मिनी को अपने साथ ले उनके पीछे चल दिया।

प्रीती और अविनाश कमरे में पहुँचे और उनके पीछे-पीछे प्रशाँत और बबीता और फिर मैं और मिनी भी कमरे में आ गये। अब ये बात सब पे खुलासा हो चुकी थी कि आज सब एक दूसरे की चुदाई करेंगे।

मिनी मेरे पास आकर मुझसे सट कर खड़ी हो गयी। उसकी आँखों में भी उत्तेजना के भाव थे। लगता था कि प्रशाँत ने उसे भी डिल्डो को छूने की मनाई की हुई थी। बेटरी पे चलता डिल्डो उसकी चूत में आग लगाये हुए था। पता नहीं प्रशाँत ने क्या जादू इन दोनों पे किया हुआ था।

प्रशाँत ने भी शायद उनकी आँखों में छिपी वेदना को पढ़ लिया था, “तुम दोनों चिंता मत करो, आज तुम दोनों की चूत से पानी की ऐसे बौछार छुटेगी जैसे इस कमरे में बाढ़ आ गयी हो। आज तुम को चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम दोनों जीवन भर याद करोगी।”

“लेकिन प्रीती की पहली बारी है, क्योंकि आज की दावत उसकी तरफ़ से थी। लेकिन ये बाद में... पहले मैं चाहता हूँ कि प्रीती अपने काबिल-ए-तारीफ़ मुँह से अविनाश के लंड से एक एक बूँद पानी निचोड़ ले। लेकिन वो अपनी जींस नहीं उतारेगी और ना ही अपनी चूत पर हाथ रख सकेगी। अगर अविनाश ने इसके काम की तारीफ़ की तो मैं इस विषय पर सोचूँगा। राज और मिनी खड़े होकर इनहें देख सकते हैं लेकिन यही बात मिनी पर भी लागू होती है। तब तक मैं और बबीता मेहमानों का खयाल रखेंगे। जब अविनाश का काम हो जाये तो राज मेरे पास आकर, आगे क्या करना है, पूछ सकता है।” इतना कहकर प्रशाँत और बबीता वापस हाल में चले गये।

प्रीती अविनाश का हाथ पकड़ कर उसे गेस्ट बेडरूम मे ले गयी। मुझे विश्वास नहीं आ रहा था कि थोड़े दिन पहले तक जिस औरत ने शादी के बाद सिवाय मेरे किसी से नहीं चुदवाया था... आज वो फिर एक गैर मर्द का लंड चूसने जा रही है।

मैंने मुड़ कर मिनी की तरफ़ देखा। उसकी भी हालत खराब थी। मिनी भी रूम की तरफ़ बढ़ी तो मैं उसके चूत्तड़ को देखने लगा। कितने गोल और भरे हुए थे। मैं जानता था कि उसकी चूत में डिल्डो होने की वजह से वो अपनी टाँगें सिकोड़ कर चल रही थी।

जैसे ही हम रूम में पहुँचे मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया। प्रीती उत्तेजना में इतनी पागल थी कि बिना समय बिताये वो घुटनों के बल बैठ कर अविनाश की जींस के बटन खोलने लगी। वो जानती थी कि जितनी जल्दी वो अविनाश का लंड चूस कर उसका पानी छुड़ायेगी, उतनी जल्दी ही उसकी चूत को पानी छोड़ने का मौका मिलेगा।

प्रीती ने जल्दी-जल्दी अविनाश की जींस के बटन खोले और उसकी जींस और अंडरवियर को नीचे खिसका दिया। जैसे कोई साँप बिल के बाहर आ गया हो, उस तरह उसका दस इंची लंड जो कि तीन इंच मोटा होगा, फुँकार कर खड़ा हो गया। प्रीती उस विशालकाय लंड को अपने हाथों में ले कर सहलाने लगी।

पर देखने लायक तो उसके लंड की दो गोलाइयाँ थीं जो टेनिस बॉल की तरह नीचे लटकी हुई थी। इतनी बड़ी और भरी हुई थी कि शायद पता नहीं कितना पानी उनमें भरा हुआ है। प्रीती अब उसके लंड को जोर से रगड़ रही थी। उसे पता था कि उसका पति और अविनाश की बीवी उसे देख रहे हैं।

मैं जानता था कि प्रीती के घुटनों के बल बैठते ही डिल्डो और अंदर तक उसकी चूत में घुस गया था। प्रीती ने अपनी जुबान बाहर निकाली और उसके लंड के सुपाड़े पे घुमाने लगी। मेरे और मिनी के शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी। मिनी मेरे गले में बाहें डाल कर मेरे होंठों को चूसने लगी। उसके जिस्म में फ़ैली आग और बदन से उठती खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैं भी उसे सहयोग देते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर घुमाने लगा।

मैं उसके होंठों और जीभ को चूस रहा था तो वो अपनी टाँगें फैला मुझसे बोली, “राज मेरे बदन को सहलाओ ना प्लीज़।” मैंने उसकी ड्रेस के सामने की ज़िप को नीचे कर दिया और उसकी चूचियों को बाहर निकाल लिया। उसके निप्पल इतने काले थे कि क्या बताऊँ। मैं उसकी एक चूँची को अपने हाथों मे पकड़ कर रगड़ने लगा और चूसने लगा। उसके शरीर की कंपन बता रही थी कि उसने अपने आप को मुझे सौंप दिया था लेकिन मैं उसकी चूत से नहीं खेल सकता था।

मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा और अपने हाथ के दबाव से डिल्डो को और अंदर की तरफ़ धकेल दिया। मैं उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चूमना चाहता था पर उसने मुझे रोक दिया, “राज नहीं शर्त का उसूल है कि तुम उसकी बात को टालोगे नहीं।”

मैंने घूम कर प्रीती की तरफ़ देखा कि वो क्या कर रही है। मैंने देखा कि प्रीती अपना मुँह खोले अविनाश के लंड को चूस रही है और एक हाथ से उसकी गोलियों को सहला रही है। इतने में ही प्रीती ने अपने मुँह को पूरा खोला और अविनाश के दस इंची लंड को पूरा अपने गले तक ले लिया। अब उसके होंठ अविनाश की झाँटों को छू रहे थे। प्रीती धीरे से अपने मुँह को पीछे की और करके उसके लंड को बाहर निकालती और फिर गप से पूरा लंड ले लेती।

प्रीती के दोनों छेदों में लंड घुसा हुआ था। असली दस इंची लंड उसके मुँह में और नकली प्लास्टिक का ग्यारह इंची उसकी चूत में।

प्रीती अब जोरों से अविनाश के लंड को चूस रही थी। मेरी और मिनी की आँखें इस दृश्य से हटाये नहीं हट रही थीं। इतने में मिनी भी घुटनों के बल बैठ कर मेरी जींस के बटन खोलने लगी। उसके घुटनों को बल बैठते ही डिल्डो उसकी चूत के अंदर तक समा गया और उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ी, “आआआआआआआआआहहहहहह”

मिनी ने मुझे घुमा कर इस अंदाज़ में खड़ा कर दिया कि मैं उसके पति के सामने खड़ा था। अब वो मेरा लंड अपने मुँह मे ले जोरों से चूस रही थी। दोनों औरतें अपनी चूत में डिल्डो फ़ँसाय किसी दूसरे मर्द का लंड चूस रही थीं। आज की शाम प्रीती के लिए अविनाश दूसरा मर्द था जिसक लंड वो चूस रही थी और मेरे लिए मिनी दूसरी औरत। एक की मैंने गाँड मारी थी और दूसरी अब मेरा लंड चूस रही थी।

मैंने देखा कि वो औरत मेरे लंड को चूस रही थी जिससे मैं चंद घंटे पहले ही मिला था, और मेरी बीवी उसके पति के लंड को चूस रही थी। दोनों औरतें एक दूसरे के पति के लंड को चूसे जा रही थी। धीरे-धीरे उनके चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी और इतने में अविनाश के मुँह से एक सिस्करी निकली, “हाँ..... ऐसे ही चूसो... चूसती जाओ...।”

मिनी ने अपने पति की सिस्करियाँ सुनीं तो अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल कर अपने पति को देखने लगी। जैसे-जैसे प्रीती की चूसने की रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे ही अविनाश के शरीर की अकड़न बढ़ रही थी। उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की बौंछार प्रीती के मुँह में कर दी। मैंने देखा कि बिना एक बूँद भी बाहर गिराये प्रीती उसके सारे पानी को पी गयी।

प्रीती की हरकत देख मिनी भी जोश में भर गयी और मेरे लंड को जोर से चूसने लगी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने मिनी के सर को पकड़ा और पूरी तरह अपने लौड़े पे दबा दिया। मेरा लंड उसके गले तक घुस गया और तभी लंड ने जोरों की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।

हम चारों को अपनी साँसें संभालने में थोड़ा वक्त लगा। हम चारों ने कपड़े पहने और वापस पार्टी में आ गये जो करीब-करीब समाप्त होने के कगार पर थी। हम दोनों मर्दों के चेहरे पे तृप्ति के भाव थे पर दोनों औरतें अभी भी प्यासी थीं। एक तो उनकी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था और दूसरा उनके मुँह में हम दोनों के लंड का पानी था। वो बार-बार अपनी जीभ से होंठों पे हमारे लंड के पानी को पोंछ रही थीं। वो दोनों जाकर प्रशाँत के पास खड़ी हो गयी जो पार्टी में आयी किसी महिला से बातों में व्यस्त था।

हम दोनों भी प्रशाँत के पास पहुँच गये। शायद दोनों औरतों की तड़प उससे देखी नहीं गयी। वो भी जानता थी कि प्रीती और मिनी पिछले तीन घंटे से डिल्डो अपनी चूत में लिए घूम रही हैं और अब उनकी चूत भी पानी छोड़ना चाहती होगी। “चलो सब मेहमानों को अलविदा कहते हैं और हम अपनी खुद की पार्टी शुरू करते हैं”, प्रशाँत ने कहा, “मेरा विश्वास करो प्रीती... आज की रात बहुत ही स्पेशल होगी। जो मज़ा तुम्हें आज मिलेगा उस मज़े की कभी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी!”

मैं सोच रहा था पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में अभी और क्या है। प्रीती हाल में सभी मेहमानों का ख्याल रखने लगी। थोड़ी ही देर में सब मेहमान एक के बाद एक, जाने लगे।

प्रीती जैसे ही किसी काम से नीचे को झुकती तो उसकी गाँड थोड़ा सा ऊपर को उठ जाती। प्रशाँत उसे ही घूर रहा था, “राज अब मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा जैसे तुमने मेरी बीवी की मारी थी।”

मैं यह सुन कर दंग रह गया। प्रशाँत मेरी बीवी की कुँवारी गाँड मारेगा जैसे मैंने उसकी बीवी की मारी थी। फर्क सिर्फ़ इतना था कि उसकी बीवी की गाँड कुँवारी नहीं थी, वो इतनी खुली थी कि गाँड मरवाने में उसे कोई तकलीफ़ नहीं हुई थी। पर क्या प्रीती सह पायेगी? यह सोच कर ही मेरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गयी।

पंद्रह मिनट में सभी मेहमान चले गये। “चलो अब सब मिलकर इन औरतों का खयाल रखते हैं, लेकिन सबको जैसा मैं कहुँगा वैसा ही करना होगा।” हम सब ने हाँ में गर्दन हिलायी और सब वापस गेस्ट बेडरूम में आ गये।

रूम में आते ही प्रशाँत बिस्तर पर बैठ गया। उसने प्रीती और मिनी को अपने सामने खड़े होने को कहा। फिर वो अपने हाथ दोनों की चूत पर रखकर डिल्डो को अंदर घुसाने लगा। प्रीती की जींस के ऊपर से और मिनी की पैंटी के ऊपर से।

“बबीता अब तुम अविनाश का लंड आज की शानदार चुदाई के लिए तैयार करो, पर ध्यान रखना कि इसका पानी नहीं छूटना चाहिए।” प्रशाँत की बात सुनकर बबीता अविनाश को उसकी कुर्सी के पास ले गयी जहाँ थोड़ी देर पहले प्रशाँत बैठा था। थोड़ी ही देर में बबीता ने अविनाश का लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने मुँह में ले कर चूस रही थी।

अब सिर्फ़ मैं ही बचा था कि जो कुछ भी नहीं कर रहा था। फिर मैंने सुना कि प्रशाँत प्रीती को मिनी के कपड़े उतारने को कह रहा था। प्रीती ने अपना हाथ बढ़ा कर मिनी के टॉप की ज़िप खोल दी जो थोड़ी देर पहले इसी तरह मैंने खोली थी। पर प्रीती ने टॉप उसके कंधे से उठा कर उतार दिया और मिनी की चूचियाँ फिर एक बार नंगी हो गयी। अजीब कामुक दृश्य था, मेरी बीवी किसी और औरत के कपड़े उतार रही थी।

प्रशाँत खड़ा हुआ और दोनों औरतों के पास आ गया। उसने मेरी बीवी का बाँया हाथ पकड़ा और मिनी की दाँयी चूंची पे रख दिया। फिर उसने प्रीती का दाँया हाथ पकड़ कर मिनी की चूत पे रख दिया। मेरी बीवी की समझ में नहीं आ रहा था कि प्रशाँत क्या चाहता है। दोनों औरतों ने आज तक किसी औरत के साथ सैक्स नहीं किया था।

प्रशाँत ने प्रीती की तरफ़ देखते हुए कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम मिनी की चूत चूस कर उसका पानी छुड़ा दो... फ़िर हम सब मिलकर तुम्हारी चूत पर ध्यान देंगे।” यह कहकर प्रशाँत ने प्रीती को मिनी के सामने घुटनों के बल बिठा दिया और उसके चेहरे को मिनी की गीली हो चुकी पैंटी पे धकेल दिया।

एक बार तो बबीता और अविनाश भी रुक से गये और मैं भी हैरत में खड़ा सोच रहा था कि क्या सचमुच मेरी बीवी इस औरत की चूत चूसेगी। पर प्रीती जो पिछले चार घंटे से अपनी चूत में डिल्डो लिए घूम रही थी और उसकी चूत पानी छोड़ने को बेताब थी, प्रीती ने अपने हाथ मिनी की पैंटी के इलास्टिक में फँसाये और उसे नीचे उतार दिया। जैसे ही मिनी की पैंटी नीचे सरकी तो सबने देखा कि उसकी चूत भी साफ़ की हुई थी। बाल का तो नामो निशान नहीं था चूत पर।

प्रीती ने उसकी पैंटी को और नीचे खिसकाते हुए उसके सैंडल युक्त पैरों के बाहर निकाल दिया। अब मिनी सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने, पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। प्रीती ने अपने हाथ उसके कुल्हों पे रख कर उसे अपने पास खींचा और अपना मुँह उसकी चूत पे रख दिया। वो अब अपनी अँगुली से उसकी चूत का मुँह खोल कर अपनी जीभ डिल्डो के साथ अंदर घुमाने लगी।

प्रीती अब जोरों से मिनी की चूत को चाट और चूस रही थी और साथ ही उसकी चूत में फँसे डिल्डो को जोरों से अंदर-बाहर कर रही थी। “ओहहहहहह आहहआआआआआआ और जोर से...... हँआआआआआआ चूसो मेरी चूत को.... छुड़ाआआआ दो मेरा पानी।” मिनी सिसक रही थी। मिनी की साँसें तेज हो रही थी और साथ ही उसकी चूचियाँ उसकी छाती पर फुदक रही थीं।

प्रीती अपनी जीभ और डिल्डो की रफ़्तार बढ़ाती जा रही थी, और साथ ही मिनी की चूत पानी छोड़ने के कगार पर आ रही थी। मिनी ने अपने दोनों हाथ प्रीती के सर पर रख दिए और उसे जोर से अपनी चूत पे दबा दिया। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। फच-फच की आवाज़ के साथ उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। प्रीती का पूरा चेहरा मिनी की चूत से छुटे पानी से भर गया था। प्रीती और जोरों से चूसते हुए उसकी चूत के सारे पानी को पी रही थी। आखिर में थक कर मिनी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी और गहरी साँसें लेने लगी।

प्रीती उठ कर खड़ी हो गयी। उसने अभी भी कपड़े पहने हुए थे। आज उसने पूरे दिन में पहले प्रशाँत के लंड को चूसा था और बाद में अविनाश के लंड को। और अब वो हम सब के सामने मिनी की चूत का पानी पीकर खड़ी हुई थी। उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे पर उसके जिस्म की प्यास अभी बाकी थी। मैं आगे बढ़ा और अपनी बीवी को बांहों भर लिया। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे तो मुझे मिनी की चूत के पानी की महक और स्वाद आया। मैं उसके होंठों को चूसने लगा।

मैंने अपना हाथ प्रीती की जींस के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो पाया कि वो पहले से ज्यादा गीली हो चुकी थी। जैसे ही मैंने उसकी चूत को सहलाया वो सिसक पड़ी, “ओहहहहहह आआआहहहहआआआआ हुम्म्म्म्म।”

प्रशाँत ने हम दोनों को अलग किया और मेरी बीवी को चूमते हुए उसे बिस्तर के पास ले गया। फिर उसने प्रीती से पूछा, “क्या तुम मुझसे गाँड मरवाना पसंद करोगी?” प्रीती ने पहले तो उसकी तरफ़ देखा और फिर मेरी तरफ़। उसके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि अगर वो ना कहती तो हम शर्त हार जाते। मैं भी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी की गाँड मार चुका था, इसलिए मेरे पास भी ना करने की कोई वजह नहीं थी। मैं सिर्फ़ वहाँ पर खड़ा अपनी बीवी की गाँड मरते देख सकता था।

प्रशाँत ने प्रीती के होंठों को चूसते हुए उसके लाल टॉप के बटन खोल कर उसके टॉप को उतार दिया। अब वो अपने एक हाथ से उसकी चूँची को दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पलों को भींच रहा था। प्रीती के मुँह से सिस्करी फूट रही थी, “हाँ दबाओ न.... पर धीरे.... हाँ ऐसे ही... ओओहहहहहह आआआहहहह”
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प्रीती की चूचियों को मसलते हुए प्रशाँत अपने हाथ उसकी जींस पे ले जाकर बटन खोलने लगा। बबीता आगे बढ़ कर उनके पास नीचे बैठ गयी और प्रीती की जींस को नीचे उतारने लगी। दोनों ने मिलकर मेरी बीवी को पूरा नंगा कर दिया।

प्रीती भी अब मिनी की तरह सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने पूरी तरह नंगी खड़ी थी। उसकी चूत में घुसा डिल्डो साफ नज़र आ रहा था। प्रशाँत और बबीता ने मिलकर उसे बेड के किनारे पर झुका दिया। बबीता अब उसके सामने आकर बिस्तर पर बैठ गयी और प्रीती की चूचियों को चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद वो बिस्तर पर इस तरह से लेट गयी कि प्रीती का मुँह ठीक उसकी चूत पे था। बबीता ने प्रीती के सिर को पकड़ कर उसे अपनी चूत पे दबा दिया।

प्रीती अब बिस्तर के किनारे पर झुकी बबीता की चूत चूस रही थी। इस तरह झुकने से उसकी गाँड हवा में और ऊपर को उठ गयी थी। पीछे से उसकी चूत में फँसा डिल्डो तो दिख ही रहा था साथ ही उसकी गाँड का छेद भी दिखायी दे रहा था। हम सब जानते थे कि अब प्रशाँत अपना लंड उसकी गाँड मे घुसायेगा, पर उसके मन में तो कुछ और ही था।

प्रशाँत मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देख रहा था, “राज आज शाम को मेरी बीवी ने तुम्हें सिखा ही दिया होगा कि एक अच्छी गाँड को चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाता है। बाथरूम मे जाओ और क्रीम ले आओ और बताओ कि तुमने क्या सीखा।” फिर उसने मिनी की तरफ़ देखकर कहा, “तुम मेरे लंड को तैयार करोगी?”

बिना कुछ कहे मैं बाथरूम में जाकर वही क्रीम ले आया जो मैंने बबीता पे इस्तमाल की थी। मिनी मेरे पास आयी और मुझे थोड़ी क्रीम उसके हाथों पे देने को कहा। कैसी शर्त थी कि मैं अपने हाथों से अपनी बीवी की गाँड को किसी दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार करूँ। पर मैं शर्त हारना नहीं चाहता था इसलिए मैं क्रीम लिए प्रीती के पास आ गया।

मैंने खूब सारी क्रीम अपनी अँगुलियों में ली और उसे प्रीती की गाँड के चारों और मलने लगा। फिर मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड में डाल दी, “ओहहहहह मर गयीईई,” प्रीती के मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। प्रीती अब भी बबीता की चूत को चाटे जा रही थी।

मैंने थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली में ली और दो अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दीं। अब मैं अपनी अँगुलियों को उसकी गाँड में चारों तरफ़ गोल गोल घुमा रहा था। प्रशाँत मेरे पास खड़ा मेरी सभी हर्कतों को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी मिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी।

अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।

मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।

मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।

प्रशाँत ने प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर उसकी गाँड के छेद को और फैला दिया। प्रशाँत के दोनों हाथ प्रीती के कुल्हों को पकड़े हुए थे। मिनी ने आगे बढ़ कर प्रशाँत के लंड को ठीक प्रीती की गाँड के छेद पर रख दिया और प्रशाँत अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा। मिनी अभी भी उसके लंड को पकड़े हुए थी। इतनी सारी क्रीम लगने से उसका लंड और प्रीती की गाँड पूरी तरह चिकनी हो गयी थी जिससे प्रशाँत के लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में आसानी से घुस गया।

मिनी ने अपना हाथ उसके लंड पर से हटा लिया। अब जबकि सुपाड़ा घुस चुका था, प्रशाँत धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा। उसके हर धक्के के साथ प्रीती की सिस्कार गूँजती, “ओहहहहहह..... आआआहहहहहहह.... थोड़ा धीरे.... दर्द हो रहाआआआआ है।” थोड़ी देर में उसका पूरा लंड प्रीती की गाँड में घुस चुका था। अब उसकी गाँड कुँवारी नहीं रही थी।

प्रीती अब भी बबीता की चूत चूसे जा रही थी। जब प्रशाँत का पूरा लंड उसकी गाँड मे घुस गया तो जोर की सिस्करी निकली, “ओहहहहह हँआँआँआँ।” प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड की दीवारों को रौंदता हुआ जड़ तक समा गया था।

प्रशाँत ने मिनी और मेरा धन्यवाद दिया कि हम दोनों ने प्रीती की गाँड मारने में उसकी सहायता की और कैसे उसका लंड प्रीती की गाँड में अंदर तक घुसा हुआ है और कैसे प्रीती की गाँड उसके लंड को भींचे हुए है। उसने बताया कि उसे प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो का भी एहसास हो रहा है और ये उत्तेजना उसके लंड से लेकर उसकी गोलियों तक जा रही थी। प्रशाँत जान बूझ कर ये सब बातें बता कर मुझे चिढ़ा रहा था। “हरामी साला” मेरे मुँह से गाली निकली।

लेकिन अब तक मैं अपना लंड अपनी पैंट में से निकाल कर सहला रहा था। सब जानते थे कि मेरी बीवी की गाँड की चुदाई ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था। पर जो होने वाला था उसके आगे ये कुछ भी नहीं था। मिनी अब उनसे दूर जा कर खड़ी हो गयी। प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड में अंदर बाहर हो रहा था। प्रशाँत अपने लंड को करीब तीन इंच बाहर खींचता और अपने आठ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल देता।

प्रशाँत जानबूझ कर धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था। पर समय के साथ उसकी रफ़्तार तेज हो रही थी। अब वो पाँच इंच लंड को बाहर निकालता और पूरा पेल देता। थोड़ी देर में वो अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ़ अंदर रहने देता और एक झटके में पूरा लंड प्रीती की गाँड में डाल देता। प्रीती की गाँड पूरी तरह खुल गयी थी और हर झटके को वो अपने कुल्हों को पीछे कर के ले रही थी, “हाँ डाल दो पूरा लंड मेरी गाँड में.... ओहहहहहह हँआँआँ और जोर से.... हँआँआँ चोदो.... फाड़ दो मेरी गाँड को।”

प्रीती उन मिंया-बीवी के बीच सैंडविच बनी हुई थी। नीचे से बबीता अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसके मुँह में भर देती और पीछे से प्रशाँत उसके कुल्हों को पकड़ कर जोर से लंड पेल देता। जैसे ही उसका लंड अंदर तक जाता, प्रीती का मुँह बबीता की चूत पे और जोर से दब जाता। प्रशाँत उसकी गाँड भी मार रहा था और उसकी चूत में फँसे डिल्डो को और अंदर की और घुसा देता।

अब अविनाश भी इस खेल में शामिल होना चाहता था। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को सहलाने लगा। अपने लंड को सहलाते हुए वो बबीता के चेहरे के पास आ गया। अविनाश अपने लंड को उसके मुँह के पास कर के उसके होंठों पर रगड़ने लगा। बबीता ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और वो जोरों से अविनाश के लंड को चूसने लगी।

अब मैं और मिनी ही बचे थे। मिनी तो पहले ही नंगी थी। मैं भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो कर अपने लंड को सहला रहा था। मिनी मेरे पास आ कर मेरे नंगे बदन से सट गयी और सहलाने लगी। हम भूखे कुत्तों की तरह एक दूसरे के बदन को नोच रहे थे और मसल रहे थे, पर हम अपनी नज़रें बिस्तर से नहीं हटा पा रहे थे जहाँ एक का पति दूसरे की पत्नी से अपना लंड चूसवा रहा था और मेरी बीवी दूसरे की बीवी की चूत चूस रही थी और उसके पति से अपनी गाँड मरवा रही थी। लेखक राज अग्रवाल है!

अचानक प्रीती ने अपना मुँह बबीता की चूत से ऊपर उठाया और जोर से चींख पड़ी, “ओहहहह ये नहीं हो सकता।” मैं सोच में पड़ गया कि अचानक उसे क्या हुआ, क्या उसका पानी छूटने वाला है या उसकी गाँड दर्द कर रही है। “हे भगवान.... प्लीज़ ऐसा मत करो।” वो फिर बोली और उसकी आँखों मे आँसू आ गये।

तब प्रशाँत ने उसके चींखने की वजह बतायी, “राज डरो मत यार... इसके डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी है... बेचारी।” अब मेरी समझ में आया कि जब उसका पानी छूटने वाला था तभी डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी। और कितना चलती... पाँच घंटे सो तो वो उसे अपनी चूत में डाले घूम रही थी।

प्रीती फिर अपनी उत्तेजना के अंतिम कगार से वंचित रह गयी। प्रशाँत उसकी गाँड में जोर के धक्के मारते हुए बोला, “प्रीती डार्लिंग... चिंता मत करो, मैं वादा करता हूँ कि आज तुम्हें चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम्हारी चूत खुले बाँध की तरह पानी फ़ेंकेगी।” प्रीती ने अपना चेहरा उठा कर प्रशाँत की और देखा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि और क्या उसके दिमाग में है। कहानी का शीर्षक ’नये पड़ोसी’ है!

हमने देखा कि अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए प्रीती खुद अपने बंद हुए डिल्डो को पकड़ कर अंदर बाहर करने लगी, पर प्रशाँत ने उसका हाथ हटा दिया। अब प्रशाँत ने प्रीती को उसकी छातियों से पकड़ा और पीछे की और हो गया। थोड़ी देर इस तरह होने के बाद उसने अपनी टाँगें सीधी की और पीठ के बल लेट गया। अब वो जमीन पर लेटा था और प्रीती उसके ऊपर उसका लंड अपनी गाँड मे लिए आधी लेटी थी। प्रीती ने अब अपनी टाँगें फैला दी जिससे प्रशाँत का लंड उसकी गाँड में घुसा हुआ दिख रहा था और साथ ही चूत में फँसा डिल्डो भी।

बबीता अब अविनाश के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथों से उसे मसल रही थी। पर वो खुद छूटने की कगार पर थी, इसलिए वो खड़ी हो गयी और अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत प्रीती के मुँह पर रख दी, “जो तुमने शुरू किया है उसे तुम्हें ही खतम करना पड़ेगा। मेरी चूत जोरों से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो।”

प्रीती अपनी जीभ का तिकोण बना कर उसे चोद रही थी। बबीता और थोड़ा झुकते हुए अपनी चूत को और दबा देती। उसका चेहरा पीछे की और था और उसके बाल प्रशाँत के पेट को छू रहे थे। “हँआँआँआँ चू..ऊऊऊऊऊस ओहहहहहह आहहहहहह “हाँआँआँ जोर से... हूँऊऊऊऊ....,” कहकर बबीता की चूत ने प्रीती के मुँह में पानी छोड़ दिया। प्रीती गटक-गटक कर उसका पानी पी रही थी। जब एक-एक बूँद बबीता की चूत से छूट चुका था तो वो निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी।

प्रशाँत अभी तक उसी तरह अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाये लेटा था। फिर उसने अपनी आखिरी चाल चली, “अविनाश मेरा तो पानी अब छूटने वाला है, ऐसा दृश्य देख कर... क्यों नहीं तुम अपना लंड इसकी चूत में डाल देते हो।”

अब मेरे और अविनाश की समझ मे आया की प्रशाँत क्या चाहता था। अविनाश उछल कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया। उसने अपना हाथ प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो पर रखा। पर उसे बाहर निकालने की बजाय वो उसे अंदर-बाहर करने लगा।

थोड़ी देर बाद अविनाश अपने लंड को प्रीती की चूत के मुँह पे लगा कर धीरे-धीरे अंदर करने लगा और साथ ही डिल्डो को बाहर खींचने लगा। जितना उसका लंड अंदर जाता उतना ही वो डिल्डो को बाहर खींच लेता। मैंने देखा कि डिल्डो पूरी तरह से प्रीती की चूत के पानी से लसा हुआ था और चमक रहा था। जब अविनाश का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया तो उसने डिल्डो बाहर निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।

मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो डिल्डो मेरी बीवी की चूत में पिछले पाँच घंटे से घुसा हुआ था, वही अब उसके पानी से लसा हुआ मेरे हाथ में है। मैंने बिना हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ले चाटने लगा। मुझे उसकी चूत के पानी का स्वाद सही में अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसे चाट कर साफ कर दिया तो उसे बिस्तर पर रख दिया।

मिनी अब तक मेरे लंड को पकड़े हुए थी। उसने मेरी तरफ देखा और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूस रही थी और दूसरे हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी। पर उसकी नज़रें वहीं गड़ी थीं जहाँ मेरी बीवी की दोहरी चुदाई हो रही थी।

मैंने अपना ध्यान मिनी से हटाया और फिर प्रीती पर केंद्रित कर दिया। मैंने देखा कि अविनाश आधा खड़ा हो अपने लंड को प्रीती के मुँह में दे कर धक्के मर रहा था। प्रीती भी पूरे जोर से उसे चूस रही थी। जब उसका लंड पूरी तरह से तन गया तो वो प्रीती के थूक से लसे अपने लंड को ले कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया।

प्रीती अपनी टाँगें थोड़ी और चौड़ी कर के पीछे को पसर गयी। अविनाश एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर प्रीती की चूत पे रगड़ने लगा। अब मेरी बीवी की दो लंड से चुदाई होने वाली थी। एक उसकी गाँड में और दूसरा उसकी चूत में।

अविनाश ने प्रीती की एक टाँग को जाँघों से पकड़ा और अपनी कोहनी पे रख दी। इससे प्रीती की चूत और खुल गयी। थोड़ी देर अपने लंड को रगड़ने के बाद उसने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। अब वो धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था।

प्रीती प्रशाँत की छाती पर लेटी अपनी ज़िंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी। उसका चेहरा इधर-उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिस्करियाँ फूट रही थी।

मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”

प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”

मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।

और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।

अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।

मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।

मुझे इस बात की खुशी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नहीं थे। अब देखते हैं कि छुट्टियों में क्या गुल खिलते हैं।


!!! समाप्त !!!
 
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घरेलू चुदाई समारोह
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घरेलू चुदाई समारोह
“मैं सजल को शुभ रात्रि कह कर आती हूँ”, कोमल ने एक बेहद ही झीना सा गाउन पहनते हुए अपने पति से कहा। उस कपड़े में उसके विशाल, गठीले मम्मे छुप नहीं पा रहे थे। उसकी चूत को आराम से देखा जा सकता था।
सुनील बिस्तर पर टेक लगाकर लेट गया। वो अपनी सुंदर बीवी को चोदने को बेचैन था। उसका अलमस्त लंड उसकी खूबसूरत बीवी की चुदाई के लिये ऊपर की ओर तैनात था। “वो कोई बच्चा नहीं है, कोमल, वो बांका जवान है और अभी कॉलेज से एक साल की पढ़ाई करके आया है। उसे इस तरह के दुलार की ज़रूरत नहीं है।”
कोमल बिना कुछ बोले दरवाज़ा खोलकर सैंडल खटखटाती बाहर चली गयी। वो बहस करने के मूड में नहीं थी।
उसने सजल के कमरे का दरवाज़ा धीरे से खोलकर पूछा, “क्या तुम अभी तक जाग रहे हो?”
कपड़ों की आवाज़ के बाद उसके लड़के ने बोला, “हाँ मम्मी, आओ अंदर।”
“क्या तुमने ठीक से खाना खाया?” कोमल ने सजल के बिस्तर पर बैठते हुए पूछा। सजल ने लिहाफ से अपना निचला हिस्सा ढका हुआ था पर उसका ऊपरी हिस्सा नंगा था।
“तुम तो जानती हो मम्मी, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे कितना पसंद है।” उस सुंदर गठीले जवान ने उत्तर दिया। उसकी आँखें बरबस ही कोमल के गाउन पर ठहर गयीं जिसमें से कि उसकी गोलाइयों को देखा तो नहीं पर महसूस ज़रूर किया जा सकता था।
कोमल ने उसके चौड़े सीने पर हाथ सहलाते हुए कहा, “क्या मसल्स हैं, लगता है कि खूब व्यायाम करते हो।”
“हाँ मम्मी, पर इतना कुछ करने के बाद जब मैं बिस्तर पर लेटता हूँ तो बस सीधे सो जाता हूँ।”
“यह भी तुम्हारे लिये बड़ा लंबा दिन था, अब तुम सो ही जाओ। मैं चाहती हूँ कि तुम सुबह मेरे लिये तरो-ताज़ा उठो, तुम सिर्फ़ दो ही दिन के लिये तो आये हो।”
“पर अभी मैं गर्मी की दो महीनों की छुट्टी में फ़िर आऊँगा।” सजल ने अपनी साँस रोकते हुए कहा, उसे अपनी मम्मी के गर्म उरोज अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे। उस झीने गाउन से कुछ भी रुक नहीं रहा था।
“मैं तुम्हें घर में आया हुआ देखकर बहुत खुश हूँ”, कोमल ने अपने लड़के को और जोर से भींचकर कहा। इससे उसके अपने शरीर में भी एक गर्मी सी दौड़ गयी। यह उस गर्मी से फ़र्क थी जो उसे पहले महसूस होती थी। इसमें मात्रत्व नहीं था। उसके मम्मे सख्त हो गए और उसकी चूत में एक खुदबुदी सी हुई। वह जब सजल से अलग हुई तो थोड़ी पस्त सी थी।
“मैं तुम्हें सुबह मिलुँगी।” उसने कांपते हुए स्वर में कहा और बिस्तर से उठ खड़ी हुई। उसने सजल का खड़ा हुआ लंड उसके लिहाफ़ में तम्बू बनाते हुए देखा। उसने फ़ौरन समझ लिया कि जब वह आई थी तब सजल मुट्ठ मार रहा था।
“शुभरात्रि मम्मी,” सजल ने प्यार से कहा। कोमल को ऐसा महसूस हुआ जैसे वो कुछ ज्यादा ही मुस्कराया था। उसे कभी कभी यह लगता था कि उसका लड़का उतना सीधा नहीं था जितना कि वो उसे समझती थी। सजल उससे हमेशा अपनी बात मनवा लिया करता था।
कोमल जब अपने कमरे में पहुँची तब भी अपने मन से वह उन भावनाओं को नहीं दूर कर पायी। इससे उसे डर और रोमाँच दोनों हुए। उसे पहले भी कभी-कभी सजल के लिये ऐसी भावनायें आयीं थीं पर आज जितनी तेज़ नहीं। उसे ग्लानि होने लगी, पर कुछ-कुछ रोमाँच भी।
“अपने बच्चे को अच्छे से सुला दिया?”, सुनील ने व्यंग्य भरे शब्दों में पूछा। उसने अपना तना हुआ लंड अपने हाथ में लिया हुआ था और उसे धीरे-धीरे सहलाते हुए व्हिस्की पी रहा था।
“ज्यादा मत बोलो!” कोमल ने कुछ ज्यादा ही गुस्से से जवाब दिया। उसने सुनील का बड़ा लंड देखा तो उसके मन में चुदाई की तीव्र इच्छा हुई, पहले से कहीं ज्यादा ही तीव्र। पर वह अपनी कामुकता को दिखाना नहीं चाहती थी। कोमल ने भी एक ग्लास में तगड़ा डबल पैग बनाया और नीट ही पीने लगी। उसे नशे में चुदाई का ज़्यादा आनंद आता था।
“ठीक है, लड़ो मत,” सुनील बोला। “मेरे ख्याल से आज मैं तुम्हे सेवा का मौका देता हूँ। क्या तुम मेरे लंड को चूसने से शुरूआत करना पसंद करोगी?”
“बड़े होशियार बन रहे हो।” कोमल भुनभुनाई। पर वो भी मन ही मन उस कड़कड़ाते हुए लंड का रसास्वादन करना चाह रही थी। उसका गाउन एक ही झटके में ज़मीन पर जा गिरा और केवल ऊँची हील के सैंडल पहने वो धीमे से बिस्तर की ओर कदम बढ़ाने लगी। इससे उसके पति को उसकी सुनहरी नंगी काया का पूरा नज़ारा हो रहा था। सुनील का पूर्व-प्रतिष्ठित लंड कोमल की जघन्य काया को देखकर और टन्ना गया। उसकी मनोरम काया पर उसके काले निप्पल जबर्दस्त एफ़ेक्ट पैदा कर रहे थे। सुनील की नज़र फ़िर अपनी पत्नी के निचले भाग पर जा टिकी, जहाँ चिकना और सुनहरी स्वर्ग का द्वार चमचमा रहा था।
“तुम चालीस साल की होने के बावज़ूद भी बहुत हसीन हो।” सुनील ने मज़ाक किया। कोमल की जांघें परफ़ेक्ट थीं, न पतली न मोटी।
“तारीफ़ के लिये शुक्रिया।” कोमल थोड़े गुस्से से बोली। उसने एक गोल चक्कर घूमा जिससे सुनील को उसके पृष्ठ भाग का भी नज़ारा हो गया। उसका यही हिस्सा सुनील को सर्वाधिक प्रिय था, उसे देखते ही वो पागल हो जाता था।
“इधर आओ जानेमन।” वो लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोला। जब कोमल बिस्तर पर पहुँची तो सुनील ने उसे अपने ऊपर खींच लिया। वह काफ़ी उत्तेजित था। कोमल को भी यही पसंद था।
“हाँ, आज रात मुझे कुचल दो, जानेजाँ।” वो अपने जिस्म को सुनील के शरीर से दबवाते हुए बोली और जब सुनील ने उसके निप्पल काटे तो वो सनसना गयी। उसे सुनील से एक ही शिकायत थी, वो बहुत प्यार से पेश आता था, जबकी कोमल को जोर ज्यादा भाता था। उसे घनघोर चुदाई पसंद थी।
“और जोर से काटो,” वो बोली। जब सुनील ने उसके चूतड़ पकड़ कर दबाए तो वो बोली, “मेरी चूचियों को और जोर से चूसो।”
कोमल आनंद से पागल हो गयी थी पर उसके पति ने उसे वहशी तरीके से प्यार करना बंद किया और उसका सर अपने लंड को चूसने के लिये नीचे किया।
“मेरा लंड चूसो।” वो बोला।
“अभी नहीं सुनील, मेरे मम्मों को थोड़ा और चूसो। उन्हे और काटो। तुम जब ऐसा करते हो तो मुझे बहुत मज़ा आता है।”
“मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता। मैं बहुत उत्तेजित हूँ, मेरा लंड चूसो।” सुनील ने सिर्फ़ अपने आनंद का ख्याल करते हुए कहा।
“नहीं!” कोमल चींखी, “हम हमेशा ऐसा ही करते हैं। तुम इस मामले में बहुत खराब हो। तुम जानते हो कि मुझे क्या भाता है, फ़िर भी तुम सिर्फ़ वही करते हो जिसमें तुम्हे खुशी मिलती है। मुझे अपनी खुशी के लिये तुम्हारी मिन्नतें करनी पड़ती हैं।”
“देखो जानेमन, हम इस बारे में कई बार बहस कर चुके हैं। मुझे जबर्दस्ती अच्छी नहीं लगती, कभी-कभी जैसे कि आज, मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मैने तुम्हे पकड़ लिया। अब क्या तुम बेवकूफ़ी बंद करोगी और बचपना छोड़ मेरा लंड चूसोगी?”
“नहीं, मैं मूड में नहीं हूँ।” कोमल गुस्से से बोली और बिस्तर की चौखट पर बैठ गयी।
“तुम किसे मूर्ख बना रही हो प्रिय? मैं जानता हूँ तुम हमेशा चुदाई के लिये तैयार रहती हो... और तुम भी ये जानती हो।” सुनील ने उसे वापस खींचते हुए कहा।
“तुम बहुत बद्तमीज़ हो।”
सुनील ने उसे वापस अपने लंड पर जोर देकर झुका दिया। इस जबर्दस्ती से कोमल फ़िर से रोमाँचित हो उठी। सुनील गुरार्या, “बकवास बंद करो और मेरा लंड चूसो।”
“ओह” कोमल की चूत में एक गर्मी सी फ़ैल गयी। उसने लंड चूसने से मना कर दिया। वो सुनील से और जोर की चाह रखती थी।
“हरामज़ादी, मैने कहा मेरा लंड चूस!” सुनील चिल्लाया और वो कोमल के मुँह में अपना लंड भरने की कोशिश करने लगा।
कोमल के दिमाग में एक बात आई। इस समय उसका पति वासना से पागल था, उसने सुनील से उसका लंड चूसने से पहले एक वादा लेने की ठानी।
“ठीक है, पर अगर तुम वादा करो कि सजल को अगले साल यहीं रखकर पढ़ाओगे।”
“क्या? इस समय इस बात का क्या मतलब है?”
“क्योंकि तुम सिर्फ़ इसी समय मेरी सुनते हो। मुझे उसका वह कॉलेज बिलकुल पसंद नहीं है। उसे हमारे साथ यहीं रहना चाहिये।”
“हम यह सब बातें पहले भी कर चुके हैं। उस कॉलेज में उसकी ज़िन्दगी बन जायेगी।” सुनील गुस्से और उन्माद से बोला। “उसे वहीं पढ़ने दो।”
“नहीं, उसे यहीं रखो।” कोमल ने सुनील के दमदार लंड के सुपाड़े का एक चुम्मा लेते हुए कहा। “ठीक है?”
“ऊँह, ठीक है। आह”, सुनील के मुँह से चीख सी निकली जब कोमल ने उसका मोटा लंड एक ही बार में अपने गर्म मुँह मे ले लिया।
अब जब बहस की कोई गुंजाइश नहीं रही, कोमल अपने मनपसंद काम ’लंड चुसाई’ में तन मन से व्यस्त हो गयी।
“अपनी जीभ भी चलाओ, जान।”
“मेरे मुँह को चोदो सुनील।” उसे लौड़े का अंदर बाहर का घर्षण बहुत प्रिय था। उसके मनपसंद आसन में सुनील उसके मुँह को चोदता था जब वह उसके आगे झुकी रहती थी।
“वाह मेरी लौड़ाचूस, और जोर से चूस।” सुनील अपने मोटे लंड को अपनी बीवी के सुंदर मुँह में भरा हुआ देखकर ज्यादा देर तक ठहरने वाला नहीं था। वह उसके हसीन मुँह में ही झड़ना चाहता था।
कोमल ने अपना मुँह सुनील के लंड से हटा लिया। “तुमने ऐसा क्यों किया?” सुनील कंपकंपाते हुए बोला। उसने कोमल का सर फ़िर से अपने लंड पर लगाना चाहा।
“अभी मत झड़ना सुनील। तुम बहुत जल्दी झड़ जाते हो। मैं प्यासी ही रह जाती हूँ। इस बार तुम मुझे झड़ाये बिना नहीं झड़ोगे” कोमल बोली। “तुम मेरी चूत चूसो, मैं तुम्हारा लंड चूसती हूँ।”
सुनील ने कोमल के चूतड़ अपनी ओर खींचे, और जोरदार तरीके से कोमल की चुसाई करने लगा। जब उसने अपने दाँतों से चूत के दाने को काटा तो कोमल आनंद से चिहुंक पड़ी।
“तुम हर बार ऐसा क्यों नहीं करते? जब तुम काटते हो तो कितना मज़ा आता है। हाँ मेरी चूत को ऐसे ही चूसो”
“तुम मेरा लंड अच्छे से चूसो और मैं वही करूंगा जो तुम चाहोगी।” सुनील के चेहरे पर कोमल की चूत का रस चिपका हुआ था। उसे जबरन थोड़ा रस पीना पड़ा। उसे इस रस का स्वाद अच्छा भी लगा।
“हाँ, मेरी जान! आज हम रात भर एक दूसरे का रस पियेंगे।” कोमल खुशी से चीखी। उसने अपने पति के टट्टों पर अपनी ज़ुबान फ़ेरी। उसने पक्का किया हुआ था कि सुनील से चूत चुसवा कर ही रहेगी। उसके बाद वो उसे चोदने देगी जब तक कि दोनों थक न जायें पर कोमल ने चूसना शुरू नहीं किया। वो सोच रही थी की सजल का लंड कैसा दिखता होगा। क्या उसका लंड भी सुनील जितना बड़ा होगा? सुनील का लंड नौ इंच लंबा था और बहुत मोटा। उसने अपने हाथ में मौजूद हथियार को देखा और सोचा काश यह सजल का होता।
जब सुनील ने उसकी चूत को जोर से चूसना शुरू किया तो उसे महसूस हुआ जैसे वो फ़ट जायेगी। अपने बेटे के ख्याल ने यह निश्चित कर दिया कि इस बार वो लंबी झड़ेगी। “ओह सुनील, मैं झड़ रही हूँ, मुझे खूब चोदा करो, मुझे इसकी सख्त ज़रूरत रहती है। मुझे तुम्हारे मुँह और लंड की हमेशा प्यास रहती है। इतनी जितना तुम मुझे नहीं देते।”
सुनील जानता था कि कोमल उसे तब तक नहीं चूसेगी जब तक वो उसकी इच्छा पूरी नहीं कर देता। उसकी उंगलियों ने कोमल की गाँड को फ़ैलाया और उंगली हल्के से उस बादामी छेद पर छुआई।
“एक बार और!” कोमल ने मिन्नत की। उसने सुनील का लंड इतनी जोर से दबाया कि उसकी चीख निकल गयी। वो तो उसी समय उस स्वादिष्ट माँसपिंड को खा जाती अगर उसे उसकी ज़रूरत अपने किसी दूसरे छेद में नहीं होती। वो शानदार ऊँचाई पर पहुँच कर झड़ गयी।
“अब तुम्हे मुझे इंतज़ार कराने का फ़ल भुगतना होगा।” सुनील बोला जब वो शाँत हुई। उसने कोमल को उठाकर चौपाया बनाया और अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी लपलपाती हुई चूत में पेल दिया।
“हाय!”, कोमल के मुँह से आनंद भरी सीतकार निकल गयी और वो उस धक्के से आगे जा गिरी।
“हे भगवान तुम बहुत गर्म हो।” सुनील हाँफ़ते हुए बोला। कोमल की भट्टी उसके लंड को एक धौंकनी की तरह भस्म किये दे रही थी। “ले मेरा लौड़ा और बता कैसा लगता है, चुदास औरत!”
“मुझे पूरा चाहिये, पूरा!” कोमल ने ज़वाब दिया। अगर उसका पति यह समझता था कि वो जीत जायेगा तो वो गलत था। वो जितना भी दे सकता था कोमल उससे ज्यादा लेने के औकात रखती थी। वो जितना जोर लगाता कोमल को उतना ही ज्यादा मज़ा आता। वो उससे जितनी बुरी तरह से बोलता, उतनी ही उसकी वासना में वृद्धि होती। उसने अपनी प्यासी चूत से सुनील का मोटा लंड जकड़ लिया और उम्मीद करने लगी की वह इसी वहशियाने तरीके से उसे चोदता रहेगा। सुनील को भी अपनी पत्नी को इस तरह से चोदने में मज़ा आ रहा था, इसलिये उसने अपना स्खलन रोक रखा था। उसने कोमल की चमकती कमर का नंगा नाच देखा और उसके पुट्ठे जोर से भींच डाले।
जब उसके दिमाग में सजल का ख्याल आया तो कोमल ने कुछ और सोचने की कोशिश की पर वो अपने बेटे को अपने दिमाग से निकालने में सफ़ल नहीं हुई। सजल की नंगी छाती की चमक उसके दिमाग में रह-रह कर कौंधने लगी। हालांकि उसने सजल का लंड सालों से नहीं देखा था पर अब उसे वह अपनी आँखों के आगे देख रही थी।
“हाँ, और अंदर!” उसने आह भरी। फ़िर उसने महसूस किया कि ये उसने सुनील नहीं बल्कि सजल से कहा था! उसने सोचा था कि यह सजल का मोटा लंड था जो उसे चोद रहा था। उसकी कल्पना में सजल का लंड दस इंच लंबा और बहुत मोटा था।
सुनील के स्वाभिमान को कोमल की कही हुई कुछ बातों से बहुत चोट पहुँची थी। “तो मैं हमेशा तुम्हे झाड़े बिना ही झड़ जाता हूँ?” वो तमतमा कर बोला। “तुम्हे यह दिखाने के लिये कि तुम कितनी गलत मैं तुम्हे एक बार से ज्यादा बार खुश करके ही झड़ुँगा।”
“हाँ, ये हुई न बात!” कोमल बोली, “तुम्हारे हाथ मेरे मम्मों को किस तरह निचोड़ रहे हैं... हाँ सुनील मुझे जोर से चोदो।”
कोमल झड़ गयी। “चोदो मेरी चूत को!” वो चिल्लाई। उसे पता था कि अगर सजल जागता होगा तो वो सुन लेगा। इससे उसे और अधिक गर्मी आई और उसकी चूत के स्पंदन और तेज़ हो गए। “और!” वो चीखी। उसे सुनील के हाथ अपनी छाती पर आग की तरह महसूस हो रहे थे। “और, मैं फ़िर झड़ रही हूँ मुझमें यह पूरा लंड पेल दो जानेमन!”
आज सुनील को अपने अभी तक न झड़ने पर यकीन नहीं हो रहा था। कोमल की बेहद गर्म और टाइट चूत उसके लौड़े को कसकर जकड़े हुए थी पर वह अभी तक झड़ा नहीं था!
“अब!” वो बोला जब उसकी पत्नी ने झड़ना बंद किया। वो कोमल की सुलगती चूत से अपना लंड निकलना तो नहीं चाहता था पर वो एक दूसरे तरीके से झड़ना चाह रहा था। वो झड़ते समय कोमल का चेहरा देखना चाहता था और उसके हसीन चेहरे पर ही अपने प्यार का प्रसाद चढ़ाना चाहता था।
“अब तुम मुझे ऊपर आकर चोदो।” कोमल बोली तो उसके पति ने उसे कमर के बल बिस्तर पर पलट दिया। हालांकि वो अभी अभी ही स्खलित हुई थी पर यह भी जानती थी की दो चार धक्के और पड़ने पर वो एक बार फ़िर नदी पार कर लेगी। पर सुनील उसके पेट पर आ बैठा। “अब मैं तुम्हें और नहीं चोद रहा, मैं तुम्हारे मुँह में आना चाहता हूँ” और वह अपने लंड का मैथुन करने लगा।
“नहीं सुनील, ऐसा मत करो... मुझे थोड़ा और चोदो।” उसे यह बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था कि सुनील अकेले ही झड़ना चाह रहा था।
“अपनी चूत से खेल लो अगर तुम्हें और आना है।” सुनील उसकी भावनाओं को नज़र-अंदाज़ करते हुए बोला। हालांकि उसकी चूत अभी और प्यासी थी पर समय की ज़रूरत समझते हुए कोमल ने इसका ही आनंद उठाने का निश्चय किया। “ऊह”, उसने गहरी साँस लेते हुए अपनी चूत में अपनी दो उंगलियाँ घुसेड़ दीं।
“ये ले!” सुनील चिल्लाया और अपना गर्मागर्म रस की पिचकारी कोमल के चेहरे पर मारने लगा। कोमल ने उस फ़ुहार को अपनी तरफ़ आते हुए देखा। पहले उसके माथे, फ़िर नाक पर और अंत में वो स्वादिष्ट रस उसके मुँह में आ गिरा। “थोड़ा और” उसने चटखारे लेते हुए कहा। जब बाकी का रस उसकी छातियों पर गिरा तो उसने एक हाथ से उसे उठाकर चाटा और वहीं अपनी छातियों पर मल दिया और दूसरे से अपनी चूत से खिलवाड़ जारी रखा। वह एक बार फ़िर सुख की कगार पर थी।
“मुझे अपने रस से सरोबार कर दो, मेरे मुँह मे आओ, मेरे मम्मों पर आओ। आओ! मैं आ रही हूँ, अपने टट्टों को मेरे ऊपर खाली कर दो। मेरे पूरे शरीर को नहला दो!” जितना वो चाट सकी उसने चाट लिया बाकी उसने अपने जिस्म पर मल लिया।
कोमल इसी हालत में और घंटों रह सकती थी। उसे अपने पति का भारी शरीर अपने ऊपर बहुत अच्छा लगता था पर सुनील उसके ऊपर से हटते हुए बोला “तुम उठ कर क्यों नहीं नहा कर अपने को साफ़ कर लेतीं?”
“नहीं, बस तुम मुझे लिहाफ़ उढ़ा कर ऐसे ही छोड दो। मुझमें अब कुछ भी करने की ताकत नहीं है।” उसने बहाना बनाया। वो इसी तरह रहना चाहती थी। उसने अपने चमकते स्तनों को देखा और सोचा कि उसे कैसा लगता अगर यह वीर्य-रस सजल का होता?
अध्याय - २
“मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा अकेले गाड़ी लेकर घर जाना ठीक है।” सुनील अपना सामान बाँधते हुए बोला।
कोमल उसे कुछ शट्‌र्स देती हुई बोली, “अगर तुम काम के लिये पूरे देश में हवाई-सफ़र कर सकते हो तो मैं क्या सजल को स्कूल छोड़ने दो सौ किलोमीटर गाड़ी नहीं चला सकती?”
“अगर मैं आज फ़ोन न उठाता तो मुझे जाना न पड़ता। बॉस कुछ सुनने को राज़ी ही नहीं था कि मुझे सजल को उसके स्कूल छोड़ने जाना है।”
“तुम चिन्ता मत करो, सुनील। मेरे साथ सजल होगा और उसे छोड़ कर मैं बिना रुके सीधे घर ही आऊँगी। मैं किसी अजनबी से बात नहीं करुँगी और न ही उनसे कोई मिठाई ही लुँगी” कोमल हँसते हुए बोली।
सुनील ने अपना सूटकेस बंद किया और अपना ब्रीफ़केस उठाया। “नहीं तो मैं सजल को अपने साथ एअरपोर्ट ले जाता हूँ, वहीं से मैं उसे स्कूल के लिये बस में बिठा दुँगा।”
“बेकार की बात मत करो। न सिर्फ़ यह मंहगा पड़ेगा बल्कि सजल को भी इससे दिक्कत ही होगी। मेरा उसे छोड़ने जाना ही सबसे अच्छा उपाय है” कोमल ने कहा।
“नहीं तो तुम सजल को छोड़ कर किसी होटल में रात के लिये रुक जाना और सुबह वापस आ जाना।” सुनील जानता था कि रात के डिनर के बाद कोमल शराब के एक-दो पैग पीये बिना नहीं रह सकती और वो नहीं चाहता था कि ड्रिंक कर के कोमल हाईवे पर कार चलाये। पहले भी कोमल कई बार सुनील की चेतावनी के बावजूद नशे की हालत में कार ड्राइव किये बिना नहीं मानती थी और एक-दो बार हल्का एक्सीडेंट भी कर चुकी थी। इस समय अगर सुनील ये मुद्दा उठाता तो उसे पता था कोमल कलेश करेगी। इसलिए उसने कोमल को अप्रत्यक्ष रूप से होटल में ठहरने की सलाह दी।
कोमल को यह बात ठीक लगी। “ठीक है, मैं भी रात के लिये कुछ सामान ले लेती हूँ। तुम्हारी टैक्सी आ गयी है। तुम निकलो।”
“ध्यान रखना कोमल। मैं तुमसे गुरुवार को मिलुँगा।”
कोमल बाहर जाने के ख्याल से बेहद खुश थी, चाहे एक रात के ही लिये सही और उसे सजल के साथ भी कुछ समय ज्यादा मिलेगा। इस बार वो उससे ठीक से मिल ही न पायी थी।
“सजल!”, उसने अपने बेटे को आवाज़ दी। “अब नहाना बंद करो और तैयार हो जा...। और ध्यान रहे कि तुम अपनी सारी ज़रूरत की चीज़ें लेना मत भूलना।”
जब वो सजल का इंतज़ार कर रही थी तब उसने अपना बैग भी तैयार कर लिया। पहले उसने एक ही रात के लिये सामान लिया था फ़िर मन बदल कर कुछ और चीज़ें भी रख लीं। वो कुछ दिन घर से दूर रहना चाहती थी। वो उस होटल में एक की जगह दो दिन रुक जायेगी। वहाँ एक तरणताल था और वो दो-तीन सैक्सी उपन्यास पढ़ने के लिये ले लेगी। उसने अपनी बिकिनी भी ले ली। जब तक उसका सामान पैक हुआ उसने एक अतिरिक्त दिन रुकने का मन बना लिया था।
“मम्मी, क्या मैं आपका हैयर ड्रायर इस्तेमाल कर सकता हूँ?” सजल ने पूछा।
कोमल ने जब पलट कर देखा तो सजल सिर्फ़ तौलिया पहने हुए खड़ा था। उसने सोचा अगर सजल का तौलिया खुल गया तो क्या होगा?
“वो ड्रैसर में है।” उसने कांपती हुई आवाज़ में कहा। उसने सजल को ड्रायर लेकर कमरे से जाते हुए देखा। उसकी आँखें उसके बलिष्ठ शरीर का आंकलन कर रही थीं।
“तुम्हें इस तरह सोचना बंद करना होगा, कोमल।” उसने स्वयं से कहा। वो अपने पुत्र की चाह से ग्रसित थी। उसने अपने होटल में रुकने के असली कारणों के बारे में सोचा। क्या वो सजल के साथ अकेली रहना चाहती थी? उसने सजल का इंतज़ार करते हुए सोचा कि वह सजल को कहेगी कि वो भी सीधे स्कूल जाने की बजाय रात को उसके साथ ही होटल में रुक जाये। फ़िर क्या होगा?

* * * *
कोमल को सजल के साथ कार चलाने में बहुत आनंद आया। उन्होंने काफी बातें कीं जो शायद बहुत दिनों से नहीं की थीं। उसने सजल से उसके दोस्तों के बारे में जाना कि वो सब कॉलेज में क्या करते थे। वह उसके साथ बहुत हँसी और अपने आपको उसके और करीब होता हुआ पाया।
जब कॉलेज पास आने लगा तो उसने सजल से पूछा, “अगर तुम चाहो तो मेरे साथ होटल में रुक कर सुबह जा सकते हो। मैं तुम्हें पहली क्लास के पहले पहुँचा दुँगी।”
“शायद आप यह भूल रही हैं कि मुझे आज रात आठ बजे के पहले होस्टल में हाज़िरी देनी है” सजल बोला।
“हाँ, यह तो मैं भूल ही गयी थी। क्या बेकार का कानून है। मैं तुम्हारे इतने पास रहकर भी होटल में रहुँगी।”
“हाँ, पर मुझे उनका पालन करना होता है” सजल ने जवाब दिया।
“मैं उम्मीद कर रही हूँ कि तुम्हें मैं अगले साल अपने ही शहर के कॉलेज में दाखिला दिलवा पाऊँगी” कोमल ने सजल की जांघों पर हाथ रखते हुए कहा।
“पापा कभी नहीं मानेंगे... मैं घर पर ही रह कर पढ़ना चाहता हूँ पर उन्होंने जिद पकड़ी हुई है...। शायद तुम जो कह रही हो, हो न पायेगा।”
“वो तुम मुझ पर छोड़ दो” उसने सजल की जांघ को दबाते हुए कहा। “कुछ दूर पर ही उसका लंड भी है”, उसने सोचा।
“कोमल जी!” जैसे ही वो कॉलेज में दाखिल हुई कर्नल मान ने उसे पुकारा। वो उस ऊँचे लम्बे आदमी के मुखातिब हुई। “मुझे खुशी है कि आप सजल को समय रहते ले आईं। उसका व्यवहार बहुत ही अच्छा है। वो बहुत अच्छा मिलिटरी अफ़सर बनेगा।”
कोमल ने मुस्करा कर मान को देखा। वो उसे बहुत पसंद नहीं करती थी। वह उसके हिसाब से कुछ ज्यादा ही कड़क था। अगर वो इस अकड़ को छोड़ सके और जीवन का आनंद लेने को तैयार हो तो वो जरूर एक शक्तिशाली चुदक्कड़ बन सकता था।
“धन्यवाद, कर्नल मान। मैं और मेरे पति सजल पर गर्व करते हैं।”
“अपना ध्यान रखना प्रिय, मैं कल जाने के पहले तुम्हें फ़ोन करुँगी या मैं एक और रात रुक जाऊँगी । अगर मैं रुकी तो मैं तुम्हे कल दोपहर लेने आऊँगी। हम कोई पिक्चर देखेंगे और रात का भोजन साथ करेंगे” कोमल ने प्यार से कहा।
“मैं आपसे जल्दी ही मिलने की उम्मीद रखता हूँ” कर्नल ने कहा।
“धन्यवाद, कर्नल।” वो मन ही मन मुस्करायी क्योंकि उसने कर्नल की आँखों में वासना की भूख महसूस की।
कोमल के होटल का कमरा काफी बड़ा और आरामदेह था। उसने सामान खोला और थोड़ी देर लेट गयी। उसने पेपर देखा और एक अच्छा रेस्तरां ढूँढ निकाला। खाना खाकर वो होटल वापस आ गयी पर कमरे में जाने की बजाय वो तरणताल की ओर बढ़ गयी। कुछ अतिथि तैरने का आनंद उठा रहे थे। उसने वहीं बैठकर लोगों को तैरते हुए देखने का निश्चय किया।
“हेलो” उसकी ही उम्र के एक बेहद आकर्षक आदमी ने ताल के अंदर से उसे संबोधित किया। “क्या आप तैरेंगी नहीं?”
“नहीं, धन्यवाद, मैं कल तक इंतज़ार करुँगी, अभी बहुत ठंडक है।”
वह अजनबी ताल के किनारे निकल कर आ बैठा। कोमल को वह पसंद आ गया। वो काफी कद्दावर था और सीने पर घने बाल थे। उसका लंड भी उसके कच्छे से उदीप्त हो रहा था।
“क्या आप होटल में ही रुकी हैं?” उसने पूछा।
“हाँ, और आप?” कोमल आगे की संभावनाओं पर विचार कर रही थी। उसने कभी सुनील के साथ धोखा नहीं किया था। पर अब वो घर से दूर अकेली थी, वो किसी के साथ भी चुदाई का सुख ले सकती थी, किसी को पता नहीं लगने वाला था।
“मैं कल तक यहीं हूँ, मेरा नाम प्रेम है। माफ़ करिये मेरा हाथ गीला है।” उसने कोमल की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।
“मैं कोमल हूँ। क्या आप शहर में व्यवसाय हेतु आये हैं?” उसे अपनी आवाज़ में एक कम्पन महसूस हुआ। उसने रेस्तरां में शराब पी थी उसके कारण वो काफी चुदासी हो उठी थी।
प्रेम ने उसे बताया कि वो एक सेल्समैन था और अपने कार्य के लिये यहाँ आया था। उन्होंने कुछ देर बातें कीं और एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए। कोमल ने प्रेम को अपने मन की आँखों से उसे निर्वस्त्र करता हुआ महसूस किया। कुछ ही देर में उसकी प्यासी चूत दनादन पानी छोड़ने लगी। प्रेम ने कहा कि उसके कमरे में शराब की एक बोतल रखी है जो वह उसके साथ बाँटना चाहता है। कोमल ने हामी भरी और वो अंदर चले गये। जितनी शराब उसने पी थी उसके बाद उसे और शराब की ज़रूरत नहीं थी। पहले से ही हल्के नशे के कारण वो ऊँची हील के सैंडलों में थोड़ी सी लड़खड़ा रही थी, पर वो यह जानती थी कि प्रेम का यह सुझाव उसे अपने कमरे में बुलाने का एक बहाना था। उसने अभी यह निश्चित नहीं किया था कि वो प्रेम से चुदवायेगी या नहीं पर वो उसका साथ खोना नहीं चाहती थी। जब प्रेम ने उसके गिलास में वोडका डाली और पास आकर बिस्तर पर बैठा तो उसकी नज़र प्रेम के कच्छे से झाँकते लंड पर पड़ गयी। प्रेम भी उसके वस्त्रों के अगले भाग से झाँक रहा था। उसके कपड़ों का निचला हिस्सा घुटनों तक चढ़ गया था। प्रेम समझ नहीं पा रहा था कि वो आँखों से किस अंग का सेवन करे - विशाल मम्मों का या चिकनी जांघों का।
“मैं भी शादीशुदा हूँ, कोमल। मैं अधिकतर अपनी पत्नी के साथ दगा नहीं करता, पर तुम इतनी सुंदर हो कि मैं....” वो कहते हुए रुक गया।
कोमल को भी आश्चर्य हुआ जब उसने अपने आप को यह कहते हुए सुना, “क्या तुम यह कहना चाहते हो कि तुम मेरे साथ हमबिस्तर होना चाहते हो?” शायद यह उस शराब का ही असर था जो उसने इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कह दी थी।
“हाँ...” प्रेम फुसफुसाकर बोला।
“तो आगे बढ़ो न ...” वो भी वापस फुसफुसाई।
जब प्रेम की बलिष्ठ बाहों ने उसे घेरा तो उसे लगा कि वो बेहोश हो जायेगी। अपने पति से विश्वास्घात करने के रोमाँच ने उसकी ग्लानि को दबा दिया था। जब प्रेम ने उसके शरीर को बिस्तर पे बिछाया तो वो उससे चिपक गयी। प्रेम ने एक प्रगाढ़ चुम्बन की शुरुआत की।
“मेरी गर्दन को चूमो और काटो” कोमल बोली, “हाँ...हाँ प्रेम ऐसे ही, और जोर से।”
जब प्रेम ने उसके वस्त्रों के पीछे लगे ज़िप को खोलने की चेष्टा की तो कोमल बोली, “जल्दी मुझे नंगा करो प्रेम... मैं तुमसे अपने मम्मों को कटवाना चाहती हूँ... उन्हें भी उसी तरह काटो जैसे तुमने मेरी गर्दन को काटा था।”
प्रेम ने रिकॉर्ड समय में उसकी यह हसरत पूरी कर दी। कोमल ने अपने शरीर को बिस्तर पर ठीक से व्यवस्थित किया।
“वाह, क्या शानदार गोलाइयाँ हैं...” प्रेम ने उसकी नंगी चूचियों को देखकर कहा।
“बातें मत करो, मेरी चुचियों को चबाओ।” कोमल ने प्रेम का चेहरा अपने स्तनों की ओर खींचते हुए कहा। हालांकि उसे तारीफ़ अच्छी लगी थी पर उसका संयम चूक सा गया था।
प्रेम ने वही किया। कोमल की चूचियाँ पहाड़ सी खड़ी थीं। “काटो, मुझे यह बहुत अच्छा लगता है... चूसो, काटो... तुम मुझे तकलीफ़ नहीं दे रहे हो। तुम जितनी जोर से चाहो चूस और काट सकते हो।”
“रुको कोमल, तुमने मुझे उन्हें जी भर कर देखने ही नहीं दिया” अपना मुँह हटाते हुए प्रेम ने कहा और उन हसीन पहाड़ियों का अवलोकन करने लगा।
“मैं तुम्हे बाद में जी भर कर दिखा दुँगी... अभी तुम उन्हे चूसो बस!” कोमल ने उसे वापस अपनी ओर खींचा।
“यह कितने कड़क हैं!” उसने उनको अपनी मुट्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
“जोर से!” कोमल फुसफुसाई।
“तुम्हें आदमी की जोर-जबर्दस्ती पसंद है... है न?” उसने उन मम्मों को जोर जोर से भींचना और मसलना शुरू कर दिया।
“हाँ प्रेम, मेरे साथ इसी तरह पेश आओ, जैसे कि मेरा पति नहीं करता...” उसे यह कहने में कोई संकोच नहीं हुआ। आखिर वो प्रेम से दोबारा तो कभी मिलने से रही।
“तुम्हें देखकर कोई यह नहीं मान सकता कि इतनी उच्च-स्तरीय दिखने वाली औरत ऐसी चुदक्कड़ होगी।”
“यह सच है प्रेम, इतने सालों में मैं अपने पति को उस तरह से चोदने के लिये नहीं मना पायी जैसा कि मुझे पसंद है... तुम तो उसी तरह करोगे जैसा कि मुझे पसंद है... है न प्रेम? मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करुँगी... तुम्हारा लंड चूसुँगी और उसका रस भी पियुँगी।”
प्रेम वापस कोमल के मम्मे चूसने लगा। कोमल ने उसकी चड्डी उतार दी। वो उसका लंड चूसना चाहती थी। प्रेम का लंड मुक्त हो गया।
“मुझे खुशी है कि यह काफ़ी बड़ा है।” वो शायद सुनील के लंड से बड़ा और थोड़ा मोटा भी था। “मुझे अपनी चूत में मोटे बड़े लंड ही पसंद हैं।”
“इसे पूरा उतार दो और फ़िर देखो यह तुम्हारे अंदर कैसा लगेगा।” प्रेम ने कोमल के रहे-सहे वस्त्र उतारते हुए कहा। कोमल अब पूरी तरह नंगी थी। सिर्फ उसके पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल बंधे हुए थे।
प्रेम ने जब कोमल की चमचमाती चिकनी चूत देखी तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपना मुँह कोमल की चूत में घुसेड़ दिया। वो उस अमृत का पान करना चाहता था।
“नहीं प्रेम, मैं तुमसे अपनी चूत अभी नहीं चटवाना चाहती... पहले मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ... पहले मेरे मुँह को वैसे ही चोदो जैसे तुम मेरी चूत को चोदोगे।”
प्रेम ने एक सैकंड की भी देर किये बिना अपना लंड कोमल के हसीन चेहरे के आगे झुला दिया। “मेरे लंड को अपने मुँह में डालो...” उसने कहा।
“ऊंहहहहहफ़!” जब प्रेम ने सारा लंड उसके मुँह मे पेल दिया तो कोमल के मुँह भर गया। लंड का मुँह उसके गले तक पहुँच रहा था। प्रेम ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया। कोमल के गाल फ़ूलने-पिचकने लगे। प्रेम ने जब अपने नीचे हो रहे दृश्य को देखा तो उसका तन्नाया हुआ लंड और सख्त हो गया। उसे लगा कि वो झड़ने वाला है।
“हाँ बेबी, पी जाओ” उसने अपना रस कोमल के फ़ूले हुए मुँह में छोड़ते हुए कहा।
कोमल को इस बात से कोई परेशनी नहीं हुई कि प्रेम इतनी जल्दी स्वाहा हो गया। वो तो अमृतपान में व्यस्त थी। और उसे विश्वास था कि वो प्रेम को जल्द ही फ़िर से सम्भोग के लिये तैयार कर लेगी।
“पिला दो मुझे अपना रस,” जब प्रेम के रस की पिचकारी ने पहला विश्राम लिया तो कोमल अपना मुँह खोलकर बोली। कोमल को लंड चूसना इतना अच्छा लग रहा था कि वो उसे छोड़कर राजी नहीं थी। उसने जब तक उसे पूरी तरह सुखा नहीं दिया, छोड़ा नहीं।
प्रेम थक कर बिस्तर पर लेट गया। “अभी मैं और नहीं कर सकता, मैनें बहुत औरतें देखीं, पर तुमसी ....!”
कोमल मुस्करायी और उसके ऊपर आ लेटी। “रंडी,” वो बोली, “अगर तुम मुझे रंडी कहोगे तो मैं बुरा नहीं मानुँगी। बल्कि शायद मुझे अच्छा ही लगे। मैं चाहती थी कि आज तुम मुझे एक रंडी की तरह ही चोदो। आज मैं वैसे ही चुदी जैसे सालों से चाहती थी। मेरे पति एक बहुत अच्छे आदमी हैं, इसलिये कभी इस तरह पेश नहीं आते।”
“मै समझ सकता हूँ जो तुम कहना चाहती हो... मेरी पत्नी भी सैक्स के प्रति बहुत सीधी है... तुम्हें विश्वास नहीं होगा मैनें आज तक उसके मुँह में अपना लंड नहीं डाला है।”
“तो आज की रात हम एक दूसरे की सहायता करेंगे” कोमल ने प्रेम को चूमते हुए कहा। “और ऐसा क्या है जो तुम तो चाहते हो पर वो नहीं करने देती? तुम चाहो तो मेरे मम्मों की भी चुदाई कर सकते हो। वाह देखो, यह फ़िर से मेरे लिये खड़ा होने लगा है!”
कोमल ने अपनी विशाल गोलाइयों को उसपर झुकाते हुए अपने हाथों से उन्हें दबाया। “तुम चाहो तो मेरे मम्मों को चोद सकते हो।”
“मेरी पत्नी तो मुझे कभी ऐसा न करने दे!” प्रेम ने अपने लंड को कोमल की चूचियों के बीच में चलाना शुरू कर दिया।
“चोदो मेरे मम्मों को!” न जाने क्यों वो इस आदमी के साथ वो सब करना चाहती थी जो उसकी पत्नी उसे नहीं करने देती थी। हे भगवान, यह कितना गर्म लग रहा है यहाँ पर... सुनील ने कभी ऐसा नहीं किया था और वो यह न जाने कब से करने को बेताब थी। सुनील को हमेशा यह डर रहता था कि कोमल को कहीं इससे तकलीफ़ न हो। काश उसे पता होता! इसी कारण से और भी कुछ था जो सुनील ने कभी नहीं किया था।
“क्या तुमने कभी अपनी बीवी की गाँड मारी है?” कोमल ने अपने मम्मों को प्रेम के लंड पर और जोर से दबाते हुए पूछा।
“अगर मैं उससे पूछुँगा भी तो वो मर जायेगी। क्या तुम यह कहना चाहती हो कि तुम मुझसे अपनी गाँड भी मरवाना चाहती हो?”
इसके जवाब में कोमल ने अपने शरीर को इस तरह मोड़ा की उसका पिछवाड़ा प्रेम के मुँह की तरफ़ हो गया। “मेरी गाँड मारो, अपने इस मूसल से मेरी गाँड की धज्जियाँ उड़ा दो!” कोमल ने जवाब दिया।
प्रेम कोमल के पीछे गया और उसने कोमल के पिछवाड़े को पकड़कर उसके इंतज़ार करते हुए छेद पर एक नज़र डाली। वो इस दृश्य का भरपूर आनंद उठाना चाहता था।
“जल्दी करो! मुझे इस बात की बिलकुल परवाह नहीं कि मुझे दर्द होगा।” कोमल ने मिन्नत की। उसने अपने हाथ पीछे करते हुए अपने कद्दू से पुट्टों को फ़ैलाया जिससे कि उसका गाँड का छेद प्रेम के लिये और खुल गया। अब कोई शक नहीं था कि वह मूसल सा लौड़ा किस रास्ते को पावन करेगा।
प्रेम का लौड़ा अपने मदन रस से गीला था, उसे किसी और चिकनाहट की आवश्यकता नहीं थी। उसने अपने लंड का सुपाड़ा गाँड के मुंहाने रखा और धुंआधार धक्का मारा।
“अरे मरी रे! इसमें तो बहुत दर्द होता है।” जैसे ही प्रेम के सुपाड़े ने गाँड को छेदा तो कोमल चीख उठी। उसके शरीर में एक तीव्र वेदना उठी। एक मिनट के लिये तो उसकी साँस ही बंद हो गयी और गाँड - उसके दर्द की तो कोई इंतहा ही नहीं थी। जब वो थोड़ा सम्भली तो बोली, “ओके प्रेम अब पूरा पेल दो अपना लंड मेरी गाँड में!”
“क्या इसमें बहुत दर्द होता है?” प्रेम ने पूछा। उसने नीचे देखा पर समझ नहीं पाया कि उसका पूरा लंड इतनी सम्करी गली में कैसे घुस पाया था।
“और नहीं तो क्या, जान निकल जाती है!” कोमल अभी भी तकलीफ़ में थी। “पर मुझे परवाह नहीं, तुम जितनी जल्दी इसकी चुदाई शुरू करो उतना ही अच्छा है... मैं जल्द ही आदी हो जाऊँगी!” उसने अपनी गाँड को पीछे धक्का दिया जिससे कि लंड थोड़ा और अंदर जाये।
प्रेम ने धीरे से आगे की ओर धक्का दिया। उसे अभी भी यह चिंता थी कि कहीं कोमल को चोट न पहुँचे। उसका लंड इतनी जोर से फ़ंसा हुआ था जितना आज तक कभी नहीं हुआ था। हालांकि उसे इस बात की फ़िक्र थी कि कोमल की गाँड को कोई नुकसान न हो पर अब उसे यह भी ख्याल आ रहा था कि ऐसा न हो कि इस आक्रमण में उसका लंड ही शहीद हो जाये। उसका जैसे जैसे लंड अंदर समा रहा था उसे अपनी रक्त-धमनियों पर दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था।
“मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम मुझे दो टुकड़ों में चीर रहे हो...” कोमल ने अपना मुँह तकिये में गढ़ाकर गहरी साँस लेते हुए कहा। आखिर यह पहला लंड था जिसने उसकी मखमली गाँड को चीरा था। “पर तुम ऐसे ही लगे रहो प्रेम, जब तक कि तुम्हारा लंड जड़ तक नहीं समा जाता।”
प्रेम ने ऐसा ही किया। उसने देर न करते हुए एक जोरदार शानदार धक्का मारा और अपने लौड़े को कोमल की गाँड में जड़ तक पेल दिया। फ़िर वो कुछ देर साँस लेने के लिये ठहरा। गाँड की माँसपेशियों का दबाव और स्पम्दन वो महसूस कर पा रहा था। एक पल तो उसे लगा कि वो तभी वहीं झड़ जायेगा।
“फ़िर से डालो, प्रेम” कोमल ने विनती की।
जब प्रेम थोड़ा संभला तो उसने अपना लंड बाहर खींचा और फ़िर दुगने जोश से वापस ठोक मारा। कोमल की स्वीकृती पाकर उसने ऐसा ही एक बार और किया, फ़िर और, फ़िर और....
“यही तरीका है! इसमें तकलीफ़ जरूर होती है, पर अब थोड़ी कम है। मुझे यह बेहद पसंद आ रहा है। मुझे पता था कि मुझे गांड-पिलाई पसंद आयेगी।”
कोमल को उसके गंतव्य तक शीघ्र पहुँचाने के लिये प्रेम ने अपना हाथ बढ़ाकर कोमल की चूत को ढूँढा और अपनी एक उंगली उस बहती हुई नदी के उद्गम में डाल दी।
कोमल के लिये अब यह बता पाना कि क्या पीड़ा थी और क्या आनंद मुश्किल हो चला था। उसकी चूत और गाँड दोनों में चल रहे आनंद को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। दोनों यही संकेत दे रहे थे कि अब बांध ढहने को है। “प्रेम और जोर से! तेज़ और तेज़! मार लो मेरी गाँड, अपने रस से मेरी गाँड भर दो!”
प्रेम भी यही सुनना चाहता था। “ए बेबी तुम तो मेरा लंड ही छील डालोगी...” वो चिल्लाया। कोमल की गाँड ने उसके लंड पर जकड़ बढ़ा दी थी। इस कारण वह ठीक तरह से झड़ भी नहीं पा रहा था। इसी कारण उसे अपना लंड खाली करने में काफी देर लगी।
कोमल और भी बहुत देर तक मैदान में टिकी रहती पर प्रेम अब थक चुका था। यह देख कोमल तकिये पर सहारा लेकर लेट गयी। वो सोच रही थी कि आज उसने सच में एक आदमी से अपनी गाँड मरवा ही ली थी।
आज उसने दो काम ज़िंदगी में पहली बार किये थे। अपने पति से दगा और गाँड मराई।
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,031
8,465
214
अध्याय - ३
दूसरे दिन कोमल सजल को लेने उसके कॉलेज गयी। उसकी चूत कल की चुदाई को अभी भुला नहीं पायी थी और अभी तक रुक-रुक कर अपनी खुशी ज़ाहिर कर रही थी। प्रेम ने जब उसके घर का पता और फ़ोन नंबर माँगा तो उसने उसे मना कर दिया था। एक अजनबी के साथ एक ही रात काफ़ी थी। उसे वो रात सुनील के साथ बेइमानी करने के कारण हमेशा याद रहनी थी। इतना ही काफ़ी था।
कोमल खुश थी क्योंकि उसने सुबह ही कर्नल मान से बात की थी और सजल को अपने साथ होटल में रात बिताने की आज्ञा ले ली थी।
“मेरी गाड़ी खराब है और उसे ठीक करने में पूरा दिन लग जायेगा। मैं शाम को वापस घर के लिये नहीं निकलना चाहती। मैं बहुत आभारी रहुँगी अगर आप अपने नियम में ढील देकर सजल को मेरे साथ रहने की आज्ञा दे दें। मैं वादा करती हूँ मैं किसी और के माता-पापा को इसके बारे में नहीं बताऊँगी।” कोमल ने बड़ी सफ़ाई के साथ झूठ बोला था।
अपने पूरी मिठास और आकर्षण का इस्तेमाल करते हुए वो बड़ी मुश्किल से उस अड़ियल कर्नल को मना पई थी। उसे महसूस हुआ कि शायद कर्नल भी आकर उसे होटल में चोदना चाहता है। इससे कोमल को बहुत प्रसन्नता हुई। शायद इसी बात से कर्नल की स्वीकृती मिल गयी थी। उसने मन में विचार किया कि एक दिन वो इस हट्टे-कट्टे कर्नल को भी चुदाई के लिये फुसलायेगी। वो यह भी सोच रही थी कि क्या अपने बेटे के साथ होटल के एक ही कमरे में अकेले रात बिताना ठीक होगा। उसने अपने मन को मनाया कि ज़रूरी तो नहीं कि कुछ हो ही।
हालांकि वो अपने आप को समझा रही थी पर उसे पूरा विश्वास नहीं था। कुछ दिनों से वह सजल को मात्र एक माँ की दृष्टि से नहीं देख रही थी बल्कि... सजल से चुदवाने के ख्याल से ही उसकी चूत ने पानी के फ़ुहारे छोड़ने शुरू कर दिये। इस भावना के आगे वो अपने आप को कमजोर पा रही थी।
“आप सच कह रही हैं कि कर्नल मान ने रात बाहर रहने की आज्ञा दी है?” सजल ने पूछा।
“अब तुम इस बारे में चिंता नहीं करो। मुझे तुम्हे सुबह जल्दी यहाँ पहुँचाना है... इसलिये अभी जल्दी करो।”
“हम कहाँ जा रहे हैं?” सजल ने पूछा।
“यहाँ एक अच्छी पिक्चर चल रही है, उसे देखकर किसी बढ़िया से रेस्तरां में खाना खायेंगे और फ़िर होटल चलेंगे। क्या तुमने अपने तैरने के वस्त्र साथ लिये हैं?”
जब सजल ने हामी भरी तो कोमल खुश हो गयी। “हम बहुत दिन से एक साथ तैरे नहीं हैं। तुमने मुझे डाइव करना सिखाने का वादा किया था।”
“मुझे तो बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी जवान लड़की के साथ डेट पर जा रहा हूँ।”
“ठीक है तो हम इसे डेट ही कहेंगे। कुछ ही दिनों में तुम लड़कियों के साथ घूमना-फ़िरना शुरू कर दोगे। इससे मुझे तो बड़ी जलन होगी।”
“मुझे उम्मीद है कि वो भी तुम्हारी जैसी ही सैक्सी होंगी।” सजल ने मुस्कराकर कहा। वो कोमल को बिकिनी में देखने के लिये उत्सुक था। जब वह पिछली बार कोमल के साथ तैरने गया था तो कोमल को देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था। उसे काफ़ी देर तक पानी में रहना पड़ा था जब तक कि उसका लंड वापस अपने वास्तविक स्वरूप में नहीं लौटा था।
“क्या तुम समझते हो कि मैं सैक्सी हूँ?” कोमल को अपने शरीर में एक स्फ़ूर्ति सी महसूस हुई।
“और नहीं तो क्या? तुम क्या समझती हो, जब तुम मुझे छोड़ने आती हो तो क्यों सारे लड़के तुम्हे हेलो करने आते हैं?”
कोमल की चूत गरमा गयी पर उसने अपना ध्यान दूसरी ओर कर लिया। पिक्चर बड़ी मज़ाकिया थी। वो अपने बेटे के साथ खूब हँसी। रात के भोजन में कोमल ने अपनी वाइन सजल के साथ बाँटी। हालांकि रेस्तरां के मालिक ने इस पर एतराज़ किया था पर यह जान कर कि वो मम्मी-बेटे हैं मान गया था। जब वो होटल पहुँचे तो कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी। अगर आज रात को कुछ होगा तो शायद उससे कुछ भला ही होगा।
“मैं अपने तैरने के वस्त्र बाथरूम से बदल कर आता हूँ... लेकिन आज मैं आपको डाइव करना नहीं सिखाऊँगा क्योंकि आपने काफी ड्रिंक की हुई है “ सजल ने कहा।
“मैं तुम्हारी मम्मी हूँ, तुम मेरे सामने भी बदल सकते हो... चलो यहीं बदलो... देखो मैं भी तुम्हारे सामने ही बदल रही हूँ।”
बिना सजल के जवाब का इंतजार किये कोमल ने अपने कपड़े और सैंडल उतारने शुरू कर दिये। उसने अपनी ब्रा और चड्डी उतारने में हल्की सी देर लगाई जिससे कि सजल को कुछ उत्सुकता हो। “देखो कितना आसान है... मैं तुम्हारी मम्मी हूँ और तुम मेरे बेटे, हमें एक दूसरे को नंगा देखने में शर्म कैसी?”
“कुछ भी नहीं।” सजल के मुँह से मुश्किल से आवाज़ निकली पर अगर यह इतना आसान था तो उसका लंड खड़ा क्यों हो रहा था?
“जल्दी करो सजल, तरणताल थोड़ी ही देर में बंद हो जायेगा।” कोमल अपनी बिकिनी निकालने में मशगूल हो गयी। उसकी पीठ सजल की ओर थी पर वह सजल के नंगे जिस्म को देखने के लिये मुड़ने को तत्क्षण तैयार थी।
कोमल ने अपनी बिकिनी पहनी ही थी कि सजल ने अपनी चड्डी उतार दी। वह तेज़ी के साथ अपनी तैरने की चड्डी पहनने के लिये झपटा। पर वो कोमल के सामने थोड़ा धीमा पड़ गया। कोमल तब तक पलट चुकी थी और उसने सजल का मोटा बड़ा लंड भी देख लिया था।
“तुम काफ़ी बड़े हो गये हो, प्रिय।” उस खुशनसीब माँ ने अपने बेटे के हथियार पर एक भरपूर नज़र डाली। उसने जो देखा उससे उसका मन अती आनंदित हो गया। सजल का लंड सुनील से बड़ा और मोटा रहा होगा, कोई दस इंच लंबा और अच्छा खासा मोटा। सजल के टट्टे भी भारी थे और घनी झाँटों में छुपे हुए थे। कोमल के मुँह में पानी आ गया। पर उसने संयम बरता और कहा, “बेहतर होगा कि तुम अपनी चड्डी पहन कर तैरने चलो।” यह कहकर उसने दूसरी ऊँची ऐड़ी की चप्पलों में पैर डाले और दरवाज़े की ओर बढ़ गयी।
सजल को नंगा देखकर कोमल की दबी हुई भावनायें दोबारा करवटें लेने लगी थीं। उसे शक था कि आज की रात वो अनचुदी नहीं रहेगी। सजल भी अपने आप को संतुलित करने की कोशिश कर रहा था पर उसके मन में भी एक सागर उमड़ रहा था।
थोड़ी देर तैरने के बाद कोमल बोली, “अब बहुत ठंडक हो गयी है, चलो अंदर चलते हैं।”
कमरे में पहुँच कर दोनों काफ़ी तनाव में थे। सजल ने पहले कमरे में बिछे दोनों बिस्तरों की ओर देखा, ओर फ़िर अपनी मम्मी की ओर। कोमल समझ गयी कि वो क्या सोच रहा था। अब सच्चायी को छुपाया नहीं जा सकता था। पर उसे एक ही डर था कि अगर सजल उससे नफ़रत करने लगा तो वो क्या करेगी? कहीं वो खुद ही अपने आप से नफ़रत न करने लगे।
इन सारे शकों के बावज़ूद अपने बेटे को चोदने का ख्याल हावी था। कोमल ने अपनी बिकिनी की डोर खोलते हुए कहा, “हमें सोने के पहले नहा लेना चाहिये...” और इसी के साथ उसकी बिकिनी की ब्रा ज़मीन पर जा गिरी। सजल अपनी पैंट उतारने में अभी भी हिचकिचा रहा था।
“तुम यह कच्छा पहनकर तो ठीक से नहा नहीं सकते...” कोमल ने अपनी चड्डी उतारते हुए कहा।
वो लड़का अपनी मम्मी के शानदार जिस्म को देखकर ठगा सा रह गया। उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ ऊँची ऐड़ी की चप्पलें पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
“तुम जाकर पहले नहा लो मम्मी, मैं तुम्हारे बाद नहा लुँगा।”
“नहीं, हम दोनों साथ ही नहायेंगे” यह कहते हुए कोमल अपने विशाल मम्मे झुलाती हुई सजल की ओर बढ़ी। वो काफ़ी उत्तेजित थी।
“मम्मी क्या तुम समझती हो कि ये ठीक होगा?”
“अवश्य, अब तुम अपनी पैंट उतारो, या मैं उतारूँ?”
“नहीं, मैं उतार लुँगा।”
कोमल ने पानी चलाकर टब के अंदर अपना पैर रखा। जब उसने अपने पीछे सजल को आते न देखा तो आवाज़ दी कि वो अब देर न करे। नंगा लड़का बाथरूम में घुसा। कोमल उसे देखकर समझ गयी कि वो क्यों शर्मा रहा था। उसका लंड ताड़ की तरह अपनी पूरी दस इंची लम्बाई तक तनकर खड़ा था। सजल ने अपनी इस हालत के लिये क्षमा माँगने को मुँह खोलना चाहा।
“तो क्या तुम इसलिये इतने शर्मा रहे थे?” कोमल ने हँसते हुए कहा। “इसमें कुछ गलत नहीं है बच्चे!, इससे सिर्फ़ यह सिद्ध होता है कि तुम एक स्वस्थ लड़के हो। मुझे इसलिये भी खुशी है कि शायद यह मेरे कारण है।”
“आओ अंदर, पानी तुम्हारी पसंद का है, हल्का गुनगुना।” कोमल ने अपना हाथ बढ़ाकर सजल को टब में खींच लिया। उसने सजल को साबुन देकर कहा कि वो उसकी पीठ पर मले। “जोर से घिसना।”
सजल का लंड नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऊपर से उसकी मम्मी की नंगी पीठ का स्पर्श उसे और उत्तेजित कर रहा था। उसका लंबा लंड उचक-उचक कर उसकी मम्मी की गाँड को छूने की कोशिश कर रहा था।
“ऊँहुं, मुझे कुछ लगा।” कोमल खिलखिलाई जब सजल के लंड ने अपने परिश्रम में सफ़लता पायी और अपने लक्ष्य को छू लिया। वो थोड़ा पीछे सरकी जिससे कि उसे दोबारा यह सुख मिले।
“माफ़ करना मम्मी!” लड़का सकपकाकर बोला और थोड़ा पीछे हटा।
“क्यों, तुम्हारे शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर को छुए तो इसमें क्या गलत है? मुझे साबुन दो, मैं तुम्हारी पीठ प लगा दूँ।”
पहले कोमल ने सजल की पीठ पर साबुन लगाया और फ़िर छाती पर। “अब मेरी छाती पर साबुन लगाने की तुम्हारी बारी है।”
“शर्माओ मत... मुझे छुओ...” कहते हुए उसने सजल के हाथ अपने मम्मो पर लगा दिये। इसके बाद कोमल ने अब तक की सबसे साहसी हरकत की। “तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को अच्छे से साफ़ करना होगा, इसे भी...” कहते हुए उसने सजल का भरपूर लौड़ा अपने हाथ में भर लिया।
“ओह मम्मी!”
“मैं जानती थी कि तेरा लौड़ा ऐसा ही शानदार होगा।” कोमल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसने अपने चेहरे को झुकाया।
“नहीं, मम्मी हम ऐसा ... पाप...” लड़का हकलाने लगा पर उसने अपनी मम्मी को रोका नहीं।
“हमें करना ही होगा... मुझे तुम्हारी इतनी ज़रूरत है कि मैं रुक नहीं सकती... अब बहुत देर हो चुकी है... अपनी मम्मी को स्वयं को खुश कर लेने दो मेरे बेटे” कहते हुए उसने वो मूसल अपने मुँह में भर लिया।
“आआआह मम्मी, तुम्हारा मुँह!”
“ऊंह ऊंह” कोमल तो अब उस महान हथियार का स्वाद लेने में जुटी थी। वो हुंचक-हुंचक कर लौड़े को चूस रही थी। इस समय उसकी तुलना गर्मी में आई हुई बिल्ली से की जा सकती थी।
सजल भी अब चुप नहीं रहा। जब उसने यह जान लिया कि उसकी मम्मी अब रुकने वाली नहीं है, तो उसने भी अपनी मम्मी को पूरा आनंद देने का निर्णय लिया। उसने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी चुचियों पर रखे और धीरे-धीरे मसलने लगा।
“उन्हें खींचो और उमेठो...” कोमल ने सीत्कार भरी। वो समझ नहीं पा रही थी कि इस जवान लंड का स्वाद लिये बगैर वो अभी तक जीवित कैसे थी? उसके मुँह से तो वो छूट ही नहीं पा रहा था।
हालांकि उसकी चूत उबल रही थी, पर उस प्यासी मम्मी ने पहले अपने पुत्र को पहले सम्पूर्णानंद देने का वचन लिया। वो दिखाना चाहती थी वो उसके लिये क्या कुछ कर सकती थी। “तुम मेरे मुँह में झड़ सकते हो, मेरे राजा बेटे” उसने अपनी जीभ को लंड के द्वार पर लगाये रखा।
“क्या तुम सच कह रही हो मम्मी?” सजल अब रुक नहीं पा रहा था। उसने पूरा दम लगाकर अपनी मम्मी के विशाल मम्मों को खींचा।
“मुझे इस समय दुनिया में और कुछ नहीं चाहिये।”
“तो फ़िर लो... यह मेरी पहली बार है किसी औरत के मुँह में झड़ने की।”
“आ जाओ बेटे, तुम्हारी मम्मी का मुँह तुम्हारे रस को पीने के लिये बेचैन और प्यासा है।”
सजल यही सुनना चाहता था। उसने कोमल के मम्मों को और जोर से भींच डाला। कोमल की चीख निकल गयी। पर अगले ही पल उसको अपनी जीभ पर अमृत की पहली बूँद का स्वाद महसूस हुआ।
“पियो मम्मी!” कहते ही सजल ने जो पिचकारी मारनी शुरू की तो कोमल का पूरा मुँह वीर्य से भर गया। यह सोच कर कि कोई बूँद बाहर न गिर जाये कोमल ने वापस अपना मुँह सजल के तने लंड पर कस दिया।
इस प्रक्रिया में कोमल को लगा कि कुछ हो रहा है जो उसकी समझ के बाहर है... पर क्या? फ़िर उसने जाना कि वो भी तेज़ी के साथ झड़ रही थी, बिना चुदे, बिना अपनी चूत को छुए! और ऐसे बह रही थी कि बस!
“चोद मेरे मुँह को, मॉय डियर! मैं भी झड़ रही हूँ।”
जब वासना का ज्वर समाप्त हुआ तो कोमल ने अपने बेटे को अपनी बाहों मे भर लिया और सिसकने लगी।
“मम्मी, क्या तुम ठीक हो?”
मम्मी ने अपने बेटे का एक प्रगाड़ चुम्बन लिया। “मैं इससे ज्यादा संतुष्ट कभी नहीं हुई, मॉय डियर!”
सजल ने उसकी एक चूची को कचोट कर पूछा, “मम्मी क्या तुम समझती हो कि जो हुआ वो सही था?”
“अब वापस जाने के लिये बहुत देर हो चुकी है... और मैं सोचती हूँ कि जो हुआ अच्छा हुआ। तुम क्या सोचते हो?”
“मुझे इस बारे में कुछ अजीब सा लग रहा है... पर था बहुत अच्छा... बहुत... पर मैं अब पापा से मिलने में थोड़ा परेशान होऊँगा।”
कोमल की मुस्कराहट गायब हो गयी। “हाँ ये दिक्कत रहेगी... पर हम उन्हे बता नहीं सकते। हमें ध्यान देना होगा कि हमारे आचरण से उन्हे कोई शक न हो।”
जब सजल ने हामी भरी तो कोमल बोली, “हमारे पास पूरी रात पड़ी है, प्यारे... और अभी तक मैनें तुम्हारा यह मूसल जैसा लौड़ा अपनी चूत में महसूस नहीं किया है।”
“यहाँ? टब में?” सजल ने पूछा।
“नहीं पागल, मैं चाहती हूँ कि जब तुम मुझे चोदो तो खूब जगह हो जिससे कि मैं जितना घूमना चाहूँ घूम सकूँ। मैं जानती हूँ कि जब तुम्हारा यह बल्लम मेरी चूत में घुसेगा तो मैं पागल हो जाऊँगी और तड़प-तड़पकर घूम-घूमकर चुदवाऊँगी... चलो बिस्तर पर चलो।”
उस चुदासी नंगी माँ ने अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर की ओर बढ़ चली। उसने अपने शरीर को सुखाने के बारे में सोचा तक नहीं। बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी कर बाहें फैलाकर बोली, “आ मेरे बच्चे, अब मुझे चोद।”
“तुमने मुझे चूसा था मम्मी, क्या मैं भी...?” सजल ने कोमल की गुलाबी चूत को देखते हुए पूछा। उसने कभी चूत नहीं चाटी थी और वो भी अपनी मम्मी को अपने प्यार की गहराई दिखाना चाहता था।
“हाँ, मेरे प्यारे! तेरा लाख-लाख शुक्र यह सोचने के लिये।” कोमल हाँफ़ती हुई बोली और अपनी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैलाने लगी। अंदर का हसीन नज़ारा दिखाते हुए बोली, “अपनी जीभ को यहाँ डाल मेरे लाड़ले।”
जब सजल ने अपना मुँह उसके नज़दीक किया तो चूत की तीखी गंध उसके नथुनों में आ समाई। कोमल ने अपनी चूत की मम्मीस-पेशियों की फैलाया-सिकोड़ा जिससे कि गंध और बढ़ी पर सजल रुका नहीं। उसने अपने यार-दोस्तों से सुना था कि चूत चाटना बेहद ही वाहियात काम है पर उसके मन में अपनी मम्मी की फुदकती हुई चुत के लिये ऐसी कोई भावना नहीं थी। जब सजल की जीभ ने चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो कोमल की तो जान ही निकल गयी। उसने अपना सिर उठाया जिससे कि वह अपनी चुसाई देख सके।
“मेरे प्यारे बच्चे,” वो कुलबुलाई, “अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो... हाँ तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।” अगर वो इस रास्ते पर चल ही पड़े थे तो पूरा ही आनंद लिया जाये, उसने सोचा।
उस भूखे लड़के को चूत की महक से नशा सा हो चला था। उसे आश्चर्य था कि वह चूत उसकी जीभ पर इतनी तंग क्यों लग रही थी। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया।
“चूसो जोर से!” जब सजल ने कोमल की चूत की क्लिट को चबाया तो वह बिल्कुल बेकाबू हो उठी। सजल को अनुभव तो कम था पर इच्छा तीव्र थी। इसलिये वो एक बेहतरीन काम को अंजाम दे रहा था। उसने तो बस यूँ ही चबाया था, क्या पता था कि उसकी मम्मी को इतना अच्छा लगेगा।
कोमल को अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ पर कुछ ही क्षण में वो एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी। ऐसा पानी छूटा कि बस, “अरे बेटा, मैं झड़ी... झड़ी रे माँआआआँ मेरी... चूस ले मुझे पी जा मेरा पानी... मॉय डियर... मेरे हरामी बेटे... आआआआआहहहहहह हाआआआआआआआआआ”
सजल का चेहरा तो जैसे ज्वालामुखी में समाया हुआ था। कोमल ने अपनी जांघों में उसे ऐसे कसा हुआ था कि उसकी साँस रुकी जा रही थी पर वो कुछ नहीं कर सकता था। हाँ वो उस स्वादिष्ट पेय को जी भर कर पी सकता था, सो वही कर रहा था।
“तेरे मुँह में तो स्वर्ग है बेटा।” जब कोमल झड़ कर निपटी तो बोली। सजल ने भी चैन की साँस ली जब कोमल की जांघों ने अपनी पकड ढीली की। कोमल कुछ देर के लिये तो संतुष्ट हो गयी थी पर कितनी देर के लिये?
“पेल दे अब यह लौड़ा मेरे अंदर, मॉय डियर...” कोमल फुसफुसाकर सजल से बोली।
सजल को तो कुछ करना ही नहीं पड़ा क्योंकि कोमल ने उसे अपने ऊपर खींचा और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया।
“मम्मी, यह अंदर जा रहा है” सजल ने अपने मोटे लंड के सुपाड़े को कोमल की गीली चूत में विलीन होते देखकर कहा।
“क्या मेरी चूत तंग है?” कोमल ने पूछा, “क्या तुम्हारे लौड़े के लिये मेरी चूत टाइट है?”
“इतनी टाइट कि दर्द हो रहा है।” सजल ने अपनी मम्मी की चूत में अपने लंड को और गहराई तक उतारते हुए कहा। यह उसका लंड चूत में जा रहा था या किसी भट्टी में?
“शायद इसलिये कि तुम्हारा लंड ही इतना बड़ा है। मेरी तो चूत जैसे फ़टी जा रही है।”
“क्या मैं रुक जाऊँ” सजल ने चिंता से पूछा।
“ऐसा कभी न करना... मेरे साथ कभी सदव्यव्हार मत करना चोदते समय... मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी चूत की पूरी गहराई में चाहिये... पूरा जड़ तक! तुझे मैं सिखाऊँगी कि मुझे कैसी चुदाई पसंद है... मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है... कोई दया नहीं... वहशी चुदाई... अब रुको मत और एक ही बार में बाकी का लंड घुसेड़ दो मेरी चूत में।”
यह सुनकर सजल ने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा मूसल अपनी मम्मी की चूत में पेलं-पेल कर दिया पर कोमल के लिये यह भी पूरा न पड़ा। “और अंदर” वो चीखी।
फिर तो उस जवान लड़के ने आव देखा न ताव और अपने लंड से जबरदस्त पिलाई शुरू कर दी। गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि कोमल के मुँह से चूँ तक न निकल पायी। कोमल जब झड़ी तो उसे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। सजल के मोटे लौड़े की भीषण पिलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।
उसने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की, “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे... भर दे मेरी चूत, भर दे। भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से।”
सजल अब और न ठहर सका और भरभरा कर अपनी मम्मी की चूत में झड़ गया। कोमल अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी।

जब दोनों शाँत हुए तो कोमल उसे चूमते हुए बोली, “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते।”

अध्याय - ४
“तुमने अपना पर्स और सैल फोन रख लिये हैं न?” घर से बाहर निकलते हुए सजल से कोमल ने पूछा।
सजल गर्मी की छुट्टियों में घर आया हुआ था। अभी वो अपने दोस्त से मिलने बाहर जा रहा था।
“चिंता मत करो मम्मी! मैं बच्चा थोड़ा ही हूँ...” सजल ने जवाब दिया।
“मेरा ख्याल है मैं तुम्हारा कुछ ज्यादा ही दुलार करती हूँ!” कोमल ने सजल को गले लगाते हुए कहा। मुझे खुशी है कि तुम छुट्टियों में घर आ गये। मुझे तो लगा जैसे पिछले दो हफ्ते कटेंगे ही नहीं। मुझे यह भी खुशी है कि तुम अब यहीं रह कर इसी शहर में पढ़ोगे। कोमल ने अपना शरीर सजल के शरीर से कस के सटा दिया। सजल के बड़े लंड का उभार कोमल की चूत पे ढकेलने लगा।
“मेरा ख्याल है कि मुझे अभी अपने दोस्त से मिलने नहीं जाना चाहिये”, सजल बोला जब उसे अपना लंड सख्त होता महसूस हुआ। कोमल के ब्लाऊज़ के ऊपर के बटन खुले हुए थे और उसकी की चूचियों का नज़ारा सजल के टट्टों में खलबली मचाने लगा था।
“हुम्म्म... अब मुझे उक्साओ नहीं... फिर तुमने अपने दोस्त से मिलने का वादा भी तो किया है... चुदाई के लिये तो अब सारी गर्मियाँ हैं और अब तो तुम यहीं रह कर पढ़ोगे!” कोमल ने पीछे हट कर सजल को समझाया। “और इस से पहले कि मैं तुम्हें बिस्तर पे खींच लूँ... तुम चले जाओ” कोमल ने हँसते हुए कामुक अदा से कहा।
सजल के जाने के बाद कोमल ने पिछले दो हफ़्तों पर ध्यान दिया। इन दिनों में इतना कुछ हुआ था। उसने प्रेम, एक अजनबी से पहली बार अपनी गाँड मरवाई थी। और जिस दिन उसने सजल के साथ अपने नए रिश्ते की शुरूआत की थी, उस रात की बेरोक घनघोर चुदाई आज भी उसे याद थी। उसने सुनील को अब सजल को यहाँ लाने के लिये मना लिया था। इसके लिये जो परिश्रम उसने किया था उससे उसकी चूत में अब दर्द सा होने लगा था। यही सब सोचते हुए वो नहाने के लिये चली गयी।
नहाने के बाद कोमल बाथरूम से बाहर आयी और खुद भी बाहर जाने के लिये तैयार होने लगी। हालांकि नहाने के बाद उसके बदन को ठंडक मिलनी चाहिये थी पर कम से कम उसके बदन के अंदर इसका उल्टा ही असर हुआ। उसके निप्पल और क्लिट पानी कि फुहार से उत्तेजित हो गये थे और उसकी चूत भी अंदर से जलने लगी थी। कोमल को उत्तेजना अच्छी लग रही थी और उसने गर्मी में बाहर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और अपनी साड़ी उतार फेंकी और फ्रिज में से एक ठंडी बीयर निकाल कर सोफ़े पर बैठ गयी।
कोमल ने अपने सैंडल युक्त पैर सामने रखी मेज पर फैला दिये और बीयर पीते हुए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। कोमल बहुत उत्तेजित हो गयी थी और जल्दी ही सिसकते हुए अपनी तीन अँगुलियाँ चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वोह झड़ने ही वाली थी कि उसे लगा शायद डोर-बेल बजी है। “ओह नहीं... अभी नहीं!...” कोमल कराही। वो घंटी की तरफ ध्यान न देती अगर वोह घंटी फिर से दो-तीन बार न बजती।
दरवाजे पर जो भी था, उसे कोसती हुई कोमल उठी और जल्दी से अपने नंगे बदन पर रेशमी हाऊज़ कोट पहन कर गुस्से में अपनी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़े की ओर बढ़ी। अगर ये कोई सेल्समैन हुआ तो आज उसकी खैर नहीं।
“कर्नल मान?” कोमल अचम्भित होकर बोली जब उसने दरवाज़ा खोला और सजल के कॉलेज के प्रिंसिपल को सामने खड़े पाया।
कुछ बोलने से पहले कर्नल मान की आँखों ने कोमल के हुलिये का निरक्षण किया और उसे कोमल के मुँह से बीयर की गंध भी आ गयी। “मैं क्षमा चाहता हूँ कोमल जी! मैंने अचानक आकर आपको परेशान किया... मुझे आने के पहले फोन कर लेना चाहिये था पर मैं एक मिटींग के सिलसिले में इस शहर में आया हुआ था और यहाँ पास से ही गुज़र रहा था तो... मैं... मैंने सोचा...!”
कोमल इस आदमी को अपने घर आया देखकर विस्मित थी। “पर हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम सजल को आपके कॉलेज से निकालकर इसी शहर में दाखिला दिला रहे हैं, कर्नल मान! फिर आपको हमसे क्या काम हो सकता है?”
कोमल को कर्नल मान आज हमेशा की तरह निडर और दिलेर नहीं लगा। कर्नल बेचैनी से अपनी टोपी को टटोलता हुआ बोला, “मैं दो मिनट के लिये अंदर आ सकता हूँ? कोमल जी!”
“ज़रूर कर्नल... मैं क्षमा चाहती हूँ... बस आप को अचानक देख कर अचंभित हो गयी थी... प्लीज़ आइये ना... बैठिये...।” कोमल एक तरफ हटकर सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।
कोमल ने जब कर्नल मान को सोफे की तरफ जाते हुए और बैठते हुए देखा तो वो सोचने लगी कि अपनी वर्दी के बगैर कर्नल का बदन कैसा लगेगा। कोमल का विश्वास था कि वर्दी के नीचे कर्नल का बदन संतुलित और गठीला होने के साथ-साथ किसी भी औरत को भरपूर आनंद देने में सक्षम था। कोमल उसके लौड़े के आकार के बारे में सोचती हुई बोली, “मैं बीयर पी रही थी... आप लेंगे?”
“वैसे मैं व्हिस्की या रम ज्यादा पसंद करता हूँ पर बीयर भी चलेगी...” कर्नल झिझकते हुए बोला।
“आप चिंता न करें कर्नल... आपके लिये व्हिस्की हाज़िर है! ये कहकर कोमल ने दो ग्लास में बर्फ और व्हिस्की डाली और आकर कर्नल के साथ वाले सोफ़े पर बैठ गयी। अब कहिए... क्या बात है?”
कर्नल मान ने व्हिस्की का सिप लेते हुए कहा, “कोमल जी! मैं आमतौर से कभी भी पेरेंट्स को मेरे कॉलेज से अपने लड़कों को ना निकालने के लिये इतना ज़ोर नहीं देता हूँ... पर सजल की बात अलग है... सजल में एक अच्छे आर्मी ऑफिसर बनने के सब गुण हैं... मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कॉलेज से ट्रेनिंग लेकर सजल आर्मी जॉयन कर के बहुत कामयाब......।”
कोमल उसकी बात बीच में ही काटती हुई बोली, “तो इस बात के लिये आप मुझसे मिलने आये थे... कर्नल मान? आप की बेचैनी देखकर मुझे लगा जैसे आप मुझ पे फिदा होकर आये हैं...।” कोमल अपनी बात पर हल्की सी हँसी और एक टाँग आगे कर के अपने सैंडल से कर्नल कि जाँघ को छुआ।
कर्नल मान का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वोह अपना ड्रिंक पीते हुए बोला, “मैं... उम्म... आप काफी खूबसूरत हैं... कोमल जी और निस्संदेह आप पर कई लोग फिदा होंगे... पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि... मेरा यहाँ... आने का कारण महज... कॉलेज और सजल से संबंधित था।”
“कर्नल!” कोमल अपना ड्रिंक एक ही झटके में पीने के बाद मुस्कुराती हुई बोली, “मैं आप से दो बातें कहना चाहती हूँ... पहली तो ये कि सजल की वापस उस कॉलेज में जाने की कोई संभावना नहीं है। मुझे खुशी है कि आप सजल के लिये यहाँ तक आये और गर्व भी है कि आप सजल की योग्यता से प्रभावित हैं... लेकिन आप को इस बारे में निराश ही लौटना होगा।”
सजल के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के बाद कोमल ने दूसरा पैग अपने ग्लास में डाला और फिर कर्नल के पास खिसक कर आगे की और झुकी। कोमल का हाऊज़ कोट पहले से ही कुछ ढीला बंधा था और झुकने की वजह से उसके भारी मम्मे और भी ज्यादा बाहर को उभरने लगे। “दूसरी बात कर्नल यह है कि मेरे ख्याल से सिर्फ सजल ही आपके यहाँ आने का कारण नहीं है... मुझे पता है कि आप मुझे किस तरह से देखते हैं और यह भी पता है कि आपकी इस बाहरी औपचारिक्ता के पीछे वो आदमी छुपा है जो औरों की तरह ही मेरे लिये बेकरार है...।”
यह सुनकर कर्नल की हालत और भी खराब हो गयी। “मैं विश्वास दिलाता हूँ कोमल जी! जैसा मैंने बताया, उसके अलावा मेरा कोई उद्देश्य नहीं था... मेरे दिमाग में कभी... ये बात नहीं आयी... कि... उम्म...!”
कर्नल के विरोध पर कोमल ने अपनी हँसी रोकने की कोशिश की। कोमल पर बीयर और व्हिस्की के साथ-साथ चुदाई का नशा हावी था। कोमल ने आगे बढ़ कर कर्नल के कंधे पर अपना हाथ रखा और अपने घुटने उसके घुटनों पे दबा दिये। “कर्नल! मुझे इस बात से बहुत चोट पहुँचेगी कि तुम्हें कभी भी मुझे चोदने का ख्याल नहीं आया। अब तुम इस तरह मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचा कर तो नहीं जा सकते... है न? कम से कम इतना तो कबूल करो कि तुम्हारे लिये मैं सिर्फ तुम्हारे स्टूडेंट की माँ नहीं हूँ... बल्कि इससे कुछ ज्यादा हूँ।”
“मेरा मतलब आपको नाराज़ करने से नहीं था... कोमल जी।” कोमल के मुँह से चुदाई शब्द सुनकर कर्नल ज़ाहिर रूप से हैरान था।
इस बार कोमल की हँसी छूट गयी। “तुम कितनी औपचारिक्ता से बोलते हो कर्नल! कभी तुम्हारा मन नहीं करता कुछ खुल कर बोलने का... कुछ अशिष्ट बोलने का... जैसे..’चुदाई’? मैं दावे से कह सकती हूँ कि तुमने कभी इन्हें ’चूचियाँ’ नहीं बोला होगा।” कोमल ने कर्नल का हाथ अपने कोट के ऊपर से अपने मम्मों पर दबा दिया।
“कोमल जी... मैं...” कर्नल हकलाया। वो इस दबंग और बेशरम औरत का सामना नहीं कर पा रहा था।
कोमल ने उसका बड़ा सा हाथ अपने हाथ में लिया। “मैं तुम्हारे ऊपर तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा एहसान करने जा रही हूँ, कर्नल! मैं वो करने जा रही हूँ जो शायद किसी औरत को बरसों पहले कर देना चाहिये था। क्या तुम्हारी बीवी है... कर्नल?”
“नहीं! फौज की नौकरी में मुझे कभी शादी करने का समय नहीं मिला।” कर्नल ने बेचैनी से उत्तर दिया। वो कोमल के हाथ में अपने हाथ को देखने लगा।
“तो मेरा विचार है कि तुम्हें चुदाई का भी ज्यादा मौका नहीं मिला होगा और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस बारे में कुछ किया जाये, कर्नल!” कोमल ने कहा और उस आदमी का हाथ अपनी एक बड़ी चूंची पर दबा दिया। “अपनी अँगुलियों को मेरी चूचियों पर दबाओ और महसूस करो कि तुमने आज तक क्या खोया है।”
कर्नल मान का हाथ कोमल की गर्म चूंची पर काँपा पर वो अपनी अँगुलियों को कोमल की भारी चूंची पर कस नहीं पाया। कोमल ने अपने हाऊज़ कोट का लूप खोल दिया और कर्नल का हाथ अपनी नंगी चूंची पर रख दिया। “अब तुम देख सकते हो कि मेरे पास क्या है...कर्नल! मुझे पता है तुमने कई बार अनुमान लगाया होगा कि मेरी चूचियाँ कैसी दिखती हैं... तो, अब ये तुम्हारे सामने हैं... कसी लगीं?”
जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो कोमल ने कर्नल का दूसरा हाथ अपनी दूसरी चूंची पर रख दिया। फिर जब कोमल ने अपने हाथ नीचे किये तो वो यह जान कर मुस्कुराई कि कर्नल ने अपने हाथ चूचियों से हटाये नहीं थे। “ये तुम्हारे लिये ही हैं कर्नल... तुम्हारे हाथ मेरी चूचियों पर हैं... मैं खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ... कुछ घंटों के लिये सब नियम भुल जाओ... मेरे पति और सजल बहुत समय तक वापिस आने वाले नहीं हैं... हम दोनों घर में अकेले हैं... थोड़ी ज़िंदगी जीयो कर्नल... मज़ा करो...”
“ये हुई न बात...!” कोमल धीरे से कराही जब आखिर में कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को भींचा। कोमल उस आदमी को रिझाने में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसे अपनी गर्मी का पूरा एहसास ही नहीं था। कर्नल के स्पर्श से उसकी चूचियाँ कठोर हो गयी थीं और उसकी चूत से भी रस चूने लगा था।
“मुझे इसमें से आज़ाद होना है...” कोमल फुसफुसायी और फटाफट अपना हाऊज़-कोट उतार फेंका। सिर्फ काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने कोमल अब बिल्कुल नंगी खड़ी थी। “क्यों कर्नल...?” कोमल मुस्कुरायी जब कर्नल उसकी नंगी चिकनी चूत को आँखें फाड़े देखने लगा। “ठीक से देख लो कर्नल... कि तुम्हें क्या मिल रहा है... ज़रा सोचो कैसा लगेगा जब मेरी गीली चूत तुम्हारे विशाल लौड़े को निचोड़ेगी... तुम्हारा लौड़ा बड़ा है... है ना कर्नल?”
“मैं... नहीं जानता कि आप के विचार में बड़ा क्या है... कोमल जी!” कर्नल ने अपना थूक निगलते हुए कहा। उसके हाथ कोमल के मम्मों पर उर भी जकड़ गये और उसकी आँखें अभी भी कोमल की चिकनी चूत पर टिकी थीं।
“देखने दो मुझे... फिर बताती हूँ कि मेरे विचार में बड़ा क्या है!” कोमल मुस्कुराती हुई बोली। कर्नल के हाथ कोमल की गर्म चूचियों को भींच रहे थे और कोमल अपने ऊपर काबू रखना कठिन हो रहा था।
“हाय रे!” कोमल ने लंबी आह भरी जब उसके हाथों ने कर्नल का विशाल लंड नंगा किया। वो उसके लंड को पूरा बाहर नहीं निकाल पायी थी क्योंकि उसके लिये कोमल को कर्नल की पैंट नीचे खिसकानी पड़ती, लेकिन जितना भी उसे दिख रहा था उससे कोमल को विश्वास हो गया था कि कर्नल का लंड किसी घोड़े के लंड से कम नहीं था। “तुम कहते हो कि मैं ये मान लूँ कि तुम्हें अँदाज़ा नहीं है कि तुम्हारा लंड इतना विशाल और भारी है... कर्नल?”
कोमल ललचायी नज़रों से उस आदमी के लंड के फूले हुए सुपाड़े को घूरने लगी। वो मोटा सुपाड़ा अग्रिम वीर्य-स्राव से चमक रहा था। इसमें कोई संदेह नहीं था कि कर्नल उत्तेजित था। एक बार कोमल ने सड़क के किनारे एक घोड़े की टाँगों के बीच उसका उत्तेजित लंड देखा था। इस समय कोमल के जहन में वही भीमकाय भुरा-लाल लौड़ा घुम रहा था। कोमल ने कई बार अपनी चूत में उस घोड़े के लंड की कल्पना की थी। कोमल का मुँह अचानक सूखने लगा और कर्नल के लंड के चिपचिपे सुपाड़े को अपने होठों में लेने की इच्छा तीव्र हो गयी।
“मेरी मदद करो कर्नल!” कोमल उत्तेजना में फुसफुसायी और उसने कर्नल को थोड़ा सा उठने के मजबूर किया तकि वो कर्नल कि पैंट उसकी टाँगों तक नीचे खींच सके। “मैं अब तुम्हारा पूरा लंड देखे बगैर नहीं रह सकती... तुम्हारे टट्टे भी ज़रूर विशाल होंगे।”
“गाँडू... साले!” अचंभे में कोमल के मुँह से गाली निकली जब उसने कर्नल का संपूर्ण भीमकाय लंड और उसके बालदर विशाल टट्टे देखे। “किस हक से तुम इसे दुनिया की औरतों से अब तक छुपाते आये हो? तुम्हारे जैसे सौभग्यशाली मर्द का तो फर्ज़ बनता है कि जितनी हो सके उतनी औरतों को इसका आनंद प्रदान करो... क्या तुम्हें खबर है कि तुम्हारा लंड कितना निराला है?”
कर्नल ने अपने लंड पर नज़र डाली पर कुछ बोला नहीं। वो कोमल की भारी चूचियों को अपने हाथों में थामे कोमल की अगली हरकत का इंतज़ार कर रहा था। उसने स्वयं को कोमल के हवाले कर दिया था ताकि कोमल जैसे भी जो चाहे उसके साथ कर सके।
कोमल ने प्यार से उसके विशाल लंड के निचले हिस्से को स्पर्श किया।
“ओहहहह कोमल जी”, कर्नल सिसका जब कोमल की पतली अँगुलियों ने उसके लंड के साथ छेड़छाड़ की। उसके हाथ कोमल की चूचियों पर ज़ोर से जकड़ गये।
“हाँ... ऐसे ही जोर से भींचो मेरे मम्मे... डर्लिंग”, कोमल ने फुफकार भरी जब कर्नक की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को बेरहमी से मसला। “मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूँ कर्नल! लेकिन पहले मैं इसे निहारना चाहती हूँ... देखो मेरे हाथ में कैसे फड़क रहा है... रगों से भरपूर है ये... मैंने कभी किसी आदमी का इतना बड़ा सुपाड़ा नहीं देखा... पता नहीं मैं इसे अपने मुँह में कैसे ले पाऊँगी!”
कोमल ऐसा कह तो रही थी पर वो जानती थी कि किसी ना किसी तरह वो कर्नल का विशाल सुपाड़ा अपने मुँह में घुसेड़ ही लेगी। इस निराले लौड़े को तो उसे चूसना ही था। उसने अंदाज़ लगाने कि कोशिश की कि ये लौड़ा कितना लंबा था और उसके अनुमान लगाया कि वो लगभग ग्यारह इंच का होगा। विश्वास से कहना मुश्किल था क्योंकि लंड मोटा भी काफी था।
“अपने सब कपड़े उतार दो कर्नल... ताकि मैं तुम्हें पूरा मज़ा दे सकूँ।” कोमल फुसफुसायी और कर्नल को वर्दी उतारने में मदद की।
“मम्म्म... मुझे मर्दों की छातियों पर घने बाल बहुत पसंद हैं।” कोमल मुस्कुरायी जब उसने कर्नल की छाती को काले-घने बालों से ढके हुए पाया। कोमल के तीखे नाखुन कर्नल की छाती को प्यार से खरोंचते हुए लंड तक पहुँचे। कोमल के हाथों की छेड़छाड़ से कर्नल कराहने और थरथराने लगा।
कोमल ने झुक कर उसके लंड के सुफाड़े पर अपनी गर्म साँस छोड़ी और इसके जवाब में कोमल ने देख कि वो विशाल लौड़ा और भी फैल गया। कर्नल के लंड के सुपाड़े पर उसका अग्रिम वीर्य-स्राव चमक रहा था और कोमल को आकर्षित कर रहा था। उसका स्वाद लेने के लिये कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लंड के सुपाड़े को स्पर्श किया। “ऊम्म्म कर्नल... आज सारा दिन हम चुसाई और चुदाई का मज़ा लेंगे।”
“कोमल जी! आप की जीभ तो...” कर्नल मान हाँफते हुए बोला। उसने कोमल की चूचियाँ छोड़ दीं और सोफे पर पीछे टेक लगा ली ताकि ये सैक्सी गाँड वाली चुदास औरत जो भी चाहती है वो उसके भारी भरकम लंड के साथ कर सके।
“ये तुम्हारा कॉलेज नहीं है कर्नल!” उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराती हुई कोमल बोली। लंड को चूसते हुए कोमल के लाल नेल-पॉलिश लगे नाखुन कर्नल के टट्टों के नीचे प्यार से खरोंच रहे थे। “इसका कायदे-कानून से कुछ लेना-देना नहीं है... आज तुम खुद को मेरे हाथों में सौंप दो और मैं तुम्हें दिखाती हूँ कि सारे संकोच छोड़कर मज़ा किस तरह लिया जाता है... आज मेरा अंग-अंग तुम्हारे भोगने के लिये है... मैं पूरी तुम्हारी हूँ... मेरी चूत... मेरा मुँह... मेरे मम्मे... मेरा रोम-रोम तुम्हारा है।”
इन शब्दों के साथ कोमल ने अपना मुँह खोलकर जितना हो सके अपने होंठ फैलाये ताकि वोह कर्नल का भीमकाय लंड अंदर ले सके। “ऊम्म्म्म्हहह” कर्नल के सुपाड़े पर अपने होंठ सरकाती हुई वोह गुर्रायी। “अंदर घुस गया”, अपने मुँह मे उस सुपाड़े को सोखते हुए कोमल ने बोलने की कोशिश की। फिर कोमल अपने होंठों को उस विशाल लंड की छड़ पर और नीचे खिसकाने में लग गयी।
कर्नल ने सिसकते हुए कोमल के लंबे काले बाल उसके चेहरे से हटाये ताकि वो देख सके कि कोमल उसके लंड के साथ क्या कर रही है। कर्नल मान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोमल ने अपने छोटे से मुँह में इतना बड़ा लंड ले रखा था। जब कोमल ने उसके टट्टों को पकड़ा तो कर्नल ने उत्तेजना में अपने चूत्तड़ उठा कर अपना लंड कोमल के मुँह में ऊपर को पेल दिया।
कर्नल के लंड को और अंदर लेने के लिये कोमल अपने घुटनों पे बैठ गयी और उसने कर्नल की जांघें फैला दीं। कोमल ने उसका लंड सीधा कर के पकड़ा और उसकी गोलियों को चूसने लगी। “अमृत-रस से भरी हुई हैं न मेरे लिये... कर्नल?” कोमल ने कर्नल को शामिल करने की कोशिश करते हुए कहा। कोमल उसके औपचारिक मुखौटे को उतार फेंकना चाहती थी। कोमल उससे कबूल करवाना चाहती थी कि किसी औरत को चोदने की इच्छा के मामले में वो दूसरे मर्दों से अलग नहीं था।
“कैसा लग रहा है तुम्हें कर्नल?” कोमल ने उसके लंड को ऊपर सुपाड़े तक चाटा और फिर वापिस अपनी जीभ लौड़े से नीचे टट्टों तक फिरायी। कोमल ने अपनी मुट्ठी में उसके टट्टों को भींच दिया जिससे कर्नल एक मीठे से दर्द से कराह उठा।
“मुझे... उम्म्म बहुत अच्छा लग रहा है... कोमल जी।” कर्नल ने अपने दाँत भींचते हुए कहा।
“तुम कभी ये औपचारिक्ता और संकोच छोड़ते नहीं हो क्या... कर्नल! अच्छा होगा अगर तुम मुझे सिर्फ कोमल पुकारो और मुझे और भी खुशी होगी अगर तुम मुझे राँड, छिनाल या कुछ और गाली से पुकारो... खुल कर बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है... क्या तुम्हारा लंड मेरे मुँह में फिर से जाने के लिये नहीं तड़प रहा? क्या तुम्हारे टट्टों में वीर्य उबाल नहीं खा रहा? कहो मुझसे अपने दिल की बात। मुझे एक रंडी समझो जिसे तुमने एक दिन के लिये खरीदा है...!”
कोमल ने अपनी बात कहकर कर्नल का लौड़ा अपने मुँह मे भर लिया। उसने अपना मुँह तब तक नीचे ढकेलना ज़ारी रखा जब तक कि कर्नल का लौड़ा उसके गले में नहीं टकराने लगा। कर्नल के पीड़ित टट्टे अभी भी कोमल मुट्ठी में बँद थे।
कोमल ने कर्नल की नाज़ुक रग दबा दी थी। उसे लोगों पर अपनी हुकुमत चलाना पसंद था, खासकर के औरतों को अपने काबू में रखना क्योंकि औरतों के सामने वो थोड़ी घबड़ाहट महसूस करता था। उसे औरतों की मौजूदगी में बेचैनी महसूस होती थी, इसलिए जब भी हो सके वो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता था। “चूस मेरा लौड़ा.... साली कुत्तिया!” वो दहाड़ा और उसने अपने लंड पे कोमल के ऊपर-नीचे होते सिर को अपने लौड़े पे कस के नीचे दबा दिया। “खा जा मेरा लंड... चुदक्कड़ रांड!”
“उरररर” कोमल गुर्रायी जब उसने कर्नल के मुँह से अपने लिये गालियाँ सुनीं। कोमल बड़े चाव से उसका लंड चूस रही थी और तरस रही थी कि कर्नल जी भर कर बेरहमी से जैसे चाहे उसका शरीर इस्तमाल करे। कोमल का मुँह बड़ी लालसा से उस विशाल लंड की लंबाई पर ऊपर-नीचे चल रहा था और कर्नल के टट्टों को उबलता हुआ लंड-रस छोड़ने के लिये तैयार कर रहा था।
“साली... लंड चूसने वाली कुत्तिया!” कर्नल दहाड़ा और अपने हाथ नीचे ले जा कर उसने कोमल की झुलती हुई चूचियाँ जकड़ लीं। “खा जा मुझे... चूस ले मेरे लंड का शोरबा... साली! कुत्तिया! साली! रांड! अभी मिलेगा तुझे मेरा लंड-रस! ओहह साली कुत्तिया! रांड! ये आया... मैं झड़ा!”
कर्नल इतने वेग से झड़ते हुए सोफ़े पर उछला कि कोमल के मुँह से उसका झड़ता लंड छूटते-छूटते बचा। कोमल भी उसके लंड का शोरबा पीने के लिये इतनी उतावली थी कि इतनी आसानी से उस मोटे लंड को अपने मुँह से बाहर छुटने नहीं दे सकती थी। उसने अपने होंठ उस फैलाते हुए लंड पर कस लिये और जोर से चूसते हुए अपने मुँह में बाढ़ की तरह प्रवाहित होते हुए स्वादिस्ष्ट वीर्य को निगलने लगी।
कर्नल सोफ़े पर अपनी बगल में गिर गया पर कोमल ने उसका लंड अपने होंठों से छोड़ा नहीं। उसके स्वादिष्ट वीर्य को अपने हलक में नीचे गटकते हुए कोमल और अधिक वीर्य छुड़ाने के प्रयास में कर्नल के टट्टों को भींचने लगी। “मुझे और दो कर्नल! रुको नहीं... मुझे और वीर्य चाहिये”, कोमल उसके लंड को सुपाड़े तक ऊपर चूसते हुए बोली और वीर्य की आखिरी बूँदें चूसती हुई चप-चप की तृष्णा भरी आवाज़ें निकालने लगी।
कर्नल को आखिर में उस प्रचंड औरत को अपने लंड से परे ढकेलना पड़ा। “झड़ने के बाद मेरा लंड काफी नाज़ुक हो जाता है कोमल... जी!” वो बोला।
“नहीं... ऐसे नहीं चलेगा”, कोमल फुफकारी क्योंकि उसकी भीगी चूत की प्यास तृप्ति की माँग कर रही थी। ये लंड मेरी चूत को चोदने के लिये जल्दी ही तैयार हो जाना चाहिये... पर तब तक तुम अपनी बड़ी अंगुलियाँ मेरी चूत में घुसेड़ो। कोमल ने कर्नल को सोफ़े पर एक तरफ खिसकाया ताकि वो खुद कर्नल की बगल में लेट सके। कोमल ने कर्नल का हाथ पकड़ कर अपनी जलती हुई चूत पर रख दिया। “डालो अपनी अंगुलियाँ मेरी चूत में... कर्नल!” कोमल पर व्हिस्की का नशा अब तक और भी चढ़ गया था और वोह वासना और नशे में लगभग चूर थी।
कर्नल मान की मोटी अंगुली जब कोमल की दहकती चूत को चीरती हुई अंदर घुसी तो कोमल को वो अंगुली किसी छोटे लंड की तरह महसूस हुई। कोमल ने उस अंगुली को अपनी चूत में चोदते हुए कर्नल का हाथ थाम लिया कि कहीं वो अपनी अंगुली बाहर न निकाल ले। “और अंदर तक घुसेड़ कर चोद मेरी चूत... चूतिये!”
जब इतने से कोमल को करार नहीं मिला तो वो अपने हाथ से भी अपनी क्लिट से खेलने लगी। कर्नल की अंगुली और अपने हाथ की दोहरी हरकत से जल्दी ही विस्फोट के कगार पर पहुँच गयी।
“ओह कर्नल... हरामी साले!” कोमल सिसकी जब उसकी चूत झटके खाने लगी। “मैं तेरे लंड के लिये रुकना चाहती थी... पर अब मैं खुद को झड़ने से नहीं रोक सकती! कस के ठूंस अपनी अंगुली मेरी चूत के अंदर... चोद मुझे अंगुली से... मैं... आयी... ईईईईंईंईं... मादरचोद! चोद मुझे उस अंगुली से... हाय... लंड जैसी लग रही है तेरी अंगुली... हरामी कुत्ते... मैं झड़ी रे... आंआंआंआंईईईईईई....!”
जब अपने शरीर में उठते विस्फोट से कोमल काँपने लगी तो उसकी चूत ने कर्नल की अंगुली जकड़ ली और कोमल कर्नल की बाँह पकड़ कर खींचने लगी। अपने दूसरे हाथ से कोमल पागलों की तरह जोर-जोर से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। सोफ़े पर जोर से फ़ुदकती हुई कोमल की चूचियाँ भी जोर-जोर से काँपने लगी और कोमल एक धमाके के साथ झड़ गयी। “और अंदर.... घुसेड़ ऊंऊंऊंहहहहह....!”
कर्नल मान ने सोचा कि कुछ समय के लिये तो अब ये गरम गाँड वाली चुदक्कड़ औरत संतुष्ट हुई। लेकिन कर्नल गलत था। जैसे ही कोमल का झड़ना समाप्त हुआ उसी क्षण वो कर्नल के लंड की ओर लपकी। “इसे फिर से खड़ा कर न... प्यारे चोदू! तेरी अंगुली से तो मज़ा आया पर मुझे तेरे इस मूसल लंड से अपनी चूत चुदवानी है... खड़ा कर इसे... मादरचोद... खड़ा कर इसे!”
कर्नल का हलब्बी लंड कोमल की हर्कतों से जल्दी ही फ़ूल कर सख्त होने लगा। कोमल नशे में थी और बहुत ही बेरहमी से कर्नल के लंड पर अपनी मुठ्ठी चला रही थी। कोमल ने उसे इतना कस के अपनी अंगुलियों में तब तक जकड़े रखा जब तक ऐसा लगने लगा कि उसका फूला हुआ सुपाड़ा कसाव के कारण फट जायेगा। कर्नल के बड़े टट्टे भी कोमल की थिरकती जीभ के जवाब में सख्त हो कर झटकने लगे। “और सख्त... भोंसड़ी के... और सख्त! मुझे अपनी चूत में ये किसी बड़ी स्टील की रॉड की तरह लगना चाहिये।”
कोमल के निर्दयी हाथ कर्नल के लंड को उत्तेजना से जला और धड़का रहे थे जिससे कर्नल वेदना से हाँफने लगा। “बस ठीक है कोमल... अब ले ले इसे अपनी चूत में... मेरा लंड चोदने के लिये तैयार है।”
“हाँ... तैयार तो है...!” कोमल उत्तेजना में बोली और कर्नल के बदन पर छा गयी और अपनी टपकती चूत में उसके विशाल लंड को घुसेड़ने के लिये अपना हाथ नीचे ले गयी। कोमल ने उसके विशाल लंड को पकड़ा और उस पर बैठने के पहले रक्त से भरपूर सुपाड़े को अपनी चूत की फाँकों के बीच में रगड़ने लगी। “मुझे इस राक्षसी लंड पर बैठ कर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।”
“अब जल्दी से अंदर तो डालो!” कर्नल गुर्राया जब कोमल विलंब करने लगी। कर्नल का लंड उत्तेजना के मारे जल रहा था और उसके टट्टों में वीर्य का मंथन चल रहा था। उसके लंड के सुपाड़े पर कोमल की चूत के होंठों की छेड़छाड़ उसे पागल बना रही थी।
“जैसे एक असली मर्द किसी गर्म औरत से चुदाई के लिये कहता है... वैसे मुझसे बोल... मैं कोई तेरी स्टूडेंट नहीं हूँ... कर्नल... ये शालीन भाषा मेरे साथ मत बोल... तू मुझसे क्या चाहता है... मुझे ऐसे बता जैसे किसी रंडी से कहा जाता है... मुझसे सिर्फ अश्लील गंदी भाषा में बात कर...।”
कोमल ने खुद को महज इतना ही नीचे किया जिससे कि सिर्फ सुपाड़े का अग्र भाग ही उसकी चूत में प्रविष्ट हुआ। वोह कर्नल को तड़पाने के लिये इसी स्थिति में थोड़ी सी हिलती हुई उसके लंड पर दबाव डालने लगी।
“बैठ जा इस पर ... छिनाल! चल साली कुत्तिया... चोद मेरे लौड़े को! अब किस बात का इंतज़ार है...? मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये... बैठ जा अब इस पर राँड...! चोद अपनी गीली चूत पुरी नीचे तक मेरे लंड की जड़ तक!”
“ये ले... साले हरामी...!” कोमल बोली और उस मोटे लंड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी। “हाय... कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है...! विशाल सख्त लौड़ा! अपना लंड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस... चोदू! मुझे पूरा लंड दे दे... मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है...।”
कोमल सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय उस की चूत में महसूस हो रही थी, इसकी कोमल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे लग रहा था कि उसकी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। “मुझे पूरा चाहिये... बेरहमी से चोद मुझे कर्नल! मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे... चीर दे मेरी चूत को... इसका भोंसड़ा बना दे।”
कर्नल को हैरानी हो रही थी कि इस उछलती और चिल्लाती औरत ने उसका पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया था। उसने पहले जितनी भी औरतों को चोदा था, कोई भी उसका लंड आधे से ज्यादा नहीं ले सकी थी। उसे खुशी थी कि आखिर उसे ऐसी औरत मिल गयी थी जिसने न सिर्फ़ उसका पूरा लंड अपनी चूत मे ले लिया था बल्कि और माँग कर रही थी। “चोद इसे... भारी चूचियों वाली राँड!” वो कोमल के झुलती चूचियों को मसलते हुए बोला।
“ओह! हाँ! वही तो मैं हूँ... दो-टके की राँड! चोद अपनी बड़ी चूचियों वाली राँड को अपने इस गधेड़े लंड से... ठूंस दे मेरी चूत अपने लंड से... बना दे मेरी चूत का भोंसड़ा”, कोमल बोली और जब उत्तेजना और जोश में उसका शरीर थरथराने लगा तो वो अपनी आँखें बंद कर के अपना सिर आगे-पीछे फेंकने लगी। अपनी दहकती चूत की दीवारों पर मोटे लौड़े का घर्षण महसूस करती हुई कोमल अपना हाथ नीचे ले जा कर अपनी सख्त हुई क्लिट रगड़ने लगी। कोमल को विश्वास हो गया था कि अगर भविष्य में उसे गधे या घोड़े से चुदवाने का मौका मिला तो वो छोड़ेगी नहीं क्योंकि कर्नल का लंड भी किसी गधे-घोड़े के लंड से कम नहीं था।
जब कर्नल ने कोमल की चूचियों को एक साथ मसला और उसके निप्पलों पर चुटकी काटी तो कोमल को चरम सीमा पर पहुँचने के लिये यही काफी था। उसका बदन ऊपर उठा जब तक कि सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी तंग चूत में रह गया था। जब सनसनाती आग उसकी चूत में धधकने लगी तो कोमल उसी तरह एक लंबे क्षण के लिये स्थिर हो गयी। फिर जितनी जोर से हो सकता था, कोमल ने उतनी जोर से अपनी चूत उस भीमकाय लंड पर दबा दी और जब तक उसका परमानंद व्याप्त रहा तब तक बहुत जोर-जोर से अपनी चूत उस लंड पर ऊपर-नीचे उछालने लगी।
“लौड़ा...! गधे का चोदू लौड़ा!” कोमल चिल्लायी और फिर भक से झड़ गयी। कोमल की अँगुलियों ने उसकी भिनभिनाती क्लिट पर चिकोटी काटी। उसकी चूत उस मोटे लंड पर सिकुड़ गयी और उसके निप्पल कर्नल की चिकोटी काटती अंगुलियों में जलने लगे। “मुझे अपना वीर्य दे मादरचोद! इससे पहले कि मैं झड़ना बंद करूँ... अपना गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में छोड़ दे... प्लीज़... छोड़ अपना वीर्य... अबबबबब... ऊँआआआआआआआहहहह आँआँआँ ओंओंओं....!”
“ये ले मेरा रस... छूट रहा है तेरी चूत में कुत्तिया.... साली मर्दखोर”, कोमल की दहकती चूत में अपने वीर्य की बाड़ बहाते हुए कर्नल गुर्राया।
“हाँ मेरे चोदू... हाँ..!” कोमल उछलती हुई बोली। कर्नल के लंड कि आखिरी बूँद अपनी भूखी चूत से निचोड़ कर सुखा देने के बाद तक कोमल का परमानंद बना रहा। जब वो कर्नल के ऊपर, आगे को गिरी तो कोमल ने अपनी जीभ कर्नल के मुँह में ठेल दी। उसे गर्व था कि उसने कर्नल को एक असली मर्द की तरह व्यवहार करने में मदद की थी और ये भी कि कर्नल ने अपने अदभुत लौड़े से उसकी चूत की सेवा की थी।
कर्नल मान कोमल के चूत्तड़ों को भींचता हुआ बोला, “अब तो तुम सजल को वापिस हमारे कॉलेज में भेजने के बारे में पुनः विचार करोगी...कोमल!”

कोमल ने हँसते हुए कर्नल के होंठों को फिर से चूम लिया। “नहीं! यह तय हो चुका है कि सजल इसी शहर में पढ़ेगा।” कर्नल की जीभ को चूसने के बाद कोमल फिर से बोली, “पर तुम जब चाहे मुझे चोदने के लिये आ सकते हो कर्नल!”
अध्याय - ५
शाहीन ने कोमल को तैयार होकर अपने घर से निकलते हुए देखा। इसका मतलब था कि सुनील अब अकेला था। सजल को जाते हुए वह पहले ही देख चुकी थी। शाहीन सात साल से कोमल की पड़ोसन थी। इन सालों में उसकी कोमल से दोस्ती न के बराबर हुई थी। न ही उसे इसकी कोई इच्छा थी। हाँ, पर वो सुनील को अच्छे से जानने को बेहद उत्सुक थी पर अभी तक सुनील ने उसे कभी लिफ़्ट नहीं दी थी। पर पिछले कुछ दिनों में आये बदलाव को वह महसूस कर रही थी और उसे लग रहा था कि उसकी इच्छा-पूर्ति का समय आ गया था। आज शनिवार था और सुनील धूप सेंकने के लिये बाहर आने ही वाला होगा। उसने अपने जिस्म और कपड़ों का मुआयना किया। उसने ब्रा नुमा छोटा सा ब्लाउज़, और हल्के नीले रंग की शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी और साथ ही काले रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे।
शाहीन का शौहर उसे चार साल पहले छोड़ कर चला गया था। और उसे दूसरा ऐसा कोई नहीं मिला था जिसको वो अपनाना चाहती - सुनील को छोड़कर। वो बेचैनी से सुनील का इंतज़ार करने लगी। जिन थोड़े मर्दों से उसने इन चार सालों में संबंध स्थापित किये थे वो बिल्कुल ही बकवास और बेदम निकले थे। उसे उम्मीद थी कि सुनील उसके मापदंड पर खरा उतरेगा।
जब उसने सुनील को बाहर निकलते देखा तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं और चूत गरमाने लगी। उसकी चूचियाँ भी तन कर खड़ी हो गईं। शाहीन ने सुनील को थोड़ा समय दिया और फिर वो भी अपने आँगन में उतर गयी।
“हेलो, सुनील।”
“ओह हेलो शाहीन!” पर उसने खास ध्यान नहीं दिया।
शाहीन को बहुत तेज़ गुस्सा आया पर आज उसने अपने आप को समझाया।
“क्या तुम मेरी थोड़ी मदद करोगे, सुनील?”
“कहो, क्या करना है?”
“क्या तुम अंदर आओगे?”
इस बार सुनील ने उसे नज़र भर कर देखा। उसकी आँखें शाहीन के छोटे से ब्लाऊज़ में से झाँकती चुचियों पर कुछ देर रुकी भी।
जब सुनील अंदर आ गया तो शाहीन ने उससे पूछा, “सुनील क्या तुम मेरे साथ एक ठंडी बीयर पियोगे? अभी काम करने के लिये मौसम बहुत गर्म है... या तुम्हे डर है कि कोमल ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो झमेला खड़ा कर देगी?”
“नहीं, वो तो खैर दिन भर नहीं आने वाली। पर...”
“पर क्या? फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है।” यह कहते हुए शाहीन उसे अंदर खींच ले गयी। कुछ ही देर में दोनों ने तीन-तीन बोतल बीयर चढ़ा लीं थीं और सुनील काफ़ी खुल गया था। उसकी नज़र अब बार-बार शाहीन के ब्लाऊज़ से झाँकते सुडौल उरोजों पर ठहर रही थी। शाहीन को तो ऐसा लग रहा था कि वो उसी समय कपड़े उतारकर उस आकर्षक आदमी से चुदवाना शुरू कर दे। पर वो पहले माहौल बनाना चाहती थी और फिर अपने शयनकक्ष में चुदवाने का आनंद ही और था।
“मुझे माफ़ करना, पर क्या तुम मेरा एक और काम कर सकते हो, प्लीज़?” शाहीन ने अपना जाल फैंका।
“तुम बोलो तो सही।”
“मेरे बैडरूम का एक दराज़ खुलता नहीं है... उसमें मेरी कुछ जरूरी चीज़ें रखी है... क्या तुम...”
उसकी बात खत्म होने से पहले ही सुनील उठकर शयनकक्ष की ओर जाने लगा। “बिलकुल, अभी लो।”
“क्या सोचते हो, खुल पायेगा?”
“पता नहीं, यहाँ अंधेरा बहुत है, सारे पर्दे क्यों गिराये हुए हैं? कुछ दिखता ही नहीं?”
“तुम्हे जो करना है उसके लिये बहुत अच्छे से देखने की जरूरत नहीं है, सुनील!” शाहीन ने हल्के से अपने ब्लाऊज़ का बटन खोलते हुए कहा। इससे पहले कि उस बेचारे आदमी को अपने आप को संभालने का मौका मिलता, उसकी आँखों के सामने कुदरत के दो करिश्मे दीदार हो गये। शाहीन ने अपना ब्लाऊज़ उतार फैंका और अपने सीने को सामने किया और तान दिया। सुनील के तो छक्के ही छूट गए।
“अब मुझे छोड़कर भागना नहीं, सुनील! जब से ज़ाकीर मुझे छोड़कर गया है मैं प्यासी हूँ... मुझे एक मर्द चाहिये... मैनें कई मर्दों के साथ ताल्लुकात बनाये पर कोई मुझे मुतमाईन नहीं कर पाया... मुझे तुम्हारी बेहद जरूरत है सुनील... मैं जानती हूँ कि तुम एक अच्छे चुदक्कड़ हो... मेरा मन कहता है कि तुम मेरी प्यास मिटा सकोगे... तुम्हे भी मेरी जरूरत है... कोमल तुम्हारा ध्यान जो नहीं रखती...” यह कहते हुए शाहीन ने अपने रहे-सहे कपड़े भी उतार फैंके। शाहीन अब सिर्फ़ ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी खड़ी थी और उसे उम्मीद थी की उसकी जवान नंगी काया को देखने के बाद सुनील का संयम टूट जायेगा।
सुनील तो जैसे सकते में था। वह उस शानदार नंगे बदन पर से अपनी आँखें नहीं हटा पा रहा था। उसकी चूत पर गिनती के बाल थे जिससे कि वह दूर से ही चमचमा रही थी।
“अगर मैंने तुम्हारे साथ कुछ किया तो कोमल मुझे मार डालेगी... यह तुम भी भली-भांति जानती हो। तुम दोनों की वैसे भी पटती नहीं है।”
“मुझे कोमल से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं है न ही ऐसी कोई इरादा है... मैं तो सिर्फ़ तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ... दोस्ती से कुछ ज्यादा...” यह कहते हुए शाहीन आगे बढ़ी और सुनील की पैंट के बाहर से उसके लंड को मुट्ठी में लेने की कोशिश की। “अब बेकार में वक्त मत बर्बाद करो सुनील... मैं तुम्हारी हूँ... अगर तुम मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ आज ही चोदना चाहते हो और फिर कभी नहीं तो मुझे यह भी मंज़ूर है... मैं वादा करती हूँ कि कोमल को कभी पता नहीं चलेगा... आओ, मैं बहुत गर्म हूँ, मेरी चूत तो ऐसे जल रही है जैसे उसमें आग लगी हो...”
अपनी बात सिद्ध करने के लिये शाहीन ने सुनील का हाथ पकड़कर अपनी लपलपाती चूत पर रख दिया। “तुम अपने आप देख लो कि तुमने मुझे कितना गरमाया हुआ है... तुम मुझे ऐसे छोड़कर तो जाओगे नहीं... है न सुनील? तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी ठंडे वाइब्रेटर का सहारा लूँ।”
सुनील ने अपने हाथ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। कुछ सोचे बिना उसकी एक उंगली शाहीन की चूत में धीरे से जा समाई।
“तुम वाकय बहुत गर्मी में हो,” कहते हुए सुनील ने अपनी उंगली को थोड़ा और अंदर घुसाया और अपनी एक बाँह शाहीन की कमर में डाल दी।
शाहीन ने झुकते हुए सुनील के पैंट की ज़िप खोल दी, “देखूँ सुनील तुम्हारे पास मेरे लिये क्या है... देखूँ तो तुम्हारा लंड कितना बड़ा है।”
“ठीक है, जान अगर तुम्हें इतनी बेसब्री है तो मैं भी तुम्हे तब तक चोदुँगा जब तक तुम मुझे रुकने के लिये मिन्नतें नहीं करोगी... मैनें तुम्हें कई बार आंगन में अधनंगी फुदकते हुए देखा है... अगर मुझे कोमल की फ़िक्र न होती तो मैं कब का तुम्हे चख चुका होता... पर अब मैं नहीं रुकुँगा।”
“मैं भी यही चाहती हूँ कि रुकने के लिये मुझे मिन्नतें करनी पड़ें... पर मैं तुम्हे बता दूँ कि ये इतना आसान नहीं होगा... एक बार तुमने मेरी चूत और गाँड का स्वाद चख लिया तो इसके दीवाने हो जाओगे... इनके बिना फिर जी नहीं पाओगे।”
जैसे ही सुनील ने अपने कपड़े उतारना समाप्त किया शाहीन ने अपने घुटनों के बल बैठते हुए उसका लंड अपने हाथ में लेकर झुलाना शुरू कर दिया। “मैं तुम्हे बता नहीं सकती कि कितनी बार ख्वाबों में मैनें यह लंड चूसा है।” शाहीन ने हसरत भरी निगाहों से उस शक्तिशाली लौड़े को देखते हुए कहा।
“चूसो इसे शाहीन, आज तुम्हारा सपना साकार हो गया है।”
शाहीन को तो जैसे मलाई खाने का लाइसेंस मिल गया। उसने लपक कर सुनील का लंड अपने मुँह में भर लिया। उसके नथुनों में लंड की महक समा गयी। “हूँउंउंह, और”
“पता नहीं मैं इस मौके को इतने सालों तक क्यों छोड़ता आया।”
“क्योंकि तुम बेवकूफ थे, पर अब तुम होशियार हो गये हो... अब तुम्हे पता है कि तुम्हारे पड़ोस में हलवाई की ऐसी दुकान है जो मुफ़्त में जब चाहो मिठाई खिलाने को तैयार है”
“चूसो मुझे शाहीन, चूसो और मेरे रस को पी जाओ” कहते हुए सुनील ने अपना लंड शाहीन के छोटे से मुँह में जड़ तक पेल दिया और धकाधक अंदर-बाहर करने लगा - ऐसे जैसे कि वो मुँह नहीं चूत हो।
शाहीन की वर्षों की इच्छा थी कि वो सुनील के लंड का रस जी भर कर पिये और अब जब वह मौका उसके हाथ में था तो उसे लग रहा था कि वो खुशी से बेहोश न हो जाये। उसे लंड के फूलने से यह तो पता लग गया कि उसको थोड़ी ही देर में अपना पेट भरने को माल मिलने वाला है।
“शाहीन, शाहीन, शाहीन!” सुनील ने दोहराया और फ़िर उसने शाहीन का मुँह अपने रस से भर दिया। “पी अब, बड़ी प्यासी थी न तू... अब जी भर कर पी... और ले! और।”
शाहीन ने भी बिना साँस रोके, पूरा का पूरा वीर्य पी लिया। “खाली कर दो अपने टट्टों का पानी मेरे मुँह में।”
जब शाहीन ने दिल और पेट भर लिया तो उसने सुनील का हाथ पकड़ा और बिस्तर की ओर ले गयी और उसे बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसने अपनी गर्मागर्म पनियाई हुई चूत को सुनील के मुँह पर रख दिया। उसे तब ज्यादा खुशी हुई जब बिना बोले ही सुनील ने अपनी जीभ को उसकी चूत के संकरे रास्ते से अंदर डाल दिया और लपलपा कर चूसने लगा।
“चोद मुझे अपने मुँह से” शाहीन ने अपने बड़े मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए और सुनील के मुँह पर अपनी चूत को ज़ोर से रगड़ते हुए चीख मारी।
सुनील को चूत चूसने से कोई परहेज़ नहीं था। कोमल की चूत तो वो सालों से चूस ही रहा था, पर उसने और भी कई घाटों का पानी पिया था। उसे इस बात का बड़ा अचरज था कि हरेक का स्वाद अलग रहा था। कोमल की चूत शाहीन से ज्यादा मीठी थी, पर पानी शाहीन ज्यादा छोड़ रही थी।
“मेरी गाँड भी चाटो!” शाहीन फिर चीखी और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा आगे सरकाया जिससे कि सुनील को आसानी हो। “हाँ ऐसे ही, तुम वाकय हर काम सही तरीके से करते हो।”
जब सुनील अपने काम मे व्यस्त था, शाहीन ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। एक बार पहले वह इस तरह से झड़ी थी और आज तक उसे वह दिन याद था। उसे उम्मीद थी कि सुनील अपना मुँह उसकी गाँड पर से हटायेगा नहीं।
“रुकना नहीं सुनील! अपनी जीभ मेरी गाँड के अंदर डालने की कोशिश करो... मुझे एक बार यूँ ही झड़ाओ... मुझे यह बहुत अच्छा लगता है... मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करुँगी बाद में।”
और जब सुनील की जीभ उसकी गाँड में गयी तो शाहीन तो बेकाबू हो गयी। उसने अपनी चूत को बेहताशा नोचना शुरू कर दिया। “हाय अल्लाह... मैं झड़ी रे! खा जा मेरी गाँड! तू क्या चुदक्कड़ है रे! वाह! झड़ गयी रे! कितने दिन हो गये, न जाने कितने इस तरह झड़े हुए... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया सुनील।”
जब उसका शरीर काबू में आया तो शाहीन ने नीचे उतर कर सुनील का एक गहरा चुम्बन लिया।
“मैं फिर आऊँगा, पर कोमल को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये।”
शाहीन ने अपना मुँह फिर से सुनील के लंड की ओर बढ़ाया,”मुझे खुशी है कि तुम मुझे फिर से चोदने के लिये आओगे... पर हम अभी पूरी तरह से फ़ारिग कहाँ हुए हैं? अभी तो मुझे यह जानदार लौड़े को अपनी चूत में अंदर डलवाना है...” यह कहते हुए सुनील का लंड शाहीन ने वापस अपने मुँह मे डाल लिया।
“यह क्या कर रही हो?” सुनील ने पूछा।
“तुम्हारे लौड़े को वापस से सख्त कर रही हूँ... ज़रा सोचो, इसके बाद मैं तुम्हें अपने इस सनम को अपनी चूत में घुसाने दुँगी... पर मुझे पहले इस कड़ा करना है... क्योंकि उसके बाद ही मुझे उस तरह से चोद सकोगे जैसा कि मैं इतने सालों से चाहती हूँ... बोलो मुझे जबरदस्त तरीके से चोदोगे न मुझे!”
शाहीन को लगभग बीस सेकंड लगे सुनील के लौड़े को अपने लिये तैयार करने में। उसके बाद सुनील ने उसके कंधों को जोर से पकड़ा और उसे उसकी कमर के बल लिटा दिया। शाहीन के हाथ ने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसका मोटा सुपाड़ा अपनी सुलगती हुई चूत के मुंहाने पर लगा दिया।
“अब मुझे और इंतज़ार न कराओ...” उसने आंख बंद करते हुए कहा।
“हुरर्र!” सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लौड़ा शाहीन की चूत में पेल दिया। जिस भीषण गर्मी ने उसके लंड का स्वागत किया वह अभूतपूर्व थी। इस जोरदार धक्के से वह खुद भी शाहीन पर जा गिरा और उसका बलिष्ठ सीना शाहीन के विशालकाय स्तनों को दबाने लगा।
लंड से भरी हुई शाहीन ने आँखें खोलीं, “मैं जानती थी, मैं जानती थी कि तुम्हारा लंड मेरे अंदर तक खलबली मचा देगा... मैं जानती थी!”
उसके बाद तो शाहीन को रोकना ही असंभव हो गया। उसने अपनी गाँड उचका-उचका कर जो चुदवाना चालू किया तो सुनील की तो आँखें ही चौधिया गईं। उसने भी दनादन अपने लौड़े से पूरे जोर के साथ लम्बे-लम्बे गहरे गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। शाहीन भी उसे और जोर और गहराई से चोदने के लिये प्रोत्साहित कर रही थी।
सुनील को आश्चर्य था कि इतनी संकरी चूत में यह महाचुदक्कड़ औरत कितना लौड़ा खा सकती थी। वो जितना जोर से पेलता वह उतना ही ज्यादा की माँग करती थी। उसकी प्यासी चूत उसके लंड को केले के छिलके की तरह पकड़े हुए थी। जब उसका लंड अंदर की तरफ जाता था तो उसे ऐसा लगता था जैसे वह भट्टी उसके लंड को ही छील देगी।
शाहीन ने अपनी जीभ सुनील के मुँह में डाल दी। “मुझे और जोर से चोदो... मेरे मुँह को भी अपनी जीभ से चोदो।”
सुनील ने उसका मुँह और चूत दोनों को तन-मन से चोदना चालू रखा। जब दोनों एक साथ झड़े तो जैसे तूफ़ान आ गया। शाहीन तो जैसे उस भारी लंड को छोड़ने को ही राज़ी नहीं थी। न वो रुकी न सुनील और दोनों का ज्वालामुखी फट गया।
“हाय मेरे महबूब, फाड़ दे मेरी चूत को... मैं झड़ रही हूँ मेरे यार... ओ मेरे खुदा देख मेरा क्या हाल कर दिया इस पडोसनचोद ने। हाय रे, मैं मरी रे।!” उसके शरीर का कौन सा अंग क्या क्रिया कर रहा था इस बात से वो बिलकुल अनभिज्ञ हो चुकी थी।
जब वह थोड़ी ठंडी हुई तो शाहीन ने सबसे पहले सुनील का लंड अपने मुँह से साफ़ किया।
“क्या तुम उस दराज को आज ठीक करोगे?” उसने मज़ाक किया।
सुनील उसकी बात समझ न पाया और बोला, “नहीं आज नहीं, मैं कल आकर ठीक कर दुँगा... कल कोमल दिन भर घर में नहीं होगी और इसमें काफी समय लग सकता है।”
“मैं यहीं रहुँगी” शाहीन मुस्करायी। उसे पता था कि कल सुनील कौन सी दराज को ठीक करने आयेगा।
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
10,031
8,465
214
अध्याय - ६
“सजल यह लो कार की चाभी और जाकर थोड़ी ठंडी बियर ले आओ। प्रमोद को भी अपने साथ ले जाओ।” कोमल ने सजल से कहा।
उसने उन दोनों दोस्तों को कार में जाते हुए देखा। उसकी नज़र जब प्रमोद के कसे हुए जिस्म पर पड़ी तो उसकी चूत में एक खुजली सी हुई। वो वापस घर के अंदर जाते हुए यही सोच रही थी कि क्या वो प्रमोद से अपनी प्यास मिटाने में कामयाब हो पायेगी? वो सजल के साथ तीन दिन से आया हुआ था और कोमल की उसे चोदने की इच्छा हर रोज़ तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी वो बहुत चुदासी थी। इस पूरे हफ़्ते में वह सजल को सिर्फ़ एक ही बार चोद पायी थी। पता नहीं क्यों सुनील भी पिछले कुछ दिनों से चोदने के मूड में नहीं था। वह हर बार थकने का कारण बताकर उसे नहीं चोद रहा था। उसके दिमाग में एक बार तो यह ख्याल आया कि कहीं वह इधर-उधर मुँह तो नहीं मार रहा था, पर फिर उसने इस विचार को दरकिनार कर दिया। अभी तो उसका ध्यान इस बात पर ज्यादा था कि प्रमोद को कैसे अपने काबू में किया जाये।
उसने सजल से पहले पूछा था कि क्या उसने प्रमोद को बताया है कि वो अपनी मम्मी को चोदता है?
सजल ने जवाब दिया था, “अगर मैं कहुँगा तो वो मुझे पागल समझेगा।”
“क्या तुम्हें अपनी मम्मी को चोदने में शर्म आती है?” उसने कुछ दुख से पूछा।
“नहीं, मुझे शर्म नहीं आती पर अधिकतर लोग हमारी बात को नहीं समझेंगे...” सजल ने कहा।
“क्या तुम समझते हो कि प्रमोद मुझे चोदना चाहेगा?”
“क्या तुम प्रमोद को चोदना चाहती हो?”
“तुम्हें ईर्ष्या तो नहीं होगी न?”
“पता नहीं, मैनें कभी इस बारे में सोचा ही नहीं कि मुझे और पापा के अलावा भी कोई तुम्हारे साथ सम्पर्क रखे। पर मेरी जान-पहचान के लड़के के साथ - ये कुछ ज्यादा है... लगता है तुम्हे जवान लड़कों का शौक है।”
“यह तो मैं नहीं कह पाऊँगी, पर हाँ मुझे चुदवाने का बेहद शौक है, यह बात पक्की है।”
“अगर प्रमोद तुम्हे न चोदना चाहेगा तो?”
“पहले यह बात पता तो लगे... मैं यह जानना चाहती हूँ, पर मैं तुम्हारी भावनायें समझना चाहती थी।”
“क्या तुम हम दोनों को एक साथ चोदना चाहोगी?” सजल के प्रश्न ने कोमल को भौंचक्का कर दिया।
“मुझे डर था कि तुम शायद इसके लिये तैयार न हो...” कोमल के जिस्म में यह सोचकर कर सनसनी फैल गयी कि अगर ऐसा हुआ तो कैसा लगेगा।
सजल ने कंधे उचका कर कहा, “अगर कोई अपनी मम्मी को चोद सकता है तो वो कुछ भी कर सकता है।”
“तो फिर देखते हैं कि यह प्रोग्राम चलता है या नहीं... मुझे खुशी है कि तुम मेरे साथ हो... अब मैं प्रमोद से सही समय पर बात करुँगी।”
अब जबकि कोमल उन दोनों लड़कों की वापसी की राह देख रही थी, उसे विश्वास हो चला था कि प्रमोद को अपने दिल की बात कहने का समय आ गया था। उसने अपने कमरे में जाकर भड़काऊ कपड़े पहने जिससे कि उसका जिस्म छिप कम और दिख अधिक रहा था। आवश्यक्ता के अनुरूप उसने न चड्डी पहनी थी न ही ब्रा। साथ ही उसने अपने गोरे पैरों में चमचमाती तनियों वाली ऊँची ऐड़ी के सैंडल भी पहन लिये क्योंकि एक तो उसकी चाल सैक्सी हो जाती थी और दूसरे उसका अनुभव था कि ज्यादातर मर्द ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहनी औरत के तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं। इस रूप में उसे देखकर, अगर प्रमोद उसे चोदेगा नहीं तो कम से कम वो पागल तो ज़रूर हो जायेगा। इतने में ही उसने गाड़ी के वापस आने की आवाज़ सुनी और वो रसोई में सामान रखने के लिये चली गयी।
“तुम लोग इतना क्या खरीद लाये?” कोमल ने सामान देखकर पूछा।
“खूब सारी बीयर। प्रमोद को बहुत पसंद है।”
“तुम्हारी मम्मी तुम्हें पीने देती है?”
“मेरी मम्मी बहुत फारवर्ड है। वो मुझे मेरे दोस्तों के साथ ऐसा बहुत कुछ करने देती है जो कि दूसरे माँ-बाप सोचने के लिये भी मना करते हैं।”
“उदाहरण के लिये...?” कोमल ने टेबल पर आगे झुकते हुए पूछा जिससे कि उसके मम्मों कि झलक प्रमोद को मिले। उसने देखा कि प्रमोद को अपनी आँखें हटाने में मुश्किल हुई थी।
“बहुत सारी... मैं जितनी देर चाहूँ बाहर रह सकता हूँ... मैं जितनी चाहे उतनी लड़कियों के साथ घुम-फिर सकता हूँ और...”
“यह तो बहुत अच्छी बात है... एक लड़के को लड़कियों के साथ सम्पर्क का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, खास तौर पर शादी के पहले... है न सजल?” कोमल ने जब सजल से पूछा तो वो समझ गया कि उसकी मम्मी बात को किस तरफ ले जा रही थी।
“बिल्कुल ठीक मम्मी...” उसने हाँ में हाँ मिलायी।
कोमल एक ग्लास लेने के लिये उठी और रसोई में वाशबेसिन पर कुछ इस तरह झुकी कि उसकी मिनी-स्कर्ट ऊपर उठ गयी। उसने ग्लास निकालने में जरूरत से ज्यादा समय लिया। उसके बाद कुर्सी पर बैठने की बजाय वह प्रमोद के ठीक सामने टेबल के किनारे ही बैठ गयी। प्रमोद ने दूसरी ओर देखते हुए बीयर पीने का बहाना किया। वह किसी औरत के इतना पास होने से थोडा नर्वस हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या चाहती थी।
“तुम जानते हो प्रमोद, मैं तुम्हारी मम्मी से भी ज्यादा उन्मुक्त स्वभाव की हूँ... मेरी तरफ से सजल को पूरी छूट है कि वो जिस लड़की के साथ चाहे घूमे और उसके साथ जो मर्जी हो वो करे... तुम समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ।”
वो लड़का थोड़ी झिझक के साथ बोला, “जी शायद समझ रहा हूँ।” यह कहते हुए उसकी नज़र अपने सामने परोसी हुई मखमली जांघों और गोरी सुडौल टाँगों और ऊँची ऐड़ी के चमचमाते सैंडलों में कसे सैक्सी पैरों पर टिकी हुई थीं।
“हो सकता है कि तुम्हें मेरी बात ठीक से समझ नहीं आई हो... मेरा मतलब है लड़कियों के साथ सम्भोग करने का।” यह कहकर कोमल प्रमोद पर अपनी बात का प्रभाव देखने के लिये रुकी।
प्रमोद को तो जैसे बिजली का झटका लगा हो। वो उस औरत का मुँह ताकता रह गया। सजल की मम्मी सजल के सामने उससे ऐसी बात कैसे कह सकती थी।
“मेरे ख्याल से प्रमोद भी किसी भी औरत के साथ सम्भोग करने के लिये मुक्त है... तुम्हारी मम्मी क्या कहेगी अगर तुम अपनी उम्र से बड़ी किसी औरत से संबंध बनाओगे?” यह कहते हुए कोमल अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडलों से धीरे-धीरे प्रमोद के पांव को सहला रही थी। वो प्रमोद के शरीर का कम्पन महसूस कर सकती थी।
“पता नहीं आँटी,” उसने सजल की ओर सहायता के लिये देखा, “मैंने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं।”
कोमल धीरे से हँसी, “तुम क्या समझते हो मैं तुम्हारी इस बात पर यकीन कर लुँगी? हर जवान लड़का अपने से उम्रदराज़ औरत को चोदना चाहता है... मैं जानती हूँ कि सजल इस बारे में क्या सोचता था।” उसने अपनी इस बात से ज़ाहिर कर दिया कि उसकी मंशा क्या थी।
प्रमोद ने सजल की ओर देखा। सजल ने हामी में अपना सिर हिलाया कि वह सही समझ रहा था।
“तुम सही सोच रहे हो प्रमोद... मैं सजल को चोदने की ट्रेनिंग दे रही हूँ... क्या तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हें भी यह शिक्षा दूँ... मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदना चाहते हो क्योंकि तुम जिस तरह से मेरे शरीर को देख रहे थे उसका कोई और मतलब हो ही नहीं सकता।”
कोमल ने बीयर की बोतल प्रमोद के हाथों से ली और उसका ठंडा हाथ अपने नंगे पेट पर रख दिया। फिर आहिस्ता से उन्हें अपनी चूचियों पर लगा लिया।
“देखो ये कितने बड़े और गर्म हैं... हाय, तुम्हारे हाथ कितने ठंडे हैं... पर चिंता मत करो थोड़ी ही देर में ये भी गर्मा जायेंगे।” कोमल ने अपने उसके हाथों से दबाते हुए कहा।
प्रमोद तो जैसे सपना देख रहा था। किसी औरत के मम्मों को वो सचमुच में दबा रहा था यह उसे अभी तक विश्वास नहीं था। उसे परसों की रात याद आई जब उसने कोमल के नंगे शरीर के बारे में सोचते हुए मुठ मारी थी। उसने कितने अच्छे से बाथरूम साफ़ किया था उसके बाद - यह सोचकर कि कहीं उसके वीर्य के अवशेष कोमल को न मिल जायें। और अब वह उसी औरत की छातियों में अपना हाथ डाले हुए बैठा था।
“अपने हाथ मत हटाना,” उसने प्रमोद से कहा। “सजल, मेरा टॉप तो उतार ज़रा। प्रमोद को भी तो अपने मम्मों की छटा दिखाऊँ!”
सजल ने अपनी मम्मी की आज्ञा मानी और कोमल के दोनों स्तन अपनी पूरी बहार में खिल उठे।
“अब तुम दोनों एक-एक बाँट लो। सजल एक तुम दबाओ और प्रमोद एक तुम।” कोमल ने एक अच्छे शिक्षक की तरह समझाया। “दबाओ मेरे बच्चों... आहा”
जब दोनों लड़के उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, कोमल ने प्रमोद की शर्ट उतार डाली। “तुम्हारी छाती तो बड़ी चिकनी है...” फ़िर उसके हाथ प्रमोद की पैंट की ओर बढ़े। उसने धीरे से उसकी बेल्ट खोली और फ़िर पैंट।
“देखूँ तुम मुझसे क्या छिपा रहे थे...” कहकर उसने प्रमोद की पैंट उतार दी और दूसरे ही क्षण इससे पहले कि प्रमोद कुछ समझ पाता उसकी चड्डी भी जमीन चाट गयी।
“अच्छा है, प्यारा और सख्त...” कोमल ने खुशी का इज़हार किया। वह सजल की तरह बड़ा नहीं था पर फिर भी काफी सख्त और मज़बूत था। उसे अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाते हुए कोमल बोली, “और गर्म भी।”
“ऊँहह” कहते हुए प्रमोद ने अपनी पकड़ कोमल की चूची पर और तेज़ कर दी। उसने एक नज़र अपने हाथ में मौज़ूद चूची पर डाली और तय कर लिया कि उसे आगे क्या करना है।
“तुम इसे चूस सकते हो, प्रमोद... चूसो और इसका स्वाद लो... तुम भी सजल।”
प्रमोद के होंठ खुले और कोमल की चूची के काले निप्पल पर सध गये। उसने धीरे से चूसना चालू किया। फिर थोड़ा जोर से और जब देखा कि कोमल को इससे आनंद मिल रहा है तो और तेज़ी दिखाई। उधर सजल ने भी यही कार्यक्रम शुरू किया हुआ था। कोमल तो जैसे स्वर्ग की ओर जा रही थी। कोमल दो- ढाई बोतल बीयर पी चुकी थी और उस पर सुरूर छाया हुआ था।
“मम्म्म... प्रमोद... मुझे खुशी है कि तुम सजल के साथ आये” कोमल ने नीचे हाथ बढ़ाकर प्रमोद का तैयार लंड अपने हाथ में ले लिया। वो कुछ बेसब्र सी हो रही थी और जल्द ही दोनों जवान छोकरों के लौड़ों को अपने मुँह और चूत में एक साथ महसूस करना चाहती थी।
“उठो जवानों, और मेरे पीछे आओ...” कहकर वह अपने सैंडल खड़खड़ाती शयनकक्ष की ओर बढ़ गयी।
उसके दोनों खिलाड़ी बिना कुछ कहे उसके पीछे हो लिये। बिस्तर के पास पहुँचकर उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतारे और बिस्तर पर घुटनों और हाथों के बल झुक गयी। जब प्रमोद ने कमरे में कदम रखा तो वह पूरा नंगा था पर सामने का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गये। सामने चौड़े फैले हुए चूतड़ देखकर वो हक्का बक्का रह गया।
“प्रमोद, यहाँ मेरे सामने आकर बैठो।”
सजल भी अपने कपड़े उतार रहा था। वह अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो जानता था कि उसकी मम्मी उसके लौड़े को कहाँ प्रयोग में लाना चाहती थी। जैसे ही वह नंगा हुआ उसने कोमल के पुट्ठों पर हाथ रख कर आगे झुका।
“ठोक दे अंदर अपना लौड़ा, सजल” कोमल ने कंपकंपाती आवाज़ में निर्देश दिया। साथ ही उसने प्रमोद के लंड के साथ अठखेलियां शुरू कर दीं। फिर अपना सिर झुकाते हुए एक ही बार में प्रमोद का पूरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया। “हुम्म्म्म ..”
प्रमोद की तो इस अचानक आक्रमण से साँस ही रुक गयी। वो अपने हाथों के बल पीछे झुक गया और अपने तने लंड को कोमल आँटी के मुँह में अंदर-बाहर होते देखने लगा। सजल ने भी अपने आगे के नज़ारे को देखा। हालांकि उसका लौड़ा कोमल की चूत में जाने को बेकरार था पर वो इस सीन को भी छोड़ना नहीं चाहता था।
“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, सजल?” कोमल गुस्से से चीखी, “डाल दे अपना लौडा मेरी चूत में और चोद मुझे... चल जल्दी कर!”
सजल का मोटा, लंबा लंड अपनी मम्मी की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वह तब तक अपना लंड उसकी चूत में ठुंसता गया जब तक कि उसके टट्टे कोमल की गाँड से नहीं जा टकराये। उसके इस जोरदार धक्के ने कोमल को आगे धकेल दिया जिससे कि उसके मुँह में प्रमोद का लंड पूरा भर गया। उस चुदासी औरत ने अपने शरीर को पीछे धकेला जिससे कि सजल का लंड और अंदर जाये। इसके साथ ही वो आपने आप को पेंडुलम की तरह आगे-पीछे करने लगी। कभी उसके मुँह में लंड होता तो कभी उसकी चूत में। वह अपने इस आनंद का भरपूर सुख लेना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि वो दोनों लड़के जल्दी ही झड़ जायेंगे। वह इस घटना के पहले कम से कम एक बार स्खलित होना चाहती थी।
“आँटी, आँटी, मेरा लंड........” प्रमोद सिर्फ इतना ही बोल पाया। उसके सिर ने एक झटका खाया और उसने अपना गाढ़ा ताज़ा वीर्य कोमल के प्यासे मुँह में छोड़ दिया।
कोमल ने भी किसी पाइप की तरह उस लंड के रस को पूरी तरह पी लिया। सजल ने अपनी अँगुली से उसकी चूत की क्लिट को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके पूरे शरीर में सनसनाहट फैल गयी थी और वह भी जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। उसने अपनी चूत की पेशियों को सजल के लंड पर कस दिया जिससे कि वह भी उन दोनों के ही साथ झड़ जाये।
“तू भी, सजल... झड़... झड़ तेरी मम्मी को तेरा पानी चाहिये... भर दे उससे मेरी चूत... मैं झड़ रही हूँ... प्रमोद भी... तू भी आ....”
सजल का लंड फूल गया। उसके टट्टों में तो जैसे आग भर गयी। उसके लौड़े से वीर्य की एक तेज़ धार निकली और उसकी मम्मी की चूत में जा समाई।
“ये लो मम्मी” वो आनंद की अधिकता से चीख पड़ा, “ये लो, ताज़ा और गर्मागर्म!”
कोमल भी इस समय फिर से झड़ रही थी। उसने प्रमोद का लंड अपने मुँह से तभी निकाला जब वह पूरी तरह झड़ गयी।
“तुमने कभी चूत चाटी है, प्रमोद?” कोमल ने पूछा।
“नहीं तो...” प्रमोद ने कोमल की ताज़ी चुदी चूत में से बहते सजल के पानी पर नज़र डालते हुए जवाब दिया।
कोमल अपनी पीठ के बल आराम से लेटती हुई सजल से बोली, “बेटा इसे सिखा तो ज़रा कि मैनें तुझे चूत चाटना कैसे सिखाया था।” कोमल ने अपनी टाँगें फैला लीं जिससे सजल को आसानी हो और प्रमोद को भी पूरी प्रक्रिया साफ़-साफ़ दिखाई पड़े।
सजल को अपने दोस्त के सामने अपनी काबिलियत दिखाने का जो मौका मिला था वह उसे छोड़ना नहीं चाहता था। उसने अपना चेहरा गंतव्य स्थान पर लगाया और अपनी अँगुलियों से चूत की कलियों को अलग करते हुए अपनी जीभ अंदर डाल दी और चटाई शुरू कर दी। प्रमोद को वो इस तरह दिखा रहा था जैसे वो चूत-रस नहीं बल्कि रसमलाई खा रहा हो।
“चाट बेटा चाट!” कोमल ने सिसकी ली और एक नज़र प्रमोद के चेहरे पर डाली।
प्रमोद वाकय इस रस्म में लीन था और उसने अपना चेहरा और पास किया जिससे कि उसे पूरा प्रोग्राम अच्छे से दिखे। उसे आँटी की चूत की भीनी-भीनी खुशबू भी आने लगी थी।
“मेरे मम्मों के साथ खेलो और सजल को मेरी चूत खाते हुए देखो।”
प्रमोद ने आँटी की चूचियाँ मसलते हुए पूछा, “क्या मैं भी इसमें हिस्सा ले सकता हूँ, आँटी?”
चुदासी क्या चाहे? चुदक्कड़! “वैसे ही करना जैसे सजल कर रहा था... अपनी जीभ से वैसे ही चाटना... ठीक है? जा अब लग जा काम पर।”
“अरे मेरा प्यारा बच्चा... चाट, चाट, चाट... अपनी जीभ डाल अंदर।”
प्रमोद ने थोड़ा जोर लगाकर अपनी जीभ को अंदर धकेल दिया।
“चोद मुझे अपनी जीभ से, प्रमोद... क्या तुम जानते हो कि मेरी क्लिट कहाँ है?”
“मेरे ख्याल से जानता हूँ...” और उसने अपनी जीभ उस स्थान पर लगाई जिसे वह क्लिट समझता था।
“सही! हाँ! तुम जानते हो... तुम जानते हो... अब तुम वापस अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो।”
जब प्रमोद कोमल की चूत का रस ले रहा था, सजल अपनी मम्मी के मम्मों पर पिला पड़ा था। वो अपनी मम्मी को अपने दोस्त के साथ बाँटकर काफी खुश था, हालांकि उसने इसकी उम्मीद नहीं की थी। उसका लंड एक बार फिर से तन्नाने लगा था।
“ये सब बंद करो और मेरी क्लिट को जोर से काटो।”
प्रमोद के ऐसा करते ही कोमल ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।
“बहुत अच्छा प्रमोद... मज़ा आ गया।”
कोमल अब झड़ते-झड़ते थक चुकी थी। उन दोनों जवानों ने उसकी भूख मिटा दी थी। उसने पहले प्रमोद और फिर सजल का एक गहरा चुम्बन लिया, और टेक लगाकर लेट गयी।
“मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी मम्मी अगली छुट्टियों में भी तुम्हें यहाँ आने की इज़ाज़त देगी... है न प्रमोद?” कोमल ने पूछा।
“क्यों नहीं, और मैं अगली बार ज्यादा दिनों के लिये आऊँगा।”

“मैं तुम्हारे आनंद के लिये पूरा इंतज़ाम रखुँगी...” कोमल ने कहा और उसी हालत में नंगी, सिर्फ सैंडल पहने हुए रसोई की ओर सबके लिये नाश्ता बनाने के लिये बढ़ गयी।
अध्याय - ७
“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील...” शाहीन ने अपने पड़ोसी से कहा, “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है।”
सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें शाहीन पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।

“वो थोड़ी ही देर के लिये गयी है... पैंतालीस मिनट में वापस आ जयेगी... मुझे उससे पहले घर पहुँचना होगा... वैसे भी मुझे गोल्फ खेलने जाना है”

“क्या कहा तुमने? तुम्हारे लिये गोल्फ खेलना मुझे चोदने से ज्यादा ज़रूरी है?”

“मैं विवश हूँ... वो मेरी कम्पनी का एक बहुत बड़ा ग्राहक है... जाना ही होगा...”

“हाय अल्लाह, मैं यह तो समझ सकती हूँ कि कोमल एक जल्दबाजी की चुदाई के लिये तैयार हो सकती है क्योंकि वो तुम्हारी बीवी है। पर मेरी चूत की प्यास मिटाने के लिये तो तुम्हें ज्यादा वक्त निकालना ही होगा... पैंतालीस मिनट में मेरा कुछ नहीं बनेगा...” शाहीन ने सुनील के मोटे तगड़े लौड़े पर एक नज़र डालते हुए कहा।

“आज के लिये तो इतना ही हो पायेगा, शाहीन!” सुनील शाहीन को बिस्तर की ओर लेकर जाते हुए बोला।

“अगर ऐसा है तो मेरी खातिरदारी शुरू करो... पहले मेरे मम्मों को चूसो...” शाहीन ने हथियार डालते हुए कहा।

सुनील ने अपने कम समय देने का मुआवज़ा देने का फैसला किया। उसने एक हाथ से शाहीन की चूचियाँ मसलनी शुरू की और दूसरे हाथ से उसकी चूत की सेवा शुरू कर दी। उसने दो अँगुलियाँ शाहीन की चूत में घुसेड़ दीं। अपने दाँतों से उसने शाहीन की दूसरी चूची का निप्पल काटना शुरु कर दिया।

“कचोट लो उन्हें डियर! और एक अँगुली और डालो मेरी चूत में!” शाहीन ने विनती की। उसने सुनील का लंड हाथ में लिया और उसे सहलाना शुरू कर दिया। वो सुबह से चुदवाने को बेचैन थी और उसका पूरा जिस्म वासना की आग में झुलस रहा था। उसने सुनील की मुठ मारनी शुरू कर दी।

“पहले मुझे ज़रा नाश्ता तो कराओ...” कहते हुए उसने लेटते हुए सुनील का लंड अपने मुँह में ले लिया।

शाहीन ने पूरे जोर-शोर से अपनी भूख मिटानी शुरू कर दी। वो तो उसे कभी न छोड़ती अगर सुनील जल्दी में न होता। उसने बेमन से सुनील का लंड अपने मुँह से निकाला।

“अब तुम मुझे चोदो राजा... वही पुराने तरीके से... तेज़ और गहरे... पेल दो ये मूसल मेरी चूत में।” शाहीन ने सुनील के लंड को अपनी चूत के मुँह पर रखकर कांपते हुए स्वर में सुनील से मिन्नत की।

“अरे मादरचोद!” जैसे ही वह हलब्बी लौड़ा अंदर गया शाहीन के मुँह से चीख निकली। सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड अंदर जो पेल दिया था। “दे दो मुझे ये पूरा लंड़ पर जल्दी झड़ना नहीं... मुझे कई दफा झाड़े बिना मत झड़ना... मुझे कई दफा झड़ना है... कई दफा...”

सुनील के लिये ये कोई आसान काम नहीं था। वो जितनी ताकत और तेज़ी से शाहीन को चोद रहा था उसमे अपने आप को काबू में रखना मुश्किल था। उसने अपना ध्यान दूसरी ओर करने की कोशिश की जिससे वह जल्दी न झड़े। उसने गोल्फ, अपनी नौकरी और अपने दोस्तों के बारे में सोचने की कोशिश की।

जब पहला झटका आया तो शाहीन फिर चीखी, “वाह रे मेरे ठोकू! चोद मुझे... मैं जली जा रही हूँ... मेरी चूत में आग लगी हुई है... झड़ना नहीं, मेरा इंतज़ार करना, सुनील।”

सुनील खुद आश्चर्यचकित था कि इस घनघोर चुदाई के बावज़ूद वो अभी तक टिका हुआ था। उसका हौसला बढ़ा और उसने पूरी चेष्टा की कि शाहीन झड़-झड़ कर बेहाल हो जाये।

“तुम नीचे आओ...” शाहीन बोली।

“पर हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।”

पर शाहीन नहीं मानी और सुनील को पीठ के बल लिटाकर उसके लंड को अपनी बुर में ठूंस कर कलाबाजियाँ खाने लगी।

“मैं फिर से झड़ रही हूँ!” पर वो रुकी नहीं। दो ही मिनट में वो फिर बोली, “फिर से झड़ी, वाह क्या ज़िंदगी है!”

सुनील शाहीन के पुट्ठे पकड़ कर उसे अपने लंड पर कलाबाजी खाने में मदद कर रहा था। वो उस चुदासी औरत की उछलती छातियों को देखने में इतना मस्त था कि उसे अपनी संतुष्टि का ख्याल ही नहीं आया। शाहीन के जिस्म ने एक झटका लिया और वो सुनील के ऊपर ढह गयी। उसने सुनील का एक दीर्घ चुम्बन लिया और वह बिस्तर पर कुतिया वाले आसन में आ गयी। उसका लाल चेहरा तकिया में छुप गया।

“एक बार मुझे इस आसन में और चोदो फिर मैं तुम्हें छोड़ दुँगी।”

सुनील ले अपने सामने फैली हुई गाँड को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। उसने अपने हाथों से अपने भारी लंड को संभाला और शाहीन के पीछे जाकर अपना लंड उसकी गीली चूत में जड़ तक समा दिया। इस बार उसने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि शाहीन झड़ेगी या नहीं। आखिर यह उसका भी आज का अंतिम पराक्रम था।

“इतना गहरे तो पहले तुम कभी नहीं गये, सुनील...” शाहीन बोली, “चोदो इस चूत को और तुम भी झड़ो और मुझे भी तारे दिखा दो।”

सुनील को हमेशा इस बात से और उन्माद आता था जब उससे चुदा रही औरत इस तरह की अश्लील भाषा का प्रयोग करती थी। उसने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। उसके लंड से निकली वीर्य की धार शाहीन की धार के साथ ही छूटी। दोनों जैसे स्वर्ग में थे।

“हाय मेरे अल्लाह! इतना मज़ा! यही ज़न्नत है! और तुम फरिश्ते हो, सुनील!”

सुनील ने अपना सिकुड़ा हुआ लंड एक पॉंप की अवाज़ के साथ बाहर निकाला। उसने घड़ी देखी तो जल्दी से कपड़े पहनने लगा। उसका ग्राहक आने ही वाला था।

“मैं चलता हूँ...” उसने जल्दी से विदा माँगी।

“तुम बड़े रूखे इंसान हो।”

“मैं तुम्हे बाद में मिलुँगा... अभी मुझे वाकय जल्दी है।”

शाहीन भी उठकर नहाने चली गयी। हालांकि उनकी चुदाई तेज़ और तीखी रही थी पर उसे याद नहीं पड़ता था कि वह इतनी बार कभी झड़ी हो। उसने दो जबरदस्त पैग बनाकर पीये और एक लंबा स्नान लिया। फिर वोह बाहर जाने के लिये तैयार हुई और हमेशा की तरह भड़कीले कपड़े पहने। अभी उसने अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने ही थे कि इतने में ही उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई। यह सोचकर कि शायद सुनील का गोल्फ का साथी नहीं आया, उसने तत्काल ही दरवाज़ा खोला। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि सजल आया था।

सजल बोला, “शाहीन आँटी, मैं अपने पापा को ढूँढ रहा था, कुछ देर पहले मैंने उन्हें यहीं देखा था... मैने सोचा शायद वो अभी यहीं हैं।”

“हाँ वो यहाँ थे तो सही... मेरी वाशिंग मशीन को ठीक कर रहे थे... पर वो कुछ मिनट पहले ही निकले हैं... किसी के साथ गोल्फ खेलने जाना था उन्हें... क्या तुमने उन्हें नहीं देखा?”

“फिर तो मै उन्हें बाद में ही देख पाऊँगा... माफ करना आँटी मैनें आपको बेवजह परेशान किया... धन्यवाद!”

जब सजल वापस जाने के लिये मुड़ा तो शाहीन के दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया।

“रुको, सजल... तुम अंदर आकर क्यों नहीं मेरे साथ एक पेप्सी लेते?” कहकर उसने सजल को उसकी बाँह से पकड़कर अंदर खींचा। उसके मन में आया कि कोमल से इससे अच्छा बदला क्या होगा कि उसका पति और बेटा दोनों उसकी गिरफ्त में हों?

सजल ने अपनी पडोसन की मधुरिम काया पर एक भरपूर नज़र दौड़ाते हुए पूछा, “क्या आप सही कह रही हैं?”

“और नहीं तो क्या... आओ अंदर...” शाहीन ने सजल को अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

“तुम काफी बड़े हो गये हो, सजल! देखो तो क्या मसल निकल आई हैं... अब तुम वो छोटे बच्चे नहीं रहे जो मेरे घर के सामने साइकल चलाया करते थे।”

सजल के चेहरे पर लाली छा गयी। “हाँ अब मैं छोटा बच्चा नहीं रहा आँटी।”

शाहीन ने खिलखिलाते हुए फ़्रिज से दो पेप्सी निकालीं और एक ग्लास में डाल कर सजल को दी और अपने लिये दूसरे ग्लास में ले कर उसमें थोड़ी व्हिस्की मिला ली। “एक दो साल में तुम अपने पापा के जितने हो जाओगे... तुम उनके जैसे हैंडसम तो हो ही गए हो”

सजल फिर से शर्मा गया। उसकी आँखें शाहीन के जिस्म पर से अब हट नहीं रही थीं। अपनी मम्मी को चोदने के बाद उसे बड़ी उम्र की औरत की सुंदरता का अहसास हो गया था और उसकी ये आँटी सुंदरता में उसकी मम्मी से कहीं भी उन्नीस नहीं थी।

“आओ सोफे पर आराम से बैठते हैं... तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है न?”

जब सजल उसके पास आकर बैठ गया तो शाहीन ने उसे वहीं उसी कमरे में चोदने का निश्चय कर लिया।

“तो मुझे बताओ, आजकल तुम क्या कर रहे हो?” शाहीन ने अपने व्हिस्की मिले पेप्सी का घूँट लेते हुए पूछा।

“कुछ ज्यादा नहीं...” सजल ने कंधे उचकाकर कहा। उसका लंड खड़ा हो रहा था और वह उसे छिपाने का रास्ता ढूँढ रहा था, “वही कॉलेज की कहानी।”

“तुम अगले साल कहाँ पढ़ने जा रहे हो?” शाहीन ने बात बढ़ाने के लिये पूछा।

“अगले साल से तो मैं यही रहकर पढ़ुँगा... मम्मी को मेरा वह कॉलेज पसंद नहीं है।”

“मुझे खुशी है कि तुम अपने घर में रहोगे... इससे हमें एक दूसरे को बेहतर जानने का मौका मिलेगा” शाहीन ने अपने हाथ से सजल की जांघ को सहलाते हुए कहा।

शाहीन इस नौजवान को जल्द से जल्द राह पर लाने का तरीका सोच रही थी। उसे इसका कोई अभ्यास नहीं था। उसे तो चट-पटाओ, बिस्तर पर जाओ, चोदो और निकल जाओ का तरीका ही आता था। उसने कुछ देर और ऐसी ही बेमानी बातों का सिलसिला ज़ारी रखा। पर कुछ ही देर में उसका धैर्य जवाब दे गया, और उसने अपनी चाल चलने का फैसला किया। उसने बातें करते-करते सजल के होठों का एक लंबा चुम्बन ले डाला। उसकी जीभ सजल के मुँह में घुस गयी। जब सजल ने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो शाहीन ने अपनी बाहें उसके गिर्द करीं और उसे लेकर वह सोफे पर ढह गयी।

“तुम बड़े हसीन लड़के हो , सजल!” उसने अपने जिस्म को सजल के जिस्म से रगड़ते हुए कहा। “मेरे चूतड़ों को पकड़ो और दबाओ।”

सजल को अपनी मम्मी की चुदाई करने से यह तो पता चल गया था कि इस उम्र की औरतें क्या चाहती हैं। उसने फ़ौरन शाहीन की इच्छा पूरी की।

“मुझे तुम्हारी ज़रूरत है, सजल! मुझे तुम्हारे साथ ऐसा करते हुए लग रहा है जैसे मैं फिर से जवान हो गयी हूँ... मुझे चोदोगे? मैं तुम्हारे मोटे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।”

सजल ने अपने पुट्ठों को उठाया और शाहीन ने उसकी पैंट और फिर चड्डी उतार फेंकी। उसकी शर्ट उसने अपने आप ही निकाल दी। शाहीन ने तो खुद नंगी होने में रिकार्ड बना दिया। जब सजल अपनी शर्ट उतार रहा था उतने में शाहीन ने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे वस्त्र उतार फैंके थे।

“वाह, सजल!” शाहीन ने उसका मूसल जैसा लौड़ा देखकर तारीफ की। “यह तो बहुत बड़ा और मोटा है... करीब-करीब...” उसके मुँह से सुनील का नाम निकलते निकलते रह गया, “और ये मेरे हाथ में कितना सख्त लग रहा है...” कहते हुए शाहीन ने खुदा की उस खूबसूरत रचना को अपने मुँह में ले लिया।

“आआआआह शाहीन आँटी!” सजल ने सिंहनाद की। शाहीन ने मुँह में लेते ही लंड की जबरदस्त चुसाई शुरू कर दी थी। सजल इसके लिये बिलकुल तैयार नहीं था।

“उम्म्म,” शाहीन ने चुसाई ज़ारी रखते हुए जवाब दिया। वह मन ही मन में सजल के लंड की तुलना उसके बाप के लंड से कर रही थी। यह बताना मुश्किल था कि उसे किसका स्वाद अधिक स्वादिष्ट लगा था। इसके लिये रस पीना ज़रूरी था।

“मुझे अपने झरने का थोड़ा रस पिलाओ न सजल!” शाहीन ने चुसाई करते हुए सजल के लंड की मुट्ठी मारनी चालू कर दी। “मुझे बताना जब तुम रस छोडने वाले हो... मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ... क्या तुम मेरा ऐसा करना पसंद करोगे?”

सजल के मुँह से बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकली “हाँ आँटी, ज़रूर... निकाल लो रस मेरे लंड से... चूस लो!” कुछ ही देर में वो फिर बोला, “मेरे ख्याल से निकलने ही वाला है... क्या आप तैयार हैं?”

शाहीन ने अपने मुँह की जकड़ उस पाइप पर तेज़ कर दी। कितनी लालची थी वो कि एक बूँद भी बेकार करने को राज़ी नहीं थी। सजल के गाढ़े वीर्य का पहला स्वाद उसे मुँह लगाते ही मिल गया। उसके बाद जो सजल ने रस की बरसात की तो शाहीन से पीना मुश्किल पड़ गया। आज तक उसने इतने जवान मर्द का पानी पिया नहीं था, न उसे पता था कि सजल के लौड़े में रस का झरना नहीं समंदर था। पर उसने हार नहीं मानी और किसी तरह पूरा पानी पी ही डाला।

“क्या तुम मेरे मम्मे, चूत और गाँड को छूना चाहोगे?” शाहीन ने जैसे इनाम की घोषणा की।

हालांकि सजल अभी-अभी झड़ा था पर उसे अपने अनुभव से पता था कि वो चुटकी में ही फिर तैयार हो जायेगा। ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव ठुकराने का कोई मतलब ही नहीं था।

“ज़रूर, शाहीन आँटी, यह भी कोई पूछने की बात है?”

शाहीन ने अपनी गाँड सजल की ओर करते हुए कहा, “छूकर देखो इसे...” उसकी कांपती आवाज़ ने इस बात की गवाही दी कि उसका अपनी भावनाओं पर काबू खत्म होता जा रहा था। उसे चुदाई की भीषण आवश्यकता महसूस हो रही थी।

जब शाहीन सामने की ओर मुड़ी तो उसकी खिली हुई चूत देखकर सजल से रहा नहीं गया। उसने उस उजली चूत में अपनी दो उंगलियाँ पेल दीं। शाहीन की आँखें इस अप्रत्याशित आक्रमण से पलट गईं और वह बिना कुछ सोचे हुए बोल पड़ी, “चोदो इसे! चोद मेरी चूत को, आंटी-चोद!”

पर सजल पहले उस कुँए की गहराई नापना चाहता था और अपनी उंगलियों को बाहर निकालकर राज़ी नहीं था।

“बहुत हो गया यह सब सजल!” शाहीन ने डाँट लगाई, “पहले मेरे मम्मों को चूसो और फिर मुझे चोदना चालू करो!” शाहीन ने अपना ध्यान सजल के लंड को सख्त करने में लगाते हुए हिदायत दी। “मेरे निप्पलों को काटना ज़रूर... चबा जाओ उन्हें... हाँ ऐसे ही... अरे बड़ा सीखा हुआ लगता है रे तू तो...! किसने सिखाया तुझे ये सब?”

जब शाहीन ने देखा कि सजल का लंड चुदाई के लिये बिल्कुल रेडी है तो उसने अपने मम्मों को सजल के मुँह से बाहर निकाल लिया। उसने सजल के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उसके ऊपर अपनी चूत को रख दिया और फिर एक झटके के साथ उसपर बैठकर उसे अपनी चूत में भर लिया।

“भर दे, भर दे, ऐ अज़ीम लौड़े मेरी चूत को भर दे!” शाहीन ने गुहार की। “मेरी गाँड को सहारा दो, सजल...” कहकर शाहीन ने अपनी चूचियों को सजल के मुँह में भर दिया। आगे झुकने से लंड उसकी चूत में और टाइट हो गया और शाहीन को ज़न्नत के नज़ारे धरती पर ही होने लगे।

सजल ने अब रुके बिना शाहीन की प्यासी चूत में अपना हलब्बी लौड़ा पेलना शुरू कर दिया। शाहीन ने भी धक्कों में हाथ बंटाया और उसके लंड पर तेजी से सरकने लगी। कभी सजल नीचे से धक्का देता तो कभी शाहीन ऊपर से अपनी चूत को उसके लंड पर बैठाती। सजल की तो जैसे चाँदी थी। घर पर चुदासी मम्मी थी और पड़ोस में चुदक्कड़ आँटी। एक के न होने पर दूसरी चूत मिलने की अब गारंटी थी। यही सोचकर उसके समंदर का रस तेज़ी के साथ अपनी आँटी के कुँए की ओर अग्रसर हुआ।

“आआआआह, ऊँह ऊँह!” उसने अपने लंड की पिचकारी शाहीन की चूत में छोड़ते हुए आवाज़ निकाली। उसके शरीर की सारी माँस-पेशियाँ तनाव में आ गईं और उसे रात और दिन एक ही समय में दिखने लगे।

उधर शाहीन का भी ऐसा ही कुछ हाल था। सजल के लंड की पिचकारी को अपनी चूत में रस भरते हुए महसूस करते ही उसकी चूत ने भी अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया। वो इतनी तेजी से झड़ी कि उसे हर चीज़ की ओर से अनभिज्ञता हो गयी। अगर कोई उससे इस समय उसका नाम भी पूछता तो शायद वो बता नहीं पाती।

“और सजल, और, भर दो मेरी चूत को... चोद मुझे हरामखोर, मादरचोद, फाड़ दे मेरी चूत रंडी की औलाद!” शाहीन को पता ही नहीं था कि वो क्या बके जा रही थी।

शाहीन तब तक सजल के मूसल जैसे लौड़े पर कथक्कली करती रही जब तक कि वो सिकुड़ नहीं गया। उसके बाद वो वहीं सजल के पास ढह गयी। उसके चेहरे पर असीम सन्तुष्टि की झलक थी, और आँखों में एक वहशियाना चमक। वो सोच रही थी, उस छिनाल कोमल से मेरा बदला अब पूरा हो गया। मैनें उसके पूरे खानदान को अपनी चूत में समा लिया है। अगर मैं अब चाहूँ तो दोनों बाप-बेटे मेरे सैडल के तलुवे भी खुशी-खुशी चाटने को तैयार हो जायेंगे।

सजल उस चुदी हुई औरत की ओर देखकर सोच रहा था कि मेरी अपनी उम्र से बड़ी औरतों पर यह दूसरी विजय थी। पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि शाहीन ने उसे मादरचोद क्यों बुलाया था? क्या वो जानती थी कि....
...........

अध्याय - ८

जब कोमल ने अपनी गाड़ी घर के सामने खड़ी की तो उसे यह देखकर अचरज हुआ कि सजल शाहीन के घर से निकल रहा था।

“सजल! तुम उस औरत के घर में क्या कर रहे थे?” कोमल ने गुस्से से पूछा।

“उनसे एक बोतल नहीं खुल रही थी इसीलिये मुझे बुलाया था।” सजल ने हकलाते हुए जवाब दिया।

एक बार तो कोमल ने इस जवाब को स्वीकार कर लिया। “आगे से मैं तुम्हे उस कुत्तिया के पास नहीं देखना चाहुँगी... उसे अपने लिये ऐसा मर्द ढूँढ लेना चाहिये जो उसकी बोतल को खोल सके... यह हमारी गलती नहीं है कि उसका पति उसे छोड़कर भाग गया है।”

“अरे मम्मी, वो कोई बुरी औरत नहीं है” सजल ने अपने द्वारा चुदी औरत का पक्ष लेते हुए कहा।

इससे तो कोमल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। “अब मुझसे यह मत कहना कि तुम उस कुत्तिया को पसंद करने लगे हो... तुम उसके हाथों बेवकूफ मत बनना... मुझे उस पर रत्ती भर का विश्वास नहीं है और मैं हम में से किसी को भी उसके नज़दीक नहीं जाने दुँगी।”

घर के अंदर जाते हुए सजल अपना पूरा बचाव कर रहा था। “आखिर तुम्हें शाहीन आँटी में क्या बुराई नज़र आती है? मुझे तो वो एक ठीक औरत लगी।”

इसका जवाब देने के लिये कोमल बगलें झाँकने लगी। उसके जवाब से सजल को इतना तो समझ आ गया कि यह नारी-सुलभ-ईर्ष्या का ही नतीज़ा है।

सजल के मुँह से निकल गया, “तुम सिर्फ़ जलती हो, मम्मी!”

कोमल के सनसनाते हुए चांटे ने सजल के होश गंवा दिये। पर कोमल को अपनी गलती का तुरंत ही एहसास हो गया। कोमल ने सजल को अपनी बाहों में लेकर प्यार करना चाहा पर सजल ने उसे अलग कर दिया। न केवल सजल अपनी मम्मी से इस झापड़ के लिये नाराज़ था बल्कि वह इस बात से भी अनभिज्ञ नहीं था कि उसके जिस्म से शाहीन की चुदाई की खुशबू आ रही थी।

“छोड़ो मम्मी, मैं नहाने जा रहा हूँ।”

“सजल!” कोमल ने आवाज़ दी पर सजल उसे पीछे छोड़कर निकल गया।

पर कोमल को इस बात से भी तकलीफ थी कि उसका परिवार जो शाहीन से अभी तक दूरी रखे था अचानक क्यों उसका खैरगार हो गया था। जब इसका संभावित उत्तर कोमल के ज़हन में आया तो उसे पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। क्या वह शाहीन को भी चोद रहा था, जबकि उसे घर पर ही चूत उपलब्ध थी?

“वो कुतिया!” कोमल ने फुँफकार मारी। उसे विश्वास हो गया कि सजल ने शाहीन को चोद दिया था। अपनी मम्मी को चोदने से उसे अपने से बड़ी औरत का चस्का लग गया था। शाहीन ने इसी का फायदा उठाया होगा।

“सजल!” कोमल की आवाज़ से घर गूँज उठी। वो बिना सोचे अपने लड़के के स्नानघर में घुस गयी। सजल नहा कर बाहर निकल रहा था। उसके मस्त लंड पर एक हसरत भरी नज़र डालते हुए कोमल ने कहा, “कुछ कपड़े पहन लो, तुम मेरे साथ उस औरत के घर चल रहे हो... मैं जान गयी हूँ कि तुम वहाँ पर क्या कर रहे थे और मैं उससे इस बारे में बात करना चाहती हूँ।”

“पर मम्मी, मैंने तुम्हे बताया न कि मैं वहाँ सिर्फ एक बोतल खोलने गया था।”

“बकवास! तुम्हारे चेहरे पर अभी तक चुदाई की चमक है!” कोमल गुस्से से कांप रही थी। उस कुत्तिया के साथ वह अपने बेटे के लौड़े को बाँटने के लिये हरगिज़ तैयार नहीं थी। “मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहरा रही हूँ, पर उस रंडी को तो मैं छोड़ुँगी नहीं... जल्दी तैयार हो जाओ।”

सजल जब कपड़े पहन कर अपनी माँ के पास नीचे आया तो उसने बात संभालने की फिर कोशिश की। पर कोमल ने उसकी एक न सुनी।

“कुछ बोलने की कोशिश मत करो... मैं सीधे उसके घर जा रही हूँ... और अगर तुम चाहते हो कि मैं उसकी गर्दन न मरोड़ूँ तो बेहतर होगा कि तुम मेरे साथ ही चलो।”

कोमल ने जाकर शाहीन का दरवाज़ा जोर-जोर से पीटना शुरू कर दिया। जब शाहीन ने दरवाज़ा खोला तो यह ज़ाहिर था कि उसने जल्दी में ऐसे ही नहाने का गाऊन पहन लिया था। इससे कोमल को लगा जैसे वो अभी नहा कर निकली है।

“अच्छा, शाहीन, क्या तुम्हें इस वक्त नहाने की ज़रूरत इसीलिये पड़ गयी क्योंकि तुम मेरे बेटे सजल को चोदकर गर्मी और पसीने से नहा गयी थी? सजल अंदर आओ और दरवाज़ा बंद कर दो।”

शाहीन को बहुत जोर का झटका लगा। उसने कहा, “तुम अपने आप को क्या समझती हो जो मेरे घर में इस तरह से घुसी आ रही हो?”

कोमल उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए उसके ड्राइंग रूम में प्रवेश कर गयी। उसने अपनी कमर पर हाथ रखकर तैश में अपनी पडोसन से कहा, “तुम भली-भांति जानती हो कि मैं यहाँ क्यों आई हूँ... तुमने मेरे भोले-भाले बेटे को यहाँ बुलाया और उसे बहलाकर अपनी वासना का शिकार बनाया... क्या तुम इससे इंकार करती हो?”

कोमल को उम्मीद थी कि शाहीन इससे मुकरने की कोशिश करेगी। पर उसने शाहीन की बेशर्मी को कम आँका था।

“इसमे क्या गलत है कि तुम्हारे बेटे को मेरे साथ सही तरह का तजुर्बा हो गया? अगर वो किसी ऐसी अन्जान लड़की के साथ कार की पिछली सीट पर यह सब करता जिसे इतनी भी समझ नहीं होती कि ऐसे शानदार लौड़े के साथ क्या करना है, तो क्या तुम्हें खुशी होती?”

इस जवाब से कोमल निरुत्तर हो गयी। उसने कहा, “इससे तुम्हारे कुकर्म को सही नहीं ठहराया जा सकता। तुमने उसका फायदा उठाया है, और तुम यह बात जानती हो। इसके लिये तो कोई कानून होना चाहिये जिससे कि बड़ी उम्र की औरतें छोटे लड़कों को बहका न सकें।”

सजल अपनी मम्मी के इस ढोंग से अब काफी क्रोधित हो चला था। उससे रहा नहीं गया और वह बोल पड़ा, “तुम यह सब बातें शाहीन आँटी को कैसे कह सकती हो मम्मी... जबकि तुम भी मुझसे चुदवाती हो?” कहने को तो वह कह गया पर उसे उसी वक्त यह समझ आ गया कि उससे एक भीषण गलती हो गयी है।

“सजल!” कोमल सकते में आ गयी। पर वह जान गयी थी कि अब गोली बहुत दूर जा चुकी है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सजल का हाथ पकड़े और भाग जाये।

कुछ सन्नाटे के बाद शाहीन बेहताशा हँसने लगी। “तो ये बात है... तुम जल रही हो... तुम्हारी इतनी हिम्मत कि यहाँ आकर मुझे नसीहत दो जबकि तुम खुद अपने बेटे को चोद रही हो? लोगों को क्या ज्यादा बुरा लगेगा? मेरा सजल को चोदना या तुम्हारा?”

“हम घर जा रहे हैं...” कोमल बोली।

“नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो... जब तुम यहाँ आई हो तो मेरी भी सुनती जाओ... तुमने सालों से मुझे कचरे की तरह समझा है, जबसे मेरा शौहर मुझे छोड़कर चला गया... तुम्हें हमेशा यह डर रहा कि मैं तुम्हारे शौहर को न चोदूँ... मैं तुम्हें एक अच्छी खबर देना चाहती हूँ... न सिर्फ मैंने सजल को चोदा है बल्कि मैं सुनील को भी चोद चुकी हूँ... क्या तुम्हें इस बारे में कुछ कहना है?”

“हरामजादी!” कोमल ने गुस्से से हाथ घुमाया, पर सजल ने अपनी फुर्ती दिखाई और उसे बीच में ही पकड़ लिया।

“अब इतनी भोली न बनो, कोमल...” शाहीन ने व्यंग्य किया, “तुम जो सजल को चोदती हो, और उस दिन तुम्हारे घर से सजल के कॉलेज का प्रिन्सिपल जो जा रहा था?”

“वो तो सजल से मिलने आया था, हमारे बीच में कुछ नहीं हुआ।”

पर सजल की शक भरी निगाहें उसे भेद रही थीं। “तुमने मुझे बताया नहीं कि कर्नल मान आये थे?” सजल ने पूछा।

“इसीलिये नहीं बताया क्योंकि इसने उसे चोदा था, सजल...” शाहीन ने मुस्कराते हुए कहा, “मुझे पता है क्योंकि उस दिन ये परदे डालना भूल गयी थी और मैने पूरी चुदाई इन आँखों से देखी थी।”

कोमल को यह पता नहीं था कि शाहीन ने कुछ देखा नहीं था, पर अंधेरे में तीर मार रही थी। पर शाहीन ने बात कुछ इस अंदाज़ में कही थी जैसे कि वह सच ही बोल रही हो। शाहीन ने अब अपने वार को और तीखा करने की ठानी। उसने अपने नहाने वाले गाऊन का नाड़ा खोल उसे उतार फैंका और अब वो सिर्फ सैंडल पहने उसी अवस्था में आ गयी जिस अवस्था में थोड़ी देर पहले सजल ने उसे चोदा था। उसका नंगा तन चमकने लगा।

“मुझे हैरत है कि सजल मुझे चोदने के लिये क्यों आया?। क्या वो तुम्हें चोदने से ऊब गया है?” उसने अपने शरीर को सजल के जिस्म से रगड़ते हुए कहा।

वो दोनों मम्मी-बेटे कुछ कहने की हालत में नहीं थे।

शाहीन ने कोमल को और छेड़ते हुए इठलाते हुए कहा, “अब तुम समझ सकती हो कि सजल और सुनील दोनों को मेरे पास आने की ज़रूरत क्यों पड़ी... मेरे पास वो सब कुछ है जिसकी उन्हे ख्वाहिश है... बड़े मम्मे और एक तंग गाँड.... अब जब तुम यहीं हो सजल तो क्यों न हम उस काम को अंजाम दें जो हमने शुरू कर दिया है? मेरे ख्याल से तुम्हारी मम्मी यह जानने को बेकरार होगी कि मैं कैसे चुदवाती हूँ।”

सजल अपनी मम्मी से नाराज़ अवश्य था पर वह उसके अपमान में शाहीन का साथ देने को तैयार नहीं था। उसने शाहीन को दूर धकेलने की कोशिश की पर इतने में ही उसकी मम्मी की एक हरकत पर वह ठगा सा रह गया।

“तुम अपने आप को बड़ा गर्म और सैक्सी समझती हो न शाहीन? मैंने तुम्हें अपने शरीर की नुमाइश करते हुए कई बार देखा है... पर अब मैं तुम्हे बताती हूँ कि सजल और सुनील क्यों हमेशा मेरे पास ही वापस आयेंगे।”

शाहीन को भी गहरा आश्चर्य हुआ जब उसकी पडोसन ने अपने कपड़े उतारने आरंभ किये। उसने भी यह माना कि कोमल के पास अत्यंत ही लुभावना और आकर्षक जिस्म था। कोमल ने नंगे होने में अधिक देर नहीं लगायी। वो सिर्फ अपनी बात सिद्ध करना चाहती, किसी पर विजय नहीं।

“किसका शरीर ज्यादा सुंदर है, सजल?” उसने शाहीन की तारीफ भरी नज़रों में नज़रें डालकर सजल से पूछा।

सजल को अपनी यह स्थिति पसंद नहीं आ रही थी। अपनी कम उम्र के बावजूद वह समझ गया था कि इन दोनों औरतों की लड़ाई बंद करानी होगी।

“आप दोनों रुकिये... आप पर जो पागलपन सवार हो रहा है उसे रोकिये... आप लोग इतने सालों से पडोसी हैं पर एक दूसरे के बारे में आपके खयालात कितने गलत हैं।”

वो दोनों सजल की बात सुन रही थीं। उन्हे इस बात से थोड़ी संतुष्टि हुई कि सजल ने स्थिति पर काबू कर लिया था।

सजल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “मैं इस बात का कोई वोट नहीं डालुँगा कि आप दोनों में से किसका जिस्म ज्यादा सुंदर है... जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है... आप दोनों बेहद सैक्सी औरतें हैं... बस!” यह कहते-कहते सजल ने अपने लंड को खड़ा होते महसूस किया। उसकी दोनों विजय-पताकाओं के बीच में रहने से उसका झंडा बिना खड़े हुए न रह सका। सजल ने अपनी बाँह अपनी मम्मी की कमर में डाली, उसने शाहीन के साथ भी ऐसा ही किया।

“मैं हमेशा सोचा करता था कि दो औरतों को एक साथ चोदने में कैसा लगेगा... क्या आप दोनों अपनी लड़ाई छोड़कर मुझे यह बात समझायेंगी?” बिना उनके उत्तर का इंतज़ार किये, उसने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिये।

उसका हौंसला इस बात से भी बढ़ा कि उन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी चुप्पी ने उसे यह समझा दिया कि वो उससे सहमत हैं।

“तुम्हें शाहीन आँटी से जलन नहीं होनी चाहिये मम्मी...! अगर मैं इन्हें चोदता हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं कि मैं आपको चोदना बंद कर दुँगा।” सजल एक हाथ से अपनी मम्मी और दूसरे हाथ से शाहीन के मम्मों को दबाते हुए बोला।

कोमल ने सजल को शाहीन के मोटे मम्मों से खेलते हुए देखा। उसे ईर्ष्या की जगह एक अभूतपूर्व रोमाँच का एहसास हुआ।

सजल ने अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी मैं आप दोनों को चोदना चाहता हूँ।” यह कहकर उसने अपनी मम्मी का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। उसका दूसरा हाथ कोमल की गाँड दबाने लगा।

शाहीन जान गयी कि आज की दोपहर निराली होगी। उसने अपने स्तन सजल की पीठ पर लगा दिये। उसने अपना हाथ मम्मी-बेटे के बीच से सजल के लंड पर पहुँचा दिया और उसे दबाने लगी। कोमल उसके हाथ को हटाने की कोशिश करने लगी। पर फिर उसने अपने बेटे के शानदार लंड को इस औरत के साथ बाँटने का निर्णय लिया।

सजल ने अपने आप को वहीं कारपेट पर लिटा लिया और अपनी मम्मी को अपने ऊपर इस तरह खींचा कि उसकी चूत उसके मुँह पर आ लगी। उसने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी। अब वह इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि शाहीन उसका लंड चूसने लगेगी।

शाहीन के चेहरे पर मुस्कराहट फैल गयी। उसने झुककर उस झुलते हुए लंड को अपने हाथ में लिया और झट से मुँह में भर लिया।

“इसका लंड बहुत लज़ीज़ है, कोमल।” उसने कोमल को हिम्मत देते हुए कहा।

इससे कोमल का यह डर कि वह उसके लड़के को काबू में ले लेगी शाँत हो गया।

कोमल ने भी देखा कि शाहीन सजल के लंड से जलपान कर रही थी। हालांकि वो इस दृश्य को देखना चाहती थी पर उसकी चूत में छाये तूफान पर उसका बस नहीं था।

“मुझे ज़रा मुड़ने दो सजल,” कह कर कोमल तेजी से घूम गयी जिससे उसका मुँह शाहीन की ओर हो गया। “अब मेरी चूत चाटो सजल।”

उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया जिससे उसका सिर शाहीन के सिर से जा टकराया। कोमल भी उस लंड का स्वाद लेना चाहती थी। शाहीन ने भी दरियादिली दिखाई और अपने मुँह से उस चिपचिपाते लंड को निकालकर कोमल के मुँह की ओर कर दिया।

“इसका ज़ायका लो कोमल, तब तक मैं इन टट्टों का ज़ायका लेती हूँ।”

कोमल ने अपनी जीभ सजल के लंड के सुपाड़े पर फिराई और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया। इस समय उसे खाने और खिलाने का दोहरा मज़ा आ रहा था।

सजल उन दोनों सुंदरियों की जिव्हाओं के आघात से तड़प रहा था। उसकी तमन्ना पूरी हो गयी थी। पर उसका अपने ऊपर काबू खत्म हो गया था। कुछ ही मिनटों की चुसाई और चटाई से उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दी।

कोमल ने अपने मुँह मे छुटते हुए रस को पीना शुरू कर दिया। शाहीन ने कोमल को हटाने के उद्देश्य से उसके मम्मों को पकड़कर धक्का सा दिया। पर कोमल इसका कुछ और ही अर्थ समझी।

“और जोर से भींचो इन्हें शाहीन! और तुम मुझे खाओ सजल।” यह कहते समय उसे भी शिखर प्राप्ति हो गयी।

शाहीन उन दोनों को झड़ते हुए बस देखती ही रह गयी। उसे यकीन था कि इंतज़ार का फल मीठा होगा पर उसको मम्मी-बेटे के प्यार की गहराई का अनुभव जरूर हो गया था।

जब कोमल झड़कर शाँत हुई तो शाहीन उसकी ओर देखकर बोली, “मैं तुम्हारे मम्मों को तुमसे पूछे बिना नहीं दबाना चाहती थी। शायद तुम्हे ये पसंद न आया हो।”

“कोई बात नहीं, शाहीन, मुझे वाकय अच्छा लगा था। मैं हमेशा अचरज करती थी कि दूसरी औरत के साथ यह सब करना कैसा लगेगा।” उसने शाहीन के तने हुए मम्मों पर आँखें जमाते हुए जवाब दिया।

“हम दोनों भी नमूने हैं, कोमल! कुछ देर पहले हम एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे और अब माशुका बनने की बात कर रहे हैं...” दोनों औरतें साथ-साथ हंसने लगीं।

“शायद मैं तुमसे इसीलिये दूर रहना चाहती थी... मुझे डर था कि मैं कहीं तुम्हारे साथ संबंध ना बना लूँ...” कोमल बोली।

सजल का लंड सामने के दृश्य को देखकर फिर से तनतना गया था। उसने अपने सामने नाचते हुई अपनी मम्मी की गाँड देखी तो वो उसके पीछे झुका और अपना दुखता हुआ लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलने लगा।

“नहीं सजल,” कोमल ने अपनी चूत से उसका लंड बाहर निकालते हुए कहा, “मैं तुम्हे शाहीन को चोदते हुए देखना चाहती हूँ... उसके पीछे जाओ और उसे चोदो... जाओ!”

सजल का लंड इस समय इतना अधिक दुख रहा था कि उसे इस बात से कतई मतलब नहीं था कि उन दोनों में से किसे उसके मोटे लंड का आनंद मिलेगा। उसने शाहीन के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लंबा लंड जड़ तक, एक ही धक्के में ठोक दिया। शाहीन की गिलियाई हुई चूत ने भी आसानी से पूरे मूसल को अपने अंदर समा लिया। हालांकि शाहीन अभी ही झड़ के निपटी थी, पर वो एक बार फिर तैयार थी।

“शुक्रिया, कोमल, जो तुमने मुझे इसे चोदने दिया... मुझे खुशी है कि अब तुम सारी बात को समझती हो... मैं इतनी अकेली थी, इतनी चुदासी... मुझे इसके लंड की सख्त जरूरत थी।”

कोमल की चूत में भी आग बदस्तूर लगी हुई थी। उसने अच्छे पड़ोसी का कर्तव्य तो निभा दिया था पर वो इंतज़ार कर रही थी कि सजल शाहीन को निपटाकर उसकी चूत की प्यास बुझाये। कुछ ही देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद सजल के झड़ने की बारी आखिर आ ही गयी।

“मैं झड़ रहा हूँ, मम्मी!” सजल चीखा और अपना रस शाहीन की चूत में भरना शुरू कर दिया।

कोमल अपने सामने का दृश्य देखकर ही झड़ गयी। शाहीन आखिर में झड़ी। मम्मी-बेटे के बीच में सैंडविच की तरह चुदने का आनंद अपरंपार था।

“मेरे साथ झड़ो, तुम दोनों! दोनों! सजल! कोमल! मैं तुम्हारी चूत के ज़ायके से प्यार करती हूँ... मैं तुम्हारी घनघोर चुदाई से भी प्यार करती हूँ, सजल! चोदो मुझे! चो...दो! मैं झड़ी रे! हाय रे! मैं मरी!”

जब सब शाँत हुए तो शाहीन को ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो भी सिंह परिवार का हिस्सा हो गयी हो।


अध्याय - ९

सुनील एक बड़ा खतरा उठाने के बारे में सोच रहा था। ये पागलपन था और ये उसे भी पता था, पर वो कुछ रोमाँचक करने के मूड में था। उसने अपना गोल्फ का खेल खत्म ही किया था और उसका ग्राहक मित्र राकेश उसे घर छोड़ने जा रहा था। उसने अगली सीट पर बैठे हुए अपने शरीर को मोड़ा जब उसने अपने लंड को खड़ा होते हुए महसूस किया। उसका लंड शाहीन को चोदने के ख्याल से सख्त हो रहा था। उस सुंदर चुदक्कड़ औरत को चोदने के बारे में सोचने के कारण आज उसका खेल बहुत बेकार रहा था। राकेश की गाड़ी से उतरकर सीधा शाहीन के घर घुसने में खतरा था और कोमल घर पर थी तो ये खतरा और भी बड़ जाता था। वो अपने खेल का सामान शाहीन के घर ले जायेगा और वहाँ से अपने घर चला जायेगा और ऐसे दिखायेगा जैसे वो खेल कर लौटा है। सुनील ने ये सोचते हुए अपने दुखते हुए लंड को एडजस्ट किया और शाहीन की रसीली चूत में डालने का इंतज़ार करने लगा।

उधर कोमल, शाहीन और सजल ड्राईंग रूम में बैठ कर बातें कर रहे थे। अब उनमें किसी तरह का मलाल नहीं था। हँसना और मज़ाक करना भी अब आसान था, चूंकि पिछले कुछ घंटों में वो काफी करीब आ चुके थे। तीनों नंगे ही बैठे थे।

“तुम दोनों रुक कर मेरे साथ खाना खा कर क्यों नहीं जाते... मेरे पास एक मोटा मुर्गा है जो मैं अकेले तो बिल्कुल नहीं खा पाऊँगी”, शाहीन बोली।

“धन्यवाद! आज इतना कुछ होने के बाद मैं अब घर जाकर खाना बनाने के मूड में भी नहीं हूँ।”

“सुनील का क्या होगा? क्या हम उसे भी खाने के लिये दावत दे दें?” शाहीन ने एक नटखट मुस्कुराहट के साथ पूछा।

कोमल बोली, “मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि मैं सुनील को ये बदला हुआ माहौल कैसे समझा पाऊँगी? मेरी तो हँसी ही निकल जायेगी।”

“तुम क्या सोचती हो कोमल....! क्या ये मुनासिब होगा कि हम उसे बता दें कि तुम सजल से चुदवाती हो?” शाहीन ने पूछा, “उसके लिये शायद ये कबूल करना मुश्किल हो कि उसकी बीवी अपने ही बेटे से चुदवाती है।”

कोमल ने अपने एक मम्मे को खुजलाते हुए कहा, “इतना जो इन कुछ दिनों में हुआ है, उसे देखकर लगता है कि मैं सब कुछ संभाल सकती हूँ, चाहे वो एक बेहद नाराज़ पति क्यों न हो... और फिर उसके पास भी तुम्हें चोदने के बाद ज्यादा बात करने का मुँह नहीं है।”

“हाँ! पर मेरा क्या होगा, मम्मी?” सजल के चेहरे पर गहरी चिंता के भाव थे।

कोमल ने सजल के सिकुड़े हुए लंड को थपथपाते हुए कहा, “अपने पापा को संभालने का काम तुम मुझ पर ही छोड़ दो तो बेहतर है.... मैं अब पीछे हटने वाली नहीं हूँ... उसे या तो सब स्वीकार करना होगा.... या चाहे तो वो तलाक ले सकता है।”

“मम्मी?” सजल अपने मम्मी-पापा के अलग होने की बात से आहत हो गया। “तुम्हारे ख्याल से ऐसा नहीं होगा... है न? मैं आप दोनों के बीच में नहीं आना चाहता...।”

“नहीं.... मेरे ख्याल से ऐसी नौबत नहीं आयेगी... कम से कम तुम से चुदवाने से तो नहीं... इससे हमारी शादी में और दृड़ता आयेगी... तुम्हें सोचकर आश्चर्य होगा पर तुम्हारे पापा ने मुझे एक बार कहा था कि बचपन में उनकी अपनी मम्मी को चोदने की बड़ी हसरत थी।”

“दादी को... पर वो तो... ?” सजल चौंक गया।

कोमल ने उसे झिड़कते हुए कहा, “अरे... वो अब बूढ़ी हुई हैं... पर अपने दिनों में वो बेहद हसीन थी... उस बात को छोड़ो... मेरा मतलब है कि ये कोई नई बात नहीं है कि कोई लड़का अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा रखता हो... शायद पापा ये बात तुमसे ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं और इस बात का मुझे विश्वास है।”

उसी समय सामने के दरवाज़े की घंटी बजी। शाहीन घबरा गयी।

“इस समय कौन हो सकता है?”

“हम तुम्हारे अतिथि शयन कक्ष में रहेंगे जब तक कि तुम इस आगंतुक को नहीं निपटा देतीं... सजल! अपने कपड़े उठाओ और मेरे साथ आओ...” कोमल ने कहा।

कोमल और सजल को उस कमरे में गये अभी कुछ ही क्षण हुए थे कि शाहीन घबरायी हुई अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल खटकाती अंदर आयी।

“अरे बाहर तो सुनील है... अब मैं क्या करूँ?”

“रूको!” कोमल ने कहा। उसका दिमाग तेज़ी से एक नतीज़े पर आया। “उसे पता नहीं कि सजल और मैं यहाँ हैं... उसे अंदर आने दो और अपने शयनकक्ष में ले जाओ... शायद सब कुछ ठीक हो रहा है... अगर तुम उसे अपने शयनकक्ष में ले जा कर चोदने में सफल हो जाती हो तो हम बीच में आकर तुम्हें रंगे हाथों पकड़ लेंगे... उसके बाद.... समझीं?”

शाहीन के चेहरे पर रंगत वापस आ गयी। उसे कोमल का प्लान समझ आ गया।

“हम्म्म्म... तब सुनील बहुत ही अजीब सी हालत में होगा... उसे हमारे बारे में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं होगी... है न?”

“एकदम सही!” कोमल ने एक विषैली मुसकराहट से कहा, “अब जाओ और जैसा मैंने कहा है... वैसा करो... हम यहाँ छुपते हैं... तुम जा कर उसके लंड को अपनी चूत में घुसवाओ...” ऐसा कहकर कोमल ने शाहीन की नंगी गाँड पर प्यार भरी एक चपत लगाई।

कोमल ने एक झिर्री सी रखकर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। इसमें से वो बाहर चल रहे प्रोग्राम को देख-सुन सकती थी। उसने सुनील के गोल्फ के सामान की आवाज़ सुनी। कुछ ही देर में उसने शाहीन को अतिथि कक्ष के सामने से सुनील को अपने शयन कक्ष में हाथ पकड़ जाते हुए देखा।

उसने शाहीन की बात सुनी, “मैंने सोचा था कि आज सुबह की चुदाई से तुम्हारा दिल भर गया होगा... तुम्हें कोमल के घर रहते हुए यहाँ आने में कोई खतरा नहीं महसूस हुआ?”

“मेरे ख्याल से उसने राकेश को मुझे छोड़ते हुए नहीं देखा... पर अब इस बात की चिंता करने से कुछ नहीं होगा... मैं अगले हफ्ते काफी व्यस्त हूँ... इसलिए आज कुछ समय तुम्हारे साथ बिता लेता हूँ... सारे समय मैं गोल्फ की जगह तुम्हारे बारे में सोचता रहा...!”

कोमल ने ये सुना तो उसे अपने पति पर गुस्सा आ गया और अब वो उस वक्त का इंतज़ार करने लगी जब वह उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ेगी।

उसने सजल की और मुखातिब होकर कहा, “देखना जब हम तुम्हारे पापा को पकड़ेंगे... वो हर बात जो हम कहेंगे... मानेंगे।”

कुछ देर सुनील और शाहीन की चुदाई शुरू होने के बाद वो बोली, “अब और नहीं ठहरा जा रहा... चलो हम हमला बोलते हैं।”

जब कोमल ने शाहीन के शयनकक्ष में झाँका तो कुछ समय के लिये वो सामने का मंजर देख कर ठिठक गयी। उसने सजल को अपने पास खींचा जिससे कि वो भी देख सके। उसके मन में एक बार ईर्ष्या आ गयी।

“वाह! अपनी चूत को मेरे लंड पर और जोर से दबाओ... शाहीन!” सुनील कह रहा था। उसका मोटा लंड शाहीन की चूत में गढ़ा हुआ था। शाहीन के सैंडल युक्त पाँव छत की ओर थे और सुनील उसे पुराने तरीके से ही ऊपर चढ़कर चोद रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।

“मुझे जोर से चोदो सुनील... और जोर से...” शाहीन अब सब भूल कर अपनी चूत का भुर्ता बनवाने में मशगूल थी। उसी समय उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी और उसके मुँह पर एक शैतानी मुस्कान आ गयी। वहाँ सजल और कोमल उनका ये चुदाई का खेल देख रहे थे। उसने उन दोनों का थोड़ा मनोरंजन करने की ठानी। “जोर से चोदो मुझे सुनील... बिल्कुल रहम मत करो... फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से...” ये कहकर शाहीन ने सुनील की गाँड भींचते हुए उसकी गाँड में एक अँगुली घुसा दी।

“हरामजादी!” सुनील के मुँह से गाली निकली। “अगर ऐसा किया तो मैं झड़ जाऊँगा...!”

कोमल के संयम का बाँध टूट गया। हालांकि देखने में बहुत मज़ा आने लगा था, पर वो अपने हाँफते और काँपते पति को रंगे हाथों पकड़ने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।

“क्या हुआ सुनील...? घर पर मेरी चूत चोदकर मन नहीं भरता क्या?” कोमल ने अंदर घुसकर बिस्तर की ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी आवाज़ माहौल के विपरीत काफी शाँत स्वर में थी।

कोमल की आवाज़ सुन कर, सुनील को काटो तो खून नहीं। उसका जिस्म जैसे जड़ हो गया और धक्के बंद हो गये। उसका मुँह खुला का खुला रह गया जब उसने अपनी पत्नी और बेटे, दोनों को वहाँ नंगा खड़ा देखा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। शायद ये कोई सपना ही था।

“तुम्हें शायद मुझे देख कर आश्चर्य हो रहा है... प्रिय पति महाराज!” कोमल मुस्करायी और बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गयी। सजल को अपने पापा से डर लग रहा था और वो अपनी मम्मी के दो-तीन फीट पीछे ही खड़ा रहा। “पर आश्चर्य तो मुझे होना चाहिये... है न? ये देखकर कि तुम मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो।”

सुनील ने शाहीन की चूत से अपना तना हुआ लौड़ा बाहर खींच लिया। उसने बिस्तर पर बैठ कर कुछ समय सोचकर अपनी आवाज़ को पाया। “पर तुम यहाँ पर क्या कर रही हो कोमल? और वो भी सजल के साथ? और फिर तुम दोनों नंगे क्यों हो?” वो अपनी आवाज़ में कठोरता पैदा करने की असफल कोशिश कर रहा था।

“मेरे साथ ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो...” कोमल उसे ऐसे नहीं बक्शने वाली थी, न वो अपने ऊपर कोई बात लेने वाली थी। सुनील उस समय उसी परिस्थिति में था जैसा वो उसे चाहती थी। “वो तुम हो जो गलत चूत में अपने लंड के साथ पकड़े गये हो... मैं नहीं!”

“ठीक है कि मैं पकड़ा गया हूँ और मेरे पास कोई सफाई भी नहीं है... पर सजल तुम्हारे साथ यहाँ क्यों आया है और तुम दोनों नंगे क्यों हो?” सुनील ने अपने नंगे बेटे की ओर देखते हुए पूछा। सजल का लंड इस समय खड़ा था।

“ये मत समझो कि सजल ये सब देखने समझने के लिये बड़ा नादान है... सजल! इधर आओ...” जब सजल अपनी जगह से हिला भी नहीं तो कोमल ने दोबारा कहा, “सजल, इधर आओ... तुम्हारे पापा तुम्हें छुयेंगे भी नहीं... ये मेरा वादा है।”

सजल धीमे कदमों से अपनी मम्मी के साथ आ कर खड़ा हो गया पर उसकी सहमी नज़र अपने पापा के चेहरे पर ही रही। कोमल ने शाहीन की और आश्वासन के लिये देखा। उसकी नई सहेली ने गर्दन हिलाकर अपना समर्थन दिया।

“तुम्हें याद है सुनील... जब तुमने मुझे अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा के बारे में मुझे बताया था?” कोमल ने सँयत शब्दों में भूमिका बाँधी।

“कोमल!” सुनील चिल्लाया, “तुम ऐसे समय वो बात यहाँ कैसे कर सकती हो? मैंने तुम्हें वो बात दुनिया को बताने के लिये थोड़े ही बताई थी।”

कोमल ने अपना हाथ उठाकर उसे शाँत रहने का इशारा किया। उसने सजल की ओर अपना हाथ बढ़ाया और उसे अपनी और खींचा।

“मैं सिर्फ तुम्हें उस समय की याद दिला रही थी जब तुम सजल की उम्र के थे... इससे तुम्हें वो समझने में आसानी होगी जो मैं तुम्हें बताने वाली हूँ।” कोमल ने एक गहरी साँस भरी और अपने स्वर को संयत किया, “मैं सजल से उसकी छुट्टियों के कुछ समय पहले से चुदवा रही हूँ।”

कमरे में एक शाँती छा गयी। अगर सुंई भी गिरती तो आवाज़ आती।

फिर सुनील ने हिराकत भरे स्वर में कहा, “कितनी घृणा की बात है ये... तुम अपने बेटे से कैसे...?”

शाहीन, कोमल का साथ देने के लिये, सुनील की बात काटते हुए बोली, “अब ऐसे शरीफ़ मत बनो तुम सुनील... तुम भी कोई बड़े शरीफ़ इंसान नहीं हो... अगर कोमल को तुम घर में उसके मन मुताबिक चोदते रहते तो वो क्यों सजल की ओर जाती? हो सकता है कि शायद वो फिर भी सजल से चुदवाती ही, कौन कह सकता है। अगर मेरा सजल जैसा बेटा होता तो मैं तो उसको जरूर चोदती।”

“पर मुझे यह मंजूर नहीं...” सुनील बोला।

“बकवास...!” शाहीन ने जवाब दिया। “तुम्हारे पास कोई चारा भी नहीं है सुनील! कोमल माफी नहीं माँग रही है... वो तुम्हें बता रही है कि या तो तुम इसे कबूल करो या...” शाहीन ने अपने शब्द अधूरे छोड़कर अर्थ साफ कर दिया।

“अरे ये सब बेकार की बातें छोड़ो...! हम सब चुदासे हैं और एक दूसरे की चुदाई छोड़कर क्या गलत, क्या सही की बातें चोदने में लगे हैं... इधर आओ सुनील और मुझे चोदो... जो तुम कह रहे थे... अपने लौड़े को देखो, ये अब पहले से भी ज्यादा तना हुआ है... मैंने इतना सख्त पहले इसे नहीं देखा।” ये कहते हुए शाहीन ने अपने हाथों से सुनील का विशाल मोटा लंड ले लिया और उसे सहलाने लगी। “इसे यूँ ही चलने दो सुनील! कोमल और मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत कुछ खास है।”

ये कहकर शाहीन ने सुनील का हलब्बी लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कोमल ने भी अपना तीर फेंका। उसने बिस्तर पर झुकते हुए अपनी बाँहें उसकी गर्दन में डाल दीं। उसके विशाल मम्मे अब सुनील के चेहरे के पास थे।

“बोलो मत सुनील... मेरे मम्मों को चूसो। शाहीन को अपना लंड चूसने दो... हम दोनों को तुम्हें चोदने चाटने दो.... मेरी जान! अब चीज़ें दूसरे नज़रिये से देखो... अब तुम्हें छुपकर अपने पड़ोस में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हारी जब इच्छा हो, हम दोनों तुमसे चुदवाने के लिये तैयार रहेंगी।”

सुनील अपने दोनों ओर फैले हुए नंगे गर्म जिस्मों में खो गया। कोमल ने अपने मम्मों को उसके मुँह में डाल दिया। सुनील इतना ताकतवर था कि इन दोनों औरतों को परे धकेल सकता था, पर उसने ऐसा किया नहीं। उसे दोगुने आनंद की प्राप्ति हो रही थी।

“ठीक है... मैं हार मानता हूँ।” सुनील ने अपना मुँह कोमल के मम्मों से हटाते हुए कहा, “हम बाद में बात करेंगे... पर मुझे अभी भी सजल और तुम्हारे बीच का... ”

“अपना मुँह बंद रखो, सुनील... अगर खोलना है तो मेरे मम्मों को चूसने के लिये... हाँ अब ठीक है... जोर से चूसो...!”

“अब ये सब बहुत हो चुका...” शाहीन सुनील के लंड की चुसाई रोकती हुई बोली, “अब मुझे इस मोटे लंड से अपनी चूत चुदवानी है... इस पूरे सीन से मेरी चुदास बेइंतहा बढ़ गयी है... अरे सुनील तुम्हारा लंड तो जबर्दस्त फूल गया है... हम्म्म... अब ये मत कहना कि तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा।” ये कहकर शाहीन ने पूरा लौड़ा एक ही झटके में अपनी चूत में पेल डाला।

अब चूंकि सुनील का लंड एक समय में एक ही चूत चोद सकता था, कोमल को अपनी प्यासी चूत के लिये कोई दूसरा इंतज़ाम करना लाज़मी हो गया।

वो बिस्तर से खड़ी हो गयी और अपने बेटे से बोली, “ज़मीन पर लेटो सजल... मैं तुम्हें वैसे ही चोदना चाहती हूँ, जैसे शाहीन तुम्हारे पापा को चोद रही है।”

सजल की हिम्मत अब धीरे-धीरे वापिस आ रही थी। अब जब उसने अपने पापा को चुसाई और चुदाई में मशगूल देखा तो वो जाकर ज़मीन पर चौड़ा हो कर अपनी पीठ के बल लेट गया और अपनी चुदासी मम्मी का अपने तैनात लौड़े की सवारी के लिये इंतज़ार करने लगा। सुनील स्तब्ध होकर अपनी पत्नी को अपने बेटे के तनतनाये हुए लंड पर सवार होते हुए देख रहा था। उसने कोमल को सजल से चुदवाने से रोकने के लिये एक शब्द भी नहीं कहा। इस समय वो इतना रोमाँचित था कि उसके लिये ऐसा करना संभव ही नहीं था। नाराज़गी की जगह उसके मन में विस्मय अधिक था।

“ये मेरे लिये ही खड़ा है न, बेटे?” कोमल ने अपनी गर्म प्यासी चूत को सजल के लंड पर सरकाते हुए सरगोशी की। उसने सजल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत को उस पर आहिस्ता से उतार दिया। “मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में फुदकता हुआ लग रहा है... मॉय डार्लिंग।”

सजल ने अपने हाथ बढ़ाकर अपनी मम्मी के फुदकते हुए मम्मों को पकड़ लिया। कोमल की गर्म चूत अब उसके गर्माये हुए लंड पर नाच रही थी। उसने अपने पापा की ओर देखा तो वो इस नज़ारे से बहुत मज़ा लेते हुए लगे।

“है न देखने लायक सीन, सुनील?” शाहीन ने अपने विशाल मम्मों को पकड़कर सुनील के लंड पर अपनी चूत सरकाते हुए पुछा। “तुमने सोचा भी न था कि ये देखकर तुम्हें इतना मज़ा आयेगा।”

कोमल ने अपना सिर घुमा कर अपने पति की आँखों में देखा। “देखो... कितना बढ़िया है ये सब। अब तुम्हें ये बुरा नहीं लग रहा होगा... है न मेरी जान? ज़रा सोचो तो कि अब हम लोग क्या और कर सकते हैं... सजल को चोदते हुए देखो सुनील! देखो मैं अपने बेटे को कितना सुख दे रही हूँ।”

“मेरे मम्मों को और जोर से दबाओ सजल! और मुझे जोर से नीचे से झटके मार कर चोदो।” उसकी चूत को अब तेज़ और दम्दार चुदाई की इच्छा थी।

सुनील शाहीन की गर्म चूत की भट्टी में अपने लंड से पूरे ज़ोर से चुदाई कर रहा था। उसने शाहीन की दोनों गोलाइयों को अपने हाथों से पकड़ रखा था और दबा रहा था। पर उसकी नज़रें पूरे समय अपनी पत्नी और बेटे की चुदाई पर टिकी हुई थीं। अब उसे कोई जलन नहीं थी। उसने उस उम्र को याद किया जब वो सजल की उम्र का था। उसके मन में भी अपनी माँ को चोदने की बड़ी इच्छा थी। आज वो अपनी उस हसरत को अपने बेटे सजल के रूप में पूरी होते देख रहा था।

उसने शाहीन की चुदाई की रफ्तार बड़ाते हुए आवाज़ दी, “चोदो उसे कोमल...” ये कहकर उसने अपना रस शाहीन की प्यासी चूत में भर दिया।

कोमल ने अपने झड़ते हुए पति को शाबाशी दी, “भर दो उसकी चूत को सुनील... आज हम रात भर चुदाई करेंगे।”

कोमल और सजल को चोदते देखना ही शाहीन के लिये काफी था पर अपनी चूत में सुनील के रस के फुहारे से तो वो बेकाबू हो गयी। “कोमल मुझे देखो... मैं तुम्हारे शौहर को चोद रही हूँ.... मैं उसके साथ झड़ रही हूँ... आआआआआआआआ आआआआआआआ ईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईई!”

सुनील और शाहीन थोड़ी देर के लिये शाँत हो गये और दोनों माँ बेटे का खेल देखने लगे।

“जल्दी करो तुम दोनों, सजल भर दे अपनी माँ की चूत...” शाहीन ने उन्हें बढ़ावा दिया।

सुनील को अपनी आवाज़ सुनकर आश्चर्य हुआ, “चोद उसकी चूत को जोर से, सजल!”

कोमल ने भी अपने पति की बात सुनी। उसे खुशी हुई कि सुनील ने सब कुछ स्वीकार कर लिया है। उसने सुनील की ओर मुस्कुराकर देखा और अपना ध्यान अपनी चुदाई की ओर वापिस लौटा लिया। वो भी अब झड़ने के करीब थी।

“मैं झड़ रही हूँ... सजल...! सुनील...!” सजल के लंबे मोटे लौड़े पर उछलते हुए कोमल चींखी। अचानक वो ठहर गयी। उसकी चूत में अजीब सा संवेदन हो रहा था। सजल भी अब झड़ रहा था। वो भी चींखने लगा, “मम्मी.. मैं भी... आआआआआह!” पर उसने अपने धक्कों की रफ्तार कम न की। कोमल को यही पसंद था: उसके झड़ने के बाद भी अपनी चूत में मोटे लंड से घिसाई। “चोद मेरे लाडले.... वा..आआआआआआआआआआआआआआआ..ह!”

शाहीन और सुनील दोनों देख रहे थे कि कैसे कोमल, सिर्फ ऊँची एड़ी की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी, अपने बेटे के लंड पर उछलती हुई झड़ रही थी। शाहीन के मन में आया कि काश उसे भी वही सुख मिले जो अभी कोमल को मिल रहा था। सुनील को भी समझ आया कि क्यों उसकी बीवी अपने बेटे से चुदवाने लगी थी। कोमल एक बार और झड़ी और निढाल हो गयी।

“काश मैं तुम्हें समझा पाती शाहीन... जो मैं इस वक्त महसूस कर रही हूँ... इसमें इतना सुख है... मैं नहीं समझा सकती।”

“इस लज़्ज़त का पूरा मज़ा लो... बोलो मत...!” शाहीन ने ठंडी साँस लेते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद ही सजल और सुनील के लंड दोबारा तन कर खड़े हो गये। अब उन्हें फिर चुदाई की इच्छा हो रही थी। चूंकि वो अभी शाहीन को चोद कर हटा था, सुनील ने कोमल की ओर अपना रुख किया। कोमल इस समय झुक कर शाहीन की चूत चाटने में व्यस्त थी। सुनील ने पीछे से जाकर एक ही झटके में अपना पूरा लौड़ा कोमल की चूत में पेल दिया।

“ऊँओंफ्ह।” कोमल के मुँह से अजीब सी चीत्कार निकली। कई साल बाद उसके पति ने उसे इतनी बेरहमी से चोदने की कोशिश की थी। उसने अपनी कमर हिलाते हुए सुनील को उत्साहित किया, “मुझे यूँ ही बेरहमी से चोदो सुनील... मुझे खुशी है कि तुम मुझे आज ऐसे चोद रहे हो... फाड़ दो मेरी चूत...!”

शाहीन यूँ ही छूटने वालों में से तो थी नहीं। वो अपनी ऊँची ऐड़ी की सैंडल में गाँड मटकाती सजल के पास आयी और बोली, “देख अपने मम्मी-पापा की चुदाई... और मेरी चूत का भोंसड़ा बना।”

सजल आगे बढ़ा और शाहीन के ऊपर चढ़ाई कर दी। अपने लंड को उसने शाहीन की गीली चूत में पेल दिया। उसने अपने पापा को देखा जो कोमल की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे। उसकी मम्मी उन्हें और बढ़ावा दे रही थी। सजल ने तेजी से शाहीन कि चुदाई की और कुछ ही समय में दोनों का पानी छूटने लगा। उधर सुनील और कोमल का भी खेल खत्म हो गया था और दोनों लंड अपनी चूतों को पानी पिला कर शाँत हो गये थे। चारों थक भी गये थे।

शाहीन ने सबको खाना खिलाया और बीयर पिलायी और एक बार फिर सबने मिलकर चुदाई की। दोबारा फिर मिलने के वादे के साथ सिंह परिवार अपने घर चला गया।

कोमल सोने के पहले यही सोच रही थी कि अब उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो गया है।

ये सोचकर वो सुनील से चिपककर सो गयी।
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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बीवी को चुदवा कर खोया
मेरा नाम राजू है मेरी शादी को 7 साल हो गये हैं, मेरे 3 बच्चे हैं, मेरी बीवी अभी ऐसी लगती है मानो 19 साल की हो।

उसका कसा हुआ बदन 36-28-38 की फिगर किसी को भी आकर्षित करने की क्षमता रखता है।

मेरी बीवी को 18-20 का लड़का भी देख ले तो वो यही सोचेगा कि इसकी चूत कब मिले !
मुझे सम्भोग बहुत अच्छा लगता है, पर मेरी बीवी घरेलू है। जाने कितने दिन बीत जाने के बाद में आज मुझे मौका मिला तो मैंने उसको फोन लगाया और कामुक बातें शुरू कीं और उसका बहाना शुरू हो गया।
बीवी- मेरा पूरा बदन दुख रहा है, तुम घर आओ बच्चों को संभालो।
मैं- अभी ऑफिस में काम है।
बीवी- तुम जल्दी काम खत्म करके आना, हम लोग हॉस्पिटल चलेंगे।
मैं- ओके !
मैं समय पर ऑफिस खत्म होने के बाद घर पहुँचा।
बीवी- चलो ना !
मैं- रूको यार, अभी आया हूँ।
बीवी- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैं सोचने लगा कि साली को आज इतना चुदवा देता हूँ कि इसकी सारी झिझक खत्म हो जाए और फिर ये मुझसे खुल कर चुदे।
मैं- हॉस्पिटल क्यों, किसी मसाज-सेंटर में चलते हैं
बीवी- नहीं सुना है कि वहाँ तो बुरे काम होते हैं।
मैं- कौन बोला? सब कहने की बात है। वो लोग अच्छी मालिश करते हैं, दर्द तुरन्त गायब हो जाएगा।
बीवी- ठीक है, तो चलो !
मैं- खाना बनाया?
बीवी- बाद में !
मैं सोच रहा था मादरचोदी चुदने को कैसे मचल रही है उसे पता नहीं था कि वहाँ क्या होता है.

हम मसाज-सेंटर पहुँचे।
मैनेजर- वैलकम सर, प्लीज़ अन्दर आइए, आपका स्वागत है।
हम अंदर गए मैं, मेरी बीवी और बच्चे।
मैनेजर- सर मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
मैं- आप बहुत कुछ सेवा कर सकते हैं।
मैनेजर- जी सर !
मैं- मेरी बीवी की मसाज करवानी है।
मैनेजर- सर आपकी बीवी तैयार है मेरा मतलब सर उसे सब पता है?
मैं (आँख मार कर) बोला- हाँ मालूम है।
मैनेजर- सर एक दिक्कत है।
मैं- क्या?
मैनेजर- सर हमारे यहाँ आदमी ही मसाज करते हैं।
मैं- तो क्या हुआ? हमें तो मसाज करानी है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैनेजर- अंदर आइए।
वो हमें एक एसी रूम में ले गया, जहाँ चारों तरफ से बंद था।
बीवी- मुझे नहीं करानी मसाज !
मैं- अरे यार मैंने पैसे भर दिए हैं।
बीवी- कितने पैसे भरे आपने?
मैं- 1200 रुपये लिए हैं।
बीवी- क्या तुम्हारा दिमाग़ खराब है? अपने बाजू वाले डॉक्टर से दवा ले लेते तो 250 रुपये में काम हो जाता। तुम्हारे पास क्या पैसे ज़्यादा हैं।
मैं- नहीं यार ये लोग तुम्हारे चेहरे पर ब्लीच भी करेंगे।
बीवी- इसकी क्या ज़रूरत थी?
मैंने उसकी अनसुनी कर दी।
मैनेजर- सर अपनी बीवी को इधर लेटा दो। सर आपको मालूम है ना!
मैं- क्या !
मैनेजर- देखो मसाज करते वक्त आपकी बीवी के शरीर पर इधर-उधर हाथ लग सकता है.
मैं- कोई बात नहीं !
वो लोग मेरी बीवी के पीठ मल रहे थे। मैंने सोचा कब ये मेरी बीवी को चोदेंगे !
मैनेजर- सर, यह लड़का आप का है?
मैं- हाँ।
मैनेजर- सर यहाँ डिस्टर्ब हो रहा है इसे ऊपर वाले कमरे में ले जाइए।
मैं- यह अपनी माँ के बिना रह नहीं सकता।
मैनेजर- सर आप इस ऊपर आंटी के पास ले जाओ मेरा नाम बताना।
मैं- ओके !
और मैं उसे ऊपर वाले कमरे में ले गया। मैं उधर कुछ कहता इसके पहले ही आंटी बोल पड़ी, “लाओ मुझे दे दो इसे।”
मैं उसे देकर वापस आया तब !
मैनेजर- सर आपकी बीवी की कैसी मसाज करना है?
उसने मुझे एक डायरी दी, जिसमें ‘एक्स’ मसाज था।
मैं- इसमें क्या होता है?
मैनेजर- सर पूरी बॉडी पर तेल लगा कर मालिश करते हैं।
मैं- ओके ! ये वाली ही करवाना है।
मैनेजर ने मेरी बीवी को सीधे लिटाया और उससे कहने लगा।
मैनेजर- कपड़े थोड़े ऊपर करो।
बीवी- लो।
मैनेजर- सर आप की बीवी को बोलो कि अंदर जा कर चोली निकाल कर लेटे।
बीवी- नहीं इसे क्यों निकालोगे ?
मैनेजर- हमें आप के पूरे शरीर पर तेल लगाना है
वो जाने लगी, तब मैनेजर ने नाईटी दी, “लो सब उतार दो, इसे पहन लो।”
मेरी बीवी चौंक गई, “ये क्या राजू ! आप ने तो कहा था कि मालिश कर के ब्लीच करेंगे?
मैं- अरे यार तुम्हें कुछ मालूम ही नहीं। तुम जाओ तो सही !
और वो चली गई। कुछ देर बाद में वो आई, तब वहाँ तीन लोग थे। उन सब ने मेरी बीवी को ऊपर से नीचे तक देखा और एक ने बोला- यार क्या माल है काश मुझे मिल जाए !
मैनेजर- यहाँ लेटिए।
और वो सीधे लेट गई। मैनेजर ने उसे ही बुलाया जो मेरी बीवी की बात कर रहे थे। उधर आयल और मालिश का सारा सामान लाकर मेरी बीवी के पास रख दिया।

वो धीरे-धीरे मेरी बीवी के मुँह पर हाथ फेरते रहे फिर नीचे और नीचे। गले के नीचे पहुँचते ही मेरी बीवी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“यह क्या कर रहे हो?”
“मालिश,” वो बोला।
तब मेरी बीवी बोली- मुझे नहीं करवानी मालिश।
मैं- कैसे नहीं कराएगी !
“तुम यहाँ क्या करवाने लाए हो। सच बताओ?”
मैं डर के बोला- मालिश यार और क्या !
वो बोली- नहीं तुम और कुछ करवाने लाए हो।
मैं (गुस्से से)- हाँ तुम्हें चुदवाने लाया हूँ।
वो बोली- ठीक है अब देखो मैं क्या करती हूँ।
वो सिर्फ नाईटी में थी।
मैनेजर- इसे उतारना होगा।
बीवी- मैं नहीं, आप उतारोगे। पैसे मैंने लिए हैं या आपने !
वो नाईटी के बटन खोलने लगा। मेरी बीवी ने कोई विरोध नहीं किया। वो बस मुझको घूर रही थी। वे लोग मेरी बीवी के मम्मे दबाए जा रहे थे। फिर मेरी बीवी ने पैर फैला दिए।
वो तेल लेकर मेरी बीवी की चूत पर रगड़ रहे थे। मेरी बीवी गरम होने लगी। उनमें से एक मेरी बीवी के चूत में ऊँगली डाल कर सहला रहा था।

मेरी बीवी मुझे देख-देख कर उनका हाथ अपने मम्मों पर रखवा रही थी। वो मुझे जलाना चाहती थी, पर मैं खुद यही चाहता था कि कोई मेरी बीवी को मेरे सामने चोदे।
मैनेजर- सर आप बाहर बैठें।
मैं- ओके!

बाहर आकर मैं बैठ गया, पर मेरे मन शान्त ना रहाँ मैंने देखा कि वहाँ कांच की खिड़की थी। मैंने उस में से झाँकना शुरू कर दिया।

मैंने देखा कि मेरी बीवी बेड पर लेटी थी और वे लोग मेरी बीवी को राण्ड समझ रहे थे। कभी मम्मों को दाँत से काटते तो कभी उसकी चूत को। वो परेशान थी, क्या करे क्या न करे !
उसमें से एक ने मेरी बीवी के हाथ पकड़ रखे थे और दूसरा मेरी बीवी के ऊपर चढ़ा था। वो मेरी बीवी की चूत में अपनी जीभ डाल कर हिलने लगा।

मेरी बीवी गरम होने लगी और सिसकारियां भरने लगी, “आ माआआआअ उूुुुउऊः उफफफ्फ़ आआआआआआ नईईए।”
ये आवाजें सुन कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया !
एक ने अपने पैन्ट में हाथ डाल कर अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं डर गया। मेरे मुँह से चीख निकल पड़ी, “अरे बाप रे इतना बड़ा !!
उन लोगों ने मुझे अंदर बुलाया। मैं अंदर गया।
“क्या देख रहे थे?”
मैं- इतना बड़ा लण्ड !!
आप यकीन नहीं मानेंगे करीब 11 इंच लंबा 4 इंच मोटा !
“क्यों तुम्हारे पास कितना बड़ा लण्ड है, खोल कर दिखाओ।”
मैं- नहीं शर्म आती है.
“खोलो तो।”
मैं- खोलता हूँ !
जैसे ही मैंने अपना लंड निकाला वे दोनों हँसने लगे।
“क्या तुम इसी लण्ड से चोदते हो अपनी बीवी को ? देखो मैं कैसे तुम्हारी बीवी को चोदता हूँ।” कह कर उसने मेरी बीवी की नाईटी फाड़ दी। अब मेरी बीवी नंगी पड़ी थी।
मैं- अरे यार आराम से करो।
“नहीं हम यहाँ आराम से नहीं करते। हम औरतों को पानी पिला देते हैं” इतना कह कर मेरी बीवी की चूत के छेद पर रख कर इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि मेरी बीवी बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “मर गई अममाआआ अयाया ओईई मार गई रे राजू फाड़ दीईई मेरी चूत… इन लोगों ने हाययई ओो माआआआ रे बाआआआअप रे बचाना रे राजू अबे भड़वे मादरचोद राजू बचा मर जाऊँगी मैं।”
मैंने नीचे देखा तो मेरी बीवी की चूत से खून की धार बहने लगी।
उनमें से एक ने कहा- यार इसे दारू पिला जब ये नशे में हो जाएगी, तब इसे दर्द नहीं होगा।
उसने एक इशारा किया मैनेजर ने एक दारु की बोतल मेरी बीवी के मुँह से लगा दी और दूसरे हाथ से उसकी नाक बन्द कर दी मेरी बीवी को मजबूरी में दारू पीनी पड़ी।

फिर उसने वो बोतल मुझे पकड़ा दी मैंने भी दारु पी ली। वो एक बहुत तेज किस्म की शराब थी, मुझे दो मिनट में ही उसका असर दिखने लगा।
मेरी बीवी बहुत जोर से छटपटा रही थी, “बचाओ मुझे कोई बचाओ।”
पर कोई नहीं सुनने वाला था।
“राजू बचा लो मर गई रे अम्म्म्ममा !”
इतने में मेरी बीवी को पलट कर अपने पेट पर ले लिया और दूसरे ने उसकी गाण्ड के छेद पर अपना लण्ड रख कर ज़ोर से धक्का दिया। अब वो दो-दो लण्ड का सामना कर रही थी। दोनों ज़ोर-ज़ोर से धक्का दे रहे थे और गंदी बातें कर रहे थे। अब मेरी बीवी अपना नियन्त्रण खो दिया था। उसको शराब का असर हो चुका था और वो चुदाई का दर्द नशे में भूलने लगी थी।
वो भी कह रही थी, “और ज़ोर से हाँ हाँ और अंदर जाने दो हाँ तुम मम्मों को दबाओ और तुम मुझे चोदो।”
दोनों ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। एक ने मेरी बीवी के मुँह में पानी उढ़ेल दिया और दूसरे ने जो अपना लण्ड निकालना चाहता था, मेरी बीवी ने रोक दिया, “नहीं तुम मेरी चूत में ही पानी छोड़ो, में तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ।
और वो छूटने ही वाला था, “उफ़फ्फ़ आ ऊवू आआ” कह कर उसने मेरी बीवी की चूत में पानी छोड़ दिया।

कुछ देर बाद मैंने अपनी बीवी से कहा- चलो घर चलें।
नशे में टुन्न मेरी बीवी ने मुझसे कहा- कौन सा घर.. कैसा घर ! अब मैं इन लोगों की रखैल हूँ। अब तुम्हारा मेरे ऊपर कोई हक नहीं है अब मैं राण्ड बन कर दिखाऊँगी। कितने ही लोग मुझे चोदेंगे। मैं कितनों की रखैल बनूँगी। अब तुम देखो सिर्फ़….!!”
 
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