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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Nice update
Aaj vega 2 baar marte marte bach gaya
Jodiac watch ne uski jaan bacha li pahle hans se or phir bull shark se
Ek ke baad ek dono ka vega par hamla karna koi normal baat nahi ho sakti jrur kisi ne vo hamle karvaye honge
Bilkul ho sakta hai, lekin kyu? Aur kaise? Ye sochne wali baat hai:hmm2:
Khair, sath bane rahiye, iska jabaab bhi milega:approve: Thanks brother for your valuable review and support :thanx:
 

Raj_sharma

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Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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Annual Story Contest - XForum
Hello everyone!
We are thrilled to present the annual story contest of XForum!
"The Ultimate Story Contest" (USC).

"Win cash prizes up to Rs 8500!"


Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 8000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 25th March ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th April 2025 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.

Important Links:
- Chit Chat Thread (For discussions)
- Review Thread (For reviews)
- Rules & Queries Thread (For contest details)
- Entry Thread (To submit your story)

Prizes
Position Rewards
Winner 3500 ₹ + image Award + 7000 Likes + 30-day Sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 2000 ₹ + image1 Award + 5000 Likes + 15-day Sticky Thread (Stories)
2nd Runner-Up 1000 ₹ + 3000 Likes + 7-day Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-Up 500 ₹ + 3000 Likes
Best Supporting Reader (Top 3) 500 ₹ (Each) + image2 Award + 1000 Likes
Reporting Plagiarized Stories imag3 200 Likes per valid report


Regards, XForum Staff
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

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nice update

Wonderful update ab bruno ko kya ho gya use sirf chot lgi h ya wo antim saans lega


romanchak Update. taufik ka idea to kaam kar gaya par ye yugaka jyada hi dimag laga raha hai jisse bruno ko raste se hatane ke liye chaal chal di .

Nice update....

nice update

शुभस्य शीघ्रम्

To kamre me Sanura or Lufasa the चूहा और बिल्ली ke roop me very good
Mind-blowing update Raj_sharma bhai

Sham ho gyi.

Thrilled n romantic nojhok bhara update
Awesome

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Nice nice nice update bhai. Zodiac watch ne Vega ki jaan bacha li.
Ye mean rashi bahut jyada takatwar hoti hai kya Bhai??? Mujhe en sabka knowledge nahi hai.

Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Vega par pehle Hans ne fir Shark ne hamla kiya, ye koi samanay baat nahi he...........

Koi to he jo is sabke peeche he, aur vo vega ki jaan ka dushman abhi hi parde ke peeche hi he.........

Keep rocking Bro

Nice update
Aaj vega 2 baar marte marte bach gaya
Jodiac watch ne uski jaan bacha li pahle hans se or phir bull shark se
Ek ke baad ek dono ka vega par hamla karna koi normal baat nahi ho sakti jrur kisi ne vo hamle karvaye honge

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

Update Posted friends :declare:
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#85.

द्वीप से कुछ आगे जाते ही लुफासा को हरे कीड़े, एक बूढ़ी स्त्री को लेकर उड़नतस्तरी की ओर जाते दिखाई दिये।

वह स्त्री मारिया थी। अल्बर्ट की पत्नी मारिया।

तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज ने लुफासा का ध्यान आसमान की ओर कर दिया।

लुफासा को आसमान पर उड़ता हुआ एक हेलीकाप्टर दिखाई दिया।

लुफासा की नजर अब कीडो को छोड़ आसमान की ओर थी। तभी उसे वह हेलीकाप्टर द्वीप से दूर जाता हुआ दिखाई दिया।

लुफासा कुछ देर तक हेलीकाप्टर को देखता रहा। तभी लुफासा को द्वीप के किनारे से बहुत तेज तरंगे निकलती दिखाई दी, जो समुद्र में दूर तक चली गयी।

“मुझे अराका के बारे में लगभग सब कुछ पता है, पर मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि इस द्वीप को पानी पर चलाता कौन है? और द्वीप से जो तरंगे निकलती हैं, उसे कौन छोड़ता है?"

लुफासा मन ही मन बुदबुदाया- “हो सकता है, यह भी मान्त्रिक का कोई मायाजाल हो?"

लुफासा को अब वह हेलीकाप्टर हवा में लहराते हुए दिखाई दिया। लुफासा समझ गया कि अब वह हेलीकाप्टर क्रैश होने वाला है।

हेलीकाप्टर का चालक हेलीकाप्टर को नीचे उतारने की कोशिश कर रहा था। हेलीकाप्टर आसमान में किसी परकटे पक्षी की तरह डोल रहा था।

थोड़ी देर के बाद उस हेलीकाप्टर के चालक ने हेलीकाप्टर का संतुलन बनाकर उसे पानी पर उतार लिया। लुफासा अभी भी बाज के रूप में आसमान में था और उसकी तीखी निगाहें हेलीकाप्टर की ओर थी।

लुफासा के देखते ही देखते वह हेलीकाप्टर एक बोट में परिवर्त्तित हो गयी। अब वह बोट अराका द्वीप की ओर बढ़ने लगी।

यह देख लुफासा ने अपने दाँतो को भीचा और आसमान से पानी में एक डुबकी मारी।

डुबकी मारते ही लुफासा ने अपने आप को एक विशालकाय व्हेल मछली में परिवर्त्तित कर लिया।

अब वह उस बोट के बिल्कुल पीछे था।

लुफासा ने बिना कोई आवाज किये पानी में एक जबर्दस्त गोता लगाया, जिससे समुद्र का पानी बोट के पीछे लगभग 50 फुट तक ऊपर उठ गया और इतनी ऊंचाई से वह पूरा पानी एक लहर बनकर, बहुत तेजी से बोट पर आकर गिरा।

तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी।

तभी लुफासा को कुछ हरे कीड़े व्योम की ओर बढ़ते दिखाई दिये।

लुफासा समझ गया कि अब हरे कीड़े व्योम को निपटा देंगे। इसिलये वह अब सुप्रीम की ओर बढ़ने लगा।

तभी उसे सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े हुए दिखाई दिया।

अचानक से उन लोगो ने पानी में गोलियां चलानी शुरू कर दी। “तड़...तड़....तड़....तड़.....तड़...।"

गोलियों की आवाज उस शांत वातावरण में बहुत दूर तक गूंज रही थी।

लुफासा की नजर गोलियों की दिशा में गयी। उसने देखा कि शार्को का एक झुंड सुप्रीम की ओर बढ़ रहा था और सुप्रीम के डेक पर खड़े कुछ लोग उन शार्को पर गोलियां चला रहे थे।

लुफासा ने तुरंत व्हेल की जगह एक विशालकाय ऑक्टोपस का रूप लिया और पानी के नीचे ही नीचे ‘सुप्रीम’ की ओर बढ़ने लगा।

लुफासा के आसपास शार्को का झुंड बढ़ता जा रहा था। शायद कुछ शार्को को गोलियां भी लग गयी थी, क्यों कि लुफासा को पानी में बिखरा कुछ खून भी दिख रहा था।

अच्छा हुआ कि लुफासा ने इतने विशालकाय जीव का रूप लिया था, नहीं तो इन शार्को ने लुफासा को मिनटो में चट् कर जाना था।

तभी लुफासा को पानी में गिरा एक इंसान दिखाई दिया, जो कि लोथार था।

सभी शार्को अब घेरा बनाकर, तेजी से लोथार की ओर बढ़ने लगी।

यह देख लुफासा बीच में आ गया।

चूंकि लुफासा ऑक्टोपस बना पानी की गहराई में था। इसिलये सुप्रीम के लोगो को वह दिखाई नहीं दे रहा था।

पर पानी में मौजूद शार्को को वह विशालकाय ऑक्टोपस दिखाई दे गया था। इसिलये वह लोथार से 15 फुट की दूरी पर ही रुक गयी।

यह देखकर सुप्रीम पर खड़े लोगो ने रस्सी के द्वारा लोथार को खींचना शुरु कर दिया।

लोथार अब तेजी से ‘सुप्रीम’ की ओर जाने लगा।

लुफासा ने यह देख ऑक्टोपस के 2 हाथो से लोथार के दोनों पैर पकड़ लिए जिसकी वजह से रस्सी एक जोरदार झटके से खिंचनी बंद हो गई।

अचानक लोथार को पानी के नीचे किसी विशाल जीव के होने का अहसास हुआ। लोथार के चेहरे के भाव दहशत में परिवर्त्तित हो गए।

‘सुप्रीम’ पर खड़े लोगो को भी यह एहसास हो गया था कि पानी के नीचे कुछ तो है, शार्के अपने आप नहीं रुकी थी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, लुफासा ने पूरी ताकत से लोथार को पानी के अंदर खींचा।

‘गुलुप’ की आवाज के साथ लोथार पानी में समा गया।

चूंकि लोथार ने रस्सी छूट जाने के डर से, अपने हाथ में कसकर फंसा रखी थी, इसिलए वह रस्सी भी तेजी से पानी में खिंचती चली गई।

अब ऑक्टोपस बना लुफासा लोथार को पकड़ अराका द्वीप की ओर चल दिया।


चैपटर-9:

ब्रूनो के पंख:
(9 जनवरी 2002, बुधवार, 09:30, मायावन, अराका द्वीप)

रात में ब्रेंडन के डरावने सपने ने किसी को भी ठीक से सोने नहीं दिया। इसिलये सुबह सभी के उठने में थोड़ा देर हो गया था।

सभी ने ताजा होकर थोड़ा-थोड़ा खाना खा लिया था।

शैफाली चलती हुई ब्रेंडन के पास पहुंचकर बोली- “ब्रेंडन अंकल, अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं?"

“अब बेहतर महसूस कर रहा हूं।" ब्रेंडन ने मुस्कुराते हुए कहा- “कल रात सच में मैं काफ़ी डर गया था।
मैं अपनी पूरी जिंदगी में इतना कभी नहीं डरा।"

“कोई बात नहीं अंकल...वैसे भी यह जंगल इतना विचित्र है कि यहां पर कोई भी आदमी डर सकता है।"

शैफाली ने कहा- “वैसे अंकल,जब आप रात में उठ गये थे, तो आपने किसी को जगाया क्यों नहीं?"

“मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहता था।" ब्रेंडन ने शैफाली का शुक्रिया अदा करते हुए कहा- “पर मुझसे इतनी बात करने के लिये धन्यवाद। तुमसे बात करके मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा है।"

“क्या सब लोग तैयार हैं आगे चलने के लिये?" सुयश ने सभी को देखते हुए पूछा।

“यस कैप्टन।" सभी के मुंह से समवेत स्वर निकला।

“कैप्टन ।" तौफीक ने जमीन से खड़े होते हुए कहा- “मैं आप लोगो को एक सुझाव देना चाहता हूं।"

यह सुनकर सभी तौफीक की ओर देखने लगे।

“कैप्टन, मैंने यह ध्यान दिया है कि ब्रूनो नयनतारा पेड़ के पास शैफाली को बचाने के बजाय वहां आराम से बैठ गया था। शायद उसे पता था कि वह पेड़ शैफाली को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा। उस समय ब्रूनो पेड़ के काफ़ी पास भी था, पर पेड़ ने उसे कुछ नहीं कहा।

ठीक वैसे ही जब आपको उस आदमखोर पेड़ ने अपनी गिरफ़्त में ले लिया था, तब भी ब्रूनो उस पेड़ को काट रहा था, पर उस पेड़ ने भी ब्रूनो को कुछ नहीं कहा। तो मेरा ये कहने का मतलब है कि ब्रूनो यहां के खतरे को भली-भाँति पहचान रहा है और यहां के पेड़ भी ब्रूनो को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। तो क्यों ना हम जंगल में चलते समय ब्रूनो को सबसे आगे रक्खे। ब्रूनो जहां भी खतरा देखेगा, हमें उस दिशा में ले ही नहीं जायेगा।"

“मैं मिस्टर तौफीक की बातों से पूर्ण रूप से सहमत हूं।" अल्बर्ट ने तौफीक की बातों का समर्थन करते हुए कहा।

बाकी सभी को भी तौफीक की बातें सही लगी। इसिलये अब चलते समय ब्रूनो को आगे कर लिया गया। अब सभी फ़िर से जंगल की ओर चल दिये।

ब्रूनो धीरे-धीरे सूंघकर आगे बढ़ रहा था। कभी-कभी वह कुछ सूंघकर अपना रास्ता भी बदल देता।

इस तरह सभी लोग ब्रूनो के पीछे सतर्कता से चल रहे थे।

युगाका पेडों के पीछे छिपता हुआ, बेआवाज उनका पीछा कर रहा था।

जब भी ब्रूनो खतरा सूंघकर रास्ता बदलता युगाका के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते। शायद वह नहीं चाहता था कि ब्रूनो सबको बचाता चले।

धीरे-धीरे छोटे पेड़ पीछे छूट गये। अब रास्ते में ऊंचे देवदार सरीखे वृक्ष दिखाई देने लगे थे।

ब्रूनो ने एक नजर उन पेडों पर मारी और उन पेडों के बीच बने पगडंडी वाले रास्ते पर चल दिया।

मौसम शांत था। आज ज़्यादा हवा भी नहीं चल रही थी। फिर भी मौसम में गरमी प्रतीत नहीं हो रही थी।

इन सभी का पीछा कर रहे युगाका की नजर, इस समय उन देवदार सरीखे वृक्ष की ओर थी।

अचानक युगाका के होंठ गोल हुए और उसमें से एक अजीब सी सरसराहट निकली। जो वातावरण में गूंज गयी।

चूंकि वह सरसराहट पेड़ की ध्वनि जैसी प्रतीत हो रही थी, इसिलये किसी का भी ध्यान उधर नहीं गया।

तभी देवदार के वृक्ष भी ठीक उसी तरह सरसराने लगे जैसी ध्वनि युगाका के मुंह से निकली थी।
अब वह वृक्ष हिलने भी लगे थे।

उन देवदार सरीखे वृक्ष पर बेर के समान छोटे फल लगे थे।

“हवा तो चल भी नहीं रही है, फ़िर यह वृक्ष अचानक कैसे हिलने लगे?" अल्बर्ट ने देवदार के वृक्ष की ओर देखते हुए कहा।

“कहीं कोई नया खतरा तो नहीं?" सुयश ने सबको सावधान करते हुए कहा।

तभी ऐमू विचलित होकर जोर-जोर से अपने पंख फड़फड़ाने लगा।

अब ब्रूनो के कान भी खड़े हो गये। वह बार-बार अपने कान उठाकर कुछ सुनने की कोशिश करने लगा।

तभी एक देवदार के वृक्ष से एक बेर रूपी फल टूटा और ब्रूनो के सिर पर आकर गिर गया।

फल के सिर पर लगते ही ब्रूनो ‘कूं-कूं’ करता हुआ वहीँ जमीन पर गिर पड़ा। यह देख शैफाली भागकर ब्रूनो के पास पहुंच गयी।

ब्रूनो का कराहना अब बढ़ता जा रहा था। किसी की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ? सभी आश्चर्य से इधर-उधर देख रहे थे।



जारी रहेगा________✍️
Chalo Lufasa ka ye rasyaaa samne aaya aaj kaise wo pani me leke Gaya logo ko kaise Vyom ki boat pani me dooboo dee or sath me Tauffik ne bhi khatre ka sahi andaja laga ke Brunoo ko aage le jane ke salah de lekin Yugaka ne ab Bruno ke sath kuch kia hai lekin kya kia jane ab kya hoga sabka
Very amazing update Raj_sharma bhai
 

Ajju Landwalia

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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️

Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Vyom ka to dimag hi ghum gaya he............

Itni ajeeb ajeeb cheeje jo dekh raha he vo...........

Pyramid ke andar kahi vyom pakda na jaye.........

Keep rocking Bro
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
WOW mast hai ye update Raj_sharma bhai
Vyom ne kaise survive kia ab tak ye ab pata chala hai lekin ab Vyom jis kamre me aaya hai aakhir ye kiska kamra hoga kahi Vyom Pyramid ke us kamr eme to nahi aa gaya jaha per vo Tantrik Mantrik rehta hai
 

parkas

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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#86.

“मैंने इनमें से किसी पेड़ से एक बेर के समान फल को ब्रूनो के सिर के ऊपर गिरते देखा था।" क्रिस्टी
ने सभी को बताया।

तभी सुयश की नजर कुछ दूर पड़े उस बेर जैसे फल की ओर गयी। सुयश ने उसे उठाने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, पर अल्बर्ट ने उसे सिर हिलाकर उठाने से रोक दिया।

ब्रूनो का तड़पना अभी भी जारी था। ब्रूनो की यह हालत देख कर शैफाली की आँखों से अब झर-झर आँसू बह रहे थे।

तभी अचानक ब्रूनो के पीठ की खाल ‘चट्-चट्’ की आवाज करके फटना शुरू हो गयी।

यह देख सुयश ने ब्रूनो के पास बैठी शैफाली को तेजी से पीछे खींच लिया।

अब वहां बैठे सभी लोग डरकर ब्रूनो से दूर हो गये।

तभी ब्रूनो की फटी हुई खाल से 2 विशालकाय पंख निकलने लगे।

अब शैफाली भी रोना छोड़कर ध्यान से इस पूरी घटना को देखने लगी थी।

कुछ ही देर में ब्रूनो के पंख पूर्ण विकसित हो गये। अब ब्रूनो ने कराहना बंद कर दिया।

ब्रूनो उठकर अब शैफाली को घूरने लगा।

उसे इस प्रकार हिंसक भाव से घूरते देख ब्रेंडन ने शैफाली को अपने पीछे कर, अपनी जेब से चाकू निकाल लिया।

ऐमू भी ब्रूनो को इस प्रकार बदलते देख घबराकर सुयश के कंधे पर आ बैठा।

सभी की नजर ब्रूनो पर थी। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।

तभी ब्रूनो जोर से गुर्राया और अपने पंख फड़फड़ाकर आसमान में उड़कर सबकी नजर से ओझल हो गया।

सभी के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव आ गये, सिवाय युगाका को छोड़कर।

युगाका की आँखो में अब एक रहस्यमई मुस्कुराहट थी।

ब्रूनो के गायब हो जाने का सबसे बड़ा सदमा शैफाली को लगा। वह यह झटका नहीं झेल पायी और जोर-जोर से रोने लगी।

सुयश और अल्बर्ट शैफाली को चुप कराने लगे।

तभी ऐमू सुयश के कंधे से उड़ा और शैफाली के पास जाकर जोर-जोर से हंसने लगा-

“हाऽऽऽ हाऽऽऽऽ हाऽऽऽ! सभी ऐमू को उल्लू बनाते थे, पर अब कुत्ता उल्लू बन गया।.... कुत्ता उल्लू बन गया....उल्लू बनकर उड़ गया। ऐमू बच गया....ऐमू का दोस्त बच गया।"

यह सुनते ही शैफाली को बहुत तेज़ गुस्सा आया।

शैफाली ने ऐमू को घूरकर देखा और उसके ऊपर झपट पड़ी- “मैं इस गंदे तोते को जान से मार डालूंगी। इसके सारे पंख नोच लूंगी।"

ऐमू यह देखकर सुयश की ओर भागा- “ऐमू के दोस्त...ऐमू को बचाओ...यह गंदे कुत्ते वाली गंदी लड़की ऐमू को मार डालेगी।"

सुयश ने तुरंत आगे बढ़कर शैफाली को रोक लिया।

उसने झुककर शैफाली के आँसू पोंछे और उसकी आँखो में आँख डालकर शैफाली को समझाना शुरु कर दिया-

“देखो बेटा, शांत हो जाओ। यह जंगल है ही इतनी विचित्रताओ से भरा कि हम यहां चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। देखो उस दिन ड्रेजलर भी मारा गया, पर हम कुछ नहीं कर पाये? आज ब्रूनो के साथ जो भी हुआ, वह भी हमारी कल्पनाओं से परे था। शायद एक दिन हम सब इस जंगल में मारे जायें। इसिलये जो चला गया, उस पर अफसोस करने से कुछ नहीं होगा। और इस ऐमू की बात का बुरा मत मानो, क्यों कि है तो यह भी ब्रूनो की तरह का जीव ही। इसिलये तुम इसे माफ..........।"

तभी सुयश शैफाली को समझाते हुए अचानक से चुप हो गया और शैफाली की नीली-नीली आँखों में देखने लगा।

उसे इस तरह से देखते पाकर शैफाली भी आश्चर्य में पड़ गयी।

“क्या हुआ कैप्टन? आप अचानक बोलते-बोलते चुप क्यों हो गये?" तौफीक ने सुयश से पूछा।

“जरा मेरी आँखों में देखो तौफीक। तुम्हें क्या नजर आ रहा है?" सुयश ने तौफीक से सवाल के बदले सवाल ही कर लिया।

सुयश के अचानक इस तरह विषय बदलने पर सभी को आश्चर्य हुआ और वह सब सुयश की आँखों में देखने लगे।

“आप अपनी आँखों में क्या दिखाना चाहते हैं कैप्टन? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा?" तौफीक ने उलझे-उलझे शब्दो में कहा।

“तुम्हें इस समय मेरी आँखों में क्या दिखाई दे रहा है? मैं केवल यही पूछ रहा हूँ तुमसे।" सुयश ने कौतुहल बनाएं हुए कहा।

“क्यों की मैं आपके सामने खड़ा हूँ इसिलये मुझे आपकी आँखों में मैं स्वयं दिखाई दे रहा हूँ।" तौफीक ने सपाट स्वर में कहा।

“अब जरा शैफाली की आँखों में देखो। उसकी आँखों में आपको क्या दिखाई दे रहा है?" सुयश ने अपने शब्दों को रहस्य की चाशनी में लपेट कर कहा।

तौफीक ने शैफाली की आँखों में झांका और हैरानी से भर गया- “यह क्या? शैफाली की आँखों में तो ऐमू की तस्वीर नजर आ रही है।"

तौफीक के शब्द सुन सभी के साथ-साथ शैफाली भी आश्चर्य से भर उठी। अब सभी बारी-बारी शैफाली की आँखों में झांकने लगे।

यह देख शैफाली ने अपनी आँखों को जोर से रगड़ा और एक बार बंद करके फ़िर से खोला।

अब शैफाली की आँखें सामान्य हो गयी।

“प्रोफेसर, आपको क्या लगता है कि क्या हुआ था शैफाली की आँखों को?"

असलम ने अल्बर्ट से पूछा- “क्यों कि ऐसी विचित्र कला के बारे में तो हमने सुना भी नही?"

“बिल्कुल विस्वास के साथ तो मैं भी कुछ नहीं कह सकता, पर मैं आपको आँखों की थ्योरी के बारे में अवस्य बता सकता हूँ।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा-

“दरअसल हम जब कोई वस्तु देखते हैं तो हमारे आँखों की रेटिना से तरंगे निकलकर उस वस्तु पर पड़ती है और बाद में यही तरंगे लौटकर हमारी आँखों में वापस आ जाती हैं। वापस आयी तरंगों को आँखें, दिमाग तक भेज देता है और दिमाग उसे डीकोड कर जान जाता है कि हमने क्या चीज देखी।

कैमरे की फोटोग्राफी भी कुछ ऐसे ही सिद्धांत पर कार्य करती है। चूंकि शैफाली की आँखें भी चमत्कारी तरीके से आयी थी, शायद तभी से इसकी आँखों में यह गुण आ गया हो। इसिलये मुझे लगता है कि जब शैफाली ने घूरकर ऐमू को देखा, उसी समय शैफाली की आँखों में ऐमू की तस्वीर छप गयी होगी।"

अल्बर्ट के शब्द कुछ खास किसी की समझ में नहीं आये, पर उनकी बात पर किसी ने कोई सवाल नहीं किया।

“ऐसी ही कुछ शक्तियां सांप में भी पायी जाती हैं।" जॉनी ने शैफाली को देखते हुए कहा- “मैंने ऐसा कई किताबो में पढ़ा है।"

“आप किताबें कब से पढ़ने लगे?" जेनिथ ने मुंह बनाते हुए कहा।

“मैं पहले किताबें पढ़ता था।" जॉनी ने अजीब से अंदाज में जेनिथ को जवाब दिया।

“बैंक लूटने के पहले यह किताबें पढ़ते रहे होंगे।" क्रिस्टी का भी जॉनी के प्रति गुस्सा बाहर आया।

“बहस करने का कोई फायदा नहीं है।" सुयश ने सबको शांत कराने के अंदाज में कहा- “यह पेड़ भी रहस्यमयी हैं, इसिलये पहले हमें यहां से हट जाना चाहिए।"

सभी फ़िर से आगे बढ़ने लगे।


हंस का हमला:
(9 जनवरी 2002, बुधवार, 11:00, जार्जटाउन वॉटर फ्रंट-पार्क, वांशिगटन डी.सी).

आज वेगा का जन्मदिन था। सुबह से ही वेगा बहुत खुश था।

कल वेगा को युगाका की तरफ से
जोडियाक वॉच उपहार में जो मिली थी।

वेगा ने लाल रंग की टी शर्ट पर काले रंग की लेदर की जैकेट पहन रखी थी।

कपड़े पहनने के बाद वेगा ने अपने आप को शीशे में निहारा और कार की चाबी ले गेट की ओर बढ़ा। तभी उसे जोडियाक-वॉच का ख्याल आया।

वह वापस पलटकर अंदर आया और जोडियाक-वॉच को बॉक्स से निकालकर अपने दाहिने हाथ पर पहन लिया।

कुछ ही देर में वह कार पर सवार हो वीनस से मिलने जा रहा था।

आज मौसम बहुत सुहाना था। वेगा ने कार में फुल गति में संगीत चला रखा था।

वीनस ने ‘जार्जटाउन वॉटर फ्रंट-पार्क’ के गेट पर ही वेगा से मिलने को कहा था।

कुछ ही देर में वेगा ने कार को पार्क की पार्किंग में लगा दिया और कार को लॉक कर उसकी चाबी को उंगलियों में नचाता, सीटी बजाता पार्क के मुख्य दरवाजे की ओर चल दिया।

कुछ दूरी से ही वेगा ने वीनस को गेट पर खड़े हुए देख लिया था।

वीनस ने भी गुलाबी रंग की बहुत सुंदर सी ड्रेस पहन रखी थी।

“क्या बाऽऽऽत है बर्थडे ब्बोय!" वीनस ने वेगा की तारीफ करते हुए कहा- “आज तो बिल्कुल कहर ही ढा रहे हो।"

वेगा वीनस की बात को सुनकर धीरे से मुस्कुरा दिया और वीनस का हाथ पकड़ अंदर की ओर चल दिया।

“तो कहां से शुरू किया जाये?" वेगा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।

“पहले ‘पोटोमैक नदी’ की ओर चलते हैं। आज मौसम बहुत अच्छा है। ‘कायक’ चलाने में मजा आ जायेगा।" वीनस ने कहा।

(‘कायक’ एक प्रकार की बहुत पतली वॉटर क्राफ्ट बोट होती है, जिसे चप्पू से चलाया जाता है। इस चप्पू को पैडल कहते हैं।)

“ठीक है।"

वेगा ने वीनस की बात पर अपनी सहमती जताई। दोनो पोटोमैक नदी के पास पहुंच गये।

वहां से दोनों एक-एक ‘कायक’ लेकर पानी में उतर गये। धीरे-धीरे दोनों की ‘कायक’ नदी के बीच में पहुंच गयी।

पोटोमैक नदी का वह हिस्सा इस मौसम में ‘पंछी विहार’ के लिये जाना जाता था।

इस मौसम में बहुत से ‘टुंड्रा हंस’ सुदूर स्थलो से यहां विहार करने आते थे।

आज भी बहुत से हंस नदी के चारो ओर ‘कलरव’ कर रहे थे। वेगा और वीनस यह नजारा देखकर बहुत खुश हो गये।

“कितना सुंदर नजारा है।" वीनस ने कहा- “हँसो के जोड़े, पंखो को ओढ़े, नीले पानी में कितने खूबसूरत लग रहे हैं।"

“अरे वाह! तुम तो कविता करने लगी।" वेगा ने मुस्कुराते हुए कहा- “वैसे ये ‘टुंड्रा हंस’ हैं, ये बहुत ही शांत और सुंदर पक्षी होते हैं। ये पानी में सिर डालकर अपना भोजन ढूंढते हैं।"

“अच्छा! तुम्हें तो बहुत पता है इन पक्षीयों के बारे में।" वीनस ने कहा।

“सब किताबो का ज्ञान है। तुमने तो देखा ही है लाइब्रेरी में।" वेगा ने वीनस को याद दिलाते हुए कहा।

तभी एक अकेला हंस का घूमता हुआ वेगा की ‘कायक’ के पास आ गया।

वेगा श्वेत से हंस की खूबसूरती को निहारने लगा।

तभी अचानक उस हंस की आँखों के भाव परिवर्तित हो गये और उसने अपनी चोंच से वेगा पर हमला कर दिया।




जारी रहेगा______✍️
Bada he ajeeb hua ye Bruno ke sath jo bhi ho ye sab Yugaka ka kia dhara hai ye pakka hai
.
Aaj Vega ka janamdin hai isileye tayaar hoke Vega nikal gaya Venus ke sath ghomne jaha dono hanso ke dekh khush hue lekin lagata hai Vega ke pass aane wala akela hansh koi mayavee lagata hai tabhi usne Vega per hamla kar dia dekhte hai ab aage kaise bachta hai Vega
Very well update Raj_sharma bhai
 
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