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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

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नमस्कार दोस्तों,,, वैसे तो मेरी दो कहानी अभी भी रनिंग में है जिनमें से एक कहानी चलती ही खत्म होने वाली है और एक कहानी अभी-अभी शुरू हुई है लेकिन कहानियों मे गांव की खुशबू ना हो तो कहानी में मजा नहीं आता इसलिए मैं एक बार फिर से गांव की कहानी लेकर आप सभी लोगों के सामने प्रस्तुत हुआ हूं और आशा करता हूं कि यह कहानी भी आप लोगों को बहुत अच्छी लगेगी,,,, आप लोगों के ढेर सारे कमेंट ही मुझे कहानी लिखने को प्रेरित करते हैं इसलिए अपने कमेंट जारी रखिएगा,,,

१,,, सुनैना
२,,,, सूरज
३,,,, रानी
४,,,,भोला,,(सूरज के पिताजी)
५,,,,शोभा,,(मुखिया की बीवी)
६,,,, सोनू ,,(सूरज का मित्र,,)
७,,,,शालु,,,,,(मुखिया की बड़ी लड़की)
८,,,नीलु,,,,,,(मुखिया की छोटी लड़की)
कहानी में और भी पात्र हैं जो आगे चलकर कहानी से जुड़ते चले जाएंगे
 
Last edited:

rohnny4545

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अब बता तुझे कुछ दिखाई दे रहा है,,,,,(आम के पेड़ पर चढा सूरज नीचे खड़ी अपनी बहन की तरफ देखकर बोला,,,)

हां भैया वहां तुम्हारे थोड़ा सा ऊपर ही है बड़ा सा आम,,,

कहां है,,,?

अरे भैया तुम्हारे ऊपर ही तो है सीधा सर के ऊपर हाथ ऊपर करो तुम्हारे हाथ में आ जाएगा,,,,

(नीचे खड़ी अपनी बहन की बात मानते हुए सूरज बिना देखे ही अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया तो वाकई में उसके हाथ में बड़ा सा आम आ गया और मुस्कुराते हुए वह आम को एक झटके से तोड़ लिया और बोला,,,,,)

अरे वह रानी तेरी नजर तो बहुत तेज है मेरे सर के ऊपर इतना बड़ा आम है और मुझे दिखाई नहीं दे रहा है और नीचे खडी तु सब कुछ देख ले रही है,,,(इतना कहते हुए सूरज उसे बड़े से आम को नीचे की तरफ गिरा दिया और नीचे खड़ी रानी अपनी कुर्ती को फैला कर उस गिरते हुए आम को अपनी कुर्ती में ले ली,,,)

अच्छा अब इतने से तो काम चल जाएगा ना,,,,

नहीं भैया इतने से कुछ भी होने वाला नहीं है मा ३ ढेर सारा आम मंगाया है,,,, तुम तो जानते ही हो मुझे अचार कितना पसंद है साल भर भी नहीं चल पाता इसलिए मा ने इस बार ज्यादा आम मंगाए हैं,,,,, अब जल्दी-जल्दी आम नीचे गिरा वरना बगीचे का मालिक आ गया तो कुछ भी हाथ में नहीं लगेगा,,,,

तू सच कह रही है रानी मैं तो भूल ही गया,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज एक बड़ी सी डाली को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा और एक साथ सरे आम नीचे गिरना शुरू हो गए जिसे जल्दी-जल्दी से रानी बटोर कर उसे अपनी कुर्ती में रख रही थी कुर्ती भर जाने के बाद उसने एक थैला भी लेकर आई थी जिसमें वह जल्दी-जल्दी आम रख रही थी,,, देखते ही देखते सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था और आम के पेड़ पर चढ़कर वह दूर-दूर तक नजर दौड़ा कर यह अभी देख ले रहा था कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है,,,, दोनों भाई बहन कच्चे आम तोड़ने के लिए चोरी-छिपी दीवाल कूद कर इस बगीचे में आए थे वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि तेज गर्मी होने की वजह से बगीचे का मालिक यहां पर नहीं होगा,,, और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज और रानी दोनों भाई बहन ढेर सारा आम तोड़कर बटोर लेना चाहते थे,,, और ऐसा हो भी रहा था ,,, सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था,,,, वह जानता था कि इतना सारा हम उसकी बहन ठेले में भर नहीं पाएगी इसलिए वह धीरे से नीचे उतरा और जल्दी-जल्दी वह भी ठेले में आम भरना शुरू कर दिया देखते-देखते पूरा तेरा आम से भर गया,,,, रानी के कुर्ते में भरे हुए आम को सूरज अपने साथ लाई हुई दूसरी थैली में भरने लगा ताकि यहां से जाने में आसानी रहे,,,,,।)

अरे भैया तुम दूसरा थैला कब उठा लाए,,,

मैं जानता था कि दूसरे ठेले की भी जरूरत पड़ेगी इसलिए मैं अपने साथ ले आया था,,,, अब जल्दी-जल्दी पर और यहां से चल वरना बगीचे का मालिक आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही रानी जल्दी-जल्दी आम को थैली में भरने लगी और देखते-देखते दोनों तेरा आम से भर गया कि तभी दोनों को दूर से आ रही कदमों की आवाज सुनाई दी दोनों एकदम चौकन्ने हो गए,,,,)

रानी लगता है कोई आ रहा है,,,, जल्दी से थैला उठा,,,
(सूरज के इतना कहते ही रानी जल्दी से आम से भरा हुआ थैला उठाकर अपने कंधे पर ले ली और सूरज भी दूसरे थैली को उठाकर जल्दी-जल्दी जाने लगा तब तक बगीचे के मालिक की नजर उन दोनों पर पड़ गई थी और वह गाली देता हुआ चिल्लाया,,,,)

कौन है रे मादरचोद इसकी बहन का चोदु,,,, कौन है बगीचे में अपनी बहन चुदवा रहा है,,, भोसड़ी वाला,,,(इतना कहते हुए वह बगीचे का मालिक उन दोनों के पीछे भागते हुए बड़ा सा पत्थर उठाकर मारा जो कि उन दोनों के बगल में से चला गया वह दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,)

भाग रानी जल्दी भाग अगर उसके हाथ लग गए तो खैर नहीं है,,,,
(इतना सुनते ही रानी और सूरज दोनों जान लगाकर भागने लगी और देखते ही देखते वह दोनों दीवार के पास पहुंच गए थे अभी भी बगीचे का मालिक उन्हें दोनों से लगभग 40-50 मीटर की दूरी पर था और वह भागता हुआ आ रहा था दोनों के पास समय बिल्कुल भी नहीं था सूरज बोला,,,)

बाप रे बिल्कुल भी समय नहीं है रानी तु जल्दी से दीवार पर चढ़ थैला यही छोड़ दे,,,,

नहीं भैया अगर आज आम नहीं ले गए तो फिर कभी आम मिलने वाला नहीं है,,,


अरे तू चढ तो सही,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज उसके हाथ से थैला लेकर वही रख दिया और उसे दीवार पर चढ़ने लगा रानी एक पर को आदि दीवार पर रखकर ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन वह चढ़ नहीं पा रही थी तो सूरज उसकी मदद करते हुए उसे दीवार पर चढ़ने लगा और ऐसे हालात में उसके दोनों हाथ उसकी गोल-गोल नितंबों पर आ गए थे जिसे वह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ चढ़ा रहा था लेकिन इस अफरा तफरी के माहौल में उसे इस बात का एहसास भी नहीं हो रहा था कि वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते हुए उसकी गांड पर सहारा देकर उसे ऊपर उठाया हुआ है,,, इस जल्दबाजी में दीवार खोदने के चक्कर में सूरज जी जैसे जवान लड़के को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह एक खूबसूरत लड़की की गोल-गोल गांड को अपने हाथों से पकड़े हुए था अगर कोई और माहौल होता तो शायद उसके ही हरकत पर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता और रानी जो की एक खूबसूरत जवान की दहलीज पर कदम रख चुकी लड़की थी एक जवान लड़के की ईस हरकत पर अपनी बुर से पानी फेंक दी होती,,,, लेकिन दोनों जवानी से भरे हुए भाई बहन को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह जल्द से जल्द दीवार को कुद जाना चाहते थे,,,, तभी फिर उसे बगीचे के मालिक की गाली सुनाई दी,,,)

तुम्हारी मां की भोसड़ी में लंड डालु मादरचोद,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से एक बड़े पत्थर को मारा और इस बार भी उसका निशाना चूक गया)

बाप रे भैया यह बगीचे का मालिक तो पागल हो गया इधर उसके हाथ लग गए तो हड्डी पसली एक कर देगा,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं तू जल्दी से चढ़ जा,,,(और इतना कहते हुए वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ा दिया था उसकी गोल गोल गांड को पकड़ कर उसे सहारा देकर वहां दीवार पर सही सलामत चढ़ा दिया था और इसके बाद वह जल्दी से आम के थैले को अपनी बहन को पकडाने लगा,,, उसकी बहन भी जल्दबाजी दिखाते हुए आम के दोनों तेरे को पकड़ कर उसे दूसरी तरफ नीचे गिरा दिए और खुद कूद गई वह जानती थी कि उसका भाई आराम से दीवार को जाएगा और ऐसा ही हुआ सूरज जल्दी से दीवार खुद के दूसरी तरफ कूद गया था और जल्दी से आम के ठेले को पड़कर उसे बगीचे से दूर निकल गया था,,,,।

दोनों भागते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रहे थे कहीं वह बगीचे वाला मालिक ए तो नहीं रहा है लेकिन देखते ही देखते वह दोनों ऊंचे नीचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते से काफी दूर निकल गए थे जब उन दोनों को इस बात का एहसास हुआ कि वह लोग बगीचे के मालिक की पकड़ से काफी दूर आ गए हैं तो एक जगह पर खड़े होकर गहरी गहरी सांस लेते हुए जोर-जोर से हंसने लगे,,,,


भैया आज तो बाल बाल बच गए,, अगर वह बगीचे वाला आदमी पकड़ लेता तो हम दोनों की खैर नहीं थी,,,

रानी सुखारकर की ईतने सारे आम हम दोनों के पास थे,,,, अगर कोई और समय होता तो आज मैं उसकी टांगे तोड़ देता इतनी गंदी गंदी गालियां मैं कभी सुनने वाला नहीं था वह तो मजबूरी थी,,,

तुम सच कह रहे हो भैया गुस्सा तो मुझे भी बहुत आ रहा था लेकिन क्या करें लेकिन एक बात है आज तुमने आम बहुत सारे तोड़ दीए हैं,,, इतने सारे आम का अचार तो कम से कम 2 साल तक चलेगा,,,,।

चल अच्छा बहुत देर हो गई है जल्द से जल्द हमें घर पहुंचना है शाम ढलने वाली है धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा है मां चिंता कर रही होगी,,,

हां भैया,,, खाना भी तो बनाना है,,,,,

अच्छा बोल तो ऐसे रहि है की सारा खाना तू ही बनाती है,,,

अरे सर खाना नहीं बनाती लेकिन मां के काम में हाथ तो बंटाती हु ना,,,


हां तो ऐसा सही-सही बोल,,,,।

(ऐसा कहते हुए दोनों भाई-बहन आपस में बात करते हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे,,,,, चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे हुए छोटे से गांव में सूरज और उसका परिवार रहता था,,,,,,, गांव में गांव के चारों तरफ कुदरत का खजाना बिखरा हुआ था चारों तरफ खूबसूरत नजारे फैले हुए थे,, छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच से निकलती हुई नदी,,,, सूरज का उगना और सूरज का अस्त होना दोनों नजारे बहुत खूबसूरत लगते थे और चारों तरफ हरियाली हरियाली यहां के सभी लोग केवल खेती और पशुपालन पर ही आश्रित रहते थे इसी में अपना जीवन निर्वाह करते थे और बहुत खुश भी थे,,,,,, दोनों भाई बहन कंधों पर आम का तेरा लटकाए हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते दोनों गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गए जहां पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी,,, और इस दुकान पर चाय के साथ-साथ पकोड़े जलेबियां और समोसे भी मिलती थी,,,,,,, रानी और सूरज दोनों जलेबी खाना चाहते थे लेकिन दोनों के पास पैसे नहीं थे इसलिए दोनों मां मर कर उसे दुकान से आगे निकल गए लेकिन दुकान पर बैठे हुए कुछ लोग रानी की गोल-गोल नितंबों को ताड़ रहे थे,,,, और गरम आंहे भर रहे थे,,,,।

वैसे भी रानी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी उसके अंगों पर उभार आना शुरू हो गया था उसका बदन भरना शुरू हो गया था,,, मर्दों को आकर्षित करने लायक उसके बदन में निखार आ चुका था,,, खास करके उसकी गोल-गोल नितंब चलते समय और भी ज्यादा जानलेवा नजर आते थे जिसे देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता था और कुछ देर पहले सूरज खुद अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते समय उसकी गोल-गोल गांड को ही पकड़ कर सहारा देकर ऊपर उठा रहा था लेकिन सूरज के मन में अभी तक ऐसा कुछ भी ख्याल आता नहीं था और तो वह लड़कियों के प्रति वह हमेशा इज्जत की भावना रखता था इसीलिए तो अपनी बहन की मतवाली गांड को पकड़ने के बावजूद भी उसके बदन में जरा सी भी हरकत नहीं हुई थी,,, और यही हर रानी का भी था हालांकि वह चंचल थी लेकिन बदन में आए बदलाव को समझ नहीं पाती ना तो कभी किसी से नैन मट्टका का ही करती थी,,,,


देखते ही देखते दोनों भाई बहन घर पर पहुंच गए थे और घर पर पहुंचते पहुंचते पूरी तरह से अंधेरा छा चुका था शाम ढल चुकी थी रात पूरे गांव को अपनी आंखों में ले रही थीं हर घर में भोजन पकाने के लिए चूल्हा जल चुका था और झूला जलाने में अधिकतर पेड़ की सूखी लड़कियां और गाय के गोबर से बने हुए उपले का ही उपयोग करते थे जिसकी खुशबू से पूरा गांव महकने लगता था,,,,,, सूरज की मां भी रसोई बना रही थी और वह चूल्हे के आगे बैठकर आटे को गूंथ रही थी,,,, तभी उसकी नजर सूरज और रानी पर पड़ी तो वह दोनों को बिगडते हुए बोली,,,)

तुम दोनों अब आ रहे हो यह कोई समय है कितना समय हो गया तुम लोगों को जरा भी बहन है अंधेरा हो गया है और ऐसे में तुम दोनों बाहर घूम रहे हो,,,

क्या मैं तुम भी कहीं घूमने थोड़ी गए थे तुम्हारे कहने पर ही आम लेने गए थे,,,

हां तो कहां हैं आम,,,,

हम दोनों ने इतने सारे आम ले हैं कि तुम देखोगी तो तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,,


हां तो दिखाओ ना कहां पर हैं आम,,,,

(इतना सुनकर सूरज मुस्कुराते हुए अपने कंधे पर लटकाया हुआ ठेला और रानी भी अपने कंधे पर लटकते हुए थे देखो अपनी मां के सामने नीचे जमीन पर रखते हुए बोली)

अब कहो,,,,।
(इतने सारे आम को देख कर सूरज की मां की आंखें फटी की फटी रह गई वहां अपने चेहरे के भाव आश्चर्य के भाव में बदलते हुए मुस्कुराते हुए बोली)


बाप रे तुम दोनों तो पूरा बगीचा ही लूट लाए हो,,, किसी ने देखा तो नहीं,,,


देखा तो नहीं,,,, अरे शुकर मनाओ की आज हम दोनों बार-बार बच गए वह तो बड़े-बड़े पत्थर फेंक कर मार रहा था,,,,


हाय दैया तुम दोनों को लगी तो नहीं,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं लगी,,,,, चलो सब बात छोड़ो मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है जल्दी से खाना बना दो,,,

हां मां मुझे भी बड़े जोरों की भूख लगी है,,,

ठीक है थोड़ी देर रुक जाओ खाना बनाकर तैयार हो जाएगा और रानी तब तक तू सब्जी काट दे,,,,।
(इतना कहने के साथ ही सूरज की मां,,,, जिसका नाम सुनैना था वह जल्दी-जल्दी आंटा गुंथने लगी,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से वह अपने ब्लाउज का ऊपर का दो बटन खोल दीजिए और उसकी गोल-गोल चूचियां जो की बिल्कुल खरबूजे की तरह थी वह आधे से ज्यादा ब्लाउज में से बाहर झलक रही थी,,,, जो की लालटेन की पीली रोशनी में खरा सोने की तरह चमक रही थी,,,,,,, वह अपने ब्लाउज के दो बटन खोलने के बावजूद भी पूरी तरह से सहज रूप से अपना काम कर रही थी,,,,,,, क्योंकि वह हमेशा इसी तरह से खाना बनाती थी उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था,,, और पसीने की वजह से उसका ब्लाउज उसकी मस्त-मस्त चूचियों से चिपक सी गई थी और गीला हो जाने की वजह से उसकी चूचियों की शोभा बढ़ा रही उसका छोटा सा छुहारा एकदम साफ नजर आ रहा था हालांकि इस पर सूरज की नजर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी,,,,।

सुनैना अपने नाम के मुताबिक ही बहुत खूबसूरत थी,,,,, दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन में उसके अंगों में जरा भी ढीलापन नहीं आया था उसका बदन पूरी तरह से एकदम कसा हुआ था और एकदम गठीला था जिसे देखकर अच्छे-अच्छे के मुंह में पानी आ जाता था और साथ ही लंड पानी फेंक देता था,,,।

रानी जल्दी-जल्दी सब्जी काट रही थी क्योंकि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि वह दोनों सुबह से ही आम लेने के चक्कर में घर से बाहर निकल गए थे,,,,।
 
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Abhishek Kumar98

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नमस्कार दोस्तों,,, वैसे तो मेरी दो कहानी अभी भी रनिंग में है जिनमें से एक कहानी चलती ही खत्म होने वाली है और एक कहानी अभी-अभी शुरू हुई है लेकिन कहानियों मे गांव की खुशबू ना हो तो कहानी में मजा नहीं आता इसलिए मैं एक बार फिर से गांव की कहानी लेकर आप सभी लोगों के सामने प्रस्तुत हुआ हूं और आशा करता हूं कि यह कहानी भी आप लोगों को बहुत अच्छी लगेगी,,,, आप लोगों के ढेर सारे कमेंट ही मुझे कहानी लिखने को प्रेरित करते हैं इसलिए अपने कमेंट जारी रखिएगा,,,

१,,, सुनैना
२,,,, सूरज
३,,,, रानी


कहानी में और भी पात्र हैं जो आगे चलकर कहानी से जुड़ते चले जाएंगे
Bhai hero ek hi rakhna aur wo hi ghar me aur baher ki chuton ko chode
 
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Premkumar65

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अब बता तुझे कुछ दिखाई दे रहा है,,,,,(आम के पेड़ पर चढा सूरज नीचे खड़ी अपनी बहन की तरफ देखकर बोला,,,)

हां भैया वहां तुम्हारे थोड़ा सा ऊपर ही है बड़ा सा आम,,,

कहां है,,,?

अरे भैया तुम्हारे ऊपर ही तो है सीधा सर के ऊपर हाथ ऊपर करो तुम्हारे हाथ में आ जाएगा,,,,

(नीचे खड़ी अपनी बहन की बात मानते हुए सूरज बिना देखे ही अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया तो वाकई में उसके हाथ में बड़ा सा आम आ गया और मुस्कुराते हुए वह आम को एक झटके से तोड़ लिया और बोला,,,,,)

अरे वह रानी तेरी नजर तो बहुत तेज है मेरे सर के ऊपर इतना बड़ा आम है और मुझे दिखाई नहीं दे रहा है और नीचे खडी तु सब कुछ देख ले रही है,,,(इतना कहते हुए सूरज उसे बड़े से आम को नीचे की तरफ गिरा दिया और नीचे खड़ी रानी अपनी कुर्ती को फैला कर उस गिरते हुए आम को अपनी कुर्ती में ले ली,,,)

अच्छा अब इतने से तो काम चल जाएगा ना,,,,

नहीं भैया इतने से कुछ भी होने वाला नहीं है मा ३ ढेर सारा आम मंगाया है,,,, तुम तो जानते ही हो मुझे अचार कितना पसंद है साल भर भी नहीं चल पाता इसलिए मा ने इस बार ज्यादा आम मंगाए हैं,,,,, अब जल्दी-जल्दी आम नीचे गिरा वरना बगीचे का मालिक आ गया तो कुछ भी हाथ में नहीं लगेगा,,,,

तू सच कह रही है रानी मैं तो भूल ही गया,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज एक बड़ी सी डाली को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा और एक साथ सरे आम नीचे गिरना शुरू हो गए जिसे जल्दी-जल्दी से रानी बटोर कर उसे अपनी कुर्ती में रख रही थी कुर्ती भर जाने के बाद उसने एक थैला भी लेकर आई थी जिसमें वह जल्दी-जल्दी आम रख रही थी,,, देखते ही देखते सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था और आम के पेड़ पर चढ़कर वह दूर-दूर तक नजर दौड़ा कर यह अभी देख ले रहा था कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है,,,, दोनों भाई बहन कच्चे आम तोड़ने के लिए चोरी-छिपी दीवाल कूद कर इस बगीचे में आए थे वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि तेज गर्मी होने की वजह से बगीचे का मालिक यहां पर नहीं होगा,,, और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज और रानी दोनों भाई बहन ढेर सारा आम तोड़कर बटोर लेना चाहते थे,,, और ऐसा हो भी रहा था ,,, सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था,,,, वह जानता था कि इतना सारा हम उसकी बहन ठेले में भर नहीं पाएगी इसलिए वह धीरे से नीचे उतरा और जल्दी-जल्दी वह भी ठेले में आम भरना शुरू कर दिया देखते-देखते पूरा तेरा आम से भर गया,,,, रानी के कुर्ते में भरे हुए आम को सूरज अपने साथ लाई हुई दूसरी थैली में भरने लगा ताकि यहां से जाने में आसानी रहे,,,,,।)

अरे भैया तुम दूसरा थैला कब उठा लाए,,,

मैं जानता था कि दूसरे ठेले की भी जरूरत पड़ेगी इसलिए मैं अपने साथ ले आया था,,,, अब जल्दी-जल्दी पर और यहां से चल वरना बगीचे का मालिक आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही रानी जल्दी-जल्दी आम को थैली में भरने लगी और देखते-देखते दोनों तेरा आम से भर गया कि तभी दोनों को दूर से आ रही कदमों की आवाज सुनाई दी दोनों एकदम चौकन्ने हो गए,,,,)

रानी लगता है कोई आ रहा है,,,, जल्दी से थैला उठा,,,
(सूरज के इतना कहते ही रानी जल्दी से आम से भरा हुआ थैला उठाकर अपने कंधे पर ले ली और सूरज भी दूसरे थैली को उठाकर जल्दी-जल्दी जाने लगा तब तक बगीचे के मालिक की नजर उन दोनों पर पड़ गई थी और वह गाली देता हुआ चिल्लाया,,,,)

कौन है रे मादरचोद इसकी बहन का चोदु,,,, कौन है बगीचे में अपनी बहन चुदवा रहा है,,, भोसड़ी वाला,,,(इतना कहते हुए वह बगीचे का मालिक उन दोनों के पीछे भागते हुए बड़ा सा पत्थर उठाकर मारा जो कि उन दोनों के बगल में से चला गया वह दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,)

भाग रानी जल्दी भाग अगर उसके हाथ लग गए तो खैर नहीं है,,,,
(इतना सुनते ही रानी और सूरज दोनों जान लगाकर भागने लगी और देखते ही देखते वह दोनों दीवार के पास पहुंच गए थे अभी भी बगीचे का मालिक उन्हें दोनों से लगभग 40-50 मीटर की दूरी पर था और वह भागता हुआ आ रहा था दोनों के पास समय बिल्कुल भी नहीं था सूरज बोला,,,)

बाप रे बिल्कुल भी समय नहीं है रानी तु जल्दी से दीवार पर चढ़ थैला यही छोड़ दे,,,,

नहीं भैया अगर आज आम नहीं ले गए तो फिर कभी आम मिलने वाला नहीं है,,,


अरे तू चढ तो सही,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज उसके हाथ से थैला लेकर वही रख दिया और उसे दीवार पर चढ़ने लगा रानी एक पर को आदि दीवार पर रखकर ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन वह चढ़ नहीं पा रही थी तो सूरज उसकी मदद करते हुए उसे दीवार पर चढ़ने लगा और ऐसे हालात में उसके दोनों हाथ उसकी गोल-गोल नितंबों पर आ गए थे जिसे वह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ चढ़ा रहा था लेकिन इस अफरा तफरी के माहौल में उसे इस बात का एहसास भी नहीं हो रहा था कि वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते हुए उसकी गांड पर सहारा देकर उसे ऊपर उठाया हुआ है,,, इस जल्दबाजी में दीवार खोदने के चक्कर में सूरज जी जैसे जवान लड़के को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह एक खूबसूरत लड़की की गोल-गोल गांड को अपने हाथों से पकड़े हुए था अगर कोई और माहौल होता तो शायद उसके ही हरकत पर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता और रानी जो की एक खूबसूरत जवान की दहलीज पर कदम रख चुकी लड़की थी एक जवान लड़के की ईस हरकत पर अपनी बुर से पानी फेंक दी होती,,,, लेकिन दोनों जवानी से भरे हुए भाई बहन को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह जल्द से जल्द दीवार को कुद जाना चाहते थे,,,, तभी फिर उसे बगीचे के मालिक की गाली सुनाई दी,,,)

तुम्हारी मां की भोसड़ी में लंड डालु मादरचोद,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से एक बड़े पत्थर को मारा और इस बार भी उसका निशाना चूक गया)

बाप रे भैया यह बगीचे का मालिक तो पागल हो गया इधर उसके हाथ लग गए तो हड्डी पसली एक कर देगा,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं तू जल्दी से चढ़ जा,,,(और इतना कहते हुए वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ा दिया था उसकी गोल गोल गांड को पकड़ कर उसे सहारा देकर वहां दीवार पर सही सलामत चढ़ा दिया था और इसके बाद वह जल्दी से आम के थैले को अपनी बहन को पकडाने लगा,,, उसकी बहन भी जल्दबाजी दिखाते हुए आम के दोनों तेरे को पकड़ कर उसे दूसरी तरफ नीचे गिरा दिए और खुद कूद गई वह जानती थी कि उसका भाई आराम से दीवार को जाएगा और ऐसा ही हुआ सूरज जल्दी से दीवार खुद के दूसरी तरफ कूद गया था और जल्दी से आम के ठेले को पड़कर उसे बगीचे से दूर निकल गया था,,,,।

दोनों भागते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रहे थे कहीं वह बगीचे वाला मालिक ए तो नहीं रहा है लेकिन देखते ही देखते वह दोनों ऊंचे नीचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते से काफी दूर निकल गए थे जब उन दोनों को इस बात का एहसास हुआ कि वह लोग बगीचे के मालिक की पकड़ से काफी दूर आ गए हैं तो एक जगह पर खड़े होकर गहरी गहरी सांस लेते हुए जोर-जोर से हंसने लगे,,,,


भैया आज तो बाल बाल बच गए,, अगर वह बगीचे वाला आदमी पकड़ लेता तो हम दोनों की खैर नहीं थी,,,

रानी सुखारकर की ईतने सारे आम हम दोनों के पास थे,,,, अगर कोई और समय होता तो आज मैं उसकी टांगे तोड़ देता इतनी गंदी गंदी गालियां मैं कभी सुनने वाला नहीं था वह तो मजबूरी थी,,,

तुम सच कह रहे हो भैया गुस्सा तो मुझे भी बहुत आ रहा था लेकिन क्या करें लेकिन एक बात है आज तुमने आम बहुत सारे तोड़ दीए हैं,,, इतने सारे आम का अचार तो कम से कम 2 साल तक चलेगा,,,,।

चल अच्छा बहुत देर हो गई है जल्द से जल्द हमें घर पहुंचना है शाम ढलने वाली है धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा है मां चिंता कर रही होगी,,,

हां भैया,,, खाना भी तो बनाना है,,,,,

अच्छा बोल तो ऐसे रहि है की सारा खाना तू ही बनाती है,,,

अरे सर खाना नहीं बनाती लेकिन मां के काम में हाथ तो बंटाती हु ना,,,


हां तो ऐसा सही-सही बोल,,,,।

(ऐसा कहते हुए दोनों भाई-बहन आपस में बात करते हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे,,,,, चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे हुए छोटे से गांव में सूरज और उसका परिवार रहता था,,,,,,, गांव में गांव के चारों तरफ कुदरत का खजाना बिखरा हुआ था चारों तरफ खूबसूरत नजारे फैले हुए थे,, छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच से निकलती हुई नदी,,,, सूरज का उगना और सूरज का अस्त होना दोनों नजारे बहुत खूबसूरत लगते थे और चारों तरफ हरियाली हरियाली यहां के सभी लोग केवल खेती और पशुपालन पर ही आश्रित रहते थे इसी में अपना जीवन निर्वाह करते थे और बहुत खुश भी थे,,,,,, दोनों भाई बहन कंधों पर आम का तेरा लटकाए हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते दोनों गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गए जहां पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी,,, और इस दुकान पर चाय के साथ-साथ पकोड़े जलेबियां और समोसे भी मिलती थी,,,,,,, रानी और सूरज दोनों जलेबी खाना चाहते थे लेकिन दोनों के पास पैसे नहीं थे इसलिए दोनों मां मर कर उसे दुकान से आगे निकल गए लेकिन दुकान पर बैठे हुए कुछ लोग रानी की गोल-गोल नितंबों को ताड़ रहे थे,,,, और गरम आंहे भर रहे थे,,,,।

वैसे भी रानी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी उसके अंगों पर उभार आना शुरू हो गया था उसका बदन भरना शुरू हो गया था,,, मर्दों को आकर्षित करने लायक उसके बदन में निखार आ चुका था,,, खास करके उसकी गोल-गोल नितंब चलते समय और भी ज्यादा जानलेवा नजर आते थे जिसे देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता था और कुछ देर पहले सूरज खुद अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते समय उसकी गोल-गोल गांड को ही पकड़ कर सहारा देकर ऊपर उठा रहा था लेकिन सूरज के मन में अभी तक ऐसा कुछ भी ख्याल आता नहीं था और तो वह लड़कियों के प्रति वह हमेशा इज्जत की भावना रखता था इसीलिए तो अपनी बहन की मतवाली गांड को पकड़ने के बावजूद भी उसके बदन में जरा सी भी हरकत नहीं हुई थी,,, और यही हर रानी का भी था हालांकि वह चंचल थी लेकिन बदन में आए बदलाव को समझ नहीं पाती ना तो कभी किसी से नैन मट्टका का ही करती थी,,,,


देखते ही देखते दोनों भाई बहन घर पर पहुंच गए थे और घर पर पहुंचते पहुंचते पूरी तरह से अंधेरा छा चुका था शाम ढल चुकी थी रात पूरे गांव को अपनी आंखों में ले रही थीं हर घर में भोजन पकाने के लिए चूल्हा जल चुका था और झूला जलाने में अधिकतर पेड़ की सूखी लड़कियां और गाय के गोबर से बने हुए उपले का ही उपयोग करते थे जिसकी खुशबू से पूरा गांव महकने लगता था,,,,,, सूरज की मां भी रसोई बना रही थी और वह चूल्हे के आगे बैठकर आटे को गूंथ रही थी,,,, तभी उसकी नजर सूरज और रानी पर पड़ी तो वह दोनों को बिगडते हुए बोली,,,)

तुम दोनों अब आ रहे हो यह कोई समय है कितना समय हो गया तुम लोगों को जरा भी बहन है अंधेरा हो गया है और ऐसे में तुम दोनों बाहर घूम रहे हो,,,

क्या मैं तुम भी कहीं घूमने थोड़ी गए थे तुम्हारे कहने पर ही आम लेने गए थे,,,

हां तो कहां हैं आम,,,,

हम दोनों ने इतने सारे आम ले हैं कि तुम देखोगी तो तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,,


हां तो दिखाओ ना कहां पर हैं आम,,,,

(इतना सुनकर सूरज मुस्कुराते हुए अपने कंधे पर लटकाया हुआ ठेला और रानी भी अपने कंधे पर लटकते हुए थे देखो अपनी मां के सामने नीचे जमीन पर रखते हुए बोली)

अब कहो,,,,।
(इतने सारे आम को देख कर सूरज की मां की आंखें फटी की फटी रह गई वहां अपने चेहरे के भाव आश्चर्य के भाव में बदलते हुए मुस्कुराते हुए बोली)


बाप रे तुम दोनों तो पूरा बगीचा ही लूट लाए हो,,, किसी ने देखा तो नहीं,,,


देखा तो नहीं,,,, अरे शुकर मनाओ की आज हम दोनों बार-बार बच गए वह तो बड़े-बड़े पत्थर फेंक कर मार रहा था,,,,


हाय दैया तुम दोनों को लगी तो नहीं,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं लगी,,,,, चलो सब बात छोड़ो मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है जल्दी से खाना बना दो,,,

हां मां मुझे भी बड़े जोरों की भूख लगी है,,,

ठीक है थोड़ी देर रुक जाओ खाना बनाकर तैयार हो जाएगा और रानी तब तक तू सब्जी काट दे,,,,।
(इतना कहने के साथ ही सूरज की मां,,,, जिसका नाम सुनैना था वह जल्दी-जल्दी आंटा गुंथने लगी,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से वह अपने ब्लाउज का ऊपर का दो बटन खोल दीजिए और उसकी गोल-गोल चूचियां जो की बिल्कुल खरबूजे की तरह थी वह आधे से ज्यादा ब्लाउज में से बाहर झलक रही थी,,,, जो की लालटेन की पीली रोशनी में खरा सोने की तरह चमक रही थी,,,,,,, वह अपने ब्लाउज के दो बटन खोलने के बावजूद भी पूरी तरह से सहज रूप से अपना काम कर रही थी,,,,,,, क्योंकि वह हमेशा इसी तरह से खाना बनाती थी उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था,,, और पसीने की वजह से उसका ब्लाउज उसकी मस्त-मस्त चूचियों से चिपक सी गई थी और गीला हो जाने की वजह से उसकी चूचियों की शोभा बढ़ा रही उसका छोटा सा छुहारा एकदम साफ नजर आ रहा था हालांकि इस पर सूरज की नजर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी,,,,।

सुनैना अपने नाम के मुताबिक ही बहुत खूबसूरत थी,,,,, दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन में उसके आंखों में जरा भी ढीलापन नहीं आया था उसका बदन पूरी तरह से एकदम कसा हुआ था और एकदम गठीला था जिसे देखकर अच्छे-अच्छे के मुंह में पानी आ जाता था और साथ ही लंज पानी फेंक देता था,,,।

रानी जल्दी-जल्दी सब्जी काट रही थी क्योंकि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि वह दोनों सुबह से ही आम लेने के चक्कर में घर से बाहर निकल गए थे,,,,।
A good start to the new story.
 
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Ajju Landwalia

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अब बता तुझे कुछ दिखाई दे रहा है,,,,,(आम के पेड़ पर चढा सूरज नीचे खड़ी अपनी बहन की तरफ देखकर बोला,,,)

हां भैया वहां तुम्हारे थोड़ा सा ऊपर ही है बड़ा सा आम,,,

कहां है,,,?

अरे भैया तुम्हारे ऊपर ही तो है सीधा सर के ऊपर हाथ ऊपर करो तुम्हारे हाथ में आ जाएगा,,,,

(नीचे खड़ी अपनी बहन की बात मानते हुए सूरज बिना देखे ही अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया तो वाकई में उसके हाथ में बड़ा सा आम आ गया और मुस्कुराते हुए वह आम को एक झटके से तोड़ लिया और बोला,,,,,)

अरे वह रानी तेरी नजर तो बहुत तेज है मेरे सर के ऊपर इतना बड़ा आम है और मुझे दिखाई नहीं दे रहा है और नीचे खडी तु सब कुछ देख ले रही है,,,(इतना कहते हुए सूरज उसे बड़े से आम को नीचे की तरफ गिरा दिया और नीचे खड़ी रानी अपनी कुर्ती को फैला कर उस गिरते हुए आम को अपनी कुर्ती में ले ली,,,)

अच्छा अब इतने से तो काम चल जाएगा ना,,,,

नहीं भैया इतने से कुछ भी होने वाला नहीं है मा ३ ढेर सारा आम मंगाया है,,,, तुम तो जानते ही हो मुझे अचार कितना पसंद है साल भर भी नहीं चल पाता इसलिए मा ने इस बार ज्यादा आम मंगाए हैं,,,,, अब जल्दी-जल्दी आम नीचे गिरा वरना बगीचे का मालिक आ गया तो कुछ भी हाथ में नहीं लगेगा,,,,

तू सच कह रही है रानी मैं तो भूल ही गया,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज एक बड़ी सी डाली को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा और एक साथ सरे आम नीचे गिरना शुरू हो गए जिसे जल्दी-जल्दी से रानी बटोर कर उसे अपनी कुर्ती में रख रही थी कुर्ती भर जाने के बाद उसने एक थैला भी लेकर आई थी जिसमें वह जल्दी-जल्दी आम रख रही थी,,, देखते ही देखते सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था और आम के पेड़ पर चढ़कर वह दूर-दूर तक नजर दौड़ा कर यह अभी देख ले रहा था कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है,,,, दोनों भाई बहन कच्चे आम तोड़ने के लिए चोरी-छिपी दीवाल कूद कर इस बगीचे में आए थे वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि तेज गर्मी होने की वजह से बगीचे का मालिक यहां पर नहीं होगा,,, और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज और रानी दोनों भाई बहन ढेर सारा आम तोड़कर बटोर लेना चाहते थे,,, और ऐसा हो भी रहा था ,,, सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था,,,, वह जानता था कि इतना सारा हम उसकी बहन ठेले में भर नहीं पाएगी इसलिए वह धीरे से नीचे उतरा और जल्दी-जल्दी वह भी ठेले में आम भरना शुरू कर दिया देखते-देखते पूरा तेरा आम से भर गया,,,, रानी के कुर्ते में भरे हुए आम को सूरज अपने साथ लाई हुई दूसरी थैली में भरने लगा ताकि यहां से जाने में आसानी रहे,,,,,।)

अरे भैया तुम दूसरा थैला कब उठा लाए,,,

मैं जानता था कि दूसरे ठेले की भी जरूरत पड़ेगी इसलिए मैं अपने साथ ले आया था,,,, अब जल्दी-जल्दी पर और यहां से चल वरना बगीचे का मालिक आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही रानी जल्दी-जल्दी आम को थैली में भरने लगी और देखते-देखते दोनों तेरा आम से भर गया कि तभी दोनों को दूर से आ रही कदमों की आवाज सुनाई दी दोनों एकदम चौकन्ने हो गए,,,,)

रानी लगता है कोई आ रहा है,,,, जल्दी से थैला उठा,,,
(सूरज के इतना कहते ही रानी जल्दी से आम से भरा हुआ थैला उठाकर अपने कंधे पर ले ली और सूरज भी दूसरे थैली को उठाकर जल्दी-जल्दी जाने लगा तब तक बगीचे के मालिक की नजर उन दोनों पर पड़ गई थी और वह गाली देता हुआ चिल्लाया,,,,)

कौन है रे मादरचोद इसकी बहन का चोदु,,,, कौन है बगीचे में अपनी बहन चुदवा रहा है,,, भोसड़ी वाला,,,(इतना कहते हुए वह बगीचे का मालिक उन दोनों के पीछे भागते हुए बड़ा सा पत्थर उठाकर मारा जो कि उन दोनों के बगल में से चला गया वह दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,)

भाग रानी जल्दी भाग अगर उसके हाथ लग गए तो खैर नहीं है,,,,
(इतना सुनते ही रानी और सूरज दोनों जान लगाकर भागने लगी और देखते ही देखते वह दोनों दीवार के पास पहुंच गए थे अभी भी बगीचे का मालिक उन्हें दोनों से लगभग 40-50 मीटर की दूरी पर था और वह भागता हुआ आ रहा था दोनों के पास समय बिल्कुल भी नहीं था सूरज बोला,,,)

बाप रे बिल्कुल भी समय नहीं है रानी तु जल्दी से दीवार पर चढ़ थैला यही छोड़ दे,,,,

नहीं भैया अगर आज आम नहीं ले गए तो फिर कभी आम मिलने वाला नहीं है,,,


अरे तू चढ तो सही,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज उसके हाथ से थैला लेकर वही रख दिया और उसे दीवार पर चढ़ने लगा रानी एक पर को आदि दीवार पर रखकर ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन वह चढ़ नहीं पा रही थी तो सूरज उसकी मदद करते हुए उसे दीवार पर चढ़ने लगा और ऐसे हालात में उसके दोनों हाथ उसकी गोल-गोल नितंबों पर आ गए थे जिसे वह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ चढ़ा रहा था लेकिन इस अफरा तफरी के माहौल में उसे इस बात का एहसास भी नहीं हो रहा था कि वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते हुए उसकी गांड पर सहारा देकर उसे ऊपर उठाया हुआ है,,, इस जल्दबाजी में दीवार खोदने के चक्कर में सूरज जी जैसे जवान लड़के को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह एक खूबसूरत लड़की की गोल-गोल गांड को अपने हाथों से पकड़े हुए था अगर कोई और माहौल होता तो शायद उसके ही हरकत पर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता और रानी जो की एक खूबसूरत जवान की दहलीज पर कदम रख चुकी लड़की थी एक जवान लड़के की ईस हरकत पर अपनी बुर से पानी फेंक दी होती,,,, लेकिन दोनों जवानी से भरे हुए भाई बहन को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह जल्द से जल्द दीवार को कुद जाना चाहते थे,,,, तभी फिर उसे बगीचे के मालिक की गाली सुनाई दी,,,)

तुम्हारी मां की भोसड़ी में लंड डालु मादरचोद,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से एक बड़े पत्थर को मारा और इस बार भी उसका निशाना चूक गया)

बाप रे भैया यह बगीचे का मालिक तो पागल हो गया इधर उसके हाथ लग गए तो हड्डी पसली एक कर देगा,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं तू जल्दी से चढ़ जा,,,(और इतना कहते हुए वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ा दिया था उसकी गोल गोल गांड को पकड़ कर उसे सहारा देकर वहां दीवार पर सही सलामत चढ़ा दिया था और इसके बाद वह जल्दी से आम के थैले को अपनी बहन को पकडाने लगा,,, उसकी बहन भी जल्दबाजी दिखाते हुए आम के दोनों तेरे को पकड़ कर उसे दूसरी तरफ नीचे गिरा दिए और खुद कूद गई वह जानती थी कि उसका भाई आराम से दीवार को जाएगा और ऐसा ही हुआ सूरज जल्दी से दीवार खुद के दूसरी तरफ कूद गया था और जल्दी से आम के ठेले को पड़कर उसे बगीचे से दूर निकल गया था,,,,।

दोनों भागते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रहे थे कहीं वह बगीचे वाला मालिक ए तो नहीं रहा है लेकिन देखते ही देखते वह दोनों ऊंचे नीचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते से काफी दूर निकल गए थे जब उन दोनों को इस बात का एहसास हुआ कि वह लोग बगीचे के मालिक की पकड़ से काफी दूर आ गए हैं तो एक जगह पर खड़े होकर गहरी गहरी सांस लेते हुए जोर-जोर से हंसने लगे,,,,


भैया आज तो बाल बाल बच गए,, अगर वह बगीचे वाला आदमी पकड़ लेता तो हम दोनों की खैर नहीं थी,,,

रानी सुखारकर की ईतने सारे आम हम दोनों के पास थे,,,, अगर कोई और समय होता तो आज मैं उसकी टांगे तोड़ देता इतनी गंदी गंदी गालियां मैं कभी सुनने वाला नहीं था वह तो मजबूरी थी,,,

तुम सच कह रहे हो भैया गुस्सा तो मुझे भी बहुत आ रहा था लेकिन क्या करें लेकिन एक बात है आज तुमने आम बहुत सारे तोड़ दीए हैं,,, इतने सारे आम का अचार तो कम से कम 2 साल तक चलेगा,,,,।

चल अच्छा बहुत देर हो गई है जल्द से जल्द हमें घर पहुंचना है शाम ढलने वाली है धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा है मां चिंता कर रही होगी,,,

हां भैया,,, खाना भी तो बनाना है,,,,,

अच्छा बोल तो ऐसे रहि है की सारा खाना तू ही बनाती है,,,

अरे सर खाना नहीं बनाती लेकिन मां के काम में हाथ तो बंटाती हु ना,,,


हां तो ऐसा सही-सही बोल,,,,।

(ऐसा कहते हुए दोनों भाई-बहन आपस में बात करते हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे,,,,, चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे हुए छोटे से गांव में सूरज और उसका परिवार रहता था,,,,,,, गांव में गांव के चारों तरफ कुदरत का खजाना बिखरा हुआ था चारों तरफ खूबसूरत नजारे फैले हुए थे,, छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच से निकलती हुई नदी,,,, सूरज का उगना और सूरज का अस्त होना दोनों नजारे बहुत खूबसूरत लगते थे और चारों तरफ हरियाली हरियाली यहां के सभी लोग केवल खेती और पशुपालन पर ही आश्रित रहते थे इसी में अपना जीवन निर्वाह करते थे और बहुत खुश भी थे,,,,,, दोनों भाई बहन कंधों पर आम का तेरा लटकाए हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते दोनों गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गए जहां पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी,,, और इस दुकान पर चाय के साथ-साथ पकोड़े जलेबियां और समोसे भी मिलती थी,,,,,,, रानी और सूरज दोनों जलेबी खाना चाहते थे लेकिन दोनों के पास पैसे नहीं थे इसलिए दोनों मां मर कर उसे दुकान से आगे निकल गए लेकिन दुकान पर बैठे हुए कुछ लोग रानी की गोल-गोल नितंबों को ताड़ रहे थे,,,, और गरम आंहे भर रहे थे,,,,।

वैसे भी रानी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी उसके अंगों पर उभार आना शुरू हो गया था उसका बदन भरना शुरू हो गया था,,, मर्दों को आकर्षित करने लायक उसके बदन में निखार आ चुका था,,, खास करके उसकी गोल-गोल नितंब चलते समय और भी ज्यादा जानलेवा नजर आते थे जिसे देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता था और कुछ देर पहले सूरज खुद अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते समय उसकी गोल-गोल गांड को ही पकड़ कर सहारा देकर ऊपर उठा रहा था लेकिन सूरज के मन में अभी तक ऐसा कुछ भी ख्याल आता नहीं था और तो वह लड़कियों के प्रति वह हमेशा इज्जत की भावना रखता था इसीलिए तो अपनी बहन की मतवाली गांड को पकड़ने के बावजूद भी उसके बदन में जरा सी भी हरकत नहीं हुई थी,,, और यही हर रानी का भी था हालांकि वह चंचल थी लेकिन बदन में आए बदलाव को समझ नहीं पाती ना तो कभी किसी से नैन मट्टका का ही करती थी,,,,


देखते ही देखते दोनों भाई बहन घर पर पहुंच गए थे और घर पर पहुंचते पहुंचते पूरी तरह से अंधेरा छा चुका था शाम ढल चुकी थी रात पूरे गांव को अपनी आंखों में ले रही थीं हर घर में भोजन पकाने के लिए चूल्हा जल चुका था और झूला जलाने में अधिकतर पेड़ की सूखी लड़कियां और गाय के गोबर से बने हुए उपले का ही उपयोग करते थे जिसकी खुशबू से पूरा गांव महकने लगता था,,,,,, सूरज की मां भी रसोई बना रही थी और वह चूल्हे के आगे बैठकर आटे को गूंथ रही थी,,,, तभी उसकी नजर सूरज और रानी पर पड़ी तो वह दोनों को बिगडते हुए बोली,,,)

तुम दोनों अब आ रहे हो यह कोई समय है कितना समय हो गया तुम लोगों को जरा भी बहन है अंधेरा हो गया है और ऐसे में तुम दोनों बाहर घूम रहे हो,,,

क्या मैं तुम भी कहीं घूमने थोड़ी गए थे तुम्हारे कहने पर ही आम लेने गए थे,,,

हां तो कहां हैं आम,,,,

हम दोनों ने इतने सारे आम ले हैं कि तुम देखोगी तो तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,,


हां तो दिखाओ ना कहां पर हैं आम,,,,

(इतना सुनकर सूरज मुस्कुराते हुए अपने कंधे पर लटकाया हुआ ठेला और रानी भी अपने कंधे पर लटकते हुए थे देखो अपनी मां के सामने नीचे जमीन पर रखते हुए बोली)

अब कहो,,,,।
(इतने सारे आम को देख कर सूरज की मां की आंखें फटी की फटी रह गई वहां अपने चेहरे के भाव आश्चर्य के भाव में बदलते हुए मुस्कुराते हुए बोली)


बाप रे तुम दोनों तो पूरा बगीचा ही लूट लाए हो,,, किसी ने देखा तो नहीं,,,


देखा तो नहीं,,,, अरे शुकर मनाओ की आज हम दोनों बार-बार बच गए वह तो बड़े-बड़े पत्थर फेंक कर मार रहा था,,,,


हाय दैया तुम दोनों को लगी तो नहीं,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं लगी,,,,, चलो सब बात छोड़ो मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है जल्दी से खाना बना दो,,,

हां मां मुझे भी बड़े जोरों की भूख लगी है,,,

ठीक है थोड़ी देर रुक जाओ खाना बनाकर तैयार हो जाएगा और रानी तब तक तू सब्जी काट दे,,,,।
(इतना कहने के साथ ही सूरज की मां,,,, जिसका नाम सुनैना था वह जल्दी-जल्दी आंटा गुंथने लगी,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से वह अपने ब्लाउज का ऊपर का दो बटन खोल दीजिए और उसकी गोल-गोल चूचियां जो की बिल्कुल खरबूजे की तरह थी वह आधे से ज्यादा ब्लाउज में से बाहर झलक रही थी,,,, जो की लालटेन की पीली रोशनी में खरा सोने की तरह चमक रही थी,,,,,,, वह अपने ब्लाउज के दो बटन खोलने के बावजूद भी पूरी तरह से सहज रूप से अपना काम कर रही थी,,,,,,, क्योंकि वह हमेशा इसी तरह से खाना बनाती थी उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था,,, और पसीने की वजह से उसका ब्लाउज उसकी मस्त-मस्त चूचियों से चिपक सी गई थी और गीला हो जाने की वजह से उसकी चूचियों की शोभा बढ़ा रही उसका छोटा सा छुहारा एकदम साफ नजर आ रहा था हालांकि इस पर सूरज की नजर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी,,,,।

सुनैना अपने नाम के मुताबिक ही बहुत खूबसूरत थी,,,,, दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन में उसके आंखों में जरा भी ढीलापन नहीं आया था उसका बदन पूरी तरह से एकदम कसा हुआ था और एकदम गठीला था जिसे देखकर अच्छे-अच्छे के मुंह में पानी आ जाता था और साथ ही लंज पानी फेंक देता था,,,।

रानी जल्दी-जल्दी सब्जी काट रही थी क्योंकि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि वह दोनों सुबह से ही आम लेने के चक्कर में घर से बाहर निकल गए थे,,,,।


Congratulations for new story rohnny4545 Bhai
 
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