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सूरज ने जो आज नजर देखा था उसके बारे में कभी उसने कल्पना भी नहीं किया था अद्भुत और अकल्पनीय नजारे को देखकर वह पूरी तरह से बदहवास हो चुका था,,, अब तक वह औरतों से दूर ही भगत था औरतों के प्रति उसका कोई आकर्षण नहीं था वह बहुत सीधा-साधा ही था लेकिन कुछ ही दिनों में जिस तरह के नजारे उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देखकर उसके मन में भी कुछ-कुछ होना शुरू हो गया था उसका बहुत ही खास दोस्त ने यह शुरुआत किया था अपनी ही चाची की नंगी गांड और उसे पेशाब करता हुआ दिखाकर उसे पूरी तरह से मदहोश बना दिया था और उसे पर से चार बोतलों का नशा मुखिया की बीवी ने अपनी जवानी के दर्शन करा कर उसे करा दिया था,,,,।
औरतों की खूबसूरती से सूरज को किसी भी प्रकार का वास्ता नहीं था लेकिन पहली बार उसे इस बात का एहसास हुआ की औरतें वाकई में बहुत खूबसूरत होती है और कपड़े उतारने के बाद तो उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाता है कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मुखिया की बीवी उसे अपने खूबसूरत बदन के दर्शन करवाएगी,,,,,,,,, सूरज देखकर हैरान था वाकई में मुखिया की बीवी का भजन सूरज की तरह चमक रहा था उसका हर एक अंग ऐसा लग रहा था कि जैसे हाथों से तराशा गया हो,,, मुखिया की बीवी के नंगे बदन के दर्शन करके सूरज एक शब्द नहीं बोल पाया था,,,, और जाते-जाते मुखिया की बीवी उसे दो चार कद्दू लेने के लिए बोली जब बुलाए तब आ जाने के लिए भी निमंत्रण दे दी थी और इस निमंत्रण से सूरज काफी खुश नजर आ रहा था,,, और खुश होता भी तो क्यों नहीं आखिरकार एक मर्द को क्या चाहिए जो चाहिए सब कुछ मुखिया की बीवी के पास था लेकिन उसका उपयोग करना अभी सूरज नहीं जानता था इसलिए केवल देख लेने मात्र से ही वह काफी खुश नसीब अपने आप को वह समझ रहा था,,,।
कद्दू लेकर वह घर पहुंचा तो उसकी मां भी बहुत खुश हुई क्योंकि आज पहली बार सूरज घर पर सब्जी लेकर आया था और वह भी अपने खेतों की नहीं बल्की मुखिया की बीवी के खेतों की,,, लेकिन भोली-भाली सुनैना इस बात से अनजान थी कि मुखिया की बीवी सूरज पर क्यों इतनी मेहरबान हुई थी,,, एक औरत होने के बावजूद भी वह औरत के मन को नहीं समझ पाई थी वह तो खुशी-खुशी कद्दू की सब्जी और गरमा गरम रोटी पका कर सबको परोस दी थी,,, सूरज धीरे-धीरे रोटियां तोड़ रहा था और कद्दू की सब्जी रोटी में लेकर खा रहा था,,, लेकिन उसकी मां खाने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था गोल-गोल कद्दू की शक्ल में उसे मुखिया की बीवी की गदराई हुई चूचियां नजर आ रही थी,,,, पूरी तरह से जवान हो चुका सूरज पहली बार औरत की जिस्म को देखकर पागल हो गया था,,,,,, यहां तक की रात को सोते समय भी उसकी आंखों में नींद नहीं थी वह रात भर करवट बदलते रह गया था उसे सब कुछ किसी सपने की तरह उसकी आंखों के सामने दिखाई दे रहा था,,,।
मुखिया की बीवी का आगे आगे चलना और आगे आगे चलने की वजह से कई हुई साड़ी में उसके उभरे हुए नितंबों का उभार नजर आना और उसका जान पूछ कर गांड मटका कर चलना पहली बार अपनी आंखों के सामने मटकती हुई गांड को देखकर सूरज पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया था उसका ध्यान पूरी तरह से मुखिया की बीवी की गांड पर ही टिका हुआ था और उसका गिरना और गिरते समय उसे संभालने के चक्कर में अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों पर रख देना यह सब कुछ अद्भुत था सूरज के लिए इस तरह के ख्याल उसके बदन में उत्तेजना का संचार पैदा कर रहे थे उसे सब कुछ याद था नहाते समय उसका कपड़ा उतारना,,,, उसकी नंगी गांड और सूरज इस बात से तो और ज्यादा हैरान था कि उसकी दोनों टांगों के बीच वाली जगह पर ढेर सारे बाल थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि औरत की दोनों टांगों के बीच इतने सारे बाल क्यों होते हैं यही सब सोता हुआ वह अनजाने में ही अपने हाथ को पजामे में डालकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया था,,, और से जोर-जोर से दबा रहा था तभी उसे याद आया कि अपनी चाची को पेशाब करता हुआ दिखाई समय उसका दोस्त अपने लंड को बाहर निकाल कर जोर-जोर से हिला रहा था और हिलाने के बाद उसमें से न जाने कैसा सफेद पानी निकला था यह सब सूरज के लिए बिल्कुल अद्भुत था और यही सब याद करके वह अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था हालांकि हिला नहीं रहा था लेकिन दबाने में जो उसे मजा आ रहा था उससे उसका मन बहक रहा था,,,,।
तभी उसके हाथों में उसके झांठ के बालों का एहसास होने लगा और तभी उसे इस बात का अनुमान हुआ कि जिस तरह से उसके अंग पर ढेर सारे बाल उगे हुए हैं इस तरह से औरतों के अंग पर भी इस जगह पर ढेर सारे बाल उगते होंगे,,, सूरज अपनी आंखों से मुखिया की बीवी के हर एक अंग को ज्यादा देर के लिए नहीं लेकिन कुछ क्षण के लिए ही देख चुका था लेकिन अभी तक उसने मुखिया की बीवी की बुर को नहीं देखा था सूरज औरत के देंह से अनजान होने के बावजूद भी इतना तो जानता ही था की औरत की दोनों टांगों के बीच वाले अंग को बुर कहा जाता है, , भले ही उसने अब तक अपनी खुली आंखों से एक औरत की खुली बुर को नंगी बुर को ना देखा हो उसके भौगोलिक स्थिति उसके आकार से बिल्कुल अनजान हो लेकिन फिर भी उसे अंग के बारे में जानने की उत्सुकता उसकी अब बढ़ने लगी थी,,,, यही सब सोते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला,,,,।
सुबह उठकर कुछ देर के लिए वह सारी घटनाओं को भूलकर एकदम सहज हो गया था,,,वह खेतों की तरफ जाने के लिए अपनी बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया बाहर आंगन में झाड़ू लगाने की आवाज आ रही थी वह धीरे से अपनी आंखों को मलता हुआ,,,, अांगन मैं आ गया और वहीं पास में पड़ी बाल्टी में से लोटा भर कर पानी निकाल कर उसे पीने लगा,,, पानी पीते हुए अपना मुंह साफ करके गरारा करते हुए जैसे ही वह अपनी मुंह से सामने की तरफ निकला तो उसकी नजर अपनी मां पर पड़ गई जो की झुक कर झाड़ू लगा रही थी हालांकि ऐसा नजारा हुआ पहले भी देख चुका था लेकिन अपने दोस्त की चाची और मुखिया की बीवी के अंगों को देखकर अब औरत को देखने का नजरिया उसका बदलता जा रहा था अपनी आंखों के सामने अपनी मां को छुपा कर झाड़ू लगाता हुआ देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी आंखें एकदम से अपनी मां के ब्लाउज में स्थिर हो गई जो की सुबह-सुबह वह भी थोड़ा नींद में थी इसलिए ब्लाउज के ऊपर के दो बटन बंद करना भूल गई थी और ऐसे हालात में उसकी यादें से ज्यादा चूचियां ब्लाउज में से बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था की जवानी से भरी हुई गगरी छलक रही हो,,,, सूरज को यह नजारा बेहद मदहोश कर देने वाला लग रहा था वह पहली बार अपनी मां को गंदी नजरिए से देख रहा था पहली बार उसकी अध खुली ब्लाउज में से उसकी चूचियों को झांक रहा था,,,। इस नजारे को देखकर उत्तेजित अवस्था में उसका लंड तनने लगा,,, वह धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था,,, और देखते ही देखते वक्त कब पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया सूरज को पता ही नहीं चला और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वह एकदम से शर्मिंदा हो गया और तुरंत वहां से चला गया,,,।
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सूरज मुखिया की बीवी से मिलने के लिए बेचैन हो गया एक तरह से मुखिया की बीवी ने अपनी जवानी के दर्शन करा कर उसे पर पूरी तरह से अपनी जवानी का जादू चला दी थी और वह पूरी तरह से मुखिया की बीवी के आकर्षण में बंध चुका था,,, और उससे मिलने के लिए वह उसी जगह पर चला गया जहां पर उसकी मुलाकात हुई थी और उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसी जगह पर मुखिया की बीवी उसे मिल भी गई लेकिन वहां पर मुखिया भी बैठा हुआ था वहां पहुंचते ही सूरज ने मुखिया को नमस्कार किया और मुखिया की बीवी को भी नमस्कार किया मुखिया की बीवी सूरज को देखते ही एकदम से प्रसन्न हो गई,,, उसकी प्रसन्नता जायज थी क्योंकि अपनी जवानी का जलवा दिखा कर जिस तरह का असर उसने सूरज के बदन में उत्पन्न की थी उसके चलते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और खड़े लंड को पजामे में तंबू की शक्ल में देखकर अनुभव से भरी हुई मुखिया की बीवी समझ गई थी कि सूरज के पास हथियार काफी दमदार है,,,।
अरे सूरज तु यहां,,,,
की मालकिन ऐसे ही टहल रहा था तो,,,,(सूरज की बात सुनकर उसकी तरफ गौर से देखते हुए मुखिया बोला)
यह लड़का कौन है,,,?
अरे यह तो अपने भोला का लड़का है एकदम जवान हो गया है,,,,(मुखिया की बीवी के मुंह से जवान शब्द सुनकर सूरज एकदम गदगद हो गया)
अच्छा तो तू भोला का लड़का है उसी की तरह है एकदम हट्टा कट्टा,,,,,,,
(मुखिया की बात सुनकर सूरज कुछ बोल नहीं रहा था बल्कि नजर नीचे करके मन ही मन में खुश हो रहा था,,,, सूरज मुखिया को गौर से देख चुका था और समझ चुका था कि उसकी बीवी में और मुखिया में उम्र का कितना फर्क है मुखिया एक तरफ पूरी तरह से बुढ़ापे की ओर अग्रेसर था वहीं दूसरी तरफ उसकी बीवी जवानी से लबालब भरी जा रही थी,,,, सूरज अभी यही सब सो रहा था कि तभी,,,, कहीं से वहां दो लड़कियां गई एकदम जवान,,,, वह दोनों एकदम मुखिया की बीवी के पास में आकर खड़ी हो गई सूरज तो कुछ समझ ही नहीं पाया लेकिन तभी उसमें से एक बोली,,,)
मां मुझे,,, बेर खाने हैं,,,,
मां मुझे भी,,,,
अरे अब मैं तुम दोनों को कहां से बैर खिलाऊ जाकर बगीचे में से तोड़कर खा ली होती,,,
नहीं हमसे बेर टूटा नहीं है उसमें बहुत कांटे होते हैं इसलिए तुम ही तोड़ कर हमें दो,,,,(दोनों लड़कियां एक साथ जीद करते हुए बोली,,, सूरज समझ गया था कि यह दोनों मुखिया की लड़कियां जो की काफी खूबसूरत और जवान थी सूरज उन्हें भी बड़े गौर से देख रहा था,,, क्योंकि अब और तो और लड़कियों को देखने का नजरिया उसका बदला चुका था इसलिए उन दोनों लड़कियों में सूरज जवानी तलाश रहा था जो कि वह दोनों पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी बिल्कुल अपनी मां की तरह ही,,, उन दोनों की जीद देखकर मुखिया की बीवी बोली,,,)
तुम दोनों की आदत खराब होती जा रही है इतना जिद करती हो कि मेरा तो सर दुखने लगता है आप कुछ कहते क्यों नहीं,,,?
अब मैं क्या कहूं तुम ही ने तो लाड प्यार में दोनों को बिगाड़ रखा है,,,,,,(मुखिया की बात से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहा हो,,,,)
अच्छा तुम दोनों जाओ मैं तुम दोनों के लिए बेर लेकर आऊंगी,,,
नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा हमें अभी बैर खाना है चाहे जैसे भी,,,,
(मुखिया की बीवी दोनों की चीज देखकर परेशान हो रही थी और गुस्सा भी हो रही थी लेकिन वह कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि वहां अपनी दोनों बेटियों की जीद को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और यह भी अच्छी तरह से जानती थी कि यह जीद भी उसके ही लाड प्यार का नतीजा था,,,,)
अब मैं तुम दोनों को कैसे समझाऊं तुम दोनों तो समझने को तैयार ही नहीं हो अरे थोड़ी तो समझदार बनो अब पूरी तरह से जवान हो चुकी हो कुछ ही साल में तुम दोनों की शादी हो जाएगी और शादी के बाद भी तुम दोनों ससुराल में जाकर इसी तरह की जीद करोगी तो हम दोनों का नाम खराब हो जाएगा की मां-बाप ने कुछ सिखाया ही नहीं,,,
वाह मां तुम तो बात को कहां से कहां लेकर जा रही हो भला बेर खाने से ससुराल जाने का क्या संबंध है,,,,
कुछ संबंध नहीं है मेरी मां,,,(दोनों के सामने परेशान होकर हाथ जोड़ते हुए मुखिया की बीवी बोली सूरज भी देख रहा था कि दोनों लड़कियां कुछ ज्यादा ही जीद्दी थी,,,, कुछ देर तक सूरज खड़े होकर उन दोनों लड़कियों के नखरे देखता रहा और फिर मुखिया की बीवी से बोला,,,)
आप कहो तो मालकिन में बैर तोड़ कर दे दु,,,।
(वैसे तो मुखिया की बीवी सूरज को देखकर बहुत खुश हुई थी और उसके मन में नहाते समय जो कुछ भी उसने की थी एक बार फिर से उसे दोहराने का मन कर रहा था लेकिन इस समय वह ऐसा करने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके साथ उसका पति था ,,, और उसकी जवान दोनों लड़कियां भी थी इसलिए मन मसोस कर सूरज की बात सुनने के बाद वह बोली,,,)
ले जा तू दोनों को बेर खिला दे नहीं तो यह दोनों मुझे पागल कर देंगी,,,,
ठीक है मालकिन,,,,
लेकिन वह सब्जी के पीछे वाले बगीचे में से तोड़ना वहां के बेर मीठे है,,,
ठीक है मालकिन,,,,(इतना कहकर सूरज उन दोनों से बोला)
चलो मेरे साथ,,,(और इतना कहकर आगे आगे चलने लगा और दोनों लड़कियां खुश होकर पीछे-पीछे चलने लगी,,,, देखते ही देखते तीनों धीरे-धीरे कुछ दूरी पर पहुंच गए पर दोनों लड़कियां आपस में फुसफुसाते हुए चल रही थी,,,)
तू पूछ,,,
नहीं नहीं तू पूछ,,,,
मुझे शर्म आ रही है तू ही पूछना,,,,
(दोनों की बातें आगे चल रहा है सूरज सुन रहा था इसलिए वह खुद ही बोल पड़ा))
अरे क्या पूछने की बात चल रही है,,,,
कककक,, कुछ नहीं हम दोनों जानना चाहते थे कि तुम्हारा नाम क्या है,,,,
मेरा नाम,,,,(मुस्कुराते हुए)
हां तुम्हारा नाम,,,,
सूरज,,,,,
वोहह,,, अच्छा नाम है,,,,
और तुम्हारा,,,(आगे आगे चलते हुए पीछे मुड़कर देखते हुए सूरज बोला)
मेरा नाम शालू है,,,
और मेरा नीलू,,,,
वाह तुम दोनों का नाम तो बहुत खूबसूरत है,,,
सही ना सब लोग यही कहते हैं कि हम दोनों का नाम बहुत खूबसूरत है और हम दोनों के नाम के साथ-साथ हम दोनों भी बहुत खूबसूरत है,,,
हां यह बात तो है तुम दोनों का नाम जितना खूबसूरत है उससे भी कहीं ज्यादा तुम दोनों खूबसूरत हो अच्छा यह बताओ कि तुम दोनों में से बड़ी कौन है,,,(सूरज बिना रुके आगे-आगे चलते हुए दोनों से सवाल जवाब कर रहा था)
मैं बड़ी हूं,,, नीलू से 1 साल बड़ी,,,,,(वह एकदम से च हकते हुए जवाब दी,,,)
ओहहहह ,,, तुम बड़ी हो मतलब की नीलू तुमसे छोटी है,,,, लेकिन देखा जाए तो तुम दोनों में कुछ ज्यादा फर्क नहीं है,,,,,(ऐसा सूरज दोनों की चूचियों की तरफ देखकर बोल रहा था,,,
हां सब लोग यही कहते हैं बस हम दोनों में यही फर्क है कि मैं कुछ ज्यादा ही बोलती हूं और ये,,(नीलू की तरफ इशारा करते हुए) मुझसे थोड़ा कम बोलती है,,,
हां वह तो दिखाई दे रहा है,,,(बार-बार ना चाहते हुए भी सूरज की नजर दोनों लड़कियों की चूचियों की तरफ चली जा रही थी जो कि उसकी मां की तरह कुछ ज्यादा बड़ी तो नहीं थी लेकिन कश्मीरी सेव की तरह एकदम गोल थी,,, उनमें से एक सलवार कमीज पहनी थी और एक फ्रोक पहनी थी,,,, मतलब की बड़ी वाली शालू जो थी वह सलवार कमीज पहनी थी और छोटी नीलू फ्रॉक पहनी हुई थी और दोनों की खूबसूरती दोनों के कपड़ों से एकदम साफ झलक रही थी थोड़ी ही देर में वह तीनों बैर के बगीचे के पास पहुंच गए थे,,, जॉकी हर एक पेड़ में बड़े-बड़े बैर लदे हुए थे,,,, और यह सब देख कर दोनों बहने एकदम खुश हो गई,,,)
सूरज ने मुखिया की दोनों लड़कियों की जीद को अपनी आंखों से देख चुका था,,,, बार-बार मुखिया की बीवी के समझाने के बावजूद भी वह दोनों बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थी और इसी जीत के कारण सूरज को बैर खिलाने के लिए उन दोनों लड़कियों को साथ में ले जाना पड़ा वैसे यह कोई,,, सूरज के लिए बेकार का काम नहीं था क्योंकि औरतों को देखने का नजरिया जिस तरह से सूरज का बदला था उसे देखते हुए उसकी आंखों के सामने दो-दो खूबसूरत जवान लड़कियां थी जो की पूरी तरह से भरे हुए बदन की थी,,,, अपने दोस्त सोनू और मुखिया की बीवी के नंगे बदन को देखकर जितना भी उसने सीखा था उसे देखते हुए बार-बार सूरज की नजर दोनों लड़कियों की छाती और उसके नितंबों पर जा रही थी जो कि वाकई में जानलेवा हुस्न से भरी हुई थी,,,।
देखते ही देखते सूरज बैर के बगीचे तक पहुंच चुका था और बातों ही बातों में वह दोनों लड़कियों का नाम भी जान गया था बड़ी वाली का नाम शालू था और छोटी वाली का नीलू नाम था,,,, वैसे भी सूरज को अब नाम से कोई लेना-देना नहीं था वह औरतों को उनके जिस्म से आंकना शुरू कर दिया था,,, क्योंकि सुबह-सुबह ही वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था झाड़ू लगाते समय उसकी मां की चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर थी और यह नजारा देखकर सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, और इस नजारे के चलते सूरज मुखिया की बीवी के पास आया था ताकि मुखिया की बीवी के अंगों का प्रदर्शन वह अपनी आंखों से देख सके लेकिन मुखिया को भी मौजूद देखकर,,, सूरज के अरमानों पर ठंडा पानी गिर गया था लेकिन मुखिया की दोनों लड़कियों को बैर खिलाने के लिए बगीचे में ले जाने में ही सूरज पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,
दैया रे दैया यहां तो बहुत सारे बर हैं छोटे बड़े पके हुए कच्चे,,,,(शालू चारों तरफ नजर घुमा कर देखते हुए बोली)
यह बैर का बगीचा है,,, वैसे भी यह सब मुखिया जी का ही है जितना चाहे उतना खा सकती हो,,,(सूरज शालू के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए बोला,,, अपनी बड़ी बहन की और में सुर मिलाते हुए नीलू भी बोली,,,)
सच कह रही हो दीदी मेरा तो देख कर ही पेट भर गया,,,, वैसे भी हम दोनों पहली बार इस जगह पर आ रहे हैं ना,,,
हां तो सच कह रही है नीलू,,,, मां हम दोनों को यहां कहां लेकर आती है यह तो आज हम दोनों जबरदस्ती घर से निकल कर आए हैं,,,,
तुम दोनों तो ऐसा लगता है कि बेर खाने की दीवानी हो,,,,
हां तुम सच कह रहे हो सूरज,,,, हम दोनों बहनों को बेर बहुत अच्छे लगते हैं,,,,
(शालू एकदम से खुश होते हुए बोली तो,,, शालू की बात सुनकर सूरज अपने मन में ही बोला,,, तुम दोनों बहनों को बेर पसंद है लेकिन मुझे बुर पसंद है लेकिन न जाने कब दर्शन होंगे,,,)
तुम दोनों रुको मैं तोड़कर देता हूं वरना कांटा लग गया तो गजब हो जाएगा,,,, संभलकर नीलू तुम जहां खड़ी हो वहां ढेर सारे कांटे हैं,,,
(सूरज की बात सुनते ही नीलू और शालू दोनों नीचे जमीन की तरफ देखने लगी जो कि वाकई में जहां तहां पेड़ से कांटे गिरे हुए थे,,,, वह दोनों अब अपने पैर को संभाल कर रखने लगी,,,)
अच्छा हुआ तुम बता दिए वरना अभी तो पैर में कांटा चुभ जाता,,,,(नीलू अपने पैरों को संभाल कर जमीन पर रखते हुए बोली)
अच्छा तुम दोनों आराम से खड़ी रहो मैं ऊपर चढ़कर बर तोड़कर नीचे गिरता हूं तुम दोनों आराम से उठाना ज्यादा इधर-उधर भागोगी तो कांटा लग जाएगा फिर मुझे मत कहना,,,,
लेकिन कहीं तुम्हें पेड़ पर चढ़ते समय लग गया तो,,,
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मैं तो आए दिन पेड़ पर चढ़ता रहता हूं,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज धीरे-धीरे एक बैर के पेड़ पर चढ़ने लगा उस पर बड़े-बड़े फल लगे हुए थे,,,,, देखते ही देखते सूरज पेड़ पर चढ़ गया था वैसे तो बेर के पेड़ को ज्यादा बड़े नहीं होते लेकिन सबर कर चढ़ना बहुत जरूरी होता है क्योंकि पेड़ में कांटे ही काटे रहते हैं,,,, और सूरज अच्छी सी जगह देखकर अपने पैर को टिककर बड़े से टहनी पर बैठ गया और बोला,,,)
तुम शालु वह बड़ी वाली लकड़ी देना तो,,,,
कौन सी ऐ वाली,,,,,,(एक बड़ी सी लकड़ी की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली,,,)
हां वही वाली,,,,,,,
(और शालू उसे लकड़ी को उठाकर सूरज के हाथों में पकड़ा दी और सूरज बड़े-बड़े बेर पर लकड़ी मारकर उसे नीचे गिरने लगा और देखते ही देखते ढेर सारे बेर नीचे गिरने लगे शालू ने तुरंत अपनी कमीज को हाथों से पकड़ कर आगे की तरफ करके उसमें सारे बैर को उठाकर भरने लगी और पेड़ से गिरने वाले बैर को उसमें गिराने लगी,,,,,,, सूरज को दोनों जवान लड़कियों का साथ बड़ा अच्छा लग रहा था सूरज पेड़ के ऊपर से दोनों को देख रहा था दोनों की हठखेलियों को देख रहा था दोनों की हरकतों को देख रहा था,,,, सूरज की नजर भी अब औरतों के अंगों पर पड़ने लगी थी ऊपर पेड़ पर बैठे होने की वजह से नीचे खड़ी शालू और नीलू दोनों की कुर्ती में से ऊपर की तरफ से दोनों की चूचियां झलक रही थी हालांकि है नजारा कुछ क्षण तक का ही होता था लेकिन इतने में ही सूरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, सूरज जानबूझकर दोनों लड़कियों को अपने ठीक नीचे आकर बैर उठाने के लिए बोलना था और वह दोनों लड़कियां ठीक उसके नीचे आकर बर उठती थी और पेड़ से गिरने वाली वर को अपने कपड़ों में ले भी लेती थी लेकिन जिस तरह की हरकत चालू कर रही थी उसी तरह की हरकत नीलू भी कर रही थी वह भी अपनी फ्रॉक को आगे से उठाकर बैर को उसमें गिरने दे रही थी लेकिन उसकी इस हरकत की वजह से,,, सूरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था क्योंकि शालू का तो ठीक लेकिन नीलू भी शालू की तरह ही अपना फ्रॉक ऊपर उठाकर बैर उसमें पेड़ से गिरने वाले बैर को इकट्ठा कर रही थी और उसकी हरकत पर सूरज को पूरा यकीन था कि वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो जाती होगी उसकी रसीली बुर एकदम साफ दिखती होगी,,, और इसी के बारे में सोच कर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,।)
नीलू अच्छे से थोड़ा संभल कर नहीं तो कांटा चुभ जाएगा,,,
तुम चिंता मत करो कुछ नहीं होगा,,,(और ऐसा कहते हुए नीलू और उसकी बहन शालू दोनों खिलखिला कर हंसते हुए बेर को खा भी रहे थे और उसे इकट्ठा भी कर रहे थे,,,, बगीचे में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था केवल उन दोनों बहनों की ही आवाज आ रही थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और ऐसे अकेलेपन में दो जवान लड़कियों का साथ पाकर सूरज का उत्तेजित होना लाजिमी था वैसे भी वह कुछ दिनों में जिस तरह के नजारे को अपनी आंखों से देखा था उसे देखकर वह औरतों के अंगों के बारे में कल्पना करने लगता था,,,,।
सूरज ने मुखिया की बीवी के अंगों को तो अपनी आंखों से देख चुका था और साथ ही सोनू की चाची की नंगी गांड और उसे पेशाब करता हुआ देख चुका था इसलिए वह शालू और नीलू दोनों के नंगे बदन की कल्पना करके मस्त हुआ जा रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब मन इतनी खूबसूरत और खूबसूरत बदन वाली है उसके आगे इतनी खूबसूरत है तो उसकी लड़की कितनी खूबसूरत होगी,,,, वह अपने मन में कल्पना करता था कि शालू और नीलू की दोनों चूचियां कैसी दिखती होगी उन दोनों की गांड हालांकि उनकी मां की तरह बड़ी तो नहीं थी,,, लेकिन देखने में तरबूज की तरह गोल-गोल नजर आ रही थी सूरज तो उन दोनों के बारे में कल्पना करके ही पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड अकड़ कर दर्द करने लगा था जिसे सूरज बार-बार अपने हाथों से पजामे के ऊपर से दबा दे रहा था,,,,।
सूरज काफी बैर नीचे गिरा चुका था लेकिन फिर भी ऊपर पेड़ पर बैठकर जानबूझकर इधर लकड़ी पीट रहा था क्योंकि ऊपर खड़े होने की वजह से कुर्ती में से झांकती हुई ऊपर से उन दोनों की चूचियां एकदम साफ दिख रही थी कभी-कभी तो सूरज को उन दोनों की चूचियों के बीच की किसमिस का दाना एकदम साफ नजर आने लगता था और उसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ जाता था और इसी लालच की वजह से वह ऊपर बैठा हुआ था लेकिन जिस तरह से नीलू ने अपनी फ्रॉक को उठाई हुई थी उसकी बुर जरूर नजर आती होगी और इसी लालच की वजह से वह नीचे उतरना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)
इतना तो काफी है ना तुम दोनों के लिए,,,
हां हां बहुत हो गया है अब बस करो नीचे आ जाओ,,,,
(शालू की बात सुनते ही सूरज का दिल जोरों से धड़कने लगा वह जल्द से जल्द नीलू की बुर के दर्शन कर लेना चाहता था वह बुर की भूगोल से वाकिफ हो जाना चाहता था क्योंकि अब तक सूरज ने केवल औरतों की बुर के बारे में सिर्फ सुना था उसे अपनी आंखों से देखा नहीं था इसीलिए उसकी उत्सुकता कुछ ज्यादा ही थी बुर को देखने के लिए,,,, इसलिए वह जल्दी से पेड़ से नीचे उतरने लगा लेकिन तब तक नीलू अपनी फ्रॉक में इकट्ठा किए हुए बैर को शालू के कमीज जिसमें वह खुद ढेर सारे बेर इकट्ठा की थी उसमें डाल दी,,,,,, और नीलू को इस तरह से करता हुआ वह पेड़ से उतरने से पहले ही देख लिया था इसलिए उसका मन एकदम से उदास हो गया वह मन ही मन थोड़ा गुस्सा भी होने लगा,,,, लेकिन कर भी क्या सकता था वह नीलू पर तो अपना गुस्सा दिखा नहीं सकता था उसे ऐसा तो नहीं कह सकता था कि थोड़ी देर और बैर को फ्रॉक में उठाकर नहीं रख सकती थी,,,,,।
खैर इतनी मेहनत करने के बाद उसके हाथ निराशा ही लगी थी वह पेड़ से नीचे उतर गया था,,,।
अब क्या करना है,,,,
रुक जाओ थोड़ी देर यहीं पर थोड़ा खा लेते हैं फिर घर जाकर खाएंगे तुम भी लो,,,(इतना कहते हुए शालू अपने हाथ में एक बड़ा सा बैर लेकर सूरज की तरफ आगे बढ़ाने लगी वैसे तो सूरज को बैर इतने पसंद नहीं थे लेकिन शालू को वह इनकार नहीं कर पाया और अपना हाथ आगे बढ़कर उसके हाथ से बेर को लेने लगा लेकिन ऐसा करने से शालू के नरम नरम उंगलियों का स्पर्श उसके हाथों पर होने लगा,,, और पहली बार किसी जवान लड़की के हाथों का स्पर्श उसकी उंगलियों से हो रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वैसे तो उसकी खुद की बहन एकदम जवान थी जिसका स्पर्श उसे हमेशा ही होता रहता था लेकिन तब उसके मन में औरतों के प्रति इतना आकर्षक नहीं था इसलिए उसे समय अपनी बहन का स्पर्श उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था लेकिन अब तो उसकी मां पूरी तरह से बदल चुका था वह औरतों की तरफ जवान लड़कियों की तरफ पूरी तरह से आकर्षित होने लगा था इसलिए इस समय शालू की उंगलियों का स्पर्श उसे बेहद लुभावना और आनंदित कर देने वाला लग रहा था,,,, वह भी बैर खाना शुरू कर दिया और तिरछी नजर से नीलू की फ्रॉक की तरफ देख रहा था जो कि उसकी फ्रॉक घुटनों तक थी और घुटनों के नीचे की मांसल पिंडलियों को देखकर उसके लंड में ठुनकी आना शुरू हो गई,,, क्योंकि मांसल पिंडलियों को देखकर ही नीलू के गदरा६ बदन का जायजा लगाना आसान हो जा रहा था वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई बेलगाम घोड़ी नजर आ रही थी,,,, सूरज बार-बार उसके नितंबों की तरफ देखने की कोशिश कर रहा था जो की फ्रॉक में कुछ खास नजर नहीं आ रहा था लेकिन शालू के सलवार कमीज की वजह से उसके नितंबों का आकार एकदम साफ नजर आ रहा था वह कई हुई सलवार पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसके नितंबों का आकार उसकी गोलाई उसका भूगोल एकदम उभर कर सामने दिखाई दे रहा था,,,, तीनों में से कोई बात नहीं कर रहा था तीनों बेर खाने में मस्त है,,,, लेकिन सूरज ऐसा जता रहा था कि मानो जैसे वह भी उन दोनों की तरह ही बेर खाने का लुफ्त उठा रहा हो,,,,, बल्कि वह बेर खाने में नहीं बल्कि दोनों बहनों की बुर के चक्कर में था,,,, कुछ देर बाद बात की शुरुआत करते हुए सूरज बोला,,,।
वैसे तुम दोनों बहने इसी तरह से अपनी मां और बाबूजी से जिद करते रहते हो या कभी-कभी,,,
सही कहूं तो मां और बाबूजी दोनों हम दोनों से एकदम से परेशान हो चुके हैं,,,(बेर खाते हुए नीलू बोली तो उसके बाद को आगे बढ़ाते हुए शालू बोल पड़ी,,,)
हम दोनों इसी तरह से हमेशा मस्ती करते रहते हैं और एक न एक चीज के लिए रोज जिद करते हैं इसीलिए मन और बाबूजी दोनों परेशान हो जाते हैं,,,,
लेकिन तुम दोनों तो बड़ी हो चुकी हो जवान हो चुकी हो और इतनी खूबसूरत भी हो,,, तो तुम दोनों को इस तरह से जीत नहीं करना चाहिए अब तो कुछ ही वर्षों में तुम दोनों की शादी करने लायक हो गई हो,,,
क्या कहा तुमने,,,, हम दोनों अभी शादी करने वाले नहीं है,,,(शादी की बात सुनकर थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए नीलू बोली लेकिन इसके विपरीत शालू शादी की बात सुनकर और अपने दोनों की खूबसूरती की तारीफ सुनकर और वह भी एक जवान लड़के से वह थोड़ा शर्मा गई उसके गाल सुर्ख लाल हो गए वह कुछ नहीं बोली बस अपनी नजर को शर्म के मारे नीचे कर ली,,,,)
लेकिन शादी की उम्र होने पर तो तुम्हारे मन और बाबूजी शादी तो कर ही देंगे और वैसे भी तुम दोनों में किसी प्रकार की कमी नहीं है तुम दोनों बहुत खूबसूरत हो,,,
हां यह तो सब कहते हैं,,,,(नीलू थोड़ा इतराते हुए बोली,,, लेकिन शालू का शर्म से बुरा हाल था,,,, वह कुछ देर के लिए बैर खाना भूल गई थी,,,,)
सब कहते होंगे लेकिन यह सही बात है वैसे तुम दोनों पढ़ाई करती हो कि नहीं,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
मैं भी नहीं करता,,,,
तब तो हम लोगों की खूब जमेगी,,,,(नीलू उत्साहित होते हुए बोली)
कैसे जमेगी थोड़ी ना हम तीनों फिर से मिलने वाले हैं,,,,
क्यों नहीं मिल सकते हम दोनों इसी तरह से बगीचे में आ जाएंगे और तुम भी चले आना और इसी तरह से बैर तोड़ कर देना,,,,(इस बार शालू बोल पड़ी न जाने क्यों शालू को भी सूरज का साथ अच्छा लग रहा था,,,, शालू की बात सुनकर सूरज बोला)
अरे बेर का मौसम थोड़ी ना 12 महीना रहता है,,,,
तो क्या हुआ जिस फल का मौसम रहेगा उसी बहाने आ जाना,,,।(नीलू बोली,,,)
दोनों बहनों से बातें करना सूरज को अच्छा लग रहा था दोनों से बातें करते हुए सूरज कैसा लगने लगा था कि यहां कुछ बात बन सकती है लेकिन सूरज दूसरे लड़कों की तरह आवारा नहीं था वरना जिस तरह से दोनों से बातें हो रही थी अगर सूरज की जगह कोई दूसरा लड़का होता तो अब तक वह अपने मन की बात दोनों से कह दिया होता,,,, कुछ देर तक तीनों में इसी तरह से इधर-उधर की बातें होती रही लेकिन जब थोड़ा समय ज्यादा होने लगा तो शालू बोली,,,)
अब हमें चलना चाहिए काफी समय हो गया है,,,,
हां सही कह रही हो शालू नहीं तो तुम्हारे मां बाबूजी चिंता करेंगे,,,, लेकिन इतने सारे बैर,,(शालू की कुर्ती में ढेर सारे बर देखकर )घर ले कैसे जाओगी,,,,
हां यह तो मैंने सोचा ही नहीं कुछ रखने का थैला भी नहीं है,,,,
तुम्हारा दुपट्टा है ना उसमें रख लो,,,,
नहीं नहीं ऐसा करूंगी तो मा बहुत बिगड़ेगी,,,,
ऊमम,,,(सोतते हुए) तो कैसे ले जाओगी,,, अच्छा रुको,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपना कुर्ता निकालने लगा यह देखकर नीलू बोली,,, )
अरे अरे यह क्या कर रहे हो,,,,?
अरे इसी में ढेर सारे बर रख लो मैं बांध देता हूं फिर कल मेरा कुर्ता लेते आना,,,( सूरज जानबूझकर अपना कुर्ता देकर फिर से मिलने का जुगाड़ बना रहा था और देखते ही देखते सूरज अपना कुर्ता निकाल दिया और उसमें ढेर सारे बेर शालू की कुर्ती से गिराकर उसे कस के बांधकर एक पोटली बना दिया,,,, और जब उस पोटली को शालू को थमाने लगा तो शालू की नजर उसके नंगे बदन पर गई तो वह देखते ही रह गई एकदम चौड़ी छाती एकदम चिकनी एकदम गठीला बदन सूरज का मोहक स्वरूप देख कर एकदम से आकर्षित होने लगी और यही हाल नीलू का भी होने लगा हुआ अभी एक टक सूरज की नंगी छाती को देखने लगी और दोनों को इस तरह से देखकर सूरज मैन ही मन प्रसन्न हो रहा था शालू सूरज के हाथों से बेर की पोटली को ले ली,,,, और जैसे ही चलने को हुए वैसे ही नीलू की चीख निकल गई,,,)
हाय दइया मर गई रे,,,,,आहहहहह,,,,
क्या हुआ,,,?(एकदम से सूरज और शालू नीलू की तरफ देखते हुए बोले,,)
पैर में कांटा लग गया मैं तो मर गई बहुत बड़ा कांटा लगता है,,,,(वह एकदम दर्द से बिलबिलाते हुए बोली,,, वह एक पर को ऊपर उठा दी थी और एक पैर से लंगड़ा रही थी कि तभी सूरज को लगा कि वह गिरने वाली है और वह तुरंत आगे बढ़ाकर उसे थाम लिया और एक पत्थर पर बैठा दिया,,,,)
हाय दइया बड़ा दर्द कर रहा है,,,,(नीलू एकदम से दर्द भरे स्वर में बोली शालू उसके पास पहुंचकर,, बोली,,,)
तू चिल्लाना बंद कर,,, छोटा सा कांटा लगा है,,,
दिखाओ कहां लगा है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज घुटनों के बल बैठकर नीलू की टांग को पड़कर उसे थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर उसके पैर के तलवे की तरफ देखने लगा जिसमें वाकई में बड़ा सा कांटा छुपा हुआ था वह थोड़ा पैर उठाने की वजह से पीछे की तरफ झुक गई थी जिसे खुद शालू ने सहारा देकर संभाली हुई थी,,,,)
अरे अभी निकाल देता हूं तुम तो खामखा इतना चिल्ला रही हो,,,
अरे सच में मुझे बहुत दर्द कर रहा है जल्दी से निकालो,,
अरे हां अभी निकाल देता हूं,,,,, बस थोड़ा सा सब्र रखना कांटा कुछ ज्यादा ही अंदर घुस गया है,,,,(इतना कहते हुए सूरज थोड़ा सा टांग को और ऊपर की तरफ ले गया और कांटा को अपने हाथों की उंगलियों में पकड़ कर उसे खींचने वाला था कि उसकी नजर नीलू की दोनों टांगों के बीच चली गई जो की फ्रॉक पहने होने की वजह से फ्रॉक कुछ ज्यादा ही जनों के ऊपर चढ़ गई थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार एकदम साफ नजर आ रही थी यह सूरज के लिए पहला मौका था जब वह किसी खूबसूरत लड़की की बुर को देख रहा था एकदम खूबसूरत बुर जिसकी आज तक सूरज ने केवल कल्पना ही किया था,,, ।
कुछ पल के लिए तो सूरज को समझ में ही नहीं आया कि नीलू की दोनों टांगों के बीच वह पतली दरार एक पतली सी रेखा आखिर है क्या लेकिन थोड़ी देर में उसके दिमाग में जैसे घंटी बजी हो और वह तुरंत समझ गया कि वह पतली सी दरार से दिखने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि नीलू की बुर हैं और इतना समझ में आते ही तो उसके होश उड़ गए,,,, पल भर में ही सोया हुआ लंड एकदम से फिर से खड़ा हो गया,,, सूरज उसे मनमोहिनी प्यारी सी गुलाबी से अंग पर एकदम से मोहित हो गया इतना खूबसूरत नजारा सूरज ने आज तक नहीं देखा था फ्रॉक के अंदर झांकती हुई नीलू की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी लेकिन उसे इस बात का भी एहसास हो रहा था कि नीलू की बुर पर उसकी मां की बुर की तरह उगे हुए बाल ज्यादा घने नहीं थे बस हल्के-हल्के रेशमी से दिख रहे थे,,,,,,, जो की कचोरी की तरह दरार के इर्द-गिर्द वाली जगह फूली हुई थी जिसे देखकर दुनिया का कोई भी मर्द नीलू की जवानी पर मोहित हो सकता था आज सूरज अपने आप को बेहद खुश नसीब इंसान समझ रहा था क्योंकि कल्पना में मदहोश कर देने वाला अंग उसे एकदम साफ नजर आ रहा था कुछ देर के लिए सूरज सब कुछ भूल गया वह यह भी भूल गया कि नीलू के पैर में से छुपा हुआ कांटा बाहर निकलना है वह पागलों की तरह मदहोश होकर एक तक नीलू की दोनों टांगों के बीच की उसे पतली दरार की तरफ देखे जा रहा था,,,,,।
नीलू तो पूरी तरह से बदहवास थी वह दर्द से पीड़ित थी उसे कुछ सोच नहीं रहा था उसे क्या मालूम था कि जिस तरह से वह बैठी हुई है जिस तरह से सूरज उसकी टांग को ऊपर उसके कंधों तक उठाया हुआ है ऐसे हालात में उसकी चिकनी बुर एकदम साफ नजर आती होगी,,, लेकिन शालू को जल्द ही पता चल गया कि माजरा क्या है वह जल्द ही सूरज की नजरों को पहचान गई कि उसका निशाना कहां लगा हुआ है और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो उसके बदन में भी उत्तेजना की सुरसुरी द१ड़ने लगी वह एकदम से सिहर उठी,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह समझ गई की नीलू की बुर सूरज देख रहा है सूरज को नीलू की बुर एकदम साफ नजर आ रही है यह एहसास होते ही वह अपने मन में ही बोली,,,।
हाय दइया यह सूरज क्या देख रहा है इसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही है,,,, अब क्या करूं कैसे उसे रोकु आखिरकार उसने जानबूझकर तो ऐसा किया नहीं है,,, उसकी जगह कोई भी होगा तो अगर इस नजारे को देखेगा तो वह देखता ही रह जाएगा,,,, जब शालू को लगने लगा कि सूरज पूरी तरह से मंत्र मुग्ध हो गया है उसकी बहन की बुर देखकर तो वह खुद ही बोली,,,।
अरे सूरज क्या कर रहे हो जल्दी से कांटा निकालो,,,
आं,,,,(शालू की है बात सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे सूरज को कोई गहरी नींद से जगाया हो वह एकदम से शक पका गया और अपनी चोरी पकड़ी ना जाए इसलिए एकदम से होश में आते हुए बोला,,,)
हा,,,हा,,, निकल रहा हूं कांटा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,(सूरज को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी ईस आंखों की चोरी को कोई देख नहीं पाया है लेकिन शालू समझ गई थी और वह धीरे-धीरे कांटे को निकलना शुरू कर दिया लेकिन उसकी नज़रें लगातार नीलू की फ्रॉक के अंदर टिकी हुई थी सूरज को नीलू की बुर पर उपसी हुई पानी की बूंद जो की मोती के दाने की तरह चमक रही थी एकदम साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी थी,,,। सूरज का मन उसे पतली दरार से अपनी नजर को हटाने को नहीं हो रहा था,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि काश यह वक्त यही रुक जाए और वह उस खूबसूरत बुर को बस देखता ही रहे,,,, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था वह जोर से खींच कर कांटे को निकाल दिया कुछ देर के लिए उसमें से खून निकला और उसे जगह पर सूरज ने तुरंत अपना अंगूठा लगाकर उसे खून को बंद करने के बहाने कुछ देर तक इस तरह से फिर से टांग उठाए रखा,,,।
इसमें तो होश कर देने वाले नजारे को देखकर सूरज की हालत एकदम खराब होती जा रही थी उसकी सांसे उत्तेजना के मारे गहरी चलने लगी थी,,, वह किसी भी बहाने से नीलू की बुर को नजर भर कर देख लेना चाहता था इतने करीब से वह पहली बार किसी खूबसूरत लड़की की बुर को देख रहा था उसकी मखमली नरमाहट को वह अपनी आंखों से ही टटोलने की कोशिश कर रहा था,,,, और सूरज की हरकत को देखकर खुद शालू की हालत खराब होती जा रही थी साल उसकी निगाहों को देखकर शर्म से भरी जा रही थी,,,, यहां तक की सूरज की हरकत की वजह से उसकी खुद की बुर गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ रही थी उसे अपने बदन में अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी,,,,।
आखिरकार इस नजारे पर पर्दा तो पडना ही था,, हालांकि सूरज का मन तो बिल्कुल भी इससे खूबसूरत नजारे पर परदा गिरने को नहीं भरा था लेकिन नीलू ही बोल पड़ी,,,।
बस बस अब मुझे सही लग रहा है,,,,(वह तो पूरी तरह से सहज थी उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था कि उसकी टांग ऊपर उठने की वजह से उसकी बुर सूरज के एकदम साफ दिखाई दे रही थी वरना वह इस तरह से टांग ऊपर उठाई ना रहती,,,, नीलू की बात सुनकर वहां मन महसूस कर उसकी टांग को नीचे रख दिया और फिर वह धीरे से खड़ा हो गया लेकिन इस बार चालू एकदम चौंक गई और नीलू की भी नजर उसके पजामे में बने तंबू पर गई तो वह भी हल्के से मुस्कुरा दी सूरज इस बात से बेखबर था की उत्तेजना के मारे उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है क्योंकि उसके उठने की वजह से उसका तंबू उन दोनों जवान लड़कियों को एकदम साफ नजर आने लगा था नीलू को तो उतना फर्क नहीं पड़ा था लेकिन शालू की बुर उत्तेजना के मारे फुल ने पिचकने लगी थी क्योंकि दोनों जवान थी और दोनों को इस बात का एहसास था कि जिस तरह से औरतों की टांगों के बीच मर्दों को लुखाने वाली छोटी सी चीज होती है इस तरह से मर्दों की टांगों के बीच भी औरतों को लुभाने वाला उनका कड़क अंग होता है जिसे लंड कहा जाता है,,,,।
सूरज को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके पजामे में तंबू बना हुआ है वह तो नीलू की खूबसूरत बुर की याद में ही खोया हुआ था और वह तुरंत उठकर खड़ा हो गया और आगे आगे चलने लगा,,,,, सूरज खोया था नीलू की मध भरी बुर के ख्यालों में और दोनों बहने सूरज के तंबू के ख्यालों में पूरी तरह से खो गई थी,,,,, थोड़ी ही देर में तीनों मुखिया के और मुखिया की बीवी के पास पहुंच चुके थे अपनी दोनों बेटियों को देखकर मुखिया की बीवी बोली,,,।
मन भर गया बैर खाकर,,, न जाने कब अक्कल आएगी,,,(इतना कहते हुए तभी उसकी नजर सूरज की खुली छाती पर गई तो वह उसे देखते ही रह गई उन दोनों बहनों के साथ-साथ मुखिया की बीवी की भी नजर सूरज की नंगी छाती पर पडते ही वह पूरी तरह से सूरज क्या आकर्षण में खो गई,,,, और अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)
अरे सूरज तेरा कुर्ता कहां गया,,,,?
शालू के हाथों में,,,,(शालू के हाथों में ली हुई पोटली की तरफ इशारा करते हुए सूरज ने बोला तो,,,, शालू के हाथों में कुर्ते की बनी हुई पोटली देखकर मुखिया की बीवी बोली,,,)
तुम दोनों नहीं सुधरोगी,,,,
कोई बात नहीं मालकिन मैं बाद में ले लूंगा,,,,
(और इतना कहकर वहां से चला गया)
Awesomeसूरज ने मुखिया की दोनों लड़कियों की जीद को अपनी आंखों से देख चुका था,,,, बार-बार मुखिया की बीवी के समझाने के बावजूद भी वह दोनों बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थी और इसी जीत के कारण सूरज को बैर खिलाने के लिए उन दोनों लड़कियों को साथ में ले जाना पड़ा वैसे यह कोई,,, सूरज के लिए बेकार का काम नहीं था क्योंकि औरतों को देखने का नजरिया जिस तरह से सूरज का बदला था उसे देखते हुए उसकी आंखों के सामने दो-दो खूबसूरत जवान लड़कियां थी जो की पूरी तरह से भरे हुए बदन की थी,,,, अपने दोस्त सोनू और मुखिया की बीवी के नंगे बदन को देखकर जितना भी उसने सीखा था उसे देखते हुए बार-बार सूरज की नजर दोनों लड़कियों की छाती और उसके नितंबों पर जा रही थी जो कि वाकई में जानलेवा हुस्न से भरी हुई थी,,,।
देखते ही देखते सूरज बैर के बगीचे तक पहुंच चुका था और बातों ही बातों में वह दोनों लड़कियों का नाम भी जान गया था बड़ी वाली का नाम शालू था और छोटी वाली का नीलू नाम था,,,, वैसे भी सूरज को अब नाम से कोई लेना-देना नहीं था वह औरतों को उनके जिस्म से आंकना शुरू कर दिया था,,, क्योंकि सुबह-सुबह ही वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था झाड़ू लगाते समय उसकी मां की चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर थी और यह नजारा देखकर सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, और इस नजारे के चलते सूरज मुखिया की बीवी के पास आया था ताकि मुखिया की बीवी के अंगों का प्रदर्शन वह अपनी आंखों से देख सके लेकिन मुखिया को भी मौजूद देखकर,,, सूरज के अरमानों पर ठंडा पानी गिर गया था लेकिन मुखिया की दोनों लड़कियों को बैर खिलाने के लिए बगीचे में ले जाने में ही सूरज पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,
दैया रे दैया यहां तो बहुत सारे बर हैं छोटे बड़े पके हुए कच्चे,,,,(शालू चारों तरफ नजर घुमा कर देखते हुए बोली)
यह बैर का बगीचा है,,, वैसे भी यह सब मुखिया जी का ही है जितना चाहे उतना खा सकती हो,,,(सूरज शालू के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए बोला,,, अपनी बड़ी बहन की और में सुर मिलाते हुए नीलू भी बोली,,,)
सच कह रही हो दीदी मेरा तो देख कर ही पेट भर गया,,,, वैसे भी हम दोनों पहली बार इस जगह पर आ रहे हैं ना,,,
हां तो सच कह रही है नीलू,,,, मां हम दोनों को यहां कहां लेकर आती है यह तो आज हम दोनों जबरदस्ती घर से निकल कर आए हैं,,,,
तुम दोनों तो ऐसा लगता है कि बेर खाने की दीवानी हो,,,,
हां तुम सच कह रहे हो सूरज,,,, हम दोनों बहनों को बेर बहुत अच्छे लगते हैं,,,,
(शालू एकदम से खुश होते हुए बोली तो,,, शालू की बात सुनकर सूरज अपने मन में ही बोला,,, तुम दोनों बहनों को बेर पसंद है लेकिन मुझे बुर पसंद है लेकिन न जाने कब दर्शन होंगे,,,)
तुम दोनों रुको मैं तोड़कर देता हूं वरना कांटा लग गया तो गजब हो जाएगा,,,, संभलकर नीलू तुम जहां खड़ी हो वहां ढेर सारे कांटे हैं,,,
(सूरज की बात सुनते ही नीलू और शालू दोनों नीचे जमीन की तरफ देखने लगी जो कि वाकई में जहां तहां पेड़ से कांटे गिरे हुए थे,,,, वह दोनों अब अपने पैर को संभाल कर रखने लगी,,,)
अच्छा हुआ तुम बता दिए वरना अभी तो पैर में कांटा चुभ जाता,,,,(नीलू अपने पैरों को संभाल कर जमीन पर रखते हुए बोली)
अच्छा तुम दोनों आराम से खड़ी रहो मैं ऊपर चढ़कर बर तोड़कर नीचे गिरता हूं तुम दोनों आराम से उठाना ज्यादा इधर-उधर भागोगी तो कांटा लग जाएगा फिर मुझे मत कहना,,,,
लेकिन कहीं तुम्हें पेड़ पर चढ़ते समय लग गया तो,,,
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मैं तो आए दिन पेड़ पर चढ़ता रहता हूं,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज धीरे-धीरे एक बैर के पेड़ पर चढ़ने लगा उस पर बड़े-बड़े फल लगे हुए थे,,,,, देखते ही देखते सूरज पेड़ पर चढ़ गया था वैसे तो बेर के पेड़ को ज्यादा बड़े नहीं होते लेकिन सबर कर चढ़ना बहुत जरूरी होता है क्योंकि पेड़ में कांटे ही काटे रहते हैं,,,, और सूरज अच्छी सी जगह देखकर अपने पैर को टिककर बड़े से टहनी पर बैठ गया और बोला,,,)
तुम शालु वह बड़ी वाली लकड़ी देना तो,,,,
कौन सी ऐ वाली,,,,,,(एक बड़ी सी लकड़ी की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली,,,)
हां वही वाली,,,,,,,
(और शालू उसे लकड़ी को उठाकर सूरज के हाथों में पकड़ा दी और सूरज बड़े-बड़े बेर पर लकड़ी मारकर उसे नीचे गिरने लगा और देखते ही देखते ढेर सारे बेर नीचे गिरने लगे शालू ने तुरंत अपनी कमीज को हाथों से पकड़ कर आगे की तरफ करके उसमें सारे बैर को उठाकर भरने लगी और पेड़ से गिरने वाले बैर को उसमें गिराने लगी,,,,,,, सूरज को दोनों जवान लड़कियों का साथ बड़ा अच्छा लग रहा था सूरज पेड़ के ऊपर से दोनों को देख रहा था दोनों की हठखेलियों को देख रहा था दोनों की हरकतों को देख रहा था,,,, सूरज की नजर भी अब औरतों के अंगों पर पड़ने लगी थी ऊपर पेड़ पर बैठे होने की वजह से नीचे खड़ी शालू और नीलू दोनों की कुर्ती में से ऊपर की तरफ से दोनों की चूचियां झलक रही थी हालांकि है नजारा कुछ क्षण तक का ही होता था लेकिन इतने में ही सूरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, सूरज जानबूझकर दोनों लड़कियों को अपने ठीक नीचे आकर बैर उठाने के लिए बोलना था और वह दोनों लड़कियां ठीक उसके नीचे आकर बर उठती थी और पेड़ से गिरने वाली वर को अपने कपड़ों में ले भी लेती थी लेकिन जिस तरह की हरकत चालू कर रही थी उसी तरह की हरकत नीलू भी कर रही थी वह भी अपनी फ्रॉक को आगे से उठाकर बैर को उसमें गिरने दे रही थी लेकिन उसकी इस हरकत की वजह से,,, सूरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था क्योंकि शालू का तो ठीक लेकिन नीलू भी शालू की तरह ही अपना फ्रॉक ऊपर उठाकर बैर उसमें पेड़ से गिरने वाले बैर को इकट्ठा कर रही थी और उसकी हरकत पर सूरज को पूरा यकीन था कि वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो जाती होगी उसकी रसीली बुर एकदम साफ दिखती होगी,,, और इसी के बारे में सोच कर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,।)
नीलू अच्छे से थोड़ा संभल कर नहीं तो कांटा चुभ जाएगा,,,
तुम चिंता मत करो कुछ नहीं होगा,,,(और ऐसा कहते हुए नीलू और उसकी बहन शालू दोनों खिलखिला कर हंसते हुए बेर को खा भी रहे थे और उसे इकट्ठा भी कर रहे थे,,,, बगीचे में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था केवल उन दोनों बहनों की ही आवाज आ रही थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और ऐसे अकेलेपन में दो जवान लड़कियों का साथ पाकर सूरज का उत्तेजित होना लाजिमी था वैसे भी वह कुछ दिनों में जिस तरह के नजारे को अपनी आंखों से देखा था उसे देखकर वह औरतों के अंगों के बारे में कल्पना करने लगता था,,,,।
सूरज ने मुखिया की बीवी के अंगों को तो अपनी आंखों से देख चुका था और साथ ही सोनू की चाची की नंगी गांड और उसे पेशाब करता हुआ देख चुका था इसलिए वह शालू और नीलू दोनों के नंगे बदन की कल्पना करके मस्त हुआ जा रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब मन इतनी खूबसूरत और खूबसूरत बदन वाली है उसके आगे इतनी खूबसूरत है तो उसकी लड़की कितनी खूबसूरत होगी,,,, वह अपने मन में कल्पना करता था कि शालू और नीलू की दोनों चूचियां कैसी दिखती होगी उन दोनों की गांड हालांकि उनकी मां की तरह बड़ी तो नहीं थी,,, लेकिन देखने में तरबूज की तरह गोल-गोल नजर आ रही थी सूरज तो उन दोनों के बारे में कल्पना करके ही पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड अकड़ कर दर्द करने लगा था जिसे सूरज बार-बार अपने हाथों से पजामे के ऊपर से दबा दे रहा था,,,,।
सूरज काफी बैर नीचे गिरा चुका था लेकिन फिर भी ऊपर पेड़ पर बैठकर जानबूझकर इधर लकड़ी पीट रहा था क्योंकि ऊपर खड़े होने की वजह से कुर्ती में से झांकती हुई ऊपर से उन दोनों की चूचियां एकदम साफ दिख रही थी कभी-कभी तो सूरज को उन दोनों की चूचियों के बीच की किसमिस का दाना एकदम साफ नजर आने लगता था और उसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ जाता था और इसी लालच की वजह से वह ऊपर बैठा हुआ था लेकिन जिस तरह से नीलू ने अपनी फ्रॉक को उठाई हुई थी उसकी बुर जरूर नजर आती होगी और इसी लालच की वजह से वह नीचे उतरना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)
इतना तो काफी है ना तुम दोनों के लिए,,,
हां हां बहुत हो गया है अब बस करो नीचे आ जाओ,,,,
(शालू की बात सुनते ही सूरज का दिल जोरों से धड़कने लगा वह जल्द से जल्द नीलू की बुर के दर्शन कर लेना चाहता था वह बुर की भूगोल से वाकिफ हो जाना चाहता था क्योंकि अब तक सूरज ने केवल औरतों की बुर के बारे में सिर्फ सुना था उसे अपनी आंखों से देखा नहीं था इसीलिए उसकी उत्सुकता कुछ ज्यादा ही थी बुर को देखने के लिए,,,, इसलिए वह जल्दी से पेड़ से नीचे उतरने लगा लेकिन तब तक नीलू अपनी फ्रॉक में इकट्ठा किए हुए बैर को शालू के कमीज जिसमें वह खुद ढेर सारे बेर इकट्ठा की थी उसमें डाल दी,,,,,, और नीलू को इस तरह से करता हुआ वह पेड़ से उतरने से पहले ही देख लिया था इसलिए उसका मन एकदम से उदास हो गया वह मन ही मन थोड़ा गुस्सा भी होने लगा,,,, लेकिन कर भी क्या सकता था वह नीलू पर तो अपना गुस्सा दिखा नहीं सकता था उसे ऐसा तो नहीं कह सकता था कि थोड़ी देर और बैर को फ्रॉक में उठाकर नहीं रख सकती थी,,,,,।
खैर इतनी मेहनत करने के बाद उसके हाथ निराशा ही लगी थी वह पेड़ से नीचे उतर गया था,,,।
अब क्या करना है,,,,
रुक जाओ थोड़ी देर यहीं पर थोड़ा खा लेते हैं फिर घर जाकर खाएंगे तुम भी लो,,,(इतना कहते हुए शालू अपने हाथ में एक बड़ा सा बैर लेकर सूरज की तरफ आगे बढ़ाने लगी वैसे तो सूरज को बैर इतने पसंद नहीं थे लेकिन शालू को वह इनकार नहीं कर पाया और अपना हाथ आगे बढ़कर उसके हाथ से बेर को लेने लगा लेकिन ऐसा करने से शालू के नरम नरम उंगलियों का स्पर्श उसके हाथों पर होने लगा,,, और पहली बार किसी जवान लड़की के हाथों का स्पर्श उसकी उंगलियों से हो रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वैसे तो उसकी खुद की बहन एकदम जवान थी जिसका स्पर्श उसे हमेशा ही होता रहता था लेकिन तब उसके मन में औरतों के प्रति इतना आकर्षक नहीं था इसलिए उसे समय अपनी बहन का स्पर्श उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था लेकिन अब तो उसकी मां पूरी तरह से बदल चुका था वह औरतों की तरफ जवान लड़कियों की तरफ पूरी तरह से आकर्षित होने लगा था इसलिए इस समय शालू की उंगलियों का स्पर्श उसे बेहद लुभावना और आनंदित कर देने वाला लग रहा था,,,, वह भी बैर खाना शुरू कर दिया और तिरछी नजर से नीलू की फ्रॉक की तरफ देख रहा था जो कि उसकी फ्रॉक घुटनों तक थी और घुटनों के नीचे की मांसल पिंडलियों को देखकर उसके लंड में ठुनकी आना शुरू हो गई,,, क्योंकि मांसल पिंडलियों को देखकर ही नीलू के गदरा६ बदन का जायजा लगाना आसान हो जा रहा था वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई बेलगाम घोड़ी नजर आ रही थी,,,, सूरज बार-बार उसके नितंबों की तरफ देखने की कोशिश कर रहा था जो की फ्रॉक में कुछ खास नजर नहीं आ रहा था लेकिन शालू के सलवार कमीज की वजह से उसके नितंबों का आकार एकदम साफ नजर आ रहा था वह कई हुई सलवार पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसके नितंबों का आकार उसकी गोलाई उसका भूगोल एकदम उभर कर सामने दिखाई दे रहा था,,,, तीनों में से कोई बात नहीं कर रहा था तीनों बेर खाने में मस्त है,,,, लेकिन सूरज ऐसा जता रहा था कि मानो जैसे वह भी उन दोनों की तरह ही बेर खाने का लुफ्त उठा रहा हो,,,,, बल्कि वह बेर खाने में नहीं बल्कि दोनों बहनों की बुर के चक्कर में था,,,, कुछ देर बाद बात की शुरुआत करते हुए सूरज बोला,,,।
वैसे तुम दोनों बहने इसी तरह से अपनी मां और बाबूजी से जिद करते रहते हो या कभी-कभी,,,
सही कहूं तो मां और बाबूजी दोनों हम दोनों से एकदम से परेशान हो चुके हैं,,,(बेर खाते हुए नीलू बोली तो उसके बाद को आगे बढ़ाते हुए शालू बोल पड़ी,,,)
हम दोनों इसी तरह से हमेशा मस्ती करते रहते हैं और एक न एक चीज के लिए रोज जिद करते हैं इसीलिए मन और बाबूजी दोनों परेशान हो जाते हैं,,,,
लेकिन तुम दोनों तो बड़ी हो चुकी हो जवान हो चुकी हो और इतनी खूबसूरत भी हो,,, तो तुम दोनों को इस तरह से जीत नहीं करना चाहिए अब तो कुछ ही वर्षों में तुम दोनों की शादी करने लायक हो गई हो,,,
क्या कहा तुमने,,,, हम दोनों अभी शादी करने वाले नहीं है,,,(शादी की बात सुनकर थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए नीलू बोली लेकिन इसके विपरीत शालू शादी की बात सुनकर और अपने दोनों की खूबसूरती की तारीफ सुनकर और वह भी एक जवान लड़के से वह थोड़ा शर्मा गई उसके गाल सुर्ख लाल हो गए वह कुछ नहीं बोली बस अपनी नजर को शर्म के मारे नीचे कर ली,,,,)
लेकिन शादी की उम्र होने पर तो तुम्हारे मन और बाबूजी शादी तो कर ही देंगे और वैसे भी तुम दोनों में किसी प्रकार की कमी नहीं है तुम दोनों बहुत खूबसूरत हो,,,
हां यह तो सब कहते हैं,,,,(नीलू थोड़ा इतराते हुए बोली,,, लेकिन शालू का शर्म से बुरा हाल था,,,, वह कुछ देर के लिए बैर खाना भूल गई थी,,,,)
सब कहते होंगे लेकिन यह सही बात है वैसे तुम दोनों पढ़ाई करती हो कि नहीं,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
मैं भी नहीं करता,,,,
तब तो हम लोगों की खूब जमेगी,,,,(नीलू उत्साहित होते हुए बोली)
कैसे जमेगी थोड़ी ना हम तीनों फिर से मिलने वाले हैं,,,,
क्यों नहीं मिल सकते हम दोनों इसी तरह से बगीचे में आ जाएंगे और तुम भी चले आना और इसी तरह से बैर तोड़ कर देना,,,,(इस बार शालू बोल पड़ी न जाने क्यों शालू को भी सूरज का साथ अच्छा लग रहा था,,,, शालू की बात सुनकर सूरज बोला)
अरे बेर का मौसम थोड़ी ना 12 महीना रहता है,,,,
तो क्या हुआ जिस फल का मौसम रहेगा उसी बहाने आ जाना,,,।(नीलू बोली,,,)
दोनों बहनों से बातें करना सूरज को अच्छा लग रहा था दोनों से बातें करते हुए सूरज कैसा लगने लगा था कि यहां कुछ बात बन सकती है लेकिन सूरज दूसरे लड़कों की तरह आवारा नहीं था वरना जिस तरह से दोनों से बातें हो रही थी अगर सूरज की जगह कोई दूसरा लड़का होता तो अब तक वह अपने मन की बात दोनों से कह दिया होता,,,, कुछ देर तक तीनों में इसी तरह से इधर-उधर की बातें होती रही लेकिन जब थोड़ा समय ज्यादा होने लगा तो शालू बोली,,,)
अब हमें चलना चाहिए काफी समय हो गया है,,,,
हां सही कह रही हो शालू नहीं तो तुम्हारे मां बाबूजी चिंता करेंगे,,,, लेकिन इतने सारे बैर,,(शालू की कुर्ती में ढेर सारे बर देखकर )घर ले कैसे जाओगी,,,,
हां यह तो मैंने सोचा ही नहीं कुछ रखने का थैला भी नहीं है,,,,
तुम्हारा दुपट्टा है ना उसमें रख लो,,,,
नहीं नहीं ऐसा करूंगी तो मा बहुत बिगड़ेगी,,,,
ऊमम,,,(सोतते हुए) तो कैसे ले जाओगी,,, अच्छा रुको,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपना कुर्ता निकालने लगा यह देखकर नीलू बोली,,, )
अरे अरे यह क्या कर रहे हो,,,,?
अरे इसी में ढेर सारे बर रख लो मैं बांध देता हूं फिर कल मेरा कुर्ता लेते आना,,,( सूरज जानबूझकर अपना कुर्ता देकर फिर से मिलने का जुगाड़ बना रहा था और देखते ही देखते सूरज अपना कुर्ता निकाल दिया और उसमें ढेर सारे बेर शालू की कुर्ती से गिराकर उसे कस के बांधकर एक पोटली बना दिया,,,, और जब उस पोटली को शालू को थमाने लगा तो शालू की नजर उसके नंगे बदन पर गई तो वह देखते ही रह गई एकदम चौड़ी छाती एकदम चिकनी एकदम गठीला बदन सूरज का मोहक स्वरूप देख कर एकदम से आकर्षित होने लगी और यही हाल नीलू का भी होने लगा हुआ अभी एक टक सूरज की नंगी छाती को देखने लगी और दोनों को इस तरह से देखकर सूरज मैन ही मन प्रसन्न हो रहा था शालू सूरज के हाथों से बेर की पोटली को ले ली,,,, और जैसे ही चलने को हुए वैसे ही नीलू की चीख निकल गई,,,)
हाय दइया मर गई रे,,,,,आहहहहह,,,,
क्या हुआ,,,?(एकदम से सूरज और शालू नीलू की तरफ देखते हुए बोले,,)
पैर में कांटा लग गया मैं तो मर गई बहुत बड़ा कांटा लगता है,,,,(वह एकदम दर्द से बिलबिलाते हुए बोली,,, वह एक पर को ऊपर उठा दी थी और एक पैर से लंगड़ा रही थी कि तभी सूरज को लगा कि वह गिरने वाली है और वह तुरंत आगे बढ़ाकर उसे थाम लिया और एक पत्थर पर बैठा दिया,,,,)
हाय दइया बड़ा दर्द कर रहा है,,,,(नीलू एकदम से दर्द भरे स्वर में बोली शालू उसके पास पहुंचकर,, बोली,,,)
तू चिल्लाना बंद कर,,, छोटा सा कांटा लगा है,,,
दिखाओ कहां लगा है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज घुटनों के बल बैठकर नीलू की टांग को पड़कर उसे थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर उसके पैर के तलवे की तरफ देखने लगा जिसमें वाकई में बड़ा सा कांटा छुपा हुआ था वह थोड़ा पैर उठाने की वजह से पीछे की तरफ झुक गई थी जिसे खुद शालू ने सहारा देकर संभाली हुई थी,,,,)
अरे अभी निकाल देता हूं तुम तो खामखा इतना चिल्ला रही हो,,,
अरे सच में मुझे बहुत दर्द कर रहा है जल्दी से निकालो,,
अरे हां अभी निकाल देता हूं,,,,, बस थोड़ा सा सब्र रखना कांटा कुछ ज्यादा ही अंदर घुस गया है,,,,(इतना कहते हुए सूरज थोड़ा सा टांग को और ऊपर की तरफ ले गया और कांटा को अपने हाथों की उंगलियों में पकड़ कर उसे खींचने वाला था कि उसकी नजर नीलू की दोनों टांगों के बीच चली गई जो की फ्रॉक पहने होने की वजह से फ्रॉक कुछ ज्यादा ही जनों के ऊपर चढ़ गई थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार एकदम साफ नजर आ रही थी यह सूरज के लिए पहला मौका था जब वह किसी खूबसूरत लड़की की बुर को देख रहा था एकदम खूबसूरत बुर जिसकी आज तक सूरज ने केवल कल्पना ही किया था,,, ।
कुछ पल के लिए तो सूरज को समझ में ही नहीं आया कि नीलू की दोनों टांगों के बीच वह पतली दरार एक पतली सी रेखा आखिर है क्या लेकिन थोड़ी देर में उसके दिमाग में जैसे घंटी बजी हो और वह तुरंत समझ गया कि वह पतली सी दरार से दिखने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि नीलू की बुर हैं और इतना समझ में आते ही तो उसके होश उड़ गए,,,, पल भर में ही सोया हुआ लंड एकदम से फिर से खड़ा हो गया,,, सूरज उसे मनमोहिनी प्यारी सी गुलाबी से अंग पर एकदम से मोहित हो गया इतना खूबसूरत नजारा सूरज ने आज तक नहीं देखा था फ्रॉक के अंदर झांकती हुई नीलू की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी लेकिन उसे इस बात का भी एहसास हो रहा था कि नीलू की बुर पर उसकी मां की बुर की तरह उगे हुए बाल ज्यादा घने नहीं थे बस हल्के-हल्के रेशमी से दिख रहे थे,,,,,,, जो की कचोरी की तरह दरार के इर्द-गिर्द वाली जगह फूली हुई थी जिसे देखकर दुनिया का कोई भी मर्द नीलू की जवानी पर मोहित हो सकता था आज सूरज अपने आप को बेहद खुश नसीब इंसान समझ रहा था क्योंकि कल्पना में मदहोश कर देने वाला अंग उसे एकदम साफ नजर आ रहा था कुछ देर के लिए सूरज सब कुछ भूल गया वह यह भी भूल गया कि नीलू के पैर में से छुपा हुआ कांटा बाहर निकलना है वह पागलों की तरह मदहोश होकर एक तक नीलू की दोनों टांगों के बीच की उसे पतली दरार की तरफ देखे जा रहा था,,,,,।
नीलू तो पूरी तरह से बदहवास थी वह दर्द से पीड़ित थी उसे कुछ सोच नहीं रहा था उसे क्या मालूम था कि जिस तरह से वह बैठी हुई है जिस तरह से सूरज उसकी टांग को ऊपर उसके कंधों तक उठाया हुआ है ऐसे हालात में उसकी चिकनी बुर एकदम साफ नजर आती होगी,,, लेकिन शालू को जल्द ही पता चल गया कि माजरा क्या है वह जल्द ही सूरज की नजरों को पहचान गई कि उसका निशाना कहां लगा हुआ है और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो उसके बदन में भी उत्तेजना की सुरसुरी द१ड़ने लगी वह एकदम से सिहर उठी,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह समझ गई की नीलू की बुर सूरज देख रहा है सूरज को नीलू की बुर एकदम साफ नजर आ रही है यह एहसास होते ही वह अपने मन में ही बोली,,,।
हाय दइया यह सूरज क्या देख रहा है इसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही है,,,, अब क्या करूं कैसे उसे रोकु आखिरकार उसने जानबूझकर तो ऐसा किया नहीं है,,, उसकी जगह कोई भी होगा तो अगर इस नजारे को देखेगा तो वह देखता ही रह जाएगा,,,, जब शालू को लगने लगा कि सूरज पूरी तरह से मंत्र मुग्ध हो गया है उसकी बहन की बुर देखकर तो वह खुद ही बोली,,,।
अरे सूरज क्या कर रहे हो जल्दी से कांटा निकालो,,,
आं,,,,(शालू की है बात सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे सूरज को कोई गहरी नींद से जगाया हो वह एकदम से शक पका गया और अपनी चोरी पकड़ी ना जाए इसलिए एकदम से होश में आते हुए बोला,,,)
हा,,,हा,,, निकल रहा हूं कांटा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,(सूरज को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी ईस आंखों की चोरी को कोई देख नहीं पाया है लेकिन शालू समझ गई थी और वह धीरे-धीरे कांटे को निकलना शुरू कर दिया लेकिन उसकी नज़रें लगातार नीलू की फ्रॉक के अंदर टिकी हुई थी सूरज को नीलू की बुर पर उपसी हुई पानी की बूंद जो की मोती के दाने की तरह चमक रही थी एकदम साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी थी,,,। सूरज का मन उसे पतली दरार से अपनी नजर को हटाने को नहीं हो रहा था,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि काश यह वक्त यही रुक जाए और वह उस खूबसूरत बुर को बस देखता ही रहे,,,, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था वह जोर से खींच कर कांटे को निकाल दिया कुछ देर के लिए उसमें से खून निकला और उसे जगह पर सूरज ने तुरंत अपना अंगूठा लगाकर उसे खून को बंद करने के बहाने कुछ देर तक इस तरह से फिर से टांग उठाए रखा,,,।
इसमें तो होश कर देने वाले नजारे को देखकर सूरज की हालत एकदम खराब होती जा रही थी उसकी सांसे उत्तेजना के मारे गहरी चलने लगी थी,,, वह किसी भी बहाने से नीलू की बुर को नजर भर कर देख लेना चाहता था इतने करीब से वह पहली बार किसी खूबसूरत लड़की की बुर को देख रहा था उसकी मखमली नरमाहट को वह अपनी आंखों से ही टटोलने की कोशिश कर रहा था,,,, और सूरज की हरकत को देखकर खुद शालू की हालत खराब होती जा रही थी साल उसकी निगाहों को देखकर शर्म से भरी जा रही थी,,,, यहां तक की सूरज की हरकत की वजह से उसकी खुद की बुर गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ रही थी उसे अपने बदन में अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी,,,,।
आखिरकार इस नजारे पर पर्दा तो पडना ही था,, हालांकि सूरज का मन तो बिल्कुल भी इससे खूबसूरत नजारे पर परदा गिरने को नहीं भरा था लेकिन नीलू ही बोल पड़ी,,,।
बस बस अब मुझे सही लग रहा है,,,,(वह तो पूरी तरह से सहज थी उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था कि उसकी टांग ऊपर उठने की वजह से उसकी बुर सूरज के एकदम साफ दिखाई दे रही थी वरना वह इस तरह से टांग ऊपर उठाई ना रहती,,,, नीलू की बात सुनकर वहां मन महसूस कर उसकी टांग को नीचे रख दिया और फिर वह धीरे से खड़ा हो गया लेकिन इस बार चालू एकदम चौंक गई और नीलू की भी नजर उसके पजामे में बने तंबू पर गई तो वह भी हल्के से मुस्कुरा दी सूरज इस बात से बेखबर था की उत्तेजना के मारे उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है क्योंकि उसके उठने की वजह से उसका तंबू उन दोनों जवान लड़कियों को एकदम साफ नजर आने लगा था नीलू को तो उतना फर्क नहीं पड़ा था लेकिन शालू की बुर उत्तेजना के मारे फुल ने पिचकने लगी थी क्योंकि दोनों जवान थी और दोनों को इस बात का एहसास था कि जिस तरह से औरतों की टांगों के बीच मर्दों को लुखाने वाली छोटी सी चीज होती है इस तरह से मर्दों की टांगों के बीच भी औरतों को लुभाने वाला उनका कड़क अंग होता है जिसे लंड कहा जाता है,,,,।
सूरज को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके पजामे में तंबू बना हुआ है वह तो नीलू की खूबसूरत बुर की याद में ही खोया हुआ था और वह तुरंत उठकर खड़ा हो गया और आगे आगे चलने लगा,,,,, सूरज खोया था नीलू की मध भरी बुर के ख्यालों में और दोनों बहने सूरज के तंबू के ख्यालों में पूरी तरह से खो गई थी,,,,, थोड़ी ही देर में तीनों मुखिया के और मुखिया की बीवी के पास पहुंच चुके थे अपनी दोनों बेटियों को देखकर मुखिया की बीवी बोली,,,।
मन भर गया बैर खाकर,,, न जाने कब अक्कल आएगी,,,(इतना कहते हुए तभी उसकी नजर सूरज की खुली छाती पर गई तो वह उसे देखते ही रह गई उन दोनों बहनों के साथ-साथ मुखिया की बीवी की भी नजर सूरज की नंगी छाती पर पडते ही वह पूरी तरह से सूरज क्या आकर्षण में खो गई,,,, और अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)
अरे सूरज तेरा कुर्ता कहां गया,,,,?
शालू के हाथों में,,,,(शालू के हाथों में ली हुई पोटली की तरफ इशारा करते हुए सूरज ने बोला तो,,,, शालू के हाथों में कुर्ते की बनी हुई पोटली देखकर मुखिया की बीवी बोली,,,)
तुम दोनों नहीं सुधरोगी,,,,
कोई बात नहीं मालकिन मैं बाद में ले लूंगा,,,,
(और इतना कहकर वहां से चला गया)