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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

komaalrani

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ज्योति पर्व की



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कोटिशः शुभकामनाएं
 

prkin

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ||
 

vakharia

Supreme
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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..

मौसम के अचानक बेंगलोर से आ जाने से पीयूष चोंक उठा.. केबिन के अंदर जीजा-साली के बीच मीठी सी नोक-झोंक के दौरान, आशिक़ाना शायरियाँ सुनाकर पीयूष ने मौसम को पिघला ही दिया.. दोनों अधिक आगे बढ़ते उससे पहले मौसम ने उसे याद दिलाया की दोनों ऑफिस में थे और कभी भी कोई भी आ सकता था.. मजे करने के लिए आगे भी मौका मिलेगा.. सुनकर पीयूष संभल गया..

दूसरी तरफ अपनी जिस्मानी प्यास से झूंझ रही कविता ने काम के बहाने अपनी माँ के घर पर काम करते नौकर को अपने घर बुला लिया.. उसके साथ हवस का खेल शुरू ही किया था की तभी घर की डोरबेल बजी.. वो मौसम थी.. कविता के रंग में भंग पड़ गया...

अब आगे...

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सुबह का सूरज फार्महाउस के बरामदे को उजाले से भर रहा था.. जब की हाउस के अंदर.. राजेश, शीला, मदन और फाल्गुनी अधनंगी दशा में एक ही कमरे में यहाँ वहाँ लाश की तरह पड़े हुए थे..

अब वे चारों, पिछली रात के अनुभव के बाद और भी बेशर्म और बिनधास्त हो गए थे.. सुबह उठते ही मदन ने फाल्गुनी और शीला को एक के बाद एक करके चोदा था.. तब राजेश नींद में था पर अब वह जाग चुका था

आँखें खोलते ही राजेश ने कहा "लगता है, तुम लोग एक एक राउन्ड करके बैठे हुए हो"

शीला: "अब क्या करते..!!! तुम्हारी तो नींद ही नहीं उड़ रही थी.. सुबह की भूख मिटाने के लिए नाश्ता तो चाहिए ना..!!"

राजेश ने फाल्गुनी और शीला की ओर देखकर कहा "और मेरी भूख का क्या?"

यह सुनते ही ही शीला और फाल्गुनी ने अपने बचे-कूचे कपड़े उतारे और राजेश को दोनों तरफ से आलिंगन किया, बाजू के बेड पर लेटा मदन इनकी हरकतों को देखता रहा.. आधे घंटे पहले ही उसने दमदार चुदाई की थी और उसका लंड अब थोड़ा विश्राम चाहता था..

इसी बीच.. राजेश उठा और उसने कहा "एक मिनट.. पानी पीकर आता हूँ" कहते हुए वह बेडरूम से बाहर निकला और ड्रॉइंगरूम मे पड़े अपने बेग से वायग्रा की गोली निकाली और पानी के साथ गटक गया.. पिछली बार के फाल्गुनी के साथ हुए अनुभव के बाद उसने इस गोली को अपना सहारा बना लिया था.. क्योंकि इन चुदक्कड़ों की भूख मिटती ही नहीं थी औ राजेश खुद को चुदाई के मामले में निःसहाय देखना पसंद नहीं करता था.. वह आधे घंटे तक अपने मोबाइल पर मेसेज चेक करते बैठा रहा ताकि गोली अपना असर दिखा पाएँ

राजेश फिर से कमरे के अंदर दाखिल हुआ जहां शीला और फाल्गुनी उसका इंतज़ार कर रहे थे.. वह बेड पर लेटता उससे पहले ही फाल्गुनी ने बड़े ही आराम से राजेश की अन्डरवेर उतार दी.. अब वह राजेश के खड़े लंड को सहलाने लगी..

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तब तक शीला अपने निप्पल्स राजेश के मुँह में देकर उन्हें चुसवाने का आनंद ले रही थी.. अगले आधे घंटे तक शीला, राजेश और फाल्गुनी के बीच फोरप्ले और उसके बाद अलग-अलग पोज में चुदाई का किस्सा चलता रहा.. मदन आँखें फाड़-फाड़ कर वह नज़ारा देखता रहा..

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जब शीला राजेश का कड़क लौड़ा चूस रही थी, तब राजेश बड़े प्यार से फाल्गुनी की मीठी चूत को चाट रहा था.. यह सब नज़ारा देखकर स्वाभाविकतः मदन भी उत्तेजित होकर अपना लंड हिलाने में लग गया..

अब मदन ने राजेश से चिपकी हुई फाल्गुनी को अपनी ओर खींचा और दोनों सिक्सटी नाइन की पोज में सुख देने लग गए जिसे देखकर राजेश भी उत्तेजित हो रहा था.. आखिर फाल्गुनी की दोनों टाँगे खोलकर मदन उसको चोदने लग गया.. यहाँ दूसरे बेड पर शीला टाँगे खोलकर अपनी राजेश से चूत चटवा रही थी और मदन फाल्गुनी को घोड़ी बनाकर उसको चोदे जा रहा था..

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पूरा कमरा "ओह्ह फक.. और जोर से आह" ऐसी आवाजों से गूँज रहा था.. अब वे चारों पूरी तरह निढाल होकर लेटे हुए थे.. शीला ने राजेश के लौड़े को चूस कर उसकी सारी मलाई पी डाली थी.. अब चारों के बीच कोई शर्म बाकी नहीं रही थी..

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वहाँ दूसरे बिस्तर पर, मदन और फाल्गुनी चूमते और एक दूसरे के अंगों को सहलाते हुए लेटकर मजे ले रहे थे.. फाल्गुनी के करारे जवान जिस्म में मदन जैसे खो चुका था.. वह फाल्गुनी के उन्नत वक्षों को सहलाकर चाटने लगा और फिर बारी-बारी दोनों निप्पल्स मुँह में लेकर चूसने लगा.. फाल्गुनी ने मदन के लौड़े से खेलना शुरू कर दिया.. अब मदन फाल्गुनी की दोनों टाँगे खोलकर उसकी गुलाबी चूत को चूमने और चाटने लगा.. वहाँ की सुगंध लेकर वह पूरा उत्तेजित हुआ और दो उंगलियों से फाल्गुनी की चूत को चोदने लगा.. बीच-बीच में दोनों उँगलियाँ चाटकर फाल्गुनी के योनि रस का आस्वाद लेता रहा.. फिर उससे रहा न गया और उसने फाल्गुनी की दोनों टाँगे पूरी खोलकर उसे चोदने लग गया.. फाल्गुनी भी सिसकते हुए इस चुदाई का आनंद लेती रही

इधर राजेश ने शीला के बड़े बड़े स्तनों को काफी देर तक चूसा और उसकी गदराई जांघों को प्यार से सहलाया.. अब उसने दोनों हाथों से शीला के बड़े-बड़े बबलों को मसलना शुरू किया.. वैसे तो राजेश आधे घंटे पहले ही झड़ चुका था..पर वायग्रा की गोली का असर अब भी कायम था.. उसके लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी थी..

राजेश ने शीला को पीठ के बल लेटाया और उस पर उल्टा लेट गया.. सिक्सटी नाइन की पोज में आकर उसका भोसड़ा चाटने लगा.. जैसे ही राजेश ने शीला की योनि का दाना (क्लाइटोरिस) चाटना शुरू किया, वह भी एकदम मदमस्त हो गयी.. उसने राजेश का कड़क और लम्बा लौड़ा अपने मुँह में लिया और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी.. राजेश और शीला का सिक्सटी नाइन कुछ देर तक चला, फिर उसने शीला को घोड़ी बनाया और गीले भोसड़े में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया.. राजेश का कड़क लौड़ा उसकी चूत में घुसते ही शीला गांड हिला हिलाकर चुदवाने लगी.. वह जोर-जोर से चिल्लाती रही, "आह्ह राजेश.. और जोर से धक्के लगा.. आह्ह ओह्ह" राजेश उसकी गांड को पकड़ कर उसे जोर-जोर से चोदता गया..

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दोनों बेड पर धुँआधार चुदाई चल रही थी..

शीला का भोसड़ा बजाते हुए राजेश फाल्गुनी को टांगें फैलाकर चुदते हुए देख रहा था.. अब उसे शीला के फैले हुए भोसड़े के बजाय अपने लंड पर थोड़े से कसाव की जरूरत महसूस हुई

"क्यों न अब पार्टनर की अदला बदली की जाए?" राजेश ने सुझाव दिया

यह सुनते ही फाल्गुनी मुस्कुराते हुए मदन से अलग हुई और राजेश मदन की जगह आ गया.. शीला वैसे ही घोड़ी बनी रही और उसके दोनों चूतड़ों के बीच अब मदन ने निशाना साधा.. मदन के लंड को उस जाने पहचाने.. सालों पुराने छेद के अंदर घुसने में कोई परेशानी नहीं हुई.. अब वह शीला का भोसड़ा ऐसे मार रहा था जैसे साइकिल के टायर में हवा भरते वक्त कोई पंप चला रहा हो..

"यार मेरे घुटने दर्द करने लगे.. तू रुक.. मैं पलट जाती हूँ.." शीला ने कहा.. मदन ने लंड बाहर निकाल लिया और शीला पलटकर पीठ के बल लेट गई.. शीला के दोनों बबले पसीने से तर थे और उत्तेजना के कारण लाल लाल भी हो गए थे

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"यार शीला.. कसम से.. तेरे इन कातिल बबलों का तो जलवा ही अलग है.. कितना भी देखो, दबाओ, चूसो.. मन ही नहीं भरता.." मम्मों को मसलते हुए मदन ने कहा

"साले, बकबक करता रहेगा या फिर से चोदेगा भी..!!" शीला ने उसे हँसते हुए डांट दी.. मदन ने शीला के बड़े-बड़े वक्षों को दोनों हाथों से मसलना शुरू किया.. उसकी गांड पर हाथ फेरते हुए उसके निप्पल्स चूसे और उसकी गीली चूत को प्यार से चाटा.. फिर उसने शीला की दोनों टाँगे अपने कंधों पर रखीं.. ऐसा करने से शीला की टाँगे कुछ ज्यादा ही खुल गयीं और लौड़ा उसकी चूत में घुस गया.. वह आवेश में आकर उसे जमकर चोदने लगा.. मदन ने दोनों हाथों से शीला के वक्षों को पकड़ा था, जिन्हें वह मसले जा रहा था..

आखिर मदन शीला की चूत में झड़ गया.. कुछ पल बाद राजेश ने भी फाल्गुनी की चूत को अपने वीर्य से पवित्र कर दिया..

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पिछली पूरी रात और इस सुबह, शीला और फाल्गुनी इस बिस्तर से उस बिस्तर पर जाते रहे और सेक्स का मजा लूटते रहे.. पिछली शाम से अब तक दोनों मर्द लगभग चार बार झड़ चुके थे.. राजेश ने तो खैर वियाग्रा का सहारा लिया हुआ था.. पर मदन की हालत पतली हो गई थी..

चारों अब आराम से बेड पर लेटे हुए बातचीत कर रहे थे

"मज़ा आ गया यार..!! ऐसा मज़ा तो सुहागरात पर शीला को चोदने में भी नहीं आया था..!!" मदन ने कहा.. शीला ने हँसते हुए उसके कूल्हे पर चिमटी काट ली..

"हाँ यार.. पिछली रात और आज की सुबह तो कमाल की रही..!!" राजेश ने भी करवट लेकर उन तीनों की तरफ देखते हुए कहा

तभी फाल्गुनी उठी और नीचे बिखरे पड़े कपड़ों में से अपनी पेन्टी ढूंढकर पहनने लगी..

मदन ने चोंकते हुए कहा "कहाँ जा रही हो फाल्गुनी? थोड़ी देर ओर रुक जाओ ना.."

फाल्गुनी ने पलटकर जवाब दिया.. "अंकल.. अगर एक बार और कर सकते है तो फिर से पेन्टी उतार देती हूँ" कहते हुए वह खिलखिलाने लगी.. मदन चुप हो गया.. अब अगर एक बार और चोदने की कोशिश करता तो उसके लंड को आईसीयू में दाखिल करने की नोबत आ जाती

"पर तू जा कहाँ रही है?" राजेश ने पूछा

"घर जा रही हूँ" फाल्गुनी ने टीशर्ट पहनते हुए कहा

"क्यों??"

"मम्मी पापा को मुंह दिखाने तो जाना पड़ेगा ना..!!" फाल्गुनी ने जवाब दिया

"अरे यार.. मतलब आज का खेल खतम?" मदन ने मायूस होकर कहा

"दो-तीन घंटों में वापिस आ जाऊँगी अंकल.. तब तक शीला आंटी तो है ही" फाल्गुनी ने हँसते हुए कहा

"चिंता मत कर मदन.. वैसे भी फाल्गुनी अब हमारे शहर ही शिफ्ट हो रही है.. मैंने पीयूष से बात कर रखी है.. तेरे पड़ोस में उनका जो घर है वहीं रहेगी ये... वैशाली और पिंटू के जाने के बाद खाली ही पड़ा है" राजेश ने कहा

"अरे वाह.. यह तो बढ़िया रहेगा.. अब फाल्गुनी हमारी पड़ोसन.. वाह..!!" शीला ने खुश होते हुए कहा

"चलिए.. मुझे जाना होगा.. घर जाकर जल्द से जल्द लौटने की कोशिश करती हूँ.. ब्रेकफास्ट में कुछ खास नहीं है.. ब्रेड और बटर ही है.. पर आते हुए मैं कुछ लेकर आऊँगी" कहते हुए फाल्गुनी निकल गई..

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सुबह की पहली किरणों ने जब मौसम के बेडरूम में प्रवेश किया तब वह सिल्क की चादर में अपना खूबसूरत चेहरा छुपाकर नींद को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रही थी.. एक मदहोश अंगड़ाई लेकर वह अपने बेड से उठी.. साटीन की नाइटी से उसके गदराए यौवन ने भी एक झलक दिखा दी.. आईने में अपनी बेशकीमती जवानी को नजर भरकर देखते हुए, मौसम ने पास पड़ी प्लास्टिक की बोतल से पानी के दो घूंट लगाए और अपने बिखरे बालों को सँवारने लगी.. नाइटी उतारकर उसने टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए.. वैसे तो वो अपने मायके में पूरा दिन नाइटी में ही घूमती थी पर अब अपनी माँ के अलावा एक नौकर भी था.. इसलिए अपने पहनावे पर उसे ध्यान देना पड़ता था..

उभासी लेते हुए उसने बेडरूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की तो उसे आश्चर्य हुआ.. उसके रूम का दरवाजा बाहर से किसी ने बंद कर दिया था..!!! उसका कमरा पहली मंजिल पर था और घर में उसकी माँ, रमिलाबहन और उनके नौकर के अलावा और कोई नहीं था.. ऐसे कैसे किसी ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया..!!!

"मम्मीईईईईईई....!!!" उसने आवाज लगाई.. साथ में दरवाजे को जोर जोर से दस्तक भी दी.. उसने सोचा की मम्मी को आवाज देने से अच्छा है की नौकर को ही बुला ले.. पर उसे उसका नाम ही पता नहीं था..!!

"दरवाजा खोलो यार.. किसने बाहर से बंद कर दिया..!!!" परेशान होकर मौसम फिर से चिल्लाई.. पर न तो किसी ने जवाब दिया और ना ही किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई दी..

तंग आकर उसने अपना मोबाइल उठाया और कविता को फोन करने ही जा रही थी की तभी किसी के दौड़े दौड़े ऊपर आने की आवाज सुनाई दी.. और फट से उसका दरवाजा खुला.. मौसम ने पलटकर देखा तो नौकर खड़ा था

मौसम का गुस्सा सातवे आसमान पर था.. उसने क्रोधित होकर उससे कहा "बेवकूफ, बाहर से दरवाजा क्यों बंद कर दिया???"

नौकर की फटकर हाथ में आ गई.. मौसम को इतना गुस्सा देखकर वो कुछ बोल ही नहीं पाया..

"हिन्दी समझता है की नहीं??" उसके नेपाली चेहरे को देखकर एक पल के लिए मौसम को शक हुआ की वह उसकी भाषा समझता भी है या वो बेवजह ही चिल्ला रही है..!!

गर्दन हिलाकर उसने हाँ कहा..

"तो फिर बोलता क्यों नहीं???" मौसम उसके एकदम सामने आकर खड़ी हो गई

"जी मेमसाब.. वो.. मैं बाहर पोंछा लगा रहा था तब अचानक से बाहर आकर आप फिसल न जाओ इसलिए मैंने बंद किया था.." उसने नतमस्तक होकर जवाब दिया

"तो फिर जाते वक्त खोलना याद नहीं आया तुझे..??" मौसम ने लगभग चिल्लाते हुए कहा..

लड़के ने जवाब नहीं दिया और मुंह झुकाए खड़ा रहा..

वह नौकर लड़का मैली सी टी-शर्ट और पुरानी लंबी शॉर्ट्स पहने था.. शॉर्ट्स के आगे, लंड वाले हिस्से पर गीलापन नजर आ रहा था.. शायद काम करते वक्त पानी लग गया होगा... गोरे चेहरे पर बड़ी मासूमियत नजर आ रही थी.. चिल्लाने के बाद मौसम को अफसोस हुआ.. की इतनी छोटी सी बात पर वह उस लड़के पर इतना गुस्सा कर रही थी.. वह खुद असमंजस में थी की पिछले कुछ महीनों से उसका स्वभाव कुछ ज्यादा ही गुस्सैल हो रहा था.. छोटी छोटी बातों पर भड़क जाना.. चिढ़चिढ़ापन.. यह सब स्वाभाविक सा होता जा रहा था जिससे वह खुद भी अवगत थी पर उसे पता नहीं चल पा रहा था की आखिर ऐसा हो क्यूँ रहा था..!! शायद विशाल और उसके तंग संबंधों का इसमें योगदान था या कोई और वजह थी..

"कोई बात नहीं.. नीचे जा.. और सुन..!! मम्मी जाग गई है क्या?" नरम आवाज में उसने नौकर से कहा

नौकर ने बिना कुछ कहें फिर से गर्दन हिलाकर हाँ कहा

"जल्दी से नाश्ता लगा, मैं नीचे आ रही हूँ, मुझे ऑफिस जाना है" एक नजर उसकी ओर देखकर वह बाथरूम में घुस गई...

शर्ट और फॉर्मल ट्राउज़र पहनकर जब वह नीचे उतरी तब नाश्ता टेबल पर तैयार था.. उसने अपनी प्लेट में एक ब्रेड-बटर का टुकड़ा लिया और थोड़े ओट्स के साथ कॉफी पीने लगी.. कुछ ही देर में रमिलाबहन उसके लिए पराठे बानकर ले आई

"मैं ये सब नहीं खाती मम्मी" ओट्स भरी चम्मच मुंह में डालते हुए मौसम ने कहा

आश्चर्य से मौसम की ओर देखते हुए उसकी माँ ने कहा "क्यों? क्या बुराई है इसमें?"

"बहोत केलरी होती है.. मैं डाएट कर रही हूँ" नाश्ता करते हुए मौसम ने जवाब दिया

"अरे मौसम.. अब तेरी शादी हो गई है.. कल को बच्चा होगा तो जिस्म में मांस-चर्बी तो होनी चाहिए ना.. बच्चे को पालने के लिए..!!" मुस्कुराते हुए रमिलाबहन ने कहा

उनकी बात सुनकर मौसम नाश्ता चबाते-चबाते रुक गई.. और बोली "कोई बच्चा-वच्चा नहीं करना है मुझे.. मैं खुद अभी बच्ची हूँ"

मौसम के साथ कुर्सी पर बैठते हुए रमिलाबहन ने बड़े ही प्यार से उसके माथे को सहलाया और कहा "पहले पहले सब यही कहते है.. शादी हो गई है तो बच्चा भी होगा ही.. ऐसे ही तो संसार चलता है बेटा.."

थोड़े से गुस्से के साथ मौसम ने कहा "मैंने कोई संसार चलाने का ठेका थोड़े ही ले रखा है.. जिसे करना हो करें बच्चे.. मुझे नहीं चाहिए" कहते हुए उसने कॉफी का आखिरी घूंट पी लिया और टेबल से उठ गई "मैं ऑफिस जा रही हूँ मम्मी"

"ठीक से नाश्ता तो कर ले.." रमिलाबहन की आवाज मौसम के कानों तक पहुँचती उससे पहले तो वह घर के बाहर निकल चुकी थी

एक लंबी सांस छोड़कर रमिलाबहन मौसम की प्लेट की तरफ देखती रही.. फिर उन्होंने तीखी नज़रों से, अपने नौकर की ओर देखा और बोली "उसे शक तो नहीं हुआ ना??"

"नहीं" नौकर ने जवाब दिया "वो गुस्सा हो गई थी पर उन्हें कुछ पता नहीं चला"

"चलो अच्छा हुआ.. जो मैंने पहले ही तुझे उसका दरवाजा बाहर से बंद करने के लिए बोल दिया.. वरना वो पक्का नीचे आ जाती" कुर्सी से उठकर अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए बेडरूम की तरफ गई.. उनका इशारा समझ चुका वह नौकर.. पीछे पीछे पालतू कुत्ते की तरह चला गया.. सुबह का अधूरा काम जो पूरा करना था..!!
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रात के दस बज रहे थे.. पूरे दिन की थकान के बाद, रसोईघर का काम निपटाकर वैशाली ने अपने बेडरूम में प्रवेश किया..

बड़ा ही व्यस्त दिन रहा था.. दो दिन बाद पीयूष दिल्ली जाने वाला था कस्टम्स के कामों को लेकर.. उसके सारे डॉक्युमेंट्स की तैयारी आज ही पूरी करनी थी.. उसी चक्कर में वैशाली ने लंच भी नहीं किया था और शाम को सात बजे तक ऑफिस में काम करती रही.. थककर घर पहुंची तो पता चला की उसकी सास की तबीयत नासाज थी इसलिए उन्होंने खाना बनाने की कोई तैयारी ही नहीं की थी.. बाहर का खाना उसके सास-ससुर को राज नहीं आता था इसलिए बिना वक्त गँवाए वह किचन में पहुँच गई..

खाना बनाकर, खाकर.. उसने पिंटू के लिए थाली परोसी और बेडरूम की तरफ चल दी.. पूरे दिन के पसीने से तर कपड़े उतारकर वह बाथरूम में घुसी और ठंडे पानी से शावर लेने लगी.. पानी की फुहारों ने जिस्म की ऊपरी परत की गर्मी को तो मिटा दिया लेकिन अंदर जल रही शरीर की आग तो भड़कती ही रही..

पिछले एक महीने में, पिंटू के साथ, सेक्स के दो प्रयत्न असफल रहे थे.. इतने लंबे अवकाश के लिए.. बिना सेक्स के सहारे रहने की वैशाली को आदत नहीं थी.. अपनी माँ शीला के प्रतिबिंब जैसी वैशाली, चुदने की बेहद शौकीन थी.. पिंटू का हथियार सख्ती धारण नहीं कर पा रहा था और इसके चलते वैशाली की चूत की प्यास अनबुझी ही रह जाती थी.. हालांकि उसने पिंटू को चिकित्सीय परामर्श करने की पेशकश भी की थी लेकिन मेडिकल मदद लेने के नाम मात्र से ही पिंटू भड़क गया था..

वैशाली को पता नहीं चल पा रहा था की वह इस सूरत में क्या करें..!!

शावर लेने के बाद, तौलिए से अपना गदराया जिस्म पोंछते हुए, उसने अपने विराट स्तनों को आईने में देखा और सिहर कर रह गई.. "आह्ह.. अभी अगर पीयूष या राजेश, मुझे इस अवस्था में देखते.. तो तब तक चोदते जब तक मैं दो-तीन बार झड़ न जाती.. और रसिक.. उफ्फ़.. वो होता तो खटिया पर पटक पटक कर ऐसा चोदता.. की मेरी आँखों में आँसू ला देता.." मन ही मन ऐसा सोचते हुए.. वह सहम गई.. अपने आप को रोक लिया.. "ये मैं क्या अनाब-शनाब सोच रही हूँ.. पिंटू के अलावा किसी और के बारे में सोचना भी पाप है..!! याद है ना.. शादी से पहले, राजेश सर के साथ हुआ वाकया.. और उसके बाद पिंटू का रिएक्शन..!! नहीं बाबा नहीं..!!"

कॉर्डसेट नाइट ड्रेस पहन कर वह बिस्तर पर लेट गई.. और पाँच मिनट बाद पिंटू भी खाना खाकर बेडरूम में आया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.. पिंटू ने करवट लेकर लेटी वैशाली पर एक नजर देखा.. आहहह..!! क्या नजारा था.. कंधे से लेकर स्तनों की गोलाई तक.. और कमर से लेकर चूतड़ों का वक्र आकार देखते ही किसी भी पुरुष के अंदर की हवस जाग उठे..!!!

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वैशाली बिस्तर पर पलंग के एक कोने में बैठ गई, उसका गुस्सा और निराशा साफ झलक रहा था.. उसकी भरी हुई छाती तेजी से उठ-गिर रही थी, गहरी सांसों के साथ.. उसकी कर्वी बॉडी, जो आमतौर पर पिंटू को बावला बना देती थी, आज उसके लिए एक चुनौती बन गई थी.. उसकी तंग नाइटी, जो उसके भरे हुए स्तनों और गोल हिप्स को और भी सेक्सी बना रही थी, आज पिंटू की नजरों से बचने की कोशिश कर रही थी..

पिंटू दरवाज़े के पास खड़ा था, उसके माथे पर पसीना था.. दो बार की नाकामयाबी ने उसका आत्मविश्वास तोड़ दिया था.. वैशाली ने उसे डॉक्टर के पास जाने को कहा था, लेकिन उसने गुस्से में ऐसा रिएक्ट किया था जैसे उसकी मर्दानगी पर सवाल उठाया गया हो.. अब वह फिर से उसी मोड़ पर खड़ा था.. डरा हुआ, असहज, परेशान..!!

"क्या तुम सोने नहीं आ रहे?" वैशाली ने ठंडे स्वर में पूछा, बिना उसकी तरफ देखे..

पिंटू ने गला साफ किया.. "हाँ... आ रहा हूँ.." वह धीरे से बिस्तर पर आया और वैशाली से दूर लेट गया..

कमरे में तनावपूर्ण माहोल था.. वैशाली चाहती थी कि पिंटू पहल करे, लेकिन वह डरा हुआ था.. उसका दिमाग बार-बार पिछली दो नाकामयाब कोशिशों को याद कर रहा था.. "क्या आज फिर वही होगा?"

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद, पिंटू ने हिम्मत जुटाई.. वह वैशाली के पास सरक आया और उसके कंधे को हल्का छुआ.. "वैशाली..."

वैशाली ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में गुस्सा और इच्छा का मिलाजुला भाव था.. "क्या?"

पिंटू ने उसके होठों की तरफ देखा, फिर नीचे उसके भरे हुए स्तनों की तरफ, जो नाइटी के अंदर से बाहर निकलने को बेताब लग रहे थे.. उसका गला सूख गया.. "मैं... मैं तुम्हें छू सकता हूँ?"

वैशाली ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसने अपनी बॉडी थोड़ी और पिंटू की तरफ घुमा दी.. यह एक इशारा था..

पिंटू ने धीरे से अपना हाथ उसके कमर पर रखा, फिर ऊपर उसकी पीठ पर.. वैशाली की स्किन गर्म और मुलायम थी.. उसने अपने होंठों से उसकी गर्दन को छुआ, और वैशाली ने आँखें बंद कर लीं..

"तुम कितनी हॉट हो यार..." पिंटू फुसफुसाया..

वैशाली ने एक हल्की सी आह भरी.. "हमेशा से हूँ, तुम्हें तो पता ही है.."

पिंटू का दिल तेजी से धड़कने लगा.. उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और वैशाली के भरे हुए स्तनों को छुआ.. वैशाली ने अपनी आँखें बंद रखीं, लेकिन उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई..


"तुम्हारा... तुम्हारा ये हिस्सा मुझे हमेशा से पागल कर देता है," पिंटू बड़बड़ाया..

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वैशाली ने अब खुलकर जवाब दिया.. उसने पिंटू का हाथ पकड़ा और उसे अपने स्तनों पर दबाया.. "तो फिर इंतज़ार क्यों कर रहे हो?"

पिंटू ने उसके निप्पल्स को अंगुलियों के बीच लेकर हल्का सा दबाया.. वैशाली ने एक गहरी सांस ली और अपने सिर को पीछे झुका लिया.. उसकी छाती उठी-गिरी, और पिंटू ने अपने होठों से उसके दूसरे स्तन को ढक लिया..

वैशाली ने अपनी उंगलियों से पिंटू के बालों में घुमोड़ लिया.. "और... और जोर से.."

पिंटू ने उसकी डिमांड को फॉलो किया.. वह अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था.. उसने वैशाली को पीछे धकेलते हुए उसकी नाइटी को ऊपर खींचा.. वैशाली की गोल हिप्स और टाइट पेट सामने आ गए.. पिंटू ने अपना हाथ उसकी जांघों पर फेरा, फिर अंदर की तरफ बढ़ा..

वैशाली ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसकी सांसें तेज हो गईं.. "हाँ... वहाँ..."

पिंटू ने महसूस किया कि वैशाली पहले से ही गीली थी.. उसने एक उंगली अंदर डाली, और वैशाली ने एक तीखी आह भरी.. "अरे बाप रे... तुम तो पहले से ही..."


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वैशाली ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में आग थी.. "दो हफ्ते से इंतज़ार कर रही हूँ, पिंटू.. दो हफ्ते!"

पिंटू ने अपनी उंगलियों की गति तेज कर दी.. वैशाली ने अपने होंठ दबा लिए, लेकिन फिर भी उसके मुँह से छोटी-छोटी आवाज़ें निकल रही थीं..

"आज तो मैं तुम्हारी सारी हसरतें पूरी कर दूंगा" पिंटू फुसफुसाया

वैशाली ने सिर हिलाया.. "तो करो ना.. रोका किसने है?"

पिंटू ने अपनी पैंट उतारी.. उसका दिल धड़क रहा था.. मन ही मन वह सोच रहा था "प्लीज, आज हिम्मत मत हारना.." उसने खुद को वैशाली के बीच में पोजिशन किया.. वैशाली ने अपनी जांघें फैला दीं, उसकी आँखों में इंतज़ार झलक रहा था..

पिंटू ने धीरे से अपना लंड वैशाली की गीली चूत में प्रवेश करने की कोशिश की.. वैशाली ने एक झटका महसूस किया और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं.. "हाँ... ऐसे ही..."

लेकिन तभी..!!

पिंटू ने महसूस किया कि उसका खड़ा हुआ लंड धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था.. उसने जल्दी से और जोर लगाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ.. वह पूरी तरह नर्म हो चुका था..उसने आनन-फानन में धक्के लगाने की निरर्थक कोशिश की.. पर ढीला पड़ चुका उसका हथियार, अंदर घुसने की बजाए, बाहर ही पिचक गया..!!

वैशाली ने आँखें खोलीं.. "क्या हुआ?"

पिंटू का चेहरा लाल हो गया.. "मैं...मुझे... पता नहीं यार..!!!"

वैशाली ने नीचे देखा और फिर पिंटू की तरफ घूरा.. "फिर से? यार, प्लीज ओर थोड़ा ट्राय तो कर"

पिंटू ने खुद को पीछे खींच लिया.. "माफ करना, वैशाली... मैं.. मैं कोशिश कर रहा हूँ"

"बस बंद करो!" वैशाली ने गुस्से में चिल्लाते हुए बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई.. "मैं अब तंग आ गई हूँ पिंटू..!!"

पिंटू ने अपना सिर पकड़ लिया.. "मैं ट्राई तो कर रहा हूँ ना यार.."

"कोशिश? कोशिश वो होती है जब तुम डॉक्टर के पास जाते! लेकिन नहीं, तुम्हें तो अपनी मर्दानगी का घमंड है!" वैशाली ने अपनी पेन्टी और नाइटी पहन कर.. गुस्से में कमरे में चहलकदमी शुरू कर दी..

पिंटू ने गुस्से में अपनी मुट्ठी बिस्तर पर मारी.. "तुम्हें क्या लगता है.. मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूँ? मैं भी तो तड़प रहा हूँ!"

"हाँ, जरूर!" वैशाली ने व्यंग्य किया.. "मेरी हालत देख रहे हो? मैं क्या करूँ अब? हर रात सपने देखती हूँ, और तुम..!!! अंदर डाला नहीं की फुस्स..!!"

"बस!" पिंटू ने जोर से चिल्ला दिया.. "बंद करो ये सब! मैं जानता हूँ मैं फेल हो रहा हूँ, बार बार मुझे कहकर जताने की कोई जरूरत नहीं है!"

वैशाली ने एक पल के लिए चुप्पी साधी, फिर आँसू भरी आँखों से बोली, "तो फिर कुछ करो.. नहीं तो..." उसने वाक्य पूरा नहीं किया, लेकिन पिंटू को समझ आ गया..

वह दरवाज़े की तरफ बढ़ी और कमरे से बाहर निकल गई..

पिंटू अकेला रह गया, अपनी हार और नपुंसकता के साथ.. उसने अपना सिर हाथों में ले लिया.. "क्या करूँ मैं अब..!!"
 
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