Seen@12
Active Member
- 1,431
- 2,746
- 159
Wonderful update ab bruno ko kya ho gya use sirf chot lgi h ya wo antim saans lega
Marega nahi bhai, bruno mera pet haiWonderful update ab bruno ko kya ho gya use sirf chot lgi h ya wo antim saans lega
Nice update....#85.
द्वीप से कुछ आगे जाते ही लुफासा को हरे कीड़े, एक बूढ़ी स्त्री को लेकर उड़नतस्तरी की ओर जाते दिखाई दिये।
वह स्त्री मारिया थी। अल्बर्ट की पत्नी मारिया।
तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज ने लुफासा का ध्यान आसमान की ओर कर दिया।
लुफासा को आसमान पर उड़ता हुआ एक हेलीकाप्टर दिखाई दिया।
लुफासा की नजर अब कीडो को छोड़ आसमान की ओर थी। तभी उसे वह हेलीकाप्टर द्वीप से दूर जाता हुआ दिखाई दिया।
लुफासा कुछ देर तक हेलीकाप्टर को देखता रहा। तभी लुफासा को द्वीप के किनारे से बहुत तेज तरंगे निकलती दिखाई दी, जो समुद्र में दूर तक चली गयी।
“मुझे अराका के बारे में लगभग सब कुछ पता है, पर मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि इस द्वीप को पानी पर चलाता कौन है? और द्वीप से जो तरंगे निकलती हैं, उसे कौन छोड़ता है?"
लुफासा मन ही मन बुदबुदाया- “हो सकता है, यह भी मान्त्रिक का कोई मायाजाल हो?"
लुफासा को अब वह हेलीकाप्टर हवा में लहराते हुए दिखाई दिया। लुफासा समझ गया कि अब वह हेलीकाप्टर क्रैश होने वाला है।
हेलीकाप्टर का चालक हेलीकाप्टर को नीचे उतारने की कोशिश कर रहा था। हेलीकाप्टर आसमान में किसी परकटे पक्षी की तरह डोल रहा था।
थोड़ी देर के बाद उस हेलीकाप्टर के चालक ने हेलीकाप्टर का संतुलन बनाकर उसे पानी पर उतार लिया। लुफासा अभी भी बाज के रूप में आसमान में था और उसकी तीखी निगाहें हेलीकाप्टर की ओर थी।
लुफासा के देखते ही देखते वह हेलीकाप्टर एक बोट में परिवर्त्तित हो गयी। अब वह बोट अराका द्वीप की ओर बढ़ने लगी।
यह देख लुफासा ने अपने दाँतो को भीचा और आसमान से पानी में एक डुबकी मारी।
डुबकी मारते ही लुफासा ने अपने आप को एक विशालकाय व्हेल मछली में परिवर्त्तित कर लिया।
अब वह उस बोट के बिल्कुल पीछे था।
लुफासा ने बिना कोई आवाज किये पानी में एक जबर्दस्त गोता लगाया, जिससे समुद्र का पानी बोट के पीछे लगभग 50 फुट तक ऊपर उठ गया और इतनी ऊंचाई से वह पूरा पानी एक लहर बनकर, बहुत तेजी से बोट पर आकर गिरा।
तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी।
तभी लुफासा को कुछ हरे कीड़े व्योम की ओर बढ़ते दिखाई दिये।
लुफासा समझ गया कि अब हरे कीड़े व्योम को निपटा देंगे। इसिलये वह अब सुप्रीम की ओर बढ़ने लगा।
तभी उसे सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े हुए दिखाई दिया।
अचानक से उन लोगो ने पानी में गोलियां चलानी शुरू कर दी। “तड़...तड़....तड़....तड़.....तड़...।"
गोलियों की आवाज उस शांत वातावरण में बहुत दूर तक गूंज रही थी।
लुफासा की नजर गोलियों की दिशा में गयी। उसने देखा कि शार्को का एक झुंड सुप्रीम की ओर बढ़ रहा था और सुप्रीम के डेक पर खड़े कुछ लोग उन शार्को पर गोलियां चला रहे थे।
लुफासा ने तुरंत व्हेल की जगह एक विशालकाय ऑक्टोपस का रूप लिया और पानी के नीचे ही नीचे ‘सुप्रीम’ की ओर बढ़ने लगा।
लुफासा के आसपास शार्को का झुंड बढ़ता जा रहा था। शायद कुछ शार्को को गोलियां भी लग गयी थी, क्यों कि लुफासा को पानी में बिखरा कुछ खून भी दिख रहा था।
अच्छा हुआ कि लुफासा ने इतने विशालकाय जीव का रूप लिया था, नहीं तो इन शार्को ने लुफासा को मिनटो में चट् कर जाना था।
तभी लुफासा को पानी में गिरा एक इंसान दिखाई दिया, जो कि लोथार था।
सभी शार्को अब घेरा बनाकर, तेजी से लोथार की ओर बढ़ने लगी।
यह देख लुफासा बीच में आ गया।
चूंकि लुफासा ऑक्टोपस बना पानी की गहराई में था। इसिलये सुप्रीम के लोगो को वह दिखाई नहीं दे रहा था।
पर पानी में मौजूद शार्को को वह विशालकाय ऑक्टोपस दिखाई दे गया था। इसिलये वह लोथार से 15 फुट की दूरी पर ही रुक गयी।
यह देखकर सुप्रीम पर खड़े लोगो ने रस्सी के द्वारा लोथार को खींचना शुरु कर दिया।
लोथार अब तेजी से ‘सुप्रीम’ की ओर जाने लगा।
लुफासा ने यह देख ऑक्टोपस के 2 हाथो से लोथार के दोनों पैर पकड़ लिए जिसकी वजह से रस्सी एक जोरदार झटके से खिंचनी बंद हो गई।
अचानक लोथार को पानी के नीचे किसी विशाल जीव के होने का अहसास हुआ। लोथार के चेहरे के भाव दहशत में परिवर्त्तित हो गए।
‘सुप्रीम’ पर खड़े लोगो को भी यह एहसास हो गया था कि पानी के नीचे कुछ तो है, शार्के अपने आप नहीं रुकी थी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, लुफासा ने पूरी ताकत से लोथार को पानी के अंदर खींचा।
‘गुलुप’ की आवाज के साथ लोथार पानी में समा गया।
चूंकि लोथार ने रस्सी छूट जाने के डर से, अपने हाथ में कसकर फंसा रखी थी, इसिलए वह रस्सी भी तेजी से पानी में खिंचती चली गई।
अब ऑक्टोपस बना लुफासा लोथार को पकड़ अराका द्वीप की ओर चल दिया।
चैपटर-9:
ब्रूनो के पंख: (9 जनवरी 2002, बुधवार, 09:30, मायावन, अराका द्वीप)
रात में ब्रेंडन के डरावने सपने ने किसी को भी ठीक से सोने नहीं दिया। इसिलये सुबह सभी के उठने में थोड़ा देर हो गया था।
सभी ने ताजा होकर थोड़ा-थोड़ा खाना खा लिया था।
शैफाली चलती हुई ब्रेंडन के पास पहुंचकर बोली- “ब्रेंडन अंकल, अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं?"
“अब बेहतर महसूस कर रहा हूं।" ब्रेंडन ने मुस्कुराते हुए कहा- “कल रात सच में मैं काफ़ी डर गया था।
मैं अपनी पूरी जिंदगी में इतना कभी नहीं डरा।"
“कोई बात नहीं अंकल...वैसे भी यह जंगल इतना विचित्र है कि यहां पर कोई भी आदमी डर सकता है।"
शैफाली ने कहा- “वैसे अंकल,जब आप रात में उठ गये थे, तो आपने किसी को जगाया क्यों नहीं?"
“मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहता था।" ब्रेंडन ने शैफाली का शुक्रिया अदा करते हुए कहा- “पर मुझसे इतनी बात करने के लिये धन्यवाद। तुमसे बात करके मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा है।"
“क्या सब लोग तैयार हैं आगे चलने के लिये?" सुयश ने सभी को देखते हुए पूछा।
“यस कैप्टन।" सभी के मुंह से समवेत स्वर निकला।
“कैप्टन ।" तौफीक ने जमीन से खड़े होते हुए कहा- “मैं आप लोगो को एक सुझाव देना चाहता हूं।"
यह सुनकर सभी तौफीक की ओर देखने लगे।
“कैप्टन, मैंने यह ध्यान दिया है कि ब्रूनो नयनतारा पेड़ के पास शैफाली को बचाने के बजाय वहां आराम से बैठ गया था। शायद उसे पता था कि वह पेड़ शैफाली को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा। उस समय ब्रूनो पेड़ के काफ़ी पास भी था, पर पेड़ ने उसे कुछ नहीं कहा।
ठीक वैसे ही जब आपको उस आदमखोर पेड़ ने अपनी गिरफ़्त में ले लिया था, तब भी ब्रूनो उस पेड़ को काट रहा था, पर उस पेड़ ने भी ब्रूनो को कुछ नहीं कहा। तो मेरा ये कहने का मतलब है कि ब्रूनो यहां के खतरे को भली-भाँति पहचान रहा है और यहां के पेड़ भी ब्रूनो को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। तो क्यों ना हम जंगल में चलते समय ब्रूनो को सबसे आगे रक्खे। ब्रूनो जहां भी खतरा देखेगा, हमें उस दिशा में ले ही नहीं जायेगा।"
“मैं मिस्टर तौफीक की बातों से पूर्ण रूप से सहमत हूं।" अल्बर्ट ने तौफीक की बातों का समर्थन करते हुए कहा।
बाकी सभी को भी तौफीक की बातें सही लगी। इसिलये अब चलते समय ब्रूनो को आगे कर लिया गया। अब सभी फ़िर से जंगल की ओर चल दिये।
ब्रूनो धीरे-धीरे सूंघकर आगे बढ़ रहा था। कभी-कभी वह कुछ सूंघकर अपना रास्ता भी बदल देता।
इस तरह सभी लोग ब्रूनो के पीछे सतर्कता से चल रहे थे।
युगाका पेडों के पीछे छिपता हुआ, बेआवाज उनका पीछा कर रहा था।
जब भी ब्रूनो खतरा सूंघकर रास्ता बदलता युगाका के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते। शायद वह नहीं चाहता था कि ब्रूनो सबको बचाता चले।
धीरे-धीरे छोटे पेड़ पीछे छूट गये। अब रास्ते में ऊंचे देवदार सरीखे वृक्ष दिखाई देने लगे थे।
ब्रूनो ने एक नजर उन पेडों पर मारी और उन पेडों के बीच बने पगडंडी वाले रास्ते पर चल दिया।
मौसम शांत था। आज ज़्यादा हवा भी नहीं चल रही थी। फिर भी मौसम में गरमी प्रतीत नहीं हो रही थी।
इन सभी का पीछा कर रहे युगाका की नजर, इस समय उन देवदार सरीखे वृक्ष की ओर थी।
अचानक युगाका के होंठ गोल हुए और उसमें से एक अजीब सी सरसराहट निकली। जो वातावरण में गूंज गयी।
चूंकि वह सरसराहट पेड़ की ध्वनि जैसी प्रतीत हो रही थी, इसिलये किसी का भी ध्यान उधर नहीं गया।
तभी देवदार के वृक्ष भी ठीक उसी तरह सरसराने लगे जैसी ध्वनि युगाका के मुंह से निकली थी।
अब वह वृक्ष हिलने भी लगे थे।
उन देवदार सरीखे वृक्ष पर बेर के समान छोटे फल लगे थे।
“हवा तो चल भी नहीं रही है, फ़िर यह वृक्ष अचानक कैसे हिलने लगे?" अल्बर्ट ने देवदार के वृक्ष की ओर देखते हुए कहा।
“कहीं कोई नया खतरा तो नहीं?" सुयश ने सबको सावधान करते हुए कहा।
तभी ऐमू विचलित होकर जोर-जोर से अपने पंख फड़फड़ाने लगा।
अब ब्रूनो के कान भी खड़े हो गये। वह बार-बार अपने कान उठाकर कुछ सुनने की कोशिश करने लगा।
तभी एक देवदार के वृक्ष से एक बेर रूपी फल टूटा और ब्रूनो के सिर पर आकर गिर गया।
फल के सिर पर लगते ही ब्रूनो ‘कूं-कूं’ करता हुआ वहीँ जमीन पर गिर पड़ा। यह देख शैफाली भागकर ब्रूनो के पास पहुंच गयी।
ब्रूनो का कराहना अब बढ़ता जा रहा था। किसी की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ? सभी आश्चर्य से इधर-उधर देख रहे थे।
जारी रहेगा________![]()
Thanks brotherNice update....
Thanks rekha jiAwesome update
Bhut hi badhiya update#84.
‘छपाक’ की तेज आवाज के साथ लुफासा पानी में गिरा। इतनी ऊंचाई से कूदने के बाद भी लुफासा ने लॉरेन की लाश को नहीं छोड़ा था।
लुफासा ने पानी में एक तेज डुबकी लगायी और पानी के अंदर ही अंदर जहाज के दूसरी ओर निकल गया। जहां सनूरा अपनी बोट लिये उसका इंतजार कर रही थी। सनूरा ने लुफासा को अपनी बोट पर खींच लिया।
“ये लाश कहां से मिल गयी?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।
“मेरी किस्मत से वहीं एक कमरे में रखी थी।"
लुफासा ने साँसो को नियन्त्रित करते हुए कहा- “पर मैंने उस कमरे की खिड़की पर, पहचान के लिये अपना लाल रंग का कपड़ा लगा दिया है। तुम्हे बोट को उस दिशा में लेना पड़ेगा।"
यह कहकर लुफासा ने सनूरा को एक दिशा की ओर इशारा किया। सनूरा ने बोट को उस दिशा में मोड़ लिया।
सनूरा अपनी बोट को सुप्रीम से चिपका कर चला रही थी, जिससे किसी की नजर बोट पर ना पड़े। कुछ ही देर में सनूरा बोट को लेकर दूसरी तरफ आ गयी।
लुफासा को ऊपर ऊंचाई पर लहराता हुआ अपना लाल कपड़ा दिखाई दे गया। उसने सनूरा को बोट उधर ले चलने का इशारा किया।
सनूरा ने खिड़की के नीचे बोट को ले लिया। उसने बोट की रफ़्तार ‘सुप्रीम’ की रफ़्तार के बराबर सेट कर दी। लुफासा ने उस हरे कीड़े को अपने पंजो में पकड़ा और बाज बन कर जहाज की खिड़की की ओर उड़ चला।
कुछ ही देर में लुफासा ऊपर पहुंच गया। लुफासा ने फ़िर इंसानी रूप धारण कर लिया। चूंकि लुफासा का शरीर समुद्र के पानी से अभी भी भीगा था। इसिलये खिड़की के नीचे उसके कपड़ो से कुछ पानी निकल कर बिखर गया।
स्टोर- रूम में पहुंचकर लुफासा ने हरे कीड़े को स्टोर रूम के दरवाजे के बाहर की ओर उछाल दिया और स्वयं आकर स्टोर रूम में छिपकर बैठ गया।
उसे पता था कि हरा कीड़ा अभी किसी ना किसी को अपना शिकार जरूर बनायेगा और मरने वाले की लाश इसी स्टोर- रूम में रखी जायेगी।
तभी स्टोर- रूम का दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया और उसमें से एक साया अंदर आ गया।
उस साये को देख लुफासा एक बोक्स के पीछे छिप गया, पर लुफासा की नजरें अभी भी उस साये पर थी।
उस साये ने पहले उस जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी हुई थी, पर वहां लाश को ना पाकर वह साया एकाएक घबरा गया और स्टोर- रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से भाग गया।
लुफासा को वहां बैठे-बैठे लगभग 45 मिनट बीत गये। अब लुफासा थोड़ा परेशान होने लगा था।
तभी दोबारा से स्टोर- रूम का दरवाजा खुला और 2 गार्ड, पैकेट में बंद एक लाश को लेकर आये।
“क्या आफत है यार।" एक गार्ड ने दूसरे गार्ड से कहा- “लाशे ढोने का काम हमारे जिम्मे है। छीSS.....ये
भी कोई काम है?"
“सही कह रहा है यार।" दूसरे गार्ड ने कहा।
उस मृत गार्ड की लाश को उन्होंने एक टेबल पर लिटा दिया। तभी उनकी नजर लॉरेन की लाश वाली जगह पर गयी।
“अरे लॉरेन की लाश कहां गयी?" एक गार्ड ने कहा- “वह तो यहीं रखी थी।"
यह देख दोनो ही गार्ड बहुत ज़्यादा घबरा गये और उस मृत गार्ड की लाश को वहीं छोड़कर कैप्टन को बताने के लिये वहां से भाग गये।
लुफासा ने यह देख उस मृत गार्ड की लाश को उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। जिसे सनूरा ने उठाकर बोट पर रख लिया।
इसके बाद लुफासा खिड़की पर चढ़ गया और खिड़की के दूसरी ओर लटककर खिड़की को बंद भी कर दिया। फ़िर उसने वहीं से पानी में छलांग लगाई और जाकर बोट में बैठ गया।
लुफासा ने सनूरा को बोट वहां से हटाने को बोल दिया। सनूरा ने अपनी बोट की गति को बिल्कुल धीमा कर लिया।
‘सुप्रीम’ उसके बगल से होता हुआ आगे निकल गया।
कुछ ही देर में लुफासा और सनूरा अराका पर पहुंच गये। उन्होंने इन दोनों लाशो को भी पिरामिड के बाहर रख दिया।
इसके बाद थके कदमो से दोनों अपने महल की ओर बढ़ गये।
इच्छाधारी लुफासा
(आज से 5 दिन पहले ....4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:00, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के आसमान पर एक बाज काफ़ी ऊंचाई पर उड़ रहा था। उसकी तेज निगाहें अराका द्वीप के सामने मौजूद ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज पर थी।
जहाज के ऊपर से एक मोटरबोट को पानी में उतारा जा रहा था।
कुछ ही देर में मोटरबोट में 3 लोग सवार होकर अराका की ओर बढ़ने लगे।
यह देख बाज बने लुफासा ने आसमान से एक तेज डाइव मारी और तेजी से समुद्र की ओर आने लगा।
समुद्र के पास पहुंच कर लुफासा ने पानी में डुबकी मारी और एक छोटी मछली बन पानी में तैरने लगा।
धीरे-धीरे मोटरबोट लुफासा के पास आ रही थी। लुफासा ने पानी में एक गहरी डुबकी मारी औैर अब एक विशालकाय ऑक्टोपस का रुप ले लिया।
लुफासा ने पास आ रही बोट को नीचे से 2 हाथो से पकड़ लिया। बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।
लुफासा ने बोट को ताकत लगाते देख अपने 2 और हाथो का प्रयोग कर दिया।
अब पानी में बहुत तेज हलचल सी होने लगी।
लुफासा ने बोट को इतनी ताकत से पकड़ रखा था कि बोट आगे जाना तो छोड़ो, वह घूम भी नहीं पा रही थी।
लुफासा बोट को ज़्यादा ताकत लगाते देख कर गुस्सा आ गया। अब वह पूरी ताकत से बोट को पकड़ द्वीप की ओर चल पड़ा।
लुफासा जब द्वीप के पास पहुंचा तो उसे पानी के अंदर हरे कीडो का एक बहुत बड़ा झुंड नजर आया।
यह देख लुफासा ने अपने शरीर को एक जगह पर रोक दिया, जिससे बोट को एक बहुत ही भयंकर झटका लगा।
अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे।
मोटर बोट अब रुक गयी थी।
तभी पानी में गिरे दोनों गार्ड पर हरे कीडो ने हमला कर दिया और उन्हें पानी के अंदर ही अंदर घसीट कर उड़नतस्तरी की ओर बढ़े।
अब लुफासा ने एक विशालकाय हरे कीड़े का रुप लिया और बोट के बिल्कुल पास आकर लारा को पानी के अंदर से घूरकर देखा।
लारा वॉकी-टॉकी सेट पर सुयश से बात कर रहा था।
“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....। पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं....... मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।......सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं.......पर .....यह.... क्या? .... ये पानी में.....हरा रंग.... नहीं... नहीं......यह....कैसे.....हो सकता है? ये दोनों आँखें...... खटाक.....।"
जैसे ही लारा की नजर हरा कीड़ा बने लुफासा की आँख पर गयी। लुफासा ने पानी के नीचे से लारा को बोट को एक जोरदार टक्कर मारी, जिसके कारण लारा की बोट पानी में डूब गयी।
लारा के पानी में गिरते ही हरे कीडो ने लारा को चीखने भर का भी मौका नहीं दिया और लारा को खिंचकर उड़नतस्तरी की ओर बढ़ गये।
लुफासा अब अपने महल में वापस आ गया, पर अब हर घटना के बाद वह विचलित होने लगा था। जैसे तैसे लुफासा ने अपनी रात बिताई।
अगले दिन लुफासा ने सुबह ही सुबह सनूरा को बुला लिया।
इस समय सनूरा लुफासा के सामने एक कुर्सी पर बैठी थी। लुफासा ने सबसे पहले सनूरा को पिरामिड के अंदर घटने वाली घटना के बारे में सबकुछ बता दिया।
पिरामिड की घटना सुन सनूरा हैरान रह गयी।
“इसका मतलब हमारा सोचना सही था।" सनूरा ने लुफासा को देखते हुए कहा- “मांत्रिक कुछ ना कुछ तो गड़बड़ अवश्य कर रहे हैं? मुझे लगता है कि अब हमें पहले एक बार देवी शलाका को भी जांच लेना चाहिए। उससे हमें और सत्यता का पता चल जायेगा।"
“तुम सही कह रही हो, अब हमें देवी शलाका बनी उस युवती का भी रहस्य पता लगाना होगा।" लुफासा ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।
कुछ ही देर में वह दोनो उसी गुफा में पहुंच गये, जहां से 3 रास्ते जाते थे।
“हमें बांये वाले रास्ते पर चलना होगा, सीधा वाला रास्ता देवी शलाका के कमरे तक जाता है, जबकि ये बांया वाला रास्ता, उनके महल के बाहर की ओर जाता है।" लुफासा ने सनूरा से कहा और सनूरा को लेकर बांये वाले रास्ते की ओर मुड़ गया।
कुछ ही देर में वह आकृति के महल के सामने बने एक पेडों के झुरमुट के बीच थे।
“अब हमें अपना रूप परिवर्तन कर लेना चाहिए।"
लुफासा ने कहा-“ तुम सिर्फ बिल्ली का रूप धारण कर सकती हो, इसिलये मैं चूहा बन जाता हूं। पर ध्यान रहे, गलती से कहीं मुझे मार मत देना, नहीं तो मैं फ़िर जीवन में कभी चूहा नहीं बन पाऊंगा।"
“अरे मुझे पता है इस बारे में। मैं भला आपको क्यों मारूंगी।" सनूरा ने मुस्कुराकर कहा और फ़िर होठ ही होठ में कुछ बुदबुदाया। कुछ ही देर में सनूरा बिल्ली बन गयी।
लुफासा ने भी चूहे का रूप धारण कर लिया। अब लुफासा चूहा बनकर आकृति के कमरे की ओर भागा।
सनूरा भी उसके पीछे-पीछे थी।
कमरे में आकृति रोजर को कुछ समझा रही थी। लुफासा और सनूरा भागते हुए कमरे में प्रविष्ट हुए।
आकृति यह देखकर, रोजर को समझाना छोड़, चूहा और बिल्ली को देखने लगी।
बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।
बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।
आकृति के कमरे से निकलकर चूहा, बिल्ली दूर पेडों के झुरमुट की ओर भागे।
पेडों के बीच पहुंचकर लुफासा और सनूरा फ़िर से इंसानी रूप में आ गये।
“देवी शलाका के पास खड़ा, वह इंसान कौन था? और वह अदृश्य दीवार के रहते सीनोर पर आया कहां से?" लुफासा के शब्दो में आश्चर्य भरा था।
“और वह देवी शलाका के पास क्या कर रहा था?" सनूरा ने भी आश्चर्य व्यक्त किया।
“मुझे तो लगता है कि देवी शलाका, मान्त्रिक से भी कुछ छिपा रही हैं? क्यों कि मुझे नहीं लगता कि मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में कुछ भी पता होगा?"
लुफासा ने कहा- “क्या हमें मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में बता देना चाहिए?"
“नहीं...कभी नहीं।" सनूरा ने कहा- “अगर देवी शलाका और मान्त्रिक दोनो ही हमसे कुछ छिपा रहे हैं, तो हमें भी उनको कुछ नहीं बताना चाहिए और उन दोनों पर नजर रखते हुए ऐसे व्यवहार करना चाहिए, जैसे कि हमें कुछ पता ही ना हो। फ़िर भविष्य में जैसा उिचत लगेगा, वैसा ही करेंगे।"
“ठीक है। फ़िर मैं अभी जाकर जरा ‘सुप्रीम’ को देख लूं। क्यों कि मैंने कुछ हरे कीडो को सुप्रीम से लाश लाने भेजा था। तब तक तुम जिस तरह संभव हो, देवी शलाका और मान्त्रिक पर नजर रखो और कोई भी रहस्यमयी चीज देखते ही मुझे सूचित करो।" लुफासा ने कहा।
सनूरा ने सिर हिलाकर लुफासा की बातों का समर्थन किया।
लुफासा ने अब बाज का रूप धारण किया और सुप्रीम की ओर चल पड़ा।
जारी रहेगा_________![]()
Bhut hi badhiya update#85.
द्वीप से कुछ आगे जाते ही लुफासा को हरे कीड़े, एक बूढ़ी स्त्री को लेकर उड़नतस्तरी की ओर जाते दिखाई दिये।
वह स्त्री मारिया थी। अल्बर्ट की पत्नी मारिया।
तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज ने लुफासा का ध्यान आसमान की ओर कर दिया।
लुफासा को आसमान पर उड़ता हुआ एक हेलीकाप्टर दिखाई दिया।
लुफासा की नजर अब कीडो को छोड़ आसमान की ओर थी। तभी उसे वह हेलीकाप्टर द्वीप से दूर जाता हुआ दिखाई दिया।
लुफासा कुछ देर तक हेलीकाप्टर को देखता रहा। तभी लुफासा को द्वीप के किनारे से बहुत तेज तरंगे निकलती दिखाई दी, जो समुद्र में दूर तक चली गयी।
“मुझे अराका के बारे में लगभग सब कुछ पता है, पर मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि इस द्वीप को पानी पर चलाता कौन है? और द्वीप से जो तरंगे निकलती हैं, उसे कौन छोड़ता है?"
लुफासा मन ही मन बुदबुदाया- “हो सकता है, यह भी मान्त्रिक का कोई मायाजाल हो?"
लुफासा को अब वह हेलीकाप्टर हवा में लहराते हुए दिखाई दिया। लुफासा समझ गया कि अब वह हेलीकाप्टर क्रैश होने वाला है।
हेलीकाप्टर का चालक हेलीकाप्टर को नीचे उतारने की कोशिश कर रहा था। हेलीकाप्टर आसमान में किसी परकटे पक्षी की तरह डोल रहा था।
थोड़ी देर के बाद उस हेलीकाप्टर के चालक ने हेलीकाप्टर का संतुलन बनाकर उसे पानी पर उतार लिया। लुफासा अभी भी बाज के रूप में आसमान में था और उसकी तीखी निगाहें हेलीकाप्टर की ओर थी।
लुफासा के देखते ही देखते वह हेलीकाप्टर एक बोट में परिवर्त्तित हो गयी। अब वह बोट अराका द्वीप की ओर बढ़ने लगी।
यह देख लुफासा ने अपने दाँतो को भीचा और आसमान से पानी में एक डुबकी मारी।
डुबकी मारते ही लुफासा ने अपने आप को एक विशालकाय व्हेल मछली में परिवर्त्तित कर लिया।
अब वह उस बोट के बिल्कुल पीछे था।
लुफासा ने बिना कोई आवाज किये पानी में एक जबर्दस्त गोता लगाया, जिससे समुद्र का पानी बोट के पीछे लगभग 50 फुट तक ऊपर उठ गया और इतनी ऊंचाई से वह पूरा पानी एक लहर बनकर, बहुत तेजी से बोट पर आकर गिरा।
तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी।
तभी लुफासा को कुछ हरे कीड़े व्योम की ओर बढ़ते दिखाई दिये।
लुफासा समझ गया कि अब हरे कीड़े व्योम को निपटा देंगे। इसिलये वह अब सुप्रीम की ओर बढ़ने लगा।
तभी उसे सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े हुए दिखाई दिया।
अचानक से उन लोगो ने पानी में गोलियां चलानी शुरू कर दी। “तड़...तड़....तड़....तड़.....तड़...।"
गोलियों की आवाज उस शांत वातावरण में बहुत दूर तक गूंज रही थी।
लुफासा की नजर गोलियों की दिशा में गयी। उसने देखा कि शार्को का एक झुंड सुप्रीम की ओर बढ़ रहा था और सुप्रीम के डेक पर खड़े कुछ लोग उन शार्को पर गोलियां चला रहे थे।
लुफासा ने तुरंत व्हेल की जगह एक विशालकाय ऑक्टोपस का रूप लिया और पानी के नीचे ही नीचे ‘सुप्रीम’ की ओर बढ़ने लगा।
लुफासा के आसपास शार्को का झुंड बढ़ता जा रहा था। शायद कुछ शार्को को गोलियां भी लग गयी थी, क्यों कि लुफासा को पानी में बिखरा कुछ खून भी दिख रहा था।
अच्छा हुआ कि लुफासा ने इतने विशालकाय जीव का रूप लिया था, नहीं तो इन शार्को ने लुफासा को मिनटो में चट् कर जाना था।
तभी लुफासा को पानी में गिरा एक इंसान दिखाई दिया, जो कि लोथार था।
सभी शार्को अब घेरा बनाकर, तेजी से लोथार की ओर बढ़ने लगी।
यह देख लुफासा बीच में आ गया।
चूंकि लुफासा ऑक्टोपस बना पानी की गहराई में था। इसिलये सुप्रीम के लोगो को वह दिखाई नहीं दे रहा था।
पर पानी में मौजूद शार्को को वह विशालकाय ऑक्टोपस दिखाई दे गया था। इसिलये वह लोथार से 15 फुट की दूरी पर ही रुक गयी।
यह देखकर सुप्रीम पर खड़े लोगो ने रस्सी के द्वारा लोथार को खींचना शुरु कर दिया।
लोथार अब तेजी से ‘सुप्रीम’ की ओर जाने लगा।
लुफासा ने यह देख ऑक्टोपस के 2 हाथो से लोथार के दोनों पैर पकड़ लिए जिसकी वजह से रस्सी एक जोरदार झटके से खिंचनी बंद हो गई।
अचानक लोथार को पानी के नीचे किसी विशाल जीव के होने का अहसास हुआ। लोथार के चेहरे के भाव दहशत में परिवर्त्तित हो गए।
‘सुप्रीम’ पर खड़े लोगो को भी यह एहसास हो गया था कि पानी के नीचे कुछ तो है, शार्के अपने आप नहीं रुकी थी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, लुफासा ने पूरी ताकत से लोथार को पानी के अंदर खींचा।
‘गुलुप’ की आवाज के साथ लोथार पानी में समा गया।
चूंकि लोथार ने रस्सी छूट जाने के डर से, अपने हाथ में कसकर फंसा रखी थी, इसिलए वह रस्सी भी तेजी से पानी में खिंचती चली गई।
अब ऑक्टोपस बना लुफासा लोथार को पकड़ अराका द्वीप की ओर चल दिया।
चैपटर-9:
ब्रूनो के पंख: (9 जनवरी 2002, बुधवार, 09:30, मायावन, अराका द्वीप)
रात में ब्रेंडन के डरावने सपने ने किसी को भी ठीक से सोने नहीं दिया। इसिलये सुबह सभी के उठने में थोड़ा देर हो गया था।
सभी ने ताजा होकर थोड़ा-थोड़ा खाना खा लिया था।
शैफाली चलती हुई ब्रेंडन के पास पहुंचकर बोली- “ब्रेंडन अंकल, अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं?"
“अब बेहतर महसूस कर रहा हूं।" ब्रेंडन ने मुस्कुराते हुए कहा- “कल रात सच में मैं काफ़ी डर गया था।
मैं अपनी पूरी जिंदगी में इतना कभी नहीं डरा।"
“कोई बात नहीं अंकल...वैसे भी यह जंगल इतना विचित्र है कि यहां पर कोई भी आदमी डर सकता है।"
शैफाली ने कहा- “वैसे अंकल,जब आप रात में उठ गये थे, तो आपने किसी को जगाया क्यों नहीं?"
“मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहता था।" ब्रेंडन ने शैफाली का शुक्रिया अदा करते हुए कहा- “पर मुझसे इतनी बात करने के लिये धन्यवाद। तुमसे बात करके मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा है।"
“क्या सब लोग तैयार हैं आगे चलने के लिये?" सुयश ने सभी को देखते हुए पूछा।
“यस कैप्टन।" सभी के मुंह से समवेत स्वर निकला।
“कैप्टन ।" तौफीक ने जमीन से खड़े होते हुए कहा- “मैं आप लोगो को एक सुझाव देना चाहता हूं।"
यह सुनकर सभी तौफीक की ओर देखने लगे।
“कैप्टन, मैंने यह ध्यान दिया है कि ब्रूनो नयनतारा पेड़ के पास शैफाली को बचाने के बजाय वहां आराम से बैठ गया था। शायद उसे पता था कि वह पेड़ शैफाली को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा। उस समय ब्रूनो पेड़ के काफ़ी पास भी था, पर पेड़ ने उसे कुछ नहीं कहा।
ठीक वैसे ही जब आपको उस आदमखोर पेड़ ने अपनी गिरफ़्त में ले लिया था, तब भी ब्रूनो उस पेड़ को काट रहा था, पर उस पेड़ ने भी ब्रूनो को कुछ नहीं कहा। तो मेरा ये कहने का मतलब है कि ब्रूनो यहां के खतरे को भली-भाँति पहचान रहा है और यहां के पेड़ भी ब्रूनो को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। तो क्यों ना हम जंगल में चलते समय ब्रूनो को सबसे आगे रक्खे। ब्रूनो जहां भी खतरा देखेगा, हमें उस दिशा में ले ही नहीं जायेगा।"
“मैं मिस्टर तौफीक की बातों से पूर्ण रूप से सहमत हूं।" अल्बर्ट ने तौफीक की बातों का समर्थन करते हुए कहा।
बाकी सभी को भी तौफीक की बातें सही लगी। इसिलये अब चलते समय ब्रूनो को आगे कर लिया गया। अब सभी फ़िर से जंगल की ओर चल दिये।
ब्रूनो धीरे-धीरे सूंघकर आगे बढ़ रहा था। कभी-कभी वह कुछ सूंघकर अपना रास्ता भी बदल देता।
इस तरह सभी लोग ब्रूनो के पीछे सतर्कता से चल रहे थे।
युगाका पेडों के पीछे छिपता हुआ, बेआवाज उनका पीछा कर रहा था।
जब भी ब्रूनो खतरा सूंघकर रास्ता बदलता युगाका के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते। शायद वह नहीं चाहता था कि ब्रूनो सबको बचाता चले।
धीरे-धीरे छोटे पेड़ पीछे छूट गये। अब रास्ते में ऊंचे देवदार सरीखे वृक्ष दिखाई देने लगे थे।
ब्रूनो ने एक नजर उन पेडों पर मारी और उन पेडों के बीच बने पगडंडी वाले रास्ते पर चल दिया।
मौसम शांत था। आज ज़्यादा हवा भी नहीं चल रही थी। फिर भी मौसम में गरमी प्रतीत नहीं हो रही थी।
इन सभी का पीछा कर रहे युगाका की नजर, इस समय उन देवदार सरीखे वृक्ष की ओर थी।
अचानक युगाका के होंठ गोल हुए और उसमें से एक अजीब सी सरसराहट निकली। जो वातावरण में गूंज गयी।
चूंकि वह सरसराहट पेड़ की ध्वनि जैसी प्रतीत हो रही थी, इसिलये किसी का भी ध्यान उधर नहीं गया।
तभी देवदार के वृक्ष भी ठीक उसी तरह सरसराने लगे जैसी ध्वनि युगाका के मुंह से निकली थी।
अब वह वृक्ष हिलने भी लगे थे।
उन देवदार सरीखे वृक्ष पर बेर के समान छोटे फल लगे थे।
“हवा तो चल भी नहीं रही है, फ़िर यह वृक्ष अचानक कैसे हिलने लगे?" अल्बर्ट ने देवदार के वृक्ष की ओर देखते हुए कहा।
“कहीं कोई नया खतरा तो नहीं?" सुयश ने सबको सावधान करते हुए कहा।
तभी ऐमू विचलित होकर जोर-जोर से अपने पंख फड़फड़ाने लगा।
अब ब्रूनो के कान भी खड़े हो गये। वह बार-बार अपने कान उठाकर कुछ सुनने की कोशिश करने लगा।
तभी एक देवदार के वृक्ष से एक बेर रूपी फल टूटा और ब्रूनो के सिर पर आकर गिर गया।
फल के सिर पर लगते ही ब्रूनो ‘कूं-कूं’ करता हुआ वहीँ जमीन पर गिर पड़ा। यह देख शैफाली भागकर ब्रूनो के पास पहुंच गयी।
ब्रूनो का कराहना अब बढ़ता जा रहा था। किसी की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ? सभी आश्चर्य से इधर-उधर देख रहे थे।
जारी रहेगा________![]()
Bilkul theek kaha bhaiya, wahi hai, in sabke peeche, Thank you very much for your valuable review and supportBhut hi badhiya update
To vo dono lashe lufasa ne gayab ki thi
Or lufasa or sanura ko mantrik or aakriti ka bhi toda bhut sach pata chal gaya hai
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया#84.
‘छपाक’ की तेज आवाज के साथ लुफासा पानी में गिरा। इतनी ऊंचाई से कूदने के बाद भी लुफासा ने लॉरेन की लाश को नहीं छोड़ा था।
लुफासा ने पानी में एक तेज डुबकी लगायी और पानी के अंदर ही अंदर जहाज के दूसरी ओर निकल गया। जहां सनूरा अपनी बोट लिये उसका इंतजार कर रही थी। सनूरा ने लुफासा को अपनी बोट पर खींच लिया।
“ये लाश कहां से मिल गयी?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।
“मेरी किस्मत से वहीं एक कमरे में रखी थी।"
लुफासा ने साँसो को नियन्त्रित करते हुए कहा- “पर मैंने उस कमरे की खिड़की पर, पहचान के लिये अपना लाल रंग का कपड़ा लगा दिया है। तुम्हे बोट को उस दिशा में लेना पड़ेगा।"
यह कहकर लुफासा ने सनूरा को एक दिशा की ओर इशारा किया। सनूरा ने बोट को उस दिशा में मोड़ लिया।
सनूरा अपनी बोट को सुप्रीम से चिपका कर चला रही थी, जिससे किसी की नजर बोट पर ना पड़े। कुछ ही देर में सनूरा बोट को लेकर दूसरी तरफ आ गयी।
लुफासा को ऊपर ऊंचाई पर लहराता हुआ अपना लाल कपड़ा दिखाई दे गया। उसने सनूरा को बोट उधर ले चलने का इशारा किया।
सनूरा ने खिड़की के नीचे बोट को ले लिया। उसने बोट की रफ़्तार ‘सुप्रीम’ की रफ़्तार के बराबर सेट कर दी। लुफासा ने उस हरे कीड़े को अपने पंजो में पकड़ा और बाज बन कर जहाज की खिड़की की ओर उड़ चला।
कुछ ही देर में लुफासा ऊपर पहुंच गया। लुफासा ने फ़िर इंसानी रूप धारण कर लिया। चूंकि लुफासा का शरीर समुद्र के पानी से अभी भी भीगा था। इसिलये खिड़की के नीचे उसके कपड़ो से कुछ पानी निकल कर बिखर गया।
स्टोर- रूम में पहुंचकर लुफासा ने हरे कीड़े को स्टोर रूम के दरवाजे के बाहर की ओर उछाल दिया और स्वयं आकर स्टोर रूम में छिपकर बैठ गया।
उसे पता था कि हरा कीड़ा अभी किसी ना किसी को अपना शिकार जरूर बनायेगा और मरने वाले की लाश इसी स्टोर- रूम में रखी जायेगी।
तभी स्टोर- रूम का दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया और उसमें से एक साया अंदर आ गया।
उस साये को देख लुफासा एक बोक्स के पीछे छिप गया, पर लुफासा की नजरें अभी भी उस साये पर थी।
उस साये ने पहले उस जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी हुई थी, पर वहां लाश को ना पाकर वह साया एकाएक घबरा गया और स्टोर- रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से भाग गया।
लुफासा को वहां बैठे-बैठे लगभग 45 मिनट बीत गये। अब लुफासा थोड़ा परेशान होने लगा था।
तभी दोबारा से स्टोर- रूम का दरवाजा खुला और 2 गार्ड, पैकेट में बंद एक लाश को लेकर आये।
“क्या आफत है यार।" एक गार्ड ने दूसरे गार्ड से कहा- “लाशे ढोने का काम हमारे जिम्मे है। छीSS.....ये
भी कोई काम है?"
“सही कह रहा है यार।" दूसरे गार्ड ने कहा।
उस मृत गार्ड की लाश को उन्होंने एक टेबल पर लिटा दिया। तभी उनकी नजर लॉरेन की लाश वाली जगह पर गयी।
“अरे लॉरेन की लाश कहां गयी?" एक गार्ड ने कहा- “वह तो यहीं रखी थी।"
यह देख दोनो ही गार्ड बहुत ज़्यादा घबरा गये और उस मृत गार्ड की लाश को वहीं छोड़कर कैप्टन को बताने के लिये वहां से भाग गये।
लुफासा ने यह देख उस मृत गार्ड की लाश को उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। जिसे सनूरा ने उठाकर बोट पर रख लिया।
इसके बाद लुफासा खिड़की पर चढ़ गया और खिड़की के दूसरी ओर लटककर खिड़की को बंद भी कर दिया। फ़िर उसने वहीं से पानी में छलांग लगाई और जाकर बोट में बैठ गया।
लुफासा ने सनूरा को बोट वहां से हटाने को बोल दिया। सनूरा ने अपनी बोट की गति को बिल्कुल धीमा कर लिया।
‘सुप्रीम’ उसके बगल से होता हुआ आगे निकल गया।
कुछ ही देर में लुफासा और सनूरा अराका पर पहुंच गये। उन्होंने इन दोनों लाशो को भी पिरामिड के बाहर रख दिया।
इसके बाद थके कदमो से दोनों अपने महल की ओर बढ़ गये।
इच्छाधारी लुफासा
(आज से 5 दिन पहले ....4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:00, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के आसमान पर एक बाज काफ़ी ऊंचाई पर उड़ रहा था। उसकी तेज निगाहें अराका द्वीप के सामने मौजूद ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज पर थी।
जहाज के ऊपर से एक मोटरबोट को पानी में उतारा जा रहा था।
कुछ ही देर में मोटरबोट में 3 लोग सवार होकर अराका की ओर बढ़ने लगे।
यह देख बाज बने लुफासा ने आसमान से एक तेज डाइव मारी और तेजी से समुद्र की ओर आने लगा।
समुद्र के पास पहुंच कर लुफासा ने पानी में डुबकी मारी और एक छोटी मछली बन पानी में तैरने लगा।
धीरे-धीरे मोटरबोट लुफासा के पास आ रही थी। लुफासा ने पानी में एक गहरी डुबकी मारी औैर अब एक विशालकाय ऑक्टोपस का रुप ले लिया।
लुफासा ने पास आ रही बोट को नीचे से 2 हाथो से पकड़ लिया। बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।
लुफासा ने बोट को ताकत लगाते देख अपने 2 और हाथो का प्रयोग कर दिया।
अब पानी में बहुत तेज हलचल सी होने लगी।
लुफासा ने बोट को इतनी ताकत से पकड़ रखा था कि बोट आगे जाना तो छोड़ो, वह घूम भी नहीं पा रही थी।
लुफासा बोट को ज़्यादा ताकत लगाते देख कर गुस्सा आ गया। अब वह पूरी ताकत से बोट को पकड़ द्वीप की ओर चल पड़ा।
लुफासा जब द्वीप के पास पहुंचा तो उसे पानी के अंदर हरे कीडो का एक बहुत बड़ा झुंड नजर आया।
यह देख लुफासा ने अपने शरीर को एक जगह पर रोक दिया, जिससे बोट को एक बहुत ही भयंकर झटका लगा।
अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे।
मोटर बोट अब रुक गयी थी।
तभी पानी में गिरे दोनों गार्ड पर हरे कीडो ने हमला कर दिया और उन्हें पानी के अंदर ही अंदर घसीट कर उड़नतस्तरी की ओर बढ़े।
अब लुफासा ने एक विशालकाय हरे कीड़े का रुप लिया और बोट के बिल्कुल पास आकर लारा को पानी के अंदर से घूरकर देखा।
लारा वॉकी-टॉकी सेट पर सुयश से बात कर रहा था।
“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....। पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं....... मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।......सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं.......पर .....यह.... क्या? .... ये पानी में.....हरा रंग.... नहीं... नहीं......यह....कैसे.....हो सकता है? ये दोनों आँखें...... खटाक.....।"
जैसे ही लारा की नजर हरा कीड़ा बने लुफासा की आँख पर गयी। लुफासा ने पानी के नीचे से लारा को बोट को एक जोरदार टक्कर मारी, जिसके कारण लारा की बोट पानी में डूब गयी।
लारा के पानी में गिरते ही हरे कीडो ने लारा को चीखने भर का भी मौका नहीं दिया और लारा को खिंचकर उड़नतस्तरी की ओर बढ़ गये।
लुफासा अब अपने महल में वापस आ गया, पर अब हर घटना के बाद वह विचलित होने लगा था। जैसे तैसे लुफासा ने अपनी रात बिताई।
अगले दिन लुफासा ने सुबह ही सुबह सनूरा को बुला लिया।
इस समय सनूरा लुफासा के सामने एक कुर्सी पर बैठी थी। लुफासा ने सबसे पहले सनूरा को पिरामिड के अंदर घटने वाली घटना के बारे में सबकुछ बता दिया।
पिरामिड की घटना सुन सनूरा हैरान रह गयी।
“इसका मतलब हमारा सोचना सही था।" सनूरा ने लुफासा को देखते हुए कहा- “मांत्रिक कुछ ना कुछ तो गड़बड़ अवश्य कर रहे हैं? मुझे लगता है कि अब हमें पहले एक बार देवी शलाका को भी जांच लेना चाहिए। उससे हमें और सत्यता का पता चल जायेगा।"
“तुम सही कह रही हो, अब हमें देवी शलाका बनी उस युवती का भी रहस्य पता लगाना होगा।" लुफासा ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।
कुछ ही देर में वह दोनो उसी गुफा में पहुंच गये, जहां से 3 रास्ते जाते थे।
“हमें बांये वाले रास्ते पर चलना होगा, सीधा वाला रास्ता देवी शलाका के कमरे तक जाता है, जबकि ये बांया वाला रास्ता, उनके महल के बाहर की ओर जाता है।" लुफासा ने सनूरा से कहा और सनूरा को लेकर बांये वाले रास्ते की ओर मुड़ गया।
कुछ ही देर में वह आकृति के महल के सामने बने एक पेडों के झुरमुट के बीच थे।
“अब हमें अपना रूप परिवर्तन कर लेना चाहिए।"
लुफासा ने कहा-“ तुम सिर्फ बिल्ली का रूप धारण कर सकती हो, इसिलये मैं चूहा बन जाता हूं। पर ध्यान रहे, गलती से कहीं मुझे मार मत देना, नहीं तो मैं फ़िर जीवन में कभी चूहा नहीं बन पाऊंगा।"
“अरे मुझे पता है इस बारे में। मैं भला आपको क्यों मारूंगी।" सनूरा ने मुस्कुराकर कहा और फ़िर होठ ही होठ में कुछ बुदबुदाया। कुछ ही देर में सनूरा बिल्ली बन गयी।
लुफासा ने भी चूहे का रूप धारण कर लिया। अब लुफासा चूहा बनकर आकृति के कमरे की ओर भागा।
सनूरा भी उसके पीछे-पीछे थी।
कमरे में आकृति रोजर को कुछ समझा रही थी। लुफासा और सनूरा भागते हुए कमरे में प्रविष्ट हुए।
आकृति यह देखकर, रोजर को समझाना छोड़, चूहा और बिल्ली को देखने लगी।
बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।
बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।
आकृति के कमरे से निकलकर चूहा, बिल्ली दूर पेडों के झुरमुट की ओर भागे।
पेडों के बीच पहुंचकर लुफासा और सनूरा फ़िर से इंसानी रूप में आ गये।
“देवी शलाका के पास खड़ा, वह इंसान कौन था? और वह अदृश्य दीवार के रहते सीनोर पर आया कहां से?" लुफासा के शब्दो में आश्चर्य भरा था।
“और वह देवी शलाका के पास क्या कर रहा था?" सनूरा ने भी आश्चर्य व्यक्त किया।
“मुझे तो लगता है कि देवी शलाका, मान्त्रिक से भी कुछ छिपा रही हैं? क्यों कि मुझे नहीं लगता कि मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में कुछ भी पता होगा?"
लुफासा ने कहा- “क्या हमें मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में बता देना चाहिए?"
“नहीं...कभी नहीं।" सनूरा ने कहा- “अगर देवी शलाका और मान्त्रिक दोनो ही हमसे कुछ छिपा रहे हैं, तो हमें भी उनको कुछ नहीं बताना चाहिए और उन दोनों पर नजर रखते हुए ऐसे व्यवहार करना चाहिए, जैसे कि हमें कुछ पता ही ना हो। फ़िर भविष्य में जैसा उिचत लगेगा, वैसा ही करेंगे।"
“ठीक है। फ़िर मैं अभी जाकर जरा ‘सुप्रीम’ को देख लूं। क्यों कि मैंने कुछ हरे कीडो को सुप्रीम से लाश लाने भेजा था। तब तक तुम जिस तरह संभव हो, देवी शलाका और मान्त्रिक पर नजर रखो और कोई भी रहस्यमयी चीज देखते ही मुझे सूचित करो।" लुफासा ने कहा।
सनूरा ने सिर हिलाकर लुफासा की बातों का समर्थन किया।
लुफासा ने अब बाज का रूप धारण किया और सुप्रीम की ओर चल पड़ा।
जारी रहेगा_________![]()