Shetan
Well-Known Member
Aap ki shan me.हुज़ूर ने बजा फ़रमाया। नाचीज़ ,इस तारीफ़ की मुस्तहक़ तो नहीं, लेकिन आपकी दुआ समझ के कबूल करती है , रहा शुक्रिया का , तो इस फ़ोरम पर अदब और अदीब के चाहनेवाले बस गिने चुने हैं , मेरी समझ से ,... और आप इस महफ़िल में तशरीफ़ लाये, शिरक़त की, नाचीज़ की हौसला अफजाई की तो बस दो लफ्ज़ मुंह से निकल गए,...
आप की इजाज़त से एक शेर अर्ज करना चाहूंगी , लखनऊ स्कूल के शायरों में नामचीन शायर आरजू लखनवी साहब का है
जब कोई हद हो मुअय्यन तो शौक, शौक नहीं,
वह कामयाब है जो कायमाब हो न सका।
मोहब्बत से चोट लगती है मुझे।
इनायत से चोट लगती हे मुझे।
चलती हुई हवा से चोट लगती है मुजे।
तुम्हारे इकरार से ज्यादा इनकार से चोट लगती है मुजे।