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Incest पहाडी मौसम

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rohnny4545

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सूरज का मन अब किसी काम में नहीं लगता था उसके जीवन में जबरदस्त बदलाव आना शुरू हो गया था ,,या यूं कह लो कि अब वह पूरी तरह से जवान हो चुका था जो किसी भी औरत और खूबसूरत लड़कियों की तरफ आकर्षित होने के लिए तैयार हो चुका था और उसके साथ ऐसा हो भी रहा था,,,, घर लौटते समय रास्ते भर वह बगीचे वाली घटना के बारे में सोचता रहा,,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया है उसे कुछ सुझ ही नहीं रहा था,,, उसके लिए तो हालत बाद से बदतर होते जा रहे थे जिसके लिए वह खुद जिम्मेदार नहीं था बल्कि उसकी इस हालात के पीछे दूसरे ही जिम्मेदार थे एक तो उसका सबसे जिगरी दोस्त सोनू और फिर मुखिया की बीवी,,,, लेकिन मन ही मन उसे अच्छा भी लग रहा था वह इस बात से खुश था कि वह अपने आप को पूरी तरह से जवान महसूस कर रहा था,,,।,,

अब उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था लगता भी कैसे जवानी के केंद्र बिंदु के दर्शन जो उसे हो चुके थे यूं तो वह गया था मुखिया की बीवी के अंग के दर्शन करने लेकिन अनजाने में ही उसने मुखिया की बीवी की खूबसूरत लड़की के खूबसूरत अंग के दर्शन कर लिए जिसके बारे में उसने कल्पना भर किया था और कल्पना में भी उसका सही रूप जान नहीं पाया था लेकिन आज अपनी आंखों से वह उसे अंग को देख चुका था इसलिए तो उसकी आंखों की नींद दिल का करार पूरी तरह से गायब हो चुका था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह मन ही मन बहुत खुश भी था,,, की अच्छा हुआ वह ठीक समय पर मुखिया की बीवी से मिलने के लिए सही जगह पर पहुंच गया था,,, और यह भी अच्छा हुआ कि वहां पर उसकी दोनों जिद्दी लड़किया बेर खाने के लिए आ गई,,, जिसके चलते वह उन दोनों को बैर के बगीचे में ले गया और वहां पर,,, नीलू के पैर में कांटा लग गया और इस बात पर वह उसे कांटे को भी मन ही मन धन्यवाद दे रहा था जो नीलू के पैर में चुभ गया था जिसे निकालते समय सूरज को दुनिया की सबसे खूबसूरत और हसीन चीज देखने को मिली थी वह थी एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत बुर जिसे देखते हैं उसके बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी थी,,, जिस पर नजर पडते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर में ही उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति बे लगाम हो चुकी थी,,,, उस पल को याद करके सूरज की हालत और खराब हो जाती थी,,,,।

खाना खाकर सूरज अपने बिस्तर पर लेट कर शालू और नीलू के बारे में ही सोच रहा था और जिस तरह से दोनों बेझिझक उससे बातें कर रही थी उन दोनों के व्यवहार को देखते हुए सूरज को ऐसा लग रहा था कि उन दोनों के साथ ही कुछ काम बन पाएगा,,, और उसे इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ कि अपनी कमीज में बैर बांधकर उन दोनों को दे दिया था क्योंकि कमीज के बहाने वह दोनों से फिर से मिल सकता था और इसी मुलाकात को लेकर वह बेसब्र हुआ जा रहा था,,,, नीलू की खूबसूरत गुलाबी बुर के बारे में सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो गया था और वह अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही धीरे-धीरे दबा रहा था,,, और ऐसा करने में सूरज को बहुत मजा आ रहा था,,,,।

दूसरी तरफ शालू और नीलू दोनों एक ही कमरे में सोती थी,,, नीलू तो पूरी तरह से साहस थी लेकिन शालू असहज थी क्योंकि उसने सूरज की नजरों को देखी थी शालू भी पूरी तरह से जवान थी इसलिए लड़कों की नजरों को वह भी पहचानती थी भले ही थोड़ी स्वच्छंद किस्म की थी लेकिन फिर भी जवानी की दहलीज पर वह कदम रख चुकी थी इसलिए अपने बदन में होने वाले बदलाव को और दूसरों की नजरों को अच्छी तरह से जानती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज नीलू की फ्रॉक में से उसकी बुर को देख रहा था जो कि एकदम साफ नजर आ रही थी और उसी के बारे में सोचकर उसके तन-बदन में भी अजीब सी उलझन होने लगती थी,,,, वह नीलू से इस बारे में बात करते हुए बोली,,,।

तू एकदम पागल है नीलू,,,

क्यों क्या हो गया,,,?

तुझे नहीं मालूम है क्या,,,!

मुझे मालूम होता तो पूछती,,,


अरे जब तेरे पैर में कांटा चुभा था,,

हां वह तो मालूम है,,,,


और वह सूरज तेरे पैर से कांटा निकालने के लिए तेरे पर को ऊपर उठाकर अपने कंधे तक ले गया था पता है तुझे,,,


हां मुझे मालूम है कि उसने मेरे पैर में से कांटा निकाला,,,


और भी कुछ मालूम है,,,(लालटेन की रोशनी में एक ही बिस्तर पर दोनों बहने लेट कर बातें कर रही थी और शालू हर एक सवाल को मुस्कुरा कर पूछ रही थी नीलू को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार शालू इस तरह के सवाल क्यों कर रही है,,,)


नहीं तो मुझे और कुछ नहीं मालूम है क्योंकि मुझे उसे समय बहुत दर्द कर रहा था,,, और इस समय भी मुझे दर्द कर रहा है,,,


वह तो ठीक हो जाएगा लेकिन तूने सूरज की नजरों को देखी थी,,,


क्या चालू तू भी पहेलियां बुझा रही है ठीक-ठीक क्यों नहीं बताती,,,,

अरे बुद्धू जब वह तेरे पैर से कांटा निकालने के लिए पर को अपने कंधों तक उठाया था तब उसकी नजर तेरी फ्रॉक के अंदर थी,,,

क्या,,,,,,(एकदम से आश्चर्य में)

हां वह तेरी फ्रॉक के अंदर देख रहा था और तुझे पता है उसे तेरी बुर दिख रही थी,,,।


हाय दइया यह क्या कह रही है तू,,,,


एकदम सही कह रही हूं वह तेरी बुर देख रहा था और एकदम पागल हो गया था,,,, तुझे दर्द हो रहा था तुझे नहीं मानोगे लेकिन मैं उसके चेहरे को देखी थी एकदम लाल हो गया था वह एक टक तेरी बुर को देख रहा था जो कि एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,,


बाप रे मुझे तो पता ही नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता होगा तू तो अपनी बुर दिखाने में लगी हुई थी,,,,

धत्,,,,शालु,,,,,, तू कैसी बातें कर रही है भला मैं जानबूझकर उसे क्यों दिखाऊंगी,,,


जवान हो गई है खूबसूरत है इसीलिए दिखाएगी,,,(शालू एकदम इतराते हुए बोली हालांकि नीलू इस समय सर में से पानी पानी हुए जा रही थी उसे समय तो उसे नहीं मालूम था कि सूरज उसकी फ्रॉक में क्या देख रहा है क्योंकि वह तो अपने दर्द है से ही तड़प रही थी लेकिन शालू के बताने पर उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था एक तरफ उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन एक तरफ उसके मन में उत्सुकता थी और वह भी इस बात की की पहली बार कोई लड़का उसकी बुर को देखा था,,,,)


चल तू झूठ बोल रही है ऐसा नहीं हो सकता और वैसे भी टांग उठाने से बुर थोड़ी दिखाई देगी,,,


अच्छा यह बात है कि तुझे बताती हूं अच्छा हुआ कि तू अभी भी फ्रॉक पहनी है,,,, चल तू जैसा दोपहर में दर्द से दिल मिल रही है ठीक उसी तरह से बैठ जा,,,(शालू अपनी जगह पर उठकर बैठते हुए बोली)

अच्छा रुक जा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी उठकर बैठ गई और दो तकिया को बिस्तर पर रखकर उसे पर अपनी गांड रखकर बैठ गई क्योंकि वह दोपहर में बड़े से पत्थर पर बैठी थी,,,,) अब ठीक है,,,


हा रुक में अभी बताती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही शालू खुद सूरज की अवस्था में बैठ गई और उसकी टांग को धीरे से ऊपर की तरफ उठाने लगी और बोली,, ) तू थोड़ा सा पीछे की तरफ झुक जा जैसे दोपहर में झुकी हुई थी,,,


अब ठीक है,,,(शालू अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर पीछे की तरफ झुकते हुए बोली,)

हां अब ठीक है,,,, सूरज तेरी टांग को धीरे-धीरे उठाकर अपने कंधों तक ले गया था,,,(शालू भी नीलू की टांग को धीरे-धीरे उठाकर अपने कंधे तक ले गई थी और लगातार उसकी फ्रॉक के अंदर झांक रही थी जो की कंधों तक टांग उठने की वजह से उसकी प्रमुख जनों से ऊपर की तरफ सरकना शुरू हो गई, जिसका आभास नीलू को भी हो रहा था,,,, लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था और देखते ही देखते शालू की नजर जैसे ही,,,, नीलू की बुर पर गई वह एकदम से चहकते हुए बोली,, )

हाय हाय क्या नजारा है हाय दइया मैं तो मर गई सच में तेरी बर एकदम साफ दिख रही है जब मेरी यह हालत है तो सोच सूरज की क्या हालत होती होगी उसका तो लंड खड़ा हो गया था मैं एकदम साफ देखी थी जब वह अपनी जगह से उठकर खड़ा होकर जा रहा था,,,,। उसके पजामे में तंबू बना हुआ था,,,,।,,,


क्या कह रही है शालू तु,,,(अपनी बड़ी बहन के मुंह से लंड शब्द सुनकर नीलु मस्त होते हुए बोली,,,,,)

हां रे नीलू सूरज का लंड एकदम खड़ा हो गया था और वह भी तेरी बुर की वजह से,,,(इतना कहने के साथ ही शालू अपना हाथ उसकी फ्रॉक में डालकर उसकी बुर को अपनी उंगली से कुरेद दी जिसकी वजह से नीलू एकदम से चौंक गई,,,)

हाय दैया यह क्या कर रही है,,,,,(उत्तेजना के मारे एकदम गहरी सांस लेते हुए बोली)

कुछ नहीं रे देख रही हूं,,, तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,

ऐसी बातें करेगी तो पानी तो छोड़ेगी ही,,,, क्या सच में सूरज को मेरी बुर दिख रही थी,,,

हा,रे में सच कह रही हूं,,,(अभी भी नीलू की टांग शालू के कंधे पर थे और वह नीलू की बुर को नजर भर कर देख रही थी) सूरज एकदम साफ-साफ तेरी बुर देख रहा था कसम से वह तो,,, न जाने कैसे सूरज अपने आप पर काबू कर गया वरना उसकी जगह कोई और होता है तो सच में तेरी बुर में अपना लंड डाल दिया होता,,,।

धत्,,, दीदी तुम बहुत हारामी हो गई हो इस तरह से कोई बात करता है क्या,,,?

अच्छा ऊपर से तो ऐसा कह रही है और अपने मन में यही सोच रही थी कि सच में वह डाल दिया होता तो मजा आता,,,,,,


ना बाबा ना मै ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोच रही हूं,,,


अच्छा यह बात है तो फिर यह तेरी,,,(एक बार फिर से अपने हाथ को उसकी फ्रॉक में डालकर पूरी तरह से उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच कर) बुर क्यों पानी छोड़ रही है,,,


आहहहह दीदी,,,,(एकदम मस्ती से आहे भरते हुए अपनी गोल गोल गांज को ऊपर की तरफ उठाते हुए) क्या कर रही हो,,,,


क्यों बहुत मजा आ रहा है क्या,,,?


पता नहीं दीदी लेकिन न जाने क्या हो रहा है,,,,(नीलू इस तरह से गरम आहे भरते हुए और शालू भी पूरी उत्तेजना से अपनी हथेली में उसकी छोटी सी बुर को दबाते हुए मचल रही थी, , शालू इस तरह की हरकत को पहली बार कर रही थी दोनों ही इस तरह से पहली बार बातें करते हुए आनंद ले रहे थे वैसे तो इधर-उधर की वह दोनों बातें बहुत करती थी और इनमें इस तरह की भी बातें होती थी लेकिन आज पहली बार दोनों इस तरह की बातों को अपने बदन पर आजमा रहे थे और इसमें दोनों को ही धीरे-धीरे मजा आ रहा था,,,, शालू इस तरह से अपनी हथेली में नीलू की बुर को जोर-जोर से दबाते हुए बोली,,,)


क्या हो रहा है बताना,,,,


पता नहीं दीदी क्या हो रहा है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है,,,(उत्तेजना के मारे नीलू अपनी हर एक बात को अटक-अटक कर ऐर गहरी सांस लेते हुए बोल रही थी,,,,)

तू एकदम जवान हो गई है,,,


तुम मुझसे बड़ी हो तुम भी तो जवान हो गई हो,,,


लेकिन तेरी बुर ज्यादा खूबसूरत है तभी तो सूरज देख रहा था अगर उसका बस चलता तो अपना खड़ा लंड तेरी बुर में डाल देता,,,

ओहहहह शालू ऐसी बातें मत कर तू अपनी आंखों से देखी है क्या लंड को,,,

नहीं रे अभी तक तो नहीं देखी लेकिन सूरज के पजामे में जिस तरह से आगे वाला भाग उठा हुआ था उसे देखकर तो मैं भी अचंभित हो गई थी कुछ ज्यादा ही बड़ा था पता नहीं कैसा होगा उसका,,,,


देख लेना चाहिए था ना दीदी,,,

तू अगर तैयार होती तो शायद देखा भी लेती,,,


मतलब मैं समझी नहीं,,,


मतलब कि अगर तू सूरज के लिए अपनी दोनों टांगें खोल देती तो शायद वह अपने लंड को अपने पजामे में से बाहर निकालता और मैं देख लेती,,,।

धत्,,, दीदी ऐसा कभी नहीं होगा,,,,(नीलू का इतना कहना था कि तभी शालू अपनी हरकत को आगे बढ़ते हुए अपनी एक उंगली को शालु की बुर में डाल दी और यह पहली बार था जब नीलू अपनी बुर में पतली सी उंगली का प्रवेश महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और अगले ही पल उसकी बुर से बदन रस का फवारा फूट पड़ा वह शालु की हरकत से और उसकी बातों से झड़ रही थी,,,,)


आहहहह आहहहहहह शालु,,,(अपनी उत्तेजना पर काबु ना कर सकने की स्थिति में वह शालू के हाथ को कस के पकड़ ली और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर झड़ना शुरू कर दी शालू की यह देखकर हैरान हो गई उसकी हथेली पल भर में ही उसकी मदन रस के फव्वारे से भीग गई,,,,)

हाय दइया नीलू यह तूने क्या करी तूने तो मेरे ऊपर ही मुत दी,,,,


आहहहहह आहहहहहह,,, मुझे नहीं मालूम कि मैं क्या की लेकिन सब कुछ अपने आप ही हो गया लेकिन अभी तो मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,,


चल रुक जा अभी मत करना तु सारा बिस्तर खराब कर देगी,,,, चल घर के पीछे चलते हैं वही में अपना हाथ भी धो लुंगी,,,


चल,,,(थोड़ी देर में अपने आप को दुरुस्त करके नीलू बिस्तर पर से नीचे उतरी और शालू भी बिस्तर से नीचे उतर गई और दोनों पेशाब करने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल गए)
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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सूरज का मन अब किसी काम में नहीं लगता था उसके जीवन में जबरदस्त बदलाव आना शुरू हो गया था ,,या यूं कह लो कि अब वह पूरी तरह से जवान हो चुका था जो किसी भी औरत और खूबसूरत लड़कियों की तरफ आकर्षित होने के लिए तैयार हो चुका था और उसके साथ ऐसा हो भी रहा था,,,, घर लौटते समय रास्ते भर वह बगीचे वाली घटना के बारे में सोचता रहा,,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया है उसे कुछ सुझ ही नहीं रहा था,,, उसके लिए तो हालत बाद से बदतर होते जा रहे थे जिसके लिए वह खुद जिम्मेदार नहीं था बल्कि उसकी इस हालात के पीछे दूसरे ही जिम्मेदार थे एक तो उसका सबसे जिगरी दोस्त सोनू और फिर मुखिया की बीवी,,,, लेकिन मन ही मन उसे अच्छा भी लग रहा था वह इस बात से खुश था कि वह अपने आप को पूरी तरह से जवान महसूस कर रहा था,,,।,,

अब उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था लगता भी कैसे जवानी के केंद्र बिंदु के दर्शन जो उसे हो चुके थे यूं तो वह गया था मुखिया की बीवी के अंग के दर्शन करने लेकिन अनजाने में ही उसने मुखिया की बीवी की खूबसूरत लड़की के खूबसूरत अंग के दर्शन कर लिए जिसके बारे में उसने कल्पना भर किया था और कल्पना में भी उसका सही रूप जान नहीं पाया था लेकिन आज अपनी आंखों से वह उसे अंग को देख चुका था इसलिए तो उसकी आंखों की नींद दिल का करार पूरी तरह से गायब हो चुका था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह मन ही मन बहुत खुश भी था,,, की अच्छा हुआ वह ठीक समय पर मुखिया की बीवी से मिलने के लिए सही जगह पर पहुंच गया था,,, और यह भी अच्छा हुआ कि वहां पर उसकी दोनों जिद्दी लड़किया बेर खाने के लिए आ गई,,, जिसके चलते वह उन दोनों को बैर के बगीचे में ले गया और वहां पर,,, नीलू के पैर में कांटा लग गया और इस बात पर वह उसे कांटे को भी मन ही मन धन्यवाद दे रहा था जो नीलू के पैर में चुभ गया था जिसे निकालते समय सूरज को दुनिया की सबसे खूबसूरत और हसीन चीज देखने को मिली थी वह थी एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत बुर जिसे देखते हैं उसके बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी थी,,, जिस पर नजर पडते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर में ही उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति बे लगाम हो चुकी थी,,,, उस पल को याद करके सूरज की हालत और खराब हो जाती थी,,,,।

खाना खाकर सूरज अपने बिस्तर पर लेट कर शालू और नीलू के बारे में ही सोच रहा था और जिस तरह से दोनों बेझिझक उससे बातें कर रही थी उन दोनों के व्यवहार को देखते हुए सूरज को ऐसा लग रहा था कि उन दोनों के साथ ही कुछ काम बन पाएगा,,, और उसे इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ कि अपनी कमीज में बैर बांधकर उन दोनों को दे दिया था क्योंकि कमीज के बहाने वह दोनों से फिर से मिल सकता था और इसी मुलाकात को लेकर वह बेसब्र हुआ जा रहा था,,,, नीलू की खूबसूरत गुलाबी बुर के बारे में सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो गया था और वह अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही धीरे-धीरे दबा रहा था,,, और ऐसा करने में सूरज को बहुत मजा आ रहा था,,,,।

दूसरी तरफ शालू और नीलू दोनों एक ही कमरे में सोती थी,,, नीलू तो पूरी तरह से साहस थी लेकिन शालू असहज थी क्योंकि उसने सूरज की नजरों को देखी थी शालू भी पूरी तरह से जवान थी इसलिए लड़कों की नजरों को वह भी पहचानती थी भले ही थोड़ी स्वच्छंद किस्म की थी लेकिन फिर भी जवानी की दहलीज पर वह कदम रख चुकी थी इसलिए अपने बदन में होने वाले बदलाव को और दूसरों की नजरों को अच्छी तरह से जानती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज नीलू की फ्रॉक में से उसकी बुर को देख रहा था जो कि एकदम साफ नजर आ रही थी और उसी के बारे में सोचकर उसके तन-बदन में भी अजीब सी उलझन होने लगती थी,,,, वह नीलू से इस बारे में बात करते हुए बोली,,,।

तू एकदम पागल है नीलू,,,

क्यों क्या हो गया,,,?

तुझे नहीं मालूम है क्या,,,!

मुझे मालूम होता तो पूछती,,,


अरे जब तेरे पैर में कांटा चुभा था,,

हां वह तो मालूम है,,,,


और वह सूरज तेरे पैर से कांटा निकालने के लिए तेरे पर को ऊपर उठाकर अपने कंधे तक ले गया था पता है तुझे,,,


हां मुझे मालूम है कि उसने मेरे पैर में से कांटा निकाला,,,


और भी कुछ मालूम है,,,(लालटेन की रोशनी में एक ही बिस्तर पर दोनों बहने लेट कर बातें कर रही थी और शालू हर एक सवाल को मुस्कुरा कर पूछ रही थी नीलू को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार शालू इस तरह के सवाल क्यों कर रही है,,,)


नहीं तो मुझे और कुछ नहीं मालूम है क्योंकि मुझे उसे समय बहुत दर्द कर रहा था,,, और इस समय भी मुझे दर्द कर रहा है,,,


वह तो ठीक हो जाएगा लेकिन तूने सूरज की नजरों को देखी थी,,,


क्या चालू तू भी पहेलियां बुझा रही है ठीक-ठीक क्यों नहीं बताती,,,,

अरे बुद्धू जब वह तेरे पैर से कांटा निकालने के लिए पर को अपने कंधों तक उठाया था तब उसकी नजर तेरी फ्रॉक के अंदर थी,,,

क्या,,,,,,(एकदम से आश्चर्य में)

हां वह तेरी फ्रॉक के अंदर देख रहा था और तुझे पता है उसे तेरी बुर दिख रही थी,,,।


हाय दइया यह क्या कह रही है तू,,,,


एकदम सही कह रही हूं वह तेरी बुर देख रहा था और एकदम पागल हो गया था,,,, तुझे दर्द हो रहा था तुझे नहीं मानोगे लेकिन मैं उसके चेहरे को देखी थी एकदम लाल हो गया था वह एक टक तेरी बुर को देख रहा था जो कि एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,,


बाप रे मुझे तो पता ही नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता होगा तू तो अपनी बुर दिखाने में लगी हुई थी,,,,

धत्,,,,शालु,,,,,, तू कैसी बातें कर रही है भला मैं जानबूझकर उसे क्यों दिखाऊंगी,,,


जवान हो गई है खूबसूरत है इसीलिए दिखाएगी,,,(शालू एकदम इतराते हुए बोली हालांकि नीलू इस समय सर में से पानी पानी हुए जा रही थी उसे समय तो उसे नहीं मालूम था कि सूरज उसकी फ्रॉक में क्या देख रहा है क्योंकि वह तो अपने दर्द है से ही तड़प रही थी लेकिन शालू के बताने पर उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था एक तरफ उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन एक तरफ उसके मन में उत्सुकता थी और वह भी इस बात की की पहली बार कोई लड़का उसकी बुर को देखा था,,,,)


चल तू झूठ बोल रही है ऐसा नहीं हो सकता और वैसे भी टांग उठाने से बुर थोड़ी दिखाई देगी,,,


अच्छा यह बात है कि तुझे बताती हूं अच्छा हुआ कि तू अभी भी फ्रॉक पहनी है,,,, चल तू जैसा दोपहर में दर्द से दिल मिल रही है ठीक उसी तरह से बैठ जा,,,(शालू अपनी जगह पर उठकर बैठते हुए बोली)

अच्छा रुक जा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी उठकर बैठ गई और दो तकिया को बिस्तर पर रखकर उसे पर अपनी गांड रखकर बैठ गई क्योंकि वह दोपहर में बड़े से पत्थर पर बैठी थी,,,,) अब ठीक है,,,


हा रुक में अभी बताती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही शालू खुद सूरज की अवस्था में बैठ गई और उसकी टांग को धीरे से ऊपर की तरफ उठाने लगी और बोली,, ) तू थोड़ा सा पीछे की तरफ झुक जा जैसे दोपहर में झुकी हुई थी,,,


अब ठीक है,,,(शालू अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर पीछे की तरफ झुकते हुए बोली,)

हां अब ठीक है,,,, सूरज तेरी टांग को धीरे-धीरे उठाकर अपने कंधों तक ले गया था,,,(शालू भी नीलू की टांग को धीरे-धीरे उठाकर अपने कंधे तक ले गई थी और लगातार उसकी फ्रॉक के अंदर झांक रही थी जो की कंधों तक टांग उठने की वजह से उसकी प्रमुख जनों से ऊपर की तरफ सरकना शुरू हो गई, जिसका आभास नीलू को भी हो रहा था,,,, लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था और देखते ही देखते शालू की नजर जैसे ही,,,, नीलू की बुर पर गई वह एकदम से चहकते हुए बोली,, )

हाय हाय क्या नजारा है हाय दइया मैं तो मर गई सच में तेरी बर एकदम साफ दिख रही है जब मेरी यह हालत है तो सोच सूरज की क्या हालत होती होगी उसका तो लंड खड़ा हो गया था मैं एकदम साफ देखी थी जब वह अपनी जगह से उठकर खड़ा होकर जा रहा था,,,,। उसके पजामे में तंबू बना हुआ था,,,,।,,,


क्या कह रही है शालू तु,,,(अपनी बड़ी बहन के मुंह से लंड शब्द सुनकर नीलु मस्त होते हुए बोली,,,,,)

हां रे नीलू सूरज का लंड एकदम खड़ा हो गया था और वह भी तेरी बुर की वजह से,,,(इतना कहने के साथ ही शालू अपना हाथ उसकी फ्रॉक में डालकर उसकी बुर को अपनी उंगली से कुरेद दी जिसकी वजह से नीलू एकदम से चौंक गई,,,)

हाय दैया यह क्या कर रही है,,,,,(उत्तेजना के मारे एकदम गहरी सांस लेते हुए बोली)

कुछ नहीं रे देख रही हूं,,, तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,

ऐसी बातें करेगी तो पानी तो छोड़ेगी ही,,,, क्या सच में सूरज को मेरी बुर दिख रही थी,,,

हा,रे में सच कह रही हूं,,,(अभी भी नीलू की टांग शालू के कंधे पर थे और वह नीलू की बुर को नजर भर कर देख रही थी) सूरज एकदम साफ-साफ तेरी बुर देख रहा था कसम से वह तो,,, न जाने कैसे सूरज अपने आप पर काबू कर गया वरना उसकी जगह कोई और होता है तो सच में तेरी बुर में अपना लंड डाल दिया होता,,,।

धत्,,, दीदी तुम बहुत हारामी हो गई हो इस तरह से कोई बात करता है क्या,,,?

अच्छा ऊपर से तो ऐसा कह रही है और अपने मन में यही सोच रही थी कि सच में वह डाल दिया होता तो मजा आता,,,,,,


ना बाबा ना मै ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोच रही हूं,,,


अच्छा यह बात है तो फिर यह तेरी,,,(एक बार फिर से अपने हाथ को उसकी फ्रॉक में डालकर पूरी तरह से उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच कर) बुर क्यों पानी छोड़ रही है,,,


आहहहह दीदी,,,,(एकदम मस्ती से आहे भरते हुए अपनी गोल गोल गांज को ऊपर की तरफ उठाते हुए) क्या कर रही हो,,,,


क्यों बहुत मजा आ रहा है क्या,,,?


पता नहीं दीदी लेकिन न जाने क्या हो रहा है,,,,(नीलू इस तरह से गरम आहे भरते हुए और शालू भी पूरी उत्तेजना से अपनी हथेली में उसकी छोटी सी बुर को दबाते हुए मचल रही थी, , शालू इस तरह की हरकत को पहली बार कर रही थी दोनों ही इस तरह से पहली बार बातें करते हुए आनंद ले रहे थे वैसे तो इधर-उधर की वह दोनों बातें बहुत करती थी और इनमें इस तरह की भी बातें होती थी लेकिन आज पहली बार दोनों इस तरह की बातों को अपने बदन पर आजमा रहे थे और इसमें दोनों को ही धीरे-धीरे मजा आ रहा था,,,, शालू इस तरह से अपनी हथेली में नीलू की बुर को जोर-जोर से दबाते हुए बोली,,,)


क्या हो रहा है बताना,,,,


पता नहीं दीदी क्या हो रहा है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है,,,(उत्तेजना के मारे नीलू अपनी हर एक बात को अटक-अटक कर ऐर गहरी सांस लेते हुए बोल रही थी,,,,)

तू एकदम जवान हो गई है,,,


तुम मुझसे बड़ी हो तुम भी तो जवान हो गई हो,,,


लेकिन तेरी बुर ज्यादा खूबसूरत है तभी तो सूरज देख रहा था अगर उसका बस चलता तो अपना खड़ा लंड तेरी बुर में डाल देता,,,

ओहहहह शालू ऐसी बातें मत कर तू अपनी आंखों से देखी है क्या लंड को,,,

नहीं रे अभी तक तो नहीं देखी लेकिन सूरज के पजामे में जिस तरह से आगे वाला भाग उठा हुआ था उसे देखकर तो मैं भी अचंभित हो गई थी कुछ ज्यादा ही बड़ा था पता नहीं कैसा होगा उसका,,,,


देख लेना चाहिए था ना दीदी,,,

तू अगर तैयार होती तो शायद देखा भी लेती,,,


मतलब मैं समझी नहीं,,,


मतलब कि अगर तू सूरज के लिए अपनी दोनों टांगें खोल देती तो शायद वह अपने लंड को अपने पजामे में से बाहर निकालता और मैं देख लेती,,,।

धत्,,, दीदी ऐसा कभी नहीं होगा,,,,(नीलू का इतना कहना था कि तभी शालू अपनी हरकत को आगे बढ़ते हुए अपनी एक उंगली को शालु की बुर में डाल दी और यह पहली बार था जब नीलू अपनी बुर में पतली सी उंगली का प्रवेश महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और अगले ही पल उसकी बुर से बदन रस का फवारा फूट पड़ा वह शालु की हरकत से और उसकी बातों से झड़ रही थी,,,,)


आहहहह आहहहहहह शालु,,,(अपनी उत्तेजना पर काबु ना कर सकने की स्थिति में वह शालू के हाथ को कस के पकड़ ली और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर झड़ना शुरू कर दी शालू की यह देखकर हैरान हो गई उसकी हथेली पल भर में ही उसकी मदन रस के फव्वारे से भीग गई,,,,)

हाय दइया नीलू यह तूने क्या करी तूने तो मेरे ऊपर ही मुत दी,,,,


आहहहहह आहहहहहह,,, मुझे नहीं मालूम कि मैं क्या की लेकिन सब कुछ अपने आप ही हो गया लेकिन अभी तो मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,,


चल रुक जा अभी मत करना तु सारा बिस्तर खराब कर देगी,,,, चल घर के पीछे चलते हैं वही में अपना हाथ भी धो लुंगी,,,


चल,,,(थोड़ी देर में अपने आप को दुरुस्त करके नीलू बिस्तर पर से नीचे उतरी और शालू भी बिस्तर से नीचे उतर गई और दोनों पेशाब करने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल गए)
Great writing ✍️ and awesome 👌 update. Rony bhai.
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